अंदर सुनील और काम्या दोनों बिस्तर पर लेटे हुए थे। काम्या खिड़की की तरफ थी जबकि सुनीलदूसरी तरफ था। सुनील के शरीर में केवल अंडरवियर थी जबकि काम्या पूरी मादरजात नंगी थी। काम्या के चेहरे पर शर्म का भाव था। ये भारतीय नारी का स्वाभाविक गुण है कि चाहे विवाह हुए बीसों साल हो गए हों पर जब भी पति के सामने नंगी होती है तो वो शर्म महसूस करती है। दोनों आपस में कुछ बात कर रहे थे पर मदनलाल को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। मदनलाल बहु के सौंदर्य में खो गया। कितना खूबसूरत मुखड़ा था काम्या का जैसे कोई मॉडल हो बड़ी -२ आँखें ,लम्बी नाक ,टमाटर
जैसे गाल ,रस से भरे होंठ,सुराहीदार गर्दन। उसकी नज़र और नीचे गई तो उसे गर्व से खड़े दो पर्वत शिखर दिखाई दिए.कोई उन्हें संतरे कहता है तो कोई कबूतर मगर अभी तो वो पर्वत शिखर जैसे खड़े थे। कुदरत की इस खूबसूरत रचना के उपर दो निप्पल थे मानो सुरापान का आमंत्रण दे रहे हों और नीचे पतली सी चिकनी बलखाती कमर थी। कमर किसी बरसाती नदी के समान बलखाती हुई थी। मदनलाल की नज़र कमर के और नीचे गई तो उसकी साँसे अटकने लगी ये बहु का वो हिस्सा था जिसने मदनलाल की नींद हराम कर रखी थी।ये थी काम्या की बड़ी -२ गोलमटोल गद्देदार गांड ,वो गाण्ड जिसने मदनलाल को अधर्म करने पर मज़बूर कर दिया था। गाण्ड क्या थी मर्दों के क़त्ल का सामान था काम्या की गाण्ड इतनी उभरी हुई थी कि
लेटने पर उसकी कमर बिस्तर से दो इंच उपर रहती थी। मदनलाल कुछ देर तक उस बेहद कामुक गाण्ड को अपलक देखता रहा। गाण्ड से आगे मोटी -२ जांघे थी जिनके जोड़ पर एक हल्का सा
चीरा था। उस गोल्डन ट्रायंगल के चारों तरफ हलके -२ ट्रिम किये हुए बालों का झुरमुट था। सुनील और काम्या आपस में बात कर रहे थे साथ ही साथ सुनील के हाथ काम्या के मम्मों से भी खिलवाड़ कर रहे थे। बीच -२ में सुनील काम्या के रसीले होंठ भी चूम लेता। अचानक सुनील ने अपना हाथ नीचे सरकाया और झांटों के उपर हाथ फेरने लगा। काम्या का चेहरा शर्म और उत्तेजना से लाल हो गया। सुनील ने अब अपना हाथ और नीचे किया और चूत के छेद में उंगली डालने की कोशिश करने लगा। काम्या ने जोर से जांघो को दबा रखा था। भारतीय नारी चाहे मन से चुदना भी चाहती हो
तो भी अपने आपको सिकोड़े रखती है। ये संस्कार उसे बचपन से मिले होते हैं। सुनील ने अपना पैर काम्या के दोनों पैरों के बीच फसाया और उसकी एक टांग दूर कर दी और झट से उंगली चूत
के अंदर कर दी। अब वो धीरे -२ उंगली अंदर बाहर करने लगा। लगभग छः महीने बाद कोई चीज आज काम्या की चूत के अंदर गई थी। काम्या तुरंत गरमा गई उसने अपनी आँखे बंद कर ली तथा
अपना सिर दायें बाएं करने लगी उसका मुंह भी खुल गया था। सुनील ने उंगली चलाते -२ काम्या की एक चूची को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगा। मदनलाल का मन कर रहा था कि वो दूसरी चूची अपने मुंह भर ले और दोनों बाप बेटे एक साथ बहु की सेवा करें लेकिन सोचने से तो दुनिया चलती नहीं। कुछ देर तक यूं ही finger fucking और चूची चुसाई चलती रही फिर सुनील ने
काम्या को कुछ कहा लेकिन जवाब में काम्या ने ना में सिर हिला दिया। सुनील ने दो तीन बार कहा पर काम्या बार -२ ना कर देती। मदनलाल को समझ नहीं आ रहा था की ऐसी क्या बात है जो
बहु इतने रोमांटिक समय में भी मना कर रही है। मदनलाल को लगा शायद सुनील लण्ड चूसने के लिए बोल रहा होगा क्योंकि घरेलु औरते अभी भी लण्ड चूसने को गन्दा काम मानती हैं। काम्या
के मना करने पर सुनील ने फिर उसके दोनों कबूतरों की सेवा शुरू कर दी उंगली अभी भी काम्या के छेद में ही थी। दुतरफा हमला काम्या को भी बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था.कुछ चूत सर्विसिंग के बाद एक बार फिर सुनील ने उससे कुछ कहा। इस बार काम्या ने अपनी आँखे खोली सुनील की ओर देखा और धीरे से उठ के बैठ गई। मदनलाल अगले कदम का उत्सुकता से इंतज़ार करने लगा कि आखिर सुनील क्या चाह रहा था। काम्या बिस्तर के एक दम किनारे आई और घोड़ी बन गई। "" ओह तो साहबजादे जब से घोड़ी बनने के लिए बोल रहे थे "" मदनलाल बुदबुदाया।
मदनलाल को ख़ुशी हुई कि उसका बेटा भी उसी की तरह इस आसन का शौक़ीन है। ये आसन कैंची आसन के बाद मर्दों का सबसे लोकप्रिय आसन है। जितने नाम इसके हैं उतने और किसी के नहीं
हैं। अँगरेज़ इसे डॉगी स्टाइल कहते हैं। कोई इसे घोड़ी बनाना कहता है। कामसूत्र में इसे कामधेनु आसन कहते हैं और मेरे जैसे रसिक हिर्दय इसे मोरनी बना के चोदना कहते हैं क्योंकि इस आसन में अगर स्त्री के कंधे नीचे झुका दिए जाए तो उसका पिछवाड़ा बिलकुल मोरनी जैसे दिखने लगता है। इस आसन की एक और विशेषता है कि लड़की अगर दुबली पतली भी हो मगर उसको
मोरनी बना दिया जाए तो उसकी गाण्ड चौड़ी हो जाती है। गाण्ड के दीवाने इस अंदाज़ में इसलिए भी चोदते हैं क्योंकि गाण्ड उनकी आँखों के सामने रहती है और लण्ड अंदर बाहर होता दिखता रहता है
बहु के मोरनी बनते ही मदनलाल ने आपा खो दिया और न चाहते हुए भी लुंगी से मूसल बाहर निकाल कर हाथ में थाम लिया। मोरनी बनी काम्या गज़ब की सेक्सी दिख रही थी उसका सुन्दर सलोना चेहरा आने वाले सुख की याद में बहुत ही कामुक दिख रहा था। संगमरमरी बांहे कोहनी से बिस्तर में टिकी हुई थी। दोनों दसहरी आम अपने वज़न से नीचे लटक गए थे। पतली कमर बड़ी मुश्किल से विशालकाय गाण्ड को थामे हुई थी। बहु की गाण्ड वैसे ही काफी बड़ी और उभरी हुई थी किन्तु मोरनी आसान में तो उसने कहर ढा रखा था। पीछे से देखने पर बहु की गाण्ड बिलकुल खिले हुए कमल की तरह लग रही थी जिसे देखते ही मदनलाल लण्ड को मसलने लगा।
मोरनी बनी बहु को देख कर मदनलाल ने वहीं संकल्प कर लिया कि जिस दिन भी बहु देने को तैयार हो जाएगी पहली चुदाई मोरनी बना के ही करूंगा। चोदते हुए इस गाण्ड को देखने का सुख स्वर्ग के सुख से भी कई गुना बढ़कर है सुनील काम्या की गाण्ड की तरफ आ कर खड़ा हो गया उसने एक दो बार काम्या की गदराई गाण्ड को सहलाया और फिर अपना अंडर वियर उतारने लगा। अंडर वियर उतारते ही जो चीज़ बाहर आई उसको देखते ही मदनलाल का चेहरा मुरझा गया। सुनील का खड़ा लण्ड मुश्किल से चार इंच का था और अंगूठे के बराबर पतला था। मदनलाल को विशवास नहीं हो रहा था कि उसके बेटे का लण्ड इतना छोटा होगा। बिलकुल मरे चूहे सा दिख रहा था। भला इस छोटे से हथियार से क्या जंग जीती जा सकती है। बहु की गाण्ड के आकार और सुनील के लण्ड के आकार
में दूर -२ तक कोई मेल नहीं था। ऐसी गदराई और मस्तानी बहु का भला इस भिन्डी से क्या होने वाला है उसे तो लम्बा मोटा बैगन चाहिए हमारे जैसा ,मदनलाल बुदबुदाया। वो दम साधे आगे का इंतज़ार करने लगा। सुनील ने अपना झुनझुना काम्या की चूत में सेट किया और एक झटका मारा। एक ही झटके में वो काम्या की गहराइयों में अदृश्य हो गया। लंड के अंदर जाते ही काम्या का मुंह
खुल गया और उसने जोर की सांस ली।मरियल से लण्ड के अंदर जाने से बहु को मुंह खोलते देख मदनलाल को आश्चर्य हुआ लेकिन फिर उसने सोचा घर चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो अगर दरवाज़ा
छोटा हो तो साइकिल अंदर करने में भी दिक्कत होती है ,गली अगर संकरी हो तो बाइक चलाना भी कठिन होता है। हालांकि उसे बहुत ख़ुशी भी हुई कि देर से ही सही लेकिन उसे कितना टाइट माल
मिलने वाला है। इधर सुनील ने लण्ड अंदर करने के बाद दो सेकंड रुका और फिर धक्के मारने शुरू कर दिए। एक दो तीन - - - - और दस सेकंड ही हुए थे कि सुनील ने उसेन बोल्ट को भी हराते हुए
रेस कम्पलीट कर ली और फिनिशिंग पॉइंट पर पहुँच कर हांफने लगा। मदनलाल बुरी तरह निराश हो गया उसे लगा ये तो बहु के साथ बहुत नाइंसाफी है। वो खुद बहु को पसंद कर के इस घर में लाया है इसलिए वो ही उसके साथ इन्साफ करेगा। इधर सुनील और काम्या बिस्तर में लेट गए। मदनलाल तेज़ी से बाथरूम को भागा और जब फुरसत होकर खिड़की में वापस लौटा तो सुनील
खर्राटे भर रहा था जबकि बहु ने अपना बदन चादर से ढँक लिया था।
दूसरे दिन सुबह मदनलाल और शांति बैठ के चाय पे रहे थे। सुनील ऑफिस के काम से निकल चूका था। चाय पीते -२ मदनलाल की आँखों के सामने मोरनी बनी बहु का बदन घूम रहा था। तभी
मदनलाल ने देखा कि बहु ढेर सारा गेंहू लिए किचन के बाहर आकर बैठ गई और गेंहू बीनने लगी। मदनलाल समझ गया की अब बहु यहाँ कम से कम दो घण्टे तो बैठेगी। उसे लिंग दर्शन समारोह
आयोजित करने के लिए ये शानदार मौका लगा। सुनील जा चूका था और शांति भी पूजा करने जाने ही वाली थी। मदनलाल ने फटाफट चाय पी और अपने रूम में जा पहुंचा। रूम में उसने 100 mg
की मैनफोर्स निगल ली। आधे घण्टे के अंदर गोली को अपना काम कर देना था। कुछ देर बाद शांति भी पूजन कक्ष में चली गई। मदनलाल हॉल से बैठे -२ बहु को देख रहा था। हालांकि काम्या ने कपडे
पहने हुए थे पर मदनलाल की आँखों के सामने बहु का नंगा बदन ही घूम रहा था। मोरनी बनी बहु की गाण्ड उसकी आँखों के सामने से हट ही नहीं रही थी। पेट में गोली और सामने eye tonic दोनों
का असर इतना तेज़ हुआ कि लुंगी के अंदर कोबरा ने फन फैला दिया और बिना बीन के ही झूमने लगा। मदनलाल उठा टॉवल लिया और बाथरूम में घुस गया। जल्दी -२ नहाके चड्डी उतारी और
बहु को याद कर -२ के मुठ मारने लगा ताकि उसका मूसल अपने विकराल रूप में आ जाये। जब लण्ड महाराज अपने पूर्ण रूप में खिल उठे तो उसने टॉवल इस तरह लपेटा की हल्का सा झटका लगते ही टॉवल गिर जाए। आज न वो बनियान लाया था न दुसरी चड्डी। जैसे ही मदनलाल ने दरवाज़ा खोला आवाज़ सुनकर काम्या ने उस तरफ देखा ,ससुर को केवल टॉवल में अर्ध नग्न देख कर उसने शरम से अपना सिर झुका लिया और गेहूं बीनने लगी। मदनलाल नपे तुले कदमों से उसकी ओर बढ़ने लगा ,बहु क़ा सिर झुका हुआ था इसलिए उसे अपना खेल खेलने का सही मौका मिल रहा था,जैसे ही वो बहु के करीब पहुंचा उसने धीरे से टॉवल की गाँठ को खोल दिया और अगले ही पल टॉवल जमीन पर गिर पड़ा। जमीन पर कुछ गिरता देख बहु ने नजर उठाई और जो देखा तो देखते ही उसे सांप सूंघ गया। उसके चेहरे से मात्र दो फ़ीट दुरी पर मदनलाल नंग धडंग खड़ा था और काम्या की आँख के सामने ससुर का विकराल लण्ड इधर उधर डोल रहा था। लगभग साढ़े सात इंच
लम्बे और काम्या की कलाई के बराबर मोटे मूसल को देख काम्या स्तब्ध रह गई। वो पलकें बंद करना ही भूल गई और एकटक बाबूजी के उस खतरनाक हथियार को देखती रह गई। उसने कल्पना में भी नहीं सोचा था कि मर्द का लण्ड इतना बड़ा हो सकता है। उसकी साँसे थम सी गई थी और शरीर जड़वत हो गया था। मदनलाल ने बहु के मुख को देखा तो उसे उसमे भय और आश्चर्य के मिले
जुले भाव दिखाई दिए। आश्चर्य लण्ड के आकार प्रकार का था तो भय उसके काम का। काम्या देख रही थी सामने बड़ा सा गुलाबी सुपाड़ा ,उसके पीछे लम्बा सा शाफ़्ट जिस के ऊपर नसों का जाल। मदनलाल ने देखा की धीरे -२ बहु के चेहरे से भय का भाव कम होता जा रहा है और भय की जगह उत्सुकता ने ले ली है। वो बड़े गौर से बाबूजी के मर्दाने अंग को देखे जा रही थी उसकी आँखों में
अब गुलाबीपन उतर आया था। फिलहाल वो दीन दुनिया से बेखबर इस नए अजूबे को देख रही थी। इस परिवर्तन से मदनलाल खुश था क्योंकि ये उसके मिशन की कामयाबी के लिए ठीक था वो चुपचाप खड़ा रहा और टॉवल उठाने की कोई कोशिश नहीं कर रहा था। लगभग दो मिनट बीत चुके थे मगर काम्या अभी भी बाबूजी के कोबरा को देखने में मगन थी तभी पूजन कक्ष से घण्टी की आवाज़ आने लगी जिससे काम्या की तन्द्रा टूटी और वो बुरी तरह लज्जित हो गई। उसने हड़बड़ा कर सूपा वहीँ रखा और दौड़ कर अपने कमरे में भाग गई। मदनलाल भागती हुई बहु की गाण्ड की थिरकन को देखते हुए टॉवल लपेटने लगा और मन ही मन बुदबुदाया "" बहु तेरी इस गाण्ड ने ही तो हमें तेरा दीवाना बना दिया है ,इसकी सील तो हम ही तोड़ेंगे। ""
काम्या रूम में पहुँच कर हांफने लगी ,उसके पूरे शरीर में पसीना आ गया था। वो बिस्तर में बैठ कर सोचने लगी कि ""हे भगवान,क्या सचमुच इतना बड़ा होता है। मतलब पिंकी अपने पति के बारे में जो बोल रही थी वो सब सच था "" दरअसल काम्या को कॉलेज के समय उसकी सहेलियों ने एक दो बार मोबाइल में पोर्न क्लिप दिखा दी थी लेकिन वो यही सोचती थी कि मर्द का वो अंग इतना बड़ा नहीं होता। फिल्म में सब ट्रिक फोटोग्राफी का कमाल होता है। लेकिन इतने बड़े ही लण्ड की बात पिंकी ने अपने पति के बारे में बताया था। उस समय काम्या ने यही सोचा था की स्त्रियों को अपने पति की मर्दानगी को बड़ा चढ़ा कर बताने की आदत होती है ,फिर पिंकी तो वैसे भी डिफाल्टर थी। जब काम्या की शादी हुई और उसने सुनील के चुन्नू मुन्नू को देखा तो उसे पूरा विशवास हो गया था कि पिंकी अपने पति के साइज बारे में गप्प मार रही थी। लेकिन आज बाबूजी के खतरनाक औजार को देख उसकी पुरानी सारी धारणा ही बदल गई। उसने अपनी आँखों से केवल ढाई फ़ीट की दुरी से लगभग दो मिनिट तक बाबूजी के कोबरा को फुफकारते हुए देखा था इसलिए संदेह की कोई गुंजाइस ही नहीं थी। "" बाप रे कितना खतरनाक दिख रहा था लेकिन फिर भी उसे देखने को कितना मन कर रहा था "" काम्या ने मन ही मन कहा। फिर उसने सोचा कि बाबूजी का टॉवल गिरा तो उन्होंने उठाया क्यों नहीं , कितनी देर तक हमारे सामने झुलाते रहे लगता है जानबूझ कर हमें दिखा रहे थे। हाय राम कितने बेशरम हो गए हैं बाबूजी अपनी बहु को ही अपना दिखा रहे थे अगर इनको मौका मिले तो ये तो हमें रगड़ डाले। एक बार फिर बाबूजी का सामान उसकी आँखों के सामने आ गया। काम्या ने सोचा बाप रे इतना बड़ा वहां जाता कैसे होगा और कितना दर्द होता होगा। उसे याद आया कि पिंकी भी कह रही थी कि सुहागरात के दिन उसे कितनी तकलीफ हुई थी और वो पिन्की की बताई बातों को याद करने लगी।
पिन्की की शादी काम्या से पहले हो गई थी शादी के बाद पहली बार वो मायके आई तो काम्या ने उसे घेर लिया और शादी के बाद के कार्यक्रम बारे में कुरेद कुरेद कर पूछने लगी हालांकि वो जानती थी कि पिन्की पहले से ही चलता पुर्जा है ,लैब में पटेल सिर का लंड चूसते तो काम्या ने खुद देखा था। पिन्की भी खुल कर बताने लगी कि उसके पति का बहुत बड़ा और मोटा है। पिंकी ने कहा "" काम्या तेरे को क्या बताऊँ ,उनका इतना मोटा है कि मेरे जैसी चली चलाई लड़की भी दूसरे दिन लंगड़ा कर चल रही थी। रात में उन्होंने तीन बार मेरा बाजा बजाया ,वो तो सुबह हो गई थी नहीं तो पता नहीं और कितनी कुटाई करते।"" सुबह मैं लड़खड़ा कर चल रही थी तो रिश्ते की ननद और भौजियां टौन्ट मार रही थी। एक ननद बोली "" अरे यार भैया तो बड़े जालिम हैं पहले ही दिन इतनी बुरी तरह कचर दिया,पहले -२ दिन तो गाड़ी कम स्पीड पर चलानी थी "" तभी दूसरी ननद बोली ""नहीं यार भाभी बड़ी किस्मत वाली हैं जो इतना गबरू जवान मिला है अब तो सारी जिंदगी मजे ही मजे हैंखूब उछाल -२ के निगलेगी ""पिन्की ने काम्या को बताया कि उसे इतना बड़ा लण्ड एडजस्ट करने में पंद्रह दिन लग गए थे तब जाके उसकी चाल सुधरी। काम्या ने सोचा बाबूजी का भी इतना बड़ा है कि किसी को भी एडजस्ट करने में महीनों लग जायेंगे।
दूसरे दिन सुबह मदनलाल और शांति बैठ के चाय पे रहे थे। सुनील ऑफिस के काम से निकल चूका था। चाय पीते -२ मदनलाल की आँखों के सामने मोरनी बनी बहु का बदन घूम रहा था। तभी
मदनलाल ने देखा कि बहु ढेर सारा गेंहू लिए किचन के बाहर आकर बैठ गई और गेंहू बीनने लगी। मदनलाल समझ गया की अब बहु यहाँ कम से कम दो घण्टे तो बैठेगी। उसे लिंग दर्शन समारोह
आयोजित करने के लिए ये शानदार मौका लगा। सुनील जा चूका था और शांति भी पूजा करने जाने ही वाली थी। मदनलाल ने फटाफट चाय पी और अपने रूम में जा पहुंचा। रूम में उसने 100 mg
की मैनफोर्स निगल ली। आधे घण्टे के अंदर गोली को अपना काम कर देना था। कुछ देर बाद शांति भी पूजन कक्ष में चली गई। मदनलाल हॉल से बैठे -२ बहु को देख रहा था। हालांकि काम्या ने कपडे
पहने हुए थे पर मदनलाल की आँखों के सामने बहु का नंगा बदन ही घूम रहा था। मोरनी बनी बहु की गाण्ड उसकी आँखों के सामने से हट ही नहीं रही थी। पेट में गोली और सामने eye tonic दोनों
का असर इतना तेज़ हुआ कि लुंगी के अंदर कोबरा ने फन फैला दिया और बिना बीन के ही झूमने लगा। मदनलाल उठा टॉवल लिया और बाथरूम में घुस गया। जल्दी -२ नहाके चड्डी उतारी और
बहु को याद कर -२ के मुठ मारने लगा ताकि उसका मूसल अपने विकराल रूप में आ जाये। जब लण्ड महाराज अपने पूर्ण रूप में खिल उठे तो उसने टॉवल इस तरह लपेटा की हल्का सा झटका लगते ही टॉवल गिर जाए। आज न वो बनियान लाया था न दुसरी चड्डी। जैसे ही मदनलाल ने दरवाज़ा खोला आवाज़ सुनकर काम्या ने उस तरफ देखा ,ससुर को केवल टॉवल में अर्ध नग्न देख कर उसने शरम से अपना सिर झुका लिया और गेहूं बीनने लगी। मदनलाल नपे तुले कदमों से उसकी ओर बढ़ने लगा ,बहु क़ा सिर झुका हुआ था इसलिए उसे अपना खेल खेलने का सही मौका मिल रहा था,जैसे ही वो बहु के करीब पहुंचा उसने धीरे से टॉवल की गाँठ को खोल दिया और अगले ही पल टॉवल जमीन पर गिर पड़ा। जमीन पर कुछ गिरता देख बहु ने नजर उठाई और जो देखा तो देखते ही उसे सांप सूंघ गया। उसके चेहरे से मात्र दो फ़ीट दुरी पर मदनलाल नंग धडंग खड़ा था और काम्या की आँख के सामने ससुर का विकराल लण्ड इधर उधर डोल रहा था। लगभग साढ़े सात इंच
लम्बे और काम्या की कलाई के बराबर मोटे मूसल को देख काम्या स्तब्ध रह गई। वो पलकें बंद करना ही भूल गई और एकटक बाबूजी के उस खतरनाक हथियार को देखती रह गई। उसने कल्पना में भी नहीं सोचा था कि मर्द का लण्ड इतना बड़ा हो सकता है। उसकी साँसे थम सी गई थी और शरीर जड़वत हो गया था। मदनलाल ने बहु के मुख को देखा तो उसे उसमे भय और आश्चर्य के मिले
जुले भाव दिखाई दिए। आश्चर्य लण्ड के आकार प्रकार का था तो भय उसके काम का। काम्या देख रही थी सामने बड़ा सा गुलाबी सुपाड़ा ,उसके पीछे लम्बा सा शाफ़्ट जिस के ऊपर नसों का जाल। मदनलाल ने देखा की धीरे -२ बहु के चेहरे से भय का भाव कम होता जा रहा है और भय की जगह उत्सुकता ने ले ली है। वो बड़े गौर से बाबूजी के मर्दाने अंग को देखे जा रही थी उसकी आँखों में
अब गुलाबीपन उतर आया था। फिलहाल वो दीन दुनिया से बेखबर इस नए अजूबे को देख रही थी। इस परिवर्तन से मदनलाल खुश था क्योंकि ये उसके मिशन की कामयाबी के लिए ठीक था वो चुपचाप खड़ा रहा और टॉवल उठाने की कोई कोशिश नहीं कर रहा था। लगभग दो मिनट बीत चुके थे मगर काम्या अभी भी बाबूजी के कोबरा को देखने में मगन थी तभी पूजन कक्ष से घण्टी की आवाज़ आने लगी जिससे काम्या की तन्द्रा टूटी और वो बुरी तरह लज्जित हो गई। उसने हड़बड़ा कर सूपा वहीँ रखा और दौड़ कर अपने कमरे में भाग गई। मदनलाल भागती हुई बहु की गाण्ड की थिरकन को देखते हुए टॉवल लपेटने लगा और मन ही मन बुदबुदाया "" बहु तेरी इस गाण्ड ने ही तो हमें तेरा दीवाना बना दिया है ,इसकी सील तो हम ही तोड़ेंगे। ""
काम्या रूम में पहुँच कर हांफने लगी ,उसके पूरे शरीर में पसीना आ गया था। वो बिस्तर में बैठ कर सोचने लगी कि ""हे भगवान,क्या सचमुच इतना बड़ा होता है। मतलब पिंकी अपने पति के बारे में जो बोल रही थी वो सब सच था "" दरअसल काम्या को कॉलेज के समय उसकी सहेलियों ने एक दो बार मोबाइल में पोर्न क्लिप दिखा दी थी लेकिन वो यही सोचती थी कि मर्द का वो अंग इतना बड़ा नहीं होता। फिल्म में सब ट्रिक फोटोग्राफी का कमाल होता है। लेकिन इतने बड़े ही लण्ड की बात पिंकी ने अपने पति के बारे में बताया था। उस समय काम्या ने यही सोचा था की स्त्रियों को अपने पति की मर्दानगी को बड़ा चढ़ा कर बताने की आदत होती है ,फिर पिंकी तो वैसे भी डिफाल्टर थी। जब काम्या की शादी हुई और उसने सुनील के चुन्नू मुन्नू को देखा तो उसे पूरा विशवास हो गया था कि पिंकी अपने पति के साइज बारे में गप्प मार रही थी। लेकिन आज बाबूजी के खतरनाक औजार को देख उसकी पुरानी सारी धारणा ही बदल गई। उसने अपनी आँखों से केवल ढाई फ़ीट की दुरी से लगभग दो मिनिट तक बाबूजी के कोबरा को फुफकारते हुए देखा था इसलिए संदेह की कोई गुंजाइस ही नहीं थी। "" बाप रे कितना खतरनाक दिख रहा था लेकिन फिर भी उसे देखने को कितना मन कर रहा था "" काम्या ने मन ही मन कहा। फिर उसने सोचा कि बाबूजी का टॉवल गिरा तो उन्होंने उठाया क्यों नहीं , कितनी देर तक हमारे सामने झुलाते रहे लगता है जानबूझ कर हमें दिखा रहे थे। हाय राम कितने बेशरम हो गए हैं बाबूजी अपनी बहु को ही अपना दिखा रहे थे अगर इनको मौका मिले तो ये तो हमें रगड़ डाले। एक बार फिर बाबूजी का सामान उसकी आँखों के सामने आ गया। काम्या ने सोचा बाप रे इतना बड़ा वहां जाता कैसे होगा और कितना दर्द होता होगा। उसे याद आया कि पिंकी भी कह रही थी कि सुहागरात के दिन उसे कितनी तकलीफ हुई थी और वो पिन्की की बताई बातों को याद करने लगी।
पिन्की की शादी काम्या से पहले हो गई थी शादी के बाद पहली बार वो मायके आई तो काम्या ने उसे घेर लिया और शादी के बाद के कार्यक्रम बारे में कुरेद कुरेद कर पूछने लगी हालांकि वो जानती थी कि पिन्की पहले से ही चलता पुर्जा है ,लैब में पटेल सिर का लंड चूसते तो काम्या ने खुद देखा था। पिन्की भी खुल कर बताने लगी कि उसके पति का बहुत बड़ा और मोटा है। पिंकी ने कहा "" काम्या तेरे को क्या बताऊँ ,उनका इतना मोटा है कि मेरे जैसी चली चलाई लड़की भी दूसरे दिन लंगड़ा कर चल रही थी। रात में उन्होंने तीन बार मेरा बाजा बजाया ,वो तो सुबह हो गई थी नहीं तो पता नहीं और कितनी कुटाई करते।"" सुबह मैं लड़खड़ा कर चल रही थी तो रिश्ते की ननद और भौजियां टौन्ट मार रही थी। एक ननद बोली "" अरे यार भैया तो बड़े जालिम हैं पहले ही दिन इतनी बुरी तरह कचर दिया,पहले -२ दिन तो गाड़ी कम स्पीड पर चलानी थी "" तभी दूसरी ननद बोली ""नहीं यार भाभी बड़ी किस्मत वाली हैं जो इतना गबरू जवान मिला है अब तो सारी जिंदगी मजे ही मजे हैंखूब उछाल -२ के निगलेगी ""पिन्की ने काम्या को बताया कि उसे इतना बड़ा लण्ड एडजस्ट करने में पंद्रह दिन लग गए थे तब जाके उसकी चाल सुधरी। काम्या ने सोचा बाबूजी का भी इतना बड़ा है कि किसी को भी एडजस्ट करने में महीनों लग जायेंगे।
पिन्की ने काम्या को बताया कि उसे इतना बड़ा लण्ड एडजस्ट करने में पंद्रह दिन लग गए थे तब जाके उसकी चाल सुधरी। काम्या ने सोचा बाबूजी का भी इतना बड़ा है कि किसी को भी एडजस्ट करने में महीनों लग जायेंगे।
अब आगे ----
पिन्की की जो बात काम्या के दिल को बार -२ कचोट रही थी वह थी अपने पति के लण्ड की तारीफ।पिन्की बचपन से ही बोल्ड लड़की थी कर्म से भी और वचन से भी। उसका कोई सगा भाई नहीं था इसलिए वो चुलबुली भी हो गई थी और मुंहफट भी। पिंकी ने उससे बड़े जोर देकर बताया था कि "" काम्या एक बात बता देती हूँ चुदाई का जो मजा,जो आनंद ,जो लज्जत लम्बे मोटे लण्ड से है वो छोटे में नहीं है। तू तो जानती है कि मैं शादी से पहले ही करीब आधा दर्जन लण्ड खा चुकी हूँ लेकिन जो मजा अब पति देव के महा भयंकर हथियार से मिल रहा है उसका तो कोई मुकाबला ही नहीं है।पहले जब मैं चुदती थी तो लगता था इससे ज्यादा मजा दुनिया में कहीं हो ही नहीं सकता लेकिन अब लगता है जैसे तब मैं झुनझुने से खेल रही थी , चूंकि तू कुवांरी है इसलिए तुझे ज्यादा समझ भी नहीं आएगा ,बस समझ ले की ये गूंगे के गुड का अनुभव है। शादी के पहले मैंने जो लण्ड लिए थे अगर वो गुड थे तो अब जो मैं ले रही हूँ वो गुलाबजामुन है।मोटा लण्ड चूत को बिलकुल चीरता हुआ घुसता है और फिर अंदर की दीवारों को ऐसा रगड़ता है कि लगता है अगर दुनिया में कहीं स्वर्ग है तो सिर्फ चुदाई में है,चुदाई में है और सिर्फ चुदाई में ही है। जब तेरा पति तेरी चीरेगा तब तू मेरी बात को याद करेगी। ""
काम्या को पिन्की की बात याद तो आ रही थी लेकिन उसे ये समझ नहीं आ रहा था कि चूत चीरना किसे कहते हैं। सुनील तो कभी चीर नहीं पाया। खैर दिन भर वो बाबूजी से दूर -२ ही रही अलबत्ता बाबूजी का हथियार हमेशा उसके जहन में ही रहा। बाबूजी तो लगातार उसे देखने में ही रहे जैसे आँख से ही चोद देंगे। काम्या बाबूजी से दूर इसलिए रह रही थी क्योंकि आज जो कुछ बाबूजी ने किया था उससे काम्या को पक्का विशवास था की अगर वो अकेली बाउजी के पास पड़ गई तो बाबूजी बिना हाथ फेरे नहीं छोड़ेंगे। वैसे काम्या आज सुबह से ही बहुत गर्म थी उसका मन तो कर रहा था कि बाबूजी से अपने दूध मसलवा ले लेकिन सुनील के शहर में होने के कारण वो सतर्क थी। जैसे तैसे दिन गुजरा लेकिन शाम को सिर मुंडाते ओले पड़ गए। सास का फरमान आया कि "" बहु मैंने ये लिस्ट बना दी है तुम बाबूजी के साथ बाजार जाकर सामान ले आओ, सुनील के जाने से पहले नमकीन ,गुजिया बना के देना है। काम्या तैयार हो के बाबूजी के कमरे में गई और माँजी का फरमान सुना दिया। बाबूजी ने कहा बहु तुम एक्टिवा निकालो जब तक हम तैयार हो के आते हैं।
दोनों बाज़ार को चल दिए। काम्या पीछे बैठे थी। बाबूजी को जरा भी मौका मिलता तो झटके से ब्रेक लगा देते जिससे काम्या आगे खिसक उसके दसहरी आम बाबूजी की पीठ में धंस जाते। काम्या बाबूजी की चालाकी समझ रही थी लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी क्योंकि वो जानती थी कि बोलने से भी बाबूजी मानेंगे नहीं और फिर उसे भी बाबूजी की ये बदमाशी अच्छी लग रही थी। बाजार में दोनों ने सब सामान ख़रीदा और लौट ही रहे थे की काम्या बोल पड़ी
काम्या ;- बाबूजी ,मम्मी ने कुछ फल भी लाने को कहा था
मदनलाल :-- ठीक है क्या लोगी
काम्या :-- वो सामने ठेला लगा है केले ले लेते हैं। मदनलाल ने केले देखे और कहा
मदनलाल :-- ये तो बहुत छोटे -२ केले हैं। बहु केले हमेशा बड़े खाने चाहिये। जब बड़े केले खाओ तो पेट को भी लगता है कि कुछ अंदर आया है। काम्या बाबूजी का द्विअर्थी डायलाग समझ गई और शर्म नीचे देखने लगी। तब मदनलाल दूसरे ठेले में गया जहाँ बड़े -२ केले थे उसने वहां खरीदे और बहु को पकड़ाते हुए बोला
मदनलाल :--- देखा बहु ये कितने बड़े साइज का केला है। जब बड़ा केला खाने लगोगी तो छोटे केले खाना भूल जाओगी।
काम्या : - बाबूजी आपको भी कोई फल लेना है तो ले लीजिये।
मदनलाल :-- बहु हमें जो फल पसंद है वो तो आज बाजार में है ही नहीं।
काम्या :-- बाबूजी आपको कौन से फल पसंद हैं।
मदनलाल ने बहु की चूचियों को कामुक नज़रों से देखा फिर होंठों में जीभ फेरते हुए नज़र नीचे कर बहु की गांड को देखते हुए बोला
मदनलाल :-- बहु हमें तो दशहरी आम और तरबूज़ पसंद हैं। . काम्या समझ गई कि बाबूजी किन फलों की बात कर रहे हैं इसलिए चिढ़ाते हुए बोली
काम्या :-- बाबूजी घर चलिए ,लगता फल खाना आपकी किस्मत में ही नहीं है।
दोनों घर लौटने लगे ,बाबूजी जानबूझ कर गाड़ी लहरा रहे थे ,हल्का सा अँधेरा होने लगा था। जब थोड़ा सुनसान एरिया आया तो बाबूजी ने किनारे गाडी रोक दी।काम्या ने पूछा "" क्या हुआ बाबूजी "
मदनलाल ने कहा ""कुछ नहीं बहु बस एक मिनिट"" और थोड़ा दूर जाकर पेशाब करने लगे। दरअसल इतनी देर से बहु चिपके रहने के कारण उनका लण्ड टनटना गया था और टेंशन रिलीज़ करना बहुत जरूरी था। काम्या भी उनको लघुशंका करते देख रही थी और उसे सुबह वाला बाबूजी का कोबरा याद आ रहा था। पेशाब करते -२ मदनलाल को एक बार फिर शरारत सूझी उसने दोनों तरफ देखा कोई भी गाडी नहीं दिख रही थी। मदनलाल ने पेशाब करने के बाद हथियार अंदर किये बिना ही घूम गया। बहु उसी की ओर देख रही थी मदनलाल का फ़ुफ़कारता लण्ड फिर आँखों के सामने देख काम्या फिर एक बार सम्मोहित सी हो गई। वो एकटक बाबूजी के औजार को देखने लगी। मदनलाल चलते -२ उसके पास आया। काम्या की नजर उसके हथियार पर टिकी थी इसलिए जब वो बिलकुल पास आ गया तो काम्या की नजर लण्ड देखते देखते नीचे झुक गई , उसकी साँसे तेज़ -२ चल रही थी,मदनलाल ने अपने औजार को तर्जनी और मध्यमा उंगली में फंसाया और दायें बाएं हिलाया जिससे कुछ बूंदे गिरी ,ऐसा लग रहा था जैसे भयंकर विषधर ने विषवमन किया हो। फिर मदनलाल धीरे से बोला
मदनलाल :-- बहु चलें ,या और देखना है। ससुर की आवाज़ सुनते ही काम्या की तन्द्रा टूटी और वो बुरी तरह झेंप गई और मारे शर्म के पल्लू से मुंह ढँक लिया। मदनलाल ने कहा बहु अब तुम गाड़ी चलो हम थोड़ा थक गए हैं। जैसे ही गाडी चली मदनलाल ने बहु की गोरी चिकनी कमर पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। काम्या चुपचाप गाडी चलती रही तभी बाबूजी ने उसके कान के पास कहा
मदनलाल :-- बहु ,हमारा केला पसंद आया। काम्या ने सोचा बाबूजी शायद उसी केले की बात कर रहे हैं जो सुबह से दिखा रहे हैं इस लिए चुप ही रही। पूछा
मदनलाल :-- बहु बताओ न हमारा केला कैसा लगा। काम्या ने हड़बड़ाते हुए कहा
काम्या :-- क्या स्स्स्स हम समझे नहीं।
मदनलाल :-- अरे वही केला जो हम खरीदे है
काम्या :-- जी जी वो। अच्छा है। बड़े बड़े हैं
मदनलाल :-- बहु ,मझा तो बड़े केले में ही है। तुम्हारी सास को भी बड़े केले पसंद हैं ,हमसे हमेशा बड़ा केला मंगवाती थी।
काम्या :-- वो तो आप से मंगवाती थी हम तो किसी से मंगवा भी नहीं सकते।
मदनलाल :-- क्यों हम नहीं हैं क्या । अभी भी लाये हैं जब कहोगी ला देंगे बड़ा केला। कहते कहते मदनलाल ने अपनी उंगली बहु की नाभि में डाल दी। बाबूजी की हरकत से काम्या बुरी
गरम हो गई थी। उसे लगा जैसे उसकी प्रेमगुफा से प्रेम झरना फुट पड़ा हो। बाउजी के डबल मीनिंग शब्द बहुत कामोत्तेजक थे वैसे भी ऑडियो क्लिप वीडियो क्लिप से ज्यादा असर करता है। बाबूजी ने फिर पुछा
मदनलाल :-- बहु तो आज रात खाओगी न हमारा केला। काम्या समझ गई बाबूजी क्या कहना चाहते हैं लेकिन बोली
काम्या :-- बाबूजी रात को फल खाने से हमें ठण्ड लग जाती है हम कल दिन में खाएंगे ,रात को तो आप माँजी खिलाना अपना केला।
मदनलाल :-- कोई बात नहीं बहु दिन में ही खा लेना। हम तो बस ये चाहते हैं कि तुम हमारा केला खा लो चाहे दिन रात खाते रहो। ऐसा कहते -२ मदनलाल बहु की नंगी पीठ पर किस करने लगा।काम्या ने घबड़ाते हुए कहा
काम्या :-- बाबूजी प्लीज मत करिये ,हम बहक जायेंगे
मदनलाल :-- तो बहक जाओ न। हम तो कब से चाह रहे है कि तुम बहक जाओ।
काम्या :-- बाबूजी हम गाडी बहकने की बात कर रहे हैं। आप तो हमेशा कुछ और सोचने लगते हैं।
मदनलाल :-- अच्छा हम क्या सोच रहे है बताओ
काम्या :-- हमें आप से बात नहीं करनी बस। और ऐसे ही फ़्लर्ट करते -२ दोनों घर पहुँच गए।