26-11-2017, 02:04 PM
और अब कनिष्का ने पारुल की जगह लेते हुए मेरे गले में बाहे लपेटी और उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी..कन्नू की चूत इतनी देर से गीली थी की मेरे लंड से टकराते ही वो मक्खन की तरह मेरे लंड को निगलती हुई अन्दर तक ले गयी...मेरा लंड सीधा उसके गर्भाश्याय से जा टकराया...
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .....मरररर गयी........ अह्ह्ह्हह्ह.... विशाल्ल्ल....... फक्क्क्क मीईssssssssssssssssss..... हाआआआअर्द ........ अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह.....
और मैंने अपने लंड के पिस्टन को उसकी चूत की गुफा में धकेलना शुरू कर दिया...
तभी नीचे से अपना होश संभाल चुकी पारुल उठी और उसने अपने होंठ ठीक उसी तरह कन्नू की गांड से चिपका दिए, जैसे कन्नू ने उसकी गांड से चिपकाये थे...और उन्हें तेजी से चुसना शुरू कर दिया...और तब कनिष्का को पता चला की चूत में लंड और गांड में जीभ अगर एक साथ आये तो क्या सेंसेशन होता है पुरे शरीर में...
और फिर शुरू हुआ उसके उछलने का सिलसिला...उसकी चीखे तो आप जानते ही हो...पूरा घर सर पर उठा लिया था उसने तेज आवाजो को निकाल कर..
अह्ह्हह्ह्ह्ह अयीईई ......म्मम्मम्म...... और तेज चोदो..... अह्ह्ह्ह.... हम्म्म्म ऐसे ही.... अह्ह्ह .....म्मम्म .....चुसो मेरी गांड अह्ह्ह्ह........
उसकी ताजा चुदी गांड को पारुल ने अपनी जीभ से तर कर दिया था..मैंने एक दम से उसकी चूत से अपना लंड बाहर निकाल दिया...और उसे नीचे उतार दिया...उसकी चूत का रस निकलने ही वाला था, इसलिए उसे मेरे ऊपर बड़ा ही गुस्सा आया.
कनिष्का : साले...बाहर क्यों निकाल दिया...इतना मजा आ रहा था.
मैं : तेरी गांड मारनी है कुतिया ...इसलिए..
गांड मारने की बात सुनते ही उसके चेहरे की रोनक बढ गयी..और वो घूमकर अपनी गांड को मेरे लंड की तरफ करके खड़ी हो गयी.
और अब उसका चेहरा पारुल की तरफ था जो सोफे पर बैठी हुई कन्नू की चूत की गीली सिलवटे देखकर अपने होंठो पर जीभ फेर रही थी.
कन्नू ने उसके चेहरे को अपने हाथो से पकड़कर अपनी चूत के ऊपर फिक्स कर दिया और मैंने उसकी गांड को पकड़कर अपने लंड के ऊपर..
पारुल के चूसने की वजह से उसकी गांड काफी रसीली हो चुकी थी..इसलिए मेरे लंड को अन्दर दाखिल होने में ज्यादा मुशक्कत नहीं करनी पड़ी.
अह्ह्ह्हह्ह विशाल्ल्ल्ल ......तुमसे अच्छा गांड मारने वाला तो कोई हो ही नहीं सकता......म्मम्मम......चल मेरे कुत्ते ...मार मेरी गांड....
पारुल सोफे से नीचे उतारकर ज़मीन पर अपनी गांड टीकाकार बैठ गयी और ऊपर मुंह करके कनिष्का की चूत का रस पीने लगी.
कनिष्का ने भी अपनी एक टांग उठा कर पारुल के कंधे से ऊपर घुमा कर सोफे पर रख दी और मजे लेने लगी.
मेरे हर धक्के से वो आगे की तरफ जाती और सामने बैठी हुई कनिष्का के मुंह में उसकी चूत आती जिसे चूसकर वो अपनी प्यास बुझाने में लगी हुई थी..
लगातार इतनी देर तक चूत और अब गांड मारने की वजह से मैं भी झड़ने के काफी करीब था...इसलिए मैंने आगे हाथ करके कन्नू के मोटे मुम्मो को पकड़ा और उसके निप्पल्स को मसलकर उसे ज्यादा उत्तेजित करते हुए झड़ने के करीब ले जाने लगा....
और मेरी मेहनत रंग लायी, निप्पल के दाने मेरे मसले जाने से फटने वाली हालत में हो गए और उसकी गांड में मेरा लंड जो दंगल मचा रहा था उसकी वजह से और पारुल के चूत चाटने की वजह से कन्नू की चूत का झरना जब फूटा तो सामने बैठी हुई पारुल को पूरा नहलाता चला गया...इतना तेज फव्वारा मैंने आज तक चलता हुआ नहीं देखा था, किसी की चूत से.
उसकी एक तेज चीख निकल गयी... अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह .....विशाल्लल्ल्ल्ल ..........आई एम् कमिंग.......... अह्ह्हह्ह.....
बस यही बहुत था मेरे लंड की पिचकारी निकालने के लिए...मैंने भी अपना रस निकाल कर उसकी गांड में फिक्स डिपोसिट करना शुरू कर दिया.
मेरे पैर कांप रहे थे, मैंने अपना लंड बाहर निकाला और सोफे पर लुडक गया...और मेरे पीछे-२ कनिष्का भी...
पारुल सामने की तरफ घूमकर आई और कनिष्का की गांड में अपना मुंह लगाकर वहां से आईसक्रीम खाने लगी..
और फिर वो भी कनिष्का की बगल में लेट कर गहरी साँसे लेने लगी...हमारी तरह.
पर असली शो तो अभी बाकी था.
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .....मरररर गयी........ अह्ह्ह्हह्ह.... विशाल्ल्ल....... फक्क्क्क मीईssssssssssssssssss..... हाआआआअर्द ........ अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह.....
और मैंने अपने लंड के पिस्टन को उसकी चूत की गुफा में धकेलना शुरू कर दिया...
तभी नीचे से अपना होश संभाल चुकी पारुल उठी और उसने अपने होंठ ठीक उसी तरह कन्नू की गांड से चिपका दिए, जैसे कन्नू ने उसकी गांड से चिपकाये थे...और उन्हें तेजी से चुसना शुरू कर दिया...और तब कनिष्का को पता चला की चूत में लंड और गांड में जीभ अगर एक साथ आये तो क्या सेंसेशन होता है पुरे शरीर में...
और फिर शुरू हुआ उसके उछलने का सिलसिला...उसकी चीखे तो आप जानते ही हो...पूरा घर सर पर उठा लिया था उसने तेज आवाजो को निकाल कर..
अह्ह्हह्ह्ह्ह अयीईई ......म्मम्मम्म...... और तेज चोदो..... अह्ह्ह्ह.... हम्म्म्म ऐसे ही.... अह्ह्ह .....म्मम्म .....चुसो मेरी गांड अह्ह्ह्ह........
उसकी ताजा चुदी गांड को पारुल ने अपनी जीभ से तर कर दिया था..मैंने एक दम से उसकी चूत से अपना लंड बाहर निकाल दिया...और उसे नीचे उतार दिया...उसकी चूत का रस निकलने ही वाला था, इसलिए उसे मेरे ऊपर बड़ा ही गुस्सा आया.
कनिष्का : साले...बाहर क्यों निकाल दिया...इतना मजा आ रहा था.
मैं : तेरी गांड मारनी है कुतिया ...इसलिए..
गांड मारने की बात सुनते ही उसके चेहरे की रोनक बढ गयी..और वो घूमकर अपनी गांड को मेरे लंड की तरफ करके खड़ी हो गयी.
और अब उसका चेहरा पारुल की तरफ था जो सोफे पर बैठी हुई कन्नू की चूत की गीली सिलवटे देखकर अपने होंठो पर जीभ फेर रही थी.
कन्नू ने उसके चेहरे को अपने हाथो से पकड़कर अपनी चूत के ऊपर फिक्स कर दिया और मैंने उसकी गांड को पकड़कर अपने लंड के ऊपर..
पारुल के चूसने की वजह से उसकी गांड काफी रसीली हो चुकी थी..इसलिए मेरे लंड को अन्दर दाखिल होने में ज्यादा मुशक्कत नहीं करनी पड़ी.
अह्ह्ह्हह्ह विशाल्ल्ल्ल ......तुमसे अच्छा गांड मारने वाला तो कोई हो ही नहीं सकता......म्मम्मम......चल मेरे कुत्ते ...मार मेरी गांड....
पारुल सोफे से नीचे उतारकर ज़मीन पर अपनी गांड टीकाकार बैठ गयी और ऊपर मुंह करके कनिष्का की चूत का रस पीने लगी.
कनिष्का ने भी अपनी एक टांग उठा कर पारुल के कंधे से ऊपर घुमा कर सोफे पर रख दी और मजे लेने लगी.
मेरे हर धक्के से वो आगे की तरफ जाती और सामने बैठी हुई कनिष्का के मुंह में उसकी चूत आती जिसे चूसकर वो अपनी प्यास बुझाने में लगी हुई थी..
लगातार इतनी देर तक चूत और अब गांड मारने की वजह से मैं भी झड़ने के काफी करीब था...इसलिए मैंने आगे हाथ करके कन्नू के मोटे मुम्मो को पकड़ा और उसके निप्पल्स को मसलकर उसे ज्यादा उत्तेजित करते हुए झड़ने के करीब ले जाने लगा....
और मेरी मेहनत रंग लायी, निप्पल के दाने मेरे मसले जाने से फटने वाली हालत में हो गए और उसकी गांड में मेरा लंड जो दंगल मचा रहा था उसकी वजह से और पारुल के चूत चाटने की वजह से कन्नू की चूत का झरना जब फूटा तो सामने बैठी हुई पारुल को पूरा नहलाता चला गया...इतना तेज फव्वारा मैंने आज तक चलता हुआ नहीं देखा था, किसी की चूत से.
उसकी एक तेज चीख निकल गयी... अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह .....विशाल्लल्ल्ल्ल ..........आई एम् कमिंग.......... अह्ह्हह्ह.....
बस यही बहुत था मेरे लंड की पिचकारी निकालने के लिए...मैंने भी अपना रस निकाल कर उसकी गांड में फिक्स डिपोसिट करना शुरू कर दिया.
मेरे पैर कांप रहे थे, मैंने अपना लंड बाहर निकाला और सोफे पर लुडक गया...और मेरे पीछे-२ कनिष्का भी...
पारुल सामने की तरफ घूमकर आई और कनिष्का की गांड में अपना मुंह लगाकर वहां से आईसक्रीम खाने लगी..
और फिर वो भी कनिष्का की बगल में लेट कर गहरी साँसे लेने लगी...हमारी तरह.
पर असली शो तो अभी बाकी था.