अगली सुबह मैं मौर्निंग वाक के बाद लौट रहा था तो सलीम चाचा से भेंट हो गई, मैं थोडा जल्दी में था पर उन्होंने मुझे आवाज दी और मेरे पास जाने के बोले, "गुड्डू, जब तुम लोग कल मेरे घर से लौट रहे थे तो मैंने गौर किया कि विभा की वो वाली पैन्टी दिख नहीं रही थी... तुम ध्यान दिए थे?" हालाँकि मैं उन्हें अभी बताना नहीं चाहता था, पर फ़िर सोचा कि अब उनके उनकी बेटी के कारनामे के बारे बता दिया जाए तो बेहतर है, वैसे भी वो बेहिचक मेरी बहन की पैन्टी की बात बोल ही रहे थे। मैंने जवाब दिया, "हाँ, देखा था.. और घर में घुसने पर मैंने सबसे पहला सवाल यही किया विभा से"। वो फ़ुर्ती से बोले, "अच्छा फ़िर...?"
मैंने अब थोडे धीमे से उनके पास आ कर कहा, "विभा बताई कि वो पैन्टी सायरा ने माँग ली है। असल में आप को पता नहीं है पर मेरा शक सही था, हमारे घर की लडकियाँ चालू हो चुकी हैं।" उनके चेहरे का रंग बदल गया। मैंने मजे लेते हुए कहा, "असल में सायरा और जमील साथ में कई बार कर चुके हैं, तो सायरा ने विभा से वह माँग लिया कि वो एकबार जमील को वह पहन कर दिखाना चाहती है... तो विभा ने कल ही उसको उतार कर दे दी।" सलीम चाचा के मुँह से सिर्फ़ एक "ओह..." निकला और वो परेशान दिख रहे थे तो मैंने आगे कहा, "आप गुस्सा नहीं कीजिएगा तो एक और बात बताना चाहुँगा...?" वो अब थोडा दुखी दिखते हुए बोले, "तो क्या अब नूर के बारे कहोगे?" मैंने उनका दर्द समझा, फ़िर तसल्ली देते हुए बोला, "नहीं-नहीं..., सायरा के बारे में ही..."। वो अब मुझे ऐसे देखे जैसे कह रहे हों - अब क्या बताना बाकी है?
मैंने अपनी बात में हल्का झूठ मिला कर कहा, "असल में सायरा ही यह सब विभा को बताई थी कुछ टाईम पहले कौलेज में, तो विभा ने यह बात पूछा ली उससे कि अब कैसा चल रहा है। तब सायरा ने कहा कि मौका ही नहीं मिल पाता है, अगर कभी घर खाली रहता है, तब जल्दी-जल्दी में कर लेते हैं... तो उसने विभा से हमारे घर आ कर कभी-कभार यह सब करने की इजाजत माँगी और विभा मान भी गई।" वो बेचारे अब बहुत दुखी दिखने लगे। वो सोच भी नहीं पा रहे थे कि अब वो क्या करें। किसी भी बाप के लिए यह एक झटका हो सकता है जब उसको यह पता चले कि उसकी बेटी बिना शादी किये किसी से चुदवा रही है।
वो सिर्फ़ इतना ही बोली, "पर विभा उसको समझाने के बजाए उसको इस काम के लिए इस तरह शह क्यों दे रही है? यह तो बडी बात है।" मैंने अब बात को उसकी बेटी की तरफ़ से अपनी बहन की तरफ़ तरफ़ घुमाया, "मुझे तो अब पक्का लग रहा है कि विभा भी चुदाती है, और इसीलिए इस काम के लिए वो हाँ बोली होगी। क्या पता कहीं वो भी जमील से चुदवाना चाहती हो..."। वो अब थोड़ा उत्तेजित हो कर बोले, "अरे तो फ़िर तुम अपनी बहन को समझाओ न...., उस पर सख्ती करो, वर्ना ऐसे तो वो बिगड जाएगी"। मैंने अब उनको समझाया, "देखिए, गुस्सा मत कीजिए। कल ही हम यह सब बात कर लिए थे कि घर की लडकियाँ क्या कर रही हैं यह कम से कम हमें पता तो हो। अब कम-से-कम हमें सायरा के बारे में पता है कि वो किसके साथ सेक्स करती है, कब सेक्स करेगी? अगर अब आप सख्त हो गए तो क्या कर सकते हैं,
सायरा की सील अब फ़िर से सही तो कर नहीं सकते। जवान लडकी है, फ़िर कुछ समय बाद करेगी ही.... सेक्स का आकर्षण है ही ऐसा... और अगली बार जब किसी से करेगी तो और ज्यादा छुपाएगी, तब???" वो अब सोच में पड गए तो मैंने कहा, "देखिए, अब आप यह सब चिन्ता छोड़िए और लाईन मारिए इन लडकियों पर... अगर एक बार पट गई तो जब-तब हम भी मजा कर पाएँगे।" वो अंत में धीरे से बोले, "पर गुड्डू... सायरा मेरी बेटी है...."। मैंने चट से कहा, "हाँ तो विभा भी तो मेरी बहन है...।
सायरा हो या विभा... वो सब अब जवान हो गई है और जवानी के नशा का चस्का उन्हें मिल चुका है तो अब तो वो रूकेंगीं नहीं... तो क्यों न हम भी उनकी जवानी का स्वाद चख लें। क्या फ़र्क पडता है... सोच के देखिए। सब हमारे घर की लड़कियों को चोद रहे हैं और हम हैं कि बेवकूफ़ की तरह सब जानने के बाद भी लडकी के लिए तरस रहे हैं। मेरा विचार तो है कि एक बार मैं एक रंडी घर पर ला कर चोदूँ और देखूँ कि विभा इसको कैसे लेती है"। सलीम चाचा मेरी बात चुप-चाप खड़े सुनते रहे और फ़िर बोले, "तुम्हारे लिए आसान है, तुम घर पर विभा के साथ अकेले रहते हो तो यह कर सकते हो, मेरे लिए घर सब के रहते रंडी चोदना भी मुश्किल है।" मैंने उनकी बात सुन कर उन्हें उत्साहित करते हुए कहा, "अरे तो मेरा घर है न खाली... वहीं मस्ती करेंगे। और इसी लिए तो सायरा भी विभा से मेरे घर पर कभी-कभार आने की बात की है।
आपसे समझदार तो सायरा है.... नये जमाने की लडकी है, अगर चाह लेगी तो कहीं न कहीं चुदवा हीं लेगी... इसीलिए अब हमें भी यह सब बकवास भूल कर लडकी चोदो मिशन पर लग जाना चाहिए"। सलीम चाचा अब भी हिचक रहे थे, पर बोले, "पता नहीं तुम ठीक बोल रहे हो या नहीं.... पर फ़िर भी"। मैंने अब उनको ढीला होते देखा तो असल बात कही, "देखिए आज सायरा कौलेज से सीधे मेरे घर जाएगी और फ़िर वहीं जमील भी आयेगा... विभा के इस छोटी सी हाँ से अब हमें यह पता रहेगा कि जमील कब सायरा को चोदने वाला है..."। वो अब बोले, "मैं जमील को ही किसी काम में फ़ँसा देता हूँ... उसको मौका हीं नहीं मिलेगा"। मैंने उनको कहा, "ऐसे आप कितने दिन रोक पाएँगे, और सोच कर देखिए... अगर जमील सायरा को घर पर ही चोदने लगा तो... नूर और सायरा का कमरा एक ही है तो कल को वो नूर को भी पटा लेगा, और आपको तब कुछ भी पता नहीं रहेगा कि जमील कब आपकी किस बेटी को चोद रहा है, क्योंकि दोनों ही इस बात को छुपाएगी। इससे अच्छा तो है कि जमील सायरा को मेरे घर पर चोदे, कम से कम नूर से दूर रहेगा।" सलीम अंकल अब चुप हो गए थे, तो मैंने उनसे विदा ली।
वो अब अंत में बोले, "बहुत अजीब लग रहा है यह सब सोच कर..."।
घर पर लौटने पर मैंने विभा से सब बात बताया और फ़िर बाथरूम में तैयार होने चला गया। दुकान के लिए निकलने के पहले लंच लेने किचेन में गया तो विभा को याद कराया, "आज पैन्टी जरूर ले लेना उससे..."। विभा बोली, "अब जाईए भी और आज दिन में फ़ोन करने और आने की जरुरत नहीं है, समझ गए न। उन दोनों को आराम से मजा करने दीजिए।" मैंने ने लालची की तरह बोला, "मेरे लिए भी बात कर लेना न, प्लीज..."। विभा आँख तरेरते हुए बोली, "बहुत बेवकूफ़ हैं आप भैया, पहले जरा उनको यहाँ दो-चार बार कर लेने दीजिए आराम से फ़िर यह सब सोचिएगा। उनको पहले इस घर की आदत तो पडे। मुझे भी तो टेस्ट बदलना है, पर मैं कहाँ आपकी तरह बेचैन हूँ। अभी दो-चार बार तो उन्हें अकेला छोड दीजिए, फ़िर देखुँगी कि ऊँट किसे करवट बैठता है"।
मैंने अब विभा के होठ पर एक प्यारा स चुम्मा लिया और घर से निकल गया। मुझे पता था कि विभा की क्लास १०:४० से २:०० तक है और फ़िर विभा और सायरा करीब २:३० तक घर आ जाएगी और फ़िर... मैं कल्पना में हीं अब सायरा को नंगा करने लगा..., क्या माल लग रही थी, कल्पना में भी साली...। अब तो शाम में ही विभा से कुछ बात पता चलनी थी। वैसे दिन में करीब ३ बजे मैंने विभा को फ़ोन किया तो पता चला दोनों अभी-अभी कमरे में हैं गए हैं, जमील को ही आने में थोडा समय लग गया।
घर आते-आते ९ बज गया और फ़िर करीब दस बजे जब हम खाना खाने बैठे तब आराम से बात शुरु करते हुए मैंने पूछा, "तब कैसा रहा दिन?" विभा मेरी बेचैनी का मजा लेते हुए बोली, "सब ठीक ही था क्यूँ... कुछ खास बात थी क्या?" मैंने अब उससे नजरें मिलाईं और आँखें दिखाई तो वो मुस्कुराते हुए बोली, "जैसा मैंने प्लान किया वैसा ही रहा... मैं इतनी कच्ची नहीं हूँ कि मेरा प्लान फ़ेल हो"। मैंने कहा, "हाँ, वो तो पता है... पर अब जरा बताओ भी ना प्लीज... क्या हुआ, कैसे हुआ??" वो अब मेरी थाली में एक और रोटी डालते हुए कहा, "ठीक है... पर आज करवाऊँगी नहीं भैया, आज पेट में हल्का दर्द हो रहा है, कल पीरियड्स का डेट है।" मैंने उसकी बात मान ली तो वो बताने लगी।
(10-04-2017, 08:48 AM)rajbr1981 : अगली सुबह मैं मौर्निंग वाक के बाद लौट रहा था तो सलीम चाचा से भेंट हो गई, मैं थोडा जल्दी में था पर उन्होंने मुझे आवाज दी और मेरे पास जाने के बोले, "गुड्डू, जब तुम लोग कल मेरे घर से लौट रहे थे तो मैंने गौर किया कि विभा की वो वाली पैन्टी दिख नहीं रही थी... तुम ध्यान दिए थे?" हालाँकि मैं उन्हें अभी बताना नहीं चाहता था, पर फ़िर सोचा कि अब उनके उनकी बेटी के कारनामे के बारे बता दिया जाए तो बेहतर है, वैसे भी वो बेहिचक मेरी बहन की पैन्टी की बात बोल ही रहे थे। मैंने जवाब दिया, "हाँ, देखा था.. और घर में घुसने पर मैंने सबसे पहला सवाल यही किया विभा से"। वो फ़ुर्ती से बोले, "अच्छा फ़िर...?"
मैंने अब थोडे धीमे से उनके पास आ कर कहा, "विभा बताई कि वो पैन्टी सायरा ने माँग ली है। असल में आप को पता नहीं है पर मेरा शक सही था, हमारे घर की लडकियाँ चालू हो चुकी हैं।" उनके चेहरे का रंग बदल गया। मैंने मजे लेते हुए कहा, "असल में सायरा और जमील साथ में कई बार कर चुके हैं, तो सायरा ने विभा से वह माँग लिया कि वो एकबार जमील को वह पहन कर दिखाना चाहती है... तो विभा ने कल ही उसको उतार कर दे दी।" सलीम चाचा के मुँह से सिर्फ़ एक "ओह..." निकला और वो परेशान दिख रहे थे तो मैंने आगे कहा, "आप गुस्सा नहीं कीजिएगा तो एक और बात बताना चाहुँगा...?" वो अब थोडा दुखी दिखते हुए बोले, "तो क्या अब नूर के बारे कहोगे?" मैंने उनका दर्द समझा, फ़िर तसल्ली देते हुए बोला, "नहीं-नहीं..., सायरा के बारे में ही..."। वो अब मुझे ऐसे देखे जैसे कह रहे हों - अब क्या बताना बाकी है?
मैंने अपनी बात में हल्का झूठ मिला कर कहा, "असल में सायरा ही यह सब विभा को बताई थी कुछ टाईम पहले कौलेज में, तो विभा ने यह बात पूछा ली उससे कि अब कैसा चल रहा है। तब सायरा ने कहा कि मौका ही नहीं मिल पाता है, अगर कभी घर खाली रहता है, तब जल्दी-जल्दी में कर लेते हैं... तो उसने विभा से हमारे घर आ कर कभी-कभार यह सब करने की इजाजत माँगी और विभा मान भी गई।" वो बेचारे अब बहुत दुखी दिखने लगे। वो सोच भी नहीं पा रहे थे कि अब वो क्या करें। किसी भी बाप के लिए यह एक झटका हो सकता है जब उसको यह पता चले कि उसकी बेटी बिना शादी किये किसी से चुदवा रही है।
वो सिर्फ़ इतना ही बोली, "पर विभा उसको समझाने के बजाए उसको इस काम के लिए इस तरह शह क्यों दे रही है? यह तो बडी बात है।" मैंने अब बात को उसकी बेटी की तरफ़ से अपनी बहन की तरफ़ तरफ़ घुमाया, "मुझे तो अब पक्का लग रहा है कि विभा भी चुदाती है, और इसीलिए इस काम के लिए वो हाँ बोली होगी। क्या पता कहीं वो भी जमील से चुदवाना चाहती हो..."। वो अब थोड़ा उत्तेजित हो कर बोले, "अरे तो फ़िर तुम अपनी बहन को समझाओ न...., उस पर सख्ती करो, वर्ना ऐसे तो वो बिगड जाएगी"। मैंने अब उनको समझाया, "देखिए, गुस्सा मत कीजिए। कल ही हम यह सब बात कर लिए थे कि घर की लडकियाँ क्या कर रही हैं यह कम से कम हमें पता तो हो। अब कम-से-कम हमें सायरा के बारे में पता है कि वो किसके साथ सेक्स करती है, कब सेक्स करेगी? अगर अब आप सख्त हो गए तो क्या कर सकते हैं,
सायरा की सील अब फ़िर से सही तो कर नहीं सकते। जवान लडकी है, फ़िर कुछ समय बाद करेगी ही.... सेक्स का आकर्षण है ही ऐसा... और अगली बार जब किसी से करेगी तो और ज्यादा छुपाएगी, तब???" वो अब सोच में पड गए तो मैंने कहा, "देखिए, अब आप यह सब चिन्ता छोड़िए और लाईन मारिए इन लडकियों पर... अगर एक बार पट गई तो जब-तब हम भी मजा कर पाएँगे।" वो अंत में धीरे से बोले, "पर गुड्डू... सायरा मेरी बेटी है...."। मैंने चट से कहा, "हाँ तो विभा भी तो मेरी बहन है...।
सायरा हो या विभा... वो सब अब जवान हो गई है और जवानी के नशा का चस्का उन्हें मिल चुका है तो अब तो वो रूकेंगीं नहीं... तो क्यों न हम भी उनकी जवानी का स्वाद चख लें। क्या फ़र्क पडता है... सोच के देखिए। सब हमारे घर की लड़कियों को चोद रहे हैं और हम हैं कि बेवकूफ़ की तरह सब जानने के बाद भी लडकी के लिए तरस रहे हैं। मेरा विचार तो है कि एक बार मैं एक रंडी घर पर ला कर चोदूँ और देखूँ कि विभा इसको कैसे लेती है"। सलीम चाचा मेरी बात चुप-चाप खड़े सुनते रहे और फ़िर बोले, "तुम्हारे लिए आसान है, तुम घर पर विभा के साथ अकेले रहते हो तो यह कर सकते हो, मेरे लिए घर सब के रहते रंडी चोदना भी मुश्किल है।" मैंने उनकी बात सुन कर उन्हें उत्साहित करते हुए कहा, "अरे तो मेरा घर है न खाली... वहीं मस्ती करेंगे। और इसी लिए तो सायरा भी विभा से मेरे घर पर कभी-कभार आने की बात की है।
आपसे समझदार तो सायरा है.... नये जमाने की लडकी है, अगर चाह लेगी तो कहीं न कहीं चुदवा हीं लेगी... इसीलिए अब हमें भी यह सब बकवास भूल कर लडकी चोदो मिशन पर लग जाना चाहिए"। सलीम चाचा अब भी हिचक रहे थे, पर बोले, "पता नहीं तुम ठीक बोल रहे हो या नहीं.... पर फ़िर भी"। मैंने अब उनको ढीला होते देखा तो असल बात कही, "देखिए आज सायरा कौलेज से सीधे मेरे घर जाएगी और फ़िर वहीं जमील भी आयेगा... विभा के इस छोटी सी हाँ से अब हमें यह पता रहेगा कि जमील कब सायरा को चोदने वाला है..."। वो अब बोले, "मैं जमील को ही किसी काम में फ़ँसा देता हूँ... उसको मौका हीं नहीं मिलेगा"। मैंने उनको कहा, "ऐसे आप कितने दिन रोक पाएँगे, और सोच कर देखिए... अगर जमील सायरा को घर पर ही चोदने लगा तो... नूर और सायरा का कमरा एक ही है तो कल को वो नूर को भी पटा लेगा, और आपको तब कुछ भी पता नहीं रहेगा कि जमील कब आपकी किस बेटी को चोद रहा है, क्योंकि दोनों ही इस बात को छुपाएगी। इससे अच्छा तो है कि जमील सायरा को मेरे घर पर चोदे, कम से कम नूर से दूर रहेगा।" सलीम अंकल अब चुप हो गए थे, तो मैंने उनसे विदा ली।
वो अब अंत में बोले, "बहुत अजीब लग रहा है यह सब सोच कर..."।
घर पर लौटने पर मैंने विभा से सब बात बताया और फ़िर बाथरूम में तैयार होने चला गया। दुकान के लिए निकलने के पहले लंच लेने किचेन में गया तो विभा को याद कराया, "आज पैन्टी जरूर ले लेना उससे..."। विभा बोली, "अब जाईए भी और आज दिन में फ़ोन करने और आने की जरुरत नहीं है, समझ गए न। उन दोनों को आराम से मजा करने दीजिए।" मैंने ने लालची की तरह बोला, "मेरे लिए भी बात कर लेना न, प्लीज..."। विभा आँख तरेरते हुए बोली, "बहुत बेवकूफ़ हैं आप भैया, पहले जरा उनको यहाँ दो-चार बार कर लेने दीजिए आराम से फ़िर यह सब सोचिएगा। उनको पहले इस घर की आदत तो पडे। मुझे भी तो टेस्ट बदलना है, पर मैं कहाँ आपकी तरह बेचैन हूँ। अभी दो-चार बार तो उन्हें अकेला छोड दीजिए, फ़िर देखुँगी कि ऊँट किसे करवट बैठता है"।
मैंने अब विभा के होठ पर एक प्यारा स चुम्मा लिया और घर से निकल गया। मुझे पता था कि विभा की क्लास १०:४० से २:०० तक है और फ़िर विभा और सायरा करीब २:३० तक घर आ जाएगी और फ़िर... मैं कल्पना में हीं अब सायरा को नंगा करने लगा..., क्या माल लग रही थी, कल्पना में भी साली...। अब तो शाम में ही विभा से कुछ बात पता चलनी थी। वैसे दिन में करीब ३ बजे मैंने विभा को फ़ोन किया तो पता चला दोनों अभी-अभी कमरे में हैं गए हैं, जमील को ही आने में थोडा समय लग गया।
घर आते-आते ९ बज गया और फ़िर करीब दस बजे जब हम खाना खाने बैठे तब आराम से बात शुरु करते हुए मैंने पूछा, "तब कैसा रहा दिन?" विभा मेरी बेचैनी का मजा लेते हुए बोली, "सब ठीक ही था क्यूँ... कुछ खास बात थी क्या?" मैंने अब उससे नजरें मिलाईं और आँखें दिखाई तो वो मुस्कुराते हुए बोली, "जैसा मैंने प्लान किया वैसा ही रहा... मैं इतनी कच्ची नहीं हूँ कि मेरा प्लान फ़ेल हो"। मैंने कहा, "हाँ, वो तो पता है... पर अब जरा बताओ भी ना प्लीज... क्या हुआ, कैसे हुआ??" वो अब मेरी थाली में एक और रोटी डालते हुए कहा, "ठीक है... पर आज करवाऊँगी नहीं भैया, आज पेट में हल्का दर्द हो रहा है, कल पीरियड्स का डेट है।" मैंने उसकी बात मान ली तो वो बताने लगी।
विभा: हम तो २:४० तक घर आ गए पर, जमील को आने में ३ बज गया। उसने मुझे पहले थैंक्स बोला तो मैंने ही कहा कि पहले तुम लो वो काम निपटा लो जिसके लिए आए हो, फ़िर बार करेंगे और दोनों मेरे कमरे की तरफ़ जाने लगे तो मैंने उनको आपके रूम में जाने का इशारा किया तो सायरा थोडा हिचकी, वो जनती है कि वो कमरा आपका है, तो मैंने बात संभाली कि उसमें ए०सी० है तो तुमलोग को अच्छा रहेगा, ज्यादा पसीना नहीं निकलेगा। मैं भी अगर घर पर करती हूँ तो उसी कमरे में। मेरी बात सुन कर वो अपके रूम में चले गए। फ़िर मैं ऐसे ही टाईम पास करने के टीवी चला कर देखने लगी।
मैंने विभा को टोका, "तुम नहीं देखी क्या उन दोनों को?"
विभा बोली, "वो तो मैंने पहले ही तय कर लिया था कि उन दोनों को पूरी प्राईवेसी दुँगी, सो मैंने बिल्कुल कोशिश भी नहीं की"।
मैं अब थोड़ा शान्त होते हुए पूछा, "कितनी देर में बाहर आए दोनों...?" विभा फ़िर आगे बताने लगी।
विभा: करीब एक घन्टे तो जरूर रहे भीतर। पहले जमील ही बाहर आया और फ़िर से मुझे थैंक्स कहने लगा। उसके चेहरे से तो एहसान टपक रहा था। उसने बताया कि सायरा बाथरूम गई थी, अपना धोने...। फ़िर सोफ़े पर बैठते हुए फ़िर से थैंक्यू बोला।
मैंने भी कह दिया कि इसमें इतना थैंक्स करने की कोई बात थोडे न है, यह तो बस एक छोटी से मदद है और प्यार करने वालों को मदद हैं तो करना ही चाहिए। वो अब मेरे एहसान तले दबा जा रहा था। तभी सायरा भी आ गई।
सायरा: दीदी, आपकी पैन्टी मैं कल दे दुँगी... बहुत गंदा हो गया है।
विभा: अरे दे दो न ऐसे ही... मैं धो लूँगी।
सायरा: अब आपको कैसे बताऊँ... भाईजान आप बता दीजिए, सब आपका किया धरा है।
जमील: जी, वो चीज ऐसी थी कि मैंने उसको उतारने हीं नहीं दिया सायरा को और उसको पहनते हुए ही सब किया।
प्लीज.... बूरा मत मानिएगा।
सायरा: दीदी... मैंने लाख कहा कि इसको उतार दो, दीदी को वापस करना, पर इसको तो वो एटम-बम दिख रहा था।
विभा: मतलब वो तुम दोनों के रस से गीला हो गया है....?
जमील: नहीं-नहीं... मैंने अपना सायरा के भीतर नहीं निकाला। सायरा अपने भीतर नहीं निकालने देती।
विभा: अच्छा सायरा.... फ़िर क्या परेशानी है जब मर्दाना रस नहीं लगा है उसमें। दे दो... मैं धो लूँगी। वैसे जमील भैया, आप निकाले कहाँ फ़िर....? पेट पर?
(सायरा शर्मा गई....)
जमील: अब आपसे क्या पर्दा.... असल में सायरा अपने मुँह में लेती है। उसको स्वाद पसन्द है।
(सायरा शर्मा कर अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा ली)
विभा: अरे तो इसमें शर्माने वाली क्या बात है? यह तो अच्छा है। लड़के तो खुश होते हैं जब लड़की उनका मुँह में लेकर निगलती है यह। फ़िर जिस लडके के साथ हम करते हैं उसको तो खुश करना ही चाहिए...। लाओ दे दो अब...।
सायरा: मैं बाथरूम में जा कर टाँग देती हूँ।
विभा: अरे कहीं जाने की क्या जरूरत है, यहीं दो न.... मैं भी तो एक बार देखूँ कि तुम्हारी कैसी लगती है इस पैन्टी में। वैसे भी कभी दूसरी लडकी को देखी नहीं ऐसे पैन्टी में।
(सायरा जमील की तरफ़ देख कर हिचकिचाई)
जमील: दिखा दो न जब विभा इतना कह रही है। मेरे से शर्माने की कोई जरुरत नहीं है और फ़िर विभा से तुम्हें शर्म आ रही तो बात अलग है।
विभा: मुझसे शर्म..... अगले दिन से दरवाजे से भगा दूँगी, याद रखना। अब तुम मुझे यहीं पर दिखाओगी अपनी चूत मुझे वर्ना मैं अगली बार तुम्हें अपने घर आने नहीं दुँगी।
सायरा: बाप रे दीदी... यह तो हम दोनों पर बहुत बड़ा जुल्म होगा। ठीक है यहीं पर देती हूँ।
भाईजान.... आप जरा चेहरा दूसरी तरफ़ करेंगे?
मैंने फ़िर टोका कि वो पहनी क्या थी? और तब विभा ने बताया कि सायरा एक नीले फ़ूलों के छोटे-छोटे प्रिन्ट वाली सलवार-सूट पहने थी, जैसे वो कौलेज जाते हुए पहनती थी। फ़िर वो आगे बताने लगी।
जमील: तुम विभा के साथ भीतर कमरे में चली जाओ न... अगर ऐसी बात है तो।
विभा: क्या बात कर रही हो सायरा, जमील भाई से अभी तक शर्मा रहा हो तब तो मेरा सब इंतजाम बेकार हो गया। अगर मेरे घर पर आ कर भी शर्माना ही था तो अपने घर पर ही छुपते-छुपाते चुदाई करते रहती जैसा आज तक की थी। मेरे घर तो बेफ़िक्र और बिंदास रहो... और खुब खुल कर सेक्स करो।
(12-04-2017, 10:55 PM)rajbr1981 : विभा: हम तो २:४० तक घर आ गए पर, जमील को आने में ३ बज गया। उसने मुझे पहले थैंक्स बोला तो मैंने ही कहा कि पहले तुम लो वो काम निपटा लो जिसके लिए आए हो, फ़िर बार करेंगे और दोनों मेरे कमरे की तरफ़ जाने लगे तो मैंने उनको आपके रूम में जाने का इशारा किया तो सायरा थोडा हिचकी, वो जनती है कि वो कमरा आपका है, तो मैंने बात संभाली कि उसमें ए०सी० है तो तुमलोग को अच्छा रहेगा, ज्यादा पसीना नहीं निकलेगा। मैं भी अगर घर पर करती हूँ तो उसी कमरे में। मेरी बात सुन कर वो अपके रूम में चले गए। फ़िर मैं ऐसे ही टाईम पास करने के टीवी चला कर देखने लगी।
मैंने विभा को टोका, "तुम नहीं देखी क्या उन दोनों को?"
विभा बोली, "वो तो मैंने पहले ही तय कर लिया था कि उन दोनों को पूरी प्राईवेसी दुँगी, सो मैंने बिल्कुल कोशिश भी नहीं की"।
मैं अब थोड़ा शान्त होते हुए पूछा, "कितनी देर में बाहर आए दोनों...?" विभा फ़िर आगे बताने लगी।
विभा: करीब एक घन्टे तो जरूर रहे भीतर। पहले जमील ही बाहर आया और फ़िर से मुझे थैंक्स कहने लगा। उसके चेहरे से तो एहसान टपक रहा था। उसने बताया कि सायरा बाथरूम गई थी, अपना धोने...। फ़िर सोफ़े पर बैठते हुए फ़िर से थैंक्यू बोला।
मैंने भी कह दिया कि इसमें इतना थैंक्स करने की कोई बात थोडे न है, यह तो बस एक छोटी से मदद है और प्यार करने वालों को मदद हैं तो करना ही चाहिए। वो अब मेरे एहसान तले दबा जा रहा था। तभी सायरा भी आ गई।
सायरा: दीदी, आपकी पैन्टी मैं कल दे दुँगी... बहुत गंदा हो गया है।
विभा: अरे दे दो न ऐसे ही... मैं धो लूँगी।
सायरा: अब आपको कैसे बताऊँ... भाईजान आप बता दीजिए, सब आपका किया धरा है।
जमील: जी, वो चीज ऐसी थी कि मैंने उसको उतारने हीं नहीं दिया सायरा को और उसको पहनते हुए ही सब किया।
प्लीज.... बूरा मत मानिएगा।
सायरा: दीदी... मैंने लाख कहा कि इसको उतार दो, दीदी को वापस करना, पर इसको तो वो एटम-बम दिख रहा था।
विभा: मतलब वो तुम दोनों के रस से गीला हो गया है....?
जमील: नहीं-नहीं... मैंने अपना सायरा के भीतर नहीं निकाला। सायरा अपने भीतर नहीं निकालने देती।
विभा: अच्छा सायरा.... फ़िर क्या परेशानी है जब मर्दाना रस नहीं लगा है उसमें। दे दो... मैं धो लूँगी। वैसे जमील भैया, आप निकाले कहाँ फ़िर....? पेट पर?
(सायरा शर्मा गई....)
जमील: अब आपसे क्या पर्दा.... असल में सायरा अपने मुँह में लेती है। उसको स्वाद पसन्द है।
(सायरा शर्मा कर अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा ली)
विभा: अरे तो इसमें शर्माने वाली क्या बात है? यह तो अच्छा है। लड़के तो खुश होते हैं जब लड़की उनका मुँह में लेकर निगलती है यह। फ़िर जिस लडके के साथ हम करते हैं उसको तो खुश करना ही चाहिए...। लाओ दे दो अब...।
सायरा: मैं बाथरूम में जा कर टाँग देती हूँ।
विभा: अरे कहीं जाने की क्या जरूरत है, यहीं दो न.... मैं भी तो एक बार देखूँ कि तुम्हारी कैसी लगती है इस पैन्टी में। वैसे भी कभी दूसरी लडकी को देखी नहीं ऐसे पैन्टी में।
(सायरा जमील की तरफ़ देख कर हिचकिचाई)
जमील: दिखा दो न जब विभा इतना कह रही है। मेरे से शर्माने की कोई जरुरत नहीं है और फ़िर विभा से तुम्हें शर्म आ रही तो बात अलग है।
विभा: मुझसे शर्म..... अगले दिन से दरवाजे से भगा दूँगी, याद रखना। अब तुम मुझे यहीं पर दिखाओगी अपनी चूत मुझे वर्ना मैं अगली बार तुम्हें अपने घर आने नहीं दुँगी।
सायरा: बाप रे दीदी... यह तो हम दोनों पर बहुत बड़ा जुल्म होगा। ठीक है यहीं पर देती हूँ।
भाईजान.... आप जरा चेहरा दूसरी तरफ़ करेंगे?
मैंने फ़िर टोका कि वो पहनी क्या थी? और तब विभा ने बताया कि सायरा एक नीले फ़ूलों के छोटे-छोटे प्रिन्ट वाली सलवार-सूट पहने थी, जैसे वो कौलेज जाते हुए पहनती थी। फ़िर वो आगे बताने लगी।
जमील: तुम विभा के साथ भीतर कमरे में चली जाओ न... अगर ऐसी बात है तो।
विभा: क्या बात कर रही हो सायरा, जमील भाई से अभी तक शर्मा रहा हो तब तो मेरा सब इंतजाम बेकार हो गया। अगर मेरे घर पर आ कर भी शर्माना ही था तो अपने घर पर ही छुपते-छुपाते चुदाई करते रहती जैसा आज तक की थी। मेरे घर तो बेफ़िक्र और बिंदास रहो... और खुब खुल कर सेक्स करो।
जमील: सही तो कह रही हैं विभा, तुम दिखा दो न दो मिनट में अब साढे चार बज रहा है, फ़िर हम घर भी तो जाएँगे। मैंने घर पर कह दिया है कि मुझे विभा ने कुछ सामान लाने को कहा है और मैं बाजार से लौटते हुए उनके घर से होते हुए आऊँगा।
तब चाची ने कहा है कि सायरा भी कौलेज से वहीं जाएगी। तो हम साथ-साथ चल सकते हैं।
(सायरा अब असमंजस में थी कि क्या करे)
विभा: हाँ सायरा, अब दिखा दो न। लडकी तो कुँवारापान खोने के बाद ही बेशर्म बनती है, तो अब क्यों शर्मा रही हो और किससे शर्मा रही हो, मुझ से या जमील भाई से? इसके बाद सायरा खड़ी हो कर अपना सलवार खोल दी और फ़िर अपने कुर्ते को ऊपर उठा कर अपनी चूत दिखाई। बहुत गोरी है, मेरे से भी ज्यादा गोरी और खास बात यह है कि मेरी वाली की होठ तो साँवली है, पर उसकी होठ भी गुलाबी ही दिखती है। ताजा-ताजा चुदी थी तो शायद इसलिए कुछ ज्यादा ही गुलाबी दिख रही हो। बाल वो बिल्कुल जैसा मैं बनाई थी वैसा ही बनाई थी। कुल मिला कर बहुत सुन्दर थी, आपको पसन्द आएगी। इसके बाद मैंने सब के लिए चाय बनाई, हम साथ में चाय पिए और फ़िर वो चले गए। मैंने उनसे कह दिया है कि अब फ़िर जब दोनों का मन हो वो मुझे बता दें तो फ़िर ऐसे ही इंतजाम हो जाएगा।
हमारा खाना कब का खत्म हो गया था और अब टेबूल से ऊठते हुए मैंने कहा, "सुन्दर है तो क्या हुआ, तुम मेरी सेटिंग करवा दोगी तब न"। फ़िर मैं अपने कमरे में उस बिस्तर पर सोने चला गया जिस पर वो सायरा कुछ घन्टे पहले जमील से चुदी थी। थोडी देर में विभा भी कमरे में सोने आ गई और वो आज एक पुरानी पैन्टी पहने हुए थी जिसकी भीतर पक्का सैनिटरी नैपकिन था। वैसे कमर के ऊपर वो नंगी थी, जैसा हमारा रोज का नंगे ही सोने का नियम था। मुझे पता था कि पीरियड्स के पहले विभा को थोड़ी परेशानी होती है सो मैंने अब उसको परेशान नहीं किया। विभा अपने साथ वो पैन्टी लाई थी.. बोली, "लीजिए भैया, इसमें सायरा की चूत के रस का गंध है खूब तीखा और कसैला। आपको मजा आएगा..., कहिए तो हाथ से हिला कर निकाल देती हूँ, आप तब तक इसको सुँघते रहिए। मैं आज थोडा थक गया था तो कहा, "रहने दो कल सलीम को उसकी बेटी की चूत के गंध के साथ यह पैन्टी दे दूँगा, उसको बहुत मन है कि वो यह पैन्टी देखे।" फ़िर हम करवट बदल कर सो गए। अगले दिन दुकान जाने के पहले मैं सलीम चाचा के घर गया और फ़िर उनको एक तरफ़ ले जा कर उनके हाथ में पैन्टी रख दी और कहा, "लीजिए, देख लीजिए। यही पहन कर सायरा गई थी मेरे घर। जमील के साथ पूरे घन्टे भर कमरे के भीतर थी"।
वो हकलाते हुए पूछे, "कुछ हुआ तो नहीं?" मैं उनकी घबडाहट समझ रहा था और खुश हो रहा था, "अजीब बात कर रहे हैं आप... आपको पता है कि सायरा कल क्यों मेरे घर गई थी और वो वहाँ एक बन्द कमरे में जमील के साथ इस टाईप की पैन्टी पहन कर थी और आपको लगता है कि कुछ हुआ ही नहीं होगा। अगर मेरे सामने सायरा जैसी सुन्दर लडकी ऐसे सेक्सी चीज पहन कर आ जाए तो मैं उसको कम-से-कम तीन पानी चोदुँगा। आपको अगर लगता है कि जमील उसको एक बार भी नहीं चोदा होगा तो आप बेवकूफ़ नम्बर १ हैं। शाम को आइए मेरे घर पर...., तभी इसको लेते आइएगा....। इस पैन्टी से अभी तक सायरा की चूत की बहुत तेज गन्ध आ रही है, लगता है जमील सायरा को बिना पैन्टी खोले चोदा है, तभी उसकी चूत से निकल रहा पानी इस तरह से पैन्टी में लिस्र के लगा है कि अभी तक इतनी तेज गंध आ रही है। ऐसा लगता है कि सायरा की चूत से भी खुब पानी बहा है।
आप धोए बिना ही मुझे दीजिएगा, अभी मैंने इस पैन्टी के साथ मूठ नहीं निकाली है, कम-से-कम एक मूठ सायरा की चूत के नाम तो जरुर निकालना चाहिए। आप भी मूठ मार लीजिएगा मेरी विभा की चूत के बारे में सोच कर"। मैंने अब साफ़-साफ़ शब्दों में खुल कर उनको न्योता दे दिया था। मैं तब अपने दुकान निकल गया और सलीम चाचा अपने हाथ में रखे पैन्टी को घूर रहे थे जो उनकी बेटी की चूत की रस से लिथडा हुआ था। मैंने जाते-जाते कनखियों से देखा, मेरे हटने के बाद वो उस पैन्टी को अपने नाक से सटा लिए थे। उनकी नाक अब उनकी अपनी बेटी के चूत का गंध का मजा ले रही थी।
शाम को वो मेरे घर नहीं आए और मैंने भी उनको नहीं खोजा और उनके अपनी बेटी के चूत से निकल रस में सनी पैन्टी के साथ रहने दिया। इधर विभा के भी पीरियड्स शुरु थे तो मैं भी अब काम में ही बीजी हो गया। सप्ताह बीत गया, और फ़िर शनिवार की सुबाह विभा बताई कि अब सब ठीक है और मैं चाहूँ तो वो अब उसको चोद सकता हूँ। मैं दुकान के लिए निकल गया। पर उस दिन दुकान के काम से बैंक में जाने पर मुझे मेरा एक स्कूल के जमाने का दोस्त बबलू मिल गया। उसके साथ दो लडकियाँ भी थी।
बबलू पढ़ने से ज्यादा इधर-उधर के चक्कर में रहता था और इस फ़ेर में रहता था कि कैसे तेजी से पैसा बनाया जाए। इसी चक्कर में वो कई बार थोडा रिस्की काम भी कर लेता था। उससे मेरी बहुत मुलाकात नहीं होती थी पर जब भी मिले तो दुआ-सलाम और हाल-चाल पूछने का रिश्ता तो था ही। बबलू के साथ दो लड़कियाँ भी थी। बात करते हुए हम बैंक से बाहर आ गए और फ़िर बातों ही बातों में बबलू ने मुझसे मेरी शादी के बारे में पूछा और जब मैंने उसको बताया कि अभी शादी नहीं हुई है तो बोला, "अरे तो फ़िर ले जाओ इन में से किसी को मजे करके भेज देना शाम तक"। बबलू ने मुझे बताया कि वो अब लडकियों की दलाली का काम कर रहा है और नेपाल तथा आस-पास के गाँव से लडकियों को लाता है। दो महिने उनको रखता था और फ़िर उन्हें घर भेज देता था।
फ़िर वो ही लडकियाँ उसके लिए नई लडकियाँ लाती थी और तब उनको भी कमीशन देता था। वो दोनों लडकियाँ भी वो पास के ही एक गाँव से लाया था और उनमें से एक उसके लिए पहले भी काम कर चूकी थी पर दूसरी आज ही आई थी। उसी तो ठहराने के लिए उसके खर्चे-पानी के लिए पैसा देने के लिये वो बैंक पैसा निकालने आया था। वो बताया कि अभी उसके पास ७ लड़कियाँ थी, पर सब अलग-अलग होटलों में बुक थी। मैं थो कई दिन से कोई रंडी घर पर ले जाने के बारे में सोच रहा था।
(16-04-2017, 12:50 AM)rajbr1981 : जमील: सही तो कह रही हैं विभा, तुम दिखा दो न दो मिनट में अब साढे चार बज रहा है, फ़िर हम घर भी तो जाएँगे। मैंने घर पर कह दिया है कि मुझे विभा ने कुछ सामान लाने को कहा है और मैं बाजार से लौटते हुए उनके घर से होते हुए आऊँगा।
तब चाची ने कहा है कि सायरा भी कौलेज से वहीं जाएगी। तो हम साथ-साथ चल सकते हैं।
(सायरा अब असमंजस में थी कि क्या करे)
विभा: हाँ सायरा, अब दिखा दो न। लडकी तो कुँवारापान खोने के बाद ही बेशर्म बनती है, तो अब क्यों शर्मा रही हो और किससे शर्मा रही हो, मुझ से या जमील भाई से? इसके बाद सायरा खड़ी हो कर अपना सलवार खोल दी और फ़िर अपने कुर्ते को ऊपर उठा कर अपनी चूत दिखाई। बहुत गोरी है, मेरे से भी ज्यादा गोरी और खास बात यह है कि मेरी वाली की होठ तो साँवली है, पर उसकी होठ भी गुलाबी ही दिखती है। ताजा-ताजा चुदी थी तो शायद इसलिए कुछ ज्यादा ही गुलाबी दिख रही हो। बाल वो बिल्कुल जैसा मैं बनाई थी वैसा ही बनाई थी। कुल मिला कर बहुत सुन्दर थी, आपको पसन्द आएगी। इसके बाद मैंने सब के लिए चाय बनाई, हम साथ में चाय पिए और फ़िर वो चले गए। मैंने उनसे कह दिया है कि अब फ़िर जब दोनों का मन हो वो मुझे बता दें तो फ़िर ऐसे ही इंतजाम हो जाएगा।
हमारा खाना कब का खत्म हो गया था और अब टेबूल से ऊठते हुए मैंने कहा, "सुन्दर है तो क्या हुआ, तुम मेरी सेटिंग करवा दोगी तब न"। फ़िर मैं अपने कमरे में उस बिस्तर पर सोने चला गया जिस पर वो सायरा कुछ घन्टे पहले जमील से चुदी थी। थोडी देर में विभा भी कमरे में सोने आ गई और वो आज एक पुरानी पैन्टी पहने हुए थी जिसकी भीतर पक्का सैनिटरी नैपकिन था। वैसे कमर के ऊपर वो नंगी थी, जैसा हमारा रोज का नंगे ही सोने का नियम था। मुझे पता था कि पीरियड्स के पहले विभा को थोड़ी परेशानी होती है सो मैंने अब उसको परेशान नहीं किया। विभा अपने साथ वो पैन्टी लाई थी.. बोली, "लीजिए भैया, इसमें सायरा की चूत के रस का गंध है खूब तीखा और कसैला। आपको मजा आएगा..., कहिए तो हाथ से हिला कर निकाल देती हूँ, आप तब तक इसको सुँघते रहिए। मैं आज थोडा थक गया था तो कहा, "रहने दो कल सलीम को उसकी बेटी की चूत के गंध के साथ यह पैन्टी दे दूँगा, उसको बहुत मन है कि वो यह पैन्टी देखे।" फ़िर हम करवट बदल कर सो गए। अगले दिन दुकान जाने के पहले मैं सलीम चाचा के घर गया और फ़िर उनको एक तरफ़ ले जा कर उनके हाथ में पैन्टी रख दी और कहा, "लीजिए, देख लीजिए। यही पहन कर सायरा गई थी मेरे घर। जमील के साथ पूरे घन्टे भर कमरे के भीतर थी"।
वो हकलाते हुए पूछे, "कुछ हुआ तो नहीं?" मैं उनकी घबडाहट समझ रहा था और खुश हो रहा था, "अजीब बात कर रहे हैं आप... आपको पता है कि सायरा कल क्यों मेरे घर गई थी और वो वहाँ एक बन्द कमरे में जमील के साथ इस टाईप की पैन्टी पहन कर थी और आपको लगता है कि कुछ हुआ ही नहीं होगा। अगर मेरे सामने सायरा जैसी सुन्दर लडकी ऐसे सेक्सी चीज पहन कर आ जाए तो मैं उसको कम-से-कम तीन पानी चोदुँगा। आपको अगर लगता है कि जमील उसको एक बार भी नहीं चोदा होगा तो आप बेवकूफ़ नम्बर १ हैं। शाम को आइए मेरे घर पर...., तभी इसको लेते आइएगा....। इस पैन्टी से अभी तक सायरा की चूत की बहुत तेज गन्ध आ रही है, लगता है जमील सायरा को बिना पैन्टी खोले चोदा है, तभी उसकी चूत से निकल रहा पानी इस तरह से पैन्टी में लिस्र के लगा है कि अभी तक इतनी तेज गंध आ रही है। ऐसा लगता है कि सायरा की चूत से भी खुब पानी बहा है।
आप धोए बिना ही मुझे दीजिएगा, अभी मैंने इस पैन्टी के साथ मूठ नहीं निकाली है, कम-से-कम एक मूठ सायरा की चूत के नाम तो जरुर निकालना चाहिए। आप भी मूठ मार लीजिएगा मेरी विभा की चूत के बारे में सोच कर"। मैंने अब साफ़-साफ़ शब्दों में खुल कर उनको न्योता दे दिया था। मैं तब अपने दुकान निकल गया और सलीम चाचा अपने हाथ में रखे पैन्टी को घूर रहे थे जो उनकी बेटी की चूत की रस से लिथडा हुआ था। मैंने जाते-जाते कनखियों से देखा, मेरे हटने के बाद वो उस पैन्टी को अपने नाक से सटा लिए थे। उनकी नाक अब उनकी अपनी बेटी के चूत का गंध का मजा ले रही थी।
शाम को वो मेरे घर नहीं आए और मैंने भी उनको नहीं खोजा और उनके अपनी बेटी के चूत से निकल रस में सनी पैन्टी के साथ रहने दिया। इधर विभा के भी पीरियड्स शुरु थे तो मैं भी अब काम में ही बीजी हो गया। सप्ताह बीत गया, और फ़िर शनिवार की सुबाह विभा बताई कि अब सब ठीक है और मैं चाहूँ तो वो अब उसको चोद सकता हूँ। मैं दुकान के लिए निकल गया। पर उस दिन दुकान के काम से बैंक में जाने पर मुझे मेरा एक स्कूल के जमाने का दोस्त बबलू मिल गया। उसके साथ दो लडकियाँ भी थी।
बबलू पढ़ने से ज्यादा इधर-उधर के चक्कर में रहता था और इस फ़ेर में रहता था कि कैसे तेजी से पैसा बनाया जाए। इसी चक्कर में वो कई बार थोडा रिस्की काम भी कर लेता था। उससे मेरी बहुत मुलाकात नहीं होती थी पर जब भी मिले तो दुआ-सलाम और हाल-चाल पूछने का रिश्ता तो था ही। बबलू के साथ दो लड़कियाँ भी थी। बात करते हुए हम बैंक से बाहर आ गए और फ़िर बातों ही बातों में बबलू ने मुझसे मेरी शादी के बारे में पूछा और जब मैंने उसको बताया कि अभी शादी नहीं हुई है तो बोला, "अरे तो फ़िर ले जाओ इन में से किसी को मजे करके भेज देना शाम तक"। बबलू ने मुझे बताया कि वो अब लडकियों की दलाली का काम कर रहा है और नेपाल तथा आस-पास के गाँव से लडकियों को लाता है। दो महिने उनको रखता था और फ़िर उन्हें घर भेज देता था।
फ़िर वो ही लडकियाँ उसके लिए नई लडकियाँ लाती थी और तब उनको भी कमीशन देता था। वो दोनों लडकियाँ भी वो पास के ही एक गाँव से लाया था और उनमें से एक उसके लिए पहले भी काम कर चूकी थी पर दूसरी आज ही आई थी। उसी तो ठहराने के लिए उसके खर्चे-पानी के लिए पैसा देने के लिये वो बैंक पैसा निकालने आया था। वो बताया कि अभी उसके पास ७ लड़कियाँ थी, पर सब अलग-अलग होटलों में बुक थी। मैं थो कई दिन से कोई रंडी घर पर ले जाने के बारे में सोच रहा था।