रिया ने घडी की तरफ देखा और बोली
"महक अब मुझे घर जाना चाहिए..... वर्ना मेरे घर वाले धुन्डते हूए आ जायेंगे"
और हम दोनों ने फटाफट कपडे पहने.
मैं: "पर रिया ......"
रिया : "मुझे पता है महक .... तुम्हे बहुत कुछ पूछना है..... लेकिन अभी
नहीं ..... मैं तुम्हे सब कुछ बताऊंगी लेकिन बाद में अब तो हम दोनों एक ही
खेल के पार्टनर है"
मैं: " फिर कब आवोंगी ?"
रिया : "बहुत ही जल्दी आउंगी मेरी जान..... तुझसे जादा जल्दी तो मुझे है .... तेरा मखमली बदन मुझे सोने नहीं देगा "
इतना कहके रिया अपने बुक्स समेटने लगी. जाते जाते मुझसे कस के लिपट के रिया
ने एक कड़क चुम्मा मेरे होटों पे दिया और कुण्डी खोल के बहार निकल गई.
रिया के चले जाने के बाद न जाने कितिनी देर तक मैं वही बैठी रही. फिर निचे से मामी की आवाज आई
" महक बेटा शाम होने को है..... हाथ मुह धोलो और निचे आओ"
हर रोज शाम को मामी जी के साथ मैं आरती करती हूँ.
मैं बाथरूम जाकर फ्रेश हो गई. और निचे पूजाघर की और चल दी ..... आज पूजा में भी मेरा मन नहीं लग रहा था.
मामी ने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया .... उन्होंने सोचा मैं कालेज के बारे में या अपने घर के बारे में सोच रही हू.
मैं फिर से मेरे कमरे में आ गई. पर मेरा मन कही नहीं लग रहा था , सामने
किताब खुली थी लेकिन आँखों के सामने अभी भी रिया के भरे भरे स्तन ही आ रहे
थे .
मैं अभी भी रिया के होटो की नमी अपने होटो पर महसूस कर रही थी.
इतने में मामी की आवाज आई
"महक बेटा तेरे लिए फ़ोन है ...." मैंने सोचा की रिया का फ़ोन है ,
मैं भाग कर निचे फ़ोन के पास गई. मैंने फ़ोन उठाया और बोली
" हाय रिया !"
"हेलो बेटा महक मैं तुम्हारी माँ बोल रही हू "
यह सून कर मैं फिर से वास्तव में लौट आई. पढाई का बहाना बना के मैंने जैसे
तैसे अपनी माँ से बात जल्दी ही ख़तम की, आज न जाने क्यों मेरा मन रिया के
सिवा दूसरा कुछ भी नहीं सोच रहा था.
मैं फ़ोन रख कर ऊपर पहोची ही थी की निचे फिर से फ़ोन बज उठा .
फिर से मामी की आवाज
" महक बेटा फ़ोन....."
"महक अब मुझे घर जाना चाहिए..... वर्ना मेरे घर वाले धुन्डते हूए आ जायेंगे"
और हम दोनों ने फटाफट कपडे पहने.
मैं: "पर रिया ......"
रिया : "मुझे पता है महक .... तुम्हे बहुत कुछ पूछना है..... लेकिन अभी
नहीं ..... मैं तुम्हे सब कुछ बताऊंगी लेकिन बाद में अब तो हम दोनों एक ही
खेल के पार्टनर है"
मैं: " फिर कब आवोंगी ?"
रिया : "बहुत ही जल्दी आउंगी मेरी जान..... तुझसे जादा जल्दी तो मुझे है .... तेरा मखमली बदन मुझे सोने नहीं देगा "
इतना कहके रिया अपने बुक्स समेटने लगी. जाते जाते मुझसे कस के लिपट के रिया
ने एक कड़क चुम्मा मेरे होटों पे दिया और कुण्डी खोल के बहार निकल गई.
रिया के चले जाने के बाद न जाने कितिनी देर तक मैं वही बैठी रही. फिर निचे से मामी की आवाज आई
" महक बेटा शाम होने को है..... हाथ मुह धोलो और निचे आओ"
हर रोज शाम को मामी जी के साथ मैं आरती करती हूँ.
मैं बाथरूम जाकर फ्रेश हो गई. और निचे पूजाघर की और चल दी ..... आज पूजा में भी मेरा मन नहीं लग रहा था.
मामी ने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया .... उन्होंने सोचा मैं कालेज के बारे में या अपने घर के बारे में सोच रही हू.
मैं फिर से मेरे कमरे में आ गई. पर मेरा मन कही नहीं लग रहा था , सामने
किताब खुली थी लेकिन आँखों के सामने अभी भी रिया के भरे भरे स्तन ही आ रहे
थे .
मैं अभी भी रिया के होटो की नमी अपने होटो पर महसूस कर रही थी.
इतने में मामी की आवाज आई
"महक बेटा तेरे लिए फ़ोन है ...." मैंने सोचा की रिया का फ़ोन है ,
मैं भाग कर निचे फ़ोन के पास गई. मैंने फ़ोन उठाया और बोली
" हाय रिया !"
"हेलो बेटा महक मैं तुम्हारी माँ बोल रही हू "
यह सून कर मैं फिर से वास्तव में लौट आई. पढाई का बहाना बना के मैंने जैसे
तैसे अपनी माँ से बात जल्दी ही ख़तम की, आज न जाने क्यों मेरा मन रिया के
सिवा दूसरा कुछ भी नहीं सोच रहा था.
मैं फ़ोन रख कर ऊपर पहोची ही थी की निचे फिर से फ़ोन बज उठा .
फिर से मामी की आवाज
" महक बेटा फ़ोन....."