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Desi कच्ची कलियों की चूदाई

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Desi कच्ची कलियों की चूदाई
arav1284 Offline
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#1
14-01-2018, 09:45 PM

दोस्त की भतीजी
आज की कहानी उन हसीन पलों की है जब एक कमसिन कुंवारी चूत मेरे लंड को नसीब हुई।
हुआ कुछ यूँ….
आज से करीब बारह साल पहले की बात है। मैं काम के सिलसिले में चंडीगढ़ गया हुआ था। काम तो एक दिन का ही था पर चंडीगढ़ एक बहुत ही खूबसूरत जगह है, घूमने का मन हुआ तो मैंने रात को रुकने का फैसला किया।

चंडीगढ़ में मेरे एक दोस्त अमन का परिवार रहता था। अमन के पिता जी, जिन्हें मैं ताऊ जी कहता था, वो अब नहीं रहे थे, पर ताई जी, उनका बड़ा बेटा रोहतास अपने परिवार के साथ रहता था। रोहतास के परिवार में रोहतास की पत्नी कोमल, उनकी बेटी मीनाक्षी जो लगभग तब अठारह या उन्नीस साल की होगी और रोहतास का बेटा मयंक जो बारह साल का था।


अमन भी रोहतास के साथ ही रहता था। मेरी अमन के साथ बहुत अच्छी पटती थी क्यूंकि अमन बचपन में कुछ साल हमारे पास ही रहा था।

जब मैंने अमन को बताया कि मैं चंडीगढ़ आ रहा हूँ तो वो ही मुझे जिद करके अपने साथ रोहतास भाई के घर ले गया।
मैं सुबह ही चंडीगढ़ पहुँच गया था। अमन का पूरा परिवार मुझे देख कर बहुत खुश हुआ। लगभग दो साल के बाद मैं उन सब से मिला था।

तब घर पर सिर्फ ताई जी और कोमल भाभी ही थे। कुछ घर परिवार की बातें हुई और फिर मैं अमन के साथ वो काम करने चला गया जिसके लिए मैं चंडीगढ़ आया था। दोपहर तक मेरा काम हो गया तो अमन मुझे फिल्म दिखाने ले गया और फिर शाम को हम दोनों भाई के घर पहुंचे।
रोहतास भाई अभी तक नहीं आये थे।

जब अमन ने बेल बजाई तो मीनाक्षी ने दरवाजा खोला। मैं तो मीनाक्षी को देखता ही रह गया। दो साल पहले देखा था मैंने मीनाक्षी को। तब वो बिल्कुल बच्ची सी लगती थी। पर आज देखा तो मीनाक्षी को देखता ही रह गया। मीनाक्षी ने एक टी-शर्ट और एक खुला सा पजामा पहना हुआ था।

कहते हैं ना कमीने लोगों की नजर हमेशा आती लड़की के चूचों पर और जाती लड़की के चूतड़ों पर ही पड़ती है। वैसा ही मेरे साथ भी हुआ, मेरी पहली नजर मीनाक्षी की उठी हुई छातियों पर पड़ी। बदन पर कसी टी-शर्ट में उसकी चूचियाँ अपनी बनावट को भरपूर बयाँ कर रही थी, एकदम किसी कश्मीरी सेब के आकार की खूबसूरत चूचियाँ देख कर मेरा तो दिल मचल गया।

तभी दिल के किसी कोने से एक दबी हुई सी आवाज आई ‘राज यह तू क्या कर रहा है, वो तेरे दोस्त की भतीजी है।’
ऐसा ख्याल आते ही मैं कुछ देर के लिए संभला और अमन के साथ उसके कमरे में जाकर लेट गया।

कुछ देर बाद मीनाक्षी ट्रे में दो गिलास पानी के लेकर अमन के कमरे में आई, उस समय अमन बाथरूम में था।
जब वो मुझे पानी देने लगी तो एक बार फिर से मेरी नजर उसकी चूचियों पर अटक गई, मैंने पानी ले लिया और पीने लगा।
पानी पीने के बाद मैंने खाली गिलास मीनाक्षी की तरफ बढ़ा दिया।

जब मीनाक्षी गिलास लेकर वापिस जाने लगी तो ना जाने कैसे मेरे मुँह से निकल गया- मीनाक्षी, तुम तो यार क़यामत हो गई हो… बहुत खूबसूरत लग रही हो!
मीनाक्षी ने पलट कर मेरी तरफ अजीब सी नजरों से देखा। एक बार तो मेरी फटी पर जब मीनाक्षी ने मुझे थोड़ा मुस्कुरा कर थैंक यु कहा तो मेरी तो जैसे बांछें खिल गई, मुझे लगा कि काम बन सकता है पर याद आ जाता कि ‘नहीं यार, कुछ भी हो, है तो मेरे खास दोस्त की भतीजी।’

रात को करीब नौ बजे रोहतास भाई भी आ गए, फिर ड्राइंग रूम में बैठ कर सब बातें करने लगे। कोमल भाभी और मीनाक्षी रसोई में खाना बना रहे थे।
जहाँ मैं बैठा था, वहाँ से रसोई के अन्दर का पूरा हिस्सा दिखता था। मैं अपनी जगह पर बैठा बैठा मीनाक्षी को ही ताड़ रहा था।
मैंने गौर किया की मीनाक्षी भी काम करते करते मुझे देख रही है। एक दो बार हम दोनों की नजरें भी मिली पर वो हर बार ऐसा दिखा रही थी कि जैसे वो अपने काम में व्यस्त है।

एक दो बार मैंने कोमल भाभी के बदन का भी निरीक्षण किया तो वो भी कुछ कम नहीं थी। चंडीगढ़ की आधुनिकता का असर साफ़ नजर आता था कोमल भाभी पर भी।
रसोई में काम करते हुए उन्होंने भी एक टी-शर्ट और पजामा ही पहना हुआ था जिसमें उनके खरबूजे के साइज़ की मस्त चूचियाँ और बाहर को निकले हुए मस्त भारी भारी कूल्हे नुमाया हो रहे थे।

एक बार तो मन में आया कि कोमल भाभी ही मिल जाए क्यूंकि देवर भाभी का रिश्ता में तो ये सब चलता है। पर मीनाक्षी के होते भाभी का भरापूरा बदन भी मुझे फीका लग रहा था, बस बार बार नजर मीनाक्षी के खूबसूरत जवान बदन पर अटक जाती थी।

रात को लगभग साढ़े दस बजे सबने खाना खाया। खाना खाते समय मीनाक्षी मेरे बिल्कुल सामने बैठी थी। मैं तो उस समय भी उसकी खूबसूरती में ही खोया रहा।
मीनाक्षी भी बार बार मुझे ‘चाचू.. चावल लो… चाचू सब्जी लो… चाचू ये लो… चाचू वो लो…’ कह कह कर खाना खिला रही थी। जब भी वो ऐसा कहती तो मेरे अन्दर एक आवाज आती ‘ये सब छोड़ो, जो दो रसीले आम टी-शर्ट में छुपा रखे है उनको चखाओ तो बात बने।’

खाना खाया और फिर सोने की तैयारी शुरू हो गई।

कहानी जारी रहेगी....
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arav1284 Offline
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#2
14-01-2018, 09:48 PM

तभी मीनाक्षी ने अमन को आइसक्रीम खाने चलने को बोला पर अमन ने थका होने का बोल कर मना कर दिया।
मयंक और मीनाक्षी दोनों आइसक्रीम खाने जाना चाहते थे। जब अमन नहीं माना तो रोहतास भाई बोल पड़े- राज, तुम चले जाओ बच्चों के साथ। तुम भी आइसक्रीम खा आना और साथ ही घूमना भी हो जाएगा।

मैं तो पहले से ही इस मौके की तलाश में था, मैंने हाँ कर दी। मैं और मयंक घर से बाहर निकल गये और थोड़ी ही देर में मीनाक्षी भी अपनी स्कूटी लेकर बाहर आ गई। मैं तो पैदल जाना चाहता था पर वो बोली- आइसक्रीम वाला थोड़ा दूर है तो स्कूटी पर जल्दी पहुँच जायेंगे।
पर अब समस्या यह थी कि छोटी सी स्कूटी पर तीनों कैसे बैठें।

मीनाक्षी बोली- मयंक को आगे बैठा लो और तुम स्कूटी चलाओ, मैं पीछे बैठती हूँ।
मयंक भी इसके लिए राजी हो गया।

मैंने मयंक को आगे बैठाया और तभी मीनाक्षी भी अपने पाँव दोनों तरफ करके मेरे पीछे बैठ गई।
छोटी सी स्कूटी पर तीन लोग…
मीनाक्षी मेरे पीछे बैठी तो अचानक मुझे उसकी मस्त चूचियों का एहसास अपनी कमर पर हुआ।
मेरे लंड महाराज तो एहसास मात्र से हरकत में आ गये। थोड़ी दिक्कत तो हो रही थी पर फिर भी मैंने स्कूटी आगे बढ़ा दी।

जैसे ही स्कूटी चली मीनाक्षी मुझ से चिपक कर बैठ गई, उसकी चूचियाँ मेरी कमर पर दब रही थी जिनका एहसास लिख कर बताना मुश्किल था।
तभी एक कार वाला हमारे बराबर से गुजरा तो मुझसे स्कूटी की ब्रेक दब गई। यही वो क्षण था जब मीनाक्षी ने मेरी कमर को अपनी बाहों के घेरे में लेकर जकड़ लिया।
मेरा तो तन-बदन मस्त हो गया था… मीनाक्षी के स्पर्श से पहले ही चिंगारियाँ फ़ूट रही थी पर जब मीनाक्षी ने मुझे ऐसे पकड़ा तो आग एकदम से भड़क गई।

अब मीनाक्षी की दोनों चूचियाँ मेरी कमर पर गड़ी जा रही थी। मैंने अचानक मेरा एक हाथ पीछे करके अपनी पीठ पर खुजाने का बहाना किया और यही वो समय था जब मेरा हाथ मीनाक्षी की चूची को छू गया।
‘क्या हुआ चाचू…’ कह कर मीनाक्षी थोड़ा पीछे हुई।
‘कुछ नहीं, पीठ पर कुछ चुभ रहा है… और थोड़ी खारिश सी हो रही है।’ कहकर मैं फिर से अपनी पीठ खुजाने लगा।

वैसे तो जब मैंने अपना हाथ दुबारा पीछे किया तो मीनाक्षी भी पीछे को हो गई थी पर स्कूटी पर ज्यादा जगह नहीं थी तो मेरा हाथ फिर से एक बार उसकी चूची पर पड़ा।

तभी सड़क पर एक छोटा सा खड्डा आ गया और मैंने ब्रेक दबा दी जिससे मीनाक्षी भी आगे की तरफ आई और मेरा हाथ मीनाक्षी की चूची और मेरी पीठ के बीच में दब गया।
मैंने भी मौका देखा और मीनाक्षी की चूची को अपने हाथ में पकड़ कर हल्के से दबा दिया।
‘क्या करते हो चाचू…’ मीनाक्षी थोड़ा कसमसा कर पीछे को हुई, अब मैंने अपना हाथ आगे कर लिया।

मैंने थोड़ा मुड़ कर पीछे मीनाक्षी की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर शर्म भरी मुस्कान नजर आई।

तभी आगे मार्किट शुरू हो गई और हम एक आइसक्रीम पार्लर पर पहुँच गए और आइसक्रीम आर्डर कर दी।
मैंने भी मौका देखा और मीनाक्षी की चूची को अपने हाथ में पकड़ कर हल्के से दबा दिया।
‘क्या करते हो चाचू…’ मीनाक्षी थोड़ा कसमसा कर पीछे को हुई, अब मैंने अपना हाथ आगे कर लिया।

मैंने थोड़ा मुड़ कर पीछे मीनाक्षी की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर शर्म भरी मुस्कान नजर आई।

तभी आगे मार्किट शुरू हो गई और हम एक आइसक्रीम पार्लर पर पहुँच गए और आइसक्रीम आर्डर कर दी।
मयंक अपनी पसंद की आइसक्रीम देखने में व्यस्त था, मैं और मीनाक्षी अपनी स्कूटी के पास ही खड़े हो गए।


‘आप बड़े ख़राब है चाचू…’ मीनाक्षी ने थोड़ा शर्माते हुए कहा।
‘क्यों मैंने क्या किया?’
‘आपको सब पता है कि आपने क्या किया!’
‘अरे कुछ बताओ भी.. मैंने ऐसा क्या किया?’
‘आपने मेरी वो दबा दी…’ वो थोड़ा शर्माते हुए बोली।

उसके चेहरे की मुस्कान बयाँ कर रही थी कि आग ना सही पर चिंगारी तो उधर भी है।
‘अरे… वो क्या… कुछ बताओगी मुझे?’
‘छोड़ो… मुझे शर्म आती है।’
‘अब बता भी दो जल्दी.. नहीं तो मयंक आ जाएगा!’

‘ये…’ जब मीनाक्षी ने अपनी चुचियों की तरफ इशारा करके कहा तो मेरे तो लंड की हालत ही ख़राब हो गई।
‘तुम्हें अच्छा नहीं लगा…’ मैंने मीनाक्षी की आँखों में झांकते हुए पूछा तो वो बोली कुछ नहीं पर उसने जिस अदा से अपनी आँखें झुकाई, मैं तो बस जैसे उसी में खो गया।

तभी मयंक आइसक्रीम लेकर आ गया और हम तीनों आइसक्रीम खाने लगे।
आइसक्रीम खा कर मैंने काउंटर पर पैसे दिए और बचे हुए पैसे से एक चॉकलेट ले ली।
जब मैं पैसे देकर वापिस आया तो मयंक वहाँ नहीं था, मीनाक्षी ने बताया कि वो कैंडी लेने गया है।

मैंने भी मौका देखते हुए चॉकलेट मीनाक्षी की तरफ बढ़ा दी, उसने चॉकलेट ले ली और थैंक यू बोला।
‘बस थैंक यू…’ मैंने मुँह बनाते हुए कहा।
‘तो और क्या चाहिए आपको…?’ उसके इस जवाब से मैं मन ही मन सोचने लगा की कह दूँ कि मुझे तो तेरी जवानी का रस चाहिए पर कुछ झिझक सी थी।

उसने जब दुबारा यही सवाल किया तो मैंने पूछ लिया- जो मांगूंगा, दोगी?
उसने जब हाँ में सर हिलाया तो मेरे मुँह से ना जाने कैसे निकल गया- अगर मैं तुम्हें किस करना चाहूँ तो…?
पहले तो वो चौंक कर मेरी तरफ देखने लगी और फिर लापरवाह से अंदाज में बोली- कर लेना… किस लेने से क्या होता है..
‘पक्का… मुकर तो नहीं जाओगी?’
मीनाक्षी ने बड़ी अदा के साथ कहा- वो तो वक्त बताएगा।

मैं अभी कुछ बोलने ही वाला था कि मयंक आ गया, फिर हम घर की तरफ चल दिए।

मीनाक्षी अब भी मुझ से अपनी चूचियाँ चिपका के ही बैठी थी। मीनाक्षी के साथ हुई बातचीत और मीनाक्षी के गुदाज मम्मो के स्पर्श ने मेरी पैंट के अन्दर हलचल मचा दी थी।

कहानी जारी रहेगी....

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#3
14-01-2018, 09:53 PM

कुछ दूर चलने के बाद मैंने जानबूझ कर फिर से अपना एक हाथ अपनी पीठ की तरफ किया तो मेरा हाथ मीनाक्षी ने पकड़ लिया और खुद ही मेरी पीठ खुजाने लगी।
मेरी हँसी छुट गई तो मीनाक्षी ने मेरी पीठ पर चुंटी काट ली।
मैंने अपना हाथ छुड़वाया और कुछ दूर चलने के बाद फिर से अपना हाथ पीठ की तरफ किया तो हाथ सीधा मीनाक्षी की चुचियों को स्पर्श करने लगा।
मीनाक्षी के मन में भी शायद कुछ हलचल थी तभी तो उसने मेरा हाथ अपने चूचियों और मेरी पीठ के बीच में दबा दिया।

मैं कुछ देर तो एक हाथ से स्कूटी चलाता रहा। तभी मयंक बोला- चाचू, आप हैंडल छोड़ो.. मैं स्कूटी चलाता हूँ।
‘क्या तुम चला लेते हो?’
‘चला तो लेता हूँ पर दीदी मुझे चलाने ही नहीं देती।’ मयंक ने मीनाक्षी की शिकायत की।

मैंने अब स्कूटी का हैंडल मयंक के हाथ में दिया और फिर दोनों हाथ साइड में कर लिए। मयंक थोड़ा धीरे धीरे डर डर कर चला रहा था। अब मेरे दोनों हाथ फ्री थे।
मैंने फिर से अपना बायाँ हाथ पीछे किया तो हाथ फिर से मीनाक्षी की चूची को छूने लगा।
इस बार मीनाक्षी ने मेरे हाथ से अपना शरीर दूर नहीं किया था। मैं अब धीरे धीरे मीनाक्षी की चूची को सहलाने लगा था। बीच बीच में कभी कभी हल्का हल्का दबा भी देता था। मीनाक्षी कुछ नहीं बोल रही थी बस उसने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया।

मैं समझ चुका था कि मीनाक्षी को अपनी चूचियों पर मेरे हाथ का स्पर्श अच्छा लग रहा है।
जब मयंक ने अचानक ब्रेक मारी तो मेरी तन्द्रा भंग हुई, घर आ चुका था।

हम स्कूटी से उतर गये, मयंक भाग कर घर के अन्दर चला गया और मीनाक्षी स्कूटी को उसकी जगह पर खड़ी करने लगी। मैं तब मीनाक्षी के साथ ही था, वो बार बार मेरी तरफ ही देख रही थी, उसकी आँखों में एक अजीब सा नशा साफ़ नजर आ रहा था।

जब वो स्कूटी को खड़ा करके मुड़ी तो मैं अपने आप पर कण्ट्रोल नहीं कर पाया और मैंने मीनाक्षी को अपनी बाहों में भर कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
मीनाक्षी थोड़ा कसमसाई और मुझे अपने से दूर करने लगी।
मैं एक रसीले चुम्बन के बाद मीनाक्षी से अलग हुआ।

मीनाक्षी शर्मा कर एकदम से घर के अन्दर भाग गई, मैं मीनाक्षी के रसीले होंठों की मिठास को महसूस करता हुआ कुछ देर वहीं खड़ा रहा और फिर मैं भी घर के अन्दर चला गया।

वक़्त लगभग साढ़े ग्यारह का हो रहा था, मैं अमन के कमरे में गया तो वो सो चुका था, मैंने भी बैग में से लोअर निकाला और कपडे बदल लिए।
बाथरूम में जाकर कुछ देर लंड को सहलाया और समझाया कि जल्द ही तुझे एक कुंवारी चूत का रस पीने को मिलेगा। जब लंड नहीं समझा तो उसको जोर जोर से मसलने लगा।
पांच मिनट बाद ही लंड के आँसू निकलने लगे और फिर वो शांत होकर अंडरवियर के अन्दर जाकर आराम करने लगा।


बाथरूम से बाहर आकर जब मैं कमरे का दरवाजा बंद करने लगा तो मुझे टीवी चलने की आवाज सुनाई दी। जब मैं कमरे से बाहर आया तो देखा की मयंक और मीनाक्षी बैठे टीवी देख रहे थे, टीवी पर को मूवी चल रही थी, दोनों उसको देखने में व्यस्त थे।

‘अरे सोना नहीं है क्या तुम दोनों को?’ रोहतास भाई की आवाज सुन कर मैं वापिस जाने लगा पर तभी मुझे मीनाक्षी की आवाज सुनाई दी-
‘पापा.. कल छुट्टी है हम दोनों की और मेरी मनपसंद मूवी आ रही है… प्लीज देखने दो ना..’
‘ठीक है पर ध्यान से टीवी बंद करके सो जाना… कभी पिछली बार की तरह टीवी खुला ही छोड़ कर सो जाओ!’
‘आप चिंता ना करो.. मैं बंद कर दूंगी.. पक्का!’
‘ओके गुड नाईट बेटा’ कह कर रोहतास भाई अपने कमरे में चले गये और उन्होंने दरवाजा बंद कर लिया।

रोहतास भाई के जाते ही मेरा मन मीनाक्षी के पास बैठने का हुआ तो मैं भी कमरे से निकल कर मीनाक्षी के पास बैठ गया। मेरे और मीनाक्षी के बीच में मयंक बैठा था। मीनाक्षी ने मेरी तरफ देखा और फिर शर्मा कर अपनी आँखें झुका ली। उसकी आँखे झुकाने की अदा ने सीधा मेरे दिल पर असर किया।

मीनाक्षी और मयंक सोफे पर बैठे थे, ‘कहो ना प्यार है’ मूवी चल रही थी।
मेरे आने के बाद से मीनाक्षी मूवी कम और मुझे ज्यादा देख रही थी।
कुछ कुछ यही हालत मेरी भी थी, हम दोनों के दिलो की धड़कन बढ़ चुकी थी पर मयंक के वहाँ रहते चुपचाप बैठे थे।


‘यार ये लाइट बंद कर दो ना… ऐसे टीवी देखने में मज़ा नहीं आ रहा है।’ मैंने जानबूझ कर मयंक से कहा तो वो उठ कर लाइट बंद करने चला गया।
जैसे ही वो लाइट बंद करके वापिस आकर बैठने को हुआ तो मैंने उसको पानी लाने के लिए बोल दिया।

‘क्या चाचू… मूवी देखने दो ना… आप पानी दीदी से ले लो!’
मीनाक्षी ने थोड़ा गुस्से से उसको पानी लाने के लिए बोला तो वो झुँझलाता हुआ रसोई में गया और पानी की बोतल निकाल कर ले आया।

इस दौरान मैं मीनाक्षी की तरफ खिसक गया, मयंक आया और आकर साइड में मेरी सीट पर बैठ गया। मीनाक्षी मेरी इस हरकत पर मुस्कुराई और फिर शर्मा कर नजरें टीवी की तरफ घुमा ली।

मयंक अब टीवी में ध्यान लगाए मूवी देख रहा था, मैंने मौका देखते हुए अपना एक हाथ मीनाक्षी के हाथ पर रख दिया। उसने अपना हाथ छुड़वाना चाहा पर मैंने पकड़े रखा।
कुछ देर ऐसे ही उसके हाथ को सहलाता रहा और फिर थोड़ी सी हिम्मत करके मैंने वो हाथ मीनाक्षी की जांघों पर रख दिया।
मीनाक्षी ने मेरा हाथ वहाँ से हटाने की कोशिश की पर जितना वो हटाने की कोशिश करती मैं और जोर से उसकी जांघों को दबा देता। वो ज्यादा जोर भी नहीं लगा सकती थी क्यूंकि ऐसा करने से मयंक को शक हो जाता।

जब वो मेरा हाथ नहीं हटा पाई तो उसने अपना हाथ हटा लिया, मेरे लिए मैदान साफ़ था, मैंने धीरे धीरे मीनाक्षी की जांघों को सहलाना शुरू किया और हाथ को धीरे धीरे उसकी चूत की तरफ ले जाने लगा।

अपनी जांघों पर मेरे हाथ के स्पर्श से मीनाक्षी मदहोश होने लगी थी। जब मैं उसकी जांघों को सहला रहा था, तभी मुझे अंदाजा हो गया की मीनाक्षी ने नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई है।
यह सोचते ही मेरे लंड ने फुंकारना शुरू कर दिया।

जांघो को सहलाते सहलाते जब मैंने मीनाक्षी की चूत को छूने की कोशिश की तो मीनाक्षी ने अपनी जांघे भींच ली और मेरे हाथ को चूत पर जाने से रोक दिया। मैंने बहुत कोशिश की पर कामयाब नहीं हो पाया। जबरदस्ती कर नहीं सकता था क्यूंकि मयंक वहाँ था।

जब मैं चूत को नहीं छू पाया तो मैंने अपना हाथ मीनाक्षी की पेट की तरफ कर दिया और टी-शर्ट के नीचे से हाथ डाल कर उसके पेट पर घुमाने लगा। मीनाक्षी ने रोकने की कोशिश की पर बेकार…
अब मेरा हाथ मीनाक्षी के नंगे पेट पर आवारगी कर रहा था, मज़ा मीनाक्षी को भी आ रहा था।

धीरे धीरे पेट को सहलाते हुए मेरा हाथ ऊपर मीनाक्षी की चूचियों की तरफ बढ़ रहा था और फिर मीनाक्षी की नंगी चूचियों का पहला स्पर्श मेरे हाथों को हुआ। मीनाक्षी की चूचियों पर भी छ पहले मर्द का हाथ था।
मीनाक्षी रोकने की कोशिश कर रही थी पर मुझ पर तो मीनाक्षी की जवानी का नशा चढ़ चुका था, मैं खुद पर कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा था।
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14-01-2018, 09:58 PM

अचानक मीनाक्षी ने मयंक को आवाज दी।
मयंक का नाम सुनकर जैसे मैं नींद से जागा। मीनाक्षी के गर्म कोमल शरीर से खेलते हुए मैं तो मयंक को बिल्कुल भूल ही गया था। मीनाक्षी की आवाज के साथ ही मेरी नजर भी मयंक की तरफ घूम गई। देखा तो मयंक सोफे की बाजू पर सर टिका कर सो रहा था। मीनाक्षी की आवाज सुनकर वो उठ गया।

‘अगर नींद आ रही है तो अन्दर दादी के पास जाकर सो जाओ…’ मीनाक्षी ने मयंक को कहा।
‘नहीं मुझे मूवी देखनी है!’
‘अरे जब नींद आ रही है तो जाके सो जाओ… मूवी तो फिर भी आ जायेगी।’ मैंने भी मयंक को भेजने के इरादे से कहा पर वो नहीं माना।

कुछ ही देर में मयंक फिर से सो गया तो मैंने मयंक को उठाया और उसको कमरे में भेज दिया।
अब शायद मयंक को ज्यादा नींद आ रही थी, तभी तो वो बिना कुछ बोले ही उठ कर कमरे में चला गया।

मयंक के जाते ही सारी रुकावट ख़त्म हो गई, मैंने तुरन्त मीनाक्षी का हाथ पकड़ा और उसको अपनी तरफ खिंच कर बाहों में भर लिया। मीनाक्षी थोड़ा कसमसाई और उसने छूटने की कोशिश की पर मैं अब कण्ट्रोल नहीं कर सकता था, मैंने तुरन्त अपने होंठ मीनाक्षी के होंठो पर रख दिए।

लगभग पांच मिनट तक मैं मीनाक्षी के होंठो को चूसता रहा, मीनाक्षी भी पूरा सहयोग कर रही थी, अब तो वो मेरी बाहों में सिमटती जा रही थी। मेरा एक हाथ उसकी टी-शर्ट के अन्दर जा चुका था और मीनाक्षी की तनी हुई चूचियों को सहला रहा था।

‘चाचू… यहाँ ये सब ठीक नहीं है… कोई अगर बाहर आ गया तो मुश्किल हो जायेगी!’
‘तो फिर कहाँ…???’
‘कोई कमरा तो खाली नहीं है…’ मीनाक्षी ने थोड़ी परेशान सी आवाज में कहा।
फिर थोड़ा सोच कर बोली- चाचू… छत पर चले… वहाँ कोई नहीं आएगा।

मैं तो उसकी जवानी का रसपान करने के लिए मरा जा रहा था तो मेरे मना करने का तो कोई मतलब ही नहीं था। मैंने उसको अपनी गोद में उठा लिया और छत की तरफ चल दिया। करीब साठ किलो की मीनाक्षी मुझे फूल जैसी हल्की लग रही थी। सीढ़ियों के पास जाकर मीनाक्षी ने मुझे नीचे उतारने के लिए कहा।

गोद से उतर कर वो पहले रोहतास के कमरे के पास गई और देखा कि रोहतास और कोमल भाभी सो चुके थे, फिर दादी के कमरे में देखा तो वो भी सो रहे थे।
तब तक मैंने भी अमन के कमरे में देखा तो अमन भी खराटे मार रहा था।

मीनाक्षी वापिस सीढ़ियों के पास आ गई तो मैंने उसको वहीं सीढ़ियों पर ही पकड़ कर किस करना शुरू कर दिया और ऐसे ही किस करते करते हम दोनों छत पर पहुँच गए।

छत पर खुले आसमान के नीचे हम दोनों आपस में प्यार करने में मग्न थे। मैंने मीनाक्षी को अपने से अलग करके चारों तरफ देखा तो सब तरफ सुनसान था। रात के करीब एक बजे का समय था तब। वैसे तो सब घरों की छतें आपस में मिली हुई थी पर किसी भी छत पर कोई नजर नहीं आ रहा था। शहरों में वैसे भी लोग खुली छतों पर सोना कम ही पसंद करते है।

मीनाक्षी ने छत पर पड़ी एक चटाई को बिछाया और उस पर बैठ गई। क्यूंकि छत पर और कुछ था भी नहीं तो मैं भी चटाई पर ही मीनाक्षी के पास बैठ गया।

‘चाचू… वैसे जो हम कर रहे है वो ठीक नहीं है… आप मेरे चाचू है और…’ इस से ज्यादा वो कुछ बोल ही नहीं पाई क्यूंकि मैंने अपने होंठो से उसके होंठ बंद कर दिए थे।
कुछ देर उसके होंठ चूसने के बाद मैंने अपने होंठ हटाये और उसको बोला- मीनाक्षी… मुझे तुमसे प्यार हो गया है… और प्यार में सब जायज़ है… और फिर तुम भी तो मुझ से प्यार करने लगी हो…

‘हाँ चाचू… मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ… आप बहुत अच्छे है… मैं तो आपको अपने बचपन से ही बहुत पसंद करती हूँ।’
‘तो सब कुछ भूल कर सिर्फ प्यार करो…’ कहकर मैंने फिर से उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और एक हाथ से उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठा कर उसकी एक चूची को बाहर निकाल लिया।

चाँद की चांदनी में मीनाक्षी की गोरी गोरी चूची किसी मक्खन के गोले जैसी लग रही थी।
मैंने चुम्बन करते करते मीनाक्षी को लेटा दिया और खुद उसके बराबर में लेट कर उसकी चूची को मसलता रहा, होंठ और चेहरे को चूमते चूमते मैंने मीनाक्षी की कानों की लटकन को और उसके गले को चूमना शुरू कर दिया।


मीनाक्षी आँखें बंद किये आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी, उसके बदन में मस्ती भरती जा रही थी, उसके हाथ मेरे सर पर मेरे बालों में घूम रहे थे और बीच बीच में मादक सिसकारी सी फ़ूट पड़ती थी मीनाक्षी के मुँह से।

कुछ देर बाद मैंने नीचे का रुख किया और अपने होंठ मीनाक्षी के दूध जैसे गोरे पेट पर रख दिए और मीनाक्षी के नाभि स्थल और आसपास के क्षेत्र को चूमने लगा।
मेरे ऐसा करने से मीनाक्षी को गुदगुदी सी हो रही थी, तभी तो वो बीच बीच में मचल जाती थी।

मैंने अपने होंठों को ऊपर की तरफ सरकाया और उसकी चूची को चाटने लगा। अब मैंने उसकी दोनों तन कर खड़ी चूचियों को नंगी कर दिया, चूचियों को चाटते चाटते मैंने जब अपनी जीभ उसकी चूची के तन कर खड़े चूचुक पर घुमाई तो मीनाक्षी के पूरे शरीर में एक झुरझरी सी उठी और उसका बदन अकड़ गया।

मैं समझ गया था की मेरी जीभ का असर मीनाक्षी की चूत तक पहुँच गया है और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया है। और सच में था भी ऐसा ही।
जब मैंने अपना एक हाथ उसके पजामे के ऊपर से ही उसकी चूत पर रखा तो पजामा चूत के पानी से इतना गीला हो चुका था कि लगता था जैसे मीनाक्षी ने पजामे में पेशाब कर दिया हो।
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#5
14-01-2018, 10:06 PM

मैंने अपना हाथ मीनाक्षी के पजामे में घुसा दिया और ऊँगली से उसकी चूत के दाने को सहलाने लगा।
मीनाक्षी मस्ती से बेहाल हो गई थी और मेरे सर को जोर से अपनी चूचियों पर दबा रही थी।
मेरा लंड भी पजामे को फाड़ कर बाहर आने को मचल रहा था।

मैंने मीनाक्षी को बैठाया और पहले उसकी टी-शर्ट को उतारा और फिर सीधा लेटा कर उसके पजामे को भी उसके गोरे-गोरे बदन से अलग कर दिया।
यही समय था जब पहली बार मैं उसकी कमसिन कुंवारी चूत को अपनी आँखों के सामने नंगी देखा था। नर्म नर्म रोयेदार भूरी भूरी झांटों के बीच छोटी सी गुलाबी चूत… चूत देखते ही मेरे लंड ने तो जैसे बगावत कर दी।

मैंने भी बिना देर किये अपने कपड़े उतार कर एक तरफ रख दिए और झुक कर मीनाक्षी की चूत को सूंघने लगा। एक मादक खुशबू से मेरे बदन में वासना की ज्वाला बुरी तरह से भड़क उठी थी।
मैंने बिना देर किये मीनाक्षी की गोरी गोरी जाँघों को चूमना और चाटना शुरू कर दिया। मीनाक्षी के मुँह से मादक सिसकारियाँ फूट रही थी।


जाँघों को चूमते चूमते मैंने अपने होंठ मीनाक्षी की कुंवारी चूत पर रख दिए। मेरे होंठों के स्पर्श से एक बार फिर उत्तेजना के मारे मीनाक्षी की चूत ने पानी छोड़ दिया।
मैं ठहरा चूत का रसिया… मेरे लिए तो कुंवारी चूत का ये पानी अमृत समान था, मैं जीभ से सारा पानी चाट गया।

चूत चाटते हुए मैंने मीनाक्षी का एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया।
मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई का अंदाजा लगते ही मीनाक्षी उठ कर बैठ गई। शायद अब से पहले उसको मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई का एहसास ही नहीं था।

‘चाचू… ये तो बहुत बड़ा और मोटा है…’ मीनाक्षी ने हैरान होते हुए कहा।
‘तो तुम क्यों घबराती हो मेरी जान… ये तो तुम्हें प्यार करने की ख़ुशी में ऐसा हो गया है।’
‘प्लीज इसे मेरे अन्दर मत डालना… मैं नहीं सह पाऊँगी आपका ये!’
‘घबराओ मत… कुछ नहीं होगा…’ मैंने उसको समझाते हुए दुबारा लेटा दिया और लंड को उसके मुँह के पास करके फिर से उसकी चूत चाटने लगा।

मैंने मीनाक्षी को लंड सहलाने और चूमने को कहा तो उसने डरते डरते मेरे लंड को अपने कोमल कोमल हाथों में पकड़ लिया और धीरे धीरे सहलाने लगी।
मेरे कहने पर ही वो बीच बीच में अपनी जीभ से मेरे लंड के टमाटर जैसे सुपारे चाट लेती थी पर मुँह में लेने से घबरा रही थी।

मैं भी कोई जोर-जबरदस्ती करके उसका और अपना मज़ा खराब नहीं करना चाहता था। मैं उसकी चूत के दाने को उंगली से सहलाते हुए जीभ को उसकी चूत में घुसा घुसा कर चूस और चाट रहा था।

लगभग दस मिनट ऐसे ही चूसा चुसाई का प्रोग्राम चला और फिर मीनाक्षी भी तड़प उठी थी मेरा लंड अपनी कुंवारी चूत में लेने के लिए… मेरे लिए भी अब कण्ट्रोल करना मुश्किल हो रहा था।
मैंने मीनाक्षी को लेटा कर उसकी दोनों टांगों को चौड़ा किया और खुद उसकी टांगों के बीच में आकर मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया।

अपनी चूत पर मेरे मोटे लंड का एहसास करके मीनाक्षी घबरा रही थी, उसकी घबराहट को दूर करने के लिए मैं मीनाक्षी के ऊपर लेट गया और कभी उसके होंठ तो कभी उसकी चूची को चूसने लगा, नीचे से लंड भी मीनाक्षी की चूत पर रगड़ रहा था।
रगड़ते रगड़ते ही मैंने लंड को चूत पर सही से सेट करके थोड़ा दबाव बनाया तो मीनाक्षी की रस से भीग कर चिकनी हुई चूत के मुहाने पर मेरा सुपारा अटक गया।

मुझे अपने आप पर गुस्सा आया कि जब पता था की एक कमसिन कुंवारी चूत का उद्घाटन करना है तो क्यों नहीं मैं तेल या कोई क्रीम साथ लेकर आया।
पर अब क्या हो सकता था, सोचा चलो थूक से ही काम चला लेते है। इतना तो मैं समझ चुका था कि चुदाई में मीनाक्षी बहुत शोर मचाएगी क्यूंकि आज उसकी चूत फटने वाली थी।

मैं दुबारा से नीचे उसकी चूत पर आया और फिर से उसकी चूत चाटने लगा। चाटते हुए ही मैंने ढेर सारा थूक मीनाक्षी की चूत के ऊपर और अन्दर भर दिया।
मैंने पास में पड़े अपने और मीनाक्षी के कपड़े उठा कर एक तकिया सा बनाया और उसकी गांड के नीचे दे दिया जिससे उसकी चूत थोड़ा ऊपर की ओर होकर सामने आ गई।

मैंने लंड दुबारा मीनाक्षी की चूत पर लगाया और एक हल्का सा धक्का लगाया तो मीनाक्षी दर्द के मारे उछल पड़ी।
रात का समय था और अगर मीनाक्षी चीख पड़ती तो पूरी कॉलोनी उठ जाती।
मैंने रिस्क लेना ठीक नहीं समझा और अपनी जेब से रुमाल निकाल कर उसको गोल करके मीनाक्षी के मुँह में ठूस दिया। मीनाक्षी मेरी इस हरकत पर हैरान हुई पर मैंने उसको बोला कि ऐसा करने से तुम्हारी आवाज बाहर नहीं आएगी।
वो मुँह में कपड़े के कारण कुछ बोल नहीं पा रही थी।

मैंने अब बिना देर किये किला फतह करने की सोची और दुबारा से लंड को चूत पर रख कर एक जोरदार धक्के के साथ अपने लंड का सुपाड़ा मीनाक्षी की कमसिन कुंवारी चूत में घुसा दिया।


मीनाक्षी दर्द के मारे छटपटाने लगी पर रुमाल मुँह में होने के कारण उसकी आवाज अन्दर ही घुट कर रह गई।

मैंने उचक कर फिर से एक जोरदार धक्का लगा कर लगभग दो इंच लंड उसकी चूत में घुसा दिया। सच में मीनाक्षी की चूत बहुत टाइट थी, दो तीन इंच लंड घुसाने में ही मुझे पसीने आ गए थे।
मुझे पता था कि अब अगले ही धक्के में मीनाक्षी का शील भंग हो जाएगा तो मैंने लंड को वापिस खींचा और अपनी गांड का पूरा जोर लगा कर धक्का मारा और लंड शील को तोड़ता हुआ लगभग पाँच इंच चूत में घुस गया।

धक्का जोरदार था सो मीनाक्षी सह नहीं पाई और थोड़ा छटपटा कर लगभग बेहोशी की हालत में चली गई। मैंने नीचे देखा तो मीनाक्षी की चूत से खून की एक धारा सी फूट पड़ी थी जो मेरे लंड के पास से निकाल कर नीचे पड़े कपड़ों पर गिर रही थी। मैंने जल्दी से उसकी गांड के नीचे से कपड़े निकाल कर साइड में किये और जितना लंड अन्दर गया था उसको ही आराम आराम से अन्दर बाहर करने लगा।

लंड तो जैसे किसी शिकंजे में फंस गया था, बड़ी मुश्किल से लंड अन्दर बाहर हो रहा था।
कुछ देर मैं ऐसे ही करता रहा और फिर करीब पांच मिनट के बाद मीनाक्षी को कुछ होश सा आया। उसकी आँखों से आँसुओं की अविरल धारा बह रही थी, उसने कपड़ा मुँह से निकालने की विनती की तो मैंने रुमाल उसके मुँह से निकाल दिया।

‘चाचू… प्लीज बाहर निकालो इसको… बहुत दर्द हो रहा है, मैं नहीं सह पाऊँगी।’ मीनाक्षी ने रोते रोते कहा।
‘अरे तुम तो वैसे ही घबरा रही थी… देखो तो ज़रा पूरा घुस गया है और अब मेरी स्वीटी जान को दर्द नहीं होगा क्योंकि जो दर्द होना था वो तो हो चुका, अब तो सिर्फ मजे ही मजे हैं।’
‘नहीं चाचू… मुझे अभी भी दर्द हो रहा है।’

मैंने उसको लंड अन्दर बाहर करके दिखाया कि देखो अब लंड ने अपनी जगह बना ली है और अब दर्द नहीं होगा। इन पांच मिनट में लंड ने सच में इतनी जगह तो बना ही ली थी कि सटासट तो नहीं पर आराम से लंड जितना चूत में घुस चुका था वो अन्दर बाहर हो रहा था।
जो दर्द मीनाक्षी को महसूस हो रहा था वो चूत फटने का दर्द था। चूत मेरे लंड के करारे धक्के के कारण किनारे से थोड़ा सा फट गई थी जिसमें धक्के लगने से दर्द होता था।

मैंने फिर से लंड एक सधी हुई स्पीड में चूत के अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया, हर धक्के के साथ मीनाक्षी कराह उठती थी।
चार-पांच मिनट तो मीनाक्षी हर धक्के पर कराह रही थी पर उसके बाद उसकी दर्द भरी कहराहट के साथ साथ मादक आहें भी निकलने लगी थी।
वैसे तो अभी भी मेरा लगभग दो इंच लंड बाहर था पर मुझे पता था कि जितना भी लंड उसकी चूत में गया है वो भी उस कमसिन हसीना के लिए ज्यादा था।

मैंने अब धक्कों की स्पीड तेज करनी शुरू कर दी थी। मीनाक्षी की चूत ने भी कुछ पानी छोड़ दिया था जिससे चूत अब चिकनी हो गई थी। अब तो मीनाक्षी भी अपनी गांड को कभी कभी उठा कर लंड का स्वागत करने लगी थी। अब दर्द के बाद मीनाक्षी को भी मज़ा आने लगा था।
मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ती जा रही थी और हर धक्के के साथ मैं थोड़ा सा लंड और मीनाक्षी की चूत में सरका देता जिससे कुछ ही धक्कों के बाद मेरा पूरा लंड मीनाक्षी की चूत में समा गया और मीनाक्षी की भूरी भूरी रेशमी झांटों से मेरी काली घनी झांटों का मिलन हो गया।

चुदाई एक्सप्रेस अब अपनी अधिकतम स्पीड पर चल रही थी, तभी मीनाक्षी का बदन अकड़ने लगा, वो झड़ने वाली थी और कुछ ही धक्कों के बाद मीनाक्षी की चूत से पानी की धार निकल कर मेरे आंड गीले करने लगे थे।
झरने के बाद मीनाक्षी थोड़ा सा सुस्त हुई पर उसके झड़ने से मुझे फायदा यह हुआ कि चूत अब पहले से ज्यादा चिकनी हो गई और लंड अब सटासट चूत में अन्दर बाहर हो रहा था।

करीब दो मिनट सुस्त रहने के बाद मीनाक्षी की चूत में फिर से हलचल होने लगी और वो हर धक्के के साथ अपनी गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी ‘आह्ह्ह… उम्म्म्म… चाचू… बहुत मज़ा आ रहा है अब तो… जोर जोर से करो… ओह्ह्ह्ह… आह्ह्ह्ह… आईईई… उम्म्म… चोदो… जोर से चोदो मुझे… मेरे प्यारे चाचू… फाड़ दो… बहुत मज़ा…. आ रहा है चाचू..’ मीनाक्षी मस्ती के मारे बड़बड़ा रही थी और मैं तो पहले ही मस्त हुआ शताब्दी एक्सप्रेस की स्पीड पर चुदाई कर रहा था।

चुदाई लगभग पंद्रह मिनट तक चली और फिर मीनाक्षी जैसे ही दुबारा झड़ने को हुई तो मेरा लंड भी मीनाक्षी की चूत में अपने गर्म गर्म पानी से ठंडक पहुँचाने को तैयार हो गया।

बीस पच्चीस धक्के और लगे और फिर मीनाक्षी और मैं दोनों ही एक साथ झड़ गये। जैसे ही मीनाक्षी को अपनी चूत में मेरे वीर्य का अहसास हुआ वो मस्ती के मारे हवा में उड़ने लगी और उसने मुझे कसकर अपनी बाहों में भर लिया और टांगों को भी मेरे कूल्हों पर लपेट कर अपने से ऐसे जकड़ लिया जैसे वो मेरे लंड को अपनी चूत से अलग ही ना करना चाहती हो।हम दोनों ही जोरदार ढंग से झड़े थे। मीनाक्षी अपनी पहली चुदाई के जोश में और मैं अपने लंड को मिली कमसिन चूत को फाड़ने के जोश में!
हम दोनों आधा घंटा भर ऐसे ही लिपटे रहे, दोनों को जैसे पूर्ण संतुष्टि के कारण नींद सी आने लगी थी।

तभी अचानक बाहर से कोई कार गुजरी और उसके हॉर्न ने जैसे हमें नींद से उठाया, हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए।
मीनाक्षी तो अभी भी टांगें चौड़ी किये सीधी लेटी हुई थी और चूत से मेरा वीर्य उसकी चूत के पानी से मिलकर बह रहा था। देख कर लगता था कि जैसे मेरे लंड से बहुत पानी निकला था।

मैंने मीनाक्षी को उठाया, उसने उठकर अपनी चूत और मेरे लंड को साफ़ किया। घड़ी देखी तो उसमें रात के तीन बज रहे थे।
लगभग दो घंटे से हम दोनों छत पर चुदाई एक्सप्रेस पर सवार थे।
समय का पता ही नहीं लगा कि कब बीत गया।

मीनाक्षी उठ कर कपड़े पहनने लगी तो मेरा ध्यान गया कि उसकी टी-शर्ट पर चूत से निकले खून के निशान थे। मैंने उसको वो दिखाए और समझाया की नीचे जाकर इन कपड़ों को धो कर डाल दे।
खून देख कर वो थोड़ा घबराई पर फिर उसने खून वाले हिस्से को चूम लिया।

तब तक मैंने भी अपना पजामा पहन लिया था। मीनाक्षी ने भी पजामा तो पहन लिया पर टी-शर्ट नहीं पहनी। अब हम दोनों का ऊपर का बदन नंगा था। वो एकदम से आई और मुझसे लिपट गई, मैंने भी उसके होंठो पर होंठ रख दिए।

कुछ देर ऐसे ही रह कर मैंने मीनाक्षी को टी-शर्ट पहनने को बोला तो उसने मना कर दिया।
मैंने बहुत समझाया की ऐसे ठीक नहीं है पर वो नहीं मानी।

फिर हम नीचे की तरफ चल दिए।
अन्दर बिलकुल शांति थी, नाईट बल्ब की लाइट में हम सीढ़ियाँ उतरने लगे। मूसल जैसे लंड से चुदाई के कारण मीनाक्षी चल नहीं पा रही थी। सीढ़ियाँ उतरते हुए तो मीनाक्षी की आह्ह निकल गई।

मैंने बिना देर किये उसको गोद में उठाया और नीचे लेकर आया। नीचे आकर मीनाक्षी बाथरूम में घुस गई और मैं भी बिना देर किये अमन के कमरे में चला गया।
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#6
14-01-2018, 10:20 PM

अँधेरे के कारण मैं मीनाक्षी की चूत की हालत तो नहीं देख पाया पर जब मैंने अपना लंड देखा तो हल्का सा दर्द महसूस हुआ। लंड कई जगह से छिल सा गया था। पर खुश था एक कमसिन कुंवारी चूत की शील तोड़ कर।

सुबह हम दोनों ही देर से उठे, दस बज चुके थे, रोहतास भाई ऑफिस जा चुके थे, कोमल भाभी रसोई में थी, अमन भी दिखाई नहीं दे रहा था, ताई जी ड्राइंग रूम में बैठी थी।

भाभी से मीनाक्षी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसको बुखार और सर दर्द है।
मैं उसके कमरे में गया तो उसने दूसरी टी-शर्ट पहनी हुई थी और वो बेड पर लेटी हुई थी।
‘देखो ना चाचू… क्या हाल कर दिया तुमने मेरा… अभी तक दर्द हो रहा है।’


मैं उसके पास बेड पर बैठ गया और एक हाथ उसकी चूची पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा। मीनाक्षी ने भी मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया।
‘कहाँ दर्द हो रहा है मेरी जान को?’
‘क्या चाचू आप भी ना… और कहाँ दर्द होगा… वहीं हो रहा है जहाँ आपने रात को…’ कहते हुए मीनाक्षी शर्मा गई।

मैंने बिना देर किये दूसरा हाथ उसकी चूत पर रख दिया।
हाथ लगते ही मीनाक्षी की दर्द के मारे आह्ह्ह निकल गई। मैंने हाथ लगा कर देखा तो चूत वाला हिस्सा सूज कर डबल रोटी जैसा हो गया था।

मैंने उसके पजामे को उतार कर देखना चाहा तो मीनाक्षी में मुझे रोकने की कोशिश की पर मैंने फिर भी उसके पजामे को थोड़ा सा नीचे किया और उसकी चूत देखने लगा।
रात को मस्ती में मैंने शायद ज्यादा ही जोर से चोद दिया था, चूत बुरी तरह से सूजी हुई थी और चूत का मुँह बिल्कुल लाल हो रहा था।

मैंने बिना देर किये उसकी चूत पर एक प्यार भरा चुम्मा लिया और फिर पजामा दुबारा ऊपर कर दिया।
‘मीनाक्षी… मन तो नहीं है पर मुझे वापिस जाना है!’
मेरी बात सुनते ही मीनाक्षी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- मुझे छोड़ कर चले जाओगे?
‘नहीं मेरी जान… पर वापिस तो जाना ही पड़ेगा ना.. मैं ज्यादा दिन तो यहाँ नहीं रह सकता ना!’

मेरी बात सुनते ही मीनाक्षी की आँखों में आँसू आ गये।
मैंने उसको जल्दी ही वापिस आने का वादा भी किया पर वह मुझे अपने से दूर नहीं करना चाहती थी। उसकी आँखें ही बता रही थी कि वो मुझ से कितना प्यार करने लगी थी।

तभी बाहर अमन की आवाज सुनाई दी, मैं जल्दी से कमरे से बाहर निकल गया।
अमन को जब मैंने वापिस जाने की बात कही तो वो भी मुझे रुकने के लिए बोलने लगा और फिर तो ताई जी और कोमल भाभी भी मुझे रुकने के लिए कहने लगी।

जाना तो मैं भी नहीं चाहता था, मीनाक्षी का प्यार मुझे रुकने के लिए बाध्य कर रहा था।
मैंने अपने घर पर फ़ोन करके दो दिन बाद आने का बोल दिया। जिसे सुनकर सभी खुश हो गये और जब मीनाक्षी को पता लगा कि मैं दो दिन रुकने वाला हूँ तो उसकी ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा।

फिर मैं अमन के साथ घूमने निकल गया और रास्ते में मैंने अमन की नजर बचा कर एक मेडिकल स्टोर से दर्द और सूजन कम करने वाली गोली ली।
करीब दो घंटे बाद हम घर पहुंचे और मैंने सबकी नजर बचा कर वो गोलियाँ मीनाक्षी को दे दी। फिर एक तो घंटे अमन और मैं रूम में बैठ कर डीवीडी प्लेयर पर मूवी देखते रहे।

शाम को पांच बजे जब हम कमरे से बाहर आये तो मीनाक्षी भी ड्राइंग रूम में अपनी दादी के साथ बैठी थी। गोलियाँ लेने से उसको आराम मिल गया था और सूजन भी कम हो गई थी।
सभी बैठे थे कि मयंक ने पार्क चलने की जिद की और फिर अमन, मैं, मीनाक्षी और मयंक चारों घूमने निकल पड़े और रॉक गार्डन और सुखना झील पर घूम कर रात को करीब साढ़े नौ बजे घर वापिस आये।

मीनाक्षी अब बिल्कुल ठीक थी।
सारा समय मीनाक्षी मेरे साथ साथ ही रही। जब मैंने उसको रात के प्रोग्राम के बारे में पूछा तो उसने शर्मा कर गर्दन नीचे कर ली और जब मैंने दोबारा पूछा तो उसने शरमा कर हाँ में गर्दन हिला दी।

घर आये तो रोहतास भाई आ चुके थे और भाभी ने भी खाना बना लिया था।
सबने खाना खाया और ग्यारह बजे तक सभी साथ में बैठ कर बातें करते रहे। मैं और मीनाक्षी ही थे जिन्हें उन सब पर गुस्सा आ रहा था कि ये लोग सो क्यों नहीं जाते ताकि हम अपना प्यार का प्रोग्राम शुरू कर सकें।

फिर सबसे पहले अमन अपने कमरे में गया और फिर मयंक भी… दोनों घूम घूम कर थक गए थे।
फिर ताई जी भी अपने कमरे में चली गई।
जब मैं भी उठ कर कमरे की तरफ चला तो मीनाक्षी ने आँखों आँखों में पूछा कि ‘कहाँ जा रहे हो?’ तो मैंने उसको थोड़ी देर बाद आने का इशारा किया।

कमरे में गया तो अमन सो चुका था और उसके खराटे चालू थे।
दस पंद्रह मिनट के बाद मैंने कमरे का दरवाजा खोल कर देखा तो रोहतास और भाभी भी अपने कमरे में जा चुके थे और मीनाक्षी अकेली बैठी टीवी देख रही थी।
मैं जाकर मीनाक्षी के पास बैठ गया। हम दोनों ने एक दूसरे को किस किया और फिर मीनाक्षी उठ कर गई और पहले अपने पापा के कमरे में देखा कि वो सो गये है या नहीं… फिर दादी के कमरे में देखा और अमन को तो मैं देख कर ही आया था।
सबके सब सो चुके थे।

आते ही मीनाक्षी मेरे गले से लग गई और मुझे ‘आई लव यू’ बोला। मैंने भी उसको ‘आई लव यू’ बोला और उसको अपनी बाहों में भर कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
मीनाक्षी ने मुझे रोका और ऊपर चलने का इशारा किया। मीनाक्षी भी चुदने को बेताब थी।

मैंने उसको अपनी गोद में उठाया और ऐसे ही उसको लेकर छत पर चला गया। आज छत का नजारा कुछ बदला हुआ था। आज छत पर चटाई की जगह एक पुराना गद्दा पड़ा हुआ था।
मीनाक्षी आज पूरी तैयारी के करके आई थी।

जब मैं गद्दे पर बैठने लगा तो मीनाक्षी ने मुझे रोका और एक कोने में रखे हुए एक लिफ़ाफ़े से उसने गुलाब की पंखुड़ियाँ निकाल कर गद्दे पर बिखेर दी।
मैं हैरान हुआ उसको देख रहा था।

ये सब करने के बाद मीनाक्षी मेरे पास आई और मेरे गले से लग गई, मुझे रुकने के लिए थैंक यू बोला।
मैंने भी उसको अपनी बाहों में भर लिया और एक बार फिर से हम दोनों के होंठ आपस में मिल गए। दोनों ही बहुत देर तक एक दुसरे को चूमते चाटते रहे और इसी बीच दोनों ने ही एक दूसरे के कपड़े उतार कर साइड में डाल दिए।
अब हम दोनों जन्मजात नंगे थे।

मैंने मीनाक्षी के नंगे बदन को गद्दे पर गुलाब की पंखुड़ियों पर लेटाया और उसके अंग अंग को चूमने लगा और उसकी चूचियों को मसलने लगा। बहुत देर तक मैंने उसकी चूचियों को मसला और चूसा, फिर मैंने उसकी चूत की तरफ का रुख किया।

दवाई असरदार थी, चूत की सुजन बिल्कुल ख़त्म हो चुकी थी और चूत अब अपने सामान्य रूप में थी।
मैंने बिना देर किये अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू किया, मीनाक्षी मस्ती से लहरा उठी थी। जब मैं उसकी चूत चाट रहा था तो मीनाक्षी ने भी हाथ बढ़ा कर मेरा लंड पकड़ लिया और धीरे धीरे सहलाने लगी।

‘राज… मेरी जान… अब देर ना करो… आज मुझ से सब्र नहीं होगा!’ आज मीनाक्षी ने पहली बार मुझे मेरे नाम से पुकारा था।
कण्ट्रोल तो मुझ से भी नहीं हो रहा था, मैं उठा और उसकी टाँगें चौड़ी करके बीच में बैठ कर जब मैंने मेरे लंड का लाल लाल सुपाड़ा उसकी चूत पर टिकाया तो उसने मुझे रोका।

जब मैंने कारण पूछा तो उसने शरमाते हुए गद्दे के नीचे से वैसलीन की डब्बी निकाल कर मुझे पकड़ा दी।
एक दिन में ही यह लड़की कितनी सयानी हो गई थी।

मैंने मेरे लंड पर और उसकी चूत पर अच्छे से वैसलीन लगाईं और दुबारा से लंड उसकी चूत पर टिकाया तो उसने मुझे फिर रोका। मैं पूछा तो उसने गद्दे के नीचे से कोहिनूर कंडोम का पैकेट निकाल कर मेरे हाथ में थमा दिया।

‘यह तुम्हें कहाँ मिल गया?’
‘मम्मी के कमरे से निकाला है… मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती… अगर मैं प्रेगनेंट हो गई तो..’
लड़की कुछ ज्यादा ही समझदार हो गई थी।

मैंने उसको लंड पर कंडोम लगाने का कहा तो उसे लगाना नहीं आया। मैंने खुद कंडोम अपने लंड पर चढ़ाया और फिर तनतनाया हुआ लंड मीनाक्षी की चूत पर रख दिया। मैंने उसकी आँखों में देखते हुए चुदाई स्टार्ट करने की परमिशन मांगी तो उसने आँखों के इशारे से हामी भरी।

अब देर नहीं कर सकता था, मैंने लंड को धीरे से चूत पर दबाया तो मीनाक्षी को दर्द महसूस हुआ, दर्द की लकीरें उसके चेहरे पर नजर आ रही थी।
मैंने एक जोरदार धक्का लगाया तो वैसलीन की चिकनाई के कारण लगभग दो तीन इंच लंड चूत में समा गया।
मीनाक्षी ने खुद अपने हाथ से अपने मुँह को बंद करके अपनी चीख को रोका, उसकी आँखों में आँसू आ गए थे।मैंने अपनी गलती को समझते हुए उसको सॉरी बोला और फिर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और फिर धीरे धीरे लंड को उसकी चूत में सरकाने लगा।
दो तीन मिनट की जद्दोजहद बाद मैंने किसी तरह आराम आराम से अपना पूरा लंड मीनाक्षी की चूत की गहराइयों में उतार दिया। मीनाक्षी को दर्द तो हुआ था पर ज्यादा नहीं।

पूरा लंड अन्दर जाने के बाद मैं कुछ देर के लिए रुका और मीनाक्षी की चूचियों को चूसने लगा। बीच बीच में मैं उसके चूचुक पर दांतों से काट भी लेता था। ऐसा करने से उसकी सिसकारी निकल जाती, मेरे ऐसा करने से वो चूत का दर्द भूल गई।

मैंने धीरे धीरे चुदाई शुरू की और कुछ ही देर में मीनाक्षी भी अपने चूतड़ उठा उठा कर लंड लेने लगी। पहले धीरे धीरे करते हुए मैंने अपनी स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी और कुछ ही देर में धुँआधार चुदाई शुरू हो गई।
फिर तो बीस मिनट तक मैंने मीनाक्षी की जबरदस्त चुदाई की। मीनाक्षी कम से कम दो बार झड चुकी थी और फिर मैंने भी ढेर सारा वीर्य कंडोम में इकट्ठा कर दिया।

उस रात तीन बार मैंने मीनाक्षी को चोदा और सुबह चार बजे हम दोनों नीचे आये।
उसके अगली रात को भी तीन बार मैंने मीनाक्षी की चुदाई की।

फिर उससे अगले दिन मेरे घर से फ़ोन आ गया और फिर मैं वापिस अपने घर के लिए निकल पड़ा।
जब मैं वापिस जाने के लिए चला तो मीनाक्षी मुझसे लिपट कर बहुत रोई थी।

उसके बाद भी एक दो बार मैं चंडीगढ़ गया और मीनाक्षी की जमकर चुदाई की। मीनाक्षी मुझसे शादी के सपने देखने लगी थी जो हमारे रिश्ते में संभव नहीं था।

पर जब भी मेरा चंदीगढ़ जाना होता हम जम कर चूदाई का मज़ा ले लेते...


                  समाप्त

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15-01-2018, 12:31 PM
मौसेरी बहन ...
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मेरा नाम तरुण है और मेरी उमर 20 साल है . मेरे माँ बाप की मृत्यु हो चुकी है । मैं अपनी मौसी के साथ रेहता हूँ । मौसा जी की भी मृत्यु हो चुकी है। 


मेरी मौसी की एक बेटी है जिसका नाम मीनू है. वह अभी सिर्फ़ 18 साल की है और स्कूल मे है. मौसी अब 35 की हैं. मौसी स्कूल मे टीचर हैं और मैं यूनिवर्सिटी मे हूँ. 

हमलोग लुधियाना में रहते हैं. मौसा का 2 साल पहले इंतक़ाल हो गया था. अब घर मे सिर्फ़ हम तीन लोग ही हैं.


यह हादसा अब से 6 महीने पहले हुआ था. एक रात मौसी बहुत उदास लग रही थी. मे समझ गया वह मौसा को याद कर रही हैं. मैंने उनको बहलाया और खुश करने की कोशिश की. 

मौसी मेरे गले लग रोने लगी. तब मैंने कहा, “मौसी हम दोनो आपको बहुत प्यार करते हैं, हमलोग मिलकर मौसा की कमी महसूस नही होने देंगे.”


मीनू भी वहाँ आ गयी थी, वह भी मौसी से बोली, “हां मम्मी प्लीज़ आप दिल छोटा ना करिए. भैया हैं ना हम दोनो की देखभाल के लिए. भैया हम लोगो का कितना ख्याल रखते हैं.”

“हां बेटी पर कुछ ख्याल सिर्फ़ तेरे पापा ही रख सकते थे.”

“नही मम्मी आप भैया से कह कर तो देखिए.”

खैर फिर बात धीरे धीरे नॉर्मल हो गई. उसी रात मीनू अपने रूम मे थी. मे रात को टॉइलेट के लिए उठा तो टॉइलेट जाते हुए मौसी के रूम से कुछ आवाज़ आई. 

12 बज चुके थे और मौसी अभी तक जाग रही हैं, यह सोचकर उनके रूम की तरफ गया. मौसी के रूम का दरवाज़ा खुला था. मे खोलकर अंदर गया तो चौंक गया.

मौसी अपनी शलवार उतारे अपनी चूत मे एक मोमबत्ती डाल रही थी. दरवाज़े के खुलने की आवाज़ पर उन्होने मूड कर देखा. मुझे देख वह घबरा सी गयी. 

मे भी शरमा गया कि बिना नॉक किए आ गया. मे वापस मुड़ा तो मौसी ने कहा, “बेटा तरुण प्लीज़ किसी से कहना नही.”

“नही मौसी मे किसी से नही कहूँगा?”

“बेटा जब से तेरे मौसा इस दुनिया से गये हैं तब से आज तक मैं..”

“ओह्ह मौसी मैं भी अब समझता हूँ. यह आपकी ज़रूरत है पर क्या करूँ अब मौसा तो हैं नही.”

फिर मैं मौसी के पास गया और उनके हाथो को पकड़ बोला, “मौसी दरवाज़ा बंद कर लिया करिए.”

“बेटा आज भूल गयी.”

फिर मैं वापस आ गया.
अगले दिन सब नॉर्मल रहा. शाम को मैं वापस आया तो हमलोगो ने साथ ही चाय पी.

चाय के बाद मीनू बोली, “भैया बाज़ार से रात के लिए सब्ज़ी ले आओ जो खाना हो .”

मैं जाने लगा तो मौसी ने कहा, “बेटा किचन मे आओ तो कुछ और समान बता दूँगी लेते आना.”

मैं किचन मे जा बोला, “क्या लाना है मौसी?”
मौसी ने बाहर झाँका और मीनू को देखते धीरे से बोली, “बेटा 5- 6 बैगन लेते आना लंबे वाले.”

मैं मौसी की बात सुन पता नही कैसे बोल पड़ा, “मौसी अंदर करने के लिए?”

मौसी शरमा गयी और मैं भी अपनी इस बात पर झेंप गया और सॉरी बोलता बाहर चला गया. सब्ज़ी लाकर मीनू को दी और 4 बैगन लाया था जिनको अपने पास रख लिया. 

मीनू ने खाना बनाया फिर रात को खा पीकर सब लोग सोने चले गये. तब करीब 11 बजे मौसी मेरे रूम मे आ बोली, “बेटा बैगन लाए थे?”

“हां मौसी पर बहुत लंबे नही मिले और मोटे भी कम है.”

“कोई बात नही बेटे अब जो है सही हैं .”

मै- “बहुत ढूँढा मौसी पर कोई भी मुझसे लंबे नही मिले.”

“क्या मतलब बेटा.” ?

मैं बोला, “मौसी मतलब यह कि इनसे लंबा और मोटा तो मेरा है.”

तब मौसी ने कुछ सोचा फिर कहा, “क्या करें बेटा अब तो जो किस्मत मे है वही सही.” फिर मेरी पॅंट के उभार को देखते बोली, “बेटा तेरा क्या बहुत बड़ा है?”

“हां मौसी 8 इंच है.”

“ओह्ह बेटा तेरे मौसा का भी इतना ही था. बेटा अपना दिखा दो तो तेरे मौसा की याद ताज़ी हो जाए.”

“लेकिन मौसी मैं तो आपका भाँजा हूँ.”

“हां बेटा तभी तो कह रही हूँ. तू मेरा भाँजा है और अपनी मौसी से क्या शरम. तू एकदम अपने मौसा पे गया है . देखूं तेरा वह भी तेरे मौसा के जैसा है या नही?”

तब मैंने अपनी पॅंट उतारी और अंडरवियर उतारा तो मेरे लंबे तगड़े लंड को देख मौसी एकदम से खुश हो गयी. 

वह मेरे लंड को देख नीचे बैठी और मेरा लंड पकड़ लिया और बोली, “हाये तरुण बेटा तेरे मौसा का भी एकदम ऐसा ही था. हाये बेटा यह तो मुझे तेरे मौसा का ही लग रहा है. बेटा क्या मैं इसे थोड़ा सा प्यार कर लूँ?”

“मौसी अगर आपको इससे मौसा की याद आती है और आपको अच्छा लगे तो कर लीजिए.”

“बेटा मुझे तो लग रहा है कि मैं तेरा नही बल्कि तेरे मौसा का पकड़े हूँ.”

फिर मौसी ने मेरे लंड को मुँह मे लिया और चाटने लगी. यह मेरे साथ पहली बार हो रहा था इसलिए मेरे लिए संभालना मुश्किल था. 6-7 मिनेट मे ही मैं उनके मुँह मे झड़ गया. 1 मिनट बाद मौसी ने लंड मुँह से बाहर किया और मेरे पास बैठ गयी.

मैं बोला, “सॉरी मौसी आपका मुँह गंदा कर दिया.”

“आहह बेटा तेरे मौसा भी रोज़ रात मेरे मुँह को पहले ऐसे ही गंदा करते थे फिर मेरी च..” मौसी इतना कह चुप हो गयी.

मैं उनके चेहरे को देखते बोला, “फिर क्या क्या करते थे मौसा? मौसी जो मौसा इसके बाद करते थे वह मुझे बता दो तो मैं भी कर दूं. आपको मौसा की कमी नही महसूस होगी.”

मौसी मेरे चेहरे को पकड़ बोली, “बेटा यह जो हुआ है एक मौसी भांजे मे नही होता. लेकिन बेटा इस वक़्त तुम मेरे भांजे नही बल्कि मेरे पति हो. अब तुम मेरे पति की तरह ही करो. वह मेरे मुँह मे अपना झाड़कर अपने मुँह से मेरी झाड़ते थे फिर मुझे..”

“मौसी अब जब आप मुझे अपना पति कह रही है तो शरमा क्यों रही हैं. सब कुछ खुलकर कहिए ना.”

“बेटा तू सच कहता है, चल अब मेरी चूत चाट और फिर मुझे चोद जैसे तेरे मौसा चोदते थे.”

“ठीक है मौसी आओ बिस्तर पर चलो.”
फिर मौसी को अपने बेड पर लिटाया और उनको पूरा नंगा कर दिया. मौसी के मुम्में अभी भी सख़्त थे... 2-3 साल से किसी ने टच नही किया था. 


मैंने चूत को देखा तो मस्त हो गया. मौसी की चूत कसी लग रही थी. 35 की उमर मे मौसी 25 की ही लग रही थी. मौसी को बेड पर लिटा अपने कपड़े अलग किए फिर मौसी के मुम्में पकड़ उनकी चूत पर मुँह रख दिया. मुम्मों को दबा दबा… चूत चाट… अपने झड़े लंड को कसने लगा.

8-10 मिनट बाद मौसी मेरे मुँह पर ही झड़ गयी. वह अपनी गाँड तेज़ी से उचका झड़ रही थी. मैं मौसी की झड़ती चूत मे 1 मिनट तक जीभ पेले रहा फिर उठ कर ऊपर गया और मुम्मों को मुँह से चूसने लगा.

“हाअ आहह बेटा चूस अपनी मौसी के मुम्मों को. हाये पियो इनको हाये कितना मज़ा आ रहा है तेरे साथ.”

मेरा लंड अब फिर खड़ा था. 4-5 मिनट बाद मौसी ने मुझे अलग किया और फिर मेरे लंड को मुँह से चूस कर खड़ा करने के बाद बोली, “बेटा अब चढ़ जा अपनी मौसी पर और चोद डाल.”

मैंने मौसी को बेड पर लिटाया और लंड को मौसी के छेद पर लगा गॅप से अंदर कर दिया.
अब मैं तेज़ी से चुदाई कर रहा था और दोनो मुम्मों को दबा दबा चूस भी रहा था. मौसी भी नीचे से गाँड उछाल रही थी.

मे धक्के लगाता बोला, “मौसी शाम को जब आपने बैगन लाने को कहा था तभी से दिल कर रहा था कि काश अपनी मौसी को मैं कुछ आराम दे सकूँ. मेरी आरज़ू पूरी हुई.”

“बेटा अगर तू मुझे चोदना चाहता था तो कोई गोली लेता आता. अब तू मेरे अंदर मत झड़ना. आज बाहर झड़ना फिर कल मैं गोली ले लूँगी तो ख़तरा नही होगा तब अंदर डालना पानी. चूत मे गरम पानी बहुत मज़ा देता है.”

करीब 10 मिनट बाद मेरा लंड झड़ने वाला हुआ तो मैंने उसे बाहर किया और मौसी से कहा, “आह मौसी अब मेरा निकलने वाला है.”

“हाये बेटा ला अपने पानी से अपनी मौसी के मुम्मों को भिगो दे.”

फिर मैं मौसी के मुम्मों पर पानी निकाला. झारकर अलग हुआ तो मौसी अपने मुम्मों पर मेरे लंड का पानी लगाती बोली, “बेटा तू एकदम अपने मौसा की तरह चोद्ता है. वह भी ऐसा ही मज़ा देते थे. आहह बेटा अब तू सो जा.”

फिर मौसी अपने रूम मे चली गयी और मैं भी सो गया.

अगले दिन मौसी बहुत खुश लग रही थी. मीनू भी मौसी को देख रही थी. 

नाश्ते पर उसने पूछ ही लिया, “मम्मी आप बहुत खुश लग रही हो?”

“हां बेटी अब मैं हमेशा खुश रहूंगी.”

“क्यों मम्मी क्या हो गया?” वह भी मुस्कराती बोली.

“कुछ नही बेटी तुम्हारा भैया मेरा खूब ख्याल रखता है ना इसलिए.”

“हां मम्मी भैया बहुत अच्छे हैं.”

फिर वह कॉलेज चली गयी और मैं यूनिवर्सिटी.

उस रात मौसी ने गोली ले ली थी और अपनी चूत मे ही मेरा पानी लिया था. हम दोनो 1 महीने इसी तरह मज़ा लेते रहे.

एक रात जब मैं मौसी को चोद रहा था तो मौसी ने मुझसे पूछा , “तरुण बेटा एक बात तो बता.”

“क्या मौसी” ?

बेटा अब मीनू बड़ी हो रही है उसकी शादी करनी है. इस उम्र में लड़कियों की शादी कर देनी चाहिये वरना अगर वो कुछ उल्टा सीधा कर ले तो बहुत बदनामी होती है.

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#8
15-01-2018, 12:44 PM

मौसी आप सही कह रही हो. अब उसके लिये कोई लड़का देखना होगा.

हाँ बेटा, अच्छा एक बात तो बता तुमको मीनू कैसी लगती है?

क्या मतलब मौसी?

मतलब तुझे अच्छी लगती है तो इसका मतलब वो किसी और को भी अच्छी लगेगी और उसे कोई लड़का पसंद कर लेगा तो उसकी शादी कर देंगे.

हाँ मौसी मीनू बहुत खूबसूरत है.

तू उसे कभी कभी अजीब सी नज़रो से देखता है?

मैं अपनी चोरी पकड़े जाने पर घबरा कर बोला, नही नही मौसी ऐसी बात नही है?”

मौसी- पर कल तो तू उसके मुम्मों को घूर रहा था.
 मै - नही  मौसी.

मौसी - मुझसे झूठ बोलता है. सच बता.

मैं शरमाते हुये बोला, मौसी कल वो बहुत अच्छी लग रही थी. कल वो छोटा सा कसा कुर्ता पहने थी. जिसमें उसके मुम्में बहुत अच्छे लग रहे थे.
 

तुझे पसंद है मीनू के मुम्में ?

मैं चुप रहा तो मौसी ने मेरे लंड को अपनी चूत से जकड़ कर कहा, “बताओ ना वो थोड़े ना सुन रही है?”

हाँ मौसी. 
उसके मुम्मों को कभी देखा है?

नही मौसी.

”देखेगा?”

कैसे?”

पगले कोशिश किया कर उसे देखने की जब वो कपड़े बदले तब या जब वो नहाने जाये तब.”

”ठीक है मौसी पर वो दरवाज़ा बंद करके सब करती है.

हाँ पर तू जब भी घर पर रहे तब पजामा पहना करो और नीचे अंडरवेयर मत पहना कर. अपने लंड को पजामे मैं खड़ा कर उसे दिखाया करो. सोते समय मैं लंड को पजामे से बाहर निकाल कर रखना मैं उसको तुम्हारे रूम मैं झाड़ू लगाने भेजू तो उसे अपना लंड दिखाया करो और तुम अब उसके मुम्मों को घूरा करो और उसे छुने की कोशिश किया करो.

मैं मौसी की बात सुन कर मस्त हो गया उसे तेज़ी से चोदने लगा. वो तेज़ी से चुदती हुई हाए हाए करते हुये बोली, हाँ बहन को देखने की बात सुन कर इतना मस्त हो गया की मौसी की चूत की धज्जीयां उड़ा रहा है. फिर मेरी कमर को अपने पैरो से कस कर बोली, चोद अपनी मौसी को हाअआआआ आज मुझे चोद कल से अपनी बहन पर लाइन मारो और उसे पटा कर चोदो.

फिर 4-5 धक्के लगा कर मैं झड़ने लगा. झड़ने के बाद मैं मौसी से चिपक कर बोला, मौसी मीनू तो मेरी छोटी बहन है, भला मैं उसके साथ ऐसा कैसे….?

जब तू अपनी मौसी के साथ चुदाई कर सकता है तो अपनी बहन के साथ क्यों नही?

पर मौसी आपकी बात और है.

”क्यों?”

मौसी आप मौसा के साथ सब कर चुकी हैं और अब उनके ना रहने पर मैं तो उनकी कमी पूरी कर रहा हूँ. लेकिन मीनू तो अभी नासमझ और अनजान है, यही कहना चाह रहा हूँ?

मौसी- बेटा अब तेरी बहन 18 की हो गई है. इस उम्र मैं लड़कियों को बहुत मस्ती आती है. आजकल वो कॉलेज भी जा रही है. मुझे लगता है की उसके कॉलेज के कुछ लड़के उसको फँसाने की कोशिश कर रहे हैं. 

पड़ोस के भी कुछ लड़के तेरी बहन पर नज़रे जमाये हैं. अगर तू उसे घर पर ही उसकी जवानी का मज़ा उसे दे देगा तो वो बाहर के लड़कों के चक्कर मैं नही पड़ेगी और अपनी बदनामी भी नही होगी.

मौसी आप सही कह रही हो मैं अपनी बहन को बाहर नही चुदने दूँगा. सच मौसी मीनू के मुम्में बहुत मस्त दिखते हैं. मौसी अब तो उसे तैयार करो.

करूँगी बेटा, मैं उसे भी यह सब धीरे धीरे समझा दूँगी.

फिर अगले दिन जब मैं सुबह सुबह उठा तो देखा की वो मेरे रूम मैं झाड़ू लगा रही थी. मैं उसे देखने लगा. वो कसी हुई कमीज़ पहने थी और झुककर झाड़ू लगाने से उसकी लटक रहे मुम्में हिलने से बहुत प्यारे लग रहे थे. 

तभी उसकी नज़र मुझ पर पड़ी. मुझे अपने मुम्मों को घूरता पा वो मूड गई और जल्दी से झाड़ू लगा कर चली गई.

मैं उठा और फ्रेश होकर नाश्ता कर टी.वी देखने लगा. उस दिन छुटी थी इसलिये किसी को कही नही जाना था. मौसी भी टी.वी देख रही थी. 

तभी मीनू भी आ गई और मैने उसे अपने पास बिठा लिया. मैं उसकी कसी कमीज़ से झाँक रहे मुम्मों को ही देख रहा था. 

मौसी ने मुझे देखा तो चुपके से मुस्कुराते हुये इशारा करते कहा की ठीक जा रहे हो. मीनू कभी कभी मुझे देखती तो अपने मुम्मों को घूरता पा वो सिमट जाती. आख़िर वो उठकर मौसी के पास चली गई.

मौसी ने उसे अपने गले से लगाते हुये पूछा, क्या हुआ बेटी?

कुछ नही मम्मी. वो बोली.

तू यहाँ क्यों आ गई बेटी जा भाई के पास बेठ.

मम्मी ववववाह भैया. वो फुसफुसाते हुये बोली.

मौसी भी उसी की तरह फुसफुसाई, क्या भैया..!!

मम्मी भैया आज कुछ अजीब हरकत कर रहे हैं. वो धीरे से बोली

तो मौसी ने कहा, “क्या कर रहा तेरा भाई?

मम्मी यहाँ से चलो तो बताऊ.

मौसी उसे ले कर अपने रूम की तरफ गई और मुझे पीछे आने का इशारा किया. 

मैं उन दोनो के रूम के अंदर जाते ही जल्दी से मौसी के रूम के पास गया. मौसी ने दरवाज़ा पूरा बंद नही किया था और पर्दे के पीछे छुपकर मैं दोनो को देखने लगा.

मौसी ने मीनू को अपनी गोद मैं बिठाया और बोली, क्या बात है बेटी जो तू मुझे यहाँ लाई है?

मम्मी आज भैया मुझे अजीब सी नज़रों से देख रहे जैसे कॉलेज के..

क्या कॉलेज के… पूरी बात बता मीनू बेटी.. ?

मम्मी आज भैया मेरे इनको बहुत घूर रहे है, जैसे कॉलेज मैं लड़के घूरते हैं.” 

इनको...मौसी ने उसके मुम्मों को पकड़ा तो वो शरमाते हुये बोली, “सच मम्मी.

अरे बेटी अब तू जवान हो गई है और तेरी यह मुम्में बहुत प्यारे हो गए हैं इसीलिये कॉलेज मैं लड़के इनको घूरते हैं. तेरा भाई भी इसीलिये देख रहा होगा की उसकी बहन कितनी खूबसूरत है और उसके मुम्में कितने जवान हैं.

क्या मम्मी आप भी..वो शरमाई.

अरे बेटी मुझसे क्या शर्म. बेटी कॉलेज के लड़कों के चक्कर मैं मत आना वरना बदनामी होगी. अगर तू अपनी जवानी का मज़ा लेना चाहती है तो मुझको बताना.

मम्मी आप तो जाइये हटिये.

अच्छा बेटी एक बात तो बता, जब भैया तेरी मस्त जवानीयों को घूरते हैं तो तुझे कैसा लगता है?

मम्मी हटिये मैं जा रही हूँ.

अरे पगली फिर शरमाई, चल बता कैसा लगता है जब तुम्हारे भैया इनको देखते हैं?

अच्छा तो लगता है पर..

पर वर कुछ नही बेटी, जानती है बाहर के लड़के तेरे यह देखकर क्या सोचते हैं?

क्या मम्मी?

यही की हाये तेरे दोनो अनार कितने कड़क और रसीले हैं. वो सब तेरे इन अनारो का रस पीना चाहते हैं.

मम्मी चुप रहिये मुझे शर्म आती है.

अरे बेटी यही एक बात है इनको लड़के के मुँह मैं देकर चूसने मैं बहुत मज़ा आता है. जानती हो लड़के इनको चूस कर बहुत मज़ा देते हैं. अगर एक बार कोई लड़का तेरे अनार चूस ले तो तेरा मन रोज़ रोज़ चूसाने को करेगा 

और अगर कोई तेरी नीचे वाली चूत को चाट कर तुझे चोद दे तब तू बिना लड़के के रह ही नही पायेगी.

अब मैं जा रही हूँ मम्मी मुझे नही करवाना यह सब.

हाँ बेटा कभी किसी बाहर के लड़के से कुछ भी नही करवाना वरना बहुत दर्द और बदनामी होती है. हाँ अगर तेरा मन हो तो मुझे बताना.”

मम्मी..प्लीज़..

अच्छा बेटी चल अब कुछ खाना खा लिया जाये तेरा भाई भूखा होगा. जा तू उससे पूछ क्या खायेगा, जो खाने को कहे बना देना.

फिर मैं भाग कर टी.वी देखने आ गया.
थोड़ी देर बाद मीनू आई और मुझसे बोली, भैया. जो खाना हो बता दीजिये मैं बना देती हूँ. मम्मी आराम कर रही हैं.

मैं उसके मुम्मों को घूरते हुये अपने होठों पर जुबान फेरते हुये बोला, क्या क्या खिलाओगी?

वो मेरी इस हरक़त से शरमाई और नज़रे झुका कर बोली, जो भी आप कहें.

मैने उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बिठाया और मुम्मों को घूरता हुआ बोला, खाऊगा तो बहुत कुछ पर पहले इनका रस पीला दो.

क्या भैया किसका रस? वो घबराते हुये बोली.

मैं बात बदलता हुआ बोला, मेरा मतलब है पहले एक चाय ला दे फिर जो चाहे बना लो.
वो चली गई. मैं उसको जाते देखता रहा. 

5 मिनिट बाद वो चाय लेकर आई तो मैने उससे कहा अपने लिये नही लाई.

मैं नही पीऊगी.

पीओं ना लो इसी मैं पी लो. एक साथ पीने से आपस मैं प्यार बढ़ता है.

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#9
15-01-2018, 12:58 PM

वो मेरी बात सुन कर शरमाई फिर कुछ सोच कर मेरे पास बैठ गई तो मैने कप उसके होठों से लगाया तो उसने एक सिप लिया फिर मैंने एक सिप लिया. इस तरह से पूरी चाय ख़त्म हुई तो वो बोली, अब खाने का इंतज़ाम करती हूँ.

मैने उसका हाथ पकड़ कर खींचते हुये कहा, अभी क्या जल्दी है थोड़ी देर रूको बहुत अच्छा प्रोग्राम आ रहा है देखो.

मेरे खींचने पर वो मेरे उपर आ गिरी थी. वो हटने की कोशिश कर रही थी पर मैने उसे हटने नही दिया तो वो बोली, हाय भैया हटिये क्या कर रहे हैं?

कुछ भी तो नही टी.वी देखो मैं भी देखता हूँ.

ठीक है पर छोड़िये तो ठीक से बैठकर देखूं.

ठीक से बैठी हो, मीनू मेरी छोटी बहन अपने बड़े भाई की गोद मैं बैठकर देखो ना टी.वी. 

वो चुप रही और हम टी.वी देखने लगे.
थोड़ी देर बाद मैने उसके हाथो को अपने हाथो से इस तरह दबाया की उसकी कमीज़ सिकुड कर आगे को हुई और उसकी दोनो मुम्में दिखने लगे. 


उसकी नज़र अपने मुम्मों पर पड़ी तो वो जल्दी से मेरी गोद से ऊतर गई और तभी मौसी ने उसे आवाज़ दी तो वो उठकर चली गयी.
मैं भी पहले की तरह पर्दे के पीछे छुप कर देखने लगा. 

वो अंदर गई तो मौसी ने पूछा, क्या हुआ बेटी तरुण ने बताया नही क्या खायेगा?

वो मम्मी भैया ने.. 

क्या भैया ने, बताओ ना बेटी क्या किया तेरे भाई ने?

वो भैया ने मुझे अपनी गोद मैं बिठा लिया था और फिर ओर फिर..

और फिर क्या?

और और कुछ नही. 

अरे अगर तेरे भाई ने तुझे अपनी गोद मै बिठा लिया तो क्या हुआ, आख़िर वो तेरा बड़ा भाई है. अच्छा यह बता उसने गोद मैं ही बिठाया था या कुछ और भी किया था?

और तो कुछ नही मम्मी भैया ने फिर मेरे इन दोनो को देख लिया था.

मौसी- मुझे लग रहा है मेरे भांजे को अपनी बहन के दोनो रसीले मुम्में पसंद आ गए हैं तभी वो बार बार इनको देख रहा है. बेचारा मेरा भांजा, अपनी ही बहन की मुम्मों को पसंद करता है. 

अगर बाहर की कोई लड़की होती तो देख लेता जी भर कर पर साथ में वो डरता होगा. 

अच्छा बेटी यह बता जब तुम्हारे भैया तेरे मुम्मों को घूरता है तो तुमको कैसा लगता है?

ज्जज्ज जी मम्मी वो लगता तो अच्छा है पर…

पर क्या बेटी. ? अरे तुझे तो खुश होना चाहिये की तुम्हारा अपना भाई ही तुम्हारे मुम्मों का दीवाना हो गया है.
अगर मैं तेरी जगह होती तो मैं तो बहाने बहाने से अपने भाई को दिखाती.

“मम्मी.” !!

हाँ बेटी सच कह रही हूँ. क्या तुझे अच्छा नही लगता की कोई तेरा दीवाना हो और हर वक़्त बस तेरे बारे मैं सोचे और तुझे देखना चाहे. तुझे चोदना चाहे.

मम्मी आप भी....

अरे बेटी कोई बात नही जा अपने भाई को बेचारे को दो चार बार अपनी दोनो मस्त जवानीयों की झलक दिखा दिया कर. वैसे उस बेचारे की ग़लती नही, तू है ही इतनी कड़क जवान की वो क्या करे. देख ना अपने दोनो मुम्मों को लग रहा है अभी कमीज़ फाड़कर बाहर आ जाएंगे. 

जा तू भाई के पास जाकर टी.वी देख और बेचारे को अपनी झलक दे मैं खाने का इंतज़ांम करती हूँ. खाना तैयार होने पर में तुम दोनो को बुला लूँगी.”

मैं मौसी की बात सुन वापस आ टीवी देखने लगा. 

थोड़ी देर बाद मीनू आई तो मैंने कहा, “क्या हुआ मीनू खाना रेडी है?”

“जी भैया खाना मम्मी बना रही हैं.”

“अच्छा तो आ तू टीवी देख.”

वह मेरे पास आ गयी तो मैंने उसे अपनी बगल मे बिठा लिया. इस बार मैं चुप बैठा टीवी देखता रहा. 5 मिनट बाद वह बार बार पहलू बदलती और मुझे देखती. मैं समझ गया कि अब सही मौका है. तब मैंने उसके गले मे हाथ डाला और बोला, “बहुत अच्छी मूवी है.”

“जी भैया.”

फिर उसे अपनी गोद मे धीरे से झुकाया तो वह मेरी गोद की तरफ झुक गयी. तब मैंने उसे अपनी गोद पर ठीक से झुकाते कहा, “मीनू आराम से देखो टीवी मौसी तो किचन मे होगी?”

“जी भैया ठीक से बैठी हूँ.” मीनू यह कहते हुए मेरी गोद मे सर रख लेट गयी.

वह टीवी देख रही थी और मैं उसके मुम्में. तभी उसने मुझे देखा तो मैं ललचाई नज़रों से उसके मुम्मों को देखता रहा. वह मुस्काई और फिर टीवी की तरफ देखने लगी. अब वह शरमा नही रही थी. 

तब मैंने उसकी कमीज़ को नीचे से पकड़ा और नीचे की तरफ खींचा. वह कुछ ना बोली. मैं थोड़ा सा और खींचा तो उसके मुम्में ऊपर से झाँकने लगी. अब मैं उसकी गदराए कसे मुम्मों को देखता एक हाथ को उसके पेट पर रख चुका था. हमलोग 3-4 मिनट तक इसी तरह रहे.

फिर वह मेरा हाथ अपने पेट से हटाती उठी तो मैंने कहा, “क्या हुआ मीनू?”

“कुछ नही भैया अभी आती हूँ.”

“कहाँ जा रही हो?’

"भैया पेशाब लग आई है अभी आती हूँ करके.”

वह चली गयी और मैं उसकी पेशाब करती चूत के बारे मे सोचने लगा.तभी वह वापस आई तो उसे देख मैं खुश हो गया. 

उसने अपनी कमीज़ का ऊपर का बटन खोल दिया था. मैं समझ गया कि अब वह मेरी किसी हरकत का बुरा नही मानेगी. वह आई और पहले की तरह मेरी गोद मे सर रख टीवी देखने लगी. 

मैंने फिर चुपके से हाथ से उसकी कमीज़ नीचे करी और फिर धीरे से उसके खुले बटन के पास हाथ लगा कमीज़ को दोनो ओर फैला दिया. मैं जानता था कि वह सब समझ रही है पर वह अंजान बनी लेटी रही. 

जब कमीज़ को इधर उधर किया तो उसकी आधे मुम्में दिखने लगे. वह अंदर बहुत छोटी सी ब्रा पहने थी जिससे उसके निपल ढके थे.


मैं समझ गया कि मैं अब कुछ भी कर सकता हूँ वह बुरा नही मानेगी. फिर भी मैंने पहली बार की वजह से एकदम से कुछ भी करने के बजाए धीरे धीरे ही शुरुआत करना ठीक समझा. 

फिर एक हाथ को उसकी रान पर रखा और 4-5 बार सहलाया. वह चुप रही तब मैंने उसकी कमीज़ के दो बटन और खोल दिए और अब उसकी ब्रा मे कसे पूरे मुम्में मेरी आँखों के सामने थी. 

अब मेरी गोद मे मेरी 18 साल की बहन मीनू लेटी थी और मैं उसके मुम्मों को ब्रा मे देख रहा था. ब्रा का हुक नीचे था जिसे अब मैं खोलना चाह रहा था.

मैंने दो तीन बार उसकी पीठ पर हाथ ले जाकर टटोला तो मेरे मंन की बात समझ गयी और उसने करवट ले ली. तब मैंने उसकी ब्रा का हुक अलग किया. फिर उसका कंधा पकड़ हल्का सा दबाया तो वह फिर सीधी हो गयी और टीवी की तरफ देखती रही. 

मैं कुछ देर उसे देखता रहा फिर ब्रा को उसके मुम्मों से हटाया तो उसने शरमा कर अपनी आँखे बंद कर ली.

उसके दोनो मुम्मों को देखा तो देखता ही रह गया. गुलाबी रंग के बहुत टाइट थे दोनो मुम्में और निपल एकदम लाल लाल बहुत प्यारा लग रहा था. मैं उसके मुम्मों को देख सोच रहा था कि सच इतने प्यारे और खूबसूरत मुम्में शायद कभी और नही देख पाउन्गा. 

वह आँखें बंद किए तेज़ी से साँसे ले रही थी. मैंने अभी उसके मुम्मों को छुआ नही था केवल उनका ऊपर नीचे होना देख रहा था. मुम्मों का साइज़ बहुत अच्छा था, आराम से पूरे हाथ मे आ सकते थे. मौसी की मुम्मों के लिए तो दोनो हाथो को लगाना पड़ता था.

मैंने उससे कहा, “मीनू.”

वह चुप रही तो फिर बोला, “मीनू ए मीनू क्या हुआ? तू टीवी नही देख रही. देखो ना कितना प्यारा सीन है.”

वह फिर भी चुप आँखें बंद किए रही तो मैं फिर बोला, “मीनू देखो ना.”

“ज्ज्ज्ज्ज ज्ज जी भैया देख तो रही हूँ.”

“कहाँ देख रही हो. देखो कितनी अच्छी फिल्म है.”

तब उसने धीरे से ज़रा सी आँखे खोली और टीवी की तरफ देखने लगी. कुछ देर मे उसने फिर आँखे बंद कर ली तो मैंने उसके गालों को पकड़ उसके चेहरे को अपनी ओर करते कहा, “क्या हुआ मीनू तुम टीवी नही देखोगी क्या?”

वह चुप रही तो उसके गालों को दो तीन बार सहला कर बोला, “कोई बात नही अगर तुम नही देखना चाहती तो जाओ किचन मे मौसी की हेल्प करो जाकर.”

उसने मेरी बात सुन अपनी आँखे खोल मुझे देखा फिर टीवी की ओर देखते बोली, “देख तो रही हूँ भैया.”

इस बार उसने आँखें बंद नही की और टीवी देखती रही. थोड़ी देर बाद मैंने एक हाथ को धीरे से उसके एक मुम्में पर रखा तो वह सिमट सी गयी पर टीवी की ओर ही देखती रही. 

हाथ को उसके मुम्में पर रखे थोड़ी देर उसके चेहरे को देखता रहा फिर दूसरे हाथ को दूसरे मुम्में पर रख हल्का सा दबाया तो उसने फिर आँखे बंद कर ली.

मैंने दो तीन बार दोनो मुम्मों को धीरे से दबाया और फिर उसके निपल को पकड़ मसला तो वह मज़े से सिसक गयी. 

दोनो निपल को चुटकी से मसल बोला, “मीनू, लगता है तुमको फिल्म अच्छी नही लग रही, जाओ तुम किचन मे मैं अकेला देखता हूँ.”

इतना कह उसके मुम्मों को छोड़ दिया और उसे अपनी गोद से हटाने की कोशिश की तो वह जल्दी आँखे खोल मुझे देखती घबराती सी बोली, “हाये न्न्न नही तो भैया बहुत अच्छी फिल्म है, हाये भैया देख तो रही हूँ. आप भी देखिए ना मैं भी देखूँगी.”

वह फिर लेट गयी और सर मोड़ कर टीवी देखने लगी. मैंने उसका चेहरा अपनी ओर करते कहा, “मीनू.”

“जी भैया देखूँगी फिल्म मुझे भी अच्छी लग रही है.”

“हाये मीनू तू कितनी खूबसूरत है. हाये तेरे यह कितने प्यारे हैं.”

“क्या भैया?”

“तेरे मुम्में ?”

वह अपने मुम्मों को देखती बोली, “हाये भैया आपने इनको नंगा कर दिया हाये मुझे शरम आ रही है.”

“कोई नही आएगा. तुझे बहुत मज़ा आएगा.” और दोनो मुम्मों को पकड़ लिया और दबा दबा उसे मस्त करने लगा.

वह मेरे हाथो पर अपने हाथ रख बोली, “भैया मम्मी हैं.”

“वह तो किचन मे है. तू डर मत उनको अभी बहुत देर लगेगी खाना बनाने मे.”

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#10
15-01-2018, 01:09 PM

फिर उसके दोनो मुम्मों को मसलता रहा और वह टीवी की ओर देखती रही. वह बहुत खुश लग रही थी. 


10 मिनट तक उसके मुम्मों को मसल्ने के बाद झुककर दोनो मुम्मों को बारी बारी से चूमा तो उसके मुँह से एक सिसकारी निकल गयी.

“क्या हुआ मीनू?’

"कुछ नही भैया हाआहह भैया.”

“क्या है मीनू?”

“भैया.”

“क्या है बता ना?”

“भैया मम्मी तो नही आएँगी ना ?”

“अभी नही आएँगी, अभी उनको आधा घंटा और लगेगा खाना बनाने मे.”

“भैया इनको..”

“क्या बताओ ना तुम तो शरमा रही हो.”
और मैने झुककर उसके होंठो को चूमा. होंठो को चूमने पर वह और मस्त हुई तो मैंने उसके होंठो को अपने मुँह मे लेकर खूब कसकर चूसा. 


3-4 मिनट होंठ चूसने के बाद अलग हुआ तो वह हाँफती हुई बोली, “ऊऊहह आआहह स भैया आहह बहुत अच्छा लगा हाये भैया इनको मुँह से करो.”

“क्या करें?”

“भैया मेरे मुम्मों को मुँह से चूस चूस कर पियो.”

मे खुश होता बोला, “लाओ पिलाओ अपने मुम्मों को.”

फिर मैं उसको अलग कर लेट गया तो वह उठी और मेरे ऊपर झुक अपना एक मुम्मा अपने हाथ से पकड़ मेरे मुँह मे लगा बोली, “लो भैया पियो इनका रस्स.”

मैं उसके मुम्में को होंठो से दबा दबा कसकर चूस रहा था. वह अपने हाथ से दबा पूरा मुम्मा को मेरे मुँह मे घुसाने की कोशिश कर रही थी. 

3-4 मिनट बाद उसने इसी तरह दूसरा मुम्मा भी मेरे मुँह मे दे दिया. दोनो को करीब दस मिनट तक चुसाती रही और मैं उसकी गाँड पर हाथ लगा उसके चूतड़ सहलाता रहा और मुम्मा पीता रहा.

फिर वह मुझे उठा मेरी गोद मे पहले की तरह लेट गयी और फिर मेरे हाथ को अपनी एक मुम्में पर लगा दबाने का इशारा किया. मैं दबाने लगा तो उसने मेरे चेहरे को पकड़ अपनी दूसरा मुम्मा झुकाया. 

मैं उसका मतलब समझ उसकी एक मुम्में को मसलने लगा और दूसरे को पीने लगा. वह अब मुझे ही देख रही थी. वह मेरे सर पर हाथ फेर रही थी.

वह मेरे कान मे फुसफुसा भी रही थी, “हहाअ आहह हाये भैया बहुत अच्छा लग रहा है हाउ आप कितने अच्छे हैं.”

“तू भी बहुत अच्छी है.”

“भैया एक बात तो बताओ? अभी जब आपसे खाने को पूछा था तो आप किनका रस पीने को कह रहे थे?”

“जिनका रस पी रहा हूँ, तेरे मुम्मों का.”

“हाये भैया आप कितने वो है.”

तभी किचन से मौसी की आवाज़ आई वह मीनू को बुला रही थी.

मीनू हड़बड़ाकर उठा बैठी और अपने कपड़े ठीक करती बोली, “जी मम्मी.”

“बेटी क्या कर रही हो?”

“कुछ नही मम्मी आ रही हूँ.” वह बहुत घबरा गयी थी और मुझसे बोली, “हाये भैया दरवाज़ा खुला था कहीं मम्मी ने देख तो नही लिया?”

“नही यार वह तो किसी काम से बुला रही हैं?”

मौसी- “बेटी अगर फ्री हो तो यहाँ आओ.”

“आई मम्मी.” और वह चली गयी तो मैं भी साँसे दुरुस्त करने लगा.

अपनी बहन के मुम्मों का रस पीकर तो मज़ा ही आ गया था. मैं फिर जल्दी से किचन के पास गया. मौसी रोटी सेक रही थी. मीनू उनके पास खड़ी हुई. वह अभी भी तेज़ी से साँसे ले रही थी.

मौसी उसे देखकर बोली, “क्या हुआ बेटी, तू थकी लग रही है?”

“नही तो मम्मी मैं ठीक हूँ.”

“क्या देख रहे थे तुम लोग?”

“फिल्म मम्मी, मम्मी बहुत अच्छी फिल्म थी.”

“अच्छा अच्छा बेटी तुम्हारे भैया कहाँ हैं?”

“वह तो अभी टीवी ही देख रहे हैं. मम्मी कुछ काम है क्या?”

“नही बेटी क्यों?”

“मे जाऊँ टीवी देखने भैया अकेले बोर हो जाते हैं.”

“बहुत ख्याल रखती है अपने भैया का..!! जा देख जाके भाई के साथ. मुझे अभी 10 मिनट और लगेगें.”

वह खुश हो जल्दी से बाहर निकली तो मैंने उसे पकड़ अपनी गोद मे उठाया और टीवी रूम मे ले आया. वह मेरे गले मे बाँहें डाले मुझे ही देखे जा रही थी. अंदर आ मैं बैठा और उसे अपनी गोद मे बिठा उसके होंठो को चूम उसकी दोनो मुम्मों को दबाने लगा. 

दो मिनट बाद उसके बटन खोलना चाहा तो वह बोली, “नही भैया बटन ना खोलो ऐसे ही करो . मम्मी आ सकती हैं.”

मैं उसके मुम्मों को मसल उसे मज़ा देते बोला, “यार नंगे पकड़ने मे ज़्यादा मज़ा आता है.”

“ओह्ह भैया अभी नही खाने के बाद मम्मी तो 2 घंटे के लिए सो जाती हैं तब आपको जी भरके अपने नंगे मुम्में पिलाऊँगी. भैया ब्रा अलग कर दीजिए फिर कमीज़ के अंदर हाथ डालकर पकडिए.”

“तू कितनी समझदार है.”

फिर मैंने उसकी ब्रा खोलकर अलग कर दी तो उसने ब्रा को कुशन के नीचे छुपा दिया फिर अपनी कमीज़ को ऊपर उठाया और मेरे हाथों को अंदर किया. मैंने उसके दोनो मुम्मों को पकड़ लिया और दबा कर उसके होंठ, गाल गले पर चूमने लगा.. वह अपने हाथ पिछे कर मेरे गले मे डाले अपने मुम्मों को देख रही थी.

तभी किचन मे कुछ आहट हुई तो वह मेरे हाथ हटाती बोली, “अब रहने दो भैया मम्मी आने वाली हैं.”

मे जानता था मौसी कुछ नही कहेंगी लेकिन फिर भी मैंने उसे छोड़ दिया तो उसने अपने कपड़े ठीक किए और अलग होकर बैठ गयी. 

एक मिनट बाद मौसी आई और मीनू के पास बैठ गयी. वह मुझे देख मुस्काराई तो मैं भी मुस्काराया और इशारा किया कि काम बन गया.

तभी मौसी ने कहा, “बेटा तुम लोग खाना खाओगे?”

“खा लेते है मम्मी आपको आराम भी करना होगा.” मीनू बोली.

“चलो फिर खाना खा लिया जाए.”

तब मीनू उठकर गयी तो मौसी मुझसे बोली, “क्या किया बेटा?”

“मौसी बहुत मस्त है मीनू के दोनो मुम्में, हाये मौसी दोनो का खूब रस पिया.”

“ठीक है खाना खा लो फिर मैं सोने का बहाना कर अपने रूम मे चली जाऊँगी तब तुम यही फिर करना लेकिन बेटा नीचे हाथ लगाया या नही?”

“अभी नही मौसी.”

“ठीक किया, नीचे वाला माल रात मे ही छूना. आज रात तुम्हारी और मीनू की है. अभी एक दो घंटे उसके मुम्मों का मज़ा ही लो. रात मे नीचे का. 

अगर अभी नीचे वाली को कुछ किया तो वह बेचैन हो जाएगी और चुदाई का असली मज़ा रात मे ही है. उसे अपना दिखाया या नही?”

“अभी नही मौसी.”

“अब उसे अपना दिखाना और मान जाए तो उसके मुँह मे भी देना. अगर ना माने तो कोई बात नही मे सीखा दूँगी मुँह मे लेना.”

फिर हम सब खाना खाने लगे. खाने पर वह मुझे देख रही थी. खैर खाने के बाद वह बर्तन साफ करने लगी. मैं टीवी देखने जाते हुए बोला, “मीनू मैं टीवी देखने जा रहा हूँ अगर तुमको देखना हो तो आ जाना.”

“ठीक है भैया आप चलिए मैं अभी आती हूँ. बर्तन धोकर कपड़े बदल लूँ फिर आती हूँ. इन कपड़ो मे परेशानी होती है.”

“हां बेटी जाओ बर्तन साफ करके भैया के साथ टीवी देखना और मुझे डिस्टर्ब ना करना. मैं दो घंटे सोउंगी. 

और मीनू बेटी घर मे इतने कसे कपड़े ना पहना करो. जाओ कोई ढीला सा स्कर्ट और टी-शर्ट पह्न लो.” मौसी तो सोने की बात कह चली गयी.

मैं टीवी देखने लगा. 10 मिनट बाद मीनू आई तो उसे देख मैं दंग रह गया. लाल रंग का स्कर्ट और वाइट टी-शर्ट मे उसने मेक-अप किया हुआ था. होंठो पर स्किन कलर की लिपस्टिक थी और पर्फ्यूम से उसका बदन महक रहा था. 

मैं उसे देखता रहा तो वह मुस्कराते हुए बोली, “भैया क्या देख रहे हो?”

“देख रहा हूँ कि मेरी बहन कितनी खूबसूरत है.”

“जाइए भैया आप भी, मुझे टीवी देखना है.”
फिर वह आकर मेरे पास बैठी. उसके बैठने पर मैंने उसे देखा और मुस्कराते हुए उसके हाथो को पकड़ा तो वह अपना हाथ छुड़ा उठकर आगे सिंगल बेड पर लेट गयी. 


मैं सोफा पर बैठा उसे देखता रहा. उसके मुम्में ऊपर को ताने हुए थे. टी-शर्ट छोटी थी जिससे उसका पेट दिख रहा था. स्कर्ट भी घुटनो से ऊपर था. 

वह टीवी की तरफ देख रही थी. तभी उसने अपने पैर घुटनो से मोड़े तो उसका स्कर्ट उसकी कमर पर आ गया और उसकी चिकनी गोरी गोरी राने दिखने लगी. वह अपनी चिकनी राने दिखाती अपने हाथों को अपने मुम्मों पर बाँधे थी. 8-10 मिनट तक वह ऐसे ही रही.

फिर वह मेरी ओर देख बोली, “भैया यह अच्छी फिल्म नही है, मैं बोर हो रही हूँ.”


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