पारुल : यार...मुझे गलत मत समझना....पर क्या ...क्या तू मुझे...मुझे ..एक किस कर सकता..
उसके कहने से पहले ही मैंने उसके चेहरे को ऊपर किया...और उसके गोल गप्पे जैसे चेहरे को पकड़ा और उसके होंठो को चूसने लगा किसी पागल की तरह...
यार....क्या मीठे होंठ थे उसके...आज तक इन्हें बोलते हुए ही देखा था बस...आज पहली बार चूमने को मिले थे...
मैं लगभग दो मिनट तक उसके होंठो को चुस्त रहा...
उसने मेरी कमर के चारो तरफ अपने हाथ और जोर से लपेट दिए..
मेरा दूसरा हाथ सीधा उसके उभार पर गया और मैं उसे दबाने लगा...
उसने एक जोर से झटका दिया और मुझे अपने आप से अलग कर दिया...
मैं हेरान था की एकदम से उसे क्या हुआ..
पारुल : बस...बस....और नहीं...जाओ तुम अब....अभी जाओ तुम...
मुझे गुस्सा तो इतना आया की मन किया इ उसके चेहरे पर एक जोरदार थप्पड़ मार दू...
पर मैंने उससे बहस करनी उचित नहीं समझी और बाहर निकल गया...बाईक उठाई और सीधा घर आ गया..
घर आने तक मेरे सेल पर उसके 7 मिस कॉल आ चुके थे...उसका फ़ोन फिर बजा...पर मैंने फोन बंद कर दिया.साली समझती क्या है अपने आप को...मैंने उसे एक दो गाली दी और सो गया.
******
अब आगे
******
मैं गहरी नींद में था , और मेरे घर की बेल लगातार बजती जा रही थी..मुझे लगा कोई सपना है..पर जब अगली बार बजी तो मैं फ़ौरन उठ बैठा, आँख मली और टाइम देखा, बारह बजने वाले थे, यानी मुझे सोये हुए अभी आधा घंटा ही हुआ था.
तभी फिर से बेल बजी..मैं फ़ौरन भागा की इतनी रात को कोन आ मरा. मैंने भागकर दरवाजा खोला और सामने पारुल खड़ी थी. टी शर्ट और जींस में और सर पर हेलमेट लगा हुआ था अभी तक..यानी वो स्कूटी से आई थी. मैं उसे देखकर हेरान रह गया.
मैं : पारुल.....तू....इस वक़्त...सब ठीक तो है..
पारुल मुझे धक्का देते हुए अन्दर आई : तुझे कितने फोने किये मैंने , देखा नहीं क्या और उसके बाद बंद कर दिया फोन भी...और इतनी देर से बेल बजा रही हूँ मैं सुनाई नहीं देता...
वो अभी भी गुस्से में लग रही थी...पर गुस्सा तो मुझे होना चाहिए था.
मैं : ठीक है..ठीक है..अब बोल, क्या काम था, इतनी रात को आने की क्या जरुरत पड़ी..
अन्दर ही अन्दर तो जैसे मुझे पता चल चूका था की शायद आज पारुल मुझसे चुदवाने आई है..पर मैं उसके मुंह से सुनना चाहता था.
पारुल थोड़ी देर तक चुप रही, उसने अपना हेलमेट उतार कर सोफे पर रख दिया और खुद भी वहां बैठ गयी. उसका चेहरा रोने जैसी हालत में हो गया..
मैंने दरवाजा बंद किया और उसके सामने आकर पंजो के बल बैठ गया.
मैं : हे पारुल...देख...मैं जानता हूँ की तू इस समय कैसी सिचुएशन से निकल रही है...और जब तुने किस करने को कहा तो ...तो...यु नो...मैं अपने आप पर कण्ट्रोल नहीं कर पाया...इसलिए मैंने...मैंने..तुझे टच किया...वहां..आई एम् सॉरी...
पारुल ने अपना चेहरा ऊपर उठाया, उसकी आँखों में अभी भी आंसू थे..आँखें लाल थी..लगता था काफी रोई थी वो..
पारुल : नहीं विशाल...सॉरी बोलने तो मैं आई हु...तुने तो वोही किया जो मैंने कहा था...और किस के साथ तो ये सब भी चलता है...पर मेरा ही दिमाग खराब था की मैंने तुझे धक्का दिया और भला बुरा बोला..आई एम् सॉरी...मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था...
और उसने मेरे गले में बाहें डालकर सुबकना शुरू कर दिया..
मैं : तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था...तो कैसा करना चाहिए था..
मेरी शरारत भरी बात सुनकर वो भी रोते-२ हंसने लगी...
पारुल : बता दू क्या...
मैं : हूँ...बता न...
पारुल ने सीधा अपना हाथ मेरे पेट से फिसलाते हुए लंड के ऊपर लाकर उसे कस कर पकड़ लिया.
पारुल : मुझे ऐसा करना चाहिए था उस वक़्त...
मेरी तो सोचने समझने की शक्ति ही चली गयी जैसे...
पारुल की आँखों में अजीब सी चमक आ गयी मेरे टूल को पकड़ने के बाद..
पारुल : ओह माय माय...यु आर बिग...
मैं कुछ न बोला...उसने मुझे कुछ बोलने के काबिल ही नहीं छोड़ा था..उसने मेरे लंड को एक झटका दिया और मैं उसकी तरफ खींचता चला गया...और मेरा मुंह सीधा उसके मुंह से जा टकराया...दोनों की आंके बंद हो गयी और हम एक दुसरे को फिर से किस्स करने लगे..
पारुल ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी छाती पर रख दिया...और मेरी आँखों में देखकर बोली : प्रेस देम...दबाओ इन्हें...जो तुम्हारे मन में है...वो करो.......
मैंने अपने दोनों हाथ ऊपर किये और पारुल के मोटे ताजे मुम्मो पर रख दिए...उसका गुदाजपन महसूस करते ही मेरे पुरे शरीर में चींटिया सी रेंगने लगी...मैंने दोनों हाथो का इस्तमाल किया और उसके मुम्मो को जोरो शोरो से दबाने लगा.
हम दोनों के होंठ एक दुसरे से उलझे हुए से, कुश्ती कर रहे थे...उसने अपना हाथ मेरे पायजामे में डाल दिया, अन्दर मैंने और कुछ भी नहीं पहना हुआ था..उसका सीधा हाथ मेरे लंड के ऊपर गया और उसे मसलने लगा...
पारुल : आई वांट टू सी दिस ...शो मी...प्लीस..शो मी...
उसने मुझे ऊपर खड़ा किया और मेरा पायजामा नीचे की तरफ खींच दिया...मेरा लंड लहराकर उसके सामने झूलने लगा...
पारुल : वाव...इट्स ब्यूटीफूल .....
और उसने आगे बढकर मेरे लंड को चूम लिया..
मेरे मुंह से सिसकारी निकली और मैंने अपना पायजामा अपने पेरो से निकाल दिया और नीचे से नंगा होकर उसके सामने खड़ा हो गया..
वो कुछ देर तक मेरे लंड को निहारती रही और फिर मेरी आँखों में देखते हुए उसने अपने मुंह को गोल किया और मेरे लंड को धीरे-२ निगलने लगी...
उसे जैसे कई दिनों की प्यास थी लंड की...उसके मुंह में जाता हुआ मेरा लंड ऐसा लग रहा था मानो किसी मशीन में जा रहा हो...उसने मेरी आँखों में देखते हुए मेरे लंड को ऐसा चूसा की मुझे उसमे दर्द सा होने लगा...अपनी जीभ, होंठ और दांतों का इतना अच्छा इस्तेमाल कर रही थी वो की उससे साफ़ पता चलता था की उसने पहले कई बार चूसा है लंड.
मेरा तो बस निकलने ही वाला था...पर मैं अभी निकालना नहीं चाहता था...मैंने उसके मुंह से अपना लंड खींच लिया...मेरे लंड और उसके मुंह के बीच लार की एक रस्सी सी खींचती चली गयी....जो लटक कर टूट गयी..
उसने मुझे सोफे के ऊपर गिरा दिया और खुद खड़ी हो गयी ... और फिर शुरू हुआ स्ट्रिप डांस ...
उसने अपने हिप्स धीरे-२ हिलाते हुए, मेरी आँखों में देखते हुए...अपने कपडे उतारने शुरू किये..
अपनी टी शर्ट को उसने लहराते हुए उतारा और मेरी तरफ फेंका..उसमे से डीयो की स्मेल आ रही थी..उसकी ब्रा में केद मोटे मुम्मे देखकर तो मैं पागल सा हो गया...और उसने उसके बाद अपनी जींस भी उतारी और मेरी तरफ पीठ करके, अपने हिप्स हिलाते हुए, उसे नीचे की तरफ कर दिया..उसकी ब्रा और पेंटी बड़ी ही डिजाईन वाली थी, हलकी जाली भी थी...लगता था मेरे लिए ही अन्दर से सज कर आई थी वो..
मैंने अपना लंड धीरे- २ हिलाना शुरू कर दिया...मुझे भी उसका स्ट्रिप शो देखने में काफी मजा आ रहा था..
वो अब मेरे सामने सिर्फ पेंटी और ब्रा में खड़ी थी...
उसका शरीर काफी भरा पूरा था...मोटे-२ मुम्मे, थुलथुला सा पेट और नीचे मोटी जांघो के ऊपर विराजमान मोटे-२ चूतड...थोड़ी काली भी थी वो..पर कुल मिलकर बड़ी ही अट्रेक्टिव लग रही थी वो..
उसके बाद उसने मेरी तरफ मुंह किया और हाथ पीछे लेजाकर अपनी ब्रा के हूक खोल दिए...और नीचे गिरते हुए कपो के ऊपर हाथ रख कर उन्हें अपनी जिस्म से जुदा कर दिया...और ब्रा को भी मेरी तरफ फेंक दिया...
उसके दोनों मुम्मे मेरी आँखों के सामने अब नंगे थे...और उनपर लगे थे दो काले रंग के जामुन..जो इतने बड़े थे की मुझे लगा की शायद सूजे हुए हैं...वर्ना इतने बड़े निप्पल तो मैंने आज तक किसी के नहीं देखे...
पारुल : क्या देख रहे हो...विशाल....पसंद आये ये...बोलो..
उसने हिलना अभी तक नहीं छोड़ा था...पता नहीं बिना मयूसिक के वो कैसे कमर मटका रही थी..
मैं : वो...वो...तुम्हारे निप्पल.....दे आर ब्यूटीफूल ...कैन आई....कैन आई...किस्स देम...
पारुल : या....स्योर ...
और उसने मेरे कंधे पर दोनों हाथ रखे और मेरी आँखों के सामने उसके दोनों मुम्मे झूलने लगे...और मैंने जीभ निकाल कर सीधा उसके सूजे हुए निप्पल को अपने मुंह में भरा और उन्हें चूसने लगा..
और वो मुझसे थोडा दूर होकर फिर से अपने शरीर को लहराने लगी...
उसने फिर से मेरी तरफ पीठ करी और अपनी मोटी गांड को झुककर मेरे चेहरे पर दे मारा...और हंसने लगी...
मुझे भी उसकी स्पंज जैसी गांड की मार अपने चेहरे पर बड़ी मजेदार लगी...
उसने अपने हाथ अपनी पेंटी में डाले और उसे धीरे-२ नीचे करना शुरू कर दिया...जैसे -२ उसकी गांड मेरे सामने आती जा रही थी, मेरे हाथ लंड के ऊपर उतनी ही तेजी से चलते जा रहे थे...
और फिर उसने एक ही झटके में अपनी पेंटी उतार कर बाहर कर दी...
अब वो सिर्फ और सिर्फ एक गोल्ड चेन और नीचे हाई हील की सेंडल में खड़ी थी..बड़ी ही सेक्सी लग रही थी वो...उसकी गांड पर इतनी चर्बी चड़ी हुई थी की मेरा मन कर रहा था की मैं अपना मुंह उसपर रगड़ डालू और उसके मुलायामपन को अपने चेहरे पर महसूस करू...
वो जैसे मेरे दिल की बात समझ गयी...वो उल्टे पैर चलते हुए मेरे पास आई और मेरे चेहरे पर अपनी गांड को रगड़ने लगी...
मैंने दोनों हाथो से उसकी कमर पकड़ी और अपना मुंह डाल दिया उन पर्वतों के ऊपर..और घिसने लगा...
मैंने हाथ आगे लेजाकर उसकी चूत के ऊपर रख दिया...जो इतनी गीली थी मानो उसने अभी सुसु किया हो...पर थी बिलकुल चिकनी...
बड़ी अजीब सी स्मेल आ रही थी...पर उसकी चीखे सुनकर पता चल रहा था की उसे मजा आ रहा है...मुझपर भी अब किसी स्मेल या गंदेपन का असर नहीं हो रहा था...मैंने अपने होंठो से उसकी गांड के छेद को चुसना शुरू कर दिया....वो तो पगला गयी मेरी इस हरकत से....और अगले ही पल मेरे हाथ पर, जो की उसकी चूत के ऊपर था, उसकी चूत से निकलता हुआ गरमा गरम रस निकलकर टपकने लगा...
"अह्ह्ह्हह्ह विशाल्ल्ल.........मैं तो गयी....अह्ह्ह......यु आर ग्रेट .....यु आर सिम्पली ग्रेट....विशाल...."
वो मेरी तरफ घूमी...मेरे चेहरे पर भी उसके चूत से निकला पानी लगा हुआ था...वो नीचे झुकी और मेरे चेहरे को किसी कुतिया की तरह, लम्बी जीभ करके , चाटने लगी.
पारुल : नाव...माय टर्न.....
और उसने मुझे सोफे पर फिर से लिटा दिया....और मेरी टांगो के बीच बैठकर, मेरे लंड को फिर से अपने मुंह में डालकर चूसने लगी...
फिर उसने मेरे लंड को बाहर निकाला ...और चाटते हुए मेरी बाल्स की तरफ गयी....अपने हाथ से मेरे लंड को हिला हिलाकर...मेरी बाल्स को अपने मुंह में भरकर उन्हें केन्डी की तरह से चुसना शुरू कर दिया...
आज पहली बार किसी ने मेरी बाल्स को अपने मुंह में भरा था....बड़ा ही ग़जब का एहसास था ....और फिर उसने मेरी बाल्स भी निकाल दी...और थोडा और नीचे जाकर अपनी जीभ से मेरी गांड के छेद को कुरेदने लगी....
लगता था की वो मेरा एहसान चूका रही थी...जैसा मैंने उसके साथ किया था और उसे मजे दिए थे, वैसा ही वो मेरे साथ करके मुझे भी मजे देने की कोशिश कर रही थी...
और उसकी जीभ का सेंसेशन इतना उत्तेजना से भरपूर था की मेरे लंड की हालत बड़ी पतली सी हो गयी....तब मुझे एहसास हुआ की उसे भी शायद यही एहसास हुआ होगा...और उसने जैसे ही अपने गीले होंठ मेरी गांड के छेद पर टिकाये, मेरे लंड से सफ़ेद रंग की पिचकारियाँ निकलने लगी और ऊपर तक जाकर वापिस उसके मुंह के ऊपर गिरने लगी....
पारुल आः आः करती हुई मेरे लंड को चाटे जा रही थी और मेरी बूंदों को हवा में केच करती जा रही थी...
मेरी तो आँखे बंद सी होने लगी थी.....
उसने मेरे लंड के आस पास का पूरा इलाका अपनी जीभ से चाटकर साफ़ कर दिया...और ऊपर आकर मेरे ऊपर लेट गयी...उसके दोनों फल मेरी छाती से चिपककर पिचक गए...और उसने मेरे होंठो को जोरो से चुसना शुरू कर दिया...
और अपना सर ऊपर करके बोली : बेडरूम में चले...
मैंने सर हिलाकर हां कहा...वो उठी और मेरे आगे अपनी गांड मटका कर चलती हुई मेरे कमरे की तरफ जाने लगी...उसकी गांड को मचलता देखकर मेरे लंड ने फिर से सर उठाना शुरू कर दिया.
पारुल आः आः करती हुई मेरे लंड को चाटे जा रही थी और मेरी बूंदों को हवा में केच करती जा रही थी...
मेरी तो आँखे बंद सी होने लगी थी.....
उसने मेरे लंड के आस पास का पूरा इलाका अपनी जीभ से चाटकर साफ़ कर दिया...और ऊपर आकर मेरे ऊपर लेट गयी...उसके दोनों फल मेरी छाती से चिपककर पिचक गए...और उसने मेरे होंठो को जोरो से चुसना शुरू कर दिया...
और अपना सर ऊपर करके बोली : बेडरूम में चले...
मैंने सर हिलाकर हां कहा...वो उठी और मेरे आगे अपनी गांड मटका कर चलती हुई मेरे कमरे की तरफ जाने लगी...उसकी गांड को मचलता देखकर मेरे लंड ने फिर से सर उठाना शुरू कर दिया.
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अब आगे
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बेडरूम में पहुँचते ही वो मेरे बेड के ऊपर चढ़ गयी और बच्चो की तरह उछलने लगी...और वो भी पूरी नंगी.
पर वो शायद ये भूल गयी थी की वो अब बच्ची नहीं रही है..पर उसके मोटे-२ चुचे ऊपर नीचे उछलने की वजह से बड़े सेक्सी लग रहे थे...वो वैसे भी थोड़ी सी थुलथुली सी थी...इसलिए उसका पूरा शरीर ऊपर नीचे उछलता हुआ किसी बाल जैसा लग रहा था...पर देखने में मुझे काफी मजा आ रहा था.
उसने मेरी तरफ देखा और मुझसे बोली : आओ न ऊपर...देखो कितना मजा आता है ऐसा करने में...
था तो मैं भी नंगा पर उसकी इस बचकानी हरकत में शामिल होने से मुझे कोई नहीं रोक सका, उसका गुस्सा तो मालुम ही है आपको.
मैं भी ऊपर चढ़ गया और उसका हाथ पकड़ कर ऊपर नीचे कूदने लगा...किसी बच्चे की तरह..
मेरी आँखों के सामने उसकी छातियाँ ऊपर नीचे हो रही थी...मैंने हाथ आगे करके उन्हें पकड़ने की कोशिश की पर हर बार हाथ गलत जगह पर जाता था जिसे देखकर पारुल हंसने लगी....अचानक उसने मेरे कंधे पकडे और उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी...और अपनी टाँगे मेरी कमर के चारो तरफ बाँध दी..उसका वेट ज्यादा था पर मैंने किसी तरह से अपने आप को गिरने से बचाया...
मैं : पागल है क्या पारुल....बता तो देती की ऊपर आ रही है...अभी मैं गिर जाता तो..
पारुल (मुझे प्यार से देखते हुए) : अब मुझे क्या करना है और क्या नहीं..तुझसे पूछना पड़ेगा ...क्या ..मिस्टर...
मेरा लंड उसके और मेरे बीच में खड़ा होकर पिचक सा गया था..और उसकी रंगीली चूत मेरे लंड की दीवारों को रंग रही थी अपने रंग से..मैंने उसकी फेली हुई सी गांड को अपने पंजो में समेट कर उठा रखा था..ऐसा लग रहा था की मैंने अपने हाथ में गुंधा हुआ आटा पकड़ा हुआ है..इतना मुलायम एहसास था उसकी गांड का..
पारुल कुछ देर तक मुझे देखती रही और फिर मेरे होंठो को चूसने लगी...अपने हाथो से मेरे सर के बालों को सहलाने लगी...और अपनी ब्रेस्ट को मेरी चेस्ट पर रगड़ने लगी..
जैसे -२ वो मेरे लबों को चुस्ती जाती, उसके मुंह से निकलती हुई लार ज्यादा होती जाती...और जल्दी ही वो हम दोनों के बीच में गिरने लगी...उसके मुंह से निकली पहली लार की बूँद उसकी मुम्मो की घाटी के बीच से होती हुई सीधा मेरे लंड के ऊपर जा गिरी और उसका राज्याभिषेक कर दिया..
उसने अपनी कमर को ऊपर करना शुरू कर दिया..और मेरे होंठ चूसते-२ ही उसकी चूत मेरे लंड के ऊपर तक आ गयी और उसने एक हाथ बीच में डालकर मेरे गीले लंड को थोडा नीचे एडजस्ट किया और अपनी चूत के मुहाने पर रखकर अपना सारा भार फिर से नीचे की तरफ खिसका दिया....
मेरे लंड के ऊपर गिरी लार और प्री-कम की बूंदों ने मेरे लंड को उसकी चूत के अन्दर तक ले जाने का काम बखूबी किया और बाकी उसकी चूत में मोजूद रंगीले रस ने कर दिया..
मैंने उसे इतनी देर से उठा रखा था इसलिए वो मुझे स्ट्रोंग कह रही थी...और मेरा लंड उसकी चूत में शायद काफी अन्दर तक चला गया था ...इसलिए बिग.
उसने अपनी कमर को मेरे लंड के ऊपर नचाना शुरू कर दिया..मैंने भी उसकी कोमल सी गांड को हवा में उठाकर चोदना शुरू कर दिया...
पारुल :अह्ह्ह्ह विशाल्ल्ल.....डोंट कम इनसाईड मी .....आई एम् नोट ओन पिल्स .....ओके....ओके....
मैं : या....ओके...
मैंने फिर से उसकी चूत हवा में मारना शुरू कर दिया....और जल्दी ही मुझे लगा की मेरा निकलने वाला है...मतलब अगले एक-दो मिनट में ही...पर मैं उसकी चूत में ज्यादा देर तक रहकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था...इसलिए मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया.....
वो मेरी तरफ हेरत भरी नजरों से देखने लगी..पर मेरा लाल चेहरा देखकर वो समझ गयी की मैं ऐसा क्यों किया.
वो मेरी गोद से उतर गयी...और मेरे कंधे को दबाते हुए मुझे नीचे करने लगी..मैं उसकी आँखों में देखता हुआ नीचे बेड पर बैठ गया..पर वो खड़ी रही...उसने मेरे सर के ऊपर हाथ फेरते हुए अपनी एक टांग मेरे कंधे से घुमा कर पीछे की तरफ लटका दी..उसकी ताजा चुदी हुई चूत मेरी आँखों के सामने थी..मुझे पता चल गया की वो क्या चाहती है...मैंने उसकी गांड को प्रेस किया और उसकी चूत चूसने लगा..
उसके रस का बाँध भी शायद टूटने ही वाला था...मेरी जीभ के अन्दर जाते ही मुझे अन्दर से जैसे बाड़ सी आती महसूस हुई...मैंने मुंह के आगे उसकी चूत से निकलते जूस का तेज बहाव टकराया और मेरे चेहरे को भिगोता हुआ मेरी गर्दन और पेट से नीचे की तरफ आने लगा..
पारुल तो बेहोश सी हो गयी..मेरे सर के ऊपर उसने अपने दोनों नारियल टिका दिए...और मेरी गर्दन के पीछे वाले हिस्से को चूमती चली गयी...
पर मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था...जिसे वो ऊपर से देख पा रही थी...वो थोड़ी देर बाड़ नीचे उतरी और बेड के किनारे पर उलटी होकर अपनी गांड को हवा में उठा कर लेट गयी...मैं फर्श पर खड़ा होकर अपने लंड को उसके पीछे ले गया..और सीधा उसकी गांड के ऊपर लंड रख दिया...
पारुल : अह्ह्ह्हह्ह ......विशाल...डोंट बी स्टुपिड...वहां नहीं....मैंने आज तक पीछे से नहीं करवाया....
मैं : तो अब करवा लो...पारुल.......ये कभी न कभी तो होगा ही....
वो मना करती रही पर मैं तो जैसे पागल ही हो चूका था उसकी गांड के छेद में अपना लंड डालकर....मुझे ऐसा लग रहा था की मैं किसी तंग सी जगह में अपना लंड डाल रहा हु, जिसके चारों तरफ मखन लगा हुआ है...
और मैं आखिर उसकी तंग सी गांड के अन्दर पूरा घुसकर ही माना .
उसने भी राहत की सांस ली..
मैंने नीचे से उसके लटकते हुए मोटे मुम्मो को पकड़ा और उन्हें दबाने लगा..
पारुल : फिनिश ईट ....मेरी गांड में बम्बू डालकर तुम्हे मजे लेने की पड़ी हुई है..
मैं उसका दर्द समझ गया, पहली बार था आखिर कुड़ी दा यार...
मैंने अपने हाथ हटा लिए और आगे पीछे होकर कोरो से उसकी गांड मारने लगा..
आज सुबह चूत और अब आधी रात को गांड भी...वाह यार..क्या किस्मत है मेरे लंड की..
मैं मुस्कुराता जा रहा था और धक्के मारता जा रहा था..
मैं : अह्ह्ह....ओह्ह्ह पारुल.....यु आर सो टाईट अह्ह्ह्ह....यहाँ तो निकाल सकता हु न....अपना रस...
पारुल : उन्नन उन् ओग्ग्ग ओफ्फ्फ ....अह्ह्ह्ह हां.....डाल दे यहाँ.....यहाँ कुछ प्रोब्लम नहीं है....
और जैसे ही उसने हां कहा था , उसके अन्दर मेरे लंड से निकलने वाली पिचकारिया अपना भराव करने लगी...
और मैं उसके ऊपर हांफता हुआ गिर गया..
पारुल ने अपनी गांड से मेरा लंड खींच कर बाहर किया और मेरी तरफ घूम कर मुझे चूमने लगी.
पारुल : विशाल...मजा आया तुम्हे...मेरी एस में अपना पेनिस डालकर ...
मैं : इतनी सोफेस्टीकेडिट कैसे बन रही है अब तू....अपनी मरवाते वक़्त तो लंड चूत ही निकल रहा था...
पारुल (शरमाते हुए) : वो वक़्त होता ही ऐसा है...की गन्दी बाते करने में मजा आता है...पर रीयल में शर्म आती है...यु नो...
मैं : हाँ हां समझ गया...बड़ी आई एस पेनिस करने वाली हा हा...
उसने मेरी छाती पर एक मुक्का मारा और अपना सर वहां रखकर, उस जगह को चूमकर मुझसे लिपट गयी..
पारुल : विशाल...वादा करो की ये सब बाते हमारे बीच ही रहेंगी...तुम जानते हो पिछले दो महीने से मैं कितनी डिप्रेस थी...आज कुछ हल्का महसूस कर रही हु...मुझे आज महसूस हुआ है की वो डिप्रेशन फकिंग का था...आई इंजॉय फकिंग विशाल....और वही सब मैं मिस कर रही थी इतने समय से...पर अब तुम हो न..आई होप तुम मुझे इसके लिए कभी मना नहीं करोगे....
मैं : नहीं करूँगा पारुल...पर तुम्हे भी मेरे हिसाब से ही चलना होगा..जो भी मैं कहूँगा तुम्हे मानना होगा...कोई प्रश्न नहीं करोगी तुम...और जब मैं तैयार हूँगा तभी करेंगे...समझी न...
पारुल : येस माय मास्टर ...
और वो हंसती हुई मुझे फिर से चूमने लगी...
उस रात मैं और पारुल पुरे नंगे सोये, एक दुसरे में घुसकर..
सुबह मेरा फोन बजने लगा...टाईम देखा तो नो बज रहे थे..
मैंने फोन उठाया वो स्नेहा का था.
मैं : हाय स्नेहा....बोलो...
स्नेहा : क्या यार अभी तक सो रहे हो...घोड़े की तरह...दरवाजा खोलो..इतनी देर से घंटी बजा रही हु मैं...
उसकी बात सुनते ही मेरी नींद हवा हो गयी....मैं हडबडा कर उठ बैठा...मेरा लंड पहले से ही उठा हुआ था...साले ने मुझे तो उठाया नहीं..खुद उठ कर बैठ गया...पर सिचुएशन ऐसी थी की वो फिर से बैठने लगा...बेड पर पारुल नंगी पुंगी पड़ी हुई थी...अपने हाथ पैर पसारे...और बाहर स्नेहा खड़ी हुई थी..फोन से दुबारा आवाज आई : सुना के नहीं...दरवाजा खोलो...मैं बाहर खड़ी हु....जल्दी...
(17-11-2017, 03:42 PM)honey boy : वो मना करती रही पर मैं तो जैसे पागल ही हो चूका था उसकी गांड के छेद में अपना लंड डालकर....मुझे ऐसा लग रहा था की मैं किसी तंग सी जगह में अपना लंड डाल रहा हु, जिसके चारों तरफ मखन लगा हुआ है...
और मैं आखिर उसकी तंग सी गांड के अन्दर पूरा घुसकर ही माना .
उसने भी राहत की सांस ली..
मैंने नीचे से उसके लटकते हुए मोटे मुम्मो को पकड़ा और उन्हें दबाने लगा..
पारुल : फिनिश ईट ....मेरी गांड में बम्बू डालकर तुम्हे मजे लेने की पड़ी हुई है..
मैं उसका दर्द समझ गया, पहली बार था आखिर कुड़ी दा यार...
मैंने अपने हाथ हटा लिए और आगे पीछे होकर कोरो से उसकी गांड मारने लगा..
आज सुबह चूत और अब आधी रात को गांड भी...वाह यार..क्या किस्मत है मेरे लंड की..
मैं मुस्कुराता जा रहा था और धक्के मारता जा रहा था..
मैं : अह्ह्ह....ओह्ह्ह पारुल.....यु आर सो टाईट अह्ह्ह्ह....यहाँ तो निकाल सकता हु न....अपना रस...
पारुल : उन्नन उन् ओग्ग्ग ओफ्फ्फ ....अह्ह्ह्ह हां.....डाल दे यहाँ.....यहाँ कुछ प्रोब्लम नहीं है....
और जैसे ही उसने हां कहा था , उसके अन्दर मेरे लंड से निकलने वाली पिचकारिया अपना भराव करने लगी...
और मैं उसके ऊपर हांफता हुआ गिर गया..
पारुल ने अपनी गांड से मेरा लंड खींच कर बाहर किया और मेरी तरफ घूम कर मुझे चूमने लगी.
पारुल : विशाल...मजा आया तुम्हे...मेरी एस में अपना पेनिस डालकर ...
मैं : इतनी सोफेस्टीकेडिट कैसे बन रही है अब तू....अपनी मरवाते वक़्त तो लंड चूत ही निकल रहा था...
पारुल (शरमाते हुए) : वो वक़्त होता ही ऐसा है...की गन्दी बाते करने में मजा आता है...पर रीयल में शर्म आती है...यु नो...
मैं : हाँ हां समझ गया...बड़ी आई एस पेनिस करने वाली हा हा...
उसने मेरी छाती पर एक मुक्का मारा और अपना सर वहां रखकर, उस जगह को चूमकर मुझसे लिपट गयी..
पारुल : विशाल...वादा करो की ये सब बाते हमारे बीच ही रहेंगी...तुम जानते हो पिछले दो महीने से मैं कितनी डिप्रेस थी...आज कुछ हल्का महसूस कर रही हु...मुझे आज महसूस हुआ है की वो डिप्रेशन फकिंग का था...आई इंजॉय फकिंग विशाल....और वही सब मैं मिस कर रही थी इतने समय से...पर अब तुम हो न..आई होप तुम मुझे इसके लिए कभी मना नहीं करोगे....
मैं : नहीं करूँगा पारुल...पर तुम्हे भी मेरे हिसाब से ही चलना होगा..जो भी मैं कहूँगा तुम्हे मानना होगा...कोई प्रश्न नहीं करोगी तुम...और जब मैं तैयार हूँगा तभी करेंगे...समझी न...
पारुल : येस माय मास्टर ...
और वो हंसती हुई मुझे फिर से चूमने लगी...
उस रात मैं और पारुल पुरे नंगे सोये, एक दुसरे में घुसकर..
सुबह मेरा फोन बजने लगा...टाईम देखा तो नो बज रहे थे..
मैंने फोन उठाया वो स्नेहा का था.
मैं : हाय स्नेहा....बोलो...
स्नेहा : क्या यार अभी तक सो रहे हो...घोड़े की तरह...दरवाजा खोलो..इतनी देर से घंटी बजा रही हु मैं...
उसकी बात सुनते ही मेरी नींद हवा हो गयी....मैं हडबडा कर उठ बैठा...मेरा लंड पहले से ही उठा हुआ था...साले ने मुझे तो उठाया नहीं..खुद उठ कर बैठ गया...पर सिचुएशन ऐसी थी की वो फिर से बैठने लगा...बेड पर पारुल नंगी पुंगी पड़ी हुई थी...अपने हाथ पैर पसारे...और बाहर स्नेहा खड़ी हुई थी..फोन से दुबारा आवाज आई : सुना के नहीं...दरवाजा खोलो...मैं बाहर खड़ी हु....जल्दी...
मैं : हाँ हाँ अभी आया...
मैं फ़ोन काटा और सोचने लगा की अब क्या करूँ...
Ise kahate hain Bhagwan deta hai toh Chhappar faad ke deta hai. Our hero has become Ace fucker (Chodu), Chuto ki line lagi hai chudaane ke liye. 24 ghante mein 6 baar bharpur chudai - Great Porn Star