अब आगे क्या होगा और कैसे होगा कुछ पाता नहीं था लेकिन जितना भी करके आया था उसमें बहुत मजा आया था और मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा था खास कर जब दीदी के बूब्स पकडे थे और जब दीदी ने लिप् किसिंग की थी वो।।।।। कितना लकी था मैं यही सब मैं सोच रहा था।
कल दिन जब मैं दीदी के पास पढने के लिए गया तो दीदी बेड पर बैठे न्यूज़ पेपर पढ़ रही थी उसने मुझे देखा और स्माइल दी।
"आओ राज यहाँ बैठो" दीदी मुस्कुराते हुए बोली।
फिर मैंने पढना शुरू कर दिया क्योंकि मैं चाहता था की पहले पढ़ लू और अगर बाद में मौका मिला तो मजे तो करने ही है और दुसरा कोई काम भी नहीं था।
लगभग एक घन्टे बाद मैंने अपना सारा होम वर्क पूरा कर लिया और दीदी की तरफ देखा जो मुझे पढ़ा कर एक बार फिर न्यूज़पेपर में बिजी हो गई थी।
"दीदी मेरा काम तो हो गया आपको कोई काम तो नहीं है" अपना बस्ता समेटने के बाद मैं बोला।
"काम तो है लेकिन तुम क्या कहना चाहते हो बताओ मुझे।।।।।" दीदी बॉली।
"दीदी एक बात पुछु।।।।" मैं बोला।
"हाँ पूछ" दीदी न्यूज़पेपर पढ़ते हुए बोली।
"दीदी सच सच बताना क्या कल रात आपको मजा आया था क्या? और दीदी सच बताओ कल रात जितना मजा मुझे आया आज तक कभी भी नहीं आया इतना की मैं अभी तक भी नहीं भुला सका हु रह रह कर मुझे रात की बाते याद आती है और मैं थ्रिल से भर जाता हु खास तौर पर वो लमहा जब आपने मुझे लिप् किस्स किया था कसम से वो सब याद करके मैं पागल हो जाता हु" मैं बोला।
"भइया प्ल्ज़ वो बात नहीं करो मुझे शर्म आती है, कल पाता नहीं मुझे क्या गंगस्टा था लेकिन बाद में मैंने सोचा ये गलत है क्योंकि हम दोनों भाई बहन है तो अब जो हो चूका है उसके बारे में सोचना छोडो और भूल जाओ की कल रात हमने क्या किया था प्ल्ज़ " दीदी सीरियसली बोली।
"क्यों दीदी क्या हुआ? आपको अच्छा नहीं लगा या मैंने कोई ग़लती की मतलब मैंने बिना आपसे पूछे आपके बूब्स पकडे थे तो कहीं आप इस बात से तो नाराज नहीं हो" मैं सकपकाता हुआ बोला मुझे दीदी से ये उम्मीद नहीं थी।
मै बहुत डर रहा था की इतना अच्छा मौका मेरे हाथो से निकाल ना जाये कहाँ तो अपनी टीचर्स के साथ डर डर के करना पडता था और कहाँ दीदी के साथ कल रात खुल्लम खुला किया था लेकिन जब मैंने दीदी की तरफ देखा तो वो शर्मा रही थी और मेरी बात का कोई जवाब दिए बिना वो खिसक कर पीछे को हैट गई उसके ऐसा करने से उसकी सलवार भी नीचे हो गई थी लेकिन आज मुझे दीदी की पैंटी नजर नहीं आई थी मतलब आज दीदी ने पैंटी नहीं पहनी थी।
"दीदी आपके पीरियड्स खत्म हो गए क्या?" मैंने दीदी को बगैर पैंटी के देख कर पूछा।
ओ हैरान होकर सोच्ने लगी की मुझे कैसे पाता चला और फिर अचानक कुछ सोच कर अपने साइड पर देखा तो उसकी सलवार नीचे थी
"तु बहुत स्मार्ट है राज" दीदी सब समझ कर हस्ते हुए बोली "हा खत्म हो गए है।।।। लकिन उससे तुम्हे क्या मतलब"।
"दीदी अब हम बाते क्यों नहीं करेंगे, क्यों ना सोचु उस बात के बारे में ही कल हुई और क्यों भूल जाऊ कल रात हुई हसीन बातो को, बताओ न दीदी प्लीज की कल रात मजा आया या नहि" मैं दीदी को हस्ते हुए देख कर बोला।
"भइया प्लीज।।।।।। हाँ आया था मजा लेकिन ये ठीक नहीं है भाई बहन के बिच में तो प्लीज उसे भूल जाओ, अब हम सिर्फ भाई बहन है और दोस्त भी तो अब सिर्फ बाते होगी नो मोर प्लीज" दीदी मुझे समझते हुए बॉली।
"दीदी प्लीज।।।। अच्छी कल रात जितना किया था ना बस उतना ही करेंगे प्लीज दीदी इतने से के लिए तो मना मत करो इतने में कुछ नहीं होता" मैं गिडगिडाता हुआ बोला और इतना कह कर मैं दीदी के पास बैठ गया और उसकी टाँग पर अपना हाथ रख कर धीरे धीरे सहलाने लगा तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और ग़ुस्से से मेरी तरफ देखा।
"राज एक बार कहा ना की कुछ नहीं करना है चलो जाओ अपने रूम मे" दीदी ग़ुस्से से बोली।
दीदी की बात सुनकर मेरी सूरत रोनी सी हो गई थी और मुँह से आवाज भी निकलने से मन कर रही थी फिर भी मैं बोला "ओके दीदी ठीक है नहीं करना तो मत करो लेकिन मैं आज के बाद कभी भी आपसे बात नहीं करूँगा मुझे यकीन हो गया है की मैं आपको जरा भी प्यारा नहीं हु वरना इतना सा करने में क्या हो जात, कोई बात नहीं मैं जारहा हु और एक बार रूम से चला गया तो फिर कभी यहाँ नहीं आउंगा आगे आपकी मार्जि" कहते हुए मैं उठा और रूम के गेट की तरफ बढ़ गया।
में गेट की तरफ बढ़ तो रहा था लेकिन धीरे धीरे क्योंकि मुझे उम्मीद थी की मेरी इमोशनल बातें सुनकर दीदी मुझे रोक लगी लेकिन हाय रे मेरी फुटि किस्मत मुझे पीछे से कोई आवाज नहीं आयी और मैं दीदी के रूम से बाहर निकल गया।
मेरे जाने के बाद रीमा दीदी सोच रही थी की अब क्या करे और खुद को ही कोस रही थी की उसकी ही वजह से ये सब हुआ ना वो ऐसी बाते करती और ना ही आज ऐसा होता वो अभी सोच ही रही थी की मैं रूम से बाहर निकाल गया था तो दीदी जल्दी से बाहर आई और मुझे आवाज देकर बुलाया लेकिन अब मैं ज़िद्द में आ चूका था और ग़ुस्से से अपने रूम में आकर बेड पर लेट गया और सोच्ने लगा की आगे क्या होगा।।।।।।।।।।।
मेरे जाने के बाद रीमा दीदी सोच रही थी की अब क्या करे और खुद को ही कोस रही थी की उसकी ही वजह से ये सब हुआ ना वो ऐसी बाते करती और ना ही आज ऐसा होता वो अभी सोच ही रही थी की मैं रूम से बाहर निकाल गया था तो दीदी जल्दी से बाहर आई और मुझे आवाज देकर बुलाया लेकिन अब मैं ज़िद्द में आ चूका था और ग़ुस्से से अपने रूम में आकर बेड पर लेट गया और सोच्ने लगा की आगे क्या होगा।।।।।।।।।।।
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अब आगे
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रात को सभी में मुझे खाने के लिए बुलाया लेकिन मैंने तबियत ठीक न होने का बहाना कर दिया और अपने बेड पर ही लेता रहा लेकिन नींद मेरी आँखों से कोसो दूर थी रात बहुत हो गई थी और शायद सभी लोग सो गए थे की थोड़ी देर बाद मेरा रूम का दरवाजा खुला और दीदी ने अंदर कदम रखा लेकिन मैंने अपनी आँखे बंद कर ली ताकि दीदी यही समझे की मैं सो रहा हु।
दीदी मेरे पास आकर बैठ गई और मुझे उठाने लगी "राज उठो भैया मेरी बात तो सुनो"।
लेकिन मैं नहीं उठा तो दीदी ने मुझे हिलाया और जोर से बोल कर मुझे जगाना चाहा लेकिन मैं नहीं उठा दीदी ने मुझे उठाने की हर कोशिश कर ली लेकिन मैं ढीट बन कर पड़ा रहा।
"अच्छा ठीक है भाई मैं जा रही हु मैं तो ये कहने आई थी की मुझे तुम्हारी बात मंजुर है हमने कल जितना प्यार किया था उतना अब रोज किया करेंगे लेकिन अब तुम ही नहीं चाहते हो तो ठीक है।।।।।।।।" दीदी हार कर बोली।
"मेने दिल ही दिल में बहुत खुश हुआ और मेरा दिल करने लगा की दीदी को पकड़ कर अपने पास सुला लू लेकिन तभी मुझे ख्याल आया की कहीं दीदी मुझसे बात करने के लिए झूट तो नहीं बोल रही है और ये सोच कर मैं सोने का नाटक जारी रखा और थक हार कर दीदी मेरे बेड से उठ कर चलि गई मेरी आँखे बंद थी और रूम में अँधेरा भी था कुछ नजर भी नहीं आरहा था।
खेर दीदी दरवाजे के पास है और बोली "उठ रहे हो या मैं जाउ"।
लेकिन मैं कुछ नहीं बोला तो दीदी ने दरवाजा खोला और बाहर निकाल गई और वापस जोर से दरवाजा बंद कर दिया लेकिन ये मैंने गलत संझा था क्योंकि उस वक्त हुआ कुछ और ही था।
दरवाजा बंद होने के बाद मैंने आँखे खोली और अपने आप से बाते करने लागा।।।।।।
'दीदी मैं आपसे बहुत प्यार करता हु सच्चे दिल से और मैं आपके बगैर नहीं रह सकता हु आप मुझे इस तरह छोड़ कर चलि गई ये आपने ठीक नहीं किया लेकिन दीदी आई लव यू सो मुच।।।'
'दीदी मुझे आपके जिस्म ने पागल कर दिया है और आपके होठो ने मेरा चेन छीन लिया है दीदी जब मैं आपकी गांड पर अपना लंड रगड रहा था तब मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा था दीदी मैं आपके बिना नहीं रह सकता सच दीदी कल मैं आपसे माफ़ी मांगूंगा आप बेशक मुझे कुछ ना करने दे ये मेरे लिए मुश्किल तो है लेकिन आपके लिए मैं बर्दाश्त कर लूंगा बिकॉज़ आई लव यू सो मुच, आई लव यू दीदी आई लव यो।।।।।।आई लव यू।।।आई लव यू।।।।।'
'दीदी मैं आपके साथ प्यार करना चाहता हु उफ़ मैं क्या करू कहाँ जाउ।।।।। देखो दीदी मेरा लंड आपका नाम लेते ही खड़ा हो गया है पाता नहीं अब मेरा क्या होगा आप भी तो मेरा साथ नहीं देती है उफ।।।।। दीदी मेरा लंड हाथ में लो' कह कर मैंने अपना लंड पकड़ा और आँखे बंद करके दीदी को इमेजिन करके उफ्फ्।।।। आह्ह्ह्ह।।। की आवजे निकलते हुए अपने लंड को मसलने लगा और बोलने लगा 'यः दीदी मुझे बहुत मजा आरहा है प्लीज दीदी मेरे लंड पर गृप मजबुत करो एस्।।।येस।।।।'
अचानक मुझे झटका लगा जब मेरे हाथ पर किसी का हाथ आया मैं झट से उठा तो क्या देखता हु की दीदी मेरे बेड के पास जमीन पर बैठि हुई है और मैंने अपना हाथ लंड से अलग कर लिया और मेरा हाथ हत्ते ही दीदी ने मेरा लंड पकड़ लिया और उसे अपने नरम हाथो से हिलने लगी ऊऊफफफफ मुझसे तो बर्दाश्त नहीं हो रहा था दीदी मेरे लंड को पकड़ कर हिला रही थी।
"भाई आई ऍम सो सॉरी तुम मुझसे इतना प्यार करते हो और मैं, पता नहीं क्यों मना कर दिया तुम्हे भाई सच मुझे बहुत मजा आया था कल रात और मैं और भी मजे लेना चाहती हु, मुझे भी सेक्स का कोई एक्सपीरियंस नहीं है लेकिन मैं तुम्हारे साथ मजे लेना चाहती हु, भाई तुम्हारा लंड बहुत अच्छा है भाई आई लव योर डिक ओह्ह उफ़ कितना हॉट कितना मोटा और लम्बा है, इस छोटी सी उमर में भी क्या लंड पाल रखा है तुमने"
"दीदी आई लव यू सो मुच, दीदी प्लीज बेड पर मेरे साथ सो जाओ ना।।।।।।आई लव यू दीदि" मैं बोला।
दीदी उठ कर मेरे साइड पर लेट गई लेकिन मेरा लंड नहीं छोड़ा था और मुझे किसिंग करने लगी मैंने भी दीदी को पकड़ रखा था और मजे से किसिंग करने लगा दीदी की साँसे तेज थी और धड़कने बढ़ गई थी उफ्फ्फ्फफ्।। ।।।दीदी का गरम जिस्म मुझे बहुत मजे दे रहा था।
दीदी ने मेरा लंड और जोर से पकड़ लिया और मेरी मुठ मारने लगी मैं तो जैसे हवा में उड़ रहा था मैंने जल्दी से दीदी की कुर्ती ऊपर को और दीदी के बूब्स पकड़ लिए जो दीदी की ब्लैक ब्रा में क़ैद थे और उन्हें मसलने लगा और उनके साथ खेलने लगा।
"भैया आह्ह्ह्ह।।।।।।आराम से दबाओ दर्द होता है उफ्फफ्फ्फ़ भाई तुम्हारा लंड बहुत अच्छा है भाई एस्।।।।।आराम से धीरे धीरे सच्ची बहुत दर्द होता है आज तक किसी ने मेरे इनको हाथ नहीं लगाया है पहली बार है सो प्लीज आराम से करो।।।।।" दीदी सीसकरते हुए बोली "करे यार आराम से ोोूहहहहहहह आह्ह्ह्हह्ह राज ऐसे नहीं पैलेस, रुको मैं ब्रा निकलती हु वैट।।।उउउफफफ।।।।।।ब्रा फैट जाएगा एक मिनट रुको ना क्या जल्दी है अब मैं तुम्हारी हु"।
"दीदी क्या करू सबर नहीं हो रहा है मुझसे प्लीज जल्दी से निकाल दो ना अपनी ब्रा और मुझे आपके प्यारे बूब्स को नंगा फील करने दो ना आह्ह्ह्हह" मैं दीदी के बूब्स मसलते हुए बोला।
दीदी ने उठ कर अपनी कुर्ती और ब्रा निकली और मैं झट से उनसे लिपट गया और उनको गर्दन पर कानो पर हर जगह पागलो की तरह किस्स करने लगा और एक हाथ से दीदी के बूब्स दबाने लगा मैं बहुत मजे में था और दीदी भी अब मेरा लंड पकड़ कर मेरी मुठ मारने लगी।
"भैया आह्ह्ह्हह आराम से दबाओ क्या कर रहे हो प्लीज राज दर्द होता है सच, आह्ह्ह्हह हाँ ऐसे अब मेरे निप्पल्स को भी मुँह में दलो और सुक करो आहहहह यस भाई मजा आरहा है उफ्फ्फफ्फ्फ़ अपने दन्त मत गड़ाओ दर्द होता है आराम से करो अब ये तुम्हारे ही है इन्हे आराम से प्यार करो ओह्ह भैया यू मेक में सो हॉट सो वेट यस प्लीज बी सलौली बी केरफुल्ली यस लीक दिस सक्क देम सलौली लेटस एन्जॉय ब्रदर माय स्वीट लवली राज आई लव यू" दीदी बॉली।
"दीदी जोर से करो मैं झड़ने ही वाला हु मेरी काम निकलने वाली है दीदी टाइट योर गृप ऑन माय डिक यस दीदी जोर से" कह कर मैंने दीदी के एक बूब को जोर से मस्ला और दूसरे को मुँह में लेकर चबने लगा दीदी को दर्द हुआ जिससे उन्होंने अपने हाथ की पकड़ मेरे लंड पर मजबुत की और जोर से दो तिन झटके मरे तो मेरे लंड से पानी निकलने लगा उफ़ क्या मजा आरहा था उस वक्त।
दीदी ने मुझे अपने आप से चिपका लिया और अपनी बॉडी में दबा लिया मुझे बहुत अच्छा लग रहा था दीदी ने अभी तक मेरा लंड नहीं छोड़ा था लेकिन आगे पीछे नहीं कर रही थी सिर्फ टाइट पकड़ा हुआ था वो इस काम में एक्सपर्ट लग रही थी।
कुछ देर में मैं शांत हो गया और मैंने दीदी को बेड पर सीधा किया और उनके ऊपर लेत गया और उनके बूब्स सक्क करने लगा और एक हाथ दीदी की सलवार में डाल दिया उफ़ दीदी की चूत बहुत गीली थी मैंने दीदी की चूत के लिप्स पर ऊँगली घुमाई और वो मचलने लगी दीदी बहुत गरम थी और झड़ने के बिलकुल करीब थी थोड़ी ही देर ऊँगली रगड़ने से वो झड़ने लगी और मुझे कास कर पकड़ लिया और हम वैसे ही बेड पर लेते रहे।।।।।।।।।।।।।।।।
मैंने दीदी की चूत के लिप्स पर ऊँगली घुमाई और वो मचलने लगी दीदी बहुत गरम थी और झड़ने के बिलकुल करीब थी थोड़ी ही देर ऊँगली रगड़ने से वो झड़ने लगी और मुझे कास कर पकड़ लिया और हम वैसे ही बेड पर लेते रहे।।।।।।।।।।।।।।।।
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अब आगे
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"दीदी कैसा लगा आपको? मजा आया या नहीं और क्या पहले भी कभी किया है ये सब" थोड़ी देर बाद मैंने पूछा।
"नही भैया पहले कभी किसी के साथ नहीं किया लेकिन सच बहुत मजा आया मुझे, आज तुमने मुझे बहुत मजा दिया है राज अब मैं क्या बताउ की मुझे कितना मजा आया है आज मैं दूसरी बार झाडी हु लाइफ में लेकिन ये पहली बार से अच्छा था सच" दीदी बोली।
"दीदी पहले कब झादी थी आप और किसने आपको झड़या था" मैंने पूछा।
"वो क्या है ना जब मैं १८ साल की थी तब मेरी एक सहेली की शादी हुई तो उसने मुझे सेक्स के बारे में बताया था तब मैं रात को उसकी बात सोचते हुए सोयी तो सपने में मैंने फील किया की कोई मेरे साथ सेक्स कर रहा है और मजे में मैं झड़ गई लेकिन तब मुझे पाता नहीं था तो मैंने मेरी उसी सहेली से इस बारे में पूछा तो उसने बताया की इसे झड़ना कहते है, और सच भैया आज तुम्हारी वजह से मैंने जागते हुए भी फील कर लिया आई लव यू" दीदी मेरे गाल की किस लेती हुई बोली "आज से तुम मेरे लवर हुए अभी जब चाहे हम मजे कर पाएंग़े, ओके तो अब मैं जाती हु बहुत रात हो गई है"।
कह कर दीदी ने अपने कपड़े पहने और मुझे गुड नाईट किस करके अपने रूम में चलि गई।
।।।।।।।।।।।।।
कल दिन जब मैं स्कूल से वापस आया तो सीधे दीदी के रूम में गया लेकिन वो बाथरूम में थी।
"दीदीइइइइइइ।।।" मैंने उसे पुकारै।
"क्य बात है राज, क्यों बुला रहे हो" दीदी ने पूछा।
"दीदी जल्दी से दरवाजा खोलो मुझे आपसे काम है" मैं बोला।
"थोडी देर रुको मैं बस आती ही हो" दीदी बोली।
"नही दीदी जल्दी दरवाजा खोलो प्लीज" मैं बेसब्री से बोला।
मेरी इतनी बेसब्री से दीदी घबरा गई की मुझे कुछ हुआ तो नहीं है और बोली "डारवाजा खुला है अंदर आजओ"।
जीसे ही मैं अंदर गया सामने का नजारा देख कर मेरे होश उड़ गए सामने दीदी सुसु कर रही थी लेकिन मेरे आने की वजह से उसने अपनी कुर्ती का सामने वाला हिस्सा नीचे कर लिया था जिससे मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
मैन दीदी के पास गया और उसके सामने बैठ गया।
"क्या बात है इतने घबराये हुए क्यों थे तुम्" दीदी ने पूछा।
"दीदी ओ।।।।व।।।।।" कहते हुए मैंने दीदी की कुर्ती का सामने वाला हिस्सा जो उसकी चूत को छुपाये हुए था की उठा दिया और दीदी की चूत को देख कर बोला "में ये देखने आया था"।
"शर्म कर मेरे भाई, चल अब बाहर निकाल कहीं कोई आ न जाए" दीदी हास् कर बोली।
मै उठा और बाहर आने लगा तो देखा की रूम में मेरी छोटी बहन रानी कड़ी थी तो मैं जल्दी से वापस बाथरूम में आया और दीदी को इशारा किया की वो चुप रहै।
दीदी समझ गई और इशारे से कहा देखा जिसका डर था वही हुआ खैर दीदी उठि और सलवार पहन ली की तभी रानी ने आवाज दी।
"दीदी आप कहाँ हो" रानी बोली।
"मैं बाथरूम में नहा रही हु अभी आती हु" दीदी बोली।
"ओके मैं वेट कर रही हु आप जल्दी आओ" रानी बोली।
"बस अब तो हो गया काम वो वहीँ बैठ गई है अब क्या करे" रीमा दीदी बोली वो बहुत घबरा गई थी।
"दीदी आप जाओ मैं यहीं रुकता हु" मैं भी घबराते हुए बोला।
"नही पागल अगर वो कहीं यहाँ आगई तो।।।।।" दीदी बॉली।
"हाँ ऐसा तो हो सकता है, अच्छा उसे वेट करने दो हो सकता है वैसे ही चलि जाए" मैं बोला।
"तु भी न जरा भी सबर नहीं हुआ तुझसे, रात को देख लेता जो देखना था।।।।आ गया यहीं मुँह उठा कर हे भगवन अब क्या करू में" दीदी थरथराते हुए बोली।
"अच्छा चलो अब कुछ नहीं होता आप इधर आजाओ" कहते हुए मैंने दीदी को दिवार से चिपका दिया और खुद उसके साथ चिपक गया।
दीदी से चिपकते ही मैं उसे किस्स करने लगा लेकिन वो डरी हुई थी लेकिन धीरे धीरे उसे भी मजा आने लगा तो उसने मुझे कास कर पकड़ लिया और किसिंग में मेरा साथ देने लगी।
मैने अपने पैंट की ज़िप खोली और अपना लंड बाहर निकाल लिया और दीदी से बोला "दीदी प्लीज इसे अपने हाथ में पकड़ो ना"।
मेरी बात सुनकर दीदी ने मेरा लंड अपने नरम हाथ में पकड़ लिया जो आधा खड़ा था और दीदी के हाथ लगते ही फुल हार्ड हो गया था।
"दीदी प्लीज आप मेरी तरफ बैक कर लो मैं आपकी गांड पर अपना लंड रगडना चाहता हु" मैं बोला।
दीदी भी फुल मजे में थी वो झट से घूम गई और उसकी मस्त गांड मेरे सामने आगई।
मैने जल्दी से दीदी की इलास्टिक वाली सलवार दीदी के घुटनो तक नीचे कर दी। अंदर दीदी ने चड्ढी तो पहनी नहीं थी जिससे उसके गोल गोल चुत्तड़ मेरी आँखों के सामने नंगे थे।
मेरे ऐसा करते हो दीदी ने झट से पलट कर मुझे देखा और बोली "पगल हो गए हो कय, अभी नहीं फिर कभी कर लेंगे प्लीज अभी मौका नहीं है तुम भी ना।।।।।।"।
"दीदी लंड अंदर थोड़े ही ना दाल रहा हु बस ऊपर ऊपर से रगडना है चोदना थोड़े ही है" मैं बोला।
"अच्छा ठीक है लेकिन धीरे धीरे बगैर आवाज किये समझे" दीदी बोली वो मेरी बात समझ गई और वापस घूम गई।
मैने लंड पकड़ कर दीदी की गांड की दरार में रखा और धीरे धीरे मूव करने लगा दीदी को लंड टच हुआ तो बहुत अच्छा फील हुआ और उसने अपनी गांड सिकोड़ ली।
"डीसी प्लीज अपनी गांड टाइट मत करो लाइन में तो जाने दो वहीँ मजा आएगा" मैं बोला।
"मैं कहाँ कर रही हु वो खुद ही हो रही है क्योंकि तुम्हारा लंड गरम है ना, चलो ट्राय करती हु की अब ना हो" दीदी मजे से बोली।
दीदी फिर वैसे ही कड़ी हो गई तो मैंने लंड पर थुक लगाया और थोड़ी थुक दीदी की गांड की दरार पर भी लगा दी।
"अब ये क्या कर रहे हो? उफ्फ्फफ्फ्फ्।।।।।।तुम भी ना।।।।रोज नए नए तरीके क्या होगा मैरा" दीदी बोली।
"दीदी बस स्लिप होगा थुक से इसलिए लगाया है अब प्लीज चुप करके कड़ी रहो मजा ख़राब मत करो" कह कर मैंने लंड दीदी की एस क्रैक में रखा और हिलने लगा मुझे बहुत अच्छा लगने लगा।
"दीदी अब कैसा लग रहा है" मैंने पूछा।
दीदी ने आँखे बंद की हुई और आहे भर रही थी।
"भैया बहुत अच्छा लग रहा है जोर से घसिट कर धक्के मारो मजा आरहा है" दीदी सीसियते हुए बोली।
मैने दीदी की बात मान कर दीदी की गांड की लाइन में अपना लंड जोर से ऊपर नीचे करने लगा कुछ देर बाद दीदी ने अपना हाथ मुँह के पास किया और अपने हाथ में थुक लेकर मुझे अलग करके अपनी गांड पर बहुत सी थुक डली और मेरा लंड पकड़ कर वहां रख दिया।
"अब करो जितना स्लिप होता है मजा भी उतना ही आता है, सूखा हो गया था ना इसलिए मैंने थुक लगा दी है" दीदी बोली।
अब मैं पहले से ज्यादा जोर से लंड हिल रहा था और दीदी भी अपनी गांड पीछे कर रही थी की अचानक दीदी झुक गई।
"भैया जरा जोर से रगड़ो मुझे मजा आरहा है मैं जल्दी ही झड़ जॉंगि, हाँ जरा जोर से" दीदी झूकते ही बोली।
दीदी की बात सुनकर जब मैंने जोर लगाया तो मेरा लंड दीदी की गांड के छेड़ पर जाकर अटक गया मैंने पीछे किया और फिर जोर लगाया तो मेरा लंड उसकी गांड में घूसने लगा।
दीदी इतनी मदहोश थी की उसे अभी तक महसूस नहीं हुआ था की मेरा लंड उसकी गांड में झाँकने लगा था मैं दीदी की गोरी गांड को देख रहा था दीदी झुकि हुई थी तो उसकी गांड का छेड़ साफ़ नजर आरहा था।
मैंने लंड पीछे किया और अपने मुँह से थुक गिराए जो सीधे दीदी की गांड की लाइन पर गिरि और बहते हुए दीदी की गांड के छेड़ तक आगई और जैसे ही थुक वहां आया तो मैंने लंड को छेद पर सेट करके जोर लगाया तो मेरे लंड का सुपडा दीदी की गांड में घुस गया।
"ऊऊफ़्फ़फ़ तूने क्या कर दिया हाईईईए.... माँ जलन हो रही है आआहहहहह..." दीदी के मुह से निकल।
दीदी की करह सुनकर मैं डर गया और लंड बाहर निकलने लगा तो दीदी ने गांड और टाइट कर ली और बोली "नहि... अभी रुको दर्द हो रहा है हिलो मत जलन होती है, क्यों डाला तूने अपना लंड मेरी गांड में गंदे कहीं के ूहःहःहमाआ.... दर्द हो रहा है"।
थोड़ी देर तक हम दोनों वैसे ही खड़े रहे फिर मैं बोला "दीदी धीरे से निकाल लू या फिर झटके से निकाल लेता हु सच दीदी मुझे नहीं पाता की अचानक कैसे अंदर चला गया" मैं बोला।
"नही तुम रुको मैं खुद निकलती हो" कह कर दीदी ने अपनी गांड का जोर मेरे लंड पर दिया और फिर थोड़ी आगे हुई लेकिन सुपडा अटक हुआ था दीदी फिर से पीछे हुई और फिर आगे हुई और मजे से अपना लंड दीदी की गांड में आता जाता देख रहा था दीदी की गांड का छेद अब दर्द और जलन से लाल हो गया था लेकिन मुझे अब परेशानी से ज्यादा मजा आरहा था।
"दीदी आप रुको मैं खुद आराम से निकाल लेता हु लेट में ट्राय" मैं बोला।
"ओके लेकिन एकदम धीरे धीरे आराम से निकलना आगे पीछे होकर निकालोगे तो आसानी से बाहर आ जाएगा" दीदी मज़बूरी में बोली।
मैं थोड़ा सा आगे हुआ तो लंड भी थोड़ा अंदर घुस गया तो दीदी बोली "बस इतना ही अब पीछे करो" और अपने होंठ दाँतो में दबा लिए।
मैने धीरे से बाहर निकलना चाहा लेकिन फिर सुपडा अटक गया तो मैंने वापस आगे धकेला तो लंड थोड़ा और अंदर हो गया।
इस तरह करते हुए धीरे धीरे मेरा आधा लंड दीदी की गांड में घुस गया था और मैंने दीदी के बूब्स पकड़ लिए और दबाने लगा अब दीदी भी थोड़ी शांत हो गई थी और वो मेरे लंड के अंदर बाहर होने के साथ अपनी गांड हिला रही थी।
मैने अपना एक हाथ दीदी के बूब पर और दुसरा हाथ उसकी चूत पर रखा और बूब को मसलते हुए चूत को रब करने लगा जिससे दीदी फिर गरम हो गई और कुछ ही देर में झड़ गई और वहीँ जमीन पर डॉगी स्टाइल में हो गई।
वह क्या नजारा था दीदी अभी होश में नहीं थी तो मैंने लंड को पहले से ज्यादा जोर से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और ५ - ७ धक्को में ही दीदी की गांड में झद गया।
मेरी काम को अपनी गांड में गिरती हुई महसूस करके दीदी ने मेरी तरफ देखा और हास् कर बोली "गंदे कहीं के इतना दर्द दिया और तुरंत ही उतना मजा भी दे दिया सच में बहुत पहुची हुई चीज हो तुम्, सच आई लव यू सो मुच् राज यू आर ग्रेट योर लंड इस आल्सो ग्रेट बहुत अच्छा लग रहा था जबकि मेरे अंदर गरम गरम पानी गिर रहा था उफ़ इतना मजा दिया तुमने और दर्द भी की पूछो मत, बस अब आराम से बाहर निकाल लो ये ना हो की फिर खड़ा हो जाये और मेरी गांड फैट जाए"।
इत्ना कह कर दीदी हॅसने लगी और मैं धीरे धीरे अपना लंड बाहर निकालना शुरू कर दिया तो दीदी ने आँखे बंद कर ली और गांड हिलने लगी जिससे मेरा लंड जल्दी ही बाहर आगया।
तभी अचानक ही रानी ने फिर आवाज दी "दीदी मैं जारही हु आप भी नहा कर नीचे आजा जाना"।
रानी नीचे जा चुकी थी और हम दोनों भाई बहन हस्ते हुए उठे मैं अपने पैंट की ज़िप लगा कर बाहर निकाल गया और दीदी नहा कर जल्दी से बाहर आगई।
लेकिन उनकी गांड में सूजन थी तो वो टंगे फैला कर धीरे धीरे चल रही थी मैंने जब देखा तो मुझे उस पर बहुत तरस आया लेकिन दीदी के चेहरे पर नॉटी साइड स्माइल देख कर मैं भी हास् दिया। ।।।।।।।।।।।।।
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लेकिन उनकी गांड में सूजन थी तो वो टंगे फैला कर धीरे धीरे चल रही थी मैंने जब देखा तो मुझे उस पर बहुत तरस आया लेकिन दीदी के चेहरे पर नॉटी साइड स्माइल देख कर मैं भी हास् दिया। ।।।।।।।।।।।।।
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अब आगे
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रात को मैं दीदी का वेट कर रहा था लेकिन बहुत देर होने के बाद भी वो नहीं आई तो मैं उठ कर उसके रूम में चला गया तो देखा की दीदी के साथ मेरी छोटी बहन राखी सो रही थी।
"दीदी आज का क्या प्रोग्राम है?" मैंने धीरे से पूछा।
"अभी तो राखी मेरे पास सो रही है इसलिए आज मुश्किल है कल देखते है" दीदी बोली।
"दीदी मुझे नींद नहीं आरही है और न ही आएगी, प्लीज दीदी कुछ तो करो.... अच्छा आप मेरे रूम में आ जाना कुछ देर बद" मैं उसे मानते हुए बोला।
"राज... कहा ना नहि, अभी मैं भी जग रही हु लेकिन कहीं ये उठ गई और मुझे ना देख कर ढूँढ़ने लगी तो, पागल आज रात भर सबर कर लो कहा न कल देखते है" दीदी बोली।
दीदी की बात सुनकर मैंने बुरा सा मुँह बना लिया जिसे देख कर दीदी हॅसने लगी।
"अच्छा बाबा ठीक है मैं आती हु तुम्हारे रूम में लेकिन ज्यादा टाइम नहीं रहूँगी जो करना है जल्दी करना, और हाँ अपनी शकल ठीक कर लो नौटंकी कहीं के...." दीदी हस्ते हुए बोली.
दीदी की बात सुनकर मैं खुश होकर अपने रूम में आगया और कोई १५ मिनट बाद दीदी भी मेरे रूम में आगई।
दीदी ने आते ही मुझे किस्स करना शुरू कर दिया और मुझे गले से लगा कर दबाने लगी और गहरी गहरी साँसे लेने लगी।
मैंने दीदी को पकड़ कर नीचे लेता दिया और उसके ऊपर लेत गया और अपने लिप्स दीदी के लिप्स पर रख कर उन्हें किस करने लगा दीदी की साँसे गरम हो गई थी और मेरा लंड भी अकडने लगा था दीदी ने मुझे पहले से भी जोर से कास के पकड़ा हुआ था।
हम अभी तक बिना बात किये ही ये सब कर रहे थे दीदी मेरी कमर पर अपना हाथ फिरा रही थी और जैसे ही उसका हाथ मेरे लंड के पास आया उसने मेरा लंड पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।
मै भी साइड पर हुआ और कपड़ो के ऊपर से ही दीदी के एक बूब को दबाते हुए दूसरे हाथ से उसकी चूत रगड़ने लगा हमने इसी तरह कोई १० मिनट तक बहुत प्यार किया अब तक दीदी बहुत गरम हो गई थी।
"भैया अब बस करो मुझे जाने दो कहीं राखी उठ ना जाये बाकि का कल कर लेंगे..... आह्ह्ह्ह...... भाई मुझे और मत छेड़ो मैं पागल ही जाउँगी उफ़ भैया आराम से... थोड़ा सा और दबाओ अपनी ऊँगली की मेरी चूत पर बहुत अच्छा लग रहा है ऐसे ही.... उफफ बस भाई अब छोडो मुझे जाने दो" दीदी मस्ती में बोली।
"क्या दीदी जब भी मजा आने लगता है आप जाने की बात करने लगती हो जबकि आप जानती हो की मैं आपको ऐसे जाने ही नहीं दूंगा फिर भी बेकार में बार बार एक ही बात करती हो" मैं दीदी के बूब को जोर से दबाते हुए बोला।
"ओूंमम्माआ.... आछा बाबा कर लो हो करना है लेकिन जल्दी करो अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है, एक तो तेरा ये लंड जब भी इसे पकडती हु तो दिल करता है के इसे अंदर ले लू और कभी बाहर न निकलू उफ़ हाय हाय भैया आराम से करो ना कम से कम कुर्ती तो ऊपर कर लो फिर किस्स करना।।।।।" दीदी मचलते हुए बोली।
मैने दीदी की कुर्ती ऊपर कर दी और दीदी के बूब्स ब्रा से बाहर निकाल कर उन्हें चाटने लगा किस करने और चुस्ने लगा दीदी बहुत गरम हो गई थी और मचल रही थी मैंने दीदी की सलवार नीचे कर दी और उठ कर अपना लोअर और चड्ढी उतर कर पूरा नंगा हो गया दीदी ने जब देखा की मैं नंगा हो गया हु तो वो झट से उलटी होकर लेत गई।
"दीदी इस तरह नहीं आज मैं आपकी चूत में अपना लंड डालूँगा गांड तो सुबह मार ली थी अब चूत की बरी है" दीदी को पलट'ते देख मैं बोला।
"नही भाई चूत आज नहीं फिर काभि, अभी तो मेरी गांड में ही लंड दलो पहले मेरी गांड के पुरे मजे ले लो फिर चूत की बरी आएगी, अब बाते मत करो और दाल दो लंड मेरी गांड में और भर दो उसे अपने गरम पानी से" दीदी अपनी गांड हिलाते हुए बोली "वैसे भी मैं अपनी चूत में पानी नहीं दलवाउंगी क्योंकि बच्चा होने का डर है लेकिन पीछे तो कोई प्रॉब्लम ही नहीं है इसलिए अभी तुम सिर्फ मेरी गांड ही मारा करो चूत का बाद में सोचेंगे अब दाल भी दो यार।।।।।।"
अब मुझसे भी सबर नहीं हो रहा था और दीदी की बात भी सही थी वैसे भी मुझे सिर्फ छेड़ से मतलब था जहाँ मेरा लंड घुसे और अपना पानी निकले मैंने देर नहीं की और बिना थुक लगाये अपना लंड दीदी की गांड में पेल दिया तो दीदी तिलमिला उठी।
उउइइइइइइइ.......... यार आराम से दलो ना आह्ह्ह्हह........ ठोड़ा थुक तो लगाओ ऐसे रूखे रूखे कैसे जायेगा भैया आराम से उउइइइ माँ यार थुक तो लगा लो पहले मेरी गांड फडनी है क्या बिना थुक लगाये ही मार रहे हो उफ़ भैया नहीं जारहा है अंदर और बेकार ही दर्द भी हो रहा है" दीदी तडपते हुए बोली
"दीदी तेल लगा कर करे क्या आज, उससे दर्द बहुत कम होगा" मैं दीदी पर रहम करते हुए बोला।
"हाँ तो रोका किसने है जाओ तेल लेकर आओ" दीदी बोली।
अब मैं उठा और तेल लेकर आगया और दीदी की गांड और अपने लंड पर अच्छे से लगा लिया और दीदी के पेर फैला कर उनके बिच बैठ गया और दीदी की गांड के छेड़ पर लंड लगा कर धीरे धीरे अंदर करने लगा तेल की वजह से लंड आराम से दीदी की गांड में जाने लगा।
"भैया धीरे धीरे डालते जाओ आह्ह्ह्ह..... हाँ आराम से दलो जल्दी मत करो आह..... उफ..... अब तो सुबह से कम दर्द हो रहा है उउइइ ..... भाई धीरे धीरे हाँ उफ्फ्....... रुको मत ड़ालते जाओ पूरा लंड घुसा दो मेरी गांड में हाँ ऐसे ही उफ़ भैया अभी रुक जाओ दर्द हो रहा है" दीदी बड़बड़ायी।
"दीदी मुझे बहुत अच्छा लगता है जब चुदाई में आप दर्द से चीखती है,ज़ाब आप दर्द से सीसियति है, जब आप दर्द से अपनी गांड टाइट कर लेती है सच मुझे बहुत मजा आता है और मेरा दिल करता है की मैं जोर जोर से धक्के लगा कर आपको और दर्द दू और साथ ही मजा भी, दीदी अब थोड़ा सहन करना मैं जोर के धक्के लगाने जा रहा हु" कह कर मैंने लंड बाहर निकाल कर वापस जोर का धक्का लगा दिया और मेरा लंड दीदी की गांड को फड़ते हुए अंदर जाकर कहीं टकराया।
जब लंड अंदर कहीं टकराया तो दीदी को बहुत दर्द हुआ और दीदी ने फ़ौरन अपनी गांड फुल टाइट कर ली और उसके मुँह से जोर की आह निकली और फिर अपना सर बेड पर पटक दिया।
अब मैंने फिर से पूरा लंड बाहर निकाल कर अंदर घुसेड दिया दीदी बेचारी मुझे रोक तो नहीं रही थी लेकिन उसे बहुत दर्द हो रहा था वो अपना सर बेड पर पटक रही थी और किसी तरह अपनी चीख रोके हुए थी दीदी की पहली आह के बाद मुझे बहुत मजा आरहा था मैं दीदी की गांड को हर झटके के बाद देख रहा था मेरे हर झटके के साथ दीदी के चुत्तड़ जोर से छिलते थे और कुछ ही देर में दीदी के चुत्तड़ लाल हो गए थे और मेरी काम निकलने ही वाली थी तो मैंने पूरा लंड दीदी की गांड में डाला और वहीँ रोक दिया मेरे लंड से तेज तेज पिचकारी की धार निकाल कर दीदी की गांड में गिरने लगी अब दीदी को जोष आया तो उसने अपनी गांड हिलाना शुरू कर दी और गांड टाइट करके झटके देने लगी।
मुझे होश ही नहीं था की कब तक दीदी ने गांड हिला हिला कर चुदवाया और कब वो भी झड़ गई लेकिन मजा बहुत आया और जब मैं होश में आया तो दीदी सुकून से मेरा लंड अपनी गांड में लिए हुए मेरे नीचे पड़ी हुई थी।
"बस भाई अब तो खुश हो ना जैसा तुम चाहते थे मैंने बिलकुल वैसे ही चुदवाया है आज, अब तो जाउ मैं। मजा तो कर लिया ना तुमने और भाई सच तो ये है की मुझे भी तब बहुत मजा आता है जब तुम्हारा लंड मुझे दर्द देता है, जब तुम जज़बाती होकर मेरी चुदाई करते हो, सच दिल करता है की तुम्हारा लंड मेरी गांड फाड़ दे उफ्फ्फ्फ़ भैया आई लव यू सच बहुत मजा आया मुझे" दीदी बोली और मुझे चुम लिया।
फिर दीदी ने उठ कर अपने कपड़े पहने और एक बार फिर मुझे किस करके अपने रूम में चलि गई और मैं भी अपना लोअर पहन कर बेड पर लेत गया।।।।।।।।।।।।।।।