मेरी समझ नहीं आया की मिली क्या चाहती है और मैं भी उन दोनों के पीछे चल दिया।।।।।।।
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अब आगे
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अब हम सभी घुमने के लिए निकल पड़े।
मिली ने इस वक्त एक बैग भी साथ रख था जो सवेरे उसके पास नहीं था मुझे मिली और उसकी सहेली की बात याद आई 'कई इस बैग में चादर तो नहीं है' मैंने सोचा।
मुझे अब विश्वास होने लगा था की शायद आज मिली मुझे अपनी नन्हि सी बिना चूदी चुत देने वाली है और मेरा लंड और मेरा दिल ख़ुशी से उछलने लगे। लंड पूरी तरह टाइट हो कर पैंट में टेंट बना चूका था। हम इस बार भी बाकि के सभी जोड़ो से पीछे चल रहे थे शम के ०५:३० बज चुके थे चूँकि गर्मियो का मौसम था इस लिए ७:३० से पहले अँधेरा नहीं होता था।
चलते चलते अचानक मिली की नजर मेरे लंड के बनाये तम्बू पर पड़ी तो वो मुस्कुरा दी और बोली "लागता है तेरा पप्पू बहुत उतावला हो रहा है"।
"हाँ यार सुबह उन दोनों की चुदाई देख कर मैं अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पारहा हु और वैसे भी तूने कहा था की शम को तू मुझे ठंडा करेगी यही सब सोच सोच कर ये बेचारा उम्मीद लगाए उछल रहा है" मिली की बात सुन मैं झेपते हुए बोला।
"तो समझ दे उसे की आज उसे भूखा नहीं रहना पडेगा आज मैं उसका इन्तज़ाम कर दूंगी, वैसे यार राजू चुत की पहली चुदाई में भी क्या उतना ही दर्द होता है जितना पहली बार गांड मरवाने में होता है?" मिली बोली।
"नही यार चुत में तो चिकनाई होती है बस सील टुटने से थोड़ा दर्द होता है लेकिन दो मिनट बाद वो भी ख़तम हो जाता है" मैं उसे लाइन पर लता हुआ बोला।
"हंम्म।।।" उसके मुँह से निकला और वो कुछ सोचने लागि।
आब धीरे धीरे हमारे सामने चलते जोड़े एक एक कर रोड छोड़ कर जंगल की तरफ जाने लगे लगता है सुबह की चुदाई से उनका मन्न नहीं भरा था या फिर वो सभी सिर्फ चुदाई करने ही इस ट्रिप पर आए थे।
हमे भी चलते चलते आधा घंटा से ज्यादा हो गया था और अब हम उन सभी से बहुत आगे आचुके थे।
"हम कब तक ऐसे ही चलते रहेंगे मिली थोड़ी ही देर में अँधेरा हो जायेगा फिर अभी मुझे तेरे 'पिछ' भी तो लग्न है और वापस भी जाना है" मैं बोला।
मिली मुस्कुराई और बोली "ठीक है हम इससे आगे नहीं जाते लेकिन मेरे 'पिछ' लागने के लिए कोई अच्छी सी जगह तो देखले"।
मिली की बात सुनकर मैं खुश हो गया और उसकी गांड मरने के लिए कोई जगह देखने लगा लेकिन मुझे समझ नहीं आरहा था की कोन सी जगह सही रहेगी लेकिन ५ मिनट बाद ही मुझे बहुत ही अच्छी जगह मिल गई कुछ पेडो के बिच चार मोटी मोटी लकडियो के ऊपर एक मचं बना हुआ था शायद वो फारेस्ट वालो ने निगरानी के लिए बनाया हुआ था जिससे जंगल का एक बहुत बड़ा हिस्सा दिखाई दे जाता था क्योंकि वो मचं लगभग ३० फुट ऊँचा था और पेडो के झुरमुट के बिच बने होन से उस पर चढ़ने में परेशानी भी नहीं होती थी।
मैन उस मचं पर चढ़ा और उसके अन्दर का जायजा लिया मचं अच्छी हालत में था और उसकी फर्श पर घास फुस बिचा हुआ था 'चलो मिली की एक परेशानी तो दूर हुई इस घास फुस की वजह से उसे रगड या चोट तो नहीं लगेगी' मैंने सोचा और मचं से निचे उतर कर मिली के पास आगया।
"कोइ अच्छी सी जगह मिलि" उसने पुछा।
"बहुत अच्छी जगह मिली है एकदम घर जैसी है चल" मिली का हाथ पकड़ कर उसे मचं की तरफ ले जाते हुए मैं बोला।
"घर जैसी? मैं कुछ समझी नही" वो बोली।
मैने उसे मचं के बारे में बताया तब तक हम मचं के पास पहुच गए।
"लेकिन जिन लोगो ने इसे बनाया है वो आगए तो" मिली बॉली।
"आरे पग्ली ये रात में निगरानी के लिए होगा और अभी सिर्फ ६ बजे है अगर कोई आएगा भी तो रात ९ के बाद ही आएगा तू चिंता मत कर और ऊपर चढ़" कहते हुए मैंने मिली से बैग ले लिया और मिली ऊपर चढ़ने लगी।
तोड़ि देर बाद हम दोनों मचं में थे वहां से जंगल का नजारा देख कर मिली बहुत खुश हुई वहां से वो रेस्ट हाउस भी नजर आरहा था जहाँ हम तहरे हुए थे।
५ मिनट तक मिली यही सब देखती रही तो मुझसे रहा नहीं गया।
"यही सब देखना है या फिर कुछ करना भी है" मैं खीजते हुए बोला।
"अले मेला शोना भाई, नाराज क्यों होता है ले बुझा ले अपनी प्यास" कहते हुए मिली अपने कपडे निकालने लागी।
मै भी झट से नँगा हो गया मिली भी अब तक पूरी नंगी हो गई थी।
"ईस घास फुस से तुझे परेशानी तो नहीं होगी" मैं बोला।
"बैग खोल मैं एक चादर भी लै आई हु वो हमारे काम आएगी" मिली कातिल मुस्कान के साथ बोली।
मैने चादर निकल कर बिचा दी और मिली को खिच कर उस पर लेता कर उसके शरीर के साथ खेलने लगा लगभग १० मिनट तक अछे से उसके बूब्स दबाये और होठ चूसते हुए उसकी चुत में ऊँगली की।
मिली अब पूरी तरह मस्त हो गई थी उसकी चुत लगातार पानी बहा रही थी और अब मुझसे भी नहीं रहा जारहा था मैं उसे गांड मरने की पोजीशन में करने लगा तो वो बोली "भाइ चुत चुदवाने में बहुत मजा आता है क्या?"।
"ये तो लड़कियों को ही पता होगा वैसे ऊँगली में तुझे मजा आता है क्या?" मैं बोला।
"हाँ"
"तो लंड से तो पक्का उससे सौ गुना ज्यादा मजा आएगा" मैं बोला।
"राजु तू मेरी चुत चोदेगा?" मिली बॉली।
मिली की बात सुन कर मैं हक्का बक्का रह गया मुझे मेरे कानो पर यकीन ही नहीं हो रहा था।।।।।।।।।।।
मिली की बात सुन कर मैं हक्का बक्का रह गया मुझे मेरे कानो पर यकीन ही नहीं हो रहा था।।।।।।।।।।।
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अब आगे
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मिली की बात सुनकर मैं हक्का बक्का रह गया था मुझे उम्मीद नहीं थी की वो इतनी आसानी से मुझे अपनी चुत सौंप देगी मेरा मुँह खुला का खुला रह गया और मेरे मुँह से निकला "क्या।।।"
"हाँ राजू बताना क्या तू मेरी चुत चोदेगा?" मिली बोली
"लेकिन तूने ही तो कहा था की तू मुझे अपनी चुत कभी नहीं देगी" मैं बोला।
"वो बात पुरानी हो गई है तू अभी की बात कर क्या तुझे मेरी चुत पसन्द है? इसे चोदना चाहेगा?" मिली बोली।
"ईतनी प्यारी चुत को भला कोन नहीं छोडना चाहेगा मिली मैं तो इसे चोदने के लिए कुछ भी कर सकता हु, लेकिन अचानक ही तूने अपना इरादा कैसे बदल लिया" मैंने पुछा।
"सुबह उन दोनों की चुदाई देख कर मुझे अहसास हुआ की लंड की सही जगह चुत ही है और बगैर लंड लिए चुत किसी काम की नहीं है फिर मैंने सोचा की जब मैं तेरे साथ इतना आगे बढ़ गई हु तो तुझी से अपनी चुत भी चुदवा लू और वैसे भी शादी के बाद कोई अन्जाना मेरी चुत की सील तोड़े इससे अच्छा तो ये है की मेरा भाई ही ये शुभ काम करे, बोल राजू करेगा अपनी बहन की चुत का उद्घाटन?" मिली मेरे लंड को मसलते हुए बोली जो अब अपनी बहन की चुत मरने के ख्याल से पहले से कहीं ज्यादा फुल गया था।
"हाँ मिली मैं जरूर करूँगा लेकिन यहाँ कैसे हो सकता है ये काम क्योंकि पहली बार में तुझे दर्द होगा और चिकनाई के लिए हमारे पास कोई तेल या क्रीम भी नहीं है अभी" मैंने चिंता जताई।
मेरी बात सुनकर मिली हसि और बोली "मुझे पता था की आज मेरी चुत खुल कर रहेगी इसलिए मैं क्रीम साथ में लाई हु बैग में रखी है निकल ले और अपना काम शुरू कर दे आज मैं कली से फूल बन जाना चाहती हु" मिली अपनी आँखे बंद करती हुई बोली।
मै झट से उठा और बैग से क्रीम निकल ली। मैं ज्यादा देर नहीं करना चाहता था, क्योकि मिली कब अपने कहे से पलट जाए इसका कोई भरोसा नहीं था।
अब मैंने मिली की दोनों टंगे फैला दी आज पहली बार उसकी चुत मेरे सामने इतनी पास थी क्या नजारा था उसकी चुत के होंठ आपस में जुड़े हुए थे और बार बार कंपकपा रहे थे उसकी चुत का मुँह पानी छोडे जारहा था। मैंने धीरे से अपनी एक ऊँगली उसकी चुत के अन्दर घुसा दी और आगे पीछे करने लगा।
"ये क्या कर रहा है मैंने तुझे लंड ड़ालने को कहा है ऊँगली नही" मिली मेरा हाथ अपनी चुत से अलग करती हुई बोली।
"क्रीम तो लगानी पड़ेगी ना" मैं बोला और क्रीम निकल कर अछे से उसकी चुत पर लगाने लगा।
जाब उसकी चुत पूरी तरह चिकनि हो गई तो मैंने लंड पर भी क्रीम लगा ली और मिली की टैंगो के बिच आगया और अपनी पोजीशन लेकर बोला "मिली तैयार हो ना"।
"हाँ।।। लकिन थोड़ा आराम से करना" वो आँखे बंद किये बोली उसके चेहरे से डर और रोमाच दोनों के भाव झलक रहे थे।
अब मैंने मिली के टंगे अछे से फैलाए और अपने लंड को उसकी चुत की दरार पर रगड़ने लगा मिली के मुँह से 'अहहह्... उहठ... हायी...' जैसे सिसकारियां छूटने लागी।
"उफ्फ्फ्.... राजु ज्यादा मत तडपा करले जो करना है" मिली बॉली।
आब मुझसे भी रहा नहीं जारहा था। मैंने उसकी चुत के छेड़ पर लंड लगाया और जोर का धक्का लगाया जिससे मेरे लंड का सुपडा उसकी चुत में समां गया और मैंने अपना सारा जोर लगते हुए पूरा दबाव मिली की चुत पर डाल दिया जिससे मेरा लंड धीरे धीरे चुत की गहराई में उतरने लगा जबकि मिली पहले धक्के से ही बेहाल हो कर चीख़ने लगी थी और अपने आपको मुझसे छुड़ाने के लिए हाथ पैर मरने लगी थी लेकिन मैं जनता था की अभी नहीं तो कभी नहीं इसलिए मैंने उसे बुरी तरह जकड रख था और मेरा लंड उसकी सील को तोड़कर लगातार आगे बढ़ता जारहा था जब मेरा आधा लंड मिली की चुत में घुस गया तब मैं रुका और मिली को देखा वो अभी भी दर्द से तडपती हुई रो रही थी और उसकी आँखों से आँसूओं का झरना बह रहा था। मुझसे नजर मिलते ही वो कतार स्वर में बोली "छोड़ दे राजू मुझे छोड़ दे नहीं तो मैं मर जाउंगी मुझे नहीं चुदवानी अपनी चुत प्ल्ज़ राजू छोड़ दे मुझे"।
"अब दर्द का टाइम ख़तम हो गया मिली तेरी सील तूट चुकी है और मेरा आधे से भी ज्यादा लंड तेरी चुत में है अब थोड़ी ही देर में तुझे भी मजा मिलना शुरू हो जाएगा"।
"क्या सचमे तेरा आधा लुंड अन्दर जा चूका है?" वो बोली
"हान ये देख" कहते हुए मैंने मिली को देखने की जगह दी और उसने भी उठ कर देखा उसकी चूत के मुँह का छल्ला फैला हुआ था जिसमे मेरा लंड फंसा पड़ा था लेकिन वो अपनी चूत से बहता हुआ खून नहीं देख पायी वरना पक्का वो मेरा लंड बहार निकाल कर ही मंती।
अब मैं मिली को वापस लेटा चूका था और जितना मेरा लंड घुसा था उतनी ही जगह में धीरे धीरे लंड आगे पीछे करने लगा अब मिली का दर्द भी कम हो गया था और उसकी कमर भी अब थिरकने लगी थी जिससे मेरा जोश भी बढ़ गया और मैंने अपना पूरा लंड बहार खींचते हुए दो जोरदार धक्के लगाए जिससे मेरा पूरा का पूरा लंड मिली की चूत में उतर गया मिली के मुँह से एक हलकी चीख और निकली लेकिन उसमें दम नहीं था क्योंकि उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी।
५-७ धक्के और लगने के बाद शायद मिली का सारा दर्द जाता रहा था क्योंकि अब वो भी कमर उठा-उठा कर मेरे धक्को का जवाब देने लगी थी।
"क्यों मिली अब मजा आरहा है ना" मैं अपने धक्को की स्पीड बढ़ाता हुआ बोला।
"हाँ भाई बहुत मजा आरहा है अगर मुझे पहले पाता होता की चुदवाने में इतना मजा आता है तो शायद तू कभी भी मेरी गांड नहीं मार पाता मैं पहले ही तुझसे चुदवा लेति, चल अब जरा जोर जोर से धक्के लाग" मिली मेरी पीठ सहलाते हुए बोली।
अब मेरे धक्को की स्पीड लगातार बढ़ती जारही थी और मेरे लंड की ठोकर मिली के गर्भाशय पर पड़ रही थी 'पच... पच' की आवाज सारे मचान में गूँज रही थी और हम दोनों भाई-बहन अपनी पहली चुदाई को एन्जॉय कर रहे थे।
लगभग १० मिनट बाद मिली बाल-बाल कर के झड़ गई और मुझे जोरो से जकड लिया मैं भी मिली की गर्मी सहन नहीं कर पाया और मैं भी झड़ने की कगार पर पहुंच गया।
"में झड़ने वाला हु मिली क्या अपना लंड बाहर निकाल लु" मैं बोला।
"नही राजू मेरे अंदर ही झाड़ो मैं महसूस करना चाहती हु की कैसा लगता है" मिली मुझसे और भी ज्यादा चिपकते हुए बोली।
अब मुझसे और नहीं संभाला गया और दो ही धक्को में मेरा लंड अपना माल मिली की चूत में उगलने लगा और ६-७ पिचकारियां छोड़ने के बाद मई निढाल हो कर मिली के ऊपर ढेर हो गया।
कोई १० मिनट तक हम दोनों ऐसे ही हप्ते हुए पड़े रहे फिर उठ कर अपने कपड़े पहने। मैंने टाइम देखा ६:५० हो चुके थे और उजाला खत्म होने लगा था।
"चल मिली हम बहुत लेट हो गए है" मैं बोला और हम दोनों ही मचान से उतर कर रेस्ट हाउस की तरफ बड गए मिली की चाल में थोड़ी लंगड़ाहट थी लेकिन ज्यादा परेशानी नहीं थी। उस
७:३० के आस पास हम रेस्ट हाउस पहुंच गए थे मैंने मिली को किस किया और हम दोनों अपनी अपनी जगह चले गए।
अल दो दिनों में मैंने मिली को जंगल में ५ बार और चोदा अब उसे भी चुदाई करवाने में बहुत मजा आने लगा था।
घर वापस आकर तो हमारी मौज हो गई थी पापा मम्मी दिन में तो घर पर होते ही नहीं थे जिससे जिस दिन भी हमें कॉलेज नहीं जाना होता सारा दिन ही हम चुदाई करते कभी-कभी मैं मिली की गांड भी मार लिया करता था हम दोनों ही एक दूसरे से बहुत खुश थे।
दो साल बाद मिली की शादी हो गई मिली बहुत रोई क्योंकि वो मुझसे अलग नहीं होना चाहती थी लेकिन हम साथ भी नहीं रह सकते थे मैंने उसे अच्छे से समझाया तो मान गई।
आब जब भी वो अपने ससुराल से वापस आती है हम कोई भी मौका नहीं छोड़ते है चुदाई का।।।