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Desi छोटी बहन के साथ

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Desi छोटी बहन के साथ
rajbr1981 Offline
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#101
17-04-2017, 08:46 PM
बस मुझे लगा कि यह मौका मुझे मेरे भाग्य से मिल रहा है तो मैंने कहा, "क्या खर्चा आएगा?" वो बोला, "देख दो तरह से मेरा काम होता है, घन्टे के हिसाब से लो तो ४००-८०० रू/घन्टे और अगर रात भर के लिए लो तो ४०००-८००० रात। सब का रेट सबसे उपर से शुरु होता है और हर महिने ५०/- घन्टा में से और ५००/- रात वाले रेट से कम होता जाता है जब तक कि रेट निचले स्तर तक नहीं आ जात, करीब ग्यारह महिने लगते हैं। मेरा कमीशन इसमें २५% है तो तू वो काट के दे देना यार, लड़की का हिस्सा काटना ठीक तो नहीं है ना, बेचारी पैसे के लिए ही तो यह करने आई है शहर में।" मैंने अब उन लड़कियों पर नजर डाली जो पास ही खड़ी हमें बात करते सुन रही थी। दोनों ही १८-२० के करीब की थी और देखने में ठीक-ठाक ही थी।

मैंने एक लडकी, जो थोड़ा ज्यादा साफ़ रंगत की थी, को जरा गौर से देखना शुरु किया तो वो बोली, "आप नाज को ले जाइए, बेचारी को पैसे की बहुत जरुरत है।" बबलू बोला, "हाँ गुड्डू, आज तो तुम इसी को ले जाओ, आज ही आई है और बिल्कुल टाईट है। पहली बार की बूकिंग का २१००रू अलग से होता है, वो तुम इसके हाथ में ही देना। शायद इसके किस्मत में तुम ही हो पहली बार के लिए।" मैंने अब कुछ सोचते हुए कहा, "अच्छा, अगर मैं उसको आज शनिवार को ले जाऊँ और फ़िर सोमवार सुबह जब दुकान के लिए आऊँगा तो उसको तुम्हारे पास पहुँचा दूँगा फ़िर कितना देना होगा?" वो थोडा सोचा और फ़िर बोला, "नई लड़की है तो दो रात का १६००० और फ़िर २१०० इसके शगुन के मिला कर १८१०० हुआ और फ़िर तुम मेरा कमीशन हटा के जोड़ लो"। मैंने कहा, "ठीक है, मैं सब का कुल १५००० रू० दे दुँगा, पर इसको बता दो, बाद में कहीं ना-नुकर न करे यह सब करने में और नई है अगर तो दर्द भी बर्दास्त करने के लिए तैयार रहेगी"।

बबलू की जगह दूसरी वाली लड़की बोली, "नहीं सर वो सब जानती है कि उसके साथ क्या-क्या हो सकता है और लोग उसके साथ कैसे करेंगे। वो गन्दा से गन्दा काम जो आप कहेंगे कर लेगी, बस उसके साथ मार-पीट नहीं कीजिएगा।" बबलू अब बोला, "अरे नहीं जुही, ये अपना यार है वो इस टाईप का पागल नहीं है, बस मस्ती करेगा अपना यार और क्या... है ना।" मैंने अपना शक दूर करने के लिए जुही नाम की लडकी से पूछा, "तीनों छेद में डलवा लेगी ना, नहीं तो इसको फ़िर से समझा दो, तुम्हें पता होगा कि मैं किन तीन छेदों की बात कर रहा हूँ"। वो बोली, "सर, उसको सब पता है, लेगी... पहली बार जा रही है तो आप भी थोड़ा जल्दी मत कीजिएगा... पर उसको वो यह सब मर्दों के हिसाब से ही लेना होगा इस शहर में अगर आई है तो"।

इसके बाद बबलू ने नाज नामक की उस नई लड़की को समझाया कि वो मैं जो कहूँ और जैसे कहूँ वैसे करे और खुद भी मजा ले। उसने उसको यह भी बताया कि मैं उसका स्कूल के जमाने का दोस्त हूँ तो वो मुझे भी अपना मालिक ही समझे और बे हिचक मेरे साथ जाए। नाज फ़िर मेरी तरफ़ देखी तो मैंने उसको अपने कार में बिठा लिया और बबलू को जुही के साथ छोड़ कर घर की तरफ़ चल दिया।


रास्ते से ही मैंने फ़ोन करके विभा को बता दिया कि मैं एक नई लड़की ला रहा हूँ जो पूरे सप्ताहान्त में हमारे घर ही रहेगी। विभा थोड़ा सकपका गई और फ़िर वो मेरी इच्छा समझ कर हाँ बोले दी। मुझे घर पर किसी लड़की से बात करते देख कर नाज ने पहली बार अपना मुँह खोला, "घर पर आप अपनी बीवी से बात कर रहे थे?" मैंने अब उसको कहा, "नहीं मेरी बहन है... घर पर सिर्फ़ हम दो हीं रहते हैं।" वो सकपका गई... शायद सोच रही हो कि हम किस टाईप के भाई-बहन हैं। घर पहुँच कर मैंने विभा और नाज का आपस में परिचय कराया और फ़िर विभा ने हम दोनों और अपने लिए चाय लाई। हम जब चाय पी रहे थे तो विभा गौर से नाज को देखते हुए बोली, "भैया, यह कुछ ज्यादा छोटी नहीं है इस काम के लिए, बच्ची टाईप...१४-१५ साल की?" नाज एक दुबली-पतली लडकी थी और विभा की बात सुन कर बोली, "नहीं मेरा उमर १८ साल हो गया है २ दिन पहले, भैया बोले थे कि शहर आने के समय अपना १८ साल का होने का सूबूत ले कर आना, नहीं तो पुलिस परेशान करेगा। इसीलिए मैं दो महिना तक इंतजार करके १८ का होने के बाद आई" और फ़िर वो अपना आधार कार्ड दिखाई।

असल में नाज दुबली-पतली तो थी ही लम्बाई में भी आम लडकियों से थोडा कम थी। ज्यादा से ज्यादा ४ फ़ीट १०-११ ईंच से ज्यादा नहीं थी। रंग साफ़ था और चूची बहुत छोटी-छोटी थी। वो एक सलवार सूट पहने हुए थी और थोडा घबडाई हुई थी पर अपनी घबडाहट को खुब छुपाने की कोशिश कर रही थी। मैंने विभा को कहा, "अब बोले विभा, ये तो हमारे साथ दो दिन है। सोचता हूँ सलीम चाचा को भी एक बार इसकी चूत का स्वाद चखा दूँ... शायद इसके बाद वो अपनी बेटियों की चूत मुझे चखने दें।" विभा मुस्कुराई और बोली, "अच्छा पहले आप पूरी तरह से मजा ले लीजिए, फ़िर सोचेंगे... आपको तो संयोग से बिल्कुल अनछुई लडकी मिल गई है, तो आप तो बहुत खुश होंगे?" मैंने भी खुश हो कर कहा, "हाँ... यह मेरे लिए चौथा मौका होगा जब एकदम नई लडकी को चोदने का मौका मिलेगा। तुम मेरे लिए तीसरी थी, और तुम्हारे बाद दो और लड़की को चोदा तो हूँ, पर दोनों पहले भी चुदी हुई थी। यह आज मुझे कुँवारी मिली है, तुम अगर अब हम दोनों को फ़्री करो तो एक बार मैं उसकी चूत का मजा ले लूँ।" विभा हँसते हुए बोली, "हाँ, इस काम की बेचैनी आपके चेहरे पर दिख रही है...."।
चाय पीने के बाद विभा खाली कप ले कर किचेन में चली गई तो मैंने नाज से कहा, "चलो नाज अब जरा कपडा उतारो अपना, देखें तो जरा कि तुम असल में दिखती कैसी हो?" वो अब असल में घबड़ाई, समझ गई कि अब आगे क्या होगा। उसको विभा को देख कर थोडा हौसला हुआ था पर अब अकेले में मेरी बात सुन कर वो सकपका गई। उसको उम्मीद थी कि यह सब में शायद सोते समय करुँगा, इसलिए वो बोली, "लेकिन सर... अभी तो यहाँ पर दीदी जी भी हैं, तो क्या...?"

मैंने अब आराम से मुस्कुराते हुए कहा, "इसीलिए तो... तुम नंगी हो जाओ, जिससे विभा भी जरा तुम्हारे जिस्म से अगर खेलना चाहे तो खेल ले, फ़िर जब वो खाना बनाने लगेगी तब तुम्हारी सील तोड़ दुँगा... उसके बाद तो सिर्फ़ मजा ही मजा है - मेरे लिए भी और तुम्हारे लिए भी।" उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी तो मैंने उसका दुपट्टा अपने हाथ से खींच कर हटा दिया और फ़िर उसके पास जा कर उसकी चूचियों को कुर्ती के ऊपर से ही अपने दोनों हथेलियों से मसलने लगा। वो मेरे द्वारा जरा जोर से चूचियों को मसलने से दर्द से कराह उठी और तभी विभा भी कमरे में आ गई। वो समझ गई कि मैं लड़की की चूचियों को ज्यादा जोर से मसल रहा होँ तो बोली, ’भैया उसको दर्द होता होगा, आप जिस तरह से उसको मसल रहे हैं"। मैंने अब नाज से दूर हटते हुए कहा, "ठीक है तो फ़िर तुम ही मसल लो और इसको थोड़ा तैयार कर दो, तुमको भी तो कच्ची कली से खेलना था ना..."।

मैं अब सामने की कुर्सी पर बैठ गया और विभा मुस्कुराते हुए नाज की तरफ़ जाते हुए अपने बदन से दुपट्टा हटा कर साईड की किर्सी पर रख दिया। नाज अब एकदम चुप थी और विभा बोली, "घबड़ाओ नहीं... सब ठीक हो जाएगा। आज तुम्हारा पहली बार है सो थोड़ा तो घबडाहट रहेगा, पर एक बार अगर यह मजा मिल गया तो फ़िर इसके आगे सब मजा बेकार लगेगा। यह सब कहते हुए विभा अपना कुर्ती और सलवार भी खोल दी। मेरी बहन विभा अब मेरे और नाज के सामने सिर्फ़ एक लाल ब्रा और काली पैन्टी में खड़ी हो कर मुस्कुरा रही थी।


वो अब नाज के पास जा कर उसके हाथ को अपने चूचियों पर रख लिया और फ़िर उसको चुमने लगी। नाज समझ गई कि विभा उसको अपना चूची दबाने को बोल रही है और वो अब विभा की चूचियों को एकदम एक अनाड़ी की तरह दबाने लगी। विभा अब अपने हाथ से उसकी कुर्ती को उतार दी और फ़िर मुझे दिखा कि नाज की चूच्ची इतनी छोटी थी कि उसको ब्रा की जरूरत भी नहीं थी और वो अभी ब्रा पहने भी नहीं थी। मैं देख रहा था कि नाज की काँख में खुब-खुब घुंघराले काले बाल थे जो उसकी पतली बाहों के कारण बने गढे में एक काला बालों का गुच्छा की तरह दिख रहा था। विभा ने चट से अब उसकी पूरानी सी सफ़ेद समीज भी उतार दी और नाज कमर के उपर पूरी तरह से नंगी दिखने लगी। उसका बदन किसी आम १४-१५ साल की लड़की की तरह का अब दिख रहा था, बस उसकी काँख का बाल ही यह बता रहा था कि उसकी उम्र १४-१५ नहीं है। मैं अब उसकी चूत देखने के लिए बेताब हो रहा था। विभा अब उसकी चूची को अपने मूँह में ले कर चुसने लगी। उसकी चूची तो कुछ खास नहीं थी, पर उसकी गुलाबी निप्पल बहुत ही ज्यादा बडी थी। मैंने अब विभा को कहा, "अरे विभा... अब जरा उसकी सलवार तो उतारो, फ़िर खेलते रहना उसकी चूच्ची से..."। विभा मेरी तरफ़ देख कर मुस्कुराई और फ़िर नाज से दूर हट कर उसकी सलवार का डोरी पकड़ कर खींच दिया। यह देख कर अब नाज थोड़ा झिझकी और फ़िर अपना सलवार को नीचे गिरने से बचाने के लिए पकड़ लिया तब मैं बोला, "नाज अब खोल दो न, आखिर तुम यहाँ शहर में आई ही हो चुदाने के लिए। अगर नंगी नहीं होगी किसी मर्द के सामने, तो चुदोगी कैसे? और मेरे सामने ऐसे नाटक करने से कुछ नहीं होगा। तुम देख रही हो कि मेरी अपनी बहन कैसे दो मिनट में मेरे सामने अधनंगी हो गई। समझ सकती हो कि जो मर्द लोग तुमको चोदने के लिए पैसा देगा वो कोई साधु नहीं होगा और सब अगर साधु हो गए तो तुम पैसा नहीं कमा सकोगी। मैंने भी तो तुमको चोदने के लिए पैसा दिया है तो अब तुम सलवार पकड़ कर बच तो जाओगी नहीं.... मेरे घर से तो चुदाने के बाद ही जाना हो सकेगा तो अब जरा मेरी बहन के साथ खेल लो फ़िर मुझसे चुदा लेना।"
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dpmangla Offline
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#102
18-04-2017, 06:03 PM
(17-04-2017, 08:46 PM)rajbr1981 : बस मुझे लगा कि यह मौका मुझे मेरे भाग्य से मिल रहा है तो मैंने कहा, "क्या खर्चा आएगा?" वो बोला, "देख दो तरह से मेरा काम होता है, घन्टे के हिसाब से लो तो ४००-८०० रू/घन्टे और अगर रात भर के लिए लो तो ४०००-८००० रात। सब का रेट सबसे उपर से शुरु होता है और हर महिने ५०/- घन्टा में से और ५००/- रात वाले रेट से कम होता जाता है जब तक कि रेट निचले स्तर तक नहीं आ जात, करीब ग्यारह महिने लगते हैं। मेरा कमीशन इसमें २५% है तो तू वो काट के दे देना यार, लड़की का हिस्सा काटना ठीक तो नहीं है ना, बेचारी पैसे के लिए ही तो यह करने आई है शहर में।" मैंने अब उन लड़कियों पर नजर डाली जो पास ही खड़ी हमें बात करते सुन रही थी। दोनों ही १८-२० के करीब की थी और देखने में ठीक-ठाक ही थी।

मैंने एक लडकी, जो थोड़ा ज्यादा साफ़ रंगत की थी, को जरा गौर से देखना शुरु किया तो वो बोली, "आप नाज को ले जाइए, बेचारी को पैसे की बहुत जरुरत है।" बबलू बोला, "हाँ गुड्डू, आज तो तुम इसी को ले जाओ, आज ही आई है और बिल्कुल टाईट है। पहली बार की बूकिंग का २१००रू अलग से होता है, वो तुम इसके हाथ में ही देना। शायद इसके किस्मत में तुम ही हो पहली बार के लिए।" मैंने अब कुछ सोचते हुए कहा, "अच्छा, अगर मैं उसको आज शनिवार को ले जाऊँ और फ़िर सोमवार सुबह जब दुकान के लिए आऊँगा तो उसको तुम्हारे पास पहुँचा दूँगा फ़िर कितना देना होगा?" वो थोडा सोचा और फ़िर बोला, "नई लड़की है तो दो रात का १६००० और फ़िर २१०० इसके शगुन के मिला कर १८१०० हुआ और फ़िर तुम मेरा कमीशन हटा के जोड़ लो"। मैंने कहा, "ठीक है, मैं सब का कुल १५००० रू० दे दुँगा, पर इसको बता दो, बाद में कहीं ना-नुकर न करे यह सब करने में और नई है अगर तो दर्द भी बर्दास्त करने के लिए तैयार रहेगी"।

बबलू की जगह दूसरी वाली लड़की बोली, "नहीं सर वो सब जानती है कि उसके साथ क्या-क्या हो सकता है और लोग उसके साथ कैसे करेंगे। वो गन्दा से गन्दा काम जो आप कहेंगे कर लेगी, बस उसके साथ मार-पीट नहीं कीजिएगा।" बबलू अब बोला, "अरे नहीं जुही, ये अपना यार है वो इस टाईप का पागल नहीं है, बस मस्ती करेगा अपना यार और क्या... है ना।" मैंने अपना शक दूर करने के लिए जुही नाम की लडकी से पूछा, "तीनों छेद में डलवा लेगी ना, नहीं तो इसको फ़िर से समझा दो, तुम्हें पता होगा कि मैं किन तीन छेदों की बात कर रहा हूँ"। वो बोली, "सर, उसको सब पता है, लेगी... पहली बार जा रही है तो आप भी थोड़ा जल्दी मत कीजिएगा... पर उसको वो यह सब मर्दों के हिसाब से ही लेना होगा इस शहर में अगर आई है तो"।

इसके बाद बबलू ने नाज नामक की उस नई लड़की को समझाया कि वो मैं जो कहूँ और जैसे कहूँ वैसे करे और खुद भी मजा ले। उसने उसको यह भी बताया कि मैं उसका स्कूल के जमाने का दोस्त हूँ तो वो मुझे भी अपना मालिक ही समझे और बे हिचक मेरे साथ जाए। नाज फ़िर मेरी तरफ़ देखी तो मैंने उसको अपने कार में बिठा लिया और बबलू को जुही के साथ छोड़ कर घर की तरफ़ चल दिया।


रास्ते से ही मैंने फ़ोन करके विभा को बता दिया कि मैं एक नई लड़की ला रहा हूँ जो पूरे सप्ताहान्त में हमारे घर ही रहेगी। विभा थोड़ा सकपका गई और फ़िर वो मेरी इच्छा समझ कर हाँ बोले दी। मुझे घर पर किसी लड़की से बात करते देख कर नाज ने पहली बार अपना मुँह खोला, "घर पर आप अपनी बीवी से बात कर रहे थे?" मैंने अब उसको कहा, "नहीं मेरी बहन है... घर पर सिर्फ़ हम दो हीं रहते हैं।" वो सकपका गई... शायद सोच रही हो कि हम किस टाईप के भाई-बहन हैं। घर पहुँच कर मैंने विभा और नाज का आपस में परिचय कराया और फ़िर विभा ने हम दोनों और अपने लिए चाय लाई। हम जब चाय पी रहे थे तो विभा गौर से नाज को देखते हुए बोली, "भैया, यह कुछ ज्यादा छोटी नहीं है इस काम के लिए, बच्ची टाईप...१४-१५ साल की?" नाज एक दुबली-पतली लडकी थी और विभा की बात सुन कर बोली, "नहीं मेरा उमर १८ साल हो गया है २ दिन पहले, भैया बोले थे कि शहर आने के समय अपना १८ साल का होने का सूबूत ले कर आना, नहीं तो पुलिस परेशान करेगा। इसीलिए मैं दो महिना तक इंतजार करके १८ का होने के बाद आई" और फ़िर वो अपना आधार कार्ड दिखाई।

असल में नाज दुबली-पतली तो थी ही लम्बाई में भी आम लडकियों से थोडा कम थी। ज्यादा से ज्यादा ४ फ़ीट १०-११ ईंच से ज्यादा नहीं थी। रंग साफ़ था और चूची बहुत छोटी-छोटी थी। वो एक सलवार सूट पहने हुए थी और थोडा घबडाई हुई थी पर अपनी घबडाहट को खुब छुपाने की कोशिश कर रही थी। मैंने विभा को कहा, "अब बोले विभा, ये तो हमारे साथ दो दिन है। सोचता हूँ सलीम चाचा को भी एक बार इसकी चूत का स्वाद चखा दूँ... शायद इसके बाद वो अपनी बेटियों की चूत मुझे चखने दें।" विभा मुस्कुराई और बोली, "अच्छा पहले आप पूरी तरह से मजा ले लीजिए, फ़िर सोचेंगे... आपको तो संयोग से बिल्कुल अनछुई लडकी मिल गई है, तो आप तो बहुत खुश होंगे?" मैंने भी खुश हो कर कहा, "हाँ... यह मेरे लिए चौथा मौका होगा जब एकदम नई लडकी को चोदने का मौका मिलेगा। तुम मेरे लिए तीसरी थी, और तुम्हारे बाद दो और लड़की को चोदा तो हूँ, पर दोनों पहले भी चुदी हुई थी। यह आज मुझे कुँवारी मिली है, तुम अगर अब हम दोनों को फ़्री करो तो एक बार मैं उसकी चूत का मजा ले लूँ।" विभा हँसते हुए बोली, "हाँ, इस काम की बेचैनी आपके चेहरे पर दिख रही है...."।
चाय पीने के बाद विभा खाली कप ले कर किचेन में चली गई तो मैंने नाज से कहा, "चलो नाज अब जरा कपडा उतारो अपना, देखें तो जरा कि तुम असल में दिखती कैसी हो?" वो अब असल में घबड़ाई, समझ गई कि अब आगे क्या होगा। उसको विभा को देख कर थोडा हौसला हुआ था पर अब अकेले में मेरी बात सुन कर वो सकपका गई। उसको उम्मीद थी कि यह सब में शायद सोते समय करुँगा, इसलिए वो बोली, "लेकिन सर... अभी तो यहाँ पर दीदी जी भी हैं, तो क्या...?"

मैंने अब आराम से मुस्कुराते हुए कहा, "इसीलिए तो... तुम नंगी हो जाओ, जिससे विभा भी जरा तुम्हारे जिस्म से अगर खेलना चाहे तो खेल ले, फ़िर जब वो खाना बनाने लगेगी तब तुम्हारी सील तोड़ दुँगा... उसके बाद तो सिर्फ़ मजा ही मजा है - मेरे लिए भी और तुम्हारे लिए भी।" उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी तो मैंने उसका दुपट्टा अपने हाथ से खींच कर हटा दिया और फ़िर उसके पास जा कर उसकी चूचियों को कुर्ती के ऊपर से ही अपने दोनों हथेलियों से मसलने लगा। वो मेरे द्वारा जरा जोर से चूचियों को मसलने से दर्द से कराह उठी और तभी विभा भी कमरे में आ गई। वो समझ गई कि मैं लड़की की चूचियों को ज्यादा जोर से मसल रहा होँ तो बोली, ’भैया उसको दर्द होता होगा, आप जिस तरह से उसको मसल रहे हैं"। मैंने अब नाज से दूर हटते हुए कहा, "ठीक है तो फ़िर तुम ही मसल लो और इसको थोड़ा तैयार कर दो, तुमको भी तो कच्ची कली से खेलना था ना..."।

मैं अब सामने की कुर्सी पर बैठ गया और विभा मुस्कुराते हुए नाज की तरफ़ जाते हुए अपने बदन से दुपट्टा हटा कर साईड की किर्सी पर रख दिया। नाज अब एकदम चुप थी और विभा बोली, "घबड़ाओ नहीं... सब ठीक हो जाएगा। आज तुम्हारा पहली बार है सो थोड़ा तो घबडाहट रहेगा, पर एक बार अगर यह मजा मिल गया तो फ़िर इसके आगे सब मजा बेकार लगेगा। यह सब कहते हुए विभा अपना कुर्ती और सलवार भी खोल दी। मेरी बहन विभा अब मेरे और नाज के सामने सिर्फ़ एक लाल ब्रा और काली पैन्टी में खड़ी हो कर मुस्कुरा रही थी।


वो अब नाज के पास जा कर उसके हाथ को अपने चूचियों पर रख लिया और फ़िर उसको चुमने लगी। नाज समझ गई कि विभा उसको अपना चूची दबाने को बोल रही है और वो अब विभा की चूचियों को एकदम एक अनाड़ी की तरह दबाने लगी। विभा अब अपने हाथ से उसकी कुर्ती को उतार दी और फ़िर मुझे दिखा कि नाज की चूच्ची इतनी छोटी थी कि उसको ब्रा की जरूरत भी नहीं थी और वो अभी ब्रा पहने भी नहीं थी। मैं देख रहा था कि नाज की काँख में खुब-खुब घुंघराले काले बाल थे जो उसकी पतली बाहों के कारण बने गढे में एक काला बालों का गुच्छा की तरह दिख रहा था। विभा ने चट से अब उसकी पूरानी सी सफ़ेद समीज भी उतार दी और नाज कमर के उपर पूरी तरह से नंगी दिखने लगी। उसका बदन किसी आम १४-१५ साल की लड़की की तरह का अब दिख रहा था, बस उसकी काँख का बाल ही यह बता रहा था कि उसकी उम्र १४-१५ नहीं है। मैं अब उसकी चूत देखने के लिए बेताब हो रहा था। विभा अब उसकी चूची को अपने मूँह में ले कर चुसने लगी। उसकी चूची तो कुछ खास नहीं थी, पर उसकी गुलाबी निप्पल बहुत ही ज्यादा बडी थी। मैंने अब विभा को कहा, "अरे विभा... अब जरा उसकी सलवार तो उतारो, फ़िर खेलते रहना उसकी चूच्ची से..."। विभा मेरी तरफ़ देख कर मुस्कुराई और फ़िर नाज से दूर हट कर उसकी सलवार का डोरी पकड़ कर खींच दिया। यह देख कर अब नाज थोड़ा झिझकी और फ़िर अपना सलवार को नीचे गिरने से बचाने के लिए पकड़ लिया तब मैं बोला, "नाज अब खोल दो न, आखिर तुम यहाँ शहर में आई ही हो चुदाने के लिए। अगर नंगी नहीं होगी किसी मर्द के सामने, तो चुदोगी कैसे? और मेरे सामने ऐसे नाटक करने से कुछ नहीं होगा। तुम देख रही हो कि मेरी अपनी बहन कैसे दो मिनट में मेरे सामने अधनंगी हो गई। समझ सकती हो कि जो मर्द लोग तुमको चोदने के लिए पैसा देगा वो कोई साधु नहीं होगा और सब अगर साधु हो गए तो तुम पैसा नहीं कमा सकोगी। मैंने भी तो तुमको चोदने के लिए पैसा दिया है तो अब तुम सलवार पकड़ कर बच तो जाओगी नहीं.... मेरे घर से तो चुदाने के बाद ही जाना हो सकेगा तो अब जरा मेरी बहन के साथ खेल लो फ़िर मुझसे चुदा लेना।"
 

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rajbr1981 Offline
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#103
19-04-2017, 10:25 PM
विभा अब उसका हाथ हटा कर उसका सलवार निकाल दी और नाज मेरे सामने एक पूरानी नीले रंग के पैन्टी में थी। उसकी सफ़ेद गोरी जाँघ कुछ ज्यादा ही चमक रही थी। मुझे उसके हाथ-पैरों पर उगे बाल दिख रहे थे... गाँव की लड़की अभी बाल साफ़ करना नहीं सीखी थी। विभा अब उसके पीछे चली गई और फ़िर पीछे से उसकी पैन्टी पकड़ कर नीचे सरार दी। नाज की चूत तो दिखी ही नहीं, वहाँ तो झाँटों का एक बड़ा सा जंगल दिखा। विभा पीछे से ही पूछी, "दिख रही है भैया नाज की चूत...?" मैंने कहा, "नहीं रे, साली की चूत तो झाँटों के जंगल से छुपी हुई है, जरा हटाओ तो..."।

विभा अब सामने आई और फ़िर उसकी चूत की तरफ़ देखते हुए बोली, "नाज... तुम सामने सोफ़ा पर बैठ कर अपना पैर उपर उठाओ, तब जा कर भैया को तुम्हारी चूत दिखेगी"। नाज अब चुप-चाप जो विभा ने कहा वो कर दी। तब विभा सोफ़े के पीछे चली गई ताकि मैं सामने से सब कुछ पूरा साफ़-साफ़ देख सकूँ। विभा अब अपने हाथों से नाज के झाँटों को एक तरफ़ करके चूत को खोली और तब मुझे उसकी गुलाबी कुँवारी चूत की झलक साफ़-साफ़ मिलने लगी। मैं बोल उठा, "वाह... क्या सुन्दर खीली हुई चूत है और भीतर शानदार लाल भभूका झिल्ली भी है... थोड़ा और खोलो जाँघ को"। नाज भी कोशिश की, पर विभा अब जरा जोर लगा कर उसकी चूत को फ़ैला दी तो वो दर्द से चीखी और मैं उसके कुँवारेपन की झल्ली देख कर मस्त हो गया।

मुझे अब अपने ही किस्मत से जलन हो रही थी कि कैसे मेरी छोटी बहन मेरे सामने अधनंगी हो कर एक दूसरी कुँवारी लड़की की चूत अपने हाथ से खोल कर मुझे उस लड़की की सील तोड़ने का निमंत्रण दे रही थी। यह संयोग सब के साथ थोड़े ना होता है। विभा मुझे ऐसे एक टक देखते हुए देख कर बोली, "भैया... अब जरा मैं भी देख लूँ कि जवान कुँवारी लडकी की चूत कैसी होती है। अपनी तो कभी दिखी नहीं साफ़-साफ़... और आप भी कभी दिखाए नहीं किसी की।" वो अब नाज के सामने आ गई और उसकी चूत फ़िर से उसके झाँटों से आधा के ज्यादा छुप गई थी। मैंने नाज से कहा, "नाज रंडी..., जरा फ़िर से अपना चूत खोल कर मेरी बहन को अपना झिल्ली दिखाओ..."।



वो मेरी बात मान तो ली पर बोली, "सर ऐसे मत बोलिए लगता है कि आप गाली दे रहे हैं..."। मैं बोला, "अरे तो इसमें गलत क्या है... रंडी ही तो बनी हो तुम पैसा ले कर चुदाने आई हो, तो रंडी बोलने में गलत क्या है?" विभा उसकी चूत को घुरते हुए बोली, "अरे ये तो अपनी बहन को रंडी बोलते हैं और तुम तो आई ही हो पैसा ले कर चुदाने"। नाज को अब कुछ बोलते नहीं बना। विभा अब बोली, "भैया... इसकी तो सच्ची झिल्ली दिख रही है, इसी को आपलोग तोड़ते हैं अब समझ में आया"। मैंने अब नाज की चूत कें अपनी ऊँगली घुसा कर उसकी झिल्ली के छोटे से छेद को दबा दिया और कहा, "हाँ विभा, तुम्हारे चूत में भी यह झिल्ली थी कभी... अब तो तुम रंडी बन गई तो तुम्हारी बूर भी चूत बन गई है, जैसे इसकी कुछ देर में बन जाएगी"। विभा यह सब देख कर ही पनिया गई थी, बोली - "भैया, एक बार प्लीज मुझे चोद दीजिए न, बहुत मन कर रहा है। फ़िर मैं खाना बनाने चली जाऊँगी और तब आप इसके साथ खेल लीजिएगा"। मैं समझ गया कि विभा को मर्द ही पसन्द हैं, उसको लेस्बियन सेक्स में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैंने उसको कहा, "ठीक है विभा, खोले अपना यह फ़ुद्दू कपड़ा, पहले तुमको ही चोद देते हैं... फ़िर नाज की जवानी लुटूँगा आराम से रात भर..."। नाज अब भौंचक हो गई और सिर्फ़ "पर..." बोल कर चुप हो गई और फ़िर विभा को अपने हाथ से नंगे होते देखने लगी। विभा की नंगी चूत जो पतली सी झाँट की एक रेखा से सजी हुई थी अब चमक उठी और मैं अब खड़ा हो कर अपने कपड़े उतारने लगा।
[Image: 52.gif]
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dpmangla Offline
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#104
20-04-2017, 04:49 PM
(19-04-2017, 10:25 PM)rajbr1981 :  विभा अब उसका हाथ हटा कर उसका सलवार निकाल दी और नाज मेरे सामने एक पूरानी नीले रंग के पैन्टी में थी। उसकी सफ़ेद गोरी जाँघ कुछ ज्यादा ही चमक रही थी। मुझे उसके हाथ-पैरों पर उगे बाल दिख रहे थे... गाँव की लड़की अभी बाल साफ़ करना नहीं सीखी थी। विभा अब उसके पीछे चली गई और फ़िर पीछे से उसकी पैन्टी पकड़ कर नीचे सरार दी। नाज की चूत तो दिखी ही नहीं, वहाँ तो झाँटों का एक बड़ा सा जंगल दिखा। विभा पीछे से ही पूछी, "दिख रही है भैया नाज की चूत...?" मैंने कहा, "नहीं रे, साली की चूत तो झाँटों के जंगल से छुपी हुई है, जरा हटाओ तो..."।

विभा अब सामने आई और फ़िर उसकी चूत की तरफ़ देखते हुए बोली, "नाज... तुम सामने सोफ़ा पर बैठ कर अपना पैर उपर उठाओ, तब जा कर भैया को तुम्हारी चूत दिखेगी"। नाज अब चुप-चाप जो विभा ने कहा वो कर दी। तब विभा सोफ़े के पीछे चली गई ताकि मैं सामने से सब कुछ पूरा साफ़-साफ़ देख सकूँ। विभा अब अपने हाथों से नाज के झाँटों को एक तरफ़ करके चूत को खोली और तब मुझे उसकी गुलाबी कुँवारी चूत की झलक साफ़-साफ़ मिलने लगी। मैं बोल उठा, "वाह... क्या सुन्दर खीली हुई चूत है और भीतर शानदार लाल भभूका झिल्ली भी है... थोड़ा और खोलो जाँघ को"। नाज भी कोशिश की, पर विभा अब जरा जोर लगा कर उसकी चूत को फ़ैला दी तो वो दर्द से चीखी और मैं उसके कुँवारेपन की झल्ली देख कर मस्त हो गया।

मुझे अब अपने ही किस्मत से जलन हो रही थी कि कैसे मेरी छोटी बहन मेरे सामने अधनंगी हो कर एक दूसरी कुँवारी लड़की की चूत अपने हाथ से खोल कर मुझे उस लड़की की सील तोड़ने का निमंत्रण दे रही थी। यह संयोग सब के साथ थोड़े ना होता है। विभा मुझे ऐसे एक टक देखते हुए देख कर बोली, "भैया... अब जरा मैं भी देख लूँ कि जवान कुँवारी लडकी की चूत कैसी होती है। अपनी तो कभी दिखी नहीं साफ़-साफ़... और आप भी कभी दिखाए नहीं किसी की।" वो अब नाज के सामने आ गई और उसकी चूत फ़िर से उसके झाँटों से आधा के ज्यादा छुप गई थी। मैंने नाज से कहा, "नाज रंडी..., जरा फ़िर से अपना चूत खोल कर मेरी बहन को अपना झिल्ली दिखाओ..."।



वो मेरी बात मान तो ली पर बोली, "सर ऐसे मत बोलिए लगता है कि आप गाली दे रहे हैं..."। मैं बोला, "अरे तो इसमें गलत क्या है... रंडी ही तो बनी हो तुम पैसा ले कर चुदाने आई हो, तो रंडी बोलने में गलत क्या है?" विभा उसकी चूत को घुरते हुए बोली, "अरे ये तो अपनी बहन को रंडी बोलते हैं और तुम तो आई ही हो पैसा ले कर चुदाने"। नाज को अब कुछ बोलते नहीं बना। विभा अब बोली, "भैया... इसकी तो सच्ची झिल्ली दिख रही है, इसी को आपलोग तोड़ते हैं अब समझ में आया"। मैंने अब नाज की चूत कें अपनी ऊँगली घुसा कर उसकी झिल्ली के छोटे से छेद को दबा दिया और कहा, "हाँ विभा, तुम्हारे चूत में भी यह झिल्ली थी कभी... अब तो तुम रंडी बन गई तो तुम्हारी बूर भी चूत बन गई है, जैसे इसकी कुछ देर में बन जाएगी"। विभा यह सब देख कर ही पनिया गई थी, बोली - "भैया, एक बार प्लीज मुझे चोद दीजिए न, बहुत मन कर रहा है। फ़िर मैं खाना बनाने चली जाऊँगी और तब आप इसके साथ खेल लीजिएगा"। मैं समझ गया कि विभा को मर्द ही पसन्द हैं, उसको लेस्बियन सेक्स में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैंने उसको कहा, "ठीक है विभा, खोले अपना यह फ़ुद्दू कपड़ा, पहले तुमको ही चोद देते हैं... फ़िर नाज की जवानी लुटूँगा आराम से रात भर..."। नाज अब भौंचक हो गई और सिर्फ़ "पर..." बोल कर चुप हो गई और फ़िर विभा को अपने हाथ से नंगे होते देखने लगी। विभा की नंगी चूत जो पतली सी झाँट की एक रेखा से सजी हुई थी अब चमक उठी और मैं अब खड़ा हो कर अपने कपड़े उतारने लगा।

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rajbr1981 Offline
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#105
21-04-2017, 09:18 PM
मेरा लंड तो कब से खड़ा हुआ इसी इंतजार में था कि कब मौका मिले कि वो किसी छेद में घुस जाए। विभा मेरे लंड को बिल्कुल तैयार देख कर चहक उठी, "वाह भैया, घुसने के लिए तो बिल्कुल तैयार है... अब चढ जाइए मेरे ऊपर", कहते हुए वो बिल्कुल एक अनुभवी रंडी की तरफ़ सोफ़े पर अधलेटी हो गई। नाज की नजर कभी मेरे तने हुए लन्ड पर होती तो कभी विभा की चमक रही फ़ुली हुई चूत पर। मैंने थोडा सा थुक अपने लन्ड पर लगाया और फ़िर उसको अपनी बहन की चूत की फ़ाँक पर लगा कर भीतर पेल दिया। हल्की सी सीसकी की आवाज विभा की मुँह से निकली और फ़िर वो मजे से आँख बन्द करके मेरे लन्ड के चुदाने लगी। मैं अब अपनी बहन की चूत को मजे लेकर चोदते हुए पास बैठी नाज को देखा।


वो तो जैसे भौंचक हो कर सिर्फ़ चूत में बाहर-भीतर हो रहे मेरे लंड को देख रही थी। उसको ऐसे देखते हुए देख मेरा मजा दोगुणा हो गया। वो जब मुझे ऐसे देखते देखी तो नजर झुका ली और मैं उसके साथ बेशर्मी से बात करने लगा, "देख रही हो नाज, कैसे मैं अपनी बहन को चोद रहा हूँ। ऐसे ही तुम्हारी चूत के भीतर भी लंड चला कर तुमको चोदुँगा। लड़की को चोदने का यह सबसे अच्छा तरीका है। ऐसे ही तुम्हारी चूत को भी अब रोज चोदा जाएगा। देख लो विभा को कितना मजा आ रहा है, वो ऐसे सिसक-सिसक कर चुदवा रही है, वो भी अपने सगे भाई से"। विभा अब आँख खोल कर मुझे देखी और मुस्कुरा दी, "आह.... सच्ची बहुत मजा आता है, पूरे देह में अजीब सी सिहरन होती है जब ठीक से धक्का लगता है। भैया, एक बार पूरा बाहर निकाल कर फ़िर से घुसाइए न... प्लीज"। मैं उसकी बात सुन कर बोला, "अभी लो बहना... तुम जैसे कहोगी वैसे चोदुँगा मेरी जान...." और मैंने अपना लन्ड पूरा बाहर निकाल लिया, ’पक की आवाज हुई जब मेरा लन्ड मेरी बहन की चूत से नाहर निकला। उसकी चूत खुली हुई थी, भीतर से लाल भभुका दिख रही थी और फ़िर मैंने उसकी चूत को प्रेम से चाट लिया, जो अब नमकीन पानी से पूरा गीला हो गया था और फ़िर अपना पूरा ८" लन्ड एक झटके से फ़िर अपनी बहन की चूत में पेल दिया। इसके बाद विभा को खुश करने के लिए ६-७ बार ऐसे ही लन्ड पूरा बाहर खींच कर फ़िर से झटके के साथ भीतर पेला। हर बार लंड के घुसते समय वो मजे से चीखी। फ़िर वो मुझे धक्के लगाने के लिए बोली और मैं अब उसके ऊपर झुक कर उसकी चुदाई करने लगा।


नाज देख रही थी और मैं बोला, "गाँव में तुम देखी हो कभी किसी को चुदाते हुए?" वो नहीं में सिर हिलाई और बोली, "आप सच में इनके भाई हैं?" मैं हँसते हुए कहा, "हाँ... मेरी तीन बहन है, और तीनो मुझसे चुदाती है। क्यों???" वो बोली, "मेरे गाँव में तो अगर कोई किसी की बहन को कुछ बोल दे तो लडाई हो जाता है।" मैं बोला, "बेवकूफ़ भाई सब यही करेगा हीं, इसीलिए सब की बहन छुप कर खेत में जा कर चुदाती है गाँव में और सब समझते हैं कि उनकी बहन सती-सावित्री हैं... बहन को भी आजादी दो और अपने भी मजा करो। जब तक जवानी है तभी तक न कोई लड़की चुदा सकती है। तो यही सोच कर मैं अपनी बहन को आजादी देता हूँ, वो जब चाहे, जिससे चाहे चुदाए। देखी न कैसे मेरी बहन खुद मुझसे बोली कि उसको चोद दूँ। एक बार तुम ही जब मजा ले लोगी तो फ़िर तुम भी मन हो जाने पर रोक नहीं सकोगी अपने को।" विभा अब बोली, "उसको ज्यादा परेशानी थोड़ा न है वो तो रोज अलग-अलग टाईप के लन्ड से चुदा कर सब किस्म का स्वाद लेगी, असल समस्या तो मेरे जैसी घर में रहने वाली लडकी को है। रोज एक ही टाईप का लन्ड ले कर बोर हो जाती हूँ"।

मैं हँसते हुए बोला, "अरे तो तुम भी नाज की तरह रंडी बन जाओ, रोज नया-नया लन्ड मिलेगा तुमको भी"। वो मुझे चिढ़ाते हुए बोली, "अपनी बहन को रंडी बनाओगे, बहनचोद... चल अब पीछे से चोद मुझे"। मैं भी बोला, "बन साली कुतिया अभी पीछे से हरामजादी, मेरी प्यारी बहना" और मैं उसके ऊपर से हट गया तब विभा पलट गई और मैं अब पीछे से उसकी चुदाई करने लगा। और फ़िर अपना रफ़तार बढ़ा कर उसकी चूत में ही झड़ गया। मेरे हटने के बाद विभा सीधा खड़ा होते हुए बोली, "रोज मेरी चूत में निकाल देते हो, कहीं बच्चा तो पैदा करने का इरादा नहीं है मेरी कोख से भैया"। मैंने हँसते हुए कहा, "मेरी इच्छा तो है कि तुम्हारी कोख से अपनी बेटी पैदा करके उसको चोदूँ तुम्हारे साथ एक ही बिस्तर पर..."। इस बार विभा की जगह नाज की आवाज सुनाई दी, "छी:... आप तो मेरे से भी नीच और गंदे हैं"। मैंने हँसते हुए कहा, "अभी जब तुम्हारी चूत फ़ाड़ूँगा तब तुमको पता चलेगा कि मैं कैसा नीच और कमीना हूँ साली कुतिया। मुझे गंदा बोल रही है ति अब सजा तुम्हारी यही है कि तुम मेरे घर पर अब जब तक रहेगी बिल्कुल नंगी रहेगी और मैं सब को तुम्हें दिखा कर चोदुँगा, तुम देखना साली कैसी चुदाई तुम्हारी करता हूँ हरामजादी।" मेरे ऐसे तेवर देख कर वो डर गई और फ़िर चुप हो गई।


विभा अपना चूत का पानी पोछने लगी और मैं अब अपना कपड़ा पहनने लगा। नाज भी अपने कपडे की तरफ़ बढी तो मैंने उसको मना कर दिया और कहा कि वो अब नंगी ही रहेगी लगातार दो दिन। फ़िर मैंने विभा को कहा, "मैं जरा बाजार से आता हूँ, कुछ अगर मँगवाना हो तो बता दो, फ़िर दो जब तक यह रंडी घर पर है, सिर्फ़ इसके साथ पैसा वसूल करना है। कुछ टेबलेट्स और क्रीम लाने जा रहा हूँ ताकि इस बाजारू लौंडिया के बदन को खुब अच्छे से भोग सकूँ"। विभा कुछ सब्जी लाने को बोली और फ़िर नाज को बोली, "चलो तुम भी किचेन में कुछ बात-चीत करते हुए काम निपटा लेंगे"। दोनों नंगी ही किचेन की तरफ़ बढ़ गई और मैं बाहर निकल लगा, पीछे दरवाजा बन्द कर दिया, आखिर मेरे घर में दो जवान लड़कियाँ थी, वो भी दोनों नंगी। मैं बाजार में कुछ सब्जी खरीदने के बाद एक केमिस्ट की दुकान से एक स्ट्रीप (दस गोली) वियाग्रा का देसी संस्करण (कवेट्रा), एक बेसलीन क्रीम का बडा डब्बा और एक मूड्स कंडोम का दस वाला पैक खरीद कर बाहर निकल ही रहा था कि मेरे सलीम चाचा दुकान में आते दिखे। वो अपनी बीपी की दवा खरीदे और फ़िर हम दोनों साथ ही टहलते हुए घर लौटने लगे। रास्ते में मैंने उनको नाज के बारे में बताया, "चाचा, आज एक लौंडिया लाये हैं घर पर, दो दिन के लिए।

आपको उसका स्वाद चखना है?" सलीम चाचा आश्चर्य से पूचे, "अरे... कैसे? घर पर तो विभा भी है न?" मैंने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ है... तो क्या, उसको मेरी तरफ़ से कोई रोक-टोक तो है नहीं, वो भी जानती है। सो आज पहली बार ले आया घर कि वो भी समझ ले कि मेरे बदन की भी कुछ जरुरत है। अगर इस बार वो सब झेल गई तो फ़िर मेरे लिए तो रास्ता साफ़ हो जाएगा। आप कुछ हिम्मत दिखाते नहीं है, जबकि आपके अपने घर में आपकी बेटियाँ हिम्मत जुटा कर मस्ती कर रही हैं। मैंने तो आपको सायरा की चूत की गंध वाली वो पैन्टी दी थी । कभी हिम्मत करके अब सीधे उसकी चूत सुँघिए और कभी मुझे भी सुँघाइए"। वो बेचारे मेरी बात सुन कर सिर्फ़ थुक निगल कर रह गए। मैंने उनको कहा, "अच्छा कम रविवार है, कल सुबह मेरे घर आइएगा ही, तो नाज को चोद लीजिएगा"। वो अब बोले, "विभा क्या सोचेगी"? मैंने उनको हिम्मत दी, "अरे आप विभा की फ़िक्र छोडिए, उसको मैं कह कर आया हूँ कि नाज एक कौल-गर्ल है और उसको मैं दो दिन के लिए घर पर लाया हूँ। अभी करीब एक घन्टे में बाजार से लौटुँगा, वो तब तक नाज के साथ बात-चीत करे। वो समझ गई होगी ही कि मेरा क्या इरादा है"।
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dpmangla Offline
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#106
22-04-2017, 06:18 PM
(21-04-2017, 09:18 PM)rajbr1981 : मेरा लंड तो कब से खड़ा हुआ इसी इंतजार में था कि कब मौका मिले कि वो किसी छेद में घुस जाए। विभा मेरे लंड को बिल्कुल तैयार देख कर चहक उठी, "वाह भैया, घुसने के लिए तो बिल्कुल तैयार है... अब चढ जाइए मेरे ऊपर", कहते हुए वो बिल्कुल एक अनुभवी रंडी की तरफ़ सोफ़े पर अधलेटी हो गई। नाज की नजर कभी मेरे तने हुए लन्ड पर होती तो कभी विभा की चमक रही फ़ुली हुई चूत पर। मैंने थोडा सा थुक अपने लन्ड पर लगाया और फ़िर उसको अपनी बहन की चूत की फ़ाँक पर लगा कर भीतर पेल दिया। हल्की सी सीसकी की आवाज विभा की मुँह से निकली और फ़िर वो मजे से आँख बन्द करके मेरे लन्ड के चुदाने लगी। मैं अब अपनी बहन की चूत को मजे लेकर चोदते हुए पास बैठी नाज को देखा।


वो तो जैसे भौंचक हो कर सिर्फ़ चूत में बाहर-भीतर हो रहे मेरे लंड को देख रही थी। उसको ऐसे देखते हुए देख मेरा मजा दोगुणा हो गया। वो जब मुझे ऐसे देखते देखी तो नजर झुका ली और मैं उसके साथ बेशर्मी से बात करने लगा, "देख रही हो नाज, कैसे मैं अपनी बहन को चोद रहा हूँ। ऐसे ही तुम्हारी चूत के भीतर भी लंड चला कर तुमको चोदुँगा। लड़की को चोदने का यह सबसे अच्छा तरीका है। ऐसे ही तुम्हारी चूत को भी अब रोज चोदा जाएगा। देख लो विभा को कितना मजा आ रहा है, वो ऐसे सिसक-सिसक कर चुदवा रही है, वो भी अपने सगे भाई से"। विभा अब आँख खोल कर मुझे देखी और मुस्कुरा दी, "आह.... सच्ची बहुत मजा आता है, पूरे देह में अजीब सी सिहरन होती है जब ठीक से धक्का लगता है। भैया, एक बार पूरा बाहर निकाल कर फ़िर से घुसाइए न... प्लीज"। मैं उसकी बात सुन कर बोला, "अभी लो बहना... तुम जैसे कहोगी वैसे चोदुँगा मेरी जान...." और मैंने अपना लन्ड पूरा बाहर निकाल लिया, ’पक की आवाज हुई जब मेरा लन्ड मेरी बहन की चूत से नाहर निकला। उसकी चूत खुली हुई थी, भीतर से लाल भभुका दिख रही थी और फ़िर मैंने उसकी चूत को प्रेम से चाट लिया, जो अब नमकीन पानी से पूरा गीला हो गया था और फ़िर अपना पूरा ८" लन्ड एक झटके से फ़िर अपनी बहन की चूत में पेल दिया। इसके बाद विभा को खुश करने के लिए ६-७ बार ऐसे ही लन्ड पूरा बाहर खींच कर फ़िर से झटके के साथ भीतर पेला। हर बार लंड के घुसते समय वो मजे से चीखी। फ़िर वो मुझे धक्के लगाने के लिए बोली और मैं अब उसके ऊपर झुक कर उसकी चुदाई करने लगा।


नाज देख रही थी और मैं बोला, "गाँव में तुम देखी हो कभी किसी को चुदाते हुए?" वो नहीं में सिर हिलाई और बोली, "आप सच में इनके भाई हैं?" मैं हँसते हुए कहा, "हाँ... मेरी तीन बहन है, और तीनो मुझसे चुदाती है। क्यों???" वो बोली, "मेरे गाँव में तो अगर कोई किसी की बहन को कुछ बोल दे तो लडाई हो जाता है।" मैं बोला, "बेवकूफ़ भाई सब यही करेगा हीं, इसीलिए सब की बहन छुप कर खेत में जा कर चुदाती है गाँव में और सब समझते हैं कि उनकी बहन सती-सावित्री हैं... बहन को भी आजादी दो और अपने भी मजा करो। जब तक जवानी है तभी तक न कोई लड़की चुदा सकती है। तो यही सोच कर मैं अपनी बहन को आजादी देता हूँ, वो जब चाहे, जिससे चाहे चुदाए। देखी न कैसे मेरी बहन खुद मुझसे बोली कि उसको चोद दूँ। एक बार तुम ही जब मजा ले लोगी तो फ़िर तुम भी मन हो जाने पर रोक नहीं सकोगी अपने को।" विभा अब बोली, "उसको ज्यादा परेशानी थोड़ा न है वो तो रोज अलग-अलग टाईप के लन्ड से चुदा कर सब किस्म का स्वाद लेगी, असल समस्या तो मेरे जैसी घर में रहने वाली लडकी को है। रोज एक ही टाईप का लन्ड ले कर बोर हो जाती हूँ"।

मैं हँसते हुए बोला, "अरे तो तुम भी नाज की तरह रंडी बन जाओ, रोज नया-नया लन्ड मिलेगा तुमको भी"। वो मुझे चिढ़ाते हुए बोली, "अपनी बहन को रंडी बनाओगे, बहनचोद... चल अब पीछे से चोद मुझे"। मैं भी बोला, "बन साली कुतिया अभी पीछे से हरामजादी, मेरी प्यारी बहना" और मैं उसके ऊपर से हट गया तब विभा पलट गई और मैं अब पीछे से उसकी चुदाई करने लगा। और फ़िर अपना रफ़तार बढ़ा कर उसकी चूत में ही झड़ गया। मेरे हटने के बाद विभा सीधा खड़ा होते हुए बोली, "रोज मेरी चूत में निकाल देते हो, कहीं बच्चा तो पैदा करने का इरादा नहीं है मेरी कोख से भैया"। मैंने हँसते हुए कहा, "मेरी इच्छा तो है कि तुम्हारी कोख से अपनी बेटी पैदा करके उसको चोदूँ तुम्हारे साथ एक ही बिस्तर पर..."। इस बार विभा की जगह नाज की आवाज सुनाई दी, "छी:... आप तो मेरे से भी नीच और गंदे हैं"। मैंने हँसते हुए कहा, "अभी जब तुम्हारी चूत फ़ाड़ूँगा तब तुमको पता चलेगा कि मैं कैसा नीच और कमीना हूँ साली कुतिया। मुझे गंदा बोल रही है ति अब सजा तुम्हारी यही है कि तुम मेरे घर पर अब जब तक रहेगी बिल्कुल नंगी रहेगी और मैं सब को तुम्हें दिखा कर चोदुँगा, तुम देखना साली कैसी चुदाई तुम्हारी करता हूँ हरामजादी।" मेरे ऐसे तेवर देख कर वो डर गई और फ़िर चुप हो गई।


विभा अपना चूत का पानी पोछने लगी और मैं अब अपना कपड़ा पहनने लगा। नाज भी अपने कपडे की तरफ़ बढी तो मैंने उसको मना कर दिया और कहा कि वो अब नंगी ही रहेगी लगातार दो दिन। फ़िर मैंने विभा को कहा, "मैं जरा बाजार से आता हूँ, कुछ अगर मँगवाना हो तो बता दो, फ़िर दो जब तक यह रंडी घर पर है, सिर्फ़ इसके साथ पैसा वसूल करना है। कुछ टेबलेट्स और क्रीम लाने जा रहा हूँ ताकि इस बाजारू लौंडिया के बदन को खुब अच्छे से भोग सकूँ"। विभा कुछ सब्जी लाने को बोली और फ़िर नाज को बोली, "चलो तुम भी किचेन में कुछ बात-चीत करते हुए काम निपटा लेंगे"। दोनों नंगी ही किचेन की तरफ़ बढ़ गई और मैं बाहर निकल लगा, पीछे दरवाजा बन्द कर दिया, आखिर मेरे घर में दो जवान लड़कियाँ थी, वो भी दोनों नंगी। मैं बाजार में कुछ सब्जी खरीदने के बाद एक केमिस्ट की दुकान से एक स्ट्रीप (दस गोली) वियाग्रा का देसी संस्करण (कवेट्रा), एक बेसलीन क्रीम का बडा डब्बा और एक मूड्स कंडोम का दस वाला पैक खरीद कर बाहर निकल ही रहा था कि मेरे सलीम चाचा दुकान में आते दिखे। वो अपनी बीपी की दवा खरीदे और फ़िर हम दोनों साथ ही टहलते हुए घर लौटने लगे। रास्ते में मैंने उनको नाज के बारे में बताया, "चाचा, आज एक लौंडिया लाये हैं घर पर, दो दिन के लिए।

आपको उसका स्वाद चखना है?" सलीम चाचा आश्चर्य से पूचे, "अरे... कैसे? घर पर तो विभा भी है न?" मैंने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ है... तो क्या, उसको मेरी तरफ़ से कोई रोक-टोक तो है नहीं, वो भी जानती है। सो आज पहली बार ले आया घर कि वो भी समझ ले कि मेरे बदन की भी कुछ जरुरत है। अगर इस बार वो सब झेल गई तो फ़िर मेरे लिए तो रास्ता साफ़ हो जाएगा। आप कुछ हिम्मत दिखाते नहीं है, जबकि आपके अपने घर में आपकी बेटियाँ हिम्मत जुटा कर मस्ती कर रही हैं। मैंने तो आपको सायरा की चूत की गंध वाली वो पैन्टी दी थी । कभी हिम्मत करके अब सीधे उसकी चूत सुँघिए और कभी मुझे भी सुँघाइए"। वो बेचारे मेरी बात सुन कर सिर्फ़ थुक निगल कर रह गए। मैंने उनको कहा, "अच्छा कम रविवार है, कल सुबह मेरे घर आइएगा ही, तो नाज को चोद लीजिएगा"। वो अब बोले, "विभा क्या सोचेगी"? मैंने उनको हिम्मत दी, "अरे आप विभा की फ़िक्र छोडिए, उसको मैं कह कर आया हूँ कि नाज एक कौल-गर्ल है और उसको मैं दो दिन के लिए घर पर लाया हूँ। अभी करीब एक घन्टे में बाजार से लौटुँगा, वो तब तक नाज के साथ बात-चीत करे। वो समझ गई होगी ही कि मेरा क्या इरादा है"।
 

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#107
24-04-2017, 11:30 PM
मैंने आगे कहा, "कल जब आइएगा तो विभा की वो वाली पैन्टी लेते आइएगा, वो एक दिन खोज रही थी कि सायरा तो उसको लौटा दी थी, फ़िर वो कहाँ चली गई। वो तो सीधे मुझसे ही पूछी कि कहीं मैं तो सायरा की गंध लेने के चक्कर में उस पैन्टी को तो नहीं छुपा रखा है"। सलीम चाचा अब बिल्कुल ही हकल कर बोले, "फ़िर... अब तो विभा सब जान गई होगी"? मैंने कहा, "हाँ, मैंने कह दिया कि सलीम चाचा उस दिन तुम्हारी वो पैन्टी देख कर मुझे बोले कि एक बार वो मैं दिखा दूँ, तो मैंने उनको दे दिया है... वो अभी तक वापस नहीं लाए हैं"। चाचा की तो अब बोलती बन्द.... सिर्फ़ मुझे खड़े हो कर घुरने लने तो मैंने कहा, "अरे ऐसे चकराइए मत... आप का मन तो है न विभा को चोदने का, तो इसी बहाने रास्ता साफ़ हो गया है, अब आप विभा पर लाईन मारिए और मुझे अपनी बेटियों पर लाईन मारने दीजिए"। उनके मुँह से बस यही निकला, "वो मेरे बारे में क्या सोचेगी"?

मैंने कहा, "क्या सोचेगी...? यही कि उस पर अब एक बुढ्ढे का दिल आ गया है, क्या पता कहीं उसका भी मन आपके साथ सोने का हो जाए फ़िर तो आपको मस्ती है..., कल सुबह आप पैन्टी उसको ही दीजिएगा। मैंने आपका रास्ता खोल दिया है, अब बाकी का काम आपको करना है... बस थोडा हिम्मत कीजिए और चोद लीजिए। अभी तो मेरे घर पर ही दो जवान लडकियाँ हैं"। सलीम चाचा बेचारे चुप-चाप सोचते रह गए। हमारा घर आ गया था तो अब हम अपने-अपने घर की तरफ़ बढ़ गए। मैंने अपने घर का दरवाजा अपनी चाभी से खोला और भीतर गया तो दोनों लड़कियाँ आराम से नंगे ही साथ बैठ कर बाते करते हुए सब्जी काट रही थी। मुझे देख कर विभा बोली, "बेचारी बहुत गरीब है भैया। घर पर दो और छोटा भाई है और माँ-बाप हैं नहीं। मौसा-मौसी के साथ सब रहते हैं। इसकी एक और बड़ी बहन थी जिसका मौसा-मौसी एक साल पहले शादी कर दिये पर अब इसको पता चला है कि बीस हजार ले कर वो लोग उसको बेच दिये हरियाणा में कहीं। वो लोग इसका भी सौदा कर लिये थे पैंतीस हजार में, पर वो बोली, "वो घर पर हर महीने पंद्रह हजार भेजेगी, और तब वो लोग उसके भाई को रखने को तैयार हुए हैं। कह रही थी कि आप जो पैसा दिये हैं उसमें से आधा ही इसको मिलेगा। कह रही है कि अगर ऐसे ही सिर्फ़ सप्ताह में एक बार किसी के साथ जा कर काम चल गया तो वो प्राईवेट से इंटर पास करना चाहेगी।" मैंने अब एक बार गौर से नाज को देखा और बोला, "क्या करना है इंटर करके, अगर पैसा कमाना है तो रोज ग्राहक खोजो और खुब पैसा जमा करके अपने भाई को पढ़ा लो, तुम तो चुदवा कर पैसा कमा लोगी अगले १०-२० साल तक, पर तुम्हारे भाई सब को तो चोरी-चकारी ही करना होगा पेट पालने के लिए। पहले आराम से कमा लो दो-तीन साल फ़िर आगे की सोचना। और जब घर ले लो तो भाई को भी पास बुला लेना और फ़िर जो पैसा मौसा-मौसी को देती हो वो भी बच जाएगा।"


वो सिर्फ़ एक छोटा सा "जी" बोली तो मैंने कहा, "चलो भीतर कमरे में अब तुम्हारी सील तोड़ देता हूँ, फ़िर रात में आराम से सेक्स करुँगा। मुझे विभा की चूत में झड़े हुए भी अब घन्टा भर से ऊपर हो गया है तो लम्ड भी खुब मस्त टनटना जाएगा तो सील तोडने में मजा आएगा।" फ़िर मैंने विभा को कहा कि वो नाज को एक गोली कालपोल की खिला दे जिससे उसको दर्द कम महसूस हो और बाद में बुखार जैसी कोई परेशानी भी न हो। विभा से वो गोली ले कर नाज बिना कुछ पूछे खा ली और फ़िर विभा को देखने लगी। दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई थी पिचले एक घन्टे में जो वो आपस में गप-शप कीं तो। विभा बोली, "कुछ नहीं होगा... भैया खुब प्यार से करते हैं। मैं भी पहली बार उनके साथ ही की थी। वो कम से कम दर्द में तुम्हारी सील तोड़ देंगे।" वो यह बात नाज की नंगी पीठ सहलाते हुए कह रही थी और मैं अब अपने कमरे में जा कर अपने कपड़े उतार कर नंगा हो कर उसका इंतजार करने लगा। समय लगते देख मैंने पुकारा, "नाज, आ जाओ अब..., लडकी से औरत बना दूँ तुमको"। तभी विभा के साथ नाज कमरे में आई। मैंने आगे बढ़कर नाज को पकड़ कर बिस्तर पर खींच कर अपने ऊपर गिरा लिया और उसको चुमने लगा। वो भौंचक हो सब झेल रही थी।

मैंने अब खुब आराम से उसके होठों के रस को पीना शुरु कर दिया। कभी चुमता, कभी चुसता तो कभी उसके होठ को अपने होठों से पकड़ कर खींचता। मेरा लन्ड अब कडा हो गया था। नाज की लम्बाई कम थी तो उसकी जाँघ मेरे लन्ड के पास थी और मेरा लन्ड उसकी जाँघों पर ही ठोकर मार रहा था। मैंने अब उसको अपने बदन से नीचे बिस्तर पर लिटा दिया और फ़िर इसकी चूत को सहलाया। उसके चेहरे पर घबडाहट साफ़ दिख रही थी। मैंने उसकी चूत से खेलते हुए अपने हाथ उसकी चूची पर कर के अपने मुँह को उसकी चूत से लगा दिया। झाँटों की वजह से परेशानी हो रही थी पर कुँवारी चूत की खुश्बू लाजवाब थी। मैं अब जोर-जोर से उसकी चूत को चूसने लगा तो वो बोली, "ओह... ऐसे मत कीजिए, प्लीज"। मैं समझ गया कि अब उस पल चुदास चढ़ने लगा लगा है, तो मैं उसके बदन से और मस्त हो कर खेलने लगा और वो भी अब बेकाबू हो कर अपने बदन से सब तरह से सिग्नल देने लगी, जैसे वो अब अपना जाँघ भींच रही थी, तो कभी अपने होठों को दाँतों से दबाती तो कभी-कभी आह्ह्ह्ह निकाल देती। उसका पूरा बदन लाल हो गया था और कुछ गर्म भी हो गया था। तब मैंने उसको अपना लन्ड सहलाने को कहा, वो कुछ खास तो नहीं की पर मुझे उसकी फ़िक्र नहीं थी। मैंने उसको सीधा लिटा दिया और फ़िर उसके ऊपर चढ़ गया। जब मेरा लन्ड उसकी चूत से सामने आया तो उसका चेहरा मेरे सीने में दब गया। दुबली-पतली नाज का पेट तो बिल्कुल सपाट था या कहा जाए तो थोडा भीतर की तरफ़ हीं दबा हुआ था।
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dpmangla Offline
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#108
25-04-2017, 04:56 PM
(24-04-2017, 11:30 PM)rajbr1981 :  मैंने आगे कहा, "कल जब आइएगा तो विभा की वो वाली पैन्टी लेते आइएगा, वो एक दिन खोज रही थी कि सायरा तो उसको लौटा दी थी, फ़िर वो कहाँ चली गई। वो तो सीधे मुझसे ही पूछी कि कहीं मैं तो सायरा की गंध लेने के चक्कर में उस पैन्टी को तो नहीं छुपा रखा है"। सलीम चाचा अब बिल्कुल ही हकल कर बोले, "फ़िर... अब तो विभा सब जान गई होगी"? मैंने कहा, "हाँ, मैंने कह दिया कि सलीम चाचा उस दिन तुम्हारी वो पैन्टी देख कर मुझे बोले कि एक बार वो मैं दिखा दूँ, तो मैंने उनको दे दिया है... वो अभी तक वापस नहीं लाए हैं"। चाचा की तो अब बोलती बन्द.... सिर्फ़ मुझे खड़े हो कर घुरने लने तो मैंने कहा, "अरे ऐसे चकराइए मत... आप का मन तो है न विभा को चोदने का, तो इसी बहाने रास्ता साफ़ हो गया है, अब आप विभा पर लाईन मारिए और मुझे अपनी बेटियों पर लाईन मारने दीजिए"। उनके मुँह से बस यही निकला, "वो मेरे बारे में क्या सोचेगी"?

मैंने कहा, "क्या सोचेगी...? यही कि उस पर अब एक बुढ्ढे का दिल आ गया है, क्या पता कहीं उसका भी मन आपके साथ सोने का हो जाए फ़िर तो आपको मस्ती है..., कल सुबह आप पैन्टी उसको ही दीजिएगा। मैंने आपका रास्ता खोल दिया है, अब बाकी का काम आपको करना है... बस थोडा हिम्मत कीजिए और चोद लीजिए। अभी तो मेरे घर पर ही दो जवान लडकियाँ हैं"। सलीम चाचा बेचारे चुप-चाप सोचते रह गए। हमारा घर आ गया था तो अब हम अपने-अपने घर की तरफ़ बढ़ गए। मैंने अपने घर का दरवाजा अपनी चाभी से खोला और भीतर गया तो दोनों लड़कियाँ आराम से नंगे ही साथ बैठ कर बाते करते हुए सब्जी काट रही थी। मुझे देख कर विभा बोली, "बेचारी बहुत गरीब है भैया। घर पर दो और छोटा भाई है और माँ-बाप हैं नहीं। मौसा-मौसी के साथ सब रहते हैं। इसकी एक और बड़ी बहन थी जिसका मौसा-मौसी एक साल पहले शादी कर दिये पर अब इसको पता चला है कि बीस हजार ले कर वो लोग उसको बेच दिये हरियाणा में कहीं। वो लोग इसका भी सौदा कर लिये थे पैंतीस हजार में, पर वो बोली, "वो घर पर हर महीने पंद्रह हजार भेजेगी, और तब वो लोग उसके भाई को रखने को तैयार हुए हैं। कह रही थी कि आप जो पैसा दिये हैं उसमें से आधा ही इसको मिलेगा। कह रही है कि अगर ऐसे ही सिर्फ़ सप्ताह में एक बार किसी के साथ जा कर काम चल गया तो वो प्राईवेट से इंटर पास करना चाहेगी।" मैंने अब एक बार गौर से नाज को देखा और बोला, "क्या करना है इंटर करके, अगर पैसा कमाना है तो रोज ग्राहक खोजो और खुब पैसा जमा करके अपने भाई को पढ़ा लो, तुम तो चुदवा कर पैसा कमा लोगी अगले १०-२० साल तक, पर तुम्हारे भाई सब को तो चोरी-चकारी ही करना होगा पेट पालने के लिए। पहले आराम से कमा लो दो-तीन साल फ़िर आगे की सोचना। और जब घर ले लो तो भाई को भी पास बुला लेना और फ़िर जो पैसा मौसा-मौसी को देती हो वो भी बच जाएगा।"


वो सिर्फ़ एक छोटा सा "जी" बोली तो मैंने कहा, "चलो भीतर कमरे में अब तुम्हारी सील तोड़ देता हूँ, फ़िर रात में आराम से सेक्स करुँगा। मुझे विभा की चूत में झड़े हुए भी अब घन्टा भर से ऊपर हो गया है तो लम्ड भी खुब मस्त टनटना जाएगा तो सील तोडने में मजा आएगा।" फ़िर मैंने विभा को कहा कि वो नाज को एक गोली कालपोल की खिला दे जिससे उसको दर्द कम महसूस हो और बाद में बुखार जैसी कोई परेशानी भी न हो। विभा से वो गोली ले कर नाज बिना कुछ पूछे खा ली और फ़िर विभा को देखने लगी। दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई थी पिचले एक घन्टे में जो वो आपस में गप-शप कीं तो। विभा बोली, "कुछ नहीं होगा... भैया खुब प्यार से करते हैं। मैं भी पहली बार उनके साथ ही की थी। वो कम से कम दर्द में तुम्हारी सील तोड़ देंगे।" वो यह बात नाज की नंगी पीठ सहलाते हुए कह रही थी और मैं अब अपने कमरे में जा कर अपने कपड़े उतार कर नंगा हो कर उसका इंतजार करने लगा। समय लगते देख मैंने पुकारा, "नाज, आ जाओ अब..., लडकी से औरत बना दूँ तुमको"। तभी विभा के साथ नाज कमरे में आई। मैंने आगे बढ़कर नाज को पकड़ कर बिस्तर पर खींच कर अपने ऊपर गिरा लिया और उसको चुमने लगा। वो भौंचक हो सब झेल रही थी।

मैंने अब खुब आराम से उसके होठों के रस को पीना शुरु कर दिया। कभी चुमता, कभी चुसता तो कभी उसके होठ को अपने होठों से पकड़ कर खींचता। मेरा लन्ड अब कडा हो गया था। नाज की लम्बाई कम थी तो उसकी जाँघ मेरे लन्ड के पास थी और मेरा लन्ड उसकी जाँघों पर ही ठोकर मार रहा था। मैंने अब उसको अपने बदन से नीचे बिस्तर पर लिटा दिया और फ़िर इसकी चूत को सहलाया। उसके चेहरे पर घबडाहट साफ़ दिख रही थी। मैंने उसकी चूत से खेलते हुए अपने हाथ उसकी चूची पर कर के अपने मुँह को उसकी चूत से लगा दिया। झाँटों की वजह से परेशानी हो रही थी पर कुँवारी चूत की खुश्बू लाजवाब थी। मैं अब जोर-जोर से उसकी चूत को चूसने लगा तो वो बोली, "ओह... ऐसे मत कीजिए, प्लीज"। मैं समझ गया कि अब उस पल चुदास चढ़ने लगा लगा है, तो मैं उसके बदन से और मस्त हो कर खेलने लगा और वो भी अब बेकाबू हो कर अपने बदन से सब तरह से सिग्नल देने लगी, जैसे वो अब अपना जाँघ भींच रही थी, तो कभी अपने होठों को दाँतों से दबाती तो कभी-कभी आह्ह्ह्ह निकाल देती। उसका पूरा बदन लाल हो गया था और कुछ गर्म भी हो गया था। तब मैंने उसको अपना लन्ड सहलाने को कहा, वो कुछ खास तो नहीं की पर मुझे उसकी फ़िक्र नहीं थी। मैंने उसको सीधा लिटा दिया और फ़िर उसके ऊपर चढ़ गया। जब मेरा लन्ड उसकी चूत से सामने आया तो उसका चेहरा मेरे सीने में दब गया। दुबली-पतली नाज का पेट तो बिल्कुल सपाट था या कहा जाए तो थोडा भीतर की तरफ़ हीं दबा हुआ था।
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rajbr1981 Offline
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#109
26-04-2017, 11:32 PM
मैंने अब उसके हाथों को उसके सर के ऊपर कर दिया और फ़िर उसकी काँख को चाटा। काँख के बालों ने उसके बदन की गंध को खुब पकड़ कर रखा था। उसको उम्मीद नहीं थी इस बात की तो उसको गुद्गुदी से हँसी निकल गयी और उसके ऐसे जोर से हिलने से मेरा लन्ड अब खिसक गया। मैंने फ़िर से उस रंडी को पकड़ कर अपने नीचे सही तरीके से लिटा लिया और फ़िर अपने उपर के बदन से उसके कंधे और चेहरे को थोडा दबोच लिया। इसके बाद अपने एक हाथ से अपना लन्ड उसकी चूत की मुँह पर लगा कर हल्के-हल्के से रगडते हुए भीतर दबाने लगा। जब करीब २" लन्ड भीतर गया तो वो दर्द से थोड़ा छटपटाई तो मैंने अपना दवाब कम कर दिया। वो जब फ़िर से शान्त हो गई तो फ़िर से हल्के-हल्के दबाना शुरु किया। वो फ़िर से छटपटाई तो मैं फ़िर रुक गया। चार-पाँच बार ऐसे ही खेलने के बाद, मैंने उसको कहा की वो मेरे सीने को चुमे और जब वो चुमने लगी तो मैंने अपने ऊपर के बदन से उसके चेहरे को दबा दिया और फ़िर एक जोरदार झटका अपनी कमर को दिया जिससे मेरा लन्ड करीब पाँच इंच भीतर घुस गया। दर्द से वो बिलबिला गई और जोर से चीखी, पर मैंने अपने सीने से उसके चेहरे को ऐसा दबा दिया था कि उसकी आवाज भी न निकल सकी और न ही वो सही से साँस ले पा रही थी। विभा मुझे ऐसे बेदर्दी की तरह से उसमें घुसते देख कर बोली, "बेचारी.... भैया प्लीज उसको थोडा धीरे कीजिए न।"


विभा की आँख में उस लड़की का दर्द देख कर आँसू आ गए थे। मैंने अपना सीना अब थोडा उपर कर लिया तो वो एक गहरा साँस खींची और सिसक-सिसक कर रोने लगी। मैंने अब उसके चेहरे को देखा और फ़िर अपने लन्ड को उसकी चूत से बाहर खींचने लगा तो उसको दर्द भी थोड़ा कम होने लगा और वो अब चेहरा घुमा कर विभा की तरफ़ देखी। मेरा लन्ड जब करीब दो इंच भीतर बचा तो मैंने एक बार फ़िर पहले वाले से भी जोर का झतका अपनी कमर को दिया और अपना करीब-करीब पूरा लन्ड उस लौंडिया की चूत में घुसा दिया। वो अब खुब जोर से चीखी, "ओह... माँआआअ.... मर गई रे, बाप"। मैं अब अपने घुटनो पर बैठ कर उसके चेहरे को देख रहा था जिस पर सिर्फ़ और सिर्फ़ दर्द दिख रहा था। वो थी करीब ४ फ़ीट १० इंच की और मैं करीब ६ फ़ीट का, तो मेरा लन्ड उसके गर्भाशय को पूरा दबा के रखे हुए था और वो बेचारी सही से साँस भी नहीं ले पा रही थी। दर्द से छटपटा रही थी, पर मैंने घुटने पर बैठते हुए उसकी पतली कमर को पकड़ कर उसको इस तर्ह से दबोच लिया था को वो अपनी चूत को जरा भी नहीं हिला पा रही थी, वैसे भी मेरा लन्ड उसकी चूत में बहुत गहरे तक घुसा हुआ था। मैंने अब उसको समझाते हुए कहा, "देखो नाज, अब जो दर्द होना था हो गया है, अब दर्द नहीं होगा तुमको। वैसे भी जब बाजार में पैसा ले कर चुदाने आई हो तो लोग तो तुम्हारे चूत से ही पैसा वसूल करेंगे न। अब इस सब की आदत डाल लो। अब आराम से लेट कर मजा लो और मुझे तुम्हारी चूत को चोद कर सही से रास्ता बनाने दो।" यह कह कर के मैंने अपने को फ़िर से थोडा आगे झुकाया और फ़िर अपने लन्ड को भीतर-बाहर चलाते हुए चोदने लगा।


वो रोती रही पर एक रंडी की आँख के आँसू की क्या कीमत। बेचारी रोती रही और मैं उसकी चूत को चोदता रहा। अब मैं उसकी चूचियों को मसलते हुए उसको चोद रहा था और वो जब जोर से मैं उसकी चूची दबाता तो चीख पडती। विभा मुझे थोड़ा दया दिखाने का इशारा कर रही थी पर आज बहुत दिन बाद मुझे मौका मिला था कि लडकी के बदन को अच्छी तरह से मसलने का, सो मौका मैं खोना नहीं चाहता था। पिछले कुछ समय से तो सिर्फ़ बहनों को ही चोद रहा था तो उनके साथ तो मैं ऐसा कुछ कर नहीं पाता था। लड़की की चीख सुन कर मुझे एक अलग ही मजा आ रहा था। पर इस मजा के चक्कर में कब मेरा लन्ड उसकी चूत में हीं झड गया और मुझे पता नहीं चला। वो ही अब रोते हुए बोली, "हाय माँ... अब मेरा बच्चा हो जाएगा तो मैं कहाँ जाऊँगी...।" यह सुन कर मुझे होश आया कि वो अब मेरे लन्ड के रस को अपने भीतर से बाहर नहा रही है। तब मैं भी अपना लन्ड बाहर खींच लिया और उसकी चूत से जब मेरा लन्ड निकला तो एक जोर की "पक" की आवाज आई। मैंने अब उसकी चूत में अपनी दो उँगली घुसा दी और जोर-जोर से हिलाते हुए उसकी चूत से सब रस बाहर खींच कर बिस्तर पर गिरा दिया। चादर पर अब एक बडा सा लाल, भूरा गीला धब्बा बन गया था। मैंने विभा को कहा, "चलो विभा अब तुम भी चलो और इसको रोने दो आराम से"। मैंने विभा का हाथ पकड़ कर कमरे से बाहर ला कर उसको कहा कि वो चाय बना कर उसको दे आए। विभा बोली, "पहले कपडा पहनने दीजिए, फ़िर चाय बना देती हूँ... आप भी चाय पीजिएगा?" मैंने हाँ कहा और फ़िर तौलिया ले कर नहाने चला गया।


सब एक साथ ही चाय पिए और फ़िर विभा खाना बनाने चली गई और नाज बिस्तर पर सिकुड कर बैठ गई। वो अभी भी नंगी ही थी। मैंने अब उसको नहा कर अपना बदन साफ़ करने को बोला और कहा कि आज रात को मैं उसको फ़िर से चोदुँगा तो बेचारी सहम गई। मैंने उसको समझाया कि अब उसको परेशानी नहीं होगी, "देखी थी ना विभा को चुदाते समय कुछ दर्द हुआ था, बस पहली बार ही दर्द होता है... तुम अब बिना दर्द के जब भी चाहो चुद सकती हो"। वो मेरी बात सुन कर चुप-चाप बाथरूम की तरफ़ चल पडी। रात में मैंने उसको एक बार और चोदा और इस बार उसको ज्यादा परेशानी नहीं हुई पर फ़िर भी वो जैसे थक कर निढ़ाल हुई जा रही थी। फ़िर यह सुन कर कि अभी मेरा मन नहीं भरा है वो अब बहुत कातर स्वर में बोली, "अब छोड़ दीजिए न सर, अब थकान से लग रहा है कि मर जाउँगी"। मुझे उस पर दया आ गई तो मैंने कहा, "ठीक है पर कल तुम्हारी नहीं चलेगी और तुमको लगातार चुदना होगा जैसे मैं चाहूँ, समझ रही हो।


अभी तो तुम्हारी गाँड़ भी मारना है मुझे... विभा गाँड मरवाती नहीं है, तो रंडी की ही गांड मार कर संतोष करना होगा ना"। वो फ़िर बोली, "ठीक है.... कल आप जो कहे जैसे कहे करवा लूँगी, पर अब प्लीज मुझे सोने दीजिए"। उसकी मजबूरी देख कर मैंने उसको विभा के साथ सोने भेज दिया और कहा कि कल सुबह उठते ही उसको मेरे पास आ जाना है मैं उसको चोदने के बाद ही बिस्तर से निकलुँगा। मैं खुद भी अपना ताकत कल के लिए बचा के रखना चाहता था, क्योंकि रविवार को पूरा दिन और पूरी रात मेरी थी। मैं सोने के लिए बिस्तर पर चल दिया कि तभी प्रभा का फ़ोन आ गया। इधर-ऊधर की बातों के बाद वो बताई कि इस सप्ताहान्त में वो और उसका पति एक न्युडिस्ट कल्ब में बीताने वाले हैं और उसने अपना नाम भी उन लडकियों में लिखवा दिया है जो वहाँ स्वैपिंग गेम में हिस्सा लेगी। उस क्लब में दोपहर में लौटरी निकाल कर जोड़ों को बदल दिया जाता था और फ़िर दो घन्टे सब मर्द अपनी लड़की को छोड कर किसी और के साथ रहते थे और रात में रोज देर रात तक और्जी पार्टी होती थी जिसमें एक बड़े से हौल में सब जोडे इकट्ठा हो कर आपस में सेक्स करते थे।
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27-04-2017, 05:41 AM
Nice update.
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