स्नेहा ने मुझे आखिरी बार जोरदार किस किया और हम बाहर निकल आये...
मैंने उसे स्टेंड पर उतारा और मैं सीधा डोमिनोस के स्टोर में गया और अपने और अंशिका के लिए पिज्जा पेक करवाकर वापिस चल दिया...
अभी उसे आने में आधा घंटा और लगेगा, ये सोचते हुए मैंने जल्दी से घर की सफाई करनी शुरू कर दी, ताकि उसे कोई सबूत न मिल जाए की कल या आज सुबह यहाँ कोई आया था...मैंने पुरे घर में रूम फ्रेशनर डाल कर सेक्स की गंध को भी हटा दिया...और मैं बैठकर अंशिका का वेट करने लगा..
सवा दो बजे मेरे घर की बेल बजी और मैं भागकर बाहर आया...दरवाजा खोला तो मैं हेरान रह गया...
अंशिका के साथ कनिष्का भी थी.
*****
अब आगे
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एक बार तो मैं घबरा गया, क्योंकि मुझे ये बिलकुल भी आशा नहीं थी की अंशिका के साथ कनिष्का भी आ जायेगी, पर फिर मैंने अपने आप को संभाला और दोनों को अन्दर आने को कहा.
अंशिका ने हमेशा की तरह कॉलेज की मेडम वाली साडी पहनी हुई थी और कनिष्का ने एक बिंदास सी केप्री और टी शर्ट.
अंशिका ने मेरे चेहरे पर आये सवाल शायद पढ़ लिए थे, की वो अंशिका को क्यों साथ में लेकर आ गयी.
अंशिका : विशाल, आज तो इतफ्फाक हो गया, मैं जिस बस से घर जा रही थी, वो बाहर सड़क पर ही खराब हो गयी, मैंने सोचा की तुमसे कह दूंगी की तुम अपनी बाईक पर मुझे घर छोड़ देना, और जब मैं यहाँ आ रही थी तो मुझे कनिष्का भी यहीं मिल गयी, वो अपनी इसी सहेली के घर आई थी, वो सामने वाली गली में रहती है शायद, तो मैं इसे भी ले आई...मुझे मालुम है की हम दोनों को एक साथ बाईक पर बिठाना थोडा मुश्किल होगा..पर कोई प्रोब्लम है तो हम ऑटो कर लेंगे...
मैं : अरे नहीं , कैसी बात करती हो अंशिका...इसमें मुश्किल की क्या बात है, मैंने इससे तो एक बार पांच लड़कियों को एक साथ बिठाया था अपनी बाईक पर...
इस बार अंशिका हेरान होकर बोली : पांच -२ लडकिया, और तुम्हारी बाईक पर एक साथ....वाव....कैसे किया तुमने ये कारनामा...
मैं : दो आगे बैठ गयी, दो पीछे और एक मेरे सर के ऊपर....हा हा...
कनिष्का : हा हा..वैरी फन्नी ..
अंशिका भी मेरी मसखरी सुनकर मुस्कुराने लगी..
मैं : अरे बैठो तो सही, मैं कुछ लाता हु तुम दोनों के लिए..
और मैंने उन्हें सोफे पर बिठा दिया और भाग कर किचन में गया और कोल्ड ड्रिंक की बोतल निकाल कर उसे ग्लास में डालने लगा. तभी पीछे से कनिष्का अन्दर आ गयी..
कनिष्का : कोई हेल्प चाहिए क्या...
मैंने उसे देखा और उसका हाथ पकड़कर मैंने उसे फ्रिज के पीछे खींच लिया ताकि बाहर बैठी हुई अंशिका हमें न देख पाए
मैं : ये क्या पागलपन है, मुझे बता तो देती की तुम भी आ रही हो..
कनिष्का : मैं तो तुम्हे सरप्राईज देना चाहती थी..मुझे क्या पता था की आज फिर तुम्हारा प्रोग्राम है दीदी के साथ..मैं तो सीधा तुम्हारे घर आ रही थी, तभी सामने से एकदम दीदी आ गयी, मुझे मालुम की वो तुमसे ही मिलने आ रही थी, बस खराब होने का तो उन्होंने बहाना बनाया मुझे देखकर...और मैंने भी कह दिया की मैं अपनी सहेली से मिलने आई थी और घर जा रही हु, तब दीदी ने कहा की विशाल के घर चलते है, वो अपनी बाईक से छोड़ देगा..
मैं : जो भी हो...पर तुम्हारे चक्कर में अब आज का दिन खराब जाएगा मेरा.
कनिष्का ने आगे बढकर मेरे गले में बाहे दाल दी : वाह जी वाह...तुम्हे तो अपनी ही फिकर है, हमारी क्या हालत है उसका कुछ अंदाजा भी है तुम्हे...अब तो तुमने दीदी के साथ सब कुछ कर ही लिया है, और वादे के मुताबिक अब तुम्हे मुझे प्यार करना है..और ये तुम सोचो की कैसे करोगे..दीदी को भगा कर या उनके सामने ही...
उसके चेहरे पर एक इरोटिक एक्सप्रेशन आ गए ये सब कहते हुए..उसकी टी शर्ट के अन्दर कैद ब्रेस्ट के निप्पल्स भी साफ़ दिखाई देने लगे..
मेरा लंड तो उसकी बाते सुनकर पागलो की तरह पायजामे में ठोकरे मारने लगा..और उसकी बाते सुनकर तो मुझे यही महसूस हो रहा था की वो अपनी बहन के सामने भी चुदने को तैयार है.
मैंने अपने हाथ उसकी कमर के ऊपर रखे और अपना चेहरा आगे करके उसे चूमने ही वाला था की तभी अंशिका की आवाज आई :कनिष्का...विशाल.....ये ...ये क्या कर रहे हो तुम दोनों ...
ओह...फक्क्क ...अंशिका ने अन्दर आकर सब देख लिया था...
मेरी तो हालत ही खराब हो गयी..पर कनिष्का के चेहरे को देखकर लगा की उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा..
अंशिका अपने मुंह पर हाथ रखे हुए कभी मुझे और कभी अपनी छोटी बहन को देखे जा रही थी..और सोचने-समझने की कोशिश कर रही थी की ये कब से चल रहा है..
कनिष्का ने मोर्चा संभाला.
कनिष्का : इसमें विशाल की कोई गलती नहीं है दीदी...दरअसल ये मुझे शुरू से ही अच्छा लगता है..पर इसने सच्चाई से मुझे पहले ही बता दिया था की तुम दोनों के बीच क्या चल रहा है..मैंने तो विशाल को कई बार सब कुछ करने को कहा..पर इसने मना कर दिया..दो दिन पहले भी मैं आई थी इसके पास, पर इसने बताया की इसने आपसे वादा किया है की पहले ये आपके साथ सेक्स करेगा...फिर किसी और के साथ..
अंशिका मुंह फाड़े अपनी बहन की बाते सुन रही थी, उसे शायद ये विशवास नहीं हो पा रहा था की उसकी छोटी बहन के जिस्म में भी जवानी की आग भड़कने लगी है..जिसका उसे आज तक अंदाजा भी नहीं था.
कनिष्का ने आगे कहा : दीदी, मुझे गलत मत समझना, पर होस्टल में मेरा एक बॉय फ्रेंड था, जिसके साथ मैंने..मैंने..सब कुछ किया है..एंड आई एम् नो मोर वर्जिन ......
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अंशिका जिसे अपनी मासूम बहन समझकर आज तक उसे प्यार करती आई थी उसने इस बात की कल्पना भी नहीं की थी...और शायद इस बात की भी नहीं की वो आज मेरे सामने खड़ी होकर ये बात काबुल करेगी..
कनिष्का : और दीदी...यहाँ आने के बाद मुझे अपने होस्टल वाले दिन बहुत याद आते हैं...आई होप यु अन्डरस्टेंड .....और एकदम से तो कोई मिल नहीं जाता, कॉलेज खुलने में भी टाईम है अभी जहाँ नए लड़के मिलेंगे...इसलिए...इसलिए विशाल को देखकर मेरे मन में ये सब आया...पर जैसा उसने कहा था की पहले वो आपके साथ और फिर किसी और के साथ...इसलिए मैं आई थी आज..क्योंकि मैं जानती हु की आप कल पूरा दिन यहाँ थी इसके साथ...और आप दोनों ने..
अंशिका : चुप कर कन्नू....हमारे बीच जो भी चल रहा है, उससे तेरा कोई मतलब नहीं है...मैंने सोचा भी नहीं था की तू इतना आगे निकल चुकी है...मुझे तो अपने कानो पर विशवास ही नहीं हो रहा है...
अंशिका की आँखों से आंसू निकलने लगे थे.
कनिष्का भाग कर अपनी बहन के पास गयी और उसके आंसू पोछने लगी : नहीं दीदी...आप प्लीस रोना मत....आप कहती हो तो मैं चली जाती हु अभी...और कभी भी विशाल के पास नहीं आउंगी...आपकी कसम दीदी...पर आप रोना मत..मैं आपको दुखी नहीं देख सकती...गलती मेरी ही है, मैंने ही आपके फ्रेंड के ऊपर गलत नजर रखी, ये भी नहीं सोचा की आपके ऊपर क्या गुजरेगी...आप बैठो यहाँ, मैं चलती हु ..
और वो मुढ़कर जाने लगी.
मैं उन दोनों बहनों का प्यार देखकर भावुक सा हो उठा..
अंशिका : रुक जा...
अंशिका ने उसे रोका और उसका हाथ पकड़कर बाहर ले गयी, और सोफे पर बैठ गयी.
मैं भी उनके पीछे-२ बाहर निकला.
अंशिका ने आगे बढकर अपनी बहन को गले से लगा लिया और अपने आंसू पोछकर बोली : तुझे जाने की कोई जरुरत नहीं है...और जैसा विशाल ने तुझे बताया था, सब कुछ ठीक है, हम दोनों में एक ऐसी अन्डर स्टेंडिंग है जो शायद ही किसी में देखने को मिले, ये मेरी बातो और जज्बातों का पूरा ध्यान रखता है...इसके जैसा अन्डर स्टेंडिंग फ्रेंड मुझे कोई मिल ही नहीं सकता..और जो ख़ुशी इसने मुझे दी है, उसका एहसास ही मुझे आज दोबारा खींच लाया है इसके पास आज यहाँ...पर तेरे दिल में भी इसके लिए कुछ है ये मैं नहीं जानती थी.....जानती है, मैंने तुझे दुनिया की हर बुरी नजर से बचा कर रखा है, यहाँ तक की शुरू में जब विशाल भी तेरे बारे में कोई बात करता था तो मैं इसे भी डांट देती थी, पर मुझे क्या मालुम था की मेरी छोटी बहन अब बड़ी हो चुकी है...उसने भी अपनी जवानी की हर देहलीज पार कर ली है और मर्यादा के वो सारे बंधन भी वो तोड़ चुकी है जिसे सिर्फ शादी के बाद सही माना जाता है...पर इसमें तेरा भी कोई दोष नहीं है, मैं भी तेरी तरह इसी उम्र से गुजरी हु और मैंने भी वो सब किया है...पर ये जो उम्र का पड़ाव है, जहाँ शादी अभी काफी दूर है और आस पास के किसी भी इंसान पर किसी तरह का भरोसा करके अपने आप को उसे सोंपना काफी जोखिम भरा है..तब मैंने विशाल पर विशवास करके उसे अपना जिस्म सोंपा ..और इसने मेरे विशवास का सही तरह से पालन भी किया..हमारे बीच में कोई बॉय फ्रेंड - गर्ल फ्रेंड जैसा या शादी करने जैसा कोई कमिटमेंट नहीं है...बस सच्चे दिल से एक दुसरे को मनचाही खुशिया देने का जज्बा है..और तुझे भी ऐसा लड़का और कोई नहीं मिलेगा...इसलिए..इसलिए..तू यहाँ रुक और मैं चलती हु..
ओ तेरे की....यानी अंशिका अपनी बहन को मुझे सोंपकर जाने की बात कर रही थी...ताकि मैं उसे चोद सकू..वाव..
अंशिका की बात सुनकर कनिष्का ने अपनी बहन को गले से लगा लिया : मैं जानती थी दीदी, की तुम ऐसा ही करोगी, पर मैं नहीं चाहती की तुम मेरे लिए अपनी खुशियों की बलि दो...अगर..अगर आपको बुरा न लगे तो...हम दोनों..एक साथ..विशाल के साथ.....
बस कर यार...मार डालेगी क्या...साले मेरे लंड का तो बुरा हाल हो गया, कनिष्का की ये बात सुनकर, अभी दो दिन पहले ही मैं सपना देख रहा था दोनों बहनों को एक साथ नंगा करके चोदने का ...मुझे क्या मालुम था की मेरा सपना इतनी जल्दी साकार होता दिखाई देगा...
कनिष्का की बात सुनकर अंशिका का चेहरा शर्म से लाल हो उठा : पागल है क्या...हम कैसे एक साथ...तू एक काम कर, आज तू रह जा इसके साथ, मैं कल आ जाउंगी...पर मुझसे नहीं होगा..तेरे सामने ही ...समझा कर पगली, मुझे शर्म आती है...
उसकी साँसे ये कहते हुए तेजी से चल रही थी, चेहरा लाल हो चूका था...और साडी के नीचे ब्लाउस और उसके नीचे छुपे निप्पल तन कर साफ़ दिखाई देने लगे थे...जिसे मेरे साथ-२ कनिष्का ने भी महसूस किया था..वो समझ चुकी थी की अपनी दीदी को थ्रीसम के लिए मनाना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा अब...
कनिष्का : ओहो...दीदी...आप भी न...आप तो ऐसे कह रही हो जैसे आपने मुझे या मैंने आपको नंगा नहीं देखा कभी..
अंशिका : वो बात और है..घर पर चेंज करते हुए या नहाते हुए कभी-कभार एक दुसरे को देखना अलग बात है...पर किसी और के सामने और वो भे सेक्स करते हुए...नहीं ..नहीं...मैं नहीं कर पाउंगी..
और वो उठ कर जाने लगी.
कनिष्का ने भाग कर उसे दुबारा पकड़ लिया..
कनिष्का : पर दीदी...आज तो आपको रुकना ही पड़ेगा...मुझे तो आज पहले से ही डर लग रहा है..
अंशिका : इसमें डरने वाली क्या बात है, तुने ही तो कहा था अभी की तू पहले भी कर चुकी है...
कनिष्का : हाँ दीदी...पर यहाँ से नहीं...(उसने अपनी गांड की तरफ इशारा किया), और मैंने परसों ही विशाल को कह दिया था की आई विल गिव माय दिस वर्जिनिटी टू हिम टुडे ....
अपनी छोटी बहन की बेशर्मी भरी बात सुनकर अंशिका फिर से हेरान होकर उसके चेहरे को देखने लगी..उसने शायद सोचा भी नहीं था की आज उसकी बहन यहाँ चूत नहीं गांड मरवाने के लिए आई है..
अंशिका : हे भगवान्....कन्न्नु...मैंने तो सोचा भी नहीं था की तू इतनी आगे निकल चुकी है इन सब मामलो में...
कनिष्का : प्लीस दीदी...ट्राई तो अन्डर स्टेंड ..मुझे याद है, पहली बार जब मैंने अपने बॉय फ्रेंड के साथ किया था तो कितनी तकलीफ हुई थी..और गांड मरवाने में तो और भी ज्यादा दर्द होगा न..मैं चाहती हु की आप मेरे पास रहो उस वक़्त...आप ये तो नहीं चाहती न की मुझे कोई तकलीफ हो ये सब करवाने में...प्लीस...
अंशिका : अगर इतना ही डर लग रहा है तो क्यों गांड मरवाने चली है तू...चूत मरवा और खुश रह...
उन दोनों बहनों के मुंह से गांड-चूत की बाते सुनकर मुझे बड़ा मजा आ रहा था...
कनिष्का : नहीं दीदी...आज मैंने सोच रखा है, अपनी गांड मरवाकर रहूंगी...सहेलियों ने बताया है की कितना मजा आता है बाद में..पर पहली बार तकलीफ होती है बस..और अगर आप मेरे सामने रहोगी तो मुहे इस तकलीफ का एहसास कम होगा..
अंशिका ने आखिरी बार अपना तर्क दिया : पर कन्नू...मेरे बिना भी तो तू ये सब करवाने के लिए आई ही थी न यहाँ...वो तो इतफ्फाक से हम दोनों एक साथ पहुँच गए, वर्ना तू तो तैयार थी न ये सब अकेले में करवाने के लिए...बस तू येही समझ की मैं यहाँ आई ही नहीं थी..
कनिष्का : पर दीदी...अब तो आप यहाँ पर हो न...प्लीस...मैंने आज तक आपसे किसी चीज के लिए भी इतनी मिन्नत नहीं की...आप तो एक ही बार में मेरी हर बात मान लेती हो..फिर आज क्यों इतनी देर लगा रही हो...
अंशिका ने एक गहरी सांस ली...और उसके गालो को अपने हाथो में पकड़कर बोली : देख कन्नू...जो तू कह रही है और जो तू चाहती है, वो बड़ा ही मुश्किल काम है, हम दोनों एक दुसरे के सामने एक लड़के के सामने अपना सब कुछ परोस कर बैठ जाए, मुझे विशाल पर पूरा विशवास है की वो इस बात को किसी और से कभी नहीं करेगा...(उसने मेरी तरफ आशा पूर्ण नजरो से देखा, मैंने भी अपनी पलके झुका कर उसे आश्वासन दिया)
वो आगे बोली : और तेरी हर बार की जिद्द की तरह आज भी मैं तेरे सामने हार गयी...
अंशिका ने अपनी स्वीकृति दे डाली अपनी छोटी बहन को.
कनिष्का ने ख़ुशी के मारे अंशिका को जोर से गले लगा लिया...: ओह...दीदी...आई लव यु ...
और अगले ही पल उसने जो किया उसे देखकर मेरे साथ-२ अंशिका भी दंग रह गयी....
कनिष्का ने अंशिका के चेहरे को पकड़ा और उसके होंठो पर अपने होंठ लगा दिए..और उन्हें जोर-जोर से चूसने लगी...
मुझे पक्का विशवास था की इस तरह की किस इन दोनों बहनों में पहली बार हो रही है....क्योंकि अंशिका अपनी फटी हुई आँखों से , अंशिका के होंठो से छुटने की कोशिश कर रही थी....और कभी मुझे और कभी उसे देख रही थी....
और फिर कनिष्का ने अंशिका के दांये मुम्मे के ऊपर अपना हाथ रखा और उसे जोर से दबा दिया...अंशिका के निप्पल तो पहले से ही खड़े होकर आने वाले पलों के बारे में सोचकर पुलकित हो रहे थे, अपनी बहन के हाथो का स्पर्श पाते ही उनमे करंट सा दौड़ गया....और आनंद के मारे अंशिका की आँखे भी कनिष्का की तरह से बंद होती चली गयी.....
इतना इरोटिक सीन देखकर तो मैं पागल सा हो गया...दुनिया की सबसे सेक्सी बहने एक दुसरे को चूसने चाटने में लगी हुई थी...और मुझे और मेरे लंड को मालुम था की आज का पूरा दिन कैसे बीतने वाला है....मैंने अपना पायजामा एक झटके में उतार फेंका और ऊपर से टी शर्ट भी....और घुस गया नंगा होकर उन दोनों बहनों के बीच और अपने होंठ भी घुसा दिए उन दोनों के थूक से भीगे हुए लबो के दरम्यान.......
(20-11-2017, 05:09 PM)dpmangla : Lovely ,Phadu n Bindaas Update
Amazing!!! Very nicely handled... Is kahani mein ek nice situational difference hai. Chudai ke alawa emotions ko bhi nicely depict kiya hai. Per Anshika aur Kanishka dono ko ek saath dekh kar mein bilkul ulzhan mein tha ki ab kahani phir se routine hone ja rahi hai aur apane unique feature se alag ho kar ek aam chudai kahani ban ne ja rahi hai. Ek aam se sambhrant madhyam vargiya parivaar mein do baheno ka ek saath aapas mein sex karana sirf kalpana mein hi ho sakata hai. Thankfully, you gave rightful justification. There are hundred thousands of ordinary sex stories where sexual adventures are nicely & elaborately depicted. But emotions and maintaining relationship is the VERY SPECIAL feature of this story. Credit certainly goes to writer who maintains flow & logic together. Very rare. Nicely depicted. Keep it up... Your writing Not your dick