अपने बेटे से चुदवा कर एक अलग ही नूर आ गया था उसके चेहरे पर , जिस्म भी और ज्यादा खूबसूरत लग रहा था उस गीली मिटटी से सन कर
कुछ देर बाद वो दोनो उठे और अपने -2 कपड़े समेट कर टूयुबवेल वाले कमरे की तरफ चल दिए....
मिट्टी से सने दोनो की हालत देखने लायक थी, आधे अधूरे कपड़े और अर्धनग्न जिस्मो के साथ वो उस कमरे में दाखिल हुए जहाँ एक पानी की होदी में ताज़ा ठंडा पानी लबालब भरा हुआ था....
दोनो ने एक दूसरे की आँखो में देखा और मुस्कुराते हुए दोनो एक साथ पानी में उतर गये....असली मज़ा तो यहाँ मिलने वाला था.
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अबआगे
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ट्यूबवेल वाले कमरे में पहुँचकर नंदू ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया...
गोरी इस वक़्त पूरी नंगी थी, उसके बदन पर कीचड़ लगा हुआ था जिसने उसके यौवन को ढक रखा था पर अब उसे सॉफ करने का वक़्त आ चुका था...
नंदू ने पानी की एक डब्बा भरकर अपनी माँ के सिर पर डाला और सारी मिट्टी पानी के साथ बहकर नीचे आने लगी और गोरी का गोरा बदन धीरे-2 करके सामने आने लगा.
और कुछ ही देर में गोरी एक बार फिर से अपने नंगे बदन का जलवा बिखेरती हुई अपने बेटे के सामने खड़ी थी...
फ़र्क बस इतना था की इस बार नंदू छुपकर नही बल्कि अपनी माँ के सामने खड़े होकर उन्हे देख रहा था..
एक दम गोरा चिट्टा बदन था उनका...
उन्हे छूने से पहले उसने भी अपने उपर 2-4 डिब्बे डाले और अपना बदन सॉफ कर लिया...
गोरी भी अपने बेटे के काले लंड को देखकर मंत्रमुग्ध सी हो गयी...चमकने के बाद तो वो और भी ज़्यादा लुभावना लग रहा था...
हालाँकि वो अभी सुस्ता रहा था पर उस अवस्था में भी वो देखने लायक था.
दोनो एक दूसरे के करीब आये और पागलों की तरह एक दूसरे पर टूट पड़े...
जो चुम्मियाँ वो पहले कीचड़ की वजह से नही ले पाए थे, वो उन्होने ले डाली...
जो चूसना चुभलाना वो बाहर नही कर पाए थे वो अंदर करने लगे...
नंदू ने तो अपनी माँ के रसीले होंठो को चूसने के बाद सबसे पहले उनके मोटे कलश जैसे मुम्मो को पकड़ा और उन्हे अपने मुँह में लेकर निचोड़ डाला...
''आआआआआआआआआआआआहह........सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... मररर्र्र्र्र्र्ररर गयी रे........ उम्म्म्ममममममममममममम..... आज बरसों बाद तेरे इन शरारती दांतो का एहसास फिर से मिला है....अहह...बचपन में भी तू इन्हे ऐसे ही काट-काटकर चूसा करता था...''
अपने बचपन की शरारतों का बखान सुनकर नंदू और भी ज़्यादा उत्तेजित होकर अपनी माँ की छातियों को चूसने लगा...
ऐसा लग रहा था जैसे उस सूखे रेगिस्तान से वो दूध की नहर निकालकर ही रहेगा आज...
दोनो मुम्मों को अच्छी तरह से चूसने के बाद उसने अपने आप को लंड समेत अपनी माँ के हवाले कर दिया....
गोरी तो इसी पल की प्रतीक्षा में थी की कब नंदू उसे छोड़े और कब वो उसे पकड़े...
उसे क्या उसके लॅंड को पकड़े.
और जैसे ही नंदू पीछे हटा, वो उसकी चौड़ी छाती चूमती हुई नीचे बैठ गयी और उसके लंड को अपने हाथो से पकड़ कर ऐसे खुश हुई जैसे पहली बार वो नंदू के पैदा होने के बाद उसे पकड़कर खुश हुई थी...
उस वक़्त का नंदू तो उसके दोनो हाथो में नन्हा सा लग रहा था ..पर आज नंदू का लंड भी उसके हाथ में इतना बड़ा लग रहा था.
कुछ देर तक तो वो उस सुंदर से लंड को निहारती रही और फिर धीरे से अपनी प्यासी जीभ उसपर रखकर उसने लंड से निकल रहे पानी को चाटना शुरू कर दिया...
नंदू की सिसकारियाँ उस कमरे में गूंजने लगी जब उसकी माँ ने लंड के छेद में अपनी जीभ फँसा कर वहां से हो रही लीकेज रोकने की नाकाम कोशिश की....
नंदू से अब रहा नही जा रहा था , उसने अपनी माँ के बालों को किसी रंडी की तरह पकड़ा और अपने लंड को उनके मुँह में ठूसकर जोरों से चोदने लगा...
गोरी ने भी अपनी झूल रही छातियों पर लगे नन्हे निप्पलों को उमेठकर उस लंड का स्वाद लेना शुरू कर दिया,
ऐसा मज़ा तो उसे लाला के अलावा आज तक किसी और ने नही दिया था...
अब तो उसने मान ही लिया की उसका बेटा भी लाला की टक्कर का ही है और ये बात कन्फर्म करने के लिए उसने नंदू के लंड के नीचे लटक रही बॉल्स को भी मुँह में लेकर चूसा, उनका स्वाद भी एकदम झक्कास था...
ऐसे लंड से रोजाना चुदने की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत का पानी नीचे की ज़मीन को और गीला करने लगा...
अब तो उससे सब्र नही हो रहा था,
वो जल्द से जल्द उस लंड को एक बार फिर से अपनी चूत में भर लेना चाहती थी...
जैसे बरसों की प्यास वो आज ही बुझा लेना चाहती हो.
उसने तुरंत कोने में पड़ी खाट को बिछाया और उसपर चादर डाल कर लेट गयी....
और नंदू को इशारा करके उसने अपनी खुली हुई टाँगो के बीच आने का निमंत्रण दिया जिसके लिए वो पहले से ही तैयार था...
उसने एक बार फिर से अपनी माँ की उस गीली और रसीली चूत पर अपने लंड का ढक्कन फँसाया और उसपर लेटता चला गया....
एक साथ 2 बार चर्र की आवाज़ें आई,
एक खटिया के चरमराने की और एक उसकी माँ के मिमियाने की...
मिमियाती भी क्यो नही, इस बार लंड उपर से जो अंदर की तरफ गया था,
एक एक इंच करता हुआ,
चूत की दीवारों की रगड़ाई करता हुआ,
उसे रोंद्ता हुआ वो गुफा के उस कोने तक गया जहाँ आज तक सिर्फ़ लाला के लंड का ही झंडा लहराया था...
''ओह...........मजाआाआआअ आआआआआआआआ गय्ाआआआआआआअ रे नंदू....................उम्म्म्मममममममममममम....... क्या कड़क लंड है रे तेरा.......कसम से........
आज मुझे खुद पर फक्र हो रहा है.... ऐसे दमदार लंड का मालिक मेरा बेटा है.....अहह...और वो बेटा आज मुझे चोद भी रहा है.... उम्म्म्मममममममममममम.....
शाबाश मेरे लाल......आज अपनी माँ को दिखा दे.....उसके दूध की ताक़त.....कितना दम है तेरे अंदर.......और ....बु ....बुझा दे...मेरे अंदर की सारी प्यास....जो बरसों से अधूरी सी है.....''
अपनी माँ के इन शब्दों को सुनकर नंदू पर तो जैसे कोई भूत सवार हो गया....
उसने दोनो टाँगो को फेलाकर जितना हो सकता था अपने लंड को अंदर तक धकेला और फिर बाहर खींचा....
और ऐसा उसने हर बार किया....
हर झटके से गोरी की चूत से एक सुरसुराहट निकलकर उसके पूरे शरीर में फैल जाती और उसे अपने ऑर्गॅज़म के और करीब ले जाती...
और जल्द ही एक बार फिर से उन दोनो के झड़ने का मौका करीब आ गया....
और इस बार जब वो दोनो झड़े तो उनके मुँह से अजीब भाषाओं में ऐसे शब्द निकलने शुरू हुए जिनका मतलब समझने के लिए विदेशो से विद्वानों को बुलवाना पड़ता....
शब्द चाहे जो भी थे पर उनका अर्थ एक ही था की इस वक़्त दोनो को मज़ा बहुत आ रहा था...
नंदू ने गोरी की जाँघो को दबोच रखा था और उसे हुमच-2 कर चोद रहा था...
बेटे के लंड की हर टक्कर अपनी चूत पर पड़ने के बाद वो असीम आनंद से बिलबिला उठती और एक बार फिर से अपने एक नये ओर्गास्म की तरफ बढ़ चली वो...
औरतों का शरीर ऐसा बनाया है उपर वाले ने की उन्हे चाहे जीतने भी लंड खिला दो, हर बार उन्हे अलग ही तरह का मज़ा मिलता है....
और यही हो रहा था गोरी के साथ भी...
कुछ देर पहले ही चुदाई करवाकर आई थी वो लंड से और एक बार फिर से उसी लंड को अंदर लेकर ऐसे मचल रही थी जैसे आज की तारीख में पहली बार चुदाई हो रही थी उसकी..
जल्द ही उसकी चूत के दाने से रगड़ खाकर जाते लंड ने उसे झड़ने के और करीब ला दिया....और वो फिर से एक बार अपने चिर परिचित अंदाज में, चिल्लाते हुए, मचलते हुए, झड़ने लगी..
''आआआआआआआआहह ......मज़ा आआआअ गय्ाआआआआआआअ रे........ उम्म्म्मममममममममममममम......... सच में ........लंड से मजेदार कोई चीज़ नही होती.....''
नंदू अपनी माँ के उपर झुका और उसे चूमते हुए बोला : ''और ख़ासकर तब, जब लंड अपने ही बेटे का हो.....''
गोरी भी मुस्कुराती हुई उसे चूमकर बोली : "सही कहा....''
और दोनो एक गहरी स्मूच में डूबते चले गये....
गोरी तो झड़ चुकी थी पर नंदू अभी बाकी था...इसलिए अपनी माँ को चूमते हुए वो धीरे-2 अपनी कमर भी मटका रहा था ताकि उसके लंड का कड़कपन बना रहे...
कुछ देर बार उसने किस्स तोड़ी और अपना लंड निकाल कर माँ को घोड़ी बनने को कहा...
गोरी भी मंद-2 मुस्कुराती हुई अपने घुटनो पर ओंधी लेटकर अपनी गांड को हवा में निकाल कर लेट गयी और धीरे से बोली : 'साले मर्द...इन्हे घोड़ी बनाने का सबसे ज़्यादा शौक होता है...''
और हो भी क्यो नही....
इस पोज़िशन में लंड भी उनका सीधा अंदर जाता है और मसलने के लिए नर्म कूल्हे भी मिलते है...
बस, नंदू ने अपना पाइप अपनी माँ की चूत में फिट किया और एक बार फिर से एक अनंत और कभी ना ख़त्म होने वाली डगर पर चल दिया...
और करीब 10 मिनट बाद, जब उसके लंड की घिसाई से उसकी माँ की चूत की झाग तक निकल आई, तब आकर वो झड़ा
''आआआआआआआआआआआआहह ओह माआआआआआआआआ... मैं आआआआआआय्ाआआआआअ''
और वो बेचारी तो ये भी नही बोल पाई की आजा मेरे लाल.....
क्योंकि उसकी हालत ही ऐसी हो चुकी थी
अपनी जांघ पर पड़ रहे धक्को को महसूस करके ...जैसे कोई मशीन ने उसे अंदर तक चोद कर रख दिया हो.
उसके बाद नंदू निढाल सा होकर अपनी माँ के उपर गिर पड़ा...
दोनो का पसीने से तर-बतर शरीर उन्हे पानी में जाने का न्योता दे रहा था, जिसे उन्होने ठुकराया नही...
और कुछ ही देर में दोनो माँ बेटा उस पानी से भरी होदी में एक दूसरे के साथ अठखेलियां करते हुए अपने जिस्म को तरोताजा करने में लग गये..
अब खेतो में आकर तो उनका ये रोज का नियम बनने वाला था, परेशानी थी तो बस घर की और निशि की, जिससे बचकर उन्हे अपने इस नये रिश्ते को सही मायनों में एंजाय करना था..
उन्हे निशि की फ़िक्र हो रही थी और निशि को इस वक़्त अपनी परम सखी पिंकी की चुदाई की चिंता थी, जिसे लाला ने अगले दिन करने का वादा किया था....
और उसे लेकर वो इतनी ज़्यादा उत्साहित थी की अपने और नंदू के बारे में भूल ही चुकी थी,
क्योंकि एक बार चुदने के बाद पिंकी भी उसके साथ उस खेल में आने वाली थी और जितना वो पिंकी को जानती थी, उसे पक्का विश्वास था की पिंकी उससे आगे निकलकर कुछ ऐसा करेगी जिससे उसे कुछ और नया सीखने को मिलेगा...
इसलिए उसे और साथ ही पिंकी को अब कल का इंतजार था, क्योंकि लाला को अब पिंकी की चुदाई करनी थी,
अब खेतो में आकर तो उनका ये रोज का नियम बनने वाला था, परेशानी थी तो बस घर की और निशि की, जिससे बचकर उन्हे अपने इस नये रिश्ते को सही मायनों में एंजाय करना था..
उन्हे निशि की फ़िक्र हो रही थी और निशि को इस वक़्त अपनी परम सखी पिंकी की चुदाई की चिंता थी, जिसे लाला ने अगले दिन करने का वादा किया था....
और उसे लेकर वो इतनी ज़्यादा उत्साहित थी की अपने और नंदू के बारे में भूल ही चुकी थी, क्योंकि एक बार चुदने के बाद पिंकी भी उसके साथ उस खेल में आने वाली थी,
और जितना वो पिंकी को जानती थी, उसे पक्का विश्वास था की पिंकी उससे आगे निकलकर कुछ ऐसा करेगी जिससे उसे कुछ और नया सीखने को मिलेगा...
इसलिए उसे और साथ ही पिंकी को अब कल का इंतजार था, क्योंकि लाला को अब पिंकी की चुदाई करनी थी,
और वो कैसे करेगा, ये भी देखने वाली बात थी.
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अबआगे
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इधर निशी और पिंकी वो सब सोच-2 सोचकर पुलकित हुए जा रहे थे की लाला कैसे चुदाई करेगा पिंकी की, और उधर लाला का दिमाग़ भी इसी तरफ लगा हुआ था...
हालाँकि लाला ने पिंकी के नंगे शरीर को अच्छे से चूसकर, उसकी चूत का रस भी पिया था,
शरीर तो उसका मस्त था ही, उसकी चूत के पानी में भी एक अलग ही तरह की खटास थी, जिसे दोबारा अपनी जीभ पर महसूस करने की कल्पना मात्र से ही लाला का लंड अकड़ कर दर्द करने लगा..
उसके मन में भी तरह-2 के प्लान बने जा रहे थे...
उसे पता तो था की उसका दोस्त रामलाल भी इस कुँवारी चूत को फाड़कर काफ़ी खुश होगा,
पर फिर भी उसकी शक्ति को दुगना करने के लिए उसने सोने से पहले अपने दोस्त की दी हुई उस जादुई पूडिया को भी दूध में डालकर पी लिया जिसके बाद कोई भी लंड पलंगतोड़ चुदाई करता है...
लाला का लंड तो पहले से ही सुपर था, उपर से इस आयुर्वेदिक दवाई ने तो पिंकी की चीखे निकलवा देनी थी..
लाला ने शायद ये पूडिया इसी ख़ास मौके के लिए रखी हुई थी.
इन सबके बीच लाला का दिमाग़ पिंकी को चोदने की जगह को लेकर भी चिंतित था...
क्योंकि वो इस हसीना का शिकार अपने उस अंधेरे और सीलन से भरे गोदाम में नही करना चाहता था...
उसके कमरे में रखा पलंग भी चरमराया हुआ सा था, जिसपर लिटाकर उसने अगर 4 धक्के भी तबीयत से मार दिए तो वो टूटकर गिर पड़ना था..
इसलिए वो किसी ऐसी जगह के बारे में सोचने लगा जहाँ वो पिंकी के शरीर को अच्छे से देखकर एंजाय भी कर पाए और माहौल भी ऐसा हो की एक के बाद दूसरी और तीसरी चुदाई के लिए भी वो खुद ही लाला से कहे...
और करीब 1 घंटे तक सोचते रहने के बाद लाला को अपने आम का बगीचा ही इस कार्यकर्म के लिए सही लगा....
एक तो वो गाँव से बाहर की तरफ था, वहां गाँव के किसी भी व्यक्ति के आने का प्रश्न ही नही था,
उपर से घने पेड़ो की छाव तले , दिन के समय इतना सुहाना मौसम रहता है की सिर्फ़ पत्तो के लहराने और पंछियो के चहचहाने की आवाज़ें ही आती है....
बाग में ही लाला का एक छोटा सा कमरा भी था,जहाँ अक्सर वो आम की फसल के दिनों में सो जाया करता था...और उसके साथ ही एक बड़ा सा गढ्ढा़ खोदकर पानी भरकर एक तालाब भी बना रखा था लाला ने, जहाँ वो अक्सर नहा भी लिया करता था....
एक तरह से देखा जाए तो पिंकी की चुदाई के लिए वो सबसे उपयुक्त स्थान था.
ये सब योजना बनाते-2 कब उसकी आँख लग गयी, उसे भी पता नही चला..
उधर निशि भी रात को जब घर पहुंची तो वो पिंकी की चुदाई के बारे में सोचकर इतनी उत्साहित थी की वो सीधा अपने कमरे में जाकर सो गयी...
आज की रात उसे अपने भाई नंदू की भी ज़रूरत महसूस नही हुई, शायद अगले दिन लाला और पिंकी की चुदाई के बाद वो अपना भी कुछ भला देख रही थी ...
वैसे भी अच्छा ही हुआ क्योंकि नंदू भी आज खेतो में अपनी माँ को पेलने के बाद घोड़े बेचकर सो रहा था...
अगला दिन सबके लिए बहुत ख़ास था...
लाला को नयी चूत मिलने वाली थी,
रामलाल भी ताज़ा खून चखने वाला था...
निशि भी अपनी दोस्त के लिए काफ़ी खुश थी की अब वो भी उसी की केटेगरी में आकर चुदाई करवाया करेगी....और सबसे ज़्यादा पिंकी खुश थी...
क्योंकि आज वो कली से फूल बनने वाली थी, आज तक उसने सिर्फ़ इस कहावत के बारे में सुना ही था, पर आज जब खुद पर वो बीतने वाली थी तो उसे एहसास हो रहा था की ये पल कितना ख़ास है..
पिंकी सुबह जल्दी उठकर अपने आपको संवारने के काम में लग गयी....
सबसे पहले तो बाथरूम में जाकर उसने सारे अनचाहे बाल निकाले,
फिर साबुन से रगड़ -2 कर खूब नहाई...
चूत के अंदर उंगली डालकर अंदर से उसे भी खंगाला ताकि लाला को कोई शिकायत का मौका ना मिले..
और जब नहा धोकर वो नंगी ही बाहर निकली तो उसकी माँ उसे देखकर चिल्लाई
''अररी बेशरम, अब तू जवान हो गयी है, कुछ तो शरम किया कर, ऐसे नंग धड़ंग ही बाहर निकल आई है..''
पिंकी : "अर्रे माँ , ये जवानी होती ही दिखाने के लिए है, इसे छुपाकर रखूँगी तो मेरा उद्धार कैसे होगा...''
अपनी बेटी की बाते सुनकर वो मुस्कुरा दी...
वैसे भी जब से लाला ने उसे पिंकी के सामने चोदा था, तब से सीमा को अपनी बेटी की ऐसी बातों पर गुस्सा नहीं आता था, बल्कि सैक्स से जुड़ी ऐसी हर बात रोमांचित कर जाती थी...
जानती तो वो थी की अभी अक पिंकी कुँवारी है, पर उसके रंग ढंग देखकर उसे पक्का यकीन था की अब वो कुँवारापन ज़्यादा दिनों तक सुरक्षित रहेगा नही...
वैसे भी उसकी उम्र तक तो वो खुद 2 लोगो से चुदवा चुकी थी, पता नही पिंकी अभी तक कैसे कुँवारी घूम रही है...
खैर, वो उसकी बातो में ज़्यादा दखल नही देना चाहती थी इसलिए उसे तैयार होता छोड़कर वो अपने काम में लग गयी..
पिंकी ने अपनी मनपसंद ब्रा पेंटी का सेट पहना जिसमें वो बहुत सैक्सी लगती थी, पर बेचारी ये नही जानती थी की लाला के सामने पहुँचकर उसके कैसे चीथडे़ उड़ने वाले है...
उपर से उसने एक लंबी सी फ्रॉक पहन ली और बाल बनाकर वो निशि के घर की तरफ चल दी...
निशि पहले से ही उसका इंतजार कर रही थी, उसका भाई और माँ तो सुबह ही खेतो की तरफ जा चुके थे, इसलिए दोनो जल्दी से लाला की दुकान पर पहुँच गये...
पर वहां जाकर देखा की लाला की दुकान तो बंद है...
पिंकी का तो दिल ही बैठ गया ये देखकर, उसे अपनी चुदाई के कार्यक्रम पर पानी फिरता हुआ महसूस हुआ...
पर तभी लाला अपने घर से बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया,
उसे शायद उनके आने का एहसास हो चुका था, लाला उनके करीब आया और धीरे से बोला :"तुम दोनो गाँव से बाहर जाने वाले रास्ते में मिलो मुझे, मैं भी कुछ देर में वहीँ पहुँचता हूँ ...''
ये सुनकर पिंकी को राहत की साँस आई, यानी उसका चुदाई का कार्यक्रम तो पक्का ही था, शायद जगह चेंज होने जा रही थी...
लाला अपनी बुलेट पर बैठकर वहां से निकल गया और उसके पीछे-2 वो दोनो भी रिक्शा पकड़कर गाँव के बाहर पहुँच गयी, जहाँ लाला पहले से ही उनका इंतजार कर रहा था...
दोनो लगभग चहकती हुई सी लाला के पास पहुँची,
लाला ने उन्हे बाइक पर बैठने के लिए कहा तो पिंकी उछलकर पहले बैठ गयी, और लाला को पीछे से दबोचकर अपनी चुचियां उसकी छाती में गाड़ दी...
लाला को उत्तेजना का संचार उसके शरीर से अपने अंदर होता हुआ महसूस हो रहा था...
निशि के बैठने के बाद लाला ने अपनी बुलेट तेज़ी से दौड़ा दी...
रास्ते में लाला ने पिंकी का हाथ पकड़ कर अपने रामलाल पर रख दिया जिसे वो पूरे रास्ते सहलाती हुई आई...
आख़िर वही तो था आज की फिल्म का मुख्य हीरो, जो उसकी हिरोइन यानी चूत से अंदर घुसकर रोमांस लड़ाने वाला था.
5 मिनट बाद वो लाला के बगीचे में पहुँच गये, जहाँ लाला ने पहले से ही उन दोनो के आने का इंतज़ाम करवा रखा था...
लाला तो इतना उत्साहित था की उसने सुबह ही एक चक्कर लगाकर वहां चुदाई की तैयारी कर ली थी...
एक घने से पेड़ के नीचे लाला ने एक गद्दे पर बड़ी सी चादर बिछा रखी थी, चारो तरफ घनी झाड़िया थी, ठंडक का माहौल था,
4 तकिये भी रखे थे वहां और एक कोने में तेल की शीशी भी...
जिसे देखकर पिंकी की चूत में कुलबुली होने लगी...उसे पता था की ये तेल उसी के लिए लाया है लाला,
क्योंकि उसकी मदद के बिना तो वो निगोडा रामलाल उसकी चूत में जाने से रहा...
लाला सीधा जाकर उस गद्दे पर बैठ गया और अपनी टांगे सामने की तरफ फेला दी,
जिनके बीच उसका लंड किसी बंबू की तरह खड़ा होकर फुफ्कार रहा था..
निशि भी एक कोने में जाकर बैठ गयी, क्योंकि अगले 1-2 घंटे तो उसे लाला और पिंकी की फिल्म एक दर्शक बनकर ही देखनी थी..
लाला ने पिंकी को इशारा करके अपने करीब आने को कहा, वो जब सामने आकर रुकी तो लाला ने उसे कपड़े उतारने का इशारा किया...
पहले तो वो घबराई पर फिर उसने सोचा की ये तो होना ही है, इसलिए लाज शर्म छोड़कर वो लाला की बातो पर एक दासी की तरह अमल करने लगी..
उसे भी पता था की लाला की बात मानकर उसे अच्छा मेवा मिलेगा...
उसने बड़े ही सैक्सी तरीके से अपनी कमर मटकाते हुए अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए,
् फ्रॉक को पकड़कर उपर की तरफ खींचा और लाला की तरफ अपनी गांड करके धीरे-2 उसे उतारने लगी...
लाला भी ऐसा मस्ती से भरा नज़ारा देखकर अपने रामलाल को धोती से बाहर निकाल कर बुरी तरह से पीटने लगा...
रामलाल तो पहले से ही उतावला हुआ पड़ा था, चूत को बेपर्दा होते देखकर वो और भी ज़्यादा ख़ूँख़ार हो गया और अपने मुँह से प्रीकम की बूंदे बाहर फेंकने लगा..
लाला ने तुरंत अपने सारे कपड़े निकाल कर फेंक दिए ताकि उसके नंगे शरीर को देखकर वो पूरा मज़ा ले भी सके और दे भी सके..
फ्रॉक निकालकर पिंकी ने उसे लाला की तरफ उछाल दिया,
अब वो उसके सामने अपनी फ़ेवरेट ब्रा पेंटी में खड़ी थी.
लाला तो उसके कसे हुए मुम्मो को ब्रा में देखकर ऐसा बावला हो गया की उसने पिंकी को खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया और जैसा की विधि के विधान में लिखा जा चुका था,
लाला ने एक हाथ से उसकी ब्रा और दूसरी से उसकी कच्छी को खींचकर फाड़ते हुए उसके शरीर से अलग कर दिया...
और उसे अपने उपर लिटा कर बुरी तरह से उसके नंगे शरीर से लिपट गया...
लाला ने उसके गुलाबी होंठो को अपने दाढ़ी और मूँछो से भरे मुँह में लेकर ज़ोर -2 से चूसना शुरू कर दिया...
लाला को ऐसा लग रहा था जैसे वो उसके होंठ नही बल्कि रूह-अफजा वाला शरबत पी रहा है...
शायद वो रोज़ फ्लेवर वाली लिपस्टिक लगा कर आई थी, इसलिए...
उसके होंठो को चूसने के बाद उसने अपने हाथ उसके नन्हे और कठोर मुम्मो पर भी रखे और उन्हे भी जी भरकर दबाया...
कुछ देर तक उसके नर्म मुलायम मुम्मो से खेलने के बाद लाला ने उसे नीचे की तरफ धकेलना शुरू कर दिया...
और तब तक धकेला जब तक वो उसके फुफ्कार रहे लंड तक नही पहुँच गयी...
वहां पहुँचकर पिंकी को वही चिर-परिचित नशीली सी सुगंध आई जो लाला के लंड का इत्र था...
उसने एक गहरी साँस भरी और अपने होंठ खोलकर उस रामलाल नामक अजगर को धीरे-2 निगलना शुरू कर दिया...
और उसने अपनी कुशलता का परिचय देते हुए वो पूरा 9 इंची लंड अपने मुँह में भर लिया...
उसका गला तक चॉक हो गया था ऐसा करते हुए पर लाला को जो मज़ा मिल रहा था वो महसूस करके उसे बहुत खुशी मिल रही थी..
इसलिए वो लाला के लंड को मुँह में लेकर उसे अपनी जीभ से सहलाती भी रही जिससे लाला को एक अलग ही मज़ा मिल रहा था...
ये सब देखकर निशि का भी बुरा हाल था...
उसके सामने लाला और पिंकी नंगे होकर वो कामुक लीला कर रहे थे, ऐसे में वो भला शांत कैसे रह सकती थी...
और इस वक़्त उसे अपने भाई नंदू की बहुत याद आ रही थी...
मन तो कर रहा था की भागकर खेतो में जाए और नंदू को लंड से पकड़कर यहाँ घसीट कर लाए और उसके लंड को भी वो ऐसे ही चूसे जैसे पिंकी लाला के लंड को चूस रही थी...
अब तो पिंकी घोड़ी बनकर लाला के सामने बैठी थी और उसके लंड को उपर से नीचे तक और नीचे से उपर तक ऐसे चूस रही थी जैसे आज वो आम के बगीचो में लाला के लंड के पानी का छिड़काव करके मानेगी..
और वो तो कर भी देती अगर आखरी पल पर लाला ने उसे खींचकर अपने लंड से अलग ना किया होता...
और लाला ने जब खींचकर उसे अलग किया तो वो उसे खा जाने वाली नज़रों से देखने लगी जैसे उसका पसंदीदा खिलोना छीनकर लाला ने कोई गुनाह कर दिया हो...
पर लाला जानता था की उसके गुस्से को फिर से प्यार में कैसे बदलना है...
इसलिए उसने पिंकी को नर्म गद्दे पर लिटा कर उसकी टांगे फेला डाली...
पिंकी भी समझ गयी की अब वो 'कली से फूल' बनने वाला समय आ चुका है.
लाला ने उसकी फूली हुई चूत के होंठो को पकड़ कर अपने उंगलियों से दबाया, जिसके परिणामस्वरूप उसमे से ढेर सारा शहद निकलकर नीचे गिर गया..
शायद अंदर काफ़ी रस भरा पड़ा था...
लाला ने उसकी चूत पर मुँह रखकर उस बह रहे रस को एक ही बार में पी लिया
''आआआआआआआआआहह लालाआआआआआआआआआअ...... उम्म्म्ममममममममममम....... चूस मुझे......ज़ोर से चूऊऊऊओस...लालाआआआssssssss ''
पर लाला जानता था की थोड़ी बहुत चिकनाई तो लंड को अंदर धकेलने के लिए भी चाहिए....
इसलिए वो बोला : "चूसने के लिए तो अब पूरी जिंदगी पड़ी है मेरी रानी....अब तो तू ये कह की चोद लाला ....
चुदने के नाम से ही वो एक बार फिर से सिहर उठी....पर वही करवाने के लिए तो वो वहाँ आई थी...
इसलिए वो बड़े ही प्यार से बोली : "हाँ लाला....चोद दे मुझे....आज मुझे जवानी का वो मज़ा दे डाल जिसे पाने के बाद दुनिया के सारे मज़े फीके लगते स्स्स्सस्स्स् ....''
उसके शब्द पूरे होने से पहले ही लाला ने अपनी गर्म मिसाइल उसकी चूत पर रख दी...
पिंकी को ऐसा लगा जैसे ठंडे बदन से गर्म लोहा छू गया हो....
अंदर जाकर तो वो उसका बुरा हाल कर देगा...
लाला भी समझदार था, वो उसकी चूत पर लंड रगड़कर ये देख रहा था की काम ऐसे ही चल जाएगा या तेल लगाने की ज़रूरत पड़ेगी....
भले ही रस में डूबी थी पर चूत काफी टाइट थी, इसलिए उसने तेल लगाना ही उचित समझा....
उसने निशि को इशारा करके तेल की शीशी उठाकर लाने को कहा...
वो तो कब से शायद कुछ करने के लिए उतावली सी हुई बैठी थी,
लाला का इशारा पाते ही वो झट्ट से तेल उठा कर लाला के सामने पहुँच गयी और उसके कहने से पहले ही अपने हाथ पर तेल उडेल कर वो उन तेल से सने एक हाथ से लाला का लंड और दूसरे हाथ से पिंकी की चूत रगड़ने लगी...
पिंकी बस यही बोल पाई, क्योंकि तब तक लाला ने एक बार फिर से अपना तेल से सना लंड उसकी चूत पर टीका दिया था...
और वो संभल पाती, इससे पहले ही लाला ने एक करारा झटका मारकर रामलाल को उसके मिशन पर रवाना कर दिया...
तेल से लिपटा, चिकनी दीवारों से रग़ाद ख़ाता हुआ रामलाल एक ही बार में उसकी झिल्ली से जा टकराया और लाला के एक और झटके ने उस झिल्ली के दरवाजे को भी तहस नहस करते हुए उसके कौमार्य को हर लिया...
लाला को तो ऐसे शब्द सुनने की आदत सी थी,
आज तक जब भी उसका लंड किसी भी चूत में गया था , किसी ने भी मररर गयी से नीचे कुछ बोला ही नही था...
लाला का मोटा लंड था ही ऐसा, मोटे कचालू की तरह वो उसकी चूत में घुसकर उसे ककड़ी की तरह चीरता चला गया और एक ही ठोकर में उसने उसकी बच्चेदानी तक को जाकर छू लिया...
अब पिंकी का हाल ऐसा था जैसे कोई खूँटा फँस गया हो उसकी टाँगो के बीच....
बेचारी की टांगे हवा में अटकी रह गयी,
लाला का भारी भरकम शरीर उसके उपर पड़ा था, लंड पूरा अंदर था,
वो चीख भी मारती तो उसका दर्द उसे अपनी चूत तक महसूस होता..
इसलिए उसकी बाकी की चीख हलक में ही अटकी रह गयी...
उसे तो लग रहा था की लाला ने अपना लंड ज़रा भी हिलाया तो वो सच में मर जाएगी...
और लाला को पता था की ऐसे मौके पर अगर वो रुका तो सारा खेल बिगड़ जाएगा...
इसलिए उसके चिल्लाने के बावजूद उसने अपने लंड को पीछे किया और फिर से एक करारा धक्का मारकर उसे अंदर घुसेड दिया...
और इस बार तो उसकी चीख के साथ-2 उसकी रुलाई भी फूट गयी
''ओह भेंन चोद लाला.........ये क्या कर रहा है......मररर जाउंगी मैं ......अहह....निकाल इसे....मुझे नही चुदवाना......नही लेने ये मज़े......अहह''
पर उसकी बातो को अनसुना करते हुए वो अपने काम में लगा रहा ....
और धीरे-2 उसने अपनी स्पीड तेज करनी शुरू कर दी...
अब वो बिना किसी रुकावट के धक्के लगा रहा था...
पिंकी भी सुबकते -2 चुप हो चुकी थी,
कारण था उसकी चूत में लाला के लंड से मिल रहा एक अजीब सा मज़ा....
शायद इसी मज़े को चुदाई कहते है....
ये मज़ा तो उस मज़े से भी ज़्यादा था जो उसकी सहेली चूत चूसकर उसे अक्सर दिया करती थी....
जीभ के बदले लंड जा चुका था अब अंदर, और उसका फ़र्क सॉफ दिखाई दे रहा था...
और लाला के धक्को को महसूस करके, अपनी कमर मटकाते हुए पहली बार पिंकी के मुँह से दर्द भरी आहह के बदले एक आनंद से भरी सिसकारी निकली...
''उम्म्म्मममममममममममम...सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स...... उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ लाला.......क्या लॅंड है रे तेरा......अहह....बहुत मज़ा मिल रहा है.......''