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Desi कमसिन कलियाँ और हरामी लाला

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Desi कमसिन कलियाँ और हरामी लाला
arav1284 Offline
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#221
08-05-2018, 10:35 PM

पर इस बात से बेटी को कोई फ़र्क नही पड़ रहा था, वो तो चहकती चिड़िया की तरह उछल कर लाला के सामने जा कर बैठ गयी और उसके लार से भीगे लंड को मुँह में लेकर उनके सुपाडे को चूसने लगी...

वो ठीक वैसे ही चूसने का प्रयास कर रही थी जैसा उसकी माँ ने चूसा था कुछ देर पहले....


धीरे -2 और दांतो का हल्का प्रयोग करते हुए...उस मोठे लंड को अंदर निगलने लगी 

लाला ने भी सिसकारी मारते हुए उसकी तारीफ में 4 शब्द कह ही डाले...

''ओह भेंन चोद ..., मज़ा आ गया ...''


लंड तो लाला का पहले से ही कड़क था, 
इसलिए चूत में घुसने में उसे अब कोई दिक्कत नही होने वाली थी...

शबाना अपनी चूत मसलती हुई लाला के लंड को अंदर लेने की तैयारी कर रही थी 
पर हुआ उसके बिल्कुल विपरीत ही...

लाला ने हल्की फुल्की नाज़िया को उठा कर बोरी पर पटका और उसकी जांघे फेला कर अपना रामलाल उसकी चूत के अंदर पेल दिया..

''आआआआआआआआआआआआआहह उम्म्म्मममममममममममममम..... लालाजी........ सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .... मजाआाआआ आआआआआआआआआ गय्ाआआआआआ''

आता भी क्यो नही भला.... 

उसे तो उम्मीद भी नही थी की उसकी माँ के होते हुए लाला का लंड एक बार फिर से उसकी चूत में जाएगा... और वैसे भी जवान चूत को तो जितनी बार लंड मिल जाए, उसके लिए उतना कम है...

वहीँ दूसरी तरफ शबाना जो पहले से किलस रही थी, उसका चेहरा देखने लायक था....

वो भी सोच रही थी की लाला उसे चोदने के लिए अंदर लाया है या उसे अपनी बेटी की चुदाई दिखाने के लिए... 

उसे लाला पर इतना गुस्सा आ रहा था की मन तो उसका कर रहा था की उसके लंड को मुँह में लेकर ज़ोर से काट डाले...

और अपनी बेटी की नंगी गांड पर भी जी भरकर डंडे बरसाए क्योंकि उसके हिस्से की चुदाई पर उसने सरेआम डाका जो डाल दिया था...

और दूसरी तरफ नाज़िआ किसी रंडी की तरह अपनी टाँगे फैला कर लाला के लंड का मजा ले रही थी 



पर लाला जानता था की उसे क्या करना है...

कुछ देर तक नाज़िया की चूत में लंड पेलने के बाद उसने लंड निकाल लिया और शबाना को देखकर बोला : "चल आजा अब तू....तेरी चूत में भी देखु कितनी गर्मी है आज...''

लाला की ये बात सुनकर शबाना का चेहरा खिल उठा...

वरना बेचारी की चूत से पानी टपकना तो उसी वक़्त बंद हो चुका था जब लाला ने उसके बदले नाज़िया की चूत में लंड डाला था...

उसके मुँह से निकला लंड उसकी बेटी की चूत में गया था और अब उसकी बेटी की चूत से निकला लंड उसके अंदर जाएगा..

पर लाला ने यहाँ भी ट्विस्ट दे दिया....

नाज़िया को उसने उस बोरी से उठने नही दिया,  उपर से उसकी माँ को घोड़ी बना कर उसी के उपर लिटा दिया...

अब दोनो माँ बेटियां एक दूसरे से नंगी चिपकी पड़ी थी और लाला ने पीछे से शबाना की टांगे फेला कर अपना लंड उसकी चूत में पीछे से डाल दिया...

बेचारी घोड़ी की तरह हिनहीना उठी जब लाला का घोड़े जैसा लंड उसकी बुर में गया...

''आआआआआआआआआआआअहह उम्म्म्मममममममममममममम..... लालाजी........ हर बार जब भी ये अंदर जाता है, एक अलग ही एहसास होता है.....अहह....... पेलो ज़ोर से लालाजी..... फाड़ दो मेरी बुर को आअज....... अहह''

लाला ने उस घोड़ी बनी शबाना की चोटियां पकड़ कर जोरों से उसे चोदना शुरू कर दिया.... 

लाला के हर झटके से उसका भरा हुआ शरीर नाज़िया के नंगे जिस्म से रगड़ खाकर उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रहा था.... 
नाज़िया से जब सहन नही हुआ तो उसने अपनी माँ के झूल रहे मुम्मो को पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया... 

एक बार फिर से बचपन का एहसास हुआ उसे जब वो इसी तरह अपनी माँ का दूध पिया करती थी... 

पर अब दूध तो नही बल्कि उन निप्पलों में से एक अलग ही तरह की मिठास निकल रही थी, जिसे पीकर उसे सच में बड़ा मज़ा आ रहा था...

नीचे से उसकी चूत वाले हिस्से पर माँ की चूत का दबाव भी पड़ रहा था, जिसके अंदर लाला का लंड घुसकर कोहराम मचा रहा था....

नाज़िआ भी खिसककर अपनी अम्मी की चूत तक पहुँच चुकी थी, और अपने रसीले होंठों से वो उनकी उस लंड खाती चूत को चूसने लगी 


अपनी चूत पर अम्मी की चूत का दबाव और उसके अंदर लाला के लंड की चुभन पाकर वो भी जोरों से चिपक कर अपनी माँ के साथ-2 चीखें मारने लगी..

''आअहहह अम्म्म्मी........ मज़ा आ गया...... उफफफफफफफफफफफफफ्फ़........ क्या मीठास है तुम्हारे मुम्मो में अम्मी.....मज़ा आ गया.....अहह...... चोदो लाला....मेरी अम्मी को जोरों से चोदो ..... बुझा दो इनकी चूत की सारी प्यास लाला...... ज़ोर से पेलो इनको......''

और लाला भी चने खाए घोड़े की तरह , फुफ्काररता हुआ उनके उपर चड़कर दोनो माँ बेटियों को मज़ा देता हुआ दौड़ता चला जा रहा था...

और अंत में दोनो की चीखों और माहौल की गर्मी ने उसके लंड को 2 घंटे में दूसरी बार झड़ने पर मजबूर कर दिया....

वो ज़ोर-2 से चीखे मारता हुआ अपने लंड का पानी शबाना की बुर में उड़ेलता हुआ झड़ने लगा

''आआआआआआआआआआअहह मदारचोदनियों ........ साली कुतियां ....... ले..... ले मेरे लंड का पानी.....बुझा ले अपनी प्यास......अहह.....''

और पूरा पानी अंदर उड़ेलने के बाद उसने शबाना की गांड को पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया ताकि बाहर निकलते हुए लंड की आख़िरी बूँद भी अंदर ही रह जाए....

और फिर अपनी चारपाई पर गिरकर जोरों से हाफने लगा...

शबाना तो वही ज़मीन पर ही गिर पड़ी, 
उसकी टाँगो में तो जान ही नही रह गयी थी झड़ने के बाद 
और लाला से चुदाई करवाने के बाद...

नाज़िया झट्ट से खिसककर अपनी अम्मी की टाँगो के बीच पहुँच गयी और गली की कुतिया की तरह चूत के पानी को पीकर अपनी प्यास बुझाने लगी...

लाला अपने हरामीपन पर मुस्कुराए जा रहा था...

पर उसे नही पता था की उसकी हँसी थोड़ी ही देर में एक बड़ी परेशानी में बदलने वाली है, 

क्योंकि पिंकी और निशि अपने स्कूल से निकल चुकी थी...
लाला की दुकान की तरफ.....

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#222
09-05-2018, 01:25 AM
Lovely Post
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dpmangla Offline
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#223
09-05-2018, 01:26 AM
Dear, Complete ur Story-The Dark Side Saga
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#224
09-05-2018, 05:11 PM
Adhuri kahaniyan puri karo bhai.
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arav1284 Offline
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#225
23-05-2018, 09:57 PM

और पूरा पानी अंदर उड़ेलने के बाद उसने शबाना की गांड को पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया ताकि बाहर निकलते हुए लंड की आख़िरी बूँद भी अंदर ही रह जाए....

और फिर अपनी चारपाई पर गिरकर जोरों से हाफने लगा...शबाना तो वही ज़मीन पर ही गिर पड़ी, उसकी टाँगो में तो जान ही नही रह गयी थी झड़ने के बाद और लाला से चुदाई करवाने के बाद...

नाज़िया झट्ट से खिसककर अपनी अम्मी की टाँगो के बीच पहुँच गयी और गली की कुतिया की तरह चूत के पानी को पीकर अपनी प्यास बुझाने लगी...

लाला अपने हरामीपन पर मुस्कुराए जा रहा था...पर उसे नही पता था की उसकी हँसी थोड़ी ही देर में एक बड़ी परेशानी में बदलने वाली है, क्योंकि पिंकी और निशि अपने स्कूल से निकल चुकी थी...लाला की दुकान की तरफ.


***********
अब आगे
***********

''लाला....ओ लाला........कहाँ हो ??''

पिंकी की मधुर आवाज़ सुनकर लाला के तन बदन में सुफूर्ती सी आ गयी...

लाला के शटर को हॉफ डाउन देखकर वो दोनो पहले ही समझ चुकी थी की लाला अंदर गोडाउन में ज़रूर किसी ना किसी की चुदाई कर रहा होगा... 

पर अंदर जाने का रिस्क वो लेना नही चाहती थी, 
हो सकता है की कोई जान पहचान वाली हो अंदर..
या उन दोनो में से किसी की माँ अंदर चुद रही हो...


लाला ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और उन दोनो को हिदायत देता हुआ बाहर निकल गया की 'खबरदार , अगर तुम दोनो में से किसी ने भी कपड़े पहने तो...मैं बस अभी आया...'

शायद लाला या यूँ कहलो की रामलाल का दिल अभी भरा नही था.

शटर उठाते ही लाला के चेहरे पर वही हरामीपन से भरी मुस्कान आ गयी

''अर्रे...पिंकी....निशि ...तुम दोनो...आज स्कूल से आते ही लाला की याद आ गयी...''

इसका जवाब निशि ने दिया...
क्योंकि लाला से मिलने की असली तड़प तो वही अपने शब्दो में बयान कर सकती थी..

''याद तो तुम्हारी आएगी ही लाला....जब से तुमने वो मज़े दिए है, उन पलों को महसूस करके, उन्हे याद करके और पिंकी के साथ उन पलों को बाँटने के बाद तो मुझे चैन ही नही है...मन तो कर रहा था की आज स्कूल ही ना जाऊं और सुबह से रात तक तुम्हारे गोडाउन में ही पड़ी रहूं ....''

लाला उसकी चापलूसी से भरी बाते सुनकर हंस दिया...

वहीं दूसरी तरफ पिंकी ने बुरा सा मुँह बनाते हुए उसे घूर कर देखा, और मन में बोली 'साली , मेरे बारे में बात करने आई थी या अपनी चूत की आग बुझवाने...'

उसकी आँखो का इशारा समझ कर निशि ने जल्दी से बात बदली और बोली : "लाला, आप तो जानते हो की हम सहेलियों ने हमेशा एक साथ ही सब मज़े लिए है.., जब से आपने मुझे जवानी के वो मज़े दिए है, तब से पिंकी भी....''

उसने बात अधूरी छोड़ दी, 
यानी वो कहना चाह रही थी की जब से लाला ने निशि की चुदाई की है तब से पिंकी की चूत भी गर्म हुई पड़ी है, उसे भी अब लाला के रामलाल का स्वाद लेना है..

लाला ने शरमाती, इठलाती पिंकी को देखा, जिसका गोरा रंग लाल सुर्ख हुआ पड़ा था, 
जैसे पूरे शरीर का खून उसके चेहरे पर उतर आया हो....

उसके सैक्सी चेहरे को देखकर लाला का मन तो किया की अभी के अभी अंदर ले जाकर उसकी इच्छा पूरी कर दे, 

पर बेचारा अपनी उम्र के हाथों मजबूर था....
इस उम्र मे उसने एक साथ 2 को चोद लिया, यही उसके लिए बहुत था, 
आज की चुदाई का कोटा उसने पूरा कर लिया था.

लाला : "वैसे सच कहूं, मुझे आज तक पूरे गाँव में पिंकी से ज़्यादा रसीली लड़की दिखी ही नही, उपर -2 से तो बहुत हो चुका, अब मेरा भी मन अंदर तक जाने को है इसके...''

लाला की बात का इशारा समझकर पिंकी की चूत में एक जोरदार कसक उठी...और वो तड़पति हुई आवाज़ में बोली : "तो देर किस बात की है लाला....चल ना अंदर....अब मुझसे भी रहा नही जाता....जो कहेगा, वैसा ही करूँगी, जितना भी दर्द हुआ, सब सह लूँगी पर आज मुझे चोद दे बस....''

बेचारी की हालत देखकर लाला को भी तरस आ रहा था...

वो बोला : "हाय मेरी जान, तेरी इस बात को सुनकर तो मुझसे भी रुका नही जा रहा...पर आज के लिए ये मुमकिन नही है....''

पिंकी समझ गयी की लाला पहले से ही किसी की चुदाई में लगा हुआ था अंदर..इसलिए उसका शटर भी डाउन था और उसे देखने के बावजूद आज रामलाल भी धोती में दिखाई नही दे रहा था...
शायद सुस्ता रहा था अंदर.

मन तो बहुत कर रहा था उसका की एक बार अंदर चली ही जाए और देखे की इस बार उसकी चुदाई पर किसने डाका मारा है...
पर पता नही क्या सोचकर वो गयी नही.

वैसे भी लाला की बात सुनकर उसका चेहरा उतर चुका था...

चूत की चिकनाई अपने आप सूख कर गायब हो चुकी थी और उसके निप्पल भी वापिस अंदर चले गये थे...

लाला ने उसके उदास चेहरे को देखा और बोला : "अररी, उदास ना हो पिंकी, आज नही हो पाएगी चुदाई तो कल सही...

और मेरा वादा है तुझसे, लाला अपनी पूरी जान लगा देगा तुझे चोदने में और तू भी कहेगी की चुदाई हो तो ऐसी...पूरी जिंदगी तू लाला की इस चुदाई को याद करती रहेगी...''

भले ही लाला ने आज उसे लंड से खुशी नही दी थी पर मन से भरपूर खुशी दे डाली थी उसने... 
लाला की बात सुनकर उसका चेहरा फिर से खिल उठा..


वो बोली : "और लाला, मेरा भी वादा है, तूने आज तक पूरे गाँव में जितनी भी औरतों और लौंडियों की चुदाई की है, उनको एक तरफ रख दियो और मैं जो मज़े दूँगी, वो दूसरी तरफ रख लियो...देखना , मेरे दिए मज़े ही सबपर भारी पड़ने वाले है...ये मेरा वादा है तुझसे और तेरे इस रामलाल से...''

रामलाल भी अपना नाम सुनकर उठने की कोशिश करने लगा पर उठ ना पाया...

आज लाला ने माँ बेटी की चूत में उसे बेलन की तरह घुसा कर रगड़ डाला था...
थोड़ा टाइम लगने वाला था उसे भी अपनी अकड़ को दोबारा हासिल करने में..

लाला से कल मिलने का वादा करके दोनो परियां उछलती कूदती अपने घर की तरफ चल दी और लाला एक बार फिर से अपने गोडाउन की तरफ..

अंदर पहुँचने पर उसने देखा की उसके कहे अनुसार दोनो माँ बेटियाँ अभी तक नंगी ही पड़ी है....

उन्हे भी पता था की लाला की बात ना मानने का असर उनकी अगली चुदाई पर पड़ सकता है, 
और लाला के लंड का लालच उनके अंदर तक बस चुका था, इसलिए वो उसकी बात को ना मानने की गलती नहीं कर सकती थी. 



लाला के अंदर आते ही नाज़िया उठकर लाला के करीब आई उनकी धोती और कुर्ता निकाल कर उन्हे पकड़कर चारपाई पर लिटा दिया और खुद नंगी उनके उपर लेट गयी...

उसकी देखा देखी, शबाना भी उठकर आई और लाला की बगल में लेटकर अपने नंगे बदन को लाला से घिसने लगी..

वैसे तो दोनो को ही पता था की अब और चुदाई करना लाला के बस की बात नही है पर अपने हुस्न और योवन का मज़ा वो लाला को पूरे दिन देना चाहती थी ताकि अपने हिस्से की छाप वो उसपर अच्छे से छोड़ सके...

लाला को भी भला क्या दिक्कत होनी थी...
ऐसे रसीले बदन की मालकिन अगल बगल लेटकर जब मज़ा दे तो भला किसे शिकायत होने वाली थी..

यहाँ तो लाला का आज का दिन भी मस्ती मे गुजर चुका था और अगले दिन की मिठाई का भी इंतज़ाम हो चुका था, 

वहीं दूसरी तरफ नंदू के लंड को चैन नही था...

होता भी कैसे, दीवाना था वो अपनी माँ का...
भले ही अभी के लिए उसे अपनी बहन की कुँवारी चूत मिल चुकी थी पर उसकी असली प्यास तो तभी बुझने वाली थी जब उसे अपनी माँ की चूत चखने को मिले...

इसलिए निशि के स्कूल जाने के बाद से ही वो 'मिशन - माँ की चुदाई ' पर जुट गया...

निशि बीच में ना आती तो शायद अब तक वो अपनी माँ को चोद भी चुका होता, क्योंकि उसे खेतो में बनी बावड़ि पर नंगा नहाते देखने के बाद और रात को सोते हुए अपनी माँ की तरफ से मिलने वाले संकेतो के बाद तो वो अपनी तरफ से भी और आगे बढ़ चुका होता अगर निशि बीच में ना आती... 

और वो भी कच्ची जवानी के चक्कर में अपनी माँ के रसीले बदन को भूलकर उस तरफ बढ़ता चला गया...

पर अब वो अपनी इस ग़लती को सुधार लेना चाहता था और किसी भी कीमत पर अपनी माँ की चूत में अपने लंड का डंका बजा लेना चाहता था..

नंदू की माँ गोरी तो लाला के लंड को लेने के बाद अपने आस पास की दूसरी संभावनाओ को सोचकर अपनी चूत को मज़े देने के प्लान बना रही थी....
इतने सालो बाद उसकी चूत ने चुदाई का स्वाद चखा था, अब वो एक बार शुरू होने के बाद इस सिलसिले को ख़त्म नही करना चाहती थी...
और लाला के अलावा तो उसके जहन में सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने बेटे का ही ख्याल आ रहा था... 
जानती तो वो थी ही की उसके भरे हुए शरीर को देखकर वो कैसे ललचाई हुई नज़रों से देखता है, उसका लंड कैसे हर समय खड़ा ही रहता है, पर अभी तक तो वो उसे उसकी जवानी में होने वाली हरकत समझकर ही नरंदाज करती आ रही थी...
पर अब वो सब नरंदाज करने लायक नही था, उन सबसे तो उसे मज़ा लेना था...
और कैसे लेना था ये उस जैसी चुदक्कड़ को किसी से पूछने की ज़रूरत नही थी..

इस तरह से देखा जाए तो पार्टियाँ दोनो तरफ की तैयार थी...
नंदू अपनी तरफ से और उसकी माँ अपनी तरफ से... 
दोनो अपने -2 मन में योजना बनाने में लगे थे की कैसे किया जाए...

काश दोनो एक दूसरे के दिल की बात जान पाते तो ऐसी योजनाए बनाने में अपना दिमाग़ खर्च नहीं करना पड़ता ...
सीधा चुदाई ही शुरू हो जानी थी दोनो के बीच.



पर जो मज़ा इस तरह से धीरे-2 बढ़ने में है वो एकदम से भागने में नही...
और वही मज़ा अब दोनो को मिलने वाला था.

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24-05-2018, 05:57 PM
Kafi dino ke baad chhota sa update diya. Jald hi aage badhaye.
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dpmangla Offline
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28-05-2018, 08:53 PM
Nice One
Pls Complete d Story- The Dark Side Saga
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maakaloda Offline
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30-05-2018, 05:26 PM
mast yaar
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#229
06-06-2018, 02:53 PM

पार्टियाँ दोनो तरफ की तैयार थी...

नंदू अपनी तरफ से और उसकी माँ अपनी तरफ से... 

दोनो अपने -2 मन में योजना बनाने में लगे थे की कैसे किया जाए...

काश दोनो एक दूसरे के दिल की बात जान पाते तो ऐसी योजनाए बनाने में अपना दिमाग़ खर्च नहीं करना पड़ता ...सीधा चुदाई ही शुरू हो जानी थी दोनो के बीच.

पर जो मज़ा इस तरह से धीरे-2 बढ़ने में है वो एकदम से भागने में नही...और वही मज़ा अब दोनो को मिलने वाला था.

***********
अब आगे
***********

घर के सारे काम निपटा कर माँ और बेटा खेतों की तरफ चल दिए...

आज तो गोरी खुद ही , और वो भी जान बूझकर , साइकिल के आगे वाले डंडे पर जा बैठी थी... 

लाला के लंड को अपनी चूत में लेने के बाद उसकी चूत एक प्यासी पिशाचिनी का रूप ले चुकी थी, जो अपने आस पास वाले हर लंड को निगल लेना चाहती थी...

अभी तो उसके मन में अपने बेटे नंदू का ही ख्याल था, पर उसने अपनी उम्मीदों का घेरा बढ़ाया तो उसकी चूत से जो रंग बिरंगी आवाज़ें निकली उसमें पड़ोस वाले रामप्रसाद, सामने के घर में रहने वाला नंदू का दोस्त विषंबर और उनके खेतों में कभी कभार काम में हाथ बंटाने के लिए देहाड़ी वाला मजदूर नदीम भी शामिल था...

और भी बहुत से लोग थे और इतने लोगो के लंड लेने की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत के बाल गीले हो रहे थे...

खैर, उसकी तंद्रा तब टूटी जब उसे अपने कुल्हों पर नंदू के घुटनो के ठुड्डे पड़ते हुए महसूस हुए , 

गोरी का पूरा शरीर झनझना उठा उस स्पर्श से...काश वो उसकी चूत को भी अपने लंड से इसी तरह से कूट डाले...

उसका इतना सोचना था की गोरी के मन में गंदी-2 बातों का सैलाब सा उमड़ पड़ा...

'उफ़फ्फ़....कैसा होगा मेरे बेटे का लंड ..इसके हष्ट पुष्ट शरीर के हिसाब से तो मोटा ही होना चाहिए...


क्या लाला से भी बड़ा होगा...नही नही..लाला से बड़ा होता तो लाला की तरह उसके बेटे की भी चर्चा होती पूरे गाँव में ...हर लड़की और औरत उसके बेटे के लंड से भी चुदती .. 

पर कोई और क्यों चुदे उसके बेटे से...उसपर पहला हक़ तो उसका है ना...अपने बेटे के लंड को सिर्फ़ वही लेगी, किसी और को नही लेने देगी...'

और ये सब सोचते-2 उसने निश्चय कर लिया की आज कुछ भी हो जाए, वो उसके लंड को लेकर ही रहेगी...ले ना पाई तो कम से कम उसे देख ज़रूर लेगी...

और ऐसा सोचने के बाद उसके दिमाग़ में योजनाए बननी शुरू हो गयी...

पर वो नही जानती थी की मर्दों का ठरकी दिमाग़ इन मामलो में औरत से ज़्यादा चलता है, 

जो इस वक़्त नंदू का चल रहा था, अपनी माँ को चोदने के बारे में सोचकर और उसके नर्म कुल्हो को महसूस करके..

जल्द ही अपनी-2 योजना बनाकर वो खेतो में पहुँच गये...

खेतों में काम करने के लिए गोरी ने एक अलग ही साड़ी और ब्लाउस वहां रखा हुआ था , साड़ी थोड़ी पुरानी थी, ताकि काम करते हुए हर बार कपड़े गंदे ना हो...

इसलिए खेतों में जाते ही वो सबसे पहले वो ट्यूबवेल वाले कमरे में जाकर अपनी साड़ी बदलती थी और शाम को नहा धोकर वापिस फिर से अपनी सुबह पहन कर आई साड़ी में घर आ जाती थी.

और ये बात नंदू अच्छे से जानता था... 
इसलिए जैसे ही गोरी उस कमरे में गयी, नंदू भी भागकर पीछे की तरफ आ गया, जहाँ सरकंडों की दीवार में उसने अंदर देखने वाला एक छेद बनाया हुआ था... 


वो तो सिर्फ़ अपनी माँ का सुडोल बदन देखने की चाहत में आया था जो उसे पेटीकोट और ब्लाउज़ में दिखना था, 

पर बेचारा ये नही जानता था की आज उसे सुबह - 2 ही अपनी माँ के नंगे जिस्म के दर्शन हो जाएँगे...


कमरे में जाते ही गोरी ने बड़ी ही बेबाकी से अपनी साड़ी उतारी और फिर ब्लाउज़ भी खोकर निकाल दिया...

फिर उसने अपनी ब्रा भी उतार फेंकी...
अब वो सिर्फ़ अपने पेटीकोट में खड़ी थी, 
अपनी माँ के तने हुए मुम्मे देखकर नंदू का तो दिमाग़ ही चलना बंद सा हो गया...


पर वो हैरान हो रहा था की आख़िर वो करना क्या चाहती है...क्योंकि ये नहाने का समय तो है नही, अभी कुछ देर पहले ही तो वो नहा धोकर घर से आई है...

पर ज़ल्द ही उसे अपने सवालो का जवाब मिल गया...

उसकी माँ ने अपने पूरे शरीर को अपने कोमल हाथो से सहलाया, अपने निप्पल्स को उमेठा और फिर मंद-2 मुस्कुराते हुए ब्रा को छोड़कर सीधा ब्लाउज़ पहन लिया...

और वो बाहर खड़ा होकर सॉफ देख पा रहा था की बिना ब्रा के उन मुम्मो को ब्लाउज़ में धकेलने में कितनी मुशक्कत करनी पर रही है उसकी माँ को...

पर वो उन कबूतरों को उस कबूतरखाने में बंद करके ही मानी...और उसके बाद जब सामने के सारे हुक्स बंद किए तो बीच-2 में से नंदू को अपनी माँ के जिस्म का नंगा माँस सॉफ दिखाई दे रहा था...और दोनो तरफ थे एकदम कड़क होकर खड़े हुए निप्पल्स....

फिर उसने अपनी काम वाली साड़ी उठाई और उसे पहनने लगी... 

नंदू भी जल्दी से वहां से निकलकर खेतों के बीचो बीच पहुँच गया ताकि उसकी माँ को उसपर कोई शक ना हो...

कुछ  ही देर में उसे उसकी माँ अपनी तरफ आती दिखाई दे गयी...

जान तो वो चुका ही था की इस वक़्त उसकी माँ ने बिना ब्रा के ब्लाउज़ पहना हुआ है, पर ना भी जानता तो उन्हे दूर से ऐसे चलकर आते देखकर खुद ही जान चुका होता की ब्लाउज़ के अंदर कुछ भी नही है...

क्योंकि इतने बड़े-2 मुम्मो को ढीला छोड़ने के बाद उनकी फेलावट देखते ही बनती थी, लचक वो रहे थे सो अलग..

नंदू समझ गया की जैसे उसके दिमाग़ में अपनी माँ को चोदने के लिए प्लानिंग चल रही है, वैसा ही शायद उसकी माँ के मन में भी है...

पर ये भी तो हो सकता है की गर्मी की वजह से उसकी माँ ने ब्रा निकाली हो...

इसलिए उसने सोच लिया की पहले वो अपनी माँ की हरकतों को नोट करेगा, और उसे ज़रा भी आभास हुआ की उनके मन में चुदासी भरी हुई है, वो तुरंत उन्हे चोद डालेगा आज उसी खेत में.

वहीं दूसरी तरफ, अपनी ब्रा निकालने के बाद गोरी के बदन की आग और भी ज़्यादा भड़क चुकी थी, और वो आग उन मोटे-2 निप्पलो की वजह से दिखाई भी दे रही थी, 

अपने योवन को अच्छे से दिखाने के लिए गोरी ने अपनी साड़ी का पल्लू इस तरह से डाला की एक पूरा मुम्मा सामने की तरफ सॉफ दिखाई देने लग गया और उसपर चमक रहा निप्पल भी...

वो नंदू के करीब आई और बोली : "चल नंदू, आज खेतों के चारों तरफ बनी नाली को ठीक करना है..., वरना हर कोने में पानी जाने में मुश्किल आएगी....''

नंदू भी माँ की बात मानकर उनके पीछे-2 चल दिया...

जाते हुए वो उनकी पीछे की तरफ निकली हुई गांड देखकर अपने लंड को मसल रहा था...

गोरी भी जानती थी की वो क्या कर रहा होगा, और वो चाहती तो झटके से पलटकर उसे लंड मसलते हुए रंगे हाथो पकड़ लेती । 
पर आज के दिन वो अपने बेटे को शर्मिंदा नही करना चाहती थी...

अलबत्ता उसे मज़े देने के लिए उसने एकदम से चलते-2 अपनी चाल पर डिस्क ब्रेक लगा डाली और परिणाम स्वरूप पीछे से आ रहा नंदू सीधा खड़े लंड के साथ उसकी गांड से आ टकराया....

उफफफफफफफफफफफ्फ़... 
ये कपड़े बीच में ना होते तो वहीं बेंड बज जाना था...वो कड़क लंड सीधा अंदर घुस जाना था उस रसीली चूत के..

हड़बड़ाते हुए नंदू थोड़ा पीछे हुआ और बोला : "क...क्या हुआ माँ ....ऐसे रुक क्यों गयी अचानक ...''

गोरी ने नीचे की तरफ इशारा करते हुए कहा : "ये नाली तो यहाँ से भी टूटी हुई है, पहले इसे ही ठीक कर लेते है...''

इतना कहते हुए वो अपनी साड़ी को घुटनो तक मोड़कर नीचे बैठ गयी...

वहां मिट्टी की नाली टूटने से पानी एक जगह जमा हो गया था, कीचड़ सा हुआ पड़ा था वहां 

पर गोरी को इन सबकी आदत थी, 
वो काम करते हुए ये नही देखती थी की कीचड़ है या गोबर...बस कूद पड़ती थी...
कपड़ो की माँ चाहे चुद जाए, वो काम करके ही मानती थी...

अभी भी यही हो रहा था....
बैठ तो वो गयी थी वहां, 
पर मिट्टी वाला पानी इतना था की उसकी गांड उसमे डूब सी गयी...

नंदू भी अपनी धोती को चड़ा कर सामने आकर बैठ गया और हाथो में पकड़ी खुरपी से वो मिट्टी उठा कर नाली की मरम्मत करने लगा....

काम करते हुए उसकी नज़रें जब सामने अपनी माँ पर गयी तो उसके हाथ वहीं जम कर रह गये...

बिना ब्रा के मुम्मे उसकी आँखो से सिर्फ़ 2 फुट की दूरी पर झूल रहे थे, और उनपर पके हुए बेर दूर से ही चमक रहे थे....

उपर से माँ के कपड़े भी गीले से हो रहे थे, और इधर-उधर हाथ लगने से ब्लाउज़ भी थोड़ा बहुत गीला होने लगा था, 

एक बार गीला होते ही पतले कपड़े ने पारदर्शिता दिखाई और वो गोरी के जिस्म से चिपक सा गया, अंदर की गोलाइयाँ सॉफ आकार में देखी जा सकती थी अब...

गोरी भी मंद-2 मुस्कुराते हुए अपने जलवे बिखेरने में लगी हुई थी....

वो जान बूझकर उस पानी वाली जगह पर बैठी थी ताकि कपड़े भी गंदे हो और शरीर भी गीला हो..

नीचे से मिल रही ठंडक भी गोरी को कुछ और करने के लिए उकसा रही थी....
और रही सही कसर नंदू ने पूरी कर दी क्योंकि बैठने से उसके लंड का उभार भी सॉफ दिखाई दे रहा था गोरी को...

अब आलम ये था की नंदू की नज़रें अपनी माँ की छाती पर जमी हुई थी और गोरी की नज़रें अपने बेटे के लंड पर...


 दोनो ही बिना हाथ-पाँव हिलाए उस कीचड़ में बैठे थे और एकटक एक दूसरे के अंगो को निहारे जा रहे थे....

कुछ देर बाद जब दोनो को एहसास हुआ तो अपनी-2 नज़रें चुराते हुए दोनो उठ खड़े हुए और आगे की तरफ चल दिए...

अब तो नंदू समझ चुका था की लोहा गर्म है, हथोड़ा मार देना चाहिए, और उसे पक्का विश्वास था की अब वो अपनी तरफ से कुछ भी पहल करेगा तो उसकी माँ चुद कर ही रहेगी उसके लंड से...

इसलिए एक ताज़ा-2 योजना बनाकर वो एकदम से अपने लंड को पकड़ कर चिल्लाने सा लगा...

उसकी माँ भी हैरान परेशान सी होकर उसे देखने लगी पर तब तक नंदू लंड को पकड़ कर वहीँ खेतों में लोटनियां मारने लगा..

गोरी : "हाय राम ...सब ठीक है ना..... क्या हो गया एकदम से तुझे....''

नंदू : "माँआआअ.......आआहहह...लगता है कोई कीड़ा घुस गया है अंदर.....अहह......काट लिया माँआआआआआआ''

गोरी को लगा की शायद उस कीचड़ में बैठने से कोई कीड़ा उसकी धोती में अटक गया होगा....तभी बेचारा ऐसे छटपटा रहा है....

और जगह भी तो ऐसी है....
पर वो बेचारी क्या करे...
पर माँ तो माँ ही होती है ना आख़िर...
वो आगे बड़ी और तड़पते हुए नंदू के सिर को अपनी गोद में रखकर उसे शांत करने लगी...
पर फिर भी वो ऐसे छटपटाता रहा जैसे उसकी जान ही निकल जाएगी...

उसने काँपते हाथो से अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसके हाथ पर रखकर उसे सहलाया....और बोली : "देखने दे मुझे ज़रा....क्या हुआ है...''

नंदू दर्द से बिलबिलाता हुआ बोला : "नही .......माँआआआआआ....आप जाओ यहाँ से...मैं देख लूँगा....''

गोरी : "चुप कर .....तेरी माँ हूँ मैं ....हज़ारो बार तुझे नंगा देख चुकी हूँ ...बड़ा हो गया है तो क्या अब ऐसे शरमाएगा....और कोई ज़हरीला कीड़ा हुआ तो परेशानी बढ़ भी तो सकती है...चल हट...देखने दे मुझे...''

नंदू को थोड़ा बहुत नाटक तो करना ही था, सो वो कर चुका था... 
इसलिए अपना हाथ हटा कर उसने अपने आप को माँ के हवाले कर दिया..

गोरी ने उसकी धोती का कपड़ा साइड में किया और अंदर पहने अंडरवीयर को थोड़ा नीचे खिसका दिया...

और अगले ही पल एक मोटा साँप अंदर से निकल कर उसकी आँखो के सामने लहराने लगा...

वो तो जोर से चिल्लाने ही वाली थी की तभी उसे एहसास हुआ की वो साँप नही उसके बेटे का लंड है...

पर उस मोटे लंड को देखकर, जो इस वक़्त मिट्टी से सना हुआ उसकी आँखो के सामने खड़ा था, उसकी आँखे फटने को हो रही थी...

सच में वो लंड लाला के मुक़ाबले का ही था....

या ये कह लो की उससे भी बढ़कर ही होगा, 
उम्र का भी तो कोई तक़ाज़ा होता है.... 
20 साल के लोंडे का लंड और 55 साल के आदमी के लंड में कुछ तो फ़र्क होगा ही...

पर अपनी तंद्रा को तोड़ते हुए वो अपने हाथ को उसके लंड के इर्द गिर्द लगा का उसे टटोलने लगी की कोई कीड़ा तो नही चिपका हुआ उसके लंड पर, या हो सकता है कीचड वाली कोई जोंक हो..

और ऐसा करते हुए उसने अपने हाथ से उसके लंड को पूरा नाप डाला...

उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या कड़कपन था उसमें.....
एकदम मोटे गन्ने जैसा कड़क था....

हाथ नीचे करके उसकी बॉल्स को पकड़ा तो उसमें भरा हुआ वीर्य उसे अपने हाथों पर पिघलता हुआ सा महसूस हुआ....

वो सब कुछ भूलकर उसके लंड को सहलाने लगी.....उपर से नीचे तक.....

और नंदू भी उस गीली मिट्टी में लेटा हुआ अपनी माँ के मोटे मुम्मो को देखकर अपने लंड को झटके मार रहा था....

आज बरसों बाद उसके मन की इच्छा पूरी हुई थी...आज उसका लंड माँ के हाथों में था...

अचानक उसकी माँ को एहसास हुआ की वो क्या करने बैठी थी और क्या कर रही है...

उसने अपना चेहरा उपर करके नंदू को देखा जो अब बिना किसी दर्द और परेशानी के ज़मीन पर लेटा हुआ उस स्पर्श के मज़े ले रहा था...

गोरी समझ गयी की उसके बेटे ने उसे उल्लू बनाया है...

पर जो भी था, इस बहाने उन दोनो के बीच की वो शर्म की दीवार तो गिर ही चुकी थी...

और ये एहसास मिलते ही वो मंद-2 मुस्कुराने लगी और उस कड़क लंड को अपनी छाती से लगा कर उसे उस नर्मी का एहसास दिलाते हुए बोली : "अच्छा जी....तो अपनी माँ के साथ मज़ाक किया जा रहा था....यहाँ तो कुछ भी नही है....''

नंदू भी होले से मुस्कुरा दिया...
वो अगर अब भी अपनी बात पर अड़ा रहता तो शायद माँ को आगे बड़ने में थोड़ा और वक़्त लग जाना था...

इसलिए उसने अपनी ग़लती मानते हुए वो बात कबूल ली और बोला : "मैने सोचा की एक बार फिर से बचपन वाली शरारत कर लेनी चाहिए....''

उसकी माँ ने शराबी आवाज़ में कहा : "पर अब तू बच्चा भी तो नही रहा....ये देखा है तूने....पूरे गाँव में शायद सबसे तगड़ा लंड होगा तेरा...''

नंदू ने भी मौके पर चौक्का मारते हुए कहा : "जो भी हूँ , जैसा भी हूँ माँ, बस आपके लिए हूँ ....''

उसका इतना कहना था की भावावेश में बहकर गोरी उसके उपर आकर लेट गयी और उसे बेतहाशा चूमने लगी...

''ओह मेरे लाल....मेरा बच्चा ....पुउउऊच.....उम्म्म्मम.....अपनी माँ का इतना ख़याल है तुझे.... पूचकक्चह....फिर इतने सालो तक मुझे अकेला क्यों रहने दिया....अहह....... कितने सालो की प्यास है मुझमें, पता भी है तुझे ........पहले बोलता तो ऐसे प्यासा तो ना रहना पड़ता मुझे.....पुचचह''

वो बोलती जा रही थी....
उसे बेतहाशा चूमती जा रही थी....
और उसके खड़े हुए लंड को अपनी साड़ी से ढकी चूत पर रगड़ती जा रही थी.....

उस खेत में , कीचड़ में , एक दंगल सा चल रहा था माँ बेटे के बीच.....

नंदू ने भी अपनी माँ के मोटे मुम्मो को पकड़ा और ज़ोर से दबा डाला....

मिट्टी वाले पानी के रूप में उन मुम्मो का रस नीचुड़कर नीचे गिरने लगा....

उपर चेहरा करके उसने भी अपनी माँ के रसीले होंठो का रस पीना शुरू कर दिया, 
उन होंठो को निचोड़कर, उन्हे चूस्कर, वो भी अपने बचपन से लेकर अभी तक की सारी प्यास बुझा लेना चाहता था....

साथ ही साथ वो उन भरी हुई छातियों को भी जी भरकर दबा रहा था....

ये दंगल जिस जगह चल रहा था, वो उनके खेत का आख़िरी छोर था, उसके पीछे की तरफ सिर्फ़ घना जंगल था, और दूर -2 तक दूसरे खेतों में भी कोई आदमी काम नही कर रहा था, 


ज़्यादातर लोग दोपहर बाद ही खेतो में आते थे, इसलिए शायद उन दोनो माँ बेटे की रासलीला देखने वाला कोई नही था...

नंदू ने उन मोटे मुम्मो को पकड़कर अपने हाथो में भरा और अगले ही पल आवेश में आकर अपनी माँ का ब्लाउज़ ही फाड़ फेंका...

मिट्टी में सने मोटे-2 मुम्मे उसकी आँखो के सामने झूल गये....

वो उन्हे चूस तो नही सकता था, 
पर उन्हे अपने चेहरे और जिस्म पर रगड़कर उसने अपनी इच्छा ज़रूर पूरी कर ली..... 
उन नर्म मुलायम मुम्मो की मसाज लेकर वो एक अलग ही दुनिया में पहुँच गया.....

उसने हाथ नीचे करके अपनी माँ की साड़ी उपर उठाई और उसे उपर तक खिसका कर उनकी मोटी गांड पर अपने हाथ जमा दिए...

गोरी गहरी साँसे लेते हुए बोली : "आआआआआअहह......नंदू.......यहां नही....अंदर चल....टूबवेल वाले कमरे में ......यहाँ नही....''

पर नंदू पर तो कामदेव सवार थे....
उसने अपनी माँ की कच्छी को पकड़कर एक जोरदार झटका दिया और वो भी तार-2 होकर उनके जिस्म से अलग हो गयी.....

लंड ठीक नीचे था इस वक़्त, नंदू की उत्तेजना का आवेग इतना तेज था की उससे अंदर तक जाने का इंतजार नही हो रहा था, और उसने अपने लंड को ठीक जगह पर जमाकर एक जोरदार झटका देते हुए अपना आठ इंच का लौडा एक ही झटके में अपनी माँ की चूत में उतार दिया.....



''आआआआआआआआआआआआआहह...... मररर्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी रे.................. उम्म्म्ममममममममममममममम.....''

मिट्टी से सना लंड जब रसमलाई से भरी चूत में गया तो आनंद का ऐसा विस्फोट हुआ की उसकी चीख से आस पास के पेड़ो पर बैठे परिंदे भी उड़ गये....

जिस निर्दयता से नंदू ने अपना लंड गोरी की चूत में डाला था उसने गोरी की उत्तेजना को और भी ज़्यादा बड़ा दिया था....

हर औरत की यही इच्छा होती है की उसे प्यार करने वाला उसके जिस्म को ऐसे रोंदे की हर अंग चटक उठे और उस मस्ती में भरकर जब चुदाई होती है तो वो भी चरम सीमा पर पहुँचकर ही दम लेती है...

गोरी की चूत का भी यही हाल हो रहा था इस वक़्त....

दोनो कीचड़ में सने हुए , एक दूसरे के जिस्म को बुरी तरह से रगड़ रहे थे.....

गोरी ने नंदू के हाथों को पकड़ कर अपनी छाती पर रखा और ज़ोर से दबा दिया....
और ज़ोर-2 से चिल्लाते हुए अपनी चूत मरवाने लगी...

''आआआआअहह शाबाश मेरे शेर.....शाबाश.....चोद मुझे......ज़ोर से चोद अपनी माँ को.....अहह...इतना मोटा लंड है मेरे लाल का ....कसम से.....अब तो दिन रात लूँगी इसे.....''


बेचारा नंदू भी सोचने लगा की ये भी यही कह रही है और उसकी बहन निशि ने भी यही कहा है....

उन दोनो को कैसे शांत रख पाएगा वो एक ही बार में ...

पर वो तो बाद की बात थी, 
अभी के लिए तो उसे अपनी माँ की चूत का बेंड बजाना था, जिसकी धुन पर थिरकने का उसे बचपन से शौक था और आज वो अपना हर शौक पूरा कर लेना चाहता था...

उसने अपनी माँ के जिस्म का आखिरी कपडा यानी वो पुरानी साड़ी भी उतार फेंकी और अपने भी सारे कपडे निकाल कर नंगा हो गया , 


और फिर अलग-२ एंगल से वो उन्हें चोदने लगा, और उन मोटे मुम्मों को अपने हाथों में लेकर जबरदस्त तरीके से मसलने लगा 

''ओह माँआआआआआआ.... सच में ....तेरी इन मोटी छातियों को देखकर कितने सालो से इन्हे दबाने का और चूसने का मन था....अब तो दिन रात चोदूँगा तुम्हे.....चूसूँगा ...और रगडूंगा .....''

अपने बेटे की इस प्यार भरी बात का इतना गहरा असर हुआ उसके जिस्म पर की वो बुरी तरह से थरथराते हुए झड़ने लगी....

ऐसा कंपन हुआ उसके शरीर से जैसे बूँद-2 करके चूत का रस नही बल्कि उसकी जान निकल रही है उसके बदन से...

और अंत में थक हारकर वो अपने बेटे की चौड़ी छाती पर गिरकर जोरों से हाफने लगी....

नंदू अभी झड़ा नही था इसलिए उसने अपने दोनो हाथ अपनी माँ की मोटी गांड पर रखे और अपना ट्रक दौड़ा दिया उसकी चूत के हाईवे पर.....



और जल्द ही उस हाइवे का आख़िरी सिरा आ गया जहाँ उसे अपने ट्रक की अनलोडिंग करनी ही पड़ी.... 

लंड में भरा सारा वीर्य उसने आख़िरी बूँद तक अपनी माँ के गर्भ में उतार दिया...
उसी गर्भ में जहाँ से वो खुद निकल कर आया था....

और उस लावे को अपने अंदर महसूस करके गोरी को भी एक नये जीवन का एहसास हुआ, जिसे पाकर वो अपनी बाकी की बची हुई उम्र गुजारने वाली थी...

अपने बेटे से चुदवा कर एक अलग ही नूर आ गया था उसके चेहरे पर , जिस्म भी और ज्यादा खूबसूरत लग रहा था उस गीली मिटटी से सन कर 


कुछ देर बाद वो दोनो उठे और अपने -2 कपड़े समेट कर टूयुबवेल वाले कमरे की तरफ चल दिए....

मिट्टी से सने दोनो की हालत देखने लायक थी, आधे अधूरे कपड़े और अर्धनग्न जिस्मो के साथ वो उस कमरे में दाखिल हुए जहाँ एक पानी की होदी में ताज़ा ठंडा पानी लबालब भरा हुआ था....

दोनो ने एक दूसरे की आँखो में देखा और मुस्कुराते हुए दोनो एक साथ पानी में उतर गये....

असली मज़ा तो यहाँ मिलने वाला था.


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06-06-2018, 05:12 PM
Kya Chhota chhota update de kar intejar karwa rahe ho.
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