मेरे अन्दर ही करो......आज की रात मैं तुम्हे पूरी तरह से महसूस करना चाहती हु...
मुझे उसकी इस बात पर क्या एतराज हो सकता था....मेरे लंड ने एक के बाद एक कई पिचकारिया उसकी चूत के अन्दर तक मारनी शुरू कर दी.
और जब तूफ़ान थमा तो मैंने और अंशिका ने एक साथ बाथरूम में जाकर एक दुसरे के शरीर को पूरी तरह से साफ़ किया...और वापिस बेड पर आकर, नंगे ही एक दुसरे की बाहों में लेट गए...
और उस रात दो बार और मैंने उसकी चूत और गांड का बेंड बजाया...और वो भी एक आज्ञाकारी दुल्हन की तरह मुझसे चुदती रही...
आज की रात मैं अपनी जिन्दगी में कभी नहीं भूलूंगा.
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अब आगे
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पूरी रात चुदाई करने के बाद मैं और अंशिका बुरी तरह से थक चुके थे.
सुबह आठ बजे मेरी नींद खुली, मुझे बड़ी ही तेज पेशाब आया था, मैं नंगा ही बाथरूम की तरफ भागा
सुबह-२ मेरा लंड अपने पुरे शबाब में था, मैंने अपने हाथ धोये और वापिस बेड के पास आया.
अंशिका बेसुध सी होकर सो रही थी.
उसके ऊपर से रजाई हट चुकी थी और उसकी नंगी पीठ और नीचे की तरफ के मोटे और गद्देदार चुतड बड़े ही दिलकश से लग रहे थे.
मेरे लंड को सुबह-२ और क्या चाहिए था, मैं उसके साथ ही बेड पर लेट गया और उन्हें सहलाने लगा.
वो नींद में कुनमुनाई और फिर दूसरी तरफ मुंह करके सो गयी.
आज उसकी मोटी गांड को मैं गोर से देख पा रहा था, क्या गांड थी यार, और उसके ऊपर कमर से जुड़ता हुए हिस्से का घुमाव वाला हिस्सा तो इतना मजेदार था की मैंने अपने हाथ उस मोड़ के ऊपर आगे पीछे करने शुरू कर दिए..
अपने लंड को मैंने उसकी गांड के साथ दबा दिया और उसकी टांग को उठा कर उसकी गर्म जांघो के बीच फंसा दिया.
आज बड़ा ही प्यार आ रहा था मुझे अंशिका पर..
कल रात को जिस तरह से उसने एक पत्नी की तरह मुझे प्यार दिया था, उसे पाकर मेरे मन में भी उसके लिए एक अजीब तरह की लगन पैदा हो चुकी थी..
मैं उसके बालो में उंगलिया फेरा कर उसे देख रहा था की तभी अंशिका का मोबाइल बजने लगा..मैंने झट से उसे सायलेंट पर कर दिया ताकि उसकी नींद न खुल जाए.
वो कनिष्का का फोन था.
मैंने फोन उठा लिया.
मेरी आवाज सुनते ही वो खुश हो गयी.
कनिष्का : वाह ...क्या बात है...दीदी के फोन को आपने उठाया..सुबह-२..लगता है एक ही बेड पर हो तुम दोनों..
मैं : ठीक कहा...और वो भी नंगे..हा हा..
कनिष्का : उनहू....यार...ये गलत बात है...एक तो मुझे नहीं लेकर गए...ऊपर से मुझे चिड़ा भी रहे हो...ईट इस नोट फेयर...
मैं धीरे-२ बात कर रहा था ..ताकि अंशिका की नींद न खुल जाए.
कनिष्का : अच्छा विशाल...बताओ न...क्या किया तुमने रात को..
मैं : अब तुम्हारी बहन जैसी सेक्सी लड़की मेरे साथ होगी तो क्या करूँगा मैं...पूरी रात चुदाई की उसकी...
कनिष्का : वाव....की...कितनी बार....
उसकी तेज धडकनों के बीच ....रुकी-२ सी आवाज आई..
मैं समझ गया की अपनी बहन की चुदाई की बात सुनकर वो एक्साय्तेद हो रही है..
और उसकी ऐसी हालत के बारे में सोचते ही मेरा लंड एक इंच और बाहर निकल आया...और सामने सो रही अंशिका की सोती हुई चूत के दरवाजे को धकेल कर अन्दर दाखिल हो गया..
अंशिका की नींद खुल गयी...मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के अन्दर फंस चूका था..
वो हेरानी से मुझे अपने पीछे लगे हुए देखने लगी और वो भी उसके फोन पर बात करते हुए..
मैंने उसे चुप करने का इशारा किया..और होंठ हिला कर बताया की कनिष्का का फोन है..
अंशिका सीधी हो चुकी थी, और अपनी पीठ के बल लेट गयी और अपनी एक टांग उठा कर मेरी कमर के ऊपर रख दी...ताकि मेरा लंड सीधा उसकी चूत के अन्दर तक जाए..
मैं कनिष्का से बाते करता रहा..
वो पूछती रही की मैंने कल रात को कैसे और क्या-२ किया...मैं बताता रहा...अंशिका को शायद उम्मीद नहीं थी की मैं वो सारी बाते उसकी छोटी बहन को ज्यो की त्यों बता दूंगा..पर अपनी चूत में लंड और मेरे चुप करने की वजह से वो बस अपनी गोल आँखों से मुझे बोलते और अपनी चूत को चुदते हुए देखती रही..
मैंने अब तेज धक्के मारने शुरू कर दिए थे...और उसकी वजह से मुझे बात करने में मुश्किल हो रही थी...मैंने एक हाथ से फोन भी पकड़ा हुआ था...
मैंने फोन को स्पीकर मोड पर कर दिया...और उसे अंशिका के मुम्मो के बीच रख दिया...
अंशिका की तेज साँसे सीधा फोन के ऊपर पड़ रही थी...और उतनी ही तेज साँसे दूसरी तरफ से कनिष्का की भी आ रही थी...क्योंकि कल रात की चुदाई की कहानी सुनकर शायद वो भी नंगी-पुंगी होकर अपनी चूत के अन्दर अपनी उंगलियों को डालकर अपना तेल निकलने में लगी हुई थी...
और तभी अंशिका के मुंह से रसीली सिस्कारियां निकलने लगी...वो इतनी देर से अपने मुंह को बंद करे बैठी थी पर अब उससे सहन नहीं हुआ...और वो सीत्कार उठी मेरे लंड की टक्कर अपनी चूत के अन्दर तक पाकर...
और जैसे ही कनिष्का ने सुना...वो भी हेरान सी होकर बोल पड़ी...: दी..... दीदी.... अआप क्या अभी भी..... मेरा मतलब है...विशाल क्या तुम अभी मेरी दीदी को चोद रहे हो.....
मैं : हूँ.... हाँ.... कन्नू...... तेरी दीदी की गरमा गरम चूत के अन्दर है मेरा साड़े छह इंच का लम्बा लंड.... और वो भी बड़े मजे ले लेकर मुझसे चुद रही है....
कनिष्का की तो आवाज ही आनी बंद हो गयी...
तब अंशिका बोली : कन्नू..... अह्ह्हह्ह ......बेबी...... काश तू भी यहाँ होती आज.......
कनिष्का तो अपनी बहन का प्यार देखकर फूली नहीं समायी....: ओह्ह्ह....दीदी...मैं भी तो येही कह रही थी अभी विशाल से.....काश मैं भी होती वहां.... आपकी चूत के अन्दर ...विशाल का लम्बा लंड जाते हुए देखती.....और ....और ...अपनी जीभ से वहां पर चाटती ....और ...अपनी पुससी को आपके मुंह के ऊपर रखकर..... ओह्ह्ह्ह दीदी..... अह्ह्हह्ह..... ये सोचकर ....ही ...मेरे अन्दर...... का .....ज्वालामुखी ......फूट रहा है.... अह्ह्हह्ह.... ओह्ह्ह फक्क्क्कक....... आयी एम् कमिंग...... दीदी....आई एम् कमिंग.... ओन यूर फेस ...... अह्ह्हह्ह.....
अंशिका की आँखे तो बंद सी होने लगी...अपनी छोटी बहन की चूत को अपने मुंह के ऊपर झड़ता हुआ सोचकर...
मैंने आगे बढकर अंशिका के निप्पल को मुंह में भरा और उनमे से शहद की बूंदे निचोड़ने लगा..
अब अंशिका का नंबर था...चीखने का...
अह्ह्ह्हह्ह....... विशाल....... जोर से करो....और तेज.... हां ......ऐसे ही..... येस्स्स्स........ म्मम्मम...... आई केन फील यु कन्नू..... ओन माय फेस .....येस्स्स्स......
और अंशिका ने मेरे मुंह को पकड़कर अपनी ब्रेस्ट के ऊपर और तेजी से दबा दिया....और फिर मेरे चेहरे को अपनी तरफ खींचकर मुझे जोर-जोर से स्मूच करने लगी...मानो आज के बाद कोई दिन नहीं निकलेगा...जो करना है ...आज ही कर ले...
हम दोनों के नंगे जिस्मो के बीच पीसकर अंशिका का फोन कब बंद हो गया..पता ही नहीं चला...और अंशिका के चूसने से मेरे लंड का पानी निकल कर कब उसकी चूत के अन्दर शिफ्ट हो गया...मुझे भी पता नहीं चला...
मैं तो धक्के मारता गया...और तब रुका जब लंड में दर्द सा होने लगा...और तब महसूस हुआ की लंड का रस निकल चूका है.
मैं भी हांफता हुआ उसके पहाड़ो की चोटियों के ऊपर गिर पड़ा.
आज जैसा ओर्गास्म मुझे कभी नहीं हुआ था...
अब तक 9 बज चुके थे..अंशिका उठी और बाथरूम में जाकर क्लीन करने लगी...
वो बाहर आई...नंगी...और शीशे के सामने खड़े होकर अपने पुरे शारीर को घूम घूमकर देखने लगी..
मैंने उसे ऐसा करते देखकर सीटी मारी..
अंशिका : बदमाश हो तुम एक नंबर के...देखो ...तुमने मेरी ब्रेस्ट को दबा-दबाकर कितना बड़ा कर दिया है...
मैं : अरे मैं तो इन्हें इसलिए दबाता हु की ये अन्दर घुस जाए...पर पता नहीं ये हर बार बड़े क्यों होते चले जा रहे है...पर पता है..येही है तुम्हारा असली एट्रेक्शन...जो मुझे खींच लाता है तुम्हारे पास...
वो मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दी..
अंशिका : अच्छा चलो अब बहुत हो गया....उठो और जल्दी नहा लो...आज हमें घुमने जाना है...नोकुचिया ताल और उसके आस पास के और भी ताल देखने..
मैं जल्दी से अन्दर गया...और नहा धोकर एक जींस और टी शर्ट पहन कर जल्दी से तैयार हो गया..अंशिका भी नहाई और तैयार होकर हम दोनों नीचे आ गए..
सभी नाश्ता कर रहे थे...मेरी नजरे तो रीना को तलाश रही थी, जिसे मैंने रात को प्यासा छोड़ दिया था.
जल्दी ही मुझे रीना मिल गयी, वो टेबल पर बैठी हुई नाश्ता कर रही थी और उसके साथ बैठी थी वोही सेक्सी लड़की...सिमरन.
अंशिका अपनी प्लेट लेकर किट्टी मेम के पास चली गयी, मैंने भी ब्रेड ओम्लेट लिया और रीना की टेबल की तरफ चल दिया.
रीना ने जैसे ही मुझे आता हुआ देखा, सिमरन को हाथ मारकर इशारा किया की मुझे देखे...और जैसे ही उस सेक्सी ने मुझे देखा, उसकी आँखों में लाल डोरे तेर गए, मुझे देखते ही........शायद रीना ने सिमरन को मेरे बारे में बताया होगा, की रात को मैंने उसके साथ क्या-२ किया...
पर मुझे नहीं पता था की रीना सिमरन की दोस्त है...शायद यहाँ आकर दोनों में दोस्ती हुई है..
मैं : हाय रीना.... सिमरन... क्या मैं यहाँ बैठ सकता हु...
रीना : हाँ..हाँ...क्यों नही विशाल...अभी मैं सिमरन से तुम्हारी ही बात कर रही थी..
मैं : अच्छा जी...कोई बुराई तो नहीं की न मेरी...
रीना : बुराई ही कर रही थी... अच्छा तो किया नहीं तुमने मेरे साथ..
वो इतनी बेबाकी से मुझसे कल रात की बात कर रही थी..और वो भी सिमरन के सामने..
मैंने रीना को देखा और फिर सिमरन को..
रीना : मैंने इसे सब बता दिया है...और तुम्हे फोन करने का आईडिया भी इसने ही दिया था मुझे कल सुबह...हम दोनों काफी अच्छे दोस्त बन चुके हैं...
मैं समझ गया की ये दोनों दोस्त बनकर मेरी इज्जत लूटने के मूड में हैं...
पर मेरा नाम भी विशाल है...पिछले दो महीनो में मैंने इतनी बार लडकियों को चोदा है जितनी इनकी उम्र भी नहीं होगी...
मैं : कोई बात नहीं...मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है....वैसे भी एक से भले दो....और दो से भले तीन...है न..
मैंने सिमरन की तरफ देखकर आँख मार दी..
वो शर्मा गयी...
यार ...क्या स्माईल थी उसकी...उसके होंठ इतने मोटे थे...जैसे वो है न...प्रियंका चोपड़ा ....उसकी तरह...मन कर रहा था, ओम्लेट छोड़कर उसके होंठ खा जाऊ...
रीना ने मुझे उसकी तरफ घूरते पाकर कहा : वैसे ....तुमने काम अधूरा मेरे साथ छोडा था...न की इसके साथ...
वो शायद सोच रही थी की उसकी जैसी साधारण लड़की को छोड़कर मैं अब सिमरन जैसी सेक्सी लड़की के पीछे पड़ गया हु, और उसका पत्ता कट गया.
मैं : अरे रीना तुम क्यों परेशान हो...हम वहीँ से शुरू करेंगे..जहाँ छोडा था...
मैंने एक हाथ बढाकर उसकी जांघ पर रख दिया और धीरे से दबा दिया...वो मुस्कुरा उठी..
चुदाई की बात सुनकर हर लड़की मुस्कुराने क्यों लग जाती है...मैं सोचने लगा.
और सामने बैठी हुई सिमरन भी शायद मेरे लंड के बारे में सुनकर अपने सपनो में खोयी हुई थी.
तभी किट्टी मेम की आवाज आई की सभी लोग बस में जाकर बैठे...हम बस निकलने ही वाले है...
अन्दर जाकर अंशिका इस बार भी किट्टी मेम के साथ आगे जाकर बैठी...और मैं सबसे पीछे वाली लम्बी सीट पर रीना और सिमरन के साथ.
अंशिका ने बीच में खड़े होकर आज के स्केडुल के बारे में बताया.
सब उसकी बाते सुन रहे थे...पर रीना के हाथ मेरे लंड के ऊपर थिरक रहे थे...लगता है आज ये बस के अन्दर ही कुछ करके रहेगी...
तभी किट्टी मेम की आवाज आई की सभी लोग बस में जाकर बैठे...हम बस निकलने ही वाले है...
अन्दर जाकर अंशिका इस बार भी किट्टी मेम के साथ आगे जाकर बैठी...और मैं सबसे पीछे वाली लम्बी सीट पर रीना और सिमरन के साथ.
अंशिका ने बीच में खड़े होकर आज के स्केडुल के बारे में बताया.
सब उसकी बाते सुन रहे थे...पर रीना के हाथ मेरे लंड के ऊपर थिरक रहे थे...लगता है आज ये बस के अन्दर ही कुछ करके रहेगी...
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अब आगे
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मैंने जेकेट पहनी हुई थी, बस के अन्दर ठण्ड कम थी और रीना भी मेरे लंड के ऊपर हाथ फेरा रही थी, इसलिए मैंने जेकेट को उतारा, और अपनी गोद में रख दिया ताकि रीना का हाथ क्या कर रहा है, वो सब छुप जाए और दुसरे कोने में बैठी हुई दो लडकिय न देख पाए की हम क्या कर रहे हैं...
वैसे तो सिमरन भी अपने आपको आगे करके बैठी थी ताकि उन दोनों लडकियों को इस कोने में होता हुआ कुछ न दिखाई दे, पर फिर भी डर तो लगता ही है न..
मेरे जेकेट के डालने से तो रीना और भी बेशर्मी पर उतर आई, उसने मेरी पेंट की जिप खोली और अपने नन्हे हाथ अन्दर डाल कर मेरे मोटे लंड को पकड़ कर मसलने लगी...
और जल्दी ही उसे बाहर निकाल कर पूरी तरह से उसकी सेवा करने लगी.
मुझे पता नहीं था की उसने पहले कभी लंड हाथ में लिया है या नहीं पर उसके चेहरे को देखकर तो लगता था की वो काफी अचरज में है...शायद मेरे लंड के साईज को देखकर..
वो अपनी गांड को सीट पर बैठे हुए हिला रही थी, शायद नीचे की तरफ से आते हुए घिस्से उसे मजा दे रहे थे..
तभी मैंने अंशिका को पीछे की तरफ आते हुए देखा, मैंने जल्दी से रीना का हाथ अपने लंड से हटाया और जेकेट से अपने नंगे लंड को छुपा लिया.
अंशिका पीछे तक आई और मुझे रीना और सिमरन के साथ बैठा हुआ पाकर वो मुस्कुराने लगी..
अंशिका : अरे विशाल...तुम पीछे बोर तो नहीं हो रहे न..
मैं : नहीं अंशिका...मुझे यहाँ नए दोस्त मिल गए हैं...बस टाईम पास हो ही जाएगा आज का.
अंशिका ने आँखे निकाल कर मुझे देखा, मानो कोई बीबी अपने पति को बाहर की औरतों को देखने के लिए मना कर रही हो.
तभी रीना बीच में बोल पड़ी : अरे मेम ...आप फिकर मत करो...हम विशाल का अच्छी तरह से ध्यान रखेंगे..
शायद अंशिका सोच रही होगी, इसी बात का तो डर है...
मैं उसकी मनोदशा भांपकर हंस दिया.
अंशिका आगे चली गयी...और रीना का हाथ फिर से मेरे बिल में घुस गया और सो चुके लंड महाराज को उठाने का काम करने लगा...और वो जल्दी उठ भी गया..और इस बार दुगने जोश के साथ..
रीना ने साईड में होकर दोनों लडकियों को देखा, रास्ता घुमावदार था, शायद उन्हें चक्कर आ रहे थे.इसलिए कोने में बैठी लड़की ने अपनी आँखे बंद कर रखी थी, शायद सो रही थी वो और उसके साथ बैठी हुई लड़की ने उसकी गोद में सर रखा हुआ था और वो भी सोने की कोशिश कर रही थी.
रीना ने जैसे ही ये देखा, उसके दिमाग में भी आईडिया आया, उसने सिमरन के कान में कुछ कहा और फिर मेरी तरफ मुड़कर अपने सर को मेरी गोद में रख दिया..और मेरी जेकेट को उठा कर अपने सर के ऊपर ओढ़ लिया.
मेरी तो हालत ही खराब हो गयी.
उसने मेरे मोटे सांप को अपने मुंह के अन्दर निगल लिया..पूरा का पूरा..
देखने में तो उसका चेहरा काफी छोटा था, पर अन्दर से उसका मुंह काफी बड़ा था.
मेरे लंड को वो किसी लोलीपोप की तरह से चूस रही थी, मानो उसकी सारी मिठास आज वो निकाल कर रहेगी.
मैंने उसकी पीठ पर हाथ रखा और उसके गुदाज जिस्म को सहलाने लगा...और सहलाते हुए मेरा हाथ उसकी गांड की तरफ चला गया.
उसने लॉन्ग स्कर्ट पहनी हुई थी और उसके ऊपर स्वेटर..
मैंने एक हाथ उसके स्वेटर के अन्दर दाल दिया, नीचे उसने कुछ भी नहीं पहना हुआ था..सिर्फ ब्रा के स्ट्रेप हाथ में आ रहे थे..
मैंने उसकी गांड के चीरे पर अपनी ऊँगली रखकर नीचे खिसकानी शुरू कर दी.
उसकी गांड काफी दमदार थी, उसकी घाटी के अन्दर मेरी ऊँगली फिसलती चली गयी...
पूरी बस में हमारी तरफ ध्यान देने वाला कोई नहीं था.
रीना अपने मुंह से मेरे लंड को चूस चूसकर मजा दे रही थी..
और सिमरन...
उसकी तरफ तो मेरा ध्यान गया ही नहीं...
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मैंने सिमरन को देखा..उसकी आँखे गुलाबी हो चुकी थी..और उसकी नजरे रीना के ऊपर थी, जो मेरी जेकेट के नीचे घुसकर मेरे लंड को नोच खा रही थी..
मैंने सिमरन को भी अपने लंड का गुलाम बनाने की सोची...और मैंने एक झटके से अपनी जेकेट को रीना के सर के ऊपर से हटा दिया..
जैसे ही जेकेट हटी, रीना हडबडा कर मेरे लंड को छोड़कर उठ बैठी...और जैसे ही उसने मेरे लंड को अपने मुंह से निकला, वो अपनी सुन्दरता बिखेरता हुआ सिमरन की नंगी आँखों के सामने लहराने लगा...
रीना ने जब देखा की कोई नहीं है तो वो जल्दी से वापिस नीचे झुकी और मेरे गीले लंड को अपने मुंह में डालकर फिर से चूसने लगी...
और इतनी देर तक सिमरन की हालत बुरी हो चुकी थी...उसने मेरे लंड की एक एक नस देख ली थी इतनी देर में...
और उसकी साँसे तेजी से चलने लगी थी.
और तब उसने अपनी लाल आँखे उठा कर मेरी तरफ देखा...जैसे ही उसकी नजरे मुझसे मिली...मैंने उसे आँख मार दी..वो शर्मा गयी...
मैंने रीना के सर के ऊपर जेकेट फिर से डाल दी.
सिमरन समझ चुकी थी की मैंने ये सब उसे अपना लंड दिखाने के लिए ही किया है.
मेरा एक हाथ अभी भी रीना की गांड कुरेदने में लगा हुआ था...
सिमरन का हाल बुरा हो चला था.उसकी टी शर्ट में से मुझे उसके निप्पल साफ़ दिखाई देने लगे थे.
और उसके मोटे-२ होंठ दांतों के नीचे दबने से लाल सुर्ख हो चुके थे.
मैंने रीना की गांड से हाथ निकाला और सिमरन की तरफ बड़ा दिया...सिमरन वैसे भी रीना को छुपाने के लिए लगभग उससे सट कर बैठी हुई थी...मेरा हाथ सीधा उसके पेट पर गया..ठीक उसके मोटे और झूलते हुए मुम्मो के नीचे...
उसके बदन में करंट सा लगा..मैंने अपने हाथो को उसके नर्म पेट पर फेरना शुरू कर दिया...और थोडा ऊपर किया और उसके लटकते हुए मुम्मे के नीचे वाली हिस्से पर अपनी उंगलियों को छुआ दिया..
उसके मुंह से एक मादक सी आवाज निकल गयी.
अह्ह्हह्ह्ह्ह......
पर बस की तेज आवाज की वजह से वो दब कर रह गयी.
पर उसकी आवाज सुन कर मुझे डर लगने लगा...अगर किसी ने नोट कर लिया की मैं बस के पीछे बैठ कर दो-दो लडकियों से मजे ले रहा हु तो अंशिका की कितनी बदनामी होगी, यहाँ तो सभी को यही मालुम है की मैं उसका कजन हु..
मैंने अपना हाथ वापिस रीना की गांड की तरफ कर दिया..
मेरी बेरुखी देखकर सिमरन मेरी तरफ देखने लगी, उसे शायद मजा आ रहा था और वो भी अपने जिस्म के ऊपर मेरे हाथो को महसूस करके खुश थी..
मैंने उसे इशारा किया की बाद में उसका ही नंबर है...तो वो बुरा सा मुंह बनाकर फिर से रीना और मेरी पहरेदारी करने लगी...
अब मेरे लंड का पारा भी गर्म हो चला था...वो कभी भी फट सकता था...
मैंने अपने हाथ को रीना की गांड से हटा कर उसकी स्वेटर के अन्दर डाल दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसके सुदोल सी बेस्ट को दबाकर उनका मर्दन करने लगा...
और जल्दी ही वो लम्हा आ गया जिसके लिए रीना इतनी मेहनत कर रही थी...और जैसे ही मेरे लंड की पहली पिचकारी उसके मुंह में गयी, उसने मेरे लंड को अपने गले तक लेजाकर वहीं छोड़ इया, ताकि उसके बाद निकलने वाली सारी पिचकारिया सीधा उसके पेट के अन्दर तक जाए...
इतनी अन्दर तक मैंने आज तक अपना लंड नहीं घुसाया था...किसी के मुंह में.
और चलती बस में अपने लंड को किसी अनजान लड़की से चुस्वाने का ये रोमांच भी बड़ा ही सुखद था.
मेरे लंड को चूसने के बाद रीना ऊपर उठी, उसका चेहरा पसीने से भीगा हुआ था, और होंठो पर अभी भी मेरे लंड से निकला सफ़ेद रस लगा हुआ था. जिसे वो अपनी जीभ से इकठ्ठा करके चूसने में लगी हुई थी.
उठने के बाद वो बोली : विशाल....इतना स्वादिष्ट रस तो मैंने आज तक नहीं पिया...
और फिर उसने जो किया मैं और सिमरन दोनों हेरान रह गए..
उसने अपने मुंह के कोने में जमा किया हुआ मेरा वीर्य अपनी ऊँगली के सिरे पर इकठ्ठा किया और सिमरन के मुंह के अन्दर वो ऊँगली डाल दी...
सिमरन अपनी फटी हुई आँखों से रीना को देखती रही...पर रस पीने से मना न कर पायी...और जैसे ही उसने वो रस अपने गले से नीचे उतारा उसे और भी ज्यादा पीने की इच्छा होने लगी...रीना ने उसे कहा की आते हुए तुम विशाल के पास बैठना और जी भरकर इसका जूस पीना.
खेर...
हमारा पहला स्टॉप आ गया था...एक बड़ी सी झील थी, पहाड़ो से घिरी हुई, और हलकी बारिश होने की वजह से माहोल काफी रोमांटिक सा हो रहा था.
एक तरफ एक बड़ा सा रेस्टोरेंट बना हुआ था, जिसमे ज्यादातर लोग जाकर बैठ गए और बारिश के बंद होने का इन्तजार करने लगे.
अंशिका ने कहा की हम यहाँ एक घंटा रुकेंगे...जिसे भी भूख लगी है वो खा सकता है...या किसी को घूमना है तो वो घूम सकता है..
अंशिका की बात सुनकर सभी ने अपने ग्रुप बना लिए...मेरे साथ रीना , सिमरन और वो दोनों लडकिया, जो हमारे साथ पीछे बैठी हुई थी, चल पड़ी...
रीना के पास छाता था, उसने खोला और मुझे और सिमरन को अन्दर ले लिया...
हम सब आगे की तरफ चल दिए..
थोडा आगे चले थे की बारिश और भी तेज हो गयी...
वो दोनों लडकिया, भीगने के डर से वहीँ से वापिस भाग ली, और वापिस रेस्टोरेंट में जाकर बैठ गयी.
हम तीनो भी थोडा बहुत भीग रहे थे..एक छाते के अन्दर तीन लोग सही तरह से आ नहीं पा रहे थे.
सिमरन मुझसे बिलकुल सट कर चल रही थी ...उसकी टाईट गांड के उभार देखकर मेरे लंड ने फिर से अपना सर उठाना शुरू कर दिया..
काफी आगे जाकर रीना को पहाड़ का एक ऐसा हिस्सा दिखाई दिया, जिसके नीचे छिपकर ऊपर से आती हुई तेज बारिश से बचा जा सकता था..
हम तीनो वहां जाकर खड़े हो गए..और छाता एक तरफ रख दिया.
मौसम काफी ठंडा हो चूका था, सामने की तरफ बड़ी सी झील थी...और हमारे पीछे की तरफ पहाड़...हमारे दांयी तरफ , जहाँ से हम आये थे, पूरा सुनसान था, क्योंकि सिवाए हमारे, किसी के पास भी छाता नहीं था, इसलिए तेज बारिश में कोई भी पीछे नहीं आ पाया...
और रीना इस मौके को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती थी...
उसने एक ही झटके में अपनी स्वेटर को अपने गले से उतार कर साईड में रख दिया...और अपनी छोटी ब्रेस्ट, जो की काले रंग की ब्रा में कैद होकर उफान पर थी, मेरे और सिमरन के सामने परोस दी.
उसकी हिम्मत देखकर मैं भी हेरान रह गया...पर सिमरन नोर्मल थी...शायद उसे मालुम था की रीना ऐसा करने वाली है...
और फिर रीना ने सिमरन को इशारा किया....और उसने भी हिचकिचाते हुए अपनी टी शर्ट को पकड़ा और अपने सर से घुमा कर वो भी सिर्फ ब्रा और जींस में मेरे सामने खड़ी हो गयी...इतने मोटे और सफ़ेद मुम्मे मैंने आज तक नहीं देखे थे...सिमरन ने पर्पल कलर की ब्रा पहनी हुई थी...और उसके मोटे निप्पल ब्रा में से भी साफ़ दिखाई दे रहे थे..
वाव....
मेरे मुंह से उन दोनों के लिए एक ही शब्द निकला...
वाव...
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