राहुल की नजरे जेसे ही वीनीत की भाभी की नजरो से
टकराई राहुल एकदम से शर्मिंदा हो गया। और अपनी नजरों को नीचे कर लिया । पेंट में उभरे हुए राहुल के तंबू को देखकर विनीत की भाभी तो मन ही मन बहुत खुश हो रही थी क्योंकि उसके बदन का जादू पूरी तरह से राहुल के ऊपर छा गया था।
विनीत की भाभी ने पैंटी पहनने के बाद कमर पर लटकी हुई साड़ी को नीचे सरका दी और नंगी टांगें और गदराई गांड सब कुछ साड़ी की ओट में छिप गया। विनीत की भाभी आगे की तरफ घूमी और जैसे ही पहला कदम बढ़ाई उस से उठा हुआ कदम जमीन पर रखा नहीं गया और वह धम्म से बिस्तर पर कहरते हुए बैठ गई।
ओहहह मा........ (ओर अपनी जाँघ पर हांथ रखके दबाते हुए ) मर गई रे....कमर के साथ साथ मेरी जाँघो मे भी बहुत दर्द हो रहा है। ना जाने क्या हो गया है मेरी टांगों में।
( राहुल अभी भी बहुत शर्मिंदा था वह कैसे उससे बातें करें कैसे उससे नजरें मिलाए यह सब उसे समझ में नहीं आ रहा था। क्या करें उसकी चोरी जो पकड़ी गई थी। विनीत की भाभी ने तो उसे ना देखने के लिए बोली थी लेकिन उसके बोलने के बावजूद भी राहुल वीनीत की भाभी को पेंटी पहनते हुए देख रहा था और उसने भी अपने बदन को निहारते हुए राहुल को पकड़ ली थी।
विनीत की भाभी राहुल की मनोदशा को भाँप ली थी। राहुल के माथे से टपक रही पसीने की बूंदे राहुल की मनोस्तिथि को पूरी तरह से बयान कर रही थी। वीनीत की भाभी अच्छी तरह से जानती थी कि उसके भरावदार नितंब के दर्शन करके राहुल पूरी तरह से गरमा चुका था। राहुल की जगह अगर कोई ओर खाया पिया इंसान होता तो अब तक उसकी बुर में अपना टनटनाता हुआ लंड डालकर कब का चोद चुका होता।
विनीत की भाभी को अब पुरी तरह से यकीन हो चुका था की राहुल अब तक कुंवारा ही था मतलब की जवानी की बगिया में अभी कच्ची कली ही था। इस बात से वीनीत की भाभी और भी ज्यादा प्रसन्न हो रही थी।
और राहुल से बोली।
क्या हुआ राहुल ऐसे क्यों खड़े हो तबीयत तो ठीक है ना और तुम्हारे माथे पर यह पसीना क्यों।
( राहुल क्या कहता कुछ बोलने जैसा था ही नहीं फिर भी हड़ बड़ाते हुए बोला।)
कककककक.....कुछ नही भाभी बस यू ही थोड़ी गर्मी लग रही थी ........ इसलिए।
अरे तो पहले कहना था ना कि गर्मी लग रही है वो सामने की स्विच ऑन कर दो पंखा चालू हो जाएगा।
( राहुल तुरंत उसकी बात मानते हुए स्विच ऑन कर दिया और पंखा चालू हो गया लेकिन वह अच्छी तरह से जानता था कि उसके माथे से टपक रहे पसीने की बूंदें मौसम की गर्मी की वजह से नहीं बल्कि वीनीत की भाभी के कामुक बदन की गर्मी की वजह से पसीना टपक रहा है। विनीत की भाभी की छातियों के ऊपर से साड़ी का पल्लू नीचे लुढ़का हुआ था जिस से राहुल को
ब्लाउज के उपर से ही सही लेकिन उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को देखने का लुत्फ बराबर मिल रहा था। वीनीत की भाभी ये जानती थी कि राहुल क्या देख रहा है। किस लिए मन ही मन मुस्कुरा भी रही थी।
राहुल के पेंट में बना तंबू एक पल के लिए भी ढीला नहीं पड़ा था जिससे उसे दर्द का एहसास भी हो रहा था। उसे वापस घर भी जाना था लेकिन जाने का मन नहीं कर रहा था। नोटबुक मिल चुकी थी इसलिए जाना तो था ही वह विनीत की भाभी से बोला।
अच्छा भाभी मैं अब चलता हूं नोट बुक देने के लिए शुक्रिया मेरी वजह से आपको तकलीफ हुई ना मैं नोटबुक लेने आता ओर ना ही आपके कमर में ईस तरह से तकलीफ होती। भाभी मैं आपसे माफी चाहता हूं।
अरे इसमें माफी किस बात की यह तो बस हो गया इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है लेकिन अब तुम गलती कर रहे हो।
गलती कैसी गलती भाभी।
मुझे जो इस हाल में छोड़ कर जा रहे हो अगर तुम्हारी जगह वीनीत होता तो क्या मुझे इस तरह तकलीफ में छोड़कर जाता। मैं इस समय ठीक से चल भी नहीं पा रही हूं।
( राहुल वीनीत की भाभी को हो रही तकलीफ से काफी चिंतित था। वह बड़ा मजबूर था ..... वह भी मदद करना चाहता था लेकिन कैसे करें क्या करें उसके समझ के बाहर था। फिर भी हड़ बड़ाते हुए बोला।)
भभभ...भाभी मममममम...मैं क्या कर सकता हूं।
( विनीत की भाभी आंखों को नचाते हुए बोली।)
तुम करोगे मेरी मालीस?
मुझे मालिश की जरूरत है मालिस से ही मेरे दर्द मे राहत मिलेगी। करोगे ना मेरी मालीस!
( अब राहुल क्या कहता उसका तो खुद ही दिल कर रहा था यह सब करने को लेकिन कह नहीं पा रहा था।
और खुद उसके मुंह से मालिस करने की बात सुनकर राहुल के खुशी का ठिकाना ना रहा। खुशी के साथ साथ उसके बदन में अजीब सा रोमांच भर गया था। उसने बिना किसी झिझक के हाँ मे सिर हीला दिला दिया। राहुल की हामि से विनीत की भाभी बहुत खुश हुई। और उसने सामने के ड्रोवर मैसे मुव लाने को बोली। राहुल डोवर में से मूव निकालने के लिए आगे बढ़ा ।
वीनीत की भाभी मन ही मन बहुत ही खुश हो रही थी क्योंकि उसका बनाया प्लान कामयाब हो गया था। सीढ़ियों से वह जानबूझकर फिसली थी वह दर्द का बहाना करके जानबूझकर ही राहुल को रोकी थी ।
राहुल का सहारा लेकर कमरे में आना और नोटबुक के साथ अपनी पैंटी को रखना राहुल के सामने ही जानबूझकर अपनी पेंटी को पहनना और अपने नितंबों का प्रदर्शन कराना यह सब प्लान के तहत ही था। जो कि राहुल के उपर पूरी तरह से सफल हो चुका था।
राहुल मूव लेकर आया और राहुल को अपनी तरफ आता देखकर विनीत की भाभी कराहते हुए बोली
हाय रे मेरी कमर ! अब तो तू ही मेरी मदद कर सकता है राहुल। चल जल्दी से मेरी मालिश कर दे एेसा दर्द हो रहा है कि मुझसे रहा नहीं जा रहा। ( ऐसा कहते हुए विनीत की भाभी बिस्तर पर पेट के बल लेट गई और इस तरह से अपने दोनो पैरों को उठाई की उसकी साड़ी
घुटनों तक नीचे सरक गई और गोरी गोरी दोनों पिंडलियां दिखने लगी जिसे देख कर राहुल का पजामा तंग होने लगा । विनीत की भाभी को इस तरह से लेटे हुए देख कर और उसकी उभरी हुई गांड को देखकर राहुल फिर से उत्तेजित होने लगा। राहुल को समझ में नहीं आ रहा था कि कहां से शुरू करे कि तभी विनीत की भाभी बोल पड़ी।
राहुल अब खड़े ही रहोगे या मालीस भी करोगे।
हां हां हां हां भाभी अभी करता हुं। ( हकलाते हुए बोला।)
( राहुल विनीत की भाभी के बगल में जाकर बैठ गया और विनीत की भाभी बोली।)
कमर पर से थोड़ी साड़ी हटाकर अच्छे से मालिश कर दे राहुल बहुत दर्द कर रहा है।
( राहुल के तो हांथ कांप रहे थे। फिर भी हिम्मत करके कमर पर से साड़ी हटाया कमर पर से साड़ी के हटते ही
राहुल की आंखें मांसल कमर और कमर के बीच की गहरी लकीर को देखकर फटी की फटी रह गई। राहुल में तुरंत मुव निकालकर वीनीत की भाभी की कमर पर लगाया और मालिश करना शुरु कर दिया। गोरी गोरी कमर के स्पर्श से राहुल का बदन रोमांचित हुआ जा रहा था। इससे पहले भी उसने अपनी मम्मी की कमर पर मालिश किया था लेकिन ऐसा रोमांच उसे उस समय बिल्कुल भी नहीं हुआ था। विनीत की भाभी की गांड का उभार देखकर राहुल के लंड का तनाव बढ़ता जा रहा था। राहुल बढ़िया अच्छी से मालिश कर रहा था जिससे उसे सुकून मिलने लगा था लेकिन उसके मन में और ज्यादा खुरापात चल रही थी। वह बोली।
राहुल थोड़ा और नीचे वहां कुछ ज्यादा ही दर्द कर रहा है।
कहां पर भाभी?
( विनीत की भाभी अपना एक हाथ पीछे लाकर और कमर के नीचे जहां गांड का उभार शुरु होता था वह जगह पर उंगली रख कर दिखाते हुए बोली।)
यहां इस जगह पर राहुल बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है उधर पर मालिश कर दो।
( राहुल के मन का गुब्बारा फूटने लगा था विनीत की भाभी का यह ईसारा उसके तन बदन में आग लगा रहा था राहुल भी मालिश करने के लिए बेताब था लेकिन असमंजस मे था। राहुल थोड़ा घबराहट के साथ बोला)
भाभी.........ईधर ...... केसे..... मतलब ...... ईधर ....तो
ससससस....साड़ी बंधी हुई है। ( राहुल सकपकाते हुए बोला ।)
हाँ तो थोड़ी साड़ी ढीली कर दो अच्छा रुको में ही कर देती हूं।( इतना कहने के साथ ही वीनीत की भाभी अपने दोनों हाथ को अपने पेट के नीचे ले गई और अपनी गांड को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठाई ..... गांड उचकाने की इस अदा पर राहुल के मुंह में पानी आ गया । वीनीत की भाभी ने पेट के नीचे खोशी हुई साड़ी को बाहर निकाल कर पेटीकोट की डोरी को ढीली कर दी और बोली।
लो राहुल थोड़ी सी साड़ी को नीचे सरका दो ताकि अच्छे से क्रीम लगाकर मेरी मालिश कर सको। ( वीनीत की भाभी की यह बात सुनकर राहुल का दिल बल्लियों उछलने लगा एक तरफ उसके मन में गुदगुदी सी मच रही थी और दूसरी तरफ उसका दिल घबरा भी रहा था। घबराहट से उसका गला सूखने लगा था। दिल तो उसका भी चाह रहा था वीनीत की भाभी की विशाल गांड के दर्शन के लिए । आज उसे विनीत की भाभी की गांड को एकदम करीब से देखने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ था इसलिए उसके हाथ भी कांप रहे थे फिर वह अपने कांपते हाथों की उंगलियों से साड़ी के दोनों छोर को पकड़ा और फिर पेटीकोट सहित नीचे की तरफ सरकाने लगा पेटीकोट के साथ-साथ विनीत की भाभी की पेंटी भी सरकते आ रही थी और जैसे ही गदराई गांड के बीच की फांक नजर आई मारे उत्तेजना के उसके हाथ ठीठक गए। भाभी की गांड की फांक उसके लंड की ऐठन को बढ़ाने लगे। मारे उत्तेजना के राहुल का बुरा हाल हो रहा था उसके माथे से पसीने की बूंदें टपक रही थी। वहीं दूसरी तरफ वीनीत की भाभी का भी कम बुरा हाल नहीं था उसके अरमान पूरे होने के कगार पर थे उस का प्लान पूरी तरह से सफल हो चुका था। इससे पहले भी वीनीत की भाभी ना जाने कितनों के सामने नंगी हुई थी और खुद को नंगी करवाई थी लेकिन जो आज राहुल के सामने नंगी होते हुए उसके बदन में रोमांच उठ रहा था ऐसा रोमांच उसने आज तक महसूस नहीं कि। इतने से ही उसकी बुर पनीया गई थी।
साड़ी और पेटीकोट के साथ जैसे ही उसकी पैंटी भी नीचे सरकते हुए आई वैसे ही तुरंत राहुल ने पेंटी को वापस उपर की तरफ चढ़ा दिया। राहुल की आंखों में नशा छाने लगा था वह मदहोश होकर एकटक कमर के नीचे का गोलाकार उठान को देखता ही रह गया।
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vineet ki chudwasi bhabhi Jo rahul k mote or tagde lund she chudwana chahti he jisko apne kaamuk badan k darahan karwakar apne mohpaas me baandh li he.
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राहुल की दिल की धड़कने तेज होती जा रही थी। राहुल के हाथों के स्पर्श से विनीत की भाभी भी गरमा गई थी।
राहुल ने थोड़ी सी क्रीम अपनी उंगली पर लगाया और कमर के ऊपरी भाग पर हल्के हल्के मालिस करने लगा। मालिश करते समय भी उसकी नजर विनीत की भाभी की गांड पर ही टिकी हुई थी। तभी विनीत की भाभी बोली।
राहुल का कमर के नीचे मालिश कर उधर ज्यादा दर्द हो रहा है।
हां हां भाभी करता हूं मालीस ( भाभी की बात सुनते ही राहुल के लंड में एठन बढ़ने लगी उसने भी मालिश करते हुए धीरे-धीरे पैंटी में एक उंगली को डाल कर हल्के हल्के मालिश करने लगा उस जगह पर मालिश करते हुए राहुल के बदन में झनझनी सी फेल जा रही थी। विनीत की भाभी मंद मंद मुस्कुराते हुए अपनी गांड की मालिश राहुल से करवाये जा रही थी। राहुल पूरी तरह से उत्तेजना से भर चुका था उसकी अंडरवियर धीरे धीरे करके आगे से गीली होने लगी थी। इस वक्त राहुल की आधी हथेली उसकी पैंटी के अंदर समाई हुई थी।
गदराई गांड का नरम नरम एहसास राहुल को पागल किए जा रहा था। राहुल का गला एकाएक सूखने लगा जब उसकी बीच वाली उंगली नें गांड के बीचोबीच की फांक का स्पर्श किया उसके तन-बदन में आग सी लग गयी। विनीत की भाभी का भी यही हाल हुआ जब उसने राहुल की बीच वाली उंगली का स्पर्श अपनी गांड की फांक पर महसुस की तो मारे उत्तेजना के उसने अपनी गांड को ऊपर की तरफ उचका दी। दोनों की सांसे तेज चलने लगी थी। अब राहुल अपनी हथेली का दबाव गांड पर बढ़ाते हुए मालिश करने लगा था जिससे विनीत की भाभी को भी मजा आ रहा था। रह-रहकर राहुल की उंगलिया उसकी गांड के बीचोबीच की लकीर में चली जा रही थी जिससे दोनों का उन्माद बढ़ता ही जा रहा था।
राहुल का लंड एकदम से टाइट हो चुका था ऐसा लगने लगा था कि कहीं लंड की नशे फट ना जाएं। विनीत की भाभी की बुर भी पानी से फचाफच भरी हुई थी। राहुल की तो जेसे लॉटरी लग गई हो। विनीत की भाभी का पूरा खजाना उसके हाथों में था बस ढका हुआ था। विनीत की भाभी की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वो अब खुल के मजा लेना चाहती थी। इसलिए बोली।
राहुल डर तो आराम लगने लगा है लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि मेरी जांघो मे भी बहुत दर्द है। जाँघो पर भी मालिश कर दे मुझे आराम मिल जाएगा।
( पैंटी के अंदर हाथ डाले हुए ही राहुल बोला)
लेकिन भाभी यह साड़ी.........( इतना कहने के साथ ही राहुल खामोश हो गया राहुल के कहने का मतलब विनीत की भाभी समझ गई थी इसलिए वह बोली।)
हां तो क्या हुआ मेरी साड़ी को नीचे से ऊपर की तरफ कमर तक चढ़ा दो तब ठीक से मालिश हो पाएगी।
( इतना सुनते ही राहुल का लंड पेंट में ही उछाल मारने लगा वह मन ही मन बहुत ज्यादा खुश हुआ अब तक तो सिर्फ नंगी औरतों को देखता ही आया था लेकिन आज उसे खुद ही औरत नंगी करने का मौका मिला था।
राहुल की साँसे बेकाबु हो चुकी थी घोड़े की टॉप की तरह उसकीे दिल की धड़कनें चल रही थी। अब राहुल को वो करना था जो अब तक उसने नहीं किया था।इसलिए उसके हाथ कांप रहे थे। राहुल के मन में पूरी विशाल नंगी गांड को देखने की उत्सुकता के साथ साथ कामुक उन्माद भी चढ़ा हुआ था जिस का मिलाजुला असर राहुल के चेहरे पर साफ झलक रहा था
साड़ी पर चढ़ी हुई सिलवटें विनीत की भाभी के बदन को ओर भी ज्यादा कामुक बना रही थी।
आने वाले पल और बेहतरीन नजारे का राहुल को बड़ी बेसब्री से इंतजार था। विनीत की भाभी को भी इसी पल का इंतजार था कि कब राहुल अपने हाथों से उसकी साड़ी उठाकर उसको नंगी करे और उसकी विशालकाय
गदराई हुई गांड के दर्शन करके उत्तेजित हो और उसकी तीव्र संभोग की कामेच्छा को पूरी करें।
आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी। दोनों तरफ वासना का समंदर उछाल मार रहा था। तभी राहुल ने अपने कांपते हाथों से विनती भाभी की साड़ी को पकड़कर जाँघों की तरफ से ऊपर की तरफ सरकाने लगा जिससे वीनीत की भाभी कसमसाने लगी।
पैरों की तरफ से जैसे जैसे साड़ी सरक कर ऊपर आने लगी विनीत की भाभी की टांगे नंगी होने लगी गोरी चीकनी टांगो को देखकर राहुल का मन मचलने लगा।
धीरे धीरे करके साड़ी घुटनों तक सरक के आ गई
नंगी टांगें और गोरी गोरी पिंडलियां देखकर राहुल अपने मन पर काबू ना कर सका और हल्के से गोरी-गोरी पिंडलियों पर अपनी उंगलियों से सहलाने लगा।
राहुल की इस हरकत से विनीत की भाभी समझ गई कि राहुल अब लाइन पर आने लगा है उसके मन का डर धीरे-धीरे खत्म हो रहा था।
पिंडलियों को सहलाते हुए उसने साड़ी को फिर से ऊपर की तरफ खींचा इस बार आधे से भी ज्यादा दूधिया जांघे उजागर हो गई। वाहहहहहहह...........
अपने आप ही राहुल के मुख से निकल गया। विनीत की भाभी के साड़ी की अंदर की सुंदरता देखकर राहुल की आंखें चौंधिया जा रही थी। हक्का-बक्का सा बस देखे जा रहा था। हाथों में कपकपी और होंठ थर्रा रहे थे
अपने कांपते हाथों से राहुल ने साड़ी को और ऊपर खींचने की कोशिश किया तो साड़ी जाँघो के नीचे दबी होने से ऊपर की तरफ खींचा नहीं पाई इसलिए खुद ही विनीत की भाभी ने अपनी गदराई गांड को थोड़ा ऊपर की तरफ उचका दी ताकि राहुल साड़ी को कमर तक खींच सकें और कुछ सेकंड में ही विनीत की भाभी की साड़ी उसकी कमर तक चढ़ चुकी थी अब उसकी कमर के नीचे मात्र गदराई गांड को ढकने के लिए मखमली मैरून रंग की पैंटी ही रह गई थी जो कि उसके गोरे रंग पर और ज्यादा खीेल रही थी। राहुल तो थूक निगलता हुआ गांड के घेराव ओर उसके आकार को देखता ही रह गया। राहुल से रहा नही गया और उसने अपने दोनों हाथों की हथेली को विनीत की भाभी के गांड की दोनों फांकों पर रख दिया और हल्के से दबा दिया .... जैसे ही राहुल की हथेलियों का दबाव विनीत की भाभी अपनी नरम नरम गौरी गांड पर महसूस की वैसे ही उसके मुख से गरम सिसकारी फुट पड़ी ।
स्स्स्स्स्सहहहहहहहहह...........राहुलल.....
( वीऩत की भाभी के मुख से गर्म सिसकारी सुनते ही राहुल घबरा गया उसे लगा कि शायद भाभी को दर्द होने लगा इसलिए उसने झट से अपनी हथेली को दिनेश की भाभी की गांड पर से हटा लिया और बोला।)
क्या हुआ भाभी ज्यादा दर्द कर रहा है क्या?
( राहुल बिल्कुल नादान था इस बात से विनीत की भाभी वाकिफ हो चुकी थी। इसलिए उसने अपने मुख से निकली गरम चुदवासी सिसकारी को दर्द का नाम देकर बोली।)
हां राहुल (दर्द से कंहरते हुए) बहुत दर्द कर रहा है अब तो बर्दाश्त के भी बाहर होता जा रहा है मेरा दर्द। कुछ कर राहुल मुझे इस दर्द से निजात दिला मेरे पूरे बदन में अजीब सा दर्द होने लगा है। तू आज ऐसी मालिस कर कि सारा दर्द हमेशा के लिए भाग जाए। ......
( कुछ देर खामोश रहने के बाद फिर बोली)
राहुल एक काम करो मेरी पैंटी को भी उतार दो ताकि तुम मेरी अच्छी से मालिश कर सको।
( इतना सुनते ही राहुल के बदन में झुनझुनी सी फैल गई। राहुल के खुशी का ठिकाना ना था ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसे अनमोल तोहफा दे दिया हो। मन में उन्माद भी था उत्तेजना के साथ-साथ घबराहट भी राहुल के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था। उत्तेजना से तो उसका चेहरा लाल टमाटर की तरह हो गया था पेंट में तंबू एेसा उभरा हुआ था कि मानो अभी फट के बाहर आ जाएगा। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे ऐसा सुनहरा मौका मिलेगा। वह मन ही मन सोच रहा था कि आज तो जैसे किस्मत का ताला ही खुल गया हो। और खुश भी क्यों ना हो जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही तीन-तीन महिलाओं का नग्न शरीर और ऊपर से भाभी के बदन को खुद नंगा करने का अवसर मिल रहा था । इसलिए तो वह अपने आप को खुशनसीब समझ रहा था। यह तो राहुल था कि अभी तक संभाला हुआ था उसकी जगह कोई और होता तो ऐसी विशालकाय भरपूर जवानी और कयामत से भरी गांड को देख कर पानी छोड़ दिया होता। पूरे घर में विनीत की भाभी और राहुल को छोड़कर कोई नहीं था। दिनेश को तो पहले से ही उसने किसी काम से भेज दि थी जहां से वह 2. 4 घंटे के पहले आने वाला नहीं था । तभी तो विनीत की भाभी भी निश्चिंत और बेसब्र हो कर लेटी हुई थी। राहुल का दिल जोरो से धड़क रहा था। आगे क्या करना है उसे पता था लेकिन डर भी लग रहा था। विनीत की भाभी की गदराई हुई गांड मरुन रंग की चड्ढी मे और भी ज्यादा कसी हुई लग रही थी। राहुल ने फिर से अपने कांपते हाथों की ऊंगलियो से चड्ढी के दोनो छोर को पकड़ लिया और जैसे ही नीचे सरकाने को हुआ विनीत की भाभी ने तुरंत अपनी गांड को ऊपर की तरफ उचका दी जैसे कि वह इस पल का इंतजार ही कर रही थी। राहुल ने भी तुरंत धीरे धीरे कर के वीनीत की भाभी की चड्डी को नीचे सरकाने लगा मरून रंग की चड्डी जैसे जैसे वीनीत की भाभी की विशालकाय गांड पर से नीचे सरकती गई वैसे वैसे गौरी चिकनी दूधिया गांड उजागर होती चली गई। मखमली गोरी चिकनी गांड को देखकर राहुल आश्चर्यचकित हो गया। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस गांड को दूर से देख कर रात भर मुठ मारा था उसी गैंड को इतनी नजदीक से देखेगा और खुद ही नंगी करेगा यह सब उसे एक सपना सा लग रहा था। वीनीत की भाभी की गांड इतनी मादक और मांसल थी कि जरा सा भी वह कसमसाती तो उसकी गांड में थिरकन पैदा हो जाती थी
गांड की गोलाई उसके लंड की लंबाई को बढ़ा रही थी पंखे की हवा के बावजुद भी
राहुल एकदम पसीने से तरबतर हो गया था। राहुल अपने अंदर की उत्तेजना पर काबू नहीं कर पाया और उसने अपने दोनों हथेलियों को विनीत की भाभी की संपूर्णता नग्न गांड पर रख दिया और जैसे ही उसने अपनी हथेली को नंगी गांड पर रखा वैसे ही गांड की नरमाई ओर गुदाज पन को महसूस करते ही उसका पूरा बदन गदगद हो गया। उसके मुख से अपने आप गर्म सिसकारी निकल गई वह मन में ही बोला वाहहहहह इतनी नरम और मुलायम गांड मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है की गांड इतनी मुलायम ओर नरम एकदम रूई की तरह होती है। राहुल की आंखों में अजब सा नशा छाने लगा था। वह अपनी हथेली को उसकी गांड पर सात आंठ सेकंड तक ही रख पाया था कि विनीत की भाभी कसमसाते हुए बोली ।।
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राहुल पहले मेरी पैंटी को पूरी तरह से उतार लो तब अच्छे से मालिश करना। ( राहुल की नजर जांघो में फंसी पैंटी पर गई तब उसे ख्याल आया कि उसने पेंटी को पूरी तरह से उतारना भूल गया और फिर पैंटी को पकड़कर धीरे-धीरे करके चिकनी टांगो से होती हुए उसने पैंटी को टांगो से बाहर निकाल दिया। अब वीनीत की भाभी कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी थी। पैंटी को टांगो से अलग होते ही विनीत की भाभी बोली।)
हाँ अब ठीक है ..... अब तुम अच्छे से मेरी मालिश कर सकते हो। ( इतना कहते ही वीनीत की भाभी इत्मािनान. से तकिए पर सिर रखकर आंखों को मुंद ली। और राहुल ने क्रीम निकाल कर अपनी उंगली पर लगाया और उंगली से उसकी गांड पर चुपड़ते हुए मालीस करने लगा मांसल और नरम नरम गांड पर राहुल की हथेली फिसलते ही राहुल के बदन में गुदगुदी होने लगी उसका गला सूखने लगा वह हल्के हल्के से गांड की मालिश किए जा रहा था और अपनी किस्मत को धन्यवाद दिए जा रहा था। गांड का लाजवाब उभार
तो पहले से ही उसे दीवाना बनाए हुए था लेकिन गांड की फांक तो उसे पागल ही किए जा रही थी । वह बार-बार मालिश करते हुए दोनों अंगुुठों को गांड के फांक की लकीर में रगड़ते हुए आ रहा था जिससे राहुल को तो मजा आ ही रहा था लेकीराहुल की ईस हरकत से विनीत की भाभी पर जेसे बिजली गिर रही हो।वीनीत की भाभी भी उत्तेजित हो गई थी । उसका बदन रह रह को अपनी उत्तेजित अवस्था को दबाने के लिए कसमसा रहा था। एक अजीब से सुख का अहसास विनीत की भाभी के बदन मे फैलता जा रहा था। राहुल की उंगलियों का जादू उसके बदन में उन्माद भरते जा रहे थे वासना की लहर उसके बदन मे हिलोरे ले रहा था
राहुल भी वासनामई दुनिया में पूरी तरह से प्रवेश कर चुका था। पलंग से नीचे खड़े होकर राहुल विनीत की भाभी की मालिश कर रहा था उसकी हथेली अब बेझिझक उसकी गांड पर घूम रहीे थी लेकीन अभी भी जब वह अपनी उंगलियों को गांड़ की फांक की गहराई में डुबोता तो घबरा जाता । उसकी हसरत जिस चीज को छूने और देखने को थी उसकी ईस हसरत काे वीनीत की भाभी अच्छी तरह से समझ रही थी। वह औरत के उसी अंग को अपनी उंगलियों से टटोलना चाह रहा था जिसे देखने की छूने की उसमें समा जाने की हसरत हर मर्द में होती है। इसलिए तो विनीत वहां डर डर के उसी स्थान पर अपनी उंगलियों का स्पर्श करा दे रहा था लेकिन विनीत की भाभी के गांड का उभार इतना ज्यादा था की गांड के फांर्कों के बीच की गहराई तक उसकी उंगली पहुंच ही नहीं पाती थी । जहां तक उसकी उंगली पहुंच पाती थी वहां से उस गुलाबी द्वार का छेंद बस दो तीन अंगुल ही रह जाता।। लेकिन जैसे ही राहुल की ऊंगलिया उसकी गुलाबी छेंद के इर्द गिर्द गश्त लगाती वैसे ही तुरंत विनीत की भाभी के बदन में जैसे शुईयां सी चुभ रही हो वह एकदम से चुदवासी हो कर लंड के लिए तड़प उठती उसकी गुलाबी बुर से नमकीन पानी की बूंदे टपक पड़ती उसकी बुर फूलने पिचकने लगती
राहुल की जादुई अंगुलियां वीनीत की भाभी का बुरा हाल कर रही थी।
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विनीत की भाभी हर पल एक नई सुख के एहसास में मस्त हुए जा रही थी। आज बहुत दिनों बाद राहुल के छूने मात्र से ही इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी। विनीत की भाभी के लिए भी यह पल अविस्मरणीय था
राहुल ऐसा लगने लगा था कि हर पल अनुभवी होता जा रहा है उसकी हाथों की उंगलियां अपना कमाल दिखा रही थी संपूर्ण गांड पर फिरते हुए राहुल की उंगलियां गश्त लगाते हुए जांघों के अंदरुनी भाग से होते हुए बुर के उपसे हुए भाग को छूकर गुजर जाती थी। यह पल विनीत की भाभी और राहुल के लिए इतना नाजुक और उन्माद पर भरा होता था कि जैसे ही राहुल की उंगलियां बुर के ऊपर से हुए भाग को छू कर गुजरती थी वैसे ही तुरंत उत्तेजना से भर कर विनीत की भाभी की बुर से और राहुल के टनटनाए हुए लंड से कामरस की बूंदे टपक पड़ती थी। रह-रहकर विनीत की भाभी के मुख से गरम सिसकारी छूट पड़ती थी। विनीत की भाभी अपने हाल से इतनी लाचार हो चुकी थी कि अपनी उत्तेजना खुद से छुपाए नहीं छुपा पा रही थी बार-बार उत्तेजना बस उसका बदन कसमसा जा रहा था ।
अभी तक राहुल कि सिर्फ मंगोलिया ही उस गुलाबी रंग की जन्नत के द्वार को स्पर्श कर पाई थी लेकिन आंखों से दीदार नहीं हो पाया था। इस बात को वीनीत की भाभी भी अच्छी तरह से जानती थी उसके मन में भी यही था कि राहुल जिस ने अब तक भरावदार गांड देखकर ही इतना गरमा गया है अगर वह उस की रसीली बुर देखेगा तो क्या हाल होगा उसका। विनीत की भाभी अपने भरावदार और उभरी हुई गांड के भूगोल से पूरी तरह से वाकिफ थी वह जानती थी कि उसकी गांड कीे गहराई इतनी ज्यादा ठीक की बुर का दीदार करना लगभग नामुमकिन था।
राहुल बहुत अच्छी तरह से कमर से लेकर के गांड और जाँघो की मालिश कर रहा था। इस मालीस से विनीत की भाभी का कामज्वर और ज्यादा बढ़ गया था। उसकी बुर चुदवासी होकर के पानी बहा रही थी।
माहौल पूरी तरह से गरमा चुका था राहुल का बदन पसीने से तरबतर होता हुआ उन्माद के सागर में बहा चला जा रहा था। राहुल का लंड पेंट में गदर मचाए हुए था ऐसा लग रहा था कि पैंट फाड़कर बाहर चला आएगा गांड की मालीस करते करते राहुल की भी हिम्मत बढ़ती जा रही थी वह अपनी दोनों हथेलियों में जितना हो सकता था उतनी गुदाज गांड को भर कर मसल देता और राहुल के ईस हरकत पर विनीत की भाभी की आह निकल जाती थी। थोड़ी देर मालिश करने के बाद राहुल ने फिर से गांड को हथेलियों में भरकर जोर से मसल दिया इस बार भी विनीत की भाभी के मुंह से आह निकल गई और वह बोली।
क्या करते हो राहुल?
कककककक....कुछ नही भाभी ........ ( राहुल हड़बड़ाते हुए बोला। वीनीत की भाभी की यह बात सुनकर राहुल घबरा सा गया था वीनीत की भाभी ने राहुल को टोकी जरूर थी लेकिन अंदर से वह यही चाहती थी कि राहुल जोर-जोर से उसकी गांड को मसले क्योंकि गांड मसलवाने में उसे अपार आनंद की अनुभूति हो रही थी जिसको वह शब्दों में नहीं बल्कि ट सिषकारियों में बयाँ कर रही थी। लेकिन विनीत की भाभी के टोकने पर राहुल अब हल्के हल्के मालिश कर रहा था जिससे वीनीत की भाभी को मजा नहीं आ रहा था एक तरह से राहुल को टोकने पर अंदर ही अंदर पछता रही थी। राहुल अब छुट छाट लेने में शर्म के साथ-साथ घबरा भी रहा था जोकि विनीत की भाभी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था वह फिर से चाहती थी कि राहुल उसके बदन से थोड़ी छूट छाट ले इसलिए उसने अपने बदन का ही सहारा ली ताकी राहुल फीर से उत्तेजित होकर उसके बदन से छूठ छाट लेने लगे इसलिए वह कसमसाते हुए बोली.....
राहुल थोड़ा सा अंदर की तरफ भी मालीस कर दे उधर भी बहुत दर्द कर रहा है ( इतना कहने के साथ ही उसने अपनी मांसल जांघो को थोड़ा सा फैला दी... और जांघो को फेलते ही राहुल को वह नजर आया जिसकी तमन्ना लिए वह कब से मालिश किए जा रहा था। राहुल थूक निगलते हुए जांघो के बीच के उस जन्नत के द्वार को देखने लगा गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियां हल्की सी बाहर की तरफ निकली हुई थी और बुर पर बाल के नामो निशान नही थे । एकदम चिकनी बुर वह भी उत्तेजना के कारण उपसी हुई। गांड की तरफ से ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन फिर भी राहुल के लिए इतना काफी था यह नजारा देखते ही उसके लंड का तनाव दुगुना बढ़ गया था। रह-रहकर उसके लंड के काम रस की बूंदे टपक रही थी जिसके कारण पेंट के आगे का भाग गीला हो चुका था। राहुल की हालत संभाले नहीं संभल रही थी। विनीत की भाभी रह रहकर अपनी तिरछी नजर से राहुल की हालत देख कर मन ही मन खुश हो रही थी लेकिन जैसे ही उसकी नजर उसकी पेंट में बने लंबे तंबू पर पड़ी तो तुरंत ही उसकी बुर चुदवासी होकर फूलने पिचकने लगी। आंखों से ही पेंट में बने तंबू का साइज नाप ले रही थी उसकी लंबाई और मोटाई की कल्पना करते ही उसके मुख से गरम सिसकारी छुट पड़ी। वह मन हीं मन मे बोली.......
वाहहहहहह... गजब का लंड होगा इसका अगर पेंट में इतना भयानक लग रहा है तो जब पेंट के बाहर आएगा तो कितना मजेदार लगेगा इसकि मोटाई ईसकी लंबाई उफफ्फ ... जब यह मेरी बुर में जाएगा तो मेरी बुर का सारा रस निचोड़ डालेगा।
अब विनीत की भाभी की प्यास और ज्यादा बढ़ने लगी थी अपने बदन की गर्मी उससे सही नहीं जा रही थी उसको तो इंतजार था कि कब राहुल का मोटा लंड उसकी बुर में जाकर उसकी बुर की खुजली मिटाए।
राहुल जी मंत्रमुग्ध होकर जांघो के बीच के उस हसीन द्वार को देखे जा रहा था और बार-बार एक हाथ से अपने टनटनाए लंड को पेंट में एडजस्ट किए जा रहा था।
वीनीत की भाभी समझ गई थी कि राहुल उसकी बुर देखकर पगला सा गया है.. और वह अब पूरी तरह से उसके बस में था वह उससे चाहे जो करवा सकती थी इसलिए उसकी प्रसन्नता का कोई ठिकाना ना था। राहुल अब पूरी तरह से विनीत की भाभी की मुट्ठी में था।
तभी वीनीत की भाभी ने राहुल के उत्तेजना को बढ़ाते हुए हल्के से अपनी भरावदार गांड को उचकाई ओर पुन उसी स्थिति में अपनी गांड को लाते हुए बोली।
राहुल करना रे मेरी मालिस बहुत दर्द कर रहा है वहां पर
हाँ हां करता हुँ भाभी.. ( इतना कहने के साथ ही राहुल ने वापस जांघो पर अपनी हथेली रखकर मालिश करते हुए अपनी उंगलियों को जांघों के बीच सरकाने लगा जैसे-जैसे राहुल की उंगलियां जांगो के अंदरूनी भागों पर पिसल रही थी वैसे वैसे राहुल के साथ-साथ विनीत की भाभी का भी उन्माद और उत्तेजना बढ़ते जा रहा था वह रह रहकर कसमसा रही थी। राहुल का गला सुर्ख हो चला था। मालिश करते करते उसकी उंगलियां बुर के मुख द्वार से बस दो अंगुल ही दूर रह जाती थी राहुल का मन बहुत करता था कि वह अपने उंगलियों का स्पर्श बुर के मुख द्वार पर कराए लेकिन उसकी हिम्मत नहीं होती थी। वह बार बार हिम्मत करके अपनी उंगलियों को सरकाता हुआ गुलाबी बुर की तरफ बढ़ता लेकिन बुर के उपसे हुए हिस्से पर ही उंगलियों को रगड़ता हुआ ऊपर की तरफ आ जाता । लेकिन इतने मात्र से ही राहुल का पूरा बदन अजीब से सुख की अनुभूति से गनगना जाता । विनीत की भाभी का भी यही हाल होता
जैसे ही उसकी उंगली बुर के उपसे हुए भाग को रगड़ते हुए बढ़ती उसकी तो मानो जेसे सांसे ही अटक जाती थी। पूरे बदन पर जैसे चींटिया रेंग रही हो ना सहा जा रहा था और ना ही कहा जा रहा था।
आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी । एक तरफ राहुल था जो अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रहा था जिसके लिए सब कुछ नया नया था सब कुछ धीरे-धीरे सीख रहा था उसका कुंवारापन जवानी की सागर में हिलोरे ले रहा था जिस पर सवार होने के लिए विनीत की भाभी मचल रही थी।
दूसरी तरफ विनीत की भाभी जो अनुभव से भरी हुई थी
जिसके अंग अंग से काम रस टपक रहा था जिसने अपने कामुक अंगों का प्रदर्शन राहुल के सामने करके उसे अपना दीवाना बना ली थी अपनी भरावदार गांड और रसीली बुर के दर्शन करवा कर राहुल को पूरी तरह से अपने कब्जे में कर ली थी। राहुल के कुंवारेपन को लूटने का सारा दावपेंच आजमा रही थी जिसमें उसे पूर्ण रूप से सफलता भी मिलती दिखाई दे रही थी।
राहुल अपनी निगाह उस गुलाबी द्वार पर टिकाए हुए ही जांघो की मालिश कर रहा था। उसका मन बार बार फुदक रहा था उस गुलाबी द्वार को स्पर्श करने के लिए। और इस बार उसने मन में हिम्मत जुटाकर अपनी उंगलियों को जांघो पर धीरे-धीरे रेंगाते हुए आगे बढ़ने लगा अपने कांपते हाथों की उंगली को उसने मालिश करते हुए हल्के से बहुत ही तीव्र गति से बुर की गुलाबी पत्ती को स्पर्श कराते हुए आगे की तरफ बढ़ गया। बस इतने स्पर्श मात्र से ही राहुल का लंड अकड़ सा गया। उसके बदन में झुनझुनी सी छा गई। इस बार फिर से उसके लंड ने काम रस की बुंद को टपका दिया। राहुल को इस पल हस्तमैथुन से भी ज्यादा आनंद मिल रहा था। जैसे ही राहुल की उंगलियां विनीत की भाभी के बुर की गुलाबी पत्ती को स्पर्श की वीनीत की भाभी एकदम से गनगना गई उसका बदन हिचकोले खाने लगा उसने उसी पल अपनी भरावदार गांड को आगे पीछे करते हुए कसमसाई उसकी बुर तवे पर जेसे रोटी फूलती है उसी तरह से उत्तेजना के मारे रोटी की तरह फूल गई।
राहुल को अपनी ईस हरकत पर आनंद तो बहुत आया लेकिन वो अंदर ही अंदर घबरा भी रहा था कि भाभी कुछ बोल ना दे इसलिए वह जाँघो के अंदरुनी भाग पर मालिश करने लगा जैसे की कुछ हुआ ही ना हो।
विनीत की भाभी को तो बुरा हाल हो रहा था वासना पूरी तरह से उसके ऊपर हावी हो चुकी थी सही गलत का फैसला करना उसकी बस में बिल्कुल नहीं था वह अपने हालात के आगे घुटने टेक दी थी।। वह मन ही मन सोच भी रही थी कि अगर राहुल की जगह कोई और लड़का होता तो न जाने कब से इतने में ही उसकी जमकर चुदाई कर दिया होता है लेकीन राहुल इतना नादान था की अपने आप से इससे ज्यादा ब़ढ़ ही नहीं रहा था। वह अब समझ चुकी थी कि जो भी करना है उसे खुद ही करना है। इसलिए विनीत की भाभी ने कुछ ऐसा करीें कि जिसे देखकर राहुल का पूरा वजूद हिल गया। वीनीत की भाभी पेट के बल लेटी हुई थी कि तभी अचानक उसने एकाएक करवट बदली और सीधे पीठ के बल हो गई।
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विनीत की भाभी ऐसा कुछ करेगी इसका अंदाजा राहुल को बिल्कुल भी नहीं था। जो नजारा उसकी आंखों के सामने पेश हुआ उसे देखते ही राहुल की आंखें चौंधिया सी गई ... उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया।
पीछे से देखने पर जितनी खूबसूरत लग रही थी उससे भी कहीं ज्यादा खूबसूरत और रसीली थी वीनीत की भाभी की बुर . इसका पता आगे से ही देखने पर राहुल को हुअा था। बुर ईतनी ज्यादा खूबसूरत होती है अब पता चल रहा था। एकदम चिकनी ऐसा लग रहा था कि आज ही क्रीम लगा कर साफ की हो । दूर की गुलाबी पत्तियों पर हल्की हल्की बूंदे नजर आ रही थी मानो की गुलाब के फूल पर ओस की बूंदे गिरी हो और उन्माद उत्तेजना के कारण ईतनी ज्यादा फुली हुई थी की मानो तवे पर कोई रोटी गरम हो कर फूल गई हो। राहुल तो मंत्रमुग्ध होकर बुर को ही निहारे जा रहा था । उसे अब क्या करना था इस बारे में बिल्कुल भूल चुका था वह तो बुर की मोहकता में मोह गया था। विनीत की भाभी अपने चेहरे पर कामुक मुस्कान बिखेरते हुए बड़े गोर से राहुल के मासुम चेहरे को देख रही थी। राहुल की हालत देख कर वीऩीत की भाभी को बहुत ही आनंद हो रहा था। उसकी नजर कभी राहुल के चेहरे पर तो कभी राहुल के पेंट में बने तंबू पर जा रही थी।
तभी विनीत की भाभी ने कुछ ऐसी हरकत कर दी थी जिसे देख कर राहुल की सांसे थम सी गई उसे ऐसा लगने लगा कि जैसे किसी ने उसे जकड़ लिया हो। राहुल कर भी क्या सकता था वह नजारा ही कुछ इस तरह का था कि राहुल की जगह कोई भी होता उसकी भी यही हालत होती। विनीत की भाभी ने जानबूझकर राहुल को दिखाते हुए हथेली के बीच वाली उंगली को अपनी बुर के बीचोबीच गुलाबी पत्तियों के बीच में रखकर उंगली को रगड़ते हुए आगे पीछे करते हुए कामुक अंदाज में बोली।
क्या देख रहे हो राहुल कभी किसी की देखे नहीं हो क्या? ( ऐसा कह कर भी अपनी उंगली को बराबर बुर के बीचो बीच रगड़ती रही। ईस नजारे को देखते ही राहुल एकदम से गरमा गया था। पेंट के अंदर ही राहुल के लंड ने ठुनकि मारते हुए ठंडी आह भरी और काम रस की बूंद को फिर से टपका दिया। पेंट के अंदर का तनाव बढ़ता ही जा रहा था इस नजारे को देखकर तो राहुल के बदन मे जेसे वासना की आग और ज्यादा भड़क गई हो । उत्तेजना में उसका चेहरा और ज्यादा तमतमा गया था। वह वीनीत की भाभी के सवाल का जवाब दिए बिना ही ललचाई आंखों से उसकी बुर को घुरता रहा ... राहुल की हालत को देखकर वीनीत की भाभी के मन का पंछी उड़ने लगा था वह अभी भी मंद मंद मुस्कुरा रही थी अपने सवाल का जवाब ना पाकर उसने फिर से इस बार बुर पर रगड़ रही अपनी बीच वाली उंगली को हल्के से बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच के छेंद मे सरका दी और जैसे ही उसकी आधी ऊंगली बुर में समाई उसने उत्तेजना वश अपने निचले होंठ को दात से दबा ली और कामुक अंदाज में बोली।)
क्या हुआ राहुल तुम्हारी हालत क्यों खराब हो रही है क्या तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है यह सब।..... छूना चाहोगे ईसे ....
( अब राहुल क्या कहता था तो खुद अचंभित उन्माद और उत्तेजना के सागर में डूबने लगा था उसे तो कुछ सुझ ही नहीं रहा था वीनीत की भाभी का यह अंदाज उसके वजूद को हिला कर रख दिया था उसने जिस तरह से अपनी उंगली को बुर में सरकाई थी उसे देखते ही उसके लंड में सुरसुरी सी फैल गई थी। राहुल के पास कोई भी जवाब नहीं था और ना ही जवाब देने की हालत में था। राहुल की हालत को देखकर वीनीत की भाभी समझ गई थी कि जो भी करना है अब उसे ही करना था क्योंकि राहुल आगे से कुछ भी नहीं कर सकता था उसके में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह आगे बढ़ सके। इसलिए राहुल को खामोश देखकर वो फिर से बोली।)
क्या हुआ राहुल खामोश क्यों हो क्या तुम्हें मेरी यह चीज (उंगली से इशारा करते हुए) पसंद नहीं आई क्या इस से भी खूबसूरत कहीं देख चुके हो... बोलो ..।खामोश क्यूं हो?
राहुल क्या कहता उसकी हालत ऐसी हो गई थी जैसे कि उसे सांप सूंघ गया हो वह कभी विनीत की भाभी की तरफ देखता तो कभी उस की रसीली बुर को निहार लेता। उसकी हालत देख कर वीनीत की भाभी फिर से बोली।
बोलो राहुल इस से भी खूबसूरत क्या देख चुके हो तुम?
( राहुल कुछ बोला नहीं बस ना में सिर हिला दिया)
तो बताओ कैसी लगी मेरी बुर .. अच्छी लगी ना।
( वीनीत की भाभी के मुख से बुर शब्द सुनकर ही वह एकदम गदगद हो गया उसके लंड में खून का दौरा दुगनी तेजी से होने लगा .. राहुल पहली बार किसी औरत के मुंह से इतनी गंदी बात सुन रहा था। मुझसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि कोई और है अपने अंगो के बारे में इतना खुल कर बोल सकती है। आश्चर्यचकित होकर आंख फाड़े विनीत की भाभी को देखने लगा । वीनीत की भाभी को उसका आश्चर्यचकित होने का कारण मालूम था इसलिए वह उसको और उकसाते हुए बोली।)
बोलो ना राहुल कैसी लगी मेरी रसीली फूली हुई बुर ...
( एक बार फिर से उसके मुंह से बूर शब्द सुनकर राहुल से रहा नहीं गया उसकी उत्तेजना बढ़ते ही जा रही थी इसलिए वीवश होकर वह बोला।)
हां भाभी मुझे आपकी बहुत अच्छी लगी बहुत खूबसूरत है।
(हंसते हुए )क्या खूबसूरत है यह तो बताओ शरमाओ मत... बोल दो जो बोलना है डरो मत मैं तुम्हें कुछ नहीं कहूंगी( इतना कहते हुए उसने फिर से अपनी हथेली को अपनीे बुर पर रख कर मसल दी। यह सब राहुल को उकसाने के लिए और उसका होसला बढ़ाने के लिए ही था। उसकी बातों से राहुल का हौसला जरूर बढ़ गया था इसलिए वह हिम्मत जुटाते हुए बोला।)
आपकी बुर मुझे बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लगती हैं।
( राहुल हिम्मत उठाकर उसके सामने बोल ही दिया)
छुना चाहोगे मेरी बुर को (अपनी बुर को मसलते हुए बोली)
( राहुल भला कब मना करने वाला था वह तो तड़प रहा था उसे छूने के लिए मसलने के लिए बस थोड़ा सा घबरा रहा था उस घबराहट को भी विनीत की भाभी अपनी बातों से दूर करने लगी थी इसीलिए वह हामी में सर हिला दिया। )
तो लो छुओ मेरी बुर को ईस पर अपनी ऊंगलिया फिराओ ( इतना कहने के साथ ही उसने अपनी गांड को ऊपर की तरफ उचका दी ) लो महसूस करो इसकी गर्माहट को।
( विनीत की भाभी के इस अंदाज पर तो अच्छे अच्छों का पानी निकल जाए लेकिन ना जाने राहुल कैसे बचा हुआ था वैसे तो इस अंदाज पर राहुल के लंड में भी झुनझुनी सी फेल गई थी। वीनीत की भाभी की नजर बार बार राहुल के पेंट में बने तंबू पर ही चली जा रही थी जब भी लंड में थोड़ी सी भी हलचल होती तो उसके ऊपसे हुए भाग पर उस की हलचल साफ दिखाई पड़ती थी। बुर को छूने वाली बात पर राहुल का बदन अजीब से सुख की अनुभूति के एहसास से ही कांप गया था। उसके बदन में भी कंपकंपी सी फैलने लगी थी। वह अपने कांपते हुए हाथ को बुर की तरफ बढ़ाया लेकिन बुर को स्पर्श करने से घबरा रहा था। विनीत की भाभी उसकी घबराहट को भाप गई और बोली।
डरो मत राहुल यह तो वह द्वार है जिसमें प्रवेश करने के लिए दुनिया का हर मर्द तरसता और तड़पता है.. इसे छू कर देखो इसका हसीन एहसास तुम्हारी उंगलियों से सीधे तुम्हारे बदन तक पहुंच जाएगा जो तुम्हें एक अजीब सी दुनिया में लेकर जाएगा। डरो मत राहुल छू कर के देखो इसे सहला कर देखो...
विनीत की भाभी की बातों को सुनकर राहुल को थोड़ी हिम्मत हुई और उसने फिर से अपने हाथ को वीनीत की भाभी के बुक के नजदीक ले जाने लगा हांलाकि उसका हाथ अभजैसे ही उसकी उंगलियां तपती हुई बुर के नजदीक पहुंची तो बुर की गर्माहट उसे अपनी उंगली पर महसूस होने लगी। जेसे जेसे राहुल की ऊंगलिया बुर के नजदीक पहुंच रही थी वेसे वेसे उत्तेजना के कारण वीनीत की भाभी की बुर सिकुड़ रही थी,फुल रही थी पिचक रही थी। राहुल की ऊंगलियो का स्पर्श अपनी बुर पर करवाने के लिए कसमसा रही थी।
जैसे ही राहुल ने अपनी उंगली से तपती हुई बूर को छुआ उसके गर्म एहसास से उसका पूरा बदन कंपकपा गया राहुल ने अपनी उंगली से बुर की गुलाबी पत्तियों को हल्के से छुआ था राहुल के साथ साथ विनीत की भाभी एकदम से जोश में आ गई उसे कुछ भी नहीं सुझा अपनी बुर पर राहुल की उंगलियेां का स्पर्श पाकर वह एकदम से गनगना गई थी। अब वह इस पल को इस मौके को गंवाना नहीं चाहती थी' इसलिए उसने तुरंत अपनी हथेली को झट से राहुल की हथेली पर रखकर कसकर अपनी बुर पर दबा ली और जैसे ही राहुल की हथेली को अपनी बुर पर दबाई वैसे ही वीनीत की भाभी सिसक उठी साथ ही साथ तपती हुई बुर की गरमी को अपनी हथेली पर महसूस करके राहुल का बदन गनगना गया और उसक मुँह से गरम सिसकारी फूट पड़ी।
ओहहहहहह......भाभी.... ( इतना कहने के साथ ही राहुल की आंखें मस्ती में अपने आप ही मूंद गई और उत्तेजना के कारण राहुल ने विनीत की भाभी की रसीली बूर को अपनी हथेली में दबोचते हुए बोला) भाभी...भाभी ..... मुझे कुछ हो रहा है ऐसा लग रहा है मैं हवा में उड़ रहा हूं..... मुझे संभालो.... मुझे संभालो भाभी....
( वीनीत की भाभी खुद मस्ती के सागर में गोते लगाने लगी थी। उसकी भी आंखें मुंद गई थी.. राहुल की हथेली को अपनी हथेली में दबोच कर अपनी दूर पर गोल-गोल घुमाते हुए अपनी बुर को मसलवाते हुए बोली)
आआहहहहहह..... राहुल .... कुछ नहीं हो रहा है तुझे बस मजा आ रहा है मजा आ रहा है ..।बस मजा ले खोजा इस मस्ती के सागर में ,डूब जा मेरी बुर की गहराई में..राहुल....( विनीत की भाभी बदहवास हो चुकी थी उसकी आंखों में मदहोशी छाने लगी थी उसने अपनी बुर पर अपने ही हाथ से राहुल की हथेली को रगड़ते हुए एक हाथ से राहुल का हाँथ पकड़ के अपनी तरफ खींची ' राहुल को कुछ समझ में नहीं आया और वह कुछ समझ पाता इससे पहले ही विनीत की भाभी ने राहुल के पेंट मे बने तंबु को पेंट के ऊपर से ही अपनी हथेली में दबोच ली' वीनीत की भाभी की इस हरकत पे राहुल एकदम से शकपका गया। वीनीत की भाभी पैंट के ऊपर से ही लंड की लंबाई और मोटाई नाप रही थी लंड को पेंट के ऊपर से ही कस कस के दबा रही थी जिससे राहुल को भी आनंद का अनुभव हो रहा था। राहुल की तो पांचों उंगलिया घी मे डुबी हुई थी।
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