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Incest Seedi achi MAA

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Incest Seedi achi MAA
Zohra muskan Offline
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#261
06-06-2018, 02:56 AM
इधर शुभम और निर्मला गांव पहुंच चुके थे और दूसरी तरफ शहर में अशोक को जिसका इंतजार था वह भी पहुंच चुकी थी उसकी छोटी बहन मधु,,,। अशोक को तो खुला दौर मिल गया था क्योंकि कुछ दिन तक घर पर उसके और उसकी छोटी बहन मधु के सिवा और कोई भी नहीं था इसलिए अशोक पूरी तरह से अपनी छोटी बहन के साथ गुलछर्रे उड़ा लेना चाहता था बिना किसी रोक-टोक के,,, और घर पर आते ही अशोक अपनी छोटी बहन मधु को पीते अपने बेडरूम में लेकर गया और जाते ही अपने साथ-साथ उसके भी कपड़े उतारकर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया,,,, मधु को यह सब अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन क्या करें वह मजबूर हो चुकी थी क्योंकि उसके बड़े भाई अशोक के सिवा उसका कोई सहारा नहीं था और वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बड़ा भाई उसकी मदद बस उसके बदन के एवज में ही कर सकता है,,,, इसलिए उसके पास उसके बड़े भाई का साथ देने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं था। वह भी बिस्तर पर उसका साथ देने लगी बहुत दिनों से अशोक भी प्यासा था क्योंकि उसने अपनी सेक्रेटरी को छोड़ दिया था। इसलिए ऊसके लंड में भी बहुत खुजली हो रही थी। मधु जैसी खूबसूरत जवानी को पाकर उससे रहा नहीं गया और वह अपने लंड को उसके मुंह में डाल दिया,,, मधु भी जवान थी वह जानती थी कि उसके बड़े भाई के लंड में इतना दम नहीं है उसे तो मोटा अोर बड़ा लंड चाहिए था लेकिन फिर भी कर भी क्या सकती थी उसकी बुर मे भी बहुत दिनों से कुछ गया नही था।,,, इसलिए थोड़ी बहुत प्यास तो उसके मन में भी थी। इसलिए वह भी अपने भाई का साथ देते हुए उसके लंड को चूसना शुरू कर दि।
थोड़ी देर तक अशोक अपने लंड को अपनी छोटी बहन के मुंह में डालकर उससे चुसवाता रहा,,,, इसके बाद सीधे ही वह अपनी बहन को उठा कर बिस्तर पर ले गया,, और फिर अपने हाथों से उसकी टांगो को फैला कर उसकी नमकीन बुर का स्वाद अपनी जीभ से चाट कर लेने लगा,,, अपने बड़े भाई की इस हरकत पर मधु भी एकदम प्यासी हो गई उसकी बुर से पानी निकलने लगा,, और अगले ही पल जीभ की जगह अशोक अपना लंड बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया।


दूसरी तरफ शुभम खिड़की से बाहर का नजारा देखकर संतुष्ट हो चुका था और इस बात का पता लगभग ऊसे चल चुका था कि उसकी बड़ी मामी लगभग लंड की प्यासी है,, वह मन ही मन यह सोचने लगा कि अगर जरा सी कोशिश की जाए तो उसे बड़ी मामी के साथ साथ उसकी छोटी मामी और बड़ी मामी की लड़की तनु तीनों की बुर चोदने को मिल जाएगी,,,, वह मन ही मन में यह ख्याल बोलने लगा कि अगर ऐसा हुआ तो उसकी दसों की 10 उंगलियां घी में होंगी।। एक नया तरीके का अनुभव उसे महसूस करने को मिलेगा क्योंकि उसने अभी तक अपनी मां को ही चोदते आ रहा था। किसी गैर औरत को अभी तक चोदा नहीं था,,, हां इतना जरूर है कि अगर अब तक वह शहर में होता तो वह अपनी शीतल मैम की चुदाई जरूर कर चुका होता। लेकिन वह सारा ध्यान इस समय गांव की तीनो जवानीयो पर केंद्रीत किए हुए था वह तीनों की बुर का मजा लेना चाहता था और देखना चाहता था कि इन तीनों की बुर का स्वाद किस तरह का होता है।,,,
धीरे-धीरे उसे भी गांव में मज़ा आने लगा था गांव का खुलापन खुली हवा और ज्यादातर गांव की औरतो का आपस में गंदा मजाक करना बेहद पसंद था। शुभम की नजर दिन-रात अब तीनों के फिराक में रहने लगी,, हालांकि वह अपनी मां से भी काफी इंप्रेस था क्योंकि यहां आने के बाद उसके रुप यौवनं में कुछ ज्यादा ही निखार आ गया था। लेकिन 2 दिन बीत चुके थे,, अभी तक वह अपनी मां की चुदाई नहीं कर पाया था क्योंकि देर रात तक कोई ना कोई औरत निर्मला को अपने पास बिठाकर गप्पे लड़ाती रहती और इतने वर्षों मे आने के बाद निर्मला उन्हें इनकार भी नहीं कर पाती थी और ऐसे में शुभम सो जाता था और निर्मला भी बिस्तर पर जाते ही ढेर हो जाते थी। हालांकि उसकी बुर में भी चीटियां रेंग रही थी क्योंकि उसकी आदत अब रोजाना लंड लेने को करने लगी थी।,,,

ऐसे ही शुभम एक दिन नहाकर अपने कमरे में टॉवेल लपेट कर अपनी अंडरवियर को धो रहा था। इधर-उधर ढूंढने के बाद भी उसे अंडरवियर नहीं मिल रही थी वह काफी परेशान हो रहा था और इस हाल में बाहर जा भी नहीं सकता था।,,, बहुत गुस्से में इधर उधर बिस्तर उधेड़बुन रहा था लेकिन कहीं भी उसे उसकी अंडर बीयर नहीं मिल पा रही थी।,,, इसी अफरा-तफरी में उसकी कमर के टावर टूट कर नीचे गिर गई और वह पूरी तरह से नंगा हो गया उसका मजबूत तगड़ा लंड खड़ा नहीं था लेकिन फिर भी,,, इस तरह से जानू के बीच झूल रहा था कि इस अवस्था में कोई भी औरत देख ले तो उसकी बुर से पानी अपने आप फेंक दें,,, उसे इस बात की चिंता बिल्कुल भी नहीं थी कि वह इस समय कमरे में पूरी तरह से नंगा होकर इधर-उधर घूम रहा है वह तो बस परेशान था अपनी अंडरवियर के लिए,,, वह कमरे के चारों तरफ इधर-उधर नंगा ही घूम कर अपनी चड्डी ढुंढ रहा था। लेकिन इस बात का अनुभव उसे भी हो रहा था कि,,, उसकी टांगों के बीच का लंबा लंड झूल रहा है लेकिन इस बात से वह बिल्कुल भी बेफिक्र हो चुका था,,,। तभी वह अपनी चड्डी को इधर-उधर ढूंढता हुआ बिस्तर के नीचे नजर डाला तो वहां पर उसे उसकी मां की पैंटी नजर आई और वह उसे हाथों में लेकर देखने लगा,,, यू एकाएक उसके हाथों में उसकी मां की पैंटी आ जाने की वजह से उसके तनबदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई।। वह एक तक अपनी मां की पैंटी को हाथों में लेकर उसे खींच-खींच कर देखने लगा और सोचने लगा कि उसकी मां की भारी-भरकम गांड इतनी छोटी सी पेंटी में कैसे समा जाती है। तभी उसे वह पल याद आने लगा जब उसकी मामी लोग उसकी मां की पैंटी को देख कर उसे कच्छी कह रही थी। कच्छी शब्द उसके जेहन में आते ही उत्तेजना के मारे का लंड खड़ा होने लगा,,,। उसे कच्छी शब्द पेंटी शब्द से ज्यादा मादक लग रहा था। इस शब्द में उसे कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव हो रहा था तभी तो वह अपनी मां की कच्छी को लेकर कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव करते हुए अपने लंड को खड़ा कर लिया था। उससे रहा नहीं गया और वह अपनी मां की चड्डी को अपनी नाक से लगाकर सुँघने लगा,, धुली हुई पेंटिं से भी अजीब सी मादक खुशबू उसके नाक में प्रवेश करके उसके तन-बदन में उत्तेजना की चिंगारी भड़का रही थी।,,, कुछ देर तक ऐसे ही सुंघकर मस्त होता हुआ वह वापस उसे बिस्तर के नीचे रख दिया और फिर से एक बार अपनी चड्डी को ढूंढने लगा,,,
वह बेखबर होकर अपनी चड्डी को ढूंढ ही रहा था कि तभी दरवाजा भाड़ाक की आवाज के साथ खुला,,, और वह तुरंत दरवाजे की तरफ मुड़ कर खड़ा होकर देखने लगा कि आखिर हुआ क्या,,, उसे इस बात का एहसास बिल्कुल भी नहीं था कि, वह कमरे में पूरी तरह से नंगा हो चुका है,,, दरवाजा खुलने से वह एक दम से चौंक उठा था,,, लेकिन उससे भी ज्यादा शौक होती थी उसकी बड़ी मामी जो कि दरवाजा खोली थी वह तो शुभम को इस तरह से नंगा देखकर एकदम हैरान रह गई और ज्यादा हैरानी उसे शुभम के लंबे लंड को देखकर हो रही थी। उसकी नजरें सुभम के लंड पर ही टिकी हुई थी उसका मुंह खुला का खुला रह गया था आंखें फटी की फटी रह गई थी जिंदगी में उसने आज तक इस तरह का मजबुत तगड़ा लंड नहीं देखी थी। उसका तो पूरा वजूद ही हिल गया था शुभम भी एकाएक दरवाजे पर अपनी बड़ी मामी को खड़ी देखकर हैरान हो गया लेकिन,,, उसे इस बात से और ज्यादा झटका लगा कि इस समय वह कमरे में पूरी तरह से नंबर खड़ा था और तो और उसका लंड भी पूरी तरह से टाइट होकर सीधा खड़ा था,,, जिसको उसकी मांमी आंखें फाड़े देख रही थी,,,, शुभम बड़ी अजीब सी स्थिति में फंस चुका था,,। उसके पास इतना भी समय नहीं था कि वह पास में पड़ी टावल को उठाकर अपनी कमर से लपेट सके,,,, हैरान कर देने वाली बात यह थी कि उसकी मामी दरवाजे पर खड़ी होकर के बस उसके लंड को ही देखे जा रही थी।,,,
शुभम पूरी तरह से शर्मिंदा हो चुका था वह ज्यादा देर तक एैसे खड़ा नहीं रह सका। वग झट से आगे बढ़कर बिस्तर पर पड़ी टावल उठा कर अपनी कमर से लपेट लिया तब जाकर के उसकी मामी का ध्यान भंग हुआ,,,।
और उसे भी इस बात से शर्मिंदगी हुई थी वह भी बेशर्मों की तरह शुभम के लौड़े को देखे जा रही थी। वग शर्मा के झट से वहां से चली गई,,,, शुभम जल्दी जल्दी कपड़े पहनने लगा,।
दूसरी तरफ उसकी मामी सीधे अपने कमरे में आ कर बिस्तर पर बैठ कर हांफने लगी उसे तो अब भी अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि जो नजारा वह अभी-अभी शुभम के कमरे में देख कर आई है वह सच है। वह मन ही मन सोचने लगी कि, क्या हुआ जो देखी थी वह सच है क्या शुभम का लंड वाकई में इतना बड़ा और मोटा है। वह तोें किसी गधे का लंड दिख रहा था।
। वह बिस्तर पर बैठे-बैठे उत्तेजना के मारे,, शुभम के
लंड की तुलना अपने पति से करने लगी तो उसे इस बात का एहसास हो गया कि शुभम की लंबे मोटे लंड के आगे उसके पति का लंड तो काफी छोटा था।
लंड की तुलनात्मक असर को देखकर उसकी बुर गीली होने लगी,, एक अजीब सा एहसास उसके तन बदन को झकझोर कर रख दे रहा था।
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#262
06-06-2018, 02:59 AM
सोची थी कि उसकी आंखों के सामने ऐसा नजारा देखने को मिलेगा,,, वह तो निर्मला को किसी काम की वजह से उसके कमरे में ढूंढते हुए पहुंच गई थी,,,। लेकिन उसे क्या मालूम था कि कमरे में कुछ और ही नजारा आंखों को देखने को मिलेगा। शुभम के नंगे बदन और खास करके उसके मोटी तगड़े लंबे-लंड की मोटाई और उसका कड़कपन देख कर उसे अब तक हैरानी हो रही थी बिस्तर पर बैठे-बैठे यही सब सोचते हुए उसकी बुर पानी छोड़ रही थी। और वैसे भी जो काफी समय से प्यासी हो जो कि पानी की एक बूंद के लिए भी तरस गई हो उसकी आंखों के सामने हरा भरा सावन नजर आए तो ऐसे में उसकी प्यास बढ़े नहीं तो और क्या हो,,, उसका तो पूरा वजूद डगमगा गया था इस तरह का एहसास उसके मन में कभी भी नहीं हुआ था जिस तरह का एहसास आज उसके तन बदन को झकझोर कर रख दे रहा था। बार-बार ना चाहते हुए भी उस की आंखों के सामने कभी उसके पती का छोटा और पतला ककड़ी नुमा लंड तो कभी उसके भांजे का मजबुत और तगड़ा केला नुमा लंड आ जा रहा था जिसके बीज वह मन ही मन में तुलना करने लगी थी। क्योंकि उसकी बुर मे भी अभी तक सिर्फ उसके पति का ही लंड गया था।,,, यह सारे विचार उसके मन में अजीब सा तूफान ला रहे थे। अब तक सूखी जमीन पर जैसे बारिश की फुहार बरस रही हो इस तरह से उसकी बुर की अंदरूनी और बाहरी सतह मदन रस की फुहार से गीली होने लगी थी। ना चाहते हुए भी अपने आप उसके हाथ साड़ी के ऊपर से ही बुर के ऊपर पहुंच गए,,,, और अपने मन पर काबू ना कर सकने की स्थिति में अपने आप ही उसने अपने हाथ से बुर को साड़ी के ऊपर से ही दबोच ली और ऐसा करने पर उसके मुख से हल्की सी सिसकारी निकल गई वह आगे बढ़ती इससे पहले ही उसे कोई बुलाने लगा और वह झट से कमरे से बाहर आ गई।,,,

दूसरी तरफ शुभम हैरान था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे बाहर जाएं,,, कैसे बह अपनी मामी से आंख मिलाएं,,, क्योंकि जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में हुआ था लेकिन फिर भी उसे दरवाजे में कड़ी लगाकर रखना चाहिए था। और वैसे भी उसके शरीर कोई सामान्य हालत में नहीं था वह पूरी तरह से नंगा था और उस पर भी उसकी पूरी तरह से खड़ा था जैसे लग रहा था कि किसी को चोदने जा रहा हो,,, वह मन ही मन सोचने लगा कि अगर कांड सामान्य स्थिति में होता ना की पूरी तरह से उत्तेजनात्मक तब वह अपने बारे में कुछ सफाई पेश कर सकता था लेकिन जिस हाल में उसकी मम्मी ने उसे देखा था और उसके लंड के दर्शन किए थे ऐसे में तो ऐसा ही लग रहा था कि उसके मन में कुछ और चल रहा था तभी तो तोें ऊसका लंड इतना खड़ा था।वह यही सब सोच कर हैरान हुएं जा रहा था।
उसके मन में शंका था कि कहीं की मामी ने घर में सभी को बता दिया तो की शुभम कमरे में एकदम नंगा था और उसका लंड खड़ा था उसके बारे में ना जाने लोग कैसीे-कैसी बातें करेंगे। लेकिन उसे इस बात की संतुष्टि थी कि उसकी मम्मी ने उसे तब नहीं देखी जब वह उसकी मम्मी की पैंटी को लेकर हाथों से छू कर देख रहा था और नाक से लगाकर उसके मदन रस की खुशबू को शुंघ कर अपने छातियों में उतार रहा था। अगर कहीं उस समय उसकी मामी ने देख लिया होता तो उसकी इज्जत की धज्जियां उड़ गई होती और उसके और उसकी मां के बीच के संबंध में शायद ऊन्हे शक हो जाता,, अच्छा हुआ कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ वरना आज ना जाने क्या हो जाता ऐसा मन में सोचते हुए वह अपने कपड़े जल्दी-जल्दी पहनने लगा,,, वह पेंट पहन कर देख रही अपनी जीप बंद कर रहा था,,, एकाएक उसकी आंखों के सामने उसकी बड़ी मामी की जांघो के बीच का वह नजारा याद आने लगा,, उस बेचारे को याद करते ही उसके बदन में उत्तेजना के लहर दोड़ने लगी,,,
तुरंत ही उसके तन बदन में मादकता का असर होने लगा बार-बार उसकी आंखों के सामने उसकी मामी की जांघो के बीच झांटों का झुरमुट नाचने लगा,,, पहली बार वह औरत की बुर के ऊपर इतने ढेर सारे घुंघराले बाल देख रहा था। हालांकि वह अपनी मां की बुर पर कई बार देख चुका था लेकिन वहं बाल एकदम हल्के हल्के थे जो कि ना के बराबर थे। इसलिए तो मामी के झाटों के बाल को लेकर उसके मन में अजीब सी उत्सुकता भरी हुई थी। एक बार फिर से उसके मन में उसकी मामी की बालों वाली बुर में लंड डालने की इच्छा प्रबल होने लगी और इस बात को लेकर वह मन ही मन में सोचने लगा कि अच्छा ही हुआ कि उसकी मांमी ने उसके मोटे तगड़े लंड को खड़ा हुए हालत में देख ली।,, अगर जिस तरह का सपना वह मन ही मन में बुन रहा है। और अगर वास्तव में उसकी मामी की बुर में बहुत दिनों से लंड नें प्रवेश नहीं लिया है तो यह नजारा उसके मन में चुदासपन को जगाने में मदद करेगी,,,, और अगर सच में ऐसा हो गया तो जैसा वह सोच रहा है बाल वाली बुर में लंड डालने का मौका उसे जल्दी ही मिल जाएगा,,,,,,
यह सोचकर उसके तन-बदन में हलचल सी मचने लगी और उसके होठों पर मुस्कुराहट तेरने लगी।,,,

दूसरी तरफ उसकी मामी के दिलो-दिमाग पर शुभम का लंड पूरी तरह से हावी हो चुका था उसका किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था। जब भी वह कोई काम करने लगती तो बार-बार उसकी आंखों के सामने शुभम का खड़ा लंड आ जाता था और वह काम नहीं कर पाती थी बल्कि उस लंड के ख्याल में खोई रहती थी।
शादी को कुछ ही दिन रह गए थे इसलिए घर के सभी लोग आज खरीदी करने जा रहे थे बाजार यहां से करीबन 20 किलोमीटर दूरी पर था और घर पर ही कार होने की वजह से सब लोग उसी में जाने वाले थे।
शुभम बार-बार अपनी मम्मी के सामने आकर यह देखना चाह रहा था कि उसे देखते ही उसके चेहरे पर किस तरह के बदलाव और भाव आते हैं और सच में जब भी सुबह उसकी आंखों के सामने आता था तो शर्म के मारे उसकी नजरें नीचे हो जा रही थी। जबकि ऐसे हालात में शुभम को शर्म आनी चाहिए थी लेकिन ना जाने कैसी कशमकश में उसकी बड़ी मामी फंसी हुई थी कि वह सुबह से नजरें नहीं मिला पा रही थी जब भी शुभम को देखती तो उसकी नजर अपने आप ही उसकी टांगों के बीच चली जाती थी। और इस बात पर सुभम का ध्यान लगा हुआ था। वह अपनी बड़ी मामी की नजरों को अच्छी तरह से भाप ले रहा था कि ज्यादातर उसकी नजर किस अंग पर जा रही थी,,,,, और इस बात को लेकर उसके मन में प्रसन्नता के भाव पनप रहे थे।
उसकी बड़ी मामी का मन किसी काम में नहीं लग रहा था इसलिए जब उससे बाजार जाने के लिए पूछा गया तो वह तबीयत का बहाना करके इंकार कर दी,,, शुभम इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि घर के सभी लोग बाजार जाने वाले हैं लेकिन इस तरह से उसकी मामी का इंकार कर देना,, उसे अपने लिए रास्ता खुलता नजर आने लगा इसलिए वह भी ना जाने का मन बना लिया था और इसलिए अपने कमरे में चला गया ताकि कोई उसे जाने के लिए पूछे नहीं,,,, निर्मला सभी यह बोलकर अपने कमरे में चली गई कि वह कुछ ही देर में तैयार होकर आती है। जैसे ही कमरे में पहुंची तो शुभम बिस्तर बैठ कर कुछ सोच रहा था शायद वह मामी को पाने के बारे में सोच रहा था।
कमरे में आते ही निर्मला शुभम से बोली,,,

बेटा जल्दी से तैयार हो जाओ हमें बाजार जाना है वहां बहुत सारी खरीदी करना है।
( शुभम तो पहले से ही मन बना लिया था कि वह भी बाजार नहीं जाएगा इसलिए मुंह बनाते हुए बोला,,।)

नहीं मम्मी मैं क्या करूंगा वहां जाकर वैसे भी मैं थक चुका हूं मुझे आराम करना है जो भी खरीदी करना मेरे लिए भी कुछ खरीद लेना,,,
( शुभम की बात सुनते ही निर्मला उसके माथे पर अपनी हथेली रखते हुएे बोली,,।)

क्या बात है बेटा तेरी तबीयत तो ठीक है

हां मामी मेरी तबीयत बिल्कुल ठीक है बस मेरा मन नहीं कर रहा जाने को मैं कुछ देर आराम कर लूंगा तो सही हो जाएगा,,,


बेटा बाजार में सुबह से शाम हो जाएगी काफी समय लगेगा तब तक तू अकेले रह लेगा क्या,,,,

तभी तो मैं जा नहीं रहा हूं ना मैं ईतना समय लगेगा तो मैं बोर हो जाऊंगा,,
( शुभम तो बस बहाना बना रहा था घर पर रुकने का क्योंकि वह जान चुका था कि उसकी मांमी भी रुकने वाली है और घर में उसकी मां भी और उसके सिवा कोई भी नहीं था अगर ऐसे में उसके मन में जो चल रहा है वह हो गया तो उसके तो भाग्य खुल जाएंगे यही सब सोचकर उसके मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी।)

चल कोई बात नहीं जैसा तुझे ठीक लगे तो यही कमरे में रहकर आराम करना (इतना कहने के साथ ही निर्मला दरवाजे की कुंडी लगाकर अपनी साड़ी को उतारने लगी ताकि दूसरी शाड़ी पहन सके,,, कुछ ही सेकंड में निर्मला अपने बदन से साड़ी को उतार कर बिस्तर पर फेंक दी उसके बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट ही था जो कि पेटीकोट काफी चुस्त होने की वजह से,,, उसकी भरावदार बड़ी-बड़ी गोल गांड उभरकर सामने नजर आ रही थी। एक तो पहले से ही उसकी मामी की गदराई
जवानी उसके तन बदन में चिंगारियां पैदा कर रही थी और आंखों के सामने उसकी मां की,,बड़ी बड़ी गांड शोले भड़काने लगी थी। काफीै दिन हो चुके थे शुभम को चुदाई कीए वैसे तो 2 दिन ही गुजरे थे लेकिन एक एक दिन उसे महीनों जैसा लगता था ।जब तक वह अपनी मां की बुर में लंड डालकर चोद न दे, तब तक ऊसका मन नहीं भरता था। इसलिए आज मौका देखकर वह बिस्तर पर पर से उठा और पीछे से जाकर अपनी मां को अपनी बांहों में दबोच लिया,,, लंड पहले से ही पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, इसलिए जैसे ही वह अपनी मां को पीछे से बाहों में भरा, पजामे में तना हुआ लंड,, सीधे पेटीकोट को चीरता हुआ गांड की दोनों फांखों के बीच धंसने लगा,,, जो हाल सुभम का हो रहा था वही हाल निर्मलाका भी था,,,, इसलिए एकाएक लंड की चुभन महसूस होती है वह उत्तेजना से सिहर उठी।
शुभम अपनी मां को बाहों में भरते ही उसके गर्दन पर चुंबनों की बारिश कर दिया,,, उसकी इस हरकत पर निर्मला इतराते हुए बोली,,,

अब जाकर तुझे अपनी मां की याद आ रही है अब तक तो तू दूर ही दूर रह रहा था,,, सोचती थी गांव में जाकर खूब मजे करूंगी लेकिन दो दिन तक तूने ऐसे ही गुजार दिया,,,

मम्मी मैं तो हमेशा तैयार ही रहता था लेकिन तुम ही रात भर ना जाने कहां गायब रहती थी
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#263
06-06-2018, 03:01 AM
२,,, शुभम ब्लाउज के ऊपर से हीलाते अपनी मां की चुचियों को दबाता हुआ बोला,,,

ससससहहहहह,,,, आहहहहहहहह,,,, क्या करूं बेटा इतने बरसों बाद आई हूं तो कोई ना कोई बुला ही लेता है बातें करने के लिए (निर्मला सिसकारी लेते हुए बोली)

वह सब जाने दो अभी तो मौका मिला है तो क्यों ना इस मौके का फायदा उठा लिया जाए (और इतना कहने के साथ ही शुभम अपनी मां को अपनी तरफ घुमा लिया और उसे गुलाबी होठों पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरु कर दिया,,, उसकी मां भी उत्तेजित अवस्था में उसे अपनी बांहों में भर्ती हुई बोली।)

मौका तो है लेकिन ज्यादा समय नहीं है कोई भी मुझे बुलाने आ जाएगा,,( इतना कहने के साथ ही निर्मला अपने बेटे के पजामे में अपना हाथ डालकर उसके टनटनाए हुए लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर हीलाने लगी।

कोई बात नहीं मम्मी इतना समय तो बहुत है। उस तरफ घूम कर झुक जाओ बाकीे सब मैं संभाल लुंगा,,,,

देखना बेटा तू संभाल लेना अगर कोई आ गया बुलाने तो क्या होगा (और इतना कहते हुए वह दीवार की तरफ मुंह करके झुक गई)

तू चिंता मत कर मम्मी तब तक में हम दोनों का पानी निकल दुंगा ( इतना कहने के साथ ही शुभम अपनी मां की पीठ पर हाथ रखकर थोड़ा सा दबा कर उसे और झुकने का इशारा किया ताकि उनकी बड़ी बड़ी गांड थोड़ी और ऊपर की तरफ उठ जाएं,,,, निर्मला भी कुछ ज्यादा ही चुदवासी हो चुकी थी इसलिए अपनी बेटे की बात मानते हुए थोड़ा सा और नीचे की तरफ झुक कर अपनी बड़ी बड़ी गांड को उपर की तरफ उठा दी,,,,
सुभम अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड जौकी पेटीकोट में ढंकी होने के बावजूद भी अपना कहर पूरी तरह से ढाने में कारगर थी,,, वह एक पल की भी देरी किए बिना झटसे दोनों हाथों से अपनी मां की पेटीकोट को पकड़कर उपर की तरफ सरकाने लगा और देखते ही देखते वह कमर तक पेटीकोट को उठा दिया,,,, गोरी गोरी गाल पर मरून कलर की पेंटिं अपना कहर ढा रही थी जिसे देखते ही शुभम के मुंह से सिसकारी निकल गई,,,

ऊफ्फफफ,,,,,, मम्मी यह तेरी कच्छी मन करता है कि बिना उतारे ही ईसमे अपना लंड डाल दुं।
( इतना कहने के साथ ही शुभम अपनी मां की पेंटिं ऊतारे बिना ही उसपर दोनों हथेलियां रखकर नरम नरम गांड को दबाना शुरु कर दिया,,,, अपने बेटे की ऐसी कामुक हरकत की वजह से उसके बदन में उत्तेजना की लहर सर से पांव तक बड़ी तीव्र गति से दौड़ने लगी,,,।

बेटा ऐसी बातों में ही वक्त जाया मत कर जरूर कोई आ जाएगा बुलाने तब हम दोनों प्यासे हीं रह जाएंगे,,,
( उसकी मां सच कह रही थी यह बात शुभम भी अच्छी तरह से जानता था क्योंकि वह लोगों को बाजार जाना था,,,, इसलिए वक्त की नजाकत को समझते हुए शुभम अपनी मां की बात सुनकर तुरंत पेंटिं को दोनों छोर से पकड़कर नीचे जांघाे तक सरका दिया।,,, शुभम अपनी मां की बुर हाथ लगा कर बुर की स्थिति का जायजा लिया तो इस बात का उसे एहसास हो गया कि उसकी मां कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ रही थी,,, इसलिए ज्यादा देर ना लगाते हुए पजामे को नीचे किया और अपने खड़ा लंड को अपनी मां की बुर से सटाकर जोर से धक्का लगाया तो लंड सबकुछ चीरता हुआ,,, बुर की गहराई में उतर गया,,, इस धक्के से निर्मला की चीख निकलते निकलते रह गई । निर्मला कामोत्तेजित हुए बोली,,,,

सससहहहहहह,,,,,, बस बेटा अब रुकना नहीं जोर जोर से चोद मुझे मेरा पानी निकाल दे,,,,

इतना सुनना था कि शुभम भी जोश में आ गया और बिना रुके धक्के लगा कर अपनी मां के बुर चोदना शुरू कर दिया। गांव में दोनाे पहली बार चुदाई का आनंद ले रहे थे,,,, निर्मला भी जिंदगी में पहली बार गांव में चुदाई का आनंद ले रही थी,, इसलिए कुछ ज्यादा ही उत्तेजित नजर आ रही थी। वह भी जोर जोर से अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल ठेल कर अपने बेटे के लंड को अपनी बुर मे जल्दी से जल्दी ऊतारती चली जा रही थी।
अपनी मां का छिनार पन शुभम की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ा दे रहा था,,,, इस समय बैलेंस वह अपनी मां की चुदाई कर रहा था लेकिन उसके जेहन में उसकी बड़ी मामी का गदराया बदन बसा हुआ था,,,। वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मामी,,, उसकी मम्मी जितनी खूबसूरत नहीं है लेकिन फिर भी किसी और औरत को चोदने की लालसा बढ़ती जा रही थी। इसलिए बार-बार उसे ऐसा ही लग रहा था कि वह अपनी बड़ी मामी की बालों वाली बुर में लंड डाल. रहा है। वैसे भी मर्दों की प्यास एक औरत तक कहां सीमीत रहती है,, भले ही उसके बिस्तर पर दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत क्यों ना हो उसकी नजर इधर उधर चली जाती है,,,। यही शुभम के साथ भी हो रहा था वैसे भी शुभम भी तो एक मर्द ही था ।ऊसका लंड बड़ी तीव्र गति से उसकी मां की बुर के अंदर बाहर हो रहा था।
निर्मला अपने बेटे से चुदवाते हुए हल्की-हल्की सिसकारी ले रही थी ताकि उसकी आवाज कमरे से बाहर ना जा सके। शुभम की उत्तेजना पल पल बढ़ती जा रही थी जिसका, असर यह हो रहा था कि वह बार-बार अपनी मां की गोरी गोरी गांड पर चपत लगा दे रहा था। और इस तरह से चपत लगाने की वजह से निर्मला भी बेहद कामोत्तेजित हो करके जोर-जोर से अपनेी गांड को पीछे दे रही थी,,, दोनों को इस समय गांव के घर के इस कमरे में बेहद आनंद आ रहा था। निर्मला की हल्की हल्की गरम सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी शुभम की हालत भी पल-पल खराब होते जा रही थी।
लंड का कड़कपन निर्मला की बुर की गहराई में और ज्यादा बढ़ता जा रहा था। कुछ ही देर में निर्मला पसीने से तरबतर हो गई,, दोनों चरम सुख के बिल्कुल करीब पहुंच चुके थे,,, शुभम का धक्का तेज होता जा रहा था और साथ ही निर्मला भी अपनी कमर को पीछे की तरफ बड़ी तेजी से उछालने लगी थी,,, शुभम की उत्तेजना उसके बस में बिल्कुल भी नहीं थी और आगे दोनों हाथ को बढ़ाकर अपनी मां की दोनो चुचियों को पकड़कर दबाते हुए धक्के लगाने लगा,, दो चार धक्कों के बाद ही दोनों एक साथ झड़ गए,,,।
निर्मला जल्दी से अपने कपड़े पहन कर जा चुकी थी और कुछ ही देर में घर के सभी लोग गाड़ी में बैठकर बाजार की तरफ निकल गए।

निर्मला अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी हुई थी उसकी आंखों के सामने से शुभम का तगड़ा लंड हटने का नाम नहीं ले रहा था।,, जब से उसने शुभम का संपूर्ण नग्नावस्था में दीदार की थी तब से उसकी हालत पतली हो गई थी उसकी आंखों की नींद और चैन सब कुछ उड़ गया था। बार-बार उसकी बुर गीली हो जा रही थी जिसे वह साड़ी से ही साफ कर दे रही थी।,,, आज बरसों के बाद उसके मन में भी एक अजीब सी हलचल मची हुई थी उसका मन शुभम के प्रति मचलने लगा था। ना जाने उसके मन में कैसे-कैसे ख्याल आता रहे थे। जिंदगी में उसने भी कभी दूसरे पुरुष का संसर्ग नहीं की थी। लेकिन आज उसका मन विचलित हो रहा था। वह जानती थी कि शुभम भी घर पर मौजूद है वह साथ में बाजार नहीं गया है।,, बहुत कुछ सोचने के बाद वह शुभम के कमरे की तरफ चल दी।
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06-06-2018, 03:02 AM
shubham or nirmala


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06-06-2018, 03:03 AM
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Keep few threads only with regular updates.
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