• HOME
  • AWARDS
  • Search
  • Help
Current time: 29-07-2018, 11:16 PM
Hello There, Guest! ( Login — Register )
› XXX STORIES › Hindi Sex Stories v
« Previous 1 ..... 5 6 7 8 9 10 11 ..... 61 Next »

Desi विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक

Verify your Membership Click Here

Pages ( 11 ): 1 2 3 4 5 6 ..... 11 Next »
Jump to page 
Thread Modes
Desi विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक
deshpremi Offline
Soldier Bee
**
Joined: 04 Jan 2015
Reputation: 2,685


Posts: 580
Threads: 6

Likes Got: 53
Likes Given: 25


db Rs: Rs 149.48
#1
13-07-2015, 06:15 PM (This post was last modified: 13-07-2015, 10:30 PM by rajbr1981.)
(नोट - दोस्तों, आप यह कहानी रोमन लिपि में तो पढ़ ही रहे होंगे. "Vigyan Ke Gyan Se Chudai Ka Gyan posted by thewall81317" यहाँ इसे देवनागरी लिपि में पढ़िए. हाँ, यह कहानी मैंने नहीं लिखी है. इसकी लेखिका पिंकी सेन हैं.)

सर- दीपाली ये क्या है? इस बार भी फेल.. आख़िर तुम करती क्या हो..? पढ़ाई में तुम्हारा ध्यान क्यों नहीं लगता। जब स्कूल-टेस्ट में ये हाल है तो बोर्ड के इम्तिहान में क्या खाक लिखोगी?

ये सर हैं विकास वर्मा जिनकी उम्र 35 साल है और ये साइन्स के टीचर हैं.. थोड़े कड़क मिज़ाज के हैं। इनका कद और जिस्म की बनावट अच्छी है.. और एकदम फिट रहते हैं।

दीपाली- सॉरी सर प्लीज़.. मुझे माफ़ कर दो.. अबकी बार अच्छे नम्बर लाऊँगी.. प्लीज़ प्लीज़…

दोस्तो, यह है दीपाली सिंह.. अच्छे ख़ासे पैसे वाले घर की एक मदमस्त यौवन की मालकिन.. जिसकी उम्र 18 साल, कद 5’3″.. छोटे सुनहरे बाल.. गुलाब की पंखुड़ी जैसे पतले गुलाबी होंठ.. भरे हुए गोरे गाल.. नुकीले 30″ के मम्मे.. पतली कमर और 32″ की मदमस्त गाण्ड।

स्कूल में कई लड़के दीपाली पर अपना जाल फेंक रहे हैं कि काश एक बार उसकी मचलती जवानी का मज़ा लूट सकें..

मगर वो तो तितली की तरह उड़ती फिरती थी। कभी किसी के हाथ ना आई !

और हाँ आपको यह भी बता दूँ कि गंदी बातों से दूर-दूर तक उसका वास्ता नहीं था। वो शरारती थी.. मगर शरीफ़ भी थी। उसको चुदाई वगैरह का कोई ज्ञान नहीं था।

सर- नो.. अबकी बार तुम्हारी बातों में नहीं आऊँगा.. कल तुम अपने मम्मी-पापा को यहाँ लेकर आओ.. बस अब उनसे ही बात करूँगा कि आख़िर वो तुम पर ध्यान क्यों नहीं देते।

दीपाली- सर आप मेरी बात तो सुनिए.. बस साइन्स में मेरे नम्बर कम आए हैं और बाकी सब विषयों में मेरे अच्छे नम्बर आए हैं।

सर- जानता हूँ इसी लिए तो हर बार तुम्हारी बातों में आ जाता हूँ.. तुम बहुत अच्छी लड़की हो.. सब विषयों में अच्छे नम्बर लाती हो.. मगर ना जाने विज्ञान में तुम पीछे क्यों रह गई.. आज तो मुझे बता ही दो आख़िर बात क्या है?

दीपाली- व..वो.. सर आप तो जानते ही हो.. मैं रट्टा नहीं मारती.. सारे विषयों को समझ कर याद करती हूँ.. विज्ञान का पता ही नहीं चलता क्या लिखा है… क्यों होता है.. बस इसी उलझन में रहती हूँ तो ये सब हो जाता है और नम्बर कम आ जाते हैं।

सर- क्या.. अरे तुम क्या बोल रही हो..? मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा ठीक से बताओ मुझे।

दीपाली- वो.. वो.. सर मानव अंगों के बारे में मेरी सहेलियाँ पता नहीं क्या-क्या बोलती रहती हैं.. बड़ा गंदा सा बोलती हैं.. म…म..मुझे अच्छा नहीं लगता.. बस इसलिए मैं विज्ञान में इतनी रूचि नहीं लेती हूँ।

दीपाली की बात सुनकर विकास सर के होंठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई।

सर- अच्छा तो ये बात है.. ऐसा करो शाम को तुम किताब लेकर मेरे घर आना.. वहाँ बताना ठीक से.. अभी मेरा क्लास लेने का वक्त हो रहा है.. देखो आ जाना नहीं तो कल तुम्हारे पापा से मुझे मिलना ही होगा।

दीपाली तो फँस गई थी.. अब विकास शाम को उसका फायदा उठाएगा.. आप यही सोच रहे हो ना..

मेरे प्यारे दोस्तों देश बदल रहा है.. सोच बदलो.. खुद देख लो।

शाम को 6 बजे दीपाली विकास सर के घर पहुँच जाती है।

सर- अरे आओ आओ.. दीपाली बैठो.. अरे अनु ज़रा यहा आना.. देखो दीपाली आई है, मैंने बताया था ना तुमको…

अनुजा- जी अभी आई।

दोस्तो, यह है अनुजा वर्मा.. यह विकास सर की पत्नी है, दिखने में बड़ी खूबसूरत है, इसका फिगर 34″ 32″36″ है। इनकी शादी को 3 साल हो गए हैं। दोनों बेहद खुश रहते हैं।

अरे यार आप अनुजा को भूल गए.. हाँ भाई ये वही अनुजा गुप्ता और विकास हैं.. जो पहले लवर थे, अब इनकी शादी हो गई है और अनुजा गुप्ता से वर्मा बन गई है.. चलो अब आगे का हाल देखते हैं।

अनुजा- हाय दीपाली कैसी हो?

दीपाली- मैं एकदम ठीक हूँ मैम!

सर- दीपाली, ये है मेरी पत्नी अनुजा.. सुबह तुमने अपनी प्राब्लम मुझे बताई थी ना.. मैंने अनु को सब बताया है.. अब मैं नहीं ये ही तुम्हारी मदद करेंगी। चलो तुम दोनों बातें करो मैं थोड़ी देर में बाहर जाकर आता हूँ ओके..।

दीपाली- ओके सर थैंक्स।

अनुजा- हाँ तो दीपाली.. अब बताओ तुम्हारी प्राब्लम क्या है और देखो किसी भी तरह की झिझक मत रखना.. सब ठीक से बताओ ओके..

दीपाली- ओके मैम बताती हूँ।

अनुजा- अरे ये मैम-मैम क्या लगा रखा है मुझे दीदी भी बोल सकती हो.. अब बताओ तुम्हारी सहेलियाँ क्या बोलती हैं?

दीपाली- व..ववो दीदी… मैंने उनसे एक बार पूछा ये योनि और लिंग किसे कहते हैं तब उन्होंने मेरा बड़ा मज़ाक उड़ाया और मेरे यहाँ हाथ लगा कर कहा.. इसे योनि कहते हैं और इसकी ठुकाई करने वाले डंडे को लिंग कहते हैं।

दीपाली ने अपना हाथ चूत पर रखते हुए यह बात बोली तो अनुजा की हँसी निकल गई।

दीपाली- दीदी आप भी ना मेरा मज़ाक उड़ा रही हो.. जाओ मैं आपसे बात नहीं करती। इसी लिए मैं किसी से इस बारे में बात नहीं करती हूँ।

अनुजा- अरे तू तो बुरा मान गई.. देख मेरा इरादा तेरा मजाक उड़ाने का नहीं था.. बस ये सोच कर हँसी आ गई कि तुम किस दुनिया से आई हो जो इतनी भोली हो.. अब सुनो मैं जो पूछू उसका सही जबाव देना और जो बोलूँ उसको ध्यान से सुनना।

दीपाली- ठीक है दीदी आप कहो।

अनुजा- सबसे पहले यह बता कि तेरी उम्र क्या है.. और तुम्हारे घर में कौन-कौन है.. तुम सोती किसके साथ हो?

दीपाली- दीदी मैं 18 की हूँ.. मैं पापा-मम्मी की इकलौती बेटी हूँ.. हमारा घर काफ़ी बड़ा है। मैं करीब 6 साल से अलग कमरे में सोती हूँ.. नहीं तो पहले मम्मी के कमरे में ही सोती थी।

अनुजा- अच्छा यह बात है.. तुम सेक्स के बारे में क्या जानती हो.. किसी से कुछ सुना होगा… वो बताओ।

दीपाली- ये सेक्स क्या होता है दीदी.. मुझे नहीं पता.. हाँ मेरी सहेलियाँ अक्सर बातें करती हैं.. बस उनसे मैंने सुना था कि लड़कों का पोपट होता है.. और लड़की का पिंजरा.. मगर मेरे कभी कुछ समझ नहीं आया।

अनुजा- ओह ये बात है.. तेरी सहेलियाँ कोडवर्ड में बातें करती हैं और तुम सच में बहुत भोली हो। अच्छा ये बताओ क्या कभी किसी ने तुम्हारे सीने पर हाथ रखा है या इनको छुआ या दबाया है..? तुमने किसी लड़के को पेशाब करते देखा है?

दीपाली- छी छी.. दीदी आप भी ना.. मैं क्यों किसी को पेशाब करते देखूँगी और आज तक किसी ने मुझे नहीं छुआ है।

अनुजा- अच्छा ये बात है.. तभी तुम ऐसी हो.. अब अपने अंगों के नाम बताओ.. मैं भी तो देखूँ तुम क्या जानती हो।

अनुजा ने दीपाली के गुप्तांगों के नाम उससे पूछे।

दीपाली- दीदी ये सीना है.. ये फुननी है और ये पिछवाड़ा बस।

अनुजा- अरे भोली बहना.. अब सुन ये सीना को मम्मों.. चूचे या कच्ची लड़की के अमरूद भी बोलते हैं और इसको चूत या बुर बोलते हैं समझी और ये पिछवाड़ा नहीं.. एस या गाण्ड है.. जिसको मटका-मटका कर तुम चलती हो और लड़कों के लौड़े खड़े हो जाते हैं।

अनुजा बोलने के साथ दीपाली के अंगों पर हाथ घुमा-घुमा कर मज़े ले रही थी। दीपाली को बड़ा अजीब लग रहा था मगर उसको मज़ा भी आ रहा था।

दीपाली- उफ़फ्फ़ आह दीदी ये लौड़ा क्या होता है?

अनुजा- अरे पगली दुनिया की सबसे अच्छी चीज़ के बारे में नहीं जानती..? लड़कों की फुननी को लौड़ा बोलते है जो चूत के लिए बना है.. बड़ा ही सुकून मिलता है लौड़े से।

दीपाली- दीदी कसम से.. मुझे इन सब बातों के बारे में कुछ भी पता नहीं था.. थैंक्स आपने मुझे बताया.. मगर मेरी एक बात नहीं समझ आ रही इन सब बातों का मेरे इम्तिहान में फेल होने से क्या सम्बन्ध?

अनुजा- अरे दीपाली.. तू सब विषयों में अच्छी है क्योंकि तुझे उन सबकी समझ है.. मगर विज्ञान में तू अनजान है क्योंकि तुझे कुछ पता नहीं.. ये चूत.. लौड़ा और चुदाई सब विज्ञान का ही तो हिस्सा हैं। अब देख मैं कैसे तुझे सेक्स का ज्ञान देती हूँ और देखना अबकी बार कैसे तेरे नम्बर अच्छे आते हैं.. बस तू मेरी बात मानती रहना, जैसा मैं कहूँ वैसा करती रहना।

दीपाली- ओके दीदी.. मैं आपकी सब बात मानूँगी.. बस मेरे नम्बर अच्छे आने चाहिए।

अनुजा ने आधा घंटा तक दीपाली को लड़की और लड़के के बारे में बताया और उसको जाते समय एक सेक्स की कहानी वाली किताब भी दी।

दीपाली- दीदी ये क्या है?

अनुजा- ये असली विज्ञान है.. रात को अपने कमरे में कुण्डी लगा कर सारे कपड़े निकाल कर इस किताब को पढ़ना.. और कल शाम को आ जाना.. बाकी सब कल समझा दूँगी।

दीपाली- सारे कपड़े निकाल कर.. नहीं दीदी मुझे शर्म आ रही है।

अनुजा- अरे पगली मैं किसी के सामने नंगी होने को नहीं बोल रही हूँ.. अकेले में ये करना है और नहाते वक्त क्या कपड़े पहन कर नहाती हो जो इतना शर्मा रही हो..? पास नहीं होना है क्या..?

दीपाली- सॉरी दीदी.. जैसा आपने कहा, वैसा कर लूँगी।


दीपाली वहाँ से अपने घर चली जाती है।

रात को 10 बजे खाना खाकर दीपाली अपने कमरे में चली जाती है।

उसने हल्के हरे रंग की नाईटी पहनी हुई थी..
वो शीशे के सामने खड़ी होकर अपने आपको देखने लगती है। उसके दिमाग़ में अनुजा की कही बातें घूम रही थीं।

दीपाली ने अपनी नाईटी निकाल कर रख दी अब वो ब्रा-पैन्टी में थी.. उसके चूचे ब्रा से बाहर निकलने को मचल रहे थे।

गोरा बदन शीशे के सामने था.. जिसे देखकर शीशा भी शर्मा रहा था।

पैन्टी पर चूत की जगह गीली हो रही थी.. शायद दीपाली कुछ ज़्यादा ही अनुजा की बातें सोच रही थी।

दोस्तो, इस बेदाग जिस्म पर काली ब्रा-पैन्टी भी क्या सितम ढा रही थी।

इस वक़्त कोई ये नजारा देख ले तो उसका लौड़ा पानी छोड़ दे।

क्रमशः
 •
      Find
Reply


deshpremi Offline
Soldier Bee
**
Joined: 04 Jan 2015
Reputation: 2,685


Posts: 580
Threads: 6

Likes Got: 53
Likes Given: 25


db Rs: Rs 149.48
#2
13-07-2015, 08:41 PM
दीपाली- ओह्ह.. दीदी अपने सच ही कहा था कि अपने नंगे बदन को शीशे में देखो.. मज़ा आएगा।

कसम से वाकयी में.. मेरे पूरे जिस्म में आग लग रही है.. बड़ा मज़ा आ रहा है।

दीपाली ने कमर पर हाथ ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया और अपने मचलते चूचे आज़ाद कर दिए।

सुई की नोक जैसे नुकीले चूचे आज़ाद हो गए दोस्तों दीपाली के निप्पल हल्के भूरे रंग के.. एकदम खड़े हो रहे थे।

अगर कोई गुब्बारा इस समय उसकी निप्पल को छू जाए तो उसकी नोक से फूट जाए।

अब दीपाली का हाथ अपनी पैन्टी पर गया वो धीरे-धीरे उसको जाँघों से नीचे खिसकने लगी और उसकी चूत ने अपना दीदार करवा दिया।

उफ़फ्फ़ क्या.. बताऊँ आपको.. सुनहरी झाँटों से घिरी उसकी गुलाबी चूत.. जो किसी बरफी की तरह नॉकदार और फूली हुई थी। उसकी चूत से रस निकल रहा था.. जिसके कारण उसकी फाँकें चमक रही थीं और हल्की-हल्की एक मादक खुशबू आने लगी। दीपाली ने अपने चूचों पर हाथ घुमाया और धीरे-धीरे अपनी चूत तक ले गईउसकी आँखें बंद थीं और चेहरे के भाव बदलने लगे थे। इससे साफ पता चल रहा था कि उसको कितना मज़ा आ रहा होगा। थोड़ी देर दीपाली वैसे ही अपने आपको निहारती रही और उसके बाद गंदी कहानी की किताब लेकर बिस्तर पर पेट के बल लेट गई और कहानी पढ़ने लगी।

वो कहानी दो बहनों की थी कि कैसे बड़ी बहन अपने बॉय-फ्रेंड से चुदवाती है और अपनी छोटी बहन के साथ समलैंगिक सम्बन्ध बनाती है.. आख़िर में उसका बॉय-फ्रेंड उसकी मदद से उसकी छोटी बहन की सील तोड़ता है।

कहानी पढ़ते-पढ़ते ना चाहते हुए भी दीपाली का हाथ चूत पे जा रहा था और वो कभी सीधी.. कभी उल्टी हो कर किताब पढ़ रही थी और चूत को रगड़ रही थी।
करीब आधा घंटा तक वो किताब पढ़ती रही और चूत को रगड़ती रही।

दोस्तो, दीपाली तो चुदाई से अंजान थी.. मगर ये निगोड़ी जवानी और बहकती चूत तो सब कुछ जानती थी.. हाथ के स्पर्श से चूत एकदम गर्म हो गई और दीपाली कामवासना की दुनिया में पहुँच गई।

अब उसकी चूत किसी भी पल लावा उगल सकती थी। उसको ये सब नहीं पता था.. बस उसे तो असीम आनन्द की प्राप्ति हो रही थी। वो ज़ोर-ज़ोर से चूत को मसलने लगी और बड़बड़ाने लगी।

दीपाली- आह.. आह.. दीदी उफ़फ्फ़ आपने ये कैसी कहानी की किताब दे दी आहह.. मेरी फुननी तो.. नहीं.. नहीं… अब इसे चूत ही कहूँगी.. आआ.. आह मेरी चूत तो जलने लगी है आहह.. हाथ हटाने को दिल ही नहीं कर रहा.. उफफफ्फ़ उउउ आआहह..

दीपाली अपने चरम पर आ गई.. तब उसने पूरी रफ्तार से चूत को मसला और नतीजा आप सब जानते ही हो.. पहली बार दीपाली की चूत ने वासना को महसूस करके पानी छोड़ा।

दोस्तो, कुछ ना जानने वाली दीपाली ने रात भर में पूरी किताब पढ़ डाली और 3 बार बिना लौड़े के अपनी चूत से पानी निकाला और थक-हार कर नंगी ही सो गई।

सुबह दीपाली काफ़ी देर तक सोती रही उसकी मम्मी ने उसे जगाया.. तब वो जागी आज वो बड़ा हल्का महसूस कर रही थी और उसके चेहरे की ख़ुशी साफ बता रही थी कि रात के कार्यक्रम से उसको बड़ा सुकून मिला है।

नहा-धो कर वो स्कूल चली गई.. रोज की तरह आज भी कुछ लड़के गेट पर उसके आने का इंतजार कर रहे थे ताकि उसकी मटकती गाण्ड और उभरे हुए चूचों के दीदार हो सकें।

रोज तो दीपाली नज़रें झुका कर चुपचाप चली जाती थी.. मगर आज उसने सबसे नज़रें मिला कर एक हल्की मुस्कान सबको दी और गाण्ड को हिलाती हुई अपनी क्लास की तरफ़ चली गई।

दीपक- उफ़फ्फ़ जालिम.. आज ये क्या सितम ढा गई मुझ पे.. साला आज सूरज कहाँ से निकला था.. मेरी जान ने आज नज़रें मिलाईं भी और हँसी भी।

सोनू- हाँ यार क्या क़ातिल अदा के साथ मुस्कुराई थी.. मेरा तो दिल करता है.. अभी उसके पास जा कर कहूँ.. आ सेक्स की देवी.. अपने इन मखमली होंठों से छू कर मेरे लौड़े को धन्य कर दो।

दीपक- अबे साले चुप.. मैं तो ये कहूँगा कि आ स्वर्ग की अप्सरा.. एक बार मेरे लौड़े को अपनी चूत और गाण्ड में ले कर मेरा जीवन सफल कर दो।

मॅडी- चुप भी करो सालों.. हवस के पुजारियों.. वो आज हँसी.. इसका मतलब हम में कोई तो है.. जिससे वो फंसी.. अब पता लगाना होगा कि वो सेक्स बॉम्ब किसके लौड़े पर फटेगा।

तीनों खिलखिला कर हँसने लगते हैं।

दोस्तों इन के बारे में आपको बताने की जरूरत नहीं.. आप खुद जान गए होंगे कि ये दीपाली के साथ ही स्कूल में पढ़ते हैं। बाकी की जानकारी जब इनका खास रोल आएगा तब दे दूँगी। फिलहाल स्टोरी पर ध्यान दो।

दीपाली का दिन एकदम सामान्य गया.. विकास सर ने भी उससे कुछ बात नहीं की।

वो आज बहुत खुश थी। हाँ इसी बीच वो तीनों मनचले जरूर उससे बात करने को मचलते रहे। मगर दीपाली ने उनको भाव नहीं दिया, शाम को उसी वक़्त दीपाली पढ़ने के बहाने अनुजा के घर की ओर निकल गई।

दीपाली ने आज गुलाबी से रंग की एक चुस्त जींस और नीली टी-शर्ट पहनी हुई थी। उसको देख कर रास्ते में ना जाने कितनों की ‘आह’ निकली होगी और क्या पता कौन-कौन आज उसके नाम से अपना लौड़ा शान्त करेगा।

अनुजा- अरे आओ आओ.. दीपाली बैठो आज तो बहुत खिली-खिली लग रही हो।

दीपाली- क्या दीदी आप भी ना…

अनुजा- मैंने कल क्या समझाया था.. तुझे शर्म को बाजू में रख कर मुझसे बात किया करो.. ओके.. चल, अब बता कल क्या-क्या किया और स्टोरी कैसी लगी?

दीपाली इधर-उधर नज़रें घुमाने लगी।

अनुजा- अरे इधर-उधर क्या देख रही है..? बता ना…

दीपाली- वो सर कहीं दिखाई नहीं दे रहे?

अनुजा- क्यों कल का सारा किस्सा विकास को बताएगी क्या.. वो बाहर गए हैं.. चल अब बता…

दीपाली का चेहरा शर्म से लाल हो गया मगर फिर भी उसने हिम्मत करके रात की सारी बात अनुजा को बता दी।

अनुजा- अरे वाहह.. क्या बात है पहली बार में ही तूने हैट्रिक मार दी.. चल अच्छा किया.. अब बता तुझे क्या समझ नहीं आया?

दीपाली- दीदी स्टोरी तो मस्त थी.. मगर उसमें बहुत सी बातें मेरे ऊपर से निकल गईं.. जैसे आज तो तेरी सील तोड़ दूँगा.. अब ये सील क्या होती है और हाँ.. एक जगह लिखा था आज तेरे रसीले चूचों का सारा रस पी जाऊँगा.. दीदी ये चूचे तो समझ आ गए.. मगर इनमें रस कहाँ होता है?

अनुजा के चेहरे पर एक कामुक मुस्कान आ गई।

अनुजा- अरे मेरी मासूम बहना.. सील का नहीं पता.. अब सुन तेरी चूत में अन्दर एक पतली झिल्ली है.. उसे सील कहते हैं… जब पहली बार लौड़ा चूत में जाता है ना.. तब लौड़े के वार से वो झिल्ली टूट जाती है। उसी को सील तोड़ना कहते हैं।

दीपाली- ओह्ह.. अच्छा और रस?

अनुजा- तू सुन तो सही यार.. देख जब लड़का मम्मों को चूसता है.. यानी निप्पल को चूसता है तब उसमें से आता कुछ नहीं मगर उसको और लड़की को मज़ा बहुत आता है.. बस लड़का उसी को रस कहता है।

दीपाली- अच्छा ये बात है.. मगर सच कहूँ अब भी ये बात मेरी समझ के बाहर है।

अनुजा- मेरी जान ऐसे तो तू कभी कुछ नहीं सीख पाएगी.. देख इसका आसान तरीका यही है कि मैं तुम्हें प्रेक्टिकल करके समझाऊँ तभी तू कुछ समझ पाएगी।

दीपाली- हाँ दीदी ये सही रहेगा।

अनुजा- तो चल कमरे में चल कर अपने सारे कपड़े निकाल.. मैं भी नंगी हो जाती हूँ, तभी मज़ा आएगा।

दीपाली- छी.. नहीं दीदी.. मुझे बहुत शर्म आ रही है… मैं आपके सामने बिना कपड़ों के कैसे आऊँगी?

अनुजा- अरे यार तू तो ऐसे शर्मा रही है जैसे मैं कोई लड़का होऊँ? यार.. मैं भी तो नंगी हो रही हूँ ना.. और तेरे पास ऐसा क्या है जो मेरे पास नहीं है.. अब चल।

बेचारी दीपाली क्या बोलती.. चल दी उसके पीछे-पीछे।

कमरे में जाकर अनुजा ने कहा- तू दो मिनट यहीं बैठ मैं अभी आई।

दीपाली- दीदी, सर तो नहीं आ जाएँगे ना और प्लीज़ उनसे कुछ मत बताना.. वर्ना स्कूल में उनके सामने जाने की मेरी हिम्मत ना होगी।

अनुजा- अरे तू पागल है क्या.. ऐसी बातें किसी को बताई नहीं जाती और विकास तो बहुत सीधा आदमी है.. तभी तो तुमको मेरे पास ले आया ताकि मैं तुझे ठीक से समझा सकूँ.. अब चल तू बैठ.. मैं अभी आई।

(दोस्तो, कहानी को रोकने के लिए माफी चाहती हूँ मगर एक बात आपको बताना जरूरी है कि उस दिन विकास ने अनुजा से क्या कहा था दीपाली के बारे में? अब तक आपको लग रहा होगा विकास को कुछ पता नहीं इस बारे में.. आप वो जान लो फिर कहानी में एक नया ट्विस्ट आ जाएगा।)

**************

उस दिन स्कूल से जब विकास घर आया।

अनुजा- अरे आओ मेरे पतिदेव क्या बात है बड़े थके हुए लग रहे हो।

विकास- नहीं.. ऐसी कोई बात नहीं है.. तुमसे एक बात करनी है बैठो यहाँ।

अनुजा वहीं सोफे पर बैठ जाती है और विकास उसको दीपाली के साथ हुई पूरी बात बता देता है।

अनुजा- हे राम इतनी भी क्या नादान है वो लड़की… जो ये सब नहीं जानती? और तुमने शाम को उसे यहाँ क्यों बुलाया? क्या इरादा है मुझ से मन भर गया क्या.. जो उस कमसिन कली को समझाने के बहाने भोगना चाहते हो?

विकास- अनु तुम भी ना.. बस बिना मतलब की बकवास करने लगती हो.. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है.. बस वो आए तब उसे तुम समझा देना और कुछ नहीं…

अनुजा- ओह्ह.. ये बात है… अच्छा मान लो अगर वो तुमसे चुदवाना चाहे तो क्या तुम अपना लौड़ा उसकी चूत में डालोगे?

अनुजा की बात सुनकर विकास का बदन ठंडा पड़ गया और दीपाली को चोदने की बात से ही उसका लौड़ा पैन्ट में तन गया जिसे अनुजा ने देख लिया।

विकास- क्या बकवास कर रही हो तुम..? मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा।

अनुजा- ओए होये.. मेरा राजा.. ये नखरे! कुछ नहीं करोगे तो ये लंड महाराज क्यों फुंफकार रहा है हाँ?

विकास ने पैन्ट में लौड़े को ठीक करते हुए अनुजा की तरफ़ घूर कर देखा।

अनुजा- अच्छा बाबा ग़लती हो गई बस.. मगर एक बात कहूँ अगर वो खुद चुदवाने को राज़ी हो जाए तो मुझे कोई दिक्कत नहीं यार.. मैं तुमसे प्यार करती हूँ और जानती हूँ एक कच्ची कली को चोदने का सपना हर मर्द का होता है.. अब मुझसे क्या शर्माना।

विकास- अच्छा ठीक है.. सुनो.. दीपाली बहुत सुन्दर है.. मानता हूँ कि उसको देख कर कोई भी उसको भोगने की चाहत करेगा मगर तुम तो जानती हो मैं कोई गली का गुंडा नहीं जो छिछोरी हरकतें करूँगा.. हाँ अगर वो खुद से राज़ी हो और तुम्हें कोई दिक्कत ना हो तब मैं उसे जरूर चोदना चाहूँगा।

क्रमशः
 •
      Find
Reply


deshpremi Offline
Soldier Bee
**
Joined: 04 Jan 2015
Reputation: 2,685


Posts: 580
Threads: 6

Likes Got: 53
Likes Given: 25


db Rs: Rs 149.48
#3
13-07-2015, 08:53 PM
विकास की बात सुनकर अनुजा के होंठों पर एक क़ातिल मुस्कान आ गई।

अनुजा- ये हुई ना बात.. अब बस तुम अपनी अनु का कमाल देखो.. कैसे मैं उस कच्ची कली को लाइन पर लाती हूँ ताकि वो आराम से तुमसे चुदने को राज़ी हो जाए।

*****************

(दोस्तो, यह थी उस दिन की बात और दीपाली के सामने विकास बाहर जरूर गया था मगर दूसरे दरवाजे से अन्दर आकर उनकी सारी बातें उसने सुन ली थीं। अब आज क्या हुआ चलो आपको बता देती हूँ।)

अनुजा कमरे से निकल कर दूसरे कमरे में गई जहाँ विकास पहले से ही बैठा था।

अनुजा- काम बन गया.. अब सुनो मैं उसके साथ थोड़ा खेल लेती हूँ… तुम खिड़की से उसके नंगे जिस्म को देख कर मज़ा लो.. ओके.. अब मैं जाती हूँ वरना उसको शक हो जाएगा।

विकास- ओके मेरी जान.. जाओ आज तुमको भी कच्ची चूत का रस पीने को मिल जाएगा हा हा हा हा।

अनुजा- धीरे हँसो.. वो सुन लेगी.. अब मैं जाती हूँ।

दीपाली- ओह दीदी आप कहाँ चली गई थीं।

अनुजा- अरे कुछ नहीं.. अब चल.. हो जा नंगी.. मस्ती का वक्त आ गया है।

दीपाली- आप भी निकालो.. दोनों साथ में निकालते हैं।

अनुजा ने तो नाईटी पहनी हुई थी और अन्दर कुछ नहीं पहना था झट से निकाल कर बगल में रख दी।

दीपाली- हा हा हा दीदी आप भी ना अन्दर कुछ नहीं पहना और आपके मम्मों को तो देखो कितने बड़े हैं।

अनुजा- मेरी जान, तेरी उम्र में मेरे भी इतने ही थे.. ये तो विकास ने दबा-दबा कर इतने बड़े कर दिए।

दीपाली- दीदी आप भी ना कुछ भी बोल देती हो.. सर ने क्यों दबाए.. उम्र के साथ बढ़ गए होंगे।

अनुजा- अरे पगली तू उम्र की बात करती है तुम से कम उम्र की लड़की के मम्मों को तुझ से बड़े मैंने देखे हैं. अब क्या कहेगी तू?

दीपाली- सच्ची दीदी.. मगर ऐसा क्यों?

अनुजा- अरे पगली तेरे सर ने इनको दबा-दबा कर इनका रस चूसा है। वे कहते थे कि आम का स्वाद आता है।

दीपाली खिलखिला कर हँसने लगती है।

अनुजा- अब हँसना बंद कर और निकाल अपने कपड़े।

दीपाली ने पहले अपनी टी-शर्ट निकाली तब सफेद ब्रा में से उसके नुकीले मम्मे ब्रा को फाड़ कर बाहर आने को बेताब दिखने लगे।

विकास खिड़की पर खड़ा ये नजारा देख रहा था।

अनुजा- वाउ यार.. क्या मस्त मम्मे हैं.. अब ज़रा इन्हें आज़ाद भी कर दे।

दीपाली बस मुस्कुरा कर रह गई और उसने पैन्ट का हुक खोल कर नीचे सरकाना शुरू किया.. तब उसकी गोरी जांघें बेपरदा हो गईं और सफेद पैन्टी में उसकी फूली हुई चूत दिखने लगी।

अनुजा बस उसको देखती रही और दीपाली अपने काम में लगी रही। अब उसने ब्रा के हुक खोल दिए और अपने रस से भरे हुए चूचे आज़ाद कर दिए।

विकास का तो हाल से बहाल हो गया और होगा भी क्यों नहीं.. ऐसी मस्त जवानी को.. वो अपने सामने नंगा होते देख रहा था।

अब उसने अपनी पैन्टी भी निकाल दी। सुनहरी झाँटों से घिरी गुलाबी चूत अब आज़ाद हो गई थी।

अनुजा तो बस उसके यौवन को देखती ही रह गई.. मगर जब उसकी नज़र झाँटों पर गई।

अनुजा- अरे ये क्या… इतनी मस्त चूत पर ये झांटें क्यों..? मेरी जान, ऐसी चूत को तो चिकना रखा करो ताकि लौड़ा टच होते ही फिसल जाए।

दीपाली सवालिया नजरों से अनुजा की ओर देखती है।

अनुजा- अरे पगली चूत पर जो बाल होते हैं उन्हें झांट कहते हैं। अब इतना भी नहीं पता क्या और कभी इनको साफ नहीं किया क्या तुमने?

दीपाली- दीदी, अब आप के साथ रहूँगी तो सब सीख जाऊँगी और इनको साफ कैसे करते हैं? मैंने तो कभी नहीं किया..

अनुजा- ओह्ह.. तभी इतनी बड़ी खेती निकल आई है.. वैसे मानना पड़ेगा गुलाबी चूत पर ये सुनहरी झांटें किसी भी मर्द को रिझाने के लिए काफ़ी हैं लेकिन मुझे तो चूत को चिकना रखना ही पसन्द है। जब पहली बार विकास ने मेरी चूत देखनी चाही थी.. मैंने भी झांटें साफ नहीं की हुई थीं। किसी तरह बहाना बना कर दूसरे दिन एकदम चकाचक चमकती चूत उसको दिखाई थी। वो तो देखते ही लट्टू हो गया था।

दीपाली- ओह दीदी.. आप भी ना बेचारे सर को अपने जाल में फँसा लिया हा हा हा हा!

अनुजा- अरे पगली सारे मर्दों को चिकनी चूत बहुत पसन्द आती है और खास कर तेरी जैसी कच्ची कली की चूत तो चिकनी ही रहनी चाहिए.. चल सबसे पहले तुझे झांटें साफ करना सिखाती हूँ।

दीपाली- ठीक है दीदी.. कहाँ चलना है अब?

अनुजा- अरे कहाँ का क्या मतलब है.. बाथरूम में… चल तू वहाँ कमोड पर बैठ जाना.. मैं साफ कर दूँगी।

दीपाली- ओह्ह.. दीदी आप कितनी अच्छी हो जो मुझे सब सिखा रही हो।

अनुजा- अच्छा एक बात तो बता.. तू 18 साल की हो गई है तुझे वो तो आती है ना.. मेरा मतलब मासिक धर्म जो हर महीने आता है।

दीपाली- हाँ दीदी इसका मुझे पता है लेकिन जब मैं 13 साल की थी मुझ पेट में बहुत दर्द हुआ.. बुखार भी हो गया.. दो दिन तक ऐसा चला.. तब माँ ने मुझे सब समझाया कि अब तुझे पीरियड शुरू होंगे.. तू खून देख कर डरना मत.. बस उस दिन से सब पता चल गया।

अनुजा- चल कुछ तो पता चला तुझे.. आ बैठ यहाँ.. मैं अभी वीट लगा कर तेरी चूत को चमका देती हूँ।

दीपाली- दीदी बाथरूम का दरवाजा तो बन्द करो.. कोई आ गया तो?

अनुजा- अरे यार घर में सिर्फ़ हम दोनों हैं और कमरे की कुण्डी बन्द है ना.. कोई कैसे आएगा..? अब चुपचाप बैठ जा यहाँ।

दीपाली इसके बाद कुछ नहीं बोली.. 15 मिनट में अनुजा ने उसके चूत के बाल के साथ-साथ उसके हाथ-पाँव के भी बाल उतार दिए। उसको एकदम मक्खन की तरह चिकना बना दिया।

दीपाली ने पानी से अपने आपको साफ किया और तौलिया से जिस्म पौंछ कर बाहर आ गई और बिस्तर पर सीधी लेट गई।

अनुजा- मेरी जान.. कल तूने स्टोरी पढ़ के चूत को ठंडा किया था ना.. अब देख आज मैं तुझे कैसे मज़ा देती हूँ।

(दोस्तो, विकास अब भी खिड़की के पास ही खड़ा था.. उसने अपना 8″ का लौड़ा पैन्ट से बाहर निकाल लिया था और दीपाली को देख कर उसे सहलाने लगा था। वो कुछ बड़बड़ा भी रहा था।

विकास- उफ्फ.. साली क्या चूत है तेरी.. साला लौड़ा बेकाबू हो गया… तेरे रसीले चूचे तो मुझे पागल कर रहे हैं… काश अभी इनको चूस-चूस कर तेरा सारा रस पी जाऊँ।)

अनुजा ने दीपाली के पैरों को मोड़ कर उसकी चूत पर एक चुम्बन कर लिया।

दीपाली सिहर गई और जल्दी से बैठ गई।

दीपाली- छी.. छी.. दीदी ये आप क्या कर रही हो.. ये गंदी जगह पर चुम्बन क्यों कर रही हो?

अनुजा- अरे तुझे क्या पता पगली.. दुनिया में कामरस से बढ़कर कुछ नहीं है और ऐसी अनछुई कच्ची चूत का रस तो किसी नसीब वाले को ही मिलता है.. काश मैं लड़का होती तो आज तेरी सील तोड़ कर पूरा लौड़ा अन्दर घुसा देती.. हाय री मेरी फूटी किस्मत.. अब तो तेरी चूत चाट कर ही अपने आपको धन्य समझ लूँगी।

इतना बोल कर अनुजा चूत को अपनी जीभ से चाटने लगी।

दीपाली- आहह उफ़फ्फ़ दीदी आहह.. उई मज़ा आ गया आहह आई उफ़फ्फ़ आराम से दीदी आहह.. काटो मत ना आहह..

अनुजा जीभ की नोक को चूत के अन्दर तक घुसाने की कोशिश कर रही थी, मगर कुँवारी चूत में जगह कहाँ थी। अब अनुजा चूत के दाने को जीभ से चाटने और चूसने लगी।

दीपाली- आह आह… ये आ.. आपन..ने आहह.. क्या कर दिया आहह.. मेरे आहह..प पु पूरे जिस्म में करंट जैसा लग र..र..रहा है।

अनुजा ने अपना मुँह ऊपर किया और दीपाली को आँख मारते हुए कहा।

अनुजा- मेरी जान, इसे चूत का दाना कहते हैं जिसको छूने से चूत की आग भड़क जाती है और किसी आग की भट्टी की तरह चूत जलने लगती है.. यही सही समय होता है लौड़ा घुसाने का.. इस वक्त कितनी भी छोटी चूत क्यों ना हो.. बड़े से बड़े लौड़े को अन्दर ले लेती है.. मेरा बहुत मन कर रहा है कि तेरे मम्मों का रस पिऊँ मगर ये मैंने किसी और को देने का वादा किया है।

आख़िर की लाइन अनुजा ने धीरे से बोली ताकि दीपाली सुन ना सके।

दीपाली- दीदी आहह.. चाटो ना प्लीज़ आहह.. मज़ा आ रहा था ऐसे मुझे गर्म करके आप बीच में नहीं छोड़ सकती.. आह्ह प्लीज़।

अनुजा- देखा मेरा काम था तुझे गर्म करने का और अब तू एकदम गर्म हो गई है.. आजा अब तू भी मेरी चूत को चाट कर मज़ा ले।

क्रमशः
 •
      Find
Reply


deshpremi Offline
Soldier Bee
**
Joined: 04 Jan 2015
Reputation: 2,685


Posts: 580
Threads: 6

Likes Got: 53
Likes Given: 25


db Rs: Rs 149.48
#4
13-07-2015, 08:54 PM
दीपाली- नहीं दीदी ये मुझसे नहीं होगा.. मुझे घिन आ रही है प्लीज़ आप अच्छा चाट रही थीं.. आ जाओ ना।

अनुजा- अच्छा तुझे चाटने से घिन आएगी और चटवाने में बड़ा मज़ा आ रहा है.. ऐसा कर 69 के पोज़ में आ जा.. मेरी तू चाट तेरी मैं चाट कर मज़ा देती हूँ।

दीपाली पर सेक्स का खुमार छा गया था.. उसे अब अच्छे बुरे की कहाँ पहचान थी। बस अनुजा की बातों में आ गई।

अब दोनों एक-दूसरे की चूत को चाट रही थीं। शुरू में दीपाली को अच्छा नहीं लगा.. मगर अनुजा जिस तरीके से उसकी चूत चूस रही थी।

वो मजबूर हो गई और बैसे ही वो अनुजा की चूत चाटने लगी।

(दोस्तों, इन दोनों के चक्कर में आप विकास को भूल गए.. बेचारा बाहर खड़ा बड़ी रफ्तार से लौड़े को आगे-पीछे कर रहा था।)

ये दोनों 10 मिनट तक एक-दूसरे की चूत चाटती रहीं।

फिर अनुजा अपनी ऊँगली से दीपाली की चूत चोदने लगी.. उसको थोड़ा दर्द तो हुआ मगर मज़ा बहुत आ रहा था।

आख़िरकार दीपाली की चूत ने पानी छोड़ दिया, जिसे अनुजा चाटने लगी।

उसी पल अनुजा ने भी दीपाली के मुँह पर पानी छोड़ दिया।

दीपाली को घिन आई और उसने मुँह हटा लिया मगर अनुजा उसके मुँह पर बैठ गई ना चाहते हुए भी दीपाली को रस पीना पड़ा।

दोनों अब अलग होकर शान्त पड़ गईं। उधर विकास भी हल्का हो चुका था।

दीपाली- छी दीदी.. आप बहुत गंदी हो.. चूत का पानी पी गईं और मुझे भी पिला दिया.. उह कितना अजीब सा स्वाद था।

अनुजा- अबे बस उल्टी करेगी क्या बिस्तर पे..? भूल जा उसको.. ये बता मज़ा आया कि नहीं तुझे।

दीपाली- दीदी सच बताऊँ.. जब आप चूत चाट रही थी ना.. बड़ा मज़ा आ रहा था और आपने जब ऊँगली अन्दर डाली.. मेरे तो बदन में से जान ही निकल गई थी.. कसम से बहुत मज़ा आया।

अनुजा - इसकी जगह लंड अन्दर गया होता तो तुझे और मजा आता।

दीपाली- दीदी आप कब से लंड के बारे में बोल रही हो आख़िर ये होता कैसा है.. जरा मुझे भी तो दिखाओ।

अनुजा- ओये होये.. मेरी प्यारी बहना, बड़ी जल्दी है तुझे लंड देखने की.. तुझे अगर अभी देखना है तो बुला लूँ.. तेरे विकास सर को.. उनका लंड देख लेना।

दीपाली- दीदी आप भी ना.. सर को बताने के लिए मैंने मना किया है।

अनुजा- तो मेरी रानी, मेरे पास कौन सा लंड है.. जो तुझे निकाल कर दिखा दूँ.. मेरे पास तो ये चुदी हुई चूत है… इसे ही देख ले हा हा हा हा हा।

दीपाली भी अनुजा के साथ हँसने लगी।

अनुजा- चल तेरी तमन्ना मैं आज पूरी कर ही देती हूँ तू यहीं बैठ.. मैं अभी दूसरे कमरे से तेरे लिए लंड लेकर आई।

दीपाली- दीदी ये आप क्या बोल रही हो… प्लीज़ किसी को मत बुलाना प्लीज़ प्लीज़।

अनुजा- अरे पगली मैं तो ट्रिपल-एक्स डीवीडी लाने जा रही हूँ.. उसमें लंड देख लेना और चुदाई कैसे होती है.. वो भी तुझे पता चल जाएगा।

दीपाली- दीदी आप ऐसे ही जा रही हो.. कपड़े तो पहन लो।

अनुजा- यार विकास तो देर से आएगा और दूसरा कोई यहाँ है नहीं.. तो कपड़ों की क्या जरूरत है.. बस अभी आई।

अनुजा वहाँ से निकल कर दूसरे कमरे में चली गई.. बाहर विकास खड़ा था। वो भी उसके पीछे-पीछे चला गया।

विकास- मेरी जानेमन.. क्या कमाल का खेल खेला है तुम दोनों ने.. मेरी तो हालत ख़स्ता हो गई.. साला लौड़ा है की बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था.. इसे हाथ से शान्त किया। फिर भी देखो कैसे फुफकार मार रहा है।

अनुजा- अरे मेरे राजा… सब्र करो संभालो अपने आपको.. दीपाली अभी चुदाई के लिए तैयार नहीं है… कहीं जल्दबाज़ी में बना बनाया काम बिगड़ ना जाए।

विकास- अरे मेरी प्यारी अनु.. कैसे करूँ सब्र.. साली क्या मस्त लड़की है.. उसकी चूत देख कर मेरा तो दिमाग़ घूम गया। पुरानी याद ताज़ा हो गई.. याद है मैंने कैसे तुम्हारी सील तोड़ी थी।

अनुजा- हाँ सब याद है.. अब मुझे जाने दो वरना उसको शक हो जाएगा।

अनुजा डीवीडी लेकर वापस दीपाली के पास चली गई और डीवीडी चालू करके उसके पास बिस्तर पर बैठ गई।

दीपाली बड़ी गौर से फिल्म देख रही थी। उसका मुँह आश्चर्य से खुला हुआ था।

फिल्म में एक आदमी एक स्कूल-गर्ल के मम्मों को चूसता है और अपना लंबा लौड़ा उसे चुसवाता है। लड़की भी मज़े से लौड़े को चूस रही थी। उसके बाद वो आदमी उसे घोड़ी बना कर खूब चोदता है।

दीपाली- ओह्ह.. माँ.. ये क्या हो रहा है.. लंड ऐसा होता है.. इतना बड़ा..? मैंने तो बच्चे की फुन्नी देखी है .. मगर बड़ी होकर ये ऐसी हो जाती है.. कभी सोचा भी नहीं था।

अनुजा- हाँ प्यारी.. यही है लौड़ा.. इसी में सारी दुनिया का मज़ा है.. देख वो छोटी सी लड़की कैसे मज़े से चुद रही है.. उसको कितना मज़ा आ रहा होगा।

दीपाली- हाँ दीदी उसको तो मज़ा आ रहा है मगर मुझको डर लग रहा है.. इतना मोटा लौड़ा उसकी चूत में जा रहा है.. उसको दर्द तो हो रहा होगा ना?

अनुजा- अरे नहीं.. देख अगर उसको दर्द होता तो वो रोती ना.. मगर वो तो मज़े से चुद रही है और बार-बार बोल रही है.. ‘फक मी.. फक मी हार्ड…’ कुछ समझी बुद्धू.. चुदाई में मज़ा बहुत आता है।

अनुजा ने बहुत कोशिश की मगर दीपाली चुदने को राज़ी ना हुई। फिर अनुजा ने दूसरा पासा फेंका।

अनुजा- चल किसी आदमी से मत चुदाना.. तुझे पता है रबड़ का भी लौड़ा आता है जिससे तुम खुद चुदाई का मज़ा ले सकती हो और किसी आदमी के सामने तुम्हें नंगी भी नहीं होना पड़ेगा।

दीपाली- ओह्ह.. सच दीदी.. मुझे कल पक्का दिखाना.. अभी तो बहुत वक्त हो गया.. मुझे घर भी जाना है वरना मम्मी गुस्सा हो जाएगी।

दीपाली ने अपने कपड़े पहने और वहाँ से निकल गई।

उसके जाने के बाद विकास कमरे में आया उसने उन दोनों की बातें सुन ली थीं।

विकास- अनु, ये तुमने उसको क्या बोल दिया कि नकली लंड से उसको चोदोगी ... फिर मेरा क्या होगा जान.. तुमने मुझे कच्ची कली को चोदने का सपना दिखाया.. अब नकली लौड़े की बात कर रही हो।

अनुजा- अरे मेरा राजा.. आप बहुत भोले हो अपने वो कहावत नहीं सुनी क्या.. हाथी के दाँत दिखाने के और होते हैं और खाने के और… बस कल देखना.. मैं कैसे नकली को असली बना देती हूँ.. अब आ जाओ देखो मैंने अब तक कपड़े भी नहीं पहने हैं.. आज तो आप बड़े जोश में हो.. जरा मेरी चूत को मज़ा दे दो।

विकास- अरे क्यों नहीं मेरी रानी.. चल बन जा घोड़ी.. आज तुझे लंबी सैर कराता हूँ।

अनुजा पैरों को मोड़ कर घोड़ी बन गई और विकास ने एक ही झटके में अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसा दिया।

अनुजा- आहह.. उई मज़ा आ गया राजा.. अब ज़ोर-ज़ोर से झटके मारो उफ्फ.. फाड़ दो चूत को.. अई आह्ह..

विकास के दिमाग़ में दीपाली घूम रही थी और उसी कारण वो दे दनादन अनुजा की चूत में लौड़ा घुसा रहा था।

अनुजा- आह्ह.. अई वाहह.. मेरे राजा आ..आज बड़ा मज़ा दे रहे हो.. अई लगता है दीपाली समझ कर तुम मुझे चोद रहे हो.. अई उई अब तो रोज उसका नंगा जिस्म तुमको दिखना पड़ेगा.. अई ताकि तुम रोज इसी तरह मेरी ठुकाई करो।

विकास- उहह उहह.. ले रानी उहह.. अरे नहीं ऐसी कोई बात नहीं है.. आज तुम बहुत चुदासी लग रही हो ओह्ह ओह्ह।

लगभग 30 मिनट तक ये चुदाई का खेल चलता रहा.. दोनों अब शान्त हो गए थे।

अनुजा- जानू मज़ा आ गया.. आज तो काफ़ी दिनों बाद ऐसी मस्त चुदाई की तुमने.. अच्छा अब सुनो… कल किसी भी हाल में एक नकली लंड ले आना.. उसका साइज़ तुम्हारे लंड के जैसा होना चाहिए।

विकास- ठीक है.. ले आऊँगा मगर तुम उसकी चूत की सील नकली लौड़े से तोड़ोगी.. तो मेरा क्या होगा यार.. ऐसी मस्त चूत का मुहूर्त मुझे करना है।

अनुजा- तुम ले आना बस.. मैंने कहा ना सब मुझ पर छोड़ दो.. कल देखना मैं क्या करती हूँ।

विकास ने अनुजा की बात मान ली और आगे कुछ नहीं बोला। वो उठ कर बाथरूम में चला गया।

(दोस्तो, अब यहाँ कुछ नहीं है.. चलो, दीपाली के पास चलते हैं।)

क्रमशः
 •
      Find
Reply


deshpremi Offline
Soldier Bee
**
Joined: 04 Jan 2015
Reputation: 2,685


Posts: 580
Threads: 6

Likes Got: 53
Likes Given: 25


db Rs: Rs 149.48
#5
13-07-2015, 10:03 PM
घर जाकर दीपाली ने अपनी मम्मी को बोल दिया कि टयूशन में वक्त लग गया और रात का खाना खाकर अपने कमरे में जा कर सो गई।

अगले दिन भी दीपाली जब स्कूल गई, तब गेट पर तीनों उसके आने का इन्तजार कर रहे थे, मगर आज दीपाली ने उनको नज़रअंदाज कर दिया और सीधी निकल गई।

दोस्तो. अब स्कूल के पूरे 8 घंटे की दास्तान सुनोगे क्या.. चलो सीधे मुद्दे पर आती हूँ।

शाम को दीपाली ने पीले रंग का टॉप और काला स्कर्ट पहना हुआ था।

जब वो अनुजा के घर की ओर जा रही थी.. तब रास्ते में एक कुत्ता एक कुतिया को चोद रहा था।

दीपाली ने जब उनको देखा उसे बड़ा मज़ा आया।

ये सब देख कर उसको कल वाला वीडियो याद आ गया और ना चाहते हुए भी उसका हाथ चूत पर चला गया।

दीपाली भूल गई कि वो बीच सड़क पर खड़ी कुत्ते की चुदाई देख रही है और अपनी चूत को मसल रही है।

तभी वहाँ से एक 60 साल का बूढ़ा गुजरा, उसने सब देखा और दीपाली के पास आ गया।

बूढ़ा- बेटी इस तरह रास्ते में खड़ी होकर ये हरकत ठीक नहीं.. अगर इतनी ही खुजली हो रही है तो चलो मेरे साथ घर पर.. कुछ मलहम लगा दूँगा।

उसकी बात सुनकर दीपाली को अहसास हुआ कि उसने कितनी बड़ी ग़लती कर दी।

वो बिना कुछ बोले वहाँ से भाग खड़ी हुई और सीधी अनुजा के घर जाकर ही रुकी।

अनुजा- अरे क्या हुआ..? ऐसे भागते हुए क्यों आई हो.. इतना हाफ़ रही हो.. यहाँ बैठो मैं पानी लेकर आती हूँ।

दीपाली वहीं बैठ गई.. अनुजा ने उसे पानी पिलाया और उससे भागने का कारण दोबारा पूछा।

तब दीपाली ने उसको सारी बात बताई।

अनुजा- हा हा हा हा तू भी ना कुत्ते की चुदाई में ये भी भूल गई कि कहाँ खड़ी है और तेरी चूत में खुजली होने लगी.. हा हा हा हा और वो बूढ़ा क्या बोला.. मलहम लगा देगा.. अगर तू उसके साथ चली जाती ना.. तो आज बूढ़े के मज़े हो जाते हा हा हा हा।

दीपाली- दीदी आप भी ना.. कुछ भी बोलती रहती हो.. पता नहीं मुझे क्या हो गया था। अच्छा ये सब जाने दो.. आप आज मुझे वो नकली लंड दिखाने वाली थीं ना.. कहाँ है वो?

अनुजा- अरे वाह.. बेबी लंड देखने के लिए बड़ी उतावली हो रही है.. चल कमरे में… मैंने वहीं रखा है।

दोनों कमरे में चली जाती हैं।

दीपाली बिस्तर पर बैठ जाती है और अनुजा अलमारी से लौड़ा निकाल लेती है.. जो दिखने में एकदम असली जैसा दिख रहा था।

लौड़े के साथ दो गोलियाँ भी थीं।

दीपाली तो बस उसको देखती ही रह गई।

अनुजा- क्यों बेबी कैसा लगा..? है ना.. एकदम तगड़ा लौड़ा।

दीपाली- हाँ दीदी.. ये तो वो फिल्म जैसा एकदम असली लगता है.. ज़रा मुझे दिखाओ मैं इसे हाथ से छूकर देखना चाहती हूँ।

अनुजा- अरे इतनी भी क्या जल्दी है.. ऐसे थोड़े तुझे हाथ में दूँगी.. आज तो खेल खेलूँगी तेरे साथ..

ये देख शहद की बोतल.. इसमें से शहद निकाल कर इस लौड़े पे लगाऊँगी.. उसके बाद तू इसको चूसना.. तब असली जैसी बात लगेगी.. समझी मेरी जान…

दीपाली- ओके दीदी.. बड़ा मज़ा आएगा आज तो…

अनुजा ने बगल में रखी दो काली पट्टी उठाईं और दीपाली को दिखाते हुए बोली।

अनुजा- मज़ा ऐसे नहीं आएगा.. ये देखो आज ‘ब्लाइंड-सेक्स’ करेंगे।

एक पट्टी तेरी आँखों पर और दूसरी हाथ पर बांधूंगी उसके बाद असली मज़ा आएगा।

दीपाली- ये पट्टी से क्या मज़ा आएगा दीदी.. नहीं ऐसे ही करेंगे ना।

अनुजा- नहीं मैंने कहा ना.. तुम पहली बार लौड़ा चूसने जा रही हो.. अगर आँखें खुली रहेगीं तो ये नकली लौड़ा तुझे दिखेगा और तेरे अन्दर लौड़े वाली मस्ती नहीं आएगी। मगर आँखें बन्द रहेगीं.. तब तू ये सोचना कि तू असली लौड़ा चूस रही है। तब मज़ा दुगुना हो जाएगा और ये देख इस लौड़े के साथ ये बेल्ट भी है.. मैं इसे अपनी कमर पर बाँध लूँगी। इससे मैं आदमी बन जाऊँगी और मेरी चूत की जगह ये लौड़ा आ जाएगा.. क्यों अब बोल क्या बोलती है।

दीपाली- हाँ दीदी.. आपने सही कहा.. इस तरह ज़्यादा मज़ा आएगा मगर ये हाथ तो खुले रहने दो ना।

अनुजा- नहीं मेरी जान हाथ बाँधने जरूरी हैं वरना तुझे ऐसा लगेगा कि लौड़े को हाथ से पकडूँ और जैसे ही तू लौड़ा पकड़ेगी असली वाली बात ख़तम हो जाएगी।

दीपाली- ओके दीदी.. जैसा आपको ठीक लगे.. चलो पट्टी मेरी आँखों पर बाँध दो।

अनुजा- अरे मेरी जान पहले ये कपड़े तो निकाल.. उसके बाद ये पट्टी बाँधूंगी।

अनुजा खुद भी नंगी हो गई और दीपाली को भी नंगा कर दिया। उसके बाद उसके दोनों हाथ पीछे करके पट्टी से बाँध दिए उसकी आँखों पर भी अच्छे से पट्टी बाँध दी।

दोस्तो, ये अनुजा का प्लान था ताकि विकास अन्दर आ जाए और दीपाली उसको देख ना सके।

दीपाली बिस्तर पर घुटनों के बल बैठ गई अनुजा ने विकास को इशारा कर दिया वो अन्दर आ गया।

वो एकदम नंगा था उसने पहले ही दूसरे कमरे में कपड़े निकाल दिए थे। उसका लौड़ा भी एकदम तना हुआ था।

दीपाली- दीदी अब तो लौड़ा मेरे मुँह में दे दो.. बड़ा मन कर रहा है चूसने का।

अनुजा- हाँ यार देती हूँ.. पहले कमर पर बाँध तो लूँ.. उसके बाद शहद डाल कर तेरे मुँह में दूँगी।

अनुजा ने विकास के लौड़े पर अच्छे से शहद लगा दिया और विकास बिस्तर पर चढ़ गया। लौड़े की टोपी को दीपाली के खुले मुँह में हल्के से फँसा दिया।

दीपाली तो इसी इंतजार में थी, वो झट से अपनी जीभ से टोपी को चाटने लगी।

आनन्द के मारे विकास की आँखें बन्द हो गईं.. अनुजा वहीं पास में बैठी अपनी चूत सहला रही थी।

दीपाली लौड़े को जीभ से चाट रही थी और टोपी को अपने होंठों में दबा कर चूस रही थी। उसको बहुत मज़ा आ रहा था।

अनुजा- अरे मेरी जान पूरा मुँह में ले.. तब असली मज़ा आएगा.. इतने से क्या होगा?

दीपाली ने अनुजा की बात सुनकर पूरा लौड़ा में भर लिया और चूसने लगी।

विकास को भी काफ़ी मज़ा आ रहा था और आएगा क्यों नहीं एक कमसिन कली जिसके पतले होंठों में उसका लौड़ा फँसा हुआ था।

अब विकास लौड़े को आगे-पीछे करने लगा।

एक वक्त तो लौड़ा पूरा दीपाली के गले तक पहुँच गया और उसी वक़्त दीपाली ने झट से मुँह हटा लिया और विकास ने जैसे ही लौड़ा आगे किया उसकी गोटियाँ दीपाली के मुँह के पास आ गईं.. दीपाली को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।

वो गोटियों को चूसने लगी.. तब उसको थोड़ा अजीब सा लगा और उसने मुँह हटा लिया।

अनुजा- अरे क्या हुआ रानी चूस ना।

दीपाली- दीदी मुझे ये लौड़ा एकदम असली जैसा लग रहा है और शहद के साथ-साथ कुछ नमकीन सा और भी पानी मेरे मुँह में आ रहा है इसकी गोटियों की चमड़ी भी बिल्कुल असली लग रही है।

अनुजा- अरे पगली ये सब आँख बन्द होने का कमाल है.. असली लंड कहाँ से आएगा? तू चूसती रह.. इसके बाद देख.. आज मैं तेरे निप्पल और चूत को नए अंदाज से चुसूंगी।

बेचारी भोली-भाली दीपाली अनुजा की बातों में आ गई और दोबारा से लौड़ा चूसने लगी।

करीब 5 मिनट बाद विकास ने इशारे से अनुजा को कहा- अब इसको लेटा दो.. मैं इसके चूचों को मसलना और चूसना चाहता हूँ।

अनुजा- बस दीपाली अब मेरी बारी है तू सीधी लेट जा.. अब मैं तुझे स्वर्ग की सैर कराती हूँ।

दीपाली- मैं कैसे लेटूं दीदी.. मेरे हाथ तो पीछे बँधे हैं।

अनुजा ने उसके हाथ खोल दिए उसको सीधा लिटा कर बिस्तर के दोनों बगल से उसके हाथ बाँध दिए।

दीपाली- अरे अरे.. ये क्या कर रही हो दीदी अब तो मेरे हाथ खुले रहने दो ना…

अनुजा- नहीं मेरी जान.. आज तू ऐसे ही मज़ा ले.. बस अब कुछ मत बोल.. देख मैं तुझे कैसे मज़े देती हूँ.. इतना बोल कर अनुजा ने विकास को इशारा कर दिया कि टूट पड़ो इस सेक्स की मलिका पर..

विकास को तो बस इसी मौके का इन्तजार था।

वो दीपाली के ऊपर लेट गया और सबसे पहले उसके मखमली होंठों को चूसने लगा।

उसका अंदाज ऐसा था कि दीपाली भी उसका साथ देने लगी।

वो दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे.. मगर विकास सिर्फ़ होंठों से ही थोड़े खुश होने वाला था..

थोड़ी देर बाद वो नीचे खिसकने लगा और अब उसके होंठों में दीपाली के निप्पल थे।

वो दोनों हाथों से उसके कड़क चूचे दबा रहा था और निप्पल चूस रहा था.. जैसे कोई भूखा बच्चा अपनी माँ का दूध पी रहा हो।

दीपाली- आह आआ दीदी अई मज़ा आ गया उह.. धीरे से दबाओ ना उफ़फ्फ़.. दर्द होता है अई काटो मत ना… दीदी आइ मज़ा आ रहा है।

दोस्तो, अनुजा का प्लान तो अच्छा था मगर एक पॉइंट ऐसा था जिसके कारण दीपाली को थोड़ा शक हुआ कि कहीं अनुजा की जगह उसके ऊपर कोई आदमी तो नहीं है ना।

ना ना.. टेंशन मत लो.. आपको सोचने की जरूरत नहीं है.. मैं खुद बता देती हूँ आपको।

जब विकास होंठ चूस रहा था उसका सीना दीपाली के मम्मों को दबा रहा था और उसके सीने के बाल दीपाली महसूस कर रही थी उसने मन में सोचा भी कि अगर दीदी मेरे ऊपर हैं तो उनके मम्मों और मेरे मम्मों को आपस में टकराने चाहिए.. मगर ये तो एकदम सपाट सीना है और बाल भी हैं।

मगर ना जाने क्या सोच कर वो चुप रही।

अब विकास मम्मों से नीचे उसके पेट तक चूमता हुआ आ गया और आख़िर कर वो अपनी असली मंज़िल यानी चूत तक पहुँच गया। विकास की गर्म साँसें दीपाली अब अपनी चूत पर महसूस कर रही थी और छटपटा रही थी कि कब दीदी के होंठ चूत पर टिकेंगे और कब उसको सुकून मिलेगा।

विकास ने चूत के होंठों को कस कर अपने मुँह से भींच लिया। दीपाली की सिसकी निकल गई।

विकास बड़े प्यार से चूत को चूस रहा था और अपनी जीभ से अन्दर तक चाट रहा था.. दीपाली एकदम गर्म हो गई थी।

दीपाली- अया ऐइ उफ़फ्फ़.. दीदी आह.. प्लीज़ चूत के अन्दर ऊँगली करो.. ना आ आहह.. चूत में बहुत बेचैनी हो रही है।

अनुजा- मेरी जान तेरी चूत की आग अब ऊँगली से ठंडी नहीं होने वाली.. इसको तो अब लौड़े की जरूरत है.. बोल क्या बोलती है।

दीपाली- दीदी आहह.. डाल दो ना.. आहह.. आपके पास तो इतना मस्त लौड़ा है आहह.. पूछ क्यों रही हो.. अई आहह.. शायद मेरी किस्मत में यही लिखा था कि अपने सर से ही अपनी सील तुड़वाऊँ आहह.. प्लीज़ विकास सर, आहह अब रहा नहीं जाता.. डाल दो ना आहह..

क्रमशः
 •
      Find
Reply


deshpremi Offline
Soldier Bee
**
Joined: 04 Jan 2015
Reputation: 2,685


Posts: 580
Threads: 6

Likes Got: 53
Likes Given: 25


db Rs: Rs 149.48
#6
14-07-2015, 07:26 PM
दीपाली की बात सुनकर अनुजा और विकास दोनों ही भौंचक्के रह गए.. दोनों का मुँह खुला का खुला रह गया।

अनुजा- त..त..तू.. ये क..क्या.. बोल रही है व..विकास यहाँ क..क..कहाँ है?

दीपाली- अई आह.. दीदी आह.. मानती हूँ मुझे चुदाई का अनुभव नहीं है.. मगर इतनी भी भोली नहीं हूँ कि औरत और मर्द के शरीर में फ़र्क ना महसूस कर सकूँ और दूसरी बात आपकी आवाज़ मेरे बगल से आ रही है जबकि आपके हिसाब से आप मेरी चूत चाट रही हो.. आह्ह.. अब ये पट्टी खोल दो.. मुझे कोई ऐतराज नहीं कि सर मेरी चूत की सील तोड़ें.. प्लीज़ आह्ह..

विकास और अनुजा की नज़रें मिलीं और आँखों ही आँखों में दोनों की बात हो गई। विकास ने पहले दीपाली के हाथ खोले.. उसके बाद आँखों की पट्टी निकाल दी।

दीपाली- ओह.. सर आपका लौड़ा कितना मोटा और बड़ा है.. उफ़फ्फ़ जब मेरे मुँह में था.. कसम से बड़ा मज़ा आ रहा था.. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह विज्ञान के चक्कर में चुदाई का ज्ञान मिल जाएगा.. पहले मुझे कुछ पता नहीं था.. मगर इन दो दिनों में मुझे पता चल गया कि चुदाई में जो मज़ा है.. वो किसी और चीज़ में नहीं है।

अनुजा- मेरी जान मैं तो कब से कह रही थी कि विकास को बुलाऊँ क्या.. मगर तुम ही हो कि बस मना कर रही थीं।

दीपाली- दीदी सच कहूँ.. तो जब आप सर का नाम लेती थीं.. मेरी चूत में पानी आ जाता था.. मगर शर्म के मारे आपसे कुछ बोल ना पाती थी.. अभी जब लौड़ा चूस रही थी.. तब मुझे पक्का पता चल गया कि ये लौड़ा नकली नहीं.. असली है और सर के सिवा यहाँ कौन आ सकता था.. इनके सीने के बाल भी मैंने महसूस किए थे।

विकास- ओह.. मेरी रानी… तुम जितनी सुन्दर हो.. उतनी ही समझदार भी हो।

अनुजा- अब बातों में क्यों वक्त खराब कर रहे हो.. जल्दी से लौड़ा अन्दर डालो ना.. इसकी चूत में..

दीपाली- रूको सर.. उस वक्त तो मेरी आँखें बन्द थीं और हाथ भी बँधे हुए थे.. पर अब मैं आपके लौड़े को छू कर देखना चाहती हूँ.. खुली आँखों से.. इसे चूसना चाहती हूँ.. आहह.. क्या मस्त कड़क हो रहा है।

दीपाली ने लौड़े को अपने मुलायम हाथों में ले लिया और बड़े प्यार से सहलाने लगी।

विकास की तो किस्मत ही खुल गई थी.. दीपाली अब एकदम कामुक अंदाज में लौड़े को चूसने लगी।

विकास- उफ़फ्फ़.. दीपाली तेरे होंठों के स्पर्श से कितना मज़ा आ रहा है.. जब मुँह में इतना मज़ा आ रहा है तो तेरी चूत में कितना मज़ा आएगा.. आह.. चूस जान, आज तेरी चूत का मुहूर्त है.. कर दे एकदम गीला मेरे लंड को उफ्फ.. आज तो बड़ा मज़ा आएगा..

दीपाली ने लौड़े को चूस कर एकदम गीला कर दिया।

अनुजा- बस भी कर अब.. क्या चूस कर ही पानी निकालेगी.. चल सीधी लेट जा.. तेरी चूत को खोलने का वक्त आ गया है।

दीपाली- हाँ दीदी.. मगर सर का लौड़ा बहुत बड़ा है.. ये अन्दर कैसे जाएगा और मुझे दर्द भी होगा ना…

अनुजा- अरे पगली.. मैंने तुझे क्या समझाया था.. चूत कितनी भी छोटी क्यों ना हो.. बड़े से बड़े लौड़े को खा जाती है.. पहली बार तो सभी को दर्द होता है.. लेकिन उसके बाद चुदवाने का लाइसेंस मिल जाता है.. तू कभी भी कहीं भी किसी से भी चुदवा सकती है, जान.. बस थोड़ा सा दर्द झेल ले.. फिर देख दुनिया की सारी खुशियाँ एक तरफ और चुदाई से मिली ख़ुशी एक तरफ.. डर मत.. विकास बहुत एक्सपर्ट खिलाड़ी है.. बड़े आराम से तेरी सील तोड़ेगा।

ये दोनों बातें कर रही थीं तभी विकास दीपाली की चूत को चूसने लगा.. उसके दाने को जीभ से टच करने लगा।

दीपाली- आह आह आह.. उफ़फ्फ़ सर.. ये आपने क्या कर दिया.. आहह.. मेरी चूत में आग भड़क गई है.. ऊह.. डाल दो.. अब जो होगा देखा जाएगा उफ्फ.. आज कर दो मेरी चूत का मुहूर्त आह…

विकास ने मौके का फायदा उठा कर अनुजा के दोनों पैर मोड़ दिए और लौड़े की टोपी को चूत पर सैट किया। अनुजा ने ऊँगलियों से चूत की दोनों फांकें खोल दीं जिसके कारण टोपी चूत की फांकों में फँस गई।

अनुजा ने जल्दी से अपने होंठ दीपाली के होंठों पर रख दिए और विकास को इशारा कर दिया।

विकास ने कमर पर दबाव बना कर एक झटका मारा.. लौड़ा चूत की दीवारों को चौड़ा करता हुआ अन्दर घुस गया।

अभी एक इन्च ही घुसा था कि दीपाली ‘गूं-गूं’ करने लगी… वो जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी। अभी तो उसकी सील भी नहीं टूटी थी.. बस लौड़ा जा कर सील से टच हुआ था।

विकास ने कमर को पीछे किया और ज़ोर से आगे की ओर धक्का मारा। अबकी बार आधा लौड़ा सील को तोड़ता हुआ चूत में समा गया। दीपाली की तो आँखें बाहर को निकल आईं.. उसका सर चकराने लगा।

विकास ने देरी ना करते हुए आधा लौड़ा पीछे खींचा और पूरी रफ्तार से वापस चूत में घुसा दिया। अबकी बार लौड़ा चूत की जड़ तक घुस गया था। विकास की गोटियाँ दीपाली के चूतड़ों से टकरा गई थीं।

दीपाली तो सोच भी नहीं सकती थी कि अचानक उस पर दर्द का पहाड़ टूट पड़ेगा। अभी बेचारी पहले के दर्द से ही परेशान थी कि 5 सेकंड में ही दूसरा तगड़ा झटका उसको मिल गया।

उसकी आँखों से आँसू बहने लगे और चीखें ऐसी कि अगर अनुजा ने कस कर उसके होंठ अपने होंठों से ना भींचे होते.. तो शायद बाहर दूर-दूर तक उसकी आवाज़ पहुँच जाती।

विकास लौड़ा जड़ तक घुसा कर अब बिल्कुल भी नहीं हिल रहा था और बस दीपाली के मम्मों को चूस रहा था।

लगभग 5 मिनट तक ऐसे ही चलता रहा दीपाली अब शान्त पड़ गई थी। तब अनुजा बैठ गई और दीपाली के सर पर हाथ घुमाने लगी।

दीपाली- दीदी आहह.. अई उउउ उउउ प्लीज़.. मुझे बचा लो अई.. सर प्लीज़ बहुत दर्द हो रहा है आ.. निकाल लो आहह…

अनुजा- अरे मेरी जान.. अब निकाल कर क्या फायदा.. तेरी सील तो टूट गई. जितना दर्द होना था हो गया.. अब बस थोड़ी देर में तुझे मज़ा आने लगेगा और तू खुद कहेगी कि और ज़ोर से चोदो मुझे…

दीपाली- आहह.. दीदी मुझे नहीं पता था इतना दर्द होगा वरना मैं कभी ‘हाँ’ नहीं करती आहह..

कुछ देर विकास ने दीपाली के मम्मों को चूसा तो दीपाली को कुछ दर्द से राहत सी मिलती लगी।

विकास- अरे रानी.. कुछ नहीं हुआ है, बस थोड़ी देर रुक जा.. उसके बाद मज़े ही मज़े हैं.. अब तुझे दर्द कम हुआ ना..

दीपाली- आहह.. हाँ सर अब थोड़ा सा कम हुआ है।

विकास अब धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे करने लगा और दीपाली के निप्पलों को चूसने लगा। दीपाली को दर्द तो हो रहा था.. वो सिसक रही थी मगर अब उसमें ना जाने कहाँ से हिम्मत आ गई थी.. बस वो चुपचाप चुद रही थी। दस मिनट तक विकास उसे धीरे-धीरे चोदता रहा।

फिर दीपाली का दर्द कम हो गया और उसकी चूत पानी छोड़ने लगी जिसके कारण लौड़ा आसानी से आगे-पीछे हो रहा था।

दीपाली- आहह.. सर दर्द हो रहा है.. उई मेरी चूत में अई.. आह्ह.. कुछ हो रहा है.. उफ़फ्फ़ अई मेरा पानी छूटने वाला है.. उई ज़ोर से आहह.. ज़ोर से क..करो आह..

मौके का फायदा उठा कर विकास अब रफ्तार से झटके मारने लगा था। दीपाली चरम सीमा पर थी और अब उसकी चूत ने लावा उगल दिया था.. उसका बदन झटके खाने लगा था। वो काफ़ी देर तक झड़ती रही.. मगर विकास अब भी दे दनादन शॉट पर शॉट मार रहा था।

अनुजा ने अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया.. वो भी एकदम गर्म हो गई थी।

विकास- ओह्ह ओह्ह.. दीपाली आहह.. क्या टाइट चूत है तेरी.. आह्ह… मज़ा आ गया.. लौड़ा बड़ी मुश्किल से आगे-पीछे हो रहा है आह्ह… दीपाली आह..

लगभग 10 मिनट तक विकास उसको चोदता रहा.. दीपाली दोबारा गर्म हो गई।

उसकी चूत में अब दर्द के साथ-साथ मीठा-मीठा करंट भी दौड़ रहा था.. वो दोबारा चरम पर पहुँच गई थी और पहुँचती भी कैसे नहीं 8″ का लौड़ा ताबड़तोड़ उसकी चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था।

दीपाली- आह आह आह सर प्लीज़.. ज़ोर से आह्ह… मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है आआह आह्ह…

विकास- आह.. ले मेरी दीपा रानी ओह्ह ओह्ह ओह्ह.. मेरा भी पानी निकलने वाला है.. आह्ह… आज तेरी चूत को पानी से भर दूँगा ... 18 सालों से ये प्यासी थी.. आज इसकी प्यास बुझा दूँगा आह्ह… आह…

विकास के लौड़े से पानी की तेज धार निकली और दीपाली की चूत की दीवारों से जा टकराई.. गर्म-गर्म वीर्य के अहसास से उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। अब दोनों शान्त पड़ गए.. दोनों के पानी का मिलन हो गया।

काफ़ी देर बाद विकास को अनुजा ने ऊपर से हटाया।

अनुजा- विकास अब उठो भी क्या ऐसे ही पड़े रहोगे.. बेचारी को सांस तो लेने दो।

विकास जब ऊपर से हट कर बगल में हुआ.. तो बिस्तर पर खून लगा हुआ था। उसका लौड़ा भी वीर्य और खून से लथपथ था।

दीपाली को कोई होश ही नहीं था.. वो तो बस आराम से लेटी हुई थी।

अनुजा- लो जी.. मज़ा आपने लिया और सज़ा मुझे मिली.. चादर पर खून लग गया.. अब मुझे ही साफ करनी पड़ेगी।

खून का नाम सुनते ही दीपाली चौंक गई और जल्दी से उठने की कोशिश करने लगी.. मगर उससे उठा ही नहीं गया। उसकी चूत में तेज़ दर्द हुआ और उसकी टाँगें भी जबाव दे गई थीं।

अनुजा- अरे दीपाली, चौकों मत.. ऐसे झटके से मत उठो.. अभी तो चूत में दर्द है और ये खून तो शगुन का निकला है मेरी जान.. आज से तुझे चुदवाने का लाइसेंस मिल गया है।

क्रमशः
 •
      Find
Reply


deshpremi Offline
Soldier Bee
**
Joined: 04 Jan 2015
Reputation: 2,685


Posts: 580
Threads: 6

Likes Got: 53
Likes Given: 25


db Rs: Rs 149.48
#7
14-07-2015, 07:27 PM
दीपाली- दीदी क्या इसी लिए मुझे इतना दर्द हुआ और बहुत ज़्यादा खून निकला है?

अनुजा- अरे पागल.. थोड़ा सा निकला है.. चल मेरा हाथ पकड़ कर बैठ जा और खुद देख ले।

दीपाली ने जब देखा तो उसको समझ आ गया कि घबराने की कोई बात नहीं है.. ज़रा सा खून निकला है।

विकास- तुम दोनों बातें करो.. मैं बाथरूम में जा कर लौड़े को साफ करके आता हूँ।

अनुजा- अच्छा जी.. चुदाई ख़तम तो मुँह फेर लिया.. अकेले ही कहाँ जा रहे हो मेरे राजा.. दीपाली की चूत कौन साफ करेगा.. चलो इसको भी उठाओ और साथ लेकर जाओ।

दीपाली- नहीं दीदी.. मैं खुद से चली जाऊँगी.. सर को जाने दो।

दोस्तों चुदाई का खुमार उतारते ही दीपाली को शर्म आने लगी थी.. वो पाँव को सिकोड़ कर बैठी थी।

अनुजा- ये देखो चूत में 8″ की खाई खुदवा कर अब इसे शर्म आ रही है.. तब तो बड़ा उछल रही थी.. आह्ह… ज़ोर से करो सर.. तब शर्म नहीं आई?

दीपाली ने अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया।

दीपाली- दीदी प्लीज़.. वो सब बातें मत दोहराओ.. मुझे तो सोच कर ही शर्म आ रही है.. छी: ये मैंने क्यों किया? ये सब वो भी सर के साथ…

विकास- अनु लगता है इसकी शर्म उतारनी ही पड़ेगी। तू जा कुछ खाने का इंतजाम कर.. तब तक हम फ्रेश हो जाते हैं और हाँ.. ऐसे ही नंगी जाना।

अनुजा अपने चूतड़ मटकाती हुई वहाँ से चली गई।

विकास बिना कुछ बोले दीपाली के पास गया और उसको बांहों में उठा कर बाथरूम में ले गया. वहाँ उसको कमोड पर बैठा कर बाथटब में गर्म पानी डाला और उसी गर्म पानी से हल्के-हल्के हाथ से दीपाली की चूत पर लगा खून साफ किया।

दीपाली- आह्ह… सर मैं कर लूँगी.. आह्ह… आप रहने दो.. उई दुखता है…

विकास- अरे जान.. अब ये सर को गोली मारो.. अनु मुझे राजा कहती है.. तुम भी ऐसे ही कहो और अब कैसी शर्म.. मुझे करने दो.. थोड़ी देर में आराम मिल जाएगा।

इसके बाद दीपाली कुछ ना बोली और बस विकास को चूत साफ करते हुए देखती रही। फिर ना जाने उसको क्या समझ में आया कि अपने हाथ पर पानी डाल कर वो विकास के लौड़े को साफ करने लगी। उसका अंदाज इतना प्यारा और सेक्सी था कि विकास के सोए लंड में जान आ गई और वो फिर से अकड़ने लगा।

दीपाली- ऊ माँ.. ये तो फिर से खड़ा हो गया…

विकास- सोए हुए नाग को जगाओगी तो फुफकारेगा ना…

दीपाली- ओह्ह.. सर आप भी ना…

विकास- अरे अभी बताया ना.. राजा बोलो.. जानू बोलो यार…

दीपाली- ओके ओके बाबा.. अब से राजा नहीं.. राजा जी कहूँगी.. मगर अब इसका क्या करना है.. ये तो तनता ही जा रहा है।

विकास- यार भूखे को सिर्फ़ एक निवाला देकर रुक जाओगी तो उसकी तो भूख और बढ़ जाएगी ना.. और वो एकदम बेसब्र हो जाएगा.. बस इसी तरह मेरे प्यासे लौड़े को एक बार कच्ची चूत दे कर तुम रुक गईं.. अब ये दुबारा तो मांगेगा ना…

दीपाली- ना बाबा ना.. अब मैं नहीं दूँगी.. पहले ही बहुत दर्द से लिया मैंने.. अब तो सवाल ही पैदा नहीं होता।

विकास- अरे मेरी जान.. दर्द पहली बार में ही होता है और तुम तो 18 साल की हो यार.. इतनी उम्र की कितनी लड़कियाँ चुद जाती हैं.. उनको कितना दर्द होता होगा.. जरा सोच कर देख.. तू तो बच्चा भी पैदा कर सकती है यार.. पहले जमाने में तेरी उम्र में 2 बच्चे हो जाते थे।

दीपाली- सच्ची ओह्ह.. माँ.. पहले कितनी जल्दी शादी कर देते थे ना.. बाल-विवाह.. अच्छा हुआ अब ऐसा नहीं होता…


विकास- ये सब बातें जाने दे.. चल टब में बैठ जा.. गर्म पानी से चूत को अच्छे से सेंक ले.. ये सब बातें फ़ुर्सत में करेंगे.. मैं बाहर जाकर अनुजा को देखता हूँ.. इतनी देर से वो क्या कर रही है।

विकास वहाँ से निकल कर सीधा रसोई में गया। अनुजा ट्रे में कुछ चिप्स और बिस्कुट रख रही थी. चाय भी रेडी थी।

विकास चुपके से उसके पीछे जाकर उससे चिपक गया, लौड़ा ठीक गाण्ड के छेद पर टिका हुआ था और आगे से विकास उसके मम्मों को दबाने लगा।

अनुजा- ओह्ह.. क्या करते आप भी.. अभी सब नीचे गिर जाता.. छोड़ो भी।

विकास- जान आज तो बड़ी मस्त लग रही हो.. मन करता है ऐसे खड़े-खड़े ही तुम्हारी गाण्ड मार लूँ…

अनुजा- बस बस.. मुझे ज़्यादा उल्लू मत बनाओ.. तुम्हें दीपाली जैसी मस्त लड़की मिल गई.. अब कहाँ मेरे बारे में सोचोगे।

विकास- अरे नहीं अनु.. ऐसा कुछ नहीं है. तुम तो मेरी जान हो.. दीपाली तो आज आई है.. मैं तो तुम्हें कब से चाहता हूँ और जिंदगी भर चाहता रहूँगा.. ऐसी किसी भी लड़की के आ जाने से मेरे प्यार में कोई फ़र्क नहीं आएगा।

अनुजा- अच्छा अच्छा.. ज़्यादा दु:खी मत हो.. मैंने ऐसे ही बोल दिया था.. मैं कहाँ भाग कर जा रही हूँ.. जब चाहे चोद लेना.. अभी तो उस कमसिन कली के मज़े लो।

विकास- कहाँ यार.. वो तो अब साफ मना कर रही है।

अनुजा- अरे मेरे भोले राजा.. जब चूत को एक बार लंड की लत लग जाती है ना.. तो कुछ भी हो जाए उसको लौड़ा लिए बिना चैन नहीं मिलता.. वो शर्मा रही है.. बस देखो अभी कैसे उसको तैयार करती हूँ.. तुम तो आज बस उसको चोद-चोद कर लंड की आदी बना दो ताकि मैं कभी गाँव जाऊँ तो तुम्हें तड़पना ना पड़े.. अपने आप वो चुदवाने चली आए.. समझे…

विकास- हाँ ये तो ठीक है मगर अभी कहाँ वो चुदवाएगी.. उसका जाने का वक्त भी हो गया है।

अनुजा- मेरे पास एक तरकीब है.. चलो अन्दर जाकर बताती हूँ।

दोनों वहाँ से वापस कमरे में आ जाते हैं, तब तक दीपाली भी अच्छे से चूत की सिकाई करके नहा कर रूम में आ जाती है।

दीपाली वैसे ही नंगी बैठी हुई अपनी चूत को देख रही थी।

अनुजा- क्या बात है बहन.. चूत को बड़ी गौर से देख रही हो.. क्या इरादा है?

दीपाली- कुछ नहीं.. बस देख रही हूँ कि कैसे सूज कर लाल हो गई है.. दर्द अब भी हो रहा है।

अनुजा- एक बार और चुदवा ले.. सारा दर्द भाग जाएगा और मज़ा भी मिल जाएगा।

दीपाली- नहीं दीदी.. आज के लिए इतना काफ़ी है.. अब मुझे जाना होगा. मम्मी इन्तजार कर रही होंगी।

अनुजा- दीपाली तेरी मम्मी को पता है ना.. तू कहाँ पढ़ने आती है।

दीपाली- हाँ मैंने बताया है और खास आपके बारे में बताया है कि कैसे आप मेरा ख्याल रखती हो।

अनुजा- वेरी गुड.. अब चल जल्दी से अपने घर का फ़ोन नम्बर दे।

दीपाली- क्यों दीदी.. आप क्या करोगी?

अनुजा- अरे पगली ऐसी हालत में घर जाएगी तो तेरी माँ को शक हो जाएगा.. तू एक-दो घंटा यहाँ रुक.. मेरे पास दर्द की दवा है.. तुझे दूँगी… तू जब एकदम बराबर सही से चलने लगेगी.. तब जाना।

दीपाली- वो तो ठीक है.. पर फ़ोन नम्बर से क्या होगा?

अनुजा- तू सवाल बहुत करती है.. नम्बर दे, अभी पता चल जाएगा।

दीपाली से नम्बर लेकर अनुजा उसके घर फोन करती है।

वो कहते हैं ना देने वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है।

अनुजा- हैलो मैं अनुजा बोल रही हूँ, वो आंटी क्या है ना कि मेरे पति किसी काम से बाहर गए हैं, मैं घर पर अकेली हूँ, मेरी तबीयत भी ठीक नहीं है.. आप को ऐतराज ना हो तो दीपाली थोड़ा बाद में आ जाएगी।

दीपाली की मम्मी- अरे नहीं नहीं.. अनुजा बेटी… मुझे क्या दिक्कत होगी… बल्कि तुमने फ़ोन करके मेरी बहुत बड़ी परेशानी ख़त्म कर दी.. दरअसल मेरे भाई की तबीयत खराब है.. मुझे और दीपाली के पापा को गाँव जाना था, मगर दीपाली के कारण मुश्किल हो रही थी। इसके इम्तिहान करीब हैं इसको साथ नहीं ले जा सकते.. और यहाँ अकेली किसी के पास छोड़ नहीं सकते.. अब मेरी दिक्कत ख़तम हो गई.. तुमको परेशानी ना हो तो प्लीज़ एक दिन इसे अपने पास रख लो.. बड़ी मेहरबानी होगी तुम्हारी.. कल शाम तक हम आ जाएँगे।

अनुजा- अरे आंटी आप ये कैसी बात कर रही हो… दीपाली मेरी छोटी बहन जैसी है, आप चिंता मत करो.. मैं उसे संभाल लूँगी।

दीपाली की मम्मी- अच्छा सुनो.. सुबह इसे जल्दी उठा देना. स्कूल के लिए तैयार होने में इसे बहुत वक्त लगता है और इसका बैग और ड्रेस तो यहीं है. प्लीज़ तुम सुबह इसके साथ आ जाना मैं घर की चाबी गमले में रख दूँगी. दीपाली को पता है कहाँ है गमला…

अनुजा- ओके आंटी.. जरूर.. आप बेफिकर रहो।

दीपाली को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर क्या हो रहा है।

उसने जब अपनी मम्मी से बात की तब उसको समझ आया और उसने भी ‘हाँ कह दी- आप बेफिकर होकर जाओ दीदी बहुत अच्छी हैं.. मुझे कोई परेशानी नहीं होगी।

विकास को अभी भी कुछ समझ नहीं आया था.. वो बस दोनों को देख रहा था।

क्रमशः
 •
      Find
Reply


deshpremi Offline
Soldier Bee
**
Joined: 04 Jan 2015
Reputation: 2,685


Posts: 580
Threads: 6

Likes Got: 53
Likes Given: 25


db Rs: Rs 149.48
#8
14-07-2015, 07:35 PM
फ़ोन रखने के बाद विकास ने अनुजा से पूछा- क्या हुआ?

अनुजा- मेरे राजा आपकी किस्मत बहुत अच्छी है.. मैंने तो सोचा दीपाली को एक घंटा और रोक लूँ.. ताकि आपको एक बार और इसकी मचलती जवानी को भोगने का मौका मिल जाए.. मगर भगवान ने तो इसे कल शाम तक यहीं रोक दिया अब तो सारी रात आप इसके साथ रासलीला कर सकते हो।

दीपाली- छी: .. दीदी आप भी ना कितनी गंदी बातें करती हो और आपने झूट क्यों बोला कि दवा दोगी मुझे.. आपका इरादा तो कुछ और ही है।

अनुजा- अरे नहीं मैंने कोई झूट नहीं बोला तुमसे.. दवा तो अब भी दूँगी.. पहले नास्ता तो कर लो और हाँ विकास के साथ चुदाई तो दवा लेने के बाद भी कर सकती हो यार.. मौका मिला है तो इस पल को अच्छे से एंजाय करो ना.. चल अब नास्ता कर ले बाकी बातें बाद में होती रहेंगी।

तीनों नंगे ही बैठे नाश्ता करने लगे.. उनको देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कोई आदिवासी कबीले के लोग हैं जिनको कपड़े क्या होते हैं.. पता ही नहीं है.. उनमें कोई शर्म नहीं थी।

नाश्ता करते हुए दीपाली ने अनुजा से कहा।

दीपाली- दीदी एक बात अभी तक समझ नहीं आई.. सर आपके पति हैं फिर भी आपको कोई ऐतराज नहीं कि ये मेरे साथ चुदाई कर रहे हैं बल्कि आप खुद इनसे मुझे चुदवा रही थीं.. ऐसा क्यों?

अनुजा- अरे दीपाली.. मैं उन औरतों जैसी नहीं हूँ जो पति को पल्लू से बाँध कर रखती हैं। तुमको नहीं पता उनके पति उनसे छुप कर कहीं ना कहीं मुँह काला करते हैं और उनको प्यार भी दिखावे का करते हैं मगर मेरा विकास मुझ पर जान छिड़कता है.. इसी लिए मुझे भी अपने पति का ख्याल है.. लौड़े का तो कोई नुकसान होता नहीं है.. कितनी भी चूत रगड़ लो.. तो मुझे क्या दिक्कत.. और इसमें मेरा एक और फायदा है.. कभी अगर मेरे मन में ना हो तो पति को नाराज़ नहीं करूँगी.. सीधा तुम्हें बुला लूँगी.. तुम चुदवा लेना इससे. विकास भी खुश.. मैं भी खुश।

दीपाली- और मेरी ख़ुशी का क्या?

विकास- अरे मेरी जान.. तेरी ख़ुशी के लिए ये लौड़ा है ना.. तू जब चाहे इसको अपनी चूत में ले लेना हा हा हा हा…

विकास के साथ अनुजा भी ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी।

दीपाली- उहह सबको अपनी पड़ी है.. जाओ नहीं चुदवाती में.. अब क्या कर लोगे तुम.. दीदी आप बहुत गंदी हो अपने मतलब के लिए मुझे इस्तेमाल किया आपने।

अनुजा- अरे रे रे.. तू तो बुरा मान गई.. कसम से मैं तो मजाक कर रही थी यार.. तुझे सब अच्छे से समझ आ जाए और तू भी मज़ा ले सके.. बस इसलिए मैंने ये किया…

दीपाली- हा हा हा हा निकल गई ना हवा.. जब मुझे छेड़ रहे थे दोनों.. तब बड़ा मज़ा आ रहा था.. मैंने थोड़ा सा गुस्सा होने का नाटक किया तो आप डर गईं।

विकास- ले अनु तेरे नहले पे दहला मार दिया इसने…

अनुजा- हाँ वाकयी में एक बार तो मैं डर गई थी।

दीपाली- नहीं दीदी.. आपको डरने की कोई जरूरत नहीं है.. आपने जो किया अच्छा किया.. अब हम दोनों राजा जी से चुदाएंगे.. बड़ा मज़ा आएगा…

अनुजा- ओये होये राजा जी.. क्या बात है अब तक तो सर बोल रही थी.. तेरी चूत की सील तोड़ते ही सीधे राजा जी.. गुड.. आगे खूब तरक्की करोगी तुम…

विकास- दीपाली ऐसी सेक्सी बातें करोगी तो मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा देख मेरे लौड़े में तनाव आने लगा है.. अब नास्ता भी हो गया.. आजा मेरी जान तेरी चूत का स्वाद चखा दे मेरे लौड़े को…

दीपाली- सब्र करो पहले मुझे दवा तो लेने दो वरना फिर से मेरी जान निकल जाएगी।

अनुजा- अरे हाँ.. पहले दवा ले ले उसके बाद चुदाई का मज़ा लेना.. चुदाई करवा के आराम से सो जाना…

विकास- अनु तुम भी कहाँ सोने की बात कर रही हो.. ऐसी कमसिन कली साथ होगी तो नींद किसे आएगी.. आज तो सारी रात बस इसकी चूत में लौड़ा डाल कर पड़ा रहूँगा।

अनुजा- अच्छा बच्चू.. और मेरा क्या होगा.. कब से मेरी चूत में खुजली हो रही है…

दीपाली- दीदी मेरे बाद आप चुदवाना.. प्लीज़ मुझे आपकी चुदाई देखनी है…

अनुजा- ठीक है देख लेना.. अच्छा रुक मैं तुझे दवा देती हूँ। उसके बाद तुम दोनों मज़े करना.. मुझे बाजार जाना है एक जरूरी काम है।

अनुजा ने एक गोली दीपाली को दे दी और जाने लगी।

दीपाली- नहीं दीदी आप यहीं रहो ना प्लीज़…

अनुजा- अरे पगली बस अभी जाकर आती हूँ कुछ समान लाना है.. अभी लेकर आ जाती हूँ और कुछ खास काम भी है.. आकर तुझे बताऊँगी।

दीपाली बुझे मन से अनुजा को जाने देती है। अनुजा के जाने के बाद विकास उसके पास बैठ जाता है और उसके मम्मों को सहलाने लगता है।

विकास- क्या हुआ रानी.. अनुजा के जाने से खुश नहीं हो क्या.. मैं हूँ ना.. तुम्हारा ख्याल रखने को…

दीपाली- नहीं सर.. ओह्ह.. सॉरी.. राजा जी ऐसी बात नहीं है मैं खुद यही चाहती हूँ कि दीदी कहीं चली जाए और मैं आपसे खुल कर बात कर सकूँ.. पर दीदी के बारे में सोच कर दुखी हूँ.. कोई तो बात है जिसके कारण वो अपने पति को किसी अनजान लड़की को चोदते देख रही हैं. कहीं उनकी कोई मजबूरी तो नहीं?

विकास- ओ बेबी कूल.. ऐसा कुछ नहीं है.. हम दोनों में कोई ऐसी बात नहीं है तुम गलत समझ रही हो.. वो किसी मजबूरी में नहीं बल्कि ख़ुशी से ये सब कर रही है।

दीपाली के चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ गए और वो विकास से लिपट गई।

विकास- ये हुई ना बात अब चल जब तक अनुजा आए हम एक बार और खुल कर चुदाई का मज़ा ले लेते हैं.. कसम से तेरी चूत बहुत दमदार है. साली लौड़े को ऐसे जकड़ लेती है जैसे कभी छोड़ेगी ही नहीं।

दीपाली- आप भी दीदी की तरह बेशर्म हो।

विकास- अरे रानी.. अगर चुदाई का मज़ा लेना है ना.. तो बेशर्म होना ही पड़ता है.. अगर यकीन नहीं आता तो आजमा लो और देखो कितना मज़ा आएगा।

दीपाली- मैंने उस स्टोरी में ये सब पढ़ा था.. चलो मैं ट्राइ करती हूँ।

विकास- हाँ ठीक है.. मैं भी तुम्हारा साथ दूँगा।

दीपाली- अरे मेरे चोदूमल, आ जा. देख तेरे इन्तजार में कैसे चूत टपक रही है.. जल्दी से अपने लौड़े को घुसा दे और मेरी चूत को ठंडा कर दे हा हा हा हा हा मुझसे नहीं होगा कुछ भी हा हा हा।

विकास- अरे हँस मत.. अच्छा बोल रही थी तू.. प्लीज़ जान बोलो ना.. मज़ा आएगा।

दीपाली- ओके ओके.. आप पहले मेरे इस डायलाग का तो जबाव दो।

विकास- अरे जानेमन.. अभी देख कैसे मैं अपने लंबे लौड़े से तेरी चूत की गर्मी निकालता हूँ।

दीपाली फिर ज़ोर से हँसने लगी इस बार विकास भी उसके साथ हँसने लगा और हँसते-हँसते उसने दीपाली को बांहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा। दीपाली भी उसका साथ देने लगी।

अब दोनों हँसी-मजाक से दूर काम की दुनिया में खो गए थे। विकास उसके निप्पलों को चूस रहा था तो वो अपने हाथ से उसके लौड़े को दबा रही थी।

दीपाली- आह्ह… उफ्फ.. आपका ये अंदाज बहुत अच्छा लगता है.. उई आह्ह… ऐसे ही चूसो.. मज़ा आ रहा है आह्ह… मुझे आपका लौड़ा चूसना है.. पता नहीं क्यों मेरे मुँह में पानी आ रहा है और मन कर रहा है लौड़ा चूसने को…

विकास- मेरी जान मुझे भी तो अपनी कमसिन चूत का मज़ा दो.. चलो तुम मेरे ऊपर आ जाओ.. अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दो और तुम आराम से लौड़ा चूसो।

दोनों 69 की अवस्था में आ गए और मज़े से चुसाई करने लगे।

दीपाली की सूजी हुई चूत को विकास की जीभ से बड़ा आराम मिल रहा था। वो एकदम गर्म हो गई थी और टपकने लगी थी.. इधर विकास पर भी चुदाई का खुमार चढ़ने लगा था.. पानी की बूँदें तो उसके लौड़े से भी आ रही थीं क्योंकि दीपाली होंठों को भींच कर मुँह को ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थी जिससे विकास को बड़ा मज़ा आ रहा था। दस मिनट तक ये खेल चलता रहा। विकास ने चूत को चाटना बन्द किया और दीपाली को हटने को कहा।

दीपाली- उफ्फ.. कितना मज़ा आ रहा था क्या हुआ हटाया क्यों.. आपके लौड़े में क्या मज़ा है.. सच्ची.. दिल करता है बस चूसती रहूँ।

विकास- अरे चूस लेना मेरी जान.. पहले इसको चूत का मज़ा लेने दे.. साली तेरी टाइट चूत को पहले चोद-चोद कर ढीला कर दूँ.. उसके बाद जितना मर्ज़ी लौड़ा चूसना.. चल अब तू घोड़ी बन जा.. तुझे नए तरीके से चुदना सिखाता हूँ।

दीपाली- हाँ मज़ा आएगा.. मैंने डीवीडी में देखा था.. चलो मैं घोड़ी बन जाती हूँ.. पर आराम से डालना.. मुझे मज़ा लेना है.. प्लीज़ दर्द मत देना।

विकास- अरे मेरी जान तूने लौड़े को चूस कर इतना चिकना कर दिया है कि तेरी चूत में फिसलता हुआ सीधा अन्दर जाएगा।

दीपाली घुटनों के बल घोड़ी बन जाती है मगर अनुभव ना होने क कारण कमर को काफ़ी उँचा कर लेती है।

विकास- अरे जान तू घोड़ी की जगह ऊँठनी बन गई.. चूतड़ों को नीचे कर.. ताकि तेरी चूत मेरे लंड की सीध में आ जाए…

विकास ने उसको ठीक से बताया तब वो सही आसन में आई।

विकास ने लौड़े को चूत के मुँह पर रख कर धीरे से धक्का मारा.. आधा लौड़ा चूत में ‘पक्क’ से घुस गया।

क्रमशः
 •
      Find
Reply


deshpremi Offline
Soldier Bee
**
Joined: 04 Jan 2015
Reputation: 2,685


Posts: 580
Threads: 6

Likes Got: 53
Likes Given: 25


db Rs: Rs 149.48
#9
14-07-2015, 07:36 PM
दीपाली- आआह्ह… आराम से डालो ना.. दुःखता है आह्ह…

विकास- मेरी जान जब तक तू दो-तीन बार मुझसे चुदवा नहीं लेगी.. ये दर्द होता रहेगा.. अब इससे धीरे मुझसे नहीं होगा, चल थोड़ा बर्दाश्त कर ले.. मैं पूरा डालता हूँ.. उसके बाद हलके धक्के मारूँगा।

विकास ने पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया और धीरे-धीरे झटके मारने लगा। लगभग 5 मिनट बाद दीपाली को दर्द कम हुआ और उसको मज़ा आने लगा।

दीपाली- आ.. आह उहह.. राजा जी आह्ह… अब मज़ा आ रहा है.. पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर एक साथ अन्दर डालो आह्ह… मेरी चूत में बड़ी खुजली हो रही है।

विकास- अभी ले मेरी रानी तेरी चूत बहुत टाइट है साली.. ऐसी नुकीली चूत चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा है.. ले ... और ले आह्ह… मज़ा आ गया मेरा लौड़ा आह्ह… साली चूत को टाइट मत कर आह्ह… लौड़ा आगे-पीछे करने में दुःखता है आह्ह…

दीपाली- आआह्ह… आईईइ उहह.. ससस्स चोदो आह्ह… अई कककक ज़ोर-ज़ोर से आह्ह… चोदो मज़ा आ रहा है मेरे लौड़ूमल आह्ह… मज़ा आ रहा है।

विकास पर अब जुनून सवार हो गया वो सटासट लौड़ा पेलने लगा। अब उसकी रफ्तार बढ़ गई थी.. दीपाली भी गाण्ड को पीछे झटके दे कर चुद रही थी। कोई 15 मिनट बाद दीपाली का रस निकल गया विकास भी झड़ने के करीब था।

आख़िर दीपाली की गर्म चूत में उसका लौड़ा ज़्यादा देर तक टिका नहीं रह सका उसने भी दम तोड़ दिया.. चूत का कोना-कोना पानी से भर गया।

पानी निकाल गया मगर विकास ने लौड़ा अब भी बाहर नहीं निकाला और दीपाली की गाण्ड सहलाने लगा।

दीपाली- उफ़फ्फ़ राजा जी.. आप तो बड़े मस्त चोदते हो.. मेरी टाँगें दु:खने लगी हैं.. अब तो लौड़ा निकाल लो.. अब क्या इरादा है।

विकास- जान तेरी गाण्ड भी बहुत मस्त है… सोच रहा हूँ अबकी बार तेरी गाण्ड ही मारूँ.. साली क्या मक्खन जैसी चिकनी गाण्ड है.. बड़ा मज़ा आएगा इसे मारने में।

दीपाली- अभी तो लौड़ा बाहर निकालो बाद की बाद में देख लेना और गाण्ड कैसे मारोगे.. इसमें कैसे लौड़ा जाएगा?

विकास एक तरफ सीधा लेट गया.. दीपाली उसके सीने पर सर रख कर उसके लौड़े को देखने लगी.. जो अब ढीला हो गया था।

विकास- मेरी जान जैसे चूत में जाता है उसी तरह गाण्ड में भी चला जाएगा.. तू बस देखती जा मैं कैसे-कैसे तुझे चोदता हूँ।

दीपाली- हाँ मेरे राजा जी.. अब तो मैं आप की हूँ जैसे चाहो चोद लेना.. सच में अगर पहले पता होता कि चुदाई में ऐसा मज़ा मिलता है.. तो कब की चुदवा लेती मैं.. अच्छा एक बात पूछू?

विकास- हाँ रानी पूछो।

दीपाली- ये लौड़ा अभी कितना नर्म हो गया है और छोटा भी.. मगर चोदने के वक्त कैसे लंबा और कड़क हो जाता है.. ये बात मेरी समझ में नहीं आई।

विकास- अरे ये तो साधारण सी बात है देखो ये इसकी असली अवस्था है.. जब आदमी के दिमाग़ में कोई गंदी बात आती है या वो कुछ ऐसा देख ले जिससे उसकी उत्तेजना जाग जाए.. तब दिमाग़ इसे आदेश देता है और इसकी नसें अकड़ने लगती हैं या यूँ कहो.. लंड में तनाव आने लगता है।

दीपाली- अच्छा तो कुछ गंदा सोचने या देखने से ही ये अकड़ता है क्या?

विकास- नहीं.. इसके अलावा भी बहुत से कारण हैं.. जैसे किसी ने इसे सहला दिया हो या किसी लड़की के साथ जाँघ से जाँघ मिला कर बैठने से भी इसमें तनाव आ जाता है.. कई बार तो आदमी को पता भी नहीं चलता कि ये क्यों खड़ा है.. बस इसके संपर्क में कोई भी लड़की या औरत आ जाए तो इसका तनाव शुरू हो जाता है।

दीपाली- अच्छा अगर कोई भी पास ना हो.. दिमाग़ में कोई गंदी बात भी ना हो, तब तो ये सोया ही रहता है ना…

विकास- नहीं.. एक और बड़ा कारण है जिसकी वजह से ये खड़ा हो जाता है। देखो हफ्ते या दस दिन में अगर वीर्य बाहर नहीं निकाला जाता तो रात को सोते हुए ये खड़ा हो जाता है और वीर्य बाहर फेंक देता है.. उसे स्वप्नदोष कहते हैं।

दीपाली- बाप रे, ये तो बहुत शैतान है.. इसको तो बस किसी ना किसी बहाने खड़ा होना है.. वैसे एक बात है.. इन दो दिनों में मुझे बहुत ज्ञान की बातें पता चल गई हैं थैंक्स सर.. जो अपने मेरी इतनी मदद की।

विकास- अरे मैंने कहा ना सर नहीं बोलो राजा जी अच्छा था..

दीपाली- नहीं.. मुझे कभी-कभी सर बोलने दो.. वरना स्कूल में कहीं मुँह से राजा जी निकल गया तो मामला बिगड़ जाएगा।

विकास- हाँ बात तो सही है।

दीपाली- अच्छा एक बात और बताओ.. ये एक दिन तो में यहीं हूँ.. उसके बाद अगर मेरी चुदने की इच्छा हुई तो मैं क्या करूँगी?

विकास- अरे मेरी रानी में हूँ ना.. जब चाहो आ जाना.. मेरा लौड़ा हमेशा तेरी चूत के लिए खड़ा रहेगा।

दीपाली- और दीदी का क्या होगा? मुझे तो अब भी बहुत अजीब लग रहा है कि वो कैसे अपने पति को किसी अनजान लड़की से चुदाई करने की इजाज़त दे रही है।

विकास- अरे उसकी चिंता तुम मत करो ... वो तो रोज रात को चुदवाती है.. तुम शाम को आ जाना.. मैं तेरी चूत को ठंडा कर दूँगा.. वैसे अनुजा के ऐसा करने में उसका कोई ना कोई स्वार्थ तो जरूर है और देख लेना वक़्त आने पर वो जरूर बता देगी.. अब तू ज़्यादा सोच मत बस मजे ले।

दीपाली बड़े प्यार से विकास के लौड़े को सहला रही थी और बातें कर रही थी। करीब आधा घंटा दोनों वैसे ही लिपटे बातें करते रहे।

दीपाली- सर देखो.. इसमें तनाव आने लगा है।

विकास- तो इसमें देखने की क्या बात है.. तेरे मुलायम हाथ कब से इसे सहला रहे हैं तनाव तो आएगा ही.. अरे मैं तो जवान हूँ अगर तू ऐसे किसी बूढ़े का लौड़ा सहलाती ना.. तो उसमें भी जान आ जाती।

दीपाली- क्यों बूढ़े आदमी का खड़ा नहीं होता क्या?

विकास- होता तो है मगर बहुत ज़्यादा उत्तेजित होने पर.. वरना नहीं और वैसे भी बूढ़े लौड़े में कसाव कहाँ होता है.. अगर ग़लती से खड़ा भी हो जाए तो क्या कर लेगा.. चुदाई करना उनके बस में नहीं.. इसके लिए घुटनों में जान होनी चाहिए.. कोई बूढ़ा अगर झटके मारेगा तो साले के घुटने में दर्द हो जाएगा या कमर अकड़ जाएगी हा हा हा हा…

दोनों खिलखिला कर हँसने लगे.. विकास का लौड़ा अब अपने विकराल रूप में आ गया था, जिसे देख कर दीपाली के मुँह में पानी आने लगा और उसने झट से लौड़े को मुँह में ले लिया और मज़े से चूसने लगी।

तभी अनुजा वापस आ गई।

अनुजा- वाह क्या बात है.. मुझे गए हुए कितना वक्त हो गया.. मैंने सोचा अब तक तो तुम दोनों मज़े से चुदाई करके थक गए होगे.. मगर यहाँ तो अभी तक लौड़ा चूसा जा रहा है.. इतनी देर क्या भजन गा रहे थे।

विकास- अरे आओ आओ.. मेरी जान.. तुम वहीं खड़ी बोलती रहोगी क्या.. यहाँ बिस्तर पर तो आओ।

अनुजा- क्या विकास.. आप भी ना.. अब इसे लौड़ा चुसा रहे हो.. चोदोगे कब?

इतने वक्त तक क्या कर रहे थे.. कम से कम एक बार तो आपको चोद ही लेना चाहिए था ना…

दीपाली ने लौड़ा मुँह से बाहर निकाला और थोड़े गुस्से में बोली।

दीपाली- क्या दीदी आप भी बिना बात सुने.. बोले जा रही हो.. सर ने मुझे घोड़ी बना कर चोदा है.. ये तो सर का लौड़ा दोबारा खड़ा हो गया.. इसलिए बस चूस कर मज़ा ले रही थी कि अपने सब चौपट कर दिया।

अनुजा- ओह्ह.. तो ये बात है.. घोड़ी बन कर चुद चुकी हो.. हाँ और अब भी तेरी प्यास मिटी नहीं कि दोबारा लौड़े को चूस कर तैयार कर रही हो.. क्या बात है लगता है दवा असर कर गई.. तेरा दर्द ख़तम हो गया क्या?

दीपाली- हाँ दीदी आज ही तो चुदना सीखा है.. इतनी जल्दी थोड़े ही मेरी प्यास मिटेगी.. अब दर्द काफ़ी कम है पहली बार तो दर्द हुआ दूसरी बार थोड़ा मज़ा आया.. अबकी बार तो और ज़्यादा मज़ा आएगा ना..

विकास- हाँ मेरी छोटी रानी… तू सही बोली.. चुदाई का मज़ा हर बार बढ़ कर ही आता है।

अनुजा- बस भी करो.. तुम दोनों चुदाई का मज़ा लेते रहोगे तो क्या मैं सीढ उंगली घुसाऊँगी अपनी चूत में… विकास एक बार तो मेरी चूत भी ले लो यार.. उसके बाद तुम्हारे लौड़े में दम नहीं रहेगा।

विकास- अरे मेरी जान.. एक बार क्यों चल दो बार लूँगा तेरी .. उसके बाद इसको चोदूँगा और तुझे क्या पता मेरे लौड़े में कितना दम है.. आज तो पूरी रात ये ऐसे ही खड़ा रहेगा.. चल आ जा तेरी चूत की खुजली भी मिटा देता हूँ।

दीपाली- हाँ दीदी.. मुझे भी आपकी चुदाई देखनी है.. अब तो आप आ ही जाओ बस।

अनुजा- अरे अभी नहीं रात को चुदवाऊँगी यार.. अभी खाना भी बनाना है…

दीपाली- दीदी, उसकी चिंता न करो ... खाना मैं बना दूंगी।

दीपाली उठ कर किचन की तरफ बढती है पर विकास उसके पीछे है और अनु विकास के पीछे.

विकास- अरे, तुम अकेली क्यों बनाओगी... मैं भी साथ दूंगा तुम्हारा।

अनुजा- ओये होये.. मेरा राजा.. क्या बात है… बड़ा प्यार आ रहा है दीपाली पर.. कभी मेरे को तो रोटियां बनाने में मदद नहीं की तुमने?

विकास- अरे जान ये बच्ची है.. इसलिए मदद कर रहा हूँ और कोई बात नहीं है।

अनुजा- अच्छा बच्ची है.. जिस तरह तुम इसको चोद रहे हो.. सारा पानी इसकी चूत में भर रहे हो.. जल्दी ही ये बच्ची को एक बच्चा हो जाएगा।

ये सुनते ही दीपाली के होश उड़ गए।

क्रमशः
 •
      Find
Reply


deshpremi Offline
Soldier Bee
**
Joined: 04 Jan 2015
Reputation: 2,685


Posts: 580
Threads: 6

Likes Got: 53
Likes Given: 25


db Rs: Rs 149.48
#10
14-07-2015, 07:37 PM
दीपाली- क्या.. नहीं दीदी.. प्लीज़ ऐसा मत कहो.. मेरी तो जान निकल जाएगी… क्या सच्ची मेरे को बच्चा होगा?

अनुजा- हा हा हा विकास.. देखो तो इसके चेहरे का रंग कैसे उड़ गया.. अरी मेरी प्यारी बहना.. मेरे होते हुए ऐसा कभी नहीं होगा.. तेरे लिए दवा लाई हूँ ना.. इसी लिए तो मैं गई थी। यही था वो खास काम.. इतनी जल्दी थोड़े तुझे माँ बनने दूँगी.. अभी तो चुदाई का भरपूर मज़ा लेना है तेरे को… चल अब रोटी बना और आप यहाँ से जाओ.. काम करने दो हमको…

विकास- अरे यार, मैंने वो वाली गोली ले ली है। देख लौड़ा कैसे झटके मार रहा है प्लीज़.. तुम अपना काम करो और मुझे अपना काम करने दो।

अनुजा- ठीक है.. ठीक है.. कर लो अपना काम.. दीपाली कमर को थोड़ा और मोड़ कर रोटी बना लो ताकि ये अपना लौड़ा तेरी चूत में डाल सके।

विकास- नहीं यार.. इसकी गाण्ड बड़ी मस्त है.. मेरा मन तो इसकी गाण्ड मारने का हो रहा है।

अनुजा- पागल हो गए हो क्या.. रोटी बनाते हुए इसकी कुँवारी गाण्ड कैसे मारोगे.. पता है ना पहली बार में क्या होगा.. वो तुम रात को आराम से मार लेना.. अभी चूत से ही काम चलाओ।

दीपाली- हाँ सर.. दीदी की बात सुन कर चूत में खुजली होने लगी है। राजाजी, डाल भी दो आप अपना लौड़ा।

दीपाली ने कमर को और ज़्यादा झुका लिया.. विकास ने लौड़े पर थूक लगा कर चूत में पेल दिया।

अब दीपाली रोटी बनाने में लग गई और साथ में उसकी चुदाई भी शुरू हो गई।

विकास धीरे-धीरे उसको चोदने लगा।

अनुजा- राजा, लौड़े का सारा कस अभी निकाल दोगे.. तो इतनी लंबी रात कैसे निकलेगी।

विकास- चिंता मत कर.. अभी बस ऐसे ही थोड़ा मज़ा ले रहा हूँ पानी नहीं निकालूँगा।

अनुजा- अगर ऐसी बात है तो ठीक है थोड़ा मेरी गाण्ड में भी घुसा ददो ताकि मैं भी इस लम्हे को हमेशा याद रखूँ कि कभी रसोई में भी आपने मेरी गांड ली थी।

विकास- हाँ जानेमन.. जरूर तुम कहो और मैं ना करूँ.. ऐसा कभी हुआ है क्या?

विकास थोड़ी देर दीपाली को चोदता रहा उसके बाद उसने अनुजा की गाण्ड में लौड़ा घुसा दिया।

लगभग 15 मिनट तक ये खेल चलता रहा तब तक खाना भी बन गया।

अनुजा- अब बस भी करो.. चलो कमरे में जाकर बैठ जाओ.. हम खाना लेकर आ जाते हैं।

तीनों नंगे ही कमरे में खाना खाने लगे।

खाने के बाद वो तीनों टीवी देखने लगे।

अनुजा- ले दीपाली.. ये गोली खा ले, इस के बाद कितना भी चुद.. बच्चा नहीं होगा।

दीपाली ने बिना बोले दवा ले ली।

अनुजा- थोड़ी देर टीवी देख लेते हैं उसके बाद चुदाई शुरू करेंगे.. हम दोनों को जितना चोदना है चोद लेना.. आज जैसा मौका शायद दोबारा मिले ना मिले।

दीपाली- नहीं दीदी.. ऐसी बात मत करो अब तो हम रोज चुदाई करेंगे। अब मुझसे कहाँ बर्दाश्त होगा.. आप और मैं सर को रोज मज़े देंगे।

विकास- अच्छा मुझे मज़े दोगी.. क्यों तुम दोनों मज़े नहीं लोगी क्या?

दीपाली हँसने लगती है और उसके साथ दोनों भी मुस्कुरा देते हैं।

दीपाली- दीदी, वो वाली मूवी लगाओ ना.. उसको देख कर चुदाई करेंगे.. मज़ा आएगा…

अनुजा- अरे वो तो उस दिन हमने देख ली थी ना.. आज तुझे दूसरी दिखाती हूँ अच्छी वाली.. तू भी क्या याद करेगी।

विकास- हाँ अनु.. मैं समझ गया तू कौन सी मूवी की बात कर रही है.. चल जल्दी से लगा दे… आज दीपाली को ये भी सिखा देते हैं कि कभी दो से चुदना हो तो कैसे चुदना चाहिए।

दीपाली- दो से चुदने का क्या मतलब है दीदी?

अनुजा- अभी देख लेना यार।

अनुजा ने एक सेक्सी डीवीडी लगा दी। तीनों पास बैठ कर देखने लगे.. विकास बीच में था और वो दोनों उसके दाएँ-बा एँ बैठी हुई थीं.. फिल्म में एक लड़की बैठी हुई थी। तभी दो आदमी आकर उसको चूमने लगते हैं और धीरे-धीरे उनका चोदन शुरू हो जाता है।

असल बात यह है कि अनुजा दीपाली को यही दिखना चाह रही थी कि कैसे दो आदमी एक लड़की को चोदते हैं और हुआ भी वही.. जब दोनों उसको आगे-पीछे से चोदने लगे दीपाली बोल पड़ी।

दीपाली- ओह्ह.. माँ.. ये क्या एक साथ दो आदमी लौड़ा डाल रहे हैं.. ऐसा होता है क्या?

विकास- मेरी जान होता है.. तभी तो ये फिल्म बनी.. आगे देखो और भी मज़ा आएगा जब तीसरा आकर इसके मुँह को चोदेगा.. यही तो है असली चुदाई का मज़ा।

इतना बोलकर विकास उसके मम्मों को सहलाने लगा।

इधर अनुजा भी कम ना थी.. वो विकास के लौड़े को सहला रही थी।

आधा घंटा तक तीनों फिल्म देखते रहे.. विकास का लौड़ा अब पूरा तन गया था और तीन लौड़ों से चुदती हुई लौन्डिया का ख्याल करके दीपाली और अनुजा दोनों की चूत पानी-पानी हो गई थीं।

विकास- चल मेरी रानी.. अब तेरी गाण्ड मारकर तुझे एकदम पक्की चुदक्कड़ बना देता हूँ ताकि तू कभी भी किसी को भी खुश कर सके।

दीपाली- सर, आप की बात तो ठीक है मगर आपका लंड बहुत मोटा और बड़ा है.. ये मेरी गाण्ड में कैसे जाएगा.. बहुत दर्द होगा।

विकास- अरे जान कुछ नहीं होगा.. चूत में चला गया तो गाण्ड में क्यों नहीं जाएगा।

अनुजा- हाँ दीपाली, चूत में तो सील टूटी इसलिए इतना दर्द हुआ.. गाण्ड में ऐसा कुछ नहीं है.. दर्द होगा, मगर उतना नहीं।

दीपाली ने विकास के लौड़े को हाथ से पकड़ कर देखा।

दीपाली- देखो दीदी शाम को ये इतना फूला हुआ नहीं था अभी तो बहुत मोटा लग रहा है।

अनुजा- अरे ऐसा कुछ नहीं है.. तेरे राजा जी ने पावर बढ़ाने की गोली ले ली है.. इसके कारण ये ऐसा लग रहा है।

दीपाली चौंकते हुए विकास को देखने लगती है।

विकास- अरे इसमें चौंकने वाली क्या बात है.. अब देखो शाम से तुम दोनों को चोद रहा हूँ.. मैं भी इंसान हूँ थक गया हूँ.. इसलिए गोली ली, ताकि मेरा पावर बना रहे और रात भर हम मज़ा करते रहें बस…

दीपाली- ठीक है सर.. जैसा आपको अच्छा लगे.. मगर ये फिल्म देख कर मेरी चूत गीली हो गई है.. बड़ी खुजली हो रही है.. पहले इसकी खाज मिटा दो।

विकास- हाँ जानेमन.. क्यों नहीं मगर पहले चूत लूँगा तो तेरा पावर कम हो जाएगा और उसके बाद गाण्ड में दर्द होगा.. चल आ जा पहले थोड़ी देर गाण्ड मार लूँ.. उसके बाद पानी चूत में ही निकालूँगा ताकि दोनों काम एक ही बार में हो जाएं।

अनुजा बिस्तर पर टेक लगा कर बैठ गई ... विकास ने दीपाली से कहा- इस तरह घोड़ी बन जाओ कि तुम अनुजा की चूत भी चाट सको और गाण्ड भी मरवा सको।

दीपाली- हाँ ये ठीक रहेगा.. मगर पहले आपके लौड़े को चूस कर गीला तो कर दूँ ताकि आराम से अन्दर चला जाए।

विकास- अरे नहीं, थूक से काम नहीं चलेगा.. गाण्ड में लौड़ा ऐसे नहीं जाता। तेरी गाण्ड तो में लौड़े पर देसी घी लगा कर मारूँगा.. बस 2 मिनट रुक मैं अभी लाया.. तब तक अनुजा तू इसको गर्म कर।

अनुजा और दीपाली एक-दूसरे के होंठ चूसने लगीं और निप्पल दबाने लगीं।

विकास ने एक प्याली में थोड़ा सा घी गर्म किया और कमरे में ले आया।

विकास- बस दीपाली अब सही पोज़ में आ जाओ.. मुझसे सबर नहीं हो रहा.. तेरी मक्खन जैसी गाण्ड मुझे पागल बना रही है।

अनुजा वापस टेक लगा कर बैठ गई और दीपाली घोड़ी बन कर उसकी चूत चाटने लगी।

विकास- हाँ बस ऐसे ही रहना जानेमन.. आज तेरी गाण्ड में लौड़ा घुसा कर मैं धन्य हो जाऊँगा।

विकास ने ऊँगली घी में भर कर दीपाली की गाण्ड के सुराख पे रख दी और धीरे-धीरे उसमें घुसाने लगा।

दीपाली- आ आ आह्ह.. दीदी आपकी चूत से क्या मस्त रस आ रहा है.. आईईइ आह्ह.. सर आराम से.. कुँवारी गाण्ड है मेरी…

विकास- अरे रानी, तभी तो ऊँगली से घी तेरी गाण्ड में भर रहा हूँ ताकि लौड़ा आराम से अन्दर चला जाए।

दीपाली- ऊँगली से ही हल्का दर्द हो रहा है.. लौड़ा डालोगे तो मेरी जान ही निकल जाएगी।

अनुजा- उफ़फ्फ़ अरे कुछ नहीं होगा तू बस चूत रस का मज़ा ले बाकी विकास अपने आप संभाल लेगा।

दीपाली चूत चाटने में लग गई और विकास ऊँगली से उसकी गाण्ड को फैलाने लगा.. उसको मज़ा देने के लिए दूसरे हाथ से उसकी चूत में भी ऊँगली करने लगा।

अब दीपाली को बड़ा मज़ा आ रहा था.. वो अपनी जीभ चूत में घुसा कर चाटने लगी।

अनुजा- आह्ह.. अई आह अरे वाह.. बहन, बड़ा मस्त चूस रही हो कककक आह्ह..मज़ा आ रहा है।

विकास ने घी दीपाली की गाण्ड में अच्छे से लगा दिया था।

अब उसका लौड़ा झटके खाने लगा था। उसने दीपाली की गाण्ड पर एक चुम्बन किया और लौड़े पर अच्छे से घी लगा लिया। अब विकास ने लौड़ा गाण्ड के सुराख पे रखा.. दोनों हाथों से उसको थोड़ा खोला और सुपाडे को उसमें फँसा दिया।

क्रमशः
1 user likes this post1 user likes this post  • kanakpalak
      Find
Reply


« Next Oldest | Next Newest »
Pages ( 11 ): 1 2 3 4 5 6 ..... 11 Next »
Jump to page 


Possibly Related Threads...
Thread Author Replies Views Last Post
Desi  लंड और चूत के बीच में दो दीवारें थी। एक तो उसकी सलवार और दूसरा उसकी कच्छी. Incest lover 24 2,237 3 hours ago
Last Post: Pooja das
Wife  बीवी की चुदाई (part-2) Incest lover 6 2,039 4 hours ago
Last Post: Pooja das
Desi  मेरी पहली चुदाई Incest lover 2 2,784 27-07-2018, 09:14 PM
Last Post: anita manoj
Incest  दादी माँ बहन हम सभी चुदाई के बड़े मस्त मज़े लेते है ।। Incest lover 3 3,319 25-07-2018, 03:44 PM
Last Post: Pooja das
Incest  अपनी बहन की कुंवारी चूत की सील को तोड़ दिया, Incest lover 0 1,042 25-07-2018, 12:20 PM
Last Post: Incest lover
Wife  बदबूदार लंड वालो से बीवी की सामूहिक चुदाई anita manoj 1 1,659 21-07-2018, 05:02 PM
Last Post: Incest lover
Incest  जब मिल बैठेंगे 2 परिवारों के 3 लंड और 4 चूत. Incest lover 1 2,947 20-07-2018, 03:48 PM
Last Post: anita manoj
Incest  मैं अपनी ज़िंदगी मे पहली बार चूत के दर्शन तो कर लूँ” Incest lover 5 2,351 19-07-2018, 05:05 PM
Last Post: Pooja das
Incest  बेटेको चूत चाहिए और मां को लंड | दोनों की जरूरत पूरी हो जाएगी Incest lover 1 3,905 19-07-2018, 05:03 PM
Last Post: Pooja das
Incest  सच कहूँ मैं माँ बेटी की चुदाई स्टोरी इतनी पढता था की मैं माँ को ही चोदना चाहता था. Incest lover 2 1,667 16-07-2018, 01:43 PM
Last Post: Incest lover

  • View a Printable Version
  • Subscribe to this thread


Best Indian Adult Forum XXX Desi Nude Pics Desi Hot Glamour Pics

  • Contact Us
  • en.roksbi.ru
  • Return to Top
  • Mobile Version
  • RSS Syndication
Current time: 29-07-2018, 11:16 PM Powered By © 2012-2018
Linear Mode
Threaded Mode


dsi porn sites  desi poen tube  sakshi tanwar boob  nude pornsters  chikeko kathaharu  shakeela sexy  amma puku denganu  bangladeshi sexy stories  xxx.secs.com  latest telugu stories  sex stories holi hindi  dhaka college girl  real life aunties outdoor assets (Boobs,ass,back everything...Last post - Desibees  hot aunty exbii  lund dekha  porographic videos  tamil sexy storys  tamisex stories  sax napali  hot desi navel  incent pictures  sex tagalog story  sex story ind  hot aumty  mature aunty pics  sakila sexy  indian homely girls  tamil sex stories krithika  hindi choot stories  behan ka loda  Mallumalaylmxxx  sex storyr  hot sexy aunty images  akka mulai  hidden camera indian aunty  bangla font stories  exbii pics  hindi sex comic  indian girl lost virginity  bangladesh hot grils  shreya sex stories  indian actress exbii  mallu aunty picture  tamil sexes story  blu felms  bangla boudir navi picture  tamil dirty aunty stories  desi boops  nipple cams  stories in telugu sex  mammi kichudai  tamil aunty bra  stretched ass pics  indansex stories  story in urdu sex  ladke ka lund  nepali sex store  telugu sex storoies  telugu sex stories pdf format  sex story in marathi font  exbii actress nude  real oriya sex stories  mom son incest toon  sexy wordings  desi mms scandals videos  www.telu sex.com  mms scandals hidden  tagtag telugu  angela devi nude  the lesbian kama sutra  tamil sex story thanglish  shakila in nude  charmi panty