28-11-2017, 03:43 PM
अपडेट ५९
वो बोला : जी...आज लड़का छुट्टी पर है...तो मैं ही ले आया...मैं रेस्टोरेंट का मेनेजर हु... वो क्या है न...कभी -२ स्टाफ की शोर्टेज हो जाती है.
वो हकलाते हुए बोल रहा था...यानी उसे ये सिचुएशन बड़ी ही अजीब लग रही थी..जहाँ एक जवान लड़की आधे-अधूरे कपड़ो में उससे खाने की डिलीवरी लेने आई थी.
पारुल : ओके....आप अन्दर आओ...मैं पैसे देती हु...
वो अन्दर आ गया और पारुल ने पीछे से दरवाजा बंद कर दिया.
वो दरवाजे के पास ही खड़ा रहा...और पारुल अपनी गांड मटकाती हुई अन्दर की तरफ आ गयी.
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अब आगे
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जहाँ मैं बैठा हुआ था, वहां से मुझे साफ़ दिखाई दे रहा था की अन्दर आते ही मेनेजर ने अपनी पेंट के उभार को छुपाया और दरवाजे के पास ही खड़ा होकर वेट करने लगा.
पारुल ने उसे अन्दर बुलाया : अरे...तुम बाहर क्यों खड़े हो..अन्दर आयो न..
वो धीरे-२ चलते हुए अन्दर तक आया और सोफे के पास आकर खड़ा हो गया...पारुल ने उसे बैठने को कहा...पर जैसे ही वो बेठने लगा, सोफे पर लेटी हुई कनिष्का को देखकर वो एकदम से वापिस उठ बैठा..
कनिष्का सोने की एक्टिंग कर रही थी, उसने अपने कपडे तो पहन लिए थे पर सोफे पर उल्टा सोने की वजह से उसकी गांड ऊपर की तरफ घुमावदार सी साफ़ दिखाई दे रही थी, और उसने अपनी टी शर्ट ऊपर खिसका रखी थी, जिसकी वजह से उसकी कमर आधी से ज्यादा नंगी थी.
पारुल : ओहो....यहाँ तो मेरी फ्रेंड सो रही है...वो क्या है न...हम दोनों आज सुबह ही मुंबई से आई हैं...और ये घर मेरे दूर के अंकल का है..वो लोग बाहर रहते हैं, इसलिए एक दिन के लिए उन्होंने हमें यहाँ रहने की इजाजत दे दी...हम रात को ही बेंगलोर निकल जायेंगे..
वो मूक सा खड़ा होकर पारुल की बनायीं हुई कहानी सुन रहा था..वो क्या करती है और कहाँ जा रही है, वो उसे क्यों बता रही है...शायद येही सोच रहा होगा वो..
पर असल में वो सही कर रही थी, जैसा की मैंने उसे कहा था की अगर इसके साथ मजे लेने है तो ऐसा कुछ करना की सिर्फ आज के मजे मिले..कहीं उसे उसकी ठरक दुबारा यहाँ न खींच लाये...
पारुल : मुझे आज यूनिवर्सिटी में काम है,..उसके बाद हम निकल जायेंगे...ये मेरी फ्रेंड है सकीना...और मैं हु नेहा.
मेनेजर : ओके...ह्म्म्म...और मेरा नाम...चेतन है..
बेचारा और बोल ही क्या सकता था..
पारुल आगे बोली : सुबह से ही भूख लगी थी...अब मजा आएगा..
और वो खाने के डब्बे खोलने लगी.
मेनेजर : जी...वो...पेमेंट कर देती तो मैं चलता फिर....
पारुल : ओहो...मैं तो भूल ही गयी....सॉरी चेतन...रुको...अभी देती हूँ...
और वो अपनी पेंट को उठा कर उसकी जेब में पैसे धुंडने लगी..पर उसमे पैसे नहीं थे.
पारुल : मेरी पॉकेट वाले पैसे तो ख़तम हो गए....मैंने सामान नहीं खोला है अभी...वो मेरा सूटकेस ऊपर है...अरे हाँ...इसके पास जरुर होगा..
और वो भागकर कन्नू के पास गयी और उसकी पॉकेट में पैसे खोजने लगी...उसकी पीछे वाली दोनों पॉकेट खाली थी...पारुल ने उसकी आगे वाली पॉकेट में हाथ डालने की कोशिश की...पर वो अपने पेट के बल लेटी हुई थी..इसलिए उसे मुश्किल हो रही थी.
पारुल : सुनो...चेतन, यहाँ आओ न...मेरी हेल्प करो...ये तो गहरी नींद में सो रही है...इसकी आगे वाली पॉकेट में पैसे होंगे जरुर..मैं इसे टेड़ा करती हु, तुम पैसे निकाल लेना..ओके...
बड़ी ही अजीब सिचुएशन लग रही थी चेतन को..
पर लड़की को छुने की ललक में वो कुछ न बोला और आगे आकर सोफे के किनारे पर खड़ा हो गया.
पारुल ने कन्नू को कंधे से पकड़कर आधा सीधा किया और चेतन ने जल्दी से उसकी आगे वाली जेब में हाथ डाल दिया. पर उसे वहां भी कुछ न मिला...पारुल ने उसकी दूसरी जेब में हाथ डालने को कहा..और जैसे ही उसने अपना हाथ अन्दर खिसकाया कन्नू ने उसके हाथ को पकड़ा और
अपनी चूत के ऊपर रख कर उसे घिसने लगी...
और धीरे से सिसकारी मारकर बोली...ओह्ह्हह्ह विशाल्ल्ल...
मानो वो सारा काम नींद में कर रही हो...
अब तो चेतन की शक्ल देखने लायक थी...वो घबरा रहा था..पर ये सब देखकर पारुल जोरो से हंसने लगी..
पारुल को हँसता देखकर चेतन भी खिसियानी हंसी में हंसने लगा...वो ज्यादा चालु टाईप का नहीं लग रहा था, अगर होता तो अब तक शुरू हो गया होता.
पारुल : हा हा हा....आई...आई एम् सॉरी....वो क्या है न....सुबह से बेचारी को अपने बॉय फ्रेंड की बड़ी याद आ रही है....बेचारी चार दिनों से नहीं मिली है उसे..और शायद येही सपना देख रही है की उसका बॉय फ्रेंड आ गया है...उसके पास....और तभी तुम्हारा हाथ रगड़ रही है अपनी चूत पर...हा हा...
पारुल के मुंह से चूत शब्द सुनकर बेचारा चेतन झेंप सा गया.
पारुल (थोडा सीरियस होते हुए) : सुनो चेतन...अगर तुम बुरा न मानो तो एक काम कर सकते हो क्या...
चेतन : जी...जी क्या काम...
पारुल : वो मैंने कहा न की ये चार दिनों से तड़प रही है...अपने बॉय फ्रेंड के लिए...तो क्या तुम इसकी हेल्प करोगे..
चेतन : जी मैं...मैं कैसे ...हेल्प..करू ..
वो शायद समझ तो चूका था की आज उसके साथ क्या होने वाला है...और ये सोचकर ही उसके आते के ऊपर पसीना आने लगा था.
पारुल : तुम इसे ऐसे ही घिसते रहो...और देखना इसका ओर्गास्म कितनी जल्दी हो जाता है फिर...
वो कुछ न बोला...बस अपने हाथ को ढीला छोड़कर वहीँ सोफे पर बैठ गया और कन्नू उसके हाथ को पकड़कर अपनी चूत के ऊपर घिसती रही.
मैंने मन में सोचा...साला कितना बड़ा घोंचू है....इतना खुला ऑफर मिला है...फिर भी आराम से बैठा हुआ है..