और फिर उसने अपनी स्कर्ट के साईड में लगे हूक को खोला और उसके नीचे लगी हुई चैन को खींच कर नीचे किया...और फिर उसे छोड़ दिया..और अगले ही पल उसकी स्कर्ट भी नीचे आ गिरी..
माय गोड......साली ने डिसाईनर पेंटी पहनी हुई थी...फ्रिल वाली..डार्क ब्राउन कलर की..जो आगे से काफी गीली सी लग रही थी..और उसके नीचे उसकी मोटी-२ टाँगे, जिनपर एक भी बाल नहीं था...पता नहीं वो आये नहीं थे या उसने साफ़ किये हैं..
उसने थोड़ी देर रुक कर मुझे देखा, मानो पूछ रही हो की और भी उतारूँ क्या ?
मैंने सर हिला कर उसे बाकी के दोनों कपडे भी उतारने को कहा..
बड़ा ही रोमांटिक सा माहोल बना हुआ था...पुरे कमरे में हलकी सी रोशनी आ रही थी...कोने में AC चल रहा था..पर हम दोनों के जिस्म अभी भी जल रहे थे..
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अब आगे
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मेरा इशारा पाकर उसने अपनी कमर को हलके-२ मटकाना शुरू कर दिया, मानो कमरे में कोई मयूसिक चल रहा हो, और वो मेरे सामने केबरे कर रही हो..उसने अपने दोनों हाथ अपनी सपोर्ट ब्रा के ऊपर रखे और उसे सर से घुमा कर उतार दिया.
और अगले ही पल उसके रसीले से गुलाबी रंग के संतरे मेरी आँखों के सामने नंगे थे..बिलकुल तने हुए और उसके ऊपर लगे हुए निप्पल का साईज देखकर तो मैं हेरान रह गया..इतने बड़े भी निप्पल हो सकते हैं किसी के, मैंने कप्लाना भी नहीं की थी, और उसके चारों तरफ का एरोहोल भी काफी फुला हुआ और लाल सुर्ख था..उसकी चूचियां तन कर किसी स्टेनगन की तरह मेरी तरफ ऐसे देख रही थी मानो मुझे भून ही डालेंगी..
और वो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी और उसकी मटकती हुई गांड मेरी आँखों के सामने हिलने लगी फिर उसने अपनी पेंटी के अन्दर ऊँगली फंसाई और उसे नीचे खिसकाना शुरू कर दिया, साथ ही साथ वो अपने हिप्स को हिलाती भी जा रही थी..जैसे -२ उसके नंगे हिप्स मेरी आँखों के सामने आ रहे थे, मेरी साँसे तेज होती जा रही थी...और जब उसकी पेंटी नीचे तक पहुँच गयी तो मेरे सामने दिल के आकार में उसके हिप्स थे, जो इतने गद्देदार थे की मेरा मन कर रहा था की उनमे अपना मुंह घुसेड कर जोर से दबा दूँ और उसकी नरमी को अपने चेहरे पर महसूस करूँ.
उसके बाद स्नेहा मेरी तरफ मुड़ी और उसकी चूत को देखकर मेरा और भी बुरा हाल हो गया, जिसपर हलके-२ बाल थे, पर फिर भी उसकी बनावट साफ़ दिखाई दे रही थी, अपने रस में नहाकर उसकी चूत काफी चमक रही थी..इतनी छोटी सी उम्र में उसकी चूत काफी रसीली लग रही थी, मन कर रहा था की साली को यहीं सोफे पर पटकूं और चोद दूँ..
स्नेहा : अब क्या करूँ...बॉस..
वो मेरे सामने अब पूरी तरह से नंगी खड़ी थी और मेरी आज्ञाकारी सेक्रेटरी की तरह मुझसे आगे के काम के बारे में पूछ रही थी...
मैंने ऊँगली का इशारा करके उसे अपनी तरफ बुलाया, वो पास आई तो मैंने उसकी हिप पर हाथ रखे और उसकी चूत की खुशबु ली, लगा जैसे उसने वहां कोई पर्फयुम लगा रखा है, इतनी भीनी सी खुशबु आ रही थी वहां से..मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और वो मेरे ऊपर गिरती सी चली गयी, और उसकी चूचियां सीधा मेरे मुंह से आ टकराई, मैंने उसकी बेक को दबाते हुए उसकी एक चूची अपने मुंह में ली और उसे चुसना शुरू कर दिया..
इतना मोटा निप्पल मेरे मुंह में था जिसका एहसास अलग सा ही था. वो मेरी गोद में आधी लेटी हुई कसमसा रही थी और हलकी-२ सिस्कारियां ले रही थी..
अह्ह्ह्हह्ह विशाल्ल्ल....आई एम् लोविंग ईट ...
साली कह तो ऐसे रही है जैसे मेक डी का बर्गर है.
पर उसके बर्गर जैसे चुचे मेरे मुंह में आकर मुझे अलग सा एहसास दे रहे थे..इससे पहले सिर्फ अंशिका के ही चुसे थे मैंने, और अब इसके, दोनों का अलग स्वाद और मजा था.
उसने तो फिर मेरे चेहरे पर गीली-२ किस्सेस की झड़ी सी लगा दी...और अंत में अपनी जीभ मेरे मुंह में डालकर उसे बुरी तरह से चूसने लगी..
इन सभी के बीच उसकी चूत से निकलता रस मेरी पेंट को गीला कर रहा था...मैंने उसे पेंट को उतारने को कहा...
उसने मेरे सामने अपने पंजो के बल बैठकर मेरी बेल्ट और फिर चेन को खींच कर मेरी जींस को नीचे उतार दिया..उसके सामने मेरा रेड कलर का ज़ोकी आया और उसने अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए उसे भी नीचे उतार दिया, वो इतने पास से मेरे लंड को देख रही थी की जैसे ही मेरा लंड आजाद हुआ उसके चेहरे के नीचे की तरफ किसी डंडे की तरह पड़ा..और फिर पीछे होकर उसने मेरे लंड को अपनी आँखों के सामने अच्छी तरह से देखा और बोली : इट्स बीयुटीफुल ....
मैं उसे कहना चाहता था की उसकी चूत से सुन्दर नहीं पर इससे पहले ही उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भरा और उसे चुसना शुरू कर दिया..
उसके मुंह के अन्दर कोई सकिंग मशीन लगी हुई थी जैसे, मेरा लंड उसके मुंह के अन्दर खींचता चला जा रहा था..
मैंने उसके खुले हुए बाल पकडे और उसे अपने लंड के ऊपर दबाना शुरू कर दिया...उसे नंगा देखकर और अब मेरा लंड चूसते देखकर मेरा तो बुरा हाल हो चूका था...जल्दी ही मुझे पता चल गया की मेरा निकलने वाला है..
मैं : ऊऊओह्ह्ह्ह स्नेहा...अह्ह्ह्हह्ह .....आई एम् ....कमिंग......अह्ह्हह्ह......
वो और तेजी से मुझे चूसने लगी...
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वो ऊपर उठी और सेम अंशिका वाले अंदाज में मुझसे बोली....यम्मी......यु आर टेस्टी...
मैं : थेंक्स...
पर मुझे मालुम था की उसका थेंक्स से काम नहीं चलेगा, मैंने उसे ऊपर खींचा और सोफे पर लिटा दिया...और उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया, और अब उसकी गीली सी चूत मेरी आँखों के बिलकुल सामने थी..
वो मेरी तरफ बड़ी अजीब सी नजरों से देख रही थी...मैंने उसकी दोनों जाँघों को पकड़ा और अपना मुंह डाल दिया बीच में..
वो इतनी तेज चीख रही थी की मुझे लगा कहीं उसके पडोसी ही ना आ जाए वहां पर..
उसकी चूत की नरमी को महसूस करके मुझे लगा की मैं किसी बच्चे के गाल को चूम रहा हूँ...जिनपर हलके -२ बाल हैं...मैंने उसकी चूत के दोनों हिस्सों को अलग किया और उसके अन्दर से निकलता नेक्टर पीने लगा...अपनी जीभ से उसकी क्लिट को कुरेदने लगा..मेरी हर हरकत को महसूस करके वो पागल सी हो रही थी...मैंने एक दो बार उसकी चूत पर दांत भी मार दिए..वो चिल्ला उठी..
मैं एक तरह से अपने सामने परोसी हुई स्नेहा की चूत को खा रहा था..और स्नेहा भी अपनी गांड उठा-उठाकर अपनी चूत मेरे मुंह में ठूसकर मेरी भूख अच्छी तरह से मिटा रही थी..
और जल्दी ही उसकी स्पीड देखकर मुझे अंदाजा हो गया की अब तूफ़ान आने ही वाला है...मैं कुछ सोच पाता इससे पहले ही उसकी चूत में से गर्म पानी का सेलाब सा निकला और मेरे मुंह को पूरी तरह से भिगो दिया..मैं भी उसकी चूत के अमृत को पीने मं लग गया.
और तब तक मेरा लंड फिर से तैयार हो चूका था...मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा..अपनी पहली चुदाई के इतने पास पहुंचकर..
मेरा हाथ अपनी जींस की पॉकेट में रखे कंडोम तक गया..स्नेहा भी शायद समझ चुकी थी की मैं उसे चोदने वाला हूँ...पता नहीं उसने पहले कभी चुदाई करवाई है या नहीं..कोई बात नहीं, अभी थोड़ी ही देर में जब मेरा लंड जाएगा उसकी चूत में तो पता चल ही जाएगा..
मैंने कंडोम निकाला...स्नेहा का चेहरा आग की तरह से जलने लगा अपनी चुदाई के बारे में सोचकर..पर उसने मुझे रोका नहीं..
मैं कंडोम खोलने ही वाला था की उझे अंशिका को दिया हुआ वादा याद आ गया की मैं सबसे पहले उसे चोदुंगा..बाद में इसी और को..पर अगले ही पल मेरे दिमाग में बैठे डेविल ने कहा की अंशिका को कैसे पता चलेगा इस चुदाई के बारे में, तू चोद इसे...ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा..
पर ना जाने क्यों मेरा दिल नहीं मान रहा था...मुझे मालुम था की अंशिका को ये बात नहीं मालुम चलेगी की मैंने स्नेहा की चूत उससे पहले मार ली है पर ना जाने क्यों अपने सामने लेटी हुई नंगी स्नेहा को देखकर भी मेरे मन में अंशिका को दिए हुए वादे को निभाने का जनून सा सवार हो गया..और मैंने वो कंडोम वापिस अपनी पॉकेट में रख दिया..
पर मैं अपना मन बना चूका था, की अंशिका से पहले मैं उसकी चूत नहीं मारूंगा..
मैं : सोरी...स्नेहा...पर मैं ऐसा नहीं कर सकता...ट्राई टू अंडरस्टेंड ...ये हमारा पहला मौका है....और पहले ही दिन मैं तुम्हारी ...तुम्हारी..चूत मारकर ये नहीं दिखाना चाहता की मैं सिर्फ इसके पीछे तुमसे ये सब...ये सब कर रहा हूँ...
वो मेरी बात समझ नहीं पा रही थी, बस फटी हुई आँखों से मुझे घूरे जा रही थी, शायद सोच रही होगी की जब मैं चूत देने को तैयार हूँ तो तुम्हे क्या प्रोब्लम है..पर उसने कुछ नहीं कहा..और अपने कपडे पहनने लगी, मैंने भी अपने कपडे ठीक किये और वहीँ सोफे पर बैठ गया..वो बाथरूम गयी और थोड़ी देर बाद चेंज करके वापिस आ गयी, अपना चेहरा भी धो लिया था और बाल भी सही कर लिए थे..
वापिस आकर वो सीधा मेरी गोद में आकर बैठ गयी और मेरे गले से लिपट कर रोने लगी...
मेरी समझ में कुछ नहीं आया की ये रो क्यों रही है...इसकी चूत नहीं मारी इसलिए क्या ?
फिर थोड़ी देर बाद उसने रोना बंद किया और सुबकते हुए मेरी तरफ देखकर बोली : थेंक्स...थेंक्स विशाल...तुम चाहते तो आज मेरे साथ सब कुछ कर सकते थे, पर तुमने ऐसा किया नहीं, अभी मेरी उम्र नहीं है ये सब करने की..इसलिए तुमने ये सब किया न...बोलो..
मैं तो बस उसकी बचकानी बातों को सुनता रहा, उसे क्या मालुम की मैंने उसे क्यों नहीं चोदा..
मैं : हाँ...स्नेहा..मैं तुम्हे इतनी तकलीफ नहीं देना चाहता था..पहले ही दिन...अभी तो और भी मौके मिलेंगे...और तब तक शायद तुम इन सबके लिए तैयार भी हो जोगी...और फिर जो मजा आएगा, उसका कहना ही क्या..
स्नेहा : कह तो ऐसे रहे हो की जैसे तुमने कई लड़कियों को फक किया है..बोलो, किया है क्या?
मैं : नहीं यार, मैंने आज तक किसी को फक नहीं किया....
स्नेहा ये सुनते ही मुझे फिर से चूमने लगी और अपनी जीभ से मुझे चाट चाटकर पूरा गीला कर दिया..और फिर बोली : आई प्रोमिस ..मैं ही तुम्हारी वर्जिनिटी लुंगी एक दिन...देख लेना.
मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया और फिर से उसे चूमने लगा और उसकी छोटी-२ बाल्स को दबाने लगा.
उसकी मम्मी के आने का टाईम हो रहा था, मैंने उसे अपना बेग लाने को कहा और हम वहीँ ड्राईंग रूम में ही बैठकर थोडा बहुत पढाई करने लगे.
उसकी मम्मी जैसे ही आई, और मुझे अंदर बैठे देखा तो बोली : अरे विशाल तुम, आज तो स्नेहा कह रही थी की तुम आओगे नहीं..
मैं : नहीं मेम..मैं दरअसल किसी काम से गया था और वो जल्दी निपट गया, इसलिए यहाँ आ गया.
किटी मेम : ओके...तुम बैठो..मैं चेंज करके आती हूँ.
और वो अंदर चली गयी..
उनके जाते ही स्नेहा भागकर मेरी गोद में आकर बैठ गयी और मुझे एक झक्कास वाला किस किया..और बोली : बाद में तो मम्मी के सामने गुड बाय किस कर नहीं पाऊँगी...इसलिए..
मैं भी उसकी इस बात पर मुस्कुरा दिया.
मैंने उसे दस मिनट और पढाया और फिर मैं लगभग सात बजे वापिस आ गया.