2 दिन तक पूनम ने मोबाइल से उस नंबर को डायल करने की हिम्मत नहीं दिखा पाई,,,, हालांकि वह रोज रात को अपनी चाची से मोबाइल मांग कर अपने कमरे में आराम से गाना सुना करती थी,,, अब वो बड़े ही रोमांटिक गाना सुनना शुरू कर दी थी,,, पूनम के दिल की बेचैनी बढ़ती जा रही थी हमारी ही मन सोच रही थी कि काश उसके पास उसका नंबर होता तो वह ऊसे फोन जरुर लगाता,,, लेकिन वह चाहती थी क्या कर उसके पास उसका नंबर होता तो घर में कोई भी मोबाइल उठा सकता था और एेसे मैं वह बेवजह परेशान हो सकती थी। लेकिन करती थी क्या दिन-ब-दिन पूनम की हालत खराब हुए जा रहे थे दिन रात उसके जेहन में बस मनोज को ही ख्याल घूमता रहता था। दूसरी तरफ मनोज की दया परेशान हो चुका था
पूनम की तरफ से उसे अब तक कोई भी सहारा नहीं मिला था जिससे उसके मन में धारणा बंध चुकी थी कि, पूनम को उसका प्रेम वाला प्रस्ताव पसंद नहीं आया इसलिए उसकी भी बेचैनी बढ़ चुकी थी एक तरह से वहां पूनम के ऐसे व्यवहार को अपना हार समझता था उसे बिल्कुल भी यकी न नहीं हो पा रहा था क्योंकि उसने जिसको भी जिस लड़की से प्यार करना चाहता उन्हें पाना चाहा था उसे हासिल करके ही रहा था लेकिन पूनम के मामले में उसे शिकस्त मिलती मालूम हो रही थी,,,, इस बात से मनोज के मन में यह बात और ज्यादा बैठ गई थी पूनम बेहद खूबसूरत और संस्कारी लड़की है इसलिए वह उसके प्यार को स्वीकार नहीं कर पाई,,,, लेकिन फिर भी उसके मन में कहीं ना कहीं विश्वास कीजिए अभी भी पर बोली थी कि उसे पूनम जरूर सरकार करेगी और वह पूनम का प्यार और उसके खूबसूरत तन बदन की गर्मी अपने बदन में जरूर महसूस कर पाएगा,,,
इसी कशमकश में दो-चार दिन और बीत गए दूसरी तरफ पूनम की बुआ सुजाता की बुर में चीटियां लगने लगी थी उसे अब अपनी बुर की अंदर कुछ ज्यादा ही खुजली महसूस होने लगी थी,,, जब तक वह बैगन और ककड़ी से अपनी बुर की प्यास बुझा रही थी तब तक वह ककड़ी या बेगन डालकर शांत हो जाती थी लेकिन जब से उस की बुर ने सोहन का मोटा लंड खाया था तब से फिर से उसके लंड के लिए तड़प रही थी। और वह मौके की तलाश में हमेशा लगी रहती थी लेकिन सोहन कुछ दिनों से उसे नजर नहीं आया था वह रोज शाम को अंधेरा सोते समय खेतों में जाकर उसका इंतजार करती लेकिन उस का कहीं अता-पता नहीं लगता था इसलिए उस की बुर की खुजली और ज्यादा बढ़ने लगती थी,,। और यही वास्तविकता भी थी क्योंकि भूख लगने पर भोजन करके कुछ घंटो तक भूख काबू में रहती है प्यास लगने पर पानी पीने के बाद भी यही हाल होता,,,, लेकिन चुदाई की भूख ऐसी होती है कि जितना भी बुझाओ उतनी ज्यादा भड़कती है,,,, ठीक ऐसा ही सुजाता के साथ हो रहा था दिन रात वह लंड के लिए तड़प रही थी लेकिन उस दिन की तरह कोई भी जुगाड़ हाथ नहीं लग रहा था,,,,।
पूनम सुबह उठकर बाथरूम में नहाने चली गई,,, बाथरूम में खुलते ही वह अपने सारे कपड़े उतार कर बाथरूम में टांग दी,,, उसके गोरे बदन पर मात्र उसकी ब्रा और पैंटी ही रह गई थी बाकी के सारे कपड़े उसने उतार दी थी,,,,, उसके मन में अभी भी मनोज का ही ख्याल घूम रहा था इस वजह से वह दरवाजे की कुंडी लगाना भूल गई और जैसे ही वह मग में पानी लेकर अपने ऊपर डाली ही थी की तभी बाथरूम का दरवाजा धडा़क की आवाज के साथ खुल गया,,,, वह एक दम से चौंक कर दरवाजे की तरफ देखने लगी,,,, एकाएक बाथरूम में उसकी संध्या चाची घुस गई थी और अंदर आते ही पूनम से बोली,,,,,
देख पुनम मैं जानती हूं कि तू अकेले ही नहाना पसंद करती है लेकिन आज मुझे बहुत जल्दी है इसलिए तुम मुझे कुछ मत कहना (इतना कहते हुए वह दरवाजे की कुंडी लगा दी)
चाची लेकिन इस तरह के बाथरूम में एक साथ दो औरतें कैसे नहा सकती हैं,,,, मुझे तो बहुत शर्म आती है इतना कहते हुए वह अपने दोनों हाथों से ब्रा में कैद अपनी चूचियों छुपाने लगी,,,,
तू पूनम बिल्कुल बुध्धु है,,,, अरे कहां अपने गैर के सामने नहा रहे हैं,,,,( इतना कहते हुए वहां अपनी साड़ी को लेने लगी और अपनी चाची को इस तरह से उसके सामने साड़ी खोलते हुए देखकर पूनम बोली,,,,।)
ओह चाची तुम क्या कर रही हो इस तरह से मेरे सामने ही अपने कपड़े उतार रही हो,,,,, तुम बिल्कुल भी शर्मा नहीं रही हो,,,,
अरे मेरी गुड़िया रानी इसमें शर्म की क्या बात है एक औरत के सामने कपड़े उतारने में शर्म किस बात की ,,,हां अगर तेरी जगह कोई मर्द होता तो शायद उसके सामने शर्म आती ।( इतना कहते हो गए संध्या पूनम के सामने अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,, पूनम वहीं बैठे बैठे ब्रा के ऊपर भी अपनी गोलाइयों को अपनी हथेली से ढके हुए थी,,,, अपनी चाची की इस हरकत पर वह झुंझलाते हुए बोली,,,,।)
चाची तुम्हें ऐसा कौन सा काम पड़ गया था कि तुम्हें इस तरह की बाथरुमं में आकर नहाना पड़ रहा है।
अरे क्या बताऊं पूनम आज तेरे चाचा के साथ एक रिश्तेदार के वहां जाना है और वहां जाने के लिए वह बड़ी मुश्किल से तैयार हुए हैं और अगर में देर कर दी तो वहां जाना कैंसिल कर देंगे इसलिए मुझे बाथरूम में आकर तेरे साथ नहाना पड़ रहा है,,,,।
( पूनम अपनी चाची की बात समझ रही थी लेकिन उसे इस तरह से नहाना बिल्कुल पसंद नहीं था इसलिए वह बैठी रही तब तक संध्या ने अपने वतन से ब्लाउज उतारकर वही टांग दि थी,,,, पूनम अपनी चाची को ही देखे जा रही थी वह बड़े गौर से अपनी संध्या चाची की बड़ी-बड़ी चूचियों को देख रही थी जो कि उनकी साइज से ब्रा की साइज कम ही थी इस वजह से ऐसा लग रहा था कि संध्या की चूचियां ब्रा फाड़ कर बाहर आ जाएंगी,,,,,, पूनम अपनी चाची की तरह में के चुचियों के बारे में कुछ सोच ही रही थी कि तभी संध्या अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाते हुए हुक खोलने लगी और हुक खोलते हुए बोली,,,।)
क्या बताऊं पूनम मैं तो तेरे चाचा से तंग आ गया ह,,,ूं इतना परेशान करते हैं ना कि मुझे बहुत गुस्सा आता है।
अब पता नहीं चाचा परेशान करते हैं या तुम परेशान करती हो,,,, भगवान ही जाने,,,,( पूनम व्यंग्यात्मक स्वर में बोली।)
मैं जानती हूं तू मुझ पर विश्वास नहीं करेगी तु अपने चाचा पर ही विश्वास करेगी,,,( इतना कहते हुए संध्या अपनी ब्रा भी उतार दी और यह देखकर पूनम लगभग चिल्लाते हुए बोली,,।)
अरे अरे यह क्या कर रही हो चाची तुम अपनी ब्रा क्यों उतार दी,,,
नहाने के लिए और क्या करने के लिए,,,
तो ब्रा उतार कर,,,,
मुझे कपड़े पहन कर नहाना पसंद बिल्कुल भी नहीं है मैं तो बाथरूम में जब भी नहाती हुं पूरी नंगी होकर के नहाती हूं,,,
( इतना कहने के साथ ही वह पेटिकोट की डोरी भी खोलने लगी,,, जो देखकर पूनम उसे रोक पाती इससे पहले ही वहां पेटिकोट की दूरी खोलकर अपनी पेटीकोट को नीचे कदमों में गिरा दी,,,, अगले ही पल पूनम की आंखों के सामने उसकी चाची की नंगी मोटी मोटी दूधिया जांघें नजर आने लगी,,, धीरे-धीरे पूनम को यह सब अच्छा लगने लगा अपनी चाची की गोरी खूबसूरत नंगे बदन को देखकर उसकी आंखें चौधीयानेे लगी थी,,, तभी वह अपने दोनों हाथों की उंगलियों से अपनी पैंटी को पकड़कर नीचे की तरफ सरकाने लगी यह देखकर पूनम बोली,,,
अरे चाची यह तो रहने दो थोड़ा तो शर्म करो,,,,
मैं बोली ना मेरी पूनम जानू तेरे सामने कैसी शर्म,,,,( इतना कहने के साथ ही अगले ही पल संध्या अपनी पैंटी उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई पूनम की नजर सीधे संध्या की जांघों के बीच अपने आप ही चली गई,,,, जहां पर हल्के हल्के बाल उगे हुए थे जिसे देखकर साफ पता चल रहा था कि,,, उसने अभी हाल ही में अपने बालों की सफाई की है जिसे देख कर पूनम मंद मंद मुस्कुराने लगी,,, संध्या की अनुभवी आंखों ने पूनम के मन की बात को भांप ली और जानबूझकर अपनी हथेली से बुर को मसलते हुए बोली,,,,
तू हंस क्यों रही है,,,,,
कुछ नहीं चाची बस ऐसे ही हंसी आ गई,,,,
ऐसे ही हंसी नहीं आ गई मैं तेरी हंसी का कारण जानती हूं,,,
नहीं चाहती सच में कुछ नहीं है मैं तो बस ऐसे ही,,,,
मुझसे मत छुपा मैं जानती हूं कि क्यों इन हल्के हल्के बालों को देखकर मुस्कुरा रही है।( वह लगातार अपनी बुर को मसलते हुए बोल रही थी यह देख कर पूनम के बदन में ना जाने कैसी हलचल मचने लगी,,, अपनी चाची की बात और उनकी हरकत को देखकर पूनम बोली,,,।)
चाचा जी ने हल्के हल्के बालों को देखकर ही मुस्कुरा रही हुं ।
लेकिन ऐसा क्यों,,,?
अरे ऐसा क्यों का क्या मतलब,,,,, मैं समझी कि तुम शायद नहीं बनाती होगी लेकिन अभी देखी तो पता चला कि तुम सफाई का काफी ख्याल रखती हो,,,,,
अरे मेरा बस चले तो मैं कभी भी ना बनाऊं,, लेकिन तेरे चाचा बहुत गुस्सा करते हैं उन्हें यह सब बाल वाल पसंद नहीं है,,,
बाल वाल पसंद नहीं है मैं कुछ समझी नहीं,,,,( पूनम आश्चर्य के साथ बोली,,,)
अभी रहने दे जब समय आएगा तब तू भी समझ जाएगी,,,
( इतना कहते हुए संध्या अपनी बुर पर से हथेलियां हटा ली और हथेली के हटाते ही पूनम की नजर बुर की> गुलाबी पत्तियों पर पड़ी जो की बाहर की तरफ निकली हुई थी,,, उन्हें देखते ही पूनम का पूरा बदन अजीब से हलचल को महसूस कर के गनगना गया,,, संध्या अब नहाना शुरू कर दी जाड़े का मौसम होने की वजह से ठंडे पानी को बदन पर डालते ही उसका पूरा बदन गनगना गया,,, संध्या भी बैठ कर नहा रही थी जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां आपस में रगड़ खाते हुए झूल रही थी,,, और झूल इस वजह से रही थी कि उसकी चूचियों का साईज काफी बड़ा था। लेकिन उसका कठोर पर बरकरार था इसलिए तो निप्पल तनी हुई थी। अपनी चाची की चुचियों का साइज देख कर पूनम की नजर अपनी चुचियों पर पड़ी तो उसे शर्म सी महसूस होने लगी क्योंकि वह भी जानती थी कि लड़की उसके बदन का सुगठित होना है,,,, खास करके उसकी चूचियों का साइज लेकिन फिर भी इस बात से उस को तसल्ली थी लड़कियों कि सूचियों का जितना साइज होता है उसका भी उतना ही साईज था और संध्या चाची तो एक पूरी औरत थी इसलिए उनकी चूची का साइज काफी बड़ा था,,,, देखते ही देखते संध्या नहाकर बाथरुम में ही कपड़े पहन कर तैयार होकर चली गई,,,,
पूनम को भी काफी देर हो चुकी थी इसलिए वह भी जल्दी से नहा कर तैयार हो गई,,,
स्कूल पहुंच कर उस की नजरें मनोज को ही ढूंढ रही थी कुछ दिन से वहां उस मोड़ पर नहीं खड़ा होता था क्योंकि उसका दिल टूट चुका था,,,, और उस मोड़ पर मनोज को खड़ा ना पाकर पूनम भी अंदर ही अंदर छटपटाने लगती स्कूल छोड़ने के बाद जब वह वापस घर लौट रही थी तब रास्ते में उसे मनोज दिखाई दिया उसके चेहरे पर पहले की तरह प्रसन्नता बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसके मन में एक डर सा बैठ गया था कि वह पुनम. जैसी खूबसूरत लड़की को खो चुका है। पूनम उसके चेहरे की उदासी देख कर दुखी होने लगी,,,, वह चाहती थी कि मनोज उससे कुछ बोले लेकिन वह उसे कुछ भी नहीं बोला वह बस खड़ा होकर पूनम की तरफ हसरत भरी निगाहों से देखता ही रहा पूनम भी उस पर एक नजर डाल कर अपने कदम आगे बढ़ा दी लेकिन जाते-जाते मनोज की आंखों में आए आंसू को वह पहचान गई,,,, उस की आंखों में भरे आंसू उसके दिल में ठेस पहुंचाने लगे पूनम को इस बात को लेकर बहुत दुख हुआ लेकिन वह कर भी क्या सकती थी वह एक लड़ की थी और वह भी इज्जत दार घराने की,, सामने से वह जाकर मनोज को अपने प्यार का इजहार नहीं कर सकती थी,,,, हालांकि वह भी मनोज से अपने मुंह से प्यार का इज़हार करना चाहती थी लेकिन डर गई थी समाज से अपने परिवार से अपने इज्जत से इसलिए बोल नहीं पा रही थी,,,,, मनोज उसे वहीं खड़ा होकर तब तक देखता रहा जब तक की वह आंखों से ओझल नहीं हो गई और पूनम भी बार-बार पीछे मुड़कर मनोज को देख ले रही थी दोनों तरफ बेबसी दीवार बनकर खड़ी थी,,,,,,,,
रात को पूनम अपने कमरे में मोबाइल पर गाना सुनते हुए बहुत बेचैन नजर आ रही थी बार-बार उस की आंखों के सामने मनोज का रुंआसा चेहरा आ जा रहा था,,, और वह उस चेहरे को याद करके अंदर तक तड़प उठ रही थी,,,, मोबाइल में बज रहा गाना उसे और ज्यादा बेचैन कर रहा था।
मुझे जीने नहीं देती है याद तेरी,,,
सुनके आजा तू आजा आवाज मेरी,,,,
यह गाना सुनकर पूनम से रहा नहीं गया और वहं एक बार फिर से मनोज का नंबर डायल करने लगी,,,, नंबर डायल करते ही जब कॉल का बटन दबाईं तो कुछ ही सेकंड में सामने रिंग बजने लगी,,, सामने बज रही रींग की आवाज सुनकर पूनम के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, ऊस की सांसे तीव्र गति से चलने लगी,,,, एक बार तो उसके मन में हुअा कि फोन काट दे लेकिन तभी सामने से मनोज ने फोन उठा लिया,,, और वह फोन उठाकर हेलो हेलो बोलने लगा,,,, लेकिन पूनम डर के मारे और उस की आवाज सुनकर एकदम खामोश हो गई यहां तक की मनोज को सिर्फ उस की सांसो की आवाज़ सुनाई दे रही थी जो कि मनोज को भी बेचैन कर रही थी कुछ देर तक वहां यूं ही हेलो हेलो बोलता रहा लेकिन पूनम ने कोई जवाब नहीं दी तो सामने से वह बोला,,,
यार कौन है जो मुझे ऐसे ही परेशान करता है अरे जब फोन किए हो तो बात करने में क्या हर्ज है,,,, देखो मैं पहले से ही परेशान हूं और यह फोन की वजह से और ज्यादा परेशान हो जाता हूं इसलिए जल्दी से मुझे बता दो कि कौन है वरना मैं फोन कट कर दूंगा,,,,, लेकिन कुछ देर तक यूं ही खामोशी छाई रही,,,, मनोज फोन रखने ही वाला था कि पूनम कांपते श्वर में बोली,,,,
पपपपप,,, पुनम,,,
( फोन पर पूनम कांपते स्वर में बोली और यह नाम सुनते ही मनोज के दिल की धड़कन तेज चलने लगी,, उसे अपने कानों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ उसे ऐसा लग रहा था कि जो वहां सुन रहा है कहीं सपना तो नहीं कहीं उसके कान तो नहीं बज रहे हैं,,, इसलिए वह अपने कानों से भी बात की पुष्टि करने के लिए एक बार फिर से बोला,,,।)
कौन बोल रहा है,,,
( सामने से आ रही मनोज की आवाज सुनकर पूनम के बीच दिल की धड़कन बढ़ने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोलें यह तो बड़ी मुश्किल से उसके मुंह से कांपते हुए उसका नाम निकला था,,,, फिर भी जैसे-तैसे करके हिम्मत जुटाकर वह फिर से बोली,,,।)
मैं पूनम बोल रही हूं,,,,
( इस बार सामने से आ रही पूनम की आवाज सुनकर उसकी आंखों की चमक बढ़ गई वह तुरंत बिस्तर पर उठ कर बैठ गया,,,,, वह मारे खुशी के चहकते हुए बोला,,,,।)
पुनम तुम ओहह गोड मुझे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा है कि तुम मुझे फोन कर सकती हो,,,, अच्छा तुम रूको मैं यहां से फोन करता हूं ,,,,, ( और इतना कहने के साथ ही वह फोन काट दिया,,,, पूनम के चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई वह मन ही मन खुश होने लगी जिंदगी में पहली बार उसने किसी को फोन की थी इसलिए इस बात की थी रोमांच उसके तन बदन को झकझोर कर रख दे रही थी,,,, फोन कट चुका था वह बार-बार फोन की तरफ देखे जा रही थी,,,, मनोज के तन-बदन में हलचल सी मची हुई थी वह तुरंत आई हुई कॉल पर कॉल कर दिया और सामने पूनम के मोबाइल में रिंग बजने लगी जिसकी आवाज सुनकर दोनों के दिल की धड़कन मोबाइल की रिंगटोन की तरह ही बजने लगी,,,, पूनम का मोबाइल मनोज की कॉल की वजह से बजने लगा लेकिन रिंगटोन की आवाज कमरे से बाहर जाती इससे पहले ही वह फोन रिसीव कर ली,, वह नहीं चाहती थी कि किसी को कुछ भी पता चले,,,, फोन रिसीव करने के बाद व कान पर लगाकर
सिर्फ सुनने की कोशिश करने लगी मनोज सामने से बोला,,,
पूनम तुम नहीं जानती कि मैं तुम्हारे फोन का कितने दिनों से पागलों की तरह इंतजार कर रहा हूं मैं तो उम्मीद ही छोड़ दिया था कि तुम मुझे फोन करोगी,,,,( मनोज की बेसब्री और उसका इंतजार देखकर उसके प्रति प्यार देखकर पूनम मन ही मन खुश हो रही थी मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि उसे कोई इस तरह से भी चाहेगा,,,) पूनम आज मैं बहुत खुश हूं,,, तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो तुम भी कुछ बोलो ना तुम्हारी आवाज सुनने के लिए मैं हमेशा बेकरार रहता हूं जानती हो कि मैं तुम्हारे मधुर आवाज मेरे कानों में पड़ते ही मैं दुनिया के दुख दर्द भूल जाता हूं,,,, तुम्हारी बोली मुझे कोयल की आवाज की तरह एकदम मीठी लगती है मन करता है बस सुनता जाऊं सुनता जाऊं,,,,, ( पुनम मनोज की बात सुन कर मुस्कुरा रही थी और उसकी बातों की झनझनाहट उसके तन बदन में एक अजीब प्रकार की सुखद एहसास करा रही थी। लेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थी बस मनोज की बात को सुनते जा रही थी उसकी खामोशी देखकर मनोज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।
पूनम तुम तो कुछ बोलो या मैं ही बोलता रहूंगा आज ना जाने कितने दिनों के बाद मेरे दिल के अरमान पूरे हो रहे हैं एक-एक दिन एक 1 साल की तरह गुजारा हूं मैंने,,,,
मैं क्या बोलूं,,,,( इतना कहकर फिर खामोश हो गई,,,।)
कुछ भी कहो जो तुम्हें अच्छा लगता है तुम कुछ भी कहती हो मुझे सब अच्छा लगता है मुझे बस तुम्हारी आवाज सुनना है,,,।
( पूनम भी बहुत खुश हो रही थीे,, ऊसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह किसीे लड़के से इस तरह से रात को फोन पर बात कर रही है,,,। उसके तन-बदन में अजीब सी सुरसुराहट फैल रही थी,,, बहुत कुछ सेकंड खामोश रहने के बाद बोली,,,।)
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या बोलूं तुम ही कुछ बोलो,,,
( पूनम की बात सुनकर मनोज खुश हो रहा था आज पहली बार किसी ऐसी लड़की से बात कर रहा था जो इतनी ज्यादा शर्माती थीे जिसे फोन पर क्या कहना है इस बारे में भी पता नहीं था,,,, पूनम को वह सामने से कुछ बोलने के लिए ज्यादा जोर भी नहीं देना चाहता था इसलिए वह बोला,,,।)
पूनम मैंने अपने दिल की बात तुम्हारी इंग्लिश की नोट्स में लिख कर तुम्हें दे दिया था,,, मैं चाहता था अपने दिल की बात तुम्हें सामने से खुद बोलकर कह सकता था लेकिन ना जाने तुम्हारे सामने आते ही मुझे क्या होने लगता है,, इसलिए अपने दिल की बात पत्र के जरिए तुम्हें देना उचित लगा,,,,
( पूनम मनोज की बात को बड़े गौर से सुन रही थी उसे मनोज की बातें अच्छी लग रही थी,,,।)
पूनम क्या तुम मेरा लेटर पड़ी थी,,,,,
हां,,,,,
मेरा लेटर पढ़कर तुम्हें गुस्सा तो नहीं आया था,,,,।
( पूनम मन ही मन मुस्कुरा रही थी मनोज की हर बात सुनने में उसे बेहद प्यारी लग रही थी और मनोज की बात का जवाब देते हुए बोली,,,।)
आया था ना मुझे बहुत गुस्सा आया था,,,,
( पुनम की बात सुनते ही मनोज चिंतित हो गया और वह घबराते हुए बोला,,,,)
कककक,, क्यों पुनम,, ?
अरे तुम एकदम पागल हो तुम यह बात मुझे,,, अपने मुंह से भी तो बोलकर कह सकते थे,,,, अगर तुम्हारा लिखा खत मेरे घर में किसी के हाथ लग जाता तो तुम जानते हो मेरी क्या हालत होती,,,,
सॉरी पूनम मैं उस गलती के लिए तुमसे बार-बार माफी मांगता हूं क्या करूं तुमसे सामनेे कहने की मेरी हिम्मत ही नहीं हो पा रही थी,,, इसलिए मजबूर होकर मुझे वह खत लिखना पड़ा,,,
( मनोज पूनम को अपनी सफाई दे रहा था और यह बात सुनकर पूनम मन ही मन हंस रही थी,,,। उसे मनोज का ईस तरह से सफाई देना बहुत अच्छा लग रहा था।)
फिर भी तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी है वहां पर मेरी किस्मत अच्छी थी कि वह खत किसी के हाथ नहीं लगा,,,
देखो पूनम मैं तुमसे हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं मैं जानता हूं कि मैं बहुत बड़ा बेवकूफ हूं इसलिए तुम्हारे सामने लो कान पकड़कर तुमसे माफी मांगता हूं,,,,,
क्या सच में तुम कान पकड़कर माफी मांग रहे हो,,,
,
हां मैं सच कह रहा हूं कसम से,,,, क्यों तुम्हें विश्वास नहीं हो रहा है क्या अगर तुम मेरे सामने होता तो मैं सच में तुम्हारे सामने कान पकड़कर घुटनों के बल बैठकर तुमसे माफी मांगता,,,,
( इस बात को सुनकर पूनम बहुत खुश हुई,,,)
तुम्हें यकीन नहीं आ रहा हो तो,,, मैं स्कूल में सबके सामने तुमसे माफी मांगने को तैयार हूं,,,
ननननन,,, नननन,,, ऐसा पागलपन बिल्कुल भी मत करना क्या तुम मुझे बदनाम करना चाहते हो,,
नहीं पूनम भला मैं ऐसा क्यों चाहूंगा,,,
।
तभी तो सबके सामने मुझसे माफी मांगने की बात कर रहे हो जानते हो तुम्हारे ऐसा करने से मेरी कितनी बदनामी होगी,,,
सॉरी पूनम ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जिससे तुम्हारी जरा सी भी बदनामी हो,,, अच्छा एक बात बताओ खोलो मैंने जो बात खत में लिखा था उसे पढ़कर तुम्हें अच्छा तो लगा ना,,,
क्या मतलब (पूनम अनजान बनते हुए बोली)
मतलब यही कि क्या तुम मेरे प्यार को स्वीकार की हो क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो,,,,
( मनोज की यह बात सुनकर पूनम खामोश हो गई उसे अपने प्यार का इजहार करने में शर्म सी महसूस हो रही थी लेकिन मनोज की यह बातें उसे अच्छी भी लग रही थी पूनम को इस तरह से खामोश देखकर मनोज बोला,,,।)
क्या हुआ पूनम तुम खामोश क्यों हो गई क्या तुम्हें मेरा प्यार स्वीकार नहीं है,,, बोलो,,,
( कुछ सेकंड खामोश रहने के बाद पूनम बोली)
तुम बिल्कुल बेवकूफ हो अगर ऐसी कोई बात होती तो मैं भला तुम्हें फोन क्यों करती,,,,
मतलब,,, क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो,,,
हां,,, ( शरमाते हुए बोली)
ओहहहहह पुनम मैं बता नहीं सकता कि कितना खुश हूं मुझे तो अपनी किस्मत पर यकीन ही नहीं हो रहा है कि तुम जैसी खूबसूरत लड़की मुझसे प्यार करने लगी है,,,, मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है क्या तुम मेरी एक बात मानोगी,,,
क्या?,,,,
( प्राकृतिक रूप से मनोज के तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी कारण बिल्कुल साफ था क्योंकि आज वह अपनी बेहद पसंदीदा लड़की से बात कर रहा था जिसकी वजह से उसके लंड में तनाव आना शुरू हो गया था,, जो कि बेहद प्राकृतिक था भले ही दोनों के बीच गंदी तरीके की अश्लील बातचीत ना हो रही हो लेकिन फिर भी पूनम की आवाज़ भी उसके लिए बेहद मादक साबित होती थी जिसकी वजह से उसका लंड पूरी तरह से पेंट में खड़ा हो चुका था,,, वैसे भी पूनम की सामान्य सी बात में ही मनोज उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुंच जाता था और इस समय तो वह रात के एकांत में अपने कमरे में लेट कर पूनम कि बेहद सुरीली और मादक आवाज का आनंद लेते हुए उस से बातें कर रहा था जिसकी वजह से उसका लंड अपनी अपनी औकात में आ चुका था।,,, मनोज से अपनी यह स्थिति बिल्कुल भी संभाले नहीं जा रही थी,,, और वह एक हाथ से अपने पजांमे को नीचे की तरफ सरकाने लगा,,, ठीक ऐसा ही पूनम के साथ हो रहा था जिंदगी में पहली बार बार रात के सन्नाटे में अपने कमरे में बैठकर मनोज से बात कर रही थी या यूं कह लो कि आज वह पहली बार जिंदगी में किसी लड़के से इस तरह से बात कर रही थी,,,, ईस रोमांचकारी अनुभव का असर उसके खूबसूरत तन-बदन में अद्भुत प्रकार से हो रहा था,,,,, एक अजीब सा सुखद एहसास उसके तन बदन मैं कसमसाहट भर रहा था लेकिन पूनम अनुभवहीन थी उसे अवस्था के बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था,,,,, वह अपने बदन में हो रही उत्तेजना को पहचान नहीं पा रही थी,,, रात में एक लड़के से बात करने की वजह से उसके तन-बदन में भी हलचल सी मची हुई थी जिसका सीधा असर उसकी जांघों के बीच डेढ़ ईंच की पतली दरार में पूरी तरह से हो रही थी,,,
उसमें से हल्का हल्का मदन रस हो रहा था जिसे पूनम बिल्कुल भी नहीं पहचान पा रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है
लेकिन इस तरह का शरीर में हो रहे बदलाव और कसमसाहट भरी मीठी चुभन पूनम को अच्छा लग रहा था।,,, पूनम समझ नहीं पा रही थी कि मनोज उससे कौन सी बात मनवाना चाहता है इसलिए फोन को अपने कान पर बराबर लगाकर उसकी बात सुनने की कोशिश करने लगी,,,,, तभी सामने से मनोज की आवाज आई,,,।)
पूनम क्या तुम मेरे लिए सिर्फ एक बार अपने मुंह से अपने प्यार का इजहार कर सकती हो,,, मैं तुम्हारे मुंह से सुनने के लिए तड़प रहा हूं,,,,, बस एक बार बस एक बार तुम मुझे,,,, अपने मुंह से,,, आई लव यू बोल दो मेरा जन्म सुधर जाएगा,,,, प्लीज पूनम मुझ गरीब पर इतना रहम कर दो मैं तुम्हारे प्यार का प्यासा हूं अपने मुंह से यह 3 शब्द कहकर मेरी प्यास बुझा दो,,,,
( पूनम मनोज की बातें सुनकर मन ही मन खुश हो रही थी उसे मनोज के मुंह से यह सुनना बेहद अच्छा लग रहा था वास्तव में मनोज शब्दों का जादूगर था और लड़कियों के साथ इसी तरह से फ्लर्ट कर के उन्हें अपने प्यार के झांसे में फंसाया करता था,,,, और वही सब तरकिब वह पूनम के सामने आजमा रहा था,,, क्योंकि कुछ भी हो वह दूसरी लड़कियों के साथ भले ही किसी भी तरह से पेश आता हो लेकिन वह पूनम से मन ही मन प्यार करने लगा था तभी तो उसकी याद में ईस तरह से बावला हुआ था,,, पूनम मनोज की बातें सुन कर बहुत खुश हो रही थी लेकिन जिस तरह का वह जिद कर रहा था उस शब्द को बोलने में पूनम को हिचकिचाहट हो रही थी क्योंकि आज तक उसने यह 3 शब्द ना तो कभी अपने मुंह से बोलीे थी और भाई कभी अपने कानो से सुनी थी उसे बेहद शर्म सी महसूस हो रही थी लेकिन जिस तरह से वह मुझसे मिन्नतें कर रहा था उसकी बात तो मानना ही था इसलिए बहुत ही हिम्मत जुटाकर वह,,ं मनोज की बात रखते हुए बोली।)
क्या मनोज तुम भी इतना जिद कर रहे हो आखिरकार मैं तुम्हें सामने से फोन करके अपने मन की बात का एहसास तो तुम्हें दिला ही दी हूं फिर भी तुम इस तरह से क्यों जिद कर रहे हो,,,,,
( पूनम के मुंह से अपना नाम सुनकर मनोज बहुत खुश हो गया और वह 3 लब्ज सुनने के लिए बेकरार होने लगा,,,,)
पूनम मैं जिद नहीं कर रहा हूं बस मेरे मन की यही ख्वाहिश है कि मैं वह तान शब्द तुम्हारे मुंह से सुनना चाहता हूं,,, प्लीज ना मत कहना,,,,
आई लव यू,,,,( मनोज अपनी बात खत्म कर पाता इससे पहले ही पूनम ने झट से यह तीन शब्द बोल दी,,,, यह 3 शब्द बोलने में पूनम की हालत खराब हो गई,,,, जिंदगी में पहली बार इस 3 शब्दों का उपयोग की थी,,,, उसके बदन में अजीब सा रोमांच फैल गया था,,, पूनम के साथ साथ मनोज के तन-बदन में भी यह 3 शब्द उसके मुंह से सुनकर उत्तेजना की लहर दौड़ गई थी मनोज मन ही मन बहुत खुश हुआ उसे कभी भी उम्मीद नहीं थी कि वह पूनम के मुंह से अपने लिए यह तीन सब्द सुन पाएगा,,, लेकिन इस समय ऊसके मन की बात सच हो रही थी,,, )
पूनम आज मैं बहुत खुश हूं मैं तुम्हें बता नहीं सकता कि मैं कितना खुश हूं,,,, मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा है कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा,,,,
( मनोज की यह बात सुनकर पूनम खिलखिलाकर हंसने लगी उसे मनोज की यह बात बहुत ही मासूम और प्यारी लग रही थी,,, और पूनम की मुस्कुराहट और उसकी हंसी की आवाज सुनकर मनोज की उत्तेजना बढ़ने लगी वह अपने टनटनाए हुए लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगा मनोज की हालत पल-पल खराब हुए जा रही थी ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी लड़की से बात कर रहा था बल्कि उसकी हर बात किसी ने किसी लड़कियों के साथ फोन पर गुजरती थी और वह फोन पर लड़कियों के साथ भी है अश्लील और एकदम गंदी बातें करके अपने लंड का पानी निकाल देता था लेकिन,,,, पूनम के साथ हुआ बेहद सभ्यता के साथ और सामान्य शब्दों में ही बातें कर रहा था लेकिन फिर भी पूनम की कशिश इतनी ज्यादा थी कि उसकी बातों से ही मनोज पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और वह पूनम से बातें करते हुए कल्पना में ही उसके खूबसूरत बदन के साथ मस्ती करते हुए अपने लंड को जोर जोर से हीलाना शुरु कर दिया था।,,,, तभी पूनम मनोज की बात का जवाब देते हुए बोली,,
तुम सपना नहीं हकीकत देख रहे हो ओर जोे सुन रहे हो वह बिल्कुल सही सुन रहे हो,,,,
पूनम क्या सच में तुम मुझसे प्यार करने लगी हो कहीं तुम मुझसे मजाक तो नहीं कर रही हो,,,( ऐसा कहते हुए मनोज अपने लंड को जोर-जोर से मुठीयानी लगा,,,,)
मैं मजाक नहीं करती मैं जों कहतीे हूं एक दम सच कहतीे हुं।
मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मैं किसी को दिल दे दे दूंगी क्योंकि मैं इन सब बातों से एकदम दूर ही रहती थी और दूर रहना चाहती थी,,,,लेकीन तुम्हारी वजह से मुझे अपना फैसला बदलना पड़ा तुम्हारी जिद के आगे मुझे झुकना पड़ा वेसे भी धीरे-धीरे तुम मुझे अच्छे लगने लगे हो,,,।( मनोज पूनम की ऐसी बातें सुनकर उत्तेजना के चरम शिखर पर पहुंच गया था वह कल्पना में ही पूनम के बदन पर से एक-एक करके सारे कपड़े उतारने लगा था,,,,)
सच बोल रही हो पुनम,,, मुझे तो सच बताऊं अभी भी यकीन नहीं हो रहा है।,,, कहीं ऐसा ना हो जाए कि मैं खुशी से एकदम पागल हो जाऊं,,,,
प्लीज ऐसा मत कहो अगर तुम पागल हो गए तो मेरा क्या होगा,,,,
( पूनम की यह बात सुनकर मनोज तो एकदम पागल ही हो गया,,, वह इस बार कल्पना के सागर में गोते लगाते हुए पूनम के बदन उसकी पैंटी उतार रहा था,, और उस कल्पना मैं खोकर मनोज जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा था।)
मैं भी तुम्हारे बिना अधूरा हूं पूनम,,,,
मुझे भी ऐसा लगने लगा है कि मैं भी तुम्हारे बिना अधूरी हूं,,,
( दोनों के बदन में आग बराबर लगी हुई थी पूनम इस तरह से रात को एक लड़के से बात करके अंदर ही अंदर मस्त हुए जा रही थी लेकिन उसे इस मस्ती का सबब पता नहीं चल रहा था धीरे-धीरे करके उसकी पैंटी गीली होने लगी थी जिसका एहसास उसे होते ही उसका एक हाथ झट से उसकी पैंटी पर चला गया और वह सलवार के ऊपर से उसे टटोलकर पेंटिं गीली होने की पुष्टि करने लगी,,,, उसकी खूबसूरत अनछुई बुर मस्ती के रस में पूरी डूब चुकी थी,,,, लेकिन पूनम को इस मस्ती के हिसाब के बारे में कुछ भी पता नहीं था उसे तो यह लग रहा था कि उसे जोर से पेशाब लगी है जिसकी वजह से बूंद बूंद करके उसकी पैंटी गीली होने लगी है,,,, दूसरी तरफ मनोज जोर-जोर से अपने लंड को हिलाते हुए अपने चरम सुख की तरफ आगे बढ़ रहा था,,,, अब वह कल्पना में ही पूनम की जांघों के बीच अपने लिए जगह बना लिया था,,,, और अपने लंड के सुपाड़े को पूनम की खूबसूरत बुर के मुहाने सटा दिया था,,,,, मनोज उत्तेजना की गर्मी के कारण पूरा पसीने से तरबतर हो चुका था।। पूनम दीवार पर टंगी घड़ी की तरफ देखी तो काफी समय हो चुका था उसे इस बात का भी डर था कि कहीं कोई आते जाते उसकी बात न सुन ले नहीं तो उसका प्यार शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा,,, और वैसे भी उसे जोरों से पेशाब भी लगी थी इसलिए वह बोली,,,
मनोज आप काफी समय हो गया है मुझे फोन रखना होगा,,,
नहीं पूनम ऐसा मत बोलो मैं तो चाहता हूं कि रात भर तुम यूं ही मुझसे बातें करती रहो,,,
मैं भी तो यही चाहती हूं (हंसकर) लेकिन मजबूर हूं सुबह जल्दी उठकर स्कूल भी तो जाना है,,,
( मनोज उसकी बात सुनते हुए अपनी कल्पना का घोड़ा पूरी जोर से दौड़ रहा था क्योंकि इस बार वह कल्पना करते हुए अपने लंड को पूनम की बुर में उतार चुका था और उसे चोदना शुरू कर दिया था उसका हाथ उसकी लंड पर बड़ी तेजी से ऊपर नीचे हो रहा था।,,,,
( पूनम की नजर दीवार पर टंगी घड़ी पर पड़ी थी काफी समय हो चुका था इसलिए वह मनोज से बोली,,,।)
मनोज अब काफी समय हो चुका है अब मुझे सोना चाहिए क्योंकि जल्दी उठकर मुझे स्कूल भी तो जाना है,,, अगर ऐसे ही बातें करती रहुंगी तो सुबह आंख नहीं खुलेगी,,
मनोज नहीं चाहता था कि पूनम फोन कट करें क्योंकि वहां से रात भर बात करना चाहता था,,, लेकिन उससे बात करने के लिए दबाव भी नहीं दे सकता था क्योंकि आज पहली बार वह ऊससे इस तरह से बात कर रहा था,,, वैसे भी वह कल्पना करते हुए अपने चरम सुख के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था वह जोर-जोर से लंड हिलाते हुए बोला,,
कोई बात नहीं पूनम लेकिन कल स्कूल में तो मिलोगी ना,,,
नहीं बिल्कुल भी नहीं हम जैसे पहले मिलते थे वैसे ही मिलेंगे किसी को भी कानो कान खबर नहीं होनी चाहिए कि हम दोनों के बीच में कुछ चल रहा है वरना मेरी हालत मेरे घरवाले खराब कर देंगे,,,,
ठीक है पूनम जैसा तुम कहो,,,,
और हां मनोज यह मोबाइल मेरी चाची का है तो जब तक मैं तुम्हें मिस कॉल ना करूं तुम किसी भी हालत में कभी भी फोन मत करना तुम्हें यह प्रॉमिस करना पड़ेगा,,, वरना ऐसा हुआ तो मुझे यह रिश्ता यहीं खत्म करना होगा,,
नहीं पूनम ऐसा कभी भी नहीं होगा (और इतना कहने के साथ ही उसके लंड ने पिचकारी छोड़ दिया,,,।)
ठीक है बाय मैं फोन रखती हूं,,,
ठीक है पूनम आई लव यू,,,
लव यू टू मनोज,,
( इतना कहने के साथ ही फोन कट गया)
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मनोज से बात करके पूनम को काफी अच्छा लग रहा था,,, जिंदगी में पहली बार उसने इस तरह के कदम उठाए थे पहली बार किसी लड़के के साथ फोन पर बात की थी उसके दिल को सुकून मिल रहा था वह काफी अच्छा महसूस कर रही थी,,, वरना जब तक वह मनोज से बात नहीं की थी तब तक उसके मन में ना जाने कैसे-कैसे ख्याल आते थे। उसके बदन में अजीब सी हलचल सी मची हुई थी उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे जोरों की पेशाब लगी है इसलिए वह शॉल ओढ़ कर कमरे से बाहर आ गई,,,, लेकिन इस बार वह घर के बाहर पेशाब करने के लिए नहीं गई बल्कि सामने के बाथरूम में घुसकर जल्दी-जल्दी अपने सलवार की डोरी खोल कर,,, पेशाब करने बैठ गई आज उसकी बुर से बड़ी तेजी के साथ पेशाब की धार फूट पड़ी थी उसे ऐसा लग रहा था कि अगर कुछ देर रुकी रहती तो शायद वह सलवार गीली कर देती,,,,
थोड़ी ही देर में वहां पेशाब करके खड़ी हो गई और अपने सलवार को पहनने लगी लेकिन उसे अजीब सा महसूस हो रहा था पेशाब करने के बाद भी उसे अपनी बूर के इर्द-गिर्द बेहद गीलापन महसूस हो रहा था,,,,ऊसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है,,, वह जल्दी-जल्दी अपने कमरे में आई और बल्ब जलाकर फिर से अपनी सलवार की डोरी खोलकर सलवार को पेंटिं सहीत अपनी जांगो तक नीचे सरका दी,,, वह ध्यान से अपनी बुर को देखने लगी,, बुर पर हल्के हल्के बाल उगे हुए थे कुछ दिन पहले ही उसने क्रीम लगाकर अपनी बुर को साफ की थी,,,, क्योंकि हमेशा वहां अपने अंगों की सफाई की ज्यादा ध्यान देती थी,,,, भले ही अभी उसकी बुर पर झांट के बाल ज्यादा घने ना आते हो,, लेकिन फिर भी वह सप्ताह में एक बार क्रीम का उपयोग करके अपनी बुर पर ऊगे बालों को साफ जरूर करती थी,,,,
उसे इस बात का अंदाजा बिल्कुल भी नहीं था कि उसकी बुर बेहद ही खूबसूरत रूप में घड़ी हुई थी,,, उसकी बनावट बेहद खूबसूरत और अद्भुत थी इस बात का अंदाजा उसे बिल्कुल भी नहीं था,,,, इस बात का अंदाजा वहीं लगा सकता था जो कि उसकी बुर को रूबरू अपनी आंखों से देख पाए,,,,
बुर बड़ी मुश्किल से केवल एक ही इंच के लगभग होगी लेकिन उसके इर्द-गिर्द का भाग काफी फूला हुआ था मानो कि जैसे तवे पर कोई रोटी फूल रही हो,, पूनम किशोर और चिकनी जांघों के बीच का वह हिस्सा बुर ही है यह दर्शाने के लिए,, उसके बीच हल्की सी एक पतली लकीर के जैसी दरार थी जिससे यह पता चलता था की यह पूनम की बुर है,,,, वैसे तो पूनम की खूबसूरत बुर का स्पष्ट वर्णन उसकी सुंदरता लिखने पर पूरी एक उपन्यास भर जाए इतनी बेहद खूबसूरत और रस से भरी हुई थी उसकी बुर,,,,
लेकिन उसकी यही खूबसूरत बुर ईस समय उसकी परेशानी का कारण बना हुआ था,,, पूनम बड़े आश्चर्य जैसे अपनी बुर की तरफ देखकर हैरान हो रही थी,,, क्योंकि पेशाब करने के बावजूद भी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसकी बुर पूरी तरह से गीली है,,, इसलिए वह अपने मन की तसल्ली के लिए हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर उसे अपनी बुर पर रखकर टटोलने लगी,, जिससे कि उसे एहसास हो गया कि वाकई में उसकी बुर पूरी तरह से गिली थी,,,, लेकिन उसे एक बात बेहद परेशान कर रही थी कि गीली होने के साथ साथ चिपचिपी भी थी ऊसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार यह चिपचिपा सा तरल पदार्थ है क्या? वह चिपचिपा तरल पदार्थ उसकी उंगलियों पर लग चुका था,,, जिसे वह ध्यान से देख रही थी लेकिन उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था आखिरकार थक हारकर वह बुर के ऊपर लगे चिपचिपा पदार्थ को रुमाल से साफ करके सो गई,,,,
दूसरी तरफ मनोज भी बहुत खुश था क्योंकि वह आज पहली बार अपने मनपसंद की बेहद खूबसूरत लड़की के साथ बातें करते हुए संतुष्टि भरा चरम सुख प्राप्त किया था जितना मजा उसे आज पूनम के साथ केवल साधारण से बातचीत करने में आया इतना मजा उसे दूसरी औरतों और लड़कियों के साथ अश्लील बातें करने में भी नहीं आया था वह भी पूनम की यादों को सीने से लगाए सो गया,,
दोनों की प्रेमगाथा शुरू हो चुकी थी जो कि एक तरफ से तो प्यार ही था लेकिन दूसरी तरफ प्यार के साथ-साथ वासना का भी मिश्रण था जो कि समय के साथ काफी फल-फूल रहा था,,,, स्कूल में आते जाते रास्ते में दोनों इस तरह से व्यवहार करते थे कि जैसे एक दूसरे के प्रति दोनों के मन में किसी भी प्रकार का स्नेह या आकर्षण नहीं है लेकिन मन ही मन दोनों एक दूसरे को जी-जान से चाहने लगे थे,,,,, दो-चार दिन तक पूनम को मोबाइल नहीं मिला क्योंकि उसकी चाची अपनी मां के फोन करके बातें किया करती थी जिसकी वजह से वह अपनी चाची से फोन भी नहीं मांग पा रही थी,,,, और मनोज बेहद परेशान सा हो गया था क्योंकि पूनम ने सख्त हिदायत दे रखी थी कि जब तक वह मिस कॉल ना करें तब तक वह फोन नहीं करेगा वरना वह रिश्ता तोड़ देगी,,,,, पूनम की बात की गहराई को बहुत अच्छी तरह से समझता था क्योंकि अगर वह अपने ऊपर काबू में रख कर फोन कर दिया तो हो सकता है उसके परिवार में कोई भी फोन उठा सकता था और उस समय पूनम के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती थी और वहां ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहता था इसलिए अपनी भावनाओं पर काबू कर के वह शांत रह जाता था,,,। मनोज से बात किए बिना पूनम काफी बेचैन हो जाया करती थी वहां दिन रात बस फोन कहीं जुगाड़ में लगी रहती थी लेकिन दिन में तो उसे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था और रात में उसकी चाची फोन अपने पास में ही रखती थी इस वजह से पूनम का काम बिगड़ता जा रहा था,,,,, वक्त के साथ-साथ सुजाता की बुर में भी खलबली सी मचने लगी थी,,,। वह हमेशा मौके के ही तलाश में रहती थी लेकिन कुछ दिनों से उसे भी मौका नहीं मिल पा रहा था,,,,। सोहन तो वैसे ही शुरू से औरतों का दीवाना था,,,। आंख सेंकने के लिए उसे कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ती थी जब भी आंख सेकना होता था, तो वह पूनम के घर दूध लेने के बहाने चले जाता था क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानता था कि पूनम के घर में एक से एक गर्म साइलेंसर,,, अपनी गर्माहट उसकी जवानी के रस को पिघलाने का पूरा जुगाड़ की तरह थे,,,,। जब कभी भी उसे चोदने के लिए बुर नहीं मिलती थी तो अक्सर वह पूनम के घर की औरतों के बारे में कल्पना कर कर के हाथ से ही काम चला लिया करता था,,। वैसे भी पूनम के घर की औरतें एकदम हाई वोल्टेज टाइप की एक से बढ़कर एक माल थी।,,, ऐसे ही वह अपनी आंख सेंकने के लिए पूनम के घर दूध लेने के बहाने से पहुंच गया,,,, घर के आंगन में पहुंचकर वह इधर उधर देखने लगा,,,, वह इसी ताक में था कि किसी की मदमस्त बड़ी बड़ी बड़ी गांड देखने को मिल जाए भले ही साड़ी के ऊपर से ही सही,, वह कुछ देर तक आवाज नहीं खड़ा रहा लेकिन किसी ने भी उसे अपने खूबसूरत बदन के दर्शन नहीं कराए,,, उसका लंड तड़प रहा था नजारा देखने के लिए,,, जब काफी देर हो गई उसे वही खड़े-खड़े इंतजार करते हुए तो वह आवाज लगाकर बुलाने की सोचा और जैसे ही आवाज लगाने जा रहा था कि सामने से हाथों में ढ़ेर सारे बर्तन लिए पूनम बाहर आती नजर आई,,,,, उस पर नजर पड़ते ही सोहन खुश हो गया और मन में ही सोचा चलो,,,,
कोई बात नहीं,,,, जवानी का गोदाम ना सही जवानी का शोरूम भी चलेगा,,,, पूनम सोहन की तरफ देखते ही गुस्से मैं नजर दूसरी तरफ फेरते हुए,,, बर्तन को जोर से पटकते हुए बोली,,,,
क्या काम है?
दूध लेना है और कुछ काम नहीं है,,,,
तो तबेले मे जाओ यहां क्या कर रहे हो,,,,,?
तुम नहीं दोगी,,,,,,, दूध,,,,,( सोहन,, दो अर्थ वाली भाषा में बात कर रहा था,,,।)
नहीं आज मैं नहीं दूंगी मुझे बहुत काम है तबेले में जाओ वहां पर चाची हैं वह तुम्हें दूध देंगी,,,,,
अच्छी बात है वैसे भी तुम बहुत कम दुध देती हो चाची अक्सर ज्यादा दूध देती है,,,( सोहन दांत दिखाते हुए बोला उसकी बात को सुनकर पूनम गुस्से में बोली,,,।)
जितना आता है उतना ही दूंगी ना कि तुम्हारे लिए ज्यादा निकाल कर दे दूंगी,,,,
तो ज्यादा निकाला करो यह तो तुम्हारे ऊपर ही है,,,,
ऐसे कैसे ज्यादा निकाल दूं जितना होगा उतना ही दूंगी ना अगर ज्यादा ही चाहिए तो ज्यादा पैसे दिया करो,,,,
( पूनम सोहन की दो अर्थ वाली भाषा को समझ नहीं पा रही थी इसलिए वह मासूमियत से उसका जवाब दे रही थी लेकिन उसके जवाब को दूसरी तरफ से लेकर सोहन बहुत खुश हो रहा था,,,।)
ऐसे कैसे ज्यादा पैसे दे दूं जितना पैसा देता हूं उतने में तुम्हारे घर के सभी ज्यादा दूध देती हैं एक तुम ही हो जो बहुत कम दूध देती हो,,,,
अच्छा जाओ यहां से मुझसे ज्यादा बहस मत किया करो जो ज्यादा दूध देता हो उसी से ले लिया करो,,,,,( पूनम गुस्से में बोल कर नीचे बैठकर बर्तन मांजने लगी,,, और इसी पल का सोहन बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा था किंतु जैसे ही वह नीचे बैठने के लिए झुकि उसकी गोल गोल का है सलवार के ऊपर से भी अपनी खूबसूरती बिखरने लगी,,, सोहन मात्र 2 सेकंड के नजारे से एक दम मस्त हो गया और हंसते हुए वहां से तबेले की तरफ चला गया,,,,, वैसे तो वह यहां पर सुजाता के हितार्थ में आया था लेकिन सुजाता उसे कहीं नजर नहीं आ रही थी काश अगर वह उसे नजर आ जाती तो वह अपने लिए कुछ जुगाड़ बना पाता लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ तबेले में पहुंचते ही उसकी नजर,,, संध्या चाची पर पड़ी जो कि झुक कर भैंस की रस्सी को बांध रहीे थी,,,, जो कि झुकने की वजह से उसकी जवानी की दुकान कुछ ज्यादा ही उभार लिए नजर आ रही थी जिसे देख कर सोहन का लंड ठुनकी मारने लगा,,, लेकिन वह एक कारण की वजह से अपना मन मसोसकर रह गया क्योंकि,,, संध्या की जवानी की दुकान पर साड़ी रुपी सटर पड़ा हुआ था। जी मैं तो आ रहा था कि वह पीछे से जाकर उसका शटर उठाए और अपने लंड को बुर में डालकर चोद डाले,,, क्योंकि उसकी हालत खराब हुए जा रही थी और उसके पैंट में तंबू बन चुका था,,,, वह उसकी मत मस्त गांड को हिलते-डुलते हुए देखकर धीरे-धीरे उसके नजदीक जाने लगा,,,, साथ ही वह पेंट के ऊपर से अपने लंड को मसलते हुए जा रहा था,,, इतने दिनों से पूनम के घर उसका आना जाना था।
इसलिए अच्छी तरह से देख कर यह समझ गया था कि पूनम के घर में जितनी भी औरतें थी उन सब में सबसे बड़ी और बेहद भरावदार गांड संध्या की थी जिसे देखते ही किसी का भी लंड खड़ा हो जाए,,,,सोहन संध्या की बड़ी बड़ी मटकती हुई गांड को देखकर एकदम कामीभूत हो चुका था,,,,
अभी तो मात्र उसने साड़ी के ऊपर से ही बस उसकी बड़ी-बड़ी प्यार की कल्पना ही किया था अगर वह सच में उसकी नंगी गांड को देख लेता तो खड़े खड़े पानी छोड़ देता,,,, संध्या उसी तरह से झुककर रस्सी को बांधने में लगी हुई थी,,, उसे तो इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उसके पीछे वासना से भरा हुआ एक नौजवान लट्ठ खड़ा है,,, वह अपने काम में एकदम मग्न थी,, वह संध्या के एकदम बिल्कुल करीब पहुंच गया था,,, वह पीछे से संध्या को पकड़कर अपने लंड का कड़कपन उसकी बड़ी बड़ी गांड पर धंसाना चाहता था,,,। क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि संध्या की उम्र की औरतों को बड़े बड़े लंड का बहुत ही ज्यादा शौक होता है,,,,
पहले तो वह समाज और परिवार के डर से बिल्कुल भी हां नहीं बोलती लेकिन धीरे-धीरे जब उनका डर निकल जाता है तो वह अपनी बुर में मोटा लंड को लिए बिना बिल्कुल भी नहीं रह पाती,,, वह ईस बात से इसलिए अच्छी तरह से वाकिफ था क्योंकि वह खेला खाया जवान था और अब तक उसने संध्या जैसी उम्र की औरतों को ही चोदते आया था,,,,।
सोहन धीरे-धीरे आगे बढ़ ही रहा था कि तबेले में बड़ी एक भैंस उसकी तरफ से मारने के लिए लपकी,,, और वह उस भेश से बचने के लिए थोड़ा सा हट कर जल्दी से आगे बढ़ा ही था कि तभी उसके दिमाग में एक शरारत सूझी और वह भैंस से बचने के बहाने जल्दी से संध्या के पिछवाड़े से सटते हुए बचते बचते नीचे गिर गया और इस तरह से अपने बदन से सटने की वजह से संध्या एक दम से घबरा गयी,,,, वह पीछे मुड़कर देखी तो सोहन नीचे घास फूस के ढेर पर गिरा हुआ था,,,, लेकिन सोहन गिरने से पहले अपना काम कर चुका था वह बचते-बचते संध्या के बड़े पिछवाड़े के बीचोे बीच,,, अपने खड़े लंड का कठोरपन धसाते हुए अपने लंड को उसके नितंबों के बीचो-बीच उसे महसूस करा गया था,,,। इसलिए तो संध्या घबराकर तेजी से उछली थी।,, उसे ऐसा महसूस हुआ था कि कोई ऊसकी गांड के बीचो-बीच कोई नुकीली चीज घुसेड़ रहा है,,,, वह अपने आप को संभाल पाती तभी,,
ऊसकी नजर घास फुस के ढेर पर गिरे सोहन पर पड़ी,,, जो की बड़े जोर से गिरा था,,,,, जिस तरह से वह घबरा गई थी उसे देखते हुए वहां सोहन को गुस्से में डांटना चाहती थी लेकिन उसकी हालत को देखकर उसे हंसी आ गई पल भर के लिए वह एकदम से भूल गई की उसके नितंबों के बीचो-बीच कोई नुकीली जीच चुभी थी,,,, और वह सोहन की हालत को देखकर जोर-जोर से हंसने लगी,,, उसे हंसता हुआ देखकर तो हमको भी अच्छा लग रहा था लेकिन फिर भी वह थोड़ा सा जानबूझकर गुस्सा दिखाते हुए बोला ताकि उसको यह ना लगे कि जिस चीज का अनुभव उसनें अपने नितंबों के बीचो-बीच कुछ पल पहले की थी वह जानबूझकर हुआ था,,,,
कमाल करती हो तुम भी एक तो तुम्हारी भैंस की वजह से मैं गिर गया और तुम्हें हंसी सूझ रही है,,,
अब हमसे ना तो क्या करूं तुझे देख कर चलना चाहिए था ना
मे तो देखकर ही आ रहा था लेकिन तुम्हारी भैंस न जाने क्यों भड़क गई,,,
तो जरूर कुछ किया होगा तभी भड़क गई वरना वहं तो बहुत सीधी है,,
अच्छा,,,,, सीधी,,,,, और वह भी तुम्हारे साथ रहकर हो ही नहीं सकता,,,,,
तेरा क्या मतलब है,,,
अरे मतलब साफ है एक तो मैं नीचे गिरा हुआ हूं और मुझे उठाने की बजाय तुम हंसे जा रही हो,,,
अच्छा बाबा ठीक है ला,,, मुझे हाथ हाथ दे मैं तुझे उठाती हुं।
( संध्या हंसते हुए बोली,,, सोहन को बहुत ही अच्छा लग रहा था नीचे घास फूस के ढेर पर पड़ा हुआ वह ऊपर की तरफ देख रहा था और उसे संध्या का पूरा नजारा देखने को मिल रहा था,,, हवा बहने की वजह से उसकी साड़ी इधर-उधर लहरा रही थी साथ ही उसका पेटीकोट भी नजर आ रहा था जी मैं तो आ रहा था कि वह उसकी पेटीकोट को उठाकर उसकी नमकीन जवानी को देख ले लेकिन ऐसा करने में अभी वह हीचकीचा रहा था,,,। संध्या के कहने पर वह हाथ आगे बढ़ा दिया और संध्या ने उसका हाथ पकड़ते हुए उसे ऊपर उठाने की कोशिश की लेकिन सोहन का शरीर कसरती और भारी भरकम था,,, जो कि एक औरत से उठने वाला नहीं था तो भी संध्या कोशिश करके उसे उठाने लगी लेकिन तभी उसका पैर फिसला और वह सीधे सोहन के ऊपर गिर गई,,
संध्या गिर कर सीधे सोहन की बाहों में पड़ी थी,,, सोहन संध्या को गिरते हुए देख लिया था इसलिए उसे थाम लिया लेकिन उसे थामते हुए भी धीरे-धीरे अपनी बाहों में गिरा ही दिया,,, गजब का एहसास सोहन के बदन में हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे ऊपर वाले ने उसे कोई भारी भरकम तोहफा दे दिया हो,,, संध्या को तो कुछ समझ में नहीं आया कि आखिर हुआ क्या जब उसे होश आया तो वह सोहन की बाहों में थी,,,, उसके लाल लाल होंठ सोहन के होंठों के बिल्कुल करीब थे,, सोहन के जी में आया कि वह उसके होठों को चूम ले,,,,, संध्या की बड़ी बड़ी चूची की नर्माहट को वह अपने सीने पर महसूस करके एकदम से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,, उसका लंड एकदम से तन कर खड़ा हो गया था जो कि अब सीधे संध्या की जांघों के बीच,, साड़ी के उपर से ही उसकी बुर के मुहाने पर दस्तक दे रहा था,,, जिसका एहसास संध्या को भलीभांति हो रहा था कुछ पल के लिए तो संध्या को उस कठोर पन का एहसास अपनी बुर के मुहाने पर बेहद सुखदायक लग रहा था ऐसा लग रहा था कि वह कठोर सी चीज साड़ी फाड़कर ऊसकी बुर में समा जाएगी,,, संध्या को इस बात को समझते बिल्कुल भी देर नहीं लगी कि कुछ देर पहले जो उसके नितंबों के बीचो बीच जो नुकीली सी चीज चुभी थी वह सोहन का दमदार लंड ही था इस बात का एहसास होते ही उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई,,,,,,,, उसके दिल में तो आ रहा था कि वह इसी तरह से सोहन के बदन पर लेटी रहे और उसके दमदार लंड को अपनी बुर के मुहाने पर महसूस करतेी रहे,,
जिस तरह से संध्या उसके बदन पर लेटी हुई थी और उठने की बिल्कुल भी कोशिश नही कर रही थी,,, उसे देखते हुए सोहन को भी थोड़ी छूट छाट लेने की इच्छा हो गई,,, और वह अपने दोनों हाथ को संध्या की कमर पर रखते हुए नीचे की तरफ ले गया और संध्या की पूरी पूरी कहानी पर अपनी हथेली को रखकर ऐसा जताते हुए कि वह उठने की कोशिश कर रहा है जितना उसकी हथेली में हो सकता था उतना संध्या की गांड को भर कर जोर से दबा दिया इतनी जोर से दबाया था कि संध्या के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई,,
आऊच्च,,,
( संध्या की चीज की आवाज सुनकर संध्या कुछ कहती ईससे पहले ही सोहन बोल पड़ा,,,।)
क्या करती हो चाची एक तो पहले से ही गिरा हुआ था कि मुझे उठाने की बजाय तुम मुझ पर ही गिर पड़ी पता है मेरी पीठ कितनी तेज दर्द कर रही है,,,,
( संध्या जानती थी की उसने जानबूझकर उसकी गांड को हाथों से दबाया था,,, लेकिन वह औरत होने के नाते उसे कुछ कह नहीं पाई और शरमाते हुए उसके ऊपर से उठने लगी,,। उसके उठने के बाद सोहन खुद अपने आप ही उठ गया और अपने बदन को झाड़ने लगा,,,, सोहन मन ही मन बहुत खुश हो रहा था क्योंकि उसका काम हो गया था उसने अपनी मर्दाना ताकत को संध्या के बदन में महसूस करा कर उसके बदन में खलबली मचा दिया था,,,, संध्या शर्मा कर दूसरी तरफ देखने लगे तभी तो उनकी नजर संध्या की ब्लाउज मै से झांक रही उसकी नंगी पीठ पर गई,,, और उसकी नंगी चीकनी पीठ को देखकर उसे छुने की इच्छा होने लगी,,, इसलिए उसकी पीठ को छूने के लिए एक बहाने से बोला,,,
चाची तुम्हारी पीठ पर धूल मिट्टी लगी है उसे साफ कर लो,,,
( संध्या को ना जाने क्या हो गया था वह तो सोहन से नजर तक नहीं मिला पा रही थी,,,, क्योंकि अभी तक सोहन के लढ के कड़कपन का असर उसके बदन पर छाया हुआ था,,,वह सोहन की तरफ देखे बिना ही बोली,,,,)
तू ही झाड़ दे मेरा हाथ वहां तक नहीं पहुंचेगा,,,
( संध्या की यह बात सुनकर तो सोहन की बांछे ही खिल गई
ऊसे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि संध्या ऐसा कुछ कहेगी,,, संध्या की बात सुनते ही वहां जबसे उसके पीछे पहुंच गया और अपनी उंगली से उसकी महंगी चिकनी पीठ पर इस तरह से स्पर्श कराने लगा मानो कि वह सच में धूल मिट्टी साफ कर रहा है,,,,। लेकिन संध्या की चिकनी पीठ का स्पर्श उंगली पर होते ही उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, बिल्कुल यही हाल संध्या का भी हो रहा था ।
संध्या के तन-बदन में कामाग्नि की तेज लहर दौड़ रही थी जिसकी वजह से उसे साथ-साथ महसूस हो रहा था कि उसकी बुर से मदन की बूंदे टपक रही थी,,,, संध्या ने इस तरह का उत्तेजना का अनुभव किसी गैर मर्द के सामने पहली बार कर रही थी,,,,, ज्यादा देर तक वह संध्या की पीठ को सहला नहीं सकता क्योंकि कोई भी आ सकता था,,,, इसलिए वह आखरी क्षण अपनी उंगली का दबाव उसकी नंगी पीठ पर बढ़ाते हुए बोला,, जिसकी वजह से संध्या के मुंह से हल्की सी सिसकारी फूट पड़ी,,,,।)
सससससहहहहहह,,,,,
चाची हो गया,,,, साफ हो गया,,,,,
( सोहन संध्या को चाची कह कर संबोधित कर रहा था ताकि संध्या को बिल्कुल भी शक ना हो कि जो उसने किया है वह जानबूझकर किया है,,, वैसे भी पड़ोसी होने के नाते और दोनों की उम्र में काफी अंतर होने की वजह से संध्या उसकी चाची ही लगती थी,,, संध्या के बदन में शुभम ने एकदम से काम भावना प्रज्वलित कर दिया था,,, तभी संध्या अपने आप को संभालते हुए सोहन से बोली,,,।)
ला मुझे बरतन दे,,, मैं उसमें दूध भर दूं,,,,
( सोहन नीचे गिरे बर्तन को उठाकर संध्या को थमाते हुए बोला।)
लो चाची ज्यादा देना,,,, तुम ज्यादा दूध देती हो,,,, ( सोहन मुस्कुराते हुए बोला और उसके कहने के अर्थ को समझते ही संध्या का बदन अंदर ही अंदर सिहर उठा,,, वह बिना कुछ बोले बर्तन में दूध भरकर सोहन को थमाने लगी,, दुध थमाते हुए उसकी नजर शुभम की पेंट की तरफ गई तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,
सोहन की पेंट में बने तंबू को देख कर संध्या की आंख फटी की फटी रह गई क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि पैंट में बना इतना ऊंचा तंबू उसके किस अंग की वजह से बना हुआ है,,, इसलिए तो उसका तन-बदन एकदम से झनझना उठा,, उसको समझते देर नहीं लगी कि सोहन का हथियार एकदम तगड़ा और बलिष्ठ है,,,, वह जल्दी से सोहन को दूध का बर्तन थमा कर अपना काम करने लगी ताकि सोहन चला जाए,,,, सोहन अपना काम कर चुका था धीरे-धीरे करके उसने घर की तीन औरतों को अपने बलिस्ठ हथियार का परिचय दे चुका था,,, सबसे पहले वह पूनम को इसी तरह से अपने पैंट में बना तंबू दिखाया था जिसे देखकर वह भी सिहर उठी थी,,,, दूसरी थी सुजाता,,,, उसे तो वहं अपने हथियार का स्वाद भी चखा चुका था,,, और तीसरे नंबर की थी यह संध्या,,, जो कि उसके तंबू के आकार को देखकर ही समझ गई थी कि उसका हथियार ज्यादा बलिष्ठ है वह सोहन को जाते हुए देखती रह गई।
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पूनम बेसब्र हुए जा रही थी मनोज से बात करने के लिए,,,, वह अपनी चाची से मोबाइल मांगना चाह रही थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे मांगे क्योंकि इससे पहले वहं बार बार मोबाइल को नहीं मांगती थी,,,,,,
रात को खाना खाने के बाद यूंही सब गप्पे लड़ाते हुए छत पर बैठे थे,,,, पूनम इसी ताक में थे कि कब वह अपनी चाची से मोबाइल मांगे लेकिन उसे मोबाइल मांगने का मौका नहीं मिल रहा था,,, कड़ाके की ठंडी पड़ रही थी और छत पर घर की औरतें लकड़ी जलाकर उस आग से अपने बदन को गर्माहट पहुंचाने की कोशिश कर रही थी,,, इन सबके साथ पूनम तो वहां बैठी थी लेकिन उसका ध्यान कहीं और था वह तो मनोज के ख्यालों में खोई हुई थी,,,, काफी देर तक उन लोगों को बात करने की वजह से काफी समय बीत गया,,,, को धीरे-धीरे करके सब अपने कमरे में चले गए लेकिन संध्या और पूनम वहीं बैठ कर इधर-उधर की बातें कर रहे थे पूनम को अगर संध्या का मोबाइल मिल जाता तो वह भी तबका चली गई होती लेकिन वह मोबाइल लेने के लिए ही अपनी चाची के साथ वहां बैठीे रह गई,,,, तभी बात बात मैं संध्या नें पूनम के साथ सोहन का जिक्र करते हुए बोली,,,,
पूनम तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि अपने पास का लड़का सोहन दूध लेने के बहाने अपने घर की औरतों को कुछ ज्यादा ही ताक झांक करता रहता है,,,,
हां चाची मुझे भी ऐसा ही लगता है,,,, घर में आते ही उसकी नजरें इधर-उधर भटकती रहती हैं,,,,
( पूनम झट से संध्या की बात का जवाब देते हुए बोली क्योंकि पूनम को भी इस बात का एहसास अच्छी तरह से हो गया था कि सोहन की नजरें ठीक नहीं है,,,, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी की जब वह दूध लेने आया था,,, तो उसकी बात करने का ढंग और उसका मतलब दो अर्थ वाला था और वह बार-बार उसके शरीर को ऊपर से नीचे की तरफ घूरता रहता था,,, और तो और वह बात करते समय अपने पेंट में बने तंबू को भी बिलकुल छिपाने की कोशिश नहीं कर रहा था बल्कि वह जानबूझकर इस तरह से बर्ताव कर रहा था कि उसकी नजर उसके पेंट मैं बनी तंबू पर चली जाए,,, और ऐसा हुआ भी था पूनम की भी नजर उसके पैंट में बड़े तंबू कर चली गई थी और जिस पर नजर पड़ते ही पूनम शर्मा कर अपनी नजरें दूसरी तरफ फेर ली थी,,,, वह पल याद आते हैं पूनम के बदन में झनझनाहट से फैल गई,,,, लेकिन पूनम उस दिन वाली बात को अपनी चाची से बताई नहीं क्योंकि उस बात को बताने में उसे शर्म सी महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी वह अपनी चाची से बोली,,,,।)
लेकिन चाची तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो क्या तुम्हें कभी कुछ ऐसा लगा है,,,,
( पूनम की यह बात सुनते ही संध्या को तबेले वाला नजारा याद आ गया जब सोहन के लंड के कड़कपन को वह अपनी बड़ी बड़ी गांड पर महसूस करके एकदम से गंनगना गई थी।
और जब वह है उसके पैंट में बने बहुत ही ऊंचे तंबू को देख कर अपने बदन में उत्तेजना की लहर को साफ-साफ महसूस करी थी,,,, एक पल के लिए उसका मन भी बहक सा गया था। लेकिन संध्या जी पूनम सरिता पहले वाली बात को ना बता कर उसे छुपाते हुए बोली,,,,।)
नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है लेकिन जब देखो तब जब भी वह घर में आता है,, तब ऊसकी नजरें घर की औरतों को ही ढूंढती रहती है,,,।खैर जाने दो हो सकता है कि अपना वहम भी हो,, पूनम रात काफी हो चुकी है अब हमें सोना चाहिए,,,,
हां चाची हो गई है और धीरे-धीरे करके घर के सभी लोग सो चुके हैं सिर्फ हम दोनों ही जग रहे हैं,,,,,( पूनम बार-बार अपनी चाची से मोबाइल मांगना चाह रही थी लेकिन मांग नहीं पा रही थी।)
पूनम मुझे तो जोरों की पेशाब लगी हो,, ( खड़ी होकर छत पर से चारों तरफ देखते हुए और चारों तरफ धू्प्प अंधेरा छाया हुआ था,,,, अंधेरे से थोड़ा घबराते हुए संध्या बोली,,,।) पूनम चल पहले पेशाब कर लेते हैं उसके बाद आकर सो जाएंगे,,,
लेकिन चाची मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लगी है मैं सोने जा रही हूं आप अकेले ही चली जाओ ऐसा क्यों नहीं करती बाथरूम में ही कर लो,,,,
( पूनम अच्छी तरह से जानती थी कि संध्या बाथरूम में जल्दी पेशाब नहीं करती क्योंकि ऊन्हे बड़ा अजीब लगता था। पूनम इस बात को अच्छी तरह से जानती थी की इतनी रात को इतने घने अंधेरे में वह उसे लेकर गए बिना पेशाब नहीं करेंगी,,।)
अरे पूनम नहीं लगी है तो मेरे साथ तो चल तू तो अच्छी तरह से जानते हैं कि बाथरूम में मुझसे पेशाब नहीं होती,,,।
ठीक है मैं तुम्हारे साथ चलूंगी लेकिन तुम्हें मुझे मोबाइल देना होगा वह क्या है कितनी जल्दी मुझे नींद नहीं आने वाली इसलिए गाना सुनते सुनते सो जाऊंगी,,,,
( संध्या का प्रेशर धीरे-धीरे बढ़ रहा था और उसी से उस प्रेशर पर काबू कर पाना मुश्किल हो जा रहा था इसलिए वह अपना मोबाइल पूनम के हाथ में देते हुए बोली,,,।)
तो लेना मोबाइल मैं तुझे मना की हूं क्या अब चल जल्दी,,,
( पूनम के हाथ में मोबाइल थमाते हुए संध्या बोली और मोबाइल पाकर पूनम बहुत खुश हो गई,,,, इसके बाद दोनों घर के बाहर आ गए बाहर एकदम घना अंधेरा छाया हुआ था
और कोहरे की वजह से कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था,,,।
संध्या घने कोहरे को देखकर बोली,,,।
चल यहीं बैठ कर कर लेते हैं,,,, इतने अंधेरे में कहां कोई देखने वाला है,,,,
चाची इतने अंधेरे में कोई देखने वाला नहीं है इस बात से मायूस हो रही हो कि इस अंधेरे पन का फायदा उठा रही हो,,,
बहुत बोलने लगी है तू,,,,
मैं ठीक ही कह रही हूं,,, अगर यहीं पर बैठकर के पैशाब करोगी तो सुबह किसी को भी पता चल जाएगा कि किसी ने यहां पर पेशाब किया है और घर के इतने नजदीक पैशाब करोगी तो अच्छा नहीं लगेगा,,,,
चल अच्छा दो कदम और चल लेते हैं एक तो मुझे इतनी जोरों की पेशाब लगी है कि चलना भी मुश्किल हुए जा रहा है,,,
चाची तुम इतना रोकती ही क्यों जब काम लगा रहता है तभी कर लेना चाहिए ना कहीं ऐसा ना हो कि तुम अपनी साडी गीली कर लो,,,
पूनम बोल ले बेटा आज तेरा दिन है तो बहुत मजाक उड़ा रही हैं मेरा भी वक्त आएगा तब तुझे बताऊंगी,,,,
( अपनी चाची की बात सुनकर और उनकी हालत को देखकर पूनम हंसने लगी और उसे शांत कराते हुए संध्या बोली,,,,।)
पागल हो गई है क्या इतनी जोर से हंस रही है अभी सारा घर उठ जाएगा और उन्हें पता चल जाएगा कि यह दोनों पेशाब करने जा रही हैं,,।
सॉरी चाची (पूनम हंसते हुए बोली,,,)
अरे अब मुझे कितनी दूर ले जाएगी तो इससे अच्छा तो घर के पीछे ही चले गए होते तो अच्छा था,,,
चले तो गए होते चाची लेकिन देख रही हो समय कितना हो रहा है और वहां पर इतनी रात को जाने से दादी ने सब को मना करके रखी है,,,
अरे कौन सा कोई वहां पर उठाकर लेकर चला जाएगा,,, हां मुझे तो नहीं लेकर जा पाएगा क्योंकि मेरा वजन कुछ भारी है लेकिन तुझे जरूर उठा ले जाएंगा,,,,
ऐसा मत बोलो चाची उठाने वाला तो तुम्हें भी उठाकर लेकर चला जाएगा बस उसे मौका मिलना चाहिए,,,,,
चल अब बहुत हो गया मैं तो यहीं बैठ कर मुंतने जा रही हूं,,,। अब मुझसे ज्यादा नहीं चला जाएगा,,,।
ठीक है चाची यही कर लो मैं नहीं चाहती थी इतनी रात को तुम्हें नहाना पड़े,,,,
हां अगर दो चार कदम और चलूंगी तो शायद मेरे कपड़े गीले हो जाए और मुझे नहाना ही पड़ेगा लेकिन ऐसी ठंड में नहाकर मुझे मरना नहीं है इसलिए मैं यही पर मुंतने जा रही हूं
( अपनी संध्या चाची की बात सुनकर पूनम हंसने लगी और संध्या वहीं खड़ी होकर झट से अपनी साड़ी को ऊपर कमर तक उठा ली,,, अपनी चाची को इस तरह की जल्दबाजी दिखाते हुए पूनम चुटकी लेते हुए बोली,,,।)
देखना चाची ध्यान देना पेंटी भी पहन रखी हो ऐसा ना हो कि जल्दबाजी में बिना पैंटी निकाले ही बैठ जाओ,,,,
ले ले मजा पूनम रानी,,, वक्त आने पर गिन गिन कर तुझसे बदला लूंगी,,,,( इतना कहने के साथ ही संध्या अपनी काली रंग की पेंटिं को नीचे की तरफ खींच कर घुटनों तक कर दी इतने अंधेरे में भी संध्या की काली रंग की पेंटी एकदम साफ नजर आ रही थी क्योंकि,,, संध्या एकदम दूध की तरह गोरी थी जो कि इतने अंधेरे में भी उसका गोरापन एकदम चमक रहा था इसलिए उसकी काली रंग की चड्डी आराम से नजर आ रही थी,,,,,,, संध्या जैसे ही अपनी चड्डी को अपनी घुटनो सरकाई,,, वैसे ही तुरंत वहलमूतने के लिए बैठ गई,,,, पूनम अपनी चाची के उतावलेपन को देखकर फिर से हंस लेकिन इस बार संध्या पूनम को कुछ बोले बिना ही मूतने में मस्त हो गई वैसे तो यह नजारा एक औरत के लिए केवल एक औपचारिक ही होता है लेकिन यह नजारा एक मर्द के लिए पूरी तरह से बेहद उन्मादक और कामोत्तेजना से भरपूर होता है हर मर्द की यही लालसा और ख्वाहिश होती है कि वह खूबसूरत औरत को पेशाब करते हुए देखें,,,, क्योंकि पेशाब करते वक्त उन की सामान्य सी हरकत भी मर्दों के लिए उत्तेजना का साधन बन जाती है,,,, यही ख्वाहिश पूनम के चाचा के मन में भी बरसों से बनी हुई थी वह बार-बार संध्या को अपनी आंखों के सामने पेशाब करने के लिए मनाते रहते लेकिन संध्या शर्म के मारे आज तक उनकी आंखों के सामने कभी भी पेशाब करने के लिए नहीं बैठी,, और पूनम के चाचा की यही ख्वाहिश उनके मन में दबी की दबी रह गई थी,,, वास्तव में संध्या को बेहद जोरों से पेशाब लगी थी तभी तो वजह से ही पेशाब करने के लिए बैठी थी वैसे ही उसकी बुर से तेज फव्वारा छुट पड़ा,,, जिसकी आवाज एकदम सीटी की तरह सुनाई दे रही थी,,,, संध्या अभी मूतने बैठी ही थी कि पूनम भी अपने सलवार की डोरी खोलने लगी,,, लेकिन संध्या का ध्यान पूनम पर बिल्कुल भी नहीं था वहां तो बड़े मजे ले करके मुतने में व्यस्त थी उसे बेहद सुकून मिल रहा था तब तक पूनम अपने सलवार की डोरी खोल कर अपनी गुलाबी रंग की चड्ढ को अपनी जांघो तक खींचकर सरकादी , और बिना कुछ बोले बैठकर मुतने लगी,,, क्योंकि पूनम को भी बहुत जोरों से पेशाब लगी थी वह तो अपनी चाची को सिर्फ मोबाइल लेने के लिए झूठ बोल रही थी उसकी गुलाबी बुर की फांकों के बीज से नमकीन पानी का फव्वारा छूट पड़ा था,,, उसकी बुर से निकल रही पेशाब का फव्वारा इतनी तेज था की,,,
उसमें से आ रही सीटी की आवाज रात के सन्नाटे को चीर दे रही थी संध्या को इस बात का कुछ भी पता नहीं चलता बातों उसके कानों में जब अपने पास से आ रही है सीटी की आवाज सुनाई दी तब वह अपने बगल में बैठी पूनम को पेशाब करते हुए देखकर बोली,,,,
अरे तुम तो कह रही थी तुम्हें पेशाब नहीं लगी है और अब इतने जोरों से अपनी बुर से सीटी बजा रही होकी ऐसा लग रहा है कि पूरे गांव को जगा दोगी,,,,,
( अपनी संध्या चाची की बात सुनकर पूनम बोली,,,।)
नहीं चाची ऐसी कोई भी बात नहीं है तुम्हें देखकर मुझे भी पैशाब लग गई इसलिए मैं भी बैठ गई,,,।
चल कोई बहाना मत मार मुझे सब पता है,,,
( इतना कहकर दोनों हंसने लगी,,, थोड़ी ही देर में दोनों के साथ करके मुक्त हो चुके थे दोनों खड़ी होकर के अपने अपने कपड़ों को दुरुस्त करके घर में आ गए,,,, पूनम अपने कमरे में आते ही घड़ी की तरफ देखी तो रात के 12:30 बज रहे थे,
उसे उम्मीद तो नहीं थी थी इतनी रात को मनोज जाग रहा होगा,,,, लेकिन फिर भी वह एक बार कोशिश करके देख लेना चाहती थी वह दरवाजे की कुंडी लगा कर आराम से अपने बिस्तर पर आ गई हो गद्दे की नरम नरम गर्माहट को अपने बदन पर महसूस करते हुए रजाई को अपने बदन पर डाल ली,,, और अपनी नोटबुक मैसेज मनोज का नंबर डायल करने लगी जैसे ही वह नंबर डायल करके कॉल वाली बटन दबाएं वैसे ही सामने घंटी की आवाज बजने लगी और उस घंटी की आवाज़ के साथ-साथ पूनम की दिल की धड़कन भी तेज होने लगी,,