अब तक आपने पढा़..
पर वो ये नही जानते थे की 1-2 चालें सफल होने का मतलब ये नही होता की वो माहिर खिलाड़ी बन चुकी है...
ख़ासकर तब जब लाला जैसा मंझा हुआ खिलाड़ी मैदान में हो...
अब तो सभी को रात का इंतजार था..
अब आगे...
निशि का कमरा उपर था और उसके उपर की छत्त पर ही वो अक्सर सोया करती थी...
वही से पिंकी के घर की छत्त भी लगी हुई थी, जहाँ से अक्सर दोनो सहेलियां एक दूसरे के घर चली जाया करती थी..
निशि का भाई और माँ नीचे ही सोया करते थे...
और उपर आने के लिए बीच वाले फ्लोर यानी निशि के कमरे से ही आया जा सकता था,
उसे बंद कर देने के बाद तो नीचे से भाई और माँ के ऊपर आने का सवाल ही नही उठता था..
पर सवाल ये था की छत्त तक लाला कैसे आएगा...
अब उसने खुद ही ये बात बोली है तो वही कुछ जुगाड़ निकालेगा...
खैर, निशि के कमरे में जाने के बाद पिंकी ने रेजर से उसकी चूत अच्छी तरह से सॉफ कर दी...
जिसके बाद वो एकदम चिकनी होकर लश्कारे मारने लगी...
पिंकी : "हाय ....मेरी जान....मेरा तो मन बेईमान हो रहा है तेरी चूत देखकर...मन तो कर रहा है की इसे मैं अभी खा जाऊं ....''
मन तो वैसे निशि का भी कर रहा था...
पर नीचे उसकी माँ और भाई थे, जिनके डर से वो कुछ नही कह पाई...
पर उसने अपनी पूरी सलवार उतार कर अपना जिस्म नीचे से नंगा ज़रूर कर लिया...
पिंकी तो समझी की वो उसकी बात मान गयी है...
पर निशि बोली : "अभी ज़्यादा सपने ना देख, भाई और माँ नीचे ही है...कुछ करने बैठे तो कपड़े पहनने का भी टाइम नही मिलेगा...ये मैने इसलिए उतारा ताकि टाँगो के बाल भी सॉफ कर सकूँ ...समझी...''
पिंकी : "ओये होये...तैयारी तो ऐसे कर रही है जैसे आज तेरी सुहागरात है लाला के साथ...''
ये सुनकर निशि शरमा कर रह गई...
वो बोली : "वो तो मैं इसलिए कह रही हूँ क्योंकि लाला को शक ना हो जाए...तूने देखा था ना मीनल दीदी की टांगे भी एकदम चिकनी थी...
मेरी टाँगो पर बाल देखकर लाला को शक हो गया तो मुसीबत आ जाएगी...''
पिंकी : "और इसी बहाने तू अपनी सफाई भी करवा रही है ...सही है बच्चू ...आज तेरा दिन है...मज़े लेगी आज तो लाला के साथ....आज तो लाला तेरे साथ मिनी सुहागरात मनाएगा... हा हा..''
उसका एक-2 शब्द निशि के जिस्म में अंगारे भड़का रहा था....
पहले तो वो घबरा रही थी पर अब तो उसे भी लाला के आने का इंतजार था...
उसने तो सपने में भी नही सोचा था की जिस लाला को आज झरने के नीचे अपनी बहन की चुदाई करते देखकर आई थी वो , उनके लंड के इतनी जल्दी दर्शन करने को मिलेंगे उसे....
इस वक़्त वो पिंकी के मुक़ाबले अपने आप को ज़्यादा खुशकिस्मत समझ रही थी..
खैर, कुछ देर वहां बैठकर और रात का प्लान बनाकर पिंकी अपने घर चली गयी...
निशि भी उसके बाद काफ़ी देर तक खुश्बुदार साबुन से नहाती रही और अपनी होने वाली मीटिंग के बारे में सोचकर पुलकित होती रही...
रात को खाना खाकर वो अपने कमरे में आ गयी...
करीब आधा घंटा इंतजार करने के बाद उसने नीचे झाँककर देखा तो अपनी माँ को खर्राटे मारते हुए पाया...
और उसका भाई अपने कमरे में सो रहा था...
अब वो निश्चिंत हो गयी और कमरे को अंदर से बंद करके, एक चादर और पिल्लो लेकर, पिछले दरवाजे से निकलकर छत्त पर आ गयी....
वहां पहले से ही पिंकी उसका इंतजार कर रही थी..
दोनो ने कुछ देर तक आपस में बाते की और लाला के आने का इंतजार करने लगी...
करीब एक बजे उन्हे साइकल पर लाला आता हुआ दिखाई दे गया...
उसके कंधे पर एक लकड़ी की सीढ़ी थी...
रात का समय था इसलिए शायद कोई पूछने वाला नही था लाला को की इतनी रात को सीढ़ी लेकर कहाँ जा रहा है...
दोनो सहेलियां बड़े गौर से लाला को देख रही थी...
घुप्प अंधेरा होने की वजह से लाला उन्हे झाँकते हुए नही देख पा रहा था...
लाला ने साइकल दीवार से लगाकर खड़ी कर दी और सीढ़ी को निशि के घर के पिछले हिस्से पर लगा कर उपर चढ़ आया...
फिर लाला ने सीडी को उपर खींच लिया और बाल्कनी पर रखकर उपर वाली छत्त पर चड़ने लगा, जहां इस वक़्त दोनो सहेलिया छुपकर लाला की ये सारी हरकतें देख रही थी...
पिंकी भागकर अपनी छत्त पर जाकर पानी की टंकी के पीछे छुप गयी और निशि भी चादर बिछाकर उस पर लेट गयी...
कुछ ही देर में लाला उपर आ गया... अकेली लेटी मीनल यानी निशि को देखकर उसका चेहरा खिल उठा
निशि का दिल धाड़-2 बज रहा था...
लाला दबे पाँव उसके करीब आया और धीरे से आवाज़ लगाई : "मीनल...ओ मीनल...सो गयी क्या...''
इस वक़्त निशि इतना डर चुकी थी की उसके मुँह से कुछ निकला ही नही...
और इस डर से की कही वो उसकी आवाज़ ना पहचान जाए वो सोने का नाटक करती रही...
लाला उसके करीब आकर लेट गया और उसकी पीछे निकली हुई गांड पर अपना लंड लगाकर उससे लिपट गया
''अररी छमिया ..सो गयी क्या तू....थोड़ा इंतजार भी ना हुआ तुझसे मेरा.....चल अब उठ जा .....देख मेरा लंड कैसे बिदक रहा है मेरी धोती में ......''
निशि ने कुन्मूनाने का नाटक किया और अपनी गांड पीछे करके लाला के लंड से घिसने लगी...
निशि की तो हालत खराब हो रही थी ...
उसे तो ऐसा लग रहा था जैसे उसकी गांड के पीछे कोई बड़ा सा बेलन लेकर वहां की मालिश कर रहा है...
उस बेलन जैसे लंड पर अपनी नन्ही सी गांड घिसते हुए निशि के मुँह से सिसकारी निकल गयी...
लाला ने भी आवेग में आकर उसके बदन पर हाथ फेरना शुरू कर दिया...
और धीरे-2 लाला के हाथ उसकी टी शर्ट के अंदर सरक गये...
निशि भी सिसकारी मारती हुई अपने हाथ को पीछे तक ले गयी और लाला की धोती के उपर से ही उनके लंड को पकड़ कर अपनी लार टपकाने लगी....
लाला के हाथ जैसे ही निशि के नन्हे कबूतरो पर आए तो वो चोंक गया...
वो इसलिए की सुबह के मुक़ाबले ये काफ़ी छोटे लग रहे थे....
ऐसा कैसे हो सकता है....!!
लाला ने बारी-2 से दोनो को हाथ में लिया तो उसका शक यकीन में बदलता चला गया की ये वो छातियाँ नही है जिन्हे उसने सुबह बुरी तरह से अपने हाथो और मुँह से निचोड़ा था...
लाला को एक पल के लिए लगा की वो कही ग़लती से किसी और की छत्त पर तो नही आ गया...
या फिर मीनल के बदले ये कोई और लड़की तो नही है...
पर जिस अंदाज से वो लाला के लंड को पकड़ कर सीसीया रही थी उससे तो यही लग रहा था की वो लाला का ही इन्तजार कर रही थी..
पर फिर भी लाला ने अपनी शंका का समाधान करने के लिए उसके कान को मुँह में भरकर ज़ोर से चूसा और धीरे से कहा : "ओ मीनल....मेरी जान.....लाला का लंड चुसेगी.....बता.....''
जवाब में निशि ने मीनल की तरह आवाज़ में भारीपन और मिठास लाते हुए कहा : "हाँ लाला.....जब से तूने झरने के नीचे मेरी प्यास बुझाई है, तब से तेरे लंड को दोबारा चूसने के लिए तड़प रही हूँ मैं ......''
लाला का तो सिर चकरा गया....उसकी आवाज भी मीनल से नहीं मिल रही थी
उसे यकीन था की ये मीनल नही है फिर भी मीनल होने का नाटक क्यो कर रही है..!!
और अचानक लाला की ट्यूबलाइट जल उठी....
उसने मन ही मन कहा : 'कहीं ....कहीं ये....ये निशि तो नही है.....हाँ ..ये वही है....
साली अपनी बहन के बदले यहाँ आ गयी है...लगता है दोनो बहनो की प्लानिंग है ये...सोच रही होगी की लाला को पता नही चलेगा....
ये कुतिया की बच्ची ये नही जानती की लाला इन सभी का बाप है.....और वैसे भी, इस चिड़िया को पकड़ने के लिए तो कितने दिनों से दाना फेंक ही रहा था मैं ...
अच्छा हुआ की खुद ही मेरे जाल में फँस गयी आकर....लगता है इसकी चूत में काफ़ी खुजली हो रही है...आज इसकी सारी इच्छाएं पूरी कर दूँगा मैं ....'
इतना कहकर उसने मीनल उर्फ निशि का चेहरा अपनी तरफ किया और उसके होंठो पर टूट पड़ा....
उफ़फ्फ़.....
क्या नर्म होंठ होते है इन कुँवारी लड़कियों के...
मुँह में लेते वक़्त एकदम कठोर...
पर चूसते - 2 कब वो पिघलकर एकदम नर्म हो जाते है पता ही नहीं चलता और फिर उनमें से जो रस निकलता है उसका मुकाबला तो महंगी से महंगी शराब भी नही कर सकती...
दूर बैठी पिंकी ये सब देखकर पागल सी हो रही थी....
बेचारी बुरी तरह से अपनी छाती पर लगे निप्पल्स को कचोटती हुई दूसरे हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी....
और सोच रही थी की काश वो इस वक़्त होती लाला की गिरफ़्त में तो मज़ा ही आ जाता...
पर अब पछताने से कुछ नही होने वाला था....
क्योंकि इस वक़्त तो लाला के कठोर हाथो के मज़े निशि ले रही थी....
लाला ने उसके होंठ चूसते -2 उसे अपने उपर ले लिया और उसे अपने लंड पर बिठाकर अपने हाथ उपर करके उसकी कड़क चुचियो को ज़ोर-2 से रगड़ने लगा....
निशि अपनी आँखे बंद करके लाला के सख़्त हाथो का मज़ा ले रही थी...
भले ही घुप्प अंधेरा था, पर लाला की पारखी नज़रों ने अंधेरे में देखकर ही ये कन्फर्म कर लिया की वो निशि ही है...
अब उसका लंड और भी ज़्यादा उतावला होकर उसकी गांड के नीचे कुलबुला रहा था...
लाला के हाथ और गांड के नीचे उसके लंड को महसूस करके निशि ने आवेश में आकर एक ही झटके में अपनी टी शर्ट उतार फेंकी....
और अब उसकी नन्ही-2 बूबियाँ लाला के सामने नंगी थी....
इस वक़्त तो वो ये भी भूल चुकी थी की वो मीनल बनकर लाला से मज़े ले रही है....
उसने लाला के सिर को पकड़ा और अपनी छाती से लगाकर अपने जामुन जैसे निप्पल उसके मुँह में ठूस दिए....
लाला ने अपना दैत्याकार मुँह खोलकर उसके दाने समेत पूरे बूब्स को ही अपने मुँह में निगल लिया...
बेचारी दर्द से छटपटाने लगी...
''आआआआआआआआआआआहह .....लाला..................आआआआआअहह माआआर डाला रे........सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....''
अपनी कमसिन छाती पर पहली बार किसी मर्द के दांतो की कचकचाहट महसूस करके उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया...
लाला की धोती तक उसकी सीलन पहुँच गयी और लाला का रामलाल एक कुँवारी चूत की गंध सूँघकर बेकाबू सा हो गया और धोती का सिरा साइड में करके अपना सिर बाहर निकाल लिया उसने और निशि की कसावट वाली गांड पर अपना चेहरा रगड़ने लगा...
निशि तो पागल सी हो गयी लाला के लंड को और करीब से महसूस करके....
उसने लाला के मुँह से अपना बूब छुड़वाया और उन्हे लिटाकर धीरे-2 किसी नागिन की तरह वो नीचे की तरफ सरकने लगी...
टॉपलेस नागिन थी वो इस वक़्त जो लाला के लंड को डसने निकल पड़ी थी...
लाला की टाँगो के बीच बैठकर उसने किसी दुल्हन की तरह लाला की धोती खोलकर अंदर की दुल्हन यानी लाला के लंड को पूरा बाहर निकाल दिया...
घने अंधेरे में ही सही पर उसकी काली चमड़ी दमक रही थी...
और दमकती भी क्यो नही, रोज सुबह नहाते हुए वो सरसो के तेल से मालिश करता था अपने प्यारे रामलाल की...
लाला के लंड की चमक दूर बैठी पिंकी की आँखो तक भी गयी.....
जिसे देखकर उसने अपनी पायजामी उतारकर अपनी 3 उंगलियाँ एक साथ अपनी चूत में उतार दी...
और बुदबुदाई : "अह्ह्ह्ह लाला......क्या लंड है तेरा.....कसम से....मुझे मौका मिला तो पूरा निगल जाउंगी एक ही बार में ......''
और ज़ोर-2 से वो अपनी चूत के अंदर उंगलियाँ डालकर मूठ मारने लगी...
निशि ने जब अपने चेहरे के सामने लाला के नाग को फुफकारते हुए देखा तो उससे भी सब्र नही हुआ...
उसने दोनो हाथो से उसे पकड़ा और मुँह में ले लिया...
अपनी बहन की तरह उसे भी लाला के लंड को मुँह में लेने में मुश्किल हुई पर उसने हार नही मानी और अपने मुँह को जितना खोल सकती थी उसे खोला और लाला के प्यारे रामलाल को मुँह में लेकर ही मानी...
लाला को तो ये रेशमी एहसास ऐसा लग रहा था जैसे किसी कसी हुई गीली चूत में अपना लंड डाल दिया हो उन्होने..
निशि ने लाला के लंड को अपने हाथ में पकड़ा और अपने मुँह को पूरा उपर नीचे करते हुए लाला के लंड को चूसने लगी...
लार निकल-2 कर साइड में गिर रही थी....
साँस लेने मे मुश्किल हो रही थी
पर निशि ने लंड चूसना नही छोड़ा...
लाला तो उसकी ये कला देखते ही समझ गया की ये भेंन की लौड़ी पूरे गाँव में लंड चुसाई की मिसाल पेश करेगी एक दिन...
लाला की उम्र के सामने निशि की जवानी की कसावट ही ऐसी थी की लाला का लंड ना चाहते हुए भी एक मिनट के अंदर झड़ने लगा...
लाला के लंड से निकले गाड़े रस को महसूस करते ही निशि अपना चेहरा पीछे करने लगी पर लाला ने अपने सख़्त हाथ उसके सिर पर लगाकर उसे हटने ही नही दिया...
और अंत में ना चाहते हुए भी उसे लाला के लंड की क्रीम अपने गले से नीचे उतारनी पड़ी...
पर एक बार जब उस रस का स्वाद उसकी जीभ को लगा तो वो सोचने लगी की मैं तो बेकार में ही उस रसीले पानी को छोड़ने लगी थी.....
ऐसा मज़ा तो गन्ने के रस में भी नही होता...
बस...
फिर क्या था....
एक रंडी की तरह उस निशि ने लाला के लंड को निचोड़ डाला...
उसके लंड की बांसुरी तब तक बजाती रही जब तक उसमें से सुर निकलने बंद नही हो गये...
सुर तो लाला के मुँह से भी नही निकल रहे थे अब....
साली ने उसके लंड को इतनी बुरी तरह से चूसा था की अब उसे खड़ा होने में करीब 1-2 घंटे और लगने थे....
और इतना टाइम उसके पास नही था...
वैसे भी 3 तो बज ही चुके थे ये खेल खेलते-2 ....
गाँव का मामला था, कई लोग 4 बजे उठकर सैर करने निकल पड़ते थे
उनसे बचने के लिए लाला का वापिस जाना ज़रूरी था...
इसलिए अपनी धोती समेट कर वो चुपचाप जिस रास्ते से आया था , उसी रास्ते से नीचे उतर गया...
और नीचे पहुँचकर अपनी साइकल पर बैठकर अपने घर की तरफ निकल गया..
और पीछे छोड़ गया निशि को
जो अधनंगी सी पड़ी हुई
लाला के वीर्य में नहाई हुई सी
अपनी चूत से रिस रहे रस को अपनी उंगलियो से मसलती हुई
किसी दूसरी ही दुनिया में गुम थी....
उसे तो यकीन ही नही हो रहा था की ये सैक्स का खेल इतना मज़ा देता है....
जब आधे अधूरे से खेल ने इतना मज़ा दिया है तो पूरा खेलने में कितना मज़ा आएगा...
इसी बीच अपनी छत्त पर छुपकर बैठी पिंकी भी, बिना सलवार के , उसके करीब आ गयी....
उसकी आँखो में भी एक अलग ही तरह की हवस तेर रही थी....
जिसे बुझाना ज़रूरी था ..
अभी के अभी...
ये रात और भी लंबी होने वाली थी इन छोरियों के लिए...