आप पर पढ़ रहे रहे भाभी ने की हर ख्वाहिश पूरी मैं: मैंने इतना कुछ कहा, कुछ नहीं?
कोई जवाब नहीं आया पर भाभी मेरे सपने से अब वाकिफ थी... उसपे उसने कोई मसला नहीं उठाया, उतना मेरा विनिंग शॉट ही था... मुझे लगा की अब गाड़ी सेकेण्ड गैर मैं लानी पड़ेगी...
दूसरे दिन... आज वापस से वो खुश तो थी पर थक भी बहोत गई थी.. मैं सामने ही बोल पड़ा.
मैं: जवानी अगर सिर्फ एक को ही मिलेगी.. तो वो जवानी का क्या फायदा... आपको आदत नहीं पड़ी लगती... भैया आप पर भारी पड़ रहे है शायद...
भाभी: क्यों क्यों क्यों?
मैं: आप थक जाती है...
भाभी: कल तो मैं बंधी हुई थी (मैंने देखने की कोशिश की थी पर अब परदे बंध रहते थे और टैप रेकॉर्डर रखके आह उह सुनने का क्या फायदा?)
मैं: तो पिछले दिन को खुली थी.. फिर भी....
भाभी: हा तो वही तो... तेरे भैया से मैं संतुष्ट हूँ, तू आप आप क्यों बोलता है?
मैं: हा तू बोलूंगा... पर हमारे बिच का परदा नहीं उठा... एक दोस्त की तरह सामने बैठ कर बाते नहीं कर सकते... क्या गर्लफ्रेंड? गर्लफ्रेंड बोलने में आज़ादी और टच करने देती है.... आप तो एक सिंपल सा हग भी नहीं करने देती...
भाभी: क्यों वो तो यहाँ तू छु तो लेता है...
मैं: पर वो सब डर के मारे...
भाभी: तो तेरे ख्याल तो बच्चू मैंने कल पढ़े... दूर ही रहना बेहतर है तुजसे...
मैं: तो हम सारी बाते बंध करदे?
भाभी: तेरी मरजी... बाकी गर्लफ्रेंड का एक लेवल बढ़ाने के लिए मैं तैयार हूँ... सोच ले....
मैं: और वो भला क्या?
भाभी: आज से तू गैलरी से झांख सकता है...
मैं: रात को?
भाभी: हां बाबा पर एक शर्त पर...
मैं: बोलो...
भाभी: तू मुझे दूसरे दिन इम्प्रूवमेंट के लिए बताएगा की और क्या क्या इम्प्रूव करू
मैं: चलो यही सही... पर भैया को पता चला तो?
भाभी: उसे मेरे अलावा कहीं ध्यान ही नहीं जायेगा अगर मैं उनके साथ हूँ...
मैं: तो में उस टाइम मास्टरबेट करूँगा हा?
भाभी: हा हा हा हा वो तेरी मरजी...
मैं: तो ठीक है पर एक कम करेगे? लास्ट?
भाभी: हा बोल
मैं: कोल करूँगा आप रिसीव करके छोड़ देना ताकि मैं सुन सकु... तो मुझे भी थोडा ज्यादा आनंद मिले... पॉर्न भी देखो और म्यूट? मजा नहीं आता...
भाभी: हा उतना मैं आकर सकती हूँ....
आप पर पढ़ रहे रहे भाभी ने की हर ख्वाहिश पूरी अब आगे....
आलम अब ये था के शाम तक समय कैसे निकाले? भाभी आज मेरे सामने नंगी ऑफिशियली होने वाली थी... चुप चुप के बहोत देख लिया था... मैंने दिन में ३-४ बार पूछा भी सही...
मैं: भाभी आप को पता हैना मुझे निमंत्रण देने का मतलब?
भाभी: कितनी बार पूछोगे, बोला ना के सिर्फ देखने का ही आमंत्रण है.. और कुछ नहीं...
मैं: हा पर आप सिर्फ नंगी ही नही देखोगी...
भाभी: सेक्स करते हुए भी देखना है... बस?
मैं: ह्म्म्म तुम कितनी अच्छी हो... आज से मैं कभी भी तुजे आप गलती से भी नही कहूँगा... क्योकि आज तो तू मेरे खास बन जायेगी...
भाभी: ह्म्म्म वो तो है...
मैं: अभी कुछ टिप्स दू क्या? के मैं क्या क्या देखना चाहता हूँ?
भाभी: ठीक है बोल...
मैं: आज तू नहाने जाना पहले और गीली ही बहार आना... एक छोटा सा टॉवेल ओढ़े भैया के सामने आना...
भाभी: काफी खुराफाती दिमाग है तेरा... ऐसा सूझता कैसे है तुजे?
मैं: तुजे देख देख कर...
भाभी: चल एक जप्पी ले ले...
मैं: सच?
और भाभी मुझे लिपट गई.. मैंने भी खूब दबोचा... पर भावनाओ में बहा नहीं... पर हाथ घूमते वख्त मैंने जो महसूस किया वो बताया...
मैं: जैसे अभी नहीं पहना वैसे तभी भी मत पहनना...
भाभी: धत् बदमाश... चल रात को मुझे देखने आ जाना... तेरा लाइव पोर्नो....
हम दोनों हँस पड़े... भाभी को मेरे साथ कम्फर्ट महसूस होने लगा था... ये सब अब साबित हो रहा था... पर भैया का प्यार और भैया के लिए प्यार उसे बंधे रखा था.. जो सिर्फ वही तोड़े तो ही उसे पाने का कुछ अलग सुकून मिले... जैसे तैसे दिन निकल गया और रात को भाभी रूम में जाते ही फ़ोन किया... खूबसूरत जिस्म के साथ खूबसूरत दिमाग भी... पता था के अगर मैं फोन करू तो गड़बड़ हो सकती है... फोन रखा पलंग के एकदम नज़दीक...
भाई: अरे आज तो मैं बहोत थका हूँ...
भाभी: अरे अभी थकान मिटा देती हूँ... आपके लिए कुछ खास सोचा है मैंने...
भाई: क्या मेरी रांड?
भाभी: अभी आती हूँ, अभी मत आना (लास्ट वाली लाइन मेरे लिए ही थी)
भाई: जल्दी आना...
थोड़ी देर बाद भाभी अंदर से बोली...
भाभी: लाइट व रखना और पडदे बंध मत करना आज आपकी पसंद का...
भाई: अरे आना प्लीज़...
भाभी: आ रही हूँ...
और मैं धीरे से उनकी बाल्कनी में दाखिल हुआ... भाभी ने बाथरूम का दरवाजा खोला और अपना एक पैर बहार निकाला... पूरा गिला था... उनकी थाई से लेके पानी की बुँदे पैरो तक निचे एक धारा बना रही थी... जैसा मैंने सोचा था कुछ वैसा ही...
भाई: अब आ भी जा रंडु
भाभी अंदर से पूरी गीली और नज़ारा कुछ ऐसा था...
मैं सोचा साला भाभी के पास ये लिंगरी आई कहा से? अब क्या गलती निकाल के कल कुछ सिखाने की कोशिश करू? भाभी तो एक नंबर निकली... भैया ने तुरंत ही भाभी को बूब्स से पास होते हुए कपड़े की लाइन से पकड़ा और अपनी और भाभी के गीले बदन को खीच के अपने आगोश में लिया...
भैया: चल अंदर ही चोदता हूँ
भाभी: ना यही पर...
भैया: सब गिला हो जायेगा...
भाभी: नहीं आपको पसंद है न... कोई बात नहीं...
भाभी के बदन पर का पानी भैया चूस भी रहे थे और खुद भी गीले हो रहे थे... इतनी माल बीवी हो तो खुद को कोई किस तरह बचाए? भाभी का बदन था भी इतना गोरा चिट्टा... और क्या भरे भरे बूब्स थे... जाली से निकलते निप्पल भाई का हाथ न पड़े ऐसा हो ही नही सकता... एक हाथ से हॉर्न बजाओ और एक मुँह में लेकर चूसो, और औरत सिर्फ आह आह करे तो चुदाई का मज़ा डबल हो जाता है, और मर्द अपने आप पे फक्र महसूस करता है... जो अभी भैया कर रहे थे...
भैया भाभी का ये मिलन जलन जरूर पैदा कर रहा था पर भाभी का ये आँखों देखी वासना से पता चल रहा था के भाभी और मेरी रंडी के बिच के फासले और भी कम होते जा रहे है... आज नंगी हुई है सामने, मेरे सामने चुदवा भी रही है... मेरी ख्वाहिश पूरी होने को अब कुछ दिन ही बाकी थे...
भाभी थोडा जुकी ही थी के भैया ने अपने कपडे निकालना शुरू कर दिया... पेंट निक्कर अगर औरत निकाले तो ज्यादा अच्छा रहता है... मर्द यही चाहता है... भाभी ने वही किया था... गांड बहार निकली और भाभी निचे बिस्तर पर बैठी और भाई का पेंट हटा रही थी, भैया ने शर्ट निकाल ली थी तब तक... भैया का निक्कर निकलते ही लंड उछल पड़ा और भाभी ने लबक के अपने मुह में ले लिया.... भाभी भैया के आँखों में देख रही थी और लंड को धीरे धीरे चूस रही थी... और एक बात है... लंड चूसने के टाइम पर अगर औरत अपने मर्द की आंखोमें आँखे डाले तो मर्द को और मजा आता है... इसका कारण है की जब वो ऊपर देखती है.. उनके आधे मम्मे दीखते है... कुछ ना दिखाने के बहाने कुछ दिखादो तो वासना बढ़ जाती है... जो अभी हो रहा था...
भाई ने ये लिंगरी ले गले के भाग में डोरी थी वो खोल दी... वैसे भी पीछे तो गांड तक खुला था... पर भैया को वासना में शायद के लिंगरी जिसमे ऊपर कुछ था ही नही वो परेशान कर रहा था... भाभी के मम्मे डायरेक्ट हाथ में नहीं आ रहे थे... भैया की वासना और बढ़ाने भाभी ने लंड बहार निकाला अपने मुह से और पलंग पर उलटी लेट गई. और डीप थ्रोट का अलग लेवल दिखाया...
भाभी अगर पूरा साथ दे रही है, अपने शरीर को इस तरह मसलवाने में, तो कोई भी मर्द अपनी अलग अलग ख्वाहिश पूरी करेगा ही... भाई डीप थ्रोट में भाभी के मुह को चोदे जा रहे थे और ये बड़े बड़े स्ट्रोक लगाने भाई ने अपने दोनों हाथो को सहारे दिए थे भाभी के मम्मो पर... दो काम एकसाथ हो जाये... चोदने के लिए सहारा और स्तन मर्दन... भाई तो स्तन पर थप्पड़ भी दे धना धन लगा देते थे... लाल तरबुच हो गए थे ये गीले रसीले आम... क्या नज़ारा था.. मैं भी अपना लंड निकाले हिला रहा था... पर मज़ा इतना नही आ रहा था... नहीं ही आएगा... पर इसी स्थिति में भैया की स्पीड और तेज़ हुई और मुँह में ही अपना वीर्यदान कर दिया... भाभी सब पी गई जगह पर खड़ी होकर आगे आई और सारा लंड चूस चूस कर साफ किया और लंड साफ होते ही भाभी को खड़ी कर के उसकी पेंटी निकाल ने लग गए... और फिर गीली पेंटी जैसी चड्डी उतार के भाभी को धक्के से सुलाके उनके दो पैरो के बिच आ गए... और चूत चूसना शुरू कर दिया...
भाई चूत को मुँह से चोदने में आँखे बंध करके व्यस्त थे... और भाभी आह... आउच के साथ साथ मेरा भी खयाल किया? पर कैसे? इस सिचुएशन में भाभी का सर मेरी और था, बाल्कनी की विंडो की तरफ था...
भाभी इसी तरह मज़े ले रहे थे और अचानक से आँखे खोले मेरी और देखने का प्रयास किया... मैंने हाथ ऊपर करके होने का इशारा किया और मैंने 👍 का भी इशारा किया... भाभी होठो को दबाकर... हाथो से इशारा किया के मैं बाल्कनी में कुछ देखु... यहाँ पर अब मैं क्या देखु? निचे तो अँधेरा था... मैंने फ्लेश लाइट फटाफट जला कर बंध कर दी, सिर्फ एक सेकेण्ड में तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा... वहा भाभी की ब्रा पड़ी थी... और एक पेंटी भी... भाभी को ख़याल था के मुझे जरूरत पड़ सकती है तो मेरा इतना खयाल करके रख्खा वो मेरे लिये और एक इशारा था। वाह क्या नसीब था मेरा भी... भाभी एक औरत... एक मर्द को चाहे खुदका पति हो या गैर मर्द जिससे कम्फर्ट हो चुकी हो... उसे खुश करने के सारे प्रयत्न करती है... दूसरी बार जब उसने देखा तो ये ख्याल करने के लिए के मुझे वो मिला के नहीं... मेरे पेंटी को तो मुह में डाल दिया था और ब्रा को अलग से पकड़ कर हवामे लटका रहा था, तो भाभी ने भी स्माइल देकर 👍 इशारा किया और चूत चुदवाने में वापस लीन हो गई। थोड़ी ही देर में भाभी का चूत पानी निकाल ने लगा जो भाई सारा पी गए... मैं पेंटी को सूंघने में और ब्रा को लंड के चारो और फसा कर मास्टरबेट कर रहा था...
अब भैया बोले: चल तेरा हो गया न तो फिर मेरा खड़ा कर वापस...
भाभी: जो हुकुम आका... आज आप को चूत मारनी है या गांड?
भैया: तुजे क्या मरवाना है? चल सोचता हु तु टाइम खोटी मत कर लंड खड़ा तो कर... वैसे मुझे तो दोनों मारने है... साथ देगी ना...?
भाभी ने हा मिलाते हुए मिशन के अगले पड़ाव पर आगे निकल गई...
आप पर पढ़ रहे रहे भाभी ने की हर ख्वाहिश पूरी अब आगे....
भाभी: हा... मैं तो हरदम आपकी ख़ुशी के लिए... आप थक जाओ तब तक मुझे किसी चीज़ की परवाह नहीं...
भाई: तेरी इसी अदा में तो मैं मरा जा रहा हूँ... आज तो तेरी और खैर नहीं... देखती जा...
भाभी: आओ पहले क्या करने का इरादा है? मेरे हुस्न के मालिक?
भाभी: तू लंड तो मुह में ले पहले? तू बस देखती जा....
भाभी ने अब लंड खड़ा करने की पूरी ताकत लगा दी...
भैया: चल ६९ करते है आजा...
भाभी: हा ओके... मुझे भी तो गरम करना पड़ेगा न आपको...
भैया: तभी तो... चल बेड पर....
भाभी अपने जिस्म को अच्छे से मुझे दिखवा सके इसलिए भाभी ने ये पोज़िशन को पसंद किया...
भाभी हलकी नज़र से मुझे भी सिड्यूस कर ही रहे थे.. वो देख कर मेरा लंड और भी टाइट हो गया था... और भाभी को देखे मैं कुछ मज़े इस तरह ले रहा था...
मैं सातवे आसमान मैं था... भाभी और भैया भी... और भैया का लंड जैसे ही कड़क हुआ के भैया ने भाभी को उठा कर पलंग पर पटक के रख्खा के भाभी के मम्मे उछल पड़े और वो कुछ अलग ही आनंद दे गए... भैया ने अब मिसनरी पोज़िशन पर हलके से लंड को भाभी की चूत पर रख्खा होगा... वो मुझे दिखाई नहीं दे रहा था... क्योकि मुझे भैया की गांड वाला हिस्सा दिखाई दे रहा था... पर भाभी बोली की 'आह... प्लीज़ मत तड़पाओ न' पर से लगा के भैया कुछ ऐसा कर रहे थे...
अंदर भी नहीं डाल रहे थे और बस चूत को छु के निकाल रहे थे... भाभी की प्लीज़ वाली आवाज़ कुछ ऐसा ही बयां कर रही थी.... भैया ने धीमे धीमे उस चूत को चरते हुए सिर्फ एक ही धक्के में अपना लंड पूरा अंदर समा दिया... और घबघब पैल ने लगे... भाभी हर एक धक्के पर आह आह कर के साथ देने लगे... भैया भाभी के ऊपर चढ़ कर जो बूब्स हिल रहे थे उनको देख कर अपने आपको बरदास्त नहीं कर पाये और निप्पल को खीच कर एक चाटा मारा... और ऊपर सो कर बूब्स को चूस ने लगे, दूसरे को मसल ने लगे.. भाभी लाऊड हो कर और उनको उकसाए जा रही थी... के भाभी पर भैया ऐसे १० मिनिट तक खूब चोद कर बोले...
भाई: मेरा निकलने वाला है, पर आज चूत में नहीं बूब्स को फक करते हुए निकाल ना है... दबाओ अपने स्तनों को...
भाभी में ठीक वैसे ही किया और भाभी पर भाई आगे बढ़कर स्तन को चोदते हुए वीर्य उगल ने लगे, ये भी मुझे नही दिखा पर शायद नज़ारा ऐसा ही होगा
और भाई थक के भाभी पर पड़े रहे... तब तक मैंने भी अपना वीर्य निकाल लिया था... भाभी भी जड़े ही होंगे... उनकी चूत की चमक देखकर लग ही रहा था... क्या चिकनी भाभी है... शरीर पर सिर्फ आइब्रो और माथे पर ही बाल? मज़ा आ गया ये देखकर...
भाभी: एक और राउंड करेगे?
भाई: हा बिलकुल करेंगे, क्यों नहिं करेंगे? पर अब ३० मिनिट के बाद, मैं तेरे मखमली बदन पर पड़े रहना चाहता हूँ...
भाभी: ओके...
पर अब मैं थक गया था... खड़े खड़े मास्टरबेट करके... तो मैं सोने चला गया... क्योकि दूसरी बार भी मुझे तो देखना ही है... वो भी दूर से... सिर्फ देख पाउँगा और कुछ नहीं... भाभी पेंटी और ब्रा से मैंने अपना लंड पोछ कर अच्छे से साफ़ किया और फिर ब्रा वही पर रखके निकल लिया....
मुझे नींद नही आ रही थी... सामने भाभी की सेक्सी बॉडी को देखने के बाद वो भी उन्ही की मंजूरी के बाद... पर अब कल कैसे बात करू? भाभी का क्या क्या रिएक्शन आयेगा... वो सोचता रहा... मैंने कुछ कुछ निकाले पॉइंट्स जो वैसे तो कुछ कहने योग्य नहीं थे... पर कुछ तो चाहिए? बात आगे बढ़ानी ही थी.... देर रात को नींद तो आ गई... मुझे अब भाभी को चोदना ही था... देखने में कोई मज़ा नहीं था... ये मैंने मन बना ही लिया था...
दूसरे दिन... सामने सामने ही बाते हुई...
भाभी: क्यों देवर जी जल्दी में थे क्या? जो निकल लिए थे?
मैं: अरे आप जैसे हुश्न की परी हो तो क्यों भला जल्दी हो? पर मेरे पास आप के ब्रा पेंटी के अलावा कुछ था।नहीं तो मैं वहा अकेला अकेला थक गया...
भाभी: वही तो... अब बताओ मेरा क्या हाल होता होगा?
मैं: हा... वो तो है... वैसे वो लिंगरी ली कहा से थी?
भाभी: अरे वो तो भैया ने ही दी थी...
मैं: अच्छा... भाभी एक बात पुछु?
भाभी: हा बोल....
मैं: आप... सॉरी तू अपना बदन दिखाने के लिए और सेक्स दिखाने के लिए तैयार क्यों हो गई?
भाभी: देख ये तेरे मेरे बीच की बात है... (वो सोच समजकर बोली) देख.... तू वैसे भी मुझे इसी नज़रो से देखता है... कभी कबार तुजे मैंने बाल्कनी में देखा है... माँ बाप है नहीं और मेरी कुछ कम्प्लेंट कर देने पर आप दोनों भाई अलग हो जाओगे तो फिर दुनिया मुझे ही कोसेगी... अब मुझे ही ये डिसीज़न लेना पड़ा... की चलो यही करते है... तो तू अपना दिमाग अपने तक रख्खेगा... कभी कबार अगर तू बाल्कनी मैं आए और भाई देख लेता तेरा तो? उससे अच्छा है की मुझे पता है... मैं संभाल सकती हूँ...
भाभी काफी कुछ बोल गई... और इसमें परिवार की भावना छलकाइ दी... मुझे अच्छा भी महसूस हुआ और एक औरत पर तरस भी आया.. पर इससे मेरा प्यार कम थोड़ी हो जाता? मुझे करना है तो करना ही था...
मैं: भाभी प्लीज़ एक बार मुझे गले लगाओ न?
भाभी: उहू... पहले रेटिंग्स तो सजेशन दो तभी... वो भी कुछ अच्छी लगेगी तो...
मैं: हमारी दोस्ती में मैं एक और छूट लेने जा रहा हूँ के मुझे साफ साफ़ बोलना पड़ेगा ठीक है? छूट है?
भाभी: मममम ओके... पर तू.. तू बोल भूल क्यों जाता है?
मैं: ठीक है भाभी... पहले तो तूने लिंगरी क्यों पहनी? तुजे टॉवेल ओढ़े आना था.. ऐसे (मैंने पिक्स दिखाई मोबाईल में) कुछ ऐसे बहार आना था तुजे..
भाभी: ह्म्म्म ये ज्यादा सेक्सी लग रहा है... सही है और?
मैं: दूसरा ये के भाई के लंड को ही चूसती रही...
भाभी: तो और क्या करू?
मैं: अरे बुद्धू गोटे भी तो चूस लेती... कुछ ऐसे... (मैंने फिर मोबाईल दिखाया)
भाभी: ह्म्म्म ये भी सही है... और?
मैं: ओके तूजे गांड भी चाटनी चाहिए। भैया तेरी चाटते है की नहीं?
भाभी: हा, मेरी मारते वख्त चाटते है...
मैं: हा तो तुजे भी तो चाटनी चाहिए के नहीं?
भाभी: ये दिमाग में कभी नहीं आया... तेरे भाई को पसंद आएगा क्या?
मैं: हा हा क्यों नहीं देख ये...
भाभी के चहेरे पर लाली तो छा गई थी और मेरा यहीतो काम था...
भाभी: और?
मैं: आपने ना कभी ये ट्राय नहीं किया होगा... (ऐसा बोल के मैंने एक मस्त चौका मारा)
मैंने जट से दिखाकर मोबाईल ले लिया...
भाभी: है... दिखा दिखा दिखा... क्या था वो?
मैं: (शरारती स्माइल देते हुए) हा हा... सजेशन...
भाभी: बताना प्लीज़...
मैं: ठीक है...
मैंने भाभी को दिया... भाभी इतना ही बोली...
भाभी: है भगवान... इतना एकसाथ?
मैं: हां तो डर गई?
भाभी: ये सब ग्राफिक्स का कमाल है.. ऐसा हो ही नहीं सकता...
भाभी भले ही बोली थी पर उसकी आँख तो इसी फोटो पर टिकी थी...
मैं: अरे ये सब रियल है... तू पोर्न नहीं देखती या पहले नहीं देखि?
भाभी: ना बाबा नहीं देखि...
मैं: तो चल दिखाऊ?
थोड़ी आनाकानी की पर फिर वो दोपहर के खाने के बाद के लिये मान गई पर शर्त ये रख्खी गई की दोनों अलग अलग सोफे पर जगह बना कर बैठेगे... पास नहीं... मैं मान गया... वो दुरिया मैं मिटा दूंगा उतना मुझे विश्वास था...