23-11-2017, 03:09 PM
अपडेट ०३
रात को जब मैं सोने से पहले अपना फेवरेट काम करने लगा यानि मुठ मारने लगा तो मुझे रीमा दीदी के बूब्स याद आगये और मैं उन्हें ही इमेजिन करके मुठ मारने लगा और सच ऐसे मुठ मारने में मुझे आज तक का सबसे ज्यादा मजा आया।।।।।।।।।।
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अब आगे
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अगले दिन जब मैं घर आया तो मुझे कुछ सामान लेना था जिसके लिए पैसे माँगने मैं दीदी के रूम में गया तो देखा की वो रूम में नहीं थी मैं बाहर आया और उन्हें ढूँढ़ने लगा।
दीदी बाथरूम में थी और फ्रेश होने गई थी वो अपने रूम में आई और टेबल का ड्रावर खोल कर उसमें रखे पैसे निकाल कर अपनी ब्रा में रख लिए और कंघी करने लगी की मैं भी वहां पंहुचा।
"दीदी आप नहा रही थी और इधर मैं आपको धुंध रहा था, दीदी मुझे कुछ सामान लेना था जिसके लिए मुझे पैसे चाहिए" मैं बोला
"कितने पैसे चाहिए और क्या लेना है" कहते हुए दीदी ने बिना कुछ सोचे अपना हाथ अपनी कुर्ती के गैल के अंदर डाला और ब्रा से पैसे निकाल लिए।
"कितने पैसे चहिये" दीदी ने फिर पूछा लेकिन उसे जरा भी ध्यान नहीं था की उसने मेरे सामने अभी क्या किया था।
"दीदी मुझे १००० रूपये चाहिए मुझे टीशर्ट और लोअर लेना है" मैंने जवाब दिया लेकिन मेरी नजरे अभी तक रीमा दीदी की छाती पर ही टिकी हुई थी उस वक्त दीदी ने दुपट्टा भी नहीं लिया हुआ था और गीली कुर्ती उसके जिस्म से चिपकी हुई थी।
दीदी ने मुझे पैसे दिए और मेरी आँखों में देखा शायद वो मेरी नजरो को पह्चानना चाहती थी लेकिन कुछ कहा नहीं।
मैन पैसे लेकर बाहर आगया और दीदी से मिले नोटों को पागलो की तरह चुमने लगा नोट अभी तक गीले थे और उनसे दीदी के बदन की खुश्बु आरही थी जो मुझे पागल बनाए जा रही थी फिर मैं सामान लेने बाजार चला गया।
दीदी ने जब मेरी नजरो में अजीब फील किया तो वो कोई बच्ची तो थी नहीं वो मेरे पीछे ही दूर तक आई और छुप कर मुझे देखने लगी वो मुझे पैसे को चुमते हुए देख चुकी थी एक बार तो उसे झटका सा लगा की उसका इतनी कम उमर का भाई अपनी बड़ी बहन की ब्रा से निकले पैसो को कैसे चुम और चाट रहा है खैर वो चुप ही रही लेकिन अंदर ही अंदर बहुत परेशां भी हो गई थी।
कुछ दिन गुजार गए लेकिन और कोई बात नहीं हुई और अचानक एक दिन मैं आया और पढाई करने दीदी के रूम में गया तो दीदी अपने बेड पर सो रही थी बिलकुल सिधि। मयान उसके बूब्स ऊपर की तरफ थे और सांसो के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे। मुझे पाता नहीं क्या हुआ की मैं दीदी को बिना उठाये ही उसके रूम से वापस आने लगा और अपने रूम में आकर मेरे दिमाग में शैतानी ख्याल आया और मैं वापस दीदी के रूम में आगया।
मैन दीदी के बेड के पास जाकर खड़ा हो गया और कुछ देर सोच्ने के बाद मैंने हिम्मत की और दीदी की कुर्ती के गैल में धीरे से हाथ डाला दीदी सो रही थी इसलिए उसने दुपट्टा नहीं लिया हुआ था।
मेरा हाथ सीधे दीदी की ब्रा को जाकर लगा लेकिन मैं दीदी के बूब्स को अपने हाथ से फील करना चाहता था वो भी बिलकुल नंगा लेकिन ब्रा ने मेरा काम मुश्किल कर दिया था।
मेने अपना हाथ हटाने ही लगा था की अचानक मैंने सोचा की जब इतना रिस्क ले ही लिया है तो थोड़ा और सही शायद मैं कामयाब हो जाउ। ये सोच कर मैंने दोबारा अपना हाथ दीदी की कुर्ती के अंदर दाल दिया और ब्रा को अपनी उंगलियो से हटाने लगा लेकिन मुझे इस बात का कोई एक्सपीरियंस नहीं था की ब्रा कैसा होता है और किस तरह हटाया जाता है।
मैंने काफी कोशिश की लेकिन ब्रा बूब्स से नहीं हटा तो मैंने उंगलियो से ही दीदी के बूब को दबाए जो बहुत नरम थे और ब्रा के नीचे से अपनी दो उंगलिया दीदी के बूब पर ले गया। ऊऊफफफफफ।।।।।। इतने सॉफ्ट बूब्स थे दीदी के की क्या बताओ मुझे बहुत मजा आया जिसे मैं बयां भी नहीं कर सकता।
तोड़ि देर बाद मैंने और कोशिश करके अपनी ४ उंगलिया ब्रा में दाल दी और दीदी के बूब को धीरे धीरे दबाने लगा जिससे दीदी का निप्पल हार्ड होने लगा मुझे निप्पल्स के बारे में पाता नहीं था लेकिन अच्छा फील हो रहा था की अचानक दीदी ने आँख खोल ली और मुझे देखा और झट से उठ कर बैठ गई मैंने भी जल्दी से अपना हाथ बहर निकाल लिया।
दीदी ने साइड पर पड़ा दुपट्टा उठाय और उसे अपनी छाती पर दाल लिया और ग़ुस्से से बोली " क्या कर रहे थे तुम मेरे रूम में मेरे साथ? शर्म नहीं आई तुम्हे आखिर हो क्या गया है तुम्हे कुछ दिनों से मुझे महसूस हो रहा है की तुम में बहुत चेंज आगया है"।
"दीदी मुझे कुछ पैसो की जरुरत थी और आप सो रही थी मैंने कोशिश भी की लेकिन आप नहीं उठि तो मैंने सोचा की उस दिन आपने यहीं से पैसे निकले थे तो क्यों न आपको परेशां किये बगैर मैं खुद ही पैसे निकाल लू और इसलिए मैंने अपना हाथ अंदर डाला था और अभी हाथ अंदर गया ही था की आप उठ गई इसमें मैंने ऐसे क्या गलत कर दिया की आप इतना गुस्सा हो रही हो आपने भी तो खुद ही यहाँ से निकाल कर पैसे दिए थे" मैं मौके की नजाकत को समझते हुए मासुम बनते हुए बोला।
"राज मेरे भाई ये ठीक नहीं है तुमने मुझे उठाना था और भैया ऐसे अपनी बहन के यहाँ हाथ नहीं डालते, पागल कहीं के मुझे तो डरा ही दिया था तुमने, बता कितने पैसे चहिये।।।।।" दीदी नार्मल होते हुए बोली।
"ओनली ५० रूपीस" मैं मुस्कुराते हुए बोला ताकि दीदी को शक न हो।
"क्य करना है ५० रूपीस का कोई खास चीज लेनि है कया" दीदी बेड से उठते हुए बोली।
"नही बस ऐसे ही।।।।।" मैं मुस्कुराते हुए बोला दीदी मेरे झाँसे में आगई थी।
अब दीदी उठी और ड्रावर से पैसे निकाल कर मुझे दिए और बोली "अब जाओ और मुझे सोने दो"।
मैने भी पैसे हाथ किए और भगवन का शुक्रिया करते हुए रूम से बहर निकाल गया जो उन्होंने आज इतनी बड़ी मुसिबत से मुझे बचा लिया था और मेरे रूम से बहर निकलते ही दीदी फिर से अपने बेड पर ढेर हो गई थी।।।।।।।।