मुनिया एकदम सहमी हुई कोने में बैठ गई थी.. बाबूजी मुझे सच में बहुत अजीब लग रहा है.. आपका शहर तो बड़ा अजीब है। आपका भाई सामने खड़ा और आप नंगे आराम से बैठे हैं.. मुझसे तो ऐसे नहीं होगा।
रॉनी- रहने दे.. नहीं करवानी मुझे मालिश.. भाई जल्दी कमरे में आओ.. तुमसे कुछ बात करनी है।
अब आगे..
इतना कहकर रॉनी वापस चला गया।
पुनीत- अरे पगली.. ऐसा क्यों बोली.. वो भाई है मेरा.. और कई बार तो हम साथ में मालिश करवाते हैं। अब सुन अभी तू सो जा.. कल से इस सबकी आदत डाल लेना.. समझी.. वरना नौकरी पक्की नहीं होगी।
मुनिया कुछ ना बोली और बस पुनीत को देखती रही.. जब तक वो कपड़े पहन कर चला ना गया, वो ऐसे ही बैठी रही.. उसके बाद कहीं उसकी जान में जान आई।
कमरे में जाकर रॉनी बिस्तर पर बैठ गया और उसके पीछे पुनीत भी आ गया।
रॉनी- वाउ यार.. तुमने तो कमाल कर दिया.. एक ही दिन में उस लड़की को इतना खोल दिया.. मान गया भाई तुमको..
पुनीत- तूने अभी मेरा कमाल देखा कहाँ है.. साली को दो बार अमृत पिला चुका हूँ। अब तीसरी बार उसकी जवानी का मज़ा लेता.. तो तू आ गया।
रॉनी- नहीं यार.. आज के लिए इतना काफ़ी है.. और वैसे भी मुझे तुमसे एक जरूरी बात करनी थी।
पुनीत- कैसी जरूरी बात.. क्या हुआह्ह?
रॉनी- कुछ देर पहले सन्नी का फ़ोन आया था.. वो साला टोनी है ना.. उसके दिमाग़ में कुछ चल रहा है। हमें ध्यान से रहने को कहा है।
पुनीत- वो तो कल यहाँ आ रहा है ना.. उसके दिमाग़ में क्या चल रहा है? साला जानता नहीं क्या हमें?
रॉनी- भाई शनिवार के लिए उसने बुलबुल गेस्ट हाउस को बुक किया है.. वहाँ ‘हँसों’ को जमा करने वाला है साला।
दोस्तो, अगर आप समझ ना पा रहे हो तो बता देती हूँ.. यह बुलबुल गेस्ट हाउस एक ऐसी जगह है.. जहाँ अमीर घर के लड़के और लड़कियाँ जमा किए जाते हैं और उन्हीं को ‘हंस’ कहा जा रहा है और पार्टी के नाम पर वहाँ नशे का कारोबार होता है।
आप समझ गए होंगे यह आज की नस्ल को बिगाड़ने का नया तरीका है.. तो प्लीज़ आप ऐसी किसी जगह जाने से अपने आप को बचाएँ।
पुनीत- अच्छा उस साले फटीचर के पास इतने पैसे कहाँ से आए.. जो वो इतना उछल रहा है?
रॉनी- ये तो मुझे पता नहीं.. सन्नी कल आएगा तो बाकी की बात बता देगा.. मगर उसने खास तौर पर कहा है कि कल सबके सामने ज़्यादा बात नहीं हो पाएगी। तो आपको बता दूँ कि किसी भी तरह उस टोनी की बातों में मत आना.. वो जरूर कुछ प्लान कर रहा है।
पुनीत- अबे मैं कोई बच्चा हूँ क्या.. जो उसकी बातों में आ जाऊँगा? ये सब जाने दे.. ला बियर पिला.. साली ने सारी बियर लौड़े से चूस कर निकाल दी है।
रॉनी ने पुनीत को बियर दी और खुद भी बोतल लेकर बैठ गया।
चलो दोस्तो.. अरे नहीं नहीं.. कहीं और नहीं ले जा रही हूँ.. मैं तो यह कहने आई हूँ कि अब रात बहुत हो गई.. तो सो जाओ.. कल सुबह ही मिलेंगे।
हाँ जाते-जाते इतना बता देती हूँ कि मुनिया दो बार झड़ कर एकदम सुकून महसूस कर रही थी। उसने कपड़े पहने और सबसे पहले उसको ही नींद आई।
ओके.. तो चलो सुबह ही मिलेंगे.. जहाँ से नये ट्विस्ट की शुरूआत होगी और कहानी को एक मोड़ मिलेगा।
सुबह के सात बजे गर्ल्स हॉस्टल में काफ़ी हलचल थी, छुट्टियों के चलते ज़्यादातर लड़कियों के रिश्तेदारर उनको ले आ गए थे और जो कुछ बाकी थीं.. वो भी धीरे-धीरे जा रही थीं।
पूजा अपने कमरे में बैठी बाल बना रही थी.. तभी पायल वहाँ आ गई।
पायल- हाय पूजा.. कैसी हो.. रात को कहाँ चली गई थीं तुम? और वापस कब आईं.. मुझे तो पता ही नहीं चला?
पूजा- हाय.. मैं ठीक हूँ.. तू सुना क्या हाल है तेरा.. और तूने तो मुझे मना कर दिया था.. मगर गॉड ने एक ऐसा तगड़ा लौड़ा भेजा.. कि बस मज़ा आ गया.. बस तो मैं चुद कर ही वापस आ गई थी। तो तू बेसुध होकर घोड़े बेच कर सो रही थी, तेरी नाईटी भी खुली हुई थी।
पायल- ओ माय गॉड.. क्या बोल रही हो? कौन मिल गया? यहाँ तो सिर्फ़ लड़कियाँ ही हैं.. मैं तो ऐसे ही सोती हूँ.. सोने के बाद मुझे कुछ पता नहीं चलता.. कि क्या हो रहा है! नाईटी का क्या है.. खुल गई होगी..
पूजा- पता नहीं कौन था.. मगर था बहुत प्यारा.. और तू ऐसे ना सोया कर.. नहीं सोते में कोई तेरी चुदाई कर जाएगा.. हा हा हा हा..
पायल- मेरी तो समझ के बाहर है.. तुम कुछ भी मत बोलो और किसकी मजाल है.. जो मुझे छेड़े.. मेरे पापा को जानती नहीं क्या तुम?
पूजा- हाँ हाँ.. जानती हूँ तेरे पापा को.. और तेरे भाई को भी.. बड़े गुस्से वाले हैं। यार.. ये सब जाने दे.. तू मेरी बात सुन..
पूजा ने उसको कहा कि वो सच बोल रही है.. उसके बाद रात की पूरी बात बताई.. जिसे सुनकर पायल के होश उड़ गए।
पायल- हे भगवान.. तुम कैसी हो यार.. किसी के भी साथ छी: छी:..
पूजा- ओ सती सावित्री.. बस कर हाँ.. मुझे ऐसे जलील मत कर.. तूने तो मना कर दिया था और वो कोई ऐरा-गैरा नहीं था.. कोई खास ही था.. समझी.. और तू जो ये ‘छी: छी:’ कर रही है ना.. देख लेना.. एक दिन तू ऐसी बन जाएगी कि लोग तुम पर थूकेंगे.. जो लड़की ज़्यादा शरीफ़ बनती है ना.. उनको कभी ना कभी ऐसा लड़का मिलता है.. जो उसको कहीं का नहीं छोड़ता.. समझी.. ये जवानी बड़ी जालिम होती है.. तू कब तक इसे संभाल कर रखेगी.. एक ना एक दिन कोई आएगा और तेरे मज़े लूट लेगा और तू उस दिन मुझे याद करेगी कि कोई थी पूजा..
पायल- नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा.. और मैंने कब कहा कि मैं कभी किसी को अपना नहीं बनाऊँगी.. हाँ.. मैं अपना जिस्म दूँगी.. मगर सिर्फ़ अपने पति को.. वो भी शादी के बाद.. समझी..
पूजा- शादी… हा हा हा हा.. अरे मेरी जान.. अभी शादी को बहुत समय है.. तब तक कोई मंजनू आएगा और तुझे ‘लैला-लैला’ बोलकर अपना लोला दे जाएगा हा हा हा हा..
उसकी बात सुनकर पायल भी हँसने लगी।
पूजा ने पायल को कहा- तुम्हें लेने कोई आएगा क्या?
पायल- अरे नहीं यार.. मैं कौन से दूसरे शहर की हूँ.. यहीं की तो हूँ.. खुद ही चली जाऊँगी।
पूजा- यार तू इसी शहर की होकर हॉस्टल में क्यों रहती है?
पायल- बस ऐसे ही यार.. घर पर पढ़ाई ठीक से नहीं होती।
पायल ने पूजा को टालते हुए ये बात कही.. उसके माथे पर शिकन भी आ गई थी.. उस समय उसके बाद दोनों बस नॉर्मली यहाँ-वहाँ की बातें करने लगी।
उधर बाहर गेट के पास बबलू यहाँ का चौकीदार और रामू जो साफ-सफ़ाई करता है.. दोनों बातें कर रहे थे।
दोस्तो, हॉस्टल के कैम्पस में एक कमरा बना हुआ है.. जहाँ ये दोनों साथ में रहते हैं। बबलू रात को एक राउंड लगा कर कमरे में आ जाता है.. मगर वो बीती रात को काफ़ी लेट आया था।
रामू- अरे बबलू भाई.. रात को बड़े देर से आए तुम.. भाई कहाँ रह गए थे?
बबलू- अरे का बताएं भाई.. जब से यहाँ आया हूँ.. साली नींद ही नहीं आती है.. कैसी सुन्दर-सुन्दर लड़कियाँ है यहाँ पर.. देख कर बहुत मज़ा आता है।
रामू- ओये.. चुप कर ओ पगले.. कोई सुन लेगा और ये रात को तू ऐसे गैलरी में मत घूमा कर.. किसी दिन पकड़ा गया ना.. तो नौकरी तो जाएगी साथ में पिटाई भी खूब होगी..
बबलू- अबे हट.. कौन ससुरा हमको पकड़ेगा.. और साला मैं कौन सा किसी के साथ ज़बरदस्ती करता हूँ.. बस देख कर मज़ा ही तो लेता हूँ.. तू जानता नहीं है.. यहाँ की लड़कियों की बुर बहुत फड़फ़ड़ाती है.. साली आपस में रगड़वा कर मज़ा लेती हैं.. एक से बढ़कर एक हैं।
रामू- हाँ मैं सब जानता हूँ.. मगर ये सब बड़े घर की छोकरियाँ हैं.. अपना कुछ नहीं हो सकता यहाँ..
बबलू- तेरा तो पता नहीं.. पर मेरा बहुत कुछ होगा.. तू नहीं जानता मैंने रात कितना मज़ा किया है यार..
रामू- ओह्ह.. क्या बात करता है? किसी को पटा लिया क्या.. भाई बता ना.. कौन है वो लड़की..? और क्या किया रात को?
बबलू- अभी नहीं.. फिर कभी बताऊँगा अभी मुझे ऑफिस में जाना है.. ठीक है चलता हूँ।
ओके फ्रेंड्स.. यहाँ कुछ खास नहीं हुआ.. वैसे आपको कुछ सोच में जरूर डाल दिया मैंने.. कि रात को पूजा के साथ कोई और था या ये बबलू था.. चलो इसका भी पता लग जाएगा। अभी आगे देखते हैं कि फार्म पर क्या हुआ?
दोनों भाई रात को देर तक पीते रहे थे.. तो अब तक सो रहे थे।
इधर मुनिया जल्दी उठ गई और नहा कर बाकी नौकरों के पास रसोई में पहुँच गई.. उसको जोरों की भूख लगी थी।
वहाँ किसी ने उससे ज़्यादा बात नहीं की और उसको नाश्ता दे दिया। वैसे मुनिया को भी उनसें बात नहीं करनी थी.. क्योंकि पुनीत ने मना किया था।
वो अपने कमरे में आ गई और सोचने लगी कि रात जो हुआ.. वो सही था या नहीं..? बस इसी सोच में वो वहीं बैठी रही.. कुछ देर बाद उसको कुछ समझ आया तो वो पुनीत के कमरे की तरफ़ गई।
दोनों भाई रात को देर तक पीते रहे थे.. तो अब तक सो रहे थे। इधर मुनिया जल्दी उठ गई और नहा कर बाकी नौकरों के पास रसोई में पहुँच गई.. उसको जोरों की भूख लगी थी।
वहाँ किसी ने उससे ज़्यादा बात नहीं की और उसको नाश्ता दे दिया। वैसे मुनिया को भी उनसें बात नहीं करनी थी.. क्योंकि पुनीत ने मना किया था। वो अपने कमरे में आ गई और सोचने लगी कि रात जो हुआ.. वो सही था या नहीं..? बस इसी सोच में वो वहीं बैठी रही.. कुछ देर बाद उसको कुछ समझ आया तो वो पुनीत के कमरे की तरफ़ गई।
अब आगे..
जब वो अन्दर गई.. दोनों भाई आराम से एक बिस्तर पर सोए हुए थे। मुनिया उनके पास गई और धीरे से पुनीत को उठाया।
मुनिया- बाबूजी.. उठो देखो.. कितनी देर हो गई है.. मैं क्या काम करूँ.. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा.. उठो ना..
पुनीत की आँख खुली तो उसने मुनिया को पकड़ कर बिस्तर पर खींच लिया।
पुनीत- अरे जानेमन.. मैं तुम्हें यहाँ काम करने के लिए नहीं लाया हूँ। तुम बस हमारी सेवा करो और सुबह का वक़्त सेवा करने के लिए सबसे अच्छा होता है.. चल आ जा..
मुनिया- क्या बाबूजी.. आप भी ना.. चलो उठो.. मुँह-हाथ धो लो.. कुछ खाना खालो उसके बाद जितनी सेवा करवानी है.. करवा लेना..
उन दोनों की बात सुनकर रॉनी भी उठ गया था और मुनिया को देख कर मुस्कुराने लगा।
रॉनी- मुनिया सारी सेवा पुनीत की करेगी तो मेरा क्या होगा?
मुनिया थोड़ा शर्माते हुए बोली।
मुनिया- ऐसी बात नहीं है बाबूजी.. मैं तो आप लोगों की दासी हूँ.. आप जब कहो सेवा में हाजिर हूँ।
रॉनी- अच्छा अच्छा.. ठीक है.. जा रसोई में जाकर बोल दे.. हम 10 मिनट में आते हैं.. हमारा नाश्ता रेडी कर दे.. ठीक है..
मुनिया वहाँ से चली गई तो पुनीत ने रॉनी को देखा और उसको मजाक से एक मुक्का मारा।
पुनीत- क्या बात है मेरे रॉनी दि ग्रेट कच्ची कली को भोगने का मन बना लिया क्या तूने.. हा हा हा..
रॉनी- अब क्या बताऊँ भाई.. कल जब इसको नंगी देखा तो मेरी तो आँख चकरा गई.. साली क्या क़यामत है.. वैसे मानना पड़ेगा.. आपको एक ही रात में लौड़ा चुसवा दिया अपने इसको..
पुनीत- अरे एकदम टाइट माल है यार.. इसका मुँह भी चूत का मज़ा देता है। अब बस बर्दाश्त नहीं होता.. नाश्ते के बाद साली को चोद ही दूँगा..
रॉनी- अरे ये क्या यार.. सब कुछ तुम ही कर लोगे.. तो मेरा क्या होगा..? इस नाज़ुक तितली का थोड़ा मज़ा मुझे भी लेने दो.. उसके बाद दोनों साथ मिलकर चोदेंगे साली को..
पुनीत- हाँ तू ठीक कहता है.. साली को आगे और पीछे दोनों तरफ़ से बजा कर मज़ा लेंगे.. चल जल्दी तैयार हो ज़ा..
रॉनी- भाई पर यह बहुत दुबली है.. क्या दोनों का लौड़ा से लेगी.. साली कहीं मर-मरा ना जाए..
पुनीत- अरे ऐसे कैसे मर जाएगी.. आज तक कभी सुन है कि कोई जवान चूत चुदने से मरी है.. हा हा हा हा..
रॉनी- जो करना है जल्दी कर लेना.. बाद में यहाँ सन्नी और बाकी सब आ जाएँगे।
पुनीत- अरे वो अभी कहाँ आने वाले हैं.. अभी बहुत समय है उनके आने में.. तब तक तो मुनिया की मस्त चुदाई कर लेंगे हम.. अब सुन पहले तू मुनिया से मालिश करवा ले और हाँ उसको नंगा कर देना। उसके बाद में आऊँगा और बस साली को फँसा लेंगे अपने लण्डजाल में.. समझ गया ना..
रॉनी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया और अब दोनों फ्रेश होने की तैयारी में लग गए। करीब एक घंटा बाद दोनों ने नाश्ता करके अपने प्लान को अंजाम देने की मुहिम शुरू की।
रॉनी- उफ्फ.. भाई रात को बरसात ने पूरे जिस्म को तोड़ दिया है बदन बहुत दर्द कर रहा है..
पुनीत- अरे ये मुनिया को किस लिए साथ लाए हैं.. इसके हाथ में जादू है.. तेरा सारा दर्द निकाल देगी.. जा इसको अन्दर ले जा..
मुनिया- हाँ बाबूजी.. चलो अभी दबा के आपका दर्द निकाल देती हूँ।
रॉनी और मुनिया कमरे में चले गए तो रॉनी ने कपड़े निकाल दिए.. बस अंडरवियर में आ गया। जिसे देख कर मुनिया शर्मा गई।
रॉनी- अरे क्या हुआ मुनिया.. ऐसे दूर क्यों खड़ी हो.. कपड़े निकाल कर ही सही मालिश होती है।
मुनिया- बाबूजी आप लेट जाओ.. मैं अभी कर देती हूँ.. बताओ कहाँ दर्द है?
रॉनी- अरे तू पास तो आ.. ऐसे वहाँ खड़ी होकर दबाएगी क्या.. रात को तो बिना कपड़ों के पुनीत को बड़ा मज़ा दे रही थी.. अब क्या हो गया?
मुनिया- नहीं नहीं बाबूजी.. ऐसी बात नहीं है.. आप रात की बात ना करो.. मुझे शर्म आती है।
रॉनी- अरे इसमें शर्म कैसी.. यहाँ आ.. जो मज़ा पुनीत ने दिया.. वो मैं भी दूँगा और सच कहता हूँ.. उससे ज़्यादा दूँगा.. तू मेरे पास तो आ।
मुनिया का चेहरा शर्म से लाल हो गया था.. वो धीरे से रॉनी के पास जाकर बैठ गई।
रॉनी ने मुनिया के मम्मों को सहलाते हुए उससे पूछा- सच बता मुनिया.. पुनीत के पहले कभी किसी ने तेरे इन अनारों को छुआ है क्या?
मुनिया एकदम शर्मा कर ‘ना’ में सर हिलाती है.. तब रॉनी खुश होकर मुनिया के होंठों को अपने होंठों से चूसने लगता है और उसके जिस्म पर हाथ फेरने लगता है।
मुनिया थोड़ा विरोध करती है.. मगर रॉनी की मजबूत बाहें उसको जकड़े रहती हैं और कुछ देर बाद उसको भी मज़ा आने लगता है।
रॉनी ने मुनिया को बिस्तर पर लेटा दिया अब वो उसके मम्मों को कपड़े के ऊपर से चूसने लगा था। मुनिया तो बस जन्नत की सैर पर निकल गई थी।
मुनिया- इसस्स.. बाबूजी.. आप दोनों भाई आह.. आह.. एक जैसे हो.. आह्ह.. मुझे काम के बहाने यहाँ ले आए.. इससस्स.. आह्ह.. दुःखता है.. ओह.. और कुछ और ही कर रहे हो मेरे साथ..
रॉनी- गलत बोल रही है तू.. हम एक जैसे नहीं हैं.. बहुत फ़र्क है.. घबरा मत धीरे-धीरे सब फ़र्क नज़र आ जाएगा तुझे और काम का क्या है.. वो तो सारी उम्र पड़ी है.. मेरी जान.. कभी भी कर लेना.. अभी तो जिंदगी के मज़े ले ले..
रॉनी अब बेताब था मुनिया के जिस्म से खेलने के लिए.. उसने मुनिया के कपड़े निकालने शुरू कर दिए। वैसे मुनिया झूटा नाटक कर रही थी मगर रॉनी को कपड़े निकालने में मदद भी कर रही थी।
मुनिया के चमकते जिस्म को देख कर रॉनी का लंड चड्डी फाड़कर बाहर आने को बेताब हो रहा था.. मगर रॉनी ने उसको आज़ाद नहीं किया और मुनिया के छोटे-छोटे मम्मों को सहलाने लगा।
रॉनी- वाह.. रे.. मेरी मुनिया तू तो एकदम कुदरत का तराशा हुआ नगीना है.. तुझे तो बस देखते रहने का मन करता है।
मुनिया- बाबूजी कल रात से आप दोनों भाई मुझे नंगा करने में लगे हुए हो.. मेरी हालत खराब हो गई है.. पता नहीं क्यों मुझे कुछ होने लगता है।
रॉनी- तू मेरी बात मान ले जान.. तेरी सारी बेचैनी दूर कर दूँगा..
मुनिया- बाबूजी मैं नंगी तो आपके सामने पड़ी हूँ.. अब इससे ज़्यादा और क्या मनवाना चाहते हो?
उसकी बात सुनकर रॉनी खुश हो गया और मुनिया पर टूट पड़ा। उसके निप्पल चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को रगड़ने लगा।
मुनिया जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी और रॉनी की पीठ पर हाथ घुमाने लगी।
मुनिया- ओससस्स.. आह.. बाबूजी आह्ह.. मेरे नीचे कुछ हो रहा है.. रात को पुनीत बाबू ने जैसे किया था.. आह्ह.. वैसे आप भी करो ना..
रॉनी समझ जाता है कि इसकी चूत में खुजली शुरू हो गई है। वो झट से बैठ जाता है और अपना अंडरवियर उतार कर लौड़े को आज़ाद कर देता है।
उसके 9″ लंबे और 3″ मोटे लंड को देख कर मुनिया सिहर जाती है।
मुनिया- हाय राम बाबूजी.. ये कितना बड़ा है!!
रॉनी- मैंने कहा था ना.. हम दोनों में बहुत फ़र्क है.. अभी तो लौड़ा देखा है आगे और भी बहुत से फ़र्क नज़र आएँगे.. चल आज तुझे 69 सिखाता हूँ।
मुनिया- वो क्या होता है बाबूजी?
रॉनी- तू मेरा लौड़ा चूसेगी और उसी समय में तेरी चूत को चाटूँगा।
मुनिया- हाय बाबूजी.. ऐसे तो बड़ा मज़ा आएगा.. बताओ मैं क्या करूँ..?
रॉनी- अरे करना क्या है.. बस मेरे ऊपर आजा.. अपनी चूत मेरे मुँह पर रख और ले ले मेरा लौड़ा अपने मुँह में.. फिर देख क्या मज़ा आता है..
मुनिया ने वैसा ही किया.. अब रॉनी बड़े प्यार से उसकी कुँवारी चूत को चाट रहा था और मुनिया प्यार से उसके बम्बू को चूस रही थी।
यह सिलसिला कुछ देर तक यूँ ही चलता रहा.. तभी अन्दर पुनीत भी आ गया.. उसके हाथ में बियर की बोतल थी और उसने सिर्फ़ लोवर पहना हुआ था।
वो दोनों मस्ती में चूसने में लगे हुए थे पुनीत ने बियर की बोतल को साइड में रखा और अपना लोवर निकाल दिया।
अब उसका लौड़ा आज़ाद हो गया था और उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी।
पुनीत- वाह.. बहुत अच्छे ऐसे मालिश हो रही है हाँ..
पुनीत की आवाज़ सुनकर रॉनी पर तो कोई फ़र्क नहीं पड़ा.. लेकिन मुनिया बहुत घबरा गई और जल्दी से बिस्तर पर पड़ी चादर अपने ऊपर डाल लेती है.. जिसे देख कर दोनों भाई हँसने लगते है।
पुनीत- अरे क्या यार मुनिया.. रात को तो बड़ा खुलकर मज़ा ले रही थी.. अब ऐसा क्या है तेरे पास.. जो मुझसे छुपा रही है?
मुनिया- बाबूजी आप दोनों एक साथ होते हो.. तो मुझे शर्म लगती है।
रॉनी- अरे यार जो मज़ा साथ मिलकर करने का है.. वो अकेले में कहाँ.. चल आज तुझे जन्नत की सैरर कराते हैं.. हटा दे कपड़ा और देख दोनों भाई कैसे तुझे मज़ा देते हैं।
पुनीत की आवाज़ सुनकर रॉनी पर तो कोई फ़र्क नहीं पड़ा.. लेकिन मुनिया बहुत घबरा गई और जल्दी से बिस्तर पर पड़ी चादर अपने ऊपर डाल लेती है.. जिसे देख कर दोनों भाई हँसने लगते है।
पुनीत- अरे क्या यार मुनिया.. रात को तो बड़ा खुलकर मज़ा ले रही थी.. अब ऐसा क्या है तेरे पास.. जो मुझसे छुपा रही है?
मुनिया- बाबूजी आप दोनों एक साथ होते हो.. तो मुझे शर्म लगती है।
रॉनी- अरे यार जो मज़ा साथ मिलकर करने का है.. वो अकेले में कहाँ.. चल आज तुझे जन्नत की सैर कराते हैं.. हटा दे कपड़ा और देख दोनों भाई कैसे तुझे मज़ा देते हैं।
अब आगे..
रॉनी की बात मुनिया को समझ आती है या नहीं.. यह तो पता नहीं.. मगर उसकी चूत में बड़ी खुजली हो रही थी और वो चाहती थी कि कैसे भी उसको मिटाया जाए.. तो बस वो उनकी बात मानकर चादर हटा देती है।
पुनीत- वाह.. ये हुई ना बात.. जानेमन तू बहुत कमाल की है.. अब तू हमारा कमाल देख..
दोनों अब मुनिया के आजू-बाजू लेट गए और उसकी एक-एक चूची को चूसने लगे.. जिससे मुनिया की उत्तेजना बढ़ने लगी.. वो सिसकारियाँ लेने लगी।
मुनिया- आह्ह.. बाबूजी.. उफ़फ्फ़ काटो मत.. आह्ह.. दर्द होता है सस्स आह्ह..
दोनों बस अपने काम में लगे हुए थे धीरे-धीरे पुनीत उसके पेट से होता हुआ उसकी चूत तक पहुँच गया।
रॉनी- उफ्फ.. क्या रस है भाई.. इसके मम्मों में मज़ा आ रहा है.. वैसे इसका मुहूरत कौन करेगा.. ये अभी सोचा कि नहीं आपने?
पुनीत- सोचना क्या था.. तेरा ट्रक बाद में चलाना.. बड़ा है.. पहले मैं अपनी कार चलाऊँगा।
‘वाह मतलब भाई आप इसको नेशनल हाईवे बनाने के मूड में हो.. हा हा हा..’
‘और क्या.. देखना.. कितने वाहन इस नेशनल हाईवे पर दौड़ेंगे.. हा हा हा हा..’
मुनिया तो मस्ती में खोई हुई थी.. इन दोनों की बात उसके दिमाग़ के बाहर थी वो तो बस अपनी धुन में थी।
पुनीत- मुनिया रानी.. कभी चाँद पर गई हो क्या?
मुनिया- आह.. इससस्स.. क्या बात करते हो.. बाबूजी.. उहह.. आह.. हम गरीब शहर ना जा सके.. चाँद पर कहाँ से जाएँगे..
पुनीत- मेरी जान.. आज तुझे चाँद क्या सारे ब्रम्हाण्ड की सैर करवा दूँगा.. बस तू जरा हिम्मत रखना।
इतना कहकर पुनीत ने मुनिया के पैरों को मोड़ दिया और उसके बीच खुद बैठ गया और अपने लौड़े को चूत पर रगड़ने लगा।
मुनिया- याइ.. यह.. आप क्या कर रहे हो बाबूजी.. नहीं नहीं.. भगवान के लिए ऐसा मत करो.. मैंने मना किया था ना.. मैं ये नहीं करूँगी.. बस ऊपर से जो करना है..कर लीजिए..
पुनीत- अरे क्या ये.. ये.. लगा रखा है बोल.. चुदाई नहीं करवानी और मैं कौन सा तेरी चुदाई कर रहा हूँ.. बस लौड़ा चूत पर रगड़ कर तुझे मज़ा दे रहा हूँ.. बता मज़ा आ रहा है ना?
पुनीत की बात सुनकर मुनिया का डर थोड़ा कम होता है.. वहीं रॉनी उसके चूचुकों को बड़े आराम से चूस रहा था.. तो मुनिया को मज़ा आ रहा था।
मुनिया- आह्ह.. हाँ बाबूजी.. आह्ह.. मज़ा तो बहुत आ रहा है.. लेकिन अन्दर मत डालना.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी..
पुनीत- अरे डर मत.. कुछ नहीं होगा.. बस ऊपर से मज़ा दूँगा.. थोड़ा अन्दर टच करूँगा.. तू डर मत.. हाँ बस आँख बन्द करके मज़ा लेती रह.. समझी..
पुनीत ने लौड़े को मुनिया की चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.. जिससे उसकी चूत की आग और भड़क गई।
मुनिया- कककक.. आह.. बाबूजी.. आह्ह.. आप जैसा कर रहे हो.. उससे आह्ह.. बहुत अच्छा लग रहा है.. आह्ह.. थोड़ा जल्दी इससस्स.. आह्ह.. जल्दी करो ना..
रॉनी मुनिया के निप्पल को चुटकी में दबाता हुआ कहता हैं भाई लोहा गर्म है.. मार दो हथौड़ा..
इतना सुनकर पुनीत की आँखों में वासना दिखने लगती है.. वो लौड़े को चूत पर सैट करता है.. और हाथ से दबाव बनाता है.. मगर मुनिया की चूत बहुत टाइट थी.. लौड़ा आगे जाने का नाम ही नहीं ले रहा था.. तो पुनीत ने ढेर सारा थूक लौड़े पर लगाया।
मुनिया की चूत तो पानी-पानी हो ही रही थी.. उसको गीला करने की जरूरत नहीं थी.. बस इस बार पुनीत ने मुनिया की चूत को एक हाथ से फैलाया और सुपारे को उसमे फँसा दिया।
मुनिया- इससस्स.. आह.. बाबूजी उफ़फ्फ़ मेरी फुद्दी में कुछ हो रहा है.. आह्ह.. ज़ोर से रगड़ो ना.. आह्ह..
ये पहली बार था कि मुनिया ने ‘नीचे’ की जगह ‘फुद्दी’ कहा था.. अब वो गरम हो कर चरम पर आ गई थी.. किसी भी पल उसका बाँध टूट सकता था और पुनीत को इसी मौके की तलाश थी।
पुनीत ने थोड़ा दबाव बढ़ाया तो लौड़ा फिसल कर ऊपर को निकल गया।
मुनिया कमर को झटके देने लगी.. उसकी चूत से पानी बहने लगा.. वो मदहोशी में झड़ रही थी.. बस तभी पुनीत ने चूत को सहलाया.. सुपारा वैसे ही सैट किया और अबकी बार हाथ हटाए बिना ज़ोर से धक्का मारा..
मुनिया अभी झड़ कर पूरी भी नहीं हुई थी कि ये काण्ड हो गया.. वो बेचारी तो जन्नत में घूम रही थी.. अचानक दहकता हुआ अंगार के समान पुनीत का लौड़ा चूत को फैलाता हुआ 3″ अन्दर घुस गया और खून की एक लकीर लौड़े से चिपक कर होते हुए चूत से बाहर आने लगी।
मुनिया को एक ही पल में जन्नत से दोजख की याद आ गई.. वो इतने ज़ोर से चीखी कि पूरे फार्म पर उसकी ये चीख सुनाई दी होगी।
मुनिया- आआअ… आआआअ… बा..बू..जी.. आहह्हह्ह… मैं मर गई रे.. अहह.. मम्मी रे..
पुनीत- अरे क्या सुन रहा है.. साली ने कान के पर्दे हिला दिए.. बन्द कर मुँह..
रॉनी मुनिया के सर के पास उकड़ू बैठा और अपना लौड़ा उसके मुँह में घुसा दिया।
अब उसकी चीखें तो बन्द हो गई थीं.. मगर उसकी आँखों से आँसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
पुनीत- आह.. उहह.. क्या गर्म चूत है रे.. मुनिया तेरी.. आह.. लौड़ा जलने लगा है उफ़फ्फ़…
रॉनी- चूस ना साली.. क्या कर रही है.. उफ्फ.. दाँत मत लगा रे आह्ह..
पुनीत लौड़े को चूत में बहुत कसा हुआ महसूस कर रहा था.. वो धीरे-धीरे लौड़े को आगे पीछे कर रहा था और मुनिया बस रोए जा रही थी, उसकी आँखें एकदम लाल हो गई थीं.. रॉनी का लौड़ा मुँह में होने के कारण उसको सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
तभी पुनीत ने एक जोरदार धक्का मारा और पूरा लौड़ा चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया।
इस ख़तरनाक प्रहार को मुनिया सह नहीं पाई और अपना होश खो दिया.. जिसे देख कर रॉनी घबरा गया और जल्दी से मुँह से लौड़ा बाहर निकाल लिया।
रॉनी- भाई ये मर गई क्या.. कुछ बोल नहीं रही.. देख इसकी आँखें कैसे फटी हुई हैं..
पुनीत- अरे कुछ नहीं हुआ इसे.. पूरा लौड़ा अन्दर गया तो ये ऐसी हो गई.. थोड़ा हिला इसको.. आह्ह.. मज़ा आ गया क्या टाइट चूत है।
रॉनी ने मुनिया के चेहरे को थोड़ा हिलाया तो वो होश में आई और रोने लगी कि उसको बहुत दर्द हो रहा है।
पुनीत- अरे रानी.. बस थोड़ी देर दर्द होगा.. उसके बाद तुझे मज़ा आएगा.. आह्ह.. बस थोड़ा सहन कर ले आह्ह.. उहह..
पुनीत चूत में झटके देने लगा और मुनिया हर धक्के के साथ ‘आह’ भरती।
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मुनिया का दर्द कुछ कम हुआ।
रॉनी उसके पास बैठा हुआ.. उसके गालों को सहला रहा था.. उसे तसल्ली दे रहा था।
मुनिया- आह्ह.. ईसस्स.. आह.. बाबूजी ये आपने क्या कर दिया.. उउउहह.. मुझे कहीं का नहीं छोड़ा.. ओह्ह..
पुनीत- अरे पगली रोती क्यों है.. तुझे रानी बना कर रखूँगा.. आह्ह.. ले.. अब आह्ह.. चुदाई का मज़ा ले आह्ह.. उहह..
पुनीत की ठुकाई से अब मुनिया की चूत में दर्द के साथ एक मीठा अहसास भी होने लगा था.. उसकी कामवासना फिर से जाग उठी थी।
अब पुनीत स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लग गया और कुछ ही देर में उसके लौड़े ने वीर्य की धार मुनिया की चूत में मारी.. जिससे चूत पानी-पानी हो गई और धारा से धारा मिल गई यानि मुनिया भी झड़ गई।
पुनीत ने जब चूत से लौड़ा बाहर निकाला तो सफेद और लाल रंग का मिला-जुला पानी लौड़े के साथ बाहर आया।
पुनीत- आह मुनिया.. तेरी चूत तो आग की भट्टी थी रे.. साला लौड़ा देख कैसे लाल हो गया है।
मुनिया कुछ ना बोली और बस उसी हालत में पड़ी रही।
रॉनी- यार तेरा तो हो गया.. मेरा लौड़ा वैसे का वैसा तना खड़ा है।
पुनीत- तुझे किसने रोका है.. कर दे इसका मुहूरत तू भी..
रॉनी- मुहूरत तो आपने कर दिया.. अब मैं क्या खाक करूँ.. और चूत का हाल तो देखो.. कैसे पानी और खून से भरी पड़ी है.. इसमें कौन लौड़ा पेलेगा..
मुनिया- आह्ह.. आह्ह.. बाबूजी.. मुझ पर रहम करो.. आह्ह.. मेरी फुद्दी में बहुत दर्द है.. मैं अब सह नहीं पाऊँगी.. आह्ह.. मर जाऊँगी..
रॉनी- अरे साली.. कुछ नहीं होगा तुझे.. अभी तो सील टूट गई.. अब क्या होने वाला है तुझे..
पुनीत- तुझे करना है तो कर.. मैं तो चला कमरे में.. पूरा गंदा हो गया हूँ.. जाकर नहाऊँगा..
पुनीत- तुझे किसने रोका है.. कर दे इसका मुहूरत तू भी..
रॉनी- मुहूरत तो आपने कर दिया.. अब मैं क्या खाक करूँ.. और चूत का हाल तो देखो.. कैसे पानी और खून से भरी पड़ी है.. इसमें कौन लौड़ा पेलेगा..
मुनिया- आह्ह.. आह्ह.. बाबूजी.. मुझ पर रहम करो.. आह्ह.. मेरी फुद्दी में बहुत दर्द है.. मैं अब सह नहीं पाऊँगी.. आह्ह.. मर जाऊँगी..
रॉनी- अरे साली.. कुछ नहीं होगा तुझे.. अभी तो सील टूट गई.. अब क्या होने वाला है तुझे..
पुनीत- तुझे करना है तो कर.. मैं तो चला कमरे में.. पूरा गंदा हो गया हूँ.. जाकर नहाऊँगा..
अब आगे..
पुनीत वहाँ से चला गया.. तो रॉनी ने चादर से मुनिया की चूत को अच्छे से साफ किया। वो कराह रही थी मगर रॉनी पर तो चुदास सवार थी.. उसने मुनिया के पैरों को मोड़ा और लौड़े को चूत पर टिका कर ज़ोर का धक्का मार दिया.. बस आधा लौड़ा घुसते ही मुनिया के चीखें फिर से कमरे में गूँजने लगीं और रॉनी के तगड़े लौड़े ने मुनिया का हाल से बेहाल कर दिया।
रॉनी- उफ्फ.. भाई सही कह रहा था.. तेरी चूत तो बड़ी क़यामत है रे साली..
मुनिया- आह उहह.. नहीं बाबूजी.. आह्ह.. मेरी जान निकल रही है.. आह नहीं.. करो..
रॉनी दे दनादन लौड़ा पेले जा रहा था और मुनिया चीखे जा रही थी।
कुछ देर बार मुनिया की चूत में दर्द कम हुआ और चूत की चिकनाहट के कारण लौड़ा आसानी से अन्दर-बाहर होने लगा।
मुनिया- आह.. ईससस्स.. नहीं उईईइ.. आह.. मर गई ओह.. बाबूजी आह्ह.. आराम से उफ्फ.. आह्ह.. नहीं ओह.. उउउहह आह ससस्स..
रॉनी का लौड़ा पहले ही बहुत गर्म था अब मुनिया की सीत्कारों से उसकी वासना और बढ़ गई। वो तेज़ी से धक्के देने लगा और कुछ ही देर में उसका ज्वालामुखी चूत नाम की गुफा में फट गया और वो निढाल सा होकर मुनिया के पास में लेट गया।
दोस्तो, बीच में आकर मैं आपका मज़ा किरकिरा नहीं करना चाहती थी.. इसलिए सीन ख़त्म होने के बाद आई हूँ, अब यहाँ कुछ नहीं रहा, मुनिया थक गई है.. इसे आराम लेने दो.. हम दूसरी जगह चलते हैं।
रामू और बबलू अपने कमरे में बैठे चाय पी रहे थे और बातें कर रहे थे।
रामू- अरे बबलू भाई.. अब तो बता दे रात क्या हुआ था.. तू किसके साथ मज़ा ले रहा था?
बबलू- अरे बताता हूँ ना.. सुन तुझे तो पता है.. मैं रात को हॉस्टल के हर कमरे के पास आँख लगा कर देखता हूँ कि कोई हसीना नंगी दिख जाए या कोई दो लड़की मज़े लेती दिख जाएं..
रामू- अरे हाँ.. ये तो पता है.. कल रात क्या हुआ.. वो बता?
बबलू- अरे बता रहा हूँ ना.. कल साली कोई लड़की की चूत ना देख पाया तो परेशान होकर पूजा के कमरे के पास गया.. उसका तो तेरे को पता है ना.. साली पक्की छिनाल है.. सब लड़कियों को उसने ही बिगाड़ा है। मैंने सोचा आज इस हॉस्टल की सबसे हसीन लड़की पायल के साथ वो जरूर कुछ करेगी.. तो उसकी चूत देखने का मौका मिल जाएगा।
रामू- अरे ये बात मेरे दिमाग़ में क्यों नहीं आई.. नहीं तो मैं भी आ जाता.. पायल को नंगा देखने की तलब तो यहाँ सब करते हैं.. वो है ही चाँद का टुकड़ा।
बबलू- हाँ यार.. इसी चक्कर में तो उसके कमरे के पास गया था। मैंने होल से देखा तो कमरे में हल्की रोशनी थी और पायल अकेली बेसुध सोई पड़ी थी, वो साली पूजा वहाँ नहीं थी, मैंने दरवाजे को हल्के से खोलना चाहा.. तो खुल गया।
रामू- अरे बापरे.. तुझे डर नहीं लगा.. वो जाग जाती तो?
बबलू- अरे मैंने तो बस ऐसे ही देखा था.. अब दरवाजा खुल गया तो मैंने हिम्मत करके अन्दर का मुआयना किया कि वो पूजा कहाँ है। जब काफ़ी देर वो नहीं आई.. तो मैं समझ गया वो रंडी किसी दूसरे कमरे में अपनी प्यास बुझाने गई होगी और ये सोच कर मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैं धीरे से बिस्तर के पास गया और वहाँ का नजारा देख कर मेरी हालत पतली हो गई रे.. वो एकदम सीधी सोई थी और सांस के साथ उसके चूचे ऊपर-नीचे हो रहे थे। उसकी नाईटी भी जाँघों से भी ऊपर तक थी.. उसे कोई होश नहीं था.. उसकी गोरी टाँगें नंगी मेरे सामने थीं.. और मैं उसको देख कर बेहोश सा होने लगा। मेरे लंड महाराज घंटी की तरह हिलने लगे।
रामू- अरे वाह.. ऐसा नजारा देख कर मेरा लंड घंटी क्या घंटा बन जाएगा.. तू आगे बता ना..
बबलू- आगे क्या बताऊँ.. मुझसे रहा नहीं गया.. तो मैंने डरते हुए उसकी जाँघों पर हाथ रख दिया। उफ्फ.. क्या गर्म थी यार.. और ऐसी मुलायम की बस मेरे हाथ काँपने लगे।
कुछ देर तक जाँघ पर हाथ फेरने के बाद मैंने उसके चूचों को छुआ.. बड़े ही लाजवाब थे यार.. मेरा लंड झटके खाने लगा था। थोड़ा डर भी लग रहा था कहीं कोई आ ना जाए..
रामू- भाई ऐसे समय डर तो लगता ही है मगर ऐसे मज़े के आगे सब डर दूर हो जाते हैं..
बबलू- हाँ यार वो साली ऐसी सोई थी जैसे 4 बोतल पीके सोई हो। उसको होश ही नहीं था और मेरी हालत खराब हो रही थी। अब मेरी हिम्मत बढ़ गई.. मैंने आगे से उसकी नाईटी को खोल दिया.. सामने उसका बेदाग जिस्म था। एकदम गोरे जिस्म पर उसकी काली ब्रा और पैन्टी देख कर लौड़े से पानी की बूँदें बाहर आ गईं। उसके बाद तो बस मेरा सर डर निकाल गया.. मैं उसकी चूत की महक लेने लगा। धीरे से उसको छुआ तो 440 वोल्ट का झटका लगा मुझे.. मैंने उसकी कसी हुई चूत पर अपने होंठ रख दिए।
अब साली थोड़ा कसमसाई.. मैं समझा कहीं उठ ना जाए.. तो धीरे से बस उसको सहलाता रहा। अब मेरा लंड काबू में नहीं था.. मैंने उसे बाहर निकाल लिया और पायल की चूत पर हल्के से रगड़ने लगा। कसम से क्या बताऊँ उसकी चूत को छूते ही लौड़े में करंट पैदा हो गया.. जैसे अभी झड़ जाएगा। तभी मुझे बाहर कुछ आवाज़ सुनाई दी.. मैं एकदम से डर गया और जल्दी से कमरे से बाहर निकल आया।
रामू- उफ़फ्फ़ बबलू भाई.. क्या सुना दिया.. मेरा लौड़ा तो सुनकर झटके खा रहा है.. तूने तो उस कमसिन कन्या की चूत को छुआ है.. आह्ह.. क्या मज़ा आया होगा ना.. उसके बाद क्या हुआ.. वो बता ना यार..
बबलू- अरे उसके बाद मेरी अन्दर जाने की हालत नहीं थी.. लौड़ा बुरी तरह अकड़ा हुआ झटके खा रहा था.. बस वहाँ से निकल कर सीधा टॉयलेट गया.. लौड़े को ठंडा किया.. तब जाकर सुकून मिला.. मगर वो नजारा आँखों के सामने से हट ही नहीं रहा था। दोबारा हिम्मत करके गया.. तो सामने से पूजा आती दिखाई दी.. तो मैं जल्दी से वापस मुड़ गया और भाग कर कमरे में आ गया।
रामू- अरे बाप रे, वो कहाँ से आ गई.. साली रंडी.. यार ऐसा मौका दोबारा मिले तो मुझे भी बुलाना.. उसकी चूत देखने की बड़ी तमन्ना है मेरी.. दिल करता है साली को उठा के ले जाऊँ।
यहाँ अब बस बातें रह गई हैं.. चलो वापस मुनिया के पास जाते हैं।
दर्द के मारे मुनिया अभी तक सिसक रही थी और रॉनी उसके पास लेटा हुआ उसके मम्मों को मसल रहा था।
मुनिया- आह ईससस्स.. नहीं बाबूजी अब और ताक़त नहीं है.. आह्ह.. काम के बहाने आप मेरे बदन से खेल गये.. अब मेरा क्या होगा.. उउउह उउहह.. मैं क्या करूँगी अब..
रॉनी- अरे अरे.. रोती क्यों है.. कुछ नहीं होगा तुझे.. मैं हूँ ना.. देख चुप हो जा.. अब तेरे साथ जो होना था सो हो गया.. अब तू मज़े करेगी बस.. चल आज की इस ठुकाई के तुझे 2 हज़ार देते हैं.. बस अब खुश चुप हो जा तू..
मुनिया- नहीं बाबूजी पैसे से इज़्ज़त का सौदा मत करो.. मुझे घर जाना है.. बस अब यहाँ नहीं रहना मुझे..
रॉनी- अरे मेरी भोली रानी घर जाने से क्या होगा.. अब यहीं रह.. देख तेरी माँ बहुत गरीब है.. तू यहाँ रह कर पैसे कमा उसका सहारा बन..
रॉनी बहुत देर तक मुनिया को समझाता रहा.. जब जाकर वो मानी।
मुनिया- अच्छा ठीक है बाबूजी.. मगर आप दोनों एक साथ मुझे परेशान नहीं करोगे.. बहुत दुःखता है मुझे..
रॉनी- हा हा हा हा अरे बस.. इतनी सी बात.. चल नहीं करेंगे बस.. अकेला मैं ही करूँगा।
मुनिया- आप ही करेंगे तो बड़े बाबूजी का क्या होगा?
रॉनी- ओये मेरी सोणिए.. क्या बात है बड़ी फिकर है उसकी.. अरे उसके साथ भी मज़े ले लेना यार अकेले में… और सुन ये क्या ‘बाबूजी बाबूजी..’ लगा रखा है.. जानू बोलो.. डार्लिंग बोलो.. अगर ये नहीं तो यार हमारे इतने प्यारे नाम हैं.. वो लिया करो..
मुनिया- ठीक है रॉनी जी.. हा हा हा ये अच्छा है ना..
मुनिया को हँसता देख कर रॉनी को उस पर बड़ा प्यार आया। उसने मुनिया को अपनी बाँहों में भर लिया।
कुछ देर वो दोनों बातें करते रहे.. उसके बाद रॉनी की मदद से मुनिया बाथरूम तक गई.. उसको बहुत दर्द था मगर वो एक बहादुर लड़की थी.. सब दर्द को सह गई और चूत को अच्छी तरह साफ किया। बाद में कमरे को भी ठीक किया तब तक रॉनी जा चुका था।
दोपहर तक सब नॉर्मल हो चुका था। हाँ मुनिया के पैर ठीक से काम नहीं कर रहे थे.. उसको चूत में दर्द था और उसको बुखार भी हो गया था.. तो रॉनी ने उसे कुछ दवा और ट्यूब देकर कहा कि वो कमरे से बाहर ना आए.. बस आराम करे, शाम तक ठीक हो जाएगी।
दोनों भाइयों ने लंच किया और टीवी देखने लगे.. तभी वहाँ सुनील और विवेक आ गए।
विवेक- हाय रॉनी हाय पुनीत.. कैसे हो?
पुनीत- अरे आओ आओ.. तुम्हारा ही इंतजार था और टोनी कहाँ है.. वो नहीं आया क्या?
सुनील- वो बस आता ही होगा.. हम जरा पहले आ गए।
रॉनी- वो साला कहाँ रह गया.. ऐसे तो बड़ा बोलता था एक बार मैं गेम में आ जाऊँ.. तो ऐसा कर दूँगा.. वैसा कर दूँगा.. अब गाण्ड फट गई क्या उसकी?