20-02-2017, 11:37 PM
चूत जवां जब होती है
आत्मकथ्य:
‘जब चूत जवां होती है’ जैसा कि कहानी के शीर्षक से ही स्पष्ट है, यह कथा किसी भी नई नई ताजा जवान होती हुई, खिलती हुई कली की चूत में उठने वाली कसक, उमंगों तरंगों और उसकी लण्ड लील जाने की लालसा और उत्कंठा को लेकर है।
यूं तो प्रकृति के हिसाब से लड़की के पीरियड्स या मासिकधर्म ग्यारह-बारह साल की उमर में ही शुरू हो जाते हैं और पीरियड्स शुरू होने का अर्थ है कि वो सम्भोग हेतु, गर्भ धारण हेतु तैयार हो गई है।
प्रकृति ने उसकी चूत को कैसा भी मोटा लम्बा लण्ड लील जाने, आत्मसात कर लेने की और चुदाई का भरपूर आनन्द ले लेने के लायक बना दिया है, अधिकृत और स्वतंत्र कर दिया है।
परन्तु सामाजिक मान्यताएं और क़ानून ऐसी कच्ची कली को चोदने की इजाज़त नहीं देता हालांकि प्रकृति ने तो उसे तैयार कर ही दिया है इस काम के लिए!
इन मानव रचित रीति रिवाजों की बेड़ियों में जकड़ी यह जवां चूत या तो विवाह हो जाने तक सालों साल इंतजार करती है और जैसे तैसे, अपने तरीके से अपनी चूत को समझाती बहलाती रहती है, या किन्ही विषम परिस्थितियों में हम अंकल टाइप के लोगों से चुद ही जाती है जैसे ट्यूशन में, पड़ोस के अंकल जी से, पापा के घनिष्ठ मित्र से, शादी ब्याह में अचानक बिना किसी प्लानिंग के या कभी कभी किसी सगे सम्बन्धी के लण्ड से!
ज्यादातर मैंने देखा है कि लड़की जब अपने शहर से बाहर होती है जैसे किसी शादी में या छुट्टियों में मामा के यहाँ तो वहाँ पर वह खुल के खेल जाती है और चुदाई का पहला मौका मिलते ही बिछ जाती है चुदने के लिए!
बहरहाल हर चूत की अपनी अपनी नियति होती है।
अभी कुछ ही दिन पहले की सत्य घटना है जो कि टीवी समाचारों में दो तीन दिन तक छाई रही, आप लोगों ने भी देखा सुना होगा, कि हैदराबाद की एक अल्प-वयस्क लड़की ने स्कूल में एक बच्चे को जन्म दिया यह लड़की वहाँ कक्षा नौ की छात्रा थी. सोचिये यह लड़की उससे कम से कम एक साल पहले से सम्भोग रत रही होगी, उसने कभी किसी से शिकायत भी नहीं की, मतलब वो खुद अपनी मर्जी से यौन रत रही थी।
ऐसे किस्से रोज ही होते हैं सैकड़ों की संख्या में लेकिन सामने नहीं आ पाते!
पहले बाल विवाह हो जाया करते थे और जब लड़की रजस्वला हो जाती थी, रजस्वला होते ही उसका गौना हो जाता था और वो ससुराल चली जाती थी और चुदाई का आनन्द लेती थी, कई कई बच्चे पैदा करने के बाद भी जीवन भर स्वस्थ रहती थी बीमार भी शायद ही कभी होती थी। परन्तु समाज की अपनी मान्यताएँ, विवशताएँ भी हैं।
कानून किसी को भी यूं खुला खेल फर्रुखाबादी खेलने की इजाजत नहीं दे सकता।
हाँ, हमारे कानून ने वयस्क युवक युवतियों को एक साथ रहने की, live-in-relationship की अनुमति तो दे ही दी है।
बहरहाल जो भी हो, प्रकृति के अपने नियम सिद्धान्त हैं जो मनुष्य के कल्याण के लिए ही बने हैं क्योंकि यह शरीर प्रकृति की ही देन है और उसी के नियमों पर चलना हितकारी होता है।
*****