मैं टोवल लपेट कर जैसे ही बाहर आया..मेरा फ़ोन फिर से बजने लगा..अंशिका अभी तक अन्दर ही थी..
वो फ़ोन स्नेह का था
स्नेहा : हाय...क्या कर रहे हो..
मैं : कुछ नहीं...तुम बताओ.
स्नेहा : आज पड़ाने का इरादा नहीं है क्या..
मैं : नहीं यार...आज नहीं आ पाउँगा...बस अभी आया था किसी जरुरी काम से..आज हिम्मत नहीं है..
स्नेहा : वैसे अब तो तुम्हारे मम्मी - पापा भी नहीं है...कहो तो मैं ही आ जाऊ वहां..अच्छी तरह से पड़ाई हो जायेगी..
मैं : ठीक है...पर आज नहीं..कल.
स्नेहा : ठीक है, मैं तुम्हे कल फोन कर लुंगी और फिर हम प्रोग्राम सेट करके मिल लेंगे...तुम्हारे घर पर..बाय..
मैं : बाय..
इतनी देर में अंशिका भी बाहर आ गयी...और उसने बाहर आते ही अपने कपडे पहनने शुरू कर दिए..शाम होने लगी थी..उसे घर भी जाना था.
अंशिका : विशाल..आज जो सुख...जो प्यार तुमने मुझे दिया है...मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी...तुम ही मेरे सच्चे दोस्त हो जो मेरी इच्छाए और जज्बात अच्छी तरह से समझते हो...आई एम् प्राउड ऑफ़ यु...थेंक्स फॉर टुडे...थेंक्स फॉर एवरीथिंग...
और मुझे एक जोरदार किस करके, दोबारा जल्दी ही मिलने का वादा करके वो चल दी.
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अब आगे
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शाम को कनिष्का का फ़ोन लगातार आता रहा, पर मैंने उठाया नहीं...मुझे मालुम था की वो मेरे और अंशिका के बारे में ही पूछेगी..और शायद अगले दिन आने का भी प्रोग्राम न बना ले..वैसे भी मैंने कल स्नेहा को आने के लिए बोल दिया है.
रात को मैं बाहर चला गया खाना खाने.
मैं एक दुसरे ब्लोक में स्थित ढाबे पर गया और वहां बैठ गया..था तो वो एक ढाबा पर वहां के खाने की तारीफ मैंने कई लोगो से सुनी थी, मैंने सोचा आज ट्राई कर ही लेते हैं..
मैं बैठा ही था की मुझे पीछे से किसी ने बुलाया : विशाल्ल्ल....तुम क्या कर रहे हो यहाँ..
मैंने पीछे मुड़ा तो देखा वो पारुल थी...मेरी स्कूल वाली दोस्त, जिसका ब्रेकअप हो चूका था..
मैं : हाय..पारुल...तुम यहाँ क्या कर रही हो..
पारुल : यार, वो मम्मी पापा कही गए हैं बाहर...एक हफ्ते के लिए. रोज पिज्जा बर्गर खा खाकर बोर हो गयी थी...खाना बनाना आता नहीं अभी..इसलिए सोचा की आज कुछ चटपटा खाया जाए, इस ढाबे की काफी तारीफ सुनी है मैंने, इसलिए यहाँ आई थी, पेक करवाकर घर ले जाउंगी, पर तुम क्या कर रहे हो.अकेले बैठ कर खा रहे हो, कोई दोस्त नहीं...क्या .
मैं : यार, मेरा हाल भी तेरे जैसा है, मम्मी-पापा गाँव गए हैं, किसी की शादी में, अगले हफ्ते तक आयेंगे...तो मैंने सोचा की यहाँ आकर खाना खा लेता हूँ.
पारुल : हम्म्म्म ..पर अकेले खाने में तुम्हे अजीब नहीं लगेगा...चलो एक काम करो, तुम्हारा खाना भी पेक करवा लेती हूँ मैं, साथ मिलकर खायेंगे, मेरे घर.
उसके घर मैं पहले भी कई बार जा चूका था, पर उसके मम्मी पापा आज घर नहीं थे..इसलिए मुझे थोडा अजीब सा लग रहा था, वैसे भी चुदाई करने के बाद मुझे हर लड़की में सिर्फ एक ही तरह का इंटरस्त आ रहा था आजकल..पर अपनी स्कूल की फ्रेंड पारुल के बारे में मैंने पहले भी कुछ गन्दा नहीं सोचा था और ना ही मुझे सोचना था..वैसे भी आजकल मेरे पास काफी सारे आप्शन है.
मैं : नहीं यार..रहने दे..तेरे मामी पापा भी नहीं है...ऐसे अच्छा नहीं लगता..
पारुल : ओये...तू कब से इतनी बाते सोचने लगा...तुने क्या मेरे साथ कुछ करना है घर में जो नहीं चल सकता...चल सही तरह से..वर्ना..
मैं :अच्छा बाबा...चलो...तुमसे कोन मुंह लगाये..
मुझे उसका गुस्सा मालुम था, गुस्से में उसके मुंह से गालियाँ निकलने लगती थी, जिससे मुझे काफी चिड थी.
पारुल ने अपने साथ-२ मेरा खाना भी पेक करवा लिया...पर मैंने उसे पैसे नहीं देने दिए..और उसने भी ज्यादा जिद्द नहीं की सबके सामने.
पारुल का फ्लेट थोड़ी ही दूर पर था..वो पैदल ही आई थी वहां तक, मैंने उसे बाईक पर बिठाया और उसके फ्लेट की पार्किंग में मैंने बाईक लगा दी और लिफ्ट से ऊपर आ गए..लाइफ में एक आंटी भी चड़ी, जो मुझे और पारुल को घूर -२ कर देख रही थी..
पारुल ने मुझे बाद में बताया की वो उसी फ्लोर पर रहती है...और शायद सोच रही होगी की मम्मी-पापा के घर पर न होने का फायदा उठा रही हूँ मैं...अपने बॉय फ्रेंड को घर लाकर.
मैं : देखा, मैंने कहा था न, ऐसे अच्छा नहीं लगता, अब लोग क्या बोलेंगे..
पारुल : मुझे लोगो की परवाह नहीं है...समझे..और रही बात तुम्हारी, तो तुम्हे तो मम्मी-पापा अच्छी तरह से जानते ही हैं..
तभी उसका मोबाईल बजने लगा.
पारुल : लो जी...मम्मी का नाम लिया और उनका फोन आ गया.
फ़ोन उठा कर : हाँ मम्मी...बोलो...हाँ जी, बस खा रही हूँ...वो जगत ढाबे से लायी थी खाना...हाँ..और वहां विशाल भी मिल गया...खाना खाने आया था..मैं उसे भी ले आई साथ में..हाँ अभी यहीं है...ठीक है मम्मी...अच्छा...बाय..गुड नाईट ...
पारुल : देखा...मम्मी कितनी समझदार है...बोल रही थी..अछा किया..तू भी अकेले खाने में बोर नहीं होगी अब...
मैं : चल अब जल्दी कर...खाना लगा...बड़ी भूख लगी है..
पारुल ने खाना लगा दिया..
खाना खाते हुए : यार विशाल ...एक बात तो बता...तेरा किसी से चक्कर चल रहा है क्या आजकल...
मैं हडबडा गया उसकी बात सुनकर : ...मेरा...नहीं...नहीं तो...
12-11-2017, 04:10 PM (This post was last modified: 12-11-2017, 04:11 PM by honey boy.)
पारुल : छुपा मत..मुझसे...मैंने देखा था तुझे एक दिन...तेरी बाईक पर एक लड़की बैठी थी...थोड़ी मोटी थी ..मेरे जैसी...पर सुन्दर थी..चिपक कर बैठी थी...मैं पापा के साथ कार में जा रही थी...तब देखा था..बोल अब..
मैं : यार...मैंने ये बात किसी को नहीं बताई...इसलिए...तू समझ रही है न...पर अब तुझसे छुपाने का कोई फायदा नहीं है...हाँ..चल रहा है मेरा चक्कर उसके साथ..पर प्यार व्यार जैसी कोई बात नहीं है..
पारुल : प्यार करना भी मत किसी से...बड़ी चोट लगती है जब दिल टूटता है..
और वो गुमसुम सी हो गयी...शायद अपने एक्स को याद करके..
पारुल : पर तू सही है...प्यार नहीं है...फिर भी वो तुझसे इतना चिपक कर बैठी थी...कुछ करा वरा भी है या...अभी तक वोही हाल है तेरा...फट्टू..हे हे..
वो सही कह रही थी...जब हम स्कूल में थे तब मेरी किसी भी लड़की से बात करने की हिम्मत ही नहीं होती थी...यहाँ तक की कॉलेज में भी मेरा वाही हाल था...वो तो अच्छा हुआ की मैंने हिम्मत करके अंशिका का नंबर लिया और फिर ये सब शुरू हुआ...वर्ना मैं अभी भी वोही रहता..फट्टू...
मैं : अरे पारुल..तू नहीं जानती मुझे...अब मैं वो विशाल नहीं रहा...मुझे सब पता है...कैसे मजे दिए जाते है...और कैसे लिए जाते हैं...
और ये कहते हुए मैंने उसे आँख मार दी..
पारुल : ओये होए..लुक हु इस टाकिंग ...मेरा शेर...शाबाश...
और उसने मुझे हाई फाईव दिया..
हम खाना खाते रहे.
मैं : तू सुना...तेरा क्या चल रहा है आजकल...
पारुल : यार ..तू तो जानता है न...उस इंसिडेंट के बाद तो मेरा मन प्यार व्यार से उठ गया है...मन करता है की सभी लडको को गोली मार दू...सभी एक जैसे होते हैं...सबको बस एक ही चीज चाहिए...बस चूमना चाटना...और लड़की की टांगो के बीच घुसकर साले ......सॉरी मुझे ऐसी लेंगुएज में नहीं बोलना चाहिए...
मैं : नो प्रोब्लम पारुल....पर एक बात कहूँ...तुम भी न कुछ ज्यादा ही सिरिअस हो गयी थी उस उल्लू के पट्ठे के साथ...देखा न...निकल गया मजे लेकर...और तुम्हे जो मैं ये लड़की के बारे में बता रहा हूँ...ये काफी प्रेक्टिकल लड़की है...उसने शुरू से ही मुझे कह दिया है की प्यार व्यार या शादी की उम्मीद मत रखना...सिर्फ फिसिकल मजे लो..फ्रेंड बनकर रहो....और कुछ नहीं...
पारुल : वह यार...तेरे तो मजे हैं फिर...कितनी बार मजे ले लिए फिर तुने ...बोल..बोल न...शर्मा क्यों रहा है..
मैं : यार...टोपिक चेंज....
पारुल : हाय....शर्मा रहा है....मतलब पुरे मजे ले चूका है तू...सही है बॉस....यानी अब हमारा फट्टू असल में मर्द बन चूका है... हा हा ...
मैं : हाँ जी...अब आपकी पूछताछ ख़तम हो चुकी हो तो खाना खा ले क्या...
पारुल : ठीक है जी...
उसके बाद हमने खाना ख़तम किया...पारुल बर्तन उठाकर किचन में ले गयी...और सिंक में धोने लगी...
मैं ड्राईंग रूम में बैठा रहा ..
मैं : पारुल....मैं कुछ हेल्प करू क्या...
पारुल कुछ न बोली...वो घिस घिसकर बर्तन धोती रही...वो उन्हें पटक सी रही थी...मानो किसी बात का गुस्सा उतार रही हो...
मैं उसके पास गया तो मुझे उसके सुबकने की आवाज सुनाई दी...वो रो भी रही थी..
मैं : हे...पारुल...क्या हुआ बेबी....रो क्यों रही है...पागल...बोल...बोल न...
पारुल : कुछ नहीं यार...बस कुछ याद आ गया...
मैं : देख..मैंने तुझे उस दिन भी कहा था न की उस कुत्ते को भूल जा अब...तू नहीं मानती...वैसे ऐसा क्या हुआ की तुझे वो याद आने लगा..
पारुल (रोते हुए हंसने लगी) : वो ..वो तुने...अपनी फ्रेंड के साथ मजे लेने वाली बात कही न...बस...वोही सुनकर...विशाल ..तू तो जानता है...आई वास फिसिकल विद हिम....एंड...एंड...आजकल.......मुझे वो सब बहुत याद आता है....यु नो व्हाट आई मीन......
मैं समझ गया की उसे पहले की चुदाई आजकल काफी याद आ रही है...
मैं : हम्म.....तुम किसी और के साथ...आई मीन...किसी के साथ...फ्रेंडशिप कर लो फिर से...ऐसे कब तक रहोगी...
पारुल (चिल्लाते हुए) : क्या करू मैं...शहर में जाकर चिल्लू क्या...की आओ जी...मुझे कोई चाहिए....जो प्यार व्यार के चक्कर में न पड़े....बस शारीरिक मजे ले और दे....ये बोलू क्या मैं बाहर जाकर....स्टुपिड..
मैं : यार...ये मैंने कब बोला...
पारुल :लुक विशाल....ये हम लडकियों के लिए उतना आसान नहीं है....जितना तुम लडको के लिए है...आई एम् डिप्रेस ...बिकोस ऑफ़ दिस ...
और वो फूट फूटकर फिर से रोने लगी...
मैं उसके पीछे गया और उसके पेट में हाथ डाल कर पीछे से खड़ा हो गया...और उसके सर को पीछे से चूम लिया...
मैं : चुप कर पारुल....चुप कर...प्लीस...
मैंने आज पहली बार पारुल को छुआ था...मतलब इस तरह से, इससे पहले सिर्फ हाथ ही मिलाया करता था बस...पर उसकी कम हाईट की वजह से मेरे हाथ उसके मोटे मुम्मो के थोडा ही नीचे थे...और उसके थुलथुले से पेट के ऊपर थिरक से रहे थे..और ऊपर की तरफ से लटकते हुए चुचे मेरे हाथो के ऊपर टच भी हो रहे थे..सच कहूँ...आज से पहले मैंने पारुल के बारे में कुछ भी गलत नहीं सोचा था...वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी...थोड़ी सी मोटी थी पर उसका चेहरा काफी अट्रेक्टिव था..और उसके सीने से बंधे हुए दोनों मुम्मे तो कमाल के थे..अंशिका से भी बड़े...पर अंशिका की हाईट उससे थोड़ी ज्यादा थी, इसलिए वो ज्यादा मोटी नहीं लगती थी...पर पारुल थोड़ी बहुत लगती है...
और आज जब मैंने उसे इस तरह से पकड़ा तो मेरे लैंड ने मेरी बात सुने बिना उठाना शुरू कर दिया...सुबह से चार बार उलटी कर चूका था वो...पर फिर भी नयी छुट देखते ही वो फिफ्कारने लगा...उसने मेरी ये बात भी ना मानी की 'भाई ये तो दोस्त है'....और उठता चला गया.
पारुल का रोना एकदम से बंद सा हो गया...उसे शायद अपनी कमर पर मेरे खड़े होते सांप का एहसास हो गया था...उसने अपने हाथ सिंक के ऊपर जोर से गाड़ दिए...और तेज सांस लेने लगी...
मैं : पारुल....आर यु आलराईट ...तुम ठीक हो अब..
पारुल ने सिर्फ सर हिला दिया...कुछ न बोली वो..
जहाँ मैं खड़ा हुआ था, मुझे पारुल के आगे का हिस्सा भी दिखाई दे रहा था...उसकी लूस टी शर्ट का गला इतना बड़ा था की जब वो सांस लेती तो वो खुल सा जाता और उसके गले के अन्दर की घाटी मुझे दिखाई देने लगती...और वहां से देखने से ये भी पता नहीं चल पा रहा था की उसने ब्रा भी पहनी हुई है या नहीं...मैं उसके साथ कुछ करना नहीं चाहता था...पर मेरा शारीर मुझसे सब करवाता चला गया.
मैंने ये जान्ने के लिए की उसने ब्रा पहनी हुई है या नहीं, अपना एक हाथ उसके कंधे पर रख दिया..
मैं : बोलो पारुल...तुम ठीक हो ...अब.
और मैंने अपनी उँगलियाँ उसके नर्म और मुलायम से कंधे के ऊपर जमा दी...मेरी उंगलियों के ठीक नीचे ब्रा स्ट्रेप मिल गए.
मैंने उसका कन्धा अपनी उंगलियों में दबा दिया...और उसकी ब्रा के स्ट्रेप को थोडा खींच कर वापिस छोड़ दिया...
मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया और अपनी से सटा कर कहा : तुम फिकर मत करो पारुल...सब ठीक हो जाएगा...
उसने अपना एक हाथ मेरी कमर में डालकर आगे से दुसरे हाथ से अपना पीछे वाला हाथ पकड़ लिया..और मेरे पेट के चारो तरफ घेरा बनाकर मेरे सीने पर सर रख दिया.
मैंने उसके सर के ऊपर एक और किस करी और कहा : देखना...तुम्हे एक से बढकर एक लड़के मिलेंगे...जल्दी ही...
मेरा हाथ उसकी मोटी पीठ के ऊपर नीचे चल रहा था...पतली सी कॉटन की टी शर्ट के नीचे उसके ब्रा स्ट्रेप बम्पर का काम कर रहे थे..मेरी उँगलियाँ ऊपर से नीचे जाती..और स्ट्रेप के पास जाकर रुक जाती...फिर नीचे तक जाती और फिर ऊपर.
मेरा लैंड अब पूरी तरह से उठ कर उसके पेट वाले हिस्से को गर्मी दे रहा था...पता नहीं वो उसे महसूस कर पा रही थी या नहीं.
पारुल : पर इस बार मैं कोई इमोशनल अटेचमेंट नहीं करुँगी...किसी के साथ भी...जब दिल टूटता है तो बहुत दर्द होता है...
मैं उसे सहलाता रहा.
पारुल :वैसे तुमने ...अगर बुरा न मानो तो ....तुमने किस हद तक उस फ्रेंड के साथ...मेरा मतलब है...
मैं : फक किया है...या नहीं..ये जानना है तुम्हे...है न...
पारुल : साले...इतना भाव क्यों खा रहा है....फट्टू कहीं का...हाँ येही पूछना है मुझे...बता ...कितनी बार पेला है तुने उसे...
मैं : चार बार....और वो भी आज ही..
पारुल (हेरान होकर) : साले रेबिट...एक दिन में चार बार...क्या खाता है तू...और अभी भी देख...फिर से तैयार है ये तो...
और उसने अपनी आँखों से मेरे लैंड की तरफ इशारा किया...और हंसने लगी.
मैं : चलो हंसी तो आई न तुम्हे...चाहे मेरे सिपाही को देखकर ही सही..
कुछ देर तक हम दोनों चुप रहे...
पारुल : यार...मुझे गलत मत समझना....पर क्या ...क्या तू मुझे...मुझे ..एक किस कर सकता..
उसके कहने से पहले ही मैंने उसके चेहरे को ऊपर किया...और उसके गोल गप्पे जैसे चेहरे को पकड़ा और उसके होंठो को चूसने लगा किसी पागल की तरह...
यार....क्या मीठे होंठ थे उसके...आज तक इन्हें बोलते हुए ही देखा था बस...आज पहली बार चूमने को मिले थे...
मैं लगभग दो मिनट तक उसके होंठो को चूसता रहा...
उसने मेरी कमर के चारो तरफ अपने हाथ और जोर से लपेट दिए..
मेरा दूसरा हाथ सीधा उसके उभार पर गया और मैं उसे दबाने लगा...
उसने एक जोर से झटका दिया और मुझे अपने आप से अलग कर दिया...
मुझे गुस्सा तो इतना आया की मन किया इ उसके चेहरे पर एक जोरदार थप्पड़ मार दू...
पर मैंने उससे बहस करनी उचित नहीं समझी और बाहर निकल गया...बाईक उठाई और सीधा घर आ गया..
घर आने तक मेरे सेल पर उसके 7 मिस कॉल आ चुके थे...उसका फ़ोन फिर बजा...पर मैंने फोन बंद कर दिया.साली समझती क्या है अपने आप को...मैंने उसे एक दो गाली दी और सो गया.