पायल- सच्ची तू इतना नहीं समझती थी.. ये तो सोचने वाली बात है और 3 साल पहले तेरे मम्मे इतने छोटे थे और अब इतने बढ़ गए.. यह कमाल कैसे?
पूजा- अरे कहानी सुनेगी तो सब समझ जाएगी कि ये अमरूद को खरबूज कैसे बनाया जाता है हा हा हा..
अब आगे..
कैसे?
‘आगे सुन, मैं बस अपनी पढ़ाई से मतलब रखती थी और यह सेक्स क्या होता है.. मुझे पता नहीं था.. हाँ.. बस इतना पता था कि लड़का और लड़की के बीच कुछ तो खास होता ही होगा। एक बार मॉम-डैड किसी शादी में दूसरे शहर गए.. मेरी स्कूल और भाई का कॉलेज था तो हम रुक गए मगर राजू ज़िद करके उनके साथ चला गया। सुबह से शाम तक सब नॉर्मल रहा.. मगर जब रात हुई.. तो मुझे डर लगने लगा और मैं भाई के कमरे में गई तब वो अपने लैपटॉप पर मूवी देख रहे थे।
मुझे देख कर वो मुस्कुराने लगे और इशारे से मुझे अपने पास बुलाया।
वे बोले- क्या हुआ?
पूजा- भाई मुझे डर लग रहा है इसलिए यहाँ आई हूँ।
पुरु- हाँ.. जानता हूँ तेरी शक्ल देख कर पता लग गया मुझे..
उस समय भाई ने बस बरमूडा पहना हुआ था.. वो रात को टी-शर्ट नहीं पहनते थे.. और मैंने भी एक पिंक टी-शर्ट और शॉर्ट बरमूडा पहना हुआ था.. जो मैं रात को अक्सर सोने के समय पहनती हूँ।
पूजा- भाई आज मैं आपके कमरे में सो जाऊँ क्या.. मुझे अकेले डर लग रहा है।
पुरु- क्यों.. आज क्या हुआ.. रोज अकेली सोती है ना तू?
पूजा- अकेली कहाँ भाई.. राजू भी तो साथ सोता है मेरे..
पुरु- अरे वो बच्चा है.. उसे डर ना लगे इसलिए तेरे साथ सोता है.. पर तुझे किस बात का डर?
पूजा- भाई प्लीज़.. मॉम-डैड भी नहीं है मुझे यहाँ सोने दो ना..
पुरु- अच्छा अच्छा ठीक है.. मगर मुझे मूवी देखनी है और तुझे सोना है.. ये दोनों काम एक साथ कैसे हो सकते है?
पूजा- भाई मुझे अभी नहीं सोना पहले हम दोनों मूवी देखेंगे.. उसके बाद सो जाएँगे ओके..
पुरु- हाँ.. ये ठीक है.. चल आजा मेरे पास लेट जा.. ऐसे देखने में ज़्यादा मज़ा आता है।
भाई ने लैपटॉप टेबल पर रख दिया और हम दोनों सीधे पैर करके बिस्तर से टेक लगा कर बैठ गए।
पायल- वाउ यार.. रात को मूवी देखने का मज़ा ही अलग आता है.. मगर यार तू सेक्स की बात बता रही है या मूवी की..
पूजा- तेरी चूत में बड़ी आग लगी है.. चुप करके सुन ना.. ये सब बातें चुदाई से रिलेटेड ही हैं।
पायल- ओह.. ऐसा क्या.. चल आगे बोल.. अब मैं चुप रहूंगी..
पूजा- भाई को हॉलीवुड मूवी बहुत पसन्द हैं खास कर जेम्स बॉन्ड की.. तो बस आज भी बॉन्ड की ही फिल्म चालू थी.. कोई मिशन था.. दोनों बड़े आराम से देख रहे थे। तभी एक ऐसा सीन आया कि मेरी आँखें बस स्क्रीन पर जम कर रह गईं। एक आदमी एक बहुत ही मस्त लड़की को किस कर रहा था और उसके चूचे दबा रहा था.. तभी भाई जल्दी से लैपटॉप के पास गया और उस सीन को फ़ॉरवर्ड कर दिया।
पायल- ओह.. शिट ऐसी गंदी मूवी थी वो.. और तू भाई के साथ देख रही थी और हाँ.. तू तो बड़ी नादान थी ना.. तो किस करना चूचे दबवाना.. ये सब कैसे पता लगा तुझे?
पूजा- ओ सती सावित्री.. तू भी तो बड़ी शरीफ़ बनी घूमती है.. क्या तुझे कुछ नहीं पता.. मैंने बताया था ना.. मैं सेक्स के बारे में ज़्यादा नहीं जानती थी.. मगर ऐसे सीन को देख कर पता ना लगे कि क्या हो रहा है.. मैं इतनी भी नादान नहीं थी।
पायल- ओके ओके.. आगे बता.. वैसे तेरा भाई है अच्छा लड़का.. ऐसे सीन को बढ़ा दिया उसने..
पूजा- अरे यार वो तो अच्छा है ही.. लेकिन जब उसने सीन को बढ़ाया.. पता नहीं कैसे.. मेरे मुँह से ये निकल गया- अरे भाई आने देते ना.. आगे देखते क्या होता है..
इतना बोलने के बाद मुझे अपनी बात पर पछतावा हुआ कि ये मैंने क्या बोल दिया और मैं जल्दी से बात को पलटने के लिए बोली- मुझे तो नींद आ रही है आप ही देखो.. अपनी मूवी..
भाई को कुछ समझ नहीं आया कि ये अचानक मैंने क्या से क्या कह दिया वो बस दुविधा में मुझे देखता रहा और मैं जल्दी से करवट लेकर सो गई ताकि भाई की नज़रों से बच सकूँ कि मैंने ऐसी बात जो कही थी..
पुरु- तुझे नींद आ रही है तो तू सो जा मैं बाद में सो जाऊँगा ओके..
मैंने ‘हाँ’ कहा और सोने की कोशिश करने लगी और कुछ देर तो मूवी की आवाज़ आती रही.. उसके बाद कब मुझे नींद आ गई.. पता भी नहीं चला..
पायल- अरे यार ये क्या.. तू सो गई.. मूवी तो देखी होती और तू यह क्या कहानी सुना रही है.. इसमें सेक्स कब आएगा यार?
पूजा- चुप कर तू.. सेक्स सेक्स.. लगा रखी है.. ऐसे नहीं होती चुदाई.. बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं उसके लिए.. अब आगे सुन.. मैं मज़े से सोई हुई थी.. पता नहीं कितना समय हुआ होगा। मुझे प्यास लगी तो मेरी आँख खुल गई। मेरे कानों में अजीब सी आवाज़ आई जैसे कोई कराह रहा हो। मैंने आँखें पूरी तरह खोलीं और मेरी नज़र सीधी लैपटॉप पर गई। जो मैंने देखा तो बस आँखें फट कर बाहर निकलने को हो गईं।
पायल- क्यों ऐसा क्या देख लिया तूने.. यार कोई भूत वूत की पिक थी क्या?
पूजा- अरे पगली भूत की नहीं.. चूत की पिक थी.. सामने मूवी में एक लड़का नंगा खड़ा था और उसके पास एक लड़की बैठ कर उसके लौड़े को चूस रही थी मज़े से..
पायल- ओ माय गॉड तेरा भाई xxx ब्लू-फिल्म देख रहा था और तू पास में सो रही थी..
पूजा- हाँ.. यार वो सब देख कर मेरी तो जान निकल गई और मेरा पसीना निकलने लगा। मैंने दोबारा आँख बन्द कर लीं.. मगर फिर लगा जरा देखूँ तो.. क्या आ रहा है। मैंने थोड़ी आँख खोल ली और देखने लगी.. भाई बार-बार मेरी तरफ़ देख रहा था कहीं मैं जाग ना जाऊँ.. मगर उसको क्या पता.. मैं सब आराम से देख रही थी।
कुछ देर बाद भाई ने अपने बरमूडे को नीचे किया और अपना लंबा लौड़ा बाहर निकाल लिया। जिसे देख कर मेरी और ज़्यादा हालत खराब हो गई..
पुरु ने अपने लौड़े पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और आहें.. भरने लगा। उस समय पता नहीं मुझे क्या हुआ मेरी चूत गीली होने लगी और जिस्म का तापमान बढ़ने लगा।
मुझसे रहा नहीं गया तो मैं झटके से पलटी और मैंने करवट ले ले ली.. जिससे भाई चौंक गया और मेरी तरफ़ देखने लगा..
पायल- यार बुरा मत मानना.. तेरा भाई बड़ा गंदा है.. बहन पास में होते हुए भी ऐसा काम किया उसने..
पूजा- अरे चुप.. तुझे क्या पता सब लड़के ब्लू-फिल्म देखते हुए ऐसे ही करते हैं तेरा भाई नहीं देखता क्या?
पायल- देखता होगा.. लेकिन मेरे सामने कभी ऐसा नहीं किया समझी..
पूजा- अरे अब तू कभी उसके साथ सोती तो देखती ना.. आगे सुन.. मैंने करवट ली तो मेरा मुँह भाई की तरफ़ हो गया था.. यानि उसके लंड से मेरा मुँह कुछ इंच की दूरी पर था। बड़ी अजीब सी बू आ रही थी मुझे..
मेरा भाई बस मुझे देखे जा रहा था और बड़बड़ा रहा था.. पुरु बोल रहा था कि ओह.. पूजा तू क्यों आज यहाँ सो गई.. मेरा मज़ा खराब कर दिया तूने.. देख तेरे अचानक पलटने से बेचारा लौड़ा डर कर मुरझा गया।
भाई की बात सुनकर मैं घबरा गई कि कहीं इनको पता तो नहीं लग गया कि मैं जाग रही हूँ।
मैं बस सोच ही रही थी कि सामने सीन बदल गया। एक छोटी लड़की कमरे में बैठी अपनी पैन्टी के ऊपर से चूत को रगड़ रही थी.. तभी एक लड़का कमरे में आया और उसे देख कर लड़की चौंक गई और हाथ हटा लिया.. तब उस लड़के ने कहा- वॉट आर यू डूइंग माय स्वीट सिस्टर..
‘क्या.. वो भाई बहन वाली मूवी थी..?’
‘हाँ यार वो भाई बहन वाली मूवी थी.. मैं तुमको आगे बताती हूँ।’
पायल- मुझे मालूम है.. बता तू आराम से बता..
पूजा- इसको हिन्दी में बताने में ज़्यादा मज़ा आएगा.. अब तू यूँ समझ ले कि वो ब्लू-फिल्म लाइव चल रही है इससे तुझे और ज्यादा मजा आएगा।
‘ठीक है सुना..’
उस लड़के ने कहा- क्या कर रही थी.. मेरी प्यारी बहना?
लड़की ने कहा- कुछ नहीं भाई.. बस खुजा रही थी..
तो लड़का उसके पास आया और बोला- मेरी प्यारी बहना यहाँ की खुजली हाथ से नहीं मिटेगी.. इसके लिए तुम्हें मेरे लौड़े की जरूरत पड़ेगी।
इतना कह कर वो उसके पास गया और लौड़ा निकाल कर सामने खोल दिया.. वो लड़की मुस्कुराई और लौड़े पर हाथ फेरने लगी.. उसको चूसने लगी..
पायल- छी: छी: अपने भाई के साथ ऐसा किया.. ये अंग्रेज भी ना जानवर हो गए हैं कोई शर्म लिहाज नहीं..
पूजा- अरे तू क्या बोल रही है विदेशों में तो ये आम बात है.. माँ-बेटा बाप-बेटी और भाई-बहन सब आपस में सेक्स करते हैं।
पायल- हाँ.. पता है पता है.. मैंने कभी ऐसी फिल्म देखी नहीं.. मगर पता सब है.. तू आगे बता.. उसके बाद क्या हुआ?
पूजा- अरे तू क्या बोल रही है विदेशों में तो ये आम बात है.. माँ-बेटा बाप-बेटी और भाई-बहन सब आपस में सेक्स करते हैं।
पायल- हाँ.. पता है पता है.. मैंने कभी ऐसी फिल्म देखी नहीं.. मगर पता सब है.. तू आगे बता.. उसके बाद क्या हुआ?
अब आगे..
पूजा- अरे होना क्या था.. मैंने ऐसा कभी नहीं देखा था.. उस समय मेरे लिए वो बहुत बड़ी बात थी। एक भाई अपनी बहन के साथ ऐसा कैसे कर सकता है..
बस सीन शुरू हो गया वही चूसना-चाटना और मेरा भाई उनको बड़े गौर से देखता हुआ बड़बड़ाने लगा- उफ्फ.. क्या जालिम जवानी है यार.. ये विदेशियों का अच्छा रिवाज है.. घर में ही मज़ा मिल जाता है.. काश..
इतना बोलकर वो चुप हो गया और मेरी तरफ़ देखने लगा।
मैंने जल्दी से आँखें बन्द कर लीं..
अब वो मेरे बालों में हाथ घुमाने लगा और बोलने लगा- पूजा तुझ पे मेरी बहुत पहले से नज़र है.. तू दिन पर दिन कयामत बनती जा रही है.. तेरे ये कोमल होंठ चूसने का दिल करता है.. मगर ये रिश्ता मुझे रोक देता है। प्लीज़ आज मौका मिला है.. मुझे माफ़ करना.. आज तो तेरी जवानी का मज़ा लूट कर ही दम लूँगा.. चाहे कुछ भी हो जाए..
उसकी बात सुनकर मेरा जिस्म काँपने लगा कि भाई ये क्या बोल रहा है.. कहीं वो कुछ कर ना दे..?!!
वो धीरे-धीरे मेरे होंठों पर उंगली घुमाने लगा।
पायल- ओ माय गॉड.. तेरा भाई ऐसा कैसे कर सकता है.. छी: छी: छी: उसको ज़रा भी शर्म नहीं आई?
पूजा- मेरी जान, यह जवानी होती ही ऐसी है.. जब लौड़ा खड़ा होता है.. तो उसको बस चूत ही चूत और चुदाई ही चुदाई दिखाई देती है। वो किसी रिश्ते को नहीं मानता.. समझी.. अब चुपचाप आगे सुन कि उस रात मेरी जिंदगी में क्या क्या बदलाव हुआ।
पायल- मुझे नहीं सुनना ऐसी गंदी बात.. जिसमें भाई ही अपनी बहन के साथ इतना गंदा काम कर रहा हो..
पूजा- अरे सुन तो ले.. बहुत मजेदार बात है.. तू खुद समझ जाएगी ये सब एक जुनून था बस..
पायल ने कुछ सोचा और उसके बाद ‘हाँ’ में सर हिला दिया और पूजा दोबारा शुरू हो गई- यार मेरी हालत खराब हो गई.. भाई तो धीरे-धीरे मेरे गले से होते हुए टी-शर्ट के अन्दर हाथ डालने लगा था।
अब मेरी साँसें तेज हो गई थीं.. भाई का हाथ मेरे मम्मों पर आ गया और वो उनको छूने लगा। मुझसे रहा नहीं गया और में झटके से बैठ गई- भाई ये क्या कर रहे हो आप?
पुरु घबरा गया.. जल्दी से उसने अपना लौड़ा अन्दर किया और लैपटॉप को भी बन्द कर दिया।
पुरु- ववव..वो एमेम.. मैं कुछ नहीं.. तू सो जा.. मुझे नींद नहीं आ रही..
पूजा- आप झूट बोल रहे हो.. मैंने देखा आप क्या देख रहे थे और मेरे यहाँ हाथ लगा रहे थे..
पुरु- क्या देख रहा था? मैंने कहाँ हाथ लगाया.. वो तो बस में देख रहा था कि तेरी टी-शर्ट ऊपर थी.. मैंने ठीक की बस..
पूजा- भाई आप झूट मत बोलो.. मैंने सब देख लिया है। मैं कब से जाग रही हूँ और वो मूवी भी देख रही हूँ.. समझे..!
पुरु- ओह.. तो यह बात है.. तू भी भाई बहन की चुदाई को देख मज़ा ले रही थी और मैं तुझसे ऐसे ही डर रहा था।
पूजा- भाई ऐसा कुछ नहीं है.. मैं बस ये देख रही थी कि आप किस हद तक जाते हो.. छी: अपनी बहन के साथ आपने ऐसा करने की सोची कैसे?
पुरु- बस बस.. मुझे और जलील मत करो.. मैं वासना के भंवर में फँस गया था और मैं क्या कोई भी ऐसे मौके पर बहक सकता है।
पूजा- नहीं ये झूट है.. मैं तो नहीं बहकी भाई.. मैंने भी सब देखा है!
पुरु- ऐसे नहीं मेरे साथ बैठ और फिर देख क्या होता है?
पूजा- ठीक है चालू करो दोबारा से..
पायल ने बीच में टोकते हुए कहा- यार तू पागल है क्या.. ऐसे कैसे हाँ.. कह दी तूने?
पूजा- अरे यार उस समय पता नहीं मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने हाँ..कह दी बस..
पायल- अच्छा फिर क्या हुआ?
पूजा- होना क्या था.. भाई ने मूवी चालू कर दी और बस हम दोनों देखने लगे और धीरे-धीरे मेरा जिस्म गर्म होने लगा। मेरी चूत गीली होने लगी.. मगर मैं बड़ी मुश्किल से अपने आपको रोके बैठी रही ताकि भाई को कुछ शक ना हो.. जब हालत काबू से बाहर हो गए.. तो मैंने चिल्ला कर कहा ‘बस बहुत हो गया.. अब बन्द करो देखो मैं नहीं बहकी ना..’
पुरु- झूट मत बोलो.. तेरी हालत मुझसे छुपी नहीं है.. अपनी चूत खोल कर दिखा.. कैसे गीली हो रही है?
पूजा- भाई आपको शर्म नहीं आती.. ऐसा बोलते हुए?
भाई ने मेरी टाँगें पकड़ी और पैन्टी के साथ बरमूडा खींच कर निकाल दिया। मैं कुछ समझ पाती.. इसके पहले उनका हाथ मेरी चूत पर था..
पुरु- उफ़फ्फ़.. तेरी चूत है या जलता तवा.. देख कितनी गर्म है और पानी-पानी हो रही है..
पूजा- भाई का हाथ चूत पर लगते ही मैं पागल हो गई। एक तो उस मूवी का असर और अब भाई की ये हरकत.. मेरी आँखें मज़े में बन्द हो गईं.. मैं बहुत कुछ बोलना चाहती थी.. मगर भाई ने अपने गर्म होंठ मेरी चूत पर रख दिए और चूत को चाटने लगे।
पायल- छी: छी: बन्द करो यह बात, मेरा दिल बेचैन हो गया.. कैसे तुम राज़ी हो गईं.. तेरा भाई तो पक्का हरामी निकाला.. अपनी ही बहन के साथ छी:..
पूजा- अरे क्या हुआ.. मज़ा नहीं आया क्या अरे चुदाई का सीन बताती हूँ न.. ज़्यादा मज़ा आएगा कि कैसे मेरे भाई ने मेरी चूत की सील तोड़ी!
पायल- नो.. अब कुछ मत बोलना.. मुझे ऐसी घटिया बात नहीं सुननी.. जिसमें भाई और बहन सेक्स करें.. ओके बाय मैं जा रही हूँ।
पूजा- अरे साफ-साफ क्यों नहीं कहती.. कि तेरी चूत गीली हो गई है और तुझसे सहन नहीं हो रही.. ज़्यादा सीधी बन कर रहेगी तो लौड़े के लिए तरसती रहेगी। समझी किसी ना किसी को पटा ले.. वो तेरी चूत की आग मिटा देगा।
पायल- नो वे.. मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं होगा.. समझी.. मुझे नफ़रत है सेक्स से ओके..
पूजा- मेरी जान तू झूट बोल रही है.. अगर तू पूरी बात सुन लेगी तो तेरा मन भी चुदने का करेगा.. इसी डर से तू भाग रही है ना..
पायल- नहीं ऐसा कुछ नहीं है.. बस मुझे ये सब गंदा लग रहा है..
पूजा- अरे बहाना मत बना.. भाई मेरा.. चूत मेरी.. तुझे क्या दिक्कत है सुनने में बोल?
पायल- तू नहीं समझेगी.. चल अब बता दे पूरी बात.. वैसे मुझे कुछ फ़र्क नहीं पड़ने वाला.. ओके।
पूजा- अच्छा अच्छा.. तुझे फ़र्क पड़े या ना पड़े.. मगर तू सुन लेगी तो मैं समझूँगी.. तू डरी नहीं.. ओके.. अब आगे का हाल सुन..
भाई लगातार अपनी जीभ की नोक से मेरी चूत के दाने को छेड़ रहे थे और मैं हवा में उड़ रही थी।
पायल- छी: तू भी शरीफ़ होने का नाटक कर रही थी.. भाई से चटवाते हुए शर्म नहीं आई तुझे?
पूजा- देख तू ऐसे बीच में बोलेगी.. तो कहाँ मज़ा आएगा। अब उस रात जो हुआ सब विस्तार से बता रही हूँ.. बीच में कुछ ना बोलना ओके..
पायल ने ‘हाँ’ कहा और पूजा शुरू हो गई जैसे उस रात हुआ वैसे ही उसने पूरा किस्सा कह सुनाया।
पुरु- उफ़फ्फ़ पूजा तेरी चूत कितनी टेस्टी है.. आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. चाटने में आह्ह.. उफ्फ…
पूजा- भाई मेरी चूत में लगे थे और.. आह्ह.. ईसस्स नहीं.. भाई आह्ह.. ये गलत है आ ऐसा मत करो ना प्लीज़ आह्ह..
पुरु- अब ये झूट मूट का नाटक मत कर.. तुझे पूरा मज़ा आ रहा है फिर भी ‘ना’ कह रही है। चल पूरी नंगी हो जा.. आज तुझे ऐसा मज़ा देता हूँ कि पूरी जिदगी याद करोगी मुझे..
भाई ने मेरे पूरे कपड़े निकाल दिए और खुद भी नंगा हो गया.. उसका लौड़ा एकदम तना हुआ था.. जिसे देख कर मेरी चूत पानी-पानी हो रही थी।
पुरु- अरे वाह तेरे मम्मे तो बड़े मस्त हैं एकदम छोटे शान्तरे जैसे.. ला ज़रा इनका भी रस पिला दे मुझको आह्ह.. क्या कड़क हैं तेरे मम्मे.. आज तो मज़ा आ गया।
पूजा- नहीं भाई.. ये तो छोटे अमरूद हैं इन्हें सेब बना दो.. सब यही कहते हैं।
पुरु- अरे मेरी जान.. तू बस देखती जा.. मैं क्या-क्या बनाता हूँ।
पुरु मेरे जिस्म के साथ खेलने लगा.. वो बहुत मज़े से कभी मेरे मम्मों को दबाता कभी चूसता.. मेरी चूत में झनझनाहट होने लगी थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे जिस्म का सारा खून वहाँ जमा होकर बाहर निकलना चाहता हो।
पूजा- एयेए आह.. इसस्स.. भाई आह्ह.. नीचे करो ना.. आह्ह.. मुझे कुछ हो रहा है आह्ह.. उइ.. आह्ह..
मेरी सिसकारियों को समझते हुए पुरु ने जल्दी से मेरी चूत को चूसना शुरू कर दिया.. उसी पल मैं झड़ गई।
पुरु ने रस मलाई की तरह मेरा सारा पानी चाट-चाट कर चूत को साफ कर दिया, अब मैं निढाल सी बिस्तर पर लेटी हुई थी।
पुरु- क्यों मेरी प्यारी बहना.. मज़ा आया ना.. इसे कहते है प्यार का खेल.. अब आगे-आगे देख तुझे कैसे मज़ा देता हूँ।
पूजा- भाई ये सब सही है क्या?
पूजा- अरे कभी तो चुदेगी ना.. वैसे आज तो तेरी चूत पूरी गीली हो गई होगी.. मेरी बात सुनकर..
पायल- नो वे.. ऐसा कुछ नहीं हुआ.. समझी.. मैंने कहा था ना.. मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। अब मैं जा रही हूँ तू बैठी रह यहाँ..
अब आगे..
पूजा- अरे झूटी कहीं की.. दिखा मुझे अभी पता लग जाएगा कि तेरी चूत गीली हुई या नहीं.. ऐसे कैसे भाग रही है?
पायल- अरे हट.. मेरा हाथ छोड़.. देख मैं मार दूँगी.. नहीं नहीं.. प्लीज़ मुझे जाने दे..
पूजा ने ज़बरदस्ती पायल को पकड़ लिया और उसकी चूत को छूकर देखने लगी.. जो वाकयी में गीली थी।
पूजा- अरे वाह झूठी.. इतना पानी गिरा दिया.. कि कपड़े भी गीले हो गए.. यार तू बड़ी जिद्दी है.. अपनी ज़िद में इस निगोड़ी चूत को क्यों सज़ा दे रही है.. बना ले किसी को अपना.. दे दे अपनी चूत को लौड़े का तोहफा.. कर दे सील का अंत..
पायल- बस बस.. तू जानती है… ऐसी बात से किसी का भी पानी रिसने लगता है.. मैं कोई अलग दुनिया से नहीं आई हूँ और यार ऐसे किसी को भी ये हक़ नहीं दे सकती.. समझी तू..
पूजा- अरे यार किसी और से नहीं तो अपने भाई को ही पटा ले.. घर की बात घर में रहेगी और मज़ा का मज़ा मिलता रहेगा तुम्हें..
पायल- पूजा ये क्या बकवास कर रही हो.. मैं तुम्हारी तरह नहीं हूँ और ना ही मेरा भाई इतना गंदा है.. जो अपनी बहन पर नज़र रखे.. समझी.. आज तो ऐसी गंदी बात मुझसे की.. पर दोबारा ना करना वरना अच्छा नहीं होगा..
पायल गुस्से में जाने लगी.. तभी पूजा भी थोड़ा गुस्सा हो गई..
पूजा- अरे जा जा.. बहुत सीधी बनती है.. जब चुद जाएगी ना.. तब पता लग जाएगा तेरे को.. समझी.. एक बार बस रात को भाई के पास सोकर देख.. पता लग जाएगा कि कितना सीधा और शरीफ है। वो तेरी चूत को ना चाट ले तो कहना.. मुझे बड़ी आई सती सावित्री।
पूजा की बात सुनकर पायल को गुस्सा तो आया.. मगर वो वहाँ रुक कर और बहस नहीं करना चाहती थी.. इसलिए वो बाहर चली गई..
लो दोस्तो, इन दोनों के बीच तो लड़ाई हो गई। यह पायल भी ना बड़ी जिद्दी है.. अब उसके पीछे जाना है क्या आपको.. नहीं ना..
तो मुनिया के पास चलो.. अब तक तो उसकी साँसें ठीक चलने लगी होंगी ना.. तो आओ मेरे साथ!
पुनीत और रॉनी दोनों मुनिया के दोनों तरफ लेटे हुए उसके जिस्म को सहला रहे थे, रॉनी का हाथ उसके होंठों पर था और पुनीत का मम्मों पर लगा था।
मुनिया- उफ़फ्फ़ पुनीत जी.. अब बस भी करो.. दोनों ने मिलकर मेरी चूत की हालत खराब कर दी है। अब क्या है थोड़ा आराम करने दो ना..
रॉनी- अरे रानी अभी तो एक राउंड हुआ है.. कल से तू लंबी छुट्टी पर जाओगी तो जान आज की पूरी रात तू मज़े ले.. हा हा हा हा..
पुनीत- तेरी चूत को आज ऐसे खोल देंगे कि तू हर वक़्त लौड़ा माँगेगी हा हा हा हा.. मगर जान गाँव में किसी से मत चुदवाना.. वरना तेरी नौकरी गई समझ.. हम झूटा माल नहीं खाते.. हा हा हा हा…
मुनिया- यह आप कैसी बातें कर रहे हो.. पुनीत जी मैं भला किसी और के पास क्यों जाऊँगी.. अब तो बस आपकी दासी बनकर रहूंगी.. मगर आप शहर से जल्दी आ जाना ठीक है..
रॉनी उसके निप्पलों को चूसने लगा और चूत को सहलाने लगा, अब शायद रॉनी का मन चुदाई करने का बन गया था।
मुनिया- आह्ह.. नहीं.. इसस्स.. दुःखता है आहह.. आप ऐसे काट क्यों रहे हो.. आह्ह.. आराम से चूसो ना..
पुनीत- अरे जानेमन.. दु:खेगा तभी तो तू एक्सपर्ट बनेगी और वैसे भी रॉनी बहुत कम किसी लड़की के साथ दो बार करता है.. तू इसको भा गई है इसलिए ये इतना प्यासा हो रहा है।
मुनिया- आह्ह.. मुझे तो आप दोनों भा गए हो.. अब तो बस आपकी दासी बन गई हूँ मैं.. जब तक आपका मन करे मुझे भोगते रहो और अपने लंबे-लंबे लौड़ों से मज़ा देते रहो।
पुनीत- वाह जान अब तू पक्की चुदक्कड़ बन गई है.. तेरी बातें अब मज़ा देने लगी हैं। चल आज तुझे नई-नई स्टाइल सिखाते हैं चल रॉनी के लंड पर बैठ कर अपने आप चुद.. मज़ा आएगा। तब तक मैं बाथरूम जाकर आता हूँ.. उसके बाद मैं तुम्हें गोदी में लेकर चोदूँगा।
पुनीत के जाने के बाद मुनिया ने पहले रॉनी का लौड़ा चूसा और उसके बाद धीरे से उस पर बैठ गई.. पूरा लौड़ा चूत में समा गया।
रॉनी नीचे से झटके दे रहा था और मुनिया लौड़े पर कूद रही थी।
लगभग 15 मिनट तक ये खेल चलता रहा.. तब तक पुनीत भी आ गया था।
अब रॉनी ने मुनिया को नीचे लिटा कर चोदना शुरू कर दिया था। पुनीत अब उसको लौड़ा चूसने लगा था और 10 मिनट बीते होंगे कि रॉनी और मुनिया झड़ गए..
पुनीत का लौड़ा बहुत अकड़ रहा था.. उसने मुनिया को 2 मिनट का रेस्ट दिया और खुद उस पर सवार हो गया। अब चुदाई का खेल दोबारा शुरू हो गया।
कुछ देर बाद पुनीत भी ठंडा हो गया।
अब मुनिया में बिल्कुल हिम्मत नहीं थी.. वो थक कर चूर हो गई थी..
दोनों भाई और चोदना चाहते थे.. मगर मुनिया ने उनको बहुत मुश्किल से समझाया कि उसकी हिम्मत पस्त हो गई है.. तो मजबूरन दोनों मान गए और मुनिया को सोने का बोल कर खुद भी सोने चले गए।
दोस्तो, मुनिया की ताबड़तोड़ चुदाई हो गई.. अब इनको सोने दो।
वहाँ पूजा अभी भी गुस्से में है या नहीं.. ये तो वहाँ जाकर ही देखते हैं।
पूजा बिस्तर पर लेटी हुई थी.. तभी पायल वापस आ गई.. जिसे देख कर पूजा ने मुँह घुमा लिया..
पायल- सॉरी यार.. मैंने कुछ ज़्यादा ही बोल दिया आई एम रेयली सॉरी..
पूजा कुछ नहीं बोली और बस वैसे ही पड़ी रही.. उसको बहुत गुस्सा आ रहा था मगर वो पायल से बात नहीं करना चाहती थी।
पायल भी कहाँ मानने वाली थी.. वो पूजा के पास आकर बैठ गई और उसके बालों को सहलाने लगी।
पूजा- यह क्या बदतमीज़ी है.. सोने दो मुझे.. जाओ अपने बिस्तर पर..
पायल- सॉरी यार मुझे तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है।
पूजा- मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी.. सो जाओ चुपचाप..
पायल- प्लीज़ प्लीज़ यार.. सुनो ना.. अच्छा बाबा कान पकड़ कर सॉरी बोलती हूँ.. बस..
पायल की मासूमियत के आगे पूजा पिघल गई, पायल के उदास चेहरे को देख कर उसको हँसी आ गई।
पूजा- हा हा हा.. अरे मुँह देख अपना कितना बकवास लग रहा है.. तू मुस्कुराती ही अच्छी लगती है ऐसे उदास तो बिल्कुल नहीं..
पायल- थैंक गॉड.. तुम मान तो गई यार.. मुझे अच्छा नहीं लगा मैंने बहुत ज़्यादा बोल दिया तुम्हें..
पूजा- नहीं यार ग़लती मेरी भी है.. मुझे भी तुमसे ऐसी बात नहीं करनी चाहिए थी.. चल बैठ मेरे पास और वादा कर दोबारा नाराज़ नहीं होगी तू..
पायल- अच्छा बाबा नहीं होऊँगी मैं.. बस खुश.. चलो आज हम दोनों एक ही बिस्तर पर सोएंगे ठीक है..
पूजा- क्यों कहा घूम कर आई हो और क्या इरादा है.. कहीं तुम्हारी भी चूत फड़फड़ा तो नहीं रही है?
पायल- अरे यार तुम दोबारा शुरू हो गई ना.. जाओ नहीं सोती मैं..
पूजा- अरे मजाक कर रही हूँ यार.. चल आ जा.. सो जाते हैं वैसे भी कल हम घर चले जाएँगे..
पूजा और पायल पास में लेट गई और बातें करने लगीं और बस यही बातों का दौर चलता रहा। कब दोनों की आँखें बन्द हो गईं.. उनको पता भी नहीं चला।
दोस्तो, सुबह का सूरज निकले.. उसके पहले एक बात बता देती हूँ।
टोनी और उसके दोस्त खाना खाने के बाद ऐसे ही बैठे हुए थे.. तभी टोनी को भाई का फ़ोन आया और उसने उसे फ़ौरन कहीं बुलाया। कोई 20 मिनट बाद टोनी उस जगह पहुँच गया.. जहाँ भाई पहले से ही खड़ा हुआ था।
टोनी- क्या हुआ भाई.. ऐसे अचानक अपने मेरे को यहाँ क्यों बुलाया?
भाई- प्लान थोड़ा चेंज हो गया है.. मैंने कहा था ना कल वो दोनों भाई यहाँ अपनी बहन के साथ होंगे.. तब तू आराम से देख लेना। मगर वो लोग ज़्यादा चालाक हैं शायद यहाँ ना आएं.. तो तू एक काम करना.. कुछ लड़के जो आवारा टाइप के हों.. उनको कल यहाँ बुलाना और उसको छेड़ने के लिए कहना..
टोनी- भाई ये बहुत उलझन वाली बात अपने बोल दी.. पहले तो मुझे पूरी बात समझाओ.. बाद में मेरे को कोई ऑर्डर देना।
भाई- अरे बेवकूफ़.. कल दोपहर 12 बजे उन लड़कों को यहाँ खड़ा करना और अपने आवारा लड़कों से उसको छेड़ने को कहना.. जब वो लोग शुरू हो जाएं.. तब पीछे से आकर तुम झगड़ा शुरू कर देना.. बस…
टोनी- ये बात तो मैं समझ गया.. जो आपने कहा.. हो जाएगा.. मगर इससे होगा क्या और वो रंडी को मैं पहचानूँगा कैसे.. असली बात वो है?
भाई- पूरी बात सुने बिना बोलता है… कल 12 बजे वो यहाँ से गुज़रेगी.. मैं तुम्हें कॉल करके इशारा दूँगा.. तू लड़कों को इशारा दे देना.. वो लड़के उसको छेड़ रहे होंगे.. तब वो उनसे झगड़ेगी.. तू उनको फटकार लगा कर भगाएगा.. वो कुछ ना कुछ जरूर बोलेगी.. बस किसी तरह उससे बात कर लेना.. उसका नाम पूछ लेना..
पूजा- अरे कभी तो चुदेगी ना.. वैसे आज तो तेरी चूत पूरी गीली हो गई होगी.. मेरी बात सुनकर..
पायल- नो वे.. ऐसा कुछ नहीं हुआ.. समझी.. मैंने कहा था ना.. मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। अब मैं जा रही हूँ तू बैठी रह यहाँ..
अब आगे..
पूजा- अरे झूटी कहीं की.. दिखा मुझे अभी पता लग जाएगा कि तेरी चूत गीली हुई या नहीं.. ऐसे कैसे भाग रही है?
पायल- अरे हट.. मेरा हाथ छोड़.. देख मैं मार दूँगी.. नहीं नहीं.. प्लीज़ मुझे जाने दे..
पूजा ने ज़बरदस्ती पायल को पकड़ लिया और उसकी चूत को छूकर देखने लगी.. जो वाकयी में गीली थी।
पूजा- अरे वाह झूठी.. इतना पानी गिरा दिया.. कि कपड़े भी गीले हो गए.. यार तू बड़ी जिद्दी है.. अपनी ज़िद में इस निगोड़ी चूत को क्यों सज़ा दे रही है.. बना ले किसी को अपना.. दे दे अपनी चूत को लौड़े का तोहफा.. कर दे सील का अंत..
पायल- बस बस.. तू जानती है… ऐसी बात से किसी का भी पानी रिसने लगता है.. मैं कोई अलग दुनिया से नहीं आई हूँ और यार ऐसे किसी को भी ये हक़ नहीं दे सकती.. समझी तू..
पूजा- अरे यार किसी और से नहीं तो अपने भाई को ही पटा ले.. घर की बात घर में रहेगी और मज़ा का मज़ा मिलता रहेगा तुम्हें..
पायल- पूजा ये क्या बकवास कर रही हो.. मैं तुम्हारी तरह नहीं हूँ और ना ही मेरा भाई इतना गंदा है.. जो अपनी बहन पर नज़र रखे.. समझी.. आज तो ऐसी गंदी बात मुझसे की.. पर दोबारा ना करना वरना अच्छा नहीं होगा..
पायल गुस्से में जाने लगी.. तभी पूजा भी थोड़ा गुस्सा हो गई..
पूजा- अरे जा जा.. बहुत सीधी बनती है.. जब चुद जाएगी ना.. तब पता लग जाएगा तेरे को.. समझी.. एक बार बस रात को भाई के पास सोकर देख.. पता लग जाएगा कि कितना सीधा और शरीफ है। वो तेरी चूत को ना चाट ले तो कहना.. मुझे बड़ी आई सती सावित्री।
पूजा की बात सुनकर पायल को गुस्सा तो आया.. मगर वो वहाँ रुक कर और बहस नहीं करना चाहती थी.. इसलिए वो बाहर चली गई..
लो दोस्तो, इन दोनों के बीच तो लड़ाई हो गई। यह पायल भी ना बड़ी जिद्दी है.. अब उसके पीछे जाना है क्या आपको.. नहीं ना..
तो मुनिया के पास चलो.. अब तक तो उसकी साँसें ठीक चलने लगी होंगी ना.. तो आओ मेरे साथ!
पुनीत और रॉनी दोनों मुनिया के दोनों तरफ लेटे हुए उसके जिस्म को सहला रहे थे, रॉनी का हाथ उसके होंठों पर था और पुनीत का मम्मों पर लगा था।
मुनिया- उफ़फ्फ़ पुनीत जी.. अब बस भी करो.. दोनों ने मिलकर मेरी चूत की हालत खराब कर दी है। अब क्या है थोड़ा आराम करने दो ना..
रॉनी- अरे रानी अभी तो एक राउंड हुआ है.. कल से तू लंबी छुट्टी पर जाओगी तो जान आज की पूरी रात तू मज़े ले.. हा हा हा हा..
पुनीत- तेरी चूत को आज ऐसे खोल देंगे कि तू हर वक़्त लौड़ा माँगेगी हा हा हा हा.. मगर जान गाँव में किसी से मत चुदवाना.. वरना तेरी नौकरी गई समझ.. हम झूटा माल नहीं खाते.. हा हा हा हा…
मुनिया- यह आप कैसी बातें कर रहे हो.. पुनीत जी मैं भला किसी और के पास क्यों जाऊँगी.. अब तो बस आपकी दासी बनकर रहूंगी.. मगर आप शहर से जल्दी आ जाना ठीक है..
रॉनी उसके निप्पलों को चूसने लगा और चूत को सहलाने लगा, अब शायद रॉनी का मन चुदाई करने का बन गया था।
मुनिया- आह्ह.. नहीं.. इसस्स.. दुःखता है आहह.. आप ऐसे काट क्यों रहे हो.. आह्ह.. आराम से चूसो ना..
पुनीत- अरे जानेमन.. दु:खेगा तभी तो तू एक्सपर्ट बनेगी और वैसे भी रॉनी बहुत कम किसी लड़की के साथ दो बार करता है.. तू इसको भा गई है इसलिए ये इतना प्यासा हो रहा है।
मुनिया- आह्ह.. मुझे तो आप दोनों भा गए हो.. अब तो बस आपकी दासी बन गई हूँ मैं.. जब तक आपका मन करे मुझे भोगते रहो और अपने लंबे-लंबे लौड़ों से मज़ा देते रहो।
पुनीत- वाह जान अब तू पक्की चुदक्कड़ बन गई है.. तेरी बातें अब मज़ा देने लगी हैं। चल आज तुझे नई-नई स्टाइल सिखाते हैं चल रॉनी के लंड पर बैठ कर अपने आप चुद.. मज़ा आएगा। तब तक मैं बाथरूम जाकर आता हूँ.. उसके बाद मैं तुम्हें गोदी में लेकर चोदूँगा।
पुनीत के जाने के बाद मुनिया ने पहले रॉनी का लौड़ा चूसा और उसके बाद धीरे से उस पर बैठ गई.. पूरा लौड़ा चूत में समा गया।
रॉनी नीचे से झटके दे रहा था और मुनिया लौड़े पर कूद रही थी।
लगभग 15 मिनट तक ये खेल चलता रहा.. तब तक पुनीत भी आ गया था।
अब रॉनी ने मुनिया को नीचे लिटा कर चोदना शुरू कर दिया था। पुनीत अब उसको लौड़ा चूसने लगा था और 10 मिनट बीते होंगे कि रॉनी और मुनिया झड़ गए..
पुनीत का लौड़ा बहुत अकड़ रहा था.. उसने मुनिया को 2 मिनट का रेस्ट दिया और खुद उस पर सवार हो गया। अब चुदाई का खेल दोबारा शुरू हो गया।
कुछ देर बाद पुनीत भी ठंडा हो गया।
अब मुनिया में बिल्कुल हिम्मत नहीं थी.. वो थक कर चूर हो गई थी..
दोनों भाई और चोदना चाहते थे.. मगर मुनिया ने उनको बहुत मुश्किल से समझाया कि उसकी हिम्मत पस्त हो गई है.. तो मजबूरन दोनों मान गए और मुनिया को सोने का बोल कर खुद भी सोने चले गए।
दोस्तो, मुनिया की ताबड़तोड़ चुदाई हो गई.. अब इनको सोने दो।
वहाँ पूजा अभी भी गुस्से में है या नहीं.. ये तो वहाँ जाकर ही देखते हैं।
पूजा बिस्तर पर लेटी हुई थी.. तभी पायल वापस आ गई.. जिसे देख कर पूजा ने मुँह घुमा लिया..
पायल- सॉरी यार.. मैंने कुछ ज़्यादा ही बोल दिया आई एम रेयली सॉरी..
पूजा कुछ नहीं बोली और बस वैसे ही पड़ी रही.. उसको बहुत गुस्सा आ रहा था मगर वो पायल से बात नहीं करना चाहती थी।
पायल भी कहाँ मानने वाली थी.. वो पूजा के पास आकर बैठ गई और उसके बालों को सहलाने लगी।
पूजा- यह क्या बदतमीज़ी है.. सोने दो मुझे.. जाओ अपने बिस्तर पर..
पायल- सॉरी यार मुझे तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है।
पूजा- मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी.. सो जाओ चुपचाप..
पायल- प्लीज़ प्लीज़ यार.. सुनो ना.. अच्छा बाबा कान पकड़ कर सॉरी बोलती हूँ.. बस..
पायल की मासूमियत के आगे पूजा पिघल गई, पायल के उदास चेहरे को देख कर उसको हँसी आ गई।
पूजा- हा हा हा.. अरे मुँह देख अपना कितना बकवास लग रहा है.. तू मुस्कुराती ही अच्छी लगती है ऐसे उदास तो बिल्कुल नहीं..
पायल- थैंक गॉड.. तुम मान तो गई यार.. मुझे अच्छा नहीं लगा मैंने बहुत ज़्यादा बोल दिया तुम्हें..
पूजा- नहीं यार ग़लती मेरी भी है.. मुझे भी तुमसे ऐसी बात नहीं करनी चाहिए थी.. चल बैठ मेरे पास और वादा कर दोबारा नाराज़ नहीं होगी तू..
पायल- अच्छा बाबा नहीं होऊँगी मैं.. बस खुश.. चलो आज हम दोनों एक ही बिस्तर पर सोएंगे ठीक है..
पूजा- क्यों कहा घूम कर आई हो और क्या इरादा है.. कहीं तुम्हारी भी चूत फड़फड़ा तो नहीं रही है?
पायल- अरे यार तुम दोबारा शुरू हो गई ना.. जाओ नहीं सोती मैं..
पूजा- अरे मजाक कर रही हूँ यार.. चल आ जा.. सो जाते हैं वैसे भी कल हम घर चले जाएँगे..
पूजा और पायल पास में लेट गई और बातें करने लगीं और बस यही बातों का दौर चलता रहा। कब दोनों की आँखें बन्द हो गईं.. उनको पता भी नहीं चला।
दोस्तो, सुबह का सूरज निकले.. उसके पहले एक बात बता देती हूँ।
टोनी और उसके दोस्त खाना खाने के बाद ऐसे ही बैठे हुए थे.. तभी टोनी को भाई का फ़ोन आया और उसने उसे फ़ौरन कहीं बुलाया। कोई 20 मिनट बाद टोनी उस जगह पहुँच गया.. जहाँ भाई पहले से ही खड़ा हुआ था।
टोनी- क्या हुआ भाई.. ऐसे अचानक अपने मेरे को यहाँ क्यों बुलाया?
भाई- प्लान थोड़ा चेंज हो गया है.. मैंने कहा था ना कल वो दोनों भाई यहाँ अपनी बहन के साथ होंगे.. तब तू आराम से देख लेना। मगर वो लोग ज़्यादा चालाक हैं शायद यहाँ ना आएं.. तो तू एक काम करना.. कुछ लड़के जो आवारा टाइप के हों.. उनको कल यहाँ बुलाना और उसको छेड़ने के लिए कहना..
टोनी- भाई ये बहुत उलझन वाली बात अपने बोल दी.. पहले तो मुझे पूरी बात समझाओ.. बाद में मेरे को कोई ऑर्डर देना।
भाई- अरे बेवकूफ़.. कल दोपहर 12 बजे उन लड़कों को यहाँ खड़ा करना और अपने आवारा लड़कों से उसको छेड़ने को कहना.. जब वो लोग शुरू हो जाएं.. तब पीछे से आकर तुम झगड़ा शुरू कर देना.. बस…
टोनी- ये बात तो मैं समझ गया.. जो आपने कहा.. हो जाएगा.. मगर इससे होगा क्या और वो रंडी को मैं पहचानूँगा कैसे.. असली बात वो है?
भाई- पूरी बात सुने बिना बोलता है… कल 12 बजे वो यहाँ से गुज़रेगी.. मैं तुम्हें कॉल करके इशारा दूँगा.. तू लड़कों को इशारा दे देना.. वो लड़के उसको छेड़ रहे होंगे.. तब वो उनसे झगड़ेगी.. तू उनको फटकार लगा कर भगाएगा.. वो कुछ ना कुछ जरूर बोलेगी.. बस किसी तरह उससे बात कर लेना.. उसका नाम पूछ लेना..
टोनी- यह बात तो मैं समझ गया.. जो आपने कहा.. हो जाएगा.. मगर इससे होगा क्या? और उस रंडी को मैं पहचानूँगा कैसे.. असली बात वो है?
भाई- पूरी बात सुने बिना बोलता है… कल 12 बजे वो यहाँ से गुज़रेगी.. मैं तुम्हें कॉल करके इशारा दूँगा.. तू लड़कों को इशारा दे देना.. वो लड़के उसको छेड़ रहे होंगे.. तब वो उनसे झगड़ेगी.. तू उनको फटकार लगा कर भगाएगा.. वो कुछ ना कुछ जरूर बोलेगी.. बस किसी तरह उससे बात कर लेना.. उसका नाम पूछ लेना..
अब आगे..
टोनी- भाई बुरा ना मानना.. यह बहुत घुमा कर आप नहीं बता रहे मुझे.. इससे अच्छा तो एक काम है.. आप उसको पहचानते हो.. कल यहाँ मेरे साथ आ जाना.. बस एक इशारा कर देना.. मैं समझ जाऊँगा यह वही है..
भाई- जितनी तेरी सोच.. उतना ही बोलेगा साले.. उसकी पिक मेरे पास है चाहूँ तो वो दिखा कर भी बता सकता हूँ.. मगर तू नहीं समझेगा.. तुझे उसका नाम तो याद है ना?
टोनी- अरे हाँ.. भाई याद है.. मगर उसका नाम पूछ कर उससे बात करके क्या हासिल होगा हमें? हम ऐसे भी जान सकते हैं उसको?
भाई- तू पागल है एकदम.. अब सुन उसका नाम जानकर उससे बातें कर.. उसके भाई के बारे में.. घर के बारे में.. सब कुछ पता कर… हाँ.. चुप पता है तू यही कहेगा न.. मैं सब जानता हूँ.. मगर उसको यह अहसास मत दिला। जब वो अपने भाई का नाम ले.. तब तू कहना.. वो तो मेरा दोस्त है और बस किसी बहाने उसके घर तक जा। मैं उस कुत्ते की आँखों में डर देखना चाहता हूँ और वो डर तब पैदा होगा.. जब तू उसकी बहन के साथ उसके घर तक चला जाएगा। उसका प्लान धरा का धरा रह जाएगा.. हा हा हा..
टोनी- वाह भाई असली बात तो अब बताई आपने.. मगर अब भी एक सवाल है.. आप कल वहाँ होंगे तो कॉल करने की क्या जरूरत है.. साथ में रहकर बता देना।
भाई- नहीं जैसा मैंने कहा.. वैसा कर.. बस तेरा उसके साथ उनके घर तक जाना जरूरी है। मैं साथ रहूँ.. यह जरूरी नहीं.. समझा..
टोनी- क्या जरूरी है और क्या नहीं.. मेरी समझ के बाहर है भाई.. मुझे तो आप जाने दो।
भाई- हाँ.. एक बात सुन.. कल बाइक नहीं.. कार लेकर जाना.. समझे..
टोनी- अब ये क्या पंगा है?
भाई- यह बात तुझे कल अपने आप पता लग जाएगी.. तू मेरे दिमाग़ को नहीं जानता.. जहाँ सारी दुनिया सोचना बन्द करती है.. मैं वहाँ से सोचना शुरू करता हूँ.. समझा अब जा..
टोनी- भाई आपका दिमाग़ तो दोधारी तलवार है.. दोनों तरफ़ से चलता है.. ओके कल आपका काम हो जाएगा।
भाई- सुन.. पहले वाला प्लान भी याद रखना.. शायद वो आ भी जाए। हर हाल में तुझे कल ये कम करना ही है.. समझा ना तू?
टोनी- हाँ.. पता है.. अगर वो आए तो उनके सामने पहुँच जाऊँगा और बातों में फँसा कर उनके मुँह से उगलवा लूँगा कि यह हमारी बहन है.. नहीं तो ये दूसरा प्लान तो है ही ना..
भाई- गुड अब की ना तूने समझदारी वाली बात.. चल अब जा..
टोनी- भाई एक बात है.. कल वो लड़के लाऊँगा.. तो थोड़ा रोकड़ा दे देते..
भाई- अरे इतनी जल्दी पैसे माँगने लगा.. वो जो दिए थे उनका क्या हुआ?
टोनी- व्व..वो तो भाई ख़त्म हो गए.. अब आपने इतने काम बता दिए.. गेस्ट हाउस बुक किया.. कोमल को दिए.. उन दोनों को दिए.. फार्म पर आया.. अब आप बताओ इतने सब काम तो कर दिए..
भाई हँसने लगा और अपना पर्स निकाला उसमें से हजार के कुछ नोट टोनी को दिए और कहा- अभी इनसे काम चलाओ बाद में और दे दूँगा..
जब भाई पर्स से पैसे निकाल रहा था.. तब टोनी की नज़र उसके पर्स पर थी और उसमें एक तस्वीर देख कर वो चौंक गया.. क्योंकि वो तस्वीर जिसकी थी उसको टोनी अच्छी तरह से जानता था। मगर उस वक़्त उसने चुप रहना ठीक समझा और भाई से पैसे लेकर वहाँ से निकल गया।
दोस्तो, उम्मीद है.. सस्पेंस के साथ मज़ा भी आपको बराबर मिल रहा होगा।
टेन्शन नॉट… अब धीरे-धीरे सब राज़ पर से परदा उठेगा और नए-नए ट्विस्ट सामने आएँगे।
वहाँ से टोनी वापस सुनील और विवेक के पास चला गया। उनको भाई से हुई बात बताई और कल के लिए कुछ लड़कों से फ़ोन पर बात भी कर ली। उसके बाद उनके पीने का दौर शुरू हुआ।
विवेक- बॉस मानना पड़ेगा.. यह भाई साला जो भी है.. बहुत माइंड वाला है.. कैसे आइडिया लाता है कि दिमाग़ घूम जाता है।
सुनील- तू ठीक बोलता है यार.. मगर ये है कौन.. और अपना चेहरा क्यों छुपा कर रखता है।
विवेक- अपने को क्या है यार? होगा कोई भी.. अपने को तो बस पैसे और कुँवारी चूत से मतलब है..
टोनी- चुप सालों क्या उसकी तारीफ कर रहे हो.. साला वो बहुत बड़ा हरामी है.. आज मैंने उसको पहचान लिया है। साला अपने आप को बहुत माइंडेड समझता है ना… मगर आज उसने मेरे सामने पर्स निकाल कर ग़लती कर दी। साला भूल गया कि उसमें जो फोटो लगी है.. टोनी उसको देखते ही पहचान जाएगा कि वो किसकी है। उसके बाद भी साले ने मेरे सामने पैसे निकाले।
विवेक- क्या बात कर रहे हो बॉस किसकी फोटो देख ली और कौन है ये भाई.. हमको भी बताओ ना..?
टोनी- नहीं.. अभी नहीं सालों.. तुम खेल को बिगाड़ दोगे.. अब मैं उसके नकाब हटने का इंतजार करूँगा.. देखता हूँ साला कितना बड़ा गैम्बलर है.. अब मैं उसके साथ डबल गेम खेलूँगा। तुम दोनों बस देखते जाओ।
वो तीनों काफ़ी देर पीते रहे और बस ऐसे ही बातें करते रहे। उसके बाद इधर-उधर लेट गए और नींद की गहराइयों में कहीं गुम हो गए।
दोस्तो, सुबह के 9 बजे मुनिया की जब आँख खुली.. तो उसका पूरा बदन दर्द से दु:ख रहा था और उसकी चूत भी दर्द कर रही थी.. मगर उसके होंठों पर एक मुस्कान थी.. जो साफ ब्यान कर रही थी कि एक कली अब फूल बन गई है।
रात की चुदाई की याद उसको तड़पा रही थी।
वो उठी और बाथरूम में चली गई.. अच्छे से नहा कर उसने कपड़े पहने और सीधी अपने प्रेमियों के कमरे की तरफ़ गई। मगर अन्दर से रॉनी की आवाज़ सुनकर वो वहीं रुक गई।
रॉनी- जी जी बड़े पापा.. नहीं.. नहीं.. हम ठीक हैं हाँ हाँ.. बस निकल ही रहे हैं समय से आ जाएँगे.. आप चिंता मत करो..
पुनीत- अरे यार, यह पापा को क्या हो गया सुबह सुबह क्यों फ़ोन किया?
रॉनी- अरे यार पता नहीं.. बहुत गुस्सा थे.. बोल रहे थे कि जल्द से जल्द घर आ जाओ..
पुनीत- अरे यार उनको बता कर आए थे ना कि हम एक हफ़्ता फार्म पर रहेंगे। यह तो गेम की वजह से आज जाना पड़ रहा है.. वैसे हुआ क्या?
रॉनी- अरे यार आने के पहले तुमको कोई पेपर साइन करने को कहा था.. तू जल्दी में भूल गया.. उसी के लिए गुस्सा हैं और हमसे क्या काम होगा?
पुनीत- ओह.. शिट.. अब तो पापा और चिल्लाएँगे.. मुझे भी यहाँ आने के चक्कर में याद नहीं रहा..
रॉनी- अब बातें बन्द कर.. जल्दी रेडी हो जा.. नहीं तो और सुनना पड़ेगा। मैं मुनिया को उठा कर रेडी करवाता हूँ।
रॉनी दरवाजे के पास गया.. तभी मुनिया ने दरवाजा खोल दिया।
रॉनी- अरे उठ गई मुनिया रानी.. मैं अभी तुम्हारे पास ही आ रहा था.. अच्छा हुआ तू खुद आ गई और कमाल की बात है तू तो रेडी हो गई..
मुनिया- हाँ.. रॉनी जी.. मैं तैयार हूँ और आपको जगाने आई.. तो आपकी बात भी मैंने सुन ली थी। आप तो तैयार हो पुनीत जी भी तैयार हो जाएं.. तो हम निकल जाएँगे.. मगर मुझे गाँव नहीं जाना.. आप मुझे अपने साथ ही ले चलो ना.. मैं आपके बिना नहीं रह सकती.. कुछ भी करो.. मुझे ले चलो..
रॉनी- अरे पगली.. ऐसे डायरेक्ट घर नहीं ले जा सकते.. तू बात को समझ .. जल्दी हम वापस आएँगे.. यहाँ एक खेल होने वाला है.. उसके बाद तुमको शहर साथ ले जाएँगे।
मुनिया ने बहुत ज़िद की.. मगर रॉनी ने उसको समझा कर मना लिया कि वो अगली बार उसको साथ ले जाएँगे और उसको 5000 रुपये भी दिए.. जिससे मुनिया खुश हो गई।
तब तक पुनीत भी तैयार हो गया था, सबने जल्दी से नाश्ता किया और वहाँ से निकल गए।
दोस्तो, मेरे पास कुछ दोस्तों के ईमेल आए कि यहाँ के नौकरों का कोई नाम और जिक्र मैंने नहीं किया.. तो आपको बता दूँ.. उनका ऐसा कोई खास रोल ही नहीं है.. तो नाम जानकर क्या करोगे? ओके आगे का हाल देखो..
गाड़ी रॉनी चला रहा था और पुनीत पीछे मुनिया के साथ बैठा हुआ उसके होंठों पर उंगली घुमा रहा था.. उसके मम्मों को दबा रहा था।
मुनिया- क्या हुआ पुनीत जी.. आप तो बड़े बेसबरे हो रहे हो.. रात को मन नहीं भरा क्या आपका?
पुनीत- अरे रात को तूने पूरा मज़ा लेने कहाँ दिया था..
रॉनी- हाँ.. भाई दो बार में ही थक गई थी ये.. अब अगली बार इसको बराबर चोद कर मज़ा लेंगे।
मुनिया- अरे आप लोगों के लिए 2 बार हुआ होगा.. मेरे लिए तो 4 बार हो गया था। आप दोनों अलग-अलग क्यों नहीं करते… जैसे एक रात पुनीत जी और और एक रात आप.. तब ज़्यादा मज़ा आएगा.. आप दोनों को और मुझे भी..
पुनीत- मेरी जान तेरी गाण्ड की सील खुल जाने दे.. उसके बाद तू खुद दोनों को एक साथ बुलाएगी.. क्योंकि तुझे आगे और पीछे एक साथ मज़ा मिलेगा और हो सकता है तीसरा भी माँग ले.. मुँह के लिए हा हा हा हा..
मुनिया- जाओ.. आप बहुत बदमाश हो कुछ भी बोल देते हो..
पुनीत- मेरी जान तेरी गाण्ड की सील खुल जाने दे.. उसके बाद तू खुद दोनों को एक साथ बुलाएगी.. क्योंकि तुझे आगे और पीछे एक साथ मज़ा मिलेगा और हो सकता है तीसरा भी माँग ले.. मुँह के लिए हा हा हा!
मुनिया- जाओ.. आप बहुत बदमाश हो कुछ भी बोल देते हो..
अब आगे..
वो तीनों ऐसे ही बातें करते हुए जा रहे थे। कब मुनिया का गाँव आ गया.. पता भी नहीं चला.. वहाँ उसकी माँ को उन्होंने कहा- मुनिया बहुत अच्छा काम करती है.. और जल्दी ही इसको शहर ले जाएँगे।
पुनीत ने उसकी माँ को एक हजार रुपये दिए- ये रखो.. आगे और ज़्यादा देंगे..
मगर जब वो वहाँ खड़े बातें कर रहे थे एक लड़का जो करीब 21 साल का होगा वो छुप कर उनको देख रहा था और उसके माथे पर बहुत पसीना आ रहा था जैसे उसने कोई भूत देख लिया।
कुछ देर वहाँ रहने के बाद वो दोनों वहाँ से शहर के लिए निकल गए।
गाड़ी में रॉनी ने पुनीत को कहा कि मुनिया को और पैसे क्यों दिए.. मैंने सुबह उसको 5 हजार दे दिए थे।
पुनीत- अरे यार ऐसी कच्ची कली के आगे ये पैसे क्या हैं चलेगा.. अगली बार डबल का मज़ा लेंगे ना..
रॉनी- वो बात नहीं है यार.. पैसे तो कुछ नहीं.. मगर इतने पैसे देख कर उसकी माँ को शक ना हो जाए..
पुनीत- अरे कुछ नहीं होगा यार.. तू सोचता बहुत है.. चल अब जल्दी कर.. नहीं पापा का गुस्सा और बढ़ जाएगा और वो जाते ही बरस पड़ेंगे।
रॉनी ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी और गाड़ी तेज़ी से दौड़ने लगी।
उधर इनके जाने के बाद सरिता बहुत खुश हो गई और मुनिया को गले से लगा कर प्यार करने लगी।
सरिता- बेटी वहाँ तुमको कोई परेशानी तो नहीं हुई ना?
मुनिया- नहीं माँ.. वहाँ पहले से बहुत नौकर हैं मुझे तो ज़्यादा काम भी नहीं करना पड़ा और ये दोनों बाबूजी भी बहुत अच्छे हैं इन्होंने मुझे वहाँ अच्छी तरह रखा।
वो दोनों अभी बातें कर ही रही थीं तभी वहाँ वो लड़का भी आ गया जो बहुत गुस्से में दिख रहा था।
दोस्तो, इसका परिचय भी दे देती हूँ.. यह अर्जुन है इसी गाँव का है.. और मुनिया की माँ को काकी बोलता है।
अर्जुन- क्यों काकी.. कितना कमा के लाई है मुनिया रानी.. जरा मुझे भी बताओ?
अर्जुन को देख कर मुनिया खुश हो गई और जल्दी से मुनिया ने उसका हाथ पकड़ कर उसको घुमा दिया।
मुनिया- अरे अर्जुन तू आ गया शहर से.. अरे कितने दिन मैंने तुझे याद किया… देख मुझे भी नौकरी मिल गई.. ये बाबू लोग बहुत अच्छे हैं।
सरिता- तुम दोनों बातें करो.. मैं खाना बना देती हूँ.. आज मेरी बिटिया को अपने हाथ से खाना खिलाऊँगी।
अर्जुन- हाँ.. मुनिया अब बता.. यह सब क्या है.. तू उनके साथ कैसे गई.. मुझे सारी बातें विस्तार से बता?
मुनिया ने उसको सब बता दिया.. बस चुदाई की बात नहीं बताई.. झूट मूट काम का बोलकर अपनी बात पूरी की।
अर्जुन- मुनिया तुम दोनों माँ-बेटी पागल हो गई हो.. ये बड़े घर के बिगड़े हुए लड़के हैं.. तुम इनको नहीं जानती.. ये कुछ भी कर सकते हैं। पता है ये कौन हैं..? मैंने शहर में इनको उस कुत्ते के साथ देखा है.. ये उसके ही साथी हैं ओह.. मुनिया तुम कैसे इनके यहाँ काम कर सकती हो.. इन लोगों की वजह से ही हमारी आशा हमसे दूर हो गई.. तुम भूल गई क्या वो दिन?
मुनिया- तुम क्या बोल रहे हो अर्जुन.. नहीं नहीं.. ऐसा नहीं हो सकता.. ये उसके साथी नहीं हो सकते.. वो दिन मैं कैसे भूल सकती हूँ.. नहीं तुमको कोई धोखा हुआ है शायद..
अर्जुन- नहीं मुनिया.. मुझे कोई धोखा नहीं हुआ.. कुछ दिन पहले मैंने इन दोनों के साथ उस जालिम को देखा है। मैं उसकी सूरत कभी नहीं भूल सकता तुम मानो या ना मानो.. मगर इन दोनों का उसके साथ कोई ना कोई सम्बन्ध जरूर है..
अर्जुन की बात सुनकर मुनिया के चेहरे का रंग उड़ गया.. उसकी आँखों में आँसू आ गए।
अर्जुन- अरे क्या हुआ मुनिया.. तू क्यों रो रही है.. रोना तो उस कुत्ते को होगा। अब मैं शहर में नौकरी करने नहीं बल्कि उसको ढूँढने गया था। अब उसका पता ठिकाना मुझे पता चल गया है.. बस बहुत जल्द मैं उसको सबक़ सिखा दूँगा.. तू देखती जा..
मुनिया- हाँ.. अर्जुन उसको छोड़ना नहीं.. उसने आशा के साथ बहुत बुरा किया था और एक बार मुझे भी उसको दिखाना। उस दिन मेरे मुँह पर कीचड़ था तो मैं उसको देख नहीं पाई थी।
अर्जुन- हाँ.. मुनिया अबकी बार जब मैं शहर जाऊँगा.. तो तुम भी साथ चलना.. मैं तुमको दिखा दूँगा और हाँ.. अब तुम इन दोनों से साफ-साफ कह देना कि तुमको इनकी नौकरी नहीं करनी।
मुनिया- नहीं अर्जुन.. सच में ये दोनों भाई बहुत अच्छे हैं हो सकता है.. वो इनका साथी हो.. मगर ये अच्छे लोग हैं और मुझे जल्दी शहर लेकर जाएँगे.. तब हम आसानी से उसको सबक़ सिखा देंगे.. सही है ना?
अर्जुन- नहीं मुनिया.. तू बहुत भोली है.. इन अमीरों को नहीं जानती.. ये अच्छे बन कर भोली भाली लड़की का दिल जीत लेते हैं.. उसके बाद उसकी इज़्ज़त को तार-तार कर देते हैं।
अर्जुन की बात सुनकर मुनिया सहम गई क्योंकि उसने तो अपनी इज़्ज़त गंवा दी थी.. मगर वो अर्जुन को ये सब नहीं बताना चाहती थी.. इसलिए उसने बात को काटकर दूसरी बात शुरू कर दी।
कुछ देर बाद सरिता भी आ गई और वो सब बातों में लग गए।
उधर रॉनी और पुनीत तेज़ी से घर की तरफ़ जा रहे थे.. तभी पुनीत का फ़ोन बजने लगा। स्क्रीन पर पापा का नम्बर देख कर वो थोड़ा परेशान हो गया।
रॉनी- भाई किसका फ़ोन है.. उठाते क्यों नहीं.. कब से बज रहा है?
पुनीत- अरे यार पापा का है.. अब इनको भी बहुत जल्दी है क्या करूँ?
रॉनी- करना क्या है.. बोल दो बस पहुँचने वाले हैं..
पुनीत ने फ़ोन उठाया तो सामने से गुस्से में आवाज़ आई- कहाँ हो तुम दोनों.. अब तक आए क्यों नहीं?
पुनीत- बस पापा पहुँचने ही वाले हैं आप गुस्सा मत हो..
पापा- अरे गुस्सा कैसे नहीं होऊँ.. तुमसे एक काम भी ठीक से नहीं होता.. ये पेपर बहुत जरूरी हैं आज मुझे कहीं देने हैं अब बिना कहीं रुके सीधे घर आ जाओ बस..
फ़ोन रखने के बाद पुनीत की जान में जान आई.. उसने रॉनी को स्पीड और तेज़ करने को कहा।
दोस्तो, इनको घर जाने की बहुत जल्दी है और शायद आपको भी तो चलो इनसे पहले मैं आपको वहाँ ले जाती हूँ ताकि उस घर में रहने वाले लोगों को आप जान लो और कहानी को समझ सको।
पुनीत के पापा संजय खन्ना का इंट्रो मैंने शुरू में दे दिया था.. मगर आप भूल गए होंगे तो दोबारा बता देती हूँ।
संजय खन्ना की उमर करीब 42 साल की है.. अच्छी परसनेल्टी के मलिक हैं दिल्ली के बड़े प्रॉपर्टी डीलर हैं.. थोड़े गुस्से वाले भी हैं। इनकी धर्म पत्नी अनुराधा खन्ना.. जो एक धार्मिक किस्म की औरत हैं। उम्र लगभग 40 साल.. सांवला रंग और कम ऊँचाई की घरेलू औरत हैं।
इनके घर में सुनीता खन्ना भी इनके साथ ही रहती हैं उनकी उमर करीब 39 साल है.. रंग गोरा और दिखने में अभी भी 30 की लगती हैं। इन्होंने अपना फिगर भी मेंटेन किया हुआ है। 36-28-36 का फिगर बड़ा ही जबरदस्त लगता है। ये रॉनी की माँ हैं अपने पति आकाश की आकस्मिक मौत के बाद यहीं रहती हैं।
वैसे तो दोनों भाई साथ मिलकर काम करते थे.. मगर आकाश की मौत के बाद सारा काम संजय ही संभालता है.. और रॉनी को अपने बेटे से ज़्यादा मानता है। इनके अलावा कुछ नौकर हैं.. जिनका इंट्रो देना जरूरी नहीं..
अरे अरे.. एक बात बताना भूल गई.. पायल को तो आप जानते ही हो.. वो भी संजय की ही बेटी है… मगर कुछ वजह से वो यहाँ नहीं रहती.. ज़्यादातर हॉस्टल में ही रहती है। बस छुट्टियों में यहाँ आती है.. अब इसके पीछे का कारण भी आप जानते हो.. वो अपनी चाची से नफ़रत करती है.. याद है ना उसने पूजा को बताया था कि उसके पापा और उसकी चाची के बीच नाजायज़ सम्बन्ध हैं। अब वो सब कैसे और क्यों हैं.. इसका समय अभी नहीं आया.. सही समय पर सब बता दूँगी ओके..। तो चलो जान-पहचान हो गई.. अब घर में एंट्री मारते हैं।
संजय सोफे के पास चक्कर लगा रहा था.. तभी अनुराधा आ गई।
अनुराधा- आप आराम से बैठ जाए ना.. आ जाएँगे वो दोनों..
संजय- अरे क्या खाक बैठ जाऊँ.. ये पेपर मुझे लंच के पहले देने हैं.. नहीं बहुत नुकसान हो जाएगा..
अनुराधा- ओह्ह.. अब परेशान मत हो आप.. वो जल्दी आ जाएंगे और आप भी ना.. जब आपको पता है ये बच्चे लापरवाह हैं तो क्यों कोई ज़मीन इनके नाम पर लेते हो।
संजय- अरे खून है मेरा.. इनके नाम ज़मीन नहीं लूँगा तो किसके नाम पर लूँगा.. हाँ.. अब तुम जाओ मेरा दिमाग़ ना खराब करो।
संजय का गुस्सा देखकर अनुराधा वहाँ से अपने कमरे की तरफ़ चली गई.. कुछ ही देर बाद सुनीता ऊपर से नीचे आई और सोफे पर बैठ गई।
अनुराधा- ओह्ह.. अब परेशान मत हो आप.. वो जल्दी आ जाएंगे और आप भी ना.. जब आपको पता है कि ये बच्चे लापरवाह हैं तो क्यों कोई ज़मीन इनके नाम पर लेते हो?
संजय- अरे खून है मेरा.. इनके नाम ज़मीन नहीं लूँगा तो किसके नाम पर लूँगा.. हाँ.. अब तुम जाओ मेरा दिमाग़ ना खराब करो।
संजय का गुस्सा देखकर अनुराधा वहाँ से अपने कमरे की तरफ़ चली गई.. कुछ ही देर बाद सुनीता ऊपर से नीचे आई और सोफे पर बैठ गई।
अब आगे..
अनुराधा की विधवा देवरानी सुनीता को देख कर लगता है नहीं कि यह विधवा है.. क्योंकि सुनीता ने ग्रीन कलर की बहुत ही फैंसी साड़ी पहनी हुई थी और चेहरे पर मेकअप.. होंठों पर लाली.. जैसे नई-नवेली दुल्हन हो और वो चल भी बड़ी अदा के साथ रही थी।
सुनीता- क्या हुआ भाईसाहब.. बहुत टेन्शन में लग रहे हो?
संजय- मैंने तुमसे कितनी बार कहा है कि मुझे भाई मत कहा करो.. क्या तुम्हें समझ में नहीं आता?
सुनीता- अरे वो तो अकेले में बोलने से मना किया था.. अब मैं यहाँ हॉल में थोड़ी वैसे बोलूँगी..
संजय- अच्छा.. अच्छा.. ठीक है.. वैसे इतनी सजधज के कहाँ जा रही हो?
सुनीता- कहीं नहीं.. बस ऐसे ही थोड़ी शॉपिंग करनी थी..
संजय- ठीक है जाओ.. मगर मुझे अकेला छोड़ दो..
सुनीता ने एक मुस्कान संजय को दी और बाहर को निकल गई।
कुछ देर बाद पुनीत और रॉनी लगभग भागते हुए घर के अन्दर आए.. उनको देख कर संजय की जान में जान आई।
उन्होंने ज़्यादा बात नहीं की.. बस टेबल से पेपर लिए और पुनीत को साइन करने को कहा।
जैसे ही पुनीत ने साइन किए.. संजय जल्दी में बाहर निकल गए.. और जाते हुए वो दोनों को हिदायत दे गए- लंच के टाइम घर में ही रहना.. मुझको तुम दोनों से जरूरी काम है।
पापा के जाने के बाद दोनों ऊपर अपने अपने कमरों में चले गए।
दोस्तो.. वहाँ टोनी और उसके दोस्तों ने अपने काम को अंजाम देने के लिए कुछ लड़कों से बात कर ली और बस वो उस पल के इंतजार में बैठ गए।
गर्ल्स हॉस्टल में भी सुबह से गहमा-गहमी थी.. आज कुछ और लड़कियाँ अपने घर जा रही थीं.. जिनमें पूजा और पायल भी शामिल थीं।
पूजा- अरे पायल, तू अकेली जाएगी या कोई लेने के लिए आएगा?
पायल- नहीं यार.. मैंने बताया था ना.. मैं रिक्शा लेकर चली जाऊँगी.. तू अपनी बता.. तुम्हें लेने कौन आ रहा है.. कहीं पुरू तो नहीं आ रहा ना?
पूजा- अरे नहीं यार.. वो कहाँ आएगा.. अब वो तो नौकरी के लिए लंदन चला गया है.. मेरे अंकल आएँगे..
ये दोनों यूँ ही नार्मली बातें कर रही थीं और बाकी लड़कियाँ भी अपने आप में व्यस्त थीं।
दोस्तो, यहाँ अभी कोई फायदा नहीं.. वापस खन्ना हाउस में चलते हैं।
फ़ोन की घंटी बज रही थी.. मगर हॉल में कोई नहीं था। कुछ देर बाद अनुराधा रसोई से बाहर आई और उसने फ़ोन को उठाया। कुछ देर बात करने के बाद फ़ोन रख दिया और वो सीधी ऊपर पुनीत के कमरे की तरफ़ गई।
पुनीत- हाय मॉम.. क्या हुआ..? आप ऊपर क्यों आईं.. मुझे बुला लिया होता..
अनुराधा- कोई बात नहीं बेटा.. वो हॉस्टल से फ़ोन आया था छुट्टियाँ शुरू हो गई हैं तुम्हारी बहन पायल भी आज घर आ रही है। तुम जाकर उसको ले आओ ना… वो कहाँ रिक्शा में धक्के खाती हुई आएगी।
अनुराधा जब बोल रही थी तब रॉनी भी वहाँ आ गया था और उनकी बात सुनकर रॉनी ने पुनीत से कहा- चलो भाई दोनों साथ चलते हैं।
पुनीत- नहीं पापा ने कहीं भी जाने से मना किया है.. मॉम आप टेन्शन मत लो.. वो आ जाएगी.. वैसे भी उसको पसन्द नहीं कि कोई उसके काम में टांग अड़ाए.. आप जाओ उसके पसन्द की कोई चीज बनाओ.. बहुत टाइम बाद आ रही है आपकी लाड़ली बेटी..
अनुराधा ने दोबारा कहा.. मगर पुनीत ने उनको टाल दिया और वो वहाँ से वापस चली गई।
रॉनी- क्या भाई.. चलते है ना.. गुड्डी से मिले बहुत टाइम हो गया हमको.. साथ में आते तो मज़ा आता..
पुनीत- पागल मत बनो.. टोनी की नज़र हम पर ही होगी.. इस तरह गुड्डी के साथ बाहर घूमना ठीक नहीं..
रॉनी- ओह.. सॉरी यार ये तो मेरे दिमाग़ में आया ही नहीं.. भाई आप बहुत माइंडेड हो.. सच में..
पुनीत- अभी तुमने मेरे दिमाग़ का खेल देखा कहाँ है.. आगे-आगे देख.. कैसे उसकी बहन को घोड़ी बना कर चोदता हूँ.. साली की गाण्ड बहुत भा गई है मुझे..
रॉनी- हाँ भाई.. जरूर करेंगे.. मगर सन्नी से बात तो कर लेते हैं कि उसने लड़की का बंदोबस्त किया या नहीं..
पुनीत- हाँ ये भी सही है.. तू ऐसा कर.. सन्नी को फ़ोन लगा अभी.. उसको पूछ.. कुछ हुआ क्या?
रॉनी ने सन्नी को फ़ोन लगाया और लड़की के बारे में पूछा।
सन्नी- अरे.. कैसे हो.. आ गए क्या तुम दोनों.. यार कहाँ हो अभी?
रॉनी- अरे आ गए यार.. अभी घर में ही हैं तू कहाँ है?
सन्नी- अरे में तो मार्केट में हूँ.. तुम दोनों घर पर क्या कर रहे हो?
रॉनी- अरे यार कुछ नहीं.. पुनीत के पापा को तू जानता है ना.. गुस्सा हैं किसी वजह से.. अब लंच तक हम कहीं नहीं जा सकते.. समझा तू.. जल्दी लड़की का बंदोबस्त कर यार..
सन्नी- अरे हाँ यार, शाम तक देखता हूँ हम साथ में चलेंगे..
रॉनी- यार जो करना है.. जल्दी करो और शाम ही ठीक रहेगी.. वैसे भी अभी हम बाहर जा नहीं सकते। आज गुड्डी भी घर आ रही है.. उसको लेने भी नहीं जा सके.. बेचारी अकेली आएगी।
सन्नी- ओह.. अच्छा यह बात है.. चलो ठीक है शाम को मिलते हैं।
सन्नी के फ़ोन काटने के बाद दोनों बातें करने लगे कि आगे सब कैसे करना है और लड़की कोई ठीक ढूँढनी होगी।
दोस्तो, अब ज़बरदस्त ट्विस्ट आपका हॉस्टल के बाहर इन्तजार कर रहा है.. तो वहीं चलते हैं!
पूजा ने अपना बैग तैयार किया और जाने के लिए तैयार हो गई। वो पायल का इन्तजार कर रही थी कि वो बाथरूम से बाहर आए.. तो उससे मिलकर वो निकल जाए, इसीलिए वो वहीं बिस्तर पर बैठ गई।
उधर बाहर टोनी अपने दोस्तों के साथ पायल का इन्तजार कर रहा था और उससे कुछ दूरी पर टोनी के भाड़े के गुंडे भी खड़े उसके इशारे का इन्तजार कर रहे थे।
विवेक कोल्ड ड्रिंक लेने गया तो उसे दूर सन्नी खड़ा हुआ दिखाई दिया.. वापस आकर उसने टोनी को बताया।
टोनी- अच्छा उन कुत्तों का चमचा हम पर नज़र रख रहा है.. वैसे उसने पहना क्या है.. यह बता जल्दी?
विवेक- इससे क्या फ़र्क पड़ेगा बॉस?
टोनी- सवाल मत कर.. जल्दी बोल.. अभी बिग बॉस का फ़ोन आने वाला है..
विवेक- ब्लू शर्ट और ब्लैक जीन्स.. ये बिग बॉस कौन है बॉस?
टोनी- अरे वही.. जिसे आज तक मैं भाई बोलता था.. आज से बिग बॉस कहूँगा..
टोनी की बात भी पूरी नहीं हुई थी कि उसका फ़ोन बजने लगा।
टोनी- हाँ बिग बॉस.. बोलो क्या कहना है.. आपको मैं हॉस्टल के बाहर ही मिलता हूँ।
भाई- वो दोनों नहीं आ रहे.. तो दूसरा प्लान ही करना होगा। वो लड़के कहाँ पर हैं?
टोनी- डोंट वरी बिग बी.. हम सब यही हैं आप बस देखते जाओ..
फ़ोन कट जाने के बाद विवेक ने पूछा कि आपको कैसे पता फ़ोन आएगा।
टोनी- हा हा हा.. मैंने कहा था ना.. टाइम आने पर भाई का नाम बता दूँगा। यह साला हरामी सन्नी ही भाई है.. अब बस 5 मिनट रूको.. खुद समझ जाओगे कि यही भाई है। सुनो जब मैं पायल से बात करूं.. तुम उस पर नज़र रखना और मेरे जाने के बाद उसके पास चले जाना।
विवेक- उसके पास जाकर क्या कहें?
टोनी- कुछ मत कहना.. बस उसके सामने चले जाना.. अगर वो बात करे तो ठीक.. नहीं उसको देख कर आगे निकल जाना.. समझे..
पायल रेडी होकर जब बाहर आई.. तो पूजा ने उससे कहा- मैं जा रही हूँ.. तुमसे मिले बिना कैसे जाती.. तो यहीं बैठ गई।
पायल- अरे अच्छा किया.. मैं भी बस निकल ही रही हूँ.. चलो साथ-साथ जाते हैं तुम अपने अंकल के साथ निकल जाना.. मैं बाहर से रिक्शा ले लूँगी।
दोनों साथ में बाहर निकलीं.. तभी टोनी के फ़ोन पर भाई का फ़ोन आया.. उसने बताया कि पायल ने पीली शर्ट और वाइट जीन्स पहनी हुई है.. जो करना संभाल कर करना..
पूजा के अंकल टैक्सी ले आए थे.. बाहर आकर पूजा ने पायल को गले लगाया और गाड़ी में बैठ कर चली गई। उसी टाइम टोनी ने उन लड़कों को इशारा कर दिया कि यह ही वो लड़की है..
लड़का 1- हाय जानेमन.. कहाँ जा रही हो.. ये बिजलियाँ गिराते हुए?
लड़का 2- अरे रुक ना जान.. अपना नाम तो बता कर जा..
उनकी बातों से पायल गुस्सा हो गई मगर उनके मुँह लगना उसने ठीक नहीं समझा.. तो वो चुपचाप आगे आकर रिक्शा को रोकने लगी।
लड़का 3- अरे जान.. कहाँ जाना है.. हम छोड़ देंगे.. आ जा..
पायल कुछ कहती.. इसके पहले एक लड़के ने उसका हाथ पकड़ लिया।
पूजा के अंकल टैक्सी ले आए थे.. बाहर आकर पूजा ने पायल को गले लगाया और गाड़ी में बैठ कर चली गई।
उसी टाइम टोनी ने उन लड़कों को इशारा कर दिया कि ये ही वो लड़की है।
लड़का 1- हाय जानेमन.. कहाँ जा रही हो.. ये बिजलियाँ गिराते हुए..?
लड़का 2- अरे रुक ना जान.. अपना नाम तो बता कर जा..
उनकी बातों से पायल गुस्सा हो गई मगर उनके मुँह लगना उसने ठीक नहीं समझा.. तो वो चुपचाप आगे आ कर रिक्शा को रोकने लगी।
लड़का 3- अरे जान.. कहाँ जाना है.. हम छोड़ देंगे.. आ जा..
पायल कुछ कहती.. इसके पहले एक लड़के ने उसका हाथ पकड़ लिया।
अब आगे..
पायल- हे छोड़ो मुझे.. क्या बदतमीज़ी है ये?
बस यही वो पल था.. जब टोनी अपने दोस्तों के साथ मैदान में उतार गया।
टोनी- ओये.. लड़की का हाथ छोड़.. वरना हाथ उखाड़ दूँगा तेरा..
लड़का 1- क्यों तू कौन है रे.. ज़्यादा हीरो ना बन.. चुपचाप निकल जा यहाँ से.. नहीं सारी हेकड़ी निकाल देंगे..
तभी सुनील और विवेक भी उनसे उलझ पड़े और कुछ देर बाद वो सब वहाँ से भाग गए।
पायल- थैंक्स.. आप नहीं आते तो पता नहीं क्या हो जाता..
टोनी- अरे नहीं नहीं.. ये तो मेरा फर्ज़ था.. वैसे मेरा नाम टोनी है..
पायल- ओह.. रियली.. आप बहुत अच्छे हैं मैं पायल खन्ना हूँ।
टोनी- अच्छा अच्छा.. वैसे आप यहाँ क्यों खड़ी हो.. कहाँ जाना है.. मैं आपको छोड़ देता हूँ?
पायल- मैं रिक्शे के लिए खड़ी हूँ.. घर जाना है.. आप क्यों तकलीफ़ करते हो.. मैं चली जाऊँगी।
टोनी- ओह.. अच्छा एक बात है.. आप अकेली जा रही हैं आपको लेने कोई नहीं आया.. आप कहाँ की रहने वाली हो?
पायल- अरे मैं यहीं की हूँ.. पापा काम में बिज़ी हैं और दो भाई हैं मगर उनको अपने दोस्तों से ही फ़ुर्सत नहीं मिलती.. मुझे लेने क्या आएँगे.. मैं चली जाऊँगी..
टोनी- दो भाई हैं? क्या मैं उनका नाम जान सकता हूँ.. क्योंकि मेरे भी दोस्तों का सरनेम खन्ना है..
पायल- अच्छा उनके नाम क्या हैं?
टोनी- एक पुनीत और दूसरा रॉनी..
पायल- ओह.. रियली.. यही तो मेरे भाई हैं देखो इत्तेफ़ाक की बात.. आज तक मैंने कभी आपको देखा नहीं.. मगर आप मेरी मदद को आ गए और मेरे भाई के दोस्त भी निकले.. चलो अब मैं चलती हूँ.. घर जरूर आना आप..
टोनी- अरे नहीं.. ऐसे-कैसे चली जाओगी और कभी और नहीं.. आज ही मैं आपके घर चलूँगा आपके साथ ही.. समझी अब आपको मेरी बात माननी होगी..
पायल- अरे ये आप-आप क्या लगा रखा है.. मैं आपसे छोटी हूँ.. मुझे तुम भी बुला सकते हो आप..
टोनी- हाँ क्यों नहीं.. तुम चलो वो सामने मेरी कार खड़ी है.. तुम जाकर बैठो.. मैं बस एक मिनट में एक जरूरी कॉल करके आया..।
पायल मुस्कुराती हुई गाड़ी की तरफ़ जाने लगी.. तभी टोनी ने भाई को फ़ोन लगाया।
भाई- क्या हुआ.. फ़ोन क्यों किया.. जाओ..
टोनी- हाँ भाई जा ही रहा हूँ.. बस आपको बताने के लिए फ़ोन किया कि आप ब्लू शर्ट में बड़े मस्त दिख रहे हो.. आप भाई नहीं.. बिग बॉस हो..
भाई- ओह्ह.. क्या बोल रहे हो.. कैसी ब्लू-शर्ट मैं.. कुछ समझा नहीं..
टोनी- आकर सब समझा दूँगा भाई.. नहीं नहीं.. सन्नी भाई.. हा हा हा बहुत मास्टर माइंड है ना तू.. चल अभी जाता हूँ आकर बात करता हूँ बाय..
भाई कुछ बोलता उसके पहले टोनी ने फ़ोन काट दिया और कार की तरफ़ बढ़ गया।
इधर सुनील और विवेक की नज़र सन्नी पर ही थी.. जब फ़ोन पर वो बात कर रहा था.. तो उसके माथे पर पसीना आ गया था और तभी ये दोनों उसके सामने आ गए।
सन्नी- तुम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो और टोनी कहाँ है?
विवेक- हा हा हा.. अब हम इतने भी चूतिए नहीं है सन्नी भाई.. हा हा हा… हम सब जानते हैं।
सन्नी- चुप रहो.. ज़्यादा बनो मत और जब तक मेरी बात टोनी से नहीं हो जाती.. अपना मुँह बन्द रखना.. समझे.. नहीं तो सारे किए कराए पर पानी फिर जाएगा.. अब जाओ यहाँ से..
वो दोनों चुपचाप वहाँ से निकल गए.. उधर गाड़ी में टोनी अपनी मीठी बातों से पायल को बहला रहा था।
पायल- आप बातें बहुत अच्छी करते हो.. दिल करता है बस आप बोलते रहो और मैं सुनती रहूँ।
टोनी- अरे ऐसा कुछ नहीं है.. मैं तो बस ऐसे ही बकवास करता रहता हूँ.. आपको पता नहीं कैसे य अच्छी लग रही हैं।
दोनों बातें करते हुए पायल के घर तक पहुँच गए..
जब दोनों साथ घर के अन्दर गए तो अनुराधा के चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई.. उसने आवाज़ देकर दोनों भाइयों को भी बुला लिया।
अनुराधा- अरे मेरी प्यारी बेटी.. कितनी देर लगा दी आने में.. और तुम्हारे साथ ये कौन है?
पायल- वो माँ वहाँ कोई रिक्शा नहीं मिला.. तब ये मिल गए.. ये भाई के दोस्त हैं मुझे घर तक छोड़ने आए हैं।
अनुराधा- अच्छा किया बेटा.. तुम बैठो.. मैं खाने का इंतजाम करती हूँ.. अब घर तक आए हो तो खाना खाए बिना नहीं जाने दूँगी..
टोनी कुछ बोलता उसके पहले ऊपर से दोनों नीचे आते हुए दिखाई दिए। अनुराधा वहाँ से रसोई की तरफ़ चली गई मगर टोनी को देख कर दोनों के होश उड़ गए।
पायल भाग कर दोनों से मिली.. वो उनसे मिलकर बहुत खुश थी।
पुनीत की तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई थी टोनी को देख कर उसका गला सूख गया था।
पायल- अरे आप दोनों को क्या हो गया है.. ऐसे क्या देख रहे हो? ये आपका दोस्त टोनी ही है.. कोई भूत नहीं.. जो आप दोनों इसे देख कर ऐसे डर रहे हो हा हा हा..
रॉनी- त..तो..तुम यहाँ कैस?
टोनी कुछ बोलता.. उसके पहले पायल ने सारा हाल उनको सुना दिया।
पुनीत- किसकी इतनी मजाल.. जो हमारी बहन को छेड़ने की हिम्मत की.. सालों को जान से मार दूँगा में..
पायल- अरे नहीं भाई.. इसकी जरूरत नहीं है.. टोनी ने उनको अच्छा सबक़ सिखा दिया है।
टोनी कुछ बोलना चाहता था.. तभी उसका फ़ोन बजने लगा, उसने फ़ोन उठाया और बस इतना कहा कि 5 मिनट में आता हूँ.. वेट करो..
टोनी- सॉरी पायल मुझे जाना होगा.. फिर कभी आऊँगा.. तुम पर मेरा लंच उधार रहा.. ओके बाय..
पायल- ओह टोनी.. थोड़ा रुक जाते तो अच्छा होता.. चलो अब जा ही रहे हो तो ‘थैंक्स..’ कि आपने मेरी इतनी हेल्प की..
टोनी- अरे इसमें थैंक्स क्या.. तुम कोई पराई थोड़ी हो.. ओके रॉनी एंड पुनीत.. चलता हूँ और हाँ शाम को मिल रहे हो ना.. या कल मिलोगे?
रॉनी- ओके, जाओ मैं शाम को कॉल कर दूँगा तुमको..
पायल- भाई आप दोनों के चेहरे ऐसे उतरे हुए क्यों हैं?
पुनीत- अरे कुछ नहीं.. बस ऐसे ही.. तू सुना क्या चल रहा है.. तेरे एग्जाम कैसे रहे और अबकी बार तू कहीं नहीं जाएगी.. समझी अब बहुत हो गया बस.. अब तू हमारे साथ ही रहेगी..
अनुराधा- अरे बेटा.. मैं तो समझा कर थक गई.. हर बार मेहमान की तरह आती है और चली जाती है। अबकी बार तुम दोनों ही इसे समझाना कि यह इसका भी घर है.. ऐसे हॉस्टल में रहना अच्छा नहीं..
रॉनी- आप टेन्शन मत लो आंटी.. अबकी बार हम इसको नहीं जाने देंगे।
काफ़ी देर तक वहाँ बातें होती रहीं.. अनुराधा ने टोनी के बारे में पूछा तो पायल ने बता दिया कि उसको कोई काम था.. वो चला गया..
पायल- ओके मॉम.. मैं फ्रेश होकर आती हूँ.. उसके बाद सब साथ में लंच करेंगे ओके बाय ब्रो..
सन्नी- हाँ जानता हूँ.. तुझे भी और तेरी औकात भी मुझे पता है..
टोनी- सन्नी भाई.. ये बहुत ज़्यादा हो रहा है.. अब काम की बात करो..
सन्नी- देख टोनी.. तुझे पैसे से मतलब होना चाहिए.. इसके अलावा तू अपना दिमाग़ लगाना बन्द कर..
टोनी- बिग बॉस, अब तक तो आपने सिर्फ़ खुरचन दी है.. अब कोई तगड़ा माल दो.. तो अपना दिमाग़ चलाना तो क्या.. ताला लगा के बन्द कर दूँगा मैं..
सन्नी- मैं जानता था.. मेरा राज़ जानने के बाद तू अपना मुँह जरूर खोलेगा.. इसी लिए उसे बन्द करने का बंदोबस्त करके आया हूँ।
इतना कहकर सन्नी ने नोटों की एक गड्डी टोनी के पास फेंकी।
टोनी- ओह.. बिग बॉस आप महान हो.. बस ऐसे ही पैसों की बारिश करते रहो मेरे को क्या.. तुम पुनीत की बहन को चोदो.. या उसको रंडी बनाओ..
सन्नी- क्यों अब आया ना अपनी औकात पर.. चल पहले ये बता तुझे पता कैसे लगा मेरे बारे में?
टोनी- भाई बुरा मत मानना.. वैसे तो आप बहुत माइंड वाले हो.. मगर पैसे देते टाइम मैंने आपकी पिक देख ली थी और ये पहली बार होता तो शायद में कन्फ्यूज ही रहता.. मगर पहले भी अक्सर पार्टी में मैंने आपके पर्स में ये पिक देखी हुई थी.. तो बस में फ़ौरन समझ गया कि ये आप हो।
सन्नी- यदि मेरा पर्स चोरी हो गया होता और ये किसी और के पास होता तो?
टोनी- नहीं भाई.. टोनी इतना कच्चा नहीं है.. मुझे पता था आप अगर भाई हो तो वहाँ रहोगे.. और हुआ भी वैसा ही.. उसके बाद भी मैंने ब्लू शर्ट वाली बात बोली ताकि पक्का कनफर्म हो जाए और बस हो गई बात कन्फर्म.. हा हा हा..
सन्नी- साला पक्का कुत्ता है तू.. बस फ़र्क इतना है उसकी नाक तेज होती है और तेरी आँख तेज है।
टोनी- भाई कुत्ता नहीं.. अपुन बाज है.. जो दूर से भी शिकार को देख लेता है और आप तो बहुत पास थे मेरे..
सन्नी- चल अब ये सब बातें बंद कर.. वहाँ क्या हुआ.. ये बता?
टोनी- नहीं भाई.. टोनी इतना कच्चा नहीं है.. मुझे पता था आप अगर भाई हो तो वहाँ रहोगे.. और हुआ भी वैसा ही.. उसके बाद भी मैंने ब्लू शर्ट वाली बात बोली ताकि पक्का कन्फर्म हो जाए और बस हो गई बात कन्फर्म.. हा हा हा..
सन्नी- साला पक्का कुत्ता है तू.. बस फ़र्क इतना है उसकी नाक तेज होती है और तेरी आँख तेज है।
टोनी- भाई कुत्ता नहीं.. अपुन बाज है.. जो दूर से भी शिकार को देख लेता है और आप तो बहुत पास थे मेरे..
सन्नी- चल अब ये सब बातें बंद कर.. वहाँ क्या हुआ.. यह बता?
अब आगे..
टोनी ने वहाँ का सारा हाल बता दिया।
सन्नी- अब आएगा मज़ा.. साला हमारे जाल में फँस गया।
टोनी- भाई बुरा ना मानना.. मगर मैं जानना चाहूँगा कि वो वजह क्या है जिसके लिए आप ये सब कर रहे हो?
सन्नी- वैसे तो तुझे बताना जरूरी नहीं है मगर आज मैं बहुत खुश हूँ इसलिए तुझे बता देता हूँ।
टोनी- हाँ भाई अपुन को सुनना है..
सन्नी- मैंने तुझे झूठ कहा था कि पायल ने मुझे नामर्द कहा.. असली बात तो यह है कि मैं एक लड़की से सच्चा प्यार करने लगा था.. हम दोनों शादी करना चाहते थे.. मगर पुनीत की गंदी नज़र उस पर पड़ गई और वो उसे अपनी हवस का शिकार बनाने के लिए बेताब हो गया।
टोनी- ओह.. साला बहुत हरामी है।
सन्नी- हाँ टोनी.. अगर उस टाइम मुझे उसकी नीयत का पता लग जाता.. तो आज मेरा प्यार मेरे साथ होता.. मगर उस कुत्ते की वजह से मैं अकेला हो गया.. मिटा दिया उसने मेरी जान को तोड़ दिया.. उसने मेरे विश्वास को.. अब में उसे बताऊँगा कि उसकी हवस का अंत उसकी अपनी बहन की चूत पर होगा.. पहले तो सबके सामने साली को नंगा करूँगा.. उसके बाद उस कुत्ते को भी बहनचोद बन जाने पर मजबूर कर दूँगा.. उसके बाद उसकी हवस ख़त्म होगी और मेरा बदला पूरा होगा..
टोनी- भाई पायल को चोद कर उसकी हवस ख़त्म होने के बजाए बढ़ जाएगी.. वो चीज़ ही ऐसी है।
सन्नी- नहीं टोनी.. पायल उसकी लास्ट शिकार होगी.. क्योंकि उसके बाद उसको इतना बदनाम कर दूँगा कि साला किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहेगा।
टोनी- मगर भाई.. रॉनी का क्या होगा? वो भी तो साथ होगा.. उसको भी साथ बदनाम करोगे क्या?
सन्नी- नहीं टोनी.. उससे मेरी कोई दुश्मनी नहीं है.. मगर एक पुरानी कहावत है.. कि गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है.. अगर वो बीच में टांग अड़ाएगा.. तो उसका भी यही अंजाम होगा.. क्योंकि अब मैं पीछे नहीं हटूँगा अपना बदला लेकर रहूँगा।
टोनी- अच्छा.. अब आगे क्या करना है?
सन्नी- तुमने बहुत बड़ी ग़लती की जो विवेक और सुनील को यह राज़ बता दिया कहीं वो कुछ गड़बड़ ना कर दें।
टोनी- नहीं भाई.. वो मेरे भरोसे के आदमी हैं वो ऐसा कुछ नहीं करेंगे..
सन्नी- ओके ठीक है.. अभी उनके पास जाओ.. उनको समझाओ.. यह राज़ नहीं खुलना चाहिए.. आगे का प्लान मैं फ़ोन पर तुमको बता दूँगा।
टोनी- ठीक है भाई.. वैसे भी आज तो उन दोनों की गाण्ड फटी हुई है.. वो तो अब सोचते रहेंगे कि क्या करें..
सन्नी- नहीं वो कुछ नहीं सोचेंगे.. सीधे मुझे फ़ोन करेंगे.. वैसे अब तक उनका फ़ोन आ जाना चाहिए था.. लगता है मौका नहीं मिला होगा सालों को.. हा हा हा..
कुछ देर टोनी वहीं रहा.. उसके बाद सीधा अपने दोस्तों के पास आकर उनको अच्छी तरह सब समझा दिया कि आगे बहुत ध्यान से सब करना है।
दोस्तों आप सोच रहे होंगे.. शुरू में तो बहुत गर्म पार्ट आ रहे थे.. मैंने अब आपको ये कहाँ ट्विस्ट के चक्कर में फँसा दिया.. तो चलो आपकी शिकायत अभी दूर कर देते हैं।
उधर खाना खाने के बाद मुनिया ने माँ से कहा- मैं अर्जुन के साथ खेत पर जा रही हूँ.. जल्दी आ जाऊँगी।
उसकी माँ ने उसे भेज दिया।
दोनों बातें करते हुए खेत पर पहुँच गए.. वहाँ एक कमरा बना हुआ था.. जहाँ एक चारपाई भी थी.. दोनों वहाँ जाकर उस पर बैठ गए..
मुनिया- हाँ तो अर्जुन, अब सुना तू अपनी कहानी शहर में क्या काम करता है.. और कोई शहरी लड़की के चक्कर में तो नहीं पड़ गया ना?
अर्जुन- अरे नहीं रे.. तू भी ना कुछ भी बोल देती है.. मेरे पिता जी ने एक छोटी सी दुकान पर लगाया है.. बस सारा दिन वहीं रहता हूँ.. कभी कभार सेठ छुट्टी दे देता है.. तो उस कुत्ते की खैर-खबर लेता हूँ। मेरा असली मकसद वही था.. अब सब पता लग गया.. तो मैं कुछ दिन की छुट्टी लेकर तेरे से मिलने आ गया। मगर काकी ने बताया तू तो किसी बाबू के साथ गई है.. बस मेरा माथा ठनका.. मगर मैं कुछ करता.. तू आज आ ही गई..
मुनिया- धत्त तेरी की.. शहर में किसी मेम को नहीं देखा तूने?
अर्जुन- अरे देखी तो बहुत.. मगर जो बात गाँव की गोरी में होती है.. वो शहर में कहाँ है पगली..
मुनिया- अच्छा गाँव में कोई पसन्द है क्या तुझे?
अर्जुन- हाँ एक लड़की है.. बड़ी नाज़ुक सी.. मगर कहने में डरता हूँ।
मुनिया- अरे वाह.. बता ना कौन है वो.. मैं भी तो देखूँ कौन छिपकली है.. जो मेरे दोस्त को भा गई।
अर्जुन- ओ मुनिया की बच्ची.. ज़ुबान संभाल.. वो तो स्वर्ग की अप्सरा है।
मुनिया- ऊँहह.. होगी मेरी जूती से.. मैं गाँव की सब छोरियों को जानती हूँ.. कौन कैसी है.. समझे..
अर्जुन- तू अपने आपको समझती क्या है.. अपनी सूरत देखी है.. लोमड़ी लगती हो एकदम.. हा हा हा..
इतना कहकर अर्जुन खड़ा हो गया और बाहर भाग गया.. वो जानता था मुनिया अब उसको मारने के लिए पीछे आएगी और हुआ भी वही।
मुनिया गुस्से में उसके पीछे भागी.. दौड़ते हुए अर्जुन गिर गया और उसकी जाँघ पर कोई नुकीला पत्थर लग गया.. जिससे उसकी पैन्ट भी फट गई और हल्का सा खून भी निकल आया..
अर्जुन दर्द से बिलबिला उठा.. उसकी हालत देख कर मुनिया घबरा गई।
मुनिया- हे भगवान.. यह क्या हो गया.. अर्जुन तुम ठीक तो हो ना?
अर्जुन- ओह्ह.. बड़ा दर्द हो रहा है.. मुझे उठने में मदद कर मुनिया आह्ह.. बहुत दर्द हो रहा है..
बड़ी मुश्किल से मुनिया ने अर्जुन को उठाया.. वो लंगड़ाते हुए मुनिया के सहारे कमरे तक गया।
मुनिया- अरे अर्जुन तुझे तो चोट लगी है.. खून भी आ रहा है.. तू पैन्ट निकाल.. मैं कोई कपड़ा बाँध देती हूँ.. नहीं तो कुछ हो जाएगा..
अर्जुन- अरे नहीं नहीं.. तू पागल है क्या.. मैं घर जाकर कुछ लगा लूँगा..
मुनिया- अरे पागल तू है.. ऐसी हालत में घर कैसे जाएगा.. चल ज़िद ना कर.. पैन्ट खोल.. नहीं तो मैं खोल दूँगी..
अर्जुन- अरे मान जा मुनिया.. मैं पैन्ट के अन्दर कुछ नहीं पहना हूँ।
अर्जुन की बात सुन कर मुनिया का चेहरा शर्म से लाल हो गया.. ना चाहते हुए भी उसकी नज़र अर्जुन की पैन्ट पर उस जगह टिक गई.. जहाँ उसका लंड था और वो आँखों से मुआयना करने लगी कि अर्जुन का लौड़ा कितना बड़ा होगा.. मगर उसकी समझ में कुछ नहीं आया तो वो मुस्कुरा कर बोली- बड़ा बेशर्म है रे तू.. अन्दर कुछ नहीं पहनता.. हवा देता है क्या अपने उसको.. हा हा… हा हा..
अर्जुन- क्या अपने उसको..? बोल बोल.. दाँत क्यों निकाल रही है?
मुनिया- कुछ नहीं.. ऐसा कर तू पैन्ट निकाल… मैं कोई कपड़ा देखती हूँ.. तू खुद पट्टी बाँध लेना।
अर्जुन- नहीं.. तूने देख लिया तो?
मुनिया- तेरी तरह बेशर्म नहीं हूँ मैं.. चल निकाल पैन्ट.. मैं कपड़ा लाती हूँ तेरे लिए..
अर्जुन ने पैन्ट का हुक खोला और लेटे हुए पैन्ट निकालने की कोशिश की.. मगर उसको बहुत दर्द हुआ.. उसके मुँह से हल्की चीख निकल गई।
मुनिया- अरे अर्जुन क्या हुआ.. ऐसे क्यों चीखे तुम?
अर्जुन- बहुत दर्द हो रहा है मुनिया.. मुझसे नहीं होगा..
मुनिया- हे राम.. अब क्या करूँ मैं.. ऐसा करो अपनी आँख बन्द करके पैन्ट निकाल कर पट्टी बाँध देती हूँ।
अर्जुन- पागल है क्या.. आँख बन्द करके कैसे होगा ये..?
मुनिया- अच्छा तो ऐसे ही निकाल देती हूँ.. मगर तू अपनी आँख बन्द रखना।
अर्जुन- अरे वाह.. ये क्या बात हुई.. मुझे तू नंगा देखेगी और मैं आँख बन्द रखूं..
मुनिया- मैं कुछ नहीं देखूँगी.. अब ज़्यादा बहस ना कर.. तुझे मेरी कसम है.. अब अगर तुमने ‘ना’ बोला तो…
अर्जुन- अच्छा ठीक है.. मगर तू बस घाव ही देखना.. और कुछ नहीं वरना डर जाएगी.. हा हा हा हा..
मुनिया- चल चल.. बड़ा आया ऐसा क्या है तेरे पास.. जो मैं डर जाऊँगी..।
अर्जुन- अब तुझे क्या बताऊँ.. चल तू पैन्ट निकाल.. जब तू बेईमानी करेगी तो तेरे मु ँह से चीख निकलेगी.. तब पता चल जाएगा.. कि तू डरती है या नहीं..
मुनिया- चल ज़्यादा डींगें ना मार.. अब तू आँखें बन्द कर.. मुझे तेरी पट्टी करनी है।
अर्जुन ने अपनी आँखें बन्द कर लीं और मुनिया धीरे-धीरे उसकी पैन्ट उतारने लगी।