"....तू आई की बुर को चाट कर बहुत बुरा कर रहा है... तुझे नरक में भी जगह नहीं मिलेगी....."
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मुझे माँ की बातें और गलियां बहुत उत्तेजित कर रही थी. वो अक्सर रात मेंमेरे बाप को गन्दी गन्दी माँ बहन की गलियां दिया करती थी. तब मुझे लगता थाकी बंद कमरे के भीतर दोनों लड़ रहे है. आज पता चला वो कैसी लडाई थी. चुदाई के दौरान मेरी माँ को गलियां बकते हुए डोमिनेट करने की आदत है. इसका जिवंत प्रमाण आज मैं खुद देख और अनुभव कर रहा हूँ. मैंने चार इंच के काले क्लिटको अपने मुह में भर लिया और मुठ मारनेकी तरह आगे पीछे कर जीभ से चोदने लगा...मेरी माँ ने उत्तेजना से अपनी मोटी टांगें मेरी गर्दन में लपेट ली. कुछ पल के लिए लगा की वो मेरा गला घोंट देगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उसने पकड़ढीली कर दी और मजा लेते हुए बोली - हरामी खड़ा कर दे मेरे लंड को फिर इसी से तेरी गांड मरूंगी... तेरे गांड के छेद का आज इसी लवडे से उद्घाटन करुँगी.... हाय चूस हरामी.... कितना मस्त चूसता है रे तू... हाय इतना मस्त तो तेरा बाप भी नहीं चूसता रे.... कहाँ से सिखा, बता भडवे कहाँ से सिखा.... और किस किस के भोसड़े कहते तूने बता... किसने सिखाया तुझे इतना मस्त चूसना... बोल....हाय
मैंने आई की बातों को अनसुना कर उसके क्लिट को दांतों से हलके हलके काटने लगा. आई उत्तेजित होकर जोर जोर से चिल्लाने लगी - मादरचोद बेटे.... हाय क्या काट लेगा मेरे छोटे से लवडे को... हाय चाट बना कर खायेगा इसे... खा ले हरामी खा ले ऐसे ही खा ले.... हाय....मैंने दो उंगलियाँ आई की चूत में घुसा दी और उसकी काली पुत्तियों को चूसने लगा. आई की चूत से खूब पानी बह रहा था ऐसा लग रहा है जैसे वो मूत रही है. नमकीन स्वाद मेरे मुह में आ रहा था और पेशाब की बदबू भी... मैंने गौर सेदेखा तो मूतने के छेद से पानी रिस रहाथा. इसका मतलब आई धीरे धीरे मूत रही है. मैंने अपना मुह उस छोटे से छेद पर रख दिया और जीभ को नुकीला कर अन्दर घुसा दिया. घुसाते ही मूत की एक हलकी सी धार मेरे मुह में टकराई जिससे होंठ भीग गए. मैं मजे लेता हुआ जीभ से ही मूतने के छेद को चोदने लगा. आई उत्तेजना से कसमसाते हुए दोनों हाथोसे मेरे बाल पकड़ कर खीचने लगी जैसे उखाड़ ही देगी. और मुझे दर्द की बजाय मज़ा आ रहा था मैं और जोर से चाटने लगा वो निचे से गांड उछलने लगी. उसने मेरासर चूत में अन्दर तक घुसा दिया जिससे मेरी आँखे, नाक और मुह सब भोसड़े में घुस गया. पूरा चेहरा उसके मूत और पानीसे चिपचिपा हो गया.
"हाय मन करता है की तेरे जैसे हरामी बेटे को फिर से भोसड़े में घुसा लूँ. तेरे सर से ही चुदवा लूँ. हाय क्या मस्त चाटता है तू. ऐसा लग रहा है की तू चाट चाट के मेरी चूत का पानी गिरवा देगा... हाय राम... बहुत मस्त है तू मादरचोद...."
मैंने दो उंगलिया उसकी चूत में घुसा दी और वो अन्दर जाकर गायब हो गयी. आई को कुछ असर ही नहीं हुआ. मैंने फिर चार उंगलिया डाल दी. फिर भी कुछ नहीं हुआ. मैंने अपना मोटा हाथ अन्दर घुसा दिया और काले भोसड़े को चोदने लगा."हाय राम... हरामी ये क्या किआ तूने... मेरे फूल जैसे कोमल भोसड़े में हाथ घुसा दिया.... हाय राम कितना निर्दयी है तू... तुझे तेरी सग्गी आई पर जरा भी रहम नहीं आया.... इतना मोटा हाथ मेरे छोटे से भोसड़े में घुसा दिया और चोद रहा है... हाय लंड डालने की जगह में हाथघुसाता है कोई भला!!! दुष्ट लौंडा है तू... तू अपनी सग्गी आई की फटी चूत को और फाड़ देगा... हाय राम मादरचोद... अब जोर जोर से हाथ चला... हाय और जोर से.... हाय हाथ को लंड बना के चोद.... हरामी कहीं के... मादरचोद... मुट्ठी बंद कर के चोद..."
"हाय हाथ को लंड बना के चोद.... हरामी कहीं के... मादरचोद... मुट्ठी बंद कर के चोद..."
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मैंने अपने हाथ की मुट्ठी बंद की और बंद मुट्ठी से चोदने लगा. मैं पूरा हाथ बाहर निकलता और वापस डाल देता. हाथ कंधे तक उस भोसड़े में घुस जाता... उसकी गहराई बहुत थी... ऐसा लगता मानो कोई अँधेरा कुआ है जिसका कोई तल नहीं है. आई को मजा रहा था वो जोर जोर से गांड उछाल कर चुदवा रही थी. उसकी चूत के अन्दर का गुलाबी मांस मेरे हाथ के साथ ही बाहर निकल कर आ जाता. फिर मैं उस मांस को पंचिंग बैग समझ कर मुक्का मारता तो हाथ के साथ ही भोसड़े की गहराइयों में समां जाता. आई ने अपनी टांगे पूरी चौड़ी कर हवा में उठाई हुयी थी और पैर के अंगूठे को हाथो से पकड़ा हुआ था जिससे भोसड़ा पूरा खुल गया था. वो उत्तेजना से काँप रही थी, मैंने हाथ कंधे तक घुसाया हुआ था और अन्दर मेरी उंगलिया चूत के मॉस को सहला रही थी उसका तल खोज रही थी. मैं इस वक़्त खुद को गोताखोर की तरह महसूस कर रहा था जो समंदर की गहराइयों में जाकर तल से चीज़े खोज कर लाते हैं. मैं भी आई के भोसड़े के तल को खोज रहा था, उंगलियों से सहला रहा था. आई अपने उत्तेजना के चरम पे थी जैसे ही मैंने हाथ बाहर निकाला. मूत का एक जोरदार फ़व्वारा मेरे चेहरे से टकराया. मुझे चेहरा हटाने का टाइम भी नहीं मिला और मैं आई के मूत से पूरा नहा गया. वो जोर जोर से मूत रही थी और उस धार का निशाना मेरा चेहरा था. वो जोर से हंस रही थी, उसे बहुत मजा रहा था. मेरा मुह खुल गया था और मैं मूत पी रहा था. मुझे बहुत मजा आ रहा था. हाय मेरी आई का मूत बहुत स्वादिष्ट है... मन करता है की आई सारी ज़िन्दगी ऐसे ही मूतती रहे और मैं उसका नमकीन पीला मूत पीता रहूँ...."पी ले भडवे... पी ले... तेरी सग्गी आई का मूत पि ले... तू किस्मत वाला है जो तुझेसगी माँ का मूत पिने को मिला... लोग तरसते रहते है... मर जाते है... फिर भी नहीं पी पाते... मादरचोद पी ले... बता कैसा है मेरा मूत... बता..."
मैंने एक चूल्लू में मूत लिया और आई के मुह डाल दिया - तुम खुद चख लो आई...आई ने गुस्से से मुझे देखा और बोली - मादरचोद तेरी इतनी हिम्मत... सगी आई को मूत पिलाएगा... माँ को उसका सगा बेटा उसी का मूत पिलाएगा... देख रहे हो भगवन कैसी फूटी किस्मत है मेरी... मेरा सगा बेटा मुझे मूत पिला रहा है... घोर कलयुग आ गया है भगवन... ये माँ की सेवा करने की बजाय मूत पिला रहा है..."आई ये तुम्हारा ही है... और फिर मैंने भी तो पिया..."
"मादरचोद तू टट्टी खायेगा तो क्या मुझे भी खिलायेगा... टट्टी क्या खाने की चीज़ है... यही संस्कार दिए है मैंने तुझे की तू मूत पिए और मुझे पिलाये... यही सिखाया है मैंने तुझे!!! बता सूअर... यही सब करेगा तू मेरे साथ...""सॉरी आई मुझे लगा की तुम्हे अच्छा लगेगा इसलिए..."
"मूत पीना टट्टी खाना सूअर को अच्छा लगता है. तू साले सूअर है इसलिए तुझे अच्छा लगता है. अभी मूत पिया है फिर बोलेगा आई भूख लगी है टट्टी खिला दो... तू सूअर है तो क्या मैं भी सुअरनी हो जाऊं... नहीं, कभी नहीं... अब खड़े खड़े क्या तक रहा है... चल साफ़ कर मेरा मुह जो तूने गन्दा किआ है..."
मैंने आई की गन्दी चड्ढी उठाई और उसके मुह की ले गया. वो गुस्से से मुझे देखते बोली - चड्ढी से नहीं..."फिर किस् से ??""तेरी जीभ से भडवे... मादरचोद तू मेरे गंदे फटे भोसड़े को जीभ से चाट कर साफ़ कर सकता है तो मुह को भी साफ़ कर..."मैंने अपनी जीभ निकाली और उसके सांवले मोटे मोटे गालों को चाटने लगा. उसने अपनी आँखे बंद कर ली. मुझे नहीं पता था की आई इतनी छोटी सी बात से इतना नाराज़ हो जाएगी. मैं उसके चेहरे को अच्छे से चाट कर साफ़ कर देनाचाहता था जिस से उसका गुस्सा दूर हो जाये.