Yesterday, 11:06 PM
मेरी चूत तो पहले से पनियाई हुई थी तो लन्ड भी भीतर घुस गया और अब जब सलीम चाचा मुझे चोदने लगे तो मैं पूछी, "कैसा लग रह है चाचा.... मजा आ रहा है। बगल के कमरे में आपकी बेटी चुदवा रही है और यहाँ आप अपनी बेटी के उम्र की लड़की को चोद रहे हैं। कभी सोंचे थे इस मजा के बारे में?" सलीम चाचा अब खुब हुमच-हुमच कर मुझे चोद रहे थे, "ओह... सब तुमलोगों के कारण हुआ है। मुझे तो विश्वास भी नहीं हो रहा है कि सायरा ऐसे यह सब कर रही है"। मैंने चट पूछा, "अगर पहले पता चल जाता तो क्या आप ही अपनी बेटी चोद लेते....?" वो अब जोश में जोर-जोर से चोदते हुए बोले, "हा~म... कब का मैं बेटी चोद बन जाता... ले तू ले मेरी बेटी, तू भी तो मेरी बेटी है।" मैं भी उनको जोश दिलाते हुए बोली, "हाँ मेरे अब्बू... मैं तुम्हारी बेटी ही हूँ... चोदो अपनी बेटी की चूत को... लूटो अपनी बेटी के बदन का मजा"। वो अब झदने के कागार पर थे तो मेरे ऐसे शब्दों को सुन कर जोर से हाँफ़ते हुए मुझे पेलने लगे और मैं जैसे ही झडने को हुई वो भी "आह्ह्ह्ह मेरी बेटीईईईई..." कहते हुए मेरे चूत में ही झड गये। अब उनको फ़िर से अपनी बेटी को देखना था सो वो चट से अकपड़े पहनते हुए बोले, ’एक बार और उनको देख कर निकल जाउँगा यहाँ सा... तुम उन दोनों को कुछ बताना नहीं प्लीज...."। मैंने भी कह दिया, "मैं कोई पागल हूँ क्या जो यह सब किसी को बताऊँगी"।
हम दोनों फ़िर से कमरे से बाहर आए और फ़िर सायरा और जमील के कमरे में झाँका। अभी जमील सायरा को पीछे से कुतिया बना कर चोद रहा था और उसके बालों को खुब जोर से उमेठते हुए उसके दोनों चुतड़ों पर जोर-जोर से बीच-बीच में थप्पड़ लगा दे रहा था। हर थप्पड के साथ सायरा के मुँह से हल्की सी चीख निकल रही थी। उसके दोनों चुतड़ लाल भभूका हो गये थे और लग रहा था कि सायरा अब होश में नहीं है और चुदासी के नशे से मतवाली हो गयी है... उसके मुँह से गाली निकला, "चोद हरामजादे... अपनी इस रंडी सायरा को खुब चोदो और बेच दो बाजार में।" सलीम चाचा का मुँह तो जैसे यह सब सुन कर सुख गया... और तभी जमील भी बोल पड़ा, "हाँ साली रंडी, तेरी अम्मी और बहेन को भी बेचुँगा... तुम तीनों को साली दो-दो टके में चुदाऊँगा और तेरे बाप को उसी कमाई से करीद कर एक गुलाब की माला पहनाऊँगा... हरामजादी कुत्ती साली छिनाल... आहह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं अब झड़ रहा हूँ"। यह सुनना था कि सायरा होश में आ गयी और चट से अपने को जमील के गिरफ़्त से आजाद करा लिया और फ़िर चित लेट गयी।
जमील भी उसके सपाट पेट पर अपना लन्ड अभी सटाया ही था कि वो झटके देते हुए पानी उगलने लगा। सलीम चाचा का गला सूखा हुआ था और अब जल्दी से निकल जाना चाहते थे सो अब बिना कुछ बोले वहा~म से हटे तो मुहे भी लगा कि अब इसके आगे अगर मैंने रोका तो पता नहीं क्या कैसे हो जाए तो मैं चुप रही और वो बिना कोई आवाज किये मुझे इशारा करते हुए घर से निकल गये। मैं भी अब बाहर से कमरे में बैठ गयी और अपने साँसो को नियंत्रित करने लगी। मुझे पता था कि अब वो दोनों भी यहाँ आने ही वालें हैं... और वो आ भी गये। वो दोनों मेरे सामने आये और फ़िर मुस्कुराते हुए जैसे थैंक्स बोल रहे हो, मेरे सामने बैठ गये तो सायरा बोली, "थोडा पानी....।" उसकी साँस अभी भी थोडा तेज थी। पानी पीते हुए वो बोली, "आप जाईए पहले... मैं थोड़ी देर बाद घर जाऊँगी।" जमील यह सुन कर बिना कुछ बोले, मुझे बाय कह कर बाहर निकल गया।
मैंने अब सायरा से पूछा, "तब कैसा रहा???" वो मुस्कुराते हुए बोली, "जैसा हमेशा रहता है... कुछ खास क्या होगा अब?" मैंने कहा, "मैं इंतजार में थी कि कब तू चीखेगी पर लगता है कि गाँड अभी फ़टी नहीं तुम्हारी आज?" सायरा बोली, "नहीं... वो अभी नहीं, अभी बहुत टाईट है और जमील भाईजान का बस चले तो वो तो पहले उसी को ले लेगा... मैं हीं मना कर देती हूँ।" मैंने अब कहा, "अच्छा है... अगर अभी तक बचा ली हो तो अब अपने अब्बू को ही देना पहली बार। वैसे भी उनका लन्ड तुम्हारे जमील से तो आसान ही है भीतर लेने में"। वो अब चौंकी, "तुम्हें कैसे पता???" मैंने कहा, "क्यूँ... मैंने जमील तो तुम्हें चोदते हुए देखा है ना और चाचा से तो खुद चुदाई हूँ तो मैं दोनों के लेन्डों की तुलना कर सकती हूँ"। अब सायरा का मुँह देखने लायक था, "या अल्लाह... अब्बू से ... और तुम... हाय हाय... कब?" मैंने अब अपने असल पत्ते खोलने का मन बना लिया था सो बोली, "अभी आधा घंटा पहले, तुम उस कमरे में जमील से मजे ले रही थी और मैं यहाँ तुम्हारे अब्बू से मजे कर रही थी।
चाचा का जोश तो देखते बनता था.... वो मुझे बेटी-बेटी करके जोर-जोर से चोदे जा रहे थे।" सायरा का चेहरा सफ़ेद हो गया यह सब सुन कर वो अब होठों पर जीभ फ़ेरते हुए परेशान हो कर अंत में पूछ ही ली, "वो जान गये क्या कि मैं यहाँ हूँ???" उसको देख कर लग रहा था कि वो अब रो देगी। मैंने उसको अपने गले लगाते हुए कहा, "अरे तुम बिल्कुल परेशान मत हो... मैं हूँ ना, सब संभाल लूँगी। वो तुम्हारे पीछे-पीछे ही आ गये थे और मुझे अकेला यहाँ बैठे देख कर तुम्हारे बारे में पूछे पर जब तक मैं कुछ बोलूँ वो तुम्हारे और जमील के आवाज से कमरे की तरफ़ चले गए और तुमलोग को देख कर बाहर ही रूक गए। मैंने अब उनको भी फ़ँसाने की सोची क्योंकि इसके अलावा कोई चारा नहीं था तो खुद ही नंगी हो कर उनके सामने खड़ी हो गई। नंगी जवान लडकी को देख कर कौन साला मर्द उसकी गुलामी नहीं करेगा सो मैंने साफ़ कह दिया, "अगर आप मुँह बन्द रखते हैं तो आप जब चाहे तब मैं आपके लिए हाजिर रहूँगी।" फ़िर क्या था वो मेरे साथ बगल के कमरे में चल दिये और मेरी चूत के भीतर ही अपना माल निकाला और फ़िर घबडा कर चले गये।
सायरा अब रो रही थी, "हाय... अब न जाने क्या होगा? अब्बा पता नहीं क्या सोचेंगे मेरे बारे में... छीः छीः" मैंने उसके पीठ को सहलाते हुए उसकी हिम्मत बढाई, "कुछ नहीं सोचेंगे.... जवान लडकी है, मन कर गया तो कर ली... और क्या सोचेंगे। जब वो मुझे चोद रहे थे तब मैंने उनका मन भाँपने के लिए तुम्हारा जिक्र कर दिया था कि बेचारी को बहुत मन था तो मैंने ही उसको सलाह दी कि वो जमील भाईजान से करवा ले.... वो कुछ खास नहीं बोले और हूँ हूँ... कह कर मुझे चोदने में लगे रहे। जब वो मुझे "बेटी-बेटी" कर रहे थे तब भी मैंने कहा, "आपकी बेटी तो बगल के कमरे में चुद रही है... बुला दूँ क्या~? तो वो मुस्कुरा कर बोले थे कि आज रह्ने दो, जिस दिन तुम्हारी से मन भर जाएगा उस दिन बुला लेंगे उसको..., और मुझे चोदने का मजा लेने लगे थे। अब कभी जब वो इशारा करें तो तुम नखरे मत करना, चट से आ जाना उनकी गोदी में... इसके बाद तो सब रास्ता साफ़ हो जाएगा। चुदाई के खेल में जितना बेशर्म हो जाओगी उतना ही ज्यादा मजा पाओगी। लाज-शर्म छोड कर जब भी चुदो, जिससे भी चुदो.... पूरा रंडीपना दिखाते हुए चुदवाओ तब असल मजा आता है। मैं जब पुरी गई थी तब समुद्र के किनारे अनजान मर्दों के साथ चुदाई थी सब के सामने।" वो अब मेरे सामने बैठ कर मेरी कहानी सुन रही थी, जिसको मैं भी खुब मसालेदार बना कर उसको सुना रही थी। इसी क्रम में मैंने कह दिया, "अगली बार देखना तुम मैं कैसे जमील के साथ रंडीपना दिखाती हूँ और उसका सब दम निकाल देती हूँ।" मेरी बातों और कहानियों से सायरा को थोड़ी तसल्ली हुई कि उसका बाप उसको कुछ बुरा-भला नहीं कहेगा और तब वो चुदाई के बाद भी करीब एक घन्टे मेरे घर रुकने के बाद अपने घर चली गई।
हम दोनों फ़िर से कमरे से बाहर आए और फ़िर सायरा और जमील के कमरे में झाँका। अभी जमील सायरा को पीछे से कुतिया बना कर चोद रहा था और उसके बालों को खुब जोर से उमेठते हुए उसके दोनों चुतड़ों पर जोर-जोर से बीच-बीच में थप्पड़ लगा दे रहा था। हर थप्पड के साथ सायरा के मुँह से हल्की सी चीख निकल रही थी। उसके दोनों चुतड़ लाल भभूका हो गये थे और लग रहा था कि सायरा अब होश में नहीं है और चुदासी के नशे से मतवाली हो गयी है... उसके मुँह से गाली निकला, "चोद हरामजादे... अपनी इस रंडी सायरा को खुब चोदो और बेच दो बाजार में।" सलीम चाचा का मुँह तो जैसे यह सब सुन कर सुख गया... और तभी जमील भी बोल पड़ा, "हाँ साली रंडी, तेरी अम्मी और बहेन को भी बेचुँगा... तुम तीनों को साली दो-दो टके में चुदाऊँगा और तेरे बाप को उसी कमाई से करीद कर एक गुलाब की माला पहनाऊँगा... हरामजादी कुत्ती साली छिनाल... आहह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं अब झड़ रहा हूँ"। यह सुनना था कि सायरा होश में आ गयी और चट से अपने को जमील के गिरफ़्त से आजाद करा लिया और फ़िर चित लेट गयी।
जमील भी उसके सपाट पेट पर अपना लन्ड अभी सटाया ही था कि वो झटके देते हुए पानी उगलने लगा। सलीम चाचा का गला सूखा हुआ था और अब जल्दी से निकल जाना चाहते थे सो अब बिना कुछ बोले वहा~म से हटे तो मुहे भी लगा कि अब इसके आगे अगर मैंने रोका तो पता नहीं क्या कैसे हो जाए तो मैं चुप रही और वो बिना कोई आवाज किये मुझे इशारा करते हुए घर से निकल गये। मैं भी अब बाहर से कमरे में बैठ गयी और अपने साँसो को नियंत्रित करने लगी। मुझे पता था कि अब वो दोनों भी यहाँ आने ही वालें हैं... और वो आ भी गये। वो दोनों मेरे सामने आये और फ़िर मुस्कुराते हुए जैसे थैंक्स बोल रहे हो, मेरे सामने बैठ गये तो सायरा बोली, "थोडा पानी....।" उसकी साँस अभी भी थोडा तेज थी। पानी पीते हुए वो बोली, "आप जाईए पहले... मैं थोड़ी देर बाद घर जाऊँगी।" जमील यह सुन कर बिना कुछ बोले, मुझे बाय कह कर बाहर निकल गया।
मैंने अब सायरा से पूछा, "तब कैसा रहा???" वो मुस्कुराते हुए बोली, "जैसा हमेशा रहता है... कुछ खास क्या होगा अब?" मैंने कहा, "मैं इंतजार में थी कि कब तू चीखेगी पर लगता है कि गाँड अभी फ़टी नहीं तुम्हारी आज?" सायरा बोली, "नहीं... वो अभी नहीं, अभी बहुत टाईट है और जमील भाईजान का बस चले तो वो तो पहले उसी को ले लेगा... मैं हीं मना कर देती हूँ।" मैंने अब कहा, "अच्छा है... अगर अभी तक बचा ली हो तो अब अपने अब्बू को ही देना पहली बार। वैसे भी उनका लन्ड तुम्हारे जमील से तो आसान ही है भीतर लेने में"। वो अब चौंकी, "तुम्हें कैसे पता???" मैंने कहा, "क्यूँ... मैंने जमील तो तुम्हें चोदते हुए देखा है ना और चाचा से तो खुद चुदाई हूँ तो मैं दोनों के लेन्डों की तुलना कर सकती हूँ"। अब सायरा का मुँह देखने लायक था, "या अल्लाह... अब्बू से ... और तुम... हाय हाय... कब?" मैंने अब अपने असल पत्ते खोलने का मन बना लिया था सो बोली, "अभी आधा घंटा पहले, तुम उस कमरे में जमील से मजे ले रही थी और मैं यहाँ तुम्हारे अब्बू से मजे कर रही थी।
चाचा का जोश तो देखते बनता था.... वो मुझे बेटी-बेटी करके जोर-जोर से चोदे जा रहे थे।" सायरा का चेहरा सफ़ेद हो गया यह सब सुन कर वो अब होठों पर जीभ फ़ेरते हुए परेशान हो कर अंत में पूछ ही ली, "वो जान गये क्या कि मैं यहाँ हूँ???" उसको देख कर लग रहा था कि वो अब रो देगी। मैंने उसको अपने गले लगाते हुए कहा, "अरे तुम बिल्कुल परेशान मत हो... मैं हूँ ना, सब संभाल लूँगी। वो तुम्हारे पीछे-पीछे ही आ गये थे और मुझे अकेला यहाँ बैठे देख कर तुम्हारे बारे में पूछे पर जब तक मैं कुछ बोलूँ वो तुम्हारे और जमील के आवाज से कमरे की तरफ़ चले गए और तुमलोग को देख कर बाहर ही रूक गए। मैंने अब उनको भी फ़ँसाने की सोची क्योंकि इसके अलावा कोई चारा नहीं था तो खुद ही नंगी हो कर उनके सामने खड़ी हो गई। नंगी जवान लडकी को देख कर कौन साला मर्द उसकी गुलामी नहीं करेगा सो मैंने साफ़ कह दिया, "अगर आप मुँह बन्द रखते हैं तो आप जब चाहे तब मैं आपके लिए हाजिर रहूँगी।" फ़िर क्या था वो मेरे साथ बगल के कमरे में चल दिये और मेरी चूत के भीतर ही अपना माल निकाला और फ़िर घबडा कर चले गये।
सायरा अब रो रही थी, "हाय... अब न जाने क्या होगा? अब्बा पता नहीं क्या सोचेंगे मेरे बारे में... छीः छीः" मैंने उसके पीठ को सहलाते हुए उसकी हिम्मत बढाई, "कुछ नहीं सोचेंगे.... जवान लडकी है, मन कर गया तो कर ली... और क्या सोचेंगे। जब वो मुझे चोद रहे थे तब मैंने उनका मन भाँपने के लिए तुम्हारा जिक्र कर दिया था कि बेचारी को बहुत मन था तो मैंने ही उसको सलाह दी कि वो जमील भाईजान से करवा ले.... वो कुछ खास नहीं बोले और हूँ हूँ... कह कर मुझे चोदने में लगे रहे। जब वो मुझे "बेटी-बेटी" कर रहे थे तब भी मैंने कहा, "आपकी बेटी तो बगल के कमरे में चुद रही है... बुला दूँ क्या~? तो वो मुस्कुरा कर बोले थे कि आज रह्ने दो, जिस दिन तुम्हारी से मन भर जाएगा उस दिन बुला लेंगे उसको..., और मुझे चोदने का मजा लेने लगे थे। अब कभी जब वो इशारा करें तो तुम नखरे मत करना, चट से आ जाना उनकी गोदी में... इसके बाद तो सब रास्ता साफ़ हो जाएगा। चुदाई के खेल में जितना बेशर्म हो जाओगी उतना ही ज्यादा मजा पाओगी। लाज-शर्म छोड कर जब भी चुदो, जिससे भी चुदो.... पूरा रंडीपना दिखाते हुए चुदवाओ तब असल मजा आता है। मैं जब पुरी गई थी तब समुद्र के किनारे अनजान मर्दों के साथ चुदाई थी सब के सामने।" वो अब मेरे सामने बैठ कर मेरी कहानी सुन रही थी, जिसको मैं भी खुब मसालेदार बना कर उसको सुना रही थी। इसी क्रम में मैंने कह दिया, "अगली बार देखना तुम मैं कैसे जमील के साथ रंडीपना दिखाती हूँ और उसका सब दम निकाल देती हूँ।" मेरी बातों और कहानियों से सायरा को थोड़ी तसल्ली हुई कि उसका बाप उसको कुछ बुरा-भला नहीं कहेगा और तब वो चुदाई के बाद भी करीब एक घन्टे मेरे घर रुकने के बाद अपने घर चली गई।