09-11-2017, 04:11 PM
(09-11-2017, 03:32 PM)honey boy : मैंने एक झटका दिया ताकि मैं अपने हाथ छुड़ा कर उसकी कमर पकड़ लू और लंड डाल दू अन्दर...पर उसकी पकड़ काफी मजबूत थी...
मैं : देखो...अब तुम तडपा रही हो मुझे...
अंशिका : मैं तो खुद तड्पी हु इस पल के लिए...मैं कैसे तडपा सकती हु तुम्हे.....तुमने अपनी वर्जिनिटी इतने टाईम तक मेरे लिए संभाल कर रखी उसके लिए थेंक्स...और आज मुझे इतने मजे देना की मेरी सारी ख्वाहिशे पूरी हो जाए...और याद है..तुमने एक बार मुझे कहा था की तुम मुझे प्रेग्नेंट करना चाहते हो...तो मेरा भी आज वादा है तुमसे..मेरी चाहे किसी से भी शादी हो, मेरे पेट में आने वाला पहला बच्चा तुम्हारा ही होगा...और फिर तुम्हे में अपनी छाती का दूध भी पिलाउगी...
वो जज्बात में आकर ना जाने क्या -२ बोले जा रही थी...शायद मेरी वर्जिनिटी के बदले ही उसने ये इनाम देने की सोची थी मुझे..ये वो सब बाते थी जो मैंने उसे पहले बताई थी और उसने उन्हें टाल दिया था...
पर अब ये बाते करने का वक़्त नहीं था...उसकी चूत से निकलता रस सीधा मेरे लंड के ऊपर गिर रहा था..और किसी मक्खन की तरह से उसे चिकना बनाने में लगा हुआ था..मैंने ऊपर होकर उसके होंठो को फिर से चूम लिया...और उसने मेरे हाथ छोड़कर मेरे चेहरे को पकड़कर अपने होंठो को मेरे होंठो पर स्मेश करते हुए जोर से सिसकना चालू कर दिया..मेरे हाथ सीधा उसकी गांड के ऊपर गए और उन्हें हल्का सा धक्का देते हुए नीचे की तरफ लाने लगे...
अंशिका की चूत मेरे लंड के ऊपर आकर धंस सी गयी..उसका पूरा शरीर अकड़ गया...शायद उसे दर्द हो रहा था..पर मैं जानता था की ये दर्द तो होगा ही...मैंने उसे थोडा और अपनी तरफ खींचा और मेरा लंड उसकी चूत की सुरंग में जगह बनता हुआ थोडा और अन्दर तक आ गया...
अंशिका : अह्ह्ह्ह......विशाल्ल्ल.....दर्द हो रहा है....
मैं : ओह्ह बेबी....इतना तो होगा ही ....बस हो गया....
और इतना कहकर मैंने उसकी कमर पर हाथ रखकर अपनी छाती से भींचा और नीचे से एक करार झटका मारा...मेरा लंड अब आधे से ज्यादा उसकी चूत के अन्दर घुस गया...
अंशिका ने अपना चेहरा मेरी गर्दन के अन्दर घुसा लिया...उसकी गर्म साने और आँखों से निकलते गर्म आंसू मुझे साफ़ महसूस हो रहे थे...पर वो मुझे रोक नहीं रही थी...मैंने उसकी कमर को खींचा और अपना लंड थोडा बाहर निकाला ताकि अगला धक्का मार सकू...पर मुझसे पहले अंशिका ने अपना चेहरा ऊपर उठाया...और मेरे झटका देने से पहले ही उसने ऊपर उठकर, अपना पूरा भार मेरे लंड पर डालते हुए, उसे अपनी चूत के अन्दर ले लिया...
अह्ह्हह्ह्ह्हह्हsssssssssssssssssssss विशाल्ल्ल......ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह.....माय गोड....... म्मम्म......
उसकी कमर कमान की तरह से पीछे की तरफ मुड गयी, उसके बाल मेरे पैरो के ऊपर आकर उनपर गुदगुदी से करने लगे...
मैंने एक हाथ ऊपर लेजाकर उसकी ब्रेस्ट को पकड़ा और उन्हें मसलने लगा...अंशिका ने अपने दोनों हाथ मेरे हाथो को ऊपर रख दिए और उन्हें मसलने लगी...और फिर मेरी तरफ देखकर..मेरे लंड के ऊपर उछलने लगी...
ओह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह उम्म्म्म .विशाल...ओह्ह्हू.. फक... अह्ह्ह फक मी...अह्ह्ह्ह ...ऑफ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ्फ़....
मेरा लंड तो मानो किसी वेलवेट जैसी जगह में था, अन्दर से निकलती गर्मी और रसीला पानी, दोनों को मैं साफ़ तरीके से महसूस कर पा रहा था अपने लंड पर..
मैंने अचानक से अंशिका को अपनी गोद में उठा लिया और बेड के किनारे पर खड़ा हो गया..और उसे लेकर में बाहर की तरफ चल दिया..
वो कुछ समझ नहीं पा रही थी...पर वो कुछ ना बोली..अपनी कमर हिला कर वो मेरे लंड से चिपकी रही, और अपनी बाहे मेरी गर्दन से लपेट कर लम्बी-२ सिस्कारियां लेती रही...
मैं उसे लेकर बाहर आया और डाईनिंग टेबल के ऊपर लेजाकर लिटा दिया..अब उसकी चूत सीधा मेरी कमर के बराबर थी, मैंने एक टांग उठा कर चेयर के ऊपर रख दी और इस तरह के एंगल से मेरा पूरा लंड अब अंशिका की चूत के अन्दर तक जा रहा था...
मैंने धक्के मारने शुरू किये, मेरे सामने उसके हिलते हुए मुम्मे बड़े ही सेक्सी लग रहे थे...मेरे हर धक्के से वो ऊपर की तरफ जाते और फिर नीचे आते...
मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया..और उसकी चूत के बाहर की तरफ ही रगड़ने लगा...
अब तक अंशिका की चूत पूरी तरह से जलने लगी थी...मेरे लंड को उसने हाथ से पकड़कर वापिस छेद पर टिकाया और उसे फिर से निगल गयी....
अंशिका : अह्ह्ह्ह......ऐसा मत करो.....बाहर मत निकालो.....इसे....इतना मजा आ रहा है...इतना तद्पाने के बाद तो आज आया है ये मेरे अन्दर....अब नहीं निकालना...कभी नहीं निकालना....कभी नहीं....कभी नहीं.....
वो ये बोलती गयी और नीचे से धक्के मारकर मेरे लंड को अन्दर निगलती गयी...मैं तो बस अब खड़ा हुआ था, सारा काम नीचे लेटी हुई अंशिका कर रही थी...पर उसकी चूत की पकड़ भी अब तेज थी मेरे लंड पर...जिसकी वजह से मुझे लगने लगा था की जल्दी ही मेरा लंड पानी छोड़ देगा...वो भी शायद समझ गयी थी...और वो और तेजी से मेरे साथ झटके खाकर चुदाई करने लगी..
अह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह म्मम्मम ओह्ह्ह्ह ....... म्मम्मम....... अह्ह्ह्हह्ह ..... याआअ... हाआअ.....अह्ह्ह्ह.....
वो इतनी तेजी से झटके मार रही थी की मुझे लगा की टेबल ही ना टूट जाए...मैंने उसे फिर से उठा लिया....और उसने मेरी गर्दन में हाथ डालकर अपने नर्म और गीले होंठ फिर से मुझपर रख दिए...और मेरी गोड में ही उछल उछल कर चुदवाने लगी....
मैं बस यही चाहता था की अंशिका से पहले मैं न झड जाऊ...अपनी पहली चुदाई में ही मैं उससे पीछे नहीं रहना चाहता था...
पर जिस तरह से वो मेरी गोद में उछल रही थी मुझे लगने लगा की शायद वो भी झड़ने वाली है...
मैंने उसे टाईल वाली ठंडी दिवार से सटा दिया...और उसके कंधे पर हाथ रखकर नीचे से ऊपर की तरफ अपने लंड के झटके देने लगा...
अचानक उसका चेहरा ओ के अकार में खुला का खुला रह गया...मैं समझ गया की वो झड़ने लगी है...मैंने उसके खुले हुए मुंह में अपने होंठ डाल दिए और उन्हें चाटने लगा...और ऐसा करते ही मेरे लंड से भी एक साथ कई पिचकारियाँ निकल कर सीधा उसकी चूत के अन्दर जाने लगी...जिसे उसने साफ़ महसूस किया...और अपनी थकी हुई चूत को वो फिर से मेरे लंड के ऊपर और तेजी से रगडती हुई... सिसकती हुई..झड़ने लगी.
अह्ह्हह्ह्ह्ह विशाल......ओह्ह्ह्हह्ह......म्मम्मम....
और जब तूफ़ान थमा तो उसके पसीने से भीगा हुआ बदन और रस से भीगी हुई चूत मेरे सामने थी...
उसने मेरी तरफ बड़े प्यार से देखा..और मुझे चूम लिया..
अंशिका :आज तो तुम मुझे खा ही गए...कैसा लगा ये नाश्ता..हूँ...
मैं : अभी पेट भरा है...मन नहीं...और भी खाने को मन कर रहा है अभी तो..
अंशिका : तो खा लो ना बेबी..मैं आज पूरा दिन तुम्हारे पास ही हु..
मैंने उसे फिर से चूम लिया..मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर से फिसल कर बाहर आ गया..और उसके पीछे-२ हम दोनों का रस भी..
हम बाथरूम की तरफ चल दिए...एक साथ नहाने के लिए.