अपडेट ६३
जैसे ही मैंने कपडे पहने, बेल फिर से बज उठी, मैं भागकर फिर से बाहर आया, इस बार अंशिका थी ..
वो अन्दर आई, दरवाजा बंद किया, और मुझसे बुरी तरह से लिपट गयी.
मेरे शरीर से उठती महक और गीले बालो को देखकर वो बोली : नहा भी लिए तुम...वाह..पर ये कपडे क्यों पहने फिर...मेरा इन्तजार नहीं कर सकते थे...हूँ...
अब बताओ यार, पहले जब टोवल में इन्तजार किया तो किट्टी मेम आ गयी और बोली की टोवल में क्यों हो और अब जब कपडे पहन लिए तो ये मेडम कह रही है की कपडे क्यों पहने..
अंशिका ने मुझे प्यार से देखा और बोली...बी रेडी ....मैं नहाकर आती हु...
और मुझे देखकर, एक सिडक्टिव सी स्माईल देकर, वो बाथरूम के अन्दर चली गयी...नहाने.
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अब आगे
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मैं भी अपने कपडे उतार कर अंशिका का इन्तजार करने लगा, काफी देर हो गयी तो मैं उठकर दरवाजे तक गया और अंशिका से कहा की दरवाजा खोले और मुझे अन्दर आने दे.
अंशिका : रुको यार...बस एक मिनट में आई..और वैसे भी जब हमारे पास डबल बेड है तो क्यों इस छोटे से बाथरूम में प्यार करे..तुम रुको, मैं बस पांच मिनट में बाहर आई.
बात तो उसकी सही थी.
मैं अपने ज़ोकी में उसका इन्तजार करने लगा.
थोड़ी ही देर में दरवाजा खुला, और अंशिका बाहर आई..
उसे देखकर मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी.
उसने अपनी कमर से टोवल लपेट रखा था, जैसे हम लड़के लपेटते है, नहाने के बाद, और दूसरा टोवल उसने अपने सर से बाँधा हुआ था, जो एक ऊँची ईमारत बना रहा था वहां...और बीच वाले हिस्से पर...सिवाए पानी की बूंदों के कुछ भी नहीं था...वो टोपलेस ही बाहर निकल आई थी...मैं उसकी हिम्मत देखकर दंग रह गया
पर यारो, क्या माल लग रही थी, उसके मोटे-मोटे मुम्मे जिनपर से पानी फिसल कर नीचे गिर रहा था, उसका सपाट पेट, और टॉवेल के नीचे की मोटी और सफाचट टाँगे...मेरे तो मुंह में पानी आ गया.
अंशिका (मुस्कुराते हुए) : क्या देख रहे हो...ये तो वैसे भी उतरने वाले थे...इसलिए मैं ऐसे ही आ गयी, जैसे घर पर नहाने के बाद निकलती हु..
मैं : मतलब...घर पर भी तुम ऐसे ही...वाव ....यार...
अंशिका : तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे तुमने मुझे ऐसे कभी देखा ही नहीं...
ये कहते-२ उसने अपने सर के ऊपर बंधा हुआ टोवल भी खोल दिया...और उससे अपने गीले बालों को मलने लगी..उसके मोटे मुम्मे बाल सुखाने की वजह से जोरों से हिलने लगे..और मेरी नजर पहली बार उसके तने हुए निप्पलस के ऊपर गयी, जो फटने की कगार पर थे, यानी वो पूरी तरह से गरम थी..आगे क्या होने वाला है उसके बारे में सोचकर.
वो मुझे जानती थी, की इस तरह से अपना नंगा शरीर दिखा कर मेरी भावनाओ को भड़का रही थी...और वो भड़क भी चुकी थी, मेरे लंड के रूप में.
मेरे लंड ने मेरे ज़ोकी में बवाल सा मचा रखा था...
मैंने एक झटके में अपना ज़ोकी नीचे कर दिया, और मेरे लंड ने नेनीताल की फिजाओं में पहली बार अपनी महबूबा को देखा और उसे सलाम ठोंका.
अंशिका ने मेरे लंड को अपनी नजरों में कैद किया और धीरे-२ अपनी गांड मटकाती हुई मेरे पास आई..और अपने हाथ में पकडे हुए टोवल को मेरे लंड पर झुला दिया, मानो वो लंड न हो, कपडे टांगने का खूंटा हो..टोवल के बोझ से मेरा लंड नीचे झुक गया पर टोवल नीचे नहीं गिरा.