06-11-2017, 01:37 PM
अपडेट ३६
मैं : और तुमने पहनी हुई है क्या ब्रा...?
स्नेहा (मेरी आँखों में देखते हुए) : तुम ही बताओ...
मैंने उसकी छाती पर नजरें जमा दी...वो हलके से मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखती रही...मुझे सच में पता नहीं चल पा रहा था की उसने अन्दर ब्रा पहनी है या नहीं...
मैं : मुझे इस तरह से पाता नहीं चल पायेगा...हाथ से चेक करना पड़ेगा...
स्नेहा (उसी अंदाज में ) : तो कर लो...मैंने कहाँ मना किया है..
मैं : चेक कर लूँ....पर कैसे..
स्नेहा :वो तो तुम जानो...एक काम करो तुम जरा सोचो, तब तक मैं अपनी दूसरी फ्रेंड्स से मिलकर आती हूँ..
वो चली गयी और मैं सोचने लगा...
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अब आगे
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स्नेहा चलती जा रही थी और उसकी मटकती हुई गांड देखकर मेरा लंड तेजी से उछलने लगा था.. मैं मन ही मन सोच रहा था की एक तरफ ये मुझे देने को तैयार है और दूसरी तरफ मेरी किस्मत मेरा साथ नहीं दे रही है..पर अभी के लिए तो जितना मिले उसे समेट लो..
स्नेहा जाकर अपनी सहेलियों के बीच खड़ी हो गयी..उसकी क्लास की सारी लड़कियां बड़ी ही सेक्सी ड्रेस्सेस में वहां आई हुई थी, एक ने तो मिनी स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था और उसके शरीर का हर कसाव उसमे से साफ़ दिखाई दे रहा था, नीचे मोटी-२ टाँगे और ऊपर लटकते हुए रसीले आम..
पर मुझे तो सबसे पहले स्नेहा के साथ मजे लेने के लिए कोई जगह देखनी थी..मैं उठकर फार्म हॉउस के पीछे की तरफ चल दिया, खाने की टेबल्स के पीछे वाली जगह पर अँधेरा था, और उसके पीछे काफी ऊँची दिवार थी, ये जगह सही है...मैं जल्दी से वापिस आया और स्नेहा को ढून्ढने लगा, वो बर्थडे गर्ल हिनल के साथ खड़ी थी...और उनके साथ स्नेहा का वो पुराने वाला बॉय फ्रेंड भी था...मैं उनके पास गया.
स्नेहा : कहाँ चले गए थे तुम...मैं कब से तुम्हे ढून्ढ रही थी..
मैं : वो मैं...जरा लू गया था..
अंकित ने मेरी तरफ हाथ बड़ा दिया...
अंकित : हाय...आई एम् अंकित...
मैं : हाय..आई एम् विशाल..हाउ आर यु..
स्नेहा : तुम अंकित से मिल ही चुके हो न, मेरे बर्थडे पर...
मैं : हाँ...तुम्हारे घर की छत्त पर..
अंकित सकपका गया...और उसका चेहरा देखकर हिनल और स्नेहा ने फिर से एक दुसरे के हाथ पर ताड़ी मारी और हंसने लगी..
स्नेहा : विशाल...मैंने तुमसे कुछ नहीं छुपाया...ये मेरा एक्स बॉय फ्रेंड है...और मालुम है इसको लेकर मुझमे और हिनल में कितनी लडाई होती थी...हिनल का ये पहला क्रुष था...पर इसे मैंने पहले हथिया लिया...पर अब जबसे तुम मेरी जिन्दगी में आये हो, सो..यु नो..मैंने इसे डंप कर दिया...और आज जब मैंने ये बात हिनल को बताई तो इसने मुझे अंकित के साथ......फ्रेंड शिप करने के लिए कहा, इसलिए मैंने अभी अंकित को बुलाया था और मैं इन्हें एक दुसरे से मिलवा रही थी...सो...हिनल, ये रहा मेरी तरफ से तुम्हारा बर्थडे गिफ्ट...एन्जॉय...
और ये कहते हुए स्नेहा ने अंकित का हाथ पकड़कर हिनल के हाथ में दे दिया...
अंकित तो बेचारा भोला सा चेहरा बना कर खड़ा हुआ था, मानो उसे बकरी की तरह बाजार में बेचा जा रहा हो...पर हिनल उसका हाथ पकड़कर फूली न समायी...और वो अंकित के साथ लगभग चिपक कर खड़ी हो गयी..इतना गर्म माल पाकर कोई पागल ही होगा जो खुश न हो...हिनल के शरीर की गर्मी मिलते ही अंकित का मूड भी चेंज होने लगा...और वो हिनल से हंस कर बाते करने लगा. पर मेरा ध्यान तो हिनल की ड्रेस में से उसके निप्पलस ढून्ढ रहा था..और आखिर मेरी तेज नजरों ने उन्हें पा ही लिया, सफ़ेद ड्रेस जो उसकी ब्रेस्ट से चिपक कर नीचे की और आ रही थी और जिसपर हलके फुल्के सितारे लगे हुए थे, उसके निप्पल वाली जगह पर आकर एक स्पीड ब्रेकर जैसी हालत में उसके निप्पल्स तन कर खड़े हुए थे, शायद अंकित को अपने इतने पास पाकर वो गरमा रही थी...
स्नेहा मुझे लेकर थोडा दूर चली गयी..
स्नेहा : तुम्हे बुरा तो नहीं लगा न...दरअसल, हमारे फ्रेंड सर्कल में ये सब चलता है, एक दुसरे के बॉय फ्रेंड को हम सभी आपस में युस कर लेते हैं...तभी तो मजा बना रहता है...ये अंकित काफी बड़े घर का लड़का है..इसे सबसे पहले मैंने अपना बॉय फ्रेंड बनाया..ये मुझे छोड़ना तो नहीं चाहता था, पर तुम्हारे आगे मुझे ये कुछ भी नहीं लगता...पर मैंने इसके साथ हद से ज्यादा कुछ नहीं किया..वैसे हमारे ग्रुप की कई लड़कियों ने तो सब तरह के मजे कर लिए है...पर अभी भी कई हैं जो वर्जिन है..जिनमे से मैं और हिनल भी हैं..पर हमने दुसरे मजे बहुत लिए हैं...
उसके खुले विचार सुनकर मुझे बड़ी ख़ुशी हो रही थी, एक वजह तो ये थी की अगर उसे मेरे दुसरे संबंधो के बारे में पता चला तो वो शायद उतना बुरा नहीं मानेगी और दूसरी वजह ये की शायद मुझे उसकी दूसरी सहेलियों के साथ कुछ मजे करने को मिल जाए...खासकर हिनल के साथ..
मैं : नहीं, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है...वैसे मैंने एक जगह देखि है, जहाँ मैं ये चेक कर सकता हूँ की तुमने ब्रा पहनी हुई है या नहीं...
स्नेहा का चेहरा मेरी बात सुनकर मानो आग की तरह जलने लगा...
स्नेहा : क्या...सच...कहाँ है...चले क्या...?
मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे टेंट के पीछे की तरफ ले जाने लगा..
वो बार-२ मुड़कर पीछे देख रही थी, की कोई हमें देख तो नहीं रहा है न..
पीछे जाकर जब मैंने एक अँधेरे वाली जगह पर उसे खड़ा किया तो मुझे सिर्फ उसकी आँखें ही चमकती हुई दिखाई दे रही थी...
मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ लिए, इतना करने की देर थी की उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे सीने से लग गयी..
स्नेहा : ओह्ह्ह...विशाल...तुमने तो मुझे पागल कर दिया है....हर समय मैं तुम्हारे बारे में ही सोचती रहती हूँ...
उसने मुंह ऊपर किया और मेरे तपते हुए होंठो को अपने मुंह में लेकर उन्हें चूसने लगी...
उसके मुंह का गीलापन देखकर मुझे उसके अन्दर जल रही आग का अनुमान हो रहा था...
मैंने उसके दोनों मुम्मो पर हाथ रख दिए और उन्हें दबाने लगा...हाथ पीछे लेजाकर मैंने उसके सूट के पीछे लगी जिप खोल दी और उसके सूट को कंधे से खिसका कर नीचे कर दिया...मेरे सामने उसकी नंगी चूचियां थी...
मैं : तो तुमने भी ब्रा नहीं पहनी...हूँ..