29-05-2018, 02:21 AM
सोनू तु जल्दी से नास्ता कर ले । मुझे स्कुल जाने मे बहुत देर हो रही हे। (अपने छोटे भाई को चाय ओर नास्ता थमाते हुए बोला।) पता नही मम्मी आज मंदीर मे ईतनी देर क्यौ लगा दी।( राहुल बार बार दरवाजे की तरफ देख ले रहा था: उसे स्कुल जाना था ओर उसे देर हो रही थी।)
राहुल अभी हाई स्कुल मे था । गोरा रंग हट्टा कट्टा बदन देखने मे भी ठीक ठाक ही था:। उसकी बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी ओर बढ़ती भी केसे नही आज स्कुल मे उसका मेथ्स का टेस्ट था। ओर समय से स्कुल पहुंचना बहुत जरुरी था। इसलिए हर पल उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी।
( कलाई मे बंधी घड़ी की तरफ देखते हुए)
ये मम्मी भी ना ! क्या करु कुछ समझ मे नही आ रहा है। (अपने बड़े भाई को परेशान होता देखकर राहुल का छोटा भाई बोल पड़ा)
सोनु: क्या भैया तुम भी बेवजह परेशान हो रहे हो। आ जाएगी मम्मी। (नास्ता करतो हुए बोला) ओर अभी बहोत समय हे। तुम समय पर पहुंच जाओगे (इतना कहके वो फीर से चाय पीने लगा।
(राहुल बार बार घड़ी देखते हुए चहलकदमी करता हुवा दरवाजे पर ही नजर गड़ाए हुए था। कुछ ही समय बाद सामने से उसकी मम्मी आती हुइ दीखाई दी। राहुल कुछ बोलता उस्से पहले ही राहुल की मम्मी घर मे प़वेश करते हुए बोली।
मम्मी: सोरी सोरी सोरी सोरी बेटा । (हाथ मे ली हुई पुजा की थाली को पास मे पड़े टेबल पर रखकर अपने कान पकड़ते हुए)मुझसे गलती हो गई बेटा । क्या करु बेटा आरती हो रही थी । अब आरती को तो बीच मे छोड़कर नही आ सकती थी न भगवान नाराज हो जाते तो। (मै कुछ बोल नही रहा था बस मम्मी को देखे जा रहा था) अच्छा बाबा अब एसी गलती दुबारा नही होगी बस। अब तो माफ कर दे ।(मम्मी फीर से कान पकड़ के माफी मांगने लगी।ईस बार मुझे हंसी आ गई। क्योकी ये पहली बार नही था जब मम्मी ईस तरह से माफी मांग रही थी । एसा लगभग हमेशा ही होता था ।मम्मी हमेशा मंदीर जाती ओर वहा से लौटने मे देर हो जाती थी।
और मे मम्मी का मासुम चेहरा देखकर माफ कर देता था
सोनु भी मम्मी को कान पकड़े हुए देखकर हंस रहा था। मे भी हंसते हुए बोला)
राहुल: बस बस मम्मी रहने दो हॉ। तुम रोज लेट हो जाती हो।(अभी भी राहुल की मम्मी के दोनो हाथ कान पर ही थे)
मम्मी: अब लेट नही होऊंगी बेटा।
राहुल :अच्छा ठीक है मम्मी अब अपना कान छोड़ो। और मे अब स्कूल जा रहा हु मुझे लेट हो रहा है।
मम्मी: ठीक है बेटा। (टेबल पर पड़ा स्कुल बेग राहुल को थमाते हुए)ले बेटा संभाल कर जाना और अपना ख्याल रखना।
राहुल;(बेग को मम्मी के हाथ से थामते हुए) ठीक है मम्मी बाय। बाय सोनु।
उसकी मम्मी और सोनु दोनो राहुल को बाय बोले। और राहुल घर से बाहर निकल गया।
राहुल की मम्मी का नाम अलका है। अभी सी्र्फ ३५साल की ही है। ईनके पति एक दीन कीसी से कुछ भी बताए बिना ही कीसी दूसरी औरत के साथ चले गए । कहा गए ये आज तक नही पता चला। और न ही अलका के पति ने अपने परीवार की कभी भी कोई खोज खबर ली।
लेकीन अलका ने आज तक अपने बच्चो को कभी भी उनकेे बाप की कमी महसूस होने नही दी।
वेसे अलका काफी खुबसुरत थी। गोरा बदन तीखे नैन नक्श भरा हुआ बदन बड़ी बड़ी चुचीया एकदम तनी हुई। मर्दो की नजर सबसे पहले उसकी चुचीयो पर ही जाती थी। हमेशा उसे खा जाने वाली नजर से ही देखते थे। और पतली सी कमर हमेशा लचकती रहती थी। उस कमर से नीचे का उभरा हुआ भाग उउउफफफफ क्या गजब की बनावट थी। एकदम गोल गोल बड़ी बड़ी गांड जीसे देखते ही मर्दो का लंड टनटना कर खड़ा हो जाता था। वेसे भी अलका की गांड कुछ ज्यादा ही उभार लीए हुए थी। ईस उम़् मे भी राहुल की मा ने अपने बदन को काफी फीट रखा है। अभी भी उसका अंग अंग काफी चुस्त और दुरुस्त था। अपने आप को काफी फीट रखे हुए थी।
एसा नही था की इसके पति के जाने के बाद कीसी ने इसके अकेले पन का फायदा उठाने की कोशीश न की हो। जीसको भी मौका मिला वो इसके अकेलेपन का और मजबुरी का फायदा उठाने कीबहोतो ने कोशीश की । लेकीन इसने आज तक अपने दामन मे दाग नही लगने दी। अपने आप को और अपने चरीञ को बहोत संभाले हुए थी। मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चो का अच्छे ढंग से लालन पोषण करते आ रही थी। पढी लीखी थी इसलीए एक कम्पनी मे कम्पयूटर ओपरेटर की नोकरी भी मिल गइ थी। जीस्से घर का और दोनो बच्चो के पढाई का खर्चा अच्छे से चल रहा था।
राहुल अभी हाई स्कुल मे था । गोरा रंग हट्टा कट्टा बदन देखने मे भी ठीक ठाक ही था:। उसकी बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी ओर बढ़ती भी केसे नही आज स्कुल मे उसका मेथ्स का टेस्ट था। ओर समय से स्कुल पहुंचना बहुत जरुरी था। इसलिए हर पल उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी।
( कलाई मे बंधी घड़ी की तरफ देखते हुए)
ये मम्मी भी ना ! क्या करु कुछ समझ मे नही आ रहा है। (अपने बड़े भाई को परेशान होता देखकर राहुल का छोटा भाई बोल पड़ा)
सोनु: क्या भैया तुम भी बेवजह परेशान हो रहे हो। आ जाएगी मम्मी। (नास्ता करतो हुए बोला) ओर अभी बहोत समय हे। तुम समय पर पहुंच जाओगे (इतना कहके वो फीर से चाय पीने लगा।
(राहुल बार बार घड़ी देखते हुए चहलकदमी करता हुवा दरवाजे पर ही नजर गड़ाए हुए था। कुछ ही समय बाद सामने से उसकी मम्मी आती हुइ दीखाई दी। राहुल कुछ बोलता उस्से पहले ही राहुल की मम्मी घर मे प़वेश करते हुए बोली।
मम्मी: सोरी सोरी सोरी सोरी बेटा । (हाथ मे ली हुई पुजा की थाली को पास मे पड़े टेबल पर रखकर अपने कान पकड़ते हुए)मुझसे गलती हो गई बेटा । क्या करु बेटा आरती हो रही थी । अब आरती को तो बीच मे छोड़कर नही आ सकती थी न भगवान नाराज हो जाते तो। (मै कुछ बोल नही रहा था बस मम्मी को देखे जा रहा था) अच्छा बाबा अब एसी गलती दुबारा नही होगी बस। अब तो माफ कर दे ।(मम्मी फीर से कान पकड़ के माफी मांगने लगी।ईस बार मुझे हंसी आ गई। क्योकी ये पहली बार नही था जब मम्मी ईस तरह से माफी मांग रही थी । एसा लगभग हमेशा ही होता था ।मम्मी हमेशा मंदीर जाती ओर वहा से लौटने मे देर हो जाती थी।
और मे मम्मी का मासुम चेहरा देखकर माफ कर देता था
सोनु भी मम्मी को कान पकड़े हुए देखकर हंस रहा था। मे भी हंसते हुए बोला)
राहुल: बस बस मम्मी रहने दो हॉ। तुम रोज लेट हो जाती हो।(अभी भी राहुल की मम्मी के दोनो हाथ कान पर ही थे)
मम्मी: अब लेट नही होऊंगी बेटा।
राहुल :अच्छा ठीक है मम्मी अब अपना कान छोड़ो। और मे अब स्कूल जा रहा हु मुझे लेट हो रहा है।
मम्मी: ठीक है बेटा। (टेबल पर पड़ा स्कुल बेग राहुल को थमाते हुए)ले बेटा संभाल कर जाना और अपना ख्याल रखना।
राहुल;(बेग को मम्मी के हाथ से थामते हुए) ठीक है मम्मी बाय। बाय सोनु।
उसकी मम्मी और सोनु दोनो राहुल को बाय बोले। और राहुल घर से बाहर निकल गया।
राहुल की मम्मी का नाम अलका है। अभी सी्र्फ ३५साल की ही है। ईनके पति एक दीन कीसी से कुछ भी बताए बिना ही कीसी दूसरी औरत के साथ चले गए । कहा गए ये आज तक नही पता चला। और न ही अलका के पति ने अपने परीवार की कभी भी कोई खोज खबर ली।
लेकीन अलका ने आज तक अपने बच्चो को कभी भी उनकेे बाप की कमी महसूस होने नही दी।
वेसे अलका काफी खुबसुरत थी। गोरा बदन तीखे नैन नक्श भरा हुआ बदन बड़ी बड़ी चुचीया एकदम तनी हुई। मर्दो की नजर सबसे पहले उसकी चुचीयो पर ही जाती थी। हमेशा उसे खा जाने वाली नजर से ही देखते थे। और पतली सी कमर हमेशा लचकती रहती थी। उस कमर से नीचे का उभरा हुआ भाग उउउफफफफ क्या गजब की बनावट थी। एकदम गोल गोल बड़ी बड़ी गांड जीसे देखते ही मर्दो का लंड टनटना कर खड़ा हो जाता था। वेसे भी अलका की गांड कुछ ज्यादा ही उभार लीए हुए थी। ईस उम़् मे भी राहुल की मा ने अपने बदन को काफी फीट रखा है। अभी भी उसका अंग अंग काफी चुस्त और दुरुस्त था। अपने आप को काफी फीट रखे हुए थी।
एसा नही था की इसके पति के जाने के बाद कीसी ने इसके अकेले पन का फायदा उठाने की कोशीश न की हो। जीसको भी मौका मिला वो इसके अकेलेपन का और मजबुरी का फायदा उठाने कीबहोतो ने कोशीश की । लेकीन इसने आज तक अपने दामन मे दाग नही लगने दी। अपने आप को और अपने चरीञ को बहोत संभाले हुए थी। मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चो का अच्छे ढंग से लालन पोषण करते आ रही थी। पढी लीखी थी इसलीए एक कम्पनी मे कम्पयूटर ओपरेटर की नोकरी भी मिल गइ थी। जीस्से घर का और दोनो बच्चो के पढाई का खर्चा अच्छे से चल रहा था।