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Incest मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह

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जीजा साली की कहानी
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पारिवारिक सेक्स की कहानी
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पड़ोसन की कहानी
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कोई भी हॉट कहानी
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Incest मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
rajbr1981 Offline
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#1,301
10-02-2018, 07:48 PM
आप पर पढ़ रहे रहे लागी लंड की लगन
हम दोनों नीचे होटल से बाहर आ गये, जीवन ने ड्राइवर से किसी जगह का नाम बताते हुए वहाँ चलने को कहा।
करीब आधे घंटे के सफर के बाद हम लोग जीवन के बताये हुए स्थान पर पहुंचे। वहाँ पर पहुंच कर जीवन मुझे प्रोजेक्ट से सम्बन्धित बात करने लगा।
खुले आकाश के नीचे चूत चुदाई
बातें करते हुए हम दोनों ही ड्राइवर की नजर से दूर आ चुके थे। जीवन ने इधर उधर देखा और जब सन्तुष्ट हो गया कि हम दोनों को कोई नहीं देख रहा है तो उसने अपनी पैन्ट की जिप खोली और मेरे सामने मूतने लगा, मेरी तरफ देखा, बोला- आकांक्षा, मुझे पेशाब बहुत आती है।
फिर चुपचाप मूतने लगा।
मूतने के बाद बोला- तुम भी अगर चाहो तो मूत लो।
पेशाब आ रहा था, मैंने भी पैन्टी उतारी और वहीं मूतने के लिये बैठने लगी तो बोला- नहीं, बैठो नहीं, खड़ी हो कर करो, देखूँ तो तुम्हारी धार कहाँ तक जाती है।
मैंने अपनी स्कर्ट ऊपर उठाई और खड़ी खड़ी मूतने लगी। जीवन मेरे और करीब आ गया, जब तक मैं मूतती रही तब तक वो मुझे देखता रहा, फिर वो मेरी चूत को सहलाने लगा, फिर उसी हथेली को चाटने लगा।
मैं पैन्टी पहनते हुए बोली- अब क्या करना है?
‘कुछ नहीं, बस एक बार तुम्हारी चूत और चोदना चाहता हूँ। बस उचित जगह देख रहा हूँ।’
बातें करते हुए हम लोग और आगे बढ़े तो एक चट्टान दिखी। बस फिर क्या था जीवन ने मुझे उसी चट्टान के ऊपर बैठाया, मेरी स्कर्ट को ऊपर किया, पैन्टी उतार दी और दो मिनट तक मेरी चूत चाटने के बाद लंड को मेरी चूत में पेल दिया।
उसी पोजिशन में मेरी काफी देर तक चुदाई करता रहा और फिर अपने वीर्य को मेरी चूत के ऊपर निकाल दिया।
मैं उसके वीर्य को साफ करना चाहती थी पर जीवन ने मुझे रोक दिया और पैन्टी को पहनने के लिये कहा।
फिर हम दोनों वापस कार की तरफ बढ़ने लगे।
उसका वीर्य लगा होने के कारण मेरी चूत और उसके आसपास में चिपचिपाहट होने लगी थी। चलने में थोड़ी असहजता आ रही थी और साथ ही खुजली भी मच रही थी।
किसी तरह मैं कार के पास पहुंची, दोनों ही उस ड्राइवर के सामने सहज बने रहे।
कार में बैठने के बाद मुझे तीव्र खुजली का अहसास होने लगा था, मेरा हाथ बार-बार चूत की तरफ खुजलाने के लिये चला जाता, मैं ड्राइवर की नजर बचा कर चूत को खुजला लेती।
जीवन इस बात का मजा ले रहा था।
किसी तरह होटल आया, एक बार फिर मैं जीवन के साथ जीवन के कमरे में थी, खुजली बहुत तेज हो रही थी, मैं अब बेझिझक अपनी चूत को खुजला रही थी।
तभी जीवन ने मेरा हाथ पकड़ लिया, मैं झुंझुलाकर बोली- यार हाथ छोड़ो, बहुत खुजली हो रही है।
‘बस दो मिनट रूको, मैं तुम्हारी खुजली मिटाने का प्रबन्ध करता हूँ।’ कहकर उसने अपने कपड़े उतारे और केवल चड्डी पहन कर जमीन पर बेड का टेक लेकर बैठ गया और मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपनी ओर खींचते हुए बोला- जान, अब तुम अपनी चूत चटाओ।
मैं अपनी स्कर्ट उतारने लगी तो बोला- न स्कर्ट उतारो और न पैन्टी उतारो, बस मुझे अपनी स्कर्ट के अन्दर ले लो, बाकी मेरा काम!
मुझे कोई ऐतराज नहीं था, मैं उसके और समीप गई, उसने अपने सर को मेरी स्कर्ट के अन्दर कर लिया और अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ को कस कर पकड़ लिया और पैन्टी के ऊपर से चूत चाटने लगा।
पैन्टी मेरी पहले से ही गीली थी, उसके चाटने से और गीली हो रही थी, लेकिन मजा भी खूब आ रहा था।
फिर जीवन ने पैन्टी के अन्दर एक उंगली डाली और उसे किनारे करते हुए बुर पर अपनी जीभ फिराने लगा, बुर चाटते हुए जीवन ने मुझे मेरी स्कर्ट उतारने के लिये बोला, मैंने स्कर्ट उतार दी।
उसके बाद, बुर के ऊपर से पैन्टी को किनारे करने के लिये कहा। मैंने अपनी एक टांग बेड पर रखी, पैन्टी को थोड़ा सरकाया, जीवन ने एक बार फिर मेरे चूतड़ को कस कर पकड़ा और अपनी एक उंगली मेरी गांड के अन्दर डाल दी।
उसकी उंगली मेरी गांड के अन्दर चल रही थी और जीभ मेरी चूत पर! जीवन अपने दांतों से मेरी फांकों को जगह-जगह से काट रहा था, लेकिन इतनी ही तेज काट रहा था कि दर्द भी हो तो उसमें मजा आये।
मेरे चूतड़ को तो उसने मेरी चूची समझ रखा था, खूब मसल रहा था।
फिर पता नहीं उसे क्या याद आया, वो खड़ा हुआ और मुझे पकड़ कर धड़ाम से पलंग पर गिर गया और मेरी एक चूची को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा और दूसरी उसकी हथेली में कैद हो गई।
बारी बारी से वो मेरी एक चूची को अपने मुंह में भरता और दूसरी को बड़े ही बेदर्दी से मसलता।
उसके ऐसा करते रहने से मेरी सिसकारियाँ थोड़ा और बढ़ती गई, मुझे तो लगा उसमें बर्दाश्त करने की काफी स्टेमना है। उसका लंड तना हुआ था और मेरी चूत से मिलने की असफल कोशिश कर रहा था।
मैं एक बार फिर पानी छोड़ चुकी थी और शायद इसका अहसास जीवन को भी हो चुका था, उसका हाथ मेरी चूत पर था और मेरे निकलते हुए पानी को वो उंगली से मेरी गांड में लगाने लगा।
मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैं जीवन से बोली- अब अपना लंड मेरी चूत में डालकर मेरी चूत में उठी हुई आग को शांत करो।
बोला- रूको मेरी जान, अभी तो तुम्हारी चूत की आग को और भड़काना है। आओ अब 69 की पोजिशन में आकर मेरे लंड को चूसो और अपनी इस अग्नि कुंड को मेरी तरफ करो।
मैंने उसकी बात को समझते हुए पोजिशन बदल ली और उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया।
इतनी देर से जीवन मेरे साथ गांड फाड़ू काम मेरे साथ किये जा रहा था, अब मैं उसके साथ गांड फाड़ू काम करना चाहती थी। केवल उसके लंड को अपनी मुंह में लेकर चूसना नहीं चाह रही थी, मैं कुछ ऐसा करना चाह रही थी कि उसे लगे जिस औरत के साथ वो अपनी सेक्स की प्यास को बुझाना चाहता है, वो भी इस खेल की पुरानी खिलाड़िन है।
इसलिये उसके लंड को मुंह में लेकर उसके अंडे को कस कर दबा देती, वो रिऐक्शन में मेरी पुतिया को काट लेता। मैं और तेज उसके अंडे को दबा देती।
थोड़ी देर तक ऐसा ही चलता रहा, मैं बीच-बीच में उसके सुपारे पर अपने दांत कसकर रगड़ देती, मेरा भी मन कर रहा था कि जीवन के गुलाबी सुपारे को मैं दांतों के बीच लेकर उसे चबाती रहूँ।
हार कर जीवन प्यार से बोला- यार, थोड़ा प्यार से करो।
अब मेरे पास भी जीवन को भी मजे देने के लिये तीन चीजें थीं, एक उसका लंड, दूसरा उसके गोले और तीसरा॰॰॰ जब आप इस कहानी को आगे पढ़ोगे तो खुद ही समझ जाओगे।
मैं उसके लंड को अपने हाथों से भी बड़ी तेज-तेज रगड़ रही थी, इससे उसकी चमड़ी नीचे की ओर आती और उसका गुलाबी सुपारा मेरे जीभ से टच कर जाता।
गांड चाटने का मज़ा
उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज जीवन के मुंह से आने लगी थी, वो भी मेरी चूत के अन्दर उंगली से रगड़ कर रहा था और बीच-बीच में अपनी जीभ की टो के छेद के अन्दर डालने की कोशिश कर रहा था।
फिर मेरी कमर पर थोड़ा सा दबाव देता तो मेरी गांड उसके मुंह के पास आ जाती और वो मेरी गांड भी चाटता।
मैं भी उसे उसी चीज का मजा देने लगी, मैंने उसकी दोनों टांगों को हवा में उठाने का संकेत दिया, जीवन ने अपनी दोनों टांगों को हवा में उठा लिया, मैंने उसके गोलों को अपने मुंह में लिया और उसकी गांड को अपनी उंगली से रगड़ने लगी।
जीवन के मुंह से निकल ही पड़ा- जान, मजा आ गया, तुमसे पहले इतना मजा किसी ने नहीं दिया।
लेकिन असली मजा तो उसके लिये अभी तो आगे था, उसके अंडों को चूसने के बाद मेरी जीभ उसकी गांड की तरफ कदम बढ़ा चुकी थी।
जैसे ही जीवन को अहसास हुआ कि मेरी जीभ उसकी गांड पर अपना जलवा दिखा रही है तो उसने मुझे मेरा काम और आसानी से करने देने के लिये अपनी दोनों टांगों को और हवा में उठा लिया।
मैं अब मस्त हो कर उसकी गांड को चाट रही थी, कभी मैं उसके लंड को अपने मुंह में लेती तो कभी उसके अंडों को तो कभी मेरी जीभ उसकी गांड की सैर करती।
इधर जीवन भी अपनी उंगली से मेरी बुर चोद रहा था।
मेरे बॉस ने मुझे मूतते देखा
अचानक पता नहीं जीवन की उंगली ने मेरी बुर के अन्दर क्या किया कि मुझे महसूस हुआ कि मेरी पेशाब छूटने वाली है। मैं जीवन से अलग होते हुए पेशाब करने के लिये जाने लगी तो जीवन ने मेरा हाथ पकड़ कर पूछा- कहाँ जा रही हो?
मैं बोली- पेशाब बहुत तेज आया है, मूतने जा रही हूँ।
‘अरे वाह, तुम मूतने जा रही हो!’ इतना कह कर वो झटके से बेड से उठा और मुझे गोद में उठाते हुए बोला- मुझे तुमको मूतते देखना बहुत अच्छा लगता है, चलो मैं भी चलता हूँ, तुमको मूतती देखूंगा भी और मैं भी मूत लूंगा।
‘ठीक है, मुझे तुम मूतती हुई देखो, लेकिन अब लंड से मेरी चूत की खुजली भी मिटाओ।’
‘चलो पहले मूत लिया जाये, उसके बाद तुम्हारी चूत की ठुकाई भी करते हैं।’
फिर जीवन मुझे गोदी में उठाकर टॉयलेट में ले आया और कम्बोड के पास बैठ गया और अपनी दोनों कोहनी को टिका कर हथेलियों के बीच अपने मुंह रख कर एकटक अपनी निगाहें मेरी चूत पर टिका दी।
मेरे मूत की धार छूट रही थी और मूत के छींटे कम्बोड से टकरा कर जीवन के चेहरे पर पड़ रहे थे लेकिन इससे जीवन को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, वो केवल टकटकी लगाये मुझे मूतता ही देख रहा था।
जब मैं मूत चुकी तो वो खड़ा हो गया और अपने लंड का निशाना मेरी चूत पर करके मूतने लगा। उसके मूत की गर्म धार मेरी चूत पर पड़ रही थी।
वो लगातार मेरी चूत पर ही मूतता रहा, उसके बाद नीचे बैठ कर एक बार मेरी चूत चाटने लगा।
मैंने एक बार जीवन से फिर कहा- जीवन, बहुत हो गया चूत और लंड चटाई, आओ अब मुझे चोदो।
मेरी बात सुनने के बाद जीवन खड़ा हुआ।
मैं आगे आगे और जीवन मेरे पीछे पीछे चलता हुआ बिस्तर पर आ गया, उसने मुझे बिस्तर पर सीधी लेटाया, मेरी कमर के नीचे दोनों तकिये रख दिए, मेरी कमर इतनी ऊपर उठ चुकी थी कि जीवन का लंड मेरी चूत के अन्दर चला जाये।
जीवन ने लंड को चूत के अन्दर डाला और साथ ही मेरी चूची को दबाते हुए धक्के मारने शुरू कर दिया। इतनी देर से उसके साथ फोर प्ले करने के कारण मैं चर्मोत्कर्ष पर पहुंच चुकी थी और झड़ने वाली थी, मेरी आवाज तेज होती जा रही थी- जीवन, मुझे कस कर चोदो, फाड़ दो मेरी बुर को। मुझे और चोदो।
मेरी मुंह से यही निकल रहा था, जीवन भी प्रति उत्तर में बोले जा रहा था- ले मेरी रानी धक्का बर्दाश्त करो।
वो अपनी पूरी ताकत के साथ मुझे चोदे जा रहा था।
चूत और लंड के मिलन और उसके गीलेपने के कारण फच-फच की आवाज भी आती जा रही थी कि अचानक मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं खलास हो गई थी।
मेरे खलास होने के तुरन्त ही, जीवन ने अपने लंड को निकाला और मेरे मुंह पर लाकर हिलाने लगा। मैं यह समझी कि वो अपना माल मुझे पिलाना चाहता है, मैंने अपना मुंह खोल दिया लेकिन उसने अपने वीर्य को मेरे मुंह के ऊपर ही गिराया, एक दो बूंद ही मेरे मुंह के अन्दर गई।
जब उसने अपना पूरा वीर्य मेरे मुंह के ऊपर गिरा दिया तो मुझसे बोला- इसको क्रीम समझ कर अपने चेहरे पर लगा लो।
मैंने भी उसकी बात को रखते हुए उसके वीर्य को अपने चेहरे पर मल लिया।
फिर जीवन ने मेरे बगल में आकर मुझे अपने सीने से चिपका लिया और बोला- वास्तव में आकांक्षा, तुम काम देवी हो, तुमने मुझे मेरा चाह हर कुछ करके दिया।
कह कर उसने मेरे माथे को चूम लिया और थोड़ी देर तक मुझे ऐसे ही चिपकाये रहा।
मैं उससे बोली- चेहरे पर चिपचिपाहट हो रही है, मैं मुंह धो लूं?
‘मुझसे ऐसे ही थोड़ी देर तक और चिपकी रहो! फिर उठकर मुंह धो लेना और उसके बाद हम लोग लंच के लिये चलेंगे।’
जीवन के कहने पर मैं काफ़ी देर तक उससे चिपकी रही, फिर खुद जीवन ने मुझे मुंह धो कर तैयार होने के लिये के लिये बोला।
कहानी जारी रहेगी।

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rajbr1981 Offline
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#1,302
21-02-2018, 10:52 PM
आप पर पढ़ रहे रहे लागी लंड की लगन
बॉस जीवन के कहने के बाद मैं तैयार हुई और हम दोनों ने एक रेस्टोरेन्ट में लंच किया, फिर ऑफिस गये, वहां पहुंच कर जीवन ने ड्राइवर से गाड़ी की चाबी ली और उसे छुट्टी दे दी।
ऑफिस में दोनों प्रोजेक्ट पर काम करते रहे और बीच-बीच में कभी वो मेरे से खेलता तो कभी मैं उससे खेलती। काम होता रहा और समय खत्म होने के बाद एक-एक करके स्टॉफ के सारे लोग चले गये।
ऑफ़िस की लड़की की चूत
अंत में एक सांवली रंग की लड़की जिसका नाम मोहिनी था, वो आई और बोली- सर आज आपने एक दवाई नहीं ली है।
जीवन उसको देखकर मुस्कुराया, अपनी तरफ खींचा और उसकी गांड को सहलाते हुए बोला- दवाई ली है, बस कम्पनी बदल दी थी।
वो थोड़ा सकपकाते हुए बोली- सर, ये क्या कर रहे हैं?
मोहिनी को और कस कर अपने से चिपकाते हुए बोले- बदली हुई कम्पनी तुम्हारे सामने बैठी है, इसकी दवा भी मजेदार है और मोहिनी अगर तुम्हें ऐतराज न हो तो दोनों दवाई एक साथ लेना चाहता हूँ। तुम भी चाहो तो तुम्हारी दवाई भी आकांक्षा की तरह हो सकती है।
मोहिनी ने मेरी तरफ देखा और मुझसे हाथ मिलाते हुए बोली- मैम आपने सर के कौन सी दवा पिला दी जो आपकी इतनी तारीफ कर रहे हैं?
जीवन बोला- अपने घर पर दो घंटे का ओवर टाईम बोल दो।
जब जीवन और मोहिनी की बात खत्म हुई तो मैंने जीवन से पूछा- जब तुम्हारा घर यहीं पर है तो तुम होटल में क्यूं ठहरे हुए हो?जीवन बोला- नहीं, मेरा एक रूम बुक ही रहता है। जब भी मुझे होटल में रहना होता है, तो मैं यहां आ जाता हूँ और मजे करके वापस चला जाता हूँ। आज मुझे भी नौ बजे तक घर जाना है, अपने पास दो-तीन घंटे हैं, चलो मजे करते हैं।
हम तीनों बाहर आये और ऑफिस बन्द करने की जिम्मेदारी चपरासी पर छोड़ दी।
होटल पहुंचते ही पापाजी का फोन आ गया, मैंने उन्हें दो घंटे बाद आने का बता दिया।
मैंने ससुर जी से पूछा- कुछ इंतजाम हुआ?
तो बोले- नहीं, तुम्हारे सिवा किसी को नहीं!
‘ठीक है, फिर मैं काम निपटा कर आती हूँ।”ओ॰के॰’ कहकर पापाजी ने फोन काट दिया।
जीवन एक कुर्सी पर अपनी टांगों को फैला कर बैठ गया और अपनी जांघ को थपथपाते हुए हम दोनों को अपनी जांघ पर बैठने के लिये बोला।
मैं और मोहिनी उसकी जांघ पर बैठ गई और उसके होंठ को बारी बारी से चूसने लगी। हम तीनों एक दूसरे के होंठों का रसपान करने लगे।
जीवन बारी बारी से हम दोनों की चूचियों को भी मसल रहा था।
मोहिनी के होंठ चूसते हुए बोला- शर्माना नहीं, बहुत मजा आयेगा।
‘ठीक है, जैसा आप दोनों करेंगे, मैं भी करूंगी।’
इतना कहना था कि जीवन ने मोहिनी की कुर्ती को उतार दिया, वह जालीदार ब्रा पहने हुये थी।
फिर जीवन ने मेरे भी कमीज को खोल कर अलग किया और फिर बारी-बारी से दोनों की ब्रा भी जिस्म से अलग कर दिया।
मोहिनी की चूची वास्तव में काफी टाइट लग रही थी और निप्पल तो काफी बड़ी लग रही थी। मुझे ऐसा लगा कि जीवन या उसके दूसरे दोस्तों ने उसका दूध खूब पिया है।
ब्रा उतार कर मोहिनी अपने मम्मों को जीवन के मुंह में डालकर उसे चूसाती रही। इधर मैंने जीवन की पैन्ट उतार कर उसको नंगा कर दिया और उसके लंड को अपने मुंह में भर लिया।
मोहिनी अपने मम्मे उसको पिला रही थी, मैं उसका लंड अपने मुंह में लिए हुई थी और उसके अंडों को अपनी हथेली में कैद करके उसकी गांड को उंगली से खुजा रही थी।
मुझे उसका लंड चूसते हुए मोहिनी देखने लगी। मैंने जीवन को थोड़ा सा अपनी ओर खींचा, अब मैं उसकी गांड को भी चाटने लग गई थी और उसके जांघ के आस-पास के हिस्से को भी चाट रही थी।
मोहिनी काफी देर तक मुझको देखती रही, जबकि जीवन का हाथ लगातार मोहिनी के चूतड़ को सहला रहा था।
फिर मोहिनी ने मुझे हटने का इशारा किया, मैं हट गई और जीवन की तरफ आकर झुक गई।
मोहिनी भी ठीक उसी तरह से जीवन के लंड और गांड से खेल रही थी, जैसा मैं जीवन के साथ कर चुकी थी।
मैं अपनी पैन्टी उतार और जीवन की तरफ पीठ करके झुक गई। थोड़ी देर तक वो मेरे मुलायम चूतड़ को सहलाता रहा फिर जीवन की जीभ मेरी चूत और गांड पर चलने लगी।
कुछ देर तक तो ऐसा ही चलता रहा, फ़िर जीवन उठा और बिस्तर पर इस तरह लेट गया कि उसके कमर के नीचे का हिस्सा बिस्तर से बाहर था और बाकी बिस्तर के ऊपर था।
मोहिनी ने तुरन्त ही लंड का क्षेत्र चुना और मैं मोहिनी की तरफ अपने मुंह को करके जीवन के मुंह के ऊपर बैठ गई।
अभी तक मोहिनी ने अपनी पैन्टी नहीं उतारी थी, वो लगातार जीवन के लंड और जांघ को चूस व चाट रही थी।
इधर मैं भी उससे अपनी गांड खूब चटवाना चाह रही थी।
काफी देर तक मोहिनी उसके लंड से खेलती रही, फिर हम दोनों ने अपना-अपना स्थान बदल लिया, मोहिनी लंड चूसना छोड़ खड़ी हो गई और अपनी पैन्टी उतार दी।
उसकी चूत क्या उभरी हुई थी, पुतिया उसकी काफी बड़ी थी और सबसे अहम यह था कि उसके भूरी चूत के ऊपर छोटे-छोटे बाल थे। मोहिनी सीधा जीवन के मुंह के ऊपर आई और अपनी गांड को जीवन के हवाले कर दी।
मैं जीवन के लंड पर चढ़ गई और लंड चूत में लेकर उछलने लगी। बारी बारी से हम दोनों लड़कियाँ जीवन के लंड से खेल रही थी।
तभी जीवन बोला- मैं झड़ने वाला हूँ।
मैं उसके लंड पर हट गई, जीवन उठा और मोहिनी के मुंह में लंड पेल दिया।
मोहिनी को शायद यह अच्छा नहीं लगा, वो गूं-गूं करने लगी।
जीवन बोला- तुम्हीं ने तो कहा था, आज मेरे मन का करोगी।
लेकिन मोहिनी तैयार नहीं हुई।
फिर मैंने जीवन के लंड को अपने मुंह में लिया और जीवन मेरे मुंह को चोदने लगा।
जब जीवन का निकलने वाला था, तो उसने मुझे मेरी जीभ बाहर करने को कहा, मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल दी।
जीवन लंड को हिलाते हुए अपने वीर्य को धीरे-धीरे मेरे जीभ के ऊपर गिराने लगा। जब दो-चार बूंद मेरी जीभ पर गिर जाती तो वो अपने लंड को दबा देता और जब मैं वीर्य का स्वाद चख लेती तो वो फिर मेरी जीभ में अपना माल गिरा देता।
मोहिनी मुझे ये सब करते हुए बड़े ध्यान से देख रही थी, जीवन उसकी तरफ देखते हुए बोला- देखने से नहीं, इसको मुंह में लो और इसका स्वाद चखो, उसके बाद तुम दोनों की चूत से निकलते हुये मलाई मैं भी चखूंगा।
मैंने भी इशारो में मोहिनी को लेने के लिये बोला, मोहिनी ने अपनी जीभ उसी तरह बाहर कर दी, जैसा कि मैंने किया था।
जीवन ने भी दो-चार बूंद उसकी जीभ के ऊपर गिराई, मोहिनी उनको चट कर गई लेकिन यह उसका पहला अवसर था, वीर्य को गटकने में उसे मुश्किल हो रही थी।
खैर किसी तरह उसने वीर्य को अपने गले के नीचे उतारा, तब तक जीवन अपने सुपारे को दबाये खड़ा रहा, मैंने मोहिनी को पकड़ा और उसके मुंह को चूसने लगी, मैं उसकी जीभ को अपने मुंह के अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी।
जीवन भी अपने लंड को एक हाथ से पकड़े हुए था और दूसरे हाथ से मोहिनी की चूची को दबा रहा था।
मोहिनी सामान्य होने लगी थी।
मेरे कहने में एक बार फिर मोहिनी ने अपनी जीभ बाहर निकाली, लेकिन इस बार जीवन ने उसके मुंह के अन्दर लंड पेल दिया और जिस तरह से उसने मेरे सिर को पकड़ कर रखा था, उसी तरह से उसने मोहिनी के सिर को पकड़ लिया और वीर्य की एक-एक बूंद उसके मुंह से अन्दर डाल दी।
जैसे ही मोहिनी ने मुंह से जीवन ने लंड निकाला, ओंक की आवाज के साथ मोहिनी ने उल्टी कर दी और उसकी आँखों में आंसू आ गये। जीवन को भी अपनी गलती का अहसास हुआ, उसने मोहिनी को उठाया और उसे अपने सीने से लगाते हुए सॉरी बोलने लगा।
उसके बाद उसने बाथरूम में पड़ा एक कपड़ा उठाया और उस जगह को साफ किया। फिर हम तीनों ही पलंग पर लेट गये।
थोड़ी देर तक तो हम दोनों जीवन पर अपनी टांगें चढ़ा कर लेटी रही पर कुछ देर बाद जीवन के जिस्म से आती हुई मर्दाना खुश्बू को मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और मैं उसके जिस्म से और सट गई, मेरी दो उंगलियाँ उसके निप्पल को अपने बीच में दबाने लगी और मेरा दूसरा हाथ उसकी जांघ को सहलाने के साथ-साथ उसके मुर्झाये हुए लंड को भी बहकाने की कोशिश में लगा था।
इधर मोहिनी के हाथों ने हरकत करनी शुरू कर दी। बीच-बीच में हम दोनों साथ साथ उसके निप्पल को दांतों से काट लेती या फिर चूसने लगती।
हम लोगों का इस तरह से करते रहने से नतीजा सामने आने लगा, जीवन का जिस्म अकड़ने लगा और लंड भी बहकावे में आने लगा। लंड के टाईट होते तक मैं उसके सुपारे के कटे हिस्से को नाखून से खुरच रही थी।
चूत में उंगली
जीवन को ताव दिलाने के लिये इतना ही काफी था, वो उठा और हम दोनों को सीधा लेटाते हुए दोनों की चूत के अन्दर अपनी उंगली फंसा दी।
मुझे महसूस हुआ कि उसकी कम से कम तीन उंगली मेरी चूत के अन्दर हरकत कर रही थी, अगर मेरी चूत के अन्दर तीन उंगली थी तो निश्चित रूप से मोहिनी की चूत में भी तीन उंगलियाँ फंसी होंगी।
फिर मुझे लगा कि जीवन मेरे अन्दर अपनी उंगली से चूत की अन्दरूनी दीवार को खरोंच मार रहा था। हम दोनों के मुंह से कहराने की आवाज आ रही थी, और हम दोनों ने शायद साथ-साथ अपने पैरों को मोड़ लिया था ताकि चूत के अन्दर से उसका हाथ बाहर आ जाये।
लेकिन नहीं, हाथ बाहर नहीं आया, पानी बाहर आ गया और फिर हम दोनों को अपने हाथ दिखाते हुए चाटने लगा और फिर चूत से बहते हुए पानी को चाटने लगा।
बहुत देर तक उसने बारी-बारी से हम दोनों की चूत को चाटना जारी रखा। उसके बाद उसी पोजिशन में हम दोनों की चुदाई करने लगा। बारी बारी से दोनों की चुदाई हो रही थी, चुदाई की कोई नई पोजिशन नहीं थी, हम दोनों पलंग पर लेटी हुई थी, लंड दोनों की चूत में बारी बारी डालता और फिर अपने दोनों हाथ हमारे जिस्म से सटाते हुए पलंग पर टिका देता और चुदाई करने लगता।
इस चुदाई से मुझे काफी आराम मिल रहा था। मैं एक बार उसकी जबरदस्त चूत चुदाई के आगे पस्त हो चुकी थी पर जीवन था कि हार मान ही नहीं रहा था…
लेकिन कब तक?
कुछ शॉट उसने और लगाये होंगे कि वो हम दोनों के बीच में आकर हम दोनों की छाती पर लंड से निकलते हुए वीर्य की धार छोड़ दी।
हम दोनों ने ही उसके वीर्य को उसकी निशानी के तौर पर अपनी छाती पर मल लिया।
मैं काफी थक चुकी थी, सुबह के दस बजे से उसने मुझे शायद पाँच बार चोद दिया होगा।
वो हम दोनों के बीच में लेटा हुआ था और हम दोनों के मम्मे पर हाथ फिरा रहा था।
करीब आधे घण्टे तक हम तीनों यूं ही पड़े आराम करते रहे, फिर उसने घड़ी की तरफ देखा और बोला- हमको चलना चाहिये। बस एक आखिरी खेल!
‘खेल?’ मोहिनी उसकी तरफ देखते हुए बोली।
‘हाँ मैं चाहता हूँ कि हम तीनों एक साथ मूतें।’
उसके कहने के साथ ही हम तीनों टॉयलेट गये और तीनों एक दूसरे की तरफ मुंह करके मूतने लगे। हम लोगों की पेशाब की धार एक दूसरे की धार से टकराकर उसके छींटे हमी लोगों के ऊपर पड़ रहे थे।
तीनों पेशाब करके आये और कपड़े पहनने जा ही रहे थे कि मोहिनी बोली- मैं थोड़ा फ्रेश हो लूं, फिर चलते हैं।
इतना कहकर वो एक बार फिर टॉयलेट में घुसी और दरवाजा बन्द करने लगी तो मैं मोहिनी से बोली- अभी तक हम सभी खुल कर एक दूसरे के नंगे जिस्म के साथ थे, और तू टट्टी दरवाजा बन्द करके करेगी? तू हम सबके सामने ही टट्टी कर और जीवन तुम्हारी गांड साफ करेगा।
मोहिनी बिना किसी ऐतराज के वहीं सामने पॉट पर बैठ गई और टट्टी करने लगी।
फिर जीवन ने उसकी गांड साफ की और हाथ धोकर मेरी गांड को थपथपाते हुए बोला- आकांक्षा, आज वास्तव में तुमने मुझे खूब मजा दिया। अब मेरी बारी है अपना वादा पूरा करने की।
उसके बाद मोहिनी की गांड थपथपाते हुए बोला- अब तुम मुझे रोज नये तरीके से दवा दोगी।
मोहिनी उसके ये शब्द सुनकर मुस्कुराने लगी।
फिर हम तीनों रूम से बाहर आ गए, मैं अपने रूम में आ गई जहाँ मेरे ससुर मेरा इंतजार कर रहे थे।
कहानी जारी रहेगी।

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#1,304
23-02-2018, 11:36 PM
आप पर पढ़ रहे रहे लागी लंड की लगन
इस हिन्दी सेक्स स्टोरी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैं अपने बॉस से कई बाद चूत चुदवा कर अपने होटल के कमरे में आई, जहाँ मेरे ससुर मेरा इंतजार कर रहे थे, मुझे देखते ही मुझे अपने से चिपका लिया और बोले- कैसा रहा तुम्हारा काम?
मैंने पापाजी को पूरा किस्सा बताया तो बोले- पाँच बार उसने तुम्हें चोदा।
मैं पलंग पर बैठ गई।
वो वेटर हमारे कपड़े रख गया था, मेरे हाथ में मेरी ब्रा आ गई।
‘इसी ब्रा-पैन्टी को देख-देख कर मैंने इतना समय पास किया, बस एक गलती हो गई।’
‘क्या?’ मैं बोली।
‘बस तुम्हारे बारे में सोच सोच कर तुम्हारी ही पैन्टी में दो बार मैं झड़ चुका हूँ।’ ससुर जी ने मुझे मेरी पैन्टी पकड़ा दी।
थोड़ी सी गीली लग रही थी मेरी पैन्टी- क्या दूसरी बार अभी किया है?
‘हाँ बस तुम्हारे आने से कुछ देर पहले ही मेरा माल इस पर निकला है।’
‘क्या पापाजी आप भी? मुझे सोचने से अच्छा था कि आप वेटर को बोल कर किसी लड़की को बुला लेते। कम से कम आपका माल जाया न जाता।’
‘अगर तुम चाहती हो कि मेरा माल जाया न जाये तो तुम इस पेन्टी को पहन लो, मेरा माल तुम्हारी बुर में लग जायेगा तो मैं समझ लूंगा कि मेरा माल जाया नहीं गया।’
उनकी बात सुनकर मैंने अपनी पैन्टी उतारी और पापा की दी हुई पैन्टी के उस हिस्से को जो पापा ने अपने वीर्य से गीला किया था, अपने चूत के अन्दर रगड़ा और फिर पहन ली।
पापा मेरे माथे को चूमते हुए बोले- इस तरह का जो सुख तुम देती हो, तुम्हारे अलावा कोई दूसरा नहीं दे सकता।
फिर पापा बोले- मैं कुछ खाना आर्डर कर देता हूँ ताकि फिर कोई हमें डिस्टर्ब न करे।
मैंने ओ॰के॰ कहा और मुंह हाथ धोने चली गई, उधर पापा जी ने खाने का ऑर्डर दे दिया।
पापा जी ने मेरी मालिश करके मुझे नहलाया
आधे घंटे के बाद खाना आ भी गया, रूम सर्विस वाले के जाने के बाद पापाजी मुझसे बोले कि मैं अपने कपड़े उतार लूँ क्योंकि वो मेरी मालिश करना चाहते थे।
मैंने पैन्टी छोड़ अपने सभी कपड़े उतार दिये और जैसा मेरे ससुर जी ने मुझे लेटने के लिये बोले, मैं वैसे ही लेट गई।
करीब आधे घंटे तक जम कर ससुर जी मेरी मालिश करते रहे, उनके मालिश करने से मुझे थोड़ी राहत मिली और जिस्म से उठती हुई पीड़ा थोड़ा कम सी लगने लगी।
मालिश होने के दस मिनट बाद मैं अपने ससुर जी के साथ बाथरूम में थी, मुझे वो अच्छी तरह से नहला रहे थे। हाँ, यह अलग बात है कि बीच में उनकी जीभ मेरी चूत और गांड के छेद को अपना जलवा दिखाने से रोक नहीं पा रही थी।
जब मैं नहा चुकी तो ससुर जी ने मुझे तौलिया पकड़ाया और बोले- मैं भी नहा कर आ रहा हूँ, तब तक तुम खाना लगा लो, हम दोनों साथ खायेंगे।
मैं खाना लगाने लगी, उधर ससुर जी भी नहा कर बाहर निकले और मुझसे तौलिया लेकर अपने आपको पौंछने लगे, उनका लंड मुरझाया था।
मैं उनके लंड को छूने से अपने आपको रोक नहीं सकी, लंड को हाथ में ले लिया और पुचकारते हुए बोली- देखो बेचारा कैसा उदास है।
ससुर जी तुरन्त बोले- तुम परेशान न हो, इसको बहुत मौके मिलेंगे अपनी उदासी दूर करने के, आओ अब हम खाना खा लें।
खाना खाते-खाते रितेश का फोन आ गया, उसको हाल चाल लेने देने के बाद हम दोनों ने खाना खत्म कर लिया।
जिस्म अभी भी हल्का सा दु:ख रहा था, मैं ससुर जी को बोल कर लेट गई। उधर ससुर जी भी सामान समेट कर लाईट ऑफ करके मेरे पास ही लेट गये।
ससुर जी का लंड चूसा
कुछ ही देर के बाद मैं नींद की आगोश में आ चुकी थी लेकिन आधी रात को मुझे लगा कि कुछ हिल रहा है, इससे मेरी नींद टूट गई। मेरी नजर ससुर जी पर गई तो देखा उनका हाथ अपने लंड पर बहुत जोर का चल रहा था।
मैं उनको रोकते हुए बोली- यह आप क्या कर रहे हैं?
‘कुछ नहीं, ये आज मान नहीं रहा है और बार-बार कभी तुम्हारी चूत को टच करता और जब कभी तुम अपनी पीठ मेरी तरफ करता तो तुम्हारे गांड को टच करता, इसलिये मैं इसको ठंडा कर रहा था। तुम सो जाओ, ये अब ठंडा होने वाला है।’
मैं उनकी बात को समझते हुए उनके लंड को अपने मुंह में लेकर उसको ठंडा करने में लग गई। जैसे ही लंड मेरे मुंह के अन्दर आया, वैसे ही उसकी अकड़ निकलने लगी, उसके पानी से मेरा मुंह भर गया और ससुर जी को भी राहत मिलने लगी।
उसके बाद हम दोनों ने करवट ली और मैंने ससुर जी से चिपक कर अपनी एक टांग उनके ऊपर चढ़ा दी और उनके हाथ को अपने चूतड़ पर रख दिया।
ससुर जी बोले- देखो, तुम मुझसे चिपक रही हो, कुछ देर के बाद ये फिर अकड़ मचाने लगेगा और उत्पात भी मचाने लगेगा तो मैं क्या करूंगा?
मैं थोड़ी मुस्कुरा कर बोली- पापा जी, आप चिन्ता मत करो, इस बार अगर इस बदमाश ने अकड़ दिखाई और उत्पात मचाया तो इसकी अकड़ और उत्पात को मैं अपनी चूत के अन्दर ही ठंडा कर दूंगी।
मेरी बात से संतुष्ट होते हुए उन्होंने मुझे कस कर चिपका लिया।
ससुर के लंड से चूत चुदवाई
थोड़ी देर तक तो ठीक रहा पर ससुर जी के जिस्म की गर्मी होटल में लगे ए॰सी॰ पर भारी पड़ रही थी और उनका लंड भी हरकत दिखाने लगा था, इधर मेरी चूत भी लंड के हरकत का रिस्पॉन्स करने लगी थी।
जितना ससुर जी का लंड मेरी चूत के करीब जाता उतना ही मेरी चूत भी उसके करीब जाने के लिये फड़फड़ाने लगती, नीचे दोनों आपस में मिलने के लिये तड़फ रहे थे।
उधर मेरी उंगलियाँ ससुर जी के निप्पल से खेल रही थी, इसका असर भी जल्दी ही ससुर जी की उंगलियों के ऊपर होने लगा और वो मेरी घुण्डियों को मसलने लगी।
कुछ देर तक तो ऐसा ही चलता रहा, लेकिन कब तक?
हार कर ससुर जी ने मुझे सीधा किया और मेरे निप्पल को अपने मुंह में भर कर चूसने लगे, उनके हाथ मेरी चूत के अन्दर सैर कर रहे थे।
फिर मैंने ससुर जी को सीधा किया और उनके निप्पल को अपने मुंह के अन्दर भर लिया और उनके लंड को अपने हथेलियों के बीच कैद करके उसको मसलने लगी।
सिसयाते हुए ससुर जी बोले- तुम इसके ऊपर चढ़ाई कर दो ताकि यह भागने न पाये।
मैं तुरन्त उठी और उनके लंड को अपनी चूत के अन्दर ले लिया, बिना नानुकुर किये हुए ससुर जी का लंड बड़ी आसानी से मेरी चूत के अन्दर था।
मैंने भी ठान लिया था कि इस अकड़ू लंड को मैं सबक सिखा कर ही छोड़ूंगी। ऐसा सोच कर मैं जोर-जोर से लंड के ऊपर उछलने लगी। लेकिन थकी होने के कारण ज्यादा देर उछल नहीं पाई और ससुर जी से चिपक गई।
ससुर जी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझे नीचे से चोदना शुरू कर दिया, वो भी बीच-बीच में रूक जाते थे।
जब वो रूकते थे तो मैं उछलना शुरू कर देती और जब मैं रूकती तो वो शुरू हो जाते थे।
इस क्रिया में चूत और लंड को भी बड़ा मजा आ रहा था।
फिर एकाएक ससुर जी ने मुझे कस कर पकड़ लिया उम्म्ह… अहह… हय… याह… और अपने लंड को मेरे और अन्दर घुसेड़ने की कोशिश कर रहे थे, उनकी जांघों ने मेरे चूतड़ों को भी जकड़ लिया था।
फिर मुझे अपने अन्दर ससुर जी के पानी का गिरने का अहसास हुआ। जैसे ही उनका रस की एक-एक बूंद मेरी चूत के अन्दर उतर गई, वैसे ही उनकी मेरे पर पकड़ ढीली हो गई और मैं उनके कैद से आजाद हो गई।
कुछ देर तक वो मेरी पीठ सहलाते रहे, फिर दोनों एक दूसरे से अलग हो गये और सुबह देर तक सोते रहे।
करीब आठ बजे तक दोनों की नींद खुली, नींद खुलने पर मुझे ख्याल आया कि आज कोलकाता में अन्तिम दिन है, आज रात की गाड़ी से वापस हम लोगों को बनारस जाना है।
खैर मैं उठी और लेट्रिन के लिये चली गई, तब तक ससुर जी की नींद खुल गई, वो भी सीधे बाथरूम पहुंच गये, मुझे देखते हुए बोले- जल्दी से करो, मुझे भी प्रेशर बन रहा है।
‘बस मुझे पांच मिनट, तब तक आप ब्रश कर लो!’ मैं बोली।
ससुर जी वहीं खड़े होकर ब्रश करने लगे।
उनके ब्रश करने तक मैं फारिग हो चुकी थी, मेरे हटते ही ससुर जी ने वो स्थान ले लिया। उसके बाद हम दोनों नहाये और नहाने के बाद ससुर जी के कहने पर मैंने साड़ी और लो कट ब्लाउज पहन ली।
अपनी फितरत के कारण मैंने ब्रा पैन्टी नहीं पहनी।
एक बार फिर मैं और ससुर जी के साथ ब्रेक फास्ट करने के लिये बाहर आ गई।
ऑफिस का भी टाईम हो चुका था और होटल के गेट पर ही गाड़ी भी लग चुकी थी।
मैं गाड़ी के पास पहुंची देखा जीवन ही गाड़ी में ड्राइवर सीट पर बैठा हुआ था और पीछे मोहिनी बैठी हुई थी।
मैं मोहिनी के पास बैठ गई, वो लैपटॉप खोले हुए कुछ कर रही थी।
हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और हैलो किया।
मैंने जीवन को बताया कि आज प्रोजेक्ट कम्पलीट करना है।
‘डोन्ट वरी!’ मोहिनी बोली- प्रोजेक्ट 90 प्रतिशत मैंने और सर ने मिलकर कम्पीलट कर लिया है। बाकी दस हम तीनों मिलकर कम्पलीट कर लेंगे।
‘चल कहाँ रहे हैं हम लोग?’
‘बस देखती जाओ।’
मोहिनी वास्तव में बड़ी सेक्सी लग रही थी, उसने स्लैक्स और टॉप पहना हुआ था।
फिर हम लोगों के बीच हल्की सी चुप्पी छा गई, जिसको जीवन ने ही तोड़ते हुए मुझसे पूछा- मैंने सोचा था कि आज तुम और ज्यादा सेक्सी कपड़े पहन कर आओगी?
‘तो क्या ये सेक्सी कपड़े नहीं हैं?
चलती कार में चूत चुदाई का प्रोग्राम
मेरी बात सुनकर जीवन चुप हो गया लेकिन एक बार फिर बोला- यार रास्ता अभी काफी बाकी है और मुझे गाड़ी चलाने के मजा नहीं आ रहा है।
‘तो फिर हमें क्या करना चाहिए?’ मोहिनी बोली।
‘मैं चाहता हूँ कि चलती गाड़ी में सेक्स करूं!’
मैं बोली- मेरे पास एक आईडिया है अगर मोहिनी को भी गाड़ी चलानी आती हो।
मोहिनी के हामी भरने के बाद मैंने अपना आईडिया सुनाया। मेरा आईडिया सुनकर दोनों मुस्कुराये पर इसके अतिरिक्त मेरे दिमाग में और कुछ चल रहा था, मैं सोच रही थी कि मैं यहाँ मस्ती करूंगी और वहाँ मेरे ससुर जो केवल मुझे चोदना पसंद करते हैं, वो बेचारे आज भी अपने लंड से केवल खेलेंगे।
मैंने तुरन्त जीवन को कार एक किनारे लगाने के लिये कहा और बाहर आकर ससुर जी से फ़ोन पर कुछ बात की और वापस कार में आकर अपने आईडिया में थोड़ा बदलाव किया।
मेरे आईडिया को सुनकर दोनों भी राजी हो गये, गाड़ी वापस होटल की तरफ चल दी।
वापस होटल जाते समय मोहिनी बोली- आज अगर आप सभी मेरे घर चलें तो और मजा आयेगा। जीवन सर की बात पूरी हो जायेगी, तुम्हारी बात भी पूरी हो जायेगी और मैं चाहती हूँ कि बाकी का मजा मैं अपने घर पर करूँ।
हम सभी सहमत हो गये।
मोहिनी का घर होटल से दूर था।
होटल से मैंने अपने ससुर जी को पिक किया। गाड़ी में बैठते ही मेरे मुंह से पापा जी का पा ही निकला था कि मैंने पापा जी को पवन सम्बोधित किया।
जीवन पापाजी को देखते ही बोला- आपने आकांक्षा पर क्या जादू कर दिया कि आपकी इतनी उमर के बाद भी यह आपकी मुरीद है।
मैंने बात काटते हुए कहा- पवन, यह मोहिनी है और चलती गाड़ी में आप इसको अपना जादू दिखा सकते हैं।
मेरे और मेरे ससुर जी के बीच की दीवार खत्म हो चुकी थी, भले ही उसका कारण मेरा तेज बुखार ही क्यों न रहा हो, इसलिये मैंने भी उनको पूरा मजा दिलाने की ठान ली थी।
आपको अब तक की मेरी यह हिन्दी सेक्स स्टोरी कैसी लगी, कमेन्ट करते रहें!
धन्यवाद!
कहानी जारी रहेगी।

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24-02-2018, 08:59 PM
Lovely Update
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25-02-2018, 12:16 AM
(11-07-2017, 09:03 PM)dpmangla : Out of Imagination Dude

(12-07-2017, 05:46 PM)dpmangla : Very Lovely n Lustful Story

(12-07-2017, 05:56 PM)Arashdeep Kaur : Me maximum behan bhai aur baap beti ki sex stories pasand karti hu. Apne chotte bhai ke sath to bahut sex kia hai ab bhi hum bhai behan sex karte hain. Meri dili tamana hai ke apne papa se bhi chudai karu. Bahut baar kalpna me papa se sex karti hu lekin real me papa se sex nahi kia. Hab koi mere sath sex karta hai to papa ki kalpana karke chudai karti hu aur jab do nardo se sex karti hu to mere khtalo me vo mere bhai aur papa hote hain. Bhai ke sath to chudai ki pyas bhujhati rehti hu lekin maloom nahi papa ka lund kab milega. Vese kosish jari hai jab me aur papa ghar me akele hote hain to unke sbe apni body kafi expise karti hu.

(22-07-2017, 11:03 PM)rranjan4u : Nyi khani start kre

(28-08-2017, 08:23 AM)rajbr1981 : Go to Index Page

(04-09-2017, 06:07 PM)dpmangla : Gud one

(21-09-2017, 07:48 PM)dpmangla : Lovely............

(05-10-2017, 08:22 PM)dpmangla : Lovely Updates

(11-10-2017, 06:51 PM)dpmangla : Nice Updates

(29-10-2017, 06:52 PM)dpmangla : Lovely Updates

(13-11-2017, 05:09 PM)dpmangla : Lovely Updates

(14-11-2017, 04:19 PM)dpmangla : Lovely Post

(15-11-2017, 05:07 PM)dpmangla : Lovely Post

(04-12-2017, 06:41 PM)dpmangla : Wonderful Updates

(28-12-2017, 04:42 PM)dpmangla : Lovely Updates

(04-01-2018, 01:33 AM)nick0809 : Bhai age update re

(09-01-2018, 07:26 PM)dpmangla : Nice Updates

(09-01-2018, 11:55 PM)virat singh12 : Nice post

(12-01-2018, 10:12 PM)arav1284 : शानदार ऊत्तेजक अपडेट...
अगले अपडेट का इंतजार है।

(13-01-2018, 11:58 AM)virat singh12 : Nice post .keep updating

(20-01-2018, 08:44 PM)dpmangla : Nice Post

(23-01-2018, 08:01 PM)dpmangla : Good Writing

(22-02-2018, 06:22 PM)dpmangla : Superb Updates

(24-02-2018, 08:59 PM)dpmangla : Lovely Update

aab sabhi ka dhanwad
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#1,307
05-03-2018, 12:42 AM (This post was last modified: 05-03-2018, 12:43 AM by rajbr1981.)
आप पर पढ़ रहे रहे लागी लंड की लगन
 होटल आकर हम ससुर बहू ने जल्दी-जल्दी कुछ खाया और कमरे में पहुंच गये।
मैं निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़ी।
ससुर जी ने मुझे मोहिनी की कुंवारी गांड का उदघाटन करने देने के लिये शुक्रिया किया।
बस मुझे नींद आ रही थी, हमारे पास कम से कम 6-7 घंटे का समय गाड़ी पकड़ने के लिये था, मैं फ्रेश हो जाना चाह रही थी।
मेरे ससुर जी मेरी बगल में लेटे हुए थे, मैं उनसे चिपक कर लेट गई।
करीब चार घंटे के बाद हम दोनों की नींद खुली, मैं अपने आपको तरोताजा महसूस कर रही थी।
मेरी ओर देखते हुए ससुर जी बोले- क्या तुम मेरी मालिश कर दोगी?
अभी भी हमारे पास दो-तीन घंटे थे, मैं चाहती थी कि घर पहुँचने तक 14-15 घंटे जो मेरे पास थे मैं ससुर जी को और देना चाहती थी। क्योंकि मुझे पता नहीं था कि घर पहुँचने के बाद मैं उनके करीब रह पाऊँगी या नहीं। इसलिये घर पहुँचने से पहले ससुर जी मेरे साथ जो करना चाहें या मुझसे जो करवाना चाहें, मैं तैयार थी।
मैं उठी, ससुर जी के कपड़े उतारने लगी और उनको नंगा कर दिया, उसके बाद मैं भी अपने कपड़े उतार कर नंगी हो गई।
ससुर जी पेट के बल लेट गये और मैंने मालिश की शुरूआत उनके पीठ से करनी शुरू की।
धीरे-धीरे मालिश करते हुए मैं उनके नीचे के हिस्से पर पहुंच गई, मालिश करते हुए मेरी उंगली उनके गांड के अन्दर जाने लगी।
ससुर जी भी अपनी सांसो को तेज करने लगे।
बड़ी टाईट गांड थी उनकी, लेकिन तेल लगाने से उनकी गांड ने मेरी उंगली को जाने का रास्ता देना शुरू कर दिया था और थोड़े प्रयास से मेरी पूरी उंगली उनकी गांड के अन्दर जाने लगी।
थोड़ी देर तक उंगली करने के बाद ससुर जी सीधे हुए, मैं उंगली को सूंघते हुए उसे अपने मुंह से भर ली और फिर ससुर जी के सीने पर चढ़ गई और वही उंगली को उनके मुंह में घुसा दी। ससुर जी ने भी बड़े प्यार से मेरी उंगली को चाटा।
होटल रूम में ससुर ने बहू को चोदा
फिर मैंने उनकी छाती वगैरह की मालिश की, उनके निप्पल और लंड पर तो मेरा हाथ खासा मेहरबान था। मालिश करने के बाद एक बार फिर मैं ससुर जी की छाती पर चढ़ कर बैठ गई और उनके हाथों को पकड़कर अपने मम्मे के ऊपर रख दिया।
ससुर जी के हाथों ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर अपने मम्मों को दबवाने के बाद मैंने अपनी चूत को उनके मुंह से सटा दिया।
मेरा पानी निकलने वाला था इसलिये चूत को उनके मुंह से सटा दिया ताकि मेरे निकलते हुए पानी का मजा मेरे ससुर जी लें।
जैसे ही उनकी जीभ ने मेरी पुतिया को टच किया, मेरी चूत ने धैर्य छोड़ दिया और बहने लगी।
ससुर जी ने भी बड़े इत्मीनान के साथ मेरे से निकलते हुए रस को चाट-चाट कर साफ किया। उनके थूक से मेरी चूत काफी गीली हो चुकी थी और चुनचुनाहट भी हो रही थी।
मैं वापस लंड की तरफ आई, उनके तने हुए लंड को हाथ में पकड़ा और अपनी चूत के मुंह से सेट करके हल्के से जोर के साथ लंड को अपने अन्दर ले लिया।
मैं ससुर जी के ऊपर उछल रही थी और ससुर जी मेरे साथ मेरी उछलती हुई चूची को पकड़ पकड़ कर दबाते जा रहे थे।
मेरी स्पीड और बढ़ गई। इधर ससुर जी भी अपने लंड को मेरे अन्दर पूरा घुसेड़ने के लिये जोर लगा रहे थे। सिसकारते हुए ससुर जी बोले- मेरी बहू रानी, मेरा पानी भी छूटने वाला है, अपने अन्दर लोगी या फिर मुंह से इसका मजा लोगी?
उनकी बात सुनकर मैं उनके ऊपर से हट गई क्योंकि एक बार फिर मेरा पानी निकलने वाला था। मैं तुरन्त ही 69 की अवस्था में आ गई, मैंने उनके लंड को मुंह में ले लिया और ससुर जी मेरी चूत को अपनी जीभ से चाट रहे थे।
इधर उनका पानी मेरे मुंह के अन्दर गिर रहा था और उधर मेरा पानी भी उनकी जीभ को टच कर रहा था।
दस मिनट के बाद हम दोनों अलग हुये और जब हमारी घड़ी पर नजर गई तो दोनों जल्दी जल्दी उठे और नंगी हालत में ही अपने कपड़े समेट कर अटैची को लॉक किया और फिर सुबह पहने हुए कपड़े पहन लिये।
मैंने भी सुबह की पहनी हुई साड़ी पहनी ही थी कि ससुर जी ने मेरी तरफ डोरीनुमा पैन्टी और ब्रा उछाल दी।
पैन्टी तो मैंने साड़ी को ऊपर करके ही पहन लिया था, पर ब्रा के लिये मुझे एक बार फिर अपने ब्लाउज को उतारना पड़ा।
खैर फिर हम दोनों तैयार होकर नीचे आये, मैं होटल से बाहर आ गई थी और ससुर जी होटल का बिल भरने चले गये।
मैं बाहर आई तो देखा कि मोहिनी और जीवन दोनों हम दोनों का इंतजार कर रहे थे।
उन दोनों को देखकर मैं उनकी तरफ बढ़ने लगी तो जीवन ने जल्दी से मेरे पास पहुंच कर मेरे से लगेज ले लिया और बोला- तुमने अपना वादा मेरे साथ पूरा किया और जब तुम कल ऑफिस पहुंचोगी तो मेरा वादा भी पूरा पाओगी।
‘सो स्वीट…’ मैं उसके गालों को नोचते हुए बोली और साथ ही कहा- अगर मेरे पास और वक्त होता तो मैं तुम्हें और मजा देती।
जीवन ने लगेज को गाड़ी के अन्दर रखा, तब तक ससुर जी भी हिसाब करके बाहर आ चुके थे, हम सभी को देखकर वो हमारी तरफ आ गए।
फिर हम सभी स्टेशन की तरफ चल दिये।
रास्ते में हम सभी ने एक दूसरे के नम्बर और ऐड्रेस को एक्चेंज किया और जीवन द्वारा सुनाये गये हल्के-फुल्के नॉनवेज चुटकुले का आनन्द लिया।
जब तक हमारी ट्रेन स्टेशन से रवाना न हो गई तब तक दोनों ही हमारे साथ रहे।
स्टेशन छोड़ने के कुछ ही देर बाद टी॰टी॰ई॰ हमारी केबिन में आया, हम दोनों ही अलग सीट पर बैठे हुए थे, टिकट चेक करने के बाद वो चला गया और साथ ही यह बोलना न भूला कि यदि कोई परेशानी हो तो उसे जरूर बताएँ।
ट्रेन में ससुर बहू की सेक्स भरी मस्ती
उसके जाने के बाद ससुर जी ने तुरन्त ही दरवाजा बन्द किया, केबिन के अन्दर जलते हुए दो बल्ब में से एक को बन्द कर दिया और फिर मुझसे बोले- मेरी प्यारी बहू डार्लिंग, आज तुम मेरे लिये मॉडलिंग करो।
कहकर उन्होंने बैग से कम से कम 5-7 ब्रा पैन्टी, पार्दर्शी स्लैक्स, उसके ऊपर पहनने के लिये पार्दर्शी टी-शर्ट, हॉफ जींस के साथ छोटी फ्रॉक निकाल ली और सब बहुत ही मंहगी और सेक्सी!
पैन्टी दिखाते हुए बोले- जाओ पेशाब वगैरह कर आओ जिससे बार बार केबिन न खोलनी पड़े।
हम दोनों का सब लिहाज खत्म हो चुका था सो मैंने थोड़ा अदा दिखाते हुए कहा- चिन्ता मत कीजिए पापाजी, अब हम लोग केबिन नहीं खोलेंगे, जब पेशाब लगेगी तो हम दोनों एक दूसरे के मुंह में करके मजा लेंगे।
मेरी बात सुन कर ससुर जी बोले- तो ठीक है, आओ हम लोग खूब पानी पी लें ताकि जल्दी से पेशाब लगे और हम लोग एक दूसरे का मूत पीकर आनन्द लें।
हम दोनों ने थोड़ी थोड़ी देर में जम कर पानी पिया। पानी पीने के साथ साथ वो मुझे सभी लाये हुए कपड़े पहनने के लिये बोले।
सबसे पहले उन्होंने ने मुझे मेरी साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज उतारने के लिये कहा क्योंकि मुझे वो उस डोरी वाली पैन्टी और ब्रा में देखना चाह रहे थे।
मैंने तुरन्त ही अपनी साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज उतार दिया, पैन्टी की डोरी मेरे दोनों दरारो के बीच में फंसी हुई थी और ब्रा में सिर्फ दो बिन्दुनुमा ही कैप बने हुए थे जो बमुश्किल मेरे निप्पल को ढके हुए थे और बाकी डोरी मेरी पीठ से बंधी हुई थी, जो होटल में मेरे ससुर ने बांधी थी।
मैं अपने कपड़े उतार कर ससुर जी के पास सट कर खड़ी हो गई, वो मेरी चूत और गांड पर अपने हाथ फिराने लगे, मेरे कूल्हे को दबाते हुए बोले- इसमें तुम बहुत सेक्सी लग रही हो।
फिर उन्होंने अपनी उंगली को डोरी को ऊपर फंसाया और उस उंगली को मेरी बुर पर चलाने लगे, अपनी उंगली चलाते हुए बोले- वास्तव में तुमने जो मुझे सुख दिया है, मैं बता नहीं सकता।
अब वो मुझे एक-एक करके पहनने के लिये कपड़े देते और फिर मेरे जिस्म से बड़ी ही मदकता के साथ खेलते।
जो फ्रॉक उन्होंने मुझे पहनने के लिये दी, वो मेरी कमर से थोड़ी ही नीचे थी, उसको पहने के बाद मेरे चूतड़ भी नहीं छिप रहे थे। मुझसे खेलते खेलते उनका लंड टाईट होने लगा।
मेरे से बोले- बहू, अब मुझे मूत आ रही है।
‘आ तो मुझे भी रही है!’
‘तो ठीक है, पहले तुम मेरे मुंह में मूतो, उसके बाद मैं!’ इतना कहने के साथ वो सीट से उतर कर फ्लोर पर बैठ गये और अपने सिर को सीट से टिका कर अपना मुंह खोल दिया।
मैं लगभग सभी कपड़े पहन कर अपने खूबसूरत जिस्म की नुमाईश उनके सामने कर चुकी थी और जो इस समय स्लैक्स पहने हुये थी,
मैं उसको उतारने जा रही थी कि ससुर जी ने स्लैक्स का वह हिस्सा जो मेरी चूत के ऊपर था, फाड़ दिया और बोले- आओ मेरी जान, अब मेरी प्यास अपनी चूत से निकलने वाले पानी से बुझाओ।
मैं भी जवाब देते हुए बोली- लो मेरे चोदू ससुर, लो मेरी चूत के पानी का मजा लो, कह कर मैंने अपनी उंगलियों से अपनी बुर की फांकों को फैलाया और एक धार से मूतने लगी।
जब उनका मुंह मेरी मूत से भर जाता तो मैं रूक जाती और जब वो मेरी मूत को गटक लेते तो फिर मैं पेशाब करना शुरू कर देती।
जब मैं पेशाब कर चुकी तो मेरी चूत की फांकों को फैला कर चाटने लगे और बोले- वास्तव में तेरा पानी मजेदार है और यह जो कसैलापन है यह मुझे तुम्हारी चूत चाटने के लिये और उत्तेजित कर रहा है।
इतना कहने के साथ वो मेरी बुर को चाटने लगे।
थोड़ी देर मेरी बुर चाटने के बाद उन्होंने वो जगह छोड़ी तो मैंने वो जगह पकड़ ली, लेकिन मेरे ससुर ने मुझे सीट पर बैठाया और मेरे मुंह के पास अपने लंड को लगा दिया।
लेकिन यह क्या, वो पेशाब करना चाह रहे थे पर कर नहीं पा रहे थे। मैंने भी कोशिश की, लेकिन पेशाब निकलने का नाम ही नहीं ले रही थी।
ससुर जी थक कर मेरे बगल में बैठ गये और अपनी आँखें बन्द कर ली।
दो मिनट में ही उनका लंड ढीला पड़ने लगा, फिर वो उठे और मेरे मुंह में उन्होंने मूतना शुरू कर दिया। उनके लंड से निकलती हुई पेशाब की गर्म धार मुझे एक अलग सा आनन्द दे रही थी।
वो भी अपनी पेशाब उसी तरह रोक रहे थे, जैसे मैं उनको अपनी मूत पिलाते हुए करती थी।
इस तरह से हम दोनों ने एक दूसरे के मूत को पीकर आनन्द लिया।
उसके बाद ससुर जी ने मुझे खड़ा किया और अपने से चिपकाते हुए मेरे कूल्हे को कस कर दबाने लगे। फिर वो मेरी पीठ की तरफ आये और मेरे मम्मे भी उसी तरह कस कर दबाने लगे जैसे वो मेरे कूल्हे को दबा रहे थे।
मम्मे दबाते दबाते हुए वो नीचे बैठ गये और मेरे कूल्हों को पकड़ कर चौड़ा कर दिया, अपनी जीभ की टो को मेरे गांड के छेद से टच कर दिया और मेरी गांड को मस्ती से चाटने लगे।
उसके बाद अपने लंड को एक बार फिर मेरे मुंह के सामने कर दिया, मैंने उनके लंड को चूसने लगी, उत्तेजना बढ़ने के साथ साथ वो मेरे मुंह को चोदने लगे।
फिर पापा ने मुझे घोड़ी बना दिया और मेरे गांड में अपने लंड को धीरे-धीरे डालने लगे, उनके लंड मेरी गांड के छेद से टच होते ही मुझे एक अजीब सी खुजली सी होने लगी, मैंने ससुर जी से कहा- पापा जी, प्लीज जल्दी से लंड को मेरे गांड में डालकर उसकी खुजली मिटा दीजिए।
मेरी बात सुनते ही उन्होंने अपने लंड का जोर मेरी गांड के छेद पर लगाया और उनका पूरा का पूरा लंड मेरी गांड के अन्दर धंस चुका था।
उम्म्ह… अहह… हय… याह…
मेरी गांड में अपना लंड पेबस्त करने के बाद वो मेरे मम्मे को और जोर-जोर से दबाने लगे, मैं अपने होंठों को दबाये हुए सिसकारी मारने लगी।
थोड़ी देर तक मेरे मम्मे दबाने के बाद ससुर जी ने मेरी गांड चोदना शुरू कर दिया, वो बारी-बारी से मेरे छेदो में अपने लंड को डालकर चोद रहे थे, पहले गांड, फिर चूत का भर्ता बनाते और फिर मेरे मुंह को चोदते।
करीब 20 मिनट तक वो मुझे इसी तरह चोदते रहे, फिर खुद सीट पर बैठ गये और मुझे अपने ऊपर बैठा लिया और मेरे मम्मे को एक बार फिर अपेन मुंह में भर कर चूसने लगे।
मुझे ऐसा लगने लगा था कि वो मेरे दूध को निचोड़कर पीने की कोशिश कर रहे हों।
जब उन्होंने मेरी चूची चूसना बंद कर दिया तो मैं उनके लंड की सवारी करने लगी।
मैं पानी छोड़ चुकी थी, लेकिन ससुर जी तो अभी भी मेरी चूत का भुर्ता बनाने में लगे थे। जब उनके अपने लंड पर गीलेपन का अहसास हुआ तो उन्होंने मुझे अपनी गोद से उतारा, मुझे सीट पर लेटा कर मेरी चूत पर अपने मुंह को रख दिया और मेरे चूत से निकलते हुए रस को चाटने लगे।
मेरे हाथ उनके सर पर थे और मैं उनके सर को थोड़ा ताकत दे रही थी ताकि वो मेरी चूत से और चिपक जाये।
खैर मेरी चूत चाटने के बाद उसी अवस्था में उन्होंने मेरी चूत के अन्दर एक बार फिर अपना लंड पेल दिया और धकाधक चोदने लगे।
अब वो भी थकने पर आ गये थे, वो हांफते हुए मेरे ऊपर गिर गये और उनका वीर्य मेरे अन्दर जाने लगा।
दोस्तो, इस तरह से मेरी चुदाई ससुर से भी हो गई, उन्होंने मुझे चलती हुई ट्रेन में तीन बार चोदा।
सुबह मैं जब घर पहुंची तो मेरे और मेरे परिवार के बीच एक नया रिश्ता जन्म ले चुका था, जो जब चाहता मुझे अपनी बीवी बना कर चोदता।
हाँ एक बात थी कि अगर मेरी इच्छा न हो तो मुझे कोई छूता भी नहीं था और मैं बिन्दास अपने घर में सभी मर्दों के साथ रहती थी।
ऑफिस में जीवन के वजह से मुझे मेरे बॉस के बराबर पोजिशन मिल गई। इस तरह दोस्तो, मैं अपने पति की वजह से अलग अलग लंड का सुख पा सकी।
अभी तो फिलहाल उस घर में मैं एक अकेली औरत हूँ जो सभी मर्दों को सन्तुष्ट कर रही हूँ। अब मेरे छोटे देवर की शादी होने वाली है। देखो आने वाली बहू क्या करती है?

कहानी कैसी लगी, कमेंट कीजियेगा।
धन्यवाद


The End

 

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05-03-2018, 05:33 PM
Lovely Story
Sasur Dwara Mohini ki Gaand Chodne Wali Post Gayab Hai
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rajbr1981 Offline
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25-03-2018, 08:44 PM
jald milte hai nye kahani ke saath
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#1,310
25-03-2018, 09:53 PM
Ok..............................
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