मैंने अपनी जींस से रुमाल निकाल कर उसकी पीठ और चूत और फिर अपना लैंड साफ़ किया और उसे वहीँ फेंक दिया.
मैं : अब क्या इरादा है...और रुकना है या चले अब..
अंशिका : मन तो नहीं कर रहा ...पर जाना भी है..चलो अभी चलते हैं..बाकी अब नेनीताल में करेंगे..
मैं : नेनीताल में जो होगा...मेरी मर्जी से...भूल गयी क्या..
अंशिका : ओके...बाबा...अपनी मर्जी से कर लेना...अभी तो चलो यहाँ से..
मैं वापिस जाते हुए नेनीताल में क्या-२ करूँगा ये सोचता रहा.
**********
अब आगे
**********
जिस दिन नेनीताल जाना था मैं टाईम से स्टेशन पर पहुँच गया, रात की ट्रेन थी, काठगोदाम एक्सप्रेस, अंशिका ने मुझे स्टेशन के बाहर मिलने को कहा था, ताकि सभी को ये लगे की हम एक साथ ही आये हैं, कनिष्का को मालुम था की की मैं भी साथ जा रहा हु, वो अंशिका को ऑटो पर छोड़ने आई थी, अपनी बहन को गले मिलकर विदा करने के बाद वो मेरे पास आई और धीरे से बोली : दीदी का ध्यान रखना...और ज्यादा इधर - उधर मुंह मारने की जरुरत नहीं है...वापिस आकर मेरा भी तो हिसाब - किताब करना है..
मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया, और फिर वो मेरे गले से लग कर अपने गुदाज जिस्म की गर्मी से मेरे लंड महाराज को बीच सड़क पर खड़ा करने लगी..
मैंने जल्दी से उसे अलग किया और उसे बाय बोलकर हम दोनों अन्दर की तरफ चल दिए.
जल्दी ही हमें एक कोने में अंशिका के कॉलेज का ग्रुप दिखाई दिया, अंशिका के कॉलेज की लडकियों ने अंशिका को विश किया और अंशिका ने मुझे सबसे अपना कजिन कहकर मिलवाया, मैंने नोट किया की उनमे से दो-तीन लड़कियां काफी मस्त थी और एक-दो लडकिया तो मुझे ऐसे देख रही थी मानो मैं उनकी चुदाई के लिए है लाया गया हु..
थोड़ी ही देर में किट्टी मेम भी आ गयी...सभी ने उन्हें विश किया..
मैं : हेल्लो मेडम..आप अकेली आई है...आपका बेटा सचिन कहाँ है...
किट्टी में मुझे देखकर रहस्यमयी हंसी हंसी और बोली : अपने पीछे देखो...
और पीछे देखकर मैं चोंक गया, मेरे पीछे स्नेहा खड़ी थी..टी शर्ट और केप्री में..मुझे देखकर वो चहक कर बोली : हाय....केसे हो...
मैं कभी स्नेहा को और कभी किट्टी में को देखने लगा...
मैं : अरे स्नेहा तुम...तुम्हारा तो एग्साम था न...फिर तुम कैसे आ गयी..मेडम ने तो कहा था की सचिन जाएगा..
स्नेहा : मैंने ही मम्मी को मना किया था..तुम्हे बताने के लिए..बस तुम्हारा चेहरा देखना चाहती थी , कैसा लगा ये सरप्रायीस ...
मैं : बहुत खूब....मतलब...अच्छा लगा..
मैंने अंशिका की तरफ देखा, वो भी मंद-२ मुस्कुरा रही थी मुझे देखकर..उसे शायद अंदाजा हो गया था मेरा स्नेहा के साथ क्या चक्कर है...
रात को ग्यारह बजे ट्रेन चली और हम सभी आराम से अपनी सीटों पर बैठकर गप्पे मारने लगे..
स्नेहा खासतोर पर मुझे घेर कर बैठी थी, मानो मैं उसकी पर्सनल प्रोपर्टी हूँ...अंशिका की नजर भी थी मुझपर..
रात को सोने के लिए मैं सबसे ऊपर चढ़ गया, अंशिका सबसे नीचे वाली बर्थ पर और स्नेहा बीच वाली बर्थ पर सो गयी.
रात को लगबग २ बजे के आस पास मेरे पैरो के ऊपर को गुदगुदी करने लगा...मेरी नींद एकदम से खुल गयी..मैं उठ कर बैठा, वहां घना अँधेरा था, पर मैंने पैरों के पास देखा तो एक लड़की का चेहरा दिखाई दिया, और फिर वो फुसफुसाई : साईड में हो जाओ....मुझे ऊपर आने दो..
मुझे समझ नहीं आया की कोन है, स्नेहा या अंशिका...
मैं बाहर की तरफ खिसक गया, और वो ऊपर आ गयी, पास आकर पता चला की स्नेहा है..
मैं : ये क्या कर रही हो स्नेहा, कोई देख लेगा..
स्नेहा :सब सो रहे है...मुझे नींद नहीं आ रही थी..
और ये कहते हुए उसने अपना हाथ सीधा मेरे नींद से जाग रहे लंड के ऊपर रख दिया.
मैं घबरा गया, की अगर कोई देख लेगा तो क्या होगा, पर वो बिना किसी डर के सब कर रही थी..उसने अपना चेहरा आगे किया और मेरे होंठो को चूसने लगी...पहले तो मैंने कुछ नहीं करा पर जैसे-२ उसकी पकड़ मेरे होंठो पर बढती गयी मैं भी बेबस होता चला गया.
इन लडकियों के लिए हम लडको को सेक्स के लिए तैयार करना कितना आसान है...है न..
उसने स्ट्रेप वाली टाईट टी शर्ट पहनी हुई थी, मैंने उसके दोनों स्ट्रेप्स को कंधो से नीचे कर दिया, उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी..मैं थोडा नीचे हुआ और उसके ब्राउन निप्पल को मुंह में भर कर जोर से काट लिया....वो जोरो से चीख पड़ी...पर शुक्र है उसकी आवाज साथ से गुजरती ट्रेन की आवाज में दब कर रह गयी.
मुझे भी ध्यान आया की मुझे अपना हिंसक रूप नहीं दिखाना चाहिए, कोई भी आवाज सुनकर जाग सकता है, सबसे नीचे अंशिका भी सो रही थी, और दूसरी तरफ स्नेहा की माँ भी...
सीट थोड़ी छोटी थी, इसलिए लेटने में मुश्किल हो रही थी, मैंने हिम्मत करके स्नेहा को अपने ऊपर की तरफ खींच लिया, अब अगर कोई नीचे खड़ा होकर ऊपर देखेगा तो उसे साफ़ पता चल जाएगा की ऊपर क्या चल रहा है..
पर अँधेरा काफी था, इसलिए मैंने वो रिस्क उठा ही लिया.
स्नेहा ने ऊपर आते ही अपना हाथ नीचे करके मेरे लंड को बाहर निकाल लिया, और मेरे कान में धीरे से बोली : आज ज्यादा एक्सपेरिमेंट करने का टाईम नहीं है...इसलिए सीधा चुदाई करो...समझे..
मैंने हाँ में सर हिलाया और उसकी केप्री के बटन खोलकर उसे नीचे खिसका दिया, उसकी नंगी चूत की गर्मी मेरे शरीर पर पड़ते ही मुझे ऐसे लगा की किसी ने गर्म ईंट रख दी है मेरे लंड के पास..
पर मुझे मालुम था की उस गरम चूत को ठंडा करने का क्या तरीका है, मैंने अपने लम्बे लंड को सीधा किया और उसने भी अपनी गांड को हवा में उठाकर मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर फंसाया...और जैसे ही निशाना सेट बैठा, उसने अपने कुल्हे नीचे की तरफ करने शुरू कर दिए.
रसीली चूत में लंड जाते ज्यादा समय नहीं लगा, ट्रेन के धक्के इतने ज्यादा थे की हम दोनों को धक्के मारने की कोई आवश्यकता ही महसूस नहीं हुई...बस वो मेरे ऊपर लेटी रही और मैं उसके नर्म और मुलायम होंठो को चुस्त रहा...धक्के तो अपने आप लगते रहे...और जैसे ही मेरा रस निकलने को हुआ...मैंने उसके कान में कहा..आई एम् कमिंग....
स्नेहा ने झट से अपनी चूत को बाहर निकाल लिया...और घूमकर 69 के पोस में आ गयी..मुझे पता था की उसने ये इसलिए किया क्योंकि हमारे पास इस वक़्त चूत और लंड से निकले रस को साफ़ करने का कोई साधन नहीं था...उसकी ताजा चुदी चूत मेरे मुंह के सामने थी, मैंने उसके ऊपर मुंह लगा दिया...तब मुझे पता चला की वो तो पहले ही झड चुकी है...चूत की दीवारों से बहकर आता हुआ रस मैं चाटकर साफ़ करने लगा.
और दूसरी तरफ मेरे लंड ने जैसे ही प्रसाद बांटना शुरू किया, स्नेहा ने अपने मुंह का कमाल दिखा कर सारा प्रसाद सीधा ग्रहण कर लिया और खा गयी...और जब सारा खेल ख़त्म हुआ तो मैंने उसकी केप्री वापिस ऊपर खिसका दी और उसने भी मेरा पायजामा वापिस ऊपर कर दिया...और वहीँ से वो नीचे की तरफ उतर कर अपनी सीट पर जाकर लेट गयी..
चुदाई के बाद सच में बड़ी गहरी नींद आती है..मैं कब सो गया, मुझे पता ही नहीं चला.
सुबह हमारी ट्रेन रानीखेत पहुंची और वहां से हमने टेक्सी की और हम सीधा नेनीताल में पहुँच गए..पहाड़ो का मौसम खराब था, काफी बारिश थी रास्ते में..हमारा होटल पहले से बुक था, अंशिका ने सारा काम बखूबी किया था
किट्टी मेडम के कहे अनुसार सभी को अपने साथ आये रिलेटिव के साथ कमरा शेयर करना था, ये सुनते ही मेरा मन बाग़-२ हो उठा, अंशिका के साथ तीन दिन और रात एक ही कमरे में रहने का रोमांच ऐसे लग रहा था मानो मैं उसके साथ हनीमून पर आया हु.
1 user likes this post1 user likes this post • dpmangla
अंशिका का चेहरा भी मंद-२ मुस्कुरा कर अपने अन्दर की ख़ुशी को बयान कर रहा था.
मैंने चाबी ली और अपने कमरे की तरफ चल दिया, अंशिका अभी नीचे ही थी, दुसरे स्टुडेंट्स को चाबी बांटने में लगी हुई थी वो.
मैंने अपना और अंशिका का सामान अन्दर रखा और बेग से कपडे लेकर बाथरूम में चला गया, नहा धोकर मैं बाहर आया तो पाया की अंशिका अभी तक नहीं आई है..मैंने नीचे टोवल लपेटे रखा था , मैंने सोचा की अभी थोड़ी ही देर में अंशिका के आने के बाद वैसे ही सब उतारना पड़ेगा, इसलिए कुछ नहीं पहना और मैं टोवल में ही अंशिका का इन्तजार करने लगा.
थोड़ी ही देर में दरवाजा खडका...मैं भागकर बाहर आया और दरवाजा खोला , अंशिका के आने के बारे में सोचकर ही मेरे लंड ने टोवल में तम्बू बना दिया था..पर जैसे ही दरवाजा खोला, सामने किट्टी मेम खड़ी थी...और उनके साथ एक दो और लडकिया भी थी..
मुझे टोवल में देख कर दोनों लडकिया खी खी करके हंसने लगी...एक लड़की तो अपने होंठो पर ऐसे जीभ फेरने लगी मानो मुझे चाट रही हो, अपनी आँखों से.
किट्टी मेम : विशाल...ये क्या है...कपडे क्यों नहीं पहने..
मैं : जी...जी वो ...मैं बस नहाकर निकला ही था की बेल बज गयी...इसलिए खोलने चला आया..
उनकी नजर नीचे होकर मेरे लंड वाले हिस्से पर गयी...
और फिर वो बोली : ठीक है..ठीक है..हमारे ग्रुप में ज्यादातर लडकिया है...इसलिए थोडा बिहेव सही रखना अपना..समझे..और ये लो, अंशिका का एक और बेग, ये नीचे रह गया था, उसे अभी आने में टाईम लगेगा..ओके
और ये कहकर वो चली गयी.
मैंने राहत की सांस ली, पर मुझे उस लड़की का चेहरा याद आ रहा था जो अपने होंठो पर जीभ फेर रही थी..जल्दी ही उसके बारे में पता लगाना होगा.
जैसा की अंशिका ने बताया था, इस टूर पर टोटल पचास लोग आये थे, बीस स्टुडेंट्स, सोलह उनके रिलेटिव जो ज्यादातर भाई या बहन थे, और बाकी कॉलेज के स्टाफ..अब ये लड़की कॉलेज की है या किसी स्टुडेंट की बहन ये पता लगाना होगा.
मैंने अन्दर आकर जल्दी से कपडे पहन लिए, क्या पता किट्टी मेडम दोबारा अन्दर आ जाए.
जैसे ही मैंने कपडे पहने, बेल फिर से बज उठी, मैं भागकर फिर से बाहर आया, इस बार अंशिका थी ..
वो अन्दर आई, दरवाजा बंद किया, और मुझसे बुरी तरह से लिपट गयी.
मेरे शरीर से उठती महक और गीले बालो को देखकर वो बोली : नहा भी लिए तुम...वाह..पर ये कपडे क्यों पहने फिर...मेरा इन्तजार नहीं कर सकते थे...हूँ...
अब बताओ यार, पहले जब टोवल में इन्तजार किया तो किट्टी मेम आ गयी और बोली की टोवल में क्यों हो और अब जब कपडे पहन लिए तो ये मेडम कह रही है की कपडे क्यों पहने..
अंशिका ने मुझे प्यार से देखा और बोली...बी रेडी ....मैं नहाकर आती हु...
और मुझे देखकर, एक सिडक्टिव सी स्माईल देकर, वो बाथरूम के अन्दर चली गयी...नहाने.