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Incest चुत एक पहेली (Completed)

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Incest चुत एक पहेली (Completed)
honey boy Offline
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#61
08-04-2018, 01:56 PM
अपडेट  ४८

अब तक आपने पढ़ा..

रॉनी- पता है पायल.. मैंने कब कहा ये बुरा है.. अब अपने भाई की बात नहीं मानोगी क्या.. जाओ चेंज कर लो ना प्लीज़ मेरे लिए..
पायल- ओके भाई अभी करती हूँ.. तब तक आप भी रेडी हो जाओ।

पायल वहाँ से वापस अपने कमरे में चली गई और बड़बड़ाने लगी।
पायल- उहह कितना अच्छा ड्रेस था.. मगर रॉनी भाई भी ना बस कोई लड़का मुझे घूरेगा.. ये सोच कर चेंज करने को बोल दिया.. अजीब सी उलझन है एक भाई मुझे ब्रा-पैन्टी में देख चुका है और दूसरा थोड़ा सा भी ओपन नहीं देख सकता।

अब आगे..
पायल ऐसे ही बड़बड़ाती हुई चेंज करने लगी। अब उसने फुल स्लीव का ब्लू टॉप जो एक जैकेट टाइप था.. यानि गले पर 3 बटन थे और ब्लैक लॉन्ग स्कर्ट पहना था.. वो बहुत प्यारी लग रही थी।
उधर रॉनी भी रेडी हो गया था मगर पुनीत अभी तक आया ही नहीं था.. तो रॉनी ने उसको फ़ोन लगाया.. तो पुनीत ने कहा वो 5 मिनट में आ रहा है तुम दोनों रेडी हो जाओ।



रॉनी ने उसको बता दिया वो लोग रेडी हैं तुम जल्दी आ जाओ। उसके बाद रॉनी नीचे चला गया.. उसके पीछे-पीछे पायल भी आ गई।

रॉनी- वाउ अब लग रही हो ना किसी परी के जैसे.. आओ यहाँ बैठ जाओ पुनीत बस आता ही होगा..
पायल- ओह्ह.. थैंक्स भाई, ये भाई कब का गया है.. मुझे तो कहा था जल्दी रेडी हो जाना.. मगर खुद देर कर रहा है।
रॉनी- अरे आ जाएगा.. तब तक हम यहाँ बैठकर बातें करते है ना..

काका- बिटिया आपको कुछ चाहिए क्या.. बताओ तो ला दूँ?
पायल- हाँ काका.. रात को हम बाहर खाकर आएँगे.. आप मॉम को बता देना.. और अभी हम दोनों के लिए जूस बना दो.. ठीक है ना भाई?
रॉनी- हाँ ठीक है.. पी लेंगे.. वैसे भी तुम कहो और मैं ना कह दूँ.. यह कभी हो सकता है क्या?

काका ने जल्दी ही दोनों के लिए जूस तैयार कर दिया। तभी पुनीत भी वहाँ आ गया और ‘बस 5 मिनट में आया..’ कहकर अपने कमरे में चला गया।
पायल और रॉनी वैसे ही बैठे बातें करते रहे.. कुछ देर बाद पुनीत भी आ गया और वो तीनों क्लब के लिए एक साथ घर से निकल गए।

कुछ देर बाद वो वहाँ पहुँच गए और पुनीत ने वहाँ अपने कुछ खास दोस्तों से पायल को मिलवाया.. जिनमें टोनी और उसके दोस्त भी थे।
शुरू के 20 मिनट तो बस ऐसे ही मिलना मिलाना चलता रहा। उसके बाद सन्नी ने टोनी को इशारा किया कि आगे के प्लान को अंजाम दे।

वैसे आपको याद तो होगा ही.. सन्नी ने रॉनी और पुनीत को कोई आइडिया बताया था.. वो अब अंजाम में आ रहा है। आप खुद देख कर समझ जाओगे।

टोनी- अरे यार यहाँ ऐसे कब तक खड़े रहोगे.. चलो कुछ खेल खेलते हैं.. वैसे पायल तुमको क्या पसन्द है बताओ?
पायल- अरे यहाँ तो बहुत से खेल हैं कुछ भी खेल लो.. मुझे क्या पूछना वैसे आप हमेशा क्या खेलते हो.. आज भी वही खेल लो..
रॉनी- अरे पायल तुम कौन सा रोज यहाँ आती हो। आज तुम्हारी पसन्द का खेल खेलेंगे.. वैसे तो हम सब कार्ड खेल खेलते हैं।
पायल- ओह्ह.. रियली.. वैसे आप को पता है ना.. मुझे भी ये खेल पसन्द है..

टोनी- ओहो.. तब तो कोई प्राब्लम ही नहीं है.. चलो सब मिलकर खेलेंगे..
सन्नी- हाँ पायल.. आज तुम हमारी टीम में हो.. बड़ा मज़ा आएगा..
टोनी- हैलो सन्नी भाई ये टीम क्या है.. सब अलग-अलग खेलेंगे.. वो सामने देखो बड़ी टेबल पर.. चलो सब अपना-अपना खेल खेलो.. ओके..
पुनीत- हाँ यही सही रहेगा.. आज तो सब को कंगल बना कर ही जाएँगे हम..

खेल शुरू हो गया.. सब हँसी-ख़ुशी खेल खेलने लगे.. मगर पायल को फिर वही बेचैनी शुरू हो गई.. उसका जिस्म जलने लगा।
पुनीत सबसे अच्छा खेल रहा था.. सब उसके सामने फीके पड़ रहे थे। एक-दो राउंड पायल ने भी जीते.. मगर उसका मन अब खेल में नहीं था। उसको ये फुल स्लीव के कपड़े चुभने लगे थे, वो इधर-उधर देखने लगी थी।

सन्नी समझ गया कि गोली अपना काम कर रही है.. उसने टोनी को इशारा कर दिया कि आगे क्या करना है।

टोनी- यार पुनीत तुम तो जीतते ही जा रहे हो.. लगता है आज सारा माल तुम लेके जाओगे..
पुनीत- मैंने कहा था ना.. मुझसे पंगा मत लेना… अब देख तू मेरा कमाल.. आगे-आगे क्या होता है..

टोनी- अच्छा इतना ही भरोसा है खुद पर.. तो तुम्हारे फार्म वाले खेल के लिए पायल को साथ ले आ.. तब मानूँगा तुझे पक्का खिलाड़ी..
रॉनी- ये बकवास कर रहे हो तुम टोनी.. वो हमारे बीच की बात है। उसमें मेरी बहन को बीच में क्यों ला रहे हो तुम??
पायल- कैसा खेल भाई.. मुझे बताओ.. मैं तैयार हूँ। आप पर मुझे पूरा भरोसा है।
पुनीत- नहीं पायल.. तुम्हें कुछ नहीं पता.. तुम चुप रहो, वो हम लड़कों का खेल है।

पायल- नहीं भाई कुछ तो बात है.. ये टोनी ने मेरा नाम क्यों लिया?
सन्नी- अरे पायल.. वो वहाँ हर बार हम लड़की लेके जाते हैं.. मतलब पार्ट्नर बना के.. इस बार कुछ चेंज है तो ये पागल टोनी ने तुम्हारा नाम ले लिया।
पायल- तो इसमें गलत क्या है.. मैं भी तो एक लड़की हूँ.. नहीं भाई आप इसका चैलेन्ज एक्सेप्ट कर लो।
रॉनी- पायल.. नहीं तुम वहाँ नहीं जा सकती.. समझो बात को..

टोनी- अरे क्या रॉनी.. तुम बीच में क्यों बोल रहे हो.. पुनीत को बोलने दो ना.. वैसे तो ये बहुत कहता रहता है। पुनीत खन्ना ने जो एक बार कह दिया.. वो कह दिया..
पायल- हैलो प्लीज़.. आप बुरा मत मानना.. मगर ये सच है मेरा भाई कोई ऐसा-वैसा नहीं है.. आज मैं कहती हूँ हम फार्म पर खेल खेलने जाएँगे। यह पायल खन्ना की ज़ुबान है.. जो मेरे भाई से कम नहीं है।

पायल की इस बात पर सबके चेहरों पर हल्की सी मुस्कान आ गई थी उनका प्लान कामयाब हो गया था। मगर ये आधा प्लान था.. बाकी का आधा अब पुनीत को पूरा करना है। मगर यहाँ नहीं वो बाद में इसे अंजाम देगा।

पुनीत- पायल तुमने जल्दबाज़ी कर दी.. पहले मुझसे तो पूछती..
पायल- नहीं भाई.. यह हमारी इज़्ज़त का सवाल था.. अब जो होगा देखा जाएगा.. आप बस ‘हाँ’ कह दो।
पुनीत- ओके ठीक है.. अबकी बार पायल वहाँ जाएगी.. तुम भी अपनी बहन को ले आना समझे?
टोनी- ठीक है यार.. अब जो होगा देखा जाएगा.. इसी बात पर हो जाए एक राउंड और..

खेल फिर से शुरू हो गया। अब पायल की बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी.. सन्नी ने इस बात को नोट कर लिया और टोनी को वहाँ से जाने का इशारा कर दिया। यह उनके दूसरे प्लान का हिस्सा है.. जो सुबह उन्होंने बनाया था।

टोनी ने बाथरूम का बहाना बनाया और वहाँ से निकल गया.. बाकी सब खेलते रहे।
कुछ देर बाद पायल खड़ी हो गई।
पायल वहाँ से उठ कर बाहर खुली हवा में आ गई और मौके का फायदा उठा कर टोनी भी उसके पीछे बाहर आ गया।

रॉनी- अरे क्या हुआ पायल.. बैठो मज़ा आ रहा है।
पायल- नहीं भाई आप लोग खेलो.. मुझे थोड़ी घबराहट हो रही है.. मैं खुली हवा में जाती हूँ।
पुनीत- अरे क्या हुआ.. अगर तबीयत ठीक नहीं है तो घर चलें हम?
पायल- अरे नहीं नहीं.. ऐसा कुछ नहीं.. बस थोड़ी खुली हवा में जाऊँगी तो ठीक हो जाऊँगी.. आप खेलो में अभी वापस आ जाऊँगी।

पायल वहाँ से उठ कर बाहर खुली हवा में आ गई और मौके का फायदा उठा कर टोनी भी उसके पीछे बाहर आ गया।

टोनी- अरे क्या हुआ पायल.. तुम बाहर क्यों आ गई? अन्दर मज़ा आ रहा था.. वैसे आप भी अच्छा खेल लेती हो। लगता है पहले भी खेली हुई हो।
पायल- अरे ऐसे ही थोड़ी घबराहट हो रही थी.. इसलिए आ गई और हाँ हम लोग हॉस्टल में खूब खेलते थे।
टोनी- ओह्ह.. अच्छा ये बात है.. वैसे यहाँ इतना मज़ा नहीं आता.. फार्म पर जो मज़ा आता है।

पायल- अच्छा वैसे फार्म पर पैसों से ही खेलते हैं या कुछ और चीज से?
टोनी- सॉरी यार.. बुरा मत मानना, यह सवाल तुम पुनीत से पूछ लेना.. तो अच्छा रहेगा..
पायल- क्यों कोई खास बात है क्या?
टोनी- हाँ बहुत खास बात है.. अच्छा ये जाने दो.. क्या तुम सनडे को पार्टी में आ रही हो?
पायल- सनडे को कौन सी पार्टी.. मुझे कुछ नहीं पता?

टोनी- वहाँ खूब मज़ा आता है.. सब नाचते-गाते हैं.. मस्ती करते हैं.. कसम से ऐसी पार्टी रोज होनी चाहिए।
पायल- ओह्ह.. रियली.. मैं भी आऊँगी.. मगर भाई ने कुछ बताया नहीं..
टोनी- ओह्ह.. सॉरी यार.. मैंने तुमको बता दिया.. प्लीज़ तुम अपने भाई को मत कहना कि ये सब मैंने बताया..
पायल- अरे इतना डर क्यों रहे हो पार्टी ही तो है..

टोनी- सॉरी यार मगर ये कोई नॉर्मल पार्टी नहीं है।
पायल- तो कैसी पार्टी है.. मुझे बताओ वरना मैं भाई को बता दूँगी कि तुमने मुझे बताया है?

टोनी ने अपना नाटक शुरू किया कि वो अपने भाई को ना बताए और उसने पार्टी के बारे में विस्तार से पायल को सब कुछ बता दिया।
पायल- ओह्ह.. तो ये बात है.. मेरे भाई अकेले-अकेले मज़ा लेना चाहते हैं। वैसे अच्छा किया तुमने मुझे बता दिया कि आज ही एंट्री लेनी होगी.. अब देखती हूँ मेरे भाई कैसे मुझे मना करते हैं।

बातों के दौरान पायल की आँख में नशा छाने लगा था.. उसकी वासना बढ़ने लगी थी। कपड़े तो जैसे उसको ऐसे लग रहे थे जैसे फुल गर्मी में किसी ने उसको स्वेटर पहना दिया हो।
My threads:- Kuch Nahi Tere Bin || लवली फ़ोन सेक्स || Meri Behnen Meri Jindagi || "neha sexy" Ki Sexy Kahaniyan (Pyari Mausi) || ये गलत है (भाई-बहन का प्यार) || बॉलीवुड हीरोइनों की सेक्स स्टोरीज
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#62
08-04-2018, 01:59 PM
अपडेट  ४९

अब तक आपने पढ़ा..

टोनी ने अपना नाटक शुरू किया कि वो अपने भाई को ना बताए और उसने पार्टी के बारे में विस्तार से पायल को सब कुछ बता दिया।
पायल- ओह्ह.. तो ये बात है.. मेरे भाई अकेले-अकेले मज़ा लेना चाहते हैं। वैसे अच्छा किया तुमने मुझे बता दिया कि आज ही एंट्री लेनी होगी.. अब देखती हूँ मेरे भाई कैसे मुझे मना करते हैं।
बातों के दौरान पायल की आँख में नशा छाने लगा था.. उसकी वासना बढ़ने लगी थी। कपड़े तो जैसे उसको ऐसे लग रहे थे जैसे फुल गर्मी में किसी ने उसको स्वेटर पहना दिया हो।

अब आगे..
पायल- उफ्फ.. कितनी गर्मी है.. ये कपड़े भी काटने को दौड़ रहे हैं।
पायल ने टॉप के ऊपर के 2 बटन खोल दिए.. उसके मम्मों की हल्की झलक टोनी को दिखने लग गई थी। यह नज़ारा देख कर उसका मन डोलने लग गया था।



टोनी- क्या हुआ पायल.. सब ठीक तो है ना.. मैं कुछ हेल्प करूँ?
पायल- पता नहीं क्या हो रहा है.. गर्मी लग रही है.. एक अजीब सा दर्द सता रहा है मुझे..

वो इन्हीं बातों के दौरान अपने होंठ पर जीभ घुमा रही थी.. बहुत सेक्सी अदा के साथ वो अपने हाथ अपने गले से लेकर पेट तक मसल रही थी।

टोनी से रहा नहीं गया.. उसने डरते हुए अपना हाथ पायल के मम्मों पर रख दिया।
टोनी- यहाँ दर्द हो रहा है क्या?


पायल कुछ कहती उसके पहले सन्नी वहाँ आ गया और उसने झटके से टोनी का हाथ वहाँ से हटा दिया।
सन्नी- टोनी ये क्या कर रहे हो?
टोनी- क्क्क..कुछ नहीं भाई.. पायल को घबराहट हो रही है तो बस..
सन्नी- चुप रहो तुम.. लो पायल ये नींबू-पानी पी लो.. आराम मिलेगा..

पायल ने सन्नी के हाथ से गिलास लिया और एक झटके में पूरा गिलास गटक गई, तब जाकर उसको थोड़ा सुकून मिला।
सन्नी- अब कैसा महसूस हो रहा है तुम्हें?
पायल- हाँ अब थोड़ा ठीक है..

सन्नी- ऐसा करो वो सामने वॉशरूम है.. वहाँ जाकर थोड़ी फ्रेश हो जाओ.. अच्छा लगेगा..
पायल वहाँ से चली गई तो सन्नी गुस्से से टोनी को घूरने लगा।
टोनी- क्या हुआ भाई ऐसे गुस्से में क्यों घूर रहे हो.. आपने जैसा कहा था मैंने उसको बता दिया।

सन्नी- कुत्ता है तू साला कुत्ता.. जहाँ बोटी देखी नहीं.. कि लार टपकाना शुरू.. मैंने सिर्फ़ बात करने को कहा था, उसके मम्मों को दबाने को नहीं कहा था..
टोनी- अरे सॉरी भाई.. वो नजारा देख के माइंड हिल गया.. कंट्रोल नहीं हुआ मेरे से..

सन्नी- तेरे चक्कर में अभी सारा किया कराया बेकार हो जाता। यह तो अच्छा हुआ पुनीत ने मुझे बाहर पायल को देखने भेज दिया। अब जल्दी से अन्दर जाकर बैठ जा.. नहीं उनको शक हो जाएगा।

टोनी- भाई सॉरी.. वैसे ये गोली तो बहुत ख़तरनाक है.. सीधी-साधी लड़की को रंडी बना दिया। वैसे हमारा काम तो हो गया इसका माइंड ब्लॉक करके हमने खेल के लिए ‘हाँ’ करवा ली.. अब ये सेक्स की आग में जल रही है.. कहीं अपने भाई के सामने ही ना नंगी हो जाए हा हा हा हा।

सन्नी- इसका टेन्शन तू मत ले.. जैसे में नशा चढ़ाना जानता हूँ.. वैसे ही उतारना भी मुझे आता है.. अभी नीबू जूस दिया ना.. समझ ले उसका माइंड ठिकाने आ गया.. अब जा तू अन्दर..।

टोनी वहाँ से अन्दर चला गया। पुनीत के पूछने पर उसने बहाना बना दिया और हाँ ये भी कहा कि अभी आने के समय गेट के बाहर पायल को देखा.. उसके पास गया.. तभी सन्नी भी पायल के लिए नींबू जूस लेकर आ गया था।

रॉनी- भाई अब ये खेल बन्द करो.. पायल की तबीयत ठीक नहीं लगती.. चलो घर चलते हैं।
पुनीत- अरे सन्नी ने जूस दे दिया ना.. अब सब ठीक हो जाएगा। पायल को ऐसे बाहर रहने की आदत नहीं है ना.. तो थोड़ी घबरा जाती है।
रॉनी- वो तो ठीक है.. यहाँ से बुलबुल भी जाना है.. एंट्री के लिए..
पुनीत- हाँ तो क्या हुआ.. वहाँ भी चले जाएँगे ना..

रॉनी- आप कुछ समझते ही नहीं.. पहले पायल को घर छोड़ देंगे.. उसके बाद वापस आ जाएँगे। वैसे भी फार्म पर लास्ट बार बियर को मुँह से लगाया था.. आज मौका है.. थोड़ा गला गीला कर लेते हैं।

पुनीत- तू पागल है.. पहले घर जाएगा बाद में वापस आएगा.. हम यहाँ से बियर साथ ले लेंगे। वैसे भी पायल को पता है.. हम ड्रिंक करते हैं और रही बात एंट्री की.. तो बुलबुल के बाहर गाड़ी रोक कर पायल को कह देंगे.. तुम यहाँ बैठो हम अभी आते हैं। एंट्री में कितना समय लगता है। उसके बाद घर पर दोनों तेरे रूम में आराम से पिएँगे।
रॉनी- जैसा तुम ठीक समझो भाई.. वैसे ये पायल अभी तक आई नहीं.. मैं देख कर आता हूँ।
पुनीत- अरे क्यों इतना टेन्शन लेता है। मैंने सन्नी को भेजा है ना.. वो उसको ले आएगा.. तू बैठ आराम से चल.. तेरी बारी आ गई है।

रॉनी बुझे मन से वापस बैठ गया और खेल खेलने लगा। कुछ ही देर में सन्नी और पायल भी अन्दर आ गए और अपनी जगह बैठ गए।
टोनी- अब कैसी तबीयत है पायल?
रॉनी- तू अपनी चाल पर ध्यान दे.. वो ठीक है.. ज़्यादा स्मार्ट मत बन..
टोनी- अरे यार मैंने बस ऐसे ही पूछा.. तू इतना भड़क क्यों रहा है?

पायल- हे कूल गाइस.. ऐसे झगड़ा मत करो.. और प्लीज़ अब अपना ये खेल बन्द करो.. बहुत समय हो गया है मुझे बड़े जोरों की भूख भी लगी है।
रॉनी- हाँ मैं भी कब से यही कह रहा हूँ.. मगर भाई तो खेल में एक बार बैठ जाएं.. तो उठने का नाम ही नहीं लेते।

पुनीत- बस बस ये लास्ट राउंड है.. उसके बाद जाएँगे.. मेरी प्यारी बहन को अच्छे से होटल में लेकर जाएँगे.. खाना खाएँगे.. उसके बाद सीधे घर.. क्यों ठीक है ना पायल?
पायल- जैसा आपको ठीक लगे भाई.. वैसे भी आपकी बात में कैसे टाल सकती हूँ.. मगर आप भी याद रखना.. कभी मेरी बात को इग्नोर मत करना।
पुनीत- अरे नहीं करूँगा मेरी प्यारी बहना.. चलो भाई खेल ओवर.. अब हम जाते हैं।

सन्नी- मैं भी तुम्हारे साथ ही चलता हूँ.. इसी बहाने पायल के साथ थोड़ा वक़्त भी बिता लूँगा। एक-दो बार बस घर पर देखा था इसे.. तब तो बहुत चुप-चुप रहती थी मगर आज तो एकदम फ्रेंडली लग रही है।

सब उठकर बाहर जाने लगे.. इस दौरान कुछ देर के लिए पायल और टोनी साथ हो गए।
टोनी- आई एम सॉरी पायल.. वो मैंने बाहर तुम्हारे साथ बदतमीज़ी की।
पायल- क्या किया तुमने.. मुझे तो कुछ याद नहीं..

टोनी समझ गया कि उस समय शायद पायल पर नशा कुछ ज़्यादा हावी था.. तो उसने उस बात पर गौर नहीं किया और वैसे भी कुछ पल के लिए ही उसने मम्मों को टच किया था.. तभी सन्नी आ गया था।
टोनी- ओह्ह.. कुछ नहीं.. मजाक कर रहा था मैं.. तो ओके.. बाइ.. फिर मिलेंगे..

इसके बाद टोनी अलग हो गया और वो चारों एक साथ गाड़ी में एक होटल गए। वहाँ खाने का ऑर्डर दिया और बातें करने लगे।

पुनीत- अरे यार हमारा तो दूसरा प्रोग्राम था ना.. अब क्या करें?
रॉनी- उसको कैन्सिल कर दो.. अब खाना खाओ और जाकर सो जाओ।
सन्नी- अरे भाई क्या प्रोग्राम था.. कोई मुझे भी बताएगा?
पुनीत- अरे यार कुछ नहीं थोड़ा बियर पीने का मूड था लेकिन पायल साथ है तो ठीक नहीं लग रहा।

पायल- भाई प्लीज़ मेरी वजह से अपना मूड खराब मत करो.. वैसे भी मुझे पता है आप कई बार ड्रिंक करके घर आते हो.. शुक्र मनाओ.. मॉम का.. जो वो आपको बचा लेती हैं.. नहीं पापा तो पता नहीं क्या करते..
पुनीत- ओह्ह.. थैंक्स माय स्वीट सिस्टर अब यही खाने के साथ थोड़ी सी लगा लेते हैं.. क्यों रॉनी सही है ना?

रॉनी- अब पायल ने कहा है.. तो मना कैसे कर सकते हैं.. हो जाए क्यों सन्नी.. तुम्हारा क्या इरादा है?
सन्नी- ये भी कोई पूछने की बात है.. पायल तुम्हारे लिए कोई जूस ऑर्डर कर दूँ?
पायल- हाँ मैं तो खाने के साथ जूस ही लेती हूँ।

पुनीत ने खाने के साथ ड्रिंक का ऑर्डर भी दे दिया और वो सब बातें करने लगे। इस दौरान सन्नी किसी बहाने कुछ देर के लिए उनसे अलग हुआ ताकि अपने शैतानी दिमाग़ का इस्तेमाल कर सके।

थोड़ी देर बाद सब टेबल पर खाना खा रहे थे। इन तीनों ने पहले थोड़ी ड्रिंक ली उसके बाद खाना खाया।
पायल तो जूस के साथ ही खाना खा रही थी.. जिसमें सन्नी ने दोबारा गोली मिला दी थी।

खाने के बाद वो बुलबुल के सामने जाकर रुक गए।
पुनीत- चलो भाई रॉनी जो काम अधूरा है.. पूरा कर आते हैं।
पायल- कहाँ जा रहे हो भाई?
पुनीत- अरे बस अभी गए.. और अभी वापस आए.. तुम यहाँ बैठो और सन्नी भी तो यहीं है ना..
पायल- नहीं जहाँ आप जा रहे हो.. मुझे भी साथ जाना है..
रॉनी- अरे पायल बस 2 मिनट की तो बात है.. यहीं बैठो ना तुम..

पायल- मैंने कहा ना.. मुझे आपके साथ आना है।
पुनीत- अरे यार ये क्या ज़िद हुई?
पायल- अगर अब ना कहा ना.. वरना आज के बाद मैं तुम दोनों से बात नहीं करूँगी.. देख लेना हाँ..
रॉनी- भाई अब पायल को नाराज़ भी नहीं कर सकते.. हम ऐसा करते है हम भी नहीं जाते.. चलो घर चलो..
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09-04-2018, 08:21 PM
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अब तक आपने पढ़ा..

पायल- नहीं जहाँ आप जा रहे हो.. मुझे भी साथ जाना है..
रॉनी- अरे पायल बस 2 मिनट की तो बात है.. यहीं बैठो ना तुम..
पायल- मैंने कहा ना.. मुझे आपके साथ आना है।
पुनीत- अरे यार ये क्या ज़िद हुई..?
पायल- अगर अब ना कहा ना.. वरना आज के बाद मैं तुम दोनों से बात नहीं करूँगी.. देख लेना हाँ..
रॉनी- भाई अब पायल को नाराज़ भी नहीं कर सकते.. हम ऐसा करते है हम भी नहीं जाते.. चलो घर चलो..

अब आगे..



रॉनी की बात सुनकर सन्नी बस उसके चेहरे की ओर देखने लगा.. जैसे उसके किए कराए पर वो पानी फेरना चाहता हो.. मगर हमारा ईडियट पुनीत जो साथ है.. वो कहाँ ये होने देगा। ये भी सन्नी को पता था.. उसने इशारे से पुनीत को कहा कि कुछ बोलो.. ये क्या कह रहा है?

पुनीत- नहीं.. हम घर नहीं जाएँगे और पायल मेरी बात सुनो.. रविवार को यहाँ एक पार्टी है.. हम बस उसकी एंट्री लेने जा रहे हैं।
पायल- ओह्ह.. वाउ.. पार्टी है.. मैं भी आऊँगी आपके साथ.. मज़ा आएगा।
रॉनी- पायल वो पार्टी.. तुम्हारे लायक नहीं है.. यहाँ जूस नहीं बियर.. रम.. वोदका.. ये सब पीना पड़ेगा और भी बहुत कुछ होगा यहाँ..
पायल- तो क्या हुआ.. थोड़ा पी लूँगी.. मगर आपके साथ आऊँगी जरूर..

मतलब गोली अपना असर शुरू करने लगी थी.. अब पायल का दिमाग़ उसके काबू में नहीं था.. उसके जिस्म में वही बेचैनी शुरू हो गई थी।
पुनीत- अगर तुम्हारी यही मर्ज़ी है.. तो चलो आ जाओ.. तुम्हारी भी एंट्री करवा देते हैं।
रॉनी- भाई ये क्या बात हुई.. अब आप यहाँ भी पायल को लेकर जाओगे?

पुनीत- अरे इसमें क्या बुराई है.. और भी तो लड़कियां आएँगी ना यहाँ.. और वैसे भी जब पायल ने खुद फार्म पर गेम के लिए ‘हाँ’ कह दी है.. तो ये तो उसके सामने छोटी सी बात है।
रॉनी- वो भी आपकी वजह से ही सब हुआ है.. मगर इसका अंजाम बहुत बुरा होगा.. ये खेल परिवार की इज़्ज़त से बढ़कर नहीं है।
पुनीत- अरे यार लगता है.. तुझे चढ़ गई है.. तो बहुत जज्बाती हो रहा है.. जस्ट चिल यार.. अब चलो..

पायल और पुनीत के समझाने पर रॉनी मान गया.. तीनों साथ में अन्दर गए.. अपनी एंट्री करवाई और आ गए।
सन्नी ने पहले ही अपनी और बाकी दोस्तों की एंट्री करवा दी थी।
वहाँ से निकल कर वो घर की तरफ़ जाने लगे। रास्ते में सन्नी को उसके घर छोड़ दिया और आगे निकल गए।
दोस्तो, ये अपने घर पहुँचे.. तब तक सन्नी के बारे में कुछ जान लो..

शुरू से आप बस सन्नी का नाम सुन रहे हो.. मगर इसके घर में अभी तक हमने कोई चर्चा नहीं की.. तो आज हम सब जानकारी कर लेते हैं।

सन्नी एक अच्छे परिवार से है.. मगर ये यहाँ दिल्ली का नहीं है.. इसका पूरा परिवार पंजाब में है। ये स्टडी के लिए दिल्ली आया था.. उसके बाद यहीं का होकर रह गया। इसने यहाँ अलग-अलग एरिया में बहुत से कमरे और फ्लैट्स किराए पर लिए हुए हैं। इसकी एक बहुत खास वजह है.. जो अभी नहीं बता सकती हूँ। वो आपको आगे पता चल जाएगी। मगर इस बात का पता इसके किसी दोस्त को नहीं है.. सब यही समझते हैं कि ये यहाँ अपने पापा के काम के लिए रहता है। उनका भी प्रॉपर्टी का धन्धा है। जिस घर के पास पुनीत ने इसको छोड़ा है.. यही इसका घर है.. जहाँ कुछ नौकर हैं बस.. इसके अलावा ये यहाँ अकेला ही रहता है।

चलो अब ये बात यहीं ख़त्म करो.. आगे सब समझ जाओगे।

वो तीनों घर पहुँच गए और अपने-अपने कमरों में चले गए।

पायल कमरे में गई और पूरे कपड़े निकाल कर फेंक दिए.. तब जाकर उसको सुकून आया। मगर जब उसने देखा कि कमरे में तो एसी है ही नहीं.. तो उसके होंठों पर एक मुस्कान आ गई। उसने अपने बैग से हेयर रिमूवर लिया और वो बाथरूम में चली गई। वहाँ जाकर अपने हाथ पैर के साथ चूत पर भी क्रीम लगा ली। वैसे कुछ दिन पहले ही उसने बाल साफ किए थे.. मगर पता नहीं आज उसके मन में क्या बात थी कि वो बड़े आराम से बाल साफ करने लगी और बड़बड़ाने लगी।

पायल- भाई आपने तो मुझे पागल बना दिया है.. आज तो मैं आपके लंड को देख कर ही रहूँगी।
पायल ने चूत की सफ़ाई की.. उसके बाद नहाने में मस्त हो गई।

उधर वो दोनों भी अपने कपड़े चेंज करके सोने की तैयारी में लग गए।
कुछ देर बाद रॉनी को कुछ याद आया तो वो कमरे से निकला और पायल के कमरे की तरफ़ चला गया।

दरवाजे पर दस्तक करके रॉनी ने पायल को आवाज़ दी।
उस वक्त पायल बाथरूम से बाहर निकली ही थी, उसने सिर्फ़ तौलिया लपेटा हुआ था।

पायल- कौन है?
रॉनी- मैं हूँ पायल.. मुझे तुमसे एक बात कहनी थी।
पायल- दरवाजा खुला है भाई.. आ जाओ।

रॉनी जब अन्दर गया तो वो पिंक तौलिया में पायल के गोरे जिस्म को बस देखता ही रह गया। वो बहुत प्यारी और सेक्सी लग रही थी.. मगर रॉनी ने जल्दी से अपनी नजरें उसके जिस्म से हटा लीं।

रॉनी- अरे कपड़े तो पहन लेतीं.. ऐसे तौलिये में क्यों खड़ी हो?
पायल- अरे अभी तो नहा कर निकली हूँ.. इतने में आप आ गए।
रॉनी- अरे तो मुझे बोल देतीं.. मैं बाहर वेट कर लेता।

पायल- अब जाने भी दो भाई.. जो कहना है.. कहो.. ऐसे बहस से क्या होगा.. ऐसे ही टाइम खराब करेंगे क्या?
रॉनी- अच्छा सुन.. तू बड़े पापा को आज की बात के बारे में मत बताना और आज के बाद जो भी हम करेंगे.. जहाँ भी जाएँगे.. वो सब हमारे बीच ही रखना.. नहीं तुम जानती हो ना.. क्या हो सकता है?
पायल- हा हा हा भाई.. आप भी ना बहुत भोले हो.. ऐसी बातें बताई जाती है क्या.. और वैसे भी अब हम फ्रेण्ड हैं.. तो ये राज हमारे बीच ही रहेगा।

रॉनी बार-बार पायल के जिस्म को देख रहा था.. मगर उसकी हिम्मत नहीं हो पाई कि वो खुल कर कुछ देखे या ऐसा हो सकता है कि उसके अन्दर का भाई उसे ये सब करने से रोक रहा हो..
रॉनी- ओह्ह.. थैंक्स.. तुमने तो मेरी टेंशन ख़त्म कर दी.. पता नहीं मैं क्या क्या सोच रहा था.. ओके अब सो जाओ गुड नाईट।
पायल- ओके भाई गुड नाईट..
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10-04-2018, 02:50 PM
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अब तक आपने पढ़ा..

पायल- हा हा हा भाई.. आप भी ना बहुत भोले हो.. ऐसी बातें बताई जाती है क्या.. और वैसे भी अब हम फ्रेण्ड हैं.. तो ये राज हमारे बीच ही रहेगा।
रॉनी बार-बार पायल के जिस्म को देख रहा था.. मगर उसकी हिम्मत नहीं हो पाई कि वो खुल कर कुछ देखे या ऐसा हो सकता है कि उसके अन्दर का भाई उसे ये सब करने से रोक रहा हो..
रॉनी- ओह्ह.. थैंक्स.. तुमने तो मेरी टेंशन ख़त्म कर दी.. पता नहीं मैं क्या क्या सोच रहा था.. ओके अब सो जाओ गुड नाईट।
पायल- ओके भाई गुड नाईट..

अब आगे..


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रॉनी के वहाँ से जाने के बाद पायल मुस्कुराने लगी, वो बुदबुदाई- भाई आप भी बहुत सीधे हो ये बातें तो कुछ भी नहीं.. अब आगे-आगे देखो.. क्या होता है.. और वैसे भी आपका तो पता नहीं.. मगर मेरी नाइट जरूर आज गुड होने वाली है।

पायल के दिमाग़ में वासना का जन्म हो गया था.. वो कुछ सोच कर मुस्कुरा रही थी। रॉनी के जाने के बाद उसने अपने बाल पोंछे और सिर्फ़ एक शॉर्ट नाइटी पहन ली.. उसके अन्दर उसने जानबूझ कर कुछ नहीं पहना और धीरे से अपने कमरे से निकल कर पुनीत के कमरे के पास चली गई।
पहले उसने सोचा कि दस्तक दूँ.. मगर बाद में सीधे अन्दर चली गई।

तब तक पुनीत ने लाइट ऑफ कर दी थी और सिर्फ़ बरमूडा पहने बिस्तर पर लेटा हुआ था।
दरवाजा खुलने से वो सीधा हुआ..
पुनीत- कौन है वहाँ..?
पायल- भाई मैं हूँ और कौन होगा?
पुनीत- अरे पायल तुम.. रूको मैं लाइट जलाता हूँ।
पायल- नहीं नहीं.. भाई.. रहने दो..

पुनीत कुछ कहता.. तब तक पायल बिस्तर पर आकर बैठ गई थी।
पुनीत- क्या हुआ.. क्या तुम्हें नींद नहीं आ रही है?

पायल- कैसे आएगी.. कमरे में एसी कहाँ है।
पुनीत- क्या..? उसने शाम को लाने का कहा था.. लाया नहीं वो..? अभी उसकी खबर लेता हूँ.. ऐसा कैसे किया उसने?
पायल- अरे जाने दो भाई.. कोई प्राब्लम होगी.. तभी नहीं आया.. मैं आपके साथ सो जाऊँगी।
पुनीत- तुझे यहाँ भी नींद कहाँ आएगी.. कल रात में भी तू यहाँ से 5 मिनट में चली गई थी।

पायल- नहीं आज नहीं जाऊँगी.. कल तो एसी था.. हाँ कम ठंडा कर रहा था.. मगर था तो.. आज तो है ही नहीं.. तो जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता और वैसे भी आज मुझे गर्मी कुछ ज़्यादा महसूस हो रही है।
पुनीत- अच्छा कोई बात नहीं.. कल मैं उसकी खबर लेता हूँ।

पायल- अरे जाने दो भाई.. वैसे आज आपने एकदम अंधेरा क्यों किया हुआ है.. नाइट बल्ब भी नहीं जलाया?
पुनीत- बस ऐसे ही.. लाइट से नींद नहीं आ रही थी.. तो मैंने बन्द कर दी।

पायल- ओके.. अच्छा भाई वो फार्म पर किस तरह का खेल होता है? आपने मुझे बताया ही नहीं?
पुनीत- ओह्ह.. कुछ ख़ास नहीं.. अब तुमने ‘हाँ’ कह दी है.. तो तुम्हें वहाँ जाकर पता चल ही जाएगा ना..
पायल- अरे क्या भाई.. आज बता दोगे तो क्या बिगड़ जाएगा.. प्लीज़ प्लीज़.. बताओ ना..
पुनीत- नहीं पायल.. वो बात सुनकर तुम मुझसे नफ़रत करने लगोगी।
पायल- ऐसी क्या बात है भाई.. जो मुझे आपसे नफ़रत करने पर मजबूर कर दे.. अब तो आपको बतानी ही पड़ेगी।

पुनीत- सॉरी पायल.. मैं टोनी की बातों में फँस गया था.. इसलिए इस गेम के लिए ‘हाँ’ कह दी.. मगर तुम घबराओ मत.. हम ही जीतेंगे..
पायल- भाई पहेली मत बुझाओ.. सीधे-सीधे बोलो ना.. क्या बात है?

पुनीत- ये दरअसल त..त..तुमने ‘स्ट्रीप पोकर’ का नाम सुना है ना.. बस कुछ-कुछ वैसा ही है।
स्ट्रीप पोकर का नाम सुनकर पायल की उत्तेजना और बढ़ गई.. मगर वो झूठमूट का नाटक करने लगी।
पायल- ओह्ह.. ओह माय गॉड.. भाई वहाँ सब कपड़े निकालेंगे क्या?
पुनीत- नहीं सब नहीं.. बस तुम और टोनी की बहन कोमल..
पायल- क्या.. सिर्फ़ हम दोनों.. और बाकी सब नहीं.. ऐसा क्यों..? मुझे जरा ठीक से समझाओ भाई।

पुनीत ने पूरी बात पायल को विस्तार से बताई.. मगर चुदाई वाली बात नहीं बताई। वो जानता था कि ऐसी गंदी बात पायल बर्दाश्त नहीं कर पाएगी।

पायल- नहीं नहीं भाई.. मैं वहाँ नहीं जाऊँगी.. ऐसे सबके सामने नंगा होना छी:.. छी:.. आपने मेरे बारे में ये सब सोच भी कैसे लिया?
पायल की ‘ना’ सुनकर पुनीत की गाण्ड फट गई। उसको लगा कि अब उसका खेल ख़त्म हो गया है.. पायल तो गुस्सा हो गई।
पुनीत- अरे सॉरी पायल… मगर त..त..तुम मेरी बात तो सुनो.. ऐसा कुछ नहीं होगा.. मैं एक भी राउंड नहीं हारूंगा प्लीज़ तुम.. ना मत कहो।

पायल अंधेरे का फायदा उठा कर पुनीत के एकदम करीब आ गई और अपना सर पुनीत के सीने पर रख दिया।
पायल- मैं जानती हूँ भाई.. आप नहीं हारोगे.. मगर ऐसे गेम का क्या भरोसा अगर आप हार गए.. तो सब मेरे जिस्म को देखेंगे.. नहीं नहीं..

पायल कुछ इस तरह पुनीत से लिपटी हुई थी कि उसका सर सीने पर और नंगी टांगें पुनीत की जाँघ पर थीं।
पुनीत- अरे कुछ नहीं होगा.. और वैसे भी तू ही तो कहती है.. तुम एक मॉर्डन लड़की हो और मेरे सामने कैसे ब्रा-पैन्टी में आ गई थीं। बस ऐसा समझो एक राउंड हार भी गया.. तो ज़्यादा से ज़्यादा सब तुम्हें ब्रा और पैन्टी में देख लेंगे.. प्लीज़ यार ना मत कहो.. अब ये हम दोनों की इज़्ज़त का सवाल है।

पायल अब पुनीत के सीने पर हाथ घुमाते हुए बोली- भाई, आपके सामने तो मैं बिना कपड़ों के भी आ जाऊँ.. तो घर की बात घर में रहेगी.. मगर ऐसे सबके सामने आना.. मुझे तो सोच कर ही बहुत शर्म आ रही है..
पुनीत- अच्छा मेरे सामने बिना कपड़ों के आएगी.. तब शर्म नहीं आएगी?

पुनीत अब वासना के जाल में फँस रहा था। पायल का स्पर्श.. उसका हाथ घुमाना.. उसको अच्छा लग रहा था, उसके लंड में अकड़न शुरू हो गई थी। तभी तो उसके मुँह से ऐसी बात निकल पड़ी।

पायल तो वैसे भी अपने होश में नहीं थी, पुनीत की बात सीधे उसकी चूत पर लगी यानि उसकी चूत ये सोच कर गीली हो गई कि पुनीत के सामने जब वो नंगी होगी.. तो क्या होगा?
पायल- आपके सामने तो अभी नंगी हो जाऊँ.. बस एक बार बोल के तो देखो..

पुनीत- पायल सच बताओ.. आजकल तुम्हें क्या हो गया है? ऐसी बातें क्यों करने लगी हो तुम? मैं तुम्हारा भाई हूँ मगर तुम मुझसे ऐसे चिपकी हुई हो.. जैसे मैं तुम्हारा ब्वॉयफ्रेण्ड होऊँ.. ये सब क्या चल रहा है?

पायल- भाई आप लड़के भी तो हो ना.. और ऐसे हैण्डसम लड़के के लिए तो लड़कियां लाइन लगा के खड़ी रहती हैं और मेरी किस्मत तो अच्छी है.. जो सीधे आप मिल गए भाई.. सच्ची आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो..
पुनीत- सच में.. तुम्हें इतना अच्छा लगता हूँ क्या?
पायल- हाँ भाई सच्ची मेरे दिल की धड़कनें तो आपके बारे में सोच कर ही बढ़ जाती हैं।
पुनीत- चल पगली.. कुछ भी बोलती है..

पायल ने पुनीत का हाथ अपने सीने पर रख कर दबा दिया और बड़े प्यार से कहा आप खुद देख लो।

नाइटी के अन्दर उसने कुछ नहीं पहना था। उसके मस्त मम्मों और पुनीत के हाथों के बीच बस पतला सा नाइटी का कपड़ा था। इस अहसास से ही पुनीत की धड़कनें बढ़ गईं.. वो हाथ हटाना चाहता था.. मगर पायल ने उसके हाथ को अपने हाथ से दबाया था।
पायल- देखो भाई.. कैसे मेरी धड़कनें तेज चल रही हैं।
पुनीत- हाँ ये तो बहुत तेज है.. अब अपना हाथ हटाओ।
पायल- रहने दो ना भाई.. मुझे अच्छा लग रहा है।

पायल अब मस्ती के मूड में आ गई थी और पुनीत का भी ईमान कुछ-कुछ बिगड़ गया था।
पुनीत- अच्छा पायल रहने देता हूँ.. मगर एक बात तो बता.. वहाँ हॉस्टल में तुम कुछ करती थीं क्या.. जो इतनी फास्ट हो गई हो?
पायल- आपके कहने का क्या मतलब है भाई.. मेरी समझ के बाहर है?

पुनीत अब धीरे-धीरे पायल के मम्मों को उंगली से सहलाने लगा था। उसको ऐसा करने से मज़ा आ रहा था।
पुनीत- कुछ नहीं जाने दे.. तू नहीं समझेगी.. वैसे तुम आजकल बहुत सेक्सी हो गई हो..

पायल ने अपना हाथ धीरे से हटा लिया था। अब पुनीत उसके मम्मों से आराम से खेल रहा था।

पायल- अच्छा ये बात है.. सेक्सी हरकतें आप कर रहे हो.. और सेक्सी मुझे बता रहे हो।
पुनीत समझ गया और जल्दी से उसने अपना हाथ मम्मों से हटा दिया।

पायल- अरे रहने दो ना भाई.. मुझे अच्छा लग रहा था.. मैं तो बस मजाक कर रही थी.. आप तो नाराज़ हो गए?
पुनीत- देखो पायल.. ये गलत है.. हम भाई-बहन हैं.. जैसा तुम सोच रही हो वैसा नहीं हो सकता।

पायल- क्या गलत है भाई.. और वैसे भी मैंने अब तक कुछ नहीं सोचा.. हाँ इतना जरूर है कि हम एक-दूसरे की जरूरत को पूरा कर सकते हैं.. इसमें कुछ गलत नहीं है।
पुनीत- पायल मानता हूँ तुम बड़ी हो गई हो.. तुम्हारे जिस्म की जरूरतें हैं मगर मैं ही क्यों?

पायल- भाई आप तो जानते ही हो.. मेरा कोई ब्वॉयफ्रेण्ड नहीं है और इतनी जल्दी कोई बनेगा भी नहीं.. वैसे भी हम आपस में एक-दूसरे को समझ सकते हैं.. मैं किसी और पर भरोसा नहीं कर सकती। प्लीज़ आप मान जाओ ना..

इतना कहकर पायल एकदम से पुनीत के सीने पर आ गई। उसके मम्मे अब पुनीत के सीने में धँस रहे थे.. उसकी गर्म साँसें पुनीत की साँसों से मिल रही थी।
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11-04-2018, 03:56 PM
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अब तक आपने पढ़ा..

पुनीत- पायल मानता हूँ तुम बड़ी हो गई हो.. तुम्हारे जिस्म की जरूरतें हैं मगर मैं ही क्यों.?
पायल- भाई आप तो जानते ही हो.. मेरा कोई ब्वॉयफ्रेण्ड नहीं है और इतनी जल्दी कोई बनेगा भी नहीं.. वैसे भी हम आपस में एक-दूसरे को समझ सकते हैं.. मैं किसी और पर भरोसा नहीं कर सकती। प्लीज़ आप मान जाओ ना..
इतना कहकर पायल एकदम से पुनीत के सीने पर आ गई। उसके मम्मे अब पुनीत के सीने में धँस रहे थे.. उसकी गर्म साँसें पुनीत की साँसों से मिल रही थी।

अब आगे..



अब पुनीत इस सेक्स की हूर के प्रकोप से कहाँ तक अपने आपको बचा सकता था।

वैसे तो वो पक्का चोदूमल था.. मगर वो कहावत है ना.. डायन भी एक घर छोड़ती है। अब यह चुदासी हो रही पायल तो उसकी अपनी सग़ी बहन थी.. वो कैसे अपनी बहन चोद सकता था, मगर होनी को कौन टाल सकता है और वो तब जब पायल जैसी सेक्स बम्ब खुद चलकर कहे कि आओ अपनी बहन चोद दो… मुझे फोड़ दो.. एकदम नामुमकिन सी बात है।

पुनीत का जिस्म भी अब गर्म होने लगा था, पायल की साँसों की महक उसको अच्छी लग रही थी, उसका मन तो बहुत किया कि अभी उसके होंठों का पूरा रस पी जाए.. मगर थोड़ा सी हिचक अब भी उसके मन में थी।
पायल- भाई.. अब क्या सोच रहे हो.. एक लड़की आपके इतने करीब है.. आपका मन नहीं करता.. उसको कुछ करने का.. किस करने का?


पायल अब पूरी तरह से पुनीत के ऊपर चढ़ गई थी। उसकी नंगी चूत बरमूडे में तने पुनीत के लंड से टच हो रही थी। जिसका अहसास पुनीत को भी हो रहा था।
अब पुनीत की सहन करने बर्दाश्त दम तोड़ गई थी.. उसने पायल की पीठ पर हाथ रखे और सहलाने लगा.. उसके थिरकते होंठों पर धीरे से अपने होंठ लगा दिए।

पायल तो जैसे बरसों की प्यासी थी। उसने फ़ौरन उसके होंठों को मुँह में लिया और चूसने लगी। अब पुनीत भी कहाँ पीछे रहने वाला था.. वो भी शुरू हो गया अब दोनों की चूमाचाटी शुरू हो गई।
लगभग 5 मिनट तक दोनों एक-दूसरे के होंठों का रस पीते रहे।
अब कमरे का माहौल गर्म हो गया था।

पुनीत ने पायल को अपने ऊपर से नीचे उतारा और खुद उसके ऊपर आ गया। अब उसका लौड़ा बरमूडा में तना हुआ था और पायल की चूत से सटा हुआ था।

पुनीत- ओह्ह.. पायल.. ये तूने क्या कर दिया.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा.. अब मैं तुम्हें खा जाऊँगा।
पायल- तो रोका किसने है.. मेरे भाई.. खा जाओ आज अपनी बहन को.. आह.. बना लो मुझे आपकी महबूबा..

पुनीत- ऐसे नहीं पायल.. रूको मुझे लाइट ऑन करने दो.. तुम्हारे जिस्म को कपड़ों में देख कर ही मैं सोचता रहता था कि मेरी बहन इस दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की है.. आज अपने हाथों से तेरे एक-एक कपड़े को उतार कर.. मैं तेरे जिस्म का दीदार करना चाहता हूँ.. तेरे जिस्म को अपने होंठों से चूमना चाहता हूँ।

पायल- ओह्ह.. भाई.. ऐसी बातें ना करो.. मुझे शर्म आ रही है.. पहले ऐसे ही प्यार कर लो.. बाद में देख लेना मेरे जिस्म को.. जितना चाहो चूम लेना..
पुनीत- नहीं पायल.. तुम अभी कच्ची कली हो.. मैं इसी रूप में तुमको देखना चाहता हूँ.. उसके बाद तुम्हें इतना प्यार करूँगा कि तुम एक खिला हुआ गुलाब बन जाओगी।
पायल- ठीक है भाई.. जैसा आप चाहते हो.. वैसा ही होगा.. जला दो लाइट.. कर लो अपना अरमान पूरा..

पुनीत ने एक पल की भी देर नहीं की और लाइट चालू कर दी और पायल को उस सेक्सी नाइटी में देख कर उसकी वासना और भड़क गई।

पुनीत- ओह्ह.. पायल तुम सच में सेक्स की देवी हो.. इस ड्रेस में तुम क़ातिल हसीना लग रही हो।
पायल- भाई यह रूप किस काम का जो आपको तड़पा रहा है.. आ जाओ.. मिटा लो अपनी प्यास.. मेरे इस जलते हुए जिस्म से..

पुनीत- नहीं पायल.. तुम अगर मेरी गर्ल फ्रेण्ड होती.. तो शायद अब तक मैं तुम्हें जन्नत की सैर करा देता.. मगर तुम मेरी सग़ी बहन हो और दुनिया में शायद ही किसी भाई को तुम जैसी सेक्सी बहन को ऐसे देखने का मौका मिलता होगा। पहले मैं तुम्हारे इस यौवन को जी भर के देख तो लूँ.. सच में जब से तुमने मेरे सामने उस दुकानदार को अपना साइज़ बताया था.. तब से मेरी नज़र बार-बार तुम्हारे इन रसीले मम्मों पर ही अटक जाती है। आज इन्हें खुली आँखों से देखना चाहता हूँ।

पायल- ओह्ह..ससस्स भाई.. देर किस बात की है.. आ जाओ ना.. पी जाओ इनका सारा रस आह..
पुनीत ने पायल का हाथ पकड़ कर उसको बेड से नीचे उतार लिया और उसे इधर-उधर चलने को कहा।
पायल गाण्ड को मटकाती हुई कमरे में चलने लगी.. जैसे कोई मॉडल हो।

पुनीत- उफ़फ्फ़.. ये क़ातिल अदाएं कहीं मेरी जान ना ले लें.. तेरी ये ठुमकती गाण्ड तो बहुत ही लचीली है.. कैसे ठुमक रही है.. जैसे मेरे लौड़े को बुला रही है कि आ जाओ.. घुस जाओ.. उफ़.. पायल आज तुम्हारा ये रूप देख कर मेरा लौड़ा बेकाबू हो रहा है.. आ जाओ मेरी बाँहों में समा जाओ..

पायल शर्माती हुई पुनीत से लिपट गई और पुनीत उसकी गर्दन को चूमने लगा उसके कान को हल्के से दाँतों से काटने लगा।
पायल- उफ़फ्फ़.. कककक.. भाई प्लीज़ मत तड़पाओ ना.. आह.. ये प्यार बाद में कर लेना.. पहले अपनी बहन की प्यास तो बुझा दो।

पुनीत उससे अलग हुआ और उसने पायल की नाइटी निकाल कर एक तरफ़ फेंक दी और उसका नंगा जिस्म देख कर वो पागल सा हो गया। पायल के निप्पल उत्तेजना से एकदम कड़क हो गए थे उसकी चूत रिसने लगी थी।

पायल- उफ़फ्फ़ भाई.. मुझे तो आपने नंगा कर दिया.. आप अपना बरमूडा कब निकालोगे.. आह.. मुझे आपका लंड देखना है.. इसस्स.. आह.. प्लीज़..

पुनीत को थोड़ी हैरानी हो रही थी कि पायल कितनी आसानी से लंड का नाम ले रही थी.. जैसे बहुत पक्की चुदक्कड़ हो। उसको एक बार तो शक भी हुआ कि कहीं पायल पहले किसी से चुदवाई हुई तो नहीं.. जो इतनी बिंदास बोल रही है। मगर उसको क्या पता ये सब गोली का कमाल है।

पुनीत- अरे तुमने अन्दर कुछ भी नहीं पहना.. ये क्या सितम कर दिया.. मैं तुम्हारे एक-एक कपड़े को अपने हाथों से निकालना चाहता था।
पायल- वो सब फिर कभी कर लेना.. प्लीज़ अब बातें बन्द करो.. मुझे मत तड़पाओ.. मेरे सब्र का बाँध टूट रहा है भाई..

इतना कहकर पायल नीचे बैठ गई और एक झटके से पुनीत का बरमूडा खींच कर निकाल दिया, पुनीत का 7″ का लौड़ा झटके से आज़ाद हो गया.. जो पायल के मुँह के एकदम करीब था।

पायल- ओह्ह.. वाउ भाई मेरी कब से तमन्ना थी.. आपके लौड़े को देखने की.. इसे टच करके ही मुझे कितना मज़ा आया था.. आज चूसके तो पता नहीं कितना मज़ा आएगा।

पायल की बात पुनीत की समझ के बाहर थी कि उसने इसे कब टच किया था.. मगर ये वक़्त सवाल जबाव का नहीं.. मज़े लेने का था।
पुनीत- चूस ले मेरी बहना जान.. अब तुम्हारे सामने खड़ा है.. मज़े लेकर चूस और देख कैसा है तेरे भाई का लौड़ा और उसका रस..

पायल ने जल्दी से सुपारे को मुँह में ले लिया और मज़े से चूसने लगी.. जैसे पता नहीं वो लंड के रस को पीने के लिए कितने सालों से प्यासी हो।
पुनीत- उफ़फ्फ़ आह.. मज़ा आ गया आह.. ऐसे ही चूस आह..

पायल पागलों की तरह अपने भाई के लौड़े को पूरा मुँह में लेकर चूसने लगी, हाथ से उसकी गोटियों को सहलाने लगी।
पुनीत- आह..इसस्स.. बस कर जान.. पानी निकाल कर दम लेगी क्या.. आह.. आह..।

पायल ने लौड़ा मुँह से निकाला और सेक्सी स्माइल देते हुए कहा- आह.. भाई.. मैं जानती हूँ आप बहुत गर्म हो गए हो.. आपका लंड किसी भी पल पानी फेंक देगा.. ऐसे में मेरी प्यास अधूरी रह जाएगी। इसलिए पहले इसे मेरे मुँह में ठंडा करूँगी उसके बाद दोबारा तैयार करके अपनी आग बुझाऊँगी।

पुनीत- आह.. ऐसी बात है.. तो चूस आह.. मेरी जान.. मज़ा आ रहा है.. चूस ले.. ज़ोर से.. आह.. पूरा ले आह्ह..
पायल फुल स्पीड से लौड़े को मुँह में अन्दर-बाहर करने लगी।
अब पुनीत के लौड़े की नसें फूलने लगी थीं.. वो झड़ने के करीब था.. तो उसने पायल के सर को कसके पकड़ लिया और स्पीड से लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा।

पायल का दम घुटने लगा.. उसकी आँखें लाल हो गईं.. आँखों में आँसू आ गए। तभी पुनीत के लौड़े से पिचकारी उसके मुँह में गिरी.. उसने पुनीत को ज़ोर से धक्का दिया और लौड़ा मुँह से निकल गया, मगर तब तक पुनीत का रस पूरा उसके मुँह में आ गया था।
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12-04-2018, 02:03 PM
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अब तक आपने पढ़ा..

पायल फुल स्पीड से लौड़े को मुँह में अन्दर-बाहर करने लगी। अब पुनीत के लौड़े की नसें फूलने लगी थीं.. वो झड़ने के करीब था.. तो उसने पायल के सर को कसके पकड़ लिया और स्पीड से लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा।
पायल का दम घुटने लगा.. उसकी आँखें लाल हो गईं.. आँखों में आँसू आ गए। तभी पुनीत के लौड़े से पिचकारी उसके मुँह में गिरी.. उसने पुनीत को ज़ोर से धक्का दिया और लौड़ा मुँह से निकल गया। मगर तब तक पुनीत का रस पूरा उसके मुँह में आ गया था।

अब आगे..



पायल तेज़ी से उठी और बाथरूम की ओर भागी.. जल्दी से सारा लंड रस थूका और पानी से मुँह साफ किया।
पुनीत- अरे क्या हुआ पायल.. तुम ठीक तो हो ना?

पायल थोड़ी गुस्से में बाथरूम से बाहर निकली.. उसकी आँखें लाल थीं।
पायल- उफ़.. क्या भाई.. मेरी जान लेने का इरादा था क्या.. सांस ही नहीं ले पा रही थी.. और आप दनादन मेरे मुँह को चोदे जा रहे थे।
पुनीत- ओह्ह.. सॉरी यार.. जोश में पता ही नहीं लगा.. वैसे तुम्हारा मुँह ही किसी टाइट चूत से कम नहीं था। अब मुँह ऐसा है.. तो तेरी चूत क्या कमाल की होगी.. उफ़फ्फ़ आज तो मैं सारी रात तेरे साथ मज़ा करूँगा।
पायल- मज़े के लिए ही तो मैं तड़प रही हूँ.. अब जल्दी से मेरी चूत की आग मिटा दो भाई।

पुनीत- तू बिस्तर पर लेट जा.. देख कैसे मैं तेरे जिस्म को चाट कर मज़ा देता हूँ। पहले दरवाजा बन्द तो कर दूँ कहीं कोई आ गया.. तो गड़बड़ हो जाएगी..

पायल- ओह्ह.. शिट.. हम कब से मस्ती कर रहे हैं अगर कोई आ जाता तो.. जल्दी बन्द करो भाई.. और प्लीज़ जल्दी कुछ करो.. मेरी आग बढ़ती ही जा रही है।

पायल बिस्तर पर सीधी लेट गई और पुनीत दरवाजा बन्द करके उसके ऊपर कुत्ते की तरह टूट पड़ा, उसकी मदमस्त चूचियां दबाने लगा.. निप्पलों को चूसने लगा।
पायल- सस्स भाई.. आह.. अब मैं आपकी ही हूँ.. ये सब बाद में कर लेना.. आह.. पहले मेरी चूत को चाटो.. आह.. बहुत दर्द हो रहा है.. तड़प रही है ये.. आह.. उईईइ आह.. प्लीज़ भाई..

पायल की बेकरारी देख कर पुनीत उसकी टाँगों के दरमियान लेट गया और जब उसकी नज़रें पायल की बन्द चूत पर गई उसकी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। अब तक उसके मन में शक था कि कहीं पायल पहले से चुदी हुई तो नहीं है.. मगर अब उसको यकीन हो गया कि इसकी तो फाँकें बहुत टाइट चिपकी हुई हैं। बस इसी ख़ुशी में वो चूत को होंठों में दबा कर चूसने लगा।

पायल तड़फती और सिसकती रही और पुनीत मज़े से उसकी चूत को चाट-चाट कर मज़ा लेता रहा। अपनी जीभ की नोक से वो पायल की चूत के छोटे से सुराख को चोदने लगा।

पायल- आह..कककक.. भाई.. आह.. मज़ा आ रहा है.. उफ़फ्फ़ नहीं आआई.. ज़ोर से चाटो.. आह.. भाई उफ़फ्फ़.. मैं गई.. आह.. न्न्न..नहीं आह.. भाई आईईईई..इ
पायल का बाँध टूट गया, वो कमर हिला-हिला कर झड़ने लगी और पुनीत ऐसे चूत रस को चाटने लगा कि एक बूँद भी नीचे ना गिर जाए।

दो मिनट तक पुनीत अच्छे से चूत को चाट कर साफ करता रहा।
अब पायल शान्त हो कर लेट गई थी।
पुनीत अब उसके बगल में आकर लेट गया और दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे।
पुनीत- मज़ा आ गया पायल, सच्ची तेरा रस तो बहुत टेस्टी था।

पायल- सच्ची.. मुझे तो आपके रस से उल्टी सी आई.. तभी तो भाग कर गई थी थूकने.. वैसे भाई आपने मज़ा बहुत दिया.. कैसे चूसते हो आप.. मज़ा आ गया मुझे तो.. उफ़.. मुझे तो अब जाकर सुकून मिला है।

पुनीत- तू इतनी सेक्सी होगी.. मैंने सपने में भी नहीं सोचा था.. तेरे ये मम्मे कैसे नुकीले हैं और कितने कड़क भी हैं.. आज तो इनको खा ही जाऊँगा मैं..

पायल- भाई सच बताऊँ.. कल रात को आपके लंड को टच किया.. तो बस एक करंट सा लगा था.. मैंने तभी सोच लिया था.. कि अब तो कुछ भी हो जाए.. इसको देखना ही है.. इसका मज़ा लेना ही है और देखो आज ये मेरी मुठ्ठी में है.. ओह्ह.. क्या लुत्फ़ आ रहा है..

पुनीत का हाथ पायल के मम्मों को सहलाने में बिज़ी था.. तो वहीं पायल उसके लंड को हाथ से दबा कर मज़ा ले रही थी।
पुनीत- क्या कल रात को तुमने ‘मेरा’ पकड़ा था.. मगर मुझे तो पता भी नहीं चला।

पायल ने रात की सारी बात उसको बताई और सुबह उसका रस देख कर वो वहाँ से गई।
यह जान कर पुनीत थोड़ा शरमिंदा हुआ.. मगर पायल की रात की हरकत के बाद वो तो होना ही था। यह सोच कर वो नॉर्मल हो गया।

पुनीत- चुसाई में तो मज़ा आ गया.. अब आगे भी करना है या बस?
पायल- जब इतना सब हो ही गया.. तो चुदाई तक करते हैं ना.. और वैसे भी इस चुसाई से ना आप संतुष्ट हुए.. ना ही मैं.. तो क्यों ना आज आप मेरी सील तोड़ कर मुझे लड़की से औरत बना दो.. और चुदने का लाइसेन्स दे दो हा हा हा..

पुनीत- बहुत बदमाश हो गई है तू.. ऐसे मानेगी नहीं.. मगर क्या तुझे पता है.. सील ऐसे ही नहीं टूटेगी.. बहुत दर्द होगा तू सह पाएगी?
पायल- आज नहीं तो कल.. मेरी चूत की चुदाई तो होगी ही.. तो अब इस खेल का पूरा मज़ा लेकर ही रहूँगी.. दर्द चाहे कितना भी हो जाए.. आप बस आज मेरी सील तोड़ ही दो।

पुनीत- यार एक बात तो बता.. तू पहले तो ऐसी नहीं थी.. अब ऐसा क्या हो गया.. जो इतनी बिंदास हो गई?
पायल- पता नहीं भाई.. ये सब कल रात ही मेरे दिमाग़ में आया और मैंने आपके लंड को पकड़ा और बस आज आपके सामने हूँ… मगर जो भी हुआ अच्छा हुआ। किसी और से करने से अच्छा है कि आप ही मुझे मज़े दो ताकि घर की बात घर में रहे।

पुनीत- अच्छा ये बात है.. इसका मतलब तुम मुझे बहनचोद बना कर ही दम लोगी? तो ठीक है आज तुम्हें छोड़ कर ऐसा मज़ा दूँगा कि बस तुम रोज मेरे पास आ जाओगी..
पायल- अच्छा.. ये बात है.. तो ठीक है आ जाओ.. दिखा दो अपनी पॉवर..
पुनीत- बस थोड़ा सा वेट करो.. मैं बाथरूम जाकर आता हूँ.. उसके बाद अपना चुदाई का प्रोग्राम शुरू करेंगे ताकि बीच में कोई रुकावट ना आए..
पायल- ओके भाई.. जैसा आप चाहो जाओ और जल्दी आ जाना..

पुनीत बाथरूम चला गया और पायल वहीं लेटी हुई आने वाले पल को सोच कर मुस्कुराने लगी।

दोस्तो, यहाँ प्रोग्राम शुरू होने में थोड़ा टाइम लगेगा। तब तक हम लोग गाँव की सैर कर आते हैं।

अर्जुन को दोबारा मौका ही नहीं मिला कि वो मुनिया के साथ कुछ कर सके.. क्योंकि मुनिया को अचानक तेज बुखार हो गया था.. इसलिए अब अर्जुन अपनी प्यास मिटाने निधि के घर की तरफ़ चला गया। मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था.. जब वो छुपते-छुपाते निधि के घर के पास गया.. तो अन्दर से रोने की आवाज़ सुनकर वो घबरा गया कि आख़िर अचानक यह क्या हो गया है।

अर्जुन जल्दी से दरवाजे के पास गया और आवाज़ लगाई- क्या हो गया.. ऐसे सब रो क्यों रहे हो?
निधि ने जल्दी से दरवाजा खोला।
अर्जुन- अरे क्या हुआ..? मैं यहाँ से जा रहा था.. तो रोने की आवाज़ सुनकर रुक गया। कोई बताएगा मुझे.. यहाँ हुआ क्या है?
निधि- अर्जुन उउउ उउउहह.. मेरे भैया उउउ.. देखो ना उउ…

घर में सभी रो रहे थे.. मगर कोई ठीक से नहीं बता रहा था। अर्जुन समझ गया कि हो ना हो निधि के भाई ने कुछ किया है.. मगर ऐसा क्या किया जो सब ऐसे रो रहे हैं।
अर्जुन- ओह्ह.. कोई ठीक से बताएगा?

अर्जुन के सवालों का जबाव निधि के बापू ने दिया कि ज़्यादा शराब पीने से उसके बेटे का लीवर ख़त्म हो गया है.. आज शाम से बहुत हालत खराब है.. गाँव के डॉक्टर ने जबाव दे दिया और ये भी कहा कि कल सुबह तक शहर ले जाओगे तो ये बच जाएगा.. नहीं तो ये मर जाएगा। अब जैसा भी है आख़िर है तो मेरा बेटा ही.. अब क्या करें.. कैसे इसको शहर लेकर जाएं.. घर में कौन रहेगा.. कुछ समझ नहीं आ रहा..

अर्जुन ने समझाया- अरे चाचा.. मैं किस दिन काम आऊँगा.. मैं लेकर जाऊँगा इसको..

बस फिर क्या था आनन-फानन में अर्जुन ने भाभी को साथ चलने का कह दिया कि वहाँ वो अकेला कैसे सब संभाल पाएगा और निधि ने भी ज़िद की.. कि वो भी साथ जाएगी.. तो बस फैसला हो गया।
अर्जुन रातों-रात जाने का बंदोबस्त करने चला गया।

अब यहाँ का ट्विस्ट कल समझ आ जाएगा। इनको शहर आने दो.. सब खेल समझ जाओगे। चलो पुनीत को देख आते हैं वो अब तक आ गया होगा।

पुनीत जब बाहर आया तो पायल को देख कर हैरान हो गया। वो सब देख कर उसकी आँखें फट गईं.. बदन में अजीब सी हलचल शुरू हो गई और उसका लौड़ा धीरे-धीरे अकड़ना शुरू हो गया।
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#67
20-04-2018, 04:58 PM (This post was last modified: 20-04-2018, 04:58 PM by honey boy.)
अपडेट  ५४

भाई ने बहन की चूत की सील खोली

अब तक आपने पढ़ा..

बस फिर क्या था आनन-फानन में अर्जुन ने भाभी को साथ चलने का कह दिया कि वहाँ वो अकेला कैसे सब संभाल पाएगा और निधि ने भी ज़िद की.. कि वो भी साथ जाएगी.. तो बस फैसला हो गया। अर्जुन रातों-रात जाने का बंदोबस्त करने चला गया।
अब यहाँ का ट्विस्ट कल समझ आ जाएगा। इनको शहर आने दो.. सब खेल समझ जाओगे। चलो पुनीत को देख आते हैं वो अब तक आ गया होगा।
पुनीत जब बाहर आया तो पायल को देख कर हैरान हो गया। वो सब देख कर उसकी आँखें फट गईं.. बदन में अजीब सी हलचल शुरू हो गई और उसका लौड़ा धीरे-धीरे अकड़ना शुरू हो गया।

अब आगे..

पायल बिस्तर पर आँखें बन्द किए हुए सीधी लेटी हुई थी.. उसके पैर मुड़े हुए और ऐसे फैले हुए थे.. जैसे चुदाई के वक़्त किसी रण्डी के होते हैं। वो कमर को ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थी और बड़बड़ा रही थी- आह सस्स आह.. भाई.. चोदो.. आह.. पूरा डाल दो.. आह.. फाड़ दो मेरी चूत को.. आह.. उई.. मज़ा आ रहा है..

पुनीत धीरे से बिस्तर पर चढ़ गया और पायल की टाँगों के बीच बैठ गया। जैसे ही उसने लौड़ा चूत पर सैट किया.. पायल ने आँखें खोल दीं और अपनी हरकत पर शर्मा गई।

पायल ने जल्दी से करवट ली और अपना मुँह हाथों से छुपा लिया।

पुनीत- अरे क्या हुआ.. शर्मा क्यों रही हो.. मुझे नहीं पता था मेरी गुड्डी की चूत में इतनी आग लगी है.. नहीं तो कब का.. मैं अपने लौड़े से इसकी आग को मिटा देता..
पायल- क्या भाई, आप चुपके से क्यों आ गए.. जाओ अब मैं आपसे बात नहीं करती..
पुनीत- अरे मेरी जान.. ये शर्माना छोड़ो.. जो अकेले-अकेले कर रही थी ना.. अब मेरे साथ करो.. तो तुमको ज़्यादा मज़ा आएगा।

पायल- भाई आपको मेरे मम्मे अच्छे लगते हैं ना.. अब इनका रस पीलो.. मुझे प्यार दो.. मेरे जिस्म को नोंच डालो.. मैं तैयार हूँ.. आपके प्यार को पाने के लिए.. उसके बाद अपने लंड से मेरी चूत को ठंडा करना..
पुनीत- मेरी जान.. कसम से तू ऐसी क़यामत होगी.. मैंने सोचा भी नहीं था। अब तू अपने भाई का कमाल देख.. कैसे तेरी वासना को मिटाता है।

पुनीत अब पायल के मम्मों को दबाने लगा और पायल के मुँह में अपनी जीभ डाल कर उसको मज़ा देने लगा। कभी वो पायल के मम्मों को चूसता.. कभी निप्पल पर जीभ घुमाता.. बेचारी वो तो पहले से बहुत गर्म थी, अब पुनीत उसको और गर्म करने लगा था।

कुछ देर ये चलता रहा.. उसके बाद पायल सिसकारियाँ लेती हुई बोली- उफ़फ्फ़ भाई.. आह.. मेरी चूत की आग मिटा दो.. आह.. फाड़ दो इसे.. बहुत इसस्स स्स.. परेशान कर रही है.. आह.. भाई कुछ करो आह..

पुनीत ने चूत को चाटने का आसन बदला और 69 की अवस्था में आकर वो पायल की चूत चाटने लगा। इधर प्यासी पायल लौड़े को कुल्फी समझ कर चाटने लगी।
दोनों कुछ देर तक ये खेल खेलते रहे। अब पुनीत के भी बस के बाहर हो गया था। वो बैठ गया.. उसने पायल की टांगें फैला दीं और चूत पर उंगली घुमाने लगा।

पायल- आह..इससस्स.. भाई.. घुसा दो आह…. अब बस बर्दास्त नहीं होता भाई.. उफफफ्फ़..
पुनीत उंगली से चूत को खोलने की कोशिश करने लगा.. पर चूत बहुत टाइट थी। उसने थोड़ी सी उंगली चूत के अन्दर डाली.. तो पायल ज़ोर से उछली।
पायल- आअऊच भाई.. आराम से उफ़.. दुखता है ना..

पुनीत- अरे ये क्या पायल.. तुमने आज तक अपनी चूत में उंगली भी नहीं डाली.. इतना सा दर्द से नहीं पा रही हो.. लौड़ा जाएगा तो कैसे सह पाओगी?
पायल- आह.. पता नहीं भाई.. मगर जैसे भी डालना है.. अब डाल दो.. मेरे सर में दर्द होने लगा है.. एक अजीब सा भारीपन मुझे महसूस हो रहा है.. पता नहीं मुझे क्या हो रहा है… मेरी चूत में बहुत खुजली होने लगी है। अब तो आप डाल ही दो बस..

पुनीत- ठीक है पायल.. अब मेरा लौड़ा भी बहुत अकड़ कर दर्द करने लगा है। अब तो इसको चूत की गर्मी ही ठंडा कर सकती है।
पायल- भाई प्लीज़.. जरा आहिस्ते से पेलना.. ये मेरा पहली बार है।
पुनीत- तू फिकर मत कर मेरी जान.. तेरा पहली बार है.. मगर मैंने बहुत सी चूतें खोली हैं.. मैं सब जानता हूँ कि कैसे करना है.. और तू तो मेरी प्यारी बहन है.. तुझे थोड़ी ज़्यादा तकलीफ़ दूँगा।

पायल- ओह्ह.. रियली.. मुझे तो कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि आप ऐसे होंगे मगर आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले..
पुनीत- अरे तुझे कैसे पता होगा.. तू कौन सा यहाँ रहती है.. चल अब बातें बन्द कर.. पैर ठीक से फैला.. ताकि तेरी चूत की आज ओपनिंग कर दूँ।

पायल ने घुटने मोड़ कर पैर फैला लिए.. जिससे उसकी चूत थोड़ी सी खुल गई, पुनीत ने टेबल से आयली क्रीम ले ली और अपने लौड़े पर अच्छे से लगा ली।
पायल- क्या कर रहे हो भाई..
पुनीत- अरे लौड़े पर क्रीम लगा के चिकना कर रहा हूँ ताकि आराम से फिसलता हुआ अन्दर घुस जाए.. इससे तुझे तकलीफ़ कम होगी.. समझी..
पायल- ओह्ह.. थैंक्स भाई.. आप मेरी कितनी फिकर करते हो..

पुनीत ने थोड़ी क्रीम पायल की चूत पर भी लगाई.. थोड़ी उंगली से चूत के अन्दर भी लगाई।
पायल- आह.. आराम से भाई.. कहीं नाख़ून ना लग जाए..

पुनीत अब कुछ बोलने के मूड में नहीं था उसने लौड़े को चूत पर सैट किया और धीरे-धीरे दबाव बनाने लगा.. मगर चिकनाई से लौड़ा ऊपर को फिसल गया। पायल की चूत बहुत टाइट थी.. उसका सुपारा भी अन्दर नहीं घुस पा रहा था। मगर पुनीत कोई कच्चा खिलाड़ी नहीं था.. उसने उंगली से चूत को थोड़ा सा खोला और सुपारा अन्दर फँसा दिया और धीरे-धीरे दबाव बनाने लगा।

पायल- आह.. भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. उफ़फ्फ़.. जरा आराम से.. डालना.. आह्ह.. आपका बहुत मोटा है.. ओह्ह.. गॉड.. मेरी जान निकल जाएगी.. इस दर्द से.. आह.. भाई आह..
पुनीत- अरे अभी डाला कहाँ है.. बस लंड का टोपा चूत में फँसाया है मैंने.. अब तू दाँत भींच ले.. बस एक बार दर्द होगा.. उसके बाद हमेशा के लिए मज़े ही मज़े।

पायल ने बिस्तर की चादर को कस के पकड़ लिया और डर से अपनी आँखें बन्द कर लीं..
पुनीत को पता था दर्द के कारण पायल शोर करेगी, वो उसी अवस्था में उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठों पर जोरदार किस शुरू कर दी।
पुनीत अब लौड़े पर दबाव बनाता जा रहा था.. धीरे-धीरे उसका सुपारा अन्दर घुसने लगा और दर्द के कारण पायल का बदन मचलने लगा।

पायल की टाइट चूत में लौड़ा घुसना आसान नहीं था। अब पुनीत को थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ रहा था और पायल की सील ऐसे प्यार से टूटने वाली थी नहीं.. तो पुनीत ने एक झटका मारा, इस प्रहार से 3″ लौड़ा चूत की सील तोड़ता हुआ अन्दर चला गया।

पायल को दर्द की एक तेज लहर जिस्म में होने लगी। उसकी चीख निकली.. मगर पुनीत के होंठों के नीचे दब कर रह गई। वो छटपटाने लगी।
पुनीत ने कस कर उसके हाथ पकड़ लिए और लौड़े को दोबारा पीछे किया, अबकी बार का धक्का पहले से ज़्यादा तेज़ था, पूरा लौड़ा झटके से चूत की गहराई में समाता चला गया।


पायल ज़ोर से चिल्लाई.. मगर आवाज़ बाहर कहाँ से आती.. उसका मुँह तो पुनीत ने होंठों से बन्द किया हुआ था।
पुनीत जानता था कि सील टूटने से उसको कितना दर्द हुआ होगा.. क्योंकि उसको यह भी अहसास हो गया था कि पायल की चूत से खून का रिसाव शुरू हो गया.. जो उसके लौड़े से होता हुआ बिस्तर पर गिरने लगा है।

उसने पूरा लौड़ा अन्दर घुसा दिया.. अब वो बिना हिले बस ऊपर लेटा रहा और पायल के होंठ चूसता रहा। पायल की आँखों में आँसू आ रहे थे.. जिसे देख कर पुनीत ने उसके होंठ आज़ाद किए।

पुनीत- सॉरी पायल.. मेरी वजह से तुम्हें कितना दर्द हो रहा है ना..
पायल- आह.. भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह.. आपने पूरा एक साथ क्यों डाल दिया.. आह.. आराम से डालते तो ठीक रहता.. ऑफ.. मेरी चूत फट गई..
पुनीत- नहीं पायल.. धीरे-धीरे डालता.. तो दर्द ज़्यादा होता.. एक ही बार में डालने से एक बार दर्द हुआ। अब तुम्हें आराम से चोदूंगा।

कुछ देर बाद पायल का दर्द कम हुआ तो पुनीत लौड़े को आगे-पीछे करने लगा। दस मिनट तक धीरे-धीरे पुनीत पायल को चोदता रहा। अब पायल का दर्द कम हो गया था और उसको दर्द के साथ मज़ा भी आने लगा था।
पायल- आह सीई.. भाई.. आह.. अब तेज करो ना.. आह.. मेरी चूत जल रही है.. आह.. फक मी ब्रो.. आह.. फक मी..

पुनीत समझ गया कि अब पायल की उत्तेजना चरम पर आ गई है.. तो उसने भी स्पीड बढ़ा दी और ‘दे..दनादन..’ लौड़ा पेलने लगा।

पायल- आह..आईईइ..उफ़फ्फ़.. भाई.. आह.. मज़ा आ रहा है.. आह.. चोदो.. आह.. आज अपनी बहन को चोद कर आह.. आप भी आह.. बहनचोद बन जाओ आह..
पुनीत- उहह उहह.. मेरी जान.. आह.. तेरी चूत बहुत टाइट है.. आह.. ऐसी चूतें मिलती रहें.. तो लौड़े को मज़ा आ जाए.. उफ़.. ले संभाल.. ले..

पुनीत अब स्पीड से चोदने लगा था और पायल भी उछल-उछल कर उसका साथ दे रही थी, दो जवान भाई बहन के जिस्म अब एक हो गए थे।
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21-04-2018, 09:20 PM
अपडेट  ५५

अब तक आपने पढ़ा..

पुनीत समझ गया कि अब पायल की उत्तेजना चरम पर आ गई है.. तो उसने भी स्पीड बढ़ा दी और ‘दे..दनादन..’ लौड़ा पेलने लगा।
पायल- आह.. आईई.. उफ़फ्फ़.. भाई.. आह.. मज़ा आ रहा है.. आह.. चोदो.. आह.. आज अपनी बहन को चोद कर आह.. आप भी आह.. बहनचोद बन जाओ आह..
पुनीत- उहह उहह.. मेरी जान.. आह.. तेरी चूत बहुत टाइट है.. आह.. ऐसी चूतें मिलती रहें.. तो लौड़े को मज़ा आ जाए.. उफ़.. ले संभाल.. ले..
पुनीत अब स्पीड से चोदने लगा था और पायल भी उछल-उछल कर उसका साथ दे रही थी। दो जवान जिस्म अब एक हो गए थे।

अब आगे..



पायल- आह.. फास्ट आह.. और फास्ट भाई मेरी चूत फटने वाली है.. आह.. मैं गई.. आह आई.. उफफ्फ़ सस्सस्स..
पायल की चूत ने लावा उगल दिया और उसी के साथ पुनीत के लौड़े ने भी उसके रस से अपना रस मिला दिया, पायल की कुँवारी चूत पुनीत के रस से भर गई, ये पल पायल को बहुत सुकून दे रहे थे। गर्म रस उसकी चूत को सुकून दे रहा था।
काफ़ी देर तक दोनों एकदम शान्त.. वैसे ही पड़े रहे।

पायल- उफ़फ्फ़ भाई.. अब हटो भी.. मुझे देखने तो दो.. मेरी चूत का आपने क्या हाल किया है.. लगता है आपने मेरी चूत फाड़ ही दी।

पुनीत- अब तुमको ही चुदाई करवानी थी.. चूत में लौड़ा जाएगा तो फटेगी ही ना.. वैसे कुछ भी कहो.. तुम सच में कमाल की हो.. ऐसे हुस्न के साथ आज तक कुँवारी घूम रही हो.. अगर तुम मेरी बहन ना होती.. तो मैं कब का तेरी चूत फाड़ चुका होता।
पायल- अच्छा आपकी मुझ पे इतनी नियत खराब थी क्या?

पुनीत- अरे नहीं.. मैंने कभी ऐसा सोचा भी नहीं.. ये तो बस जब से तुम आई हो और अजीब सी बातें कर रही हो.. तो मेरा मन भी तुम्हारे लिए ऐसा हो गया। वैसे मैंने कंट्रोल बहुत किया.. आख़िर आज तुमने मुझे बहनचोद बनने के लिए मजबूर कर ही दिया।
पायल- ओह्ह.. भाई आई लव यू.. अब हमेशा आप मुझे ऐसे ही प्यार देते रहना।
पुनीत- हाँ मेरी प्यारी पायल.. आज पूरी रात तुम्हें इतना प्यार करूँगा कि बस तुम हमेशा के लिए मेरी हो जाओगी।
पायल- अच्छा कर लेना.. पहले हटो तो सही.. मुझे बाथरूम जाना है।

पुनीत धीरे से एक साइड में हो गया उसका लौड़ा अब मुरझा गया था। उस पर दोनों के रस के साथ पायल की सील टूटने के कारण निकला हुआ खून भी लगा था।
पायल धीरे से बैठ गई और झुक कर जब उसने चूत को देखा।

पायल- ओह्ह.. गॉड.. इतना खून निकलता है पहली चुदाई में.. भाई मेरी चूत पर कितनी सूजन आ गई है.. देखो तो..
पुनीत- अरे डरो मत पायल.. पहली बार है ना.. ऐसा होता है। गर्म पानी से साफ कर लो.. आराम मिलेगा..

पायल जब बिस्तर से उतरने लगी.. उसको चूत में दर्द महसूस हुआ- आह भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. मेरे पैर भी दु:ख रहे हैं और कमर में भी बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है।
पुनीत- आओ मेरी बहना.. मैं तुम्हें बाथरूम तक ले जाता हूँ.. वहाँ अपने हाथों से तुम्हारी चूत को साफ करूँगा ओके..

पायल ने मुस्कुरा के ‘हाँ’ कहा.. तो पुनीत ने उसको सहारा दिया.. वो लंगड़ाती हुई उसके साथ बाथरूम तक गई।
वहाँ जाकर पायल को आराम से नीचे बैठा कर पुनीत गर्म पानी से चूत पर लगा खून साफ करने लगा।
पायल- आह.. आराम से भाई.. दुखता है.. अपने कितना मोटा डंडा.. जो मेरी छोटी सी चूत में घुसा दिया ना..

पुनीत- अरे पायल.. तेरी चूत तो ऐसी थी कि उंगली जाने से भी दर्द कर रही थी। अब मेरा लौड़ा गया है.. तो थोड़ा तो दु:खेगा ही.. पर तुझे अबकी बार ज़्यादा मज़ा आएगा.. देख लेना..
पायल ने भी पुनीत के लौड़े को पानी से साफ किया और प्यार से उसको सहलाने लग गई।
काफ़ी देर तक दोनों एक-दूसरे को साफ करते रहे।

उसके बाद पायल ने कहा- भाई आप जाओ.. मैं थोड़ी देर बाद आती हूँ।
तो पुनीत वहाँ से बाहर आ गया।
बेड पर लेट कर पुनीत अपने लौड़े को देखने लगा और मुस्कुराता हुआ आँखें बन्द करके बिस्तर पर लेट गया।

दोस्तो, पायल जब तक वापस आए.. आपको एक बात बता देती हूँ.. सन्नी ने बिहारी को जो काम दिया था.. आपको याद तो होगा ना.. उसकी उलझन आपके दिमाग़ में चल रही होगी.. तो चलो उसको दूर करने का टाइम आ गया है।

सन्नी एक बिल्डिंग के सामने खड़ा किसी का इन्तजार कर रहा था.. तभी वहाँ बिहारी आ गया।
बिहारी- का बात है सन्नी जी.. आज कैसे हमका याद किया?

सन्नी- अरे बिहारी तुम तो पैसे लेकर गायब ही हो गए.. मैंने कहा था ना.. मैडम बहुत नाराज़ हैं.. तुमको मैंने अलग-अलग एरिया में कमरे और फ्लैट लेकर दिए हुए हैं ताकि पुलिस का कोई चक्कर ना हो.. मगर उसके बाद भी तुम देरी कर रहे हो.. ऐसा क्यों?

बिहारी- अबे का साला बुड़बक जैसा बतिया करता है.. आजकल पाउडर के मामले में पुलिस बहुत सख़्त हो गई है.. संभल के चलना होता है..।
सन्नी- ये सब मैं नहीं जानता.. मुझे भी मैडम को जबाव देना होता है। अब सुनो ये लो चाभी.. इसी बिल्डिंग के 5वें फ्लोर पर फ्लैट नम्बर 22 में इस बार सारा माल रख देना.. आगे मैं देख लूँगा.. ओके?
बिहारी- अरे का भैया.. ये अस्पताल के सामने काहे फ्लैट ले लिया.. सारा दिन लोग आते-जाते रहते हैं।
सन्नी- पब्लिक एरिया में इसी लिए लिया है ताकि किसी को शक ना हो समझे..

बिहारी- ठीक है.. हम जल्दी सब कर दूँगा मगर मैडम को बता देना कि बिहारी देरी करता है.. लेकिन काम बराबर करता है। अब तुम जाओ.. हमको थोड़ा जरूरी काम है।
सन्नी- हाँ जानता हूँ.. तेरा काम.. साला दारू और लड़की के सिवा तुम्हें कौन सा काम जरूरी होता है..
बिहारी- का फालतू का बकवास करता है.. ये दोनों तो हमरा शौक है.. काम अपनी जगह.. शौक अपनी जगह.. अब जाओ..
सन्नी- अच्छा ठीक है.. रविवार को बुलबुल में पार्टी है.. मैंने सलीम से बात कर ली है.. वो पुराना माल उसको पहुँचा देना समझे..
बिहारी ने उसकी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिलाई और वहाँ से निकल गया।

दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि ये क्या नया झमेला है.. तो आपको याद दिला दूँ मैंने बताया था ना.. सन्नी के अलग-अलग एरिया में घर हैं। असल में सन्नी एक नशे का काम करता है… इसका असल काम यही है। अब इसके पीछे ये मैडम कौन है.. इसका पता आगे चल जाएगा।
आप बस देखते रहो और ‘हाँ’ ये कोई मैंने अलग से इसमें एड नहीं किया। आगे चलकर ये भी कहानी का एक हिस्सा बन जाएगा ओके.. तो अब वापस पायल के पास चलते हैं।

पायल जब बाहर आई तो पुनीत बैठा हुआ उसको देख रहा था।
पायल- क्या बात है.. भाई नजरें बाथरूम पर टिकाए हुए बैठे हो।
पुनीत- हाँ पायल तुमने मुझे अपना दीवाना बना दिया है.. सच्ची इतनी चूतें मारी हैं.. मगर तेरे जैसी किसी की नहीं थी।

पायल मुस्कुराती हुई बड़ी अदा के साथ चलती हुई पुनीत के पास आकर बैठ गई और उसके होंठों पर एक किस कर दिया।
पुनीत- उफ़.. तेरी यही अदा तो सबसे अलग है.. ये हुस्न और सेक्सी फिगर मुझे पागल बना रहा है। सच में पायल.. तुम जैसी दूसरी शायद ही कोई इस दुनिया में होगी।
पायल- मैं तो आपको बड़ा सीधा समझती थी.. किस-किस को चोद चुके हो भाई अब तक..
पुनीत- अरे क्या बताऊँ.. अब मैं तो हर महीने लौंडिया बदलता हूँ.. उनकी चूत का पूरा मज़ा लेकर ही छोड़ता हूँ।
पायल- अच्छा इसका मतलब मुझसे मन भर जाएगा.. तो मुझे भी छोड़ दोगे आप?
पुनीत- अरे पागल तू मेरी बहन है.. तेरे साथ ऐसा थोड़े करूँगा.. जब तक तू यहाँ है.. मैं तुझसे प्यार करता रहूँगा।
पायल- मैं अब कहीं नहीं जाने वाली.. आपका प्यार मुझे हर पल चाहिए।

पुनीत- ये तो बहुत अच्छी बात है.. अब हम रोज मज़ा ले सकेंगे.. मगर घर में किसी को पता ना लगने देना.. नहीं तो क़यामत आ जाएगी।
पायल- अरे भाई आप कैसी बात कर रहे हो.. मैं पागल थोड़े हूँ जो ऐसी बात किसी को बताऊँगी। बस आप ख्याल रखना.. कहीं रॉनी को पता ना लग जाए.. सारा दिन आप उसी के साथ घूमते रहते हो.. कहीं आप उसको ना बोल दो।

पुनीत- अरे नहीं नहीं.. मैं क्यों बोलूँगा तुम ख्याल करना.. कि रॉनी को पता ना लग जाए… नहीं वो पापा को बता देगा। वैसे भी वो तुम्हारा कुछ ज़्यादा ही ख्याल रखता है.. अगर ऐसी बात उसको पता लग गई.. तो हम दोनों की खैर नहीं..
पायल- ओके भाई.. अब सिर्फ बातें ही करोगे या मेरी जवानी का मज़ा भी लोगे।

पुनीत- अरे तेरी जवानी तो ऐसी है.. कि लंड अपने आप इसे सलामी देने लगता है। पहली बार तो सब जल्दबाज़ी में हुआ तो ठीक से मैं तुम्हारे इन रसीले होंठों का मज़ा नहीं ले पाया। इन कच्चे अनारों का जूस नहीं पी पाया.. अब सुकून से इनको चूस कर मज़ा लूँगा, तेरी महकती चूत को चाट कर उसकी सूजन कम करूँगा।

पुनीत की बातों से पायल उत्तेज़ित होने लगी थी। वो पुनीत की जाँघों पर सर रख कर लेट गई और उसके लौड़े को सहलाने लगी।

पुनीत- आह.. तुम्हारे हाथ भी बहुत सॉफ्ट हैं.. लौड़े पर लगते ही करंट पैदा हो जाता है।
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#69
22-04-2018, 04:16 PM
अपडेट  ५६

अब तक आपने पढ़ा..

पुनीत- अरे तेरी जवानी तो ऐसी है.. कि लंड अपने आप इसे सलामी देने लगता है। पहली बार तो सब जल्दबाज़ी में हुआ तो ठीक से मैं तुम्हारे इन रसीले होंठों का मज़ा नहीं ले पाया। इन कच्चे अनारों का जूस नहीं पी पाया.. अब सुकून से इनको चूस कर मज़ा लूँगा। तेरी महकती चूत को चाट कर उसकी सूजन कम करूँगा।
पुनीत की बातों से पायल उत्तेज़ित होने लगी थी। वो पुनीत की जाँघों पर सर रख कर लेट गई और उसके लौड़े को सहलाने लगी।
पुनीत- आह.. तुम्हारे हाथ भी बहुत सॉफ्ट हैं.. लौड़े पर लगते ही करंट पैदा हो जाता है।

अब आगे..



पायल कुछ बोली नहीं और लौड़े पर जीभ फेरने लगी.. वो बहुत ज़्यादा मस्ती में आ गई थी। उसकी चूत लौड़े के लिए दोबारा तैयार हो गई थी।
पुनीत- आह.. पायल उफ़.. तेरे ये मखमली होंठ आह.. मेरे लौड़े को पागल बना रहे हैं.. तुम मुझे पागल बना रही हो आह..
पायल- भाई आप देखते जाओ.. इतने सालों से मैं शराफत का नकाब पहने जी रही थी.. मगर मुझे अब पता चला जो मज़ा नंगेपन में है.. वो शराफ़ात में नहीं.. उफ़.. आपका ये गर्म लौड़ा मुझे चूसने में बहुत मज़ा आ रहा है। आपकी बहन अब पूरी आपकी है.. आ जाओ नोंच डालो मेरे जिस्म को.. कर दो मुझे अपने इस लौड़े से ठंडी.. आह.. अब मेरा जिस्म जलने लगा है।

पायल सीधी होकर बाँहें फैलाए बिस्तर पर लेट गई.. पुनीत समझ गया कि अब उसको क्या करना है।
पुनीत उसके पास लेट गया और उसके एक निप्पल को दबाने लगा.. उसके होंठों को चूसने लगा। अब दोनों एक-दूसरे को चूमने और चाटने में बिज़ी हो गए थे।
पुनीत अब ज़ोर-ज़ोर से उसके मम्मों को दबाने और चूसने लग गया।
पायल- आह.. भाई उफ़.. आराम से आह.. चूसो.. आह.. सारा रस पी जाओ.. आह.. मज़ा आ रहा है भाई.. आह.. आह..

दस मिनट तक इनकी मस्ती चलती रही। अब दोनों ही वासना की आग में जलने लगे थे। पुनीत का लौड़ा टपकने लगा।
पायल- आह.. भाई.. उफ़फ्फ़.. मेरी चूत जलने आ लगी है.. आह.. आपके गर्म होंठों से इ..ससस्स.. उसकी मालिश कर दो न..
पुनीत- अभी लो मेरी पायल रानी.. आज तो तेरी चूत की ओपनिंग हुई है.. उसकी मालिश ऐसे करूँगा कि लाइफ टाइम याद रखोगी.. अपने प्यारे भाई को..

पुनीत ने पायल के पैर मोड़े और टाँगों के बीच लेट गया। पायल की डबल रोटी जैसी फूली हुई चूत पर उसने धीरे से अपनी जीभ रख दी।
पायल- सस्सस्स आह.. भाई.. दर्द हो रहा है आह.. प्यार से मालिश करना.. आह.. आपकी बहन हूँ आह.. उफफ्फ़..
पुनीत- पता है मेरी जान.. तू आँख बन्द करके मज़ा ले.. मैं प्यार से ही तेरी मालिश करूँगा..


पुनीत अब बड़े प्यार से चूत को चाटने लगा था। अपनी जीभ की नोक धीरे-धीरे अन्दर घुसा रहा था.. जिससे पायल की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी, वो बस आनन्द की दुनिया में कहीं गोते लगा रही थी।
पायल- आह.. उहह.. भाई मज़ा आ रहा है.. इससस्स.. आह.. खूब चूसो.. आह.. और दबा के.. ससस्स चूसो.. आह.. मज़ा आ गया।

पुनीत अब आइस्क्रीम की तरह चूत को चाट रहा था.. पायल की चूत से रस टपकना शुरू हो गया था.. वो अब तड़पने लग गई थी।
पायल- आह..ससस्स.. भाई.. आह.. मेरी चूत की आग बहुत बढ़ गई है.. आह.. अब उफफफ्फ़.. सस्सस्स.. भाई आह.. लौड़ा घुसा दो.. आह.. मुझे कुछ हो रहा है.. आह.. प्लीज़ भाई.. आह.. फक मी आह.. फक मी.. सस्सस्स आह…

पुनीत भी अब बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गया था। उसके लौड़े से भी रस की बूँदें टपकने लगी थीं.. वो बैठ गया और लौड़े को चूत पर टिका कर धीरे से दबाने लगा।
पायल- आह.. फक मी ब्रो.. आह.. उई घुसा दो आह.. पूरा डालो.. आह.. मेरी चूत को फाड़ दो आज.. आह.. आईई..

पुनीत ने धीरे-धीरे अब कमर को हिलाना शुरू कर दिया था। हर झटके के साथ वो लौड़े को थोड़ा आगे सरका देता और पायल की आह.. निकल जाती। कुछ ही देर में उसने पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया और पायल के ऊपर लेटकर उसके निप्पल को चूसने लगा।

पायल- आह.. भाई अब चुदाई शुरू कर दो.. मुझे दर्द नहीं हो रहा है.. आह.. करो न.. आह.. चोद दो मुझे.. आह.. आज मेरी सारी गर्मी निकाल दो आह..
पुनीत स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा। पायल भी गाण्ड उठा कर उसका साथ देने लगी। चुदाई जोरों से शुरू हो गई.. कमरे का तापमान बढ़ने लगा।

‘ठप.. ठप.. पूछ..फ्छ.. आह.. उहह.. इससस्स.. आह.. उहह.. उहह..’ की आवाजें कमरे में गूंजने लगीं।
पायल- आह फक मी ब्रो.. आह.. फक मी डीप.. आह.. फक हार्ड.. आईईइ ओउ सस्स..
पुनीत- ले पायल.. आह.. आज तेरे भाई का आह.. पॉवर देख.. आह.. तेरी चूत का आह चूरमा बना दूँगा मैं.. आह.. आज के बाद तू जब भी उहह.. चूत को देखेगी.. आह.. मेरी याद आएगी तुझे..

दस मिनट तक पुनीत स्पीड से पायल को चोदता रहा। अब पुनीत तो पक्का चोदू था। पहले 2 बार झड़ चुका था इसलिए अबकी बार कहाँ वो जल्दी झड़ने वाला था। अब तो उसका टाइम और बढ़ गया। मगर पायल की चूत लौड़े की चोट ज़्यादा देर सह ना पाई और उसके रस की धारा बहने को व्याकुल हो गई।

पायल- आई आई.. आह.. भाई फक मी फास्ट.. आई एम कमिंग.. आह.. गई.. आह.. भाई.. ज़ोर से पेलो.. आहह.. उहह आह..
पुनीत ने और तेज़ी से लौड़े को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। पायल का बाँध टूट गया.. वो झड़ने लगी। कुछ देर बाद वो शान्त पड़ गई.. मगर पुनीत का अभी बाकी था.. वो धीरे-धीरे कमर को हिला रहा था।
पायल अब शान्त लेट गई थी.. उसका सारा जोश ठंडा हो गया था। पुनीत ने अचानक लौड़ा बाहर निकाला और पायल के पेट पर बैठ गया। उसके मम्मों के बीच लौड़े को रख कर कमर हिलाने लगा।

पायल समझ गई कि पुनीत उसके मम्मों को चोदना चाहता है। उसने दोनों हाथों से अपने मम्मों को कस कर दबा लिए जिससे लौड़ा मम्मों के बीच अब टाइट होकर अन्दर-बाहर हो रहा था।
कुछ देर तक ये चलता रहा.. उसके बाद पुनीत ने पोज़ चेंज कर लिया। वो घुटनों के बल बिस्तर पर खड़ा हो गया.. जिसे देख कर पायल मुस्कुराई।
पायल- क्या हुआ भाई.. मज़ा आ रहा था.. खड़े क्यों हो गए?
पुनीत- मेरी जान लौड़े को थोड़ा चूस कर चिकना कर दे.. उसके बाद तुझे घोड़ी बना कर चोदूँगा.. तेरी चूत की गर्मी तो निकल गई.. अभी मेरा रस निकलना बाकी है।

पायल हँसती हुई लौड़े को चूसने लगी.. अपने मुँह में पूरा लौड़ा लेकर अच्छी तरह उसको थूक से तर कर दिया।
पुनीत- आह्ह.. आह्ह.. बस पायल.. अब बन जा घोड़ी.. आज तेरी सवारी करूँगा.. आह्ह.. अब बर्दास्त नहीं होता आह्ह.. आह्ह..
पायल घुटनों के बल अच्छी तरह पर फैला कर घोड़ी बन गई.. वैसे तो ये उसका पहली बार था.. मगर जिस तरह वो घोड़ी बनी थी.. पुनीत को बहुत अच्छा लगा कि उसकी बहन एकदम पर्फेक्ट घोड़ी बनी है।

पुनीत- वाह.. पायल क्या जबरदस्त घोड़ी बनी है तू.. अब ठुकाई का मज़ा आएगा.. तेरी चूत कैसे फूली हुई है.. उफ़फ्फ़ साली ऐसी चूत देख कर लौड़े की भूख ज़्यादा बढ़ जाती है।
पुनीत ने लौड़े को चूत पर टिकाया और पूरा एक साथ अन्दर धकेल दिया।

पायल- आईईइ.. भाई आराम से.. आह्ह.. एक बार में पूरा घुसा दिया.. आह्ह.. आज तो आराम से करो.. कल से जैसे चाहो चोद लेना..
पुनीत- अरे सॉरी यार.. तेरी चूत देख कर बहक गया था.. अब ख्याल करूँगा।

पुनीत अब पायल की कमर पकड़ कर चोदने लगा.. उसके हाथ पायल की मुलायम गाण्ड को भी सहला रहे थे। बीच-बीच में वो पायल की गाण्ड के छेद में उंगली भी घुमा रहा था।
थोड़ी देर की मस्ती के बाद पायल भी गरम हो गई और गाण्ड को पीछे धकेल कर पुनीत के मज़े को दुगुना बनाने लगी।

पायल- आह.. आह.. छोड़ो भाई.. आह्ह.. आज की रात हर तरीके से मुझे चोदो.. आह.. आह.. फास्ट करो.. और तेज भाई आह्ह.. मज़ा आ रहा है।

पुनीत अब तेज़ी से चोदने लगा। उसका लौड़ा अब फूलने लगा था। कितना से पता वो चूत की गर्मी को आख़िर कर पुनीत के लौड़े ने रस की धारा चूत में मारनी शुरू कर दी। उसका अहसास पाकर पायल की चूत भी झड़ गई। दो नदियों के मिलन के जैसे उनके कामरस का मिलन हो गया।

अब दोनों ही शान्त पड़ गए.. पायल की कमर में दर्द हो गया। जैसे ही पुनीत ने लौड़ा बाहर निकाला.. वो बिस्तर पर कमर के बल लेट गई और लंबी साँसें लेने लगी। पुनीत भी उसके पास ही लेट गया।

पायल- उफ़फ्फ़ भाई.. इस बार तो आपने बहुत लंबी चुदाई की.. आह्ह.. आपने तो मेरी चूत की हालत बिगाड़ दी।
पुनीत- तुम्हें ही चुदवाने का चस्का लगा था.. अब लौड़े के लिए तड़फी हो.. तो पूरा मज़ा लो।
पायल- मज़ा ही तो ले रही हूँ.. मगर आप ये मेरी गाण्ड में उंगली क्यों डाल रहे थे?
पुनीत- पायल सच कहूँ.. तेरी गाण्ड देख कर मन बेचैन हो गया है.. ऐसी मटकती गाण्ड.. उफ़फ्फ़ इसमें लौड़ा जाएगा.. तो मज़ा आ जाएगा.. बस यही देख रहा था कि अबकी बार मैं तेरी गाण्ड ही मारूँगा.
पायल- नो वे.. आज शुरूआत में ही सारे मज़े लूट लोगे क्या.. आज का मेरा हो गया.. अब कल देखते हैं.. आप चूत मारते हो या गाण्ड..

पुनीत- अरे अभी कहाँ थक गई यार.. अभी तो बहुत पोज़ बाकी हैं.. तुम्हें आज अलग-अलग तरीके से चोदूँगा और प्लीज़ पायल तुम्हारी मुलायम गाण्ड मारने दो ना.. प्लीज़..
पायल- नो नो भाई.. आज प्लीज़.. ज़िद मत करो.. आप नहीं जानते.. मेरे पैर अकड़ कर दर्द कर रहे हैं.. चूत में भी बहुत सूजन है.. आप कल गाण्ड मार लेना.. मगर आज नहीं..

पुनीत- ठीक है जानेमन.. जैसा तुम कहो.. मगर एक बार और तेरी चूत मारूँगा.. कसम से मन भरता ही.. नहीं तेरी चूत से..
पायल- हा हा हा हा.. आप तो मेरी चूत का आज भुर्ता बना के दम लोगे.. ठीक है भाई.. अब आपको मना नहीं करूँगी.. पर थोड़ा रेस्ट लेने के बाद आप आराम से चुदाई कर लेना..
पुनीत- वाहह.. ये हुई ना बात.. अच्छा अपनी हॉस्टल लाइफ के बारे में कुछ बताओ न.. तुम्हारे अन्दर ये बदलाव कैसे आया.. ये भी बताओ..

पायल ऐसे ही इधर-उधर की बातें करने लगी और पुनीत बस उसको सुनता रहा। एक घंटे तक दोनों बातें करते रहे.. उसके बाद पुनीत का मन दोबारा चुदाई का हो गया।
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#70
23-04-2018, 06:11 PM
अपडेट  ५७

अब तक आपने पढ़ा..

पुनीत- ठीक है जानेमन.. जैसा तुम कहो.. मगर एक बार और तेरी चूत मारूँगा.. कसम से मन भरता ही.. नहीं तेरी चूत से..
पायल- हा हा हा हा.. आप तो मेरी चूत का आज भुर्ता बना के दम लोगे.. ठीक है भाई.. अब आपको मना नहीं करूँगी.. पर थोड़ा रेस्ट लेने के बाद आप आराम से चुदाई कर लेना..
पुनीत- वाहह.. ये हुई ना बात.. अच्छा अपनी हॉस्टल लाइफ के बारे में कुछ बताओ न.. तुम्हारे अन्दर ये बदलाव कैसे आया.. ये भी बताओ..
पायल ऐसे ही इधर-उधर की बातें करने लगी और पुनीत बस उसको सुनता रहा। एक घंटे तक दोनों बातें करते रहे.. उसके बाद पुनीत का मन दोबारा चुदाई का हो गया।

अब आगे..


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पुनीत धीरे-धीरे पायल के जिस्म को सहलाने लगा। पायल ने नानुकुर की.. मगर पुनीत कहाँ ऐसी कच्ची कली को छोड़ता.. उसने पायल को मना ही लिया।
इस बार वो सीधा लेट गया और पायल को ऊपर लेटा कर नीचे से झटके दिए, पायल भी मस्ती में आकर लौड़े पर कूदने लगी।
लंबी चुदाई के बाद दोनों थक गए और नंगे ही एक-दूसरे से लिपट कर सुकून की नींद में सो गए।

सुबह का सूरज निकला.. पायल के लिए यह सुबह एकदम नई थी.. क्योंकि रात को उसकी अपने सगे भाई के साथ जो सुहागरात मनी.. उसके बाद तो उसके जीवन की यह पहली सुबह ही थी..
मगर अभी आप पायल को नहीं देख सकते.. वो कहाँ इतनी जल्दी उठने वाली है। सारी रात तो चुदाई करवा रही थी.. अब आराम से सो रही है.. तो चलो आपको कहीं और ले चलती हूँ।

सुबह के 7 बजे का वक्त था.. अर्जुन के हाथ में चाय थी, वो भाभी और निधि के पास जाकर उनको चाय देने लगा।
तभी डॉक्टर वहाँ आ गया और उसने बताया कि आप रात को बहुत लेट यहाँ आए थे.. तो उनको यहाँ रुकने दिया है.. मगर अब कहीं पास में कोई होटल या धर्मशाला में कमरा ले लें.. मरीज के साथ बस एक आदमी ही यहाँ रह सकता है.. बाकी सब नहीं।

अर्जुन- डॉक्टर.. सब ठीक तो है ना.. हमको यहाँ कितने दिन रहना होगा?
डॉक्टर- अभी कुछ कहा नहीं जा सकता, हालत बहुत खराब है। आप कमरा किराए पर ले लो.. यही सही रहेगा.. एक हफ़्ता तो कम से कम यहाँ रुकना ही होगा.. आगे का अभी कुछ कह नहीं सकते..

डॉक्टर के जाने के बाद भाभी और निधि अर्जुन की तरफ़ देखने लगीं।
भाभी- अर्जुन, हम तो यहाँ किसी को जानते भी नहीं हैं.. अब तुम ही किसी कमरे का कोई बंदोबस्त करो..
अर्जुन- चिंता मत करो.. मैं अभी कुछ न कुछ इन्तजाम करके आता हूँ.. आप तब तक चाय पिओ..
भाभी- मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूँ अर्जुन..
अर्जुन- जैसा आपको ठीक लगे.. चलो..

निधि- मैं अकेली यहाँ नहीं रहूँगी.. मुझे भी साथ ले चलो..
भाभी- अरे तू क्या करेगी साथ जाकर.. यहीं रुक.. तेरे भाई के पास बैठ ना..
अर्जुन- अरे आने दो.. रात से बेचारी यहीं तो बैठी है।
भाभी- नहीं.. यहाँ कोई तो होना चाहिए ना.. हम कमरा देखने जा रहे हैं.. क्या पता ज्यादा वक्त लग जाए।
निधि- अच्छा जाओ.. मगर जल्दी आ जाना.. कहीं दूर मत निकल जाना।
अर्जुन- अरे चिंता मत करो निधि.. तुमको छोड़कर कहीं नहीं जाएँगे..

वो दोनों वहाँ से बाहर निकल गए और आस-पास के लोगों से दुकान वालों से बात करने लगे.. कमरे के बारे में पूछने लगे.. अब इसे इत्तफाक कहो.. या कहानी की जरूरत कहो.. कि अपना बिहारी उन्हें वहाँ मिल गया, अब इसको तो आप जानते ही हो।

बिहारी- अरे का बात है.. तुम हियां-उहाँ का पूछ रहे हो.. ये बुड़बक तुमको कमरा नहीं दिला सकता.. हमरे पास आओ.. हम तुमको कमरा दे देंगे..
अर्जुन- अरे हाँ.. हमको कमरा ही चाहिए भाईजी.. आप दिला दोगे तो मेहरबानी होगी।
बिहारी के पूछने पर अर्जुन ने सारी बात उसको बताई कि कैसे यहाँ आना हुआ और अब उनको कोई कमरा चाहिए ताकि कुछ दिन रह सकें..
बिहारी की नज़रें भाभी को घूर रही थीं.. वो अपने काले-काले होंठों पर ज़ुबान फिरा रहा था।

बिहारी- देखो भाई हमरा नाम है बिहारी बाबू.. इहाँ पूरे शहर में हमारा बहुत कमरा खाली पड़ा है.. मगर तुमको आने-जाने का दिक्कत ना हो.. तो भाई ये सामने वाली बिल्डिंग में हमरा एक ठौ फ्लैट खाली पड़ा है.. हॉस्पिटल के नज़दीक भी है.. तुम हियाँ रह सकते हो मगर…
अर्जुन- मगर क्या बिहारी जी.. हमको तो बस एक कमरा चाहिए.. हम पैसे भी दे देंगे आपको..
बिहारी- अरे पैसों का बात ना है रे.. रात को हमरा कुछ सामान आएगा.. तुमको हमरे आदमी के साथ जाकर वो समान लाना है.. और उहाँ के फ्लैट के एक कमरे में वो रखने में हमार मदद करनी होगी.. बाकी तुम फ्री में इहाँ रह सकते हो.. हमको कौनऊ दिक्कत नाहीं होगी.. और जब तक तुम आओगे.. तोहार भाभी का ख्याल हम रख लेंगे.. समझ गए ना..

फ्री में रहने का नाम सुनकर भाभी खुश हो गई मगर अर्जुन तो पक्का खिलाड़ी था, वो समझ गया कि बिहारी के इरादे कुछ नेक नहीं हैं।
अर्जुन- ठीक है बिहारी जी आप हमें कमरा दिखा दो.. रात से परेशान हैं.. हम थोड़ा आराम कर लें..
बिहारी- अरे इसमें सोचना कैसा.. चलो अभी दिखा देता हूँ..

बिहारी दोनों को ऊपर ले गया.. जो फ्लैट सन्नी ने उसको दिया था.. वही उसने इन दोनों को दे दिया। जाते वक्त वो अर्जुन को इशारे में समझा गया कि भाभी को मना लेना.. मैं शाम को आऊँगा.. ये कहकर वो वहाँ से चला गया।

भाभी- अरे रामा रे.. यह घर तो बड़ा ही शानदार है.. वो आदमी बहुत भला लगता है.. इतना अच्छा घर हमें मुफ्त में रहने दे दिया..
अर्जुन- भाभी अपने दिल से ये ख्याल निकाल दो.. ये शहर है गाँव नहीं.. यहाँ कोई किसी को मुफ्त में कुछ नहीं देता.. वो आपके इन बड़े-बड़े चूचों का दीवाना हो गया है.. इसलिए उसने ये मेहरबानी की है।
भाभी- क्या बात करते हो.. अर्जुन तुम्हें कैसे पता?
अर्जुन- उसकी नज़र मैंने देखी है.. आज शाम को आपका बैंड बजाने का उसका इरादा है..
भाभी- नहीं नहीं.. चलो यहाँ से.. हमें नहीं रहना यहाँ..


अर्जुन- अरे क्या भाभी.. आप क्यों इतनी सीधी बन रही हो.. कर देना उसको भी खुश.. अब ऐसा अच्छा घर हमको और कहाँ मिलेगा.. अब मान भी जाओ..
भाभी- अरे कैसी बातें करता है.. मैं कोई वेश्या थोड़ी हूँ.. जो किसी के भी साथ सो जाऊँ.. ना बाबा ना.. और वैसे भी मेरे पति तो ऐसी हालत में है.. और मैं ऐसे काम करती रहूँ।
अर्जुन- अरे भाभी.. मेरी जान.. तुझे पति की इतनी फिकर होती.. तो पहले ऐसे काम ना करती.. अब ज़्यादा सती-सावित्री मत बनो… ऐसा मस्त फ्लैट मिला है.. मज़ा भी करेंगे हम.. और अस्पताल के पास भी हैं.. मान जाओ.. वो बिहारी को खुश कर दो एक बार.. उसका काम भी बन जाएगा और हमारा भी…

भाभी- एक बात बताओ.. तुम इतने यकीन से कैसे कह सकते हो कि वो ऐसा ही चाहता है?
अर्जुन- मेरी जान.. मर्दों की नियत का तुम्हें क्या बताऊँ.. कब किस पर खराब हो जाए.. कुछ कहा नहीं जा सकता। मैंने उसकी आँखों में तुम्हारे लिए हवस देखी है।
भाभी- अच्छा अच्छा.. मगर निधि का क्या करोगे.. उसको इस बात का पता नहीं लगना चाहिए।
अर्जुन- अरे उसका क्या करना है.. उसकी तो खुद की चूत में आग लगी हुई है.. तभी तो साथ आई है। तुम बिहारी को जलवा दिखाना.. उसकी चूत की आग मैं ठंडी कर दूँगा।
भाभी- पागल हो गए हो क्या.. ऐसा सोचना भी मत.. तुम उसके साथ अस्पताल में ही रहना.. समझे.. मैं यहाँ का देख लूँगी कि क्या करना है।

अर्जुन- ओये होये मेरी जान.. अकेले में मज़ा लेगी.. अच्छा है.. अच्छा है।
भाभी- बस बस.. जानती हूँ तेरे को.. जब से निधि तेरे को मिली है.. तू मेरे पास बहुत कम आता है.. तुझे तो कच्ची कली में ज़्यादा मज़ा आता है..
अर्जुन- अरे क्या भाभी.. अब बस भी करो.. ऐसी कोई बात नहीं है। अगर आपको ऐसा लगता है कि मैं निधि को ज़्यादा चाहता हूँ.. तो उस बिहारी के आगे निधि को कर देंगे.. बस खुश..
भाभी- अरे नहीं नहीं.. वो बहुत डरावना सा है.. निधि डर जाएगी। मैं ही संभाल लूँगी उसको.. अब बातें बन्द करो.. जाओ निधि को भी ले आओ.. बेचारी रात से परेशान है। तब तक मैं मुँह-हाथ धो लेती हूँ।

अर्जुन वापस गया और निधि को ले आया।
अब यहाँ क्या होना था.. थके-हारे लोग आराम ही करेंगे।
तो चलो हमारी पायल उठ गई होगी अब तक..

सुबह के करीब 9 बजे रॉनी की आँख खुली.. तो वो सीधा बाथरूम चला गया और करीब आधा घंटा बाद फ्रेश होकर कमरे से बाहर निकला।
रॉनी सीधा नीचे चला गया.. उसे वहाँ अनुराधा दिखाई दी.. तो उसने मुस्कुराते हुए ‘गुड मॉर्निंग’ किया और वहीं सोफे पर बैठ गया।
अनुराधा- तुम्हारे बड़े पापा ने क्या कहा था.. उसके बाद भी तुम रात को कहाँ थे?
रॉनी- अरे हम तो गुड्डी को बाहर घुमाने ले गए थे और देर भी तो हुई नहीं हमें.. जल्दी आ गए थे..
अनुराधा- अच्छा अच्छा.. जाने दो.. आज मैं अपनी सहेली के यहाँ जा रही हूँ। वहाँ उन्होंने हवन रखवाया है.. तो रात को देर तक चलेगा। अभी मैं निकल जाऊँगी.. तो कल सुबह ही वापस आऊँगी। तब तक गुड्डी का ख्याल रखना और हाँ.. ऐसा कोई काम ना करना.. जिससे तुम्हारे बड़े पापा नाराज़ हो जाएँ.. बाहर जाना मगर ‘रात’ को जल्दी आ जाना.. समझ गए?

अनुराधा ने ‘रात’ पर कुछ ज़्यादा ज़ोर देकर कहा था.. क्योंकि वो जानती थी अक्सर ये रात को देर से आते हैं और आज घर में कोई नहीं रहेगा.. तो इनको घूमने का मौका मिल जाएगा.. इसलिए उसने ‘रात’ पर इतना ज़ोर दिया।
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