12-06-2018, 02:52 AM (This post was last modified: 12-06-2018, 03:03 AM by rajbr1981.)
छोटी बहन के साथ- Restart
वो अब सब समझ गई, और बोली - पर मैं...। मैंने उसको समझाया, "अरे तुम बस उनके साथ थोड़ा हँस-बोल लो, कुछ कभी-कभार हल्के से दिखा दो बस... जैसे विभा उस दिन तुम्हारे घर पर की थी। इतने से भी मर्द थोडा हल्का हो जाता है"। आज अगर वो तुम्हारे सामने बिना हिचक के उस लडकी को कर लिए तो समझो कि काम हो गया। तुमलोग के बीच का बाप-बेटी का पर्दा भी हट जाएगा और फ़िर सब रास्ते खुल जाएँगे, जैसे मेरे और विभा के बीच है रिश्ता। हम एक-दूसरे को समझते हैं और वक्त पडने पर एक-दूसरे को संतुष्ट भी करते हैं। तुम तो समझ ही रही होगी मेरी बात..."। वो कुछ नहीं बोली तो मैंने कहा कि अब मैं नहीं पडूँगा बीच में... अब तुम और विभा जाओ कमरे में और देखो क्या हो रहा है। सायरा और विभा दोनों अब कमरे के तरफ़ चली गई और मैं फ़िर से बाहर आ कर बैठ गया। मुझे मालूम था कि अन्दर विभा अब सायरा को मेरे कमरे के दरवाजे की झिर्री से भीतर सब दिखा रही होगी। मेरा मन नहीं माना तो मैं फ़िर से घर के भीतर चला गया और अपने घर के मुख्य दरवाजे को बन्द कर दिया। यह कहानी देसिबीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे ।
मेरे कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था और दोनों लडकियाँ वहाँ खडा हो कर भीतर का नजारा देख रही थी। उन्हें पता नहीं चला कि मैं भी पीछे आ गया हूँ, वो दोनों भीतर का सीन देखने में लगी हुई थीं। मैंने देखा कि अंदर बिस्तर पर चाचा अब नाज को अपने नीचे दबोचे हुए थे और धका-धक अपना लंड उसकी चूत में पेले जा रहे थे। नाज कराह रही थी, आह आह आह... और चाचा लगे हुए थे उसको चोदने में हुम्म्म हुम्म्म हुम्म्म करते हुए। वो एक बार अपना पूरा लन्ड बाहर निकाले और फ़िर उसको नाज की चूत की खुली हुई छेद पर गोल-गोल घुमाए और फ़िर अपने हाथे से उसको पकड पर एक बार फ़िर चूत के भीतर घुसा दिये और पुनः चुदाई शुरू हो गई। सायरा यह सब देख कर अचंभित थी और मुझे लगा कि उसके मुँह से अब कुछ निकल जाएगा तो मैंने उसको अब हल्के से इशारा किया कि वो अब हट जाए। वो भी मुझे देख कर शर्माते हुए दर्वाजे के सामने से हट गई और तब मैंने कुछ सोचा और फ़िर अपनी लुंगी खोल कर वहीं उन दोनों के सामने नंगा हो गया और फ़िर फ़ुस्फ़ुसाते हुए बोला, "जाता हूँ अब भीतर और नाज को दो लंड का मजा देता हूँ। ऐसे लडकी का मजा डबल हो जाता है... तुम दोनों देखो और समझो यह सब"। विभा मुस्कुराई और सायरा का मुँह खुला का खुला रह गया। यह कहानी देसिबीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे ।
मैं जैसे ही बिस्तर के आप पहुँचा, सलीम चाचा मुझे देख कर हडबड़ाए तो मैंने उनको सब ठीक के लिए आश्वस्त किया और फ़िर बोला, "चाचा, अब आप इसकी गाँड़ मार लीजिए, मैं इसकी चूत में लंड डालता हूँ। बेचारी पहली बार मेरे ही साथ आई है तो इसको मर्दों को कैसे खुश करना है, यह सिखाना भी तो मेरा ही धर्म है", कहते हुए मैंने नाज मे मुँह में अपना लौडा घुसा दिया और कहा कि वो अब इसको चूस कर खड़ा करे। रंडी समझदार थी और वो सब समझ गई। चाचा भी अपना लण्ड बाहर निकाल लिए। काला, मोटा लन्ड अब नाज की चूत के पानी से सराबोर हो कर चमक रहा था और मुझे पता था कि कमरे की रोशनी में बाहर से उसकी बेटी और मेरी बहन दोनों अब चाचा का लन्ड खूब अच्छे से देख रही होगी। मैं अब नाज को साईड में खिसका कर बिस्तर पर स्वयं लेट गया और अपना फ़नफ़नाया हुआ लन्ड को जड से पकड़ कर एक खूटे की तरह खड़ा कर दिया। यह कहानी देसिबीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे ।
नाज को इशारा किया तो वो मेरे ऊपर आ कर अपने चूत को अपने हाथ से फ़ैला कर मेरे लन्ड पर बैठने लगी। जब मेरा लन्ड अच्छे से उसकी चूत में फ़िट हो गया तब मैंने चाचा को इशारा किया और चाचा उसकी गाँड चाटने लगे। चाचा को गाँड़ मारने का पुराना अनुभव था और वो जल्दी ही नाज की गाँड़ को ऊँगली कर-कर के और चाट-चाट कर तौयार कर लिये और फ़िर उसके उपर चढ़ कर अपना लन्ड नाज की गाँड़ में घुसाने लगे। यह कहानी देसिबीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे । हालाँकि मैंने नाज की गाँड़ मारी थी पर आज दूसरी बार गाँड़ मरवाते हुए नाज दर्द से बिलबिला उठी। मैंने नाज की चूत में अपना लन्ड फ़ँसा कर, उसकी कमर पर अपने हाथ लपेट कर एक तरह से उसको स्थिर कर दिया था और वो लाख कसमसाने के बाद भी मेरी गिरफ़्त से नहीं छूट पाई और चाचा उपर से उसकी गाँड में लन्ड ठेल दिए।
मैंने अब बाहर से देख रही दोनों लड़कियों को सुनाते हुए जोर से पूछा, "किला फ़तह हुआ क्या चाचा?" वो बोले, "हाँ... बहुत टाईट है इसकी.... लगता है कि इसकी गाँड़ नही मारी गई है।" मैंने कहा, "आपकी बेटी की गाँड भी अभी तक कोरी है चाचा... आप खोल लेना उसकी भी।" वो अब मस्ती में थी तो बोले, "और विभा की गाँड का क्या हाल है...?" मैंने कहा, "उसी से पूछ लीजिएगा अब... कोई पर्दा थोड़े ना है। अब इसकी गाँड़ मारिए उपर से मेरा लन्ड उसकी चूत में अपने धक्के के भरोसे ही रगड़ देगा"। अब सलीम चाचा ऊपर से उसकी गाँड़ मारने लगे और वो बेचारी बच्ची चीख रही थी पर रंडी को चोदते समय दया को की नहीं जाती है तो वो चीख रही थी और हम दोनों उसके बदन की दो सबसे प्राईवेट छेद का मजा लूट रहे थे। जल्दी ही वो अपने बदन को अब ढीला छोड़ दी और हम दोनों लगभग साथ-साथ ही झड़े और नाज की गाँड़ और चूत दोनों से हमारा सफ़ेद माल बह निकला जब हमारे लन्ड उन छेदों से बाहर निकले। मैंने अब उसके आँसू पोछे और फ़िर कहा, "सौरी यार.... पर अब जब तुम इस धन्धे में आई हो तो यह सब तो होगा। पर डरो मत जो दर्द था सो आज ही था अब कुछ खास परेशानी नहीं होगी, अगर रोज करोगी तो।" चाचा भी अब उसको पुचकार रहे थे और तब मैंने कहा, "चाचा अब कपड़े पहन कर बाहर चलिए, आपको अपने घर भी जाना है।" फ़िर नाज से कहा, "तुम भी अब निकलो बिस्तर से और नहा धो कर फ़्रेश हो लो, दोपहर में एक बार विभा को जरा ऊँगली कर देना... बेचारी तुम्हारे साथ यह सब देख कर तनाव में होगी तो उसके बदन का तनाव भी कम कर देना तुम ही"।
1 user likes this post1 user likes this post • dpmangla
सायरा और विभा तो कब का हमारा काम खत्म होते-होते वहाँ से निकल गई थी और अब हम दोनों मर्द भी बाहर आ गये। विभा बाहर के बरामदे में बैठी थी। हमें आते देख मुस्कुराई और चाचा को आँख मारते हुए पूछी, "कैसा टेस्ट था? मैं तो देख कर ही पनिया गई थी उसको।" चाचा नजरें झुका कर बोले, "ठीक था सब। गुड्डू के कारण आज यह सब मौका मिला वर्ना मुझे यह सब कहाँ नसीब था"। भैया बोले, "अरे चाचा... कोई नहीं। आगे भी अगर मैं कोई नयी जवान लड़की लाया तो आपको बुलाऊँगा। कुछ नहीं तो फ़िर यह विभा है ना, आपको ठन्डा कर देगी कभी-कभार। घर में जवान चूत हो तो ज्यादा परेशानी नहीं होती है, बस उनको थोडा लाईन पर लाना पडता है, बस लगे रहिए तो देर-सवेर घर की चूत आपको मौका दे ही देगी। उसको भी तो अपने चूत की गर्मी शान्त करने के लिए लन्ड चाहिए... तो फ़िर सबसे सुरक्षित तो घर का लन्ड ही है उनके लिए भी।" अब विभा बोली, "देख लीजिए अपनी सायरा को ही, कितना शानदार इंतजाम की है अपने घर में ही। यह कहानी देसिबीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे ।
मुझे तो सायरा को जमील को देख-देख कर कैसा-कैसा ना मन होने लगा था। बहुत मेहनत से खुद पर काबू पाई। इतना मस्त हो जाती है न सायरा भी जब जमील उसको घोड़ी बना कर पीछे से उसपर चढता है तो सायरा का चेहरा देखने लायक हो जाता है।" मैंने अब कहा, "विभा तुम एक बार मुझे भी दिखाओ न यह सब... तुम तो सिर्फ़ अपने सहेली के सीक्रेट को सीक्रेट बनाने में ही लगी रहती हो", फ़िर मैंने सलीम चाचा से कहा, "मुझे भी नहीं बताती पहले की कब सायरा और जमील घर आएँगे। हमेशा शाम में बताएगी कि आज वो दोनों आये थे।" विभा अब हँसते हुए बोली, "पहले एक बार जमील से अपना सेटींग तो कर लूँ, वर्ना कहीं वो आपके डर से भाग गया तब? बहुत अच्छे से वो चोदता है सायरा को, कभी सीधा तो कभी उलटा तो कभी गोदी में बिठा कर। उसको देख कर मेरा पानी निकल जाता है.... तो सोचिए जब वो मेरे अंदर डालेगा तो क्या मजा आयेगा। लेकिन बण्दे ने कभी मुझ पर लाईन नहीं मारी"। विभा बेशर्म रंडी की तरह यह सब अपने भाई और पड़ोसी चाचा के सामने बोल कर खिल्खिला कर हँस दी। फ़िर भीतर जाते हुए बोली, "अगली बार जब सायरा आयेगी तब पक्का बताउँगी"। सलीम चाचा अब थोडा हकलाते हुए पूछे, "कितनी बार आयी है सायरा यहाँ जमील के साथ?" विभा बोली, "पाँच बार, हर बार दो-तीन घन्टे दोनों रहते हैं रूम में"। मैंने जड दिया, "मतलब दो-तीन पानी पक्का चुदाती है, क्या?"
सलीम चाचा अब फ़िर पूछे, "पीछे भी डलवाती है? विभा बोली, "पीछे मतलब.... बताया ना वो घोड़ी बन कर खुब सवारी कराती है जमील को"। मैने बात साफ़ किया, "चाचा का मतलब था कि क्या सायरा गाँड़ भी मरवाती है जमील से? हा हा हा.... बेटी की गाँड का जिक्र करने में अभी भी चाचा की फ़ट रही है ही ही ही"। विभा भी हँस दी, और सलीम चाचा शर्मा गए। विभा बोली, "चाचा... आपनी बेटी चूत में लेते समय तो मस्त हो जाती है, मैं अभी तक उसको गाँड़ में डलवाते नहीं देखा है... क्या मालूम वो अपने गाँड का उद्घाटन आपसे करवाने के चक्कर में हो"। हम दोनों भाई-बहन जोर से हँस दिये और तभी चाचा पूछे, "और तुम विभा, तुम डलवाती हो अपने गाँड में?" विभा अब बिना हिचक बोली, "नहीं... पर एक बार भैया जबर्दस्ती घुसा दिये थे, बहुत दर्द हुआ था दो दिन तक"। यह कहानी देसिबीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे ।
तभी सामने से चाची हाथ से इशारा करते दिखी और सलीम चाचा अपने घर की तरफ़ चल दिये। विभा पीछे से बोली, "अगली बार सायरा आएगी तो आपको बूला कर दिखा दूँगी चाचा"। सलीम चाचा बिना कुछ कहे, सिर्फ़ अपना हाथ ऊपर करके हिला दिये, जिसमें सहमती थी, मतलब अब वो भी अपनी बेटी को चुदते देखना चाहता था।
मैं आज बहुत खुश था। सायरा अब अपने बाप को देख चुकी थी, तो अब उसको कम लाज लगना था। मैं उसके सामने नंगा हो कर लड़की चोद चूका था और सलीम को साफ़ कह चूका था कि वो अब विभा को चोद सकता है। दोपहर में मैंने नाज को सोने दिया और करीब चार बजे नाज जगी तो हमने साथ में चाय पी और फ़िर विभा बोली की सब्जी लाना है बाजर से तो मैंने कहा, "अब एक बार चोद लेता हूँ नाज को फ़िर ला दूँगा।" विभा ने मेरे होठ चूमे और फ़िर बाहर के कमरे में बैठ कर टीवी चला ली। मैंने हँसते हुए नाज को अपने बाँहों में जकड़ लिया और भीतर अपने बिस्तर पर ले चला। मैंने आज रात को टैब्लेट खा कर नाज को रगड कर चोदने का सोचा हुआ था तो अभी खुब प्यार से उसको सहलाते हुए गर्म कर रहा था। यह कहानी देसिबीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे ।
धीरे-धीरे मैंने उसके कपड़े उतार दिये और उसने मेरे और मैं अब उसकी गाँड की छेद चाटने लगा, तब बेचारी अपने अनुभव के हिसाब से बोली, "प्लीज... अब उसमें मत डालिए, बहुत दर्द होता है"। मैंने कहा, "ठीक है, पर सुबह एक बार और तुम गाँड मरवा लेना यहाँ से जाने से पहले। गाँड जितना खुल जाएगा उतना कम तकलीफ़ होगा और एक बात समझ लो... बडे चुदक्कड़ लडकी की गाँड जरूर मारते है। तुम तो मुसलमान हो। मुस्लिमों में तो गाँड़ मारना आम बात है... वहाँ तो लड़कों की भी गाँड मारी जाती है। तुम कैसे बच गई?" मैं अपने लन्ड से उसकी मुँह मार रहा था और वो अपना मुँह मरा रही थी। जल्दी ही मैंने उसको गर्म कर लिया और फ़िर उसको नीचे सीधा लिता कर उस पर चढ गया। तभी मुझे लगा कि सामने रूम के दरवाजे पर कोई है, दरवाजा को बन्द करने का कोई कारण था नहीं तो नीचे तक सिर्फ़ पर्दा था एक मोटा और मुझे लगा कि पर्दे के पीछे से कोई देख रहा है। मुझे विभा के बारे में पता था, पर सोचा कि उसको तो रूम में आकर देखना चाहिए, ऐसे बाहर वो क्यों छूप कर देखेगी। फ़िर दिमाग में आया कि शायद कोई और हो... शायद सायरा... और मेरा जोश दोगुना हो गया। मैं अब उछल-उछल कर नाज की चूत में लन्ड पेलने लगा... हुम्म्म हुउम्म्म हुउम्म्म हुम्म्म्म्म.... वो भी अब सिस्कियाँ लेने लगी थी... आअह्ह्ह्ह ईएस्स्स्स आइइएस्स्स्स...। हमारे गुप्तांगों ने अब चोदन राग बजाना शुरु कर दिया था... हच्च्च हच्च्च फ़च्च्च्च फ़च्च्च्च हच्च्च हच्च्च्च फ़च्च्च्च फ़च्च्च्च...। तभी मुझे बाहर से एक हल्की सी सिसकी की आवाज सुनाई दी, और मेरे दिमाग ने तुरंत उस आवाज की पहचान की। वह नूर की आवाज थी, सलीम चाचा की दूसरी बेटी और सायरा की छोटी बहन नूर। जैसे ही मुझे लगा कि बाहर नूर मुझे लड़की चोदते देख रही है, मेरा लन्ड एक जोरदार ठुनकी मार गया और मैं अपना पूरा आठ एंच का लन्ड बाहर निकाल कर नाज को जोर से कहा जिससे बाहर नूर भी सुन ले, "चल साली रंडी पलट और घोड़ी बन, अब तुझ पर सवारी करने का मन है। नाज भी पलट गयी और अपने घुटनों और हाथ के सहारे चौपाया बन गई। मैंने उसको बिस्तर पर खींच कर कुछ ऐसे ऐडजस्ट किया कि बाहर से देखने वाले को सब कुछ साफ़-साफ़ दिखे। फ़िर मैंने नाज के बालों को अपने हाथों से पकड़ कर उमेठा और फ़िर अपने दूसरे हाथ से अपने लन्ड को उसकी खुली हुई चूत की छेद से भिड़ा कर भीतर ठेल दिया। बाल के खींचने से नाज का लाल-भभूका चेहरा ऊपर उठ गया था और मैं एक बाल बोला, "चल मेरी घोड़ी टिक-टिक-टिक..." और फ़िर उसकी चुदाई शुरु कर दी। उसके मुँह से अब आह आह आह आह आह आह... मस्ती और दर्द (बाल खींचे जाने से) की मिली-जुली आवाज निकल रही थी और मैं दरवाजे की तरफ़ से जान-बूझ कर नजर फ़ेर कर लगातार उसको चोद रहा था। अचानक मुझे लगा कि बाहर कुछ आवाज सा हुआ और फ़िर कोई दौड़ कर भाग गया। मुझे लग गया कि नूर यह सब देखना ज्यादा बरदास्त नहीं कर पाई और झड गयी है। वैसे भी अभी वो यह सब सोची भी नहीं होगी। पर मैं खुश हुआ... इतना कि मैं उसी समय नाज की चूत के भीतर ही झड़ गया। हम अलग हो गये और फ़िर मैं अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गया।
बाहर कमरे में कोई नहीं था, पर विभा का कमरा भीतर से बन्द दिखा। मैं अब आराम से टीवी देखने लगा। नाज भी पीछे से एक नाईटी पहन कर मेरे दूसरी तरफ़ बैठ कर टीवी देखने लगी। पाँच मिनट बाद कमरे में विभा और नूर आईं और मुझे देख नूर थोडा सकपकाई। मैं नूर को देख कर पूछा, "अरे... कब आई तुम नूर...?" उसका चेहरा लाल था, "वो अपनी नजर दूसरी तरफ़ करते हुए बोली, "जी... अभी ही कुछ मिनट पहले"। विभा अब नूर का हाथ पकड़ कर सामने के सोफ़े पर बैठते हुए बोली, "असल में नूर को पानी पीना था तो भीतर किचेन की तरफ़ जाते हुए आपके रूम के सामने से गुजरी तो...। यह कहानी देसिबीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे ।
बेचारी के लिए यह सब नया था तो, कोई बात नहीं नूर... यही सब तो होता है बड़ा होने पर।" वो अब नूर का हाथ सहला रही थी। नूर की नजरें झुकी हुई थी और वो शर्मा रही थी। विभा ने तब आगे कहा, "बेचारी को सब समझाने के लिए मैं अपने साथ ले गई थी... इसको तो उँगली से खेलना भी नहीं आता है। मैं अभी सिखाई हूँ.... मजा आया था ना नूर???... बोलो शर्माओ मत..."। नूर ने अब हल्के से अपना सर हाँ में हिला दिया। नाज यह सब देख रही थी और मैं बोला, "देखो नाज को तुमसे एक साल बड़ी होगी.... और कैसे पूरा मजा लेती है। असल में ना नूर, जवान होने के बाद बदन में अजीब तनाव होता है, जिसके लिए सेक्स जरूरी है। इसीलिए तो माँ-बाप अपने बच्चों की शादी कर देते है कि वो आपस में सेक्स करें। इसमें शर्माने वाली बात कोई नहीं है।
1 user likes this post1 user likes this post • dpmangla
सब लोग सेक्स करते हैं.... तुम्हारे अब्बू तो अभी सुबह में ही आये थे नाज से सेक्स करके गये हैं... पूछ लो नाज से।" वो अब नजर उठा कर नाज को देखी तो मैने आगे कह दिया, "सायरा भी आती है यहाँ... जमील के साथ सेक्स करती है यहाँ, तुम्हारे घर पर हमेशा लोग रहते हैं न तो वो दोनों यहाँ आ जाते हैं सेक्स करने के लिए"। अब नाज के मुँह से पहली बार आवाज निकली, "सायरा आपा और जमील भाईजान.... दोनों ऐसे कितने खामोश रहते हैं"। विभा ने बात संभाली, "तुम यह सब बताना नहीं किसी को, चाची या चाचा को भी नहीं और ना ही सायरा या जमील को... उन्हें बूरा लगेगा"। नूर के चेहरे का रंग पल-पल बदल रहा था। विभा आगे बोली, "और तुम तो खुद महसूस की ना कि हमारे उस अंग में कैसा मजा है... एकदम से अलग तरह का मजा, वो भी तब जब मैं हल्के से तुमसे खेली तो... और जब कोई लडका तुम्हारे उस अंग से खेलेगा ना तो यही मजा सौ गुना ज्यादा हो जाएगा... अपने बदन पर तुम्हारा कोई कंट्रोल ही नहीं रह पाएगा"। नूर यह सब ध्यान से सुन रही थी और हल्के-हल्के अपना सर हिला रही थी। विभा अब आगे बोली, "यह मजा ही है जो मुझे भी भैया के बिस्तर पर ले जाता है, कसम से जिस रात उनके साथ सो लेती हूँ, गजब की नींद आती है। सुबह लगेगा कि मन एक दम से हल्का हो गया है।
" वो अब विभा को देख कर बोली, "गुड्डू भैया यह सब कैसे कर लेते हैं आपके साथ..., मुझे तो यह सब सोच कर ही अजीब लग रहा है"। विभा अब मुस्कुराई, और मैं भी समझ गया कि अब नूर भी यह राज अपने तक ही रखेगी। विभा बोली, "तुम अभी बच्ची हो न इसीलिए ऐसे सोच रही हो, अभी ठीक से खेली नहीं हो न अपने बदन से। अब रोज दो-चार बार ऊँगली से खेलो, अपने तुम्हें भी पता चलेगा कि कैसे इसमें मजा आता है। बचपन में हम लोग भी तुम्हारी तरह सी सोचते थे, पर जैसे-जैसे अपने बदन से खेलना शुरु किये... सब तरह का मजा मिलने लगा और फ़िर यह तो नशा जैसा है, और ज्यादा-और ज्यादा के चक्कर में लडका लडकी को खोजता है, और लड़की लड़के को। तो जब मैं भी लड़के से खेलने लगी तब से भैया के साथ भी कर लेती हूँ यह सब। भैया भी देख लो... नाज को पैसा देकर लाये हैं अपने मजे के लिए, और फ़िर चाचा सुबह आये तो वो भी यह सुन कर नाज के साथ एक बार कर लिये सुबह-सुबह हीं"। नूर अब पूछी, "मैं खेलती तो हूँ, पर फ़िर भी.... अब्बू आपके साथ भी करते हैं?" विभा बोली, "नहीं..., वो अभी तक कभी ना बोले, और न हीं मैंने उनको कहा है।
पर क्या फ़र्क पडता है... उस छेद को अगर अलग किसी के स्वाद का मजा लेने का मन हो गया तो शायद हो जाए चाचा के साथ भी"। नूर अब थोड़ा नौर्मल दिखी, तो मैं बोला, "मैं सब्जी ले कर आता हूँ विभा..., चलो नूर तुमको घर पर छोड़ दूँगा"। नूर भी मेरे साथ ही निकल ली और मैं अपने गेट से बाहर निकलते हुए नूर को कहा, "तुम अब से रोज जब मौका मिले अपने ऊँगली से सहलाओ और एक ऊँगली को धीरे-धीरे घुसाओ भीतर। न हो तो कभी अकेले में विभा दीदी के पास आ जाना, वो तुमको सब सिखा देगी अच्छे से।" नूर बस एक बार "हूँ..." की और चुप हो गई। मैंने आगे कहा, "जब आराम से एक ऊँगली भीतर जाने लग जाए तब समझना कि तुम किसी लडके के साथ खेलने के लायक बडी हो गयी हो। अभी तो तुम्हारी छेद इतनी छोटी होगी कि किसी मर्द का तुम भीतर डलवा भी नहीं सकोगी... और जबर्दस्ती डलवा भी ली तो मजा से ज्यादा दर्द से डर कर फ़िर यह करने की हिम्मत भी नहीं कर पाओगी"। वो फ़िर से "हूँ..." की और बोली, "एक ऊँगली तो दाल लेती हूँ भीतर पर दर्द होता है तो ज्यादा नहीं करती हूँ। ठीक है अब से ज्यादा करूँगी" तब तक उसका घर आ गया तो वो "बाय गुड्डू भैया" बोल कर अपने गेट के अंदर चली गयी।
मैं सब्जी ले कर करीब ४० मिनट बाद घर आया तो देखा कि विभा और नाज दोनों किचेन में है। नाज आटा गूँथ रही थी और विभा खीर पका रही थी। विभा बोली, "आज तो भैया आपकी लौटरी निकल गयी है। सायरा तो सायरा.... अब तो नूर भी लाईन में है। नाज भी आपके लक को सलाम कर रही थी"। नाज मुझे देख कर मुस्कुराई। मैंने कहा, "माँ कसम विभा... सच में... यह नूर को तो जैसे उसके खुदा ने ही आज भेज दिया, वो भी ऐसे टाइम में जब में नाज की भीतर घचपच-घचपच कर रहा था"। विभा बोली, "उसी आवाज के चक्कर में तो वो हल्के से झाँकी जा कर, फ़िर मैंने भी उसको रोका नहीं। बेचारी पाँच मिनट में ही थडथड़ाते हुए वहाँ से भागती हुई आई... अपने दोनों हाथ से अपने बुर को दबाकर... बोली कि कैसा ना अजीब लग रहा है यहाँ नीचे। मैं ही उसको ले गयी अपके रूम में और जब तक कि वो सलवार-पैण्टी उतारती बेचारी का पानी छूट गया। इसके बाद मैंने उसकी बुर के ऊपर के दाने को सहला कर उसको बताया कि ऐसे किया करो जिससे तुम्हारे बदन को कुछ सहने की आदत पडे।" मैं अवाक था यह सब सुनकर, बस यही मुँह से निकला, "अच्छा..."।
विभा आगे बोली, "बेचारी... सच में एकदम से नादान है, वो तो अपना छूने भी नहीं दी ठीक से तो मैंने अपनी चूत में ऊँगली डाल कर उसको दिखाया कि ऐसे करते है तब मजा आता है। अब देखिए... आगे वो क्या करती है। मैंने कहा है कि वो कभी दोपहर में एक-दो घन्टे के लिए आये तो मैं उसको सब समझा दूँगी।" मेरा दिमाग तो नूर की पैन्टी के बारे में सोच रहा था। मैंने विभा से पूछा, "नूर अपना पैन्टी ले गयी कैसे? वो तो खाली हाथ गयी है यहाँ से।" विभा हँस दी, मेरे चेहरे को अपने हाथों से पकड़ कर मुझे चूमा और बोली "अरे मेरे प्यारे बहनचोद भैया... उसकी पैन्टी मेरे बेड पर है, इतना गीला है कि जैसे उसमें वो पेशाब कर दी हो... सुँघना है क्या मेरे इस कुत्ते को..."। मैं बोल पड़ा, "अरे यार, उस बच्ची की चूत से निकला पेशाब भी एक बोतल व्हिस्की का नशा देगा। नयी-नवेली जवान हो रही बुर है अभी उसकी... कायदे से झाँट भी नहीं हुआ होगा अभी उसको"। मैं अब चट से विभा के कमरे में गया और वहाँ से ८० साईज की मैरून रंग की सौफ़्टलाईन पैन्टी को चूसते हुए किचेन में आया और बोला, "नहीं यह पेशाब नहीं है, यह सच में उसके चूत का रस है... खट्टा-खट्टा सा है। ओह लन्ड कडक हो गया मेरा। अब विभा बोली, "तो एक बार मुझे चोद दीजिए न... आज तो सुबह से मैं यही सब देख रही हूँ, पर अभी तक लन्ड की मालिश नहीं हो पाई है। रात में तो आप फ़िर से पक्का नाज को ही ठोकिएगा... तो अभी कम-से-कम एक बार मेरी गर्मी शान्त कर दीजिए न प्लीज"। विभा जैसे अब गिड़गिड़ा उठी।
मुझे भी याद आया कि आज सुबह से वो तीन बार चुदाई देखी पर एक बार भी नहीं चूदी है, तो मुझे अपनी बहन पर दया आई और मैं बोला, "ठीक से चलो बिस्तर पर"। विभा वहीं अपना नाईटी उतार दी और बोली, "आज किचेन में चोद दीजिए, अग्नि देव के सामने"। मैं भी अपना लोअर नीचे करते हुए नाज से बोला, "देख लो मेरी बहन को... तुमसे बड़ी रंडी है। लोग अग्नि से सामने शादी करते हैं और यह है कि सुहागरात मनाएगी और वह भी अपने भैया के संग।" मेरे लन्ड को ठुनकते देख कर नाज मुस्कुरा दी। उसको ऐसे मुस्कुराते देख कर मैं बोला, "अभी मुस्कुरा लो... रात को तुमको ही रगड कर जब चोदूँगा तो माँ और नानी दोनों साथ में याद आ जाएगी साली।" विभा किचेन टौप के सहारे झुकते हुए बोली, "चल आओ रे मादरचोद.... अपनी बहन की चूत का भोंसड़ा बनाओ पहले तब रंडी चोदना साले हरामी"। विभा आज पहली बर ऐसे शब्दों से शुरु की थी तो मैंने भी जोश में उसको पकड़ा और एक धक्के में उसकी चूत में अपना लन्ड घुसा दिया, "साली छिनाल... भाई के लन्ड का भी ख्याल नहीं है हरामजादी... अब अगर चुप नहीं हुई तो अभी के अभी गाँड फ़ाड़ दूँगा हरामजादी कुतिया" और मैंने अपना लन्ड चार धक्के के बाद ही बाहर खींच लिया और उसको विभा की गाँड पर सटाया ही था कि बेचारी की बोली बदल गई...."ओह भैया प्लीज... वहाँ नहीं.... अब कभी गाली नहीं दूँगी आपको...प्लीज मेरी गाँड को नहीं। मैं चूत दे रही हूँ ना आपको, जितना मन उतना चोद लीजिए", उसकी आवाज भर्रा गई थी तो मुझे दया आ गया।
आखिर में तो वो मेरी छॊटी बहन ही थी। मैं एक बार फ़िर से उसकी चूत में लन्ड डाल कर उसको आराम-आराम से चोदने लगा। नाज सामने खड़ी हो कर सब देख रही थी। सोच रही होगी कि ये कैसे भाई-बहन हैं.... पर क्या फ़र्क पडता है, लन्ड और चूत ही तो आपस में प्यार करते हैं, भाई-बहन थोडे ना थे हम उस समय। थोडी देर में विभा बोली, "भैया आज बाहर निकाल लीजिएगा, अभी पीरीयड हुए आठ दिन हो गया है और मैं इस महिने कोई दवा नहीं ली हूँ"। मैंने कहा, "ठीक है’ और फ़िर जोर-जोर से धक्के देते हुए उसको चोदने लगा और फ़िर उसकी कमर को अपने गिरफ़्त में जकड कर अपना लन्ड का सारा पानी उसकी चूत के भीतर ही निकाल दिया। विभा के चेहरे पर अब चिन्ता झलकने लगी थी, "भैया अगर बच्चा ठहर गया तो...?" मैंने बिना चिन्तित हुए कहा, "अगर बेटी हुई तो मजा आएगा, जब तक चुदाने लायक नहीं होगी तब तक कम-से-कम उसकी बुर चाट कर मजा लेंगे।" विभा भी मेरी शरारत में शामिल हुई, "मतलब बहनचोद के बाद बेटीचोद भी बनना है आपको..."। विभा अब अपना नाईटी पहनते हुए बोली, "देख लो नाज मेरे भैया का हाल... अपनी बहन को चोद कर बेटी पैदा करने के बाद उसके साथ मजे करने का इरादा है।" मैंने भी कहा, "हाँ... तभी तो घर का सब तरह का स्वाद मिलेगा"। नाज मुस्कुरा कर बोली, "आप अपनी माँ भी चोदे थे क्या?" विभा मेरा लन्ड चाट कर साफ़ कर रही थी तब। मैं अब नाज से बोला, "माँ की चूत फ़ाड कर ही तो मैं निकला हूँ। सबसे पहले मैंने ही अपनी माँ की चूत खोल कर रास्ता बनाया तब जा कर मेरी तीनों बहनें आसानी से पैदा हुई और मुझसे चूदी। लेकिन तू हमेशा मना कि तुझको सिर्फ़ और सिर्फ़ बेटियाँ ही पैदा हों, बुढ़ापे में उन्हीं सब की चूत की कमाई से सहारे ही तो रहना होगा तुम्हे अब मेरी रंडी कुतिया"। नाज अब ऐसी कडवी सच्चाई सुन कर चुप हो गई और मुझे भी उसपर दया आई कि सच में एक बार जब लडकी बाजार में आकर पैसे ले कर मर्दों से चुदाने लगती है तो कैसे ये ही मर्द उसको जलील करते हैं। मैं भैया से बोली, "भैया... अब बस भी कीजिए, बेचारी को ऐसे क्यों बोल रहे हैं? कल को कोई अगर मुझे ऐसे कुछ बोलेगा तो आपको कैसा लगेगा।" भैया सब समझ कर वहाँ से नंगे ही चले गए और मैंने नाज के देखा तो वो बोली, "मुझे यह सब पता है दीदी, कोई बात नहीं। मैं यह सब समझ-बूझ कर ही इस लाईन में आयी हूँ और अब मुझे इसी में नाम कमाना है। मेरी जो दीदी जी मुझे यहाँ लाई हैं वो मुझे सब बताई है और यह भी कि अब एक सुई लेने के बाद तीन महिने तक निश्चिन्त हो कर मैं सेक्स कर सकती हूँ और मेरा बच्चा नहीं ठहरेगा। आपके भैया कल पैसा देंगे ना तो मैं लगवा लूँगी वो सुई... थोडा मँहगा है वो।"
1 user likes this post1 user likes this post • dpmangla