25-07-2017, 04:52 PM
लाला की गोल मटोल आँखो जितने तो निप्पल थे उसके...
इतने मोटे निप्पल तो उसकी माँ के भी नही थे..
पता नही किसपर गये थे वो...
और उपर से उन नारंगियो की अकड़ देखकर लाला अचंभित हुए बिना नही रह सका...
इनका आकार तो निशि की बूबीयों से भी बड़ा था पर जिस अंदाज से नाज़िया की छातियाँ तनकर खड़ी थी , उनका जवाब नही था...
लाला से और सब्र नही हुआ...
पीने के बाद उसे भूख लग आई थी, इसलिए उसने बिना कोई देरी किए अपना चेहरा नीचे किया और उन कच्चे टिकोरों को मुँह में भरकर जोरों से चुभलाने लगा...
''आआआआआआआआआअहह.....सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......... उम्म्म्मममममममममम...''
नाज़िया के होंठो ने चुप्पी तोड़ ही डाली
और उसके हाथ भी लाला के सिर के पीछे आ लगे...
अपनी एक टाँग हवा में उठाकर नाज़िया का शरीर हवा में तैरने सा लगा...
और उसने पूरा ज़ोर लगाकर अपना दाँया मुम्मा लाला के मुँह में ठूस कर उसे पूरा का पूरा खिला दिया...
लाला को पता था की उसके इस हमले का कोई तोड़ नही होगा नाज़िया बेबी के पास...
और हुआ भी ऐसा ही...
अपने सेंसेटिव हिस्से पर हमला होता देखकर बेचारी को अपनी बेहोशी के नाटक से बाहर आना ही पड़ा...
''ओह लालाजी ........................ उम्म्म्मममममममममममम............ कुछ हो रहा है..... जी......अहह..... लालाजी........''
लाला ने मन में सोचा 'साली, लालाजी तो ऐसे बोल रही है जैसे मैं इसका बाप लगता हूँ ....हरामन नंगी पड़ी है मेरे सामने, और अभी तक इसके नाटक चालू है...'
लाला ने उपर से नीचे तक उसके बदन को अपने हाथो से रगड़ डाला..
एक पल के लिए तो नाज़िया को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके नंगे बदन पर हज़ारों हाथ तैर रहे हैं....
उसके बूब्स पर....
उसके पेट पर...
उसकी जांघों पर...
उसकी टाँगो पर...
हर जगह लाला के जादुई हाथ महसूस हो रहे थे उसे...
नाज़िया का बदन अकड़ कर रह गया जब लाला ने उसके मोटे अखरोट जैसे निप्पल को मुँह में लेकर चूसा तो....
उसे दाँत से काटने पर वो बिफर सी गयी और उसने लाला की धोती में हाथ डालकर उनके रामलाल का गला पकड़ लिया...
इतने मोटे निप्पल तो उसकी माँ के भी नही थे..
पता नही किसपर गये थे वो...
और उपर से उन नारंगियो की अकड़ देखकर लाला अचंभित हुए बिना नही रह सका...
इनका आकार तो निशि की बूबीयों से भी बड़ा था पर जिस अंदाज से नाज़िया की छातियाँ तनकर खड़ी थी , उनका जवाब नही था...
लाला से और सब्र नही हुआ...
पीने के बाद उसे भूख लग आई थी, इसलिए उसने बिना कोई देरी किए अपना चेहरा नीचे किया और उन कच्चे टिकोरों को मुँह में भरकर जोरों से चुभलाने लगा...
''आआआआआआआआआअहह.....सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......... उम्म्म्मममममममममम...''
नाज़िया के होंठो ने चुप्पी तोड़ ही डाली
और उसके हाथ भी लाला के सिर के पीछे आ लगे...
अपनी एक टाँग हवा में उठाकर नाज़िया का शरीर हवा में तैरने सा लगा...
और उसने पूरा ज़ोर लगाकर अपना दाँया मुम्मा लाला के मुँह में ठूस कर उसे पूरा का पूरा खिला दिया...
लाला को पता था की उसके इस हमले का कोई तोड़ नही होगा नाज़िया बेबी के पास...
और हुआ भी ऐसा ही...
अपने सेंसेटिव हिस्से पर हमला होता देखकर बेचारी को अपनी बेहोशी के नाटक से बाहर आना ही पड़ा...
''ओह लालाजी ........................ उम्म्म्मममममममममममम............ कुछ हो रहा है..... जी......अहह..... लालाजी........''
लाला ने मन में सोचा 'साली, लालाजी तो ऐसे बोल रही है जैसे मैं इसका बाप लगता हूँ ....हरामन नंगी पड़ी है मेरे सामने, और अभी तक इसके नाटक चालू है...'
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एक पल के लिए तो नाज़िया को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके नंगे बदन पर हज़ारों हाथ तैर रहे हैं....
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