dear dosto jesa ki ap sab jante hain yeh story #thewall81317# bhai ke dwara start kia hua hai.. So u can read the part 01 there
But..afte some updates appropriately five months updates have been stopped..
Yeh story Meri sabse favourite story me se ek hai..isliye me last update ke baad aur aage bhadhane ko soch rha hu..
I hope al of u will like it...
Previous update me madanlal apni saali mohini ke saath masti krte hue apni khwish puri krne k lye mohini drink offer krk manipulate krne ki kosish krta hai
Ab age...
दोनों धीरे -२ पी रहे थे मदनलाल ने मोहिनी के गले में हाथ डाला और उसकी भरी -२ चूचियाँ दबाने लगा। मोहिनी आँख बंद कर के मज़ा ले रही थी। थोड़ी देर बाद मदनलाल ने मोहिनी को उपर
बिलकुल नंगा कर दिया और उसकी निप्पलों से जलतरंग बजाने लगा। वो बारी -२ से दोनों उरोजों को चूस भी रहा था। मोहिनी का बदन तपने लगा वो जोर -२ सिस्कारियां लेने लगी तथा
जीजू के सिर को अपनी चूची में दाबने लगी। कुछ देर तक मोहिनी बर्दास्त करती रही फिर अचानक मदनलाल की चैन खोलने लगी। लण्ड बाहर निकल कर वो झुकी ही थी कि मदनलाल बोल पड़ा
मदनलाल :; जानू ,पहले पूरा पी तो लो। उसे डर था कि कहीं वो दारु पीना छोड़ न दे
मोहिनी :: जीजू हम पहले ये पिएंगे। लण्ड कि तरफ इशारा करते हुए मोहिनी बोली
और बोलते -२ उसने जीजू के मूसल को अपने मुंह में डाल लिया। मोहिनी के मुंह में लण्ड जाते ही मदनलाल सिहर उठा। मोहिनी ने अपना पसंदीदा काम चालु कर दिया
जीजू के लण्ड की सर्विसिंग। कुछ दिनों के अनुभव में ही मोहिनी लण्ड की पूरी एनाटोमी समझ गई थी। कहाँ जीभ फेरना है कहाँ काटना है कहाँ suck करना है। लण्ड चुसाई में तो वो बीसों
साल की अनुभवी चिथाड़ को भी मात दे सकती थी। जब जीजू का माल निकलने को होता तो वो मुंह हटा लेती और नीचे नस को अंघूठे से दबा देती। ये कला उसे प्यारे जीजू ने ही सिखाई थी।
छः महीने से भरा बैठा मदनलाल मोहिनी के इतने तीखे हमले झेल नहीं पाया और उसके मुख में सरेंडर कर बैठा। मोहिनी सारी रबड़ी चाट -२ कर खा गई।
दस मिनिट तक दोनों सुस्ताते रहे फिर बची हुई पीने लगे। पीते -२ ही जीजू ने साली को नीचे से भी पूरी नंगी कर दिया। मोहनी का अनावृत यौवन देख मदनलाल को सबर करना मुश्किल
होने लगा था। दोनों के उपर अब ब्लैक डॉग का सुरूर भी चढ़ने लगा था। मदनलाल का लण्ड अब फिर खड़ा हो कर सलामी देने लगा था। उसने एक झटके से मोहिनी के नंगे बदन को उठाया और
बैडरूम में जाकर बेड पर पटक दिया। मोहिनी बेड पर चारों खाने चित जा गिरी। मदनलाल बिस्तर पर चढ़ा और सिर से पाँव तक मोहिनी के चिकने कसे हुए गदराये बदन को चाटने लगा.
हर पल के साथ मोहिनी की कामाग्नि बढ़ती ही जा रही थी। चूमते चाटते ही उसने अपने पूरे कपडे भी उतार दिए थे। अब दोनों जवां जिस्म एक दूसरे की गरमी से तपने लगे। मदनलाल मोहिनी
को लपेटे -२ ही उलट गया। मोहिनी के दोनों रसीले संतरे उसकी आँखों के सामने झूलने लगे। मदनलाल ने दोनों संतरों को हाथों से इकठ्ठा किया और एक साथ ही दोनों को मुंह में भर लिया।
एक संतरे की चुसाई ही मोहिनी को बर्दास्त नहीं हो पाती थी तो दोनों संतरों के एक साथ मुंह में जाते ही मोहिनी आपा खो बैठी और उछलने लगी।
बड़बड़ाये जा रही थी "" जीजू काट
डालो इनको ,नोंच दो ,निचोड़ लो इनका रस और पी लो। खूब जोर से चूसो न। दीदी को भी इतने ही धीरे मसलते हो क्या "' मदनलाल भी उसकी बात सुनकर और बोखलाता जा रहा था।
वो भर ताक़त मम्मे चूसने लगा। जब मोहिनी सह नहीं पाई तो अपनी कमर को नीचे पटकने लगी। नीचे कोबरा फन काढ़े बैठा था डसने को। उसकी चूत बार -२ लण्ड से भिड़ने लगी।मोहिनी ने
जीजू के लण्ड को दोनों जांघों बीच चूत के उपर फंसा लिया। अब जितना वो कमर पटकती लण्ड का शाफ़्ट उसकी पूरी चूत की मालिश करता जिससे वो और गर्माती जा रही थी।
आखिर मोहिनी जीजू से हार गई और बोल पड़ी
मोहिनी :: जीजू करिये न। अब रहा नहीं जाता
मदनलाल :: क्या करना है? मदनलाल अनजान बनते हुए बोला
मोहिनी :: चुप करिये। आप को सब मालूम है
मदनलाल :; जब कुछ बोलोगी ही नहीं तो कैसे पता चलेगा
मोहिनी :: दीदी के साथ जो करते हो वही करो न
मदनलाल :: दीदी के साथ तो हम बहुत कुछ करते हैं। तुम बताओ तुम्हारे साथ क्या करना है
मोहिनी :: दीदी के साथ क्या -२ करते हो बताइये
मदनलाल :: दीदी को लण्ड चुसाते है। उसकी गाण्ड मारते हैं। उसकी बुर भी मारते हैं।
मोहिनी :: वो जो लास्ट में बोले वो करिये न। मोहिनी नशे में लड़खड़ाते हुए बोली।
मदनलाल :; अरे तो ऐसे बोलो न कि अपना लण्ड हमारी चूत में डाल कर हमें खूब चोदिये।
मोहिनी :; छिः गंदे कहीं के। कोई ऐसा बोलता है क्या
मदनलाल ::-- अरे तो इसमे शर्म की क्या बात है। प्यार में क्या शरमाना। बस एक बार बोल दो कि जीजू हमें चोदो।
मोहिनी ::--- नहीं हम नहीं बोलेंगे। आप ऐसे ही करिये।
मदनलाल ने भी ज्यादा जिद करना उचित नहीं समझा आखिर लोंडिया पराया माल थी कहीं उठ के चल दी तो सब klpd हो जाना था।मदनलाल ने मोहिनी के बदन देखना चालु किया गजब की चिकिनी और मांसल जांघे थी कसी हुई सामने के तरफ निकली हुई। जांघों के बीच सिर्फ एक पतला सा चीरा दिखाई दे रहा था जो कच्ची चूत की निशानी थी वरना used चूत में से छेद साफ़ दिखाई देने लगता है और अगर खूब चल चल चुकी हो तो छेद भोंगा द्वार बन जाता है। मदनलाल ने चूत की फांके फैला कर मोहिनी की बुर देखी छोटा सा एक छेद दिखाई दे रहा था। मदनलाल समझ गया कि साली साहिबा के लिए आगे का सफर काफी मुश्किल होने वाला है लेकिन कुछ किया भी नहीं जा सकता था आखिर सभी लड़कियों को एक न एक
दिन इस डगर में चलना ही पड़ता है। प्रकृति का नियम है there is no gain without pain.
चूत इतनी प्यारी लग रही थी कि मदनलाल के होंठ अपने आप ही उससे जा लगे। चूत पर होंट का स्पर्श महसूस होते ही मोहिनी गनगना गई। मदनलाल ने क्लिट से छेड़छाड़ शुरू कर दी मोहिनी कमर को उपर उछालने लगी "" उई माँ ,जीजू मैं पागल हो जाउंगी "' उसके मुंह से निकल पड़ा। जीजू ने फांको को फैलाया और गाण्ड के छेद से उपर क्लिट तक चाटने लगे। लोंडिया फड़फड़ाने लगी जैसे मछली को पानी से बाहर निकाल दिया गया हो। उसने कमर को उपर उठा लिया बिलकुल धनुष जैसे मोड़ दिया। जीजू जीभ को प्रेम छिद्र में घुसेड़ने लगे। मोहिनी चिल्ला उठी "' ओ जीजू प्लीज डाल दो न ,चोदो मुझे जैसे दीदी की फाड़े ,मेरी फाड़ दो नहीं तो मैं मर जाउंगी।मदनलाल ने देखा लोहा पूरी तरह गरम हो चूका है अब हथोड़ा मार देना चाहिए। मदनलाल उठा दराज से वैसलीन निकाल लाया पहले खूब सारा मोहिनी की चूत में भरा फिर अपने लण्ड में भी चिपोड लिया। मोहिनी की दोनों टांगो को उठाया अपने लण्ड को स्वर्गद्वार में लगाया और एक करारा धक्का मार दिया। लण्ड चूत दोनों में लुब्रिकेशन था इस लिए एक झटके में ही सुपाड़ा चूत के अंदर जा समाया और इसी के साथ मोहिनी के मुख से मर्मान्तक चीख निकल गई। उसकी आँखे बाहर को उबल पड़ी। ""हाय मम्मी मर गई। बचाओ मम्मी। जीजू प्लीज निकालो नहीं तो मर जाउंगी। निकालो प्लीज ""मगर मदनलाल ने निकालने के लिए थोड़ी न डाला था। उसने मोहिनी के होंठों अपने होंठ रख दिए कमर मोड़ी और एक और शॉट भरपूर ताक़त से दे मारा।
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मोहिनी तड़प उठी उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी चूत में गरमागरम खंजर डाल दिया गया हो। आधे से ज्यादा लण्ड मोहिनी के अंदर पहुँच गया। वो पूरी ताकत से छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन फौजी के सामने एक कोमलांगिनी की क्या बिसात। बेचारी हिल भी नहीं पा रही थी। चूत इतनी कसी हुई थी की मदनलाल के भी पसीने छूट गए ,चूत ने लण्ड को बुरी तरह जकड रखा था।
जीजू कुछ देर स्थिर रहा ताकि साली को कुछ आराम लग जाये और वो भी जरा ताकत बटोर ले। फिर उसने कमर को ऊपर उठाया ,पैरों को मजबूती से जमाया और अंतिम हमला कर दिया। एक
जोरदार शॉट और लण्ड जड़ तक मोहिनी में धंस गया जैसे कील ठोंक दी हो। मोहिनी की चीखें अभी भी निकल रही थी वो फिर बोली बोली प्लीज जीजू निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है। बस जानू अब कुछ नहीं होगा पूरा तो घुस गया है और वो मोहिनी के ऊपर लेट गया दोनों की पेल्विक muscle एक दूसरे से रगड़ने लगी। मदनलाल धीरे साली को चुम रहा था उसका हाथ मोहिनी की चिकनी गुदाज जांघों को सहला रहा था। बीच -२ में चूची को मुंह में भर लेता और पीने लगता। मोहिनी को कुछ राहत मिल रही थी। उसकी सिसकियाँ कुछ कम हुई तो मदनलाल ने लण्ड बाहर खींचा ,चूत में लण्ड की रगड़ से मोहिनी फिर सिसक उठी "" उई माँ मर गई ,जीजू प्लीज मत करो। "" बस अब दर्द नहीं होगा ,देखो थोड़ी देर में कैसा मजा लोगी । "" बोला और फिर धकापेल चुदाई चालू कर दिया। वो सुपाड़े तक लण्ड बाहर निकालता और एक ही झटके में जड़ तक अंदर कर देता। मोहिनी अभी भी सिसक रही थी लेकिन उसकी आवाज कम होती जा रही थी कुछ देर बाद उसने अपना हाथ जीजू की पीठ में लपेट लिया और सहलाने लगी शायद उसे भी चुदाई का स्वाद मिलने लगा था। इधर मदनलाल का पिस्टन लगातार मोहिनी के सिलिंडर को रमा करने में लगा था। मोहिनी को भी अब चुदाई की लज्जत मिलने लगी थी उसके न चाहते हुए भी उसकी गाण्ड बरबस ही उछल रही थी। मदनलाल मैराथन रेसर की तरह ठाप पे ठाप लगाये जा रहा था। लेकिन कसी हुई चूत के आगे वो भी बेबस हो गया और तेज चीख के साथ भरभरा के झड़ने लगा और उसी वक्त मोहिनी भी जीवन में पहली बार ओर्गास्म पहुंची और मदनलाल से छिपकली के समान चिपट गई।
मोहिनी के उदघाटन की याद करते करते मदनलाल का एक बार फिर खड़ा हो गया वो उसे मसलते हुए सोच रहा था कि बहु को कैसे तैयार किया जाय। अपने लण्ड को देखते -२ उसे एक चीज याद आई कि कोई भी औरत जब पहली बार उसका अफगानी लण्ड देखती है तो कुछ देर के लिए तो वो मोहित सी हो जाती है। अचानक उसके दिमाग में आईडिया आया कि किसी बहाने से काम्या को अपने लण्ड के दर्शन करवाएगा और कुछ इस तरह से करेगा कि लगे की धोखे से हुआ है और इसी के साथ उसने काम्या के लिए लिंग दर्शन समारोह आयोजित करने का निर्णय ले लिया।
दूसरे दिन सुबह ही वो घर से काफी दूर की दूकान से देसी वियाग्रा ले आया ,मदनलाल का विचार था की जब बहु को लण्ड दिखाए तो लण्ड अपने पूरे शवाब में हो आखिर अंग्रेज़ भी कह गए हैं कि
first impression is last impression . वो शाम तक दिमाग लगाता रहा कि किस मौके पर काम्या को लण्ड दिखाना चाहिए पर कोई सही आईडिया दिमाग में आ नहीं रहा था। शाम को एक और
व्यवधान आ गया बहु ने खबर दी कि सुनील अगले सप्ताह तीन दिन के लिए आ रहे हैं उनकी कंपनी का कुछ काम इसी शहर में था इसलिए केवल तीन दिन के लिए आ रहे हैं। रात को जब मदनलाल
काम्या के रूम में पहुंचा तो वो अंदर से बंद था उसने खटखटाया पर अंदर से चुप्पी थी। कमरे के बाहर हल्ला करना बेकार था इसलिए वो छत पर चला चला गया और वहां से काम्या को फ़ोन लगाया। घंटी की आवाज़ सुनते ही बहु समझ गई कि ससुर जी बैचेन हैं लेकिन फ़ोन तो उठाना ही था
काम्या :---- हाँ बाबूजी
मदनलाल :--- बहु दरवाज़ा क्यों बंद की हो। दरवाज़ा तो खोलो
काम्या :---- नहीं बाबूजी वो आ रहें हैं। हम नहीं खोलेंगे। शायद उसका पतिव्रत धर्म जाग गया था या पाप बोध बाहर आ गया था या स्वाभिक डर उभर आया था।
मदनलाल :--- बहु सुनील तो अगले हफ्ते आएगा अभी से काहे डर रही हो. बस थोड़ा सा कर लेने दो
काम्या :--- नहीं बाबूजी। हमारे छाती में पहले से ही आपके दांत के निशान हैं जिन्हे मिटने में ही हफ्ता लग जाएगा फिर अगर और बन जायेंगे तो हमें तो जवाब देते नहीं बनेगा
मदनलाल :-- अच्छा तो ठीक हैं मुंह में नहीं लेंगे बस। थोड़ा हाथ से खेल लेने दो ना
काम्या :--- नहीं मतलब बिलकुल नहीं। अब जब तक आपका बेटा वापस नहीं चला जाता तब तक मम्मी के मम्मे से खेलिए और काम्या ने फ़ोन काट दिया उसे डर था कि कहीं वो ज्यादा
देर बात करती रही तो कमज़ोर न पड़ जाए। बेचारा मदनलाल टापता रह गया। दूसरे दिन से काम्या मदनलाल से दूर -२ रही।
सुनील के आने वाले दिन की पहले वाली रात को मदनलाल बहुत ज्यादा व्यग्र था उसने छत में पहुँच कर बहु को फ़ोन किया