आज भी राहुल को पीक करने के लिए विनीत पहले से ही चौराहे पर खड़ा था। आज भी विनीत बाइक ले आया था। कुछ ही देर में दोनोे स्कूल पहुंच गए ।
राहुल पिछली बातों को दिमाग से लगभग निकाल ही दिया था। पहले की तरह ही पढ़ाई में व्यस्त था। विनीत का मन ज्यादातर पढ़ाई में नहीं लगता था वह हमेशा इधर उधर कुछ ना कुछ करता रहता था।
चैप्टर के बाद चैप्टर चल रहा था। राहुल सारे चैप्टर को ध्यान से सुनता और उसे नोटबुक में कॉपी कर लेता।
कुछ ही देर में अपने समय अनुसार रिसेस की घंटी बजी और सारे विद्यार्थी क्लास से बाहर जाने लगे तो विनीत बोला ।
वीनीत: यार चल हम भी आज बाहर चलते हैं यहां बैठे-बैठे बोर हो जाते हैं।
राहुल: हां चल यार मैं भी कुछ दिनों से यहां बैठे बैठे बोर हो रहा हूं।
( विनीत राहुल दोनों क्लास के बाहर आ गए। स्कूल में छोटा सा गार्डन भी बना हुआ था जहां पर रीशेष मे विद्यार्थी बैठकर गपशप लड़ाया करते थे। राहुल और विनीत एक अच्छे से कौना देख कर बैठे ही थे कि। तुरंत वहां नीलू आकर बैठ गई। कल की सारी बातों को भूल चुका राहुल नीलू को देखते ही सकपका गया। कल की सारी बातें की आंखों के सामने तैरने लगी। विनीत कुछ बोल पाता उससे पहले ही नीलू बोली।)
नीलु: आज क्या बात है तुम दोनों क्लास की वजाय आज यहां पर बैठे हो।( इतना कहने के साथ ही वह राहुल के नजदीक बैठ गई नीलु के वहां बैठते ही राहुल की बेचैनी बढ़ने लगी उसे कल क्लास में हुआ सारा वाक्या याद आने लगा। बीते हुए नजारों को याद करके राहुल कसमसाने लगा मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें क्या ना करें। तभी विनीत बोल पड़ा)
वीनीत: आज हम दोनों ने सोचा कि चलो क्यों ना आज तुम से ही मिल लिया जाए इसलिए क्लास छोड़कर बाहर आ गए।। वैसे आज तुम बहुत सेक्सी लग रही हो क्या बात है आज कीसपर कहर बरसाओगी। ( विनीत नीलू की शर्ट मैं उभार लिए हुए उसकी चुचीयो को घूरते हुए बोला।)
(
नीलू भी अपने सीने के उभार को थोड़ा आगे की तरफ बढ़ाते हुए बोली।)
नीलु: इतनी भी तारीफ मत करो इतनी भी सुंदर नहीं हूं मैं। ।
वीनीत: सच कह रहा हूं नीलु मुझ पर भरोसा नहीं तोे राहुल से पूछ लो। क्यों राहुल नीलू कैसी लगती है तुम्हें।
( वीनीत के इस सवाल पर राहुल एकदम से सकपका गया गया। उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दें। उसको तो वैसे ही लड़कियों से नजरें मिलाने में भी डर लगता था। राहुल कुछ बोल पाता इससे पहले नीलू बोल पड़ी।)
नीलु: क्यों राहुल कैसी लगती हो मैं तुम्हें बोलो।
( नीलू की बात सुनते ही राहुल के तो पसीने छूट गए। नीलू की मीठी आवाज राहुल के बदन में झनझनाहट पैदा कर रही थी। राहुल क्या कहता कुछ समझ नहीं आ रहा था वह कभी नीलू की तरफ तो कभी जमीन की तरह दोखने लगता। राहुल को खामोश देखकर नीलू बोली।)
नीलु: देखा ना विनीत तुम्हारे दोस्त को ही मैं अच्छी नहीं लग रही हूं तभी तो कुछ बोल नहीं रहा है।
राहुल; ना ना नाना नहीं। ऐसी कोई बात नहीं है( राहुल और कुछ बोलता इससे पहले ही विनीत के मोबाइल की घंटी बजी। राहुल और नीलू दोनों का ध्यान विनीत के ऊपर गया विनीत अपनी जेब से फोन निकाला स्क्रीन पर देखकर कॉल रिसीव किया।)
वीनीत; हां भाभी। अभी इसी वक्त। ज्यादा जरूरी था क्या अच्छा ठीक है मैं जल्द से जल्द आ रहा हूं मैंरा इंतजार करिए।( फोन कट करके उसे अपनी जेब में रखते हूए ।)
मुझे घर जाना होगा जरुरी काम है । ( इतना कहकर वह नीलू और राहुल को बाय करके निकल गया। राहुल और नीलू दोनों विनीत हो जाता हुआ देखते रहे। आज पहली बार नहीं था की विनीत की भाभी का फोन आया हो इससे पहले भी कई बार स्कूल में या बाहर इसी तरह से विनीत को उसकी भाभी का फोन आता था और वह तुरंत सारे काम छोड़ कर घर की तरफ चल देता था। विनीत अपनी बाइक लेकर घर चला गया था राहुल की हालत और खराब होने लगी क्योंकि अब अकेला था और नीलू उसके पास ही बैठी थी।)
नीलु: तुम बताए नहीं कि मैं कैसी लग रही हूं। ( एकदम मस्ताए अंदाज मे ) बोलो ना राहुल( इतना कहने के साथ ही नीलू अपने हाथ को राहुल की जाँघ पर रख दी। अपनी जाँघ पर नीलू के नरम हाथों का स्पर्श पड़ते ही राहुल का बदन गन गना गया । ओर वो कांपते हुए बोला।)
राहुल; मंमममममम मै कककककक क्या बोलु। ( उसके शब्द भी अटक अटक के गले में से नीकल रहे थे। नीलू की हथेली का स्पर्श पाते ही राहुल के लंड* में भी सनसनी पैदा होने लगी थी। और वह सिर उठाना शुरु कर दिया था पेंट में बढ़ते उभार पर नीलु की नजर पड़ते ही नीलू की बुर मे कुलबुलाहट होना शुरु हो गया
।। उसका जी तो कर रहा था कि अपनी हथेली को उसके पेंट में बढ़ रहे उभार पर रख कर दबोच ले। लेकिन यहां ऐसा करना ठीक नहीं था। नीलू फिर से सबकी नजर बचाकर अपनी हथेली को उसकी जाँघो पर सहलाते हुए बोली।)
नीलु: बोलो तो सही में कैसी लगती हूं।(नीलु राहुल की शर्म और उसकी घबराहट को भाँपतो हुए।) क्या यार तुम तो कितना डरते हो। अरे कुछ नहीं तो इतना तो कह सकते हो की अच्छी लगती हुं की खराब लगती हु।
( इतना कहने के साथ ही नीलू राहुल से और ज्यादा सट गई। एक लड़की के बदन से पहली बार उसका बदन सटा हुआ था । राहुल के पूरे बदन में सनसनाहट फेल रही थी। अजब से सुख का अहसास उसके पूरे बदन मे हो रहा था। राहुल जितना सरकता जाता नीलु उतना ही उसके करीब खसकती जाती। राहुल के माथे पर पसीने की बूंदे झलकने लगी। राहुल का हाल देखते हुए नीलू फिर बोली।)
नीलु; यार तुम तो सच में बहुत डरपोक हो। कुछ बोल ही नहीं रहे हो (उसकी हथेली अभी भी राहुल की जाँघो के ऊपर की तरफ ही थी। अब तो राहुल की पेंट मे एकदम से तना हुआ तंबु बन चुका था। जिसको देख देख कर नीलू की जाघोँ के बीच हलचल मची हुई थी।)
या तो कुछ बोलो या मैं यह समझूं की तुम्हें मैं अच्छी नहीं लगती।
( नीलू की बात सुनते ही राहुल एकाएक बोला।)
राहुल; नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मुझे तो तुम( अपना सिर नीचे झुकाते हुए) बहुत अच्छी लगती हो।
(
राहुल की बात सुनते हुए नीलू मन ही मन बहुत खूश हो रही थी। वह उससे और ज्यादा बातें कर पाती इससे पहले ही रिषेश पूरी होने की घंटी बज गई। घंटी बजते ही राहुल तुरंत उठ गया। नीलू तुरंत उसका हाथ पकड़ ली। राहुल का हाथ नीलू के हाथ में आते ही राहुल के बदन में गुदगुदी होने लगी। राहुल अपनी नजरें नीलू की तरफ घूमाया तो उसकी नजर खुद बखुद नीचे हो गई वह नीलू से नजरें नहीं मिला पा रहा था। तभी नीलू बोली)
नीलु: विनीत तो बाइक लेकर घर चला गया। तुम कैसे जाओगे राहुल घर।
( नीलू के सवाल का जवाब देते हुए राहुल बोला)
राहुल ;पैदल ही चला जाऊंगा इसमें क्या हुआ।
नीलु: कोई बात नहीं राहुल हूं मैं तुम्हें छोड़ दूंगी। मैं अपनी गाड़ी लाई हूं।
( नीलू की बात सुनकर राहुल खुश होता हुआ बोला)
राहुल: थैंक यू।
नीलु; इसमे थैंक्यू केसा ( राहुल का हाँथ अभी भी नीलू के हाथ में था। राहुल कसमसा रहा था क्योंकि उसकी पेंट में अभी-भी तंबू बना हुआ था जिसे वह नीलू की नजरों से बचाने की नाकाम कोशिश कर रहा था। लेकिन नीलू की नजर बार-बार तंबू पर ही जम जा रही थी । राहुल की जांघों के बीच नजर गड़ाते हुए) वैसे भी दोस्ती में थैंक्यू वैंक्यू कुछ नहीं होता। वैसे हम दोनों दोस्त तो है ना। की दोस्त नहीं है।
( नीलू सवालिया नजरों से राहुल की तरफ देखने लगे तो राहुल बोला।)
राहुल: हां है। ( इतना कहकर शर्मा गया। नीलू राहुल का जवाब सुनकर मुस्करा दी और उसका हाथ छोड़ दी।)
नीलु: छुट्टी में मिलना साथ में चलेंगे।
नीलू की बात सुनकर
राहुल खुश होता वह अपने क्लास की तरफ चला गया और नीलू भी अपनी क्लास में चले गई।)
राहुल क्लास में आज बहुत खुश नजर आ रहा था आज पहली बार उसने किसी लड़की से इतनी सारी बातें की थी उसे तो यकीन नहीं आ रहा था यह सब सच है या एक सपना। उसे तो अब बस छुट्टी की घंटी के बजने का इंतजार था। बार-बार की आंखों के सामने नीलू का चेहरा तेर जा रहा था। लेकिन उसे इस बात पर शर्मिंदगी भी हो रही थी कि। उसके पेंट में बने तंबू को देखकर नीलू क्या सोच रही होगी। क्योंकि वह तिरछी नजरों से नीलू को देख ले रहा था और उसकी नजरें भी उसकी पेंट मे बने तंबू पर ही थी। लेकिन कुछ भी हो आज जो हुआ उसको लेकर उसके मन में हलचल सी मची हुई थी
अब राहुल का मन पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था । बड़ी बेसब्री से उसे छुट्टी का इंतजार था।
वहीं दूसरी तरफ नीलू का भी यही हाल था मन ही मन में राहुल उसे भाने लगा था। उसकी मासूमियत उसका भोलापन उसका भोला सा चेहरा यह सब नीलू को बहुत ही ज्यादा भा रहा था। खास करके नीलू को उसकी पेंट में बने उभार की तरफ ज्यादा ही दिलचस्पी थी। नीलू को उसकी पेंट का उभार कुछ ज्यादा ही पसंद आया था
नीलू के मन में उसके उभार को देखकर लड्डू फूट रहे
थे । क्योंकि वह बखूबी जानती थी कि वीनीत के पेंट में जितना उभार बनता है उससे कहीं ज्यादा उभार राहुल की पेंट में बन रहा था । नीलू के मन में इस बात को लेकर ज्यादा उत्सुकता थी कि अगर राहुल की पैंट का उभार इतना बड़ा है तो उसका लंड कितना बड़ा होगा।
यही सब सोच सोच कर उसकी बुर की अंदरुनी दीवारें पसीज कर पैंटी को गीला कर रही थी।
दोनों का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था दोनों को बस इंतजार था छुट्टी की घंटी बजने का।
अपने समय अनुसार घंटी बज गई। राहुल का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था से समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे नीलू से मीले । वो टहलते टहलते पार्किंग तक आ पहुंचा। वहां देखा तो नीलू नहीं थी। उसका मन उदास होने लगा। तभी सामने से उसे नीलू लगभग दौड़ते हुए उसके करीब आते हुए दिखाई दी । राहुल नीलू को देख कर बहुत खुश हुआ। हवा में लहरा रहे उसके रेशमी बाल उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे। सूरज की तीखी रोशनी में उसका चेहरा और भी ज्यादा दमक रहा था। लेकिन राहुल की नजर उसकी खूबसूरती का रसपान करते हुए उसके बदन के खास अंग पर अटक गई जब वह लगभग दौड़ते हुए आ रही थी तब दौड़ने की वजह से उस की चुचीयाँ ऊपर नीचे होकर ।