(18-09-2015, 07:40 PM)deshpremi : दीपाली घर गई तब उसकी माँ किसी काम से बाहर गई हुई थी। चुदाई के कारण उसको बड़ी जोरों की भूख लगी थी, उसने खाना खाया और सो गई। ऐसी गहरी नींद ने उसे जकड़ लिया कि बस क्या कहने.. शाम को 6 बजे उसकी माँ ने उसे जगाया.. तब वो उठी… वो फ्रेश होकर अनुजा के घर की ओर चल दी… थोड़ी देर में जब वो वहाँ गई.. तो दरवाजा खुला हुआ था। वो चुपचाप मन ही मन बड़बड़ाती हुई अन्दर गई…
दीपाली- दरवाजा खुला है.. दीदी को डराती हूँ।
अनुजा बिस्तर पर बैठी कुछ सोच रही थी कि अचानक दीपाली ने ‘भों’ करके उसे डरा दिया।
अनुजा- दीपाली की बच्ची.. डरा दिया.. तेरा क्या मेरी जान लेने का इरादा है।
दीपाली- अरे नहीं दीदी.. आपकी जान ले कर मुझे क्या फायदा.. सर तो वैसे ही मेरे हैं.. हा हा हा…
अनुजा- अच्छा अब हँसना बन्द कर.. ये बता कहाँ थी सुबह से.. तेरा कोई ठिकाना भी है क्या?
दीपाली- दीदी, चुदाई की दुनिया में थी.. आज बड़ा मज़ा आया.. तीन लौड़ों से चुदने का मज़ा ही कुछ और होता है.. कसम से आप भी होती ना तो मज़ा आ जाता…
अनुजा- अच्छा, ठीक से बता ना यार क्या हुआ? उन लड़कों की तो आज बल्ले-बल्ले हो गई होगी.. विस्तार से पूरी बात बता. मज़ा आएगा…
दीपाली ने कल से ले कर आज तक की सारी बात अनुजा को बता दी.. जिसे सुन कर अनुजा की हालत खराब हो गई, उसकी चूत एकदम पानी-पानी हो गई और आँखे फटी की फटी रह गईं।
अनुजा- ओह माँ.. तू लड़की है या कोई तूफान है.. कैसे सह लिया इतना सब कुछ.. यार तू तो सच में रंडी बन गई है…
दीपाली- हाँ दीदी.. बन गई रंडी और रंडी बनने में मज़ा बहुत आया.. तीन लौड़े एक साथ लेने का मज़ा ही कुछ और होता है.. आप ट्राई करोगी क्या?
अनुजा- नहीं दीपाली.. मैं बस विकास के साथ करूँगी.. किसी और के बारे में सोचूँगी भी नहीं.. और प्लीज़ तुम भी ये सब भूल जाओ.. मैंने तुम्हें चुदाई का ज्ञान देकर बहुत बड़ी ग़लती कर दी.. तुम तो अपनी लाइफ बर्बाद करने पर तुली हुई हो.. एकदम छोड़ दो ये सब.. वरना जीवन में आगे चल कर कोई तुम्हें देखना भी पसन्द नहीं करेगा.. आज तुम जवान हो.. खूबसूरत हो.. कमसिन हो.. तो लड़के लट्टू बन कर तुम्हारे आगे-पीछे घूम रहे हैं. मगर ये जवानी हमेशा नहीं रहेगी.. पढ़ाई पर ध्यान दो अब.. और सॉरी जो मैंने तुम्हें इस दलदल में धकेला…
दीपाली- अरे दीदी, आज ये आप कैसी बातें कर रही हो और ‘सॉरी’ क्यों? और हाँ आपने ही तो कहा था.. कभी सुधीर के साथ ट्राइ करोगी.. तो उन लड़कों में क्या बुराई है.. और वहाँ अपनी सहेली के यहाँ भी तो आप बड़े लौड़े से चुदने की बात कर रही थीं.. वो क्या था?
अनुजा- तुझे कैसे पता ये बात? तुम्हें तो मैंने कुछ बताया ही नहीं?
दीपाली ने उस दिन की सारी बात अनुजा को बताई.. यह सुन कर वो भौंचक्की रह गई…
अनुजा- ओह माँ.. तू लड़की है या जासूस.. मेरा पीछा किया तूने.. मेरी बहना, वो मेरी सहेली है.. और दोस्तों में ऐसी बातें होती रहती हैं। इसका ये मतलब नहीं कि मैं अपने पति के अलावा किसी से भी चुदवा लूँ.. मेरा पति मेरे लिए भगवान् है।
दीपाली- अच्छा, भगवान हैं तो भी आपने उनको मेरे साथ सुला दिया.. ऐसा क्यों? आप किसी के साथ नहीं कर सकतीं और वो किसी से भी कर ले तो आपको कोई फ़र्क नहीं पड़ता। ये क्या बात हुई?
अनुजा- मेरी बहन, फ़र्क पड़ता है.. बहुत फ़र्क पड़ता है.. दिल भी दु:खता है.. मगर मेरी मजबूरी ने मुझे ये सब करने पर मजबूर कर दिया था।
अनुजा- दीपाली, तुम नहीं जानती.. मैं विकास को दिल ओ जान से चाहती हूँ. उनको बच्चों से बहुत लगाव है.. मगर हमारी शादी को इतने साल हो गए.. अब तक बच्चा नहीं हुआ.. कारण विकास को मालूम नहीं है.. वो यही समझते हैं कि मैं अभी गोली लेती हूँ.. बच्चा नहीं चाहती हूँ. अभी मज़ा लेने के दिन हैं.. बाद में कर लेंगे.. ऐसा कह कर मैं उन्हें टाल देती हूँ। मगर हक़ीकत यह है कि मैं कभी माँ नहीं बन सकती हूँ. शादी के कुछ महीनों बाद मैंने चेकअप करवाया तब यह बात पता चली.. उस दिन से ये डर मुझे खाए जा रहा था कि कहीं विकास मुझे छोड़ ना दे। बस मुझे भगवान ने मौका दिया.. तुम आईं तब मैंने सोचा कि मर्द क्या चाहता है.. किसी कमसिन कली को चोदना. अगर मैं विकास को ये मौका दे दूँ तो वो कभी मुझ से दूर नहीं होगा और मैंने अपने स्वार्थ में तुमको रंडी बना दिया.. सॉरी बहन, सॉरी.
दीपाली- अरे नहीं.. नहीं.. दीदी आप क्यों ‘सॉरी’ बोल रही हो.. ग़लती मेरी भी है. मुझे भी चुदाई में मज़ा आने लगा था। आपने तो बस सर से ही चुदवाया मुझे.. मगर मैंने तो ना जाने किस-किस से चुदाई करवा ली… मुझे आपके बर्ताव से शक तो हुआ था मगर मैं समझ नहीं पाई थी। अब मुझे अहसास हो रहा है कि आपको कितनी तकलीफ़ हुई होगी. सॉरी, दीदी.
ये दोनों बातों में इतनी मग्न थीं कि कब विकास अन्दर आया इनको पता भी नहीं चला। विकास ने इनकी सारी बातें सुन ली थीं. जब उसने ताली बजाई तब दोनों चौंक गईं।
विकास- वाह अनुजा वाह, मेरे प्यार का क्या इनाम दिया तुमने! वाह…
अनुजा- आ.. आप कब आए…
विकास- जब मेरा प्यार एक गाली बन कर रह गया तब मैं आया.. जब मेरी अपनी बीवी बेवफा हो गई तब मैं आया.. जब एक मासूम सी लड़की रंडी बन गई तब मैं आया…
अनुजा- सॉरी विकास! प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. मैंने तुम्हें धोखा दिया है…
दीपाली- सॉरी सर, माफ़ कर दो ना दीदी को. प्लीज़…
विकास- चुप रहो तुम.. और अनुजा तुमने मुझे इतना घटिया इंसान कैसे समझ लिया कि एक बच्चे के लिए मैं तुम्हें अपने से दूर कर दूँगा.. छी: छी: इतना नीचे गिरा दिया तुमने मुझे.. और मुझसे ऐसा पाप करवा दिया जिसका मैं शायद प्रायश्चित कभी भी ना कर पाऊँ।
अनुजा- सॉरी विकास. प्लीज़ सॉरी..
(दोस्तो, विकास ने अनुजा को सीने से लगा लिया और उसे माफ़ कर दिया। दीपाली से भी उसने माफी माँगी कि अनुजा ने उसे कहा और वो बहक गया। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। दीपाली को भी उसने समझाया कि इन सब कामों में अपनी लाइफ खराब मत करो।)
दीपाली- थैंक्स सर, मैं कोशिश करूँगी मगर आप भी दीदी को कभी तकलीफ़ नहीं दोगे.. आप वादा करो…
विकास ने उससे वादा किया और आज के बाद अनुजा के अलावा किसी को देखेगा भी नहीं उसने ऐसी कसम खाई।
अब सब ठीक हो गया था। दीपाली वहाँ से चली गई।
दूसरे दिन इम्तिहान शुरू हो गए तो सब अपनी-अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गए.. इम्तिहान का टेन्शन ही ऐसा था। हाँ.. दीपक को मौका मिलता तो वो प्रिया के साथ अपनी हवस पूरी कर लेता था।
इम्तिहान के दौरान तीनों दोस्तों ने बहुत कोशिश की कि दीपाली के साथ चुदाई करें मगर दीपाली ने उनसे किसी ना किसी बात का बहाना बना दिया। इम्तिहान ख़त्म होने के बाद एक बार विकास और प्रिया का आमना-सामना हो गया।
तब विकास ने उसे कहा- उस दिन जो भी हुआ उसे भूल जाओ.. किसी को कुछ मत कहना.. दीपाली को भी नहीं। प्रिया अच्छी लड़की थी. वो खुद ऐसा नहीं चाहती थी. तो ये बात भी राज की राज रह गई।
अब तो दीपाली को विकास ने अपने घर आने से भी मना कर दिया. उसका कहना था कि हम दूर रहेंगे तभी पुरानी बातें भूल पाएँगे। अब दीपाली का मन इस शहर से ऊब गया। उसने अपने पापा से बात कर के दूसरे शहर में कॉलेज में एडमिशन ले लिया. उसने पुरानी यादें भुला कर अपनी ज़िन्दगी को एक नई और नेक दिशा देने का संकल्प कर लिया।
अधेड़ सुधीर और उस अंधे भिखारी को कभी पता नहीं चला कि दीपाली नाम की कमसिन कली आख़िर कहाँ गायब हो गई।
समाप्त
पुनश्चः इस कहानी में कहीं-कहीं मैंने मामूली परिवर्तन किये हैं। अगर पिंकी जी ने यह कहानी यहाँ पढ़ी तो उम्मीद है कि वे बुरा नहीं मानेंगी।