रात को सब ने साथ खाना खाया। मदनलाल ऊपर छत में घूमने चला गया बाकि सब टीवी देख रहे थे कुछ देर बाद माँजी ने काम्या को कहा कि बाबूजी को ऊपर केला दे आ ,मजबूरी में उसे जाना पड़ा हलाकि कि उसे आशंका थी की ऊपर अँधेरे में बाबूजी कुछ न कुछ बदमाशी जरूर करेंगे। जब वो ऊपर पहुंची तो बाबूजी छत पर टहल रहे थे। जैसे ही काम्या ने उन्हें केला देना चाहा बाबूजी जी ने उसकी कलाई पकड़ ली और उसे टावर के अंदर ले जाने लगे। काम्या ने कलाई छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा
काम्या :-- प्लीज बाबूजी हमें छोड़िये ,छत में से कोई देख लेगा।
मदनलाल :-- बहु इसीलिए तो टावर में लाएं हैं
काम्या :-- नहीं छोड़िये हमें घर में सब हैं। हमें नीचे जाना है हम तो केवल आपको केला खिलाने आये थे
मदनलाल :-- बहु हम केला खाते नहीं खिलाते हैं। अब तुम खाओगी हमारा केला। बाउजी की बात सुनकर काम्या काँप उठी उसने सोचा शायद बाबूजी अब अपना वो निकाल कर जबरदस्ती न कर दे. काम्या घबड़ाते हुए बोली
काम्या :- बाबूजी नहीं गजब हो जायेगा आप फिर कभी खिला देना। हम लेट हो जायेंगे तो सबको शक हो जायेगा
मदनलाल :-- अरे कुछ नहीं होगा कह देना ऊपर ठंडी हवा खा रहे थे। ऐसा कहकर मदनलाल ने बहु का लाया केला छीला और कहा चलो मुंह खोलो। फल वाला केला देख कर काम्या की जान में जान आई उसने मुंह खोला तो मदनलाल ने उसके मुंह में केला ठूंस दिया। धीरे -२ काम्या ने पूरा केला खा लिया
मदनलाल :-- कहो कैसा लगा हमारा केला।
काम्या ;- बहुत बड़ा था। हमारा पेट पहले से ही भरा था अब तो गले तक भर गया है।
मदनलाल :-- बहु ,हमने तो पहले ही कहा था कि बड़ा केला खाओगी तो पेट तक महसूस होगा कि कुछ अंदर आया है या फिर गले तक महसूश होगा जैसे अभी लग रहा है
काम्या :-- बाउजी बस अब हमें जाने दीजिये
मदनलाल :-- अच्छा खुद तो मजे से खा ली अब हमें भी तो कुछ खाने दो। अचानक मदनलाल ने बहु के रसीले होंठो में अपने होंठ रख दिए और उनका हाथ अपने आप ही काम्या की चूचियों में पहुँच गया। काम्या ने छुड़ाने की कोशिश की मगर बाबूजी की ताक़त के सामने लाचार हो गई। मदनलाल ने जी भरकर बहु के अधरामृत का पान किया और उसके उरोज़ों को बुरी तरह मसल डाला। बड़ी मुश्किल से जब काम्या के होंठ आज़ाद हुए तो उसने कहा
काम्या :-- बाबूजी हम आपके हाथ जोड़ते हैं हमें जाने दीजिये। सुनील के जाने के बाद आप अपनी मनमानी कर लेना। मदनलाल ने भी समय की नजाकत को देखते हुए उसे आज़ाद करते हुए कहा
मदनलाल :-- ठीक है बहु हमारे एक सवाल का जवाब देती जाओ
काम्या :-- कौन सा सवाल
मदनलाल :-- ये बताती जाओ जो केला खाई हो वो बड़ा है कि ये वाला। कहते हुए उसने बहु का हाथ अपने टनटनाए हथियार पर रख दिया। लण्ड पर हाथ पड़ते ही काम्या के बदन में झुरझुरी आ गई। उसे लगा जैसे उसके हाथ में किसी ने अज़गर दे दिया हो। बाउजी का हथियार गरम था और फड़क रहा था। उसने जल्दी से हाथ हटाया और नीचे जाने लगी। मदनलाल ने एक बार फिर पूछा
मदनलाल :-- बताओ न बहु कौन सा वाला ज्यादा बड़ा है
काम्या :-- हमें नहीं मालूम। मांजी से पूछ लेना उन्होंने दोनों खाया है और जीभ निकाल कर बाबूजी को चिड़ा दी।
मदनलाल उपर छत में ही टहलता रहा और सबका अपने -२ कमरों में जाने का इंतज़ार करता रहा। जब सब सुनसान हो गया तो वो चुपचाप नीचे आया और बहु की खिड़की में आँख लगा दी। अंदर दृश्य देखते ही उसे निराशा हुई बहु गाउन पहने हुई थी सुनील चड्डी में था। सुनील उससे बात कर रहा था लेकिन वो छत की ओर ताक रही थी और केवल हाँ हूँ कर रही थी। बहु के मुख में उदासी का भाव था। तभी सुनील ने अपने छुछुंदर को चड्डी से बाहर निकाला और काम्या को पकड़ा दिया। काम्या ने तुरंत हाथ हटा दिया सुनील ने कुछ रिक्वेस्ट की लेकिन वो चुपचाप पड़ी रही। दृश्य देखकर मदनलाल को बहुत बुरा लग रहा था। वो जानता था कि आज बहु ने उसका कोबरा देखा है इसलिए सुनील के पनियल सांप में उसकी कोई रूचि नहीं हो रही है। सुनील ने एक दो बार और कोशिश की कि काम्या उसके पनियल से खेले लेकिन काम्या ने उसे छुआ भी नहीं। अंत में थक हार कर सुनील ने काम्या की nighty उपर की और बीच में आकर अपनी लुल्ली को काम्या के भीतर सरका दिया। सुनील का खिलौना बिना किसी प्रतिरोध के भीतर सरक गया। काम्या ऐसे ही निश्चल पड़ी रही जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। सुनील ने पांच दस सेकंड उछल कूद की और फिर हांफता हुआ काम्या के ऊपर लेट गया। काम्या ने तुरंत उसे अपने उपर से हटाया और दूसरी तरफ करवट लेकर लेट गयी। इस पूरे घटनाक्रम ने मदनलाल को अशांत कर दिया। सुनील उसका बेटा था। उसकी जिंदगी के इस दुःख ने मदनलाल को हिला दिया। बेटा आखिर बाप का ही प्रतिरूप होता है ,बाप का ही नया अवतार होता है या आज की भाषा में कहें तो बाप का नेचुरल क्लोन होता है। संतान हो जाने के बाद माँ बाप जो कुछ करते हैं सब बच्चों की ख़ुशी के लिए ही करते हैं ,उनकी ,उनकी अपनी ख़ुशी पीछे छूट जाती है। बहु के आज के व्यवहार ने मदनलाल को विचलित कर दिया वो चुपचाप अपने कमरे में आकर लेट गया लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी। दूसरी तरफ काम्या की आँखों से भी नींद दूर थी। उसकी नज़रों के सामने बाबूजी और सुनील दोनों के हथियार घूम रहे थे वो सोच रही थी कितना अंतर है दोनों औजारों में "" बाप बुढ़ापे में भी दुनाली बन्दूक लिए घूम रहा है ,और बेटा भरी जवानी में toy pistol से खेल रहा है। पता नहीं हमारी जिंदगी का क्या होगा। ""