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Incest चुत एक पहेली (Completed)

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Incest चुत एक पहेली (Completed)
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#1
14-02-2018, 04:45 PM (This post was last modified: 12-06-2018, 08:45 PM by honey boy.)
चुत एक पहेली

[Image: G_20180214_1535101.gif]

लेखिका: पिंकी सेन

दोस्तो इस कहानी को मैं पहले ही हिंगलिश फॉन्ट में पोस्ट कर चुका हूं पर तब मुझे आछे रेपलयस नही मील थे इस लिए मैं अब कहानी को हिंदी फॉन्ट में पोस्ट कर रहा हु। आप से अनुरोध है कि कहानी पड़ कर पूरा मज़ा ले। धन्यवाद!

इस कहानी को हिंगलिश फॉन्ट में पड़ने के लिए यहा क्लिक करे!



Good-luck
honey boy
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#2
14-02-2018, 04:46 PM (This post was last modified: 12-06-2018, 09:35 PM by honey boy.)
★सूची★

अपडेट ०१ अपडेट ०२ अपडेट ०३ अपडेट ०४ अपडेट ०५ अपडेट ०६
अपडेट ०७ अपडेट ०८ अपडेट ०९ अपडेट १० अपडेट ११ अपडेट १२
अपडेट १३ अपडेट १४ अपडेट १५ अपडेट १६ अपडेट १७ अपडेट १८
अपडेट १९ अपडेट २० अपडेट २१ अपडेट २२ अपडेट २३ अपडेट २४
अपडेट २५ अपडेट २६ अपडेट २७ अपडेट २८ अपडेट २९ अपडेट ३०
अपडेट ३१ अपडेट ३२ अपडेट ३३ अपडेट ३४ अपडेट ३५ अपडेट ३६
अपडेट ३७ अपडेट ६८ अपडेट ३९ अपडेट ४० अपडेट ४१ अपडेट ४२
अपडेट ४३ अपडेट ४४ अपडेट ४५ अपडेट ४६ अपडेट ४७ अपडेट ४८
अपडेट ४९ अपडेट ५० अपडेट ५१ अपडेट ५२ अपडेट ५३ अपडेट ५४
अपडेट ५५ अपडेट ५६ अपडेट ५७ अपडेट ५८ अपडेट ५९ अपडेट ६०
अपडेट ६१ अपडेट ६२ अपडेट ६३ अपडेट ६४ अपडेट ६५ अपडेट ६६
अपडेट ६७ अपडेट ६८ अपडेट ६९ अपडेट ७० अपडेट ७१ अपडेट ७२
अपडेट ७३ अपडेट ७४ अपडेट ७५ अपडेट ७६ अपडेट ७७ अपडेट ७८
अपडेट ७९ अपडेट ८० अपडेट ८१ अपडेट ८२ अपडेट ८३ अपडेट ८४
अपडेट ८५ अपडेट ८६ अपडेट ८७ अपडेट ८८ अपडेट ८९ अपडेट ९०
अपडेट ९१ अपडेट ९२ अपडेट ९३ अपडेट ९४ अपडेट ९५ अपडेट ९६
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#3
14-02-2018, 04:47 PM (This post was last modified: 24-03-2018, 11:25 PM by rajbr1981.)
अपडेट ०१

दोस्तो, अबकी बार की कहानी थोड़ी अजीब सी है या यूँ कहो कि अजीब ढंग से आगे बढ़ेगी..
तो कहानी को पढ़िए.. आप खुद जान जाएंगे।

काली अंधेरी रात में बारिश जोरों से हो रही थी और एक कार स्पीड से सड़क पर दौड़ रही थी, यह करीब रात के 10 बजे की बात होगी।

पुनीत- अरे यार धीरे चला.. मरवाएगा क्या.. देख सड़क पर पानी ही पानी फैला है.. कोई सामने आ गया तो ब्रेक भी नहीं लगेगा।

दोस्तो, यह है पुनीत खन्ना.. उम्र 20 साल रंग गोरा.. कद 5’9″.. स्लिम बॉडी और बेहद अमीर संजय खन्ना जो दिल्ली के बड़े प्रॉपर्टी डीलर हैं.. उनका बेटा है। पैसों के बल पर इसमें थोड़ा बिगाड़ आ गया है.. या देसी भाषा में कहो.. तो पक्का चोदू हो गया है ये.. बस लड़की देखी नहीं कि नियत खराब..

दोस्तो, अभी इतना काफ़ी है.. इसकी बाकी जानकारी कहानी के साथ साथ दे दूँगी।

रॉनी- अबे डर गया तू.. साले फट्टू.. कुछ नहीं होगा.. गाड़ी मैं चला रहा हूँ.. रॉनी दि रॉकस्टार.. तू बस देख..

यह है रॉनी खन्ना.. कहने को तो यह पुनीत का चचेरा भाई है.. मगर दोनों रहते एकदम दोस्त की तरह हैं। वैसे तो रॉनी ठीक है.. मगर पुनीत ने इसको भी अपने रंग में ढाल लिया है। कभी-कभी ये भी पुनीत के साथ रंगरेलियाँ मना लेता है। वैसे रॉनी के पापा के देहांत के बाद संजय खन्ना ने ही इसको संभाला है। अब ये दोनों साथ ही रहते हैं। बाकी के बारे में बाद में बता दूँगी। इसकी भी उम्र लगभग 20 साल की ही है और बाकी सब भी पुनीत जैसा ही है।

चलिए आगे चलते हैं..

पुनीत- अरे मेरे भाई.. डर मरने का नहीं लग रहा.. अगर एक्सीडेंट के बाद हम बच भी गए.. तो लूले लंगड़े हो जाएँगे.. अभी तो हमने ठीक से अय्याशी भी नहीं की है..
रॉनी- अबे कुछ नहीं होगा.. हमारे पास इतने पैसे हैं कि लूले हो भी गए तो भी अय्याशी में फ़र्क नहीं आने वाला।
पुनीत- अरे रुक-रुक.. वो देख.. उधर क्या तमाशा हो रहा है?

सड़क से कुछ दूर बिजली की गड़गड़ाहट के साथ पुनीत को कुछ अजीब सा दिखा तो उसने रॉनी को रुकने को कहा।
रॉनी ने गाड़ी को धीरे किया और रोका.. तब तक वो कुछ आगे निकल आए थे।
पुनीत के कहने पर रॉनी ने गाड़ी वापस पीछे ली।

पुनीत- बस बस.. यहीं रोक यार.. वहाँ कुछ लोग जमा हैं और शायद कोई लड़की भी है.. मुझे हल्का सा कुछ दिखा है।
रॉनी- भाई.. तू पक्का लड़कीबाज है.. अंधेरे में भी लड़की ताड़ ली.. चल देखते हैं क्या मामला है।

दोनों ने रेन कोट पहने हुए थे.. तो आराम से गाड़ी से बाहर निकल गए और उन लोगों के पास पहुँच गए।
जब वो पास को गए.. तो वहाँ कुछ आदमी और एक लड़की खड़ी थी और पास में एक औरत नीचे लेती हुई कराह रही थी.. जिसके सर से खून निकल रहा था।

पुनीत- अरे क्या हुआ भाई.. ऐसी तूफानी रात में यहाँ क्यों खड़े हो? और इस औरत को क्या हुआ है?

गाँव वाला- बाबूजी ये बेचारी जा रही थी.. कि पेड़ की डाल टूट कर इसके सर पर गिर गई.. ज़ख्मी हो गई है बेचारी.. इसको अस्पताल तक पहुँचा दो.. बड़ी मेहरबानी होगी आपकी..
रॉनी- अरे ये तो बहुत ज़ख्मी है.. तो अब तक तुम क्या कर रहे हो.. इसको लेकर क्यों नहीं गए और इतनी रात को यहाँ खड़े-खड़े क्या कर रहे हो?

गाँव वाला- अरे बाबूजी अभी-अभी ही तो ये सब हुआ है.. हम सब पास के गाँव से आ रहे थे.. तो देखते ही देखते बस ये सब हो गया।
पुनीत- पैदल ही आ रहे थे क्या.. और तुम्हारा गाँव कहाँ है?
मुनिया- बाबूजी.. बस 2 कोस पर ही हमारा गाँव है.. ले चलो ना.. आपका बड़ा अहसान होगा.. ये मेरी माई है.. भगवान आपका भला करेगा..

इतनी देर से वो लड़की पेड़ की आड़ में खड़ी थी.. तो दोनों का ध्यान उस पर नहीं गया था.. मगर जब वो सामने आई.. तो पुनीत तो बस उसको देखता ही रह गया।

वो करीब 18 साल की एक बड़ी ही खूबसूरत सी लड़की थी.. बड़ी-बड़ी सी कजरारी आँखें और लंबे बाल.. बारिश में भीगे हुए उसके कुर्ते से उसके 30″ के मम्मे साफ-साफ झलक रहे थे। अन्दर शायद उसने काली ब्रा पहनी हुई थी जिसकी पट्टी साफ़ नज़र आ रही थी।
पतली सी कमर के साथ 30″ की मादक और उठी हुई गाण्ड.. जो भीगने के कारण और भी ज़्यादा मस्त लग रही थी।

पुनीत- ओह.. चलो देर क्यों करते हो.. इसको गाड़ी तक ले आओ..
पुनीत और रॉनी की नजरें आपस में मिलीं और एक इशारे में दोनों ने बात की।
उस औरत को पीछे की सीट पर लेटा दिया.. उसी के साथ में मुनिया भी बैठ गई।

रॉनी- देखो भाइयो.. यहाँ बस और किसी के बैठने की जगह नहीं है.. तुम सब पैदल ही आ जाओ.. हम इसको लेकर जाते हैं.. ठीक है ना..

सबने ‘हाँ’ कह दी तो रॉनी ने गाड़ी आगे बढ़ा दी।
रॉनी- तेरा नाम क्या है?
मुनिया- मेरा नाम मुनिया है बाबूजी..
पुनीत- अरे वाह.. तेरा नाम तो बड़ा प्यारा है.. मुनिया.. वैसे कितनी साल की हो गई हो? स्कूल वगैरह जाती है या नहीं?

मुनिया- जी.. मैं 18 साल की हो गई हूँ स्कूल कहाँ जाऊँगी बाबूजी.. बस पहले पहल दो जमात तक गई.. उसके बाद बापू चल बसे.. तो माई अकेली रह गई। अब घर में खाने के लिए मुझे भी माई के साथ काम पर जाना पड़ा।
रॉनी- अरे.. अरे.. सुनकर बड़ा दुःख हुआ वैसे तू काम क्या करती है?
मुनिया- जी बाबूजी.. घर का सारा काम जानती हूँ.. खाना बनाना झाड़ू-फटका.. सफाई.. सब कुछ..

पुनीत- अच्छा कितने पैसे कमा लेती है दिन भर में?
मुनिया- दिन के कहाँ बाबूजी.. किसी घर से 400 तो किसी से 500 महीने के मिल जाते हैं।
रॉनी- इतना काम.. अरे साले छोड़ हैं सब.. इससे अच्छा तो शहर में मिलता है.. महीने के 3000 तक मिल जाते हैं रहना-खाना.. कपड़े.. वो सब अलग से..

मुनिया- सच्ची में इतना मिलता है? हमें भी कहीं लगवा दो ना बाबूजी..
रॉनी- भाई अभी ये 18 की है.. अब आप ही संभालो.. आपकी तो निकल पड़ी..
रॉनी ने ये बात धीरे से अंग्रेजी में कही थी।

पुनीत- अरे लगवा तो दूँ.. मगर शहर में एक ही घर में काम करना होगा.. वहीं रहना होगा.. हाँ.. महीने के महीने पगार घर भेज देना और दूसरी बात सेठ लोगों के हाथ पाँव भी रात को दबाने होंगे.. तू ये सब कर लेगी?

मुनिया- अरे बाबूजी.. मैं शहर में रह लूँगी.. और हाथ-पाँव तो क्या.. मैं पूरे बदन की ऐसी मालिश करना जानती हूँ कि सेठ खुश हो जाएगा.. बस आपकी बड़ी दया होगी.. मुझे काम पर लगवा ही दो..
रॉनी- ले भाई पुनीत.. इसको तो मालिश भी आती है.. अब तो इसको ‘काम’ पर लगाना ही पड़ेगा..

दोस्तो, ये बस बातें करते रहे और गाड़ी चलती रही.. थोड़ी दूर जाने के बाद सड़क से दाहिनी तरफ़ मुनिया ने बताया कि वो सामने उसका गाँव है।
तो बस रॉनी ने गाड़ी उसी तरफ़ बढ़ा दी और वहाँ जाकर गाँव के अस्पताल में उसकी माँ को ले गए.. जहाँ डॉक्टर ने अपना काम शुरू कर दिया और मुनिया इन दोनों के साथ बाहर बैठी रही..

यहाँ बल्ब की रोशनी में मुनिया के जिस्म की चमक दुगुनी हो गई थी.. जिसे देख कर पुनीत का लंड पैन्ट में अकड़ने लगा था।

क्यों दोस्तों क्या हुआ.. शुरूआत में ही मज़ा लेना चाहते हो क्या.. अरे यह पिंकी सेन की कहानी है.. इतनी आसानी से कुछ नहीं होगा.. और दूसरी बात.. मेरी कहानी में बस यही 3 किरदार.. नहीं.. नहीं.. अभी तो शुरूआत है.. बहुत सारे किरदार आएँगे और जाएँगे.. अबकी बार आपको चक्कर ना आ जाए तो कहना..

दोस्तो, यहाँ के सीन को अभी रोकती हूँ और दूसरे सीन की शुरूआत करती हूँ.. ताकि और भी किरदार आपके सामने आ जाएं.. तो चलिए आज ही की रात इसी वक़्त पर सीधे आपको दिल्ली ले चलती हूँ।

कमरे में दो लड़कियाँ बैठी हुई आपस में बात कर रही थीं और दरवाजे के बाहर के होल पर कोई नजरें गड़ाए उनको देख रहा था।
चलो अब ‘ये लड़कियाँ कौन हैं…’ पहले इनके बारे में जान लेते हैं।
इसमें से एक का नाम है पूजा और दूसरी का पायल.. अब इनकी आगे की जानकारी भी ले लीजिए..

पूजा इसकी उम्र है 21 साल.. रंग गेहुँआ.. कद ठीक-ठाक.. चूचे 34″ के एकदम उठे हुए.. बलखाती कमर 30″ की और एकदम गोल गाण्ड.. बाहर को निकली हुई थी 34″ की..
यह कौन है.. किसकी बेटी है.. यह बाद में बता दूँगी। अभी बस इतना काफ़ी है।

और दूसरी पायल की उम्र है 18 साल.. रंग दूध जैसा सफेद.. बला की खूबसूरत.. इसको देख कर कई लड़कों की पैन्ट में तंबू बन जाता है क्योंकि इसका फिगर ही ऐसा है 32″ के नुकीले मम्मों को देखें जरा.. ऐसे नोकदार.. जिसे देसी भाषा में खड़ी चूची भी कहते हैं। एकदम हिरनी जैसी पतली कमर और एटम बम्ब जैसी 32″ की मुलायम मतवाली गाण्ड.. जब यह चलती है.. तो रास्ते में लोग बस यही कहते हैं हाय.. कभी ये पलड़ा ऊपर.. तो कभी वो पलड़ा ऊपर.. आप मेरे कहने का मतलब समझ गए ना.. चलो अब आगे तमाशा देखते हैं।

पूजा- अरे यार.. तू भी क्या नखरे कर रही है.. चल आजा आज तुझे भी मज़ा देती हूँ।
पायल- नहीं यार पूजा.. मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता..
पूजा- अरे क्या यार.. तू कब तक अपनी जवानी का बोझ लिए घूमेगी.. कितनी खूबसूरत है तू.. तेरे पर लड़के मरते हैं किसी को तो अपनी जवानी का मज़ा दे..
पायल- नहीं पूजा.. तुम ही करो ये सब.. मुझे ऐसे ही रहने दो..
यह हिन्दी सेक्स कहानी आप देसिबीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ।

दोस्तो, ज़्यादा सोचो मत.. मैं बता देती हूँ यह एक गर्ल्स हॉस्टल का सीन है।
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#4
14-02-2018, 04:47 PM
अपडेट ०२

अब तक आपने पढ़ा..

पूजा- अरे यार.. तू भी क्या नखरे कर रही है.. चल आ जा, आज तुझे भी मज़ा देती हूँ।
पायल- नहीं यार पूजा.. मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता..
पूजा- अरे क्या यार.. तू कब तक अपनी जवानी का बोझ लिए घूमेगी.. कितनी खूबसूरत है तू.. तेरे पर लड़के मरते हैं किसी को तो अपनी जवानी का मज़ा दे..
पायल- नहीं पूजा.. तुम ही करो ये सब.. मुझे ऐसे ही रहने दो..

दोस्तो, ज़्यादा सोचो मत.. मैं बता देती हूँ कि यह एक गर्ल्स हॉस्टल का सीन है।

अब आगे..

पूजा और रानी साथ एक कमरे में रहती हैं और रोज ‘लेस्बीयन’ करती हैं।
उधर पायल अपनी फ्रेण्ड टीना के साथ दूसरे कमरे में रहती थी.. मगर अब कॉलेज की छुट्टियाँ चालू हो गई हैं। रानी और टीना किसी के यहाँ चले गए हैं.. तो पूजा और पायल को एक ही कमरे में शिफ्ट होना पड़ा.. जैसे-जैसे लड़कियों के घर वाले उनको लेकर जाते रहेंगे.. यहाँ ऐसे ही सबको कमरे बदलना पड़ेगा।

आज पूजा के मन में है कि वो पायल के साथ मज़ा करे- तू ऐसे नहीं मानेगी.. चल तुझे कुछ दिखाती हूँ.. शायद तेरा मन कुछ करने को करे..
पूजा ने अपनी नाईटी निकाल दी और अन्दर उसने कुछ नहीं पहना था।

पायल- छी: पूजा.. तुमको ज़रा भी शर्म नहीं आ रही.. ऐसे नंगी हो गई हो..
पूजा- अरे बस कर यार.. तू जानती है हम दोनों लड़की हैं अब तेरे पास ऐसा क्या खास है.. जो मेरे पास नहीं है..
पायल- अच्छा मेरी माँ.. ग़लती हो गई.. हो जा नंगी.. पर अब बस मुझे कुछ भी मत कहना।

पूजा- मेरी जान.. तू नंगी हो या ना हो मगर मुझे शांत तो कर दे प्लीज़..
पायल- वो कैसे करूँ.. मुझे कुछ भी नहीं आता..
पूजा- अरे यार तू तो जानती है.. राजेश यहाँ होता तो कब की उसके पास जाकर अपनी प्यास बुझा लेती.. अब वो यहाँ है नहीं.. और रानी भी चली गई.. प्लीज़ थोड़ी देर मेरे साथ मस्ती कर ना यार प्लीज़..

दोस्तो, पूजा एक बिगड़ी हुई लड़की है.. जो चुदाई के खेल में पक्की खिलाड़ी है, वो अपने प्रेमी राजेश से कई बार चुद चुकी थी.. मगर पायल बेचारी इन सबसे दूर रहती है।
पूजा ने उसको बहुत मनाया.. मगर वो नहीं मानी..

पूजा- तू किसी काम की नहीं है.. अब मुझे ही कुछ करना होगा।

पूजा थोड़ी गुस्सा हो गई थी और उसने नाईटी पहनी और दरवाजे की तरफ़ जाने लगी।
पायल- अरे सॉरी यार.. मुझे ये सब पसन्द नहीं है.. पर तुम कहाँ जा रही हो?

पूजा- अरे इस हॉस्टल में 600 लड़कियाँ हैं कोई तो होगी जो मेरे जैसी होगी.. तू बस आराम से सो जा.. मैं तो अपनी चूत की आग मिटा कर ही आऊँगी।

पूजा को दरवाजे की ओर आता देख कर वो शख्स जो कब से सब देख रहा था.. वो जल्दी से पीछे को हट गया और कॉरीडोर में दाहिनी तरफ को भाग गया।

पूजा कमरे से बाहर निकली और थोड़ा सोच कर वो भी दाहिनी तरफ चलने लगी। तभी कॉरीडोर की लाइट चली गई और वहाँ एकदम अंधेरा हो गया।
पूजा- ओह.. शिट.. ये लाइट को भी अभी जाना था..
वो अंधेरे में धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी.. उसको कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।

कुछ देर बाद किसी ने पूजा के मुँह पर हाथ रख दिया और उसकी कमर को मजबूती से पकड़ लिया, इस अचानक हुए हमले से पूजा की तो जान ही निकल गई।

साया- मुझे पता है.. तुम्हें क्या चाहिए.. और मैं वो तुम्हें दे सकता हूँ.. अगर चिल्लाओ नहीं.. तो मैं मुँह से हाथ हटा देता हूँ.. पर अगर चिल्लाईं तो ठीक नहीं होगा।
पूजा ने ‘हाँ’ में सर हिलाया तो उस साये ने अपना हाथ हटाया।

पूजा- कौन हो तुम और यहाँ क्या कर रहे हो?
साया- मैं कौन हूँ.. यह जानना जरूरी नहीं.. मेरे पास वो आइटम है.. जिसकी आपको बहुत जरूरत है।
पूजा- क्या आइटम है.. मैं कुछ समझी नहीं.. मुझे किस चीज की जरूरत है?

उस साये ने पैन्ट की ज़िप खोली.. उसका लौड़ा तना हुआ था.. जो झट से बाहर आ गया, उसने पूजा का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया।
पूजा ने जब लौड़े को पकड़ा.. तो उसके जिस्म में करंट सा दौड़ गया.. उसने जल्दी से हाथ हटा लिया- यह क्या बदतमीज़ी है.. कौन हो तुम?

साया- मिस पूजा.. आपको अभी इसी की जरूरत है.. अब ये नाटक बन्द करो और हाँ कह दो..
पूजा- मुझे कुछ नहीं चाहिए.. जाओ यहाँ से.. नहीं तो मैं शोर मचा दूँगी।

साया- ओके ओके.. जाता हूँ.. मगर दोबारा सोच लो.. ऐसा तगड़ा लौड़ा दोबारा नहीं मिलेगा.. तुम्हारी तड़प को मैं ही मिटा सकता हूँ.. अगर नहीं लेना है.. तो मैं जाता हूँ.. बाय.. जान.. तुम अकेली घूमो.. कोई नहीं मिलेगी तुम्हें.. सब सो गई हैं हा हा हा हा।

पूजा समझ गई कि ये जरूर यहाँ का चौकीदार बबलू होगा.. क्योंकि वही इस समय यहाँ घूमता रहता है।

पूजा- बबलू, मुझे पता है.. यह तुम ही हो.. बोलो.. नहीं तो मैं सुबह मैडम को बता दूँगी..

साया- हा हा हा.. अरे जान क्यों उस गरीब को मरवा रही हो.. मैं कोई बबलू नहीं हूँ.. तुमको अगर चुदना है.. तो हाँ बोलो.. नहीं तो मैं कहीं और जाता हूँ।

उसके बात करने के ढंग से पूजा को भी यही लगा कि यह बबलू नहीं हो सकता क्योंकि वो तो अलग ही अंदाज में बात करता है और इसकी आवाज़ भी उससे नहीं मिलती।

पूजा- रूको तो.. तुम हो कौन?
साया- मेरी जान.. मैं तुम्हें अपने बारे में नहीं बता सकता.. मगर हाँ.. अगर तुम हाँ कह दो.. तो ऐसा मज़ा दूँगा.. कि सारी जिंदगी मेरे लौड़े को याद रखोगी।

उसकी बातों से पूजा की चूत की आग भी अब तेज हो गई थी- अच्छा ये बात है.. तो ज़रा अपने लौड़े का कमाल भी दिखा दो.. कैसा मज़ा देता है ये..

साया- चलो मेरे साथ.. यहाँ ज़्यादा देर खड़े रहना ठीक नहीं..

उस साये ने पूजा का हाथ पकड़ा और कॉरीडोर के अंत में एक खाली कमरा पड़ा था.. जहाँ अक्सर एग्जाम के समय लड़कियाँ पढ़ाई करती थीं.. वो पूजा को उस कमरे में ले गया।

अन्दर जाते ही साये ने पूजा के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उनको चूसने लगा।

पूजा तो पहले ही वासना की आग में जल रही थी.. अब वो भी उसका साथ देने लगी और उसकी कमर पर हाथ घुमाने लगी।
कुछ देर बाद दोनों अलग हुए।

पूजा- उफ़फ्फ़ कौन हो तुम.. आह्ह.. मेरी चूत में आग लगी है.. आह्ह.. अब बर्दास्त नहीं होता.. जल्दी से घुसा दो अपना लौड़ा.. उफ्फ..
साया- इतनी भी क्या जल्दी है जान.. पहले अपने कपड़े तो निकाल ले..
पूजा तो जैसे उसके हुकुम की गुलाम हो उठी थी.. उसने झट से अपने कपड़े निकाल दिए और तब तक उस साये ने भी कपड़े निकाल दिए थे।

कमरे में बहुत ही अंधेरा था.. बड़ी मुश्किल से दोनों एक-दूसरे को देख पा रहे थे।
साये ने पूजा के कन्धों को पकड़ कर उसको नीचे बैठा दिया और अपना 8″ का लौड़ा उसके मुँह के पास कर दिया।
पूजा ने लौड़े को हाथ से पकड़ कर उसकी लंबाई और मोटाई का अहसास किया.. तो वो ख़ुशी से फूली ना समाई।

पूजा- वाउ.. क्या मस्त लंड है तेरा तो.. और काफ़ी बड़ा भी है..
साया- ले.. चूस मेरी जान.. तेरे आशिक से तो अच्छा ही है.. मज़ा कर।
पूजा ने सुपारे को मुँह में लिया और बस मज़े से चूसने लगी।

साया- आह्ह.. चूस.. मेरी पूजा रानी.. तू बड़ी कमाल की हसीना है.. आह्ह.. चूस..
कुछ देर चूसने के बाद पूजा खड़ी हो गई और उस साये का हाथ पकड़ कर एक दीवार के पास ले गई- बस साले.. अब बर्दास्त नहीं होता घुसा दो अपना लंड.. मेरी दहकती चूत में.. कर दो मुझे ठंडा..

साये ने पूजा को दीवार के सहारे घोड़ी बनाया और लौड़े को चूत पर सैट करके जोरदार झटका मारा.. ‘घुप्प’ से लौड़ा चूत में आधा घुस गया।
पूजा- आह.. आईई.. मर गई रे.. आह्ह.. क्या बेहतरीन लंड है तेरा.. आह्ह.. पूरा घुसा आह्ह.. मज़ा आ गया आह्ह..
उस साये ने लौड़े को पीछे किया और अबकी बार ज़ोर से झटका मारा.. पूरा लौड़ा चूत में समा गया।

पूजा पहले भी अपने ब्वॉयफ्रेण्ड से चुदवा चुकी थी.. मगर आज ऐसे तगड़े लौड़े की चुदाई उसको अलग ही मज़ा दे रही थी। वो गाण्ड को पीछे धकेल कर चुद रही थी।

साया- आह ले.. मेरी पूजा.. आह्ह.. आज तेरी चूत को आह्ह.. असली लौड़े का स्वाद देता हूँ.. आह्ह.. अब तक तो तू बस उस मंजनू से ही चुद रही थी आह्ह.. अब आज के बाद तुझे मेरे लौड़े की आदत आ हो जाएगी.. आह्ह.. ले.. हरामिन..

पूजा- आह्ह.. आह.. फास्ट फास्ट.. मेरे अनजान हरामी आशिक.. आह्ह.. मज़ा आ गया.. आह्ह.. और ज़ोर से करो.. आह्ह.. मैं झड़ने ही वाली हूँ आह्ह..
साया- आह उहह.. ले ले आ उहह मेरी जान.. मेरा भी पानी निकलने ही वाला है.. आह्ह.. कहाँ निकालूँ.. बाहर छोड़ दूँ या अन्दर लेगी.. आह्ह..
पूजा- उईई.. उईई.. उफ़फ्फ़ अन्दर ही आह्ह.. निकाल दो आह्ह.. मैं गोली ले लूँगी आह्ह.. उह.. मैं गई आह्ह..

पूजा की चूत ने पानी छोड़ दिया और उसके साथ ही उस साये ने भी अपना वीर्य पूजा के पानी से मिला दिया।
अब चुदाई का तूफ़ान थम गया था और दोनों वहीं नीचे बैठ गए।

पूजा- उफ्फ.. क्या बड़ा लंड है तेरा.. मज़ा आ गया.. अब तो बता दे.. तू है कौन.. और तुझे कैसे पता है कि मैं इतनी प्यासी हूँ.. जो मुझे चोदने चला आया।

साया- नहीं पूजा डार्लिंग.. कुछ बातें छुपी रहें.. यही बेहतर होता है। अब मैं जाता हूँ.. तुम भी जाओ.. नहीं तो किसी को पता लग जाएगा..
इतना कहकर वो खड़ा हुआ और अपने कपड़े पहनने लगा।

पूजा- अरे अब तो तुमने मुझे चोद कर अपना बना लिया.. तो ये छुपा-छुपी किस लिए.. बता न.. कौन हो.. और कभी मुझे तुम्हारी जरूरत होगी तो?

साया- पूजा डार्लिंग.. मैंने कहा ना.. यह राज़ की बात है और जब तुम्हें जरूरत होगी.. मैं खुद आ जाऊँगा.. तुम बस अपने कमरे के बाहर सफेद कपड़ा या कोई पेपर लगा देना.. ओके बाय जान..
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अपडेट  ०३

अब तक आपने पढ़ा..

साया- नहीं पूजा डार्लिंग.. कुछ बातें छुपी रहें.. यही बेहतर होता है। अब मैं जाता हूँ.. तुम भी जाओ.. नहीं तो किसी को पता लग जाएगा..
इतना कहकर वो खड़ा हुआ और अपने कपड़े पहनने लगा।

पूजा- अरे अब तो तुमने मुझे चोद कर अपना बना लिया.. तो ये छुपा-छुपी किस लिए.. बता न.. कौन हो.. और कभी मुझे तुम्हारी जरूरत होगी तो?
साया- पूजा डार्लिंग.. मैंने कहा ना.. यह राज़ की बात है और जब तुम्हें जरूरत होगी.. मैं खुद आ जाऊँगा.. तुम बस अपने कमरे के बाहर सफेद कपड़ा या कोई पेपर लगा देना.. ओके बाय जान..

अब आगे..

पूजा- ओके.. छुट्टियों के बाद मिलती हूँ.. क्योंकि कल शायद मैं चली जाऊँगी।

क्यों दोस्तो, अब यहीं रहोगे क्या.. अभी तो ऐसे बहुत सीन आने है.. तो चलो गाँव में चलते हैं वहाँ मुनिया का क्या हो रहा है।

मुनिया की माँ के मलहम-पट्टी होने के बाद दोनों ने उनको घर छोड़ा.. जहाँ मुनिया की माँ सरिता ने उनको बहुत धन्यवाद दिया।

रॉनी- अरे इसमें शुक्रिया की क्या बात है.. यह तो हमारा फर्ज़ था।
मुनिया- माँ.. ये बाबूजी बता रहे थे कि शहर में काम के बहुत पैसे मिलते हैं।
रॉनी और पुनीत ने मुनिया की माँ को भी अपनी बातों में ले लिया।
सरिता- बेटा तुम्हारा भला होगा.. मुनिया को भी कहीं लगवा दो ना..

पुनीत- देखिए.. अभी तो हम यहाँ से कुछ दूर अपने फार्म हाउस पर जा रहे हैं कुछ दिन वहाँ रहेंगे.. उसके बाद वापस दिल्ली जाएँगे.. तब कहीं लगवा दूँगा।
रॉनी- हाँ आंटी ये सही रहेगा.. अच्छा तो हम चलते हैं।

रॉनी जब खड़ा हुआ तो पुनीत ने उसे आँख से इशारा किया कि मुनिया का क्या करें?

रॉनी- आंटी हम कुछ दिन फार्म हाउस पर रहेंगे.. वहाँ के काम के लिए आप किसी को हमारे साथ भेज दो.. हम अच्छे पैसे दे देंगे।

सरिता- अरे बेटा कोई और क्यों.. मुनिया को ले जाओ.. जो ठीक लगे.. सो इसको दे देना।

पुनीत- अरे हाँ.. ये सही है ना.. कुछ दिनों की तो बात है.. वहाँ इसका काम भी देख लेंगे.. चलो मुनिया कपड़े बदल लो.. तुम पूरी भीगी हुई हो।
मुनिया- जी बाबूजी.. अभी आई.. आप बैठो.. आपके लिए कुछ चाय-पानी लाऊँ?
रॉनी- अरे नहीं नहीं.. बस तुम जल्दी करो.. देर हो रही है..।

मुनिया बड़ी खुश थी कि बड़े लोगों के यहाँ उसको काम मिल गया। वो दूसरे कमरे में कपड़े बदलने चली गई और कुछ ही देर में दूसरे कपड़े पहन कर एक पोटली लिए आ गई।
रॉनी- अरे इसमें क्या है?
मुनिया- वो बाबूजी अब वहाँ कितने दिन रहूंगी.. तो कुछ कपड़े लिए हैं।
पुनीत- अच्छा किया.. ये लो आंटी ये 500 रुपये अपने पास रखो.. दवा बराबर लेती रहना और बाकी के पैसे मुनिया को दे देंगे।

सरिता तो 500 रुपये देख कर खुश हो गई।
सरिता- अरे बेटा.. तुमने तो कहा कुछ दिन वहाँ रहोगे.. तो इतने पैसे क्यों दिए और बाद में और भी दोगे?
रॉनी- अरे रख लो.. आंटी ये तो पेशगी है.. आगे ऐसे और नोट मुनिया को मिलेंगे.. हम खून चूसने वाले नहीं हैं काम का हक़ बराबर देते हैं।

इतना कहकर वो बाहर निकल गए.. मुनिया भी उनके पीछे चलने लगी.. तो सरिता ने उसका हाथ पकड़ लिया।

उन दोनों के बाहर जाने के बाद सरिता ने मुनिया से कहा- बहुत भले लोग हैं इनको किसी भी तरह की तकलीफ़ ना होने देना.. सब काम अच्छे से करना.. तेरे भाग खुल गए हैं बेटी.. जो ऐसे भले लोगों के यहाँ काम पर जा रही है.. तू बस इनको खुश रखना..
पुनीत दरवाजे के पास ही खड़ा था.. उसको ये बात सुनाई दे गई तो उसके होंठों पर एक मुस्कान आ गई।

रॉनी और पुनीत गाड़ी में बैठ गए उनके पीछे मुनिया भी आ गई और पीछे बैठ गई। कार फिर से अपनी मंज़िल की और बढ़ने लगी।

पुनीत- क्यों मुनिया क्या कहा माँ ने तुझे?

मुनिया- कुछ नहीं बाबूजी बस काम समझा रही थीं कि दिल लगा कर सब काम करना.. आपको किसी तरह की तकलीफ़ ना हो.. आपको खुश रखूँ.. यही सब..
रॉनी- अरे वाह.. तेरी माँ तो बड़ी समझदार हैं तेरे को बड़े अच्छे ढंग से समझाया और हमको क्या तकलीफ़ होगी.. तू बस पुनीत को खुश रखना.. तो समझ तेरी नौकरी पक्की हो जाएगी।
मुनिया- हाँ बाबूजी कोशिश करूँगी।

वो तीनों बातें करते रहे और कुछ देर बाद गाड़ी एक बड़े से फार्म हाउस के अन्दर चली गई। गाड़ी से उतर कर वो अन्दर गए तो इतने बड़े घर को देख कर मुनिया की आँखें चकरा गईं।
मुनिया- अरे बापरे बाबूजी इतना बड़ा घर?
रॉनी- अरे डरती क्यों है.. तुझे बस हमारी सेवा करनी है.. बाकी काम के लिए तो यहाँ बहुत नौकर हैं।

उस फार्म में कुल 6 आदमी थे.. जो वहाँ की साफ-सफ़ाई खाने का बंदोबस्त आदि करते थे। वो सब इनके खास नौकर थे अक्सर पुनीत वहाँ लड़कियों के साथ आता और रंगरेलियाँ मनाता था.. जिसकी उनको आदत थी।
पुनीत- चल मुनिया तू रॉनी के साथ अन्दर जा.. मैं अभी आता हूँ।

रॉनी उसको अन्दर ले गया और एक कमरा उसको दिखा दिया कि आज से वो यहाँ रहेगी और उसको ये भी समझा दिया कि यहाँ के बाकी लोगों से वो ज़्यादा बात ना करे।
उधर पुनीत ने सबको समझा दिया कि क्या करना है।

पुनीत के जाने के बाद नौकर आपस में बात करने लगे कि बेचारी कहाँ इस वहशी के जाल में फँस गई.. अब ये इसको कच्चा खा जाएगा।

पुनीत सीधा रॉनी के पास गया और बिस्तर पर बैठ गया।
रॉनी- क्यों भाई अब आगे का क्या प्लान है?
पुनीत- प्लान क्या था.. चल बाहर निकाल.. इस ठंडे मौसम में ठंडी बहार और उसके बाद हॉट-गर्ल का मज़ा लेंगे।
रॉनी- क्या बात है भाई.. इतनी जल्दी.. अरे अभी नई-नई है.. पहले आराम से उसको सिख़ाओ.. नहीं तो बड़ी गड़बड़ हो जाएगी।

पुनीत- अरे यार आज जबसे उसको देखा है.. साला लौड़ा बैठने का नाम ही नहीं ले रहा है।
रॉनी- अरे मेरे यार वो कोई कॉलगर्ल नहीं.. जो तुरंत चुदने को रेडी हो जाएगी.. वो एक गाँव की सीधी-साधी लड़की है.. उसको धीरे-धीरे प्यार से पटाना होगा।
पुनीत- रॉनी माय ब्रदर.. तुम मुझे नहीं जानते.. वो जितनी सीधी है.. मैं उतना ही टेढ़ा हूँ। अब तुम जल्दी से बीयर खोलो.. मेरा कब से गला सूख रहा है।

दोनों काफ़ी देर तक बियर का मज़ा लेते रहे.. उसके बाद पुनीत उठा और बैग से एक शॉर्ट्स निकाल कर बाथरूम में चला गया.. जहाँ उसने सारे कपड़े निकाल दिए। यहाँ तक की अंडरवियर भी निकाल दी.. बस एक शॉर्ट्स पहन कर बाहर आ गया।

रॉनी- अरे भाई ये सलमान बनकर कहाँ जा रहे हो?
पुनीत- तू यहाँ बैठ कर बियर का मज़ा ले.. मैं मुनिया से थोड़ी मालिश करवा के आता हूँ।
रॉनी- अपनी मालिश ही करवाना.. कहीं उसकी मालिश ना कर देना हा हा हा..
पुनीत- अब ये तो आकर ही बताऊँगा.. चल तू बियर पी.. मैं चला..

पुनीत वहाँ से निकल कर सीधा मुनिया के कमरे में पहुँच गया.. वो बिस्तर पर बस लेटी हुई सोच रही थी कि ऐसे आलीशान कमरे मैं वो कभी सोएगी.. ऐसा उसने सपने में भी नहीं सोचा था।
पुनीत- अरे मुनिया.. दरवाजा लॉक क्यों नहीं किया.. ऐसे ही सो रही है..

मुनिया- नहीं बाबूजी.. वो मैं अभी सोई नहीं.. बस ऐसे ही लेटी हुई थी.. सोचा सोने के पहले बंद कर दूँगी।
पुनीत- अच्छा किया.. तू सोई नहीं.. बारिस से मेरे पूरे बदन में दर्द हो गया है.. क्या तू ज़रा मेरी मालिश कर देगी?

मुनिया- अरे बाबूजी इसी लिए तो आपके साथ आई हूँ.. इसमें पूछने की क्या बात है.. आप यहाँ लेट जाओ.. मुझे थोड़ा सरसों का तेल चाहिए.. कहाँ मिलेगा?
पुनीत- अरे तेल को जाने दे.. ऐसे ही दबा दे.. कल तेल भी मंगवा दूँगा..

पुनीत पेट के बल लेट गया और मुनिया उसके कंधे-कमर आदि को दबाने लगी।

मुनिया के छोटे-छोटे और मुलायम हाथों के स्पर्श से पुनीत के जिस्म में वासना की लहर दौड़ने लगी.. उसका लौड़ा तन गया.. तो कुछ देर बाद पुनीत सीधा लेट गया और मुनिया को पैर दबाने को कहा। अब पुनीत सीधा लेटा हुआ था और शॉर्ट्स में उसका लौड़ा तंबू बनाए हुए साफ दिख रहा था। मगर या तो मुनिया ये सब जानती नहीं थी.. या फिर उसने देख कर अनदेखा कर दिया।

मुनिया- क्यों बाबूजी.. कुछ आराम मिला आपको?
पुनीत- आह्ह.. आराम कहाँ मिला.. दर्द अब ज़्यादा हो गया है.. लगता है जिस्म का सारा खून पैरों में आकर रुक गया है.. आह्ह.. थोड़ा ऊपर दबाओ.. यहाँ बहुत दर्द हो रहा है।
मुनिया- अभी लो बाबूजी.. सारा दर्द निकाल दूँगी.. आप बस बताते जाओ.. कहाँ दर्द है?

पुनीत ने जाँघों में दर्द बता कर मुनिया को वहाँ दबाने को कहा और वो नादान बड़े प्यार से वहाँ दबाने लगी। अब उसका ध्यान पुनीत के खड़े लंड पर बार-बार जा रहा था.. मगर वो चुपचाप बस अपने काम में लगी हुई थी।

पुनीत- मुनिया मैंने तेरी माँ को जो 500 रुपये दिए.. वो बस पेशगी थी.. तू रोज मेरी मालिश करेगी.. तो दिन के काम के रोज 100 और रात की मालिश के 200 तुझे और दूँगा।

पुनीत की बात सुनकर मुनिया की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। इतने पैसे उसने कभी सपने में नहीं सोचे थे.. जो पुनीत उसको देने की बात कर रहा था।

हैलो दोस्तो.. क्या हुआ कहानी में बड़े खोए हुए हो.. मुझे याद ही नहीं करते.. कि मैं कहाँ हूँ।

अब मुनिया को क्या पता था कि पुनीत 200 रुपये में उसकी इज़्ज़त का सौदा कर रहा है। बेचारी उसकी बातों में आ गई.. आगे का हाल आप खुद ही देख लीजिए।

मुनिया- नहीं नहीं बाबूजी.. जो माँ को दिए.. वही बहुत हैं आप कुछ दिन ही तो यहाँ रहोगे।

पुनीत- नहीं मुनिया.. ये तेरा हक़ है.. तू बस अच्छे से मालिश करना और जैसा मैं कहूँ.. वैसा करती रहना.. फिर देख मैं तुझे हमेशा के लिए अपने पास काम पर रख लूँगा। तू दिन के 500 रुपये तक कमा लेगी। चल अब थोड़ा ऊपर दबा.. वहाँ दर्द ज़्यादा हो रहा है।
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#6
14-02-2018, 04:48 PM
अपडेट  ०४

अब तक आपने पढ़ा..

हैलो दोस्तो.. क्या हुआ कहानी में बड़े खोए हुए हो.. मुझे याद ही नहीं करते.. कि मैं कहाँ हूँ।
अब मुनिया को क्या पता था कि पुनीत 200 रुपये में उसकी इज़्ज़त का सौदा कर रहा है। बेचारी उसकी बातों में आ गई।
आगे का हाल आप खुद ही देख लीजिए।

मुनिया- नहीं नहीं बाबूजी.. जो माँ को दिए.. वही बहुत हैं आप कुछ दिन ही तो यहाँ रहोगे।
पुनीत- नहीं मुनिया.. ये तेरा हक़ है.. तू बस अच्छे से मालिश करना और जैसा मैं कहूँ.. वैसा करती रहना.. फिर देख मैं तुझे हमेशा के लिए अपने पास काम पर रख लूँगा। तू दिन के 500 रुपये तक कमा लेगी। चल अब थोड़ा ऊपर दबा.. वहाँ दर्द ज़्यादा हो रहा है।



अब आगे..

मुनिया ख़ुशी-ख़ुशी उसकी जाँघें दबाने लगी.. अब उसके हाथ लंड से कुछ इंच की दूरी पर थे.. और लंड अपने पूरे शवाब पर खड़ा हुआ मुनिया की चढ़ती जवानी को सलामी दे रहा था।
पुनीत- उफ्फ.. मुनिया थोड़ा और ऊपर दबा ना.. आह्ह.. वहाँ ज़्यादा दर्द है..

अब मुनिया की समझ के बाहर था कि इसके ऊपर कहाँ दबाऊँ.. क्योंकि जाँघ के बाद तो लौड़ा था और उसके बाद पेट..
मुनिया- बाबूजी आप हाथ से बताओ ना.. मुझे समझ नहीं आ रहा.. कहाँ दर्द है?
पुनीत ने मुनिया का हाथ पकड़ा और लौड़े पर रख दिया- उफ्फ.. यहाँ ज़्यादा दर्द है.. यहाँ दबा.. आराम से सहला..

गर्म लौड़े पर हाथ रखते ही मुनिया के जिस्म में एक करंट सा दौड़ गया.. उसने झट से हाथ हटा लिया।
मुनिया- यह क्या कर रहे हो बाबूजी.. यहाँ कोई दबाता है क्या?

पुनीत- अरे इसमें क्या है मुनिया.. जब दर्द यहाँ है.. तो यहीं बताऊँगा ना.. अब देख तू मना करेगी.. तो मैं नाराज़ हो जाऊँगा और अभी तो बस शुरूआत है.. बाद में तो बिना कपड़ों के भी तुझे इसकी मालिश करनी होगी।
मुनिया- छी: छी: कैसी बात करते हो आप बाबूजी.. ऐसा कभी होता है क्या..? मुझे तो शर्म आ रही है..

पुनीत- अरे पगली शहर में लड़की और लड़का बिना कपड़ों के होते हैं और मालिश भी ऐसे ही होती है.. तू यहाँ आ.. मैं तुझे दिखाता हूँ।
पुनीत बैठ गया और अपने मोबाइल में एक वीडियो चालू करके मुनिया को फ़ोन दे दिया।

उस वीडियो में एक लड़की एकदम नंगी खड़ी एक आदमी की मालिश कर रही थी जो एकदम नंगा था। पहले तो मुनिया को अजीब सा लगा.. मगर उस वीडियो को देखने के लिए पुनीत ने ज़ोर दिया तो बेचारी गौर से देखने लगी।

धीरे-धीरे वो लड़की उसके लौड़े को सहलाने लगी और मुँह से चूसने लगी। पूरा लौड़ा मुँह में लेकर मज़े लेने लगी और जब तक उसका पानी ना निकल गया वो लौड़े को चूसती रही।

ये सब देख कर मुनिया के जिस्म में कुछ अजीब सा होने लगा। उसकी चूत अपने आप रिसने लगी.. अब उसको भले ही इस सबका पता ना हो.. मगर ये निगोड़ी जवानी जो है न.. सब समझ जाती है और चूत और लंड तो बहुत जल्दी ये सब समझ जाते हैं।

वीडियो ख़त्म होने के बाद मुनिया पता नहीं किस दुनिया में खो गई थी। जब पुनीत ने उसको हाथ लगाया.. तो वो नींद से जागी..
पुनीत- अरे क्या हुआ.. कहाँ खो गई..?
मुनिया- वो वो.. बाबूजी.. ये सब मैंने पहले कभी नहीं देखा.. मुझे नहीं पता था कि मालिश ऐसे भी होती है।

पुनीत- अब तो मेरी बात का विश्वास हो गया ना.. ले चल.. अब ये मैं बाहर निकाल देता हूँ। अब जल्दी से उस लड़की की तरह मालिश कर दे।
पुनीत ने एक झटके से अपना निक्कर निकाल दिया.. उसका 7″ का लौड़ा कुतुबमीनार की तरह खड़ा हो गया।
मुनिया एकदम से ये देख कर शर्मा गई और उसने अपना मुँह घुमा लिया।

अरे दोस्तो.. फिर आप तो यहीं अटक गए.. अभी तो बहुत किरदार बाकी हैं इतनी जल्दी मुनिया का मज़ा लेना चाहते हो क्या..? चलो एक खास जगह ले चलती हूँ.. जहाँ आपके टेस्ट के हिसाब से ही कुछ खास होने वाला है।

रात के करीब 10.30 बज रहे होंगे दिल्ली के घर में दो लड़के और एक लड़की बैठे बियर पी रहे थे। अब ये कौन हैं इनके बारे मैं ज़्यादा नहीं बताऊँगी.. बस आप इनके नाम जान लीजिए।

विवेक.. इसकी उम्र 25 साल है.. दूसरा सुनील, यह करीब 22 साल का है.. और लड़की कोमल.. इसकी उम्र 21 साल है।

चलो अब सीन देख लेते हैं।

विवेक- अरे ला ना.. साले सारी बोतल अकेला पिएगा क्या?
सुनील- अबे साले.. अब बियर ही पीता रहेगा या कोमल के मम्मों का रस भी पिएगा.. देख कैसे साली के निप्पल तने हुए हैं।
कोमल- अबे चुप वे भड़वे साले हरामी.. तेरे पास बियर लाने के पैसे नहीं थे.. तो मुझे बोल देता.. मैं दे देती.. सारा मूड खराब कर दिया तूने..
विवेक- साला 2 बोतल ही लाया झन्डू कहीं का.. ले पी.. मर साले..

सुनील- अरे मेरे को क्या पता था.. तुम इतनी बड़ी बेवड़ी हो.. नहीं तो और ले आता.. चल अब बियर ख़त्म हो गई.. अब तेरे चूचे ही चूस कर मज़ा ले लेंगे।
विवेक- हाँ मेरी जान.. तेरी बहुत तारीफ सुनी है कि तू अँग्रेज़ी मेम की तरह लौड़ा चूसती है.. और खूब मज़ा देती है..।

कोमल- अबे लुच्चों.. मैं पैसे के लिए कुछ भी कर सकती हूँ.. चल अब टाइम खोटी मत कर.. निकालो कपड़े और दिखाओ अपने लौड़े.. कैसे हैं?

दोस्तो, कोमल की बातों से आप समझ ही गए होंगे कि यह एक कॉल गर्ल है और ये दोनों दिल्ली के छटे हुए बदमाश हैं।
अब आगे मजा देखो..

दोनों ने अपने कपड़े निकाल दिए.. इनके लौड़े तने हुए थे.. जो करीब 6″ के आस-पास के थे.. जिसे देख कर कोमल को हँसी आ गई और वो ज़ोर से हँसने लगी।
वो दोनों कोमल की ओर देखने लगे।
कोमल- सालों.. ये लौड़े लेकर मेरे पास आए हो क्या.. मैंने बहुत लंबे-लंबे लौड़े चूस कर फेंक दिए.. समझे?
विवेक- अबे चुप साली रंडी.. नाटक मत कर.. चल निकाल कपड़े.. आज तेरे को बताते हैं कि लौड़े की लंबाई से कुछ नहीं होता.. उसमें पॉवर भी होना चाहिए।

कोमल ने अपने कपड़े अदा के साथ निकाल दिए.. वो एक खूबसूर्त जिस्म की मलिका थी। उसकी गोल चूचियां जो 34″ की थीं.. पतली लचकदार कमर और बाहर को निकली हुई 36″ की गाण्ड.. किसी को भी पागल बना सकती थी।
विवेक- अरे वाह रानी.. तेरा जिस्म तो बड़ा मस्त है.. आज तो तेरी चुदाई करने में मज़ा आ जाएगा।
सुनील- साली की गाण्ड देख कर मेरा तो लौड़ा झटके खाने लगा है यार..
कोमल- अबे सालों अब बातें ही करोगे क्या.. आ जाओ.. टूट पड़ो कोमल रानी की तिजोरी खुली हुई है.. लूट लो पूरा खजाना..

दोनों भूखे कुत्तों की तरह कोमल की तरफ़ बढ़े और उसको बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और विवेक उसके होंठों और मम्मों को चूसने लगा और सुनील उसकी चूत को चाटने में लग गया।
कोमल- आह्ह.. चूसो.. मेरे आशिकों.. आह्ह.. मज़ा आ गया उफ्फ.. आज कई दिनों बाद दो लंड एक साथ मिलेंगे.. आह्ह.. आज तो मेरी चूत को मज़ा आ जाएगा।

कुछ देर कोमल को चूसने के बाद दोनों सीधे लेट गए और कोमल को लौड़े चूसने के लिए कहा।
कोमल बड़े प्यार से दोनों के लंड बारी-बारी से चूसने लगी।
विवेक- आह्ह.. चूस मेरी जान.. आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. जैसा सुना था.. उससे भी ज़्यादा मज़ा दे रही है तू.. आह्ह..
सुनील- उफ्फ.. आह्ह.. मेरी तो आँखें मज़े में खुल ही नहीं रहीं हैं यार.. आह्ह.. उफ्फ.. बड़ा मज़ा आ रहा है।

कोमल बड़े प्यार से बारी-बारी से दोनों के लंड चूसती रही और जब दोनों के बर्दास्त के बाहर हो गया तो विवेक ने कोमल को अपने लौड़े पर बैठने को कहा और सुनील पीछे से गाण्ड मारने को तैयार हो गया।

कोमल अब लौड़े पर बैठ गई और विवेक के ऊपर लेट गई.. पीछे से सुनील ने लौड़ा गाण्ड में पेल दिया।
कोमल- आह्ह.. आह्ह.. अब शुरू हो जाओ दोनों और अपना कमाल दिखाओ आह्ह..

दोनों स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगे.. कोमल दोनों तरफ़ से चुद रही थी और कमरे में बस सिसकारियाँ और ‘आहहें’ और ‘कराहें’ गूंजने लगीं।
करीब 15 मिनट तक ये चुदाई चलती रही। आख़िर सुनील के लौड़े ने गाण्ड में लावा उगल दिया और वो एक तरफ लेट गया।
हाँ विवेक अब भी धकापेल लगा हुआ था।

कोमल- आह आह.. इसस्स.. एक तो गया.. आह्ह.. अब तेरी बारी है हीरो.. आह्ह.. जल्दी कर.. उफ़फ्फ़ आह्ह..

विवेक ने जल्दी से पोज़ चेंज किया और अब वो ऊपर आ गया और स्पीड से कोमल को चोदने लगा। करीब 5 मिनट बाद उसकी नसें फूलने लगीं और उसने झटके से लौड़ा बाहर निकाल लिया। उसका सारा माल कोमल के पेट पर गिर गया।
वो हाँफता हुआ कोमल के पास लेट गया।

सुनील- अरे वाह.. कोमल तेरी गाण्ड तो सच में तेरे नाम की तरह कोमल थी.. मज़ा आ गया। अब तेरी चूत की सवारी करूँगा.. तो पता लगेगा कि वो कैसी है।
कोमल- अरे चोद लेना राजा.. आज की रात मैंने तुम दोनों के नाम कर दी.. जैसे चाहो मेरी चूत और गाण्ड का मज़ा लेते रहना।
विवेक- कोमल तू बड़ी बिंदास है यार.. खूब मज़ा देती है।

विवेक की बात का कोमल कुछ जवाब देती.. इसके पहले विवेक का फ़ोन बजने लगा और स्क्रीन पर नम्बर देख कर विवेक थोड़ा घबरा गया।

विवेक- ओए.. चुप चुप.. कोई कुछ मत बोलना.. मेरे बॉस का फ़ोन है।
विवेक- हैलो बॉस कैसे हो आप?
बॉस- कहाँ हो तुम दोनों?
विवेक- ज..ज़ि..जी यहीं हैं घर पे..
बॉस- सालों दारू पीकर पड़े हो.. मैंने तुमको पैसे किस लिए दिए थे?
विवेक- नहीं नहीं बॉस.. आपका काम कर दिया हमने.. उसको ले आए..

बॉस- गुड.. अच्छा सुनो.. मैं नहीं आ पाऊँगा.. मैंने जो बताया था.. उसको समझा देना और कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए.. समझे?
विवेक- ना ना बॉस.. आपका काम जल्दी हो जाएगा.. उस साली रंडी को आपके सामने नंगा खड़ा करने की ज़िम्मेदारी हमारी है.. बस कुछ दिन सब्र करो आप.. बस ये गेम फिट बैठ जाए.. तो वो रंडी आपकी होगी और इसको भी मैं समझा दूँगा.. आप बेफिकर रहो।


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#7
14-02-2018, 04:48 PM
अपडेट  ०५

अब तक आपने पढ़ा..

विवेक- हैलो बॉस कैसे हो आप?
बॉस- कहाँ हो तुम दोनों?
विवेक- ज..ज़ि..जी यहीं हैं घर पे..
बॉस- सालों दारू पीकर पड़े हो.. मैंने तुमको पैसे किस लिए दिए थे?
विवेक- नहीं नहीं बॉस.. आपका काम कर दिया हमने.. उसको ले आए..

बॉस- गुड.. अच्छा सुनो.. मैं नहीं आ पाऊँगा.. मैंने जो बताया था.. उसको समझा देना और कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए.. समझे?
विवेक- ना ना बॉस.. आपका काम जल्दी हो जाएगा.. उस साली रंडी को आपके सामने नंगा खड़ा करने की ज़िम्मेदारी हमारी है.. बस कुछ दिन सब्र करो आप.. बस ये गेम फिट बैठ जाए.. तो वो रंडी आपकी होगी और इसको भी मैं समझा दूँगा.. आप बेफिक्र रहो।



अब आगे..

बॉस- ठीक है.. ठीक है.. अब गौर से सुन.. वो कुत्ता फार्म पर है.. कल दोनों वहाँ पहुँच जाना.. समझे? बाकी की बात तुमको बताने की जरूरत है क्या?
विवेक- नहीं नहीं बॉस.. मुझे पता है क्या करना है.. आप समझो बस हम वहाँ पहुँच गए।

क्यों दोस्तो, मज़ा आ रहा है ना.. ये क्या हो रहा है और ये कौन लोग हैं. किस के पीछे हैं? इन सब बातों का पता तो आगे चल ही जाएगा। अभी मुनिया के पास चलो.. वहाँ देखते हैं क्या हुआ?

हाँ तो जब मुनिया ने अपना मुँह घुमाया.. तो पुनीत थोड़ा गुस्सा हो गया।
पुनीत- अरे मुनिया.. ऐसे करोगी तो कैसे काम कर पाओगी.. जाने दे तेरे से नहीं होगा.. कल तेरे को वापस घर भेज दूँगा।
मुनिया- नहीं नहीं बाबूजी.. मैं सब करूँगी.. मुझे पैसे कमाने हैं।
पुनीत- अच्छा तो आ.. इसको पकड़ कर देख.. इसकी मालिश कर.. मज़ा आएगा।

मुनिया उसके पास आ गई और लौड़े को गौर से देखने लगी।
मुनिया- बाबूजी आप चिंता ना करो.. मैंने पहले कभी ऐसी मालिश नहीं की है.. मगर में धीरे-धीरे सीख जाऊँगी।
पुनीत- मैं जानता हूँ मुनिया.. अब देर मत करो.. आओ शुरू करो..

मुनिया लौड़े को सहलाने लगती है और उसके नर्म हाथों के स्पर्श से पुनीत को मज़ा आने लगता है। वो अपनी आँखें बन्द कर लेता है।

शुरू में तो मुनिया को अजीब लग रहा था मगर बाद में लौड़े का अहसास उसे अच्छा लगने लगा और वो बड़े मज़े से लौड़े को सहलाने लगी।
पुनीत बीच-बीच में उसको आइडिया दे रहा था कि ऐसे करो और वो बस करती जा रही थी और पुनीत मज़ा ले रहा था।
अब मुनिया अच्छी तरह से पुनीत के लौड़े को सहला रही थी।

पुनीत- आह आह.. मुनिया ऐसे सूखा सूखा.. मज़ा नहीं आ रहा.. अब मुँह से भी मालिश करो न.. आह्ह.. तुमने अगर अच्छे से किया.. तो तेरी नौकरी पक्की..

दोस्तो, मुनिया लंड और चूत के बारे में ज़्यादा नहीं जानती थी.. मगर ये खेल ऐसा है कि कुछ ना जानते हुए भी हमारा जिस्म पिघलने लगता है।

यही मुनिया के साथ हो रहा था.. उसकी चूत एकदम गीली हो गई थी और उसकी आँखों में मस्ती छा गई थी। अब उसको खुद लग रहा था कि लौड़े को मुँह में लेकर चूसे.. बस पुनीत ने कहा और उसने झट अपनी जीभ लौड़े पर रख दी और लण्ड की टोपी को चाटने लगी।

पुनीत- उफ़फ्फ़ आह्ह.. ऐसे ही.. आह्ह.. अब सारा दर्द निकल जाएगा.. आह्ह.. मुँह में लेकर चूस.. आह्ह.. पूरा लौड़ा अन्दर लेना है.. आह्ह..

अब मुनिया बड़े मज़े से लौड़े को जड़ तक लेने की कोशिश कर रही थी.. मगर उसके छोटे से मुँह में लौड़ा पूरा लेना मुश्किल था.. वो बस सुपारे को ही चूस पा रही थी.. जैसे कोई गन्ने को चूस रही हो।

पुनीत ने मुनिया के सर को पकड़ लिया और लौड़े को ज़ोर-ज़ोर से झटके देने लगा। उसकी नसें फूलने लगी थीं। लौड़ा कभी भी लावा उगल सकता था।

मुनिया की साँसें रुकने लगीं.. पुनीत अब स्पीड से उसके मुँह को चोद रहा था और कुछ ही देर में पुनीत के लंड ने वीर्य की धार मारी.. जो मुनिया के हलक में उतर गई।
ना चाहते हुए भी उसको सारा पानी पीना पड़ा। जब पुनीत ने हाथ हटाया तो मुनिया अलग हुई और लंबी साँसें लेने लगी।

मुनिया- हाय उहह.. ये आपने क्या किया बाबूजी.. मेरे मुँह में मूत दिया छी:..
पुनीत- अरे पगली ये मूत नहीं.. वीर्य है इसको पीने से लड़की और खूबसूरत होती है.. देख ये तो दूध जैसा है..

पुनीत के लौड़े से कुछ बूंदें और निकाली.. जो एकदम गाढ़ी सफेद थीं.. जिसको मुनिया गौर से देखने लगी।
मुनिया- हाँ बाबूजी.. ये तो सफेद है।
पुनीत- अरे जल्दी आ.. इसको जीभ से चाट ले.. नहीं तो नीचे गिर जाएगी।

पुनीत के कहने की देर थी.. मुनिया जल्दी से झुकी और बाकी बूंदों को भी चाट कर साफ करने लगी। उसको यह स्वाद अच्छा लग रहा था और इस खेल के दौरान उसकी चूत एकदम पानी-पानी हो गई थी.. जिसका अहसास मुनिया के साथ-साथ पुनीत को भी हो गया था। अब उसकी नज़र मुनिया की कच्ची चूत पर टिक गई थी।

अरे नहीं नहीं.. अभी नहीं.. सारा मज़ा एक साथ ले लोगे.. तो कहानी में मज़ा नहीं रहेगा। अभी तो पुनीत ठंडा हुआ है.. इतनी जल्दी थोड़ी वो कुछ करेगा।
चलो वापस कोमल के पास चलते हैं.. देखते हैं कि वहाँ क्या खिचड़ी पक रही है।

कोमल- अरे राजा किसका फ़ोन था.. तू ऐसे क्यों डर गया?
सुनील- अरे साली.. तेरे को नहीं पता क्या.. बॉस का फ़ोन था। उन्हीं ने तो तेरे को लाने को कहा है और तेरे को जो पैसे हमने दिए हैं. वो उन्हीं ने हमें दिए थे।

कोमल- तेरे बॉस ने मेरे को लाने के पैसे तुमको दिए.. और सालों तुमने उनके पहले मेरे को चोद कर मज़ा ले लिया.. सालों अब मैं उसके पास नहीं चुदवाऊँगी.. उसके साथ चुदाई के एक्सट्रा पैसे लगेंगे.. सोच लेना हाँ..

सुनील- अबे चुप साली.. बॉस तेरे को नहीं चोदेंगे.. उनको तो तेरे से दूसरा काम है।
कोमल- क्यों तेरा बॉस नामर्द है क्या..? जो पैसे खर्चा करके बस मेरी चुदाई होते देखेगा हा हा हा हा..
विवेक- अरे साली छिनाल.. पूरी बात तो सुन ले पहले.. अपनी ही बोले जा रही है तू हरामजादी।
कोमल- ओ साला.. भड़वा.. गाली नहीं दे मेरे को.. हाँ नहीं तो.. गाली मेरे को भी आती है.. समझा क्या?

विवेक- अच्छा मेरी जान प्लीज़ चुप हो जा और आराम से तू मेरी बात सुन।
कोमल- ठीक है रे.. सुना साला.. मैं अब कुछ नहीं बोलेगी।

विवेक- देख रानी.. तू एक कॉलेज गर्ल है और दिखती भी मस्त है। मज़े की बात ये कि तू चुदक्कड़ होते हुए भी शक्ल से बड़ी शरीफ दिखती है.. तो हमारे बॉस को तेरे से कुछ काम है.. इसलिए वो तेरे से मिलना चाहते थे। अब तू साली खाली बात के लिए तो यहाँ आती नहीं.. और हमको पता था बॉस खाली बात ही करेगा.. तो बस हमने सोचा बॉस खाली बात करेंगे.. तो क्यों ना हम तेरी चुदाई करके पैसे वसूल कर लें।

कोमल- कौन है रे तेरा बॉस.. वो कब आएगा..

विवेक- बॉस कहीं बिज़ी हैं. वे नहीं आएँगे.. मेरे को वो बात पता है.. तो मैं भी तेरे को समझा सकता हूँ।

सुनील- यार जब मैंने बॉस को कहा था ये बात हम कोमल को बता देंगे.. तब तो वो गुस्सा हो गए थे। बोले.. नहीं मैं ही अच्छी तरह से बताऊँगा.. अब क्या हुआ..
विवेक- अरे यार अब ये बॉस का फंडा वही जाने.. कहीं फँस गए होंगे किसी काम में.. अब कोमल को हमें सब समझाना होगा और वैसे भी बॉस फार्म पर तो आएँगे ही.. बाकी का काम वहाँ हो जाएगा।
कोमल- अबे सालों क्या समझाना है.. कुछ मेरे को भी तो बताओ?

विवेक- ठीक है मेरी जान.. गौर से सुन.. अब दिल्ली से कुछ दूर एक फार्म-हाउस है। हर 2 या 3 महीने में वहाँ एक बड़ी पार्टी होती है.. जहाँ फुल शराब और मस्ती होती है। साथ ही एक खास किस्म का गेम भी खेला जाता है।
कोमल- किस तरह का गेम?

विवेक- अबे सुन तो साली.. बीच में बोलती है तू.. वो गेम कोई पैसों का नहीं होता है। वहाँ सब अपनी गर्लफ्रेण्ड को लेकर जाते हैं और हम गर्ल फ्रेण्ड के साथ टीम बना कर तीन पत्ती का गेम खेलते हैं और जो हरता है.. हर बाजी के साथ उसकी गर्लफ्रेण्ड को एक कपड़ा उतारना होता है। ऐसे धीरे-धीरे सबके कपड़े उतरते हैं और जिस लड़की के कपड़े सबसे पहले पूरे उतर जाते हैं उसकी टीम हार जाती है। फिर उस रात सभी जीतने वाले उसके साथ सुहागरात मनाते हैं।

कोमल- ओ माय गॉड.. ये तो बहुत ख़तरनाक गेम है.. एक लड़की के साथ सभी चुदाई करते हैं? उसकी जान नहीं निकल जाती.. वैसे वहाँ कितने लड़के होते हैं.?

विवेक- अरे कुछ नहीं होता.. ज़्यादा नहीं बस हर बार 6 लड़के होते हैं। जिसमें हारने वाला तो चोदता नहीं है.. तो बस रात भर 5 ही लौंडे लड़की की चुदाई का मज़ा लेते हैं। फिर दूसरे दिन सुबह वो लड़का गेम से निकल जाता है और बाकी के लोग गेम खेलते हैं। बड़ा मज़ा आता है यार..

कोमल- ओह.. ये बात है.. वैसे हर बार सभी लोग वही होते हैं या अलग-अलग होते हैं?
विवेक- नहीं.. बस तीन लड़के वही होते हैं और 3 को हर बार अलग चुना जाता है।
कोमल- ऐसा क्यों.. वो 3 कौन हैं और दूसरों को कैसे चुनते हैं?

विवेक- मेरी जान तूने संजय खन्ना का नाम तो सुना होगा? उसका बेटा पुनीत ये पार्टी देता है.. तो वो तो होगा ही वहाँ और उसका भाई रॉनी और एक खास दोस्त सन्नी भी साथ होता है। बाकी लड़कों को पार्टी के कुछ दिन पहले यहाँ के क्लब में जमा करके मीटिंग होती है और एक खेल के जरिए वो बाकी के तीन लड़कों को चुनता है।

कोमल- हाँ खन्ना का नाम सुना है.. वो तो बहुत पैसे वाला है और वहाँ कैसी मीटिंग होती है.. और कैसे चुनते हैं?
विवेक- इतना सब तू मत पूछ.. और वहाँ का नहीं पता.. मैं खुद वहाँ पहली बार जा रहा हूँ..


My threads:- Kuch Nahi Tere Bin || लवली फ़ोन सेक्स || Meri Behnen Meri Jindagi || "neha sexy" Ki Sexy Kahaniyan (Pyari Mausi) || ये गलत है (भाई-बहन का प्यार) || बॉलीवुड हीरोइनों की सेक्स स्टोरीज
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#8
15-02-2018, 02:33 PM
अपडेट ०६

अब तक आपने पढ़ा..

विवेक- मेरी जान तूने संजय खन्ना का नाम तो सुना होगा..? उसका बेटा पुनीत ये पार्टी देता है.. तो वो तो होगा ही वहाँ और उसका भाई रॉनी और एक खास दोस्त सन्नी भी साथ होता है। बाकी लड़कों को पार्टी के कुछ दिन पहले यहाँ के क्लब में जमा करके मीटिंग होती है और एक खेल के जरिए वो बाकी के तीन लड़कों को चुनता है।
कोमल- हाँ खन्ना का नाम सुना है.. वो तो बहुत पैसे वाला है और वहाँ कैसी मीटिंग होती है.. और कैसे चुनते हैं?
विवेक- इतना सब तू मत पूछ.. और वहाँ का नहीं पता.. मैं खुद वहाँ पहली बार जा रहा हूँ..

अब आगे..


कोमल- अच्छा यह तो बता.. कोई लड़की इस खेल के लिए कैसे राज़ी होती है?
विवेक- अरे मेरी जान.. पैसा चीज ही ऐसी होती है… कि इंसान ना चाहते हुए भी वो सब काम कर लेता है.. जो उसको ठीक ना लगे.. समझी, वहाँ पर हर बार 1 लाख का इनाम होता है।
कोमल- ओ माय गॉड.. 1 लाख.. मगर फिर भी कोई लड़की अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड के सामने सब कैसे करती होगी?

विवेक- अरे आजकल लड़की को पटा कर लड़का पहले चोद कर उस लड़की को लौड़े की आदी बनाता है.. और पैसे का लालच देकर उसको बड़े-बड़े सपने दिखाता है। बस इस तरह वो लड़की को मना लेता है और वैसे भी गेम शुरू होने के पहले वहाँ लड़की को इतना नशा करवा देते हैं कि उनको अच्छे-बुरे का पता ही नहीं होता यार.. और एक बात और भी समझ ले कि अधिकतर वे ही लड़कियाँ चूत चुदवाने को राजी होती हैं जिन्हें चुदने की ज्यादा भूख होती है, आजकल तो इसे मस्ती के नाम पर खुला खेल माना जाता है।

कोमल- चल सब समझ गई.. मगर पैसे कौन देता है?
विवेक- अरे पुनीत और कौन यार..?
कोमल- अरे उसको क्या फायदा.. और वो भी तो हारता होगा.. तो पैसे भी जाते है और गर्ल-फ्रेण्ड भी?

विवेक- मेरी जान.. वो एक ठरकी लड़का है.. उसको ऐसे गेम में मज़ा आता है.. नई-नई लड़कियों को चोदना उसका शौक है। वैसे वो चाहे तो ऐसे भी रोज नई लड़की उसके पास हो.. मगर उसको ऐसे खेल का शौक है बस.. पैसा देने के बहाने सबको बुलाता है और उसको एकाध लाख से क्या फ़र्क पड़ता है.. इतने पैसे तो वे लोग रोज ही उड़ा देते हैं। हाँ.. दोनों भाई इस खेल के माहिर खिलाड़ी हैं. उनको आसानी से हराना मुश्किल है। सालों का नसीब भी बहुत साथ देता है।

कोमल- अच्छा.. ये बात है.. तो अब तुम्हारा बॉस मेरे को गर्लफ्रेण्ड बना कर लेकर जाएगा.. यही ना?
सुनील- तू साली बहुत समझदार है.. जल्दी समझ गई.. हा हा हा हा..
कोमल- चल हट.. साला कुत्ता.. गर्ल-फ्रेण्ड के बहाने हम जैसी लड़कियों को ले जाते हैं वहाँ.. साले झूटे कहीं के..

विवेक- अरे तू गलत समझ रही है.. ऐसा कुछ नहीं है.. ज़्यादातर असली गर्लफ्रेण्ड ही होती हैं। इस बार बॉस का प्लान कुछ अलग है एक लड़की है पायल.. उसे उसको चोदना है.. तो वो एक नया गेम बना रहे हैं. जिसमें सिर्फ़ तू हमारी मदद कर सकती है।
कोमल- कैसा नया गेम रे.. ज़रा ठीक से बता मेरे को?

विवेक ने जब बोलना शुरू किया तो कोमल की आँखें फटी की फटी रह गईं.. क्योंकि विवेक ने बात ही ऐसी कहीं थी।
दोस्तो, मैंने इन दोनों की ये लंबी बात आपके लिए करवाई है.. ताकि आपको कहानी समझने में आसानी हो।
अब आखिरी में क्या बात हुई थी.. वो तो फार्म पर पता लगेगी.. तो आप यहाँ क्या कर रहे हो.. चलो वापस वहीं चलते हैं।

अरे रूको रूको.. पहले पूजा के पास चलो.. वहाँ हम लोग कब से नहीं गए।

पूजा ने अपने कपड़े पहने और चुपके से वापस अपने कमरे की तरफ जाने लगी। तभी उसको ऐसा लगा कि वहाँ से कोई गया है.. वो उसके पीछे चुपके से चल दी। आगे जाकर उसको साफ-साफ दिखाई दिया कि वो बबलू ही है.. उसने उस समय कुछ कहना ठीक नहीं समझा और वहाँ से अपने कमरे में आ गई।

तब तक पायल भी सो गई थी और पूजा सोचने लगी कि उसने बबलू के साथ चुदाई की या किसी और के साथ? बस इसी उलझन में वो काफ़ी देर जागती रही और कब उसको नींद आ गई.. पता भी नहीं चला।

दोस्तो, यहाँ का हो गया.. अब मुनिया के पास चलते हैं मगर आपसे एक बात कहूँगी कि कहानी को अच्छी तरह से ध्यान लगा कर पढ़िएगा.. हर बात जो पॉइंट की है.. उसे नोटिस करना.. क्योंकि आगे सब कड़िया एक साथ जुड़ेंगी और कहानी का रोमांच भी बढ़ेगा.. ओके।

अब देखिए.. मुनिया के साथ आगे क्या हुआ..

पुनीत के लौड़े को चाटने के बाद मुनिया को बड़ा अजीब लग रहा था.. उसकी चूत बहुत पानी छोड़ रही थी और पुनीत इस बात को अच्छी तरह जानता था.. तो बस उसने मुनिया का हाथ पकड़ा और उसको बिस्तर पर बैठा दिया।
पुनीत- तूने बहुत अच्छी तरह मालिश की है.. अब देख एक तरीका मैं बताता हूँ.. अगली बार वैसे करना.. ठीक है..
मुनिया- ठीक है.. आप बता दो बाबूजी कैसे करना है.. मैं सब सीख जाऊँगी।

पुनीत ने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी जाँघों पर अपने हाथ रख दिए.. जिससे मुनिया सिहर गई।
मुनिया- इसस्सस्स.. आह.. ये आप क्या कर रहे हो बाबूजी?
पुनीत- अरे डर मत.. तुझे सिखा रहा हूँ.. अगली बार ऐसे करना..

इतना कहकर पुनीत बड़े सेक्सी अंदाज में मुनिया की जाँघों को सहलाने लगा।
मुनिया के जिस्म में तो बिजली दौड़ने लगी थी।
मुनिया- ककककक.. ठ..ठ..ठीक है.. मैं समझ गई.. आह्ह.. अब बस करो न..
पुनीत- अरे चुप.. अभी कहाँ.. आराम से सीख.. अब बिल्कुल भी बोलना मत..
पुनीत थोड़ा गुस्से में बोला.. तो मुनिया डर गई और उसने चुप्पी साध ली।

अब पुनीत धीरे-धीरे उसकी जाँघों को सहला रहा था.. कभी-कभी उसकी उंगली चूत को भी टच करती जा रही थी.. बस यही वो पल था.. जब मुनिया जैसी भोली-भाली लड़की वासना के भंवर में फँसती चली गई।

अब मुनिया को बड़ा मज़ा आ रहा था.. उसकी चूत फड़फड़ा रही थी और उसने अपनी आँखें बन्द कर ली थीं।

पुनीत ने जब ये देखा कि मुनिया मज़े ले रही है.. तो उसने अपना हाथ सीधे उसकी फूली हुई चूत पर रख दिया और धीरे से चूत को रगड़ने लगा।

मुनिया- इसस्सस्स.. आह.. बाबूजी आह्ह.. नहीं.. मुझे कुछ हो रहा है.. आह्ह.. मेरे बदन का खून.. उफ्फ.. लगता है सारा वहीं जमा हो गया.. आह्ह.. नहीं इससस्स.. उफ़फ्फ़..

दोस्तो.. मुनिया पहले से ही बहुत गर्म थी और जब पुनीत ने चूत पर हाथ रखा और हल्की मालिश की.. बस बेचारी अपना संतुलन खो बैठी..। उसकी कच्ची चूत अपना पहला कामरस छोड़ने लगी। उस वक़्त मुनिया का बदन अकड़ गया.. उसने पुनीत के हाथ को अपने हाथ से दबा लिया और अजीब सी आवाजें निकालने लगी और झड़ने लगी।

मुनिया- इसस्स्सस्स.. आह.. उऊहह.. उउओह.. बब्ब..बाबूजी आह्ह.. मुझे क्या हो रहा है.. आआह्ह.. सस्सस्स..
जब मुनिया की चूत शांत हुई.. तब उसके दिमाग़ की बत्ती जली.. वो झट से बैठ गई और सवालिया नजरों से पुनीत को देखने लगी कि ये क्या हुआह्ह..
पुनीत- अरे घबरा मत.. तेरा भी कामरस निकल गया.. जैसे मेरा निकाला था.. अब तू ठीक है और सच बता.. तुझे मज़ा आया कि नहीं..
मुनिया- बाबूजी.. ये सब मेरी समझ के बाहर है.. आप मेहरबानी करके अभी यहाँ से चले जाओ.. मुझे अभी बाथरूम जाना है।
पुनीत- अरे तू यहाँ मेरी सेवा करने आई है या मुझ पर हुकुम चलाने आई है.. हाँ तेरी माँ ने यही सिखाया क्या तेरे को?

मुनिया- अरे नहीं नहीं.. बाबूजी.. आप गलत समझ रहे हो.. मैं तो बस ये कह रही थी.. कि मुझे जोरों से पेशाब आ रही है।
पुनीत- तो जाओ.. मैं यहीं बैठा हूँ.. आकर मेरा सर दबाना ओके..

मुनिया ने ‘हाँ’ में सर हिलाया और बाथरूम में चली गई। वहाँ जाकर उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी.. शायद अभी जो हुआ.. वो उसको सब अच्छा लगा था।

पुनीत अभी भी नंगा ही था और अपने लौड़े को सहलाता हुआ बोल रहा था- बेटा आज कई दिनों बाद तुझे कच्ची चूत का मज़ा मिलेगा..

कुछ देर बाद मुनिया वापस बाहर आ गई तो पुनीत लौड़े को सहला रहा था.. जिसे देख कर मुनिया थोड़ा मुस्कुरा दी।

पुनीत- अरे आओ मुनिया.. देखो तुमने अभी इसका दर्द निकाला था.. मगर इसमें दोबारा दर्द होने लगा।
मुनिया- कोई बात नहीं बाबूजी.. मैं फिर से इसका दर्द निकाल दूँगी।
पुनीत- ये हुई ना बात.. आओ यहाँ आओ.. पहले मेरे पास बैठो.. मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।

मुनिया धीरे-धीरे चलकर आई और बिस्तर पर पुनीत के पास बैठ गई.. मगर उसकी नज़र लौड़े पर थी। ना जाने क्यों.. उसको ऐसा लग रहा था.. जैसे जल्दी से पहले की तरह वो उसको मुँह में लेकर चूसे और उसका रस पी जाए।

उसकी नज़र को पुनीत ने ताड़ लिया और उसको अपने से चिपका कर उसके कंधे पर हाथ रख दिए।
पुनीत- देख मुनिया.. अब तू मेरे साथ रहेगी.. तो खूब मज़े करेगी.. बस तू मेरी हर बात मानती रहना.. तुझे पैसे तो मैं दूँगा ही.. साथ ही साथ मज़ा भी दूँगा.. जैसे अभी दिया.. तेरा रस निकाल कर दिया था.. तू सही बता मज़ा आया ना?

मुनिया थोड़ा शर्मा रही थी.. मगर उसने ‘हाँ’ में सर हिला दिया।
पुनीत- गुड.. अब सुन.. तुझे ज़्यादा मज़ा लेना है.. तो उस वीडियो की तरह अपने कपड़े निकाल दे.. फिर देख कितना मज़ा आता है।
मुनिया- ना बाबूजी.. मुझे शर्म आती है।
पुनीत- अरे पगली.. शर्म कैसी.. देख मैं भी तो नंगा हूँ और मैं बस तुझे सिखा रहा हूँ.. तू डर मत..
मुनिया- बाबूजी मैं जानती हूँ.. जब लड़की नंगी हो जाती है.. तो लड़का उसके साथ क्या करता है.. मगर मुझे ऐसा-वैसा कुछ नहीं करना।
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16-02-2018, 02:04 PM
अपडेट ०७

अब तक आपने पढ़ा..

मुनिया थोड़ा शर्मा रही थी.. मगर उसने ‘हाँ’ में सर हिला दिया।
पुनीत- गुड.. अब सुन.. तुझे ज़्यादा मज़ा लेना है.. तो उस वीडियो की तरह अपने कपड़े निकाल दे.. फिर देख कितना मज़ा आता है।
मुनिया- ना बाबूजी.. मुझे शर्म आती है।
पुनीत- अरे पगली.. शर्म कैसी.. देख मैं भी तो नंगा हूँ और मैं बस तुझे सिखा रहा हूँ.. तू डर मत..
मुनिया- बाबूजी मैं जानती हूँ.. जब लड़की नंगी हो जाती है.. तो लड़का उसके साथ क्या करता है.. मगर मुझे ऐसा-वैसा कुछ नहीं करना।

अब आगे..


दोस्तो, मुनिया गाँव की थी.. सेक्स के बारे में शायद ज़्यादा ना जानती हो.. मगर कुछ ना जानती हो.. ऐसा होना मुमकिन नहीं..
अब देखो इशारे में उसने पुनीत को बता दिया कि वो सेक्स नहीं करेगी।

पुनीत- अरे तू क्या बोल रही है.. क्या ऐसा-वैसा तूने किसी के साथ पहले किया है क्या.. या किसी को देखा है..? बता मुझे.. तुझे किसने बताया ये सब?
मुनिया- ना ना.. मैंने कुछ नहीं किया.. वो बस एक बार हमारे पड़ोस में भाईजी को देखा था.. तब से पता है कि ये क्या होता है।
पुनीत- अरे क्या देखा था.. ज़रा ठीक से बता मुझे?

मुनिया- वो बाबूजी.. एक बार रात को मुझे जोरों से पेशाब लगी.. तो मैं घर के पीछे करने गई और जब मैं वापस आ रही थी.. तो हमारे पास में भैया जी का कमरा है.. वहाँ से कुछ आवाज़ आ रही थीं। मैंने सोचा इतनी रात को भाभी जी जाग रही हैं. सब ठीक तो है ना.. बस यही देखने चली गई और जब मैं नज़दीक गई.. तब देख कर हैरान हो गई।
पुनीत- क्यों ऐसा क्या देख लिया तूने?

मुनिया- व..व..वो दोनों.. नंगे थे.. और भैयाज़ी अपना ‘वो’ भाभी के नीचे घुसा रहे थे।
इतना बोलकर मुनिया ने अपना चेहरा घुमा लिया.. जो शर्म से लाल हो गया था।
पुनीत- अरे ठीक से बता ना.. क्या घुसा रहे थे.. और कहाँ घुसा रहे थे.. प्लीज़ यार बता ना?
मुनिया- मुझे नहीं पता.. मैं बस देखी और वहाँ से भाग गई।

पुनीत- बस इतना ही.. तो तेरे को इतना सा देख कर पता चल गया.. हाँ..
मुनिया- नहीं बाबूजी.. मैंने ये बात सुबह मेरी सहेली को बताई.. जिसकी कुछ दिन पहले शादी हुई है.. तब उसने मुझे बताया कि ये सब पति और पत्नी के बीच चलता है.. और फिर उसने मुझे सब बताया।

पुनीत- ओये होये.. मेरी मुनिया.. मैं तो तुझे भोली समझा था.. तू तो सब जानती है.. चल अच्छा है ना.. मुझे तुमको ज़्यादा समझाना नहीं पड़ेगा। अब चल देर मत कर.. निकाल अपने कपड़े मुझे तेरा जिस्म देखना है।

मुनिया- नहीं नहीं बाबूजी.. मैंने कहा ना.. मुझे वो नहीं करना.. आप उसके अलावा जो सेवा कहो.. मैं कर दूँगी। मगर वो काम नहीं..
पुनीत- अरे क्या.. तू ये और वो.. कह रही है.. साफ बोल कि चुदाई नहीं करूँगी.. तो मेरे को कौन सा तुझे चोदना है.. बस मेरी मालिश करवाने लाया हूँ। अब तुझे पैसे नहीं कमाने क्या.. जिंदगी भर ऐसे ही रहोगी क्या?

मुनिया- सच बाबूजी.. आप मेरे साथ वो नहीं करोगे ना.. तब तो आप जो कहो मैं कर दूँगी।
पुनीत- अरे वाह.. मेरी जान यह हुई ना बात.. चल अब जल्दी से कपड़े निकाल.. मैं बस तेरे जिस्म को देखूँगा। उसके बाद तू मेरे लौड़े को चूस कर इसका दर्द मिटा देना।
मुनिया- बाबूजी पहले आप आँखें बन्द करो ना.. मुझे शर्म आ रही है।

पुनीत ने उसकी बात मान ली और आँखें बन्द कर लीं और मुनिया ने अपने कपड़े निकाल दिए। पहले उसने सोचा ब्रा रहने दें.. मगर ना जाने क्या सोच कर उसने वो भी निकाल दी। अब वो एक कोने में खड़ी अपनी टाँगों को भींच कर चूत को छुपाने लगी थी और हाथों से अपने चूचे छुपा रही थी।

पुनीत- अरे क्या हुआ जान.. अब आँख खोल लूँ क्या.. बोलो ना?
मुनिया- हाँ बाबूजी.. खोल लो..

जब पुनीत ने आँखें खोलीं.. तो उसके सामने एक कच्ची कन्या.. अपनी जवानी का खजाना छुपाए हुए खड़ी थी.. जिसे देख कर उसका लौड़ा फुंफकारने लगा।
वो बस देखता ही रह गया।

पुनीत- अरे ये क्या है.. तुमने तो सब कुछ छुपा रखा है यार.. ऐसे कैसे चलेगा.. अब यहाँ आओ और सुनो हाथ ऊपर करके धीरे-धीरे आना, तुम्हें तेरी माँ की कसम है।

मुनिया- हाय बाबूजी.. आपने माई की कसम क्यों दे दी.. मैं अब क्या करूँ.. मुझे बहुत शर्म आ रही है और माई की कसम भी नहीं तोड़ सकती!

पुनीत- ठीक है.. अब ज़्यादा सोचो मत.. बस मैंने जैसे बताया.. वैसे आओ आराम-आराम से..

मुनिया ने दोनों हाथ ऊपर कर लिए। अब उसके 30″ के मम्मे आज़ाद थे.. जो एकदम गोल-गोल और उन पर हल्के गुलाबी रंग की बटन.. यानि कि उसके छोटे से निप्पल.. सफेद संगमरमरी जिस्म पर वो गुलाबी निप्पल कुदरत की अनोखी कारीगिरी की मिसाल दे रहे थे।

मुनिया धीरे से आगे बढ़ रही थी और पुनीत भी बड़े आराम से ऊपर से नीचे अपनी नज़र दौड़ा रहा था। अब उसकी नज़र मुनिया के पेट से होती हुई उसकी जाँघों के बीच एक लकीर पर गई.. यानि उसकी चूत की फाँक पर गई.. जो ऐसे चिपकी हुई थी.. जैसे फेविकोल से चिपकी हुई हो और चूत के आस-पास हल्के भूरे रंग के रोंए उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे। उसकी मादक चाल से पुनीत का लौड़ा झटके खाने लगा।

पुनीत की नज़र से जब मुनिया की नज़र मिली.. तो वो शर्मा गई और तेज़ी से भाग कर पुनीत के पास आ गई।

पुनीत ने उसे अपने आगोश में ले लिया और उसके नर्म पतले होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो बस मुनिया के होंठों को चूसने लग गया। उसके मस्त चूचों को मसलने लगा।

इस अचानक हमले से मुनिया थोड़ी घबरा गई और उसने पुनीत को धकेल कर एक तरफ़ कर दिया और खुद जल्दी से खड़ी हो गई।
पुनीत- अरे क्या हुआ मुनिया.. खड़ी क्यों हो गई तुम?
मुनिया- नहीं बाबूजी.. ये गलत है.. मुझे ये सब नहीं करना..

पुनीत- अरे मुझ पर भरोसा रख.. मैं बस तुम्हें प्यार करूँगा और कुछ नहीं.. तुझे वो मज़ा दूँगा.. उसके बाद तू मुझे मज़ा देना बस..
मुनिया नादान थी और इस उम्र में किसी को भी बहला लेना आसान होता है। खास कर पुनीत जैसे ठरकी पैसे वाले लड़के के लिए मुनिया जैसी लड़की को पटाना कोई बड़ी बात नहीं थी।

मुनिया खुश हो गई और बिस्तर पर बैठ गई। उसकी आँखों में एक अजीब सी बेचैनी थी। वो बस पुनीत के लौड़े को निहार रही थी। अब उसका इरादा क्या था.. ये तो वही बेहतर जानती थी।

पुनीत- देख मुनिया.. मैं तुझे एक अलग किस्म की मालिश करना सिखाता हूँ.. जो हाथों और होंठ से होगी। तो सीधी लेट जा.. मैं तेरे जिस्म को मालिश करता हूँ। उसके बाद तू मेरे को वैसे ही करना.. ठीक है..!

मुनिया ने ‘हाँ’ में सर हिला दिया। बस अब क्या था.. पुनीत उस कच्ची कन्या पर टूट पड़ा। उसके नर्म होंठों को चूसने लगा। उसके छोटे-छोटे अनारों को दबाने लगा। कभी वो उसके छोटे से एक निप्पल को चूसता.. तो कभी हल्का सा काट लेता।
मुनिया- आह.. इससस्स.. बाबूजी.. आह्ह.. दुःखता है.. आह्ह.. कककक.. नहीं.. उफ़फ्फ़.. आह्ह..

पुनीत तो वासना में बह गया था। उसको तो बस उस कच्ची चूचियों में जैसे अमृत मिल रहा हो। वो लगातार उनको चूसे जा रहा था और उसका लौड़ा लोहे की रॉड की तरह कड़क हो गया था। मगर पुनीत जल्दबाजी नहीं करना चाहता था। वो मुनिया को इतना तड़पाना चाहता था कि वो खुद कहे कि आओ मेरी चूत में लौड़ा घुसा दो.. तभी उसके बाद वो उसकी नादान जवानी के मज़े लूटेगा।

पुनीत अब चूचों से नीचे उसके गोरे पेट पर अपनी जीभ घुमा रहा था और मुनिया किसी साँप की तरह अपनी कमर को इधर-उधर कर रही थी।
उसको मज़ा तो बहुत आ रहा था। मगर थोड़ा सा डर भी लग रहा था कि कहीं पुनीत उसकी चुदाई ना कर दे। मगर बेचारी वो कहाँ जानती थी कि इस सबके बाद चुदाई ही होगी।

पुनीत के होंठ अब मुनिया की चंचल चूत पर आ गए थे.. जिसकी खुशबू उसको पागल बना रही थी। वो बस चूत को किस करने लगा।

मुनिया- ककककक आह.. बाबूजी आह्ह.. मेरे बदन में आ..आग सी लग रही है.. आह्ह.. न्णकन्न्..नहीं आह्ह.. यहाँ नहीं.. उफ़फ्फ़..
पुनीत- इसस्सश.. सस्स्सह.. चुपचाप मज़ा लो मेरी जान.. अभी देख तेरा कामरस आएगा उफ्फ.. क्या गर्म चूत है तेरी.. मज़ा आएगा चाटने में..

पुनीत चूत की फाँक को उंगली से खोलने लगा। वाह..अन्दर से क्या गुलाबी नजारा सामने था.. वो बस उसको चाटने लगा और मुनिया तड़प उठी।


पुनीत चूत के दाने पर अपनी जीभ घुमा रहा था और मुनिया सिसक रही थी। उसका तो बुरा हाल हो गया था.. किसी भी पल उसकी चूत बह सकती थी। उसने अपनी कमर को हवा में उठा लिया.. तो पुनीत ने उसकी गाण्ड के नीचे हाथ लगा दिया और कुत्ते की तरह स्पीड से उसकी चूत को चाटने लगा।

मुनिया- आआ आआ बा..बू..जी.. आह्ह.. इसस्स.. मुझे कुछ हो रहा है ओह.. हट जाओ वहाँ से.. आह्ह.. ससस्स उफ़फ्फ़ मेरा आह्ह.. निकलने ही वाला है।

पुनीत ने आँखों से इशारा किया कि आने दो.. और दोबारा वो चूत को रसमलाई की तरह चाटने लगा। कुछ ही देर में मुनिया झड़ गई। अब वो शांत हो गई थी.. मगर उसकी साँसें तेज-तेज चल रही थीं।

इधर पुनीत के लौड़े में दर्द होने लगा था क्योंकि वो बहुत टाइट हो गया था और वीर्य की कुछ बूँदें उसके सुपारे पर झलक रही थी। अब बस उसको किसी भी तरह चूत में जाना था.. मगर ये सफ़र इतना आसान नहीं था। एक कच्ची चूत को फाड़कर लौड़े को चूत की गहराई में उतारना इतना आसान नहीं होगा.. ये बात पुनीत जानता था।
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honey boy Offline
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#10
17-02-2018, 01:25 PM
अपडेट ०८

अब तक आपने पढ़ा..

पुनीत ने आँखों से इशारा किया कि आने दो.. और दोबारा वो चूत को रसमलाई की तरह चाटने लगा, कुछ ही देर में मुनिया झड़ गई, अब वो शांत हो गई थी.. मगर उसकी साँसें तेज-तेज चल रही थीं।

इधर पुनीत के लौड़े में दर्द होने लगा था क्योंकि वो बहुत टाइट हो गया था और वीर्य की कुछ बूँदें उसके सुपारे पर झलक रही थी। अब बस उसको किसी भी तरह चूत में जाना था.. मगर ये सफ़र इतना आसान नहीं था, एक कच्ची चूत को फाड़कर लौड़े को चूत की गहराई में उतारना इतना आसान नहीं होगा.. यह बात पुनीत जानता था।


अब आगे..

वो ऐसे अनमोल नगीने को जल्दी से तोड़ना नहीं चाहता था।

पुनीत- क्यों मेरी जान.. मज़ा आया ना.. अब तू तो ठंडी हो गई। देख मेरे लौड़े का हाल बुरा हो गया.. चल जल्दी से इसको चूस कर ठंडा कर.. मेरी जान निकली जा रही है।
मुनिया की आँखें एकदम लाल हो गई थीं जैसे उसने 4 बोतल चढ़ा ली हों और उसका जिस्म इतना हल्का हो गया था कि आपको क्या बताऊँ.. वो तो बस हवा में उड़ रही थी।

पुनीत- मुनिया.. अरी ओ मुनिया.. कहाँ खो गई.. उठ ना यार.. जल्दी से आ जा..
पुनीत उसके पास सीधा लेट गया था उसकी आवाज़ के साथ मुनिया उसके पैरों के पास बैठ गई और लौड़े को हाथ में लेकर सहलाने लगी। कुछ देर बाद उसको अपने मुँह में भर कर चूसने लगी।

पुनीत ने अपनी आँखें बन्द कर लीं और बस मज़ा लेने लगा।
मुनिया अब लौड़े को बड़े प्यार से चूस रही थी.. पहली बार तो उसको कुछ अजीब लगा था.. मगर इस बार वो बड़े अच्छे तरीके से चूस रही थी।

कुछ देर तक ये चुसाई चलती रही, अब पुनीत के लौड़े की सहन-शक्ति ख़त्म हो गई थी.. वो झड़ने को तैयार था, इस अहसास से पुनीत ने मुनिया के सर को पकड़ लिया।

पुनीत- आआ.. आह.. ज़ोर से चूस आह्ह.. मेरी जान.. आह्ह.. बस थोड़ी देर और आह्ह.. मेरा पानी बस निकलने ही वाला है।

दोस्तो, पुनीत का पानी निकालता.. इसके पहले कमरे का दरवाजा ज़ोर से खुला.. जैसे कोई बड़े गुस्से में खोला गया हो।

 

पुनीत और मुनिया तो ऐसे मोड़ पर थे कि उनको यह अहसास भी नहीं हुआ कि कौन आया है, बस मुनिया स्पीड में लौड़ा चूस रही थी और पुनीत उसके मुँह को चोद रहा था।
कुछ पल बाद लौड़े से पिचकारी निकली.. जो सीधी मुनिया के हलक में उतरती चली गई। इस बार मुनिया ने जल्दी से पूरा पानी गटक लिया और लौड़े पर से आख़िरी बूँद तक चाट कर साफ की।

उफ़फ्फ़ दोस्तो.. यहाँ का माहौल तो बहुत गर्म हो गया और यह बीच में कौन आ गया। मगर देखो मैंने सीन को रोका नहीं और पुनीत को ठंडा करवा दिया ना..
अब बारी आपकी है.. ना ना.. गलत मत समझो.. यह कौन आया ये अभी नहीं बताऊँगी। वैसे भी इस बार शुरू में ही मैंने कहा था कि यह कहानी बहुत घूमी हुई है.. तो थोड़ा घूम कर आते हैं।
चलो यहाँ से कहीं और चलते हैं।

दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि कितने पार्ट हो गए.. मगर यह रात ख़त्म नहीं हो रही.. तो दोस्तो, कहानी में कुछ रहस्य है और इसके लिए रात से बेहतर क्या होगा.. तो चलो एक नई जगह ले चलती हूँ।

रात के 11 बजे हाइवे पर एक बाइक बड़ी तेज़ी से जा रही थी.. उस पर जो शख्स बैठा था.. उसका नाम है टोनी.. उसकी उम्र लगभग 22 साल है। बाकी का इंट्रो बाद में.. तो चलिए.. आगे देखते हैं।

वो बाइक एक घर के पास जाकर रुकी और टोनी बाइक से उतरा और सीधा उस घर में चला गया। वहाँ कुछ अंधेरा था.. टोनी ने लाइट चालू की.. तो उसके सामने एक आदमी काले सूट में खड़ा था। जिसने चेहरे पर नकाब लगाया हुआ था और उसके हाथ में एक पैकेट था.. जिसे देख कर टोनी के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

दोस्तो, यह कौन है.. इसके बारे में अभी नहीं बता सकती.. बस कुछ सस्पेंस है।
टोनी- वाह.. भाई.. आप तो ज़ुबान का एकदम पक्का निकला.. मेरे से पहले ही आप इधर आ गया.. क्या बात है?
भाई- मेरा यही फंडा है.. कि अगर तुम वक़्त के साथ चलोगे तो वक़्त तुम्हारा साथ देगा.. नहीं तो वो आगे निकल जाएगा और तुम पीछे रह जाओगे.. समझे?
टोनी- मान गया भाई.. ये टोनी आपको सलाम करता है।

भाई- ठीक है ठीक है.. वो दोनों कहाँ हैं और कुछ इंतजाम किया या नहीं तुमने?
टोनी- लड़की मिल गई भाई.. वो दोनों के साथ है.. मैं खुद जाकर उसको समझाने वाला था.. मगर आपने यहाँ बुला लिया तो अब वो लोग उसको समझा देंगे।

भाई- गुड.. लेकिन वो लड़की एकदम हॉट लगनी चाहिए.. नहीं तो मेरा काम अधूरा रह जाएगा।
टोनी- अरे भाई.. वो ऐसी-वैसी नहीं है.. एक कॉलेज गर्ल.. कॉल-गर्ल है यानि पैसों के लिए कुछ खास लोगों से ही चुदवाती है और एक्टिंग भी अच्छी करती है.. आप टेन्शन मत लो..

भाई- देख कल वहाँ इस बार के गेम के लिए सिर्फ़ लड़के जमा होंगे.. मैंने तुमको बड़ी मुश्किल से फिट किया है। तुम वहाँ उसको साथ लेकर जाना.. प्लान याद है ना.. कैसे ले जाना है?
टोनी- हाँ भाई.. अच्छी तरह याद है..

भाई- बस कुछ भी हो.. तुम तीनों को जीतना ही चाहिए.. फिर उस साली को दिखा देंगे कि हम क्या चीज़ हैं.. समझे! बहुत बोलती थी कि तुम जैसे नामर्द से लड़की होना अच्छा है, अब साली रोएगी जब उसको अपनी मर्दानगी दिखाएँगे..
टोनी- हाँ भाई.. यह बात तो मैं भूले नहीं भूल सकता.. उसने आपकी बहुत बेइज़्ज़ती की.. मगर भाई आप कौन हो और उससे आपकी क्या दुश्मनी है.. क्या उसको आप प्यार करते थे?

भाई- मैंने बताया था ना.. उसने मुझे नामर्द कहा था.. बस मैं उससे इसी बात का बदला लूँगा।
टोनी- इतनी सी बात के लिए इतना बड़ा गेम.. ना ना भाई.. आप कुछ छुपा रहे हो.. बात कुछ और ही है।
भाई- हाँ टोनी.. बात इससे भी बड़ी है.. सब बता दूँगा टोनी.. सब्र करो.. बस सही वक़्त आने दो।

क्यों दोस्तो, कुछ समझ आया यहाँ भी किसी का जिक्र हो रहा है। अब यह कौन लड़की है और उसने ऐसा क्या किया था जो सभी उसके पीछे पड़े हैं और वो कहाँ है ये फार्म.. जहाँ पर ये गेम खेलने वाले हैं। अब उस लड़की का इस गेम से क्या सबन्ध है?

यह सब जानना चाहते हो.. तो चलो इनकी आगे की बात सुनो सब समझ जाओगे।

टोनी- भाई आप टेन्शन ना लो.. उस साली को अच्छा सबक़ सिखा देंगे और उसके साथ उस हरामजादे को भी सब समझ आ जाएगा हा हा हा हा!

भाई- ठीक है ठीक है.. ये ले पैसे.. और मज़े करो.. कल वहाँ समय से पहुँच जाना..

टोनी- थैंक्स भाई.. वैसे एक बात पूछनी थी.. आप ये चेहरा छुपा कर क्यों रखते हो.. मैं तो आपका ही आदमी हूँ.. मुझे तो आप चेहरा दिखा ही सकते हो ना?
भाई- वक़्त आने दो.. चेहरा भी दिखा दूँगा और नाम भी बता दूँगा। अब ज़्यादा सवाल मत कर.. मैंने तुझे एक खास काम के लिए यहाँ बुलाया है.. वो सुन..
टोनी- जी बोलो भाई.. अपुन हर समय रेडी है आपके लिए..

भाई- तू अभी बुलबुल गेस्ट हाउस जा.. और शनिवार के लिए उसको बुक करवा दे.. उसके बाद सलीम गंजा के पास जाना और उसको कहना कि बुलबुल गेस्ट हाउस में पार्टी है.. अपना जादू दिखा.. ‘हँसों’ को जमा कर समझा।
टोनी- समझ गया भाई क्या कोड में बोला आप.. ‘हँसों’ को हा हा हा.. मज़ा आ गया। अब तो पक्का धमाल होगा भाई.. कई दिनों से ऐसी पार्टी में नहीं गया.. अब तो मज़ा आ जाएगा।

इतना कहकर टोनी वहाँ से निकल गया और अपने काम को अंजाम देने के लिए दोबारा बाइक पर चल पड़ा।

बस दोस्तो, अब इसके साथ जाकर क्या करोगे.. आगे पता लग ही जाएगा कि कैसी पार्टी होनी है और क्यों होनी है..?
हम पुनीत के पास चलते हैं वहाँ कौन बीच में आ गया था.. देखते हैं।

अरे रूको.. पहले कोमल का हाल और बताए देती हूँ.. उस बात के बाद दोनों ने दोबारा कोमल को चोदना चाहा.. मगर वो नहीं मानी और सुबह की तैयारी का बोल कर वहाँ से निकल गई।

चलो अब पुनीत के फार्म पर चलते हैं।

मुनिया ने जब लौड़े को चाट कर साफ किया और पुनीत के बराबर में लेटी.. तो दरवाजे पर रॉनी खड़ा हुआ था.. जिसे देख कर मुनिया घबरा गई और जल्दी से उकड़ू बैठ कर अपना बदन छुपाने लगी।

पुनीत- आओ आओ.. रॉनी.. कहाँ थे अब तक.. कसम से ये मुनिया तो कमाल की है यार.. खूब मज़ा देती है..
रॉनी- हाँ देख रहा हूँ.. वैसे कमाल तो आपने किया है.. इतनी जल्दी इसको मनाया कैसे?

पुनीत- अरे इसमें मनाना क्या था.. ये यहाँ आई ही मालिश के लिए है.. बस इसको शहर में कैसे मालिश होती है यही सब समझाया.. और ये सब सीख भी गई.. आओ तुम भी मालिश करवा लो।

मुनिया एकदम सहमी हुई कोने में बैठ गई थी.. जिसे देख कर पुनीत ने कहा- अरे मुनिया ऐसे डर क्यों रही है.. ये मेरा भाई है.. तुमको इसकी भी ऐसे ही मालिश करनी होगी।

मुनिया- बाबूजी मुझे सच में बहुत अजीब लग रहा है.. आपका शहर तो बड़ा अजीब है। आपका भाई सामने खड़ा और आप नंगे आराम से बैठे हैं.. मुझसे तो ऐसे नहीं होगा।
रॉनी- रहने दे.. नहीं करवानी मुझे मालिश.. भाई जल्दी कमरे में आओ.. तुमसे कुछ बात करनी है।
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