05-12-2017, 01:44 PM
अपडेट ६६
जब तूफ़ान थमा तो उसे मैंने अपने मुंह से उतारा और वहीँ टेबल पर उसकी माँ के पास लिटा दिया....
दोनों ने एक दुसरे को चूमना चाटना शुरू कर दिया...मैंने सोचा की इन्हें यही छोड देना चाहिए, मेरा इन्तजार जो हो रहा था.
फिर मैंने पास ही पड़े हुए टोवल से अपने शरीर को पोंछा और अपने कपडे पहन कर अपने कमरे की तरफ भागा....वहां मेरी "बीबी" अंशिका मेरा इन्तजार जो कर रही थी....
और आज उसके लिए मेरे पास एक नया तरीका था, जिसे मैंने अभी माँ-बेटी को चोदते हुए ही सोचा था.
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अब आगे
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जैसे ही मैं अपने कमरे के पास पहुंचा, मेरा फ़ोन फिर से बजने लगा, ये वोही अनजान नंबर था..
मैं : हेल्लो..
आवाज : बड़े मजे ले रहे हो तुम तो...किट्टी मेडम और उनकी बेटी दोनों को एक साथ ही चोद डाला तुमने तो
मैं उसकी बात सुनकर हेरान रह गया...इसका मतलब वो मुझे देख रही थी..
उसकी आवाज में एक अजीब सा भूखापन था, यानी जब वो ये बात बोल रही थी, मानो अफ़सोस के साथ कह रही थी की ये सब उसके साथ क्यों नहीं हुआ..
मैंने भी अँधेरे में तीर मारा : तुम हम सब को देख रही थी और मैं तुम्हे देख रहा था..
अब हेरान होने की बारी उसकी थी.
आवाज : यानी...यानी...तुमने मुझे पहचान लिया...
मैं : हाँ...पहचानन भी गया और जान भी गया...तुम्हारे चेहरे के एक्सप्रेशन मैं अँधेरे में भी साफ़ देख पा रहा था..शीशे में से..
मैंने ये इसलिए कहा क्योंकि उस कमरे से बाहर की तरफ देखने का एकमात्र साधन वो खिड़की ही थी, जिसपर शीशा लगा हुआ था.
वो मेरे जाल में फंस सी गयी..
मैं : अब कल तक का इन्तजार करने का टाइम नहीं है मेरे पास, मैं अभी नीचे वापिस आ रहा हु, जल्दी से तुम भी आ जाओ..समझी..
वो कुछ न बोली और फोन रख दिया.
मैंने कमरे में झांककर देखा, अंशिका सो रही थी, मेरा इन्तजार करते-२ उसकी आँख लग चुकी थी, उसने अपने पुरे शरीर पर रजाई ओढ़ रखी थी, और उसका सुन्दर सा चेहरा बड़ा हो मोहक लग रहा था, उसने शायद थोडा मेकअप भी कर रखा था, पर इस समय मैं नीचे खड़ी उस लड़की के बारे में सोच रहा था, इसलिए मैंने दरवाजा बंद किया और वापिस नीचे की तरफ भागा.
किट्टी मेम और स्नेहा वापिस जा चुके थे, कमरे की लाईट भी बंद हो चुकी थी.
मैं पार्क में जाकर एक बेंच पर बैठ गया, तभी दूसरी तरफ से एक लड़की आती हुई दिखाई दी.
काफी अँधेरा था वहां पर...पर जैसे-२ वो पास आती जा रही थी, उसका चेहरा साफ़ होता जा रहा था.
वो एक छोटे से कद की लड़की थी, वैसे भी जिस लड़की सिमरन के बारे में मैं सोच रहा था वो तो शाम को ही स्नेहा के साथ बैठी थी, इसलिए उसके बारे में अंदाजा लगाना तो मैंने पहले ही छोड़ दिया था.
ये लड़की तो काफी सिंपल सी लग रही थी, चेहरे पर चश्मा था, रंग गोरा था, ब्रेस्ट भी ज्यादा बड़ी नहीं थी, कद भी पांच फूट दो इंच के आस पास था, कुल मिला कर काफी साधारण सी थी वो..
मेरे पास आकर वो खड़ी हुई तो मैंने हेरानी से पूछा : तुम थी वो...??
मेरी बात सुनकर वो मुझे आश्चर्य से देखने लगी : इसका मतलब...तुमने मुझे नहीं देखा था...ओह माय गोड...मतलब तुमने मुझे झूट कहा था की तुमने मेरा चेहरा देखा अभी..
मैं मुस्कुरा दिया...उसका चेहरा उतर सा गया था...वैसे जैसे भी थी वो, उसकी आवाज सुनते ही मेरे पुरे शरीर में करंट सा दोड़ने लगा, इतनी गहरी आवाज थी उसकी की मन कर रहा था की वो मेरे कानो के पास खड़ी होकर बोलती रहे...
मैं : अब तुमने मुझे चेलेंज जो इया था, और चेलेंज मैंने पूरा कर दिया...अब जो मैं चाहूँगा, वोही करना होगा तुम्हे..
उसके चेहरे के रंग बदलने लगे...