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Incest चुत एक पहेली (Completed)

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Incest चुत एक पहेली (Completed)
honey boy Offline
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24-03-2018, 07:54 AM
अपडेट  ३८

अब तक आपने पढ़ा..

अर्जुन- ये अपने आप नहीं निकलता.. इसे निकालना पड़ता है.. जैसे मैंने आज निकाला है.. समझी?
निधि- हाँ समझ गई.. तभी भाभी को मज़ा आता है.. वो छुप कर आपसे रस निकलवाने आती हैं मगर उस दिन आप भाभी के ऊपर लेटे हुए हिल रहे थे.. वो कौन सा खेल है?
अर्जुन- वो रस निकालने का दूसरा तरीका है.. जो फुद्दी में गन्ना घुसा कर निकाला जाता है..
निधि- अच्छा… कैसे कैसे.. मुझे बताओ ना.. और ये गन्ना है कहाँ.. कब से बस बोल रहे हो.. दिखाते ही नहीं हो..
अर्जुन- अब समय आ गया है मेरी रानी.. चल अपनी आँख बन्द कर और खोलना मत.. ये भी एक खेल है.. बहुत मज़ा आएगा..

अब आगे..



निधि ने बात मान ली और आँख बन्द करके बैठ गई। बस फिर क्या था अर्जुन ने अपना विकराल लंड बाहर निकाल लिया.. जो बहुत अकड़ा हुआ था और टोपे पर वीर्य की बूंदें चमक रही थीं।
अर्जुन- निधि देखो.. आँख मत खोलना.. मैं गन्ना तेरे मुँह के पास ला रहा हूँ.. बस जीभ से चाट कर मज़ा लेना.. ठीक है ना..
निधि- हाँ ठीक है.. लाओ जल्दी से..

अर्जुन ने लौड़ा निधि के होंठों के करीब कर दिया.. वो अपनी जीभ से टोपी को चाटने लगी। जब वीर्य उसकी जीभ पर लगा तो उसको अजीब सा सवाद मिला और उसने आँखें खोल दीं।
निधि- हे भगवान.. ये क्या है.. छी: छी: अर्जुन तुम मुझे अपनी नूनी चाटने को कह रहे थे..

अर्जुन- हा हा हा.. अरे निधि.. ये नूनी नहीं.. लंड है.. इसमें छी: की क्या बात.. मैंने भी तो तुम्हारी फुद्दी चाटी है ना.. वैसे तुम भी इसे गन्ना समझ कर चूसो.. बहुत मज़ा आएगा..
निधि- नहीं नहीं.. गन्ना तो मीठा होता है मगर इसका सवाद तो अजीब सा है। कुछ समझ नहीं आ रहा..
अर्जुन- अरे तू चूस कर तो देख.. मज़ा आएगा और उसके बाद मैं दोबारा तेरी फुद्दी चाटूँगा। अबकी बार पहले से ज़्यादा मज़ा आएगा तुझे..

निधि ने बेमन से सुपारे को जीभ से चाटना शुरू किया.. धीरे-धीरे उसको मज़ा आने लगा..
अर्जुन- आह्ह.. अब आया ना मज़ा.. ले चूस.. पूरा मुँह में ले.. आह्ह.. चूस..
निधि के छोटे से मुँह में लौड़ा जा नहीं रहा था.. मगर उसने कोशिश करके सुपारा पूरा मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
निधि को अब लौड़े का रस अच्छा लगने लगा था.. वो मज़े से लौड़ा चूस रही थी और अर्जुन की वासना बढ़ती जा रही थी.. वो अब रुकना नहीं चाहता था।

अर्जुन- आह्ह.. चूस मेरी रानी.. आह्ह.. चूस.. आज तेरी फुद्दी का महूरत करूँगा.. इसको इतना चिकना कर दे कि बस तेरी फुद्दी को चीरता हुआ अन्दर गहराई तक आराम से घुस जाए..

निधि की समझ से यह बात कोसों दूर थी.. वो तो बस मज़े लेने में लगी हुई थी। उसको कहा ध्यान था कि अर्जुन की बातों का मतलब क्या है।
निधि- बस.. मेरा मुँह दुखने लगा है.. अब तुम मेरी फुद्दी चाटो ना..
अर्जुन- हाँ क्यों नहीं.. मेरी रानी.. अब तू गर्म हो गई है.. तेरी फुद्दी चटकार तुझे आग की भट्टी बना दूँगा.. उसके बाद चोट करूँगा..

मुनिया के दोनों पैर मोड़ कर.. अर्जुन उसके पैरों के बीच बैठ गया.. और उसकी चूत को चाटने लगा। अपनी उंगली पर थूक लगा कर थोड़ा अन्दर घुसने लगा ताकि उसकी चूत थोड़ी खुल जाए।

निधि- आह्ह.. सस्स नहीं.. आह्ह.. क्या कर रहे हो.. दुख़ती है.. आह्ह.. नहीं उफ..
अर्जुन- अभी कहाँ दुख़ती है मेरी जान.. जब ये बम्बू अन्दर जाएगा.. तब दुखेगा.. अभी तो तू बस मज़ा ले..
निधि- आह्ह.. अईह्ह.. चाटो.. मज़ा आ रहा है.. ये क्या आह्ह.. बोल रहे हो.. ये कैसे अन्दर आ जाएगा.. मेरी फुद्दी कितनी छोटी सी है.. आहह सस्स सस्स.. और ये कितना बड़ा है.. ना बाबा ना.. मैं तो मर ही जाऊँगी.. आह्ह.. बस ऐसे ही चाटो..

अर्जुन अब ज़ोर-ज़ोर से चूत को चाटने लगा था.. निधि एकदम गर्म हो गई थी। वो कमर को हिलाने लगी थी।
बस अर्जुन ने मौका देखा और चूत को चाटना बन्द किया.. खुद उसके पैरों के बीच बैठ गया.. लौड़े को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

निधि- आह उहह.. नहीं अर्जुन.. ये ना जा पाएगा.. आह्ह.. नहीं आह्ह..
अर्जुन- अरे डाल कहाँ रहा हूँ.. बस ऊपर रगड़ रहा हूँ.. मैंने कहा था ना इस लौड़े से तेरा पानी निकालूँगा।
निधि- उफ़फ्फ़ आह.. तब ठीक है.. अहह.. करते रहो.. मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. उफ़फ्फ़.. अर्जुन ज़ोर-ज़ोर से रगड़ो.. आह्ह.. मुझे पहले जैसा हो रहा है.. मेरा सूसू आह्ह.. नहीं नहीं.. मेरा रस आ रहा है आह्ह..

अर्जुन ने जल्दी से ढेर सारा थूक लंड पर लगाया.. निधि झड़ने लगी थी। उसका रस बाहर आ रहा था.. यही मौका था.. उसकी चूत एकदम चिकनी थी, अर्जुन ने हाथ से चूत को फ़ैलाया.. और सुपारा सैट करके एक धक्का मारा.. उसकी टोपी अन्दर फँस गई।

निधि तो कामवासना में तड़प रही थी.. उसका पानी अभी रुका भी नहीं था कि अर्जुन का मोटा बम्बू.. उसकी चूत में घुस गया.. वो तड़प उठी..
निधि- आह नहीं.. अर्जुन आह्ह.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह्ह.. नहीं ये ना जाएगा.. आह्ह.. निकालो आह्ह..
अर्जुन- अरे रानी.. अभी तो बस मुँह अन्दर किया है इसका.. अभी से काहे छटपटा रही है.. अब देख.. बस थोड़ा सा सहन कर ले.. फिर हवा में ना उड़ने लगे.. तो कहना मुझे..

अर्जुन ने निधि के निप्पल को मुँह में लिया और कमर को झटका मारा 3″ लौड़ा निधि की सील तोड़ता हुआ अन्दर घुस गया और दिल को दहला दे.. ऐसी चीख निधि के मुँह से निकली..
वो जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी.. अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करने लगी.. मगर अर्जुन ने उसके दोनों हाथों को मजबूती से जकड़ लिया था।

अर्जुन- अबे कितना चिल्लाएगी.. चुप.. कोई आ जाएगा..
निधि लगातार रोए जा रही थी.. अर्जुन ने उसके होंठों को जकड़ा और एक जोरदार धक्का मारा.. पूरा लौड़ा चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया.. उसकी चूत से खून रिसने लगा।

निधि दर्द के कारण बेहोश हो गई.. मौके का फायदा उठा कर अर्जुन दनादन लौड़ा पेलने लगा.. वो जल्द से जल्द चूत को ढीला करना चाहता था ताकि होश में आने के बाद निधि को ज़्यादा दर्द ना हो और वो आराम से चुदवाए।

मुनिया- हे राम.. आदमी हो या शैतान उस पर ज़रा भी रहम ना आया तुझे?
अर्जुन- अरे तू लौड़ा सहलाती रह.. अभी तो मज़ा आ रहा था और कैसा रहम.. उसको चोद कर मैंने कोई गुनाह नहीं किया.. बल्कि मज़ा लेने लायक बना दिया.. समझी..
मुनिया- अच्छा अच्छा.. बड़ा आया लायक बनाने वाला.. चल आगे बता..
अर्जुन- साली निधि की चुदाई बताते हुए लौड़ा कैसे झटके खा रहा है.. तू कर ना.. मज़ा आ रहा है..

मुनिया दोबारा लौड़े को सहलाने लगी और अर्जुन उसको आगे की कहानी सुनने लगा।

निधि को अब होश आने लगा था.. उसकी चूत दर्द से फटी जा रही थी और अर्जुन उसको चोदे जा रहा था।
निधि- आह न..नहीं.. एयेए अर्जुन.. मैं मर जाऊँगी.. आह्ह..
अर्जुन- अरे बस.. थोड़ी देर रुक.. आह्ह.. उहह.. मेरा वीर्य निकलने ही वाला है.. उहह उहह.. तेरी फुद्दी अब मेरा पूरा लौड़ा निगल गई है.. अब कैसा दर्द.. आह्ह.. उहह..

निधि को उत्तेजना का पता भी नहीं चल रहा था.. वो तो बस दर्द से कराह रही थी। इधर अर्जुन के लौड़े ने उसकी चूत को पानी से भर दिया और सुकून की लंबी सांस ली।

मुनिया- हाय रे बेचारी निधि.. कितना दुखा होगा उसको..
अर्जुन- उसकी छोड़.. आह्ह.. तू ज़ोर से कर.. आह्ह.. मेरा रस आने वाला है.. आह्ह.. मुँह में लेके चूस आह्ह..

अर्जुन ने ज़बरदस्ती अपना लौड़ा मुनिया के मुँह में ठूँस दिया और झटके देने लगा। कुछ ही देर में उसका रस निकल गया.. जिसे मुनिया पूरा गटक गई और मज़े से उसके लौड़े को जीभ से चाट कर साफ कर दिया।

अर्जुन- आह्ह.. मज़ा आ गया मुनिया.. बस ऐसे ही तू मेरे साथ रहना.. देखना तुम्हें ऐसा मज़ा दूँगा कि तू जिंदगी भर मुझे भूल नहीं पाएगी..
मुनिया- हाँ देखे तेरे मज़े.. खुद तो मेरे मुँह को पानी से भर दिया.. मेरी चूत का हाल पूछा कि उसको क्या चाहिए.. वो अभी कैसी है..
अर्जुन- अरे जानता हूँ रानी.. तू निधि की बात सुनकर गर्म हो गई है.. अब पहले ही मान जाती तो तेरी फुद्दी को लौड़े से ठंडा कर देता.. ला अब चाट कर ही पानी निकाल देता हूँ।
मुनिया- हाँ ये सही रहेगा.. वैसे भी चूत बहुत गर्म है.. जल्दी पानी निकल जाएगा.. उफ़फ्फ़ गीली तो पहले से हो गई..

मुनिया ने कपड़े निकाले तो अर्जुन ने जल्दी से चूत को चाटना शुरू किया जैसे बस वो उसका भूखा हो।
कुछ देर में ही मुनिया झड़ गई.. क्योंकि वो बहुत ज़्यादा उत्तेजित थी।

अर्जुन- वाह.. मज़ा आ गया तेरा रस तो कमाल का है, अब इतना सब हो ही गया तो एक बार कर लेते हैं ना..

मुनिया- अरे नहीं नहीं.. माई जाग गई तो शक करेगी.. अच्छा तूने आगे नहीं बताया कि निधि का क्या हुआ.. उसको खून निकल आया.. तो वो घर कैसे गई.. सब बताओ ना जल्दी से..
अर्जुन- अच्छा.. अब तेरी माई को शक नहीं होगा.. ये सब बताने में समय कितना लगेगा.. अभी लंबी कहानी है।
मुनिया- जल्दी-जल्दी बता दे ना.. मुझे पूरी बात जाननी है?
My threads:- Kuch Nahi Tere Bin || लवली फ़ोन सेक्स || Meri Behnen Meri Jindagi || "neha sexy" Ki Sexy Kahaniyan (Pyari Mausi) || ये गलत है (भाई-बहन का प्यार) || बॉलीवुड हीरोइनों की सेक्स स्टोरीज
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29-03-2018, 10:17 PM
अपडेट  ३९

अब तक आपने पढ़ा..

मुनिया ने कपड़े निकाले तो अर्जुन ने जल्दी से चूत को चाटना शुरू किया। जैसे बस वो उसका भूखा हो। कुछ देर में ही मुनिया झड़ गई.. क्योंकि वो बहुत ज़्यादा उत्तेजित थी।
अर्जुन- वाह.. मज़ा आ गया तेरा रस तो कमाल का है। अब इतना सब हो ही गया तो एक बार कर लेते हैं ना..
मुनिया- अरे नहीं नहीं.. माई जाग गई तो शक करेगी.. अच्छा तूने आगे नहीं बताया कि निधि का क्या हुआ.. उसको खून निकल आया.. तो वो घर कैसे गई.. सब बताओ ना जल्दी से..
अर्जुन- अच्छा.. अब तेरी माई को शक नहीं होगा.. ये सब में समय कितना लगेगा.. अभी लंबी कहानी है..
मुनिया- जल्दी-जल्दी बता दे ना.. मुझे पूरी बात जाननी है..

अब आगे..



अर्जुन- अच्छा ठीक है.. सुन थोड़ी देर बाद निधि ने बैठने की कोशिश की तो उसकी फुद्दी में बहुत दर्द हुआ.. वो रोने लगी।
मैंने सहारा दिया.. तब जाकर बैठ पाई और जैसे ही उसने खून देखा.. उसकी हालत पतली हो गई।
मैंने बहुत समझाया कि ये तो तेरी फुद्दी के खुलने का सगुन है.. तब कहीं जाकर वो मानी।

मुनिया- उसके बाद दोबारा किया या नहीं.. या ऐसे ही छोड़ दिया उसको?
अर्जुन- अरे किया ना.. पहले पास के कुंए से एक बाल्टी पानी लाया.. उसकी फुद्दी को अच्छे से साफ किया और अपने लौड़े को भी.. उसके बाद उसे दोबारा गर्म किया.. उसकी फुद्दी चाट कर… और बस दूसरी बार फिर से वही चीखने चिल्लाने का दौर शुरू हो गया।
मुनिया- इतने दर्द को झेलने के बाद भी.. वो दूसरी बार के लिए राज़ी कैसे हो गई?

अर्जुन- अरे मैं किस मर्ज की दवा हूँ.. ऐसा चक्कर चलाया कि बस मान गई और ऐसा चोदा कि बस मज़ा आ गया। तू मानेगी नहीं मैंने उस दिन 4 बार उसकी चुदाई की.. तब कहीं जाकर मेरे लौड़े को सुकून मिला।
शाम को उसे घर तक ले जाने में बड़ी मुश्किल पेश आई.. साली से चला नहीं जा रहा था.. गोद में उठा कर लेके गया..

मुनिया- किसी ने देखा नहीं तुमको जाते हुए?
अर्जुन- अरे नहीं शाम का समय था.. यहाँ से निकला.. तो कोई नहीं मिला.. उसके घर से कुछ पहले एक आध जन ने पूछा.. तो मैंने बता दिया कि मैं आ रहा था.. इसे रास्ते में रोता देखा… इसके पैर में मोच आई है.. तो उठा लाया..

मुनिया- बहुत चालाक है रे तू..
अर्जुन- वो तो हूँ.. इसमें क्या शक है.. चल अब तू जा.. ऐसे बैठी रहने से क्या फायदा.. चुदवाती तो है नहीं..
मुनिया- अच्छा पहले मैं जाती हूँ.. उसके बाद तू जाना.. ठीक है..
अर्जुन ने उसकी बात मान ली और उसके बाद वहाँ से निकल गया।

दोस्तो, आप सोच रहे होंगे.. मैं ये कहानी कहाँ से कहाँ ले गई.. मगर ये पार्ट बताना जरूरी था। अब क्यों.. इसका जवाब बाद में मिल जाएगा।

मगर ये सोचने की बात है कि निधि की भाभी ने अपनी हवस को पूरा करने के लिए कैसे उस बेचारी का इस्तेमाल किया। ये बहुत ग़लत है.. कभी भी अपने फायदे के लिए किसी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
सॉरी.. क्या लेके बैठ गई मैं.. अब वापस पायल के पास चलते हैं, जानते हैं कि वहाँ क्या हो रहा है।

आप तो जानते ही हो.. पायल अपने कमरे में आकर सो गई थी और वहाँ से आने के बाद उसको बड़ी मस्त नींद आई। वो घोड़े बेच कर सो गई..

करीब 9 बजे रॉनी के फ़ोन पर सन्नी का फ़ोन आया.. जिसकी रिंग से उसकी आँख खुली..
रॉनी- हैलो.. क्या यार.. सुबह-सुबह नींद खराब कर दी.. क्या हुआ?
सन्नी- अरे क्या हुआ.. 9 बज गए.. अब तो उठ जाओ… जल्दी फ्रेश होकर मुझे फ़ोन करना.. कोई जरूरी बात है..
रॉनी- क्या बात है.. बता ना यार?
सन्नी- नहीं पहले उठ.. नाश्ता कर.. जब फ्री हो जाए.. तो मुझे कॉल कर लेना..

सन्नी के फ़ोन काटने के बाद रॉनी बाथरूम चला गया। उधर पुनीत रात से बेसुध सोया पड़ा था.. उसकी भी आँख जब खुली.. तब वजह थी कि उसको ज़ोर से पेशाब लगी थी। वो जल्दी से उठा और बाथरूम चला गया। जब वो पेशाब कर रहा था.. तब उसकी नींद टूटी और उसके लौड़े ने रात में क्या कांड किया.. उसको समझ में आ गया।

वो टेन्शन में आ गया.. और अपने आपसे बोलने लगा- ओह्ह.. शिट.. यह क्या हो गया साला लौड़ा कैसे फेल हो गया.. गुड्डी भी साथ सोई थी.. कहीं उसने देख तो नहीं लिया.. वो कहाँ चली गई.. साला ये क्या कांड हो गया।

पुनीत इसी टेन्शन में फ्रेश होकर.. अपने कमरे से बाहर निकला.. तो अनुराधा उसे सामने मिली।
पुनीत- मॉम गुड्डी कहाँ है?
अनुराधा- अरे बेटा.. बहुत दिनों के बाद आई है ना.. तो सो रही है.. मैंने भी उसको नहीं उठाया।
पुनीत- ओके.. ठीक है.. आप ऊपर क्यों आई थीं.. कोई काम था क्या?

अनुराधा- अरे तुमको ही उठाने आई थी। मैं मंदिर जा रही हूँ.. वहाँ आज बाबाजी आए हुए हैं देर से आऊँगी… तुम नाश्ता कर लेना और अपनी बहन को कहीं बाहर ले जाना.. बेचारी हॉस्टल में कितना अकेलापन महसूस करती होगी.. तुम उसको कुछ शॉपिंग भी करवा देना.. ठीक है..
पुनीत ने ‘हाँ’ कहा और रॉनी के कमरे में चला गया.. वो अभी बाथरूम में ही था।

पुनीत अभी भी टेन्शन में था कि रात को क्या हुआ होगा.. गुड्डी कब गई.. रात को.. या सुबह.. उसकी बेचैनी उसको पायल के कमरे में ले गई.. जहाँ पायल आराम से सोई हुई थी।

पुनीत धीरे से उसके पास गया उसके सर पर हाथ फेरा.. तभी पायल की आँख खुल गई और वो पुनीत को देख कर हल्का सा मुस्कुरा दी।
पायल- गुड मॉर्निंग भाई.. क्या बात है.. सुबह-सुबह मेरे कमरे में.. सब ठीक तो है ना?
पुनीत- गुड मॉर्निंग.. मेरी गुड्डी.. सब ठीक ही है.. वैसे तुम यहाँ कब आई.. मुझे तो पता भी नहीं चला?
पायल बिस्तर पर बैठ गई और वो ऐसे बर्ताव कर रही थी.. जैसे उसको कुछ पता ही नहीं है।

पायल- आपके सोने के कोई 10 मिनट बाद ही मैं वापस यहाँ आ गई थी.. वहाँ नींद ही नहीं आ रही थी।
पुनीत- अरे अरे.. रात भर बिना एसी के सोई.. मेरी प्यारी बहना..
पायल- अरे नहीं भाई.. एसी चल तो रहा है.. बस ठंडक कम कर रहा था। मैं सो गई.. तो पता ही नहीं चला।

पुनीत- अच्छा ठीक है.. चल जल्दी से फ्रेश हो ज़ा.. साथ में नाश्ता करेंगे, आज काफ़ी वक्त बाद ऐसा मौका मिला है।
पायल- ओके ब्रो.. आप नीचे जाओ.. मैं बस 10 मिनट में रेडी होकर आती हूँ।

पुनीत जब कमरे से बाहर निकला तो रॉनी भी अपने कमरे से बाहर आ रहा था। पुनीत को देख कर वो मुस्कुराने लगा।

पुनीत- क्या बात है.. बड़ा खुश नज़र आ रहा है.. क्या कोई अच्छा सपना देख लिया रात को?
रॉनी- अरे नहीं भाई.. आपको देख कर मुस्कुरा रहा हूँ.. सुबह-सुबह गुड्डी के कमरे से जो आ रहे हो।
पुनीत- तो इसमे हँसने की क्या बात है.. मैं अपनी बहन को उठाने गया था।
रॉनी- हाँ जानता हूँ.. आप अपने गेम के लिए कुछ भी कर सकते हो और मुझे पक्का यकीन है.. आप गुड्डी को मना भी लेंगे और गेम को जीत भी जाएँगे।

पुनीत- थैंक्स मुझ पर भरोसा करने के लिए.. चल आ जा.. आज गुड्डी के साथ नाश्ता करेंगे..
रॉनी- हाँ चल यार मुझे भी बड़ी भूख लगी है।

वो दोनों नीचे बैठ कर पायल का वेट कर रहे थे.. तभी एक नॉर्मल सी मैक्सी पहन कर पायल नीचे आई।
पुनीत- अरे गुड्डी.. ये क्या पहना है.. क्या घूमने ऐसे बाहर जाओगी?

पायल- भाई.. ये आपको किसने कहा कि मैं ऐसे बाहर जाऊँगी.. ये तो आप नाश्ते के लिए मेरा वेट कर रहे थे.. इसलिए जल्दी में पहन कर आई हूँ.. वैसे बाहर जाने का मेरा अभी कोई मूड भी नहीं है।

रॉनी- अरे क्या गुड्डी.. सारा दिन घर में ही रहोगी क्या.. अब छुट्टियाँ मनाने आई हो.. तो घूमो-फ़िरो थोड़ा लाइफ को एन्जॉय करो।
पायल- ओके.. मगर मेरी एक शर्त है.. वो आपको माननी होगी।
पुनीत- कैसी शर्त गुड्डी.. बोलो?
पायल- भाई अब मैं छोटी बच्ची नहीं हूँ.. घर में तो चलता है.. मगर बाहर आप मुझे गुड्डी नहीं कहोगे और मैं जो कहूँ.. करोगे.. जहाँ चाहूँ.. घुमाओगे.. बोलो है मंजूर?

पुनीत- हा हा हा हा.. तू भी ना कमाल करती है.. अच्छा बाबा.. बाहर तुझे पायल ही बुलाएँगे और बाकी तू जो कहेगी वैसा करेंगे.. चल अब आजा.. नाश्ता कर ले, हमें तो बहुत जोरों की भूख लगी है।

तीनों ने नाश्ता किया और यूँ ही बातें करते रहे।
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#53
30-03-2018, 03:55 PM
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अब तक आपने पढ़ा..

रॉनी- अरे क्या गुड्डी.. सारा दिन घर में ही रहोगी क्या.. अब छुट्टियाँ मनाने आई हो.. तो घूमो-फ़िरो थोड़ा लाइफ को एन्जॉय करो।
पायल- ओके.. मगर मेरी एक शर्त है.. वो आपको माननी होगी।
पुनीत- कैसी शर्त गुड्डी.. बोलो?
पायल- भाई अब मैं छोटी बच्ची नहीं हूँ.. घर में तो चलता है.. मगर बाहर आप मुझे गुड्डी नहीं कहोगे और मैं जो कहूँ.. करोगे.. जहाँ चाहूँ.. घुमाओगे.. बोलो है मंजूर?
पुनीत- हा हा हा हा.. तू भी ना कमाल करती है.. अच्छा बाबा.. बाहर तुझे पायल ही बुलाएँगे और बाकी तू जो कहेगी वैसा करेंगे.. चल अब आजा.. नास्ता कर ले हमें तो बहुत जोरों की भूख लगी है।
तीनों ने नाश्ता किया और यूँ ही बातें करते रहे।

अब आगे..



पायल- काका.. मेरा जूस कहाँ है.. आपको पता है ना.. मुझे सुबह जूस चाहिए..
काका- लो बिटिया.. आपका जूस तैयार है.. मैंने कभी देने में देर की है.. जो आज करूँगा।
पायल- काका आपकी यही बात मुझे पसन्द है.. आप बोलने के साथ हर चीज़ रेडी रखते हो।
काका- बेटी बरसों से यहाँ काम कर रहा हूँ.. इतना भी नहीं समझूँगा क्या.. कि किस वक़्त किसको क्या देना है।

दोस्तो, यह काका इनके यहाँ बहुत पुराना नौकर है.. इसके बारे में आगे बाद में बताऊँगी.. अभी इन पर ध्यान दो।

नाश्ते के बाद पायल रेडी होने के लिए अपने कमरे में चली गई और रॉनी ने बाहर आकर सन्नी को फ़ोन लगाया।
रॉनी- हाँ बोल भाई.. क्या बात है.. अब एकदम फ्री हूँ.. किसलिए फ़ोन किया था?
सन्नी- तुम अभी पिंक कैफे आ जाओ और हाँ.. अकेले ही आना.. पुनीत को कहो वो पायल के करीब होने की कोशिश करे.. उसको दोस्त बनाओ.. तभी आगे का काम सही होगा.. समझे?
रॉनी- अरे यार इतनी सी बात के लिए मेरी नींद खराब कर दी तुमने.. यह बात तो तुम उस वक्त भी बता सकते थे।

सन्नी- उस वक्त बताता तो तू वापस सो जाता.. चल अब जल्दी कर.. वहाँ से निकल.. मैं यहाँ तेरा वेट कर रहा हूँ और हाँ सुन एक्टिंग आती है ना तुझे?
रॉनी- कैसी एक्टिंग.. मैं समझा नहीं?
सन्नी- यहाँ आकर खुद ब खुद समझ जाएगा.. तेरे अन्दर का कलाकार बाहर आ जाएगा.. हा हा हा.. चल जल्दी कर अब निकल वहाँ से..

रॉनी ने फ़ोन बन्द किया… कुछ सोचा फिर पुनीत को अन्दर जाकर बता दिया कि सन्नी ने बुलाया है.. तुम गुड्डी के साथ दोस्ती करो.. ज़्यादा से ज़्यादा करीब हो जाओ।
पुनीत- मैं सब संभाल लूँगा.. तू निकल.. मैं उसको शॉपिंग पर लेके जाऊँगा और उसके बाद थोड़ा घूम कर आएँगे… ओके..
रॉनी ने ‘बेस्ट ऑफ लक’ कहा और वहाँ से निकल गया।

पुनीत नीचे बैठा हुआ पायल का वेट कर रहा था.. जब पायल कमरे से बाहर आई तो पुनीत बस उसको देखता ही रह गया, वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।
पायल ने सफ़ेद और लाल रंग का सलवार सूट पहना हुआ था.. हल्का सा मेकअप होंठों पर लाल लाली और खुले बाल… उसकी सुंदरता को और बढ़ा रहे थे।

पायल नीचे आकर पुनीत के सामने खड़ी हो गई और एक सेक्सी स्माइल दी। पुनीत अभी भी उसको निहार रहा था।
पायल- हैलो.. भाई.. कहाँ खो गए.. ऐसे क्या देख रहे हो मुझे?
पुनीत- ओह्ह.. कुछ नहीं.. तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो..
पायल- ओह्ह.. रियली.. थैंक्स भाई.. अब बोलो कहाँ चलना है?

पुनीत- अरे तुम हुक्म करो.. जहाँ जाना चाहो.. मैं तुम्हें ले जाने को तैयार हूँ।
पायल- भाई मेरे सारे कपड़े ओल्ड फैशन हो गए हैं पहले कुछ शॉपिंग करेंगे उसके बाद सोचेंगे.. कि कहाँ जाना है.. ओके?
पुनीत- जो हुक्म मेरी प्यारी बहना.. गाड़ी तैयार है.. आइए चलिए..
पायल- ये क्या भाई.. मेरा मजाक बना रहे हो क्या.. सीधे-सीधे बोलो ना.. ये क्या लगा रखा है?
पुनीत- अरे मजाक कर रहा हूँ.. तू नाराज़ क्यों होती है.. चल अब आ जा..

दोनों बातें करते हुए घर से निकल गए.. थोड़ी देर बाद दोनों सिटी सेंटर में थे।

पायल ने पुनीत से कहा कि ड्रेस पसन्द करने में वो उसकी मदद करे..
पुनीत- चलो वो सामने वाली शॉप में अच्छे कपड़े दिख रहे हैं।

दोनों वहाँ जाकर कपड़े देखने लगे.. पायल को अभी भी रात की बात से कुछ कन्फ्यूजन सा था.. वो अपने आपसे जूझने लगी।

पायल अपने मन में ही कहने लगी- अब तुम तो अपने भाई पर फिदा हो गई हो.. मगर वो तुम्हारे बारे में ऐसा सोचता है या नहीं.. ये भी देखना होगा। वैसे पूजा ने कहा था कि दुनिया का कोई भी लड़का पहले लड़का है बाद में किसी का बेटा या भाई.. तो पुनीत को आजमाना पड़ेगा।

पुनीत- अरे क्या सोच रही है.. कुछ पसन्द आया तुम्हें?
पायल- भाई वो ड्रेस कैसा रहेगा?
पायल ने एक छोटे से टॉप और स्कर्ट की तरफ इशारा किया।

पुनीत- अरे वो तो बहुत अच्छा है.. मगर थोड़ा छोटा नहीं है?
पायल- क्या भाई आजकल यही चलता है.. अगर आपको पसन्द नहीं तो जाने दो..
पुनीत- अरे नहीं नहीं.. बहुत अच्छा है मैंने तो बस ऐसे ही कहा था..
पायल- ओके भाई.. मैं इसको ट्राई करके देखती हूँ… फिटिंग कैसी है!
पुनीत- ओके जाओ.. देख आओ.. मैं तब तक कुछ और देखता हूँ।

पायल- नहीं आप ट्रायल रूम के बाहर खड़े रहो.. मुझे कैसे पता लगेगा.. आप देख कर बताना.. अच्छा है या नहीं.. ओके..
पुनीत ने ‘ओके’ कहा.. तो पायल वो ड्रेस लेकर अन्दर चली गई और कुछ देर बाद जब वो बाहर आई.. तो पुनीत बस पायल को निहारने लगा।

दोस्तो, वो ड्रेस पायल के जिस्म से चिपका हुआ था डार्क ब्लू टॉप.. जो बहुत शॉर्ट था.. उसमें से पायल की नाभि भी आराम से दिख रही थी और उसके कसे हुए मम्मे टॉप को फाड़ कर बाहर आने को बेताब थे। नीचे का ब्लैक स्कर्ट भी उसकी जाँघों तक मुश्किल से आ रहा था। उसकी गोरी-गोरी जाँघें देख कर एक बार तो पुनीत की नियत भी बिगड़ गई.. मगर उसने जल्दी से अपने आपको संभाला।

पुनीत- वाउ सो नाइस गुड्डी..
पायल- भाई.. मैंने क्या कहा था.. गुड्डी नहीं.. पायल.. ओके..
पुनीत- ओह्ह.. सॉरी सॉरी.. पायल.. यह ड्रेस बहुत अच्छा है.. तुम इसमें किसी गुड़िया जैसी लग रही हो।

पायल कुछ नहीं बोली और वापस अन्दर चली गई.. उस ड्रेस को निकाला.. अपने कपड़े पहने और मुँह फुला कर बाहर आ गई।
पुनीत को कुछ समझ नहीं आ रहा था.. कि आख़िर हुआ क्या..

पायल- चलो भाई.. मुझे कुछ नहीं लेना यहाँ से..
पुनीत- अरे क्या हुआ.. इतना गुस्सा क्यों हो गई.. मैंने क्या कहा.. बता तो?
पायल- आपको तो तारीफ करना भी नहीं आता.. जाओ मैं आपसे बात नहीं करती।
पुनीत- अरे यार, प्लीज़ अब नाराज़ मत हो.. पहले बता तो.. मैंने ऐसा क्या कहा.. जो तुझे बुरा लगा?

पायल- भाई मैंने इतना मॉर्डन ड्रेस पहना और अपने कहा मैं गुड़िया जैसी लग रही हूँ।
पुनीत- अरे तो इसमे बुरा क्या है?
पायल- मैं कोई छोटी बच्ची नहीं हूँ.. जो गुड़िया जैसी लगूं.. ओके..

पुनीत- ओह्ह.. तो ये बात है.. मैं तो भूल ही गया कि अब मेरी गुड़िया बड़ी हो गई है.. ओके बाबा कान पकड़ कर सॉरी.. बस अब तो मान जाओ..
पायल- नहीं.. पहले बताओ उस ड्रेस में अगर कोई और लड़की होती तो आप उसकी तारीफ कैसे करते?
पुनीत- अरे दूसरी लड़की कौन यार?
पायल- मान लो आपकी कोई फ्रेण्ड हो तो?

पुनीत- प्लीज़ डोंट माइंड.. हाँ अगर और कोई होती तो मैं कहता बहुत सेक्सी लग रही हो.. मगर तुम मेरी बहन हो ऐसे बोलना अच्छा नहीं लगता ना..
पायल- भाई ये क्या बात हुई.. मैं आपकी फ्रेण्ड नहीं हूँ क्या.. और मैं किसी से कम हूँ क्या.. क्या कमी है मुझमें…?
पुनीत- अरे पायल.. तू तो मेरी बचपन की फ्रेण्ड है.. और तुझमे. क्या कमी होगी.. तू तो दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की है।
पायल- ओह्ह.. भाई थैंक्स.. अब मेरी तारीफ खुलकर करना.. हाँ तो मैं ये ड्रेस ले लूँ.. क्या कहते हो?
पुनीत- अरे इसमे. पूछना क्या है.. ले लो ना.. अच्छा है वो.. और अब जो भी ड्रेस लो.. पहले मुझे पहन कर दिखाना ताकि मैं तेरी तारीफ करूँ.. अब खुश..

उसके बाद पायल ने दो और सेक्सी ड्रेस लिए।
अब पुनीत भी खुलकर उसकी तारीफ करने लगा था.. मगर पायल अभी भी सोच में थी कि पुनीत उसको किस नज़र से देख रहा है।
अचानक उसके दिमाग़ में एक आइडिया आया!
पायल- भाई आप कुछ नहीं ले रहे क्या.. कब से मैं ही लिए जा रही हूँ।
पुनीत- अरे नहीं.. कुछ दिन पहले ही मैंने शॉपिंग की है।
पायल- अच्छा जाने दो भाई.. आपको मेरी फ्रेण्ड की बात बताऊँ.. आपको बहुत हँसी आएगी।
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#54
31-03-2018, 12:56 PM
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अब तक आपने पढ़ा..

पुनीत- अरे इसमें पूछना क्या है.. ले लो ना.. अच्छा है वो.. और अब जो भी ड्रेस लो.. पहले मुझे पहन कर दिखाना ताकि मैं तेरी तारीफ करूँ.. अब खुश..
पायल ने दो और सेक्सी ड्रेस लिए।
अब पुनीत भी खुलकर उसकी तारीफ करने लगा था.. मगर पायल अभी भी सोच में थी कि पुनीत उसको किस नज़र से देख रहा है।
अचानक उसके दिमाग़ में एक आइडिया आया!
पायल- भाई आप कुछ नहीं ले रहे क्या.. कब से मैं ही लिए जा रही हूँ।
पुनीत- अरे नहीं.. कुछ दिन पहले ही मैंने शॉपिंग की है।
पायल- अच्छा जाने दो भाई.. आपको मेरी फ्रेण्ड की बात बताऊँ.. आपको बहुत हँसी आएगी।

अब आगे..




पुनीत- हाँ बताओ… ऐसी क्या बात है?
पायल- वो मिडल क्लास फैमिली से है.. तो वहाँ ऐसे हाई फैशन कपड़े नहीं पहनते हैं और खास कर शॉपिंग के वक्त उसके साथ उसके पापा या भाई हों.. तो बस पूछो मत..
पुनीत- अरे इसमे हँसने की क्या बात है.. शॉपिंग तो ज़्यादातर घर वालों के साथ ही की जाती है।

पायल- हाँ पता है.. आगे तो सुनो.. एक बार वो अपने भाई के साथ गई.. उसको कुछ कपड़े और अंडरगारमेंट लेने थे.. अब कपड़े तो उसने ले लिए.. भाई के सामने वो ब्रा पैन्टी कैसे खरीदे.. ये दिक्कत की बात थी।

पायल ने ये बात एकदम नॉर्मल होकर कही.. इस पर पुनीत ने भी ज़्यादा गौर नहीं किया कि पायल क्या बोल रही है.. मगर ये पायल की चाल थी।

पुनीत- अरे जब भाई के साथ आ ही गई तो लेने में क्या हर्ज है.. अगर उसको शर्म आ रही थी.. तो भाई को दुकान के बाहर भेज देती.. इसमें क्या है.. खैर.. फिर क्या हुआ.. उसने लिए या नहीं?
पायल- नहीं.. भाई के सामने लेने में उसको शर्म नहीं आई.. मगर फिर भी उसने नहीं लिए..
पुनीत- अरे ये क्या बात हुई.. शर्म भी नहीं आई.. फिर भी नहीं लिए..
पायल- हा हा हा हा.. आगे तो सुनो.. क्यों नहीं लिए.. हा हा हा हा!

पुनीत- अरे तू हँसना बन्द कर पहले.. बात तो बता मुझे..
पायल- हा हा.. उसने दो ड्रेस लिए तो उसके भाई ने कहा.. पहन कर दिखाओ बराबर फिट हैं या नहीं.. तो उसने सोचा अब अंडरगारमेंट लूँगी तो कैसे दिखाऊँगी हा हा हा हा..
पायल की बात सुनकर पुनीत भी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा।

पुनीत- हा हा हा वो भी कोई हा हा पागल ही थी हा हा.. कुछ भी सोच लिया उसने.. इस दुनिया में भी कैसे-कैसे लोग हैं हा हा हा..
पायल- बस बस भाई ऐसे ज़्यादा हँसना ठीक नहीं.. आपके पेट में दर्द हो जाएगा।

पुनीत- अब क्या इरादा है.. और कुछ लेना है या चलें?
पायल- लेना तो है मगर…
पुनीत- अरे क्या लेना है.. ले लो.. ये मगर क्या है?
पायल- भाई मुझे अंडरगारमेंट लेने हैं मगर आपने तो कहा था.. अब जो भी लेना हो.. पहले मुझे पहन के दिखाना तो थोड़ी सोच रही हूँ…

पायल की बात सुनकर पुनीत ज़ोर से हँसने लगा। उसको लगा पायल मजाक कर रही है.. मगर पायल ने अपना पासा फेंक दिया था।
पायल- भाई इसमें इतना हँसने की क्या बात है.. मुझे सच में लेने हैं।
पुनीत- हा हा हा.. अरे तो ले ले.. इसमें सोचना क्या है.. तू भी अपनी फ्रेण्ड की तरह बेवकूफ़ी करेगी क्या.. ड्रेस दिखाना अलग बात है.. ये कोई दिखाता है क्या.. हा हा हा..

पायल- अच्छा अच्छा.. अब ज़्यादा मत हँसो और चलो मेरे साथ.. वो सामने की शॉप से लेंगे..
पुनीत- अरे मैं क्या करूँगा जाकर.. तू ले ले ना.. अपने हिसाब से..
पायल- अब आप मिडल क्लास वाले मत बनो.. वहाँ शॉप में सब आदमी होते हैं मैं वहाँ पर अकेली नहीं जाऊँगी.. मुझे डर लगता है..
पुनीत- अरे इसमें डर कैसा.. पागल कुछ भी बोल देती है, मैं तो बस ऐसे ही कह रहा था.. चल मैं तेरे साथ चलता हूँ।
पायल- ये हुई ना दोस्तों वाली बात.. अब लगा कि आप मुझे दोस्त मानते हो.. चलो अब देखते हैं वहाँ पर कुछ अच्छा है या नहीं..

दोनों शॉप में चले गए.. वहाँ सिर्फ़ नाईटी और अंडरगारमेंट्स ही मिलते थे। हर तरफ़ बस वही नज़र आ रहा था।
पुनीत उस माहौल में थोड़ा सा घबरा रहा था।
पायल- अरे क्या हुआ.. आप ऐसे चुप-चुप क्यों हो?
पुनीत- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है.. तुमको जो लेना है.. ले लो..

पायल ने दुकान वाले को कहा कि कुछ न्यू डिज़ाइन दिखाओ।
दुकानदार- मेमसाब आप साइज़ बता दो.. उस हिसाब से मैं नये डिज़ाइन निकालता हूँ।
पायल ने पुनीत की तरफ़ देखा और हल्की सी स्माइल देते हुए कहा- आप 32″ के न्यू डिज़ाइन निकालो और हाँ सैट ही दिखाना।
दुकानदार- अभी लो मेमसाब.. बस 5 मिनट में निकालता हूँ।

पुनीत ने जब पायल के मुँह से साइज़ सुना.. तो उसकी नज़र अपने आप उसके मम्मों पर चली गई और एक अजीब सी बेचैनी उसके मन में होने लगी.. उसका लौड़ा थोड़ी हरकत करने लगा।

पायल इन सब बातों पर गौर कर रही थी मगर वो पुनीत से नजरें नहीं मिला रही थी.. बस इधर-उधर देख रही थी ताकि पुनीत को पूरा मौका मिले।
तभी उसकी नज़र एक रबड़ के पुतले पर गई.. जिसने काली ब्रा और पैन्टी पहनी हुई थी.. जो पारदर्शी थी और बहुत सेक्सी भी दिख रही थी।
पायल ने उसको गौर से देखा और पुनीत को आँखों से इशारा किया कि कैसी है?

पुनीत तो इस अचानक हुए हमले से घबरा गया और अचानक ही उसके मुँह से निकल गया- ये तो बहुत सेक्सी है.. तुम पर बहुत मस्त लगेगी..
इतना कहकर पुनीत झेंप गया कि ये कुछ ज़्यादा हो गया और वो खांसने लगा.. जैसे उसने कोई मिर्ची खा ली हो।

पायल- अरे क्या हुआ आपको.. आप ठीक तो है ना?
दुकानदार- ये लो सर.. पानी पी लो।
पुनीत एक सांस में पूरा गिलास गटक गया और संयत हो गया।
दुकानदार- ये लीजिए.. सब नये डिज़ाइन आपके सामने हैं जो अच्छा लगे.. लेलो अगर नहीं पसन्द आए हों.. तो और कुछ दिखा दूँगा..

पायल सब सैट को आराम से हाथ में लेकर देखने लगी और चोर नज़र से पुनीत की और भी देखती रही।
पायल- सब बहुत अच्छे हैं मगर कलर कौन सा लूँ.. ये समझ नहीं आ रहा.. आप कुछ मदद करो ना मेरी..
पुनीत- अरे कोई भी लेले.. सब अच्छे ही हैं इसमें इतना सोचना क्या?

पायल- आप प्लीज़ बताओ ना.. कलर के बारे में आप ज़्यादा अच्छा जानते हो.. मैंने आपकी टीशर्ट्स देखी हैं बहुत मस्त हैं सब.. प्लीज़ प्लीज़ बताओ ना..
पुनीत- देखो पायल.. ये पिंक वाली अच्छी है और वो ब्लू भी मस्त लग रही है। एक ये क्रीम ले लो और वो ब्लैक तो मैंने पहले ही बता दिया कि अच्छी है.. हाँ इनमे. रेड कलर होता तो और भी मस्त रहता।
दुकानदार- लाल भी मिल जाएगा.. आप कहो तो ले आऊँ?

पायल- अरे पूछना क्या है.. जल्दी ले आओ और ये सब भी पैक कर दो और हाँ वो सामने वाला सैट भी पैक कर देना.. ठीक है..
दुकानदार- जी मेम.. अभी करवा देता हूँ और कुछ भी देख लो.. आज नया माल आया है। कुछ अच्छी डिज़ाइन की नाईटी भी हैं वो वहाँ सामने देखो उनमें से भी कुछ पसन्द कर लो।

पायल- अरे नहीं नहीं.. पहले ही बहुत कुछ ले लिया.. अब नाईटी लूँगी तो ये साब हम दोनों को मार देंगे हा हा हा हा हा..
पुनीत- अरे ये क्या बोल रही हो.. मैं क्यों मारूँगा और जितना खर्चा तुमने किया है.. वो सब मैं वसूल भी कर लूँगा.. समझी.. चल देख ले जो भी तुम्हें पसन्द आए।
पायल- अच्छा.. कैसे वसूल करोगे आप.. ज़रा बताओ तो?
पुनीत- अरे पागल मजाक कर रहा हूँ.. तू कौन सा रोज-रोज खर्चा करवाती है.. चल अब देख ले.. कुछ पसन्द आए तो?

दुकानदार- हा हा हा, कुछ भी कहो मेम ये साब जी आपको प्यार बहुत करते हैं देखो कैसे सब चीजों के लिए फ़ौरन मान जाते हैं।
पुनीत- अरे प्यार कैसे नहीं करूँगा ये तो मेरी जान है.. मेरी प्यारी…

पुनीत आगे कुछ बोलता इसके पहले पायल ने बोल दिया।
पायल- बस बस.. अब सारी कहानी मत बताओ.. आओ मेरे साथ कुछ नाईटी पसन्द करते हैं।
पुनीत को कुछ समझ नहीं आया कि ये पायल को क्या हो गया है.. उसने ऐसे बीच में क्यों रोका..

पायल ने 2 सेक्सी नाईटी भी पसन्द की.. उसके बाद वो जब जाने लगे.. तो दुकानदार ने कहा- सच्ची इतने लोग यहाँ आते हैं मगर ऐसी खूबसूरत जोड़ी आज तक मैंने नहीं देखी..

पायल- ओह्ह.. थैंक्स.. वैसे हम बस दोस्त हैं ओके बाई..

पायल बाहर निकल गई तो दुकानदार ने धीरे से कहा.. – हाँ पता है.. आजकल दोस्ती में ही सारे कांड हो जाते हैं इतने महंगे सैट तुझे दिलवाए हैं तो लड़का मज़ा भी पूरा लेगा हाँ…


बाहर आकर पुनीत ने सवालिया नज़रों से पायल की ओर देखा..
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#55
01-04-2018, 03:30 PM
अपडेट  ४२

अब तक आपने पढ़ा..

पायल ने 2 सेक्सी नाईटी भी पसन्द की.. उसके बाद वो जब जाने लगे.. तो दुकानदार ने कहा- सच्ची इतने लोग यहाँ आते हैं मगर ऐसी खूबसूरत जोड़ी आज तक मैंने नहीं देखी..
पायल- ओह्ह.. थैंक्स.. वैसे हम बस दोस्त हैं ओके बाय..
पायल बाहर निकल गई तो दुकानदार ने धीरे से कहा.. – हाँ पता है.. आजकल दोस्ती में ही सारे कांड हो जाते हैं इतने महंगे सैट तुझे दिलवाए हैं तो लड़का मज़ा भी पूरा लेगा हाँ…
बाहर आकर पुनीत ने सवालिया नज़रों से पायल की ओर देखा..

अब आगे..



पायल- क्या हुआ आप मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो?

पुनीत- मुझे उस वक्त बोलने नहीं दिया और अभी उसने जो बकवास की.. उसका जवाब भी तुमने अजीब सा दिया.. ऐसा क्यों.. मेरी समझ के बाहर है।
पायल- अरे भाई.. उस वक्त आप मेरी प्यारी बहन बोलने वाले थे.. इसलिए मैंने रोका और अभी उसने कहा कि अच्छी जोड़ी है तो मैंने कहा ना.. कि हम बस दोस्त हैं अब ये नॉर्मल बात है..

पुनीत- अरे उसको पता होता कि तुम मेरी बहन हो तो वो ऐसी बात बोलता ही नहीं.. मगर तुमने मुझे रोका क्यों ये बताओ..
पायल- ओह्ह.. भाई आप कैसी बातें कर रहे हो.. हम बिंदास हैं ये हमें पता है.. मगर उसको नहीं.. उस वक्त उसको पता लगता मैं आपकी बहन हूँ तो वो सोचता कैसी बहन है.. जो अपने भाई के साथ ब्रा लेने आई है.. ये मिडल क्लास लोग गलत ही सोचते हैं इसलिए मैंने दोस्त कहा.. समझे..
पुनीत- पायल तू सच में बहुत बड़ी हो गई है.. ऐसी बातें तेरे दिमाग़ में आई कहाँ से?

पायल- बस ऐसे ही आ गईं.. चलो भाई कुछ ठंडा पीते हैं गला सूख रहा है और बेचैनी सी हो रही है।
पुनीत- अरे क्या हो गया तेरी तबीयत तो ठीक है ना?

पायल- सच बताऊँ भाई… मुझे खुद नहीं पता.. रात को भी एक अजीब सी बेचैनी दिमाग़ में थी। सुबह नाश्ता किया उसके बाद दोबारा वेसी ही बेचैनी महसूस कर रही हूँ।
पुनीत- अरे कुछ नहीं.. ऐसे ही कल तेरे कमरे का एसी काम नहीं कर रहा था ना.. इसलिए ऐसा हुआ होगा.. चल वहाँ सामने कॉर्नर पे आइसक्रीम खाते हैं।

दोनों आइसक्रीम खाने लगे.. उस दौरान नॉर्मली इधर-उधर की बातें करने लगे।
हाँ एक बात कुछ अजीब हुई कि पायल के जिस्म में एक सनसनाहट सी होने लगी थी।
उसको बहुत गर्मी लग रही थी उसने पुनीत से कहा- बस अब कहीं और नहीं जाएँगे.. सीधे घर चलो.. मुझे बहुत गर्मी लग रही है।

पुनीत ने ज़्यादा कुछ नहीं कहा और मान गया।

दोस्तो, आप सोच रहे होंगे कि ये सीधी साधी पायल को क्या हो गया। ऐसे अचानक इसके मन में ऐसे विचार क्यों आने लगे। ये बात कुछ हजम नहीं हो रही तो चलो आपको हाजमोला दे देती हूँ।
अरे जस्ट जोकिंग यार.. इसका कारण नहीं जानना क्या.. तो चलो..

सन्नी और टोनी बैठे हुए आगे का प्लान बना रहे थे।
टोनी- यह तो समझ आ गया कि तुमने दोनों भाइयों को मेरे बारे में ये सब कहकर मना लिया कि मैं पायल को गेम के लिए रेडी करने में हेल्प करूँगा.. मगर वो सीधी साधी लड़की मानेगी कैसे?
सन्नी- तू शायद मुझे नहीं जानता.. मैं कौन हूँ उसको ऐसा बना दूँगा कि तुम खुद समझ नहीं पाओगे।
टोनी- अच्छा जरा कुछ मुझे भी यार बताओ तो.. प्लीज़ प्लीज़?

सन्नी- सुन.. मेरे दिमाग़ का खेल.. मैंने कल रात उसको वी****उ दी थी.. अब उसके दिमाग़ में सिर्फ़ सेक्सी बातें आएँगी.. उसका जिस्म तपने लगेगा, वो समझ ही नहीं पाएगी कि उसको क्या हो रहा है।
टोनी- अरे बाप रे.. ये तो एक किस्म का मसाला होता है.. मगर अपने उसको दी कैसे.. ये पहेली भी तो सुलझाओ भाई..

सन्नी- बेटा हर घर में नौकर तो होते ही हैं अब उनकी सही कीमत लगाने वाला मिल जाए तो बस बेचारे बिक जाते हैं। आज सुबह नाश्ते में भी उसको वो गोली दे दी गई है। अब बस उसका तमाशा शाम को देखना..

टोनी- वाह.. भाई मान गया क्या दिमाग़ लगाया आपने.. मगर इससे हमारा क्या फायदा.. वो साली सेक्स की प्यासी होकर पहले कहीं किसी और से ना चुदवा ले?
सन्नी- मैंने कहा ना.. मेरे दिमाग़ को तू नहीं समझ पाएगा.. कल रात वो दवा पायल को दी.. और साथ में मैंने पुनीत को भी नींद की दवा दिलवा दी थी।

टोनी- भाई मुझे अब चक्कर आने लगा है आप क्या बोल रहे हो.. मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा? ये पुनीत को नींद की दवा का क्या मामला बीच में आ गया?
सन्नी- सुन तेरे चक्कर ख़त्म करता हूँ। मैंने नौकर को कहा कि ये दो तरह की गोली हैं ध्यान से सुन आज रात किसी तरह ये सफ़ेद गोली पुनीत को और लाल पायल को दे देना।
टोनी- वो नौकर को काम देने का तो मैं समझ गया कि वो उसने किसी तरह दे दी होगी.. मगर क्यों..? सवाल ये है मेरा..

सन्नी- बस अब सारा मामला अभी जान लेगा.. तो आगे गेम का मज़ा नहीं आएगा। अब चुप कर.. सामने देख रॉनी आ रहा है।
सन्नी और टोनी बैठे हुए रॉनी का वेट कर रहे थे। उसको आता देख वो खड़े हो गए।

रॉनी- अरे क्या बात है टोनी.. तू भी यहाँ है.. कुछ खास बात है क्या?
टोनी- बहुत जल्दी में लगता है.. थोड़ा सब्र कर.. बैठ यहाँ।
सन्नी- मैंने बताया था ना.. टोनी ने बुलबुल में पार्टी रखी है.. वहाँ जाना है या नहीं.?
रॉनी- अरे जाना क्यों नहीं है.. बड़े दिनों बाद तो ऐसी पार्टी हो रही है।

सन्नी- गुड.. आज शाम को एंट्री करवा लेना.. वैसे कौन-कौन आ रहा है.. पायल भी आएगी क्या साथ?
रॉनी- अरे कौन से क्या मतलब है? मैं और पुनीत आयेंगे.. पायल किस लिए आएगी.. तुझे पता है ना वहाँ क्या होता है?
सन्नी- पता है.. शायद पुनीत ले आए.. वो गेम के लिए कुछ भी कर सकता है।

रॉनी- हाँ शायद.. मगर मुझे ये सब अच्छा नहीं लग रहा यार.. टोनी तुम दोनों पागल हो गए हो.. बहन के साथ ये सब ठीक नहीं.. एक बार और सोच लो, यह बहुत गलत बात है।

टोनी- देखो रॉनी शुरू से ही पुनीत और मेरे बीच ‘तू तू.. मैं मैं..’ होती रही है। तुम हमेशा बीच-बचाव करते हो.. मगर इस बार मैंने कुछ नहीं किया। ये सब शुरूआत पुनीत ने की.. पर अब इसको ख़त्म मैं करूँगा।

रॉनी- ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.. वैसे इस गेम के लिए तुम्हारी बहन मान जाएगी क्या?
टोनी- वो मेरा काम है.. उसको कैसे मनाना है। तुम शाम को क्लब में पायल को ले आना.. सन्नी ने मुझे सब समझा दिया है।
रॉनी- उसकी फिकर तुम मत करो.. पहले ये बताओ तूने इतनी बड़ी पार्टी रखी कैसे..? जहाँ तक मैं जानता हूँ.. तू साला एकदम लुच्चा है।

टोनी- क्या रॉनी.. अपना तेरे को पता है ना.. बड़ा-बड़ा पैसा वाला फ्रेण्ड है.. बस सब कर लिया किसी तरह।
सन्नी- अब इन बातों का कोई मतलब नहीं है.. तुम रात को बुलबुल जाकर एंट्री ले लेना.. ओके..
रॉनी- अरे यार तुम ले लेना ना.. हमारा आना जरूरी है क्या?

सन्नी- अरे हाँ यार.. अबकी बार नया रूल है.. जिसको पार्टी में आना हो.. वहाँ जाकर एंट्री करवानी होगी.. तभी सनडे को आ पाएगा।
टोनी- अच्छा यार.. मैं चलता हूँ.. मुझे थोड़ा काम है।
सन्नी- ओके तुम जाओ.. मुझे रॉनी से कुछ बात करनी है।

टोनी वहाँ से चला गया तो दोनों हँसने लगे कि साला कैसे शेखी बघार रहा था कि शुरू पुनीत ने किया और एंड में करूँगा।
रॉनी- वो कुत्ता नहीं जानता.. कि शुरू हमने किया है तो एंड भी हम ही करेंगे हा हा हा हा।
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02-04-2018, 08:59 PM
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अब तक आपने पढ़ा..

सन्नी- अरे हाँ यार.. अबकी बार नया रूल है.. जिसको पार्टी में आना हो.. वहाँ जाकर एंट्री करवानी होगी.. तभी सनडे को आ पाएगा।
टोनी- अच्छा यार.. मैं चलता हूँ.. मुझे थोड़ा काम है।
सन्नी- ओके तुम जाओ.. मुझे रॉनी से कुछ बात करनी है।
टोनी वहाँ से चला गया तो दोनों हँसने लगे कि साला कैसे शेखी बघार रहा था कि शुरू पुनीत ने किया और एंड में करूँगा।
रॉनी- वो कुत्ता नहीं जानता.. कि शुरू हमने किया है तो एंड भी हम ही करेंगे हा हा हा हा।

अब आगे..


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सन्नी- हाँ सही कहा तुमने.. अच्छा यार रविवार को इस बार पार्टी में कुछ धमाल करते हैं।
रॉनी- हाँ क्यों नहीं.. धमाल करने का कोई प्लान है क्या.. बता तो?
सन्नी उसको बताने लगा कि कैसे वो सब वहाँ मज़ा करेंगे..

अब यहाँ कुछ खास नहीं हो रहा.. तो चलो पायल की हालत देख लो.. अब तो आपको पता भी लग गया कि कैसे उसकी शराफत को कमजोर किया जा रहा है।
दोनों घर की तरफ़ जा रहे थे तो पुनीत को याद आया कि पायल के कमरे का एसी भी ठीक करवाना है.. बस उसने फ़ोन पर एसी वाले को बता दिया कि अभी के अभी आना है.. वो उनके घर अक्सर आता रहता है.. तो उसने कहा- बस 10 मिनट में पहुँच जाऊँगा।

दोस्तो, ये घर पहुँचे.. उसके पहले आपको कुछ जरूरी बात बता देती हूँ.. जिसका आपको जानना जरूरी है।

सिंगापुर के एक होटेल के कमरे में सुनीता बैठी हुई थी.. तभी वहाँ संजय आ जाता है।
सुनीता- कहाँ रह गए थे.. भाई साहब, मैं कब से आपका वेट कर रही हूँ।
संजय- तू अपनी हरकतों से बाज नहीं आएगी.. मैंने कितनी बार मना किया कि मुझे भाई मत कहा कर..
सुनीता- अरे क्या.. आप ऐसे नाराज़ होते हो.. जिस दिन से आपके घर में आई हूँ.. भाई ही कहती आई हूँ.. अब आकाश के सामने आपने ही कहा था कि यह मेरी छोटी बहन जैसी है।

संजय- हाँ कहा था.. क्योंकि तुझे देख कर मेरी नियत बिगड़ गई थी और तुझे छूने का बहाना था वो.. मगर अब आकाश तो मर गया.. और तू मेरे साथ कितनी बार चुद चुकी है.. अब तो ये भाई बोलना बन्द कर दे।
सुनीता- अच्छा जब पहली बार मेरे साथ ज़बरदस्ती की थी.. उस दिन मैंने कितना कहा था कि आप मेरे बड़े भाई जैसे हो.. ऐसा मत करो.. तो आपने क्या कहा था.. याद है?
संजय- हाँ याद है.. मैंने कहा था अगर बहन तेरी जैसी माल हो.. तो मैं बहनचोद भी बनने को तैयार हूँ.. मगर इन सब बातों का अब कोई मतलब नहीं है.. अब तो हम दोनों खुश हैं तो ये दिल जलाने वाली बात क्यों करती हो?

सुनीता- तो मैं क्या करूँ.. वो पायल मुझे क्या-क्या कहती है.. जबकि सारा कसूर तुम्हारा है।
संजय- चुप करो तुम.. और उसको क्या बताना चाहती थी तुम.. हाँ.. बोलो?
सुनीता- सब कुछ जो तुमने मेरे साथ किया है और आज तक कर रहे हो.. यही सब मैं उसको कहाँ चाहती थी।
संजय- लगता है तुम भूल रही हो कि मेरे पास क्या है.. अगर वो सबके सामने आ गया ना.. तो सारी दुनिया तुझ पे थूकेगी समझी?


सुनीता- अरे मेरे जानू.. को गुस्सा आ गया.. मैं तो मजाक कर रही थी.. आओ तुम्हारा मूड ठीक कर देती हूँ।
संजय- आ गई न पटरी पे.. चल अभी नहीं.. पहले मैं फ्रेश होकर आता हूँ उसके बाद तुझे बताऊँगा कि मुझसे ज़ुबान लड़ाने की सज़ा क्या होती है।
सुनीता- कई सालों से सज़ा ही तो भुगत रही हूँ.. अब जो देना है दे देना जाओ.. जल्दी से फ्रेश हो जाओ.. मैं भी थोड़ा रेस्ट कर लेती हूँ।

दोस्तों ये रेस्ट करें, तब तक पायल के पास चलो.. देखते हैं कि अभी तक वो घर में पहुँची या नहीं।

पुनीत और पायल जब घर पहुँचे तो पायल सीधे अपने कमरे में चली गई शॉपिंग का सामान पुनीत के पास था। उसने पायल को आवाज़ लगाई कि ये तो लेती जाओ.. मगर तब तक पायल कमरे में जा चुकी थी।

पुनीत ने सोचा शायद उसने सुना नहीं होगा.. वो उसके पीछे-पीछे उसके कमरे में चला गया। तब पायल अपना कमीज़ निकाल रही थी.. पुनीत को देख कर वो रुक गई।
पायल- अरे क्या भाई सीधे ही मेरे कमरे में आ गए।
पुनीत- सॉरी पायल वो तुम ये सब नहीं लेके आई थी.. तो देने आ गया था।
पायल- अच्छा ठीक है.. कोई बात नहीं आप जाओ.. मुझे चेंज करना है इन कपड़ों में मुझे बहुत गर्मी लग रही है।
पुनीत- तुम नहा लो.. तो फ्रेश हो जाओगी और अच्छा फील करोगी।
पायल- हाँ ये सही रहेगा.. ओके आप जाओ.. मैं फ्रेश होकर आती हूँ।
पुनीत- अरे रूको वो एसी वाला आता ही होगा.. तुम ऐसा करो मेरे कमरे में जाकर फ्रेश हो जाओ तब तक मैं एसी ठीक करवा देता हूँ।

पायल मान गई और सारे बैग्स लेके वहाँ से चली गई।
पुनीत नीचे चला गया तभी वो आदमी वहाँ आ गया।

पुनीत उसको पायल के कमरे में ले गया और एसी दिखा दिया। वो अपने काम में लग गया और पुनीत वहीं खड़ा होकर उसको देखता रहा।

एसी मिस्त्री- सर इस एसी की सर्विस करनी पड़ेगी और गैस पाइप भी बदलना होगा।
पुनीत- तो कर दो किसने रोका है।
एसी मिस्त्री- वो बात नहीं है सर.. इसको दुकान पर लेके जाना होगा।
पुनीत- ओह्ह.. अच्छा मगर शाम तक वापस लगाना होगा ओके..

पुनीत की बात वो मान गया और उसने बाहर खड़े अपने आदमी को अन्दर बुला लिया.. जिसकी मदद से एसी निकाल कर वो ले गया। इन सब कामों में कोई आधा घंटा लग गया तो पुनीत ने सोचा पायल अब तक फ्रेश हो गई होगी। वो अपने कमरे की तरफ़ चल पड़ा।

पायल बाथरूम में अपने आपसे बात कर रही थी।
पायल- ये क्या हो रहा है मुझे.. क्यों मैं ऐसे वासना के भंवर में फँसती जा रही हूँ क्यों अपने ही भाई के बारे में गंदे ख्याल मेरे दिमाग़ में आ रहे हैं?

वो ये सब सोच ही रही थी कि उसे याद आया कि वो अपने कपड़े और अंडर गारमेंट लिए बिना आ गई और उसने तौलिया भी नहीं लिया है.. तभी पुनीत कमरे में आ गया।

पुनीत- पायल कहाँ हो तुम.. अभी तक बाथरूम से नहीं निकली क्या?
पायल- ओह्ह.. थैंक गॉड भाई.. आप आ गए.. मैं जल्दी में अपना तौलिया और कपड़े लाना भूल गई हूँ.. प्लीज़ आप मेरे जल्दी से कमरे से मेरा तौलिया और कपड़े ला दो ना..!
पुनीत- अरे मुझे क्या पता.. तुमको क्या चाहिए.. जो कपड़े पहने थे वही पहन कर बाहर आ जाओ.. उसके बाद चेंज कर लेना।
पायल- ओहो.. आप तो कुछ समझते ही नहीं.. मेरे अंडर गारमेंट्स भीग गए हैं कम से कम यहाँ जो बैग्स रखे हैं.. उनमें से ही दे दो और हाँ एक नाईटी भी दे दो.. अब वापस ये कपड़े नहीं पहनना मुझे..
पुनीत- ओके.. वेट.. देता हूँ।

पुनीत बैग्स में से ब्रा और पैन्टी देखने लगा.. उसके मन में शैतान ने दस्तक दी कि ये लाल ब्रा और पैन्टी में पायल क्या मस्त लगेगी.. साथ ही उसने एक ब्लैक नाईटी निकाली.. जो घुटनों तक आने वाली थी.. वो उसने हाथ में ली और बाथरूम के पास जाकर आवाज़ दी- ये लो..

उधर पायल के मन में एक शरारत ने जन्म लिया.. उसने दरवाजा खोला और कुछ इस तरह अपना हाथ बाहर निकाला कि उसके मम्मों की हल्की सी झलक पुनीत को दिख गई.. उसका मन विचलित हो गया.. मगर फ़ौरन ही उसने ये ख्याल दिल से निकाल दिया कि नहीं यह ग़लत है.. यह मेरी बहन है।

पायल ने जब ब्रा और पैन्टी देखी.. तो उसके चेहरे पर एक अलग सी मुस्कान आ गई, फिर उसने नाईटी पर गौर किया।
पायल- ओह्ह.. भाई आपने सब अपनी पसन्द के आइटम मुझे दिए हैं इसका मतलब आपके दिल में भी मेरे लिए कुछ कुछ है।

पायल रेडी हुई और बाहर आई.. भीगे हुए बाल.. उनसे गिरता पानी.. उसकी नाईटी को भिगो रहा था। वो बहुत सेक्सी लग रही थी। उसके कंधे से उसकी ब्रा की स्ट्रिप साफ नज़र आ रही थीं।

अब पुनीत कोई शरीफजादा होता तो शायद नजरें घुमा लेता.. मगर वो ठहरा पक्का चोदू.. वैसे भी सुबह से इसने बहुत कंट्रोल कर लिया था।
अब पायल को इस रूप में देखकर उसके होश उड़ गए, लौड़ा पैन्ट में तंबू बनाने लगा, उसकी आँखों में वासना साफ नज़र आ रही थी।
पायल- क्या हुआ भाई.. ऐसे घूर के क्या देख रहे हो?
पुनीत- अरे बाल तो पोंछ लेती.. कैसे पानी टपक रहा है।

पायल- आपने तौलिया दिया ही कहाँ.. जो मैं बाल पोंछती.. वैसे आप ऐसे घूर क्यों रहे हो मुझे?
पुनीत- ओह्ह.. कुछ नहीं.. इस लुक में तू बहुत सस्स..स्मार्ट लग रही है।
पायल- हा हा हा हा भाई क्यों झूठ बोल रहे हो.. स्मार्ट लड़कों के लिए कहते हैं। सीधे-सीधे कहो ना.. सेक्सी लग रही हूँ हा हा हा हा..
पुनीत- ये तुझे क्या हो गया है पायल.. पहले तो तू ऐसी नहीं थी.. सुबह से देख रहा हूँ.. तू बहुत ओपन होकर बात कर रही है।
पायल- अरे नहीं भाई.. मैं तो शुरू से ही ऐसी हूँ.. बस मुझ पर आपकी नज़र नहीं गई।
पुनीत- अच्छा ये बात है.. तो तू भी पहले कहाँ ऐसे कपड़ों में मेरे सामने आई है।

पायल- अब आपने अपनी पसन्द के कपड़े आज ही दिलाए हैं. ऐसे पहले दिला देते.. तो पहले पहन लेती..
पुनीत- अरे मेरी पसन्द का क्या मतलब है.. तुम्हें लेने थे.. मैंने तो बस कलर बताए तुम्हें..
पुनीत उसकी ब्रा की स्ट्रिप को देखते हुए अपने होंठों पर जीभ फेरता हुआ बोला।
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#57
03-04-2018, 10:39 PM (This post was last modified: 15-07-2018, 11:13 PM by rajbr1981.)
अपडेट  ४४

अब तक आपने पढ़ा..

पायल- अरे नहीं भाई.. मैं तो शुरू से ही ऐसी हूँ.. बस मुझ पर आपकी नज़र नहीं गई।
पुनीत- अच्छा ये बात है.. तो तू भी पहले कहाँ ऐसे कपड़ों में मेरे सामने आई है।
पायल- अब आपने अपनी पसन्द के कपड़े आज ही दिलाए हैं. ऐसे पहले दिला देते.. तो पहले पहन लेती..
पुनीत- अरे मेरी पसन्द का क्या मतलब है.. तुम्हें लेने थे.. मैंने तो बस कलर बताए तुम्हें..
पुनीत उसकी ब्रा की स्ट्रिप को देखते हुए अपने होंठों पर जीभ फेरता हुआ बोला।

अब आगे..



पायल- ओह्ह.. अच्छा बस कलर बताए यानि आपकी पसन्द का कोई खास कलर नहीं था.. बस ऐसे ही सब कलर बता दिए थे आपने.. क्यूँ?
पुनीत- और नहीं तो क्या..
पायल- ओहो.. तो तब शॉप में ऐसा क्यों कहा था कि रेड कलर होता तो अच्छा रहता.. और अभी मैंने कपड़े माँगे.. तब भी अपने लाल रंग के कपड़े ही दिए.. इसका क्या मतलब समझूँ मैं..? सच बताना.. आपको मेरी कसम है..
पुनीत- अरे यार.. इसमें कसम देने की क्या जरूरत है.. ऐसे ही पूछ ले।
पायल- कसम इसलिए दी.. ताकि आप मुझसे झूठ ना बोलो.. समझे..
पुनीत- ओके सुन.. रेड और ब्लैक मेरा पसंदीदा कलर है.. और खास कर तुम्हारे गोरे जिस्म पर ये बहुत जंचेगा.. बस मैंने यही सोचा था।

पायल की नज़र उसकी पैन्ट में बने तंबू पर गई.. तो वो मुस्कुराने लगी।
पायल- अच्छा तो ये बात है भाई.. इसका मतलब आपके दिल में ये भी होगा कि लाल रंग के सैट में आप मुझे देखना चाहते हो।
पुनीत- क्क्क..क्या पागल हो गई है क्या.. कुछ भी बोल रही है।
पायल- जस्ट चिल भाई.. मजाक कर रही हूँ.. वैसे इसमें बुराई भी क्या है.. स्विम सूट में भी तो अपने एक बार मुझे देखा है।
पुनीत- वो बहुत पहले की बात है.. अब तू बड़ी हो गई है।

पायल- ओह्ह.. अच्छा.. मैं ‘बड़ी’ हो गई हूँ.. इसलिए नहीं देखना चाहते.. वैसे दिल में तो है कि काश एक बार देखने को मिल जाए.. क्यों सच कहा ना?
पुनीत- पायल प्लीज़ चुप रहो.. ऐसा कुछ नहीं है.. तुम अपने कमरे में जाओ.. मुझे बाथरूम जाना है।
पायल- भाई आप भी मिडल क्लास लोगों की तरह बात करने लग गए हो.. जस्ट चिल.. ये सब नॉर्मल है। हम हाइ क्लास फैमिली से हैं, ये सब चलता है यार..

पायल की सेक्सी बातें और उसकी क़ातिल अदाएं पुनीत को पागल बना रही थीं.. अफ़सोस इस बात का है कि पुनीत जैसा ठरकी लड़का इतना कंट्रोल कैसे कर रहा था।
इसकी दो वजह हो सकती हैं. या तो उनके बीच भाई और बहन का रिश्ता है.. वो उसे रोक रहा था.. या फिर मौके की नजाकत उसे रोक रही थी। क्योंकि यह दिन का समय था.. कोई भी किसी भी पल आ सकता था।


अब वजह चाहे कुछ भी हो.. पुनीत तो काबू में था.. मगर पायल पर तो ड्रग्स का नशा छाया हुआ था। वो कहाँ मानने वाली थी।

पुनीत- अरे इसमें लो और हाई की बात कहाँ से बीच में आ गई। अब मुझे बाथरूम जाना है.. तो जा ना..इ
पायल- भाई आप टॉपिक चेंज कर रहे हो.. सच बताओ मुझे 2 पीस में देखने का आपका मन है या नहीं?

पायल तो ड्रग्स के नशे में ये सब बोल रही थी.. मगर अब पुनीत पर पायल की सेक्सी बातों का.. उसकी क़ातिल अदाओं का नशा चढ़ गया था.. जिसे उतारना किसी के बस में नहीं है.. ये आप अच्छी तरह जानते हो।

पुनीत अब उस नशे के वश में हो गया था.. कामवासना का नशा कुछ होता ही ऐसा है।
पुनीत नशीले अंदाज में बोला- हाँ देखना चाहता हूँ.. मगर तुम मेरी बहन हो ये सब ठीक नहीं होगा।

पायल- अरे भाई.. देखने में कोई बुराई नहीं है.. जो लड़कियाँ मॉडलिंग करती हैं उनके भी तो घर वाले उनको देखते हैं ना.. ये सब चलता है। आप अपने मन को क्यों दुखी करते हो.. मैं अभी आपको दिखा देती हूँ।

पुनीत कुछ बोल पाता.. उसके पहले पायल ने नाईटी निकाल कर एक तरफ़ फेंक दी। उसका कसा हुआ जिस्म.. लाल ब्रा-पैन्टी में कयामत लग रहा था।
पुनीत की आँखें फट गईं.. ऐसा लाजबाव हुस्न देख कर उसके मुँह से लार टपकने लगी।
पायल- भाई देखो.. आपकी बहन किसी एक्ट्रेस से कम है क्या..
पुनीत- वाउ पायल.. रियली यू आर ए हॉट गर्ल.. बम्ब हो यार.. बिल्कुल.. अगर तुम मेरी बहन ना होती ना.. तो..

यकायक पुनीत चुप हो गया।
पायल- हा हा हा… क्या हुआ.. बोलो.. बोलो.. अगर बहन ना होती तो.. तो क्या करते..? बोलो ना भाई?
पुनीत- कुछ नहीं अब नाईटी पहन लो कोई आ रहा है। जल्दी करो.. मैं बाथरूम जाता हूँ ओके..

पुनीत की हालत पायल से छुपी नहीं थी वो नाईटी उठाने गई तो गाण्ड को मटका कर चलने लगी.. जिसे देख कर पुनीत का लौड़ा बेकाबू हो गया। वो जल्दी से बाथरूम की तरफ़ जाने लगा।

पायल- भाई.. होता है.. होता है.. जाओ आराम से करना.. ओके हा हा हा हा..
पुनीत- ओह्ह.. क्या होता है.. और क्या करना.. हाँ त..त.. तू कहना क्या चाहती है.. मुझे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा।
पायल- अब इतने भी भोले मत बनो भाई.. आपकी पैन्ट आपके दिल का हाल सुना रही है.. हा हा हा हा..
इतना बोलकर पायल ने जल्दी से नाईटी पहनी और वहाँ से भाग कर अपने कमरे में चली गई।
पुनीत बड़बड़ाता हुआ बाथरूम की तरफ़ जाने लगा।

पुनीत- ये पायल को क्या हो गया है.. ऐसी सेक्सी बातें क्यों कर रही है.. कहीं इसकी जवानी जोश तो नहीं खा रही.. उफ्फ.. अब क्या करूँ साली मेरी बहन ना होती.. तो अब तक कब का इसको ठंडा कर देता.. मगर इसका कुछ सोचना तो पड़ेगा। फिलहाल लौड़े को ठंडा करता हूँ… साला बहुत अकड़ रहा है।

पुनीत बाथरूम में चला गया और लौड़े को सहलाने लगा.. उसके जेहन में बस पायल ही घूम रही थी। ना चाहते हुए भी उसने पायल के नाम की मुठ्ठ मारी और सुकून की सांस ली। उसके बाद वो नहाने में मस्त हो गया..

उधर संजय जब बाहर आया.. तो सुनीता आराम से लेटी हुई थी..
संजय- मेरी जानेमन.. क्या बात है नींद आ रही है क्या?
सुनीता- नहीं.. नींद तो नहीं आ रही.. बस पुरानी बातें सोच रही थी।
संजय- कौन सी पुरानी बातें.. मेरी जान.. जरा मुझे भी बताओ?
सुनीता- कुछ नहीं.. जाने दो.. अब आपका क्या इरादा है.. वो भी बता दो.. और हाँ मुझे जो सज़ा देने वाले थे.. उसके बारे में कुछ सोचा क्या?
संजय- इरादे तो बहुत नेक हैं और सज़ा भी दूँगा..

संजय आगे कुछ बोलता.. उसके पहले उसके फ़ोन की घंटी बजने लगी। उसने फ़ोन उठाया दो मिनट बात की और काट दिया और जल्दी से अपने बैग में कुछ ढूँढ़ने लगा।

सुनीता- अरे क्या हुआ.. किसका फ़ोन था..? ऐसे जल्दी में क्या देख रहे हो?
संजय ने उसको बताया- जिस काम के लिए हम यहाँ आए हैं वो आदमी आ गया है और मैं उससे मिलने अभी जा रहा हूँ।

सुनीता समझ गई कि उसको क्या चाहिए। उसने जल्दी से एक फाइल संजय को दी.. जो उसके बैग में थी। उसके बाद संजय रेडी होकर वहाँ से चला गया।

सुनीता वापस अपने ख्यालों में खो गई.. वही पुरानी बातें उसके दिमाग़ में घूमने लगीं..
दोस्तो, इन दोनों की बातों से ये तो पता लग गया कि सुनीता के साथ कुछ गलत हुआ है.. मगर ये सब हुआ कैसे.. ये आपका जानना जरूरी है.. तो जानते हैं।

सुनीता अपने समय की एक बेहद खूबसूरत लड़की थी.. दरअसल ये मॉडल बनना चाहती थी.. इसकी कदकाठी.. इसका फिगर.. सब एकदम दुरुस्त था.. लेकिन इसका ये सपना साकार होता.. इसके पहले घर वालों ने इसकी शादी आकाश से कर दी और ये अपने शादीशुदा जीवन में सब भूल गई।

संजय शुरू से इस पर गंदी नियत रखता था, किसी ना किसी बहाने से इसे छूना उसकी आदत बन गई थी। अपने छोटे भाई के घर जाना.. अब उसका रोज का काम हो गया था।
कुछ सालों तक ये चलता रहा। इस दौरान रॉनी पैदा हो गया और वक़्त धीरे-धीरे गुज़रता रहा।
एक दिन कार दुर्घटना में आकाश की मौत हो गई और सुनीता की दुनिया उजड़ गई।

कुछ दिन बाद संजय सुनीता और रॉनी को अपने साथ घर ले आया। उसने उनसे कहा- अब तुमको यहीं मेरे साथ रहना है।
ऊपर का एक कमरा रॉनी को मिला.. तो बाकी दो पुनीत और पायल के थे।
सुनीता को नीचे का कमरा दिया गया।
कुछ दिन ऐसे ही गुज़रे।
एक रात अनुराधा जागरण में गई हुई थी। बच्चे सोए हुए थे.. तो संजय चुपके से सुनीता के कमरे में गया, उसको सोया हुआ पाकर उसके होंठों पर उंगली फेरने लगा।

सुनीता ने एकदम से जागते हुए कहा- भाई साहब आप.. इस वक़्त यहाँ क्या कर रहे हो?
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#58
04-04-2018, 09:56 PM
अपडेट  ४५

अब तक आपने पढ़ा..

कुछ दिन बाद संजय सुनीता और रॉनी को अपने साथ घर ले आया, उसने उनसे कहा- अब तुमको यहीं मेरे साथ रहना है।
ऊपर का एक कमरा रॉनी को मिला.. तो बाकी दो पुनीत और पायल के थे।
सुनीता को नीचे का कमरा दिया गया। कुछ दिन ऐसे ही गुज़रे। एक रात अनुराधा जागरण में गई हुई थी। बच्चे सोए हुए थे.. तो संजय चुपके से सुनीता के कमरे में गया। उसको सोया हुआ पाकर उसके होंठों पर उंगली फेरने लगा।
सुनीता ने एकदम से जागते हुए कहा- भाई साहब आप.. इस वक़्त यहाँ क्या कर रहे हो?

अब आगे..



संजय- सुनीता मुझसे तुम्हारा दर्द देखा नहीं जाता.. अरे आकाश नहीं है तो क्या हुआ.. मैं हूँ ना.. तुम बस ‘हाँ’ कह दो.. तुम्हें इतनी खुशियाँ दूँगा कि तुम सब गम भूल जाओगी।
सुनीता- यह आप क्या बोल रहे हो.. मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

संजय ने सुनीता के गालों को सहलाते हुए कहा- मैं जानता हूँ.. आकाश के जाने बाद तुम अकेली तड़प रही हो.. मगर अब मैं तुम्हें प्यार दूँगा.. तुम्हारी जरूरत को पूरा करूँगा।

सुनीता एक झटके से खड़ी हो गई- आपको शर्म आनी चाहिए.. ऐसी बातें करते हुए.. मैं आपको भाई कहती हूँ और आप मुझ पर नियत खराब कर रहे हो?
संजय- अगर बहन तेरी जैसी हो.. तो अच्छे अच्छों की नियत बिगड़ जाती है। अब ज़िद ना करो.. मान जाओ मेरी बात.. मुझे बहनचोद बनना मंजूर है। बस एक बार मेरी बाँहों में आ जाओ।

सुनीता- छी: कैसी गंदी बातें कर रहे हो आप.. चले जाओ यहाँ से.. नहीं तो मैं शोर मचा दूँगी.. सब को आपकी ये कुत्सित सच्चाई बता दूँगी।
संजय- आ जा साली.. ज़्यादा नखरे मत कर.. अगर मेरी बात ना मानी ना.. तो साली तुझको दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर कर दूँगा। तेरे बेटे से भीख मंगवाऊँ मैं.. तुझे शायद पता नहीं.. सारा काम.. बैंक मनी.. और जायदाद सब मेरे नाम पर है.. तुम माँ-बेटे को इस घर से दूध में से मकखी की तरह निकाल फेंकूगा।

संजय की बात सुनकर सुनीता रोने लगी, उसकी खूब मिन्नतें की.. मगर संजय पर वासना का शैतान सवार था.. वो कहाँ मानने वाला था।

सुनीता- प्लीज़ भाई साहब.. मुझ पर रहम करो.. आप एक बेटी के बाप हो.. आपको भगवान से डरना चाहिए। कल को उसके साथ ऐसा हो गया.. तो क्या होगा? मैं भी किसी की बेटी हूँ.. एक बेटे की माँ हूँ.. प्लीज़..
संजय- चुप साली.. मुँह बन्द कर अपना.. मेरे बेटे और बेटी के बारे में एक शब्द भी मत कहना.. नहीं तो तेरी ज़ुबान खींच दूँगा.. अब जल्दी सोच ले.. मेरी बात मानेगी.. या घर से धक्के खाकर जाएगी?

सुनीता ने बहुत मना किया.. मगर संजय ना माना। आख़िर सुनीता को संजय की बात माननी पड़ी.. मगर उसने एक शर्त रखी कि रॉनी को वो सगे बेटे की तरह रखेंगे.. तभी वो उनकी हर बात मानेगी।
संजय पर हवस का भूत सवार था, उसने सब बात मान ली और सुनीता के साथ चुदाई करने लगा।

सुनीता जवान थी… उसके लिए भी ये शुरू में गंदा था.. मगर चुदाई का चस्का उसको भी लग गया। अब अपने ही पति के बड़े भाई की रखैल बनकर वो रहने लगी।
कुछ दिन विधवा बनी रही.. उसके बाद रंगीन साड़ी पहन ली.. पढ़ी-लिखी थी तो काम में भी संजय का साथ देने लगी.. या यूँ कहो कि अपने पति की जगह अब वो संजय की पार्ट्नर बन गई।


तो यह थी सुनीता की दास्तान.. अब इनकी चुदाई दिखाती.. तो कहानी लंबी हो जाती.. इसलिए शॉर्ट में आपको इनकी पिछली जिंदगी के बारे में बता दिया।
चलो अब यहाँ कुछ नहीं है.. वापस सन्नी के पास चलते हैं जहाँ आपके काम की बात है।

रॉनी के जाने के बाद सन्नी ने किसी को फ़ोन किया और उसको कहा कि जल्दी कैफे में आ जाए.. वो यहीं उसका वेट करेगा।
कुछ देर बाद एक आदमी जो करीब 40 साल के आस-पास का होगा.. वो कार से वहाँ आया। उसका नाम क्या था ये तो किसी को पता नहीं.. मगर सब उसको बिहारी कहते थे।

सन्नी- अरे आओ आओ बिहारी.. मैं तुम्हारा ही वेट कर रहा था। ये लो तुम्हारे पैसे.. मैंने कहा था ना.. तुम्हारे पैसे समय से पहले तुमको मिल जाएँगे।
बिहारी- अरे मिलेगा कैसे नहीं.. साला हम काम भी तो समय से पूरा करता हूँ ना.. और किसी की का मज़ाल जो बिहारी का पईसा खा जाए।

सन्नी- अच्छा ठीक है.. जानता हूँ तुमको.. और तुम्हारी ताक़त को.. अब सुनो ये कम बड़ी सावधानी से करना.. नहीं तो मैडम नाराज़ हो जाएगी।

बिहारी- का बात करत हो.. हम कोई बच्चा हूँ का.. जो बार-बार समझाना पड़ेगा.. हम कह दिया हूँ ना.. तुम एक बार इस बिहारी को काम दई दो.. उसके बाद भूल जाओ.. हम सब जानता हूँ.. कब क्या और कईसे करना है..
सन्नी- अच्छा ठीक है.. सुनो.. अब तक तुमने जो किया.. वो बस खेल की शुरूआत थी.. अब असली खेल का समय आ गया है.. इसमें कोई चूक हुई तो समझो.. अब तक किया सारा कम चौपट हो जाएगा और हमारी सारी मेहनत गई पानी में..
बिहारी- अरे टेन्शनवा ना लो.. हम हूँ ना.. सब संभाल लूँगा.. बस आप तो समय पर हमको पईसा देते रहो।

सन्नी ने उसको विश्वास दिलाया कि उसको समय पर पैसे मिलते रहेंगे। बस वो काम ठीक से करे।
उसके बाद बिहारी वहाँ से चला गया और सन्नी अपने रास्ते निकल लिया।

दोपहर तक ऐसा कुछ खास नहीं हुआ.. जो आपको बताऊँ।
लंच के समय पायल और पुनीत आमने-सामने बैठे थे वहाँ भी पायल ने थोड़ी गरम शरारत की.. रॉनी ने कुछ महसूस किया.. मगर बोला कुछ नहीं। हाँ.. इस दौरान काका ने दोबारा वही गोली पायल को फिर से दे दी.. शायद वो पायल के सर से नशा उतरने ही नहीं देना चाहते थे।

लंच के बाद पायल अपने कमरे में गई.. मगर वहाँ एसी ना होने के कारण वो पुनीत के पास चली गई।

पुनीत- क्या हुआ.. तुम तो सोने वाली थी ना.. यहाँ क्यों आ गई?

लंच के समय पायल और पुनीत आमने-सामने बैठे थे वहाँ भी पायल ने थोड़ी गरम शरारत की.. रॉनी ने कुछ महसूस किया.. मगर बोला कुछ नहीं। हाँ.. इस दौरान काका ने दोबारा वही गोली पायल को फिर से दे दी.. शायद वो पायल के सर से नशा उतरने ही नहीं देना चाहते थे।

लंच के बाद पायल अपने कमरे में गई.. मगर वहाँ एसी ना होने के कारण वो पुनीत के पास चली गई।
पुनीत- क्या हुआ.. तुम तो सोने वाली थी ना.. यहाँ क्यों आ गई..?
पायल- आपको पता है ना.. मेरे कमरे का एसी नहीं है.. तो वहाँ पर कैसे आराम करूँगी?
पुनीत- ओह्ह.. सॉरी भूल गया था.. ऐसा करो.. तुम यहाँ आराम करो.. मैं रॉनी के पास चला जाता हूँ.. थोड़ा काम भी है मुझे..

पायल ने अभी टी-शर्ट और बरमूडा पहना हुआ था.. वो नाईटी उसने पहले ही बदल ली थी। अब दवा का असर तो आप देख ही चुके हो.. पायल के मन में बस पुनीत ही आ रहा था।
पायल- अरे क्या भाई.. इतनी हसीन बहन को छोड़कर कहाँ जा रहे हो?
पुनीत- नॉटी गर्ल.. कहीं नहीं जा रहा हूँ.. तुम आराम करो.. बस अभी वापस आ जाऊँगा.. ओके..

पुनीत ने किसी तरह पायल को समझाया और वहाँ से रॉनी के पास चला गया।
रॉनी- अरे आओ भाई.. क्या चल रहा है.. हो गई शॉपिंग?
पुनीत चुपचाप उसके पास आकर बैठ गया। वो अभी भी पायल के बर्ताव के बारे में ही सोच रहा था।

रॉनी- हैलो भाई.. कहाँ खोए हुए हो.. मैंने कुछ पूछा आपसे?
पुनीत- कुछ नहीं यार.. यह पायल को क्या हो गया है.. कल से ही बहुत अजीब तरह से पेश आ रही है।
रॉनी- ऐसा क्या हुआ और अजीब से आपका क्या मतलब है भाई?
पुनीत- लगता है.. हॉस्टल में किसी बिगड़ी हुई लड़की के साथ रहकर आई है.. तभी ऐसी हरकतें कर रही है।
रॉनी- अरे भाई.. क्या पहेलियाँ बुझा रहे हो.. सीधे से बताओ ना.. क्या हुआ और पायल कैसी हरकतें कर रही है?
पुनीत- अरे यार.. वो थोड़ी बोल्ड हो गई है.. मेरे साथ शॉपिंग माल में गई.. कपड़ों के साथ ब्रा और पैन्टी भी ली.. मुझे कुछ अजीब सा लगा..

रॉनी- हा हा हा अरे भाई.. आप कब से इतने सीधे हो गए.. वैसे ये कोई बड़ी बात नहीं है.. हम मॉर्डन फैमिली के हैं ऐसी शॉपिंग कभी कभी हो जाती है.. जस्ट चिल..

पुनीत को समझ नहीं आ रहा था.. कि वो रॉनी को पूरी बात बताए या नहीं.. फिर उसने चुप रहना ही ठीक समझा।
रॉनी- अच्छा भाई वो सन्नी बता रहा था.. बुलबुल पार्टी में एंट्री के लिए शाम को वहाँ जाना होगा।
पुनीत- हाँ ठीक है.. साथ चलेंगे.. वैसे शाम को पायल को क्लब भी ले जाएंगे ताकि उसको खेल के लिए बता सकें.. क्यों क्या कहते हो तुम?

रॉनी- भाई मेरे हिसाब से तो ये खेल का आइडिया ही बेकार है। भले आप जीत जाओ.. मगर ज़रा सोचो.. पायल को पता तो लग ही जाएगा कि वहाँ क्या होने वाला है।

पुनीत- देखो रॉनी.. अच्छा तो मुझे भी नहीं लग रहा.. मगर तुम जानते हो मेरा एक डायलॉग फिक्स है कि पुनीत खन्ना ने ज़ुबान दे दी मतलब दे दी.. अब उसको बदलने का सवाल ही नहीं.. अब अगर में ना कहूँ.. तो टोनी मेरी इज़्ज़त का भाजी-पाला कर देगा.. समझा तू?
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#59
06-04-2018, 11:15 AM
अपडेट  ४६

अब तक आपने पढ़ा..

पुनीत- हाँ ठीक है.. साथ चलेंगे.. वैसे शाम को पायल को क्लब भी ले जाएंगे ताकि उसको खेल के लिए बता सकें.. क्यों क्या कहते हो तुम?
रॉनी- भाई मेरे हिसाब से तो ये खेल का आइडिया ही बेकार है। भले आप जीत जाओ.. मगर ज़रा सोचो.. पायल को पता तो लग ही जाएगा कि वहाँ क्या होने वाला है..
पुनीत- देखो रॉनी.. अच्छा तो मुझे भी नहीं लग रहा.. मगर तुम जानते हो मेरा एक डायलॉग फिक्स है कि पुनीत खन्ना ने ज़ुबान दे दी मतलब दे दी.. अब उसको बदलने का सवाल ही नहीं.. अब अगर में ना कहूँ.. तो टोनी मेरी इज़्ज़त का भाजी-पाला कर देगा.. समझा तू?

अब आगे..



रॉनी- अच्छा ठीक है.. मगर इसके ज़िम्मेदार आप ही होंगे.. प्लीज़ मुझे पायल को मनाने के लिए मत कहना।
पुनीत- अरे नहीं कहूँगा तुझे.. यह मेरा काम है.. उसको कैसे मनाना है। चल तू बता कहाँ गया था और सन्नी ने क्यों बुलाया था?
रॉनी ने उसको वहाँ की सब बात बताई..

पुनीत- अच्छा ये बात है.. वैसे पायल को मनाना.. अब मुश्किल नहीं लग रहा.. उसकी बातें कुछ बता रही हैं कि इतने साल चुप-चुप रहने वाली हमारी बहन अब खुलना चाहती है।
रॉनी- अरे अब वो बड़ी हो गई है.. अच्छा है ना.. थोड़ा घूमेगी-फ़िरेगी तो दिल लगा रहेगा उसका.. वैसे क्या आपने शाम के लिए उसको बता दिया?

पुनीत- अरे नहीं बताया.. भूल गया.. चल, मैं जाता हूँ.. नहीं तो वो सो जाएगी।
रॉनी- भाई.. बड़े पापा का फ़ोन आया था.. आपको याद दिला दूँ कि वो पेपर अंकल को देने हैं।
पुनीत- ओह्ह.. थैंक्स यार.. मैं तो भूल ही गया था.. ओके मैं पायल को शाम के लिए बता कर अभी निकलता हूँ.. तू भी साथ आ रहा है क्या?
रॉनी- नहीं भाई.. आप जाओ मुझे थोड़ा आराम करना है।

पुनीत जल्दी में वहाँ से निकल गया और अपने कमरे में गया.. तो देखा पायल चादर ओढ़े हुए लेटी हुई थी और उसकी निगाहें दरवाजे पर ही टिकी हुई थीं.. मगर बन्द थीं जैसे बहुत देर से किसी का वेट कर रही हो और थक कर सो गई हो।
पुनीत उसके पास गया और..

अरे यार यहाँ थोड़ा सा ट्विस्ट है.. खुद देख लो..

पुनीत- अरे तू सोई नहीं अब तक.. मैं समझा सो गई होगी।
पायल- क्या भाई.. आपने कहा था बस अभी आता हूँ और आपने कितनी देर लगा दी आने में?
पुनीत- अरे मुझे रॉनी से कोई जरूरी बात करनी थी यार.. वैसे तुम मेरा इन्तजार क्यों कर रही हो?
पायल- अरे क्या भाई.. इतनी हसीन लड़की आपका वेट कर रही है और आप उससे वजह पूछ रहे हो?
पुनीत- पायल तुम्हें क्या हो गया है? मैं तुम्हारा भाई हूँ.. ब्वॉय फ्रेण्ड नहीं.. जो ऐसी बातें कर रही हो..

पायल- अरे आपने ही तो कहा था.. आप मेरे ब्वॉय फ्रेण्ड हो..
पुनीत- अरे.. मैंने ऐसा कब कहा?
पायल- हा हा हा भाई आप भी ना देखो आपने ही कहा था कि हम फ्रेण्ड हैं.. सही है ना..
पुनीत- हाँ कहा था.. मगर फ्रेण्ड.. ओके..
पायल- आप गर्ल हो या ब्वॉय.. ये बताओ?
पुनीत- अरे ये कोई पूछने की बात है.. ब्वॉय हूँ यार..
पायल- गुड.. अब सुनो आप ब्वॉय हो और मेरे फ्रेण्ड भी.. तो हुए ना ब्वॉय फ्रेण्ड.. हा हा हा हा..

पुनीत- बड़ी मजाकिया हो गई हो तुम पायल.. वैसे यह चादर क्यों ओढ़ी हुई है तुमने?
पायल- बेड पर आकर आराम से बैठो तब बताऊँगी..
पुनीत बेड पर पायल के पास ठीक से बैठ गया और कहा- अब बोलो..

पायल ने पुनीत का हाथ पकड़ा और धीरे से चादर के अन्दर अपने सीने पर रख दिया।
पायल- देखो भाई मेरा जिस्म आग की तरह जल रहा है.. अब आप खुद समझदार हो.. इस हालत में मुझे ब्वॉय फ्रेण्ड क्यों चाहिए..

पुनीत का हाथ जब पायल के नर्म मम्मों से टच हुआ.. तो उसकी हालत बिगड़ गई लौड़ा बगावत पर आ गया।

पुनीत को थोड़ी देर बाद समझ आया कि उसका हाथ पायल के मम्मों को सीधे स्पर्श हो रहा है.. यानि पायल के मम्मे एकदम नंगे हैं.. बस यह अहसास होते ही उसने जल्दी से अपना हाथ बाहर खींच लिया और खड़ा हो गया।
पुनीत- यह क्या है पायल.. तुमने कपड़े नहीं पहने है क्या?

पायल- भाई मेरा जिस्म जल रहा है.. मुझे कपड़े काटने को दौड़ रहे थे.. मैंने निकाल दिए.. प्लीज़ कुछ करो ना.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
पुनीत- ओह्ह.. क्या करूँ यार.. रियली तुम पागल हो गई हो.. मैं तुम्हारा भाई हूँ.. ये सब गलत है..

पायल- मैं जानती हूँ भाई.. इसी लिए मैंने अब तक अपने आपको रोका हुआ है.. नहीं तो कब की ये चादर हटा कर आपसे लिपट जाती.. मगर पता नहीं क्यों मुझे आप बहुत अच्छे लग रहे हो.. बस दिल करता है मैं आपसे लिपट जाऊँ.. खूब प्यार करूँ आपको..
पुनीत- पायल प्लीज़.. स्टॉप दिस नॉनसेन्स.. हद होती है किसी बात की..

पायल- भाई अगर आप इसको गलत समझते हो.. तो क्यों आपका ‘ये’ ऐसे बिहेव करता है.. क्यों आप मेरे जिस्म को देख कर मज़े लेते हो..?
पायल ने पुनीत की पैन्ट की और इशारा करते हुए ये बात कही थी.. जहाँ अभी भी तंबू बना हुआ था।

पुनीत- ओह्ह.. क्या कहना चाहती हो तुम.. मैं ऐसा कुछ नहीं सोचता..

पायल ने कुछ कहने की बजाय चादर अपने ऊपर से हटा दी। वो पूरी नंगी थी.. उसके जिस्म की झलक मिलते ही पुनीत के सोचने समझने की ताक़त फुर्र हो गई, वो बस पायल को निहारने लगा।

पायल खड़ी हुई और पुनीत के बिल्कुल करीब आकर उससे लिपट गई। उसने अपने सुलगते होंठ पुनीत के होंठों पर रख दिए। बस यही वो पल था जब शैतान ने अपना काम शुरू कर दिया, वो पुनीत के दिल और दिमाग़ पर हावी हो गया, उसने एक भाई को वासना के भंवर में ऐसा फँसा दिया कि अब वो भी उसको चूमने लगाम उसके जिस्म पर हाथ घुमाने लगा.. दोनों काफ़ी देर तक एक-दूसरे से लिपटे हुए खड़े रहे और किस करते रहे।

पुनीत का दिमाग़ अब बन्द हो चुका था और होगा भी क्यों नहीं.. ऐसी हसीन अप्सरा जो उसकी बाँहों में थी।

पुनीत ने पायल को बिस्तर पर धकेल दिया और उसकी मचलती जवानी को घूरने लगा। उसकी फड़कती चूत को देखकर उसके लौड़े में एक्सट्रा तनाव आ गया था.. वो बेकाबू हो गया और पायल पर टूट पड़ा, उसके मम्मों को दबाने लगा.. निप्पलों को चूसने लगा।

पायल- आह्ह.. भाई.. आह्ह.. नहीं उफ्फ.. ये सब आह्ह.. बाद में करना.. आह्ह.. पहले मेरी चूत की आ..आग मिटाओ.. आह्ह.. मसल दो मेरी चूत को.. आह्ह.. उहह..
पायल की तड़प देख कर पुनीत ने फ़ौरन अपने होंठ उसकी चूत पर लगा दिए और उसकी गुलाब की पंखुड़ी जैसे चूत के होंठों को चूसने लगा, अपनी जीभ की नोक से वो चूत को चाटने लगा।

पायल- आह्ह.. सस्सस्स भाई.. आह्ह.. नहीं.. यू उफ़फ्फ़ मज़ा आ गया आह्ह.. ज़ोर से करो आह्ह.. मेरी चूत में तूफान मचा हुआ है.. आह्ह.. सस्स मैं गई आह्ह.. उहह..

पायल पहले से ही बहुत गर्म थी। पुनीत के गर्म होंठों का स्पर्श उससे सहन नहीं हुआ.. वो मस्ती में आ गई, उसकी चूत बहने लगी। आज एक कुँवारी कली की चूत पर पहली बार किसी के गर्म होंठ लगे थे, वो मस्ती में कमर हिला-हिला कर झड़ रही थी, उसकी आँखें मज़े में बन्द हो गई थीं.. जब पुनीत ने उसकी चूत को अच्छे से चाट-चाट कर साफ कर दिया.. तो वो उठ गया और पायल के मासूम चेहरे को निहारने लगा, उसके गालों पर हाथ घूमने लगा।

पुनीत- पायल.. ओ मेरी प्यारी गुड़िया.. सो गई क्या.. उठो ना..

पायल जैसे गहरी नींद से जागी हो.. उसने मुस्कुराते हुए आँखें खोलीं और पुनीत के हाथ को चूमने लगी।
पायल- ओह्ह.. थैंक्स भाई सच्ची.. आपने दुनिया का सबसे बेस्ट मज़ा मुझे आज दिया है.. थैंक्स थैंक्स भाई थैंक्स..
पुनीत को एक झटका सा लगा कि उसने ऐसा क्या मज़ा दे दिया है पायल को.. जो वो ऐसे बिहेव कर रही है।

पुनीत- ओ हैलो.. मेरी प्यारी बहना.. किस बात के लिए थैंक्स.. मैंने क्या किया है.. लगता है तुमने कोई सपना देखा है.. जिसमें मैंने तुमको कोई गिफ्ट दिया है.. हा हा हा हा.. उठो.. मुझे तुमसे कोई बात करनी है।

पायल को जब ये अहसास हुआ कि यह असल में एक सपना ही था.. मगर ऐसा सपना जो हक़ीक़त से भी ज़्यादा मज़ा देने वाला था। उसने अपनी चूत को छूकर देखा तो वो बहुत गीली थी। इसका साफ-साफ मतलब यही था कि उसका पानी सच में निकल गया था.. लोगों का नाइट फ़ाल होता है.. उसका चूत का फाल हो गया था और हाँ वो कोई नंगी नहीं थी, उसने अपने कपड़े पहने हुए थे।

चूत के रस से उसकी पैन्टी के साथ उसका बरमूडा भी गीला हो गया था। अगर चादर हटा दो तो देखने वाला फ़ौरन समझ जाए कि उसका अभी-अभी रिसाव हुआ है।
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07-04-2018, 08:47 PM
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अब तक आपने पढ़ा..

पायल को जब ये अहसास हुआ कि यह असल में एक सपना ही था.. मगर ऐसा सपना जो हक़ीक़त से भी ज़्यादा मज़ा देने वाला था। उसने अपनी चूत को छूकर देखा तो वो बहुत गीली थी। इसका साफ-साफ मतलब यही था कि उसका पानी सच में निकल गया था.. लोगों का नाइट फ़ाल होता है.. उसका चूत का फाल हो गया था और हाँ वो कोई नंगी नहीं थी, उसने अपने कपड़े पहने हुए थे।
चूत के रस से उसकी पैन्टी के साथ उसका बरमूडा भी गीला हो गया था। अगर चादर हटा दो तो देखने वाला फ़ौरन समझ जाए कि उसका अभी-अभी रिसाव हुआ है।

अब आगे..



पायल ख्यालों में खोई हुई यही सोच रही थी कि जब सपने में इतना मज़ा आया तो ये रियल में होगा.. तब उसको कितना मज़ा आएगा।

पुनीत- अरे उठो.. कहाँ खोई हुई हो.. ज़रा मुझे भी तो बताओ.. क्या सपना देखा.. मैंने ऐसा क्या गिफ्ट दिया.. जो तुम इतनी खुश हो गई।
पायल- ओह्ह.. भाई काश आप रियल में ऐसा करते.. सच में बहुत मज़ा आया।
पुनीत- अरे बताओ तो.. क्या हुआ था?

पायल के होंठों पर क़ातिल मुस्कान थी.. अब उसका दिमाग़ सुकून में था।

पायल- कुछ नहीं भाई.. अभी बता दूँगी तो आप सच में मुझे वो कभी ना दे पाएँगे.. इसका वक़्त आएगा.. तब बताऊँगी। मगर प्लीज़ आप मुझे वो गिफ्ट दोगे ना.. मना तो नहीं करोगे अपनी बहन को?
पुनीत- अरे कैसी बातें करती हो.. तुम मेरी स्वीट बहन हो.. मैं कभी तुम्हें किसी चीज के लिए मना कर सकता हूँ क्या.. जो बोलोगी दे दूँगा..
पायल- पक्का वादा? कहीं मुकर तो नहीं जाओगे आप?
पुनीत- ओहो.. अच्छा पक्का वादा नहीं मुकुरूँगा.. जब चाहो माँग लेना.. बस खुश.. चलो उठो.. ये चादर हटाओ और ठीक से बैठो।

पायल- न्न्न..नहीं नहीं.. भाई ये रहने दो.. क्या बात है बोलो.. मैं सुन रही हूँ ना..
पुनीत- ओके ओके.. रहने दो.. अच्छा सुनो.. शाम को क्लब में एक पार्टी है.. वहाँ मेरे साथ चलोगी ना तुम?
पायल- अरे मैं वहाँ जाकर क्या करूँगी भाई?

पुनीत- अरे.. शाम को मेरे साथ क्लब चलोगी.. तो वहाँ मेरे कुछ दोस्तों से तुमको मिलवाना है।
पायल- मैं उनसे मिलकर क्या करूँगी?
पुनीत- अरे बाहर जाओगी.. लोगों से मिलोगी.. तभी तो सब को पता लगेगा ना.. कि तुम पुनीत खन्ना की बहन हो.. उसके बाद किसी की क्या मज़ाल जो तुमको परेशान करे.. जैसे उन लड़कों ने किया था.. हॉस्टल के बाहर..

पायल- हाँ ओके.. चलेंगे वो आपका दोस्त टोनी भी आएगा क्या वहाँ?
पुनीत- हाँ आएगा ना.. क्यों उसके बारे में क्यों पूछ रही हो तुम?
पायल- अब आप तो मेरे भाई हो और इस उमर में एक लड़की को ब्वॉयफ्रेण्ड की जरूरत होती है.. सोच रही हूँ टोनी को ही बना लूँ लड़का अच्छा है..
पुनीत- पायल तुम्हारा दिमाग़ खराब हो गया है क्या… वो टोनी ठीक नहीं है.. तुम उसको जानती ही कितना हो?
पायल- ओह्ह.. ये बात है.. तो ठीक है ना.. आज शाम को जान लूँगी.. क्यों ठीक कहा ना मैंने भाई?
पुनीत- नहीं पायल प्लीज़.. ऐसा मत कहो वो टोनी सही लड़का नहीं है.. तुम बात को समझो..

पायल- ठीक है भाई.. मगर एक शर्त पर.. आप मेरे ब्वॉय फ्रेण्ड तो नहीं बन सकते.. मगर मेरी हेल्प तो कर सकते हो.. कोई अच्छा लड़का चुनने में?
पुनीत- ओके.. मैं ये कर सकता हूँ.. मगर ये अचानक तुमको ब्वॉय फ्रेण्ड की जरूरत क्यों पड़ गई.. आज से पहले तो तुम इन सब से दूर रहती थी।

पायल- भाई अभी सपने में मेरी आपसे बहस हो रही थी और हक़िक़त में भी आप ऐसे ही कर रहे हो.. ब्वॉय फ्रेण्ड की जरूरत नहीं होती.. ये तो एक फैशन है.. अब मुझे कहीं बाहर जाना हो.. घूमना हो.. तो सेफ्टी के लिए एक लड़का तो साथ होना चाहिए ना.. और वैसे भी आजकल की लड़कियाँ ब्वॉय फ्रेण्ड बनाती इसलिए हैं ताकि एटीएम मशीन और उसका बॉडी गार्ड उसके साथ ही रहे और ये दोनों खूबी ब्वॉय फ्रेण्ड में होती हैं।

पुनीत- अरे ये मिडल क्लास लड़कियों की तरह क्यों सोच रही हो.. तुम्हें पैसे की क्या कमी है.. जो किसी उल्लू का सहारा लोगी.. और रही बात सेफ्टी की.. तो मैं किस लिए हूँ.. तेरा भाई हाँ?
पायल- ओह्ह.. भाई आपसे बहस करना बेकार है.. जाओ नहीं चाहिए ब्वॉय फ्रेण्ड.. ओके खुश लेकिन आप मेरे पक्के वाले फ्रेण्ड तो बन सकते हो ना?
पुनीत- अरे इसमें पूछने की क्या बात है.. मैं तो हूँ ही तेरे पक्का दोस्त.. चल अब तू आराम कर.. मैं बाहर जाकर आता हूँ थोड़ा काम है..

पायल- क्या भाई.. अभी आए और अभी वापस जा रहे हो?
पुनीत- अरे कुछ अर्जेंट काम है.. शाम को रेडी रहना.. ओके वहाँ जाना है..
पायल- ओके.. माय स्वीट ब्रो.. जाओ शाम को मिलते है बाय..

पुनीत वहाँ से चला गया और पायल सपने के बारे में सोचने लगी कि कैसे इसे हक़ीकत का रूप दिया जाए। पुनीत के जाने के बाद पायल बाथरूम में गई.. अपने आप को साफ किया और आकर वापस सो गई।

उधर सन्नी वहाँ से टोनी और उसके दोस्तों के पास गया। शायद आगे के लिए कोई प्लानिंग करनी होगी.. तो आओ देखते हैं वहाँ क्या खिचड़ी पक रही है।

टोनी- अरे आओ भाई.. हम अभी आपके बारे में ही बात कर रहे थे।
विवेक- भाई आपने तो इस खेल को बहुत उलझा दिया है.. कैसे-कैसे आइडिया लगा रहे हो आप?
सन्नी- दोस्तो, जिस खेल से किसी की जिंदगी बदल जाए.. वो कोई छोटा-मोटा खेल नहीं होता.. समझे.. इसलिए ये सब आइडिया लगाना पड़ता है। आज तुम्हें एक राज़ की बात बताता हूँ.. गौर से सुनो..

टोनी- बताओ भाई बताओ.. आपकी कहानी में राज़ बहुत होते हैं.. वैसे लग रहा है कि आगे मज़ा बहुत आने वाला है..
सन्नी- सही कहा.. जैसे-जैसे राज़ खुलेंगे.. मज़ा बढ़ता जाएगा। देखो ताश की गड्डी में 4 इक्के होते हैं.. जिसके पास 3 इक्के आ जाते हैं उसको कोई हरा नहीं सकता.. सही है ना?
सुनील- सोलह आने सच है भाई..

सन्नी- गुड.. अब सुनो इस खेल में तुम तीनों 3 इक्के हो.. और चौथा इक्का मैं हूँ.. यानि इस खेल के खिलाड़ी के पास चारों इक्के मौजूद हैं.. सामने वाला लाख सर पटक कर मर जाए.. वो किसी हाल में जीत ही नहीं सकता.. समझे ये है मेरा राज़..

टोनी- भाई बुरा ना मानना.. मगर अपुन के सर के ऊपर से निकल गया.. हम 3 इक्के.. ये समझ आ गया.. मगर आप चौथे इक्के हो.. ये खोपड़ी में नहीं घुसा.. आप तो खिलाड़ी हो.. हाँ कोमल को चौथा इक्का कहते.. तो बात भेजे में फिट हो जाती..
सन्नी- अबे साले.. ऐसे तो बड़ा तेज बनता है.. कोमल और पायल तो इस खेल के कॉइन हैं जिन पर दांव लगाया जा रहा है.. अब देख रॉनी और पुनीत समझते हैं कि मैं उनके साथ हूँ.. मगर असल में यह खेल मैं उनके खिलाफ खेल रहा हूँ.. तो हुआ ना चौथा इक्का..

टोनी- हाँ भाई.. एकदम सही है.. अब बात समझ आ गई है।

सन्नी- अब सुनो.. शाम को पायल क्लब में आएगी.. तुम किसी तरह सनडे पार्टी के लिए उसको मना लेना.. या ऐसा समझो उसके दिमाग़ में ये बात डाल देना ताकि वो पार्टी में आने के लिए पुनीत के पीछे पड़ जाए.. उसके बाद मुझे क्या करना है.. मैं देख लूँगा। यह खेल तो बाद में होगा.. उसके पहले ही मैं पायल को नंगा कर दूँगा हा हा हा हा..
टोनी- हाँ भाई.. एकदम सही है.. अब बात समझ आ गई है।

सन्नी- अब सुनो.. शाम को पायल क्लब में आएगी.. तुम किसी तरह सनडे पार्टी के लिए उसको मना लेना.. या ऐसा समझो उसके दिमाग़ में ये बात डाल देना ताकि वो पार्टी में आने के लिए पुनीत के पीछे पड़ जाए.. उसके बाद मुझे क्या करना है.. मैं देख लूँगा। ये खेल तो बाद में होगा.. उसके पहले ही मैं पायल को नंगा कर दूँगा हा हा हा हा..

वो सभी काफ़ी देर तक वहीं बैठे हुए बातें करते रहे।
दोस्तो, शाम तक ऐसा कुछ नहीं हुआ जो बताऊँ.. वहाँ मुनिया के साथ भी कुछ खास नहीं हुआ.. तो चलो सीधे आप शाम का सीन देख लो।

पायल सुकून की नींद लेकर उठी.. अब उसका माइंड फ्रेश था.. वो नहा कर रेडी हो गई थी। आज उसने एक बहुत ही सेक्सी ब्राउन मैक्सी पहनी थी.. जो स्लीवलैस थी और पीछे कमर लगभग पूरी खुली हुई थी.. देखने वाला बस देखता रह जाए..
पायल रॉनी के कमरे में गई.. वो अभी बाथरूम जा ही रहा था कि पायल को देख कर वो रुक गया।

रॉनी- अरे आओ आओ गुड्डी.. क्या बात है.. बहुत अच्छी लग रही हो तुम!
पायल- थैंक्स भाई.. मगर मैंने क्या कहा था.. नो गुड्डी अब आप मुझे पायल कहोगे ओके..
रॉनी- ओके मेरी प्यारी बहना.. अब से पायल कहूँगा ओके.. वैसे तुम रेडी होकर कहाँ जा रही हो?
पायल- वो पुनीत भाई ने कहा था शाम को हमारे साथ क्लब चलना.. तो बस इसी लिए रेडी हुई हूँ।

रॉनी- ओह्ह.. अच्छा मगर पायल सॉरी बुरा मत मानना.. ये ड्रेस कुछ ठीक नहीं है.. वहाँ ज़्यादातर लड़के होते हैं प्लीज़ अगर हो सके तो ये ड्रेस चेंज कर लो।
पायल- अरे क्या भाई.. इतना अच्छा तो है.. आजकल यही सब चलता है..
रॉनी- पता है पायल.. मैंने कब कहा ये बुरा है.. अब अपने भाई की बात नहीं मानोगी क्या.. जाओ चेंज कर लो ना प्लीज़ मेरे लिए..
पायल- ओके भाई अभी करती हूँ.. तब तक आप भी रेडी हो जाओ।

पायल वहाँ से वापस अपने कमरे में चली गई और बड़बड़ाने लगी।
पायल- उहह कितना अच्छा ड्रेस था.. मगर रॉनी भाई भी ना बस कोई लड़का मुझे घूरेगा.. ये सोच कर चेंज करने को बोल दिया.. अजीब सी उलझन है एक भाई मुझे ब्रा-पैन्टी में देख चुका है और दूसरा थोड़ा सा भी ओपन नहीं देख सकता।
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