और मैंने पिज्जा की चीज में ऊँगली डालकर उसे चूसा और एक जोरदार चटखारा लिया....जिसे देखकर कनिष्का के साथ-२ अंशिका की भी हंसी छूट गयी...
अंशिका : तुम दोनों बड़े जिद्दी हो....चलो ठीक है...जैसा तुम कहो..
और ये कहते हुए उसने मेरी आँखों में देखा और फिर मुस्कुराते हुए मेरे सामने आ बैठी...और फिर उसने अपनी जीभ को पिज्जा की चीज में डुबाया और चीज से भीगी हुई जीभ को मेरे लंड के ऊपर फिराने लगी...
मेरी तो सिसकारी ही निकल गयी...शुक्र है मैंने चीज पिज्जा मंगाया था...अगर स्पाईस वाला होता तो मेरे लंड के ऊपर आग लग चुकी होती....पर अभी तो हलकी गर्म चीज और ठंडी जीभ का मजा मिल रहा था मुझे....
कनिष्का मेरे पीछे आकर खड़ी हो गयी...और झुककर मेरे कंधो पर अपने बूब्स रखकर अपनी बहन को मेरा लंड चूसते हुए निहारने लगी.
******
अब आगे
******
अंशिका तो लंड चूसने में महारत हासिल कर चुकी थी अब तक, वो मेरे लंड को अपनी चीज से भीगी हुई जीभ से सहला कर, चाट रही थी..चीज लगने की वजह से मेरा लंड सफ़ेद रंग की चादर में लिपट चूका था..जिसे देखकर कनिष्क ने पीछे से कहा : वाव दीदी..आज तक चीज बर्गर और चीज सेंडविच तो देखा था ..पर आज चीज लंड भी देख लिया..ही ही...वैसे कैसा है इसका टेस्ट...
अंशिका ने अपना मुंह ऊपर उठाया और बोली : इट्स डिफरेंट..
ये सुनकर हम सब हंसने लगे.
अंशिका के दोनों निप्पल खड़े हो चुके थे और मेरी जांघो पर किसी तीर की तरह से चुभ रहे थे..मैंने उसकी ब्रेस्ट के ऊपर हाथ रखकर अपने आपको उसके तीरों से बचाया. और होले-२ उसके दोनों दूध दोहने लगा.
अंशिका कसमसा कर रह गयी...वो भी अपने एक हाथ को अपनी चूत के ऊपर ले गयी और उसे रगड़ते हुए लम्बी सिस्कारियां लेने लगी.
पीछे बैठी हुई कनिष्क ने आगे बढकर एक पिज्जा का पीस उठाया और खाने लगी..
अंशिका ने मेरे चीज से सने हुए लंड को पूरा मुंह में डाला और उसे किसी केन्डी की तरह से चूसने लगी.
तभी कनिष्का का फोन बजने लगा. वो भागकर गयी और फ़ोन उठाकर वापिस वहीँ आ गयी और अंशिका से बोली : मम्मी का फोन है..
और फिर फ़ोन को स्पीकर मोड पर डालकर उसने फोन उठाया.
कनिष्का : या मम्मा ...
मम्मी : या की बच्ची...कहाँ है तू....तुने तो कहा था की २ घंटे में आ जायेगी..कहाँ रह गयी .
कनिष्का : वो..वो मम्मा ..मैं दीदी के साथ हु..
उसके ये कहते ही अंशिका ने अपना चेहरा ऊपर किया और गुस्से से कनिष्का को देखा..
मम्मी : अंशिका तुझे कहाँ मिल गयी...
कनिष्का : वो क्या है न मम्मा...मैं तो अपनी फ्रेंड के घर से निकल ही चुकी थी...मैंने दीदी को फोन किया और उनके साथ पिज्जा खाने के लिए डोमिनोस आ गयी...
मैं उसकी बात सुनकर हंसने लगा.
मम्मी : कमाल है...पर बेटा बता तो देते न...और ये अंशिका भी इतनी लापरवाह कब से हो गयी है...दे जरा उसे फ़ोन.
कनिष्का ने अपनी हंसी छुपाते हुए अंशिका के सामने फोन कर दिया.
अंशिका तो लंड चूसने में बीजी थी...पर बात तो करनी ही थी न...उसने अनमने मन से लंड बाहर निकाला और बोली :हूँ....मम्मी...बोलो...
उसके मुंह में लंड से लिपटी चीज जम सी गयी थी...वो ढंग से बोल भी नहीं पा रही थी.
मम्मी : ये क्या है अंशु...फोन तो कर देती न की कन्नू तेरे साथ है...आजकल ज़माना कितना खराब है..पता है न...मुझे तो चिंता हो रही थी..तू तो अक्सर कॉलेज से लेट हो जाती है..पर फ़ोन भी कर देती है न...पर आज तुने किया भी नहीं..और कन्नू तेरे साथ है उसके बारे में भी नहीं बताया...चलो कोई बात नहीं..अभी क्या कर रही है.
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23-11-2017, 03:59 PM (This post was last modified: 23-11-2017, 03:59 PM by honey boy.)
अंशिका : मम्मी...अभी तो पिज्जा आया है...खाने में भी टाईम लगता है न..
और ये कहते हुए उसने मेरी तरफ देखकर आँख मार दी.
मम्मी : ठीक है..ठीक है...जो भी है...जल्दी आ जाना. ओके...बाय...
और ये कहकर उसकी मम्मी ने फोन रख दिया..
फ़ोन रखते ही दोनों बहने जोर-जोर से हंसने लगी..और जब हंसी थमी तो अंशिका ने फिर से लम्बी जीभ निकाली और मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया...
फिर वो थोडा पीछे हुई और एक पिज्जा का टुकड़ा उठा कर खाने लगी.
मैंने भी जल्दी-२ दो पीस खा लिए..बाकी बचा हुआ एक-एक पीस दोनों बहनों ने खा लिया.
फिर डब्बा साईड में फेंककर अंशिका मुझे लंड से पकड़कर अन्दर बेड की तरफ ले जाने लगी...
मैं भी उसके गुलाम की तरह अपने हथियार को उसके हवाले करके उसके पीछे चल दिया.
अन्दर जाते ही अंशिका ने मुझे बेड पर धक्का दिया.
कनिष्का भागकर बेड के ऊपर आकर बैठ गयी और अपनी बहन को मुझे डोमिनेट करते हुए देखने लगी.
अंशिका अपनी मतवाली चाल चलती हुई बेड के किनारे तक आई और अपनी एक टांग उठाकर बेड के ऊपर रखने के बाद वो अपनी ऊँगली से अपनी चूत की परते खोलकर मुझे और कनिष्का को दिखाने लगी...
अन्दर का गुलाबीपन साफ़ दिखाई दे रहा था.आज अंशिका बड़ा ही अजीब बिहेव कर रही थी...और वो भी अपनी छोटी बहन के सामने.
और फिर वो ऊपर चढ़ गयी...और मेरे सीने के दोनों तरफ अपनी टाँगे करके खड़ी हो गयी...मेरा चेहरा ऊपर की तरफ था..और उसकी चूत के अन्दर तक का नजारा साफ़ दिखाई दे रहा था मुझे...मैंने उसकी दोनों पिंडलियाँ पकड़ी और उसे नीचे की तरफ खींचने लगा...उसने जैसे ही अपनी गद्देदार गांड मेरे सीने पर लेंड की..मैंने उसकी गर्दन के पीछे हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींचा और बेतहाशा चूमने लगा...उसकी चूत का गीलापन मैं अपनी छाती और पेट वाले हिस्से पर साफ़ महसूस कर पा रहा था...एक अजीब सी ठंडक का एहसास मिल रहा था उसके जूस से...मेरे मुंह में उसे पीने की त्रीव इच्छा हुई और मैंने उसे जांघो से पकड़कर अपने मुंह की तरफ घसीटा...उसकी चूत से निकले जूस की वजह से मेरी छाती इतनी फिसलन भरी हो चुकी थी की मेरे जरा सा जोर लगाने भर से वो मेरे मुंह की तरफ ऐसे फिसलती चली आई मानो नीचे स्केट लगा रखे हो...और धम्म से आकर उसकी चूत मेरे मुंह से आ टकराई...
उसके मुंह से एक जोरदार आवाज निकली :आआआआअह्ह्ह .....म्मम्मम्म....ओह्ह्ह्हह्ह...माय......गोड.....या........म्मम्मम....
मेरे सर के बिलकुल पीछे कनिष्का बैठी हुई अपनी बहन का उत्तेजक रूप देख रही थी...अंशिका का मुंह खुला हुआ था....और उसके मुंह से रसीली लार टपक कर नीचे गिर रही थी...कनिष्का आगे बड़ी और अपनी बहन के गीले होंठो को चूमने लगी...
मेरे मुंह के ऊपर अंशिका की चूत थी..जिसे मैंने जोर जोर से चुसना शुरू कर दिया...आज जितना रस उसकी चूत से आजतक नहीं निकला था...मेरी गर्दन और गाल उसके जूस से पूरी तरह से गीले हो चुके थे...और कनिष्का के आगे होने की वजह से उसकी चूत भी अब मेरी आँखों के बिलकुल ऊपर थी....और उसमे से भी रस टपक बूँद -२ करके मेरे माथे पर गिर रहा था..मुझे केरल की वो मसाज याद आ गयी जिसमे तेल की धार को माथे के ऊपर लाकर नीचे गिराया जाता है...खेर..जैसे ही कनिष्का की चूत अंशिका के पास आई, अंशिका ने उसकी गांड के ऊपर हाथ रखकर अपनी चूत की तरफ खींच लिया...उसकी चूत तो पहले से ही मेरे मुंह के अन्दर थी...पर दोनों बहनों की चूत के मिलन के लिए मैंने उसे बाहर निकाल दिया...और अगले ही पल उन दोनों ने अपनी चूत के एक दुसरे से रगड़ना शुरू कर दिया..और उनकी रगड़न से पैदा हुआ रस मेरे मुंह को भिगोने लगा..
कनिष्का ने नीचे झुककर अपनी बहन के मुम्मे को चुसना चालू किया...मैंने भी अपने दोनों हाथ ऊपर करके उन दोनों के मिले-जुले मुम्मे दबाने शुरू कर दिए...जिसका हाथ में आया..उसे दबाने लगा...आज सचमुच मुझे काफी मजा आ रहा था.
अंशिका पीछे की तरफ जाने लगी...और फिर से फिसलते हुए उसकी गांड मेरे लंड से जा टकराई...और मेरा लंड जो किसी रोकेट की तरह से खड़ा हुआ था..उसने जैसे ही अंशिका की चूत को अपने इतने पास देखा वो लौन्चिंग की तेयारी करने लगा...और अगले ही पल मैंने उसकी जांघो को पकड़ा और अपने लंड को उसकी चूत के ऊपर सेट करके एक धक्का मारा...
और फिर उसने मेरे चूत से भीगे लंड को पकड़ा और अपनी गांड के छेद पर लगाया...और एक दो बार तेज सांस लेकर अपनी आँखे बंद की और एक दम से अपना पूरा भार मेरे लंड के ऊपर छोड़ दिया...
मेरा लैंड उसकी गांड के फीते खोलता हुआ अन्दर तक जा धंसा..
कनिष्का अपनी बहन का दर्द बांटने के लिए उसकी पास गयी और उससे लिपट कर खड़ी हो गयी....
उसने जिस तरह से मेरे लंड को अपनी गांड में लिया था...एक ही बार में वो अन्दर तक जा घुसा था...शायद वो धीरे-२ दर्द के बदले एक ही बार में दर्द लेने पर विशवास करती थी.
थोड़ी ही देर में वो थोडा नोर्मल हुई...और फिर एकदम से मेरे ऊपर झुक गयी...और धीरे से बोली : हैप्पी ...
मैंने हाँ में सर हिलाया...साला कोन हेप्पी नहीं होगा..एक ही दिन में दोनों बहनों की गांड मारकर...
और फिर मैंने उसके गुलाबी होंठो को चूसते हुए, उसकी गांड के ऊपर हाथ रखकर, नीचे से धीरे-२ धक्के मारने शुरू किये...मेरे हर धक्के से उसके अन्दर एक अजीब सा कम्पन हो रहा था...और फिर वोही कम्पन एक तूफ़ान बनकर बरस पड़ा मेरे ऊपर....और वो पागलो की तरह मेरे लंड के ऊपर कूदने लगी...
अह्ह्ह्हह्ह...अह्ह्ह ...विशाल.....आई एम् लोविंग इट......या......फक माय एस........फक्क्क मी हार्ड एर्र्र्रर्र्र्र........अह्ह्हह्ह......
और फिर वो जोरो से हांफती हुई मेरे ऊपर गिर गयी...गांड के घर्षण की वजह से उसकी चूत से आज पानी की नहर निकली थी...जिसने मुझे और मेरे बेड को पूरा भिगो दिया था....
वो बेहोशी जैसी हालत में मेरे ऊपर पड़ी हुई थी....
मैंने उसे धीरे से नीचे किया और खुद ऊपर की तरफ आ गया...और ऐसा करते हुए मेरा लंड उसकी गांड से फिसल कर बाहर आ गया.
वो अभी भी गहरी साँसे लेती हुई आँखे बंद किये पड़ी थी.
मेरा लंड अभी भी स्टील जैसे खड़ा हुआ था.
पर अंशिका की हालत देखकर लगता नहीं था की वो अब मेरे लंड को ले पाएगी...मेरी परेशानी देखकर कनिष्का बोली : हे विशाल...कम हेयर....
और वो भी अपनी बहन के बाजू में लेट गयी....और अपनी टाँगे ऊपर हवा में फल दी...
मैंने हँसते हुए अपने लंड का रुख उसकी चूत की तरफ किया...और लंड को उसकी चूत में डालकर उसके ऊपर लेट सा गया...उसने भी मुझे अपनी बाँहों में लपेट कर अपनी टांगो को मेरी कमर में बाँध कर , मेरे लंड को पूरी तरह से अपने में समां लिया...और फिर जो धक्के मैंने मारे उससे पूरा बेड हिल गया...और इतना हिला की अंशिका की हलकी बेहोशी भी टूट गयी....और वो प्यार से मुझे अपनी बहन को चोदते हुए देखने लगी...
और जल्दी ही मेरे लंड की पिचकारियाँ उसकी चूत के अन्दर चलने लगी....
वो तो दो बार झड चुकी थी मेरे लंड के घमासान को देखकर...
उसे पूरी तरह से चोदने के बाद मैं उसके ऊपर से अलग हुआ और दोनों बहनों के बीच में लेट गया...और उन्होंने अपना सर मेरे दोनों कंधो पर रख दिया और मेरे ऊपर अपनी टाँगे फेलाकर मुझे अच्छी तरह से कैद सा कर लिया..
आज इन दोनों बहनों की गांड मारकर मुझे काफी मजा आया था. ये दिन मैं अपनी जिदगी में कभी भी नहीं भूल पाउँगा.
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(23-11-2017, 04:00 PM)honey boy : और फिर उसने मेरे चूत से भीगे लंड को पकड़ा और अपनी गांड के छेद पर लगाया...और एक दो बार तेज सांस लेकर अपनी आँखे बंद की और एक दम से अपना पूरा भार मेरे लंड के ऊपर छोड़ दिया...
मेरा लैंड उसकी गांड के फीते खोलता हुआ अन्दर तक जा धंसा..
कनिष्का अपनी बहन का दर्द बांटने के लिए उसकी पास गयी और उससे लिपट कर खड़ी हो गयी....
उसने जिस तरह से मेरे लंड को अपनी गांड में लिया था...एक ही बार में वो अन्दर तक जा घुसा था...शायद वो धीरे-२ दर्द के बदले एक ही बार में दर्द लेने पर विशवास करती थी.
थोड़ी ही देर में वो थोडा नोर्मल हुई...और फिर एकदम से मेरे ऊपर झुक गयी...और धीरे से बोली : हैप्पी ...
मैंने हाँ में सर हिलाया...साला कोन हेप्पी नहीं होगा..एक ही दिन में दोनों बहनों की गांड मारकर...
और फिर मैंने उसके गुलाबी होंठो को चूसते हुए, उसकी गांड के ऊपर हाथ रखकर, नीचे से धीरे-२ धक्के मारने शुरू किये...मेरे हर धक्के से उसके अन्दर एक अजीब सा कम्पन हो रहा था...और फिर वोही कम्पन एक तूफ़ान बनकर बरस पड़ा मेरे ऊपर....और वो पागलो की तरह मेरे लंड के ऊपर कूदने लगी...
अह्ह्ह्हह्ह...अह्ह्ह ...विशाल.....आई एम् लोविंग इट......या......फक माय एस........फक्क्क मी हार्ड एर्र्र्रर्र्र्र........अह्ह्हह्ह......
और फिर वो जोरो से हांफती हुई मेरे ऊपर गिर गयी...गांड के घर्षण की वजह से उसकी चूत से आज पानी की नहर निकली थी...जिसने मुझे और मेरे बेड को पूरा भिगो दिया था....
वो बेहोशी जैसी हालत में मेरे ऊपर पड़ी हुई थी....
मैंने उसे धीरे से नीचे किया और खुद ऊपर की तरफ आ गया...और ऐसा करते हुए मेरा लंड उसकी गांड से फिसल कर बाहर आ गया.
वो अभी भी गहरी साँसे लेती हुई आँखे बंद किये पड़ी थी.
मेरा लंड अभी भी स्टील जैसे खड़ा हुआ था.
पर अंशिका की हालत देखकर लगता नहीं था की वो अब मेरे लंड को ले पाएगी...मेरी परेशानी देखकर कनिष्का बोली : हे विशाल...कम हेयर....
और वो भी अपनी बहन के बाजू में लेट गयी....और अपनी टाँगे ऊपर हवा में फल दी...
मैंने हँसते हुए अपने लंड का रुख उसकी चूत की तरफ किया...और लंड को उसकी चूत में डालकर उसके ऊपर लेट सा गया...उसने भी मुझे अपनी बाँहों में लपेट कर अपनी टांगो को मेरी कमर में बाँध कर , मेरे लंड को पूरी तरह से अपने में समां लिया...और फिर जो धक्के मैंने मारे उससे पूरा बेड हिल गया...और इतना हिला की अंशिका की हलकी बेहोशी भी टूट गयी....और वो प्यार से मुझे अपनी बहन को चोदते हुए देखने लगी...
और जल्दी ही मेरे लंड की पिचकारियाँ उसकी चूत के अन्दर चलने लगी....
वो तो दो बार झड चुकी थी मेरे लंड के घमासान को देखकर...
उसे पूरी तरह से चोदने के बाद मैं उसके ऊपर से अलग हुआ और दोनों बहनों के बीच में लेट गया...और उन्होंने अपना सर मेरे दोनों कंधो पर रख दिया और मेरे ऊपर अपनी टाँगे फेलाकर मुझे अच्छी तरह से कैद सा कर लिया..
आज इन दोनों बहनों की गांड मारकर मुझे काफी मजा आया था. ये दिन मैं अपनी जिदगी में कभी भी नहीं भूल पाउँगा.
Vishal sach much dono bahno ko nahi bhul payega. Ab to sharm ki divar bhi tut chuki hai. Pura maza lega.
24-11-2017, 05:11 PM (This post was last modified: 24-11-2017, 05:12 PM by honey boy.)
अपडेट ५५
मैंने हँसते हुए अपने लंड का रुख उसकी चूत की तरफ किया...और लंड को उसकी चूत में डालकर उसके ऊपर लेट सा गया...उसने भी मुझे अपनी बाँहों में लपेट कर अपनी टांगो को मेरी कमर में बाँध कर , मेरे लंड को पूरी तरह से अपने में समां लिया...और फिर जो धक्के मैंने मारे उससे पूरा बेड हिल गया...और इतना हिला की अंशिका की हलकी बेहोशी भी टूट गयी....और वो प्यार से मुझे अपनी बहन को चोदते हुए देखने लगी...
और जल्दी ही मेरे लंड की पिचकारियाँ उसकी चूत के अन्दर चलने लगी....
वो तो दो बार झड चुकी थी मेरे लंड के घमासान को देखकर...
उसे पूरी तरह से छोड़ने के बाद मैं उसके ऊपर से अलग हुआ और दोनों बहनों के बीच में लेट गया...और उन्होंने अपना सर मेरे दोनों कंधो पर रख दिया और मेरे ऊपर अपनी टाँगे फेलाकर मुझे अच्छी तरह से कैद सा कर लिया..
आज इन दोनों बहनों की गांड मारकर मुझे काफी मजा आया था. ये दिन मैं अपनी जिदगी में कभी भी नहीं भूल पाउँगा.
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अब आगे
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उन दोनों के जाने के बाद मैंने पूरा घर साफ़ किया , रात के आठ बज गए सब साफ़ सफाई करते-२, मैंने बचा हुआ पिज्जा खाया और सो गया, बाहर जाने की या कुछ और माँगा कर खाने की हिम्मत नहीं हो रही थी.
रात को नो बजे के आस पास कनिष्का का फोन आया.
मैं : हाय ..कैसी हो.
कनिष्का : मैं ठीक हु..बस पीछे हल्का सा दर्द है अभी भी...
मैं हंसने लगा.
कनिष्का : हंस लो...अगले जनम में लड़की बनकर पैदा होना, तब पता चलेगा हम लडकियों का दर्द.
मैं : नहीं जी, मैं तो लड़का बनकर ही खुश हु..वैसे भी हम उनमे से है जो दर्द देना जानते है, लेना नहीं..हे हे..
कनिष्का : पता है, दीदी की हालत तो मुझसे भी ज्यादा खराब है, बेचारी से सीड़ियों से ऊपर भी नहीं चड़ा जा रहा था. मम्मी ने भी पुछा की ऐसे लंगड़ा कर क्यों चल रही है तो उन्होंने झूठ बोल दिया की पैर में मोच आ गयी है..बेचारी..मैंने ही उनके कपडे उतारे, चेंज करने के लिए, पर उनमे इतनी भी हिम्मत नहीं थी की नाईट सूट या गाउन पहन ले , ऐसे ही पेंटी-ब्रा में सो गयी.
उसकी बात सुनकर मेरे लंड में हरकत होने लगी.
मैं : मतलब ...वो नंगी ही सो गयी...वाव ...
कनिष्का : नहीं बाबा...कहा ना ब्रा और पेंटी में सो रही है...और इसमें वाव कहने वाली क्या बात है...आज पूरा दिन वो तुम्हारे सामने नंगी थी तब भी मन नहीं भरा क्या..जो अभी दीदी को ब्रा-पेंटी में सोचकर मजे आ रहे है...तुम लड़के सच में बड़े ठरकी होते हो...जरा सा मसाला मिलना चाहिए तुम्हे, और लंड खड़ा हो जाता है तुम्हारा....हा हा ...
मैं : अरे नहीं...तुम समझी नहीं...मैंने वाव इसलिए कहा की वो तुम्हारे सामने ही ब्रा-पेंटी में सो गयी...मतलब आज तक शायद उसने ऐसा नहीं किया है, जहाँ तक मैं जानता हु.
कनिष्का : हाँ...वो तो है...पर आज पूरा दिन, एक दुसरे के सामने बिना कपड़ो के रहना और साथ ही चुदाई भी करवाना..ये सब उसी का असर है...और याद है, दीदी ने कैसे मुझे अपनी पुस्सी के ऊपर दबा दिया था..और मुझे लिप टू लिप किस भी किया था..इसलिए शायद अब हमारे बीच वो फोर्मलिटी वाली बात नहीं रही है...और ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है..मैं तो होस्टल में भी अपनी रूममेट के साथ ज्यादातर ब्रा-पेंटी में रहती थी..और रात को तो हम बिना कपड़ो के ही सोते थे..अब वोही सब बाते याद आ रही है, दीदी के साथ भी अब मैं अपनी फ्रेंड की ही तरह रह सकती हु...बिना कोई फोर्मलिटी के..
मैं : और क्या करती थी तुम अपनी रूममेट के साथ...
कनिष्का : मैंने मजे तो हर तरह के लिए है..लड़की के साथ भी और लड़के के साथ भी..
मैं :ज्यादा मजा किसमे आता है, लड़के में या लड़की में..
कनिष्का : ऑफकोर्स ...लड़के में..उनका लंड जब अन्दर जाता है..तो बाई गोड...मजा आ जाता है...पर अभी तो ये आलम है की कुछ भी मिल जाए...चलेगा..बस यही सोचकर मैंने भी अपने कपडे उतार दिए..और पुरानी यादों को याद करते हुए मैंने तुम्हे फोन किया..
मैं : मतलब...तुमने भी..
कनिष्का (हँसते हुए) : मैंने तो सिर्फ पेंटी पहनी हुई है...ब्रा नहीं..
मेरा पप्पू हम दोनों की सारी बाते सुन रहा था. चाहे आज सारा दिन वो दोनों मेरे घर पर थी और मैंने उन दोनों को जी भर कर चोदा भी और गांड भी मारी ..पर वो अब अपने कमरे में लगभग नंगी है, ये सोचकर मेरा लंड गुस्से में आकर अपना सर मेरे पेट पर मारने लगा. कनिष्का सच ही कह रही थी, की हम लड़के ठरकी होते हैं.
कनिष्का : क्या सोच रहे हो विशाल..
मैं : नहीं ..कुछ नहीं...अच्छा एक बात बताओ, अभी अंशिका कहाँ है..
कनिष्का : दीदी को काफी दर्द हो रहा था पीछे, तो मैंने उन्हें पेन किलर दे कर सुला दिया है..
मैं : और तुम्हे दर्द नहीं हो रहा क्या..
कनिष्का : हो तो रहा है...पर मीठा-मीठा..तभी तो तुम्हे फोन किया है..
मैं उसकी बात सुनकर खुश हो गया..
मैं : तो अब मुझसे क्या चाहती हो??
कनिष्का : जिसने दर्द दिया है,वोही दवा भी देगा
जिसने लगायी है ये आग, वोही बुझा भी देगा..
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24-11-2017, 05:12 PM (This post was last modified: 24-11-2017, 05:15 PM by honey boy.)
मैं : वाह...क्या शायरी की है...पर अभी तो मैं आग बुझाने के लिए नहीं आ सकता..लेकिन अगर तुम मेरा साथ दो तो मैं तुम्हारी आग बुझाने का काम यहीं बैठे -२ कर सकता हु..
कनिष्का (चहकते हुए) : अच्छा...कैसे..
मैं : अंशिका कहाँ सो रही है अभी..
कनिष्का : वो बाहर है, अपने रूम में..
मैं : तुम उसके पास जाओ और जैसा मैं कहूँ वैसा करती है...और क्या तुम्हारे मोबाइल का ब्लू टूथ है..
कनिष्का : हाँ है..
मैं : तुम अपना फ़ोन उसके साथ कनेक्ट करो और ब्लू टूथ को कान पर लगा लो और इसे अपने बालो के पीछे छुपा लेना, और फ़ोन को अंशिका के बेड की साईड टेबल पर रख देना.
उसने थोड़ी देर में ही सब कर लिया और फ़ोन को टेबल पर रखने के बाद मुझसे बोली : अब..
मैं : अंशिका के पास जाकर उसके कानो के ऊपर अपनी जीभ फिराओ..धीरे-२ ..
मैं जानता था की अंशिका के कान काफी सेंसेटिव है...वो अगर गहरी नींद में भी होगी तो उठ जायेगी..
कनिष्का ने भी बिना कोई और सवाल किये वैसा ही किया जैसा मैंने कहा था, अब तक तो वो भी जान चुकी थी की मैं उसे उसकी बहन के साथ मजे दिलाने वाला हु, ये काम वो खुद भी कर सकती थी, पर मेरे कहे अनुसार करने में जो रोमांच मिलेगा, वो अलग ही होगा..इसलिए उसने बिना कोई सवाल किये मेरी बाते मानना शुरू कर दिया.
और जैसा मैंने सोचा था, वैसा ही हुआ, अंशिका कुन्कुनाती हुई उठ गयी..
मेरे कानो में उसकी नींद के नशे में डूबी हुई सी आवाज आई.
अंशिका : उम्म्म्म....कन्नू....क्या कर रही है...सोने दे न...
मैंने फोन पर कनिष्का से कहा : अब अपनी जीभ से उसे चाटते हुए गर्दन तक आओ...
कनिष्का ने वैसा ही किया..
अंशिका की आवाज फिर से आई : उम्म्मम्म.....क्या है...कन्नू...ये क्या हो गया है तुझे आज....और तेरे कपडे कहाँ है...
वो अब उठ चुकी थी...पर लेटी हुई थी अब तक आंखे बंद किये.
कनिष्का : दीदी...आज सुबह, जब से आपको देखा है...बड़ा प्यार आ रहा है आप पर...
अंशिका : तो तू ये काम भी करती है ...लेस्बो है क्या तू...
कनिष्का : दीदी ...आपको देखकर तो कोई भी लेस्बियन बन जाए...
अंशिका ने उसे डांटते हुए कहा : चुप कर तू...आज जो मजे विशाल के साथ आये , तू बस उसे ही याद कर..और किसी तरह के मजे के बारे में सोचने की जरुरत नहीं है तुझे...
मैंने कनिष्का को धीरे से कहा : तुम इसकी बात मत सुनो कनिष्का , उसे एक लिप किस्स करने के लिए या अपनी ब्रेस्ट सक करने के लिए उकसाओ बस...
कनिष्का : क्या दीदी...आप भी न, कभी-२ ये सब भी चलता है...वैसे आज सुबह आपने ही तो मेरा मुंह पकड़कर मुझे जोर से चूमा था...और मुझे कैसे अपनी पुस्सी के ऊपर दबाकर मुझे अपनी चूत चूसने पर मजबूर कर दिया था..बोलो..तब क्या हुआ था आपको..मैंने तो नहीं कहा था आपको ये सब करने के लिए..
अंशिका कुछ देर तक चुप रही ..फिर बोली : देख कन्नू...जो कुछ भी उस समय हुआ, वो सब एक तरह के नशे में हुआ..हम सभी पर ही उस समय सेक्स का नशा चड़ा हुआ था...और जो जिसे अच्छा लग रहा था, वैसा ही करता गया..
कनिष्का : अब मुझपर वही नशा फिर से चड़ा हुआ है दीदी...मैं क्या करू...
कनिष्का ने ये कहते हुए अपनी ब्रेस्ट को दबाना शुरू कर दिया और फिर अंशिका से बोली : अच्छा दीदी...एक बार प्लीस..मेरे कहने पर...मेरी ब्रेस्ट को चूस लो न...मुझे कुछ हो रहा है यहाँ....
वो अपने निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच दबा कर अपनी बहन को दिखाने लगी...निप्पल के बदलते हुए गुलाबीपन और अकड़ को देखकर अंशिका के मुंह में भी पानी आ गया था..
अंशिका : ठीक है...सिर्फ एक बार ..ओके...फिर मुझे सोने देना तू...
और फिर थोडा हिलने की आवाज आई मुझे , शायद कनिष्का को अपनी तरफ खींचा था अंशिका ने...और अगले ही पल एक तेज सिसकारी की आवाज, जो कनिष्का के मुंह से निकली थी, अंशिका के निप्पल चूसने की वजह से..
आआआअह्ह्ह्ह .....दीदी......म्मम्मम.....अह्ह्ह....जोर से....दीदी......ये भी....इस वाले को भी चुसो न.....
कनिष्का ने अपना दूसरा स्तन भी अपनी बहन के मुंह में डाल दिया...और वो दुगनी आवाज के साथ चीख पड़ी....
उन्हें वहां मजा आ रहा था और मुझे यहाँ, एक हाथ में मेरा फ़ोन था और दुसरे में मेरा लंड.
अंशिका ने पुरे दो मिनट तक उसके दोनों निप्पल्स को चूसा और फिर बोली : बस...
कनिष्का : दीदी....एक बार मैं भी...आपकी ब्रेस्ट चुसना चाहती हु....प्लीस....
अंशिका कुछ बोल पाती, इससे पहले ही कनिष्का ने अंशिका की ब्रा के स्ट्रेप को नीचे किया और उसके मोटे चुचे उछल कर सामने आ गए और उनपर लगे हुए मोटे-२ निप्पल्स भी...और कनिष्का ने नीचे झुककर अपना मुंह उसकी ब्रेस्ट पर लगा दिया और किसी नन्हे बच्चे की तरह उसे चूसने लगी...
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24-11-2017, 05:13 PM (This post was last modified: 24-11-2017, 05:16 PM by honey boy.)
अब चीखने की बारी अंशिका की थी..: अह्ह्ह्ह.... नहीं..... कन्नू..... क्या....मम्म... कर .... रही है... पगली..... अह्ह्ह्ह..... मम्म...ओह्ह्ह्हह्ह..
कनिष्का ने तेजी से अपनी जीभ उसके निप्पल्स पर फिरानी शुरू कर दी...और मुझे पता था की अब अंशिका को आगे के लिए मनाना ज्यादा मुश्किल नहीं है...
मैंने कनिष्का को धीरे से कहा : कन्नू...अंशिका की पेंटी में हाथ डाल दो...और हो सके तो एक-दो ऊँगली उसकी गर्म चूत में भी डाल दो...और उसकी आँखों में देखकर अपनी उंगलियों से उसका रस चूस लेना..
कन्नू ने वैसा ही किया..जैसे ही उसने अंशिका की पेंटी में हाथ डाला, वो सिहर सी गयी : अह्ह्ह्हह्ह....बेबी.....क्या हो गया है तुझे....हूँ......क्यों सता रही है अपनी दीदी को..... बोल.... म्मम्म..... बोल ना.....अह्ह्ह्ह....
वो अब पूरी तरह से बोतल में उतर चुकी थी....वो मना तो करती जा रही थी हर बार कनिष्का को... पर उसे रोकने का कोई प्रयास नहीं कर रही थी.
और फिर जब कनिष्का की ऊँगली अंशिका की चूत में उतरी तो वहां के जल को समेट कर ही वापिस बाहर आई...और मेरे कहे अनुसार कनिष्का ने अपनी बहन के आमने अपनी रस से भीगी हुई उंगलियों को लहराया और उन्हें एक-एक करके चुप्पा मारकर चूसने लगी....
कनिष्का : म्मम्मम्मम.....क्या टेस्ट है दीदी....आपका ...सच में...मैं तो आपकी दीवानी हो गयी हु...मतलब आपके जूस की....हे हे..
अंशिका की साँसे इतनी तेज थी की मुझे भी साफ़ सुनाई दे रही थी...
कनिष्का : दीदी...प्लीस...एक किस्स.....
वो ये बात पूरी भी नहीं कह पायी थी की अंशिका के अन्दर की एनीमल इंस्टिक्ट जाग उठी और उसने कनिष्का के बालो को बुरी तरह से पकड़कर अपनी तरफ घसीटा और उसे बेतहाशा चूसने और चाटने लगी...
अह्ह्ह्ह..... दीदी..... धीरे.... ओह्ह्ह्ह......फक्क .,.......क्या कर रही हो...... दीदी.... म्मम्मम.... पुच ....पुच.... अह्ह्ह.... मम्म.....धीरे करो न.... अह्ह्हह्ह दर्द होता है..... दीदी...... म्मम्मम्म... पुच पुच... पुच...
दोनों बहनों के बीच युद्ध सा होने लगा था, एक दुसरे के होंठो और चुचों को वो बुरी तरह से काट खा रही थी....
कनिष्का : दीदी....उतारो इसे....सब उतर डालो.....
और फिर अंशिका के बचे हुए कपडे भी नोच फेंके मेरी शेरनी ने....
मैं : कनिष्का...अब बेड के किनारे खड़ी हो जाओ....अभी तो अंशिका को तडपाना है तुम्हे..तभी मजा आएगा...समझी...
उसे मजा तो बड़ा आ रहा था उस वक़्त...पर मेरी बात को मना भी नहीं कर सकती थी वो..इसलिए वो बेड से उठ खड़ी हुई...
मैं :अब धीरे-२ अपनी पेंटी को उतारो...और उसे अंशिका की तरफ फेंक देना...देखना वो तुम्हारी पेंटी को कैसे चाटने लगेगी..
कनिष्का ने वैसा ही किया...जैसे ही वो अंशिका को दूर करके उठी, अंशिका बेचैन सी होकर उसे देखने लगी...वो सोच रही थी की मेरी चूत में आग लगाकर इसे एकदम से क्या हुआ...
और फिर कनिष्का ने अपनी पेंटी को धीरे से उतरा और उसे अंशिका की तरफ उछाल दिया, और अंशिका ने भी उसे किसी भूखी कुतिया की तरह हवा में ही लपक कर उसे चाटना शुरू कर दिया...
और फिर मेरे कहे अनुसार कनिष्का अपनी बहन से बोली : दीदी...उसमे से क्या चाट रही हो...यहाँ देखो...असली माल तो यहाँ है...
और फिर कनिष्का ने अपनी एक टांग बेड के ऊपर रखकर , अपनी चूत को फेलाकर, अन्दर का गीलापन जैसे ही अंशिका को दिखाया, वो भूखी कुतिया कनिष्का की पेंटी को छोड़कर उसकी तरफ आई और अपनी बहन की एक टांग को अपने कंधे के ऊपर रखकर, सामने लटकती हुई रसीली चूत को देखा और फिर अगले ही पल अपना गरमा गरम मुंह उसकी आग लगी चूत के ऊपर लगा दिया...
वहां के नज़ारे को सोचकर मैंने भी अपने लंड के ऊपर तेजी से हाथ चलाना शुरू कर दिया....काश मैं भी होता इस वक़्त उनके कमरे में...
कनिष्का चिल्लाने लगी : ओह्ह्ह्ह दीदी.... हन्न्न्न..... जोर से.... येस्स्स्स.... यही पर.....अह्ह्हह्ह अह्ह्ह्ह.... अह्ह्ह्ह... ओफ्फ्फ... फक्क्क्क..... आई एम् कमिंग दीदी....
और फिर ऊपर खड़ी हुई कनिष्का ने अपने मीठे रस का झरना अपनी बहन के मुंह के ऊपर निकालना शुरू कर दिया...
म्मम्मम्मम ....दीदी.....मजा आ गया....सच में....अब तुम लेट जाओ... हाँ...ऐसे... ही...और अपनी ये पेंटी को बाय बाय बोलो....हाँ ऐसे....वाव... दीदी...कितनी टेम्पटिंग सी लग रही है आपकी चूत....सच में..
अंशिका : ज्यादा बाते मत कर अभी तू...चल जल्दी से चूस इसे...मुझसे सहन नहीं हो रहा है अभी...
और ये कहते हुए उसने कनिष्का की गर्दन पकड़ी और उसे अपनी चूत के ऊपर दबा दिया...और जैसे ही कनिष्का ने उसकी रसभरी चूत के ऊपर अपना मुंह लगाया , अंशिका तड़प उठी...
अह्ह्ह्ह......कन्नू....म्मम्मम....... .विशाल की याद दिला दी तुने तो.... मेरी चूत चूसने में बड़ा मजा आता है...शाबाश...चूस ऐसे ही...म्मम्म...
अपना नाम और तारीफ सुनकर मुझे बड़ा मजा आया...
अंशिका : देख कन्नू.... ये है...मेरी क्लिट... हाँ...ये ही...इसे अपने होंठो के अन्दर लेकर चूस.... अह्ह्ह्हह्ह....हाँ ....ऐसे ही....उफ्फ्फ... पागल...दांत नहीं... सिर्फ होंठ और जीभ से...हाँ...अब ठीक है.....येस्सस्सस्स..... ओह्ह्ह्ह येस्स...... म्मम्मम....ओह्ह्ह्ह कन्नू...... माय बेबी..... .सक्क्क मीईsssssssssssssssss...... अह्ह्ह्ह ..... ओह माय गोड...... ओह्ह्ह फक्क्क्क..... आई एम्म्म.मम्म............ कम...... ईई....... नग............. अह्ह्हह्ह..... कन्न्न्नूऊऊ..........
और उसकी आवाज इतनी तेज थी की नीचे उनकी मम्मी तक जा पहुंची...नीचे से मम्मी ने पुकारा : क्या हुआ अंशु....तू ठीक तो है न....
अंशिका ने अपने आप को संभाला और चिल्ला कर बोली : हाँ मोम....मैं ठीक हु...कन्नू को बुला रही थी बस...आप सो जाओ...
और फिर सब शांत होने के बाद दोनों बहने बच्चो की तरह से हंसने लगी....
अंशिका : यार...आज तो मरवा ही दिया था तुने...मुझे अपने आप पर काबू ही नहीं रहा...इतना तेज चीखी थी मैं...मम्मी तो मम्मी ..शायद विशाल तक मेरी आवाज पहुँच गयी होगी आह.....
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और ये कहते हुए उसने अपने बाल हटा कर ब्लू टूथ दिखाया और उसे निकाल कर अंशिका के सामने लहराने लगी...
अंशिका अपने मुंह पर हाथ रखकर हेरानी से अपनी बहन को देखती रही...: मतलब...तुम दोनों ने मिलकर ...मेरे साथ ये सब किया.... कितने गंदे हो तुम दोनों.... इधर लाओ ये...
और ये कहते हुए उसने ब्लू टूथ को लिया और अपने कानो में लगा लिया..
अंशिका : विशाल....विशाल....तुम हो वहां पर...
मैं : हाँ मेडम जी...बंदा अभी भी यहीं पर है....हे हे...
अंशिका : बदमाश हो तुम एक नंबर के...तभी मैं कहूँ, इसमें इतनी हिम्मत कहाँ से आ गयी ...अब पता चला , इसके पीछे तुम्हारा ही हाथ है...बैठे वहां हो और तुम्हारी शेतानी की वजह से यहाँ...
मैं : हाँ हाँ बोलो...यहाँ तुम्हारी चुद गयी....है न....
अंशिका : पर विशाल....जो भी हो....मजा बहुत आया आज....
मैं : तुम्हे मजा आया...मुझे इसमें ही ख़ुशी है...पर मेरे पप्पू का क्या...वो तो अभी तक खड़ा हुआ है...तुम दोनों बहनों ने तो एक दुसरे के रस से अपनी प्यास बुझा ली...इसका क्या होगा अब...
अंशिका (लाड वाली आवाज में) : ओले ओले...मेरा बेबी....तुम्हारा अभी तक खड़ा हुआ है....काश मैं अभी वहां होती तो तुम ये शिकायत न कर रहे होते अभी...
मैं : अच्छा जी...क्या करती तुम
अंशिका : मैं उसे चुस्ती...चाटती....और उसे अपनी चूत में...नहीं नहीं...गांड में लेकर जोर से तुम्हारे ऊपर उछलती...
मैं : वाव....अब दर्द नहीं हो रहा तुम्हारी गांड में...
अंशिका : ये दर्द तो जाते - जाते जाएगा...पर सच कहू...अभी तो दुबारा मन कर रहा है तुम्हारा लेने का..सच...तुम्हारी कसम....
मैं : अभी तो तुम इसे वहीँ बैठ कर चूम लो...वही मेरे लिए काफी है
अंशिका : ये लो फिर.... उम्म्म्ममा....तुम्हारे लम्बे....मोटे....लंड के ऊपर....मेरे गुलाबी.. .गीले होंठो का चुम्मा.... उम्म्म्ममा..... और साथ में कन्नू भी चूमेगी.... तुम्हे.... हम दोनों एक साथ..... उम्म्मम्म्म्मा....
ये कहते हुए अंशिका ने कन्नू को भी अपने पास बुलाया और फिर दोनों बहने बेतहाशा चूमने लगी, मेरे लंड को, फ़ोन पर ही...
अंशिका (धीरे से) : हो गया न....
मैं अपने चारो तरफ फेले रस को देखकर बोला : हाँ...हो गया...और कुछ ज्यादा ही...चल बाय ...सफाई करनी पड़ेगी...अब...कल बात करते है...