Desi कमसिन कलियाँ और हरामी लाला
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(20-07-2017, 11:01 PM)arav1284 : नाज़िया ने अपने नंगे शरीर को शीशे में देखा तो आज वो खुद को ही पहले से ज़्यादा सैक्सी दिखाई दी...Lala to bhog lagta hi ja raha hai kanhaiya ki tarah
आज तक उसने खुद से अपनी ब्रेस्ट को टच भी नही किया था...
पर आज उनमे जिस तरह की सनसनाहट हो रही थी, उसके बाद नाज़िया के हाथ खुद ब खुद अपने मुम्मो पर आ लगे...
और यही हाल उसकी चूत का भी था, जिसे आज तक उसने कोई इंपॉर्टेन्स नही दी थी
उसी पर हाथ लगाकर आज इतने मज़े लिए थे उसने...
हालाँकि एक-दो बार पहले भी वो मुठ मार चुकी थी
पर आज लाला के बारे में सोचकर जिस अंदाज से उसे मज़े आए थे
वो पहले से बहुत अलग ही थे.
वो गोर से अपने नंगे शरीर के हर एक अंग को देखकर मुस्कुराने लगी...
अब तो वो भी अपनी माँ की ही तरह लाला से खुद को चुदवाना चाहती थी.
कुछ देर बाद लाला वापिस चला गया..
और नाज़िया भी कपड़े पहन कर अपने कमरे से निकल कर बाहर आ गयी...
उसकी माँ को कुछ पता ही नही चल सका की वो अंदर ही थी.
शाम को शबाना ने जब नाज़िया को कहा की वो लाला की दुकान पर जाकर कुछ समान ले आए तो उसके अंग-2 से चिंगारिया सी निकलने लगी...
जैसे आज ही लाला उसे चोद देगा.
इसी बीच जब सोनी वापिस घर पहुँची तो पिंकी को अपने घर पर ही बैठे पाया...
वो निशि की माँ से ही बातें कर रही थी...
और उसका इंतजार.
निशि को देखते ही वो वहां से उठ खड़ी हुई और दोनो निशि के रूम में आ गये उपर..
वहां पहुँचते ही वो पुलिसिया अंदाज में बोलनी शुरू हो गयी : "कहां थी तू...कब से ढूँढ रही हूँ ...लाला की दुकान पर भी गयी थी पर वो बंद थी...कहीं तू उसके साथ ही तो नही गयी थी...'?
निशि मुस्कुराइ और मन में बोली : "थी तो उसके साथ ही पर कहीं और नही, उस दुकान के अंदर ही... और कसम से जानेमन क्या मज़े दिए आज लाला ने...काश तुझे सुना पाती तो तेरी झांटे सुलग कर ब्राउन हो जाती आज...''
पिंकी : "अब ऐसे क्यो मुस्कुरा रही है...बोलती क्यो नही , कहा गांड मरवा रही थी...?
निशि ने उल्टे उसे ही डांटना शुरू कर दिया
"तुझे लाला के सिवा कुछ और सूझता ही नही है ना...जब देखो लाला लाला....अर्रे मुझे और भी तो कुछ काम हो सकता है ना...मैं तो नाज़िया के घर गयी थी, कल साइन्स का प्रेक्टिकल है ना, उसी के बारे में पूछने...समझी..''
पिंकी : "ओोहो ...मैं तो उसके बारे में भूल ही गयी थी....और मुझे लगा की तू लाला के पास......चल छोड़ वो सब...अब ये बता की आगे के बारे में क्या सोचा है...?
निशि : "किस बारे में .. ? ''
पिंकी : "अर्रे वही...लाला के बारे में ..वो तो कल रात यही सोचकर आया था ना की मीनल दीदी है यहाँ पर...और उसके बदले वो तेरे जिस्म से मज़े लेकर चला गया...अब उसे कभी ना कभी तो पता चलेगा ही ना की मीनल दीदी तो अब अपने सैयां के साथ चुदवा रही है...
कही ऐसा ना हो की वो ठरकी लाला आज की रात फिर से यहाँ आ जाए...ऐसा हुआ तो मैं तो कहे देती हूँ ...आज की रात मैं लेटूगी तेरी जगह ...साली सारे मज़े तू ही नही लेती रहेगी हमेशा...''
निशि उसकी बात सुनकर फिर से हंस दी...और बोली : "अच्छा जी...और उसका क्या होगा जो कल रात तूने मुझे कही थी की लाला को मेरे बारे में कुछ पता नही चलेगा, क्योंकि मैं मीनल दीदी जैसी दिखती हूँ ....
तू अगर वहां लेटी तो वो झट्ट से जान जाएगा की तू पिंकी है...तेरा रंग ही इतना गोरा है की बिना चाँद के भी तेरा चेहरा दमकता रहता है...''
ये सुनकर पिंकी मायूस सी हो गयी...
शायद आज पहली बार उसे अपने गोरे रंग पर गुस्सा आ रहा था..
निशि : "और मुझे नही लगता की लाला अब दोबारा यहाँ आएगा...कल रात तो वो इसलिए आया था क्योंकि मीनल दीदी ने उसे बुलाया था...और कल रात जब मैं मीनल बनकर लेटी थी तो दोबारा आने की कोई बात नही हुई थी...ऐसे में लाला फिर से आने का रिस्क नही लेगा...''
पिंकी : "तभी तो मैं कह रही हूँ की बात आगे कैसे बढ़ेगी ...!!
निशि : "वो बात जब बनेगी तब बनेगी..अभी तो कल के साईंस प्रॉजेक्ट के बारे में सोच...''
पिंकी ने अपना मुम्मा ज़ोर से मसला और कांपती हुई आवाज़ में बोली : "यहाँ मेरी ज्योग्राफी बिगड़ी पड़ी है और तुझे साईंस प्रॉजेक्ट की पड़ी है...''
निशि : "अब तुझमे इतनी ही आग लगी हुई है तो तू ही कोई प्लान बना ना...तुझे तो पता है की इन मामलो में मेरा दिमाग़ कुछ ज़्यादा चलता नही है...''
पिंकी :"ओक...एक प्लान तो है मेरे दिमाग में पर उससे पहले हमें लाला को ये बताना होगा की मीनल दीदी अपने गाँव चली गयी है ताकि उस तरफ से हम निश्चिंत हो जाए......''
निशि ने मन में सोचा की ये बात भी वो लाला को बता ही चुकी है...
पर इस वक़्त वो पिंकी की बात को काटना नही चाहती थी
वरना उसे पता चल जाता की वो लाला से मिली थी...
इसलिए उसने हाँ कर दी और कुछ देर बाद दोनो लाला की दुकान की तरफ चल दिए..
जाते-२ पिंकी ने उसे अपना प्लान भी समझा दिया और ये भी की इस बार सिर्फ वही मजे लेगी लाला से , जैसे कल रात निशि ने लिए थे अकेले में.
इसी बीच लाला भी शबाना की चुदाई करके वापिस दुकान पर आ ही चुका था...
और दुकान खोलकर वो अपने थके हुए रामलाल को सहलाता हुआ शबाना और उसकी लोंड़िया के बारे में सोच ही रहा था की दूर से उसे फिर से ये दोनो मोरनियाँ आती दिखाई दे गयी..
लाला का रामलाल उनके एहसास से ही कड़क होने लगा
लाला उसे मसलते हुए बुदबुदाया : "इसे भी चैन नही है...साली अभी चूत चटवा कर गयी है, फिर से आ गयी अपनी सहेली को लेकर...''
और ऐसा नही था की लाला उन्हे देखकर गुस्से में ये सब बोल रहा था....
वो तो उसके बोलने का तरीका ही ऐसा होता है...
वरना लाला तो क्या, कोई भी ऐसी हसीन हिरनियों की जोड़ी को देखकर अपना लंड मसलने लग जाएगा..
दोनो दुकान पर पहुँची और लाला अपनी आदत के अनुसार अपने रामलाल को एक हाथ से मसलता हुआ उनसे बोला : "आओ-आओ...तुम दोनो को देखकर मन अंदर तक खुश हो जाता है...''
लाला का मतलब अपने लंड यानी रामलाल से था , जो उन्हें देखकर खुश हो रहा था.
वो तो निशि को भी देखकर ऐसे बिहेव कर रहा था जैसे आज के दिन पहली बार दिखाई दी हो...
पिंकी अपनी योजना के अनुसार शुरू हो गयी , उसने निशि को इशारा किया और वो 1000 ₹ लाला के हाथ में देते हुए बोली : "लालाजी ..ये रहे आपके इस महीने के ब्याज के पैसे...''
लाला बोला : "अर्रे, पैसे कहाँ भागे जा रहे थे...आ जाते...''
निशि : "नही लालाजी, जो असूल की बात है,वो पहले करनी चाहिए...वो क्या हुआ ना की आज मीनल दीदी अपने मायके चली गयी है, और जाते हुए उन्होने हम दोनो को ये पैसे दिए थे...हमनें सोचा की बेकार में खरचने से अच्छा है की आपके ब्याज के पैसे ही चुका दे...''
दोनो ने बड़ी ही चालाकी से उन पैसो को मीनल दीदी के दिए पैसे बताकर लाला को थमा दिए...
जबकि ये वही बचे हुए पैसो में से थे जो लाला को वापिस करने के बाद बच गये थे दोनो के पास...
वहीँ दूसरी तरफ
मीनल के जाने की खबर सुनकर लाला ने चौंकने का नाटक किया और बोला : "अर्रे...वो कैसे एकदम से चली गयी....अभी कल ही तो.......''
लाला ने जान बूझकर वो बात अधूरी छोड़ दी...
क्योंकि वो जानता था की कल रात की बात इस वक़्त करने से उन दोनो पर क्या बीतेगी..
हुआ भी यही...
दोनो शरमा कर रह गयी.
पर अब मीनल के जाने के बाद पिंकी को अपने लिए भी तो रास्ता सॉफ करना था...
इसलिए वो बोली : "लालाजी , आप अगर बुरा न मानो तो एक बात कहूं ...''
लाला तो उसकी ये बात सुनकर ही समझ गया की वो ज़रूर अपने मज़े की बात करने वाली है...
क्योंकि कल रात को अपनी सहेली को मज़े लेते देखकर अब उसकी चूत भी कुन्मुना रही थी..
लाला : "हाँ ...हाँ ..बोल पिंकी रानी...बेधड़क बोल ...लाला से कुछ भी बोलने और करने के लिए तुम दोनो हमेशा आज़ाद हो...''
साला ...कह तो ऐसे रहा था जैसे सलमान ख़ान है, जिसपर सारी दुनिया मरती है...
पर अपने रामलाल के बल पर, कम से कम, अपने गाँव का तो सलमान ख़ान था ही वो..
पिंकी : "वो क्या है ना लालाजी, कल स्कूल के बाद मुझे पड़ोस के गाँव तक जाना है, वहां से एक किताब लेनी है जो यहाँ किसी के पास नही मिल रही...अगर आपके पास थोड़ा टाइम हो तो क्या आप मुझे...ले चलोगे...''
लाला को एक बार तो उसकी बात का कोई मतलब समझ ही नही आया...
ये बात सही थी की पास के गाँव में जो किताब की दुकान थी वहां से हर तरह की किताबें मिल जाया करती थी...
पर इस काम के लिए वो लाला को अपने साथ क्यों ले जाना चाहती थी...
ये काम तो दोनो सहेलियां मिलकर भी कर सकती थी...
और वहां तक बस भी जाती है और ऑटो भी...
फिर वो लाला के साथ चलने को क्यों कह रही है..!!
और अचानक लाला का दिमाग़ ठनका ...
वो समझ गया की इसके पीछे क्या वजह है..
यही की कल रात निशि ने तो अपने हिस्से के मज़े ले लिए...
और ऐसा करके वो लाला के साथ अकेले में कुछ टाइम बिताना चाह रही थी...
और ऐसे में मज़े लेना तो बनता ही है..
वैसे भी, लाला के पास बुलेट मोटरसाइकिल तो थी ही...
वो बोला : "अरे, इसमे क्या दिक्कत होगी मुझे...चल दूँगा...इसी बहाने मैं भी थोड़ा निकल लूँगा बाहर...काफ़ी दिन हो गये गाँव से बाहर गये हुए....
तू कल स्कूल के बाद मुझे पुलिया पर मिल जाना, वहीं से निकल चलेंगे मेरी मोटर साइकल पर...''
उसने हाँ कहा और मुस्कुराती हुई दोनो सहेलियाँ दुकान से निकल कर अपने घर की तरफ चल दी...
दोनो बहुत खुश थी,अपनी योजना के अनुसार पिंकी अब लाला के साथ कम से कम 3-4 घंटे रह सकती थी...
और ऐसे में वो ठरकी लाला कुछ ना करे, ऐसा तो हो ही नही सकता था..
लाला अपने काम में लग गया...
और कल के बारे में सोचकर अपने प्लान बनाने लगा..
वो अभी कल के बारे में सोच ही रहा था की नाज़िया उसके सामने आकर खड़ी हो गयी..
एक के बाद एक उसके सामने हुस्न की दुकान के मीठे पकवान सज़ा रहा था उपरवाला...
उसे देखकर वो भी खुश हो गया...
नाज़िया अपने साथ ले जाने वाला समान एक पर्ची पर लिखकर लाई थी, जिसे देखकर लाला बोला : "इसमे तो ज़्यादातर समान अंदर ही है, गोडाउन में ...तू अंदर चलकर निकाल ले, कुछ ना मिले तो मुझे बता दियो ...''
अंदर जाने के नाम से ही नाज़िया का दिल धाड़-2 बजने लगा...
वो समझ गयी की लाला खुद ही अपनी तरफ से उस उसके साथ कुछ करना चाहता है...
वैसे सोचकर तो वो भी यही आई थी, इसलिए उसने कुछ नही कहा और चुपचाप अंदर चल दी...
लाला और उसके रामलाल के लिए इससे अच्छा दिन आज तक नही बीता था
आज के दिन वो पहले से ही निशि की कुँवारी चूत चूस चुका था
उसके बाद नाज़िया की माँ यानी शबाना की गांड और चूत भी जमकर बजा चुका था...
बाद में पिंकी ने खुद ही आकर कल का प्रोग्राम सेट कर दिया था...
और अब ये लाला के बगीचे में उजागर हुई नयी कच्ची कली नाज़िया...
ये भी अपने हुस्न के जाम लुटाने उसके पास पहुँच गयी है...
इतनी सारी खुशियां तो लाला ने आज तक महसूस नही की थी...
पर उसे भला क्या प्राब्लम होनी थी...
जब सामने से ये कच्ची कलियाँ खुद ब खुद उसके रामलाल की सेवा लेने पहुँच रही है तो उसका तो ये फ़र्ज़ बन जाता है की हर कली को फूल बनाकर ही छोड़े...
बस फिर क्या था
लाला ने शटर डाउन किया और चल दिया अपने रामलाल को सहलाते हुऐ.. कमसिन नाज़िया के पीछे-2
गोडाउन के अंदर....
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