08-11-2017, 02:34 PM
मैं : तो समझ लो...की मैं तुम्हारे सामने ही हु...और वो भी बिलकुल नंगा...
कनिष्का : उम्म्म......आई केन इमेजिन.....युवर पेनिस इस इरेक्ट....आई विल...सक यु ऑफ...ओफ्फ्फ...विशाल....ये क्या कर दिया...तुमने...पता है मेरी..मेरी चूत से कितना पानी निकल रहा है..
मैं : वो पानी तो मैं पी जाऊंगा...देख लेना..
कनिष्का शायद मेरी ही तरह मास्टरबेट कर रही थी...उसकी गहरी साँसों की आवाज के साथ साथ हाथ की चुडिया हिलने की भी आवाज आ रही थी..
कनिष्का : कैसे पीयोगे...तुम मेरा...सारा रसीला पानी...बोलो...
मैं : तुम्हे अपने ऊपर लिटा लूँगा...तुम मेरा लंड चुसना....और मैं तुम्हारी चूत..
कनिष्का :ओह्ह्हह्ह्ह्ह.....विशाल्ल्ल......सक मी...सक मी...येस..येस...येस...ओह्ह्ह.....माय.....गोडsssssssss
वो शायद झड़ने लगी थी..मैंने भी अपने हाथो को लंड पर तेजी से मसला और जल्दी ही उसमे से भी सफ़ेद रंग का गाड़ा रस निकलने लगा...मैंने जल्दी से अपने पिल्लो के कवर को उतारा और उसमे सारा रस समेट लिया..वर्ना रात के समय , कोन सी पिचकारी कहाँ जा रही है, पता ही नहीं चलता.
कुछ देर तक हम दोनों कुछ ना बोले...मैंने अंशिका के साथ भी कई बार फोन सेक्स किया था...पर कनिष्का के साथ करने में कुछ और ही मजा आया था..पता नहीं चुदाई के टाइम ये क्या हाल करेगी..
कनिष्का : विशाल....थेंक्स...
मैं : किसलिए..
कनिष्का : फॉर एवेरीथिंग...मेरी कॉलेज एडमिशन में हेल्प के लिए...कल वाली किस्स के लिए...एंड फॉर मेकिंग मी कम..इतना एरोटिक तो मैंने कभी फील नहीं किया...आई एम् लोविंग इट..
मैं : मी..आल्सो.चलो अब सो जाओ..
कनिष्का : उन्...नहीं न...प्लीस..थोड़ी और देर तक बाते करो न...
मैं : नहीं..कल मम्मी पापा ने एक हफ्ते के लिए बाहर जाना है...उन्हें स्टेशन पर छोड़ने भी जाना है..मुझे जल्दी उठाना है कल..समझा करो.
कनिष्का : वाव...एक हफ्ते के लिए..सुपर..यानी एक हफ्ते तक तुम घर पर अकेले..मैं तो सोच रही थी की कैसे और कहाँ तुमसे मिलूंगी..पर तुमने तो सारी मुश्किल आसान कर दी..मजा आएगा.
हे भगवान्...ये मैंने क्या कर दिया...मैंने बिना सोचे इसे बोल तो दिया..पर अंशिका के साथ तो पहले से ही मेरी प्लानिंग चल रही है..और कभी अगर ये दोनों बहने एक साथ ही पहुँच गयी मेरे घर तो गड़बड़ हो जाएगो...पर अब जो होना था सो हो गया..
मैं : हां..वो तो है...चलो कल बात करते हैं फिर...
कनिष्का : ठीक है, तुम सो जाओ..कल मिलते हैं फिर..बाय ..गुड नाईट.
मैं : ओके...बाय...गुड नाईट ..
मैंने मोबाइल रखा और अपने मुरझाये हुए लंड को देखा...और मेरे सामने एकदम से किसी पिक्चर की तरह , अंशिका और कनिष्का मेरे ही कमरे में पूरी नंगी दिखाई देने लगी...मैं जानता था की ये मुमकिन नहीं है, पर मेरी इच्छाशक्ति पर मेरा बस नहीं चल रहा था...और ये सोचते हुए मेरे लंड ने फिर से अंगडाई लेनी शुरू कर दी...और मैंने उसी पिल्लो कवर में दो बार और अपने लंड के रस को निकाल कर, उसे लगभग गीला सा कर दिया..और फिर मुझे कब नींद आ गयी, मुझे पता ही नहीं चला.
कनिष्का : उम्म्म......आई केन इमेजिन.....युवर पेनिस इस इरेक्ट....आई विल...सक यु ऑफ...ओफ्फ्फ...विशाल....ये क्या कर दिया...तुमने...पता है मेरी..मेरी चूत से कितना पानी निकल रहा है..
मैं : वो पानी तो मैं पी जाऊंगा...देख लेना..
कनिष्का शायद मेरी ही तरह मास्टरबेट कर रही थी...उसकी गहरी साँसों की आवाज के साथ साथ हाथ की चुडिया हिलने की भी आवाज आ रही थी..
कनिष्का : कैसे पीयोगे...तुम मेरा...सारा रसीला पानी...बोलो...
मैं : तुम्हे अपने ऊपर लिटा लूँगा...तुम मेरा लंड चुसना....और मैं तुम्हारी चूत..
कनिष्का :ओह्ह्हह्ह्ह्ह.....विशाल्ल्ल......सक मी...सक मी...येस..येस...येस...ओह्ह्ह.....माय.....गोडsssssssss
वो शायद झड़ने लगी थी..मैंने भी अपने हाथो को लंड पर तेजी से मसला और जल्दी ही उसमे से भी सफ़ेद रंग का गाड़ा रस निकलने लगा...मैंने जल्दी से अपने पिल्लो के कवर को उतारा और उसमे सारा रस समेट लिया..वर्ना रात के समय , कोन सी पिचकारी कहाँ जा रही है, पता ही नहीं चलता.
कुछ देर तक हम दोनों कुछ ना बोले...मैंने अंशिका के साथ भी कई बार फोन सेक्स किया था...पर कनिष्का के साथ करने में कुछ और ही मजा आया था..पता नहीं चुदाई के टाइम ये क्या हाल करेगी..
कनिष्का : विशाल....थेंक्स...
मैं : किसलिए..
कनिष्का : फॉर एवेरीथिंग...मेरी कॉलेज एडमिशन में हेल्प के लिए...कल वाली किस्स के लिए...एंड फॉर मेकिंग मी कम..इतना एरोटिक तो मैंने कभी फील नहीं किया...आई एम् लोविंग इट..
मैं : मी..आल्सो.चलो अब सो जाओ..
कनिष्का : उन्...नहीं न...प्लीस..थोड़ी और देर तक बाते करो न...
मैं : नहीं..कल मम्मी पापा ने एक हफ्ते के लिए बाहर जाना है...उन्हें स्टेशन पर छोड़ने भी जाना है..मुझे जल्दी उठाना है कल..समझा करो.
कनिष्का : वाव...एक हफ्ते के लिए..सुपर..यानी एक हफ्ते तक तुम घर पर अकेले..मैं तो सोच रही थी की कैसे और कहाँ तुमसे मिलूंगी..पर तुमने तो सारी मुश्किल आसान कर दी..मजा आएगा.
हे भगवान्...ये मैंने क्या कर दिया...मैंने बिना सोचे इसे बोल तो दिया..पर अंशिका के साथ तो पहले से ही मेरी प्लानिंग चल रही है..और कभी अगर ये दोनों बहने एक साथ ही पहुँच गयी मेरे घर तो गड़बड़ हो जाएगो...पर अब जो होना था सो हो गया..
मैं : हां..वो तो है...चलो कल बात करते हैं फिर...
कनिष्का : ठीक है, तुम सो जाओ..कल मिलते हैं फिर..बाय ..गुड नाईट.
मैं : ओके...बाय...गुड नाईट ..
मैंने मोबाइल रखा और अपने मुरझाये हुए लंड को देखा...और मेरे सामने एकदम से किसी पिक्चर की तरह , अंशिका और कनिष्का मेरे ही कमरे में पूरी नंगी दिखाई देने लगी...मैं जानता था की ये मुमकिन नहीं है, पर मेरी इच्छाशक्ति पर मेरा बस नहीं चल रहा था...और ये सोचते हुए मेरे लंड ने फिर से अंगडाई लेनी शुरू कर दी...और मैंने उसी पिल्लो कवर में दो बार और अपने लंड के रस को निकाल कर, उसे लगभग गीला सा कर दिया..और फिर मुझे कब नींद आ गयी, मुझे पता ही नहीं चला.