और जल्दी ही मेरे लंड से माल निकल कर उसकी चूत में शिफ्ट होने लगा....और मैंने उसके दांये निप्पल को अपने मुंह में डालकर जोर से चुसना शुरू कर दिया...और मेरे ऐसा करते ही उसने एक दहाड़ मारकर अपना रस भी निकाल दिया...और जोर से हांफती हुई मेरे ऊपर ही झड़ने लगी...
उसने अपनी ब्रेस्ट को मेरे मुंह से छुड़ाने की बहुत कोशिश की पर जब तक मेरे लंड से रस निकलता रहा , मैं उसकी ब्रेस्ट को अपने मुंह में डालकर चूसता रहा..
और जब हम दोनों सामान्य हुए तो उसने हँसते हुए मेरी तरफ देखा
अंशिका : यु आर बेड बॉय...यु नो देट ...
और मेरे होंठो को जोर-२ से चूसने लगी.
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अब आगे
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बाथरूम में जिस काम के लिए गए थे, वो हमने सबसे बाद में किया, एक साथ नहा कर हम बाहर निकल आये, अन्दर आते ही अंशिका ने अपने कपडे पहनने चाहे पर मैंने उसके कपडे छीन लिए.
मैं : आज तुम पूरा दिन मेरे साथ नंगी ही रहोगी..
अंशिका : नहीं न...मुझे शर्म आती है...प्लीस मेरे कपडे दे दो..अच्छा चलो, सिर्फ ब्रा-पेंटी ही दे दो..
मैं : मैंने कहा न , नहीं तो नहीं...क्या पता तुम्हे नंगा देखकर मेरा फिर से मन कर जाए तुम्हारी चुदाई करने का.
अंशिका मेरे पास आई और मेरे गले में अपनी बाहें डालकर बोली : वो तो तुम कुछ भी करो आज मैं तुम्हे नहीं रोकूंगी...पर मेरे कपडे तो दे दो न..
मैं : नहीं..
अंशिका : तुम बड़े जिद्दी हो..
और वो मेरे सीने पर हलके-२ मुक्के मारने लगी
मैं :अच्छा एक बात तो बताओ...वो जो तुमने कहा था की मैं तुम्हे प्रेग्नेंट कर सकता हु...क्या सच में तुम ये चाहती हो..
अंशिका (शरमाते हुए अपना सर मेरी गर्दन में घुसाते हुए) : यार, तुम उस समय की बातो को याद करके मुझे परेशान मत करो...
मैं : अच्छा जी...पर बताओ तो सही...क्या सच में तुम ये चाहती हो..और ये भी की मैं तुम्हारी ब्रेस्ट का मिल्क पीऊ ..
अंशिका : ये दोनों चीजे तो तुमने ही कही थी...मैंने तो सिर्फ तुम्हारी बात मान ली..तुम खुश तो मैं भी खुश..
मैं : मतलब , अगर मैं जो भी कहूँ तो तुम उसे मना नहीं करोगी..
अंशिका : हूँ..नहीं करुँगी...ट्राई कर के देख लो..
मैं : तो मैं चाहता हु की तुम मेरे दोस्त के साथ भी ये सब करो जो तुमने मेरे साथ किया है..
अंशिका एक झटके से मेरे से अलग हो गयी..और मुझे घूरकर देखने लगी..
मैं : अरे..क्या हुआ, अभी तो तुमने कहा की तुम कुछ भी करोगी, जो मैं करने को कहूँगा..
अंशिका : इसका मतलब ये तो नहीं की तुम मुझे रंडी बना दो..
मैं : इसमें रंडी बनने वाली क्या बात है..मैंने तो वोही कहा जो मेरे मन में था..वैसे अगर ये बात तुम कहती की तुम मुझे अपनी किसी सहेली से शेयर करना चाहती हो तो मैं भी मान लेता..
अंशिका : लड़के और लड़की में फर्क होता है..तुम लड़के तो किसी के साथ भी शुरू हो सकते हो, पर ये हम लडकियों के लिए पोसिबल नहीं है...वैसे भी, मुझे पता है की तुम मजाक कर रहे हो.
मैं : नहीं, मैं मजाक नहीं कर रहा..मैं सच में चाहता हु की तुम मेरे दोस्त के लम्बे लंड को अपनी चूत में डालकर बहुत मजे लो.
मैंने ये बात उसकी आँखों में देखकर बोली थी...उसकी फेली हुई आँखे एकदम से गुलाबीपन में डूब गयी...उसकी साँसे तेज होने लगी, इतनी तेज की मुझे उनकी आवाज साफ़ सुनाई दे रही थी..लगता था मानो वो अपने जहन में वो सब सोचकर उत्तेजित हो रही थी.
उसने अपनी छाती के ऊपर टावल लपेट रखा था, जो उसकी जांघो तक आ रहा था, पर मोटी ब्रेस्ट की वजह से आगे की तरफ से उस छोटे से टावल में गाँठ नहीं लग पा रही थी, इसलिए उसने अपने हाथो से उसे सामने की तरफ से पकड़ा हुआ था. मेरी बाते सुनकर वो अपनी सुध-बुध खोकर बस मुझे घूरे जा रही थी..और इस बेहोशी के आलम में उसके हाथ से कब टावल छुट कर नीचे गिर गया, उसे भी पता नहीं चला.
वो अपने दांये हाथ को अपनी छाती के ऊपर दबाये खड़ी थी अब..उसे क्या मालुम था की टावल तो कब का उसका साथ छोड़ गया है और उसका हुस्न अब बेपर्दा होकर मेरे सामने अपने पुरे जलवे बिखेर रहा है.
मैंने झुक कर अपना मुंह उसके ठन्डे से मुम्मे के ऊपर रख दिया और उसे चूसने लगा.
मेरे दांतों की चुभन महसूस करते ही वो जैसे नींद से जागी.
अंशिका : अह्ह्ह्ह.....ये क्या कर रहे हो...बदमाश..अभी तो किया है..थोडा तो वेट करो न...प्लीस....अह्ह्ह्ह...
पर मैंने उसके निप्पल्स को चुसना चालु रखा.
और जल्दी ही उसने भी अपनी तरफ से रिस्पोंस देना शुरू कर दिया..
अंशिका : अह्ह्ह्हह्ह...... तुम न.... बड़े गंदे हो..... मेरी बात ही नहीं मानते... ओह्ह्ह... येस्सस्सस्स....
मैं अंशिका के सामने ही नीचे जमीं पर बैठ गया. और अपना चेहरा ऊपर करके उसकी चिकनी चूत को निहारने लगा.
वो मेरी मंशा समझ गयी, उसने अपना एक पैर ऊपर उठाया और मेरे कंधे पर रख दिया..और मेरे सर के पीछे हाथ लगाकर, मेरे मुंह के ऊपर अपनी चूत को लगा दिया.
उसने अपना दूसरा पैर पंजो के बल उठा रखा था, मेरे दोनों हाथ उसके मोटे ताजे कुल्हो के ऊपर थे और मैं उसकी चूत को स्ट्राबेरी आइसक्रीम की तरह से चाटने में लगा हुआ था.
अंशिका : ओह्ह.....गंदे बच्चे....मुझे अपने दोस्त से चुदवाओगे....हूँ....यु बेड ब़ोय...तुम्हारे दोस्त मेरे अन्दर अपना...अपना...लंड डालेंगे...और तुम्हे मजा आएगा क्या...बोलो...बोलो न..
मैंने तो वो बात उसे गरम करने के लिए कही थी, मुझे क्या मालुम था की उसकी सुई अभी तक वहीँ अटकी हुई है...पर उसकी बातो से तो यही लग रहा था की उसे मेरी बात काफी पसंद आई थी..मैंने उसकी रसीली चूत से मुंह हटाया और उसकी तरफ देखकर कहा.
मैं : हाँ....मुझे बड़ा मजा आएगा...मुझे मालुम है की मेरी अंशिका कितनी गरम है...उसकी चूत की आग मेरे लंड से नहीं बुझेगी...उसके लिए और भी लंड मंगवाने पड़ेंगे, जो तुम्हारी चूत के अन्दर अपना पानी निकाल कर अन्दर की आग को बुझा देंगे.
मैंने अब खुल कर चूत-लंड की बाते उसके सामने करनी शुरू कर दी थी.
अंशिका : ओह्ह्ह्ह.....माय स्वीटहार्ट .....मेरा कितना ख्याल है तुम्हे....ओह्ह्ह्ह....डलवा देना...मरवा देना ...चुदवा देना ...अपनी अंशिका को फिर अपने दोस्तों से...सब के लंड का रस अपनी चूत में समेत कर मैं तुम्हे खुश कर दूंगी..पर अभी तो तुम मुझे खुश करो...मेरी चूत के अन्दर की आग जो तुमने भड़काई है...उसे शांत करो.
मुझे किसी दुसरे इनविटेशन की जरुरत नहीं थी..अंशिका की चूत की आग पूरी तरह से फेल चुकी थी..और उसके पुरे जिस्म को झुलसा रही थी.
मैं उठा और उसे उठाकर अन्दर की तरफ ले जाने लगा...पर अंशिका ने मुझे चुमते हुए कहा : नहीं....अन्दर नहीं...बाहर सीडियो के ऊपर...
मैंने कोई विरोध नहीं किया, मैं उसे उठाकर अपने कमरे से बाहर निकला और कमरे से नीचे की और जाती सीडियो के बीचो बीच लेजाकर उसे लिटा दिया...उसने सीडियो के साईड की रेलिंग पकड़ ली..और अपनी दोनों टाँगे ऊपर की और उठाकर मेरे लंड को सादर आमंत्रित किया..मैं भी उसके निमंत्रण लंड से स्वीकारकर उसके ऊपर झुका और जैसे ही मेरे लंड ने उसकी चूत के गेट के अन्दर एंट्री मारी, वहां पर मोजूद फिसलन और टपकते हुए पानी की वजह से मेरा लंड अन्दर तक फिसलता हुआ चला गया...सीडियो वाला एंगल भी ऐसा मस्त था की मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर तक जा रहा था...
अंशिका : ओह्ह्हह्ह.....विशाल....फक में...हार्ड...मेक मी युअर होर..अह्ह्हह्ह......
मैं (उसकी चूत मी धक्के मारते हुए) : होर तो मैं तुम्हे बनाऊंगा ही...मेरे लंड से चुदोगी तुम...और फिर मेरे दोस्त तुम्हे पूरा नंगा करके चोदेंगे...अपने लम्बे और मोटे लंड डालेंगे तुम्हारी चूत मी...और मैं तुम्हारी गांड मारूंगा...
अंशिका को तो जैसे गांड मारने वाली बात सुनकर झटका सा लगा....उसने मुझे एक ही बार मी ऊपर से नीचे की और लिटाते हुए...खुद मेरे ऊपर लेट गयी..सीडियो के ऊपर अब मेरी पीठ थी...और अंशिका मेरे ऊपर झुकी हुई थी, अब उसने मेरे ऊपर उछलना शुरू कर दिया.
अंशिका : अह्ह्हह्ह.....चदुंगी....तुमसे...तुम्हारे दोस्तों से...किसी से भी...जिसे तुम लेकर आओगे...उसका लंड डालूंगी..अपनी चूत मी...तुम्हारे लिए...सिर्फ तुम्हारे लिए...और मेरी कुंवारी गांड भी तुम मारना...डाल देना अपना ये मोटा लंड ....मेरी गांड मी...यहाँ....
और ये कहते हुए उसने मेरी एक ऊँगली पकड़कर अपनी गांड के छेद पर टिका दी...उसकी हिप्स पर मांस की इतनी मोटी परत थी की मेरी ऊँगली को अन्दर जाने मे भी काफी मुश्किल हो रही थी...मैंने उसकी गांड के रिंग के अन्दर अपनी ऊँगली फंसाई और अंशिका ने उसे पकड़कर अन्दर की तरफ धकेल दिया...उसे मालुम था की तकलीफ तो उसे ही होनी थी..पर फिर भी अपनी चूत और गांड के अन्दर एक साथ भराव महसूस करने का लालच वो छोड़ नहीं पायी...पर पीछे के छेद मे हुए दर्द की वजह से वो चिल्ला पड़ी...
और अगले ही पल उसने अपनी चूत से ढेर सारा रस मेरे लंड के ऊपर छोड़ दिया..मेरा लंड उसकी चूत मे और ऊँगली गांड मे फंसी हुई थी...वो झड़ने के बाद मेरे ऊपर लेट गयी और अपने बेजान शरीर को मुझपर बिछा दिया..मैंने नीचे से धक्के मारने शुरू किये और उसके एक मुम्मे को मुंह में भरकर चूसने लगा...और जल्दी ही आज की डेट मे, तीसरी बार, मैं झड़ने लगा, और अपना सारा दूध उसकी चूत के बर्तन में डाल दिया.
सीडिया मेरी पीठ पर चुभ रही थी...इसलिए मैंने अंशिका को अपनी गोड में ही उठा कर, ऊपर की तरफ चल दिया...और उसे अपने बेड के ऊपर लिटा कर, साथ ही लुडक गया.
उसकी आँखे अभी भी बंद थी..पर वो मंद -२ मुस्कुरा रही थी..मुझे नहीं मालुम था की वो मेरी चुदाई से संतुष्ट होकर मुस्कुरा रही है या मेरी कही हुई बातो को सोचकर..
मैंने टाइम देखा 4 बजने वाले थे...मैंने नीचे गया और हम दोनों के लिए ब्रेड टोस्ट और चाय बनाकर टेबल पर रख दिया..
मैंने नीचे से ही अंशिका को आवाज लगायी : अंशिका...नीचे आओ...मैंने चाय बना दी है..
और टेबल पर बैठकर उसका वेट करने लगा..
थोड़ी ही देर में वो बाहर निकली..और वो भी पूरी नंगी.
और अपनी कमर मटकाती हुई वो नीचे की तरफ आने लगी..उसकी नजरे नीचे ही झुकी हुई थी, उसके पैर जब भी नीचे पड़ते तो उसके दोनों उभार झटके खाते..मैं तो बस यही सोचकर खुश हो रहा था की अंशिका मेरी बातो को कितना मानती है...तभी तो उसने अभी तक कोई कपडा नहीं पहना.
यानी की मैंने जो भी उसे उत्तेजित करने के लिए कहा था, अपने दोस्त से चुदवाने वाली बात , उसे भी वो मना नहीं करेगी...ये सोचते हुए ही मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा..और मैं सोचने लगा की अपने किस दोस्त को अंशिका की चूत मारने के लिए बोलू.
मैंने टाइम देखा 4 बजने वाले थे...मैंने नीचे गया और हम दोनों के लिए ब्रेड टोस्ट और चाय बनाकर टेबल पर रख दिया..
मैंने नीचे से ही अंशिका को आवाज लगायी : अंशिका...नीचे आओ...मैंने चाय बना दी है..
और टेबल पर बैठकर उसका वेट करने लगा..
थोड़ी ही देर में वो बाहर निकली..और वो भी पूरी नंगी.
और अपनी कमर मटकाती हुई वो नीचे की तरफ आने लगी..उसकी नजरे नीचे ही झुकी हुई थी, उसके पैर जब भी नीचे पड़ते तो उसके दोनों उभार झटके खाते..मैं तो बस यही सोचकर खुश हो रहा था की अंशिका मेरी बातो को कितना मानती है...तभी तो उसने अभी तक कोई कपडा नहीं पहना.
यानी की मैंने जो भी उसे उत्तेजित करने के लिए कहा था, अपने दोस्त से चुदवाने वाली बात , उसे भी वो मना नहीं करेगी...ये सोचते हुए ही मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा..और मैं सोचने लगा की अपने किस दोस्त को अंशिका की चूत मारने के लिए बोलू.
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अब आगे
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मन तो कर रहा था की अभी उसे फिर से चोद डालू पर सुबह से तीन बार उसकी बुरी तरह से मारने के बाद अब हिम्मत नहीं हो रही थी..पर ये लंड था की मान ही नहीं रहा था, उसके गोरे चित्ते और मोटे-ताजे शरीर को देखकर मेरा शेर फिर से शिकार करने को उठ बैठा..
वो मटकती हुई आई और टेबल से चाय का मग उठा कर सीधा मेरी गोद में आकर बैठ गयी. और मेरी गर्दन से हाथ घुमा कर मुझे अपनी गर्दन की तरफ भींच लिया.. और खुद चाय पीने लगी.
अंशिका के दोनों कबूतर मेरी आँखों के सामने उड़ने का प्रयास कर रहे थे..मैंने भी अपनी चाय का एक घूँट भरा और उसके बाद अपना मुंह उसके निप्पल्स पर लगा दिया..चाय की वजह से मेरी गर्म जीभ का स्पर्श उसके पुरे शरीर में रोंगटे खड़े करता चला गया..उसने तन कर अपनी छाती और बाहर निकाली और मेरे मुंह के अन्दर घुसाने का प्रयास करने लगी.
मैं : चाय पी लो पहले..उसके बाद अपना दूध पिलाना मुझे..
अंशिका : हट..बड़े गंदे हो तुम वैसे..इतनी गन्दी बाते कहाँ से सीखी तुमने..
मैं : बस आ गयी..
अंशिका : वैसे क्या सोच रहे थे अभी तुम..
मैं : सच कहू...वो तुमने ऊपर कहा था न अभी की मैं तुम्हे किसी से भी..मेरा मतलब, मेरे किसी भी दोस्त या..किसी और से चुदवा सकता हु..तो बस सोच रहा था की किसे कहू ...
अंशिका (मेरी आँखों में देखते हुए ) : मैंने कह दिया और तुम कर दोगे क्या...अपनी अंशिका को किसी के साथ भी शेयर कर लोगे तुम..बोलो..बोलो न.
मैं थोड़ी देर तक चुप रहा..बात तो वो सही कह रही थी..मैं चाहकर भी अंशिका को किसी और के साथ शेयर नहीं कर सकता था.
मैं : तुम सही कहती हो जान...मैं ऐसा नहीं कर सकता...पर हम इस तरह की बात तो कर ही सकते हैं ना...मैंने नोट किया था की तुम ये बात सुनकर काफी गर्म हो गयी थी..और तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी लास्ट वाले सेशन में..
अंशिका (हँसते हुए) : तुम्हे धीरे-२ ही पता चलेगा न की मेरे वीक पॉइंट्स कोन से है...जिसके बारे में बात करके या जिन्हें छेड़ कर मैं तुम्हे ज्यादा मजे दे सकती हु.
मैं : तुम्हारी बॉडी के ज्यादातर तो मुझे पता ही हैं....
अंशिका : अच्छा जी..बताओ फिर..
मैं और अशिका तब तक चाय पी चुके थे. मैंने उसके कानो के ऊपर जीभ फिरते हुए कहा : एक तो ये है...तुम्हारे सेंसेटिव कान..जिनपर मैं अगर अपनी नंगी जीभ फिरू तो तुम जल बिन मछली की तरह मचलने लगती हो...
अंशिका : अह्ह्ह्ह आउच...... ह्म्म्मम्म ....और ...
मैंने उसके एक हाथ को ऊपर उठाया और उसकी बगलों को सूंघते हुए अपनी जीभ वहां घुमाने लगा...
अंशिका सीत्कार उठी...: अह्ह्ह्हह्ह...... ओह्ह्ह... मम्म.. ठीक कहा.... और...
मैं : और तीसरी है ये ...तुम्हारे निप्पल
ये कहते हुए मैंने उसके निप्पल्स को सिर्फ अपने दांतों तले दबा लिया..बिना अपने होंठ या जीभ लगाये..वो अपनी गद्देदार गांड को मेरी गोद में घिसने सी लग गयी..
मैंने उसे उठा कर सामने डायनिंग टेबल पर लिटा दिया..वो उखड़ी हुई सी साँसों से मेरी तरफ देख रही थी...मानो वो जानती हो की अगला पॉइंट मैं कोनसा बताने वाला हूँ...और मैंने जैसे ही अगले पॉइंट ...यानी उसकी नाभि के ऊपर अपनी तपती हुई जीभ रखी, उसने मेरे सर को अपने पेट के ऊपर जोर से दबा दिया..मेरी जीभ उसकी नाभि की गहरायी में उतर गयी..और उसने मेरी गर्दन के चारों तरफ अपनी टाँगे लपेट कर मुझे अपना बंधक बना लिया..
मैंने किसी तरह से उस पागल के चुंगल से अपना सर छुड़ाया...और गहरी साँसे लेते हुए, उसकी आँखों में देखते हुए..नीचे की तरफ खिसकने लगा...क्योंकि सबसे मैं पॉइंट तो वहीँ पर था...मैंने उसकी शेव की हुई चूत के ऊपर अपनी जीभ फेराई...और फिर अपने हाथो से उसकी चूत के होंठो को अलग -२ किया...अन्दर का नजारा बड़ा रसीला सा था..गुलाबी रंग की दीवारों से छन कर मीठा पानी बाहर आ रहा था...और चूत के सबसे ऊपर की तरफ थी उसकी क्लिट..मैंने अपनी ऊँगली और अंगूठे से उसकी क्लिट के चारो तरफ दबाव डाला तो वो थोड़ी सी उभर कर बाहर की तरफ निकल आई..वो इस तरह से लग रही थी मानो एकदम छोटा सा लंड..मैंने अपने होंठ गोल किये और सीधा उसकी क्लिट के ऊपर जाकर चिपका दिए और उसकी क्लिट को किसी आइसक्रीम की तरह से चूसने लगा...
उसकी एक इंच की क्लिट मेरे मुंह के अन्दर जाकर अपने रस की फुहार कर रही थी...मैंने अपने बीच वाली ऊँगली नीचे की तरफ करके उसकी चूत के अन्दर डाल दी और उसे अन्दर बाहर करने लगा...ऊपर से क्लिट को चूसता रहा और नीचे से उसकी रसीली चूत के अन्दर ऊँगली डालता रहा...
अंशिका की तो हालत इतनी खराब हो गयी थी की उसकी चीख भी नहीं निकल पा रही थी अब....सिर्फ मुंह खोले हलके-२ घू-घू की आवाज ही निकाल पा रही थी वो...उसका हाथ मेरे सर के ऊपर था..अपने हिसाब से वो मुझे कण्ट्रोल कर रही थी..मैं जब ज्यादा चूसने लगता तो मेरे बाल खींच कर मुझे ऊपर कर देती...और जब और ज्यादा इच्छा होती तो मेरे सर को और तेजी से अपनी चूत के अन्दर घिसने लगती..
उसकी क्लिट बड़ी नाजुक सी थी..मेरे दांतों की वजह से उसे तकलीफ भी हो रही थी...इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया और उसकी चूत के दोनों होंठो के ऊपर अपने होंठ लगा कर फ्रेंच किस करने लगा...वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी..अपनी चूत के जरिये धक्के मारकर वो मेरे होंठो को चूसने का प्रयास करती जा रही थी..मेरे मुंह से लार निकल रही थी तो उसकी चूत के मुंह से गरम पानी..
मेरा मुंह, नाक, ठोडी सब पूरी तरह से गीले हो चुके थे..
अंशिका (चिल्लाते हुए) : आआअह्ह्ह्ह..... विशाल्ल्ल्ल..... ओह्ह्ह बेबी.... यु आर सो स्वीट.... अह्ह्हह्ह...... फक में नाव... फक मीईईईई.......
और वो उठी और मेरे सीने से अपनी चूत को रगडती हुई नीचे तक आई और मेरे खड़े हुए लंड के ऊपर आकर बैठ गयी...और फिर सी सी करती हुई वो मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर उतारने लगी...
और अंत में जब मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर घुस गया तो उसने मेरी कुर्सी के पीछे वाला हिस्सा पकड़ा और अपनी छाती को मेरे मुंह के ऊपर दबाते हुए..अपनी चूत को मेरे लंड के चरों तरफ घुमाते हुए...ऊपर नीचे करती हुई...मुझे चोदने लगी...हाँ...सही कहा मैंने..मुझे चोदने लगी...क्योंकि मैं तो किसी राजा की तरह कुर्सी पर बैठा हुआ था..सारा काम तो वो ही कर रही थी...
वो अपने पंजो के बल मेरे लंड के ऊपर बैठी हुई तक धिना धिन करती जा रही थी...और अंत में हम दोनों का एक साथ रस निकलने लगा...मेरे लंड के प्रेशर से तो वो थोडा सा उछल सी गयी थी...और उसकी चूत से मेरा लंड बाहर निकल आया...और मेरे लंड से निकलते रोकेट जैसे वीर्य की पिचकारियाँ सीधी ऊपर तक आकर उसके मुंह से टकराई...और कुछ उसके मुम्मो से...हम दोनों के बीच पूरा चिपचिपा रस फेल चूका था..कहने की जरुरत नहीं थी..हमें दोबारा नहाना पड़ा उसके बाद.
मैंने टोवल लपेट कर जैसे ही बाहर आया..मेरा फ़ोन फिर से बजने लगा..अंशिका अभी तक अन्दर ही थी..
वो फ़ोन स्नेह का था
स्नेहा : हाय...क्या कर रहे हो..
मैं : कुछ नहीं...तुम बताओ.
स्नेहा : आज पड़ाने का इरादा नहीं है क्या..
मैं : नहीं यार...आज नहीं आ पाउँगा...बस अभी आया था किसी जरुरी काम से..आज हिम्मत नहीं है..
स्नेहा : वैसे अब तो तुम्हारे मम्मी - पापा भी नहीं है...कहो तो मैं ही आ जाऊ वहां..अच्छी तरह से पड़ाई हो जायेगी..
मैं : ठीक है...पर आज नहीं..कल.
स्नेहा : ठीक है, मैं तुम्हे कल फोन कर लुंगी और फिर हम प्रोग्राम सेट करके मिल लेंगे...तुम्हारे घर पर..बाय..
मैं : बाय..
इतनी देर में अंशिका भी बाहर आ गयी...और उसने बाहर आते ही अपने कपडे पहनने शुरू कर दिए..शाम होने लगी थी..उसे घर भी जाना था.
अंशिका : विशाल..आज जो सुख...जो प्यार तुमने मुझे दिया है...मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी...तुम ही मेरे सच्चे दोस्त हो जो मेरी इच्छाए और जज्बात अच्छी तरह से समझते हो...आई एम् प्राउड ऑफ़ यु...थेंक्स फॉर टुडे...थेंक्स फॉर एवरीथिंग...
और मुझे एक जोरदार किस करके, दोबारा जल्दी ही मिलने का वादा करके वो चल दी.