मैं खुशी खुशी बाईक उसके घर के अन्दर ले गया यही सोचकर शायद आज ये अपनी चूत दे दे, कॉंडम तो अब हर वक़्त वॉलेट मैं रहता ही है.
हम अब उसके घर के डोर पर खड़े थे, उसने डोर बेल बजाई. अन्दर से एक नौकरानी आई डोर ओपन करने. हम फिर अन्दर चले गए.
आंशिका: कैसा लगा घर?
मे: बहुत अछा है, तेरा बेडरूम कहाँ पर है?
आंशिका: ज़्यादा उछलो मत अभी सब दिखाउंगी .
मे: सब?
आंशिका: हाँ सब
तभी पीछे से आंशिका की मों आई
आंटी: अनु आ गयी?
आंशिका: हाँ मा, ये मेरा स्टूडेंट है विशाल
मे: नमस्ते
आंटी: नमस्ते बेटा, अनु तू स्टूडेंट्स कब से घर लाने लगी?
आंशिका: अरे मा, ये आजकल के स्टूडेंट्स भी ना, पूरे साल भर कॉलेज तो आते नहीं फिर एंड मैं परेशान करते हैं, सो इसकी हेल्प करने के लिए लाई हूँ.
मैं ये सुनकर आंशिका को घूरने लगा उसने मेर्को देखा और हंस कर आँख मार दी उसने.
आंशिका: मा इसको कोई फॅमिली प्राब्लम थी तो ये स्टडीस नहीं कर पाया सो इसीलिए सोचा थोड़ी हेल्प कर दूँगी.
आंटी: हाँ ठीक है.., कुछ खाया तुम दोनो ने?
आंशिका: कुछ नहीं खाया सुबह से बहुत ज़ोर से भूख लग रही है
आंटी: चलो बैठो तुम दोनो मैं खाना लगती हूँ, कांटीईईईईईई खाना गरम होने रख दे गेन्स पर.
कांति(नौकरानी) : जी मा जी.
आंशिका: चलो मैं तुम्हे तब तक घर दिखाती हूँ.
मे: जी चलिए मेडम, करिए मेरी हेल्प
ये सुनकर आंशिका हंसने लगी और बोलने लगी – चलता है यार.
वो मुझे 1st फ्लोर पर ले गयी, और अपना बेड रूम दिखाने लगी, मन कर रहा था वहीं दबोच लूँ पर डर था कहीं आंटी ना टपक जाये , एक एक कर के उसने मुझे सारे रूम दिखाए, फिर वो मुझे टेरेस पर ले गयी और एक टंकी के पास जाकर बोलती है
आंशिका: यही वो टंकी है जिसके पीछे मैने बैठ कर मैंने अपने बूब्स बाहर निकाले थे जब तुम फोन पर बात कर रहे थे.
मे: तो चलो अब तो मैं भी हूँ साथ फिर से चलते हैं टंकी के पीछे.
आंशिका: चुप चाप नीचे चलो, ठरकी नंबर 1
मे: अछा तू नहीं है ठरकी ?
आंशिका: (मुस्कुराते हुए) तुम ना बस चुप रहो
मे: नहीं बता ना तू नहीं है ठरकी ?
आंशिका: (नज़रे ना मिलते हुए हंसते ऊए) नीचे चलो खाना लग गया होगा ठंडा हो जाएगा चल कर खा लो.
मे: नहीं पहले बता, मैं भी सुनना चाहता हूँ तेरे मुँह से, तू ठरकी है या नहीं?
आंशिका: (शरामते हुए और हंसते हुए) तुम्हारी जितनी नहीं हूँ पर.
मे: अच्छा मेरी जितनी? तेरी आँखें बता रही है कितनी ठरक है तेरे मैं.
आंशिका: (शर्मा कर हंसते हुए) हाँ है तो, मैं भी तो इंसान हूँ.
मे: हाँ तो शर्मा क्यूँ रही है, शरम आती है ये कबूलने मैं की मेरी चूत हमेशा गीली रहती है और निपल्स टाइट.
आंशिका: (शरमाते हुए) तुम ना बहुत बोलते हो, अब चुप चाप नीचे जाकर टेबल पर बैठो मैं अभी चेंज करके आती हूँ
मे: नहीं मैं भी साथ चलूँगा चेंज करने.
आंशिका: ये घर है कॉलेज नहीं है, मा ने देख लिया ना तो बस फिर मत कहना मुझे कुछ.
मे: कुछ नहीं होगा तुम चलो
आंशिका; नो,तुम जाओ नीचे
मे: अछा ना बाबा.
हम टेरेस से नीचे जाने लगे, आंशिका का रूम 1st फ्लोर पर है, 1st फ्लोर पर पहुँच कर आंशिका अपने रूम के तरफ जाने लगी, मैं भी उसके पीछे हो लिया, हू मुझे देखकर धक्का देने लगी और कहने लगी..
आंशिका: जाओ ना, क्यूँ तंग करते हो हर जगह?
मे: तंग मैं नहीं तू कर रही है, चल अन्दर चलकर चुप चाप कपड़े बदल कोई नहीं आ रहा, आंटी उपर नहीं आ रही देखने तेर्को. चुप चाप चल.
और मैं उसे ज़बरदस्ती उसको उसके बेडरूम मैं ले गया.
आंशिका मेरी इस हरकत पर गुस्सा होने लगी, मैंने उसके गुस्से की परवाह ना करते हुए, उसके बेडरूम का डोर लॉक कर दिया, वो मुझे आँख दिखा कर बोली….
आंशिका: तुम ना एकदम पागल हो, मरवाओगे मुझे एक दिन.
मे: ओहो मेरी जान क्या हुआ?
आंशिका: हुआ नहीं होगा
मे: हाँ वो तो है, अभी तो होगा
आंशिका: मैं ना बिल्कुल मज़ाक के मूड मैं नहीं हूँ समझे, अभी के अभी दरवाज़ा खोलकर नीचे जाओ
मे: नहीं जाता, बोल क्या करेगी? चीख कर अपनी मों को बुलाएगी या नौकरानी को?
आंशिका: ग़लती कर दी मैने तुम्हे इतनी छूट देकर, दूरी ही बनाई रखती औरों की तरह तो सही रहता, एकदम आवारा कुत्ते हो.
मे: तेर्को आवारा कुत्ते पसंद है, आई नो.
आंशिका: (ठंडे गुस्से से) प्लीज़ जाओ ना, क्यूँ मेरी फाड़ते रहते हो जगह जाग.
मे: मैं नहीं फाड़ता तू मेरा खड़ा करवाती है बार बार
आंशिका: निकाल के फेंक दे उसे फिर
मे; मैं कुछ नहीं करूँगा, तेर्को फेंकना है हाथ डाल और फेंक दे.
आंशिका: हरामी हो तुम पूरे, कोई नहीं जीत सकता तुमसे
मे: चल तू हार गयी तो अपनी चूत दे अब.
आंशिका: बकवास ना करो, कुछ नहीं मिल रहा तुझे.
मे: अछा मत दे, जल्दी से कपडे बदल ले और नीचे चल वरना आंटी को शक हो जाएगा
आंशिका: हाँ तो तुम जाओ, मैं आती हूँ
मैं ये सुन कर उसके बेड पर बैठ गया और उससे निहारने लग गया, हू समझ गयी की मैं उसकी नहीं सुनने वाला, उसने लूसर वाले एक्सप्रेशन दिए और बोली…
आंशिका: अह्हं अह्हं , तुम ना बहुत गंदे हो
मे: तभी तो तेरे पास गंदगी सॉफ करवाने आया हूँ मेरी जान, चल जल्दी चेंज कर कपड़े.
आंशिका अब हार मान चुकी थी, उसे पता था की मैं नहीं मानूँगा उसकी बात इसीलिए वो चुप चाप अपनी अलमीरा की तरफ गयी और एक पिंक कलर की सेक्सी सी नायेटी निकाल कर बेड पर मेरे पास रख दी, मैं उस नायेटी को छूने लगा, बड़ी कोमल थी, नायेटी को छूटे ही लंड टन गया आंशिका को छूता तो शायद झड़ ही जाता. आंशिका मिरर के सामने बैठ कर अपना मेकउप लाइट करने लगी, फिर वो उठकर मेरे पास आई और अपनी नायेटी उठा कर बाथरूम की तरफ जाने लगी, मैने उसके हाथ से नायेटी खींच ली और कहा की मेरे सामने यहीं बदल कपड़े, उसने कुछ देर मेरी आँखों मैं घूरा उसे पता था की बहस करके कोई फ़ायदा नहीं फिर चुप चाप मेरी तरफ मुँह करके उसने अपने सीने से साडी हटा दी उसकी फूली हुई छाती ब्लाउस के साथ नज़र आने लगी, मेरी नज़र उसकी छाती पर थी और उसकी मेरी आँखों पर, फिर उसने सारी पूरे शरीर से अलग करके बेड पर फेंक दी, मैने साडी उठाई और उसे सूंघने लगा, वो बोली
आंशिका: सूंघ क्या रहे हो? कुत्ते हो क्या? कुत्ते सूंघते हैं.
मे: हाँ तो कुतिया की ही तो सूंघते हैं, सूंघने से पता चल जाता है की कुतिया चुदवाने के मूड मैं है या नहीं.
आंशिका: अछा
मे: और नहीं तो क्या, देख तेरी चूत की कितनी तेज़ स्मेल आ रही है इसमें,पूरी गीली है ना चूत ?
आंशिका ये सुनकर कुछ नहीं बोली और उसने अपना ब्लाउस खोल दिया, ये देख कर मैं खड़ा हो गया और उसके पास चला गया, उसे पता था अब क्या होने वाला है इसीलिए उसने खुद ही कह दिया
आंशिका: जल्दी से करना जो करना है, ज़्यादा टाइम नहीं है, माँ को शक ना हो जाए.
बस यही सुनने की देर थी, ये सुनते ही मैने आंशिका को कस कर उसकी मोटी कमर से पकड़ लिया और अपने लिप्स से उसके लिप्स लगा दिए उसने भी अपने हाथ मेरे सिर पर रखे और मेरे साथ मिलकर ज़ोर से किस करने लगी. 5 मीं बाद हम अलग हुए हुमारी साँस फूल गयी थी, वो खड़ी होकर ज़ोर ज़ोर से साँस ले रही थी और उसकी मोटी मोटी चुचियाँ उपर नीचे हो रही थी, उसकी नज़र मेरे उपर थी और मेरी उसकी चुचियों पर, सीने से सॅडी नीचे गिरी हुई और ब्लाउस मैं से उपर नीचे होते हुई चुचियों की देखकर मैं पागल हो रहा था, मैने दोनो हाथों से उसकी चुचियों को पकड़ लिया ब्लाउस के उपर से और धीरे धीरे से दबाने लगा, आंशिका बोली – इतनी आराम से करने से कुछ नहीं होगा, अपना जुंगलिपन दिखाओ थोडा . मैने ये सुनकर उसकी दोनो चुचियों को ज़ोर से भीच लिया अपनी मुट्ठी मैं, पर चुचियाँ इतनी बड़ी थी की एक हाथ मैं ही नहीं आ रही थी और उपर से ब्लाउस और था, मेरी ये मुउशकिल देख कर उसने अपना ब्लाउस ओपन कर दिया और सिर्फ़ नेट वाली ब्रा मैं खड़ी हो गयी. मैं नीचे झुका और उसका नाइट निपल को ब्रा के उपर से ही मुँह मैं लेकर ज़ोर से चूसने और काटने लगा और लेफ्ट ब्रेस्ट को ज़ोर से दबाने लगा. फिर मैने उसकी लेफ्ट ब्रेस्ट को निपल को मुँह मैं लिया और काटने लगा, मैने एकदम से ज़ोर से काट दिया वो सिसक पड़ी –
आंशिका: आआआआह , पागल कहीं के, तद्पाते रहते हो, हटो अब, कपड़े बदलने दो
मे: तू कौनसा कम तडपाती है, चूसने दे ना और.
आंशिका: नहीं अब नहीं , नीचे चलो अब.
मे: नीचे कहाँ चूत पर?
आंशिका: खांआआआनाआअ खाने,
मे: तेरी चूत गीली है ना?
आंशिका: हाँ है तो
मे: मुझे सुखाने दे उसे अपनी जीभ से.
आंशिका: तुम जा रहे हो या नहीं जा रहे नीचे? मुझे अब कपड़े बदलने दो, तुम नीचे जाओ
मे: तो बदल ले, मैं कौनसा तेर्को चोद रहा हूँ.
आंशिका: नहीं पूरे नहीं बदलूँगी तुम्हारे सामने, तुम भूखे शेर की तरह टूट पड़ोगे
मे: तेरा भी तो यही मन है की मैं तेरे उपर बस टूट पड़ून, है ना? सच सच बताएओ
आंशिका : सिर्फ़ मन होने से कुछ नहीं होता, सही जगह और समय भी होना चाहिए
मे: मेरी जान जब लंड खड़ा हो और जब चूत गीली हो तो वही सही जगह और टाइम है.
आंशिका: अछा, तुम्हारा क्या है, तुम्हारा तो हर वक़्त खड़ा रहता है
मे: तू इसके बारे मैं हर वक़्त सोचती है तभी खड़ा रहता है
आंशिका: ओहो, अब नीचे जाओ ना प्लीस , मुझे कपड़े बदलने दो, अगर ऐसे परेशन करते रहे ना तो देख लेना अछा नहीं होगा, मुझे खो दोगे तुम.
मे: अछा तेर्को लगता है की तू मेरे से अलग हो पाएगी? तेरे अन्दर की हवस को तो मैने एग्ज़ॅमिनेशन सेंटर मैं ही देख लिया था, तभी तो तेरा नंबर माँगा था क्यूंकी मुझे पता था तू देगी ज़रूर, तेरी आँखों से तेरी चूत का हाल पता चल रहा था.
आंशिका: हाँ तुम तो बहुत ज्ञानी हो(ब्लाउस बंद करते हुए) अब नीचे जाओ प्लीस इट’स ऐ हंबल रिक्वेस्ट
मे: अछा जाता हूँ ना, और सुन, ब्रा मत पहनीओ नायेटी के नीचे
आंशिका: हाँ ठीक है बाबा, अब जाओ प्लीस
मैने फिर आंशिका की बात मान ली और चुप चाप रूम से बाहर चला गया और नीचे डाइनिंग टेबल पर जाकर बैठ गया, तभी उसकी मों अन्दर किचन मैं से आई और मुझसे पूछा –
आंटी: बेटा आंशिका कहाँ है?
मे: आंटी मेम ने कहा था की वो अभी आ रही है क्लोथ्स चेंज कर के और में नीचे आकर बैठ जाऊ
आंटी: हे भगवान, इस लड़की ने अभी तक कपड़े भी नहीं बदले, कोई काम समय से करती ही नहीं, यहाँ खाना ठंडा हो रहा है
मे: (मैने मन मैं कहा – और वहाँ हम गरम हो रहे थे.) आंटी मेम कह रही थी की वो बस 5 मीं मैं आ रही हैं.
आंटी: चलो बेटा तब तक तुम खाना स्टार्ट करो, वरना तुम्हारा भी कहाँ ठंडा हो जाएगा.
मे: कोई बात नहीं आंटी,साथ मैं ही स्टार्ट करेंगे, आप भी अपना लगा लीजिए ना.
आंटी: बेटा मैं तो खा चुकी, आंशिका ने बोला था की उसका और तुम्हारा खाना बनके रखे तो बस तुम लोगों का ही वेट था.
मे: ओक
मुझे नहीं पता था की आंशिका ने पहले से ही घर बुलाने का प्रोग्राम सोच रखा था, वो तो मुझे आंटी के मुँह से पता चला, मैं मन ही मन खुश हो गया की कहीं इसने आज अपनी चूत देने का भी तो प्लान नहीं बना रखा, कॉंडम तो था ही मेरे वॉलेट मैं. अब तो इसके घर भी आसानी से आ जाया करूँगा क्यूंकी अब तो इसकी मों ने भी मुझे देख लिया है आंड शी नोस देट आई एम् हर स्टूडेंट. तभी आंशिका उपर से नीचे उतर तक आई.
आंटी: कहाँ रह गयी थी तू, इस बेचारे का खाना भी ठंडा करवा दिया तूने,.
आंशिका : अरे मा कपड़े बदल रही थी और हाथ मुँह धो रही थी इसी मैं टाइम लग गया.
आंटी: इतना टाइम लगता है
आंशिका: (मेरी तरफ देखते हुए) इसे घर भी तो दिखा रही थी ना.
आंटी: बैठ अब, दुबारा खाना गरम करना पड़ेगा.
आंशिका: हाँ हम बैठे हैं आप गरम कर लो
आंटी: ले तू तब तक खीरा काट ले
आंशिका: दो.
आंशिका मेरी साथ वाली सीट पर बैठ गयी, उसके हाथ मैं खीरा और नाइफ था. मेरी तरफ नाइफ करके बोली
आंशिका: तुम्हारा ना खून करने का मन कर रहा है मेरा, बेकार मैं डांट पड़वा दी.
मे: अछा एक बात बताओ , इस डांट के आगे वो मज़ा ज़्यादा अछा नहीं था, सच सच बताएओ.
आंशिका: (सोचते हुए) ह..हा…..हाँ तो कभी और भी कर सकते थे.
मे: तू कभी सही जगह मिलती ही नहीं
आंशिका: (मेरी तरफ से एकदम से मुँह हटाते हुए) रहने दो तुम.
उसके यह बोलते ही मैने झटके से साइड से उसकी राईट चुचि नाईटी के उपर से दबा दी ज़ोर से. मेरी इस हरकत पर वो मुझे घूर के देखने लगी और कहने लगी –
आंशिका: तुम ना कभी बाज़ नहीं आओगे.
मे: मैने तेर्को कहा था की ब्रा मत पहनीओ, फिर क्यूँ पहनी.
आंशिका: हाँ तुम्हारा बस चले तो कुछ भी ना पहनने दो घर मैं, घर मैं मा है अगर बिना ब्रा के घूमूंगी ना तो डांट पड़ जाएगी की कोई आया है घर मैं और मैं ऐसे घूम रही हूँ, दुबारा डांट नहीं खानी मुझे.
मे: क्या यार, खुद तो मोटा सा खीरा हाथ मे ले लिया और मुझे संतरे भी नहीं दबाने दे रही.
आशिका: मेरे क्या तुम्हे बस संतरे दिख रहे हैं?
मे: अछा बड़े बड़े आम बस
आंशिका: रहने दो, अब से हाथ तक मत लगा देना इन्हे.
मे: (उसकी चुचि पर साइड से प्यार से हाथ रखते हुए) ओहो नाराज़ क्यूँ होती है, ये तो बड़े बड़े वॉटरमेलन्स है.
आंशिका: (अपने सीधे हाथ की कोनी से मेरा हाथ हटते हुए) मुझे ना बिल्कुल भी नहीं पसंद जब मेरी ब्रेस्ट को कोई कुछ भी उल्टा सीधा कहे, आई एम् वेरी पोज़ेसिव फॉर देम. लड़कियाँ मरती है ऐसी ब्रेस्ट्स के लिए, औरों के पास होते हैं छोटे छोटे नींबू और संतरे समझे, आइन्दा से इन्हे कभी मत बल्ना छोटा
मे: ओहो, इतना प्यार अपने वॉटरमेलन्स से, बुत इनका कस्टमर तो मैं ही हूँ, मैं ही ले जाऊंगा
आंशिका: (तिरछी निगाहों से मेरी तरफ देख कर हँसते हुए) लकी हो तुम बहुत, अब चुप रहो अगर मा ने कुछ सुन लिया ना तो बस सपने देखते रह जाओगे वॉटरमेलन्स के.
मे: तेरी हवस मुझे फिर खींच लाएगी तेरी तरफ सो नो टेंशन .
आंशिका : अछा
मे: हाँ
आंटी : लो अब खाना गरम हो गया है, अब बिना देरी करे चुप चाप खाना खा लो दोनो, वरना दोनो को डांट पड़ेगी इस बार
हूमें खाना देकर आंशिका की मों अपने रूम मैं चली गयी जो की ग्राउंड फ्लोर पर ही था, मैं खाना खाते हुए आंशिका को घूर्ने लगा, मेर्को घूरते देख आंशिका बोली –
आंशिका: मुझे ज्या घूर रहे हो, खाने को घूरो .
मे: तू ही तो मेरा खाना है, तेर्को ही खाना है.
आंशिका : अछा, खाना खाते हुए ज़्यादा बोलते नहीं चुप चाप खाओ.
मे: अछा बोलते नहीं तो कुछ कर तो सकते है ना ( ये बोलकर मैने फिर से साइड से उसकी राईट चुचि दबा दी)
वो अपनी एंकल से मेरे हाथ को भीचते हुए बोली –
आंशिका: ज़्यादा ना हाथ ना चलाया करो.
मे: मुँह लगा लूँ?
आंशिका: चुप चाप खाना नहीं खा सकते?
मे: चुप चाप ही खा रहा था तू ही बोल पड़ी.
आंशिका: अच्छा सॉरी बाबा, अब नहीं बोलूँगी
मे: ठीक है गुड, (और मैने फिर से उसकी चुचि दबाने लग गया आराम से)
आंशिका: मा ने देख लिया ना, तो ये खाना भी चीन लेगी और भूखे रह जाओगे.
मे: तेरे होते हुए मैं भूखा कैसे रह सकता हूँ.
फिर अगले 10 मीं मैं हमने खाना खाया आराम से और फिर खाना खा कर मैने उससे पूछा अब क्या करना है मेरी जान?
आंशिका: उपर चलो रूम मैं, तुम्हे खाना खाने की तमीज़ सिखानी है.
मे: कपड़े पहेंकर सिखाएगी या उतार कर?
आंशिका: तुम्हारे कपड़े फाड़ कर, अब उपर चलो, माँ ने सुन लिया ना तो बस मुँह ताकते रह जाओगे.
मे: एक दिन तो तेरा पेट देख कर पता चलना ही है उन्हे की किसने करा यह.
आंशिका: ज़्यादा ना बकवास ना करा करो, कुछ ज़्यादा ही दूर की सोचने लग जाते हो.
मे: ज़्यादा दूर की कहाँ सोची, सिर्फ़ तेरी चूत से पेट तक की ही तो सोची
आंशिका: तुम्हे उपर रूम मैं चलना है या अपने घर जाना है?
मैं ये सुनकर चुप चाप स्टेयर्स पर चढ़ गया और वो मेरे पीछे पीछे आने लगी.
उसके रूम मैं पहुँच कर मैने कुण्डी लगा ली, वो बोली –
आंशिका : तुम पागल हो गये हो क्या, जो बात बात पर कुण्डी लगा लेते हो, मैने तुम्हे इसलिए नहीं बुलाया रूम मैं समझे, माँ को शक हो जाएगा कुण्डी खोलो.
मे: कुछ नहीं होगा, और वैसे भी कुण्डी खोलने मैं कितना टाइम लगता है.
आंशिका: नहीं हुमारे घर मैं मोस्ट्ली डोर्स ओपन रहते हैं, सिर्फ़ सोते समय बंद करते हैं या फिर जब ज़रूरी हो, मा को नहीं पसंद बंद दरवाज़े प्लीस ओपन इट.
मे: क्या यार, एक दरवाज़ी के लिए इतनी चीक चीक, लो खोल देता हूँ बस.
और मैं उसके रूम का डोर खोल दिया, वैसे भी उस फ्लोर पर कोई नहीं था, उसकी मों भी ग्राउंड फ्लोर पर थी और उसकी सिस जिसका साथ वाला रूम था वो भी घर पर नहीं थी, सो दरवाज़ा खुला हो या बंद की फरक पैंदा है?
आंशिका: पहली बार तुमने ज़िद नहीं करी, थॅंक गोड . मुझे तो लगा की मैं आज गयी.
मे: उकसा मत वरना आंटी तेरी चीखें सुन कर ही उपर आ जाएँगी.
आंशिका: अछा बड़ा गुरूर है अपने उपर.
मे: नहीं तेरी हवस पर पूरा भरोसा है मुझ पर, तेरी चूत लेते हुए तूने पूरा मोहल्ला ना खड़ा कर लिया चीख चीख कर तो मेरा नाम बदल दियो .
आंशिका: तुम इतना कॉन्फिडेंट्ली कैसे बोलते हो मेरे लिए, मैं क्या तुम्हे इतनी भूखी लगती हूँ.
मैने ये सुनकर कुछ नहीं बोला और उसके पास जाकर बैठ गया और उसको पकड़ कर किस करदी ज़ोर से. वो भी मुझे किस करने लगी, मैने उसको पीछे धकेला और उसका सिर पीछे बेड के सपोर्ट पे लगा दिया और उसे ज़ोर ज़ोर से किस करने लगा, किस करते हुए मैं अपना हाथ नीचे ले गया और उसकी चुचियाँ दबाने लगा, फिर उसकी चुचियों को छोड़ कर मैं अपना हाथ और नीचे ले गया और उसकी ठीक चूत के उपर रख कर ज़ोर से दबा दिया, उसने एककडूम से टाँगें भीच ली और मेरा हाथ वहीं उसकी टाँगों के बीच मैं फँस गया और मेरे लिप्स से अपने लिप्स हटाकर ज़ोर ज़ोर के साँस लेने लगी……..
आंशिका: प्लीज़ वहाँ से अपना हाथ हटाओ, आज नहीं फिर कभी.
मे: फिर कभी क्यूँ? हाथ ही तो रखा है कौनसा लंड डाल दिया.
आंशिका: तुम ना (ज़ोर ज़ोर से साँस लेने लगी)
मैं भी चुप चाप बैठा हुआ अपनी साँसें भर रहा था और मेरा राईट हेंड अभी भी उसकी जाँघो के बीच मैं फँसा हुआ था, ना मैं हाथ हिला रहा था और ना ही वो अपनी पकड़ ढीली कर रही थी.
आंशिका : तुम से मिलकर ना मेरी हवस और बढ़ गयी है
मे: अच्छी बात है ना, कम नहीं होनी चाहिए बस. वैसे तू पहले भी ऐसे ही भूखी रहती थी?
आंशिका: हाँ बहुत , कभी कभी तो आँखों मैं पानी आ जाता था भूख के मारे, टांगो मैं वीक्नेस्स सी लगती थी.
मे: तो अब सब ठीक है.
आंशिका: हाँ थोडा बहुत, तुम थोड़ी सी तो मिटा ही देते हो फोरप्ले से
मे: तू अभी बोले तो पूरी भूख मिटा दूं तेरी.
आंशिका: नहीं, मैं हर पल एंजाय करना चाहती हूँ तुम्हारे साथ, बड़ी मुश्किल से तुम्हारे जैसा समझदार पार्ट्नर मिला है जो मेरी ज़रूरतों को समझता है.
मे: क्यूँ? और कोई नहीं समझा.
आंशिका: पता नहीं दर लगता है हमेशा से औरों से, मेरी फ्रेंड्स ने बताया है जब वो कभी अपने बॉय फ्रेंड्स से सेक्स के लिए कहती थी खुद तो वो उनकी गंदी इमेज बना लेते थे की वो स्लट है, जिन्हे सेक्स चाहिए बस, गाइस नेवेर अंडरस्टॅंड्स गर्ल्स नीड्स, दे जस्ट नो हाउ तो सॅटिस्फाइ देम्सेल्व्ज़.
मे: ह्म्*म्म्मममम ये तो है.
आंशिका: तुम भी सोचते तो होंगे की कैसी लड़की है ये आंशिका, एकदम से सेक्स के लिए रेडी हो जाती है.
मे: इसमें सोचना क्या है तू गंदी है तो गंदी है, मैं भी गंदा हूँ, हर कोई जो सेक्स करता है सब गंदे हैं, अगर कोई ह्यूमन नीड्स को सॅटिस्फाइ करने को गंदा कहता है तो खाना खाना भी गंदा काम है, सोना भी गंदा काम है, हर वो काम ग़लत है जिसससे हूमें शांति मिलती है, मैं तो ये सोचता हूँ.
आंशिका: तभी तुम मुझे बहुत पसंद हो, आई लाईक युअर आटिट्यूड टुवर्ड्स गर्ल्स एंड ह्यूमन नेचर.
मे: थॅंक्स जानू.
आंशिका: अगर तुम मेरे साथ के होते ना तो शादी कर लेती तुमसे.
मे: कोई बात नहीं पर सुहग्रात तो मनाएगी ना?
आंशिका: (टीज़ करते हुए) सोचेंगे
मे: तू सोचती रहियो मैं तो सब कुछ कर के निकल भी जाऊंगा .
आंशिका: तुम मुझे छोड़ दोगे ना जब मेरे से बोर हो जाओगे और मेरी बॉडी से भी.
मे: तेरे से कभी बोर नहीं हुंगा डोंट वरी, तू है ही इतनी कमाल की और मेरी लाइफ की पहली गर्ल.
आंशिका: तुम्हारी लाइफ मैं पहले कभी कोई गर्ल नहीं आई ?
मे: ना
आंशिका: विश्वास नहीं होता.
मे: लो अब किसी की फूटी किस्मत पर भी किसी को विश्वास नहीं होता.
आंशिका: हहेहेः, नहीं ऐसी बात नहीं है, तुम जिस तरह से बोलते हो, अपनी बातों मैं फंसाते हो और तुम्हारा ज़िद्दी पंन , कोई भी लड़की फँस जाए तुम्हारे जाल मैं तो.
मे: जिसे जाल मैं फँसना था फँसा लिया, औरों की बाद मैं सोचेंगे.
अँनशिका: तुम कभी मुझे धोखा तो नहीं दोगे ना?
मे: धोखा कैसा? मैं कोई तुझसे शादी थोड़ी ना कर रहा हूँ की मैं किसी और के साथ नहीं सो सकता.
आंशिका: नहीं, आई मीन टू से की तुम कभी मेर्को बदनाम तो नहीं करोगे ना? मेरे ट्रस्ट को तो नहीं तोड़ोगे ना?
मे: पागल है क्या? मैं क्यूँ तेरा ट्रस्ट तोड़ूँगा, मुझे भी तेरे जैसी अंडरस्टॅंडिंग पार्ट्नर कहाँ मिलेगी.
आंशिका: तुम्हारा मन क्या करता है सबसे ज़्यादा करने का मेरे साथ?
मे: की बस पूरे दिन भर तेरी चूत मारता रहूं, तेरे बूब्स चूस्ता रहूं, तेरी हवस मिटाता रहूं. तू बता तेरा क्या मन करता है?
आंशिका: बहुत कुछ, फिलहाल अभी तो मुझे तुम्हारा चूसने का मन कर रहा है ज़ोर से.
मे: सच बता
आंशिका: हाँ बाबा सच मैं.
मे: अभी तो तू ड्रामे कर रही थी की डोर बंद मत करो ये वो..
आंशिका: तो डोर बंद करने को कौन कह रहा है?
मे: तो क्या ओपन डोर मैं ही?
आंशिका: हाँ, मा उपर नहीं होती, उनकी नीस मैं पेन रहता है
मे: और अगर तेरी बहन आ गयी तो .
आंशिका: वो तो आउट ऑफ स्टेशन रहती है वो कहाँ से आएगी और डेड भी रात को आते हैं, सो डोर ओपन हो या क्लोज़ इट्स सेम.
मे: वैसे तेरी बहन की पिक तो दिखा
आंशिका: एक शर्त पर दिखाउंगी .
मे: कैसी शर्त?
आंशिका: की तुम उसके लिए कुछ भी उल्टा सीधा नहीं बोलॉगे और ना ही सोचोगे.
मे: क्यूँ भाई?
आंशिका: नहीं तो रहने दो, मैं उसे अपनी जान से ज़्यादा प्यार करती हूँ एंड आई वांट तो सी हर हॅपी, आई कांत सी हर इन पेन ओर हर्ट बाइ सम्वन एल्स, शी इस वेरी सिंपल एंड माय बेस्ट सिस इन द वर्ल्ड, सो उसके लिए कुछ भी उल्टा सीधा नहीं
मे: अगर ऐसी बात है तो आई प्रॉमिस की कभी उसके लिए कुछ नहीं बोलूँगा उल्टा और ना ही सोचूँगा.
फिर आंशिका ने मुझे उसकी और उसकी सिस की फोटो दिखाई एक, उसकी सिस जिसका नाम कनिष्का है दिखने मैं एकद्ूम आंशिका के ऑपोसिट – वो एकदम स्लिम ट्रिम थी, आंशिका की तरह नहीं हेल्ती. (सॉरी गाइस नो मोर वर्ड्स फॉर हर , एस आई प्रॉमिस्ड टू आंशिका).
फिर मैं आंशिका से बोला…….
मे: सच बता, की तू मेरा लंड अभी चुसेगी या नहीं?
आंशिका: कह तो रही हूँ की चूसना है, बड़ा मन है, तुम मान ही नहीं रहे .
उसके मुँह से ये सुनकर मेरा लंड टाइट हो गया एकद्ूम से.
आंशिका: पर एक शर्त पर चुसुंगी
मे: ले फिर से तेरी शर्त आ गयी, बोल कैसी शर्त?
आंशिका: की तुम चुप चाप लेटे रहोगे, ज़्यादा कुछ नहीं करना, क्यूंकी हम घर मैं हैं और मा भी है अगर शक हो गया ना तो गड़बड़ हो जाएगी, इसीलिए एक एक करके करेंगे.
मे: ओक, जैसा तू बोले चुप चाप पड़ा रहूँगा, पर तू लंड ढंग से चुसियो .
आंशिका; तुम उसकी चिंता मत करो, वो मेरा काम है करना, तुम्हे ना लाइफ का मज़ा दिया तो बस देख लेना, चलो अब लेट जाओ और उसको बाहर निकालो.
मे: तूने कहा है मैं कुछ नहीं करूँगा, तो मैं लेट रहा हूँ, तू खुद बाहर निकल मेरा लंड और जो करना है कर.
मैं बेड पर लेट गया, मेरा लंड बेड के एज पर था और टांगे बेड से बाहर, आंशिका मेरी टॅंगो के बीच मैं आकर बैठ गयी और मेरी बेल्ट को लूस करने लगी, फिर उसने मेरे टाइट लंड को जीन्स के उपर से सहलाया और मेरी तरफ देख कर बचों की तरह स्माइल करने लगी, फिर उसने मेरी जीन्स का बटन ओपन करा और मेरी ज़िप को नीचे करा, फिर उसने अपना हाथ मेरी जीन्स की उपर से मेरे अंडरवेर मैं डाला, उसका हाथ जैसे ही मेरे लंड पर लगा मेरी बोडी मैं करेंट दौड़ गया, उसने लंड पकड़ कर बाहर निकाल लिया. उसना मेरा टाइट लंड अपने सॉफ्ट हॅंड से जकड़ लिया, और उससे धीरे से अपने हाथों से उपर से लेकर नीचे तक अब्ज़र्व करने लगी, फिर उसने मेरा अंडरवेर और जीन्स और नीचे कर दिए और मेरी बॉल्स को हाथ मैं लेकर देखने लगी, फिर उसने नीचे झुक कर मेरी दोनो बॉल्स पर बारी बारी किस करा फिर ठीक मेरे लंड के जॉइंट और बॉल्स के जॉइंट के बीच मैं किस करा और उपर की तरफ किस करते करते मेरे ठीक लंड के टोपे के नीचे किस करा.
उसने फिर प्यार से अपने हाथ से (जिससे उसने मेरा लंड पकड़ा हुआ था) मेरे लंड की स्किन को उपर की तरफ करा जिसे की मेरे लंड के छेद पर प्री-कम की एक ड्रॉप आ गयी, आंशिका ने अपनी जीभ निकली और उस ड्रॉप को चाट लिया और फिर मुँह खोलकर मेरा लंड का टोपा मुँह मैं भर लिया, उसे मुँह मैं भर कर आंशिका मेरी आँखों मैं देखने लगी और इशारों मैं पूछने लगी की कैसा लग रहा है? मैं कुछ नहीं बोला और अपनी आँखें बंद कर ली. उसने लंड का टोपा मूह मैं ही रखा और अपने मुँह मैं उस के उपर अपनी जीभ फेरने लगी, मेरी हालत खराब हो गयी, वो बहुत ज़ोर से लंड के टोपे पर जीभ फेर रही थी और जो भी प्री-कम की ड्रॉप्स आ रही थी बाहर उसने टेस्ट कर रही थी. मैने बड़े दिनों से मूठ नहीं मारी थी तो मेरी वैसे ही हालत खराब थी 5 मीं के अन्दर मैं उसके मुँह मैं झड़ गया और जैसे ही झाडा आंशिका चौंक गयी क्यूंकी वो एक्सपेक्ट नहीं कर रही थी अभी और उसके मुँह से निकला – म्मम्म म. मैं झाडे जा रहा था, रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था, जब मैं उसके मुँह मैं पूरा झड़ गया उसना मेरा लंड मुँह से निकाला और सारा पानी पी गयी और मेर्को देख कर हँसने लगी और चटकारा लेकर बोली –
आंशिका : बहुत टेस्टी हो तुम.
मे: तेर्को पसंद आया?
आंशिका: हाँ बहुत , पर तुम इतनी जल्दी क्यूँ आए?
मे: यार तूने मूठ मारने के लिए मना कर रखा है तो हालत खराब थी इतने दिन से और तेरे हाथ और मुँह लगते ही लंड की तो जान ही निकल गयी. पर डोंट वरी देख अभी भी खड़ा है.
आंशिका मेरे लंड को देख कर बोली
अंसिका: वाउ हाँ, ये तुमने कैसे करा?
मे: जान ये सब तेरा कमाल है, मैं तो बस मज़े ले रहा हूँ.
आंशिका: अब मुझे ढंग से प्यार कर लेने देना इससे जी भर के, जल्दी मत आना और जब आओ तो एतलिस्ट इनफॉर्म तो कर दिया करो, एकदम से आ जाते हो.
मे: ओक बाबा जैसा तू कहे
मैं फिर बेड पर आराम से लेता और आंशिका मेरे लंड को सहलाने लगी और उससे कड़क बनाने लगी, उसके नरम नरम हाथ मैं ऐसा जादू था की मेरा लंड फटने की हालत मैं हो जाता. लंड सहलाते सहलाते उसने मेरी बॉल्स को भी छुआ, मेरे बदन मैं सिहरन सी दौड़ गयी, वो बॉल्स को आराम आराम से दबाने लगी, अपने हाथ मैं भरकर उसे फील करने लगी जैसे कोई बचा नये खिलोने के साथ करता है. बॉल्स के साथ खेलते हुए मुझसे बोली –
आंशिका: तुम्हारा सारा पानी इसी मैं है ना?
मे: हाँ क्यूँ?
आंशिका: डाइरेक्ट नहीं मिल सकता मुझे सारा?
मे: चूस कर देख ले उन्हे क्या पता मिल जाए
ये सुनते ही आंशिका झुकी और मेरी बॉल्स को चाटने लगी और फिर एक एक करके दोनो को मुँह मैं भरकर चूसने लगी और मैं आँखें बंद करे आराज़ से मज़े ले रहा था. उसकी हरकतों से ऐसा लग रहा था की जैसे बहुत एक्सपीरियेन्स्ड हो, मैने फिर पूछ ही लिया………
मे: तू कितने लंड चूस चुकी है?
आंशिका: क्यूँ?
मे: बता ना
आंशिका: यु नो एवेरितिंग अबौट मी , फिर क्यूँ पूछ रहे हो?
मे: नहीं, तू एकदम र्ररर……..
आंशिका: क्या? बोलो बोलो
मे: तू एक दम प्रोस्तीट्यूट की तरह चुस्ती है
आंशिका: थॅंक्स फॉर दे कॉंप्लिमेंट बात मैं प्रोस्तीट्यूट नहीं हूँ एंड यु आर द फर्स्ट पर्सन जिसका मैं चूस रही हूँ.
मे: फिर ये स्किल्स कहाँ से आए.
आंशिका: पॉर्न देख कर.
मे: कुतिया साली
आंशिका: तुम्हे अछा लग रहा है जो मैं कर रही हूँ?
मे: बहुत पूछ मत
आंशिका: तुम कितनी प्रोस्तीट्यूट से अपना चुस्वा चुके हो?
मे: किसी से भी नहीं
आंशिका: देन तुम्हे कैसे पता चला की प्रोस्तीट्यूट ऐसे चुस्ती हैं.
मे: तू चूस तो रही है मेरी प्रोस्तीट्यूट
आंशिका: अछा…….
वो फिर चुप हो गयी और मेरे लंड को चाटने लगी और उसके टोपे पर जीभ फैरने लगी. 5 – 10 मीं तक हू ऐसे ही करती रही.
मे: अंडर ले ना इसे मुँह के
आंशिका: नहीं तुम फिर जल्दी से आ जाओगे.
फिर आंशिका ने मुझे उसकी और उसकी सिस की फोटो दिखाई एक, उसकी सिस जिसका नाम कनिष्का है दिखने मैं एकद्ूम आंशिका के ऑपोसिट – वो एकदम स्लिम ट्रिम थी, आंशिका की तरह नहीं हेल्ती. (सॉरी गाइस नो मोर वर्ड्स फॉर हर , एस आई प्रॉमिस्ड टू आंशिका).
फिर मैं आंशिका से बोला…….
मे: सच बता, की तू मेरा लंड अभी चुसेगी या नहीं?
आंशिका: कह तो रही हूँ की चूसना है, बड़ा मन है, तुम मान ही नहीं रहे .
उसके मुँह से ये सुनकर मेरा लंड टाइट हो गया एकद्ूम से.
आंशिका: पर एक शर्त पर चुसुंगी
मे: ले फिर से तेरी शर्त आ गयी, बोल कैसी शर्त?
आंशिका: की तुम चुप चाप लेटे रहोगे, ज़्यादा कुछ नहीं करना, क्यूंकी हम घर मैं हैं और मा भी है अगर शक हो गया ना तो गड़बड़ हो जाएगी, इसीलिए एक एक करके करेंगे.
मे: ओक, जैसा तू बोले चुप चाप पड़ा रहूँगा, पर तू लंड ढंग से चुसियो .
आंशिका; तुम उसकी चिंता मत करो, वो मेरा काम है करना, तुम्हे ना लाइफ का मज़ा दिया तो बस देख लेना, चलो अब लेट जाओ और उसको बाहर निकालो.
मे: तूने कहा है मैं कुछ नहीं करूँगा, तो मैं लेट रहा हूँ, तू खुद बाहर निकल मेरा लंड और जो करना है कर.
मैं बेड पर लेट गया, मेरा लंड बेड के एज पर था और टांगे बेड से बाहर, आंशिका मेरी टॅंगो के बीच मैं आकर बैठ गयी और मेरी बेल्ट को लूस करने लगी, फिर उसने मेरे टाइट लंड को जीन्स के उपर से सहलाया और मेरी तरफ देख कर बचों की तरह स्माइल करने लगी, फिर उसने मेरी जीन्स का बटन ओपन करा और मेरी ज़िप को नीचे करा, फिर उसने अपना हाथ मेरी जीन्स की उपर से मेरे अंडरवेर मैं डाला, उसका हाथ जैसे ही मेरे लंड पर लगा मेरी बोडी मैं करेंट दौड़ गया, उसने लंड पकड़ कर बाहर निकाल लिया. उसना मेरा टाइट लंड अपने सॉफ्ट हॅंड से जकड़ लिया, और उससे धीरे से अपने हाथों से उपर से लेकर नीचे तक अब्ज़र्व करने लगी, फिर उसने मेरा अंडरवेर और जीन्स और नीचे कर दिए और मेरी बॉल्स को हाथ मैं लेकर देखने लगी, फिर उसने नीचे झुक कर मेरी दोनो बॉल्स पर बारी बारी किस करा फिर ठीक मेरे लंड के जॉइंट और बॉल्स के जॉइंट के बीच मैं किस करा और उपर की तरफ किस करते करते मेरे ठीक लंड के टोपे के नीचे किस करा.
उसने फिर प्यार से अपने हाथ से (जिससे उसने मेरा लंड पकड़ा हुआ था) मेरे लंड की स्किन को उपर की तरफ करा जिसे की मेरे लंड के छेद पर प्री-कम की एक ड्रॉप आ गयी, आंशिका ने अपनी जीभ निकली और उस ड्रॉप को चाट लिया और फिर मुँह खोलकर मेरा लंड का टोपा मुँह मैं भर लिया, उसे मुँह मैं भर कर आंशिका मेरी आँखों मैं देखने लगी और इशारों मैं पूछने लगी की कैसा लग रहा है? मैं कुछ नहीं बोला और अपनी आँखें बंद कर ली. उसने लंड का टोपा मूह मैं ही रखा और अपने मुँह मैं उस के उपर अपनी जीभ फेरने लगी, मेरी हालत खराब हो गयी, वो बहुत ज़ोर से लंड के टोपे पर जीभ फेर रही थी और जो भी प्री-कम की ड्रॉप्स आ रही थी बाहर उसने टेस्ट कर रही थी. मैने बड़े दिनों से मूठ नहीं मारी थी तो मेरी वैसे ही हालत खराब थी 5 मीं के अन्दर मैं उसके मुँह मैं झड़ गया और जैसे ही झाडा आंशिका चौंक गयी क्यूंकी वो एक्सपेक्ट नहीं कर रही थी अभी और उसके मुँह से निकला – म्मम्म म. मैं झाडे जा रहा था, रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था, जब मैं उसके मुँह मैं पूरा झड़ गया उसना मेरा लंड मुँह से निकाला और सारा पानी पी गयी और मेर्को देख कर हँसने लगी और चटकारा लेकर बोली –
आंशिका : बहुत टेस्टी हो तुम.
मे: तेर्को पसंद आया?
आंशिका: हाँ बहुत , पर तुम इतनी जल्दी क्यूँ आए?
मे: यार तूने मूठ मारने के लिए मना कर रखा है तो हालत खराब थी इतने दिन से और तेरे हाथ और मुँह लगते ही लंड की तो जान ही निकल गयी. पर डोंट वरी देख अभी भी खड़ा है.
आंशिका मेरे लंड को देख कर बोली
अंसिका: वाउ हाँ, ये तुमने कैसे करा?
मे: जान ये सब तेरा कमाल है, मैं तो बस मज़े ले रहा हूँ.
आंशिका: अब मुझे ढंग से प्यार कर लेने देना इससे जी भर के, जल्दी मत आना और जब आओ तो एतलिस्ट इनफॉर्म तो कर दिया करो, एकदम से आ जाते हो.
मे: ओक बाबा जैसा तू कहे
मैं फिर बेड पर आराम से लेता और आंशिका मेरे लंड को सहलाने लगी और उससे कड़क बनाने लगी, उसके नरम नरम हाथ मैं ऐसा जादू था की मेरा लंड फटने की हालत मैं हो जाता. लंड सहलाते सहलाते उसने मेरी बॉल्स को भी छुआ, मेरे बदन मैं सिहरन सी दौड़ गयी, वो बॉल्स को आराम आराम से दबाने लगी, अपने हाथ मैं भरकर उसे फील करने लगी जैसे कोई बचा नये खिलोने के साथ करता है. बॉल्स के साथ खेलते हुए मुझसे बोली –
आंशिका: तुम्हारा सारा पानी इसी मैं है ना?
मे: हाँ क्यूँ?
आंशिका: डाइरेक्ट नहीं मिल सकता मुझे सारा?
मे: चूस कर देख ले उन्हे क्या पता मिल जाए
ये सुनते ही आंशिका झुकी और मेरी बॉल्स को चाटने लगी और फिर एक एक करके दोनो को मुँह मैं भरकर चूसने लगी और मैं आँखें बंद करे आराज़ से मज़े ले रहा था. उसकी हरकतों से ऐसा लग रहा था की जैसे बहुत एक्सपीरियेन्स्ड हो, मैने फिर पूछ ही लिया………
मे: तू कितने लंड चूस चुकी है?
आंशिका: क्यूँ?
मे: बता ना
आंशिका: यु नो एवेरितिंग अबौट मी , फिर क्यूँ पूछ रहे हो?
मे: नहीं, तू एकदम र्ररर……..
आंशिका: क्या? बोलो बोलो
मे: तू एक दम प्रोस्तीट्यूट की तरह चुस्ती है
आंशिका: थॅंक्स फॉर दे कॉंप्लिमेंट बात मैं प्रोस्तीट्यूट नहीं हूँ एंड यु आर द फर्स्ट पर्सन जिसका मैं चूस रही हूँ.
मे: फिर ये स्किल्स कहाँ से आए.
आंशिका: पॉर्न देख कर.
मे: कुतिया साली
आंशिका: तुम्हे अछा लग रहा है जो मैं कर रही हूँ?
मे: बहुत पूछ मत
आंशिका: तुम कितनी प्रोस्तीट्यूट से अपना चुस्वा चुके हो?
मे: किसी से भी नहीं
आंशिका: देन तुम्हे कैसे पता चला की प्रोस्तीट्यूट ऐसे चुस्ती हैं.
मे: तू चूस तो रही है मेरी प्रोस्तीट्यूट
आंशिका: अछा…….
वो फिर चुप हो गयी और मेरे लंड को चाटने लगी और उसके टोपे पर जीभ फैरने लगी. 5 – 10 मीं तक हू ऐसे ही करती रही.
मे: अंडर ले ना इसे मुँह के
आंशिका: नहीं तुम फिर जल्दी से आ जाओगे.
ये बोलती ही उसने मेरा लंड मुँह मैं भर लिया और उसको अपने लिप्स से जकड़ लिया, उसका ढेर सारा थूक मेरे लंड पर गिर गया जो की बड़ा अछा लग रहा था. मेरा पूरा लंड उसके थूक से सना हुआ था, वो जितना उसे सुखाती उतना ही थूक मेरे लंड पर लग जाता. थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला और साँस लेने लगी. मुझे देख कर हँसने लगी.....
मे: क्या हुआ कुतिया ? रुक क्यूँ गयी?
आंशिका : थक गयी हूँ.
मे: इतनी जल्दी, अभी तो मैं झड़ा भी नहीं
आंशिका : हाँ,, क्या हुआ तुम्हे अब झडे क्यूँ नहीं.
मे: बोला था तेर्को अब आसानी से नहीं झदुँगा .
आंशिका: मैं थक जाउंगी ऐसे
मे: कुतिया फिर अपने बूब्स चुस्वा और मेरा मूठ मार, फिर जल्दी झड़ जाऊंगा मैं
आंशिका: अछा सारे ट्रिक्स पता है तुम्हे तो झड़ने के, कितनी बार करवा चुके हो पहले?
मे: बकवास ना कर, मेरे पास आकर लेट जा
वो उठी और बेड पर मेरे साइड मैं आकर लेट गयी, मेरी नज़र उसकी चुचियों पर ही थी, जो की नाईटी मैं बड़ी मस्त लग रही थी. वो मेरी साइड मुँह करके लेट गयी और अपने राईट हेंड से मेरा लंड सहलाने लगी, मैने भी अपना लेफ्ट हेंड उसकी नाईटी के उपर राईट चुचि पर रख दिया और धीरे धीरे दबाने लगा. मैं आराम आराम से उसकी चुचि दबा रहा था और नाईटी के उपर से ही निपल को निचोड़ रहा था और उसका ध्यान पूरा मेरे लंड पर था. मैं थोडा सा उठा और नाईटी के उपर से ही उसकी चुचि को काट लिया, वो सिसक उठी और बोली…..
आंशिका: जंगली , नाइट मत फाड़ देना.
मे: तो चुचि बाहर क्यूँ नहीं निकल के देती मुझे
फिर उसने अपने राईट साइड के शोल्डर से अपनी नाईटी और ब्रा का स्ट्रॅप हटाया और राईट चुचि को मेरे लिए बाहर निकल कर बोली…
आंशिका: ये लो, प्लीज़ आराम से करना, मेरी चीख मत नीक्वलना हम घर मैं हैं.
मैने उसकी बात को उनसुना करते हुए उसकी चुक्की को चाटने लग गया पूरी और उसके निपल पर जीभ फिराने लगा और वो अभी तक मेरे लंड का मूठ मार रही थी. मैने उसके निपल को मुँह मैं भर कर ज़ोर से चूसने लगा और उसने आँखें बंद कर ली और चुप चाप लेट गयी . अब मैं उसके उपर आ गया था और मेरा लंड बाहर निकला हुआ था और उसकी एक चुचि नाइट से बाहर थी जिसका निपल मेरे मुँह मैं पिस रहा था बुरी तरह. वो आराम से लेटी लेटी मस्ती मैं आवाज़ें निकल रही थी धीरे से और मेरे सिर मैं हाथ फेर रही थी. मैने एकदम से उसके निपल को जोर से काटा और उसने अपनी चीख दबाते हुए मेरे सिर को अपने चुचि से अलग करने की कोशिश करने लगी पर मैने अपने दाँतों से उसके निपल को पकड़ा हुआ था और उसे काट रहा था. उसकी साँस एक दम से फूल गयी थी और उसकी छाती तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी.
आंशिका: तुम बहुत गंदे हो, बहुत तद्पाते हो मुझे
मे: म्*म्म्मममममम (निपल चूस्ते हुए)
आंशिका: आआहह, विशाल जान प्लीस मान जाओ ना ....मत काटो इतनी ज़ोर से उन्हे.
मैने दोनो हाथों से उसकी दोनो चुचियाँ दबाई और उसके लेफ्ट शोल्डर से भी उसकी नाईटी और ब्रा का स्ट्रॅप निकल कर उसकी दोनो चुचियों को नंगा कर दिया और उन दोनो को भीच कर अपना मुँह उनमे घुसेड दिया, ऐसा लग रहा था जैसे किसी गद्देदार तकिये मैं अपना मुँह दे रहा हूँ. मैने बारी बारी से उसके निपल्स के उपर थूका और फिर उन्हे चाटा अच्छी तरह और अपने लंड से उसकी चूत के उपर ज़ोर लगा रहा था नाईटी के उपर से ही पर जिसका कोई फ़ायदा नहीं हो रहा था. मैं फिर उपर होकर उसे किस करने लगा, उसके थूंक से भरे होंठ चूस्ता रहा जिस पर मेरे लंड का टेस्ट भी था, मैने अपने थूक उसके मुँह मैं और लिप्स पर अच्छी तरह लगा दिया था और चाट रहा था, लगातरा किस्सिंग, लिकिंग करने के वजह से हमारी साँस फूल गयी थी और हम 1 मिनट के लिए रुके….
आंशिका: विशाल तुम मुझे पहले क्यूँ नहीं मिले?
मे: अछा हुआ पहले नहीं मिला, तू पहले इतनी भूखी नहीं होगी.
आंशिका: नहीं, मैं हमेशा से ही ऐसी हूँ, जब से मुझे सेक्स की नालेज हुई मेरा तब से मन था ये सब करने का जो मैं आज तुमसे कर रही हूँ.
मे: तो चूत क्यूँ नहीं मरवाई किसी से अभी तक?
आंशिका: अब तुम मिल गये हो , तो सारे अधूरे सपने पूरे हो जाएँगे.
मे: हाँ , तेरी चूत के सपने.
आंशिका ये सब बाते करते हुए फिर से मेरे लंड को पकड़ कर मूठ मारने लगी
मे: जान, मैं झड़ने वाला हूँ अब दुबारा
आंशिका: मुझे पानी पीना है सारा.
मैं अपना लंड आंशिका के मुँह के पास ले आया और उसकी छाती के उपर बैठ गया. आंशिका पहले मेरे लंड के छेद को जीभ से चाटती रही देन उसके सूपदे को चाटा और फिर पूरा मुँह मैं ले लिया. वो बेड पर लेटे लेटे ही थोड़ी सी उठकर मेरे लंड पर मुँह चलाने लगी और मैं मज़े से उसकी चुचि को अपने नीचे महसूस कर रहा था और उसकी चुचि को अपने नीचे महसूस कर रहा था और उसका मुँह अपने लंड पर.
थोड़ी देर बाद मैं बुरी तरह आंशिका के मुँह मैं झड़ गया और उसने सारा पानी अपने मुँह मैं भर कर निगल लिया और मुझे मस्तानी आदाओं से देखने लगी.
मे: स्लट्स की तरह क्यूँ देख रही है?
आंशिका: क्यूँ मैं क्या तुम्हारी स्लट नहीं हूँ?
मे: कुतिया साली.
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