Mast h yar
Vishal bhai ansika ko mila do yar dono sath me chodenge
Sali to mast mal h kasam se
Ansika ki chakkar me 6 bar muth mar chuka hun
Ahhhhhhhh jasnnnn ansika
(25-11-2017, 12:36 AM)sex boy : Mast h yar
Vishal bhai ansika ko mila do yar dono sath me chodenge
Sali to mast mal h kasam se
Ansika ki chakkar me 6 bar muth mar chuka hun
Ahhhhhhhh jasnnnn ansika
Bhai vishal to kab ka anshika ko chod cuka... Aur sath me kai aur ladkiyon ko bhi...
अंशिका : ये लो फिर.... उम्म्म्ममा.... तुम्हारे लम्बे.... मोटे.... लंड के ऊपर....मेरे गुलाबी...गीले होंठो का चुम्मा.... उम्म्म्ममा..... और साथ में कन्नू भी चूमेगी.... तुम्हे....हम दोनों एक साथ..... उम्म्मम्म्म्मा....
ये कहते हुए अंशिका ने कन्नू को भी अपने पास बुलाया और फिर दोनों बहने बेतहाशा चूमने लगी, मेरे लंड को, फ़ोन पर ही...
अंशिका (धीरे से) : हो गया न....
मैं अपने चारो तरफ फेले रस को देखकर बोला : हाँ...हो गया...और कुछ ज्यादा ही...चल बाय ...सफाई करनी पड़ेगी...अब...कल बात करते है...
मैंने अपना फेलाया हुआ कीचड साफ़ किया और फिर आराम से सो गया
अगले दिन कुछ ख़ास काम नहीं था, मम्मी-पापा को गए हुए भी 2 -3 दिन हो चुके थे, यानी अब इतने ही दिन और बचे है मेरे पास, मेरी आजादी के...
मैंने नाश्ता किया और टीवी देखने लगा, ग्यारह बज चुके थे ये सब करते-२ ..
तब मुझे अंशिका का फोन आया.
अंशिका : हाय ..गुड मोर्निंग..
मैं : गुड मोर्निंग जी...आज इस समय कैसे मेरी याद आ गयी.
अंशिका (हँसते हुए) : तुम्हे याद करने के लिए आजकल टाइम नहीं देखना पड़ता...वो तो हर समय आती रहती है...अच्छा सुनो..मैंने तुम्हे कुछ बताने के लिए फोन किया है..
मैं : क्या प्रेग्नेंट हो गयी हो...मेरी चुदाई से..
अंशिका : चुप रहो..जब देखो, वोही बात..
मैं : अच्छा बाबा...नाराज क्यों होती हो...बोलो..क्या बात बतानी थी.
अंशिका : आज प्रिंसिपल मेम ने बुलाया था मुझे, अगले वीक एक टूर ओर्गेनायीस हो रहा है कॉलेज की तरफ से, नेनीताल के लिए, और मुझे टूर को ओर्गेनायीस करने की जिम्मेदारी दे डाली ...कह रही थी की पिछला अनुअल फंक्शन काफी अच्छे तरीके से करवाया था मैंने..ये काम भी तुम करो..
मैं : ये तो अच्छी बात है...तुम्हारे काम की तारीफ हो रही है और नयी रिस्पोंस्बिलिटी भी मिल रही है..
अंशिका : हाँ..वो तो है..पर मैंने कुछ और कहने के लिए फोन किया है..दरअसल ..ये फेमिली टूर है..मतलब हम स्टाफ में से हर कोई अपने एक फॅमिली मेम्बर को ले जा सकता है...तो मैं सोच रही थी..की मैं तुम्हे अपने साथ ..
मैं : अरे वाह...मजा आ जाएगा तब तो...पर ऐसे कैसे हो सकता है..मैं तुम्हारा फेमिली मेम्बर तो नहीं हु न..
मैंने मायूसी भरे लहजे में अपनी बात ख़त्म की.
अंशिका : हो नहीं...पर हो भी..
मैं : मतलब...
अंशिका : याद है..मैंने तुम्हे किट्टी मेम से और अपने दुसरे कलिगस से अपना कजिन कहकर मिलवाया था...
25-11-2017, 04:56 PM (This post was last modified: 25-11-2017, 04:57 PM by honey boy.)
मैं : हाँ...वो तो है..यानी तुम मुझे अपना कजिन कहकर ले जा सकती हो....वाह...मजा आ जायेगा तब तो...पर तुम अपनी सगी बहन को छोड़कर मुझे क्यों ले जाना चाहती हो...
अंशिका (धीरे से.) : सब कुछ अभी बता दू क्या..हूँ..
मेरे दिल की धड़कन काफी तेजी से चलने लगी...और उससे भी तेज चलने लगी मेरी कल्पना शक्ति...मैंने आँखे बंद करी और मैं सीधा नेनीताल पहुँच गया, होटल के कमरे, कॉलेज की लडकियों से भरे हुए...और मेरे साथ अंशिका...वाव.....मजा आ गया...
अंशिका : क्या हुआ...कहाँ खो गए...अभी से सपने देख रहे हो क्या..
मैं : हूँ...हाँ...सोरी...पर अगर किसी को पता चल गया तो...मतलब...तुम्हारे घर पर किसी ने बता दिया की तुम्हारे साथ मैं भी जा रहा हु तो..
अंशिका : तुम उसकी फ़िक्र मत करो...जब मुझे डर नहीं लग रहा तो तुम्हे क्या हो रहा है...मैं तो बस जानना चाहती थी की तुम्हे तो कोई प्रोब्लम नहीं है न 3 दिनों के लिए बाहर जाने में...
मैं : मुझे...मुझे क्या प्रोब्लम हो सकती है...संडे तक मम्मी-पापा भी आ जायेंगे...और अगले हफ्ते मैं तुम्हारे साथ चल दूंगा...घर पर कह दूंगा की कॉलेज के फ्रेंड्स के साथ नेनीताल जा रहा हु..बस..
अंशिका (खुश होते हुए) वाव...तब ठीक है...तो फिर मैं तुम्हारा नाम लिखवा देती हु...ट्रेन बुकिंग के लिए...
मैं : अच्छा सुनो...कनिष्का भी चल सकती है क्या..
अंशिका : नहीं यार...सिर्फ एक ही फेमिली मेम्बर को ले जा सकते हैं...भाई या बहन..वैसे कजिन अलाव नहीं था..पर हमारी किटी मेम है न...उन्हें जब मैंने बताया की मैं तुम्हे ले जाना चाहती हु तो उन्होंने हाँ कर दी..आखिर वो हमारी एडमिन हेड भी तो हैं न...
मुझे पता था की किटी मेम ने मेरे लिए हाँ क्यों बोली है...
मैं : चलो कोई बात नहीं...कनिष्का नहीं चल सकती तो कोई बात नहीं...
अंशिका : हम दोनों बहनों को एक साथ करने में ज्यादा मजा आने लगा है शायद...हूँ..
मैं : हाँ...और तुम दोनों बहनों जैसी हॉट जोड़ी तो और कोई हो ही नहीं सकती...
अंशिका : वैसे इतनी ही याद आ रही है उसकी तो बुला लो उसे...अपने घर..आज तो वो फ्री है..
मैं उसकी बात सुनकर हेरान रह गया...अंशिका अपनी बहन को मुझसे चुदवाने के लिए खुद ही बोल रही थी आज...और कहाँ वो अपनी बहन के बारे में मेरे मुंह से कोई गन्दी बात सुनने को भी राजी नहीं होती थी...उन दोनों की एकसाथ चुदाई करने का ही नतीजा है ये सब..
मैं : अच्छा....फ्री है वो...ठीक है...अभी फोन करता हु उसे..वैसे..कॉलेज के बाद, तुम भी आ जाओ न..मेरे घर.
अंशिका : नहीं विशाल...आज नहीं आ पाऊँगी..घर पर कुछ काम है...आज तुम कन्नू से मजे लो..
मैंने उससे उस समय ज्यादा बहस करनी उचित नहीं समझी. और थोड़ी देर और बात करने के बाद फोन रख दिया.
और फिर मैंने कनिष्का को फोन किया.
कनिष्का : हाय...स्लीपि हेड ...उठ गए..
मैं : मुझे उठे हुए तो एक घंटा हो गया..
कनिष्का : है...एक घंटा...और मैंने सोचा की तुम देर से उठोगे, इसलिए मैंने तुम्हे फोन नहीं किया...पता है, सुबह से तुम्हे फोन करने के लिए बेचैन थी मैं..
मैं : तो कर लेती न...या फिर सीधा आ जाती घर पर ही..
कनिष्का : नहीं बाबा...सीधा तो मैं अब कभी नहीं आउंगी...तुमने पता नहीं किसी और को इनवाईट कर रखा हो..
मैं : हा हा...तुम भी न...चलो आ जाओ अब, आज तुम्हारे अलावा कोई और इनवाईट नहीं है...तुम्हारी दीदी भी नहीं...उसे आज कोई काम है..
कनिष्का : उनसे मुझे कोई प्रोब्लम नहीं है...वैसे प्रोब्लम तो किसी से भी नहीं है..चलो ठीक है...मैं आती हु, आधे घंटे में. ओके..बाय..
और फिर उसने भी फोन रख दिया.
मैंने जल्दी से घर को साफ़ करना शुरू कर दिया, बेड शीट बदली, कमरे में स्प्रे किया, और फिर नहाने चल दिया, नहाकर निकला ही था की बेल बजने लगी, अभी तो सिर्फ बीस मिनट ही हुए थे, इतनी जल्दी कैसे आ गयी कनिष्का..मैंने टोवल में ही जाकर दरवाजा खोल दिया.
..
...
सामने पारुल खड़ी थी..
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वो आगे आई और टावल के ऊपर से ही मेरे लंड को हाथ में लेकर मसल दिया.
उसने टी शर्ट और जींस पहनी हुई थी...अपने मोटापे की वजह से वो जींस काफी कम ही पहनती थी..पर आज वो जींस में ज्यादा मोटी नहीं लग रही थी.
पारुल : क्या हुआ...मुझे देखकर ख़ुशी नहीं हुई तुम्हे क्या...अन्दर कोई और भी है क्या..उस दिन की तरह...हूँ...
मैं : नहीं पारुल ...कोई नहीं है...पर आने वाली है..
पारुल : अच्छा ...वोही तुम्हारी गर्ल फ्रेंड...उस दिन वाली..क्या मारी थी तुमने उसकी...यार...मजा आ गया था तुम्हे उसको फक करते हुए देखकर..सच में..
वो अपनी ब्रेस्ट के निप्पल को बड़ी बेशर्मी से मेरे सामने ही दबाने लगी...उस दिन की चुदाई के बारे में सोचकर..
मैं : नहीं पारुल...वो नहीं...कोई और है..
पारुल : शाबाश...मेरे शेर...शाबाश...पहले तो तुम्हे कोई मिलती नहीं थी...और अब...लाईन लगाकर..सही है...
मैं हंसकर रह गया.
पारुल : पर मेरा क्या होगा यार...कितने मन से आई थी मैं...सोचा था की कल तुमने पूरा दिन आराम किया है, तो आज जाकर तुम्हारे साथ फिर से..यु नो मी ना....आजकल मुझे अपने आप पर काबू नहीं रहता...मन करता है की बस कोई मुझे सारा दिन चोदता रहे...चोदता रहे...बस और कुछ नहीं...
मैं उसकी बात सुनकर समझ गया की अगर मैंने उसे जबरदस्ती वापिस भेजा तो उसे कितना बुरा लगेगा..
मैं : कोई बात नहीं पारुल...आज तुम भी रुको...थ्रीसम करेंगे ...बोलो..
पारुल : थ्रीसम....वाव...मैंने आज तक नहीं किया...पर तुम्हारी वो फ्रेंड मानेगी क्या..
मैं : जिसे लंड चाहिए...वो मेरी हर बात मानेगी...हाहा
और हम दोनों एक दुसरे के हाथ के ऊपर हाथ मारकर हंसने लगे..
तभी बाहर से कनिष्का अन्दर आ गयी.
उसने जैसे ही मुझे पारुल के साथ केवल टावल में खड़ा हुए देखा वो सकपका गयी.
कनिष्का : ओह...लगता है...मैं गलत टाईम पर आ गयी.
मैं : अरे नहीं कनिष्का...आओ, इससे मिलो, ये है मेरे स्कूल टाईम की फ्रेंड पारुल...और पारुल ये है कनिष्का, जिसके बारे में मैंने अभी तुमसे कहा.
पारुल :हाय कनिष्का..बड़ा प्यारा नाम है...और उतनी ही प्यारी तुम भी हो..
कनिष्का : थेंक्स..
कनिष्का को काफी अनकम्फर्टेबल महसूस हो रहा था, उसने शायद सोचा भी नहीं था की मेरे घर पर कोई और भी लड़की हो सकती है.
मैं : क्या हुआ..कन्नू, तुम तो कह रही थी की तुम्हे कोई प्रोब्लम नहीं है..अगर कोई और भी साथ हो तो..
वो मेरी तरफ आँखे फाड़ कर देखे जा रही थी..उसे लगा था की मेरी फ्रेंड आई है मिलने, पर मेरी बातो से उसे विशवास होने लगा था की आज मैं उन दोनों की एक साथ लेने के मूड में हु, जैसे कल ली थी उसकी, अंशिका के सामने ही...पर अपनी बहन के सामने करने में और किसी दुसरे के सामने करने में फर्क है...पर पारुल को किसी बात से परेशानी नहीं थी, वो नोर्मल सी बैठी थी सोफे पर...शायद कन्नू के चेहरे पर आये हुए भाव को पड़ने की कोशिश कर रही थी वो..
पारुल :हाय कनिष्का..बड़ा प्यारा नाम है...और उतनी ही प्यारी तुम भी हो..
कनिष्का : थेंक्स..
कनिष्का को काफी अनकम्फर्टेबल महसूस हो रहा था, उसने शायद सोचा भी नहीं था की मेरे घर पर कोई और भी लड़की हो सकती है.
मैं : क्या हुआ..कन्नू, तुम तो कह रही थी की तुम्हे कोई प्रोब्लम नहीं है..अगर कोई और भी साथ हो तो..
वो मेरी तरफ आँखे फाड़ कर देखे जा रही थी..उसे लगा था की मेरी फ्रेंड आई है मिलने, पर मेरी बातो से उसे विशवास होने लगा था की आज मैं उन दोनों की एक साथ लेने के मूड में हु, जैसे कल ली थी उसकी, अंशिका के सामने ही...पर अपनी बहन के सामने करने में और किसी दुसरे के सामने करने में फर्क है...पर पारुल को किसी बात से परेशानी नहीं थी, वो नोर्मल सी बैठी थी सोफे पर...शायद कन्नू के चेहरे पर आये हुए भाव को पड़ने की कोशिश कर रही थी वो..
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अब आगे
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मैंने कनिष्का के कंधे पर हाथ रखा और उसे पकड़कर पारुल के साथ ही सोफे पर बिठा दिया, और मैं उसके सामने उसके घुटने पर हाथ रखकर अपने पंजो के बल बैठ गया.
मैं : देखो कनिष्का, मैं तुमसे कुछ छिपाना नहीं चाहता..ये मेरी स्कूल फ्रेंड है..और अभी कुछ दिनों पहले ही इसका ब्रेकअप हुआ है, और ये अपने बॉय फ्रेंड के साथ हुए सेक्स को काफी मिस कर रही थी, इसलिए अब इसे मैं वो सेटिस्फेक्शन दे रहा हु जो ये चाहती है... और अभी मैं इससे थ्री सम की बात ही कर रहा था, और ये तैयार भी है...अगर तुम नहीं चाहती ये करना तो तुम्हे मैं फ़ोर्स नहीं करूँगा..पर करोगी..तो बड़ा मजा आएगा..जैसा कल मिला था ..उससे भी ज्यादा..क्योंकि ये पारुल है न..ये सेक्स की प्यासी है..खुद भी मजे लेती है..और दुसरो को उससे ज्यादा देती है..
मेरी बात कनिष्का बड़े ध्यान से सुन रही थी...उसके चेहरे की रंगत देखकर तो मैं समझ ही गया था की वो आगे की बाते सोचकर उत्तेजित हो रही है..पर फिर भी मैं उसके मुंह से सुनना चाहता था.
मैं : बोलो ...कन्नू...
कन्नू : ठीक है...जैसा तुम चाहो...
हाथमे आया इतना सुनेहरा अवसर शायद ही कोई छोड़ना चाहेगा...और वैसे भी वो चुदने के परपस से ही आई थी...बिना लंड लिए तो वो वापिस जाने से रही..
उसकी बात सुनते ही मैं खुश हो गया...और बोला : ठीक है...तुम दोनों यहीं बैठो...मैं कपडे पहन कर आता हु..
मेरी बात सुनते ही पारुल तपाक से बोली : ये कपडे उतारने का टाईम है विशाल...न की पहनने का..
उसकी बात सुनकर मेरे साथ-२ कनिष्का भी हंसने लगी .
मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था...अब उसके शो दिखाने का टाईम आ गया था...मैं उन दोनों के बीच खड़ा हो गया..मेरी बन्दूक सामने की तरफ तनी हुई थी..पारुल ने मेरे टावल को धीरे से खोला और मेरे जिस्म से गीला टावल हटा दिया..जैसे ही टावल हटा, मेरा लंड स्प्रिंग की तरह से हवा में झूलने लगा...जिसे देखकर पारुल ने बिना कोई देर किये उसे पकड़ा और सीधा अपने मुंह के हवाले कर दिया..और उसे तेजी से चूसने लगी...
उसकी हरकत देखकर कनिष्का के होंठ लरज रहे थे ..वो शायद सोच रही थी की उसने क्यों पहल नहीं की..ये सोचते हुए वो अपनी ब्रेस्ट को हाथ में लेकर होले से दबाने लगी...अपने सुख चुके होंठो पर जीभ फिराने लगी...और थोडा आगे होकर ध्यान से पारुल को मेरा लंड चूसते हुए देखने लगी.
पारुल ने जब देखा की भूखी कन्नू उसे बड़ी ललचाई नजरो से देख रही है तो वो थोडा पीछे हुई , मेरे लंड को बाहर निकाला और उसे कन्नू के मुंह की तरफ करके बोली : चल शुरू हो जा ..शर्मा मत ..
उसे तो जैसे इसी मौके का इन्तजार था...उसने मेरे लंड को पारुल के हाथ से झपटा और सीधा अपने मुंह में धकेल दिया..मेरे लंड को वो किसी खिलोने की तरह ट्रीट कर रही थी...मेरे लंड पर उसके दांतों की रगड़ लगी..मैं कराह उठा...
मैं : धीरे...धीरे...करो कन्नू...ये तुम्हारा ही है...भागा नहीं जा रहा कहीं...
उसने अपनी नजरे मुझसे मिलायी, जिनमे हलकी हंसी मैंने साफ़ देखि ...और फिर मुझे देखते-२ ही वो मेरे लंड को बुरी तरह से चूसने लगी...बिना अपने दांत लगाये..
इतनी देर में पारुल ने अपनी टी शर्ट और जींस उतार दी...वो बिलकुल भी नहीं शर्मा रही थी...
उसके मुम्मे ब्रा में कैद देखकर मेरे लंड का खून और तेजी से दोड़ने लगा...मुझे देखते हुए ही उसने अपनी ब्रा भी खोल दी..और खड़े होकर मेरे पास आई और मेरे होंठो के ऊपर अपने होंठ रखकर उन्हें चूसने लगी...मेरा हाथ सीधा उसके दोनों मुम्मो पर जाकर चिपक गया और उन्हें मसलने लगा...कन्नू मेरा लंड और पारुल मेरे होंठ चूस रही थी...पारुल अपनी ब्रेस्ट को मेरी छाती से रगड़ने लगी...
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पारुल को ना जाने क्या हुआ, उसने एकदम से अपनी एक टांग उठा कर लंड चूस रही कनिष्का के सर से घुमा कर दूसरी तरफ फेंक दी..अब पारुल का मुंह मेरी तरफ था और उसकी दोनों टाँगे मेरे लंड के दोनों तरफ थी...और नीचे कन्नू मेरा लंड चूस रही थी...मुझसे कम हाईट होने की वजह से उसकी गांड नीचे लंड चूस रही कनिष्का के मुंह से टच हो रही थी...अब आलम ये था की उसे लंड के साथ-२ पारुल की चूत की खुशबु भी लेनी पड़ रही थी...मैंने पारुल की गांड के नीचे हाथ लगा कर उसे ऊपर की तरफ उठा लिया और उसने भी अपनी बाहे मेरी गर्दन में लपेट कर मुझे चूमना और चाटना शुरू कर दिया..उसका वजन काफी था, पर मैंने फिर भी उसे उठा रखा था.
वो तो जैसे मुझमे समां जाने को आतुर थी, मुझे अपनी तरफ इतनी तेजी से भींच रही थी की उसकी मोटी ब्रेस्ट बीच में पीसकर ऊपर की तरफ आकर मेरी ठोडी से टकरा रही थी. मैंने थोडा नीचे होकर उसकी ब्रेस्ट के ऊपर अपनी जीभ रख दी...और उसे फिराते हुए नीचे जाकर उसके निप्पल को मुंह में लेकर जोरो से चूसने लगा...वो जोर-२ से चीखने लगी..
आआअह्ह्ह्ह विशाल्ल्ल्ल......काट डालो....इन्हें.....अह्ह्ह्ह....बड़ी खुजली होती है इनमे......साले बड़ा परेशान करते हैं ये....चुसो......जोर से चुसो....हरामियो को...
वो अपने चिर परिचित अंदाज में चीखे जा रही थी...और अपने गुलाबी निप्पलस को गालियाँ दिए जा रही थी.
और नीचे उस कनिष्का ने अति मचा रखी थी....वो भी पारुल की चीखे सुनकर अपने असली रंग दिखाने लगी...और मेरे लंड को मुंह में भरे-२ ही वो भी आवाजे निकालने लगी....
मैंने एक ऊँगली पारुल की गांड में डाल दी....वो थोडा सा उछल कर ऊपर की तरफ हुई और फिर एकदम से मेरी ऊँगली के ऊपर बैठ गयी....मेरी ऊँगली उसकी गांड के अन्दर फिसलती चली गयी ....पारुल के तो मजे हो गए...
वो मेरी ऊँगली को अन्दर ले कर मजे से ऊपर नीचे होने लगी..
उसकी चूत मेरे लंड के ऊपर वाले हिस्से पर घस्से लगा रही थी..जिसकी वजह से उसके अन्दर का पानी निकलकर नीचे की तरफ जाने लगा...और जब उसकी चूत का पानी लंड से फिसलकर कनिष्का में मुंह में गया तो उसे भी ये डबल टेस्ट का बड़ा मजा आया, जो मुझे उसकी स्पीड देखकर पता चला..
पारुल ने अपने होंठ मुझसे हटा कर जोर से बोली : स्स्स्स ....ओह्ह्ह्ह....विशाल...अब सहन नहीं होता....प्लीस....डाल दो अब....
मैंने नीचे हाथ करके अपने लंड को कन्नू के मुंह से छुड़ाया...और उसकी गीली हो चुकी चूत के मुहाने पर रखकर अन्दर की तरफ धकेल दिया...बाकी का काम उसके मोटे जिस्म ने कर दिया..अपना सारा भार उसने मेरे लंड की तरफ करके अपनी चूत को मेरे लंड के चारो तरफ लपेट सा दिया.
और वो ऊपर नीचे उछलने लगी....मेरे शानदार लंड के ऊपर.
नीचे बैठी हुई कनिष्का ने अपना मुंह अभी भी ऊपर ही किया हुआ था...इसी आशा में की कभी तो मेरा लंड बाहर फिसलेगा और जैसे ही वो आएगा वो उसे लपक लेगी..अपने मुंह में...
पर काफी देर तक कुछ आता न देखकर वो बेचैन सी हो गयी...उसने जल्दी से अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए...और एक ही मिनट में वो मादरजात नंगी होकर नीचे की तरफ वापिस बैठ गयी...उसने मेरी ऊँगली को पारुल की गांड से बाहर निकाला...और उस जगह पर अपना मुंह लगा दिया....
पारुल के लिए ये शायद पहला मौका था की किसी लड़की ने उसकी गांड के छेद को अपने मुंह से छुआ था.
वो अपने मुंह से उसकी गांड के छेद में सक करने लगी...उसकी सक्शन पावर इतनी ज्यादा थी की पारुल को चूत से ज्यादा उसे अपनी गांड में
सन-सनाहत होने लगी...जिसकी वजह से वो जोरो से चीखते हुए मेरे लंड पर किसी करंट लगी कुतिया की तरह से कूदने लगी...
और चीखते - २ कब उसकी चूत का रसायन बाहर निकल कर नीचे की तरफ झरना बनकर गिरने लगा, उसे भी नहीं पता चला, उसने तो कूदना तब बंद किया जब उसकी चूत के अन्दर की दीवारे लंड को और बर्दाश्त कर पाने में असमर्थ थी...वो हांफती हुई मेरे लंड के ऊपर अपना पूरा भार डालकर लटक गयी...और कनिष्क थी की वो उसकी गांड को चुसे जा रही थी..और उसने भी चुसना तब बंद किया जब उसे अपनी तरफ एक-दो बूंदे रस की लुडक कर आती दिखाई दी, जैसे ही बुँदे उसके होंठो से टकराई उसे पता चल गया की पारुल का रस निकल चूका है...
मैंने पारुल को धीरे से अपने लंड से जुदा किया...कन्नू ने भी उसकी गांड को चुसना बंद कर दिया..और वो थोडा आगे की तरफ होकर मेरे लंड और पारुल की चूत के बीच से निकलकर ऊपर की तरफ उठती चली गयी...और एकाएक मेरे सामने आकर प्रकट हो गयी..पारुल तो निढाल हो चुकी थी, वो पीछे की तरफ होकर सोफे पर लुडक गयी..
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